आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
22 June God Kabir Prakat Diwasआदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
#किस_किस_को_मिले_भगवान
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♦️आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा, पूर्ण परमात्मा वाले सिंहासन पर विराजमान हो गए तथा आदरणीय धर्मदास साहेब जी को कहा कि मैं ही काशी (बनारस) में नीरू-नीमा के घर गया हुआ हूँ। वहाँ धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ।
आदरणीय धर्मदास साहेब जी, बांधवगढ़ मध्य प्रदेश वाले, जिनको पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले, सतलोक दिखाया और तत्वज्ञान समझाया। वहाँ सतलोक में दो रूप दिखा कर जिंदा रूप वाले परमात्मा,
सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिंन्द्र मेरा। द्वापर में करुणामय कहाया कलयुग नाम कबीर धराया।।
इस वाणी में कबीर परमेश्वर ने कहा है कि, में चारों युगों में पृथ्वी पर आता हूं, सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिनंद्र, द्वापरयुग में करुणामय तथा कलयुग में कबीर नाम से आता हूं।
जिस परमात्मा को हम निराकार मान रहे थे वह परमात्मा साकार है तथा उसका नाम कबीर है। जिसका प्रमाण सद्ग्रंथों के इन मंत्रों में है 👇👇
यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15 तथा अध्याय 5 मंत्र 1 में लिखा है कि
"अग्ने: तनूर असि"विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर असि" इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि वह सर्वव्यापक, सर्व का पालनहार परमात्मा सशरीर है, साकार है।
तथा
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 93 मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3,
यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में प्रमाण है कि, पूर्ण परमात्मा कभी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि,
जब पूर्ण परमात्मा पृथ्वी पर शिशु रुप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है,उस समय उसकी परवरिश की लीला कुंवारी गाय के दूध से होती है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96
मंत्र 17 में कहा है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कवियों की तरह आचरण करता हुआ कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, संत व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् ही है। उसके द्वारा रची अमृतवाणी कबीर वाणी (कविर्वाणी) कही जाती है, जो भक्तों के लिए सुखदाई होती है।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर) चारों युगों में पृथ्वी पर कभी भी कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। अच्छी आत्माओं को मिलते हैं।
अपना तत्वज्ञान दोहों, शब्दों तथा कविताओं द्वारा बोलकर सुनाते हैं।
ऐसे ही कुछ महापुरुषों को कलयुग में मिले। जो इस प्रकार है,👇👇👇
आदरणीय संत गरीब दास जी महाराज को सन् 1727 में 10 वर्ष की आयु में गांव छुड़ानी के नला नामक स्थान पर कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। तत्वज्ञान से परिचित कराकर सतलोक दर्शन करवाकर साक्षी बनाया।
अजब नगर में ले गए, हमको सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।।
"अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजन हार।।
आदरणीय धर्मदास जी को बांधवगढ़ मध्यप्रदेश वाले को पूर्ण परमात्मा कबीर जी मथुरा में जिंदा महात्मा के रूप में मिले, सत्य ज्ञान से परिचित कराया, सतलोक दिखाकर साक्षी बनाया।
धर्मदास जी ने कहा है कि,
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर, सतलोक से चलकर आए, काटन जम की जंजीर।।
रामानंद जी को कबीर परमेश्वर काशी में 104 वर्ष की आयु में मिले। सत्य ज्ञान समझाकर, सतलोक दिखाया।
रामानंद जी ने अपनी अमरवाणी में बताया है कि,
दोहूं ठौर है एक तू, भया एक से दोय।
गरीबदास हम कारने, आए हो मग जोय।।
तुम साहेब तुम संत हो, तुम सतगुरु तुम हंस।
गरीबदास तव रुप बिन और न दूजा अंश।।
बोलत रामानंद जी सुनो कबीर करतार,
गरीबदास सब रुप में,तुम ही बोलनहार।।
मलूक दास जी को 42 वर्ष की आयु में कबीर परमेश्वर मिले। सत्य ज्ञान समझाया, तब मलूक दास जी ने अपनी अमरवाणी में कहा था कि,
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर ।
दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।
नानक देव जी को कबीर परमेश्वर बेई नदी के तट पर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। सत्य ज्ञान और सतलोक दिखाया तब नानक देव जी ने कहा था कि,
फाई सुरत मलुकि वेश ऐ ठगवाड़ा ठगी देश।
खरा सियाणा बहुता भार, धाणक रुप रहा करतार।।
दादू साहेब जी को कबीर परमेश्वर मिले, तत्वज्ञान कराया। सत्य ज्ञान से परिचित होकर दादू साहेब ने कहा है कि,
सर्व बुद्धिजीवी समाज से निवेदन है कि, जिसे हम एक कवि और संत मान रहे थे, वह तो पूर्ण परमात्मा है। उपरोक्त वाणीयों तथा प्रमाणों से भी यहीं सिद्ध होता है। हमारे सदग्रंथो में ऐसे एक नहीं कई प्रमाण है। अपनी शंका दूर करने के लिए आप जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक सत्संग अवश्य देखें, संत रामपाल जी महाराज जी सर्व धर्मों के पवित्र सदग्रंथो में कबीर साहेब के पूर्ण परमात्मा होने के अनेकों प्रमाण दिखा कर सतभक्ति प्रदान कर रहे हैं।
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परमेश्वर कबीर साहेब जी चारों युगों में अपने निज धाम सत्यधाम अर्थात सतलोक से इस धरातल पर आते हैं और अपनी प्यारी आत्माओ को तत्वज्ञान समझाकर उन्हें शरण मे लेते हैं और उनका कल्याण करते हैं। परमात्मा ने बताया है कि ⤵️
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा।
द्वापर में करुणामय कहाया, कलियुग नाम कबीर धराया।।
सतयुग में परमेश्वर सत सुकृत के नाम से, त्रेता युग मे मुनीन्द्र नाम से, द्वापर युग मे करुणामय नाम से आये और कलियुग में परमात्मा अपने वास्तविक नाम - कबीर नाम से प्रकट हुए। जब जब परमेश्वर इस धरातल पर आए तब तब बहु संख्या में अपनी आत्माओं को शरण मे लेकर उन्हें मोक्ष मार्ग दिखलाया। वर्तमान कलियुग में भी परमात्मा कबीर साहेब जी प्रकट हुए थे और बहुत से महापुरुषों को मिले, उन्हें ज्ञान समझाया और उन्हें सतभक्ति मन्त्र देकर उनका कल्याण किया। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपनी प्रिय आत्माओ को कुछ इस प्रकार इस काल लोक के दलदल से निकलकर अपनी शरण में लिया और उन्हें मोक्ष दिया|
कबीर जी ने कई महापुरुषों को दर्शन देकर उन्हें सत्य का मार्ग दिखाया। उन्होंने धर्मदास, दादू साहेब, मलूक दास, गरीब दास, हज़रत मुहम्मद जी, और गुरु नानक देव जी को अपना शिष्य बनाया। आज भी उनके संदेश और उनके उपदेश हमें धर्म के मार्ग पर सही राह दिखाने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु रामपाल जी महाराज जी के रूप में आकर भी वे सत्य की प्राप्ति का मार्ग दिखा रहे हैं, जिससे मनुष्य अपने मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।
#प्रभु_प्राप्त_संतों_से_रूबरू क्या आप जानते हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब अनेकों महापुरुषों को अपने सतलोक से सशरीर आकर मिले और उन पुण्यकर्मी आत्मा को तत्वज्ञान बताकर सतलोक दिखाया। 🏝🏝
स्वामी रामानंद जी प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व गंगा नदी के तट पर बने पंचगंगा घाट पर स्नान करने जाते थे। 5 वर्षीय कबीर देव ने ढाई वर्ष के बच्चे का रूप धारण किया तथा पंचगंगा की घाट की सीढ़ियों में लेट गए। अंधेरा होने के कारण रामानंद जी के पैर की खड़ाऊ बालक रूप कबीर देव जी के सिर में लगी। जब स्वामी रामानंद जी रोते हुए बालक को उठाने के लिए झुके तो गले की माला (एक रुद्राक्ष की कंठी माला) कबीर देव के गले में डल गई और उन्होंने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम राम बोल, राम नाम से सब कष्ट दूर हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हुए सिर पर हाथ रखा। इस तरह कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को गुरु धारण करने की लीला की। वास्तव में कबीर परमेश्वर ही रामानंद जी के गुरु थे।
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ऋषि रामानन्द का उद्धार
कबीर साहेब ने महज 5 वर्ष की आयु में 104 वर्ष के स्वामी रामानन्द जी को ज्ञानचर्चा में पराजित कर दिया था। कबीर परमेश्वर ने उन्हें अपना तत्वज्ञान बताया व सतलोक दिखाया। तब स्वामी रामानन्द जी ने कबीर साहेब जी से उपदेश लिया था।
संत गरीबदास जी की वाणी में प्रमाण है- "बोलत रामानन्द जी सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूप में तुम ही बोलनहार।।
दोहु ठोर है एक तू, भया एक से दोय। गरीबदास हम कारणें उतरे हो मग जोय।।”
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