#सज्जन सगे कुटम्ब हितु
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balrams-world · 10 months ago
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satlokashram · 10 months ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।। भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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brijpal · 7 months ago
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवार���नों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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rakeshbhatt22 · 6 months ago
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कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु,
जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए,
राखै सब का भाव ।।
#GodNightTuesday
#जगत_उद्धारक_संत_रामपालजी
📚 अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक "ज्ञान - गंगा"।
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taapsee · 7 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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shakuntladassi · 7 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार���थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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goludahiys · 8 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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rajendersahab8 · 8 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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narendardass · 8 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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qualitydreamlandnight · 9 months ago
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#GodNightWednesday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव। कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव ।।
भावार्थ - भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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ankeshredhu · 9 months ago
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#GodMorningSaturday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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shakuntladassi · 8 months ago
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#GodMorningMonday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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dharambirdas108 · 9 months ago
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#GodMorningSaturday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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bhartiswami · 9 months ago
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#GodMorningSaturday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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narendardass · 9 months ago
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#GodMorningSaturday
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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bigpuppygardener · 10 months ago
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#SaintRampalJiQuotes
कबीर, सज्जन सगे कुटम्ब हितु, जो कोई द्वारै आव।
कबहु निरादर न कीजिए, राखै सब का भाव।।
भावार्थ:- भद्र पुरूषों, सगे यानि रिश्तेदारों, कुटम्ब यानि परिवारजनों तथा हितु यानि आपके हितैषियों का आपके द्वार पर आना हो तो कभी अनादर नहीं करना चाहिए। सबका भाव रखना चाहिए।
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