#सज्जन सगे कुटम्ब हितु
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balrams-world · 10 months ago
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satlokashram · 11 months ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।। भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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brijpal · 8 months ago
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवार���नों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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tanubhati · 1 day ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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ashoklavishkumar · 1 day ago
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#GodMorningTuesday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
#noidagbnup16
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savita1966 · 1 day ago
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#GodMorningTuesday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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shivi86 · 2 days ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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grandballoonfun · 2 days ago
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#GodMorningTuesday
#noidagbnup16
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
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jitena · 2 days ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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rakeshs9082983073 · 2 days ago
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#GodMorningTuesday
noidagbnup16
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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virendersinghs-blog · 2 days ago
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#GodMorningTuesday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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#noidagbnup16
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uday-yadav · 2 days ago
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#GodMorningTuesday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए।
#noidagbnup16
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rakeshbhatt22 · 7 months ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु,
जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए,
राखै सब का भाव ।।
#GodNightTuesday
#जगत_उद्धारक_संत_रामपालजी
📚 अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक "ज्ञान - गंगा"।
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taapsee · 8 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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shakuntladassi · 8 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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goludahiys · 9 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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