#संसद में बजट भाषण
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dainiksamachar · 6 months ago
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अनुराग ठाकुर, अश्विनी वैष्णव.. क्या संसद में बीजेपी ने विपक्ष से लड़ने के लिए बदल दी रणनीति?
नई दिल्ली: 2024 के चुनावी रण में बीजेपी बहुमत से दूर क्या रह गई विपक्ष ज्यादा ही उत्साह में दिख रहा। खास तौर से संसद में इंडिया ब्लॉक लगातार केंद्र को घेरने की कोशिश में जुटा नजर आता है। चाहे बजट भाषण रहा हो या फिर जातीय जनगणना और अग्निवीर योजना जैसे मुद्दे। विपक्ष की ओर से लगातार मोदी सरकार पर जोरदार अटैक की कवायद हुई। हालांकि, संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में ऐसा लग रहा कि बीजेपी भी आर-पार के मूड में आ गई है। यही वजह है कि बीजेपी ने विपक्ष से लड़ने के लिए मानो अपनी रणनीति बदल दी है। इसका पता उस समय चला जब पार्टी की ओर से और अश्विनी वैष्णव ने मोर्चा संभाला। विपक्षी सांसदों की ओर से किए गए दावों पर पलटवार के लिए बीजेपी ने 'जैसे को तैसा' वाला दांव चला है। जब अखिलेश-अनुराग भिड़ गए बीजेपी की बदले दांव का पता उस समय चला जब 30 जुलाई को आम बजट पर चर्चा के दौरान अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने अग्निवीर योजना को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा था कि अग्निवीर वाली जो नौकरी है, कोई भी नौजवान जो फौज की तैयारी करता है वो कभी स्वीकार नहीं करेगा। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि सरकार खुद स्वीकार करती है कि ये स्कीम ठीक नहीं है। जैसे ही अखिलेश ने ये बातें कही तो बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने इस पर तुरंत रिएक्ट किया। अग्निवीर पर सवाल तो अनुराग ठाकुर का जवाब हमीरपुर सांसद अनुराग ठाकुर ने अखिलेश यादव को जवाब देते हुए कहा कि मैं कहता हूं मैं उस राज्य हिमाचल प्रदेश से हूं जिसने पहला परमवीर मेजर सोमनाथ शर्मा दिया। कारगिल के युद्ध में सबसे ज्यादा शहीद होने वाले हिमाचल प्रदेश के वीर नौजवान थे। मैं एक बात और कहता हूं अग्निवीर में 100 फीसदी रोजगार की गारंटी है और रहेगी। इस पर अखिलेश यादव ने फिर कहा कि अनुराग ठाकुर बस सदन में इतना कह दें कि अग्निवीर अच्छी योजना है। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री फिर खड़े हुए और कहा कि वह भी सैनिक स्कूल गए हैं, मैं प्रादेशिक सेना में कैप्टन के पद पर कार्यरत हूं। अखिलेश यादव, ज्ञान मत दीजिए। उन्होंने समाजवादी पार्टी मुखिया को जोरदार जवाब दिया। राहुल गांधी पर जब बरसे अनुराग ठाकुर अखिलेश यादव ही नहीं अनुराग ठाकुर ने बजट पर चर्चा में हिस्सा लेने के दौरान राहुल गांधी के भाषण पर भी पलटवार किया। राहुल गांधी ने बजट हलवा के जरिए सरकार पर निशाना साधा था और यह कहा था कि इसमें कोई दलित अधिकारी नहीं। इस पर तंज कसते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल जी हलवा मीठा था या फीका। कुछ लोग ओबीसी की बात करते हैं, इनके लिए ओबीसी का मतलब है ओनली फॉर ब्रदर इन लॉ कमीशन। जिस पार्टी ने अपने ही पार्टी के अध्यक्ष को धोती खींचकर बाहर निकाल दिया हो, जो एक पिछड़े समाज से आते थे, उनके शहजादे हमें ज्ञान बांट रहे हैं। अनुराग ठाकुर के कमेंट पर लोकसभा में हंगामा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के उस कमेंट कि जाति जनगणना को हम यहां पास करके दिखाएंगे और चक्रव्यूह वाले कमेंट पर भी अनुराग ठाकुर ने रिएक्ट किया। अनुराग ठाकुर ने राहुल को लेकर कहा कि इनको तो नेता प्रतिपक्ष का मतलब समझना पड़ेगा। ओबीसी और जनगणना की बात बहुत की जाती है जिसकी जाति का पता नहीं वो गणना की बात करता है। अनुराग ठाकुर के इस कमेंट पर कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा कर दिया था। अश्विनी वैष्णव की भी विपक्ष को लताड़ अनुराग ठाकुर ही नहीं बीजेपी की बदली रणनीति का पता उस समय चला जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में मोर्चा खोला। उन्होंने अपनी बात रखते हुए इंडिया ब्लॉक के सांसदों पर जमकर जवाबी अटैक किए। हाल के दिनों में बढ़ते रेल हादसों को लेकर गुरुवार को लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल का जवाब देने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सामने आए। इस दौरान विपक्ष की ओर से नारेबाजी शुरू कर दी गई तो रेल मंत्री भी आक्रोशित नजर आए। उन्होंने विपक्ष को उन्हीं के अंदाज में बैठो, भप, भप, कुछ भी बोल देता है.. कहकर पलटवार किया। रेल हादसों पर सवाल तो रेल मंत्री ने यूं दिया जवाब एक अगस्त को लोकसभा में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम वो लोग नहीं हैं जो रील बनाते हैं, हम कड़ी मेहनत करते हैं। आप की तरह रील बनाकर दिखाने वाले लोग नहीं है। उन्होंने कहा कि लोको पायलट के औसत कामकाज और आराम का समय 2005 में बनाए गए एक नियम से तय होता है। 2016 में नियमों में संशोधन किया गया और लोको पायलटों को अधिक सुविधाएं दी गईं। सभी रनिंग रूम-558 को वातानुकूलित बनाया गया। लोको कैब बहुत अधिक कंपन करती हैं, गर्म होती हैं और इसलिए 7,000 से अधिक लोको कैब वातानुकूलित हैं। यह उन लोगों के समय में शून्य था जो आज रील बनाकर सहानुभूति दिखाते हैं। 'आप दिखावे के लिए रील बनाते हैं' अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे के सुधार को लेकर सबको साथ आना… http://dlvr.it/TBP3ph
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sharpbharat · 6 months ago
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Jamshedpur mp : रेल बजट पर सांसद बिद्युत बरण महतो ने संसद में दिया भाषण, टाटानगर से चलेगी दो वंदेभारत ट्रेन, 456 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा नया टाटानगर स्टेशन, कई विकास योजनाओं का भी किया डिमांड
जमशेदपुर : जमशेदपुर के सांसद बिद्युत बरण महत��� ने रेल बजट पर हुए चर्चा में भाग लेते हुए अपना भाषण दिया. उन्होंने यहां हुए रेल हादसे की जानकारी साझा की. मंगलवार को झारखंड के चक्रधरपुर डिविजन में रेल हादसा हुआ. किसी भी प्रकार की दुर्घटना का होना दुखद पहलू है. झारखंड में जो दुर्घटना हुई है, उसमें दो लोगों की जान चली गई है. सांसद ने कहा कि दुर्घटना में मृत लोगों की मुआवजा देकर कीमत नहीं लगाई जा सकती…
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rightnewshindi · 6 months ago
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इमरान प्रतापगढ़ी ने नेमप्लेट मुद्दे पर संसद में लगा दी सरकार की क्लास, पूछा, खून की बोतल पर लेवल देखा है
Delhi News: राज्यसभा में बजट भाषण के दौरान ‘नेमप्लेट’ विवाद का मुद्दा कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने जबरदस्त तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम छिपाने वाली सरकार इन दिनों फलों के ठेले लगाने वालों से उनका नाम पूछ रही है। बजट भाषण के दौरान कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा यहां बैठ कर बड़ी-बड़ी बातें करना आसान है। ‘यह चूनर धानी-धानी भूल जाते, यह पूर्वा की रवानी भूल…
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bikanerlive · 6 months ago
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वित मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट की सराहना बीकानेर भाजपा नेताओं ने पटाखे फोड़कर किया मोदी का धन्यवाद
विकसित भारत के सपने को साकार करने वाला बजट– श्रवण सिंह बगड़ी बीकानेर वित मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए बजट को भाजपा जिला पदाधिकारियों ने भाजपा प्रदेश महा��ंत्री श्रवण सिंह बगड़ी व शहर जिलाध्यक्ष विजय आचार्य, देहात जिलाध्यक्ष जालम सिंह भाटी के साथ सामूहिक रूप में सुना और बजट भाषण के बाद भाजपा पदाधिकारियों ने इस सर्वस्पर्शी बजट पर पटाखे फोड़कर खुशियां मनाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र…
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icnnetwork · 1 year ago
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#Budget2024 : Modi Govt की इन 3 योजनाओं से समाज में आई नई क्रांति!
#PMOIndia #NirmalaSitharaman #FinanceMinister #Election2024 #icnewsnetwork
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khetikisaniwala · 2 years ago
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मोदी@9 | प्रधानमंत्री की किसान योजना सफल, लेकिन सरकार कृषि आय दोगुनी करने के लक्ष्य से अभी भी दूर
इस साल 23 मार्च को संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में कृषि पर एक संसदीय पैनल ने कहा कि सरकार किसानों की कृषि आय दोगुनी करने के लक्ष्य से बहुत दूर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में देश का कृषि क्षेत्र कई उतार-चढ़ाव से गुजरा। जबकि भारत के खाद्य उत्पादन में वृद्धि देखी गई, वित्त वर्ष 2012 में भारत के कृषि निर्यात में $ 50 बिलियन के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंचने के साथ, तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की शुरूआत के बाद हजारों किसानों के विरोध में सड़कों पर आने के बाद सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा।
किसानों की आय दोगुनी करने का मोदी सरकार का सबसे बड़ा वादा किसानों को सीधे नकद हस्तांतरण शुरू करने के बावजूद पूरा नहीं हुआ है।
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बड़ा वादा
पिछले चार वर्षों में, किसानों की आय को दोगुना करना इस क्षेत्र का मुख्य विषय रहा है, क्योंकि मोदी ने 2017 में अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान इसकी घोषणा की थी। भारतीय जनता पार्टी के टर्म 2.0 घोषणापत्र में इसे फिर से दोहराया गया। पार्टी ने क्षेत्र के लिए बढ़ती कृषि क्षेत्रीय आय और समृद्धि का वादा किया।
2023 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान कृषि क्षेत्र में पिछले छह वर्षों में 4.6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर देखी गई। कृषि वार्षिक बजट 2023 में पांच गुना बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 2013-14 में 30,223.88 करोड़ रुपये था।
इस वर्ष 21 मार्च को कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 18.5 लाख करोड़ रुपये हो गया।
2019 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की शुरुआत, छोटी जोत वाले किसानों के लिए एक आय सहायता योजना, जो तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये प्रदान करती है, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की सफलता की कहानी रही है। रुपये से अधिक। अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.24 लाख करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। सरकार का दावा है कि डिजिटल ट्रांसफर का मतलब है कि पैसा अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचता है।
इसके अलावा, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के माध्यम से एक वर्ष के भीतर ऋण चुकाने वाले सभी लोगों के लिए रियायती संस्थागत ऋण 4 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ाया जा रहा है। यह किसानों को ऋण के अनौपचारिक स्रोतों के ऋणग्रस्तता से खुद को छुटकारा दिलाने का एक उपाय है, और अधिक सदस्यों को नामांकित करने के लिए फरवरी 2020 में एक विशेष अभियान शुरू किया गया था। कृषि मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 23 दिसंबर, 2022 तक 387.87 लाख से अधिक नए केसीसी आवेदन स्वीकृत किए गए थे, जिनकी स्वीकृत क्रेडिट सीमा रु. ड्राइव के हिस्से के रूप में 4,49,443 करोड़।
सरकार ने जैविक खेती और सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए हैं, जिसमें नाबार्ड के साथ 5,000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक कोष के साथ एक सूक्ष्म सिंचाई कोष का निर्माण शामिल है, साथ ही कृषि उपयोग के लिए ड्रोन जैसी नवीनतम तकनीक की शुरुआत भी की गई है। 2014-15 से मार्च 2022 की अवधि के दौरान, कृषि मशीनीकरण के लिए 5,490.82 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जैसा कि कृषि मंत्रालय ने 21 मार्च, 2023 को एक बयान में कहा था। किसानों को सब्सिडी के आधार पर 13,88,314 मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं।
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newsdaynight · 2 years ago
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संसद में आज फिर होगा हंगामा या चलेगी कार्यवाही, कांग्रेस ने कहा जेपीसी पर समझौता नहीं
Delhi: नई दिल्ली : संसद का बजट सत्र अभी तक लगातार हंगामे की भेंट चढ़ा है। हंगामे का कारण पिछले दो सप्ताह तक संसद में कोई खास काम नहीं हो पाया है। विपक्ष अडानी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग कर रहा है। वहीं, बीजेपी राहुल गांधी के लंदन में दिए गए ��ेश में लोकतंत्र वाले भाषण को लेकर लगातार माफी की मांग कर रही है। इसके बाद राहुल गांधी को संसद से अयोग्य ठहराये जाने के बाद से कांग्रेस और अधिक हमलावर हो गई है। http://dlvr.it/SlvHcc
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prabudhajanata · 2 years ago
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गुजरात में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को, चार साल पुराने एक मामले में आपराधिक मानहानि के लिए दो साल की सजा सुना दी। इसे संयोग मानने के लिए राजनीतिक रूप से बहुत भोला होना जरूरी है कि उन्हें जिला अदालत ने, आपराधिक मानहानि के अपराध के लिए दी जाने वाली अधिकतम सजा सुनाई है और यह ठीक उतनी ही सजा है, जितनी किसी निर्वाचित सांसद-विधायक को ''अयोग्य'' करार देकर, उसकी सदस्यता खत्म करने के लिए न्यूनतम आवश्यक सजा है! खैर! अब यहां से आगे घटनाक्रम ठीक-ठीक क्या रूप लेगा? राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता ताबड़तोड़ खत्म कर दिए जाने के बाद, क्या चुनाव आयोग उनकी वायनाड की लोकसभाई सीट खाली घोषित कर, उसके लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर देगा? क्या उच्चतर अपीलीय न्यायालयों द्वारा राहुल गांधी की सजा को भी, खासतौर पर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए रोक दिया जाएगा कि यह भारत में आपराधिक मानहानि कानून के करीब पौने दो सौ साल के इतिहास में, किसी को इस कानून के अंतर्गत सजा दिए जाने का पहला ही मामला है, या सदस्यता तत्काल खत्म करने के बाद, राहुल गांधी को आठ साल तक चुनाव लड़ने से भी रोक दिया जाएगा और ऐसा हुआ, तो इसके नतीजे क्या होंगे, इस सब के स्पष्ट होने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन, इस पूरे प्रकरण का एक नतीजा तत्काल साफ-साफ दिखाई दे रहा है। कर्नाटक में एक चुनावी सभा में दिए गए भाषण के एक अंश के लिए, राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाए जाने को, उन्हें संसद से ही दूर करने की कोशिश के रूप में लेकर, इस फैसले का खुलकर सबसे पहले विरोध करने वालों में, एक आवाज आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो, अरविंद केजरीवाल की थी। और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी कम-से-कम इस मामले में विपक्ष के साथ आवाज मिलाने में कमोबेश ऐसी ही तत्परता दिखाई है। लेकिन, वह तो शुरूआत थी। इस सत्ता-प्रायोजित तानाशाहीपूर्ण मनमानी के खिलाफ देश भर में उठी नाराजगी की लहर के दबाव मेें भारत राष्ट्र समिति के शीर्ष नेता केसीआर ही नहीं, चुनावों के ताजा चक्र के बाद से कांग्रेस से बढ़कर राहुल गांधी के खिलाफ खासतौर पर हमलावर ममता बैनर्जी और काफी किंतु-परंतु के साथ ही सही, बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी, विरोध की आवाज उठाई है। यहां तक कि सप्ताहांत के बाद, सोमवार को संसद बैठने पर विपक्षी पार्टियों के सांसदों नेे काले कपड़ों के साथ जो विरोध प्रदर्शन निकाला, उसमें बजट सत्र का उत्तरार्द्घ शुरू होने के बाद, पहली बार तृणमूल कांग्रेस और बीआरएस के सांसद भी शामिल हुए। जाहिर है कि संसद में और संसद के बा��र भी, अडानी प्रकरण समेत मौजूदा निजाम के विरोध के मुद्दों पर अक्सर साथ दिखाई देने वाली चौदह-पंद्रह विपक्षी पार्टियां तो इस ''सजा'' को, विपक्ष की आवाज दबाने के लिए, मोदी निजाम के एक और हमले की ही तरह देखती ही हैं। बहरहाल, उनके अलावा ममता बैनर्जी तथा केसीआर जैसे नेताओं का इस मुद्दे पर खुलकर विरोध की आवाज उठाना, इसलिए खास महत्व रखता है कि पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में इसी फरवरी में हुए विधानसभाई चुनाव के नतीजों के बाद गुजरे हफ्तों में, इन पार्टियों के ही कदमों से और उससे बढ़कर उनके बयानों से, 2024 के आम चुनाव के लिए विपक्ष की एकजुटता के नामुमकिन होने के दावों को काफी बढ़ावा मिल रहा था। कांग्रेस तो खैर, आर-पार की लड़ाई का बिगुल फूंकने के मूड में नजर आ ही रही है। जाहिर है कि यह ताजा घटना विकास, इसकी ओर इशारा करता है कि अगले आम चुनाव में विपक्ष की एकजुटता-विभाजन का मामला, जोड़-घटाव का सरल प्रश्न नहीं, रासायनिक क्रिया का कहीं जटिल मामला होने जा रहा है। ममता बैनर्जी का ही नहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री तथा बीआरएस सुप्रीमो चंद्रशेखर राव और ओडिशा के मुख्यमंत्री तथा बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक का भी आम तौर पर वर्तमान निजाम के खिलाफ विपक्ष के एकजुट कदमों से अलग-अलग हद तक दूसरी बनाए रखना, विपक्षी एकता के सवाल की उस जटिलता में ही इजाफा करता है। फिर भी इस प्रकरण से एक बात एकदम साफ है, जनतंत्र और विपक्ष मात्र के साथ मोदी राज का सलूक, अपने तमाम राजनीतिक-विचारधारात्मक मतभेदों और हितों के टकरावों के बावजूद, विपक्ष को ज्यादा-से-ज्यादा एक स्वर में बोलने की ओर ले जा रहा है। इसी का एक और साक्ष्य है 14 विपक्षी पार्टियों का सुप्रीम कोर्ट के सामने याचिका दायर कर, केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई, ईडी आदि केंद्रीय जांच एजेंसियों का विपक्ष को कुचलने के लिए दुरुपयोग का आरोप लगाना। इस मामले में आम आदमी पार्टी और बीआरएस जैसी पार्टियां भी, कांग्रेस के साथ एक मंच पर खड़ी देखी जा सकती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, मनीष सिसोदिया की दो अलग-अलग मामलों में सीबीआई तथा ईडी द्वारा गिरफ्तारी और बीआरएस विधान परिषद सदस्य
व चंद्रशेखर राव की पुत्री, सुश्री कविता से ईडी की लगातार जारी पूछताछ ने, इस मुद्दे पर विपक्ष की एकजुटता के दायरे को बढ़ाने का काम किया है। लेकिन, 2024 के आम चुनाव के संदर्भ में विपक्षी एकता की चर्चा में अक्सर, खुद को संघ-भाजपा राज के विरोध में बताने वाली पार्टियों के कई मुद्दों पर अलग-अलग बोलने तथा अलग-अलग चुनाव लड़ने को तो दर्ज किया जाता है, लेकिन विपक्षी स्वरों की बढ़ती एकता की ओर से ��ंखें ही मूंद ली जाती हैं। बहरहाल, विपक्षी एकता की यह समझ अधूरी है और इसलिए भ्रामक भी। यह समझ विपक्षी एकता को, सत्ताधारी गठजोड़ से बाहर की सभी राजनीतिक पार्टियों के पूरी तरह से एक होकर, सत्ताधारी गठजोड़ के हरेक उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार उतारने की हद तक एकता में घटा देती है। जाहिर है कि भारत की वास्तविक राजनीतिक परिस्थितियों में, जिसमें क्षेत्रीय राजनीतिक विविधताएं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, यह एक असंभव-सी मांग है। और इसी मांग के पूरा न होने के आधार पर विपक्षी एकता होने, न होने को लेकर नकारात्मक फैसले सुनाना, सत्ताधारी गठबंधन की तथाकथित अजेयता के पक्ष में हवा बनाने में मदद तो कर सकता है, लेकिन भारतीय राजनीति की वास्तविक दशा-दिशा को समझने के लिए उससे कोई मदद नहीं मिल सकती है। जाहिर है कि स्वतंत्र भारत की राजनीति का वास्तविक अनुभव, विपक्षी एकता की ऐसी परिभाषा से मेल नहीं खाता है। स्वतंत्रता के बाद के पहले बीस साल में, कांग्रेस की सत्ता पर लगभग इजारेदारी के अनेक राज्यों के टूटने की जब 1967 में शुरूआत हुई थी, कई राज्यों में गठबंधनों ने तथा कुछ राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों ने सत्ता संभाली थी। यह प्रक्रिया, इमरजेंसी के बाद, 1977 के आरंभ में हुए आम चुनाव में नई ऊंचाई पर पहुंची, जब पहली बार केंद्र में सत्ता से कांग्रेस पार्टी की विदाई हुई। वास्तव में इमरजेंसी का उदाहरण ही, भारत में संभव तथा इसलिए भारत के लिए वास्तविक, विपक्षी एकता की संकल्पना का ज्यादा उपयुक्त उदाहरण है। इमरजेंसी के अनुभव के बाद, चंद अपवादों को छोड़कर, लगभग सभी गैर-कांग्रेसी पार्टियां, इमरजेंसी निजाम और उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस का विरोध करने पर एकमत थीं। लेकिन, यह एकता किसी भी प्रकार से, एक के मुकाबले एक उम्मीदवार की, मुकम्मल चुनावी एकता नहीं थी। इसके बावजूद, इस चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को अभूतपूर्व हार का सामना करना पड़ा था। आगे चलकर, कांग्रेस के शासन के लगभग दो कार्यकालों के बाद, यही 1988 में, बोफोर्स प्रकरण पर केंद्रित भ्रष्टाचार के आरोपों की पृष्ठभूमि में हुए आम चुनाव में भी, कांग्रेस की हार के रूप में दोहराया गया था। और फिर, 2004 में बेशक काफी भिन्न संदर्भ में, सत्ताधारी भाजपाई गठजोड़ की हार के रूप में। साफ है कि विपक्षी एकता या एकजुटता और विपक्ष का एक के मुकाबले एक उम्मीदवार का मुकाबला सुनिश्चित करने की हद तक एकजुट होना, काफी हद तक अलग-अलग चीजें हैं। वैसे भी एक के मुकाबले एक उम्मीदवार की हद तक विपक्षी एकता, एक ऐसे सत्ताधारी गठजोड़ को हराने की आवश्यक पूर्व-शर्त तो हर्गिज नहीं है, जिसको ऐतिहासिक रूप से अब तक वास्तव में 40 फीसद से ज्यादा वोट नहीं मिला है। फिर भी, दो चीजें हैं, जो सत्ताधारी गठजोड़ को चुनावी मुकाबले में हराने के लिए जरूरी हैं। पहली, एक वृहत्तर राजनीतिक मुद्दा, को सिर्फ विपक्षी पार्टियों को ही नहीं, आम जनता के उल्लेखनीय रूप से बड़े हिस्सों को भी जोड़ सकता हो। 1977 में इमरजेंसी, तो 1988 में बोफोर्स व आम तौर पर भ्रष्टाचार, ऐसे ही मुद्दे थे। पुन: 2004 में शासन का बढ़ता सांप्रदायीकरण, खासतौर पर 2002 के गुजरात के खून-खराबे की पृष्ठभूमि में ऐसा ही मुद्दा था, जिसने भाजपाई गठजोड़ को, केंद्र में सत्ता से बाहर किया था। 2024 के चुनाव में मोदी राज की बढ़ती अघोषित तानाशाही और जनविरोधी कार्पोरेटपरस्ती, बखूबी ऐसा ही निर्णायक मुद्दा बन सकती है। राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कराने के जरिए मौजूदा निजाम ने जाहिर है कि इस प्रक्रिया को और गति दे दी है। लेकिन, इसका अर्थ यह हर्गिज नहीं है कि विपक्षी कतारों के चुनाव के पहले और चुनाव के लिए भी, एकजुट होने की कोई भी जरूरत या सार्थकता ही नहीं है। 1977, 1988 और 2004 -- तीनों चुनावों का अनुभव बताता है कि विपक्ष की मुकम्मल एकता भले संभव न हो और देश के एक अच्छे-खासे हिस्से में यानी कई राज्यों में केंद्र की सत्ताधारी पार्टी का असली मुकाबला, राज्य के स्तर पर मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों से या उनके नेतृत्व वाले राज्यस्तरीय गठबंधनों/ मोर्चों से ही होने जा रहा हो, फिर भी विपक्ष की राजनीतिक निशाने की एकता के साथ ही साथ, चुनाव से पहले और चुनाव में भी, उसके एक हद तक एकजुट होने की भी जरूरत होती है, ताकि जनता के बीच
आम तौर पर इसका भरोसा पैदा हो सके कि सत्ताधारियों को, हराने में समर्थ ताकतें सचमुच मौजूद हैं, कि उन्हें सचमुच हराया जा सकता है। मोदी राज के दुर्भाग्य से, उसकी तमाम तिकड़मों और हथकंडों के बावजूद, हालात उसे हराने की दोनों शर्तें पूरी होने की ओर ही बढ़तेे नजर आते हैं। राहुल गांधी के खिलाफ नवीनतम कानूनी प्रहार ने इस प्रक्रिया को और भी तेज कर दिया है।
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bhaskarhindinews · 6 years ago
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Last and Interim budget of modi government 2019, live updates
बजट LIVE: छोटे किसानों को सरकार का तोहफा, हर साल 6 हजार रुपए मिलेंगे खाते मेंं
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NEWS HIGHLIGHTS
पीयूष गोयल पेश कर रहे हैं बजट
किसानों को साधने की हो सकती है कोशिश
मध्यमवर्गीय लोगों को भी दी जा सकती है राहत
केंद्र की मोदी सरकार आज अपना अंतरिम बजट पेश कर रही है। अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल संसद में बजट भाषण दे रहे हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल का आखिरी बजट होने के कारण उम्मीद की जा रही है कि इसमें कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जा सकती है।
बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की तबीयत खराब होने के कारण पीयूष गोयल बजट पेश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के पहले पेश किए ��ा रहे बजट में मोदी सरकार एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश करेगी। सरकार किसानों और मध्यमवर्गीय लोगों को इस बार बड़ी राहत दे सकती है।
LIVE UPDATES
11.34 AM : 12 करोड़ छोटे किसानों को मिलेगा फायदा, सरकार पर आएगा 75 हजार करोड़ का बोझ।
FM Piyush Goyal: This initiative will benefit 12 crore small and marginal farmers, at an estimated cost of Rs. 75,000 crore
FM Piyush Goyal: Under the Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi, 6000 rupees per year for each farmer,  in three instalments, to be transferred directly to farmers' bank accounts, for farmers with less than 2 hectares landholding
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11.30 AM : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से छोटे किसानों को हर साल 6 हजार रुपए देगी सरकार।
FM Piyush Goyal: Under the Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi, 6000 rupees per year for each farmer,  in three instalments, to be transferred directly to farmers' bank accounts, for farmers with less than 2 hectares landholding
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11.25 AM : किसानों के लिए सरकार ने खोला खजाना।
FM Piyush Goyal: To provide assured income support for small and marginal farmers, Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi scheme has been approved
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11.10 AM : पीयूष गोयल ने कहा, हमने मंहगाई की कमर तोड़ दी।
Piyush Goyal: Inflation is a hidden and unfair tax; from 10.1% during 2009-14, we have broken the back of back-breaking inflation
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11.00 AM : पीयूष गोयल ने बजट भाषण देना शुरू किया।
Delhi: Finance Minister Piyush Goyal begins budget speech in the Parliament #BudgetSession
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10.55 AM : पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पीयूष गोयल के बजट को स्वीकृति दी गई।
Union Cabinet has approved the interim Budget 2019-20. #Budget2019
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9.55 AM : पीयूष गोयल पहुंचे संसद भवन।
Delhi: Finance Minister Piyush Goyal arrives at the Parliament with the #Budget briefcase. Following the Cabinet meeting, he will present the interim #Budget 2019-20 at 11 am
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9.40 AM : बजट पेश करने से पहले गोयल ने की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से औपचारिक मुलाकात।
Delhi: Finance Minister Piyush Goyal calls on President Ram Nath Kovind at Rashtrapati Bhavan before presenting the Union #Budget2019
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9.25 AM : बजट की कॉपियों के बोरों की जांच करते सुरक्षाबल।
Delhi: The printed copies of #Budget 2019-20 being security checked by sniffer dog
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9.15 AM : मंत्रालय के गेट ��र गोयल।
Delhi: Piyush Goyal will present interim Budget 2019-20 in the Parliament at 11am today
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8.45 AM : अंतरिम वित्तमंत्री प���यूष गोयल पहुंचे वित्त मंत्रालय।
Delhi: Piyush Goyal arrives at the Ministry of Finance. He will present interim Budget 2019-20 in the Parliament today. #Budget2019
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Source: Bhaskarhindi.com
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joinnoukri · 2 years ago
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कई हिस्सों में बंटा होता है बजट
कई हिस्सों में बंटा होता है बजट
13 मार्च 2012 15 मार्च 2012 छवि उपयोगिता, गेट्टी बजट में दर्ज किया गया है। भारत सरकार के संवत्-व्यय का बजट दस्तावेज से बन रहा है। प्रमुख अंग इस प्रकार हैं – 1. वित्त मंत्री का बजट भाषण संसद में बजट का बजट बजट खातों की एक विस्तृत योजना है। यह प्रक्षेपवक्र का निर्देशन किया जा सकता है। 2. बजट का सार लगभग गेम मूवी केंद्र सरकार की आय, प्राप्त करें और खर्च का अनुमान लगाएं। केन्द्र सरकार का…
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dainiksamachar · 6 months ago
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ईडी छापेमारी की कर रही तैयारी, चक्रव्यूह भाषण से खुश नहीं... राहुल गांधी का बड़ा दावा
नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि ईडी उनके खिलाफ रेड करने की तैयारी कर रही है। राहुल ने दावा किया कि संसद में उनके 'चक्रव्यूह' वाले भाषण के बाद उनके खिलाफ साजिश की जा रही है। उनका दावा है कि ईडी के अंदरुनी सूत्र ने उन्हें छापेमारी के बारे में जानकारी दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, 'जाहिर है, 2 इन 1 को मेरा चक्रव्यूह भाषण पसंद नहीं आया। ईडी के ‘अंदरूनी सूत्र’ मुझे बताते हैं कि छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। मैंबाहें खोलकर इंतज़ार कर रहा हूं, ईडी को चाय और बिस्किट मेरी तरफ से।'राहुल गांधी का क्या था 'चक्रव्यूह' वाला बयानबता दें कि 29 जुलाई को संसद में राहुल गांधी ने सरकार पर जमकर हमला बोला था उन्होंने कहा था कि 21वीं सदी में एक चक्रव्यूह तैयार हुआ है। चक्रव्यूह कमल के आकार का होता है और उसका जिन मोदी ने सीने पर लगा रखा है। राहुल ने बजट से पहले वित्त मंत्रालय की हलवा सेरेमनी पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि उसमें कोई दलित या पिछड़े वर्ग का अधिकारी नहीं था। हलवा पर राहुल के बयान पर सीतारमण ने माथे पर हाथ रखकर उस कथन को हास्यास्पद जताने की कोशिश की थी। बीजेपी के सुधांशु त्रिवेदी ने नेहरू से लेकर राजीव गांधी और यूपीए सरकार तक का जिक्र कर आरोप लगाया कि चार पीढ़ियों पर हलवा खाया और दलितों-पिछड़ों को बलवा दिया।अनुराग ठाकुर ने किया था पलटवारबीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें यह पता होना चाहिए कि ‘एलओपी’ (विपक्ष के नेता) का मतलब ‘लीडर ऑफ प्रोपेगैंडा’ (दुष्प्रचार के नेता) नहीं होता है।उन्होंने बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि राहुल गांधी को ‘रील का नेता’ नहीं बनना चाहिए और यह समझना चाहिए कि ‘रीयल नेता’ बनने के लिए सच बोलना पड़ता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि जो ‘‘एक्सीडेंटल हिंदू’’ हैं, उनका महाभारत का ज्ञान भी ‘‘एक्सीडेंटल’’ है। उन्होंने कहा , ‘‘ एक नेता ने ‘कमल’ पर कटाक्ष किया। न जाने क्या दिक्कत है। कमल को बुरा दिखाने का प्रयास किया गया। जनता ने हमें लगातार तीसरी बार सत्ता में बैठाने का काम किया है।’’ कमल भाजपा का चुनाव चिह्न है। ठाकुर ने आरोप लगाया, ‘‘आप (राहुल) कमल क�� अपमान नहीं कर रहे हैं, आप भगवान शिव, बुद्ध का अपमान कर रहे हैं।’’ उन्होंने कटाक्ष किया, ‘‘केवल रील के नेता मत बनिए, रीयल नेता बनने के लिए सच बोलना पड़ता है।’’ http://dlvr.it/TBNXKq
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sharpbharat · 1 year ago
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Central interim budget : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया अंतरिम बजट 2024-25, इन्कम टैक्स में कोई बदलाव नहीं, कार्पोरेट टैक्स घटाकर 22 फीसदी किया, 5 वर्षों में 2 करोड़ घर, 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की योजना
 नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतरिम बजट 2024-25 पेश किया. वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट में इन्कम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न करते हुए, पहले की व्यवस्था ही लागू रहने की बात कही, वहीं कॉरपोरेट टैक्स घटा कर 22 फीसदी करने की घोषणा की. इसके अलावा बजट भाषण में वित्तमंत्री ने रेलवे से लेकर अन्य सेक्टर में प्रोजेक्ट को लेकर…
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lok-shakti · 3 years ago
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पीएम मोदी ने कोविड, प्रवासियों, मुद्रास्फीति को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा: आज उनके लोकसभा भाषण के शीर्ष उद्धरण
पीएम मोदी ने कोविड, प्रवासियों, मुद्रास्फीति को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा: आज उनके लोकसभा भाषण के शीर्ष उद्धरण
लोकसभा में बोलते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कांग्रेस पर तीखा हमला किया, पार्टी पर पहले तालाबंदी के बीच प्रवासियों को “उकसाने” के लिए दोषी ठहराया और इसलिए देश भर में कोविड -19 फैलाया। संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए मोदी ने कांग्रेस पर “फूट डालो और राज करो” का अभ्यास करने का भी आरोप लगाया और कहा कि इतने सारे चुनाव हारने के…
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bodytestcenter · 3 years ago
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digital rupee क्या है ?
digital rupee क्या है ?
Digital Rupee-डिजिटल रुपया क्या है, यह कैसे काम करता है Digital Rupee-मंगलवार को अपने बजट 2022 के भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नए वित्तीय वर्ष में अपना Digital Rupee-डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा। डिजिटल रुपया एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) है जिसे 2022-23 में लॉन्च किया जाएगा, FM ने कहा। Digital Rupee image आज, संसद में 2022-23 के लिए…
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eradioindia · 3 years ago
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कुँआ समुन्दर कैसे! नदियाँ ही बता दें जो गिरती हों..
कुँआ समुन्दर कैसे! नदियाँ ही बता दें जो गिरती हों..
भारत का बजट संसद में पेश हुआ है। कोई भी बजट अपनी आय और खर्चों का स्रोत तथा उनके समायोजन का हिसाब किताब होता है। इस दृष्टि से यह पहला भाषण है जिसमें सपने तो हैं पर स्रोत कहीं नहीं है। विगत 2 सालों से भारत में निजी करण की बहुत तेज चर्चा हो रही है। सरकार सारे सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों तक पहुंचाना चाहती है जिसमें सुरक्षा क्षेत्र के आयुध कारखाने भी शामिल है। इन्हें अभी तक रणनीतिक क्षेत्र कहा…
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prabudhajanata · 2 years ago
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रायपुर । दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आज आम आदमी की आवाज उठाना, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना गुनाह हो गया है। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष 4 बार के सांसद राहुल गांधी जब संसद के अंदर बात करते है तो उनको बोलने नहीं दिया जाता, उनका माइक बंद कर दिया जाता है, सत्तारूढ़ दल के सांसद बहुमत के अतिवादी चरित्र का प्रदर्शन करते हुये संसद की कार्यवाही नहीं चलने देते है। केंद्रीय मंत्री अपने पद की गरिमा को तार-तार करते हुये अनर्गल बयाबाजी करते है और जब इन सबसे भी राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की आवाज को नहीं दबा पाते तो एक और षड़यंत्र रचा जाता है। उक्त बातें एआईसीसी की महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा Kumari Selja ने बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं। उन्होंने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को समाप्त करने के पूरे घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा सामने रखा। उन्होंने कहा राहुल गांधी के ऊपर यह सारी कार्यवाही क्यों की गयी? इसका एकमात्र कारण है राहुल गांधी ने देश के प्रधानमंत्री की दुखती रग पर हाथ रख दिया। उन्होंने मोदी के निकट सहयोगी अडानी के घोटालेबाजी और अडानी-मोदी के गठबंधन पर आवाज उठाया। उन्होंने दो सवाल पूछे थे। पहला : क्या अडानी की शेल कंपनियों में ₹20,000 करोड़ या 3 बिलियन डॉलर हैं ? अडानी इस पैसे को खुद कमा नहीं सकता क्योंकि वो इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस में है। यह पैसा कहां से आया? किसका काला धन है? ये किसकी शेल कंपनियां हैं? ये कंपनियां डिफेंस फील्ड में काम कर रही हैं। कोई क्यों नहीं जानता? यह किसका पैसा है? इसमें एक चीनी नागरिक शामिल है। कोई यह सवाल क्यों नहीं पूछ रहा है कि यह चीनी नागरिक कौन है? दूसरा : प्रधानमंत्री मोदी का अडानी से क्या रिश्ता है? उन्होंने अडानी के विमान में आराम करते हुए पीएम मोदी की ��स्वीर दिखाई। उन्होंने रक्षा उद्योग के बारे में, हवाई अड्डों के बारे में, श्रीलंका में दिए गए बयानों के बारे में, बांग्लादेश में दिए गए बयानों के बारे में, ऑस्ट्रेलिया में स्टेट बैंक (भारत के) के चेयरमैन के साथ बैठे नरेंद्र मोदी और अडानी की तस्वीरें, जिन्होंने कथित तौर पर $1 बिलियन का ऋण स्वीकृत किया था, के बारे में दस्तावेज दिए। यह सबूत के साथ सवालों का दूसरा सेट था। मोदी सरकार ने सवाल का जवाब तो नहीं दिया उल्टे राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण से अडानी घोटाले के महत्वपूर्ण अंश और राहुल गांधी के भाषण (लगभग पूरी तरह से) को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया। संसद के बजट सत्र के चल रहे दूसरे भाग में, भारत के इतिहास में पहली बार एक सत्तारूढ़ पार्टी - भाजपा संसद को बाधित कर रही थी और इसे काम नहीं करने दे रही है। यह अडानी को बचाने के लिए एक ध्यान भटकाने की साजिश है। जबकि संयुक्त विपक्ष इस पर JPC (संयुक्त संसदीय समिति) चाहता है। राहुल गांधी पर भाजपा मंत्रियों द्वारा हमला किया गया। लोक सभा अध्यक्ष को राहुल ने दो लिखित अनुरोध किये कि उनको संसद में जवाब देने दें। इसके बाद तीसरी बार अध्यक्ष से मीटिंग भी की पर तीन अनुरोधों के बावजूद अध्यक्ष ने संसद में उन्हें बोलने का अवसर देने से इनकार कर दिया। इससे साफ़ पता चलता है कि पीएम मोदी नहीं चाहते कि अडानी के साथ उनके रिश्ते का पर्दाफाश हो। दूसरा घटनाक्रम : 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी चुनावी भाषण देते हैं। 16 अप्रैल 2019 बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने गुजरात के सूरत में शिकायत दर्ज कराई। 7 मार्च 2022 शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत पर गुजरात उच्च न्यायालय से रोक लगाने की मांग की; हाई कोर्ट ने रोक लगा दी। 7 फरवरी 2023 राहुल गांधी ने लोकसभा में अडानी और पीएम मोदी के रिश्तों पर सवाल उठाते हुए भाषण दिया। 16 फरवरी 2023 शिकायतकर्ता ने गुजरात उच्च न्यायालय में स्टे के अपने अनुरोध को वापस ले लिया। 27 फरवरी 2023 निचली अदालत में सुनवाई फिर से शुरू। 23 मार्च 2023 ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया और अधिकतम 2 साल की सजा सुनाई। 24 मार्च 2023 लोकसभा सचिवालय ने 24 घंटे के भीतर राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी। कुमारी सैलजा ने कहा कि हम न्यायिक प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। आगे हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने के तीन दिन के अंदर लोकसभा के गृह समिति ने राहुल गांधी को मकान खाली करने के लिये 30 दिन का नोटिस दे दिया। यह सारी कार्यवाही यह बताने के लिये पर्याप्त है कि इस देश में तानाशाही और असहिष्णु ��रकार चल रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की ध्यान भटकाने की कवायद 3 हास्यास्पद आरोपों से साबित होती है। सबसे पहले, उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी ने “विदेशी ताकतों“
से लंदन में भारत की मदद करने के लिए कहा। ये एक सफेद झूठ है ! अगर कोई उनके वक्तव्यों को ध्यान से देखें, तो उन्होंने कहा कि ये “भारत का अंदरूनी मामला है, हम स्वयं इसका हल निकालने में सक्षम है।“ दूसरा, भाजपा अब झूठा हौवा खड़ा कर रही है कि राहुल गांधी ने ओबीसी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी से एक सवाल किया था! ध्यान भटकाने का एक और बोगस हथकंडा! जो व्यक्ति एकता फैलाने के लिए “भारत जोड़ो यात्रा“ में 4000 किलोमीटर पैदल चल सकता है, वो कैसे एक समुदाय को निशाना बना सकता है? तीसरा - सूरत, गुजरात में एक निचली अदालत के फैसले के 24 घंटे के भीतर- भाजपा ने गांधी को लोकसभा में उनकी सदस्यता को रद्द करने के लिए “बिजली की गति“ से काम किया, भले ही अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया था! भाजपा राहुल गांधी से इतना डरती क्यों है ? भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओबीसी समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाने की घटिया चाल स्पष्ट हताशा साबित हुई है। सबसे पहले, राहुल गांधी द्वारा दिया गया बयान यह पूछ रहा था कि कुछ चोरों का एक ही उपनाम (नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी) क्यों है - उन्होंने ऐसा नहीं है कि “सारे मोदी चोर हैं“ ! उन्होंने किसी समुदाय को निशाना नहीं बनाया। दूसरा, न तो नीरव मोदी और न ही ललित मोदी ओबीसी है। और उनकी जाति जो भी हो, क्या उन्होंने धोखाधड़ी नहीं की? भाजपा धोखेबाजों और भगोड़ों को क्यों बचा रही है? तीसरा, कांग्रेस पार्टी में 2 ओबीसी मुख्यमंत्री हैं। इससे साबित होता है कि कांग्रेस उनके योगदान को महत्व देती है। आपराधिक मानहानि के लिए अधिकतम दो साल की सजा आजतक किसी को नहीं मिली है। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं के खिलाफ मामले अत्यधिक उदारता से निपटाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बांदा से भाजपा सांसद, आरके सिंह पटेल को नवंबर में एक ट्रेन रोकने, सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध करने और पुलिस कर्मियों पर पथराव करने के लिए दोषी ठहराया गया था - लेकिन उन्हें केवल 1 साल की जेल हुई। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, मौलाना आजाद को या तो राजद्रोह या जेल के मामले में अंग्रेज़ों ने सजा दी। अंततः कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ जीत हासिल की। अब मोदी सरकार चोरों और घोटालेबाजों का पर्दाफाश करने के लिए श्री राहुल गांधी पर नि��ाना साध रही है। कांग्रेस लड़ेगी, फिर जीतेगी। यह प्रहार सिर्फ राहुल गांधी पर नहीं यह आक्रमण देश के समूचे विपक्ष पर यह देश की 135 करोड़ जनता को धमकाने की साजिश है। राहुल गांधी विपक्ष के सबसे प्रभावशाली नेता है। जब उनकी सदस्यता रद्द कर सकते है उनकी आवाज दबा सकते है तब आम आदमी की क्या बिसात? यह भारत के प्रजातंत्र में तानाशाही की शुरुआत है कांग्रेस इससे डरने वाली नहीं। हम जनता के बीच जायेंगे, देश के हर गली, मोहल्ले, चौक-चौराहे को संसद बनायेंगे। कहां-कहां आप हमारी आवाज रोकेंगे? पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, मंत्री टी.एस. सिंहदेव, मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम, मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा उपस्थित थे।
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