#संस्थानों को बचाया
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kripalujimaharajaastha · 1 year ago
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जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा जनहित कार्य: करुणाभाव के साथ समग्र मानवता की सेवा
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समय से स्वास्थ्य देखभाल न हो सकी तो इसके परिणाम अत्यन्त भयंकर हो सकते हैं। चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में प्रतिदिन हजारों की में लोगों की मृत्यु हो रही है। अधिकांशतः अल्प सुविधा प्राप्त लोग धन के अभाव के कारण अपनी चिकित्सा के लिये किसी डॉक्टर के पास नहीं जा और अत्यन्त पीड़ादायक जीवन व्यतीत करते हैं। विशेषकर बच्चों के इस प्रकार की भयावह व कष्टदायक परिस्थितियाँ अत्यन्त निराशाजनक है। यदि समुचित चिकित्सकीय सुविधायें प्राप्त हो तो अनेक रोगों से बचा जा सकता है और न जाने कितनी मासूम जिन्दगियों को बचाया जा सकता है।
भारत में हैजा, निमोनिया एवं अन्य जानलेवा बीमारियों से प्रति 15 सेकण्ड 1 बच्चे की मृत्यु हो रही है। प्रतिवर्ष 20 लाख से भी अधिक 5 वर्ष से छोटे बच्चों की मृत्यु हो जाती है। आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में इस प्रकार हो रही मृत्यु की संख्या सर्वाधिक है। अनेक वर्ष पूर्व विश्व के पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने कहा था: “मैंने समाजसेवा व लोक कल्याण के उद्देश्य से जगद्गुरु कृपालु परिषत् को विभिन्न क्षेत्रों में अस्पतालों की स्थापना का सुझाव दिया था जिससे जरूतरमंदों का भौतिक उत्थान व शारीरिक कल्याण हो सके। मेरे परामर्श अनुसार जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा मनगढ़ एवं बरसाना में (वृन्दावन के चिकित्सालय का उद्घाटन 2015 में हुआ) चिकित्सालयों की स्थापना की गयी। ये चिकित्सालय अनवरत रूप से कार्यरत हैं तथा एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक व नेचुरोपैथी पद्धति से चिकित्सा सेवायें प्रदान कर रहे हैं। यहाँ प्रदान की जा रही प्रत्येक सेवा पूर्णतया निःशुल्क है। "
जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं सुश्री डॉ विशाखा त्रिपाठी जी, सुश्री डॉ श्यामा त्रिपाठी जी एवं सुश्री डॉ कृष्णा त्रिपाठी जी हमारे गुरुदेव की सद्प्रेरणा एवं उनके द्वारा प्रशस्त समाज सेवा के मार्ग का अनुसरण करते हुये मानवता की सेवा के लिये सराहनीय प्रयास कर रही हैं। उनकी अध्यक्षता में चिकित्सालयों द्वारा निर्धनों की चिकित्सा सेवा व प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जीवन रक्षा हो रही हैं। उनकी अध्यक्षता में प्रतापगढ़ जनपद की गुण्डा तहसील में एक अत्यन्त विशाल निःशुल्क शिक्षण संस्थान कार्यरत है, जहाँ प्रतिवर्ष शैक्षिक सुविधाओं से वंचित निर्धन ग्रामीण परिवारों की हज़ारों बालिकाओं को निःशुल्क रूप से शिक्षा प्रदान की जा रही है एवं उन्हें एक सुन्दर जीवन जीने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो रहा है।
सम्माननीय सुश्री डॉ विशाखा त्रिपाठी जी, जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन की अध्यक्षा के शब्दों में - "यदि एक नार�� सशक्त होती है तो वह न केवल समाज की उन्नति के लिये समाज में परिव��्तन लाती है साथ ही दूसरों को भी सार्थक जीवन जीने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने की क्षमता रखती है।"
चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्रदान किये जा रहे सराहनीय प्रयासों के अतिरिक्त जे के पी की अध्यक्षाओं द्वारा 'Poor Relief Fund' के माध्यम से प्रतिवर्ष हजारों जरूरतमंदों को उनके दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है। उदाहरण के लिये प्रतिवर्ष हज़ारों अनावग्रस्त लोगों को गरम कम्बल, जैकेट व अन्य वस्त्रों का वितरण किया जाता है, जिससे भयानक शीत लहर के प्रकोप से उनकी जीवन रक्षा हो सके। निष्कर्ष: जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा स्थापित जगद्गुरु कृपालु परिषत् ने एक नये सोच की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो समाजसेवा और मानवता की सेवा को महत्वपूर्णता देने का प्रतीक है। उनकी प्रेरणा से संचालित चिकित्सालय और शिक्षा संस्थानों के माध्यम से वे निर्धन, गरीब और जरूरतमंद लोगों के जीवन में आराम और सहायता पहुँचा रहे हैं।
जगद्गुरु कृपालु परिषत् की सदस्य डॉ विशाखा त्रिपाठी जी, डॉ श्यामा त्रिपाठी जी और डॉ कृष्णा त्रिपाठी जी का प्रशासन और नेतृत्व इन प्रयासों को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। उनकी दिशा में, चिकित्सालयों में निःशुल्क चिकित्सा सेवाएँ और शिक्षा संस्थानों में निःशुल्क शिक्षा के माध्यम से समाज के निर्धन वर्ग के बच्चों को बेहतर जीवन की संभावना मिल रही है।
इन सब प्रयासों से, जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा सामाजिक न्याय और सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट की जा रही है। वह न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य की दिशा में बल्कि शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी मानवता की सेवा कर रहे हैं। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में, हम सभी को अपने समाज में सहयोग और समर्पण की दिशा में प्रेरित होना चाहिए, ताकि हम सभी एक समृद्ध, संवृद्धि और समृद्धि से भरपूर समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
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abhinews1 · 2 years ago
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के.डी. डेंटल कॉलेज में हुई एंटी रैगिंग पर कार्यशाला
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के.डी. डेंटल कॉलेज में हुई एंटी रैगिंग पर कार्यशाला
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में शुक्रवार को एंटी रैगिंग पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि रैगिंग हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में एक परेशान करने वाली सच्चाई है। रैगिंग से छात्र-छात्राओं को कैसे बचाया जाए इस पर शैक्षिक संस्थानों के जवाबदेह पदाधिकारियों को गम्भीर प्रयास करने चाहिए क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इससे सैकड़ों विद्यार्थियों का करिअर बर्बाद हो चुका है। कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) एस.के. कटारिया विभागाध्यक्ष डेंटल सर्जरी, एस.एन. मेडिकल कॉलेज आगरा ने विद्या की आराध्य देवी सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। प्रो. (डॉ.) कटारिया ने सभागार में उपस्थित सभी यूजी व पीजी छात्र-छात्राओं को बताया कि रैगिंग का अर्थ किसी भी ऐसे कार्य को करना है जो किसी छात्र को शारीरिक, मानसिक तथा शर्मिंदगी से आहत करने का कारण बनता है। इतना ही नहीं किसी छात्र-छात्रा को छेड़ना, गाली देना या व्यावहारिक मजाक करना, चोट पहुंचाना आदि भी रैगिंग की श्रेणी में आता है। डॉ. कटारिया ने कहा कि रैगिंग अन्य अपराधों से भिन्न है क्योंकि इसका उद्देश्य केवल विकृत सुख प्राप्त करना है। डॉ. कटारिया ने कहा कि यदि किसी भी विद्यार्थी के साथ रैगिंग होती है तो उसे तुरंत कॉलेज की एंटी रैगिंग समिति को बताना चाहिए तथा रैगिंग समिति का भी यह कर्तव्य है कि वह शिकायत करने वाले छात्र या छात्रा की पहचान सुरक्षित और गुप्त रखे। डॉ. कटारिया की जहां तक बात है यह रैगिंग यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन में इंटर काउंसिल कमेटी के सदस्य हैं और एंटी रैगिंग उपायों की निगरानी के लिए एमएचआरडी भारत सरकार के डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हैं। डॉ. कटारिया डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं। वह आईडीए यूपी स्टेट और एसोसिएशन ऑफ ओरल एंड मैक्सिलो-फेशियल सर्जन ऑफ इंडिया यूपी स्टेट के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट, एकेडमी ऑफ डेंटिस्ट्री इंटरनेशनल, पेरी फौचर्ड एकेडमी के फेलो और नेशनल एकेडमी ऑफ मेड��कल साइंसेज, इंडियन नेशनल साइंस कांग्रेस और इंडियन सोसाइटी ऑफ डेंटल रिसर्च के सदस्य हैं। प्रो. (डॉ.) कटारिया ने कहा कि यदि सभी स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को परिवार सा माहौल मिले तो रैगिंग पर आसानी से निजात पाई जा सकती है। प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल पूरी तरह से रैगिंग मुक्त संस्थान है। हमारे कॉलेज का एंटी रैगिंग सेल रैगिंग की रोकथाम और निषेध के साथ ही सभी छात्र-छात्राओं के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान कर रहा है। इसका वही उद्देश्य है जो रैगिंग को खत्म करने के लिए एआईसीटीई का है। एंटी रैगिंग सेल का आदर्श वाक्य है 'टुगेदर, वी फील एट होम'। डॉ. लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में सभी प्रवेशित छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता के लिए रैगिंग विरोधी हलफनामा भरना अनिवार्य है। यहां रैगिंग निरोधी प्रकोष्ठ है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य रैगिंग मुक्त परिसर बनाना है ताकि छात्र-छात्राएं पाठ्यचर्या और पाठ्येत्तर गतिविधियां दोनों में छात्रों के विकास के लिए बिना किसी बाधा के एक साथ आ सकें और अपने शैक्षिक अनुभवों को विकसित कर सकें। कार्यशाला में डॉ. उमेश चंद्र, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. हस्ती, डॉ. नवप्रीत, डॉ. शैलेंद्र चौहान, डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. लाहौरी ने प्रो. (डॉ.) एस.के. कटारिया को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।
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allgyan · 4 years ago
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पहले आप डाकघरों के महत्व का इस चीज से समझ सकते है जब फ़ोन का या तो अविष्कार नहीं हुआ था या आम लोग तक इसकी पहुंच नहीं थी तब डाकघर का महत्व बहुत था | सब लोगों की चिठ्ठी और पत्री से वार्तालाप हुआ करता था | लोग अपने परिवार से दूर लोगों से एक चिठ्ठी के माध्यम से ही बात करते थे | लेकिन जैसे -जैसे टेक्नोलॉजी आती गयी वैसे -वैसे डाकघर से लोगों जुड़ाव सीमित होता गया |
डाकघर के पुनरुद्धार के लिए क्या योजनाए -
अब ऐसा दौर है की लोग कुछ सरकारी कागजात या राखी ही डाकघर के दवरा भेजते है | और सरकारी काम तक ही ये सीमित है | लेकिन कुछ सालों में डाकघर के पुनरुद्धार के लिए इसे बैंकिंग कार्य से जोड़ा गया और अब तो इसे एक माल की तरह विकसीत करने की सरकार की योजना है | पंतजलि से डाकघर का करार होने के बाद आप डाक घर से पंतजलि संस्थान का सामान प्राप्त कर सकेंगे, तो वहीं आपको यहां से मास्क, खादी और हर्बल का सामान भी मिल जाएगा|
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ashokgehlotofficial · 3 years ago
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पुलिस अधिकारी बिना किसी दबाव के राज्य सरकार के संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए लोगों के जान-माल और उनके सम्मान की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
राजस्थान पुलिस अकादमी परिसर में राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित परेड के निरीक्षण के बाद संबोधित किया। सभी जवानों एवं अधिकारियों को राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस की बधाई दी। साथ ही, कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद हुए पुलिस कर्मियों को नमन किया।
अपने कर्तव्य निर्वहन के लिए राजस्थान पुलिस की देश भर में एक अलग पहचान है। अपने ध्येय वाक्य को आत्मसात करते हुए राजस्थान पुलिस प्रदेश में अपराधों पर अंकुश लगाने और कमजोर-पीड़ित व्यक्ति को त्वरित न्याय दिलाने के दायित्व का पूरे समर्पण के साथ निर्वहन करे। पुलिस के अधिकारी-कर्मचारी यह बात हमेशा अपने जेहन में रखें कि परिस्थितियां कैसी भी हों किसी भी व्यक्ति के साथ नाइंसाफी नहीं हो।
राज्य सरकार ने पुलिस के सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में प्रभावी फैसले लिए हैं। पुलिस की दक्षता और कार्यक्षमता बढाने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। संसाधनों को लेकर कोई कमी नहीं रखी जा रही है। आमजन की सुविधा व उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सभी थानों में स्वागत कक्षों का निर्माण किया जा रहा है। अभी तक 731 थानों में स्वागत कक्ष बनकर तैयार हो चुके हैं। महिलाओं के विरूद्ध लैंगिक अपराधों के मामलों में त्वरित अनुसंधान पर जोर दिया जा रहा है। इससे अनुसंधान के समय में कमी आई है। वर्ष 2019 में अनुसंधान में जहां औसत 129 दिन लगते थे, अब मात्र 79 दिवस में ��नुसंधान कार्य पूरा किया जा रहा है। परिवादी को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक निर्बाध पंजीकरण लागू होने के बाद काफी बदलाव आया है। वर्ष 2017 में दुष्कर्म के 33.4 प्रतिशत मामले कोर्ट के माध्यम से दर्ज होते थे, अब इनकी संख्या घट कर आधी से भी कम यानि 16 प्रतिशत रह गई है।
लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर आए हैं। इससे प्रभावी रूप से निपटने के लिए हमारी सरकार ने वर्ष 2022-2023 के बजट में प्रदेश के सभी जिलो में साइबर पुलिस थाने स्थापित करने का निर्णय लिया है। साइबर अपराधों की रोकथाम, डिजिटल इको-सिस्टम की साइबर खतरों से सुरक्षा और आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से 50 करोड़ रूपये की लागत से सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी की स्थापना की जाएगी। राज्य सरकार ने 108 एम्बूलेंस की तर्ज पर डायल 100 एवं डायल 112 से जोड़ते हुए 500 पुलिस मोबाईल यूनिट गठित करने का निर्णय लिया है। अभय कमांड एंड कन्ट्रोल सेंटर से जुडे कैमरों की संख्या 10 हजार से बढ़ाकर 30 हजार की जाएगी। साथ ही, बड़े निजी संस्थानों और व्यावसायिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया जा रहा है।
अच्छा कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। हाल ही करौली में एक कांस्टेबल नेत्रेश शर्मा द्वारा कर्तव्य निर्वहन करते हुए आग से घिरे 4 लोगों की जान बचाने की तारीफ करते हुए कहा कि उसे राज्य सरकार ने हैड कांस्टेबल पद पर पदोन्नत करने का फैसला किया। सिरोही के कांस्टेबल लाभूसिंह की भी प्रशंसा की जिसने अपनी सतर्कता से सीसीटीवी कैमरे की सहायता से बच्ची के स��थ दुष्कर्म होने से बचाया।
कोरोना संक्रमण की पहली लहर में लगे लॉकडाउन के दौरान पुलिस ने प्रभावी भूमिका निभाई। संक्रमण से लड़ रही जनता ने राजस्थान पुलिस का मानवीय चेहरा देखा। आने वाले समय में कई नई चुनौतियों से हमारा सामना होगा लेकिन सभी को दुगने उत्साह एवं समर्पण के साथ नागरिकों की सुरक्षा के लिए कार्य करते रहना होगा जिससे पुलिस का इकबाल हमेशा बुलन्द रहे। विश्वास जताया कि राजस्थान पुलिस जन सेवा के ध्येय के साथ हमेशा की तरह तन-मन-धन से समर्पित रहकर देश के सर्वश्रेष्ठ पुलिस बल के रूप में अपनी पहचान कायम रखेगी।
इस अवसर पर पुलिस का खेल बजट 50 लाख रूपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रूपए तथा पुलिस उत्सवों के आयोजन का फंड 25 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रूपए की घोषणा की।
इससे पहले पुलिस स्थापना दिवस पर प्रोबेशनर आईपीएस श्री मनीष कुमार के नेतृत्व में आयोजित भव्य परेड का निरीक्षण किया। कार्यक्रम में एडीजी पुलिस मुख्यालय श्री सौरभ श्रीवास्तव, एडीजी आईटीबीपी श्री हेमंत प्रियदर्शी, एडीजी पुलिस कल्याण श्री गोविन्द गुप्ता, एडीजी टेली कम्यूनिकेशन श्री सुनिल दत्त, सेवानिवृत्त प्लाटून कमांडर श्री हवा सिंह एवं सेवानिवृत्त हैड कांस्टेबल श्री बनवारी लाल को राष्ट्रपति पुलिस पदक प्रदान किया। इसके अलावा 61 पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों को सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। श्रीगंगानगर जिले के जैतसर थाने को सर्वश्रेष्ठ थाने का पुरस्कार दिया गया।
पुलिस महानिदेशक श्री एमएल लाठर ने कहा कि राज्य सरकार ने इस बजट में पुलिस विभाग के लिए अपेक्षा से ज्यादा घोषणाएं की है। मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने अपने पहले कार्यकाल में पुलिस की पासिंग आ��ट परेड़ एवं अन्य उत्सवों के आयोजन के लिए फंड दिया था। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने थानों की नफरी बढ़ाकर शहरी क्षेत्र में 60 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 45 करने का साहसिक निर्णय लिया। जयपुर एवं जोधपुर में पुलिस कमिश्नरेट गठित की और पुलिस मुख्यालय को नया भवन मिला। मुख्यमंत्री श्री गहलोत के वर्तमान कार्यकाल में एएसआई के पदों में वद्धि, हर जिले में साइबर थाना खोलने, मोबाइल इनवेस्टिगेशन यूनिट की शुरूआत तथा हर पुलिसकर्मी को अपने सेवा काल में तीन प्रमोशन सुनिश्चित करने जैसे कदम उठाए गए हैं। अंत में आरपीए के निदेशक श्री राजीव शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में गृह राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र यादव, मुख्य सचिव श्रीमती ऊषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह श्री अभय कुमार, डीजी इंटेलिजेंस श्री उमेश मिश्रा, डीजी एसीबी श्री बीएल सोनी, पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री अजीत सिंह, श्री ओमेन्द्र भारद्वाज सहित एडीजी, आईजी, डीआईजी एवं एसपी रैंक के अधिकारी उपस्थित थे।
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abhay121996-blog · 3 years ago
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विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक Divya Sandesh
#Divyasandesh
विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक
नई दिल्ली। पर्यावरण से जुड़ी स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु, जैव विविधता और भूमि क्षरण संकट से सफलतापूर्वक निपटने के लिए अगले तीन दशकों में प्रकृति में कुल 8.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। यानी 2050 तक सालाना 536 अरब डॉलर खर्च करने होंगे है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रकृति आधारित समाधानों में वार्षिक निवेश को 2030 तक तिगुना और 2050 तक चार गुना बढ़ाना होगा, जो कि 133 बिलियन डॉलर के मौजूदा निवेश से जुड़ा है।
गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), और इकोनॉमिक्स ऑफ लैंड डिग्रेडेशन (ईएलडी) पहल द्वारा विवि�� इकोनॉमिक्स के सहयोग से ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) द्वारा आयोजित की गई थी।
यह सरकारों, वित्तीय संस्थानों और व्यवसायों से भविष्य में आर्थिक निर्णय लेने के केंद्र में प्रकृति को रखकर इस निवेश अंतर को दूर करने का आग्रह करता है।
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यह जलवायु और जैव विविधता संकटों से निपटने सहित सामाजिक चुनौतियों से संबंधित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निर्णय लेने के लिए प्रकृति को केंद्रीय बनाकर प्रकृति आधारित समाधानों के लिए पूंजी प्रवाह में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल देता है।
रिपोर्ट 2050 तक वित्त अंतर को बंद करने के लिए प्रकृति आधारित समाधानों की क्षमता को अनलॉक करने का समर्थन करती है।
हानिकारक कृषि और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी का पुन उपयोग करके और आर्थिक और नियामक प्रोत्साहन बनाकर, अधिक स्थायी रूप से निर्माण करके, अब और 2050 के बीच 4.1 खरब डॉलर के वित्त अंतर को बंद करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है।
हालाँकि, प्रकृति वर्तमान में अनुमानित आर्थिक प्रोत्साहन खर्च का केवल 2.5 प्रतिशत है। निवेश के अंतर को पाटने के लिए निजी पूंजी को भी नाटकीय ढंग से बढ़ाना होगा।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से राजस्व प्रवाह को विकसित करना और बढ़ाना और निजी पूंजी में भीड़ के साधन के रूप में मिश्रित वित्त मॉडल का उपयोग करना ऐसा करने के लिए आवश्यक समाधानों के सूट में से एक है, जिसके लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं से जोखिम साझाकरण की भी आवश्यकता होती है।
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वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में ट्रॉपिकल फॉरेस्ट एलायंस के प्रमुख जस्टिन एडम्स ने कहा, “स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट प्रकृति में बढ़ते निवेश की तात्कालिकता और महत्वपूर्णता को रेखांकित करती है।”
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा ” जैव विविधता का नुकसान पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल अपने उत्पादन का 10 प्रतिशत खर्च कर रहा है। यदि हम प्रकृति आधारित समाधानों को पर्याप्त रूप से वित्त नहीं देते हैं, तो हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए देशों की क्षमताओं को प्रभावित करेंगे। अगर हमने अभी प्रकृति को नहीं बचाया तो हम सतत विकास हासिल नहीं कर पाएंगे।”
रिपोर्ट के अनुसार, वनों के प्रबंधन, संरक्षण और बहा��ी सहित अकेले वन आधारित समाधानों के लिए वैश्विक स्तर पर कुल वार्षिक व्यय में 203 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी।
यह 2021 में प्रत्येक नागरिक के लिए प्रति वर्ष केवल 25 डॉलर के बराबर है।
रिपोर्ट में संरक्षण उपायों के वित्तपोषण के साथ बहाली कार्रवाई में निवेश को जोड़ने का आह्वान किया गया है। इसके परिणामस्वरूप वन और कृषि वानिकी (खाद्य उत्पादन और पेड़ उगाने का संयोजन) क्षेत्र में 2020 की तुलना में 2050 तक लगभग 300 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हो सकती है।
–आईएएनएस
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aapkiaawaaznewsagency · 4 years ago
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भारत में जितनी तेजी से बैंकिंग सेवाएं ऑनलाइन हो रही हैं, उससे अधिक तेजी से फ्रॉड भी हो रहे हैं। आए दिन किसी-ना-किसी के साथ कोई ऑनलाइन फ्रॉड हो जाता है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग समय पर और सही जगह पर अपने साथ हुए फ्रॉड की शिकायत नहीं कर पाते हैं। ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने और लोगों की कमाई बचाने के लिए होम मिनिस्ट्री और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने हाथ मिलाया है। होम मिनिस्ट्री और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया है जिसपर आप तुरंत शिकायत कर सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से... होम मिनिस्ट्री और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने 155260 हेल्पलाइन पर शुरू किया है। यदि आप किसी भी तरह के ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार होते हैं तो तुरंत इस नंबर पर कॉल करें। 7 से 8 मिनट में आपके खाते से उड़ाए गए पैसे जिस आईडी से दूसरे खाते में ट्रांसफर हुई होगी। हेल्पलाइन से उस बैंक या ई-साइट्स को अलर्ट मैसेज पहुंचेगा। फिर रकम होल्ड पर चली जाएगी। ऑनलाइन ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए गृह ��ंत्रालय के साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के साथ 155260 पायलट प्रोजेक्ट पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था लेकिन अब इसे पूरी तरह लॉन्च कर दिया गया है। इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन का ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसकी पहली यूजर दिल्ली बनी है। राजस्थान को भी जोड़ा गया है। इसके बाद सभी स्टेट यूजर्स बन जाएंगे। करीब 55 बैंक्स, ई वॉलेट्स, ई कॉमर्स साइट्स, पेमेंट गेटवेज व अन्य संस्थानों के साथ मिलकर इंटरकनेक्ट प्लेटफॉर्म है जिसका नाम है 'सिटिजन फाइनेंसियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग सिस्टम'। इस प्लेटफॉर्म के जरिए बेहद कम समय में ऑनलाइन फाइनेंसियल फ्रॉड्स के शिकार लोगों को बचाया जा स��ता है। इस हेल्पलाइन के माध्यम से हम अब तक 21 लोगों के 3 लाख 13 हजार रुपये बचाए गए हैं। इस हेल्पलाइन नंबर की दस लाइनें हैं, ताकि किसी को यह नंबर बिजी न मिले। यदि आप हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं तो आपसे नाम, नंबर, और घटना की टाइमिंग पूछी जाएगी। बेसिक डिटेल्स लेकर इसे आगे संबंधित पोर्टल और उस बैंक, ई कॉमर्स के डैश बोर्ड पर भेज दिया जाएगा। साथ ही पीड़ित का जो बैंक है, उसको जानकारी शेयर की जाएगी। फ्रॉड के 2 से 3 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। अतः जितना जल्दी हो सके शिकायत करें। आप https://cybercrime.gov.in/ पर भी शिकायत कर सकते हैं। https://www.instagram.com/p/CNolmL1M4-z/?igshid=1xfiisjqpuq8e
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srdnews02 · 4 years ago
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अमरीकी वैज्ञानिको ने कहा भारतीय टीके ने बचाया दुनिया को
अमरीकी वैज्ञानिको ने कहा भारतीय टीके ने बचाया दुनिया को
अमरीका के एक बडे वैज्ञानिक ने कहा भारतीय टीके ने दुनिया को घातक कोरोना वायरस से बचाया शीर्ष अमरीकी वैज्ञानिक ने कहा है कि भारत द्वारा वैश्विक संस्थानों के साथ मिलकर तैयार की गये कोविड टीके ने विश्व को कोरोना महामारी से उबारा है। उन्होंने कहा कि भारत के इस योगदान को कम करके नहीं आंकना चाहिए। ह्यूस्टन के बायलोर कॉलेज ऑफ मेडीसन में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रोपिकल मेडीसन के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पीटर हॉटेज…
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god-entire-disposition · 6 years ago
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विवाह को बचाने का रहस्य (भाग 1) - सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मेरे विवाह को बचाया
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जब मैं छोटा था, मेरी माँ और मेरे पिताजी के बीच अक्सर बहस होती थी, और मेरी माँ को अक्सर मेरे पिता के हाथों मार और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। माँ ने अपने दिल में इतना मालिन्य भर लिया कि वह काफ़ी छोटी ही गुज़र गईं। उसके बाद मैंने खुद से वादा किया: जब मैं बड़ा हो जाऊँगा और एक परिवार को शुरू करूँगा, तो मैं अपनी पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करूँगा और एक प्रसन्न और शांत परिवार का सर्जन करूँगा। मैं अपने माता-पिता के विवाह की असफलताओं को नहीं दोहराऊँगा।
1995 में, मैं एक रेस्तराँ में स्थापना अभियांत्रि��ी के लिए विभाग निर्देशक था। शुरुआत में मैं बस इतना ही सोच सकता था कि मुझे एक उद्यमी बनना है, धन कमाना है और एक ऐसी पत्नी को खोजना है जो बुद्धिमान और दयालु हो ताकि हम खुशी से एक साथ रह सकें, और मैं सोचता था कि इतना पर्याप्त होगा। लेकिन कुछ समय बाद, मेरा कार्य ऐसा था कि मैं अक्सर अन्य विभाग के नेताओं के साथ रेस्तराँ, फूट स्पा इन, कराओके पार्लर, होटल और मनोरंजन के अन्य स्थानों में जाया करता था। उस समय वे अक्सर ऐसी बातें करते थे, "जीवन केवल खाने और पहनने के बारे में है," या "एक पत्नी रखो और उप-पत्नियाँ भी", या "प्यार करना और खोना कभी भी प्यार न करने से बेहतर है", या "जीवन छोटा है, तुम अपनी युवावस्था का तब तक आनंद लो जब तक ले सकते हो", या "पुरुष ऐसे ही होते हैं। कौन खाना, पीना और मस्ती करना नहीं चाहता है?" या "हमारा देश तेज आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है और सभी प्रकार के मनोरंजन व्यवसायों को प्रेरित कर रहा है, इसलिए हमें उत्साहजनक प्रतिक्रिया करनी चाहिए। चीनी नागरिकों के रूप में, अगर हम नाइटलाइफ़ (रात्रि की मौज-मस्ती) में अपना हिस्सा पूरा नहीं करते, तो हम सरकार को नीचा दिखायेंगे!" उनका प्रभाव मुझ पर पड़ने लगा और समय के साथ, मैंने उनकी नाइटलाइफ़ की गतिविधियों में उनका अनुकरण करना शुरू कर दिया और मैं सोचना लगा कि यह मज़ेदार था।
2000 के उत्तरार्ध में मैंने विवाह कर लिया। बहुत शुरुआत में मेरी पत्नी और मेरे बीच एक गहरा भावनात्मक संबंध नहीं था, लेकिन हम एक साथ मिलकर रहने लगे और एक दूसरे को समझने लगे। बहरहाल, मेरे काम के सामाजिक कार्यक्रमों और उन जटिल व्यक्तिगत रिश्तों के कारण जो मुझे बना��� रखने पड़े, मैंने अभी भी पार्टियों में जाना पहले की तरह जारी रखा था। मैं एक सुखवादी जीवन जीता था और हर रात देर से नशे में बहकते हुए घर लौटता था। बाद में, मेरी पत्नी ने आखिरकार यह पता लगा ही लिया कि मेरा घर देर से आना इसलिए नहीं था कि मैं कड़ी मेहनत से काम कर रहा था, बल्कि यह इसलिए था कि मैं शराब पीकर मस्ती किया करता था; बस तब से वह मेरे साथ रूखी हो गई। हम दोनों अपना-अपना काम करते थे, एक दूसरे से कभी बात नहीं करते थे और कभी एक दूसरे के प्रति संवेदना या विचार नहीं दिखाते थे। हम एक दूसरे के प्रति अजनबी बन गए। जब मैंने देखा कि हमारा रिश्ता कितना ख़राब हो गया था, तो मुझे चि��ता हुई कि मेरा विवाह टूट चुका था। मैं मुश्किल से सोता था। इस अवरोध से गुज़र जाने की उम्मीद में, मैंने अपनी पत्नी के साथ दिल से दिल की बात करने की कोशिश की। लेकिन इससे पहले कि मैं दो शब्द भी बोल पाता, वह पुरानी बातों का हिसाब लेकर उल्टे मुझ पर ही पड़ जाती, मुझे यह बताते हुए कि मैंने शराब पीकर मस्ती करने के अलावा और कुछ भी नहीं किया था, कभी पैसे घर नहीं लाया, वगैरह, और हम बहस शुरू कर देते और अंत में बुरी तरह दूर हो जाते थे। हर बहस के बाद दर्द और उदासी मुझे व्याकुल कर देती। अगर पति-पत्नी एक आम भाषा साझा नहीं करते हैं, तो परिवार में साथ रहना एक दुश्मन के साथ रहने जैसा होता है। तुम कुछ कहने का प्रयास करते हो लेकिन यह सिर्फ एक बहस को छेड़ देता है! उन दिनों से गुज़रना पीड़ाजनक था। इस तरह से इसे जारी रखने और पीड़ा को लम्बा करने की अपेक्षा तलाक लेना लगभग एक बेहतर विकल्प लग रहा था। फिर भी, मैं सभी के सामने हमारी बदनामी नहीं चाहता था, इसलिए मेरे अपने आत्म-सम्मान और मेरे बच्चों की खातिर—लेकिन अधिकतर एक ऐसे खुशहाल परिवार के सपने की खोज में जो मैं हमेशा चाहता था—मैं अपने बिगड़े विवाह में बना रहा। इसके अलावा, पहले तो मैं ही गलत था, इसलिए मुझे ही इसे ठीक करना होगा, है ना?
कुछ समय बाद, मैंने एक स्थापना कंपनी शुरू की और इस काम को सीखने के लिए मेरे साले को ले आया। मैंने सोचा: मैं एक अच्छे दर्जे और अच्छी आय का व्यक्ति हूँ। यह मेरी पत्नी के अभिमान को पूरा करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए, साथ ही मैं उसके छोटे भाई को देख रहा हूँ; इससे हमारा सम्बन्ध ठीक हो जाना चाहिए। बहरहाल, हम अब भी अक्सर लड़ते थे, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। मेरी पत्नी ने मेरे कर्मचारियों के सामने भी मेरी कमियों का ज़िक्र किया और कहा कि मैंने अपने परिवार की अच्छी देखभाल नहीं की है...। मैं अब इस बहस को सहन नहीं कर सका, इसलिए मैं कुछ धन छोड़कर और एक और निर्माण स्थल के लिए बाहर जाने लगा था। जब मैंने अपनी पत्नी से मेरे छोड़कर जाने के बारे में बात की, तो उसने कोई अभिरुचि नहीं दिखाई, जिससे मुझे बहुत ख़राब महसूस हुआ। मैं इसे बिलकुल समझ नहीं सका। लोग हमेशा कहते हैं कि एक पति और पत्नी को बीती परेशानियों के बारे में खीजना नहीं चाहिए, लेकिन हमारे बीच इतनी भयानक शत्रुता क्यों थी? हर बार जब हम एक-दूसरे से मिलते थे तो हम एक दूसरे से रूखे क्यों होते थे या बहस क्यों करते थे? हमने एक-दूसरे के लिए चीज़ों को इतना दर्दनाक कैसे बना लिया था और हमारे घर को इस तरह की अव्यव��्था में कैसे डाल दिया? हम चार या पांच साल के लिए इसी तरह से रहे; क्या वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं था जो हम अपने रिश्ते को ठीक करने के लिए कर सकते थे? चूँकि पति-पत्नी के रूप में हमारे रिश्ते दिन-ब-दिन खराब होते गए और काम का दबाव भी बढ़ता गया, न मैं ठीक से खा सकता था न ही सो सकता था। मैं थक गया था और बर्बाद हो रहा था। नई झुर्रियों ने मेरे माथे पर गहरी रेखाएँ खींच दी थीं। कभी-कभी यह इतना बुरा हो जाता था कि मुझे लगता था कि जीवन में अब कोई उम्मीद नहीं बची थी और मैं मर कर इस दर्दनाक जीवन से भाग जाना चाहता था। लेकिन फिर मैं अपने दो प्यारे बच्चों के बारे में सोचने लगता, और मैं उनको नकार नहीं सका। और इस प्रकार, मैं एक ऐसी पीड़ा में रहता था जो अंतहीन लगती थी।
जब लोग अपनी हर कोशिश कर चुके होते हैं, तब परमेश्वर अपना कार्य शुरू करता है! मार्च 2008 में, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंतिम दिनों के उद्धार का सानिध्य प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में आने के बाद, मैं अक्सर परमेश्वर के वचन को पढ़ता था और मैंने कलीसिया के जीवन में सक्रिय होना शुरू कर दिया। मैंने भाइयों और बहनों को सच्चाई और उनके अनुभवों के बारे में सहभागिता करते सुना और इस प्रकार अनायास मैंने परिवार और विवाह के बारे में कुछ सच्चाइयों को समझा, और मानव जाति की नियति के बारे में एक नई समझ हासिल की। मेरे दिमाग पर चिंता और तनाव का भार बहुत कम हो गया था। मैंने एक ऐसी खुशी का अनुभव करना शुरू किया जिसे मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था और मेरा पूरा शरीर अधिक आराम और सहजता महसूस करने लगा था। एक समागम के दौरान मैंने खुलकर पिछले कुछ सालों के दर्द और भ्रम के बारे में सहभागिता की, और भाइयों और बहनों ने मुझे परमेश्वर के वचन के निम्नलिखित दो अंश पढ़ कर सुनाये: "एक ऐसी गन्दी जगह में जन्म लेकर, मनुष्य समाज के द्वारा गंभीर रूप से अभिशप्त किया जा चुका है, वह सामंती नैतिकता के द्वारा प्रभावित किया जा चुका है, और "उच्च शिक्षा के संस्थानों" पर सिखाया गया है। पिछड़ी सोच, भ्रष्ट नैतिकता, जीवन पर मतलबी दृष्टिकोण, तिरस्कार-योग्य दर्शनशास्त्र, पूर्ण रूप से बेकार अस्तित्व, और भ्रष्ट जीवन शैली और रिवाज—इन सभी चीजों ने मनुष्य के हृदय पर गंभीर रूप से घुसपैठ की है, और उसके सद्विवेक पर हमला किया और उसे गंभीर रूप से कम आंका है। फलस्वरूप, मनुष्य परमेश्वर से और अधिक दूर है, और परमेश्वर के और अधिक विरोध में रहा है। दिन प्रतिदिन मनुष्य का स्वभाव और अधिक शातिर बन रहा है, और कोई एक भी व्यक्ति नहीं है जो स्वेछा से परमेश्वर के लिए कुछ भी त्याग देगा, एक भी व्यक्ति नहीं जो स्वेछा से परमेश्वर की आज्ञा का पालन करेगा, न ही, इसके अलावा, एक भी व्यक्ति स्वेछा से परमेश्वर के रूप को खोजेगा। इसके बजाये, शैतान की प्रभुता के आधीन, मनुष्य कुछ नहीं करता परन्तु आनंद का पीछा करता है, कीचड़ की जगह में अपने आप को देह के भ्रष्टाचार के लिए दे देता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता होना है")।
"एक के बाद एक, ये सभी प्रवृत्तियाँ एक दुष्ट प्रभाव को लेकर चलती हैं जो निरन्तर मनुष्य को पतित करती रहती हैं, जो उनकी नैतिकता एवं उनके चरित्र की गुणवत्ता को और भी अधिक नीचे ले जाती हैं, उस हद तक कि हम यहाँ तक कह सकते हैं कि अब अधिकांश लोगों के पास कोई ईमानदारी नहीं है, कोई मानवता नहीं है, न ही उनके पास कोई विवेक है, और कोई तर्क तो बिलकुल भी नहीं है। ...क्योंकि मनुष्य जो एक स्वस्थ्य शरीर एवं मन का नहीं है, जो कभी नहीं जानता है कि सत्य क्या है, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक चीज़ों के बीच अन्तर नहीं बता सकता है, इन किस्मों की प्रवृत्तियाँ एक के बाद एक उन सभों को स्वेच्छा से इन प्रवृत्तियों, जीवन के दृष्टिकोण, जीवन के दर्शन ज्ञान एवं मूल्यों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती हैं जो शैतान से आती हैं। जो कुछ शैतान उनसे कहता है वे उसे स्वीकार करते हैं कि किस प्रकार जीवन तक पहुँचना है और जीवन जीने के उस तरीके को स्वीकार करते हैं जो शैतान उन्हें "प्रदान" करता है। उनके सभी वह सामर्थ्य नहीं है, न ही उनके पास वह योग्यता है, प्रतिरोध करने की जागरूकता तो बिलकुल भी नहीं है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय VI")।
सर्��शक्तिमान परमेश्वर का वचन मानवजाति की भ्रष्टता और दुराचार के स्रोत को उजागर करता है, और मुझे यह पता चला कि शैतान की भ्रष्टता ही मेरी सारी पीड़ा का स्रोत थी। मैं शैतान के अधिकार क्षेत्र के अधीन था और मैं बुरी सामाजिक प्रवृत्तियों से प्रभावित था। मैं दुष्ट शैतानी सोच के तहत जी रहा था जैसे कि: "जीवन छोटा है। इसका आनंद लो", "अपने दिन को आनंद के लिए ज़ब्त कर लो, क्योंकि जीवन छोटा है", और "एक पत्नी रखो और उप-पत्नियाँ भी"। मैं लम्पटता के जीवन में लिप्त हुआ था और उत्तरोत्तर अधिक बुरा और दुराचारी होता गया, उस सीमा तक जहाँ मैं अब एक वास्तविक इंसान भी नहीं लगता था। यह जीवनशैली मेरी पत्नी और मेरे बीच एक अंतहीन संघर्ष ले आई जिससे कि हम एक-दूसरे से अलग होते गए। अंत में, मेरा पारिवारिक जीवन टूट कर बिखर जाने के कगार पर था और मैं शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुका था। मैं वर्णनातीत पीड़ा में रहा था और मेरे विचार भी आत्महत्या की ओर बहक गए थे। लेकिन अ��, मैं स्पष्ट रूप से देख रहा हूँ। शैतान इन तरीकों का उपयोग सिर्फ मुझे फँसाने और भ्रष्ट करने, मेरे विवाह और परिवार को नष्ट करने, और मुझे बुराई और दुख का जीवन जीने की ओर धकेलने के लिए कर रहा था। शैतान का दुष्ट लक्ष्य मुझे निगल जाना था; शैतान वास्तव में विश्वासघात और दुर्भावना से भरा हुआ है!
एक बार जब मैंने शैतान की चालों को परख लिया, तो मैंने उन दुष्ट और शैतानी विचारों को पूरी तरह त्यागने और परमेश्वर के वचन से खुद को संचालित करने का संकल्प किया। मैं जितनी जल्दी हो सके सुसमाचार को अपनी पत्नी तक भी लाना चाहता था ताकि वह भी परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर सके।
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allgyan · 4 years ago
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पतंजलि का समान क्या डाकघर से मिलेगा ?
पतंजलि का समान और डाकघर -
पहले आप डाकघरों के महत्व का इस चीज से समझ सकते है जब फ़ोन का या तो अविष्कार नहीं हुआ था या आम लोग तक इसकी पहुंच नहीं थी तब डाकघर का महत्व बहुत था | सब लोगों की चिठ्ठी और पत्री से वार्तालाप हुआ करता था | लोग अपने परिवार से दूर लोगों से एक चिठ्ठी के माध्यम से ही बात करते थे | लेकिन जैसे -जैसे टेक्नोलॉजी आती गयी वैसे -वैसे डाकघर से लोगों जुड़ाव सीमित होता गया |
डाकघर के पुनरुद्धार के लिए क्या योजनाए -
अब ऐसा दौर है की लोग कुछ सरकारी कागजात या राखी ही डाकघर के दवरा भेजते है | और सरकारी काम तक ही ये सीमित है | लेकिन कुछ सालों में डाकघर के पुनरुद्धार के लिए इसे बैंकिंग कार्य से जोड़ा गया और अब तो इसे एक माल की तरह विकसीत करने की सरकार की योजना है | पंतजलि से डाकघर का करार होने के बाद आप डाक घर से पंतजलि संस्थान का सामान प्राप्त कर सकेंगे, तो वहीं आपको यहां से मास्क, खादी और हर्बल का सामान भी मिल जाएगा|
डाकघर दवरा शुरू कॉमन सर्विस क्या है -
डाकघर में कॉमन सर्विस सेण्टर सेवा आरम्भ होने वाली या कहे हो चुकी क्योकि देश के 256 डाकघरों में ये शुरू भी हो चुकी है |जहां लोग अपने कई बैंकों के लेनदेन के साथ रेलवे टिकट प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही आवासीय, जाति व आय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन भी कर सकते हैं|हालांकि प्रमाण पत्रों के लिए आवेदक को संबंधित विभाग जाकर ही प्राप्त करना होगा| वहीं डाक विभाग द्वारा सभी डाक घरों में मास्क, खादी और हर्बल का सामान भी बेचा जा रहा है|
कोरोना महामारी और पतंजलि से करार -
कोरोना महामारी के दैरान पतंजलि के साथ डाकघरों का करार हुआ है जिसे डाकघरों से आप पतंजलि का सामन प्राप्त कर सकते है | कोरोना काल में डाकघरों के भूमिका के लिए प्रधानमंत्री ने कई बार डाक बिभाग को बधाई दी |डाकघर ने आधार इनेबल सिस्टम के जरिये बैंकों से 400 करोड़ से ज्यादा रूपए लोगों के घरों तक पहुंचाने का कार्य किया है | जैसे -जैसे दुनिया टेक्नोसेवी हो रही है | सरकारी बिभाग भी बदल रहा है | और अगर जो नहीं बदलेगा वो इस ज़माने में पिछड़ जायेगा |और बहुत सी इ -कॉमर्स साइट है जो भारत में सामान घर -घर तक पंहुचा रही है |
डाकघर के इस मुहीम का समर्थन -
डाकघर के इस मुहीम का हमे भी समर्थन करना चाहिए | अभी तो केवल पतंजलि के उत्पाद से करार हुआ धीरे -धीरे सब उत्पाद आ जायेंगे | ये सोच एक आगे बढ़ने की अच्छी सोच है | अगर प्राइवेट सेक्टर से गोवेर्मेंट सेक्टर को कम्पीट करना है तो ऐसे परिवर्तन लाने पड़ेंगे | जिससे ऐसी संस्थानों को बचाया भी जा सकेगा और हम आगे भी बढ़ेंगे |पतंजलि के कई प्रोडक्ट वैसे तो बहुत ही अच्छे है लोगआज��ल उनका बहुत ज्यादा ही प्रयोग कर रहे है जैसे घी , पेस्ट और काढ़ा भी इस कोरोना काल में बहुत ही बिका है |
पूरा जानने के लिए -https://bit.ly/2SKK1b0
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ashokgehlotofficial · 3 years ago
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मुख्यमंत्री निवास पर हुई राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक में संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह सुशासन की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय किए गए। बैठक में कहा गया कि आमजन की आकांक्षाओं को पूरा करने तथा प्रदेश के चहुंमुखी विकास के उद्देश्य से राज्य सरकार ने बीते करीब तीन साल में कई महत्वपूर्ण योजनाएं एवं कार्यक्रम लागू किए गए हैं। साथ ही कई जनकल्या��कारी घोषणाएं भी की गई हैं। कोरोना की विषम परिस्थितियों में भी सरकार ने जनता को राहत देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। जमीनी स्तर तक सरकार की योजनाओं, कार्यक्रमों एवं नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कर प्रदेश में सुशासन को और अधिक गति दी जाए।
प्रभारी मंत्री प्रतिमाह कम से कम 2 दिन जिलों में करेंगे समीक्षा
बैठक में निर्णय किया गया कि मंत्रीगण सप्ताह के प्रथम तीन दिवस-सोमवार, मंगलवार एवं बुधवार को जयपुर मुख्यालय पर ही रहकर जनअभाव अभियोग के निराकरण के साथ ही विभागीय योजनाओं की नियमित समीक्षा करेंगे। सभी प्रभारी मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में प्रत्येक माह कम से कम 2 दिन का दौरा करना होगा। इस दौरान वे जनसुनवाई करेंगे और जनप्रतिनिधियों के साथ जिले की समस्याओं, राज्य सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन का फीडबैक लेंगे और जिला प्रशासन के साथ इन पर समीक्षा करेंगे। मंत्री जिलों के दौरों में प्रशासन गांवों के संग एवं प्रशासन शहरों के संग अभियान, 20 सूत्री कार्यक्रम, राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं, जन-घोषणा पत्र तथा बजट घोषणाओं एवं मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के द्वारा की गई घोषणाओं की प्रभावी मॉनीटरिंग करेंगे।
सरकार की तीसरी वर्षगांठ पर आमजन को मिलेगी शिलान्यास एवं लोकार्पण की सौगात
मंत्रिपरिषद ने आगामी 17 दिसम्बर को राज्य सरकार के कार्यकाल के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विभिन्न परियोजनाओं एवं विकास कार्यों के प्रस्तावित लोकार्पण एवं शिलान्यास पर भी विस्तृत चर्चा की। यह निर्णय किया गया कि सभी मंत्री इस दौरान जिलों में जाएंगे और सफलता के साथ इस कार्य को सम्पादित कराएंगे। इन तीन वर्षाें में राज्य सरकार ने महिलाओं, युवाओं, आदिवासियों, एससी, एसटी, पिछड़े, अल्पसंख्यक सहित तमाम जरूरतमंद वर्गाें की विकास में भागीदारी बढ़ाने के लिए अनेक निर्णय किए हैं। आमजन को इन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी होना आवश्यक है।
एक जनवरी से प्रारंभ होगा शुद्ध के लिए युद्ध अभियान
मंत्रिपरिषद ने निर्णय किया कि प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए आगामी वर्ष की पहली तारीख से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान प्रारंभ किया जाएगा। जमीनी स्तर तक इस अभियान की सफलता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि आमजन को मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचाया जा सके। इसके लिए सम्बन्धित विभागों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाए।
इन्वेस्ट राजस्थान से मिलेगी अर्थव्यवस्था को गति
बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार निवेश के प्रवाह को बढ़ाने एवं प्रदेश के औद्योगिक विकास को गति देने के लिए आगामी 24 एवं 25 जनवरी को इन्वेस्ट राजस्थान सम्मेलन के रूप में एक महत्वाकांक्ष��� कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कोविड के विपरीत प्रभाव से बाहर निकलने तथा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में इस आयोजन से बड़ी मदद मिलेगी। देश में राजस्थान ऐसा पहला राज्य है जहां कोविड से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इस तरह के निवेश सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। समिट की सफलता के लिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए कि वे इस सम्मेलन में प्राप्त होने वाले निवेश प्रस्तावों को पूर्ण समन्वय एवं समयबद्धता के साथ पूर्ण करें।
तीसरी लहर से बचाव के लिए निरंतर सतर्कता बनाए रखना जरूरी
मंत्रिपरिषद ने जोर दिया कि कोविड महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सतर्कता तथा कोविड अनुशासन की निरन्तर पालना करना जरूरी है। विगत दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में कुछ वृद्धि हुई है। विद्यालयों में भी कोविड संक्रमण के मामले आए हैं। जिस पर राज्य सरकार चिंतित है और प्रदेश में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को लगातार मजबूत किया जा रहा है।
बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने शिक्षण संस्थानों को लेकर कोविड गाइडलाइन की जानकारी दी।
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ajitnehrano0haryana · 5 years ago
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जयपुर / कोटा। रीको के प्रबन्धक निदेशक आशुतोष एटी ने बढ़वार को कोटा के रीको अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मुख्यालय से नये आदेश नहीं आये तब तक औद्योगिक भूखंडों पर निर्मित किसी हॉस्टल को अधिग्रहण के नोटिस जारी नहीं किये जाएं। एमडी के निर्देश क पुष्टि lendennews.com से बातचीत में रीको के सीनियर रीजनल मैनेजर एसके गर्ग ने भी की है।
इससे पहले कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रान्ति जैैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी ने जयपुर में रीको के चैयरमैन कुलदीप राका एवं प्रबन्धक निदेशक आशुतोष ए.टी. से भेंट कर कोटा में रीको द्वारा होस्टलों के भूखण्डों को निरस्त कर उनके अधिग्रहण की कार्यवाही के बारे में विस्तृत चर्चा की।
महासंघ के अध्यक्ष जैैन एवं महासचिव माहेश्वरी से रीको के चैयरमैन कुलदीप राका एवं उनके साथ मौजूद प्रबन्ध निदेशक आशुतोष ए.टी. ने कोटा में चल रहे घटनाक्रम की पूरी जानकारी प्राप्त की। चैयरमैन कुलदीप राका ने इस मसले की गम्भीरता को देखते हुये रीको के प्रबन्धक निदेशक आशुतोष ए.टी. के साथ विस्तृृत चर्चा करने की बात कही।
प्रबन्धक निदेशक के साथ हुुई बैठक में कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि रीको द्वारा सन् 2014 के पहले औद्योगिक क्षेत्र में अन्य व्यवसाय संचालित करने की अनुमति दे दी जाती थी, क्योंकि यह क्षेत्र अब पूर्णतया शहर के मध्य आ चुका है। कोटा में पिछले 15 वर्षाे से चल रहे इस क्षेत्र में ओद्यौगिक अवरोध से हजारों उद्योग बन्द होने लगे। साथ ही बेरोजगारी फैलने लगे।
इसी को दृष्टिगत रखते हुये सन् 2014 तक रीको द्वारा इस क्षेत्र में खाली पड़े भूखण्डों पर अन्य व्यवसाय के संचालन की अनुमति देना प्रारम्भ कर दिया। इसी के तहत बन्द पड़े उद्योगों के उद्यमियों ने एवं खाली पड़े भूखण्डों पर कोचिंग संस्थानों एवं अन्य व्यावसायियों ने व्यावसायिकरण करके इस क्षेत्र में अरबों रूपयों का निवेश करके विकास किया साथ ही हजारों लोगों को रोजगार भी मिला।
कोचिंग छात्रों की सुरक्षा ��वं उनके समय की बचत को देखते हुये सन 2010 में यहां 5 होटल की अनुमति दी गई। होटल एवं हाॅस्टल की परिभाषा एक होने के कारण अनुमति प्राप्त होटलोें में होस्टल व्यवसाय होने लगा, जिससे यहां नये रोजगार के साधन उपलब्ध हुये। इनको दी गई अनुमति को देखते हुये सन 2012 में बन्द पड़े उद्योंगों एवं बेरोजगार हुये उद्यमियों ने अपने रोजगार के लिये नयी दिशा देखते हुये इसी आशा के साथ अपने भूखण्डों पर बैंकों से करोड़ों रूपये का ऋण लेकर बहुतायात में होस्टलों को निर्माण प्रारम्भ किया।
साथ ही 5 होटलों को दी गई अनुमति की आशा से उन्होने ने रीको में अनुमति के प्रार्थना पत्र लगा दिये। अचानक सन 2014 में रीको द्वारा इस क्षेत्र में सम्पूर्ण व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन पर रोक लगा दी गई, जिसकी उद्यमियों को कोई जानकारी नहीं दी गई। न ही इसे प्रचारित या प्रसारित किया गया।
माहेश्वरी ने बताया कि यहा करीब 700 से 1000 करोड़ का निवेश जो इस क्षेत्र में हुआ, और करीब 10000 लोगों को रोजगार मिला और करीब 20000 विद्यार्थियों को यहां रहने की सम्पूर्ण व्यवस्था मिलने लगी, जिससे यहां शैक्षणिक माहौल इस क्षेत्र नजर आने लगा। रीको द्वारा सन 2016 में इस क्षेत्र में हो रही समस्त व्यवसायिक गतिविधियों के भूखण्डों को नोटिस देकर उन्हें निरस्त कर दिया गया। बार बार उद्यमियों द्वारा व्यावसायिक अनुमति लेने के बारे में भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई।
अति तो जब हो गई जब जून-2019 में जारी अध्यादेश को माध्यम बनाकर भूखण्डों को अधिग्रहण कर उन्हें पुनः नीलामी करने के नोटिस जारी कर दिये गये जो कतई न्याय संगत नहीं है। उन्होंने प्रबन्ध निदेशक से अपील की कि व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुये पूर्व की तरह उद्यमियों को अन्य व्यवसाय के संचालन की अनुमति दी जाये और यहां बने शैक्षणिक माहौल को देखते हुये इस क्षेत्र शैक्षणिक जोन घोषित कर इस क्षेत्र में निर्मित सभी व्यवसायिक गतिविधियों को नियमित किया जाये, जिससे उद्यमियों और यहां निवास करने वाले विद्यार्थियों को भारी संकट से बचाया जा सके।
कोटा के जनप्रतिनिधि एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल द्वारा भी इस गम्भीर मसले को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुये कोटा के जनहित, शैक्षणिक माहौल एवं रोजगार को देखते हुये सकारात्मक कार्यवाही के निर्देश जारी किये है। इसके बाद रीको के एमडी ने कोटा व्यापार महासंघ को आश्वस्त किया कि इसमें क्या नीतिगत फेर बदल रीको कर सकता हैै या राज्य सरकार कर सकती है उसके बारे में गहनता से अध्ययन एवं चिन्तन किया जा रहा है। इस मसले पर हमारी सोच सकारात्मक है।
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latesthindinewsindia · 6 years ago
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हिमाचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से हालात गंभीर
भारी बारिश और बाढ़ से हिमाचल, पंजाब, और जम्मू काश्मीर में जन जीवन अस्त व्यस्त, 11 लोगों की मौत, हिमाचल में भारी बर्फबारी से हालात हुए और खराब। वायुसेना ने प्रभावित इलाकों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
लगातार और तेज़ बारिश देश के पहाड़ी इलाकों में कहर बरपा रही है।  भारी बारिश से पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में 11 लोगों की मौत हो गई है। उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश जारी है। बारिश से राज्य के ज्यादातर हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली में भारी बाढ़ से हालात बेहद खराब है। उफनती ब्यास नदी का पानी कहर बरपा रहा है। तमाम सडकें और हाईवे बह ��ए हैं। प्रदेश में भारी बारिश की वजह से कांगड़ा जिले में ब्यास नदी पर बने पोंग बांध के द्वार खोले जा सकते हैं, क्योंकि नदी में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। राज्य के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हुई है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के दौरान और बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया है। राज्य के सभी जिलो में 24 घंटे चलने वाले आपातकालीन सेंटर खोले गये है। रोहतांग दर्रे में कल चार इंच से भी ज्यादा बर्फ गिरी। हिमपात के बाद कुंज़ुम दर्रा बंद करना पड़ा। मनाली के आसपास के इलाकों में लगातार बर्फ गिर रही है। राज्य के  विभिन्न इलाकों में करीब 2000 लोग फंसे हुए हैं। लेह-मनाली मार्ग अगले 48 घंटे के लिए एहतियातन यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। कुल्लू, सिरमौर,ऊना,हमीरपुर,चम्बा , कांगड़ा, सोलन और लाहौल स्पीति जिला प्रशासन ने खराब मौसम के कारण आज सभी शैक्षणिक संस्था���ों में अवकाश घोषित कर दिया है। सेना और राहत एजेंसिया बर्फबारी में फंसे लोगों को निकालने में जुटी हैं।
जम्मू कश्मीर में कई ईलाको में भारी बारिश के बाद हालात चिंताजनक बने हुए है। भारी बारिश के बाद राज्य के डोडा जिले में हुई एक घटना के बाद एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी कल ज़बरदस्त बारिश हुई जिससे अधिकतम तापमान में सामान्‍य से 11 डिग्री सेल्सियस तक कमी देखने को मिली। हरियाणा में भारी बारिश से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। राजस्थान के भी कई जिलो में बारिश से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। दिल्ली एनसीआऱ में भी बारिश का सिलसिला जारी है ।
कुल्लू मनाली में भारी बाढ़ से हालात बेहद खराब है  । उफनती नदी का पानी कहर बरप रहा है। तमाम सडकें और हाईवे बह गए हैं । राज्य के अलग अलग स्थानो पर सैकड़ो लोग फंसे हुए है भारी बारिश के बाद कुछ राजमार्गो पर भूस्खलन के बाद कई वाहन और उसमें कई लोग भी फंस गये है। राज्य के 12 जिलो में शिक्षण संस्थान 25 तारीख तक बंद रहेगे। चंबा के होली ईलाके में ब़डी संख्या में  बच्चे फंस गए । राज्य के सभी जिलो में 24 घंटे चलने बाले आपातकालीन सेंटर खोले गये है। तो आपदा में फंसे लोग हेल्पलाईन नंबर 1070 से भी मदद ले सकते है। हालांकि खराब मौसम की वजह से राहत काम में दिक्कते आ रही है लेकिन सभी राहत ऐजेंसियां अलर्ट पर है। इस बीच राज्य के कुछ ऊपरी हिस्सो में फोन सेवाए भी बाधित हुई है। चंबा के ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल और बालू पुल में दरारें आ गई हैं। इस मार्ग पर सफर करना सुरक्षित नहीं है इसलिए प्रशासन ने ऐहतियात बरतते हुए इस मार्ग पर आवाजाही बंद कर दी है। राज्य के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा है कि मौसम विभाग की चेतावनी के बाद राज्य के सभी अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है और राहत और बचाव ��भियान के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।
हिमाचल में बारिष की वजह से 2 लोगों के मरने की भी खबर है। हिमाचल प्रदेश में बीते 15 सालों में सितम्बर महीने में सबसे ज्यादा बारिष देखी जा रही है। राज्य के 10 जिले बारिष और बाढ़ से प्रभावित है । रविवार को वायु सेना ने 19 लोगों को सुरक्षित निकाला था जबकि सोमवार को भी कई लोगों को सुरक्षित बचाया गया।  जम्मू कश्मीर में कई ईलाको में भारी बारिष के बाद हालात चिंताजनक बने हुए है भारी बारिश के बाद राज्य के डोडा जिले में हुई एक घटना के बाद एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई। ये पांचो लोग अपने अस्थाई घर में रह रहे थे जब भूस्खलन से आये मलवे से पांचो लोग जिंदा ही दफ्न हो गये।
कठुआ में भी भारी बारिष के बाद सभी नदियां उफान पर है जिसके बाद 80 से ज्यादा परिवारो को सुरक्षित स्थानो पर पहुचाया गया है। हरियाणा में भारी बारिश से फसलें तबाह हो गयी हैं । दिल्ली एनसीआऱ में भी बारिश का सिलसिला जारी है । राजस्थान के भी कई जिलो में बारिष से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। राज्य के अजमेर में पिछले 48 घंटों से बारिश हो रही बारिष के बाद एक घटना में एक स्कूली बस एक अंडरपास में फंस गई जिससे 20 बच्चे भी सवार थे।  केरल में फिर से एक सप्ताह तक बारिष की संभावना जताई गई है । मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में असम, मेधालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना के कुछ ईलाको में भारी से बहुत भारी बारिष की संभावना जताई  है।
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abhay121996-blog · 3 years ago
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विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक Divya Sandesh
#Divyasandesh
विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक
नई दिल्ली। पर्यावरण से जुड़ी स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु, जैव विविधता और भूमि क्षरण संकट से सफलतापूर्वक निपटने के लिए अगले तीन दशकों में प्रकृति में कुल 8.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। यानी 2050 तक सालाना 536 अरब डॉलर खर्च करने होंगे है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रकृति आधारित समाधानों में वार्षिक निवेश को 2030 तक तिगुना और 2050 तक चार गुना बढ़ाना होगा, जो कि 133 बिलियन डॉलर के मौजूदा निवेश से जुड़ा है।
गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), और इकोनॉमिक्स ऑफ लैंड डिग्रेडेशन (ईएलडी) पहल द्वारा विविड इकोनॉमिक्स के सहयोग से ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) द्वारा आयोजित की गई थी।
यह सरकारों, वित्तीय संस्थानों और व्यवसायों से भविष्य में आर्थिक निर्णय लेने के केंद्र में प्रकृति को रखकर इस निवेश अंतर को दूर करने का आग्रह करता है।
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यह जलवायु और जैव विविधता संकटों से निपटने सहित सामाजिक चुनौतियों से संबंधित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निर्णय लेने के लिए प्रकृति को केंद्रीय बनाकर प्रकृति आधारित समाधानों के लिए पूंजी प्रवाह में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल देता है।
रिपोर्ट 2050 तक वित्त अंतर को बंद करने के लिए प्रकृति आधारित समाधानों की क्षमता को अनलॉक करने का समर्थन करती है।
हानिकारक कृषि और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी का पुन उपयोग करके और आर्थिक और नियामक प्रोत्साहन बनाकर, अधिक स्थायी रूप से निर्माण करके, अब और 2050 के बीच 4.1 खरब डॉलर के वित्त अंतर को बंद करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है।
हालाँकि, प्रकृति वर्तमान में अनुमानित आर्थिक प्रोत्साहन खर्च का केवल 2.5 प्रतिशत है। निवेश के अंतर को पाटने के लिए निजी पूंजी को भी नाटकीय ढंग से बढ़ाना होगा।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से राजस्व प्रवाह को विकसित करना और बढ़ाना और निजी पूंजी में भीड़ के साधन के रूप में मिश्रित वित्त मॉडल का उपयोग करना ऐसा करने के लिए आवश्यक समाधानों के सूट में से एक है, जिसके लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं से जोखिम साझाकरण की भी आवश्यकता होती है।
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वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में ट्रॉपिकल फॉरेस्ट एलायंस के प्रमुख जस्टिन एडम्स ने कहा, “स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट प्रकृति में बढ़ते निवेश की तात्कालिकता और महत्वपूर्णता को रेखांकित करती है।”
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा ” जैव विविधता का नुकसान पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल अपने उत्पादन का 10 प्रतिशत खर्च कर रहा है। यदि हम प्रकृति आधारित समाधानों को पर्याप्त रूप से वित्त नहीं देते हैं, तो हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए देशों की क्षमताओं को प्रभावित करेंगे। अगर हमने अभी प्रकृति को नहीं बचाया तो हम सतत विकास हासिल नहीं कर पाएंगे।”
रिपोर्ट के अनुसार, वनों के प्रबंधन, संरक्षण और बहाली सहित अकेले वन आधारित समाधानों के लिए वैश्विक स्तर पर कुल वार्षिक व्यय में 203 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी।
यह 2021 में प्रत्येक नागरिक के लिए प्रति वर्ष केवल 25 डॉलर के बराबर है।
रिपोर्ट में संरक्षण उपायों के वित्तपोषण के साथ बहाली कार्रवाई में निवेश को जोड़ने का आह्वान किया गया है। इसके परिणामस्वरूप वन और कृषि वानिकी (खाद्य उत्पादन और पेड़ उगाने का संयोजन) क्षेत्र में 2020 की तुलना में 2050 तक लगभग 300 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हो सकती है।
–आईएएनएस
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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हिमाचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से हालात गंभीर
भारी बारिश और बाढ़ से हिमाचल, पंजाब, और जम्मू काश्मीर में जन जीवन अस्त व्यस्त, 11 लोगों की मौत, हिमाचल में भारी बर्फबारी से हालात हुए और खराब। वायुसेना ने प्रभावित इलाकों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
लगातार और तेज़ बारिश देश के पहाड़ी इलाकों में कहर बरपा रही है।  भारी बारिश से पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में 11 लोगों की मौत हो गई है। उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश जारी है। बारिश से राज्य के ज्यादातर हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली में भारी बाढ़ से हालात बेहद खराब है। उफनती ब्यास नदी का पानी कहर बरपा रहा है। तमाम सडकें और हाईवे बह गए हैं। प्रदेश में भारी बारिश की वजह से कांगड़ा जिले में ब्यास नदी पर बने पोंग बांध के द्वार खोले जा सकते हैं, क्योंकि नदी में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। राज्य के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हुई है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के दौरान और बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया है। राज्य के सभी जिलो में 24 घंटे चलने वाले आपातकालीन सेंटर खोले गये है। रोहतांग दर्रे में कल चार इंच से भी ज्यादा बर्फ गिरी। हिमपात के बाद कुंज़ुम दर्रा बंद करना पड़ा। मनाली के आसपास के इलाकों में लगातार बर्फ गिर रही है। राज्य के  विभिन्न इलाकों में करीब 2000 लोग फंसे हुए हैं। लेह-मनाली मार्ग अगले 48 घंटे के लिए एहतियातन यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। कुल्लू, सिरमौर,ऊना,हमीरपुर,चम्बा , कांगड़ा, सोलन और लाहौल स्पीति जिला प्रशासन ने खराब मौसम के कारण आज सभी शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया है। सेना और राहत एजेंसिया बर्फबारी में फंसे लोगों को निकालने में जुटी हैं।
जम्मू कश्मीर में कई ईलाको में भारी बारिश के बाद हालात चिंताजनक बने हुए है। भारी बारिश के बाद राज्य के डोडा जिले में हुई एक घटना के बाद एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी कल ज़बरदस्त बारिश हुई जिससे अधिकतम तापमान में सामान्‍य से 11 डिग्री सेल्सियस तक कमी देखने को मिली। हरियाणा में भारी बारिश से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। राजस्थान के भी कई जिलो में बारिश से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। दिल्ली एनसीआऱ में भी बारिश का सिलसिला जारी है ।
कुल्लू मनाली में भारी बाढ़ से हालात बेहद खराब है  । उफनती नदी का पानी कहर बरप रहा है। तमाम सडकें और हाईवे बह गए हैं । राज्य के अलग अलग स्थानो पर सैकड़ो लोग फंसे हुए है भारी बारिश के बाद कुछ राजमार्गो पर भूस्खलन के बाद कई वाहन और उसमें कई लोग भी फंस गये है। राज्य के 12 जिलो में शिक्षण संस्थान 25 तारीख तक बंद रहेगे। चंबा के होली ईलाके में ब़डी संख्या में  बच्चे फंस गए । राज्य के सभी जिलो में 24 घंटे चलने बाले आपातकालीन सेंटर खोले गये है। तो आपदा में फंसे लोग हेल्पलाईन नंबर 1070 से भी मदद ले सकते है। हालांकि खराब मौसम की वजह से राहत काम में दिक्कते आ रही है लेकिन सभी राहत ऐजेंसियां अलर्ट पर है। इस बीच राज्य के कुछ ऊपरी हिस्सो में फोन सेवाए भी बाधित हुई है। चंबा के ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल और बालू पुल में दरारें आ गई हैं। इस मार्ग पर सफर करना सुरक्षित नहीं है इसलिए प्रशासन ने ऐहतियात बरतते हुए इस मार्ग पर आवाजाही बंद कर दी है। राज्य के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा है कि मौसम विभाग की चेतावनी के बाद राज्य के सभी अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है और राहत और बचाव अभियान के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।
हिमाचल में बारिष की वजह से 2 लोगों के मरने की भी खबर है। हिमाचल प्रदेश में बीते 15 सालों में सितम्बर महीने में सबसे ज्यादा बारिष देखी जा रही है। राज्य के 10 जिले बारिष और बाढ़ से प्रभावित है । रविवार को वायु सेना ने 19 लोगों को सुरक्षित निकाला था जबकि सोमवार को भी कई लोगों को सुरक्षित बचाया गया।  जम्मू कश्मीर में कई ईलाको में भारी बारिष के बाद हालात चिंताजनक बने हुए है भारी बारिश के बाद राज्य के डोडा जिले में हुई एक घटना के बाद एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत हो गई। ये पांचो लोग अपने अस्थाई घर में रह रहे थे जब भूस्खलन से आये मलवे से पांचो लोग जिंदा ही दफ्न हो गये।
कठुआ में भी भारी बारिष के बाद सभी नदियां उफान पर है जिसके बाद 80 से ज्यादा परिवारो को सुरक्षित स्थानो पर पहुचाया गया है। हरियाणा में भारी बारिश से फसलें तबाह हो गयी हैं । दिल्ली एनसीआऱ में भी बारिश का सिलसिला जारी है । राजस्थान के भी कई जिलो में बारिष से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। राज्य के अजमेर में पिछले 48 घंटों से बारिश हो रही बारिष के बाद एक घटना में एक स्कूली बस एक अंडरपास में फंस गई जिससे 20 बच्चे भी सवार थे।  केरल में फिर से एक सप्ताह तक बारिष की संभावना जताई गई है । मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में असम, मेधालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना के कुछ ईलाको में भारी से बहुत भारी बारिष की संभावना जताई  है।
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ourdarkcollectionmakerme · 6 years ago
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सामाजिक सुरक्षा कवच उम्मीद की जानी चाहिए कि एचआईवी-एड्स संशोधन विधेयक (रोक एवं नियंत्रण), 2014 इस रोग से पीड़ित मरीजों के लिएसामाजिक सुरक्षा कवच का काम करेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक में एचआईवी-एड्स से पीड़ित मरीजों को सामाजिक प्रताड़ना से राहत दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने केअनेक प्रावधान किए गएहैं। विधेयक के कानून बन जाने के बाद यदि सरकार और उसकी एजेंसियां इसे कड़ाईसे लागू कर पाएंगी तो निश्चित तौर पर समाज में एक प्रभावी असर डाल पाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऐसे समय में इस विधेयक को मंजूरी दी है, जब राष्ट्रीय एड्स कार्यक्रम वित्तीय संकट के कारण दम तोड़ रहा था। इसके बजट में भी कटौती की गई थी। मरीज दवाइयों की कमी के संकट से जूझरहे थे। कहा जा सकता है कि सरकार ने सही समय पर सही कदम उठाया है। विधेयक में एचआईवी-एड्स से पीड़ित मरीजों के साथभेदभाव करने पर तीन माह से लेकर दो साल तक की सजा का प्रावधान है। सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान है कि रोजगार पाने और शैक्षणिक संस्थानों में मरीज को बीमारी के बारे में बताना अनिवार्य नहीं होगा। यह प्रावधान मरीज को आत्मनिर्भर बनाने और आत्मसम्मान दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, हमारा समाज एचआईवी-एड्स से पीड़ित मरीजों को दकियानूसी नजरिये से देखता है। उसके नजरिये में जब तक कोईक्रांतिकारी परिवर्तन नहीं होता है, तब तक इस तरह के अच्छे से अच्छे कानून कागजों में ही दम तोड़ देते हैं। फिर भी ऐसे सामाजिक समूह, सामाजिक संगठन और नागरिक समाज जो इस रोग से पीड़ित मरीजों के बीच जाकर उनकी सेवा करते हैं, उनके लिए यह कानून बहुत बड़े संबल का काम करेगा। वैसे भी सामाजिक चेतना का धीरे-धीरे ही विस्तार होता है। एचआईवी-एड्स भयावह बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं। कहा जाता है कि इलाज से बेहतर बचाव और रोकथाम है। इसकी रोकथाम के लिए चलाया गया जागरूकता अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। इसलिए एचआईवी-एड्स जैसी घातक महामारी के लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। सरकार को कानून बनाने के साथ-साथ एचआईवी-एड्स से संबंधित नीति भी स्पष्ट करनी होगी। ऐसा करके ही इस जानलेवा महामारी से समाज को बचाया जा सकेगा।
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xgenplus-blog · 8 years ago
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भारत सरकार के इलैक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी नाइलिट (राष्ट्रीय इलैक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टैक्नोलॉजी) ने देशभर के अपने छात्रों के बीच महत्त्वपूर्ण सूचनाएं साझा करने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया है। संस्थान ने डाटा एक्सजेन टेक्नोलॉजीज के साथ साझेदारी में वन वे ब्रॉडकास्ट टैक्नोलॉजी के जरिए टैक्स्ट और वॉयस आधारित प्रणाली की शुरुआत की है। गौरतलब है कि डाटामेल का डाटा रेडियो फ��चर निशुल्क उपलब्ध है और इस प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ता अपने समूह के लोगों या अपने फॉलोअर्स तक पहुंचने और उनके साथ सूचनाएं साझा करने के लिए डाटा रेडियो चैनल शुरू कर सकते हैं। उपयोगकर्ता प्रत्येक डाटा रेडियो चैनल में एक साथ लाखों सदस्यों को जोड़ सकता है। डाटामेल मोबाइल एप्लिकेशन में यह सुविधा एक नोटिफिकेशन मॉडल पर आधारित है और इसमें उन अनगिनत लोगों के बीच वॉयस मैसेज का प्रसारण करने की क्षमता है, जिन्होंने डाटा रेडियो चैनल ट्यून कर रखा है। डाटा एक्सजेन टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अजय डाटा कहते हैं, ‘शैक्षणिक संस्थानों को सशक्त करने के साथ ही हम विद्यार्थियों को भी सशक्त करने का प्रयास कर रहे हैं और उन्हें अपने क्लासरूम से बाहर निकलते हुए सूचनाएं और ज्ञान के एक विशाल संसार से जोड़ रहे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ की पहल के तहत डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के मकसद से तैयार किए गए उल्लेखनीय ‘डाटामेल’ एप्प में भाषाई ई-मेल की सुविधा भी उपलब्ध है और अब इसमें वॉयस आधारित सोशल मीडिया का फीचर- डाटा रेडियो भी जोड़ा गया है। हमारा मकसद अपनी ही भाषा में संवाद करने के लिए उपयोगकर्ताओं को सक्षम बनाने का है ताकि सरकार के उस अभियान को मजबूती मिल सके, जिसके तहत देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इंटरनेट की सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।’ नाइलेट के महानिदेशक अश्विनी शर्मा कहते हैं- ‘ नाइलेट ने डाटा रेडियो फीचर के माध्यम से अपने सभी वर्तमान और पूर्व छात्रों को दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों की जानकारी देने की तैयारी की है। इस अनूठे डाटामेल एप्प के जरिए विद्यार्थियों को परीक्षा संबंधी अलर्ट भेजने के साथ परीक्षा परिणाम के लिंक, अन्य प्रमुख इवेंट्स की जानकारी, टैक्नोलॉजी टिप्स इत्यादि नियमित तौर पर भेजे जाएंगे। नाइलेट ने कंप्यूटर से जुड़े पाठ्यक्रमों के साथ-साथ बीपीओ कोर्स, मल्टीमीडिया और एनिमेशन टैक्नोलॉजी, कंप्यूटर हार्डवेयर, इन्फॉर्मेशन सिक्यूरिटी, पीजी डिप्लोमा कोर्स और बायो इन्फॉर्मेटिक्स कोर्स तथा दूसरे शॉर्ट टर्म पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों के लिए ‘नाइलेट’ डाटा रेडियो चैनल की शुरुआत की है।’ डाटा रेडियो फीचर का इस्तेमाल नाइलेट के अन्य संबद्ध विभागों द्वारा भी किया जा सकता है और इसके संकाय सदस्य भी अपने लक्षित वर्ग तक पहुंचने और उनके बीच सूचनाएं साझा करने के लिए अपना अलग रेडियो चैनल शुरू कर सकते हैं। डाटा रेडियो में वन वे मैसेजिंग की सुविधा है और इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि प्रेषक और प्राप्तकर्ता की पहचान का खुलासा भी नहीं किया जाए और उन���हें सुरक्षित रखते हुए ट्रोलिंग और अपमानजनक संदेशों के खतरे से भी बचाया जा सके, जबकि फेसबुक, ट्विटर और लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म पर यह सुविधा नहीं मिलती।
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