#सतलोक में बैठी कर
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satlokashram · 1 year ago
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कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरू निरखै तोहे। गुरू तज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय।। गुरूदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरू जी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात् अन्य को गुरू रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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mohanjaglan · 9 days ago
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#GodMorningWednesday
सतलोक.....
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखें तोहे। गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
गुरूदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरूजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरू रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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surenderdaas49 · 1 year ago
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कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरू निरखै तोहे।
गुरू तज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय।।
गुरूदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरू जी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात् अन्य को गुरू रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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realsalvationpath · 9 months ago
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#सत_भक्ति_संदेश
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखै तोहे ।
गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
#SaintRampalJiQuotes
#GodMorningMonday
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brijpal · 10 months ago
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखै तोहे । गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
गुरुदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरुजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरु रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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manoj-kumars-things · 6 days ago
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#GodMorningFriday
कबीर,
सतलोक में बैठी कर, गुरू निरखै तोहे।
गुरू तज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय।।
गुरुदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरु जी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात् अन्य को गुरु रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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amrick · 9 days ago
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सतलोक.....
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखें तोहे। गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
गुरूदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरूजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरू रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।.
#GodMorningWednesday
#SantRampaljimahraj
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anju-1 · 9 days ago
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#GodMorningWednesday
सतलोक.....
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखें तोहे। गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
गुरूदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरूजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरू रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।.
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anilkus5123-blog · 5 months ago
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#GodmorningSunday
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखें तोहे।
गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय।।
#सत_भक्ति_संदेश
#स्वर्ण_युग
#sundayvibes
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shrivast · 5 months ago
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#GodmorningSunday
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखें तोहे।
गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय।।
#सत_भक्ति_संदेश
#स्वर्ण_युग
#sundayvibes
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jyotis-things · 8 months ago
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( #Muktibodh_Part294 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part295
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 562
◆ महाराज गरीबदास जी अपनी
वाणी में कहते हैं :-
ब्रह्मा विष्णु महेश्वर माया, और धर्मराय कहिये।
इन पाँचों मिल परपंच बनाया, वाणी हमरी लहिये।।
इन पाँचों मिल जीव अटकाये, जुगन-जुगन हम आन छुटाये।
बन्दी छोड़ हमारा नामं, अजर अमर है अस्थिर ठामं।।
पीर पैगम्बर कुतुब औलिया, सुर नर मुनिजन ज्ञानी।
येता को तो राह न पाया, जम के बंधे प्राणी।।
धर्मराय की धूमा-धामी, जम पर जंग चलाऊँ।
जोरा को तो जान न दूगां, बांध अदल घर ल्याऊँ।।
काल अकाल दोहूँ को मोसूं, महाकाल सिर मूंडू।
मैं तो तख्त हजूरी हुकमी, चोर खोज कूं ढूंढू।।
मूला माया मग में बैठी, हंसा चुन-चुन खाई।
ज्योति स्वरूपी भया निरंजन, मैं ही कर्ता भाई।।
हंस अठासी दीप मुनीश्वर, बंधे मुला डोरी।
ऐत्यां में जम का तलबाना, चलिए पुरुष कीशोरी।।
मूला का तो माथा दागूं, सतकी मोहर करूंगा।
पुरुष दीप कूं हंस चलाऊँ, दरा न रोकन दूंगा।।
हम तो बन्दी छोड़ कहावां, धर्मराय है चकवै।
सतलोक की सकल सुनावां, वाणी हमरी अखवै।।
नौ लख पटट्न ऊपर खेलूं, साहदरे कूं रोकूं।
द्वादस कोटि कटक सब काटूं, हंस पठाऊँ मोखूं।।
चौदह भुवन गमन है मेरा, जल थल में सरबं��ी।
खालिक खलक खलक में खालिक, अविगत अचल अभंगी।।
अगर अलील चक्र है मेरा, जित से हम चल आए।
पाँचों पर प्रवाना मेरा, बंधि छुटावन धाये।।
जहाँ ओंकार निरंजन नाहीं, ब्रह्मा विष्णु वेद नहीं जाहीं।
जहाँ करता नहीं काल भगवाना, काया माया पिण्ड न प्राणा।।
पाँच तत्त्व तीनों गुण नाहीं, जोरा काल दीप नहीं जाहीं।
अमर करूं सतलोक पठाँऊ, तातैं बन्दी छोड़ कहाऊँ।।
कबीर परमेश्वर (कविर्देव) की महिमा बताते हुए आदरणीय गरीबदास साहेब जी कह रहे हैं कि हमारे प्रभु कविर् (कविर्देव) बन्दी छोड़ हैं। बन्दी छोड़ का भावार्थ है काल की कारागार
से छुटवाने वाला, काल ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्डों में सर्व प्राणी पापों के कारण काल के बंदी हैं।
पूर्ण परमात्मा (कविर्देव) कबीर साहेब पाप का विनाश कर देते हैं। पापों का विनाश न ब्रह्म, न परब्रह्म, न ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव जी कर सकते हैं। केवल जैसा कर्म है, उसका वैसा ही फल दे
देते हैं।
इसीलिए यजुर्वेद अध्याय 5 के मन्त्र 32 में लिखा है ‘कविरंघारिरसि‘ कविर्देव (कबीर परमेश्वर) पापों का शत्रु है, ‘बम्भारिरसि‘ बन्धनों का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है।
इन पाँचों (ब्रह्मा-विष्णु-शिव-माया और धर्मराय) से ऊपर सतपुरुष परमात्मा (कविर्देव) है। जो सतलोक का मालिक है। शेष सर्व परब्रह्म-ब्रह्म तथा ब्रह्मा-विष्णु-शिव जी व आदि माया
नाशवान परमात्मा हैं। महाप्रलय में ये सब तथा इनके लोक समाप्त हो जाएंगे। आम जीव से कई हजार गुणा ज्यादा लम्बी इनकी उम्र है। परन्तु जो समय निर्धारित है वह एक दिन पूरा
अवश्य होगा।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज कहते हैं :-
शिव ब्रह्मा का राज, इन्द्र गिनती कहां। चार मुक्ति वैकुंण्ठ समझ, येता लह्या।।
संख जुगन की जुनी, उम्र बड़ धारिया। जा जननी कुर्बान, सु कागज पारिया।।
येती उम्र बुलंद मरैगा अंत रे। सतगुरु लगे न कान, न भैंटे संत रे।।
चाहे शंख युग की लम्बी उम्र भी क्यों न हो वह एक दिन समाप्त जरूर होगी। यदि सतपुरुष परमात्मा (कविर्देव) कबीर साहेब के नुमाँयदे पूर्ण संत(गुरु) जो तीन नाम का मंत्र (जिसमें एक ओउम + तत् + सत् सांकेतिक हैं) देता है तथा उसे पूर्ण संत द्वारा नाम दान करने का आदेश है, उससे उपदेश लेकर नाम की कमाई करेंगे तो हम सतलोक के अधिकारी हंस हो सकते हैं। सत्य सा��ना बिना बहुत लम्बी उम्र कोई काम नहीं आएगी क्योंकि निरंजन लोक में दुःख ही दुःख है।
कबीर, जीवना तो थोड़ा ही भला, जै सत सुमरन होय। लाख वर्ष का जीवना, लेखै धरै ना कोय।।
कबीर साहिब अपनी (पूर्णब्रह्म की) जानकारी स्वयं बताते हैं कि इन परमात्माओं से ऊपर असंख्य भुजा का परमात्मा सतपुरुष है जो सत्यलोक (सच्च खण्ड, सतधाम) में रहता है
तथा उसके अन्तर्गत सर्वलोक ख्ब्रह्म (काल) के 21 ब्रह्माण्ड व ब्रह्मा, विष्णु, शिव शक्ति के लोक तथा परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्ड व अन्य सर्व ब्रह्माण्ड, आते हैं और वहाँ पर सत्यनाम-सारनाम के जाप द्वारा जाया जाएगा जो पूरे गुरु से प्राप्त होता है। सच्चखण्ड (सतलोक) में जो आत्मा
चली जाती है उसका पुनर्जन्म नहीं होता। सतपुरुष (पूर्णब्रह्म) कबीर साहेब (कविर्देव) ही अन्य लोकों में स्वयं ही भिन्न-भिन्न नामों से विराजमान हैं। जैसे अलख लोक में अलख पुरुष, अगम लोक में अगम पुरुष तथा अकह लोक में अनामी पुरुष रूप में विराजमान हैं। ये तो उपमात्मक नाम हैं, परन्तु वास्तविक नाम उस पूर्ण पुरुष का कविर्देव (भाषा भिन्न होकर कबीर साहेब) है।
क्रमशः_____
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pandurangkoli · 9 months ago
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सत_भक्ति_संदेश
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखै तोहे ।
गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
#SaintRampalJiQuotes
#GodMorningTuesday
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gauravvbisht · 9 months ago
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#सत्_भक्ति_संदेश⤵️
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखै तोहे।
गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
#SantRampaljiQoutes
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savita1966 · 9 months ago
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#GodmorningThursday कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखै तोहे । गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
गुरुदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरुजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरु रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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lalitasahu · 10 months ago
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
कबीर, सतलोक में बैठी कर, गुरु निरखै तोहे । गुरुतज ना और मानियो, अध्यात्म हानि होय ।।
गुरुदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरुजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरु रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
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vishalnegi12 · 10 months ago
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🌼🌺
कबीर, सतलोक में बैठी कर,
गुरु निरखै तोहे ।
गुरुतज ना और मानियो,
अध्यात्म हानि होय ।। 🌺🌼
गुरुदेव सतलोक में बैठकर आपको देख रहा होता है। गुरुजी के संसार छोड़कर जाने के पश्चात अन्य को गुरु रूप में नहीं देखना, नहीं तो भक्ति की हानि हो जाएगी।
🙏🏻🙏🏻
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