#श्रीनारायण
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swami-rajnarayanacharya · 4 months ago
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जाति और वर्ण
महानुभाव! निम्नलिखित लघुप्रबन्ध को अवश्य पढ़ें । खं वायुमग्निं सलिलं महीं चज्योतींषि सत्त्वानि दिशो द्रुमादीन्।सरित्समुद्रांश्च हरेः शरीरंयत्किंच भूतं प्रणमेदनन्य:॥{ श्रीमद्भागवत ११।२।४१ } सनातनधर्म में भगवान् की कोई जाति नहीं होती है ।भगवान् तो मछली { मत्स्यावतार }कछुआ { कूर्मावतार }शूकर { वाराहावतार }सिंह { नृसिंहावतार }मनुष्य { वामनावतार ब्राह्मण वंश }{ परशुराम ब्राह्मण वंश }{ श्रीराम…
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astrovastukosh · 10 months ago
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MANAN KARNE YOGY Ekadashi Katha:
*🍁 श्री विजया एकादशी मुहुर्त महत्व एवं कथा🍁*
पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। यह तिथि 7 मार्च को सुबह 04:13 बजे समाप्त होगी। ऐसे में विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च, बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:41 बजे से सुबह 9:37 बजे तक रहेगा। व्रत का परायण अगले दिन यानी 7 मार्च को सूर्योदय के उपरांत किया जाएगा।
*विजया एकादशी व्रत कथा*
धर्मराज युधिष्‍ठिर बोले - हे जनार्दन! फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए।
श्री भगवान बोले हे राजन् - फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम विजया एकादशी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्‍य को विजय प्राप्त‍ होती है। यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है। इस विजया एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। एक समय देवर्षि नारदजी ने जगत् पिता ब्रह्माजी से कहा महाराज! आप मुझसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विधान कहिए।
ब्रह्माजी कहने लगे कि हे नारद! विजया एकादशी का व्रत पुराने तथा नए पापों को नाश करने वाला है। इस विजया एकादशी की विधि मैंने आज तक किसी से भी नहीं कही। यह समस्त मनुष्यों को विजय प्रदान करती है। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्रजी को जब चौदह वर्ष का वनवास हो गया, तब वे श्री लक्ष्मण तथा सीताजी ‍सहित पंचवटी में निवास करने लगे। वहाँ पर दुष्ट रावण ने जब सीताजी का हरण ‍किया तब इस समाचार से श्री रामचंद्रजी तथा लक्ष्मण अत्यंत व्याकुल हुए और सीताजी की खोज में चल दिए।
घूमते-घूमते जब वे मरणासन्न जटायु के पास पहुँचे तो जटायु उन्हें सीताजी का वृत्तांत सुनाकर स्वर्गलोक चला गया। कुछ आगे जाकर उनकी सुग्रीव से मित्रता हुई और बाली का वध किया। हनुमानजी ने लंका में जाकर सीताजी का पता लगाया और उनसे श्री रामचंद्रजी और सुग्रीव की‍ मित्रता का वर्णन किया। वहाँ से लौटकर हनुमानजी ने भगवान राम के पास आकर सब समाचार कहे।
श्री रामचंद्रजी ने वानर सेना सहित सुग्रीव की सम्पत्ति से लंका को प्रस्थान किया। जब श्री रामचंद्रजी समुद्र से किनारे पहुँचे तब उन्होंने मगरमच्छ आदि से युक्त उस अगाध समुद्र को देखकर लक्ष्मणजी से कहा कि इस समुद्र को हम किस प्रकार से पार करेंगे।
श्री लक्ष्मण ने कहा हे पुराण पुरुषोत्तम, आप आदिपुरुष हैं, सब कुछ जानते हैं। यहाँ से आधा योजन दूर पर कुमारी द्वीप में वकदालभ्य नाम के मुनि रहते हैं। उन्होंने अनेक ब्रह्मा देखे हैं, आप उनके पास जाकर इसका उपाय पूछिए। लक्ष्मणजी के इस प्रकार के वचन सुनकर श्री रामचंद्रजी वकदालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रमाण करके बैठ गए।
मुनि ने भी उनको मनुष्य रूप धारण किए हुए पुराण पुरुषोत्तम समझकर उनसे पूछा कि हे राम! आपका आना कैसे हुआ? रामचंद्रजी कहने लगे कि हे ऋषे! मैं अपनी सेना ‍सहित यहाँ आया हूँ और राक्षसों को जीतने के लिए लंका जा रहा हूँ। आप कृपा करके समुद्र पार करने का कोई उपाय बतलाइए। मैं इसी कारण आपके पास आया हूँ।
वकदालभ्य ऋषि बोले कि हे राम! फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का उत्तम व्रत करने से निश्चय ही आपकी विजय होगी, साथ ही आप समुद्र भी अवश्य पार कर लेंगे।
इस व्रत की विधि यह है कि दशमी के दिन स्वर्ण, चाँदी, ताँबा या मिट्‍टी का एक घड़ा बनाएँ। उस घड़े को जल से भरकर तथा पाँच पल्लव रख वेदिका पर स्थापित करें। उस घड़े के नीचे सतनजा और ऊपर जौ रखें। उस पर श्रीनारायण भगवान की स्वर्ण की मूर्ति स्थापित करें। एका‍दश��� के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर धूप, दीप, नैवेद्य, नारियल आदि से भगवान की पूजा करें।
तत्पश्चात घड़े के सामने बैठकर दिन व्यतीत करें ‍और रात्रि को भी उसी प्रकार बैठे रहकर जागरण करें। द्वादशी के दिन नित्य नियम से निवृत्त होकर उस घड़े को ब्राह्मण को दे दें। हे राम! यदि तुम भी इस व्रत को सेनापतियों सहित करोगे तो तुम्हारी विजय अवश्य होगी। श्री रामचंद्रजी ने ऋषि के कथनानुसार इस व्रत को किया और इसके प्रभाव से दैत्यों पर विजय पाई।
अत: हे राजन्! जो कोई मनुष्य विधिपूर्वक इस व्रत को करेगा, दोनों लोकों में उसकी अवश्य विजय होगी। श्री ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था कि हे पुत्र! जो कोई इस व्रत के महात्म्य को पढ़ता या सुनता है, उसको वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
*महत्व*
विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की होती है पूजा
पद्म और स्कंद पुराण में विजया एकादशी व्रत का बताया गया है महत्व
हिंदू धर्म में सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व बताया गया है. इसमें विजया एकादशी का विशेष महत्व. इसी दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की भक्त पर कृपा बनी रहती है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. ��ाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी मनाई जाती है।
विजया एकादशी, नाम के अनुसार ही इस एकादशी का व्रत करने वाले को जीवन की हर बाधा पर विजय पाने की शक्ति मिलती है. ये एकादशी आपका आत्मबल बढ़ाएगी साथ ही आपको सशक्त बना सकती है.पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी इस व्रत का महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इसी व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को जीत में बदल लेते थे. कहा जाता है कि विकट से विकट परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत पाई जा सकती है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि व्रतों में सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इससे आप चन्द्रमा के हर ख़राब प्रभाव को रोक सकते हैं, ग्रहों के बुरे प्रभाव को भी काफी हद तक कम कर सकते हैं.
मान्यता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत रखने से हर समस्या का निदान हो जाता है. लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने समुद्र के तट पर अपनी पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखा था. जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान राम को विजय प्राप्त हुई. इस व्रत को सभी पापों का नाश करने वाला माना जाता है. इस एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है. इस व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.ज्योतिष के जानकारों की मानें तो विजया एकादशी पर जिस मनोकामना को लेकर आप व्रत का संकल्प लेंगे उसमें आपको विजय मिलेगी.
*पूजा विधि*
1. विजया एकादशी का दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है.
2. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
3. पीले या लाल रंग के वस्त्र को धारण करें.
4. पूजा का मंदिर अच्छे से स्वच्छ कर लें. फिर उसपर सप्त अनाज रखें.
5. इसके बाद वहां पर कलश स्थापित करें. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
6. फल, फूल, दीपक, चंदन और तुलसी से भगवान विष्णु की पूजा करें.
7. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें.व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
8. रात में श्री हरि के नाम का जाप करते हुए जागरण करें.
9. अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान दक्षिणा दें।
10. गौसेवा अवश्य करे गौमाताओं को भोजन कराएं उनके निमित्त गौशाला में भूसा राशन डलवाएं।
विजया एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं
तामसिक आहार इस दिन नहीं करें. भगवान विष्णु का ध्यान करके ही दिन की शुरुआत करें. इस दिन मन को ज्यादा से ज्यादा भगवान विष्णु में लगाए रखें. सेहत ठीक ना हो तो उपवास न रखें. केवल व्रत के नियमों का पालन करें. एकादशी के दिन चावल और भारी भोजन न खाएं. विजया एकादशी के दिन रात की उपा���ना का विशेष महत्व होता है. इस दिन क्र��ध नहीं करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें।
#akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi #panchang #vedicastrology #astrology #rashifal #astrologypost #Vastutips https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID 9837376839
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bhuvneshkumawat · 4 years ago
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कृपा निधान श्री #बद्रीनाथ #श्रीनारायण धाम के आज के दर्शन https://www.instagram.com/p/CCiDCXypljC/?igshid=yz5z9a74rvkd
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todaypostlive · 2 years ago
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प्रकाश पर्व अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है- पांडेय
प्रकाश पर्व अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है- पांडेय
रॉची।  अलौकिक प्रकाश से सम्पन्न आत्माएँ कभी किसी के मन को पीड़ा नहीं दे सकती है। जगत की सभी समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक दरिद्रता है। दीपावली की प्रकाश पर्व अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है। ये बातें ब्रह्माकुमारी संस्थान हरमू रोड में आयोजित दीपोत्सव समारोह में बिरसा कृषि विश्व विद्यालय के उपकुलपति डॉ० ओंकार नाथ पाण्डेय ने कहीं।  उन्होंने…
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blogswamiji · 4 years ago
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gothalokhabar · 2 years ago
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आलेख सेवा: ‘अचेल मन बिथोलिएको छ’
आलेख सेवा: ‘अचेल मन बिथोलिएको छ’
जनकपुरधाम, १ मङ्सिर । देशभर प्रतिनिधिसभा र प्रदेशसभा सदस्यको चुनाव लागेको छ, तर रामनरेश यादवलाई तनाव । दिनहुँ हुने चुनावी भेला, ��ाषण र चहलपहलले गाउँबस्ती गुञ्जायमान छन् तर उहाँको मनमा बेचैनी र उथलपुथल छ । उम्मेदवार, समर्थक र नेता, कार्यकर्ता मतदाता सम्हाल्न व्यस्त छन् तर उहाँकी श्रीमती रानीमती देवी मन सम्हाल्न । टोल–टोल र घर–घरमा चुनावी जोडघटाउ चलिरहेको छ तर श्रीनारायण यादवमा भने मनस्थिति…
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roh230 · 2 years ago
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theujjwal · 3 years ago
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Lord Parshuram Birth Story: खीर का एक कटोरा बदल जाने से हुआ भगवान परशुराम का जन्म, जानिए ये पूरी कथा...
Lord Parshuram Birth Story: खीर का एक कटोरा बदल जाने से हुआ भगवान परशुराम का जन्म, जानिए ये पूरी कथा…
Lord Parshuram Birth Story: अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. उन्हें 7 चिरंजीवियों में स्थान प्राप्त है. जानिए कैसे हुआ उनका जन्म. Lord Parshuram Birth Story पिता से सीख ली सारी विद्या त्रेतायुग की शुरुआत में महर्षि जमदग्नि और उनके पत्नी रेणुका के घर पांचवें पुत्र के रूप में श्रीनारायण ने अवतार लिया. उनका नाम राम रखा गया. उन्होंने जल्द ही पिता से सारी विद्या सीख ली और शस्त्र की…
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rajkumardeshmukh · 3 years ago
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🔱॥ ॐ श्री हरि विष्णु देवाय नमः ॥🔱 🔥श्री हरि वंदना 🔥 🔥प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं नारायणं गरुड- वाहनमब्जनाभं ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं चक्रायुधं तरुण वारिजपत्रनेत्रम्🔥 🔥भावार्थ: संसार के भयरूपी महान दुख को नष्ट करने वाले, ग्राह से गजराज को मुक्त करने वाले,चक्रधारी नवीन कमलदल के समान नेत्र वाले, पधनाभ गरूड़वाहन धारी भगवान् श्रीनारायण का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ🔥 🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊 🔥🔱🔥🔱🔥🔱🔥🔱 सुप्रभात मित्रों---- आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय रहे, श्री हरि विष्णु जी, आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें, आपका सदा कल्याण करें---- 🔥🔱🔥🔱🔥🔱🔥🔱 🙇🏻‍♀️ स्वप्न परी 'कंचन' जी 🙇🏻‍♀️ 🦚🌈[ श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ™]🦚🌈 🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏 ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 💐🌼🌺🛕[श्री भक्ति ग्रुप मंदिर]🛕🌺🌼💐 ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● (at श्री भक्ति ग्रुप मंदिर) https://www.instagram.com/p/CbLxjj5hOZv/?utm_medium=tumblr
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bhaktigroupofficial · 3 years ago
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🔱॥ ॐ श्री हरि विष्णु देवाय नमः ॥🔱
🔥श्री हरि वंदना 🔥
🔥प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं नारायणं गरुड- वाहनमब्जनाभं ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं चक्रायुधं तरुण वारिजपत्रनेत्रम्🔥
🔥भावार्थ: संसार के भयरूपी महान दुख को नष्ट करने वाले, ग्राह से गजराज को मुक्त करने वाले,चक्रधारी नवीन कमलदल के समान नेत्र वाले, पधनाभ गरूड़वाहन धारी भगवान् श्रीनारायण का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ🔥
🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
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सुप्रभात मित्रों----
आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय रहे, श्री हरि विष्णु जी, आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें, आपका सदा कल्याण करें---- 🔥🔱🔥🔱🔥🔱🔥🔱
🙇🏻‍♀️ स्वप्न परी 'कंचन' जी 🙇🏻‍♀️
🦚🌈[ श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ™]🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏
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thesuergicalnews · 3 years ago
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बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मौन सभा का किया आयोजन
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मौन सभा का किया आयोजन
मोहम्मदाबाद/ गाजीपुर: कर्नाटक के शिवमोग्गा में बजरंग दल कार्यकर्ता हर्षा की हत्या के बाद से देश भर के हिन्दू संगठनों में आक्रोष है. इसी कड़ी में गाजीपुर विभाग मे विभाग संयोजक श्रीनारायण राय के निर्देश पर मुहम्मदाबाद के बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने आक्रोश प्रकट किया और दो मिनट के मौन सभा का आयोजन किया. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आरोपियों को मृत्युदंड व हर्षा के परिवार को उचित सहयोग देने का सरकार से…
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swami-rajnarayanacharya · 6 months ago
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आज का चिन्तन
देवता,भगवान्,पुरुष,महापुरुष,विभूति,महाविभूति ये लौकिक तथा अलौकिक दो प्रकार की उपाधियाँ हुआ करती हैं।देव,देवता,पुरुष,महापुरुष,विभूति तथा महाविभूति शब्दों का प्रयोग तो श्रीभगवान् श्री नारायण के लिए भी धर्मग्रंथो में हुआ है। ये सारी उपाधियाँ अलौकिक ��ैं अर्थात् प्रकृति के नियंत्रक भगवान् के लिए हैं।प्रकृति के अधीनस्थ देवताओं एवं मनुष्यों के लिए भी तो यही सब उपाधियाँ धर्मग्रंथों में मिलती हैं,पर ये…
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bhaktibharat · 3 years ago
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🐚 सफला एकादशी व्रत कथा - Saphala Ekadashi Vrat Katha
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धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे जनार्दन! मैंने मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी अर्थात मोक्षदा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के विषय में भी बतलाइये। इस एकादशी का क्या नाम है तथा इसके व्रत का क्या विधान है? इसकी विधि क्या है? इसका व्रत करने से किस फल की प्राप्ति होती है? कृपया यह सब विधानपूर्वक कहिए।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: पौष माह के कृष्ण पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के देवता श्रीनारायण हैं। विधिपूर्वक इस व्रत को करना चाहिए। जिस प्रकार नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, सब ग्रहों में चंद्रमा, यज्ञों में अश्वमेध और देवताओं में भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी तरह सब व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है। जो मनुष्य सदैव एकादशी का व्रत करते हैं, वे मुझे परम प्रिय हैं। इसका माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनो।...
..सफला एकादशी व्रत कथा को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/saphala-ekadashi-vrat-katha YouTube: https://www.youtube.com/watch?v=hOeogrClVgs
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
🐚 सफला एकादशी - Saphala Ekadashi 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/ekadashi
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bhuvneshkumawat · 4 years ago
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शुभप्रभातं जय #श्री_बद्रीनाथ #श्रीनारायण #जय_श्री_बद्रीविशाल 🚩आज के दर्शन 🚩 https://www.instagram.com/p/CCKdhbnJ1vc/?igshid=d9r872s883qo
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onlybrijesh · 3 years ago
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जिस प्रकार विभिन्न देवी-देवताओं के 'कवच' पाठ होते हैं। उसी प्रकार राधाजी का भी कवच उपलब्ध है। यह कवच श्रीब्रह्मवैवर्ते पुराण से लिया गया है। कृष्णप्रिया राधाजी को वृंदावन की अधीश्वरी माना जाता है। अत: कृष्ण आराधना के साथ-साथ राधाजी की पूजा-पाठ, आरती-कवच सभी का बहुत महत्व है। ��हां पाठकों के लिए प्रस्तुत है 'श्री राधा कवचम्'। 🙏
श्री राधिकायै नम:
।।अथ श्रीराधाकवचम्।।
महेश्वर उवाच:-
श्रीजगन्मङ्गलस्यास्य कवचस्य प्रजापति:।।1।
ऋषिश्चन्दोऽस्य गायत्री देवी रासेश्वरी स्वयम्।
श्रीकृष्णभक्‍तिसम्प्राप्तौ विनियोग: प्रकीर्तित:।।2।।
शिष्याय कृष्णभक्‍ताय ब्रह्मणाय प्रकाश्येत्।
शठाय परशिष्याय दत्त्वा मृत्युमवाप्नुयात्।।3।।
राज्यं देयं शिरो देयं न देयं कवचं प्रिये।
कण्ठे धृतमिदं भक्त्या कृष्णेन परमात्मना।।4।।
मया दृष्टं च गोलोके ब्रह्मणा विष्णुना पुरा।
ॐ राधेति चतुर्थ्यन्तं वह्निजायान्तमेव च।।5।।
कृष्णेनोपासितो मन्त्र: कल्पवृक्ष: शिरोऽवतु।
ॐ ह्रीं श्रीं राधिकाङेन्तं वह्निजायान्तमेव च।।6।।
कपालं नेत्रयुग्मं च श्रोत्रयुग्मं सदावतु।
ॐ रां ह्रीं श्रीं राधिकेति ङेन्तं वह्नि जायान्तमेव च।।7।।
मस्तकं केशसङ्घांश्च मन्त्रराज: सदावतु।
ॐ रां राधेति चतुर्थ्यन्तं वह्निजायान्तमेव च।।8।।
सर्वसिद्धिप्रद: पातु कपोलं नासिकां मुखम्।
क्लीं श्रीं कृष्णप्रियाङेन्तं कण्ठं पातु नमोऽन्तकम्।।9।।
ॐ रां रासेश्वरीङेन्तं स्कन्धं पातु नमोऽन्तकम्।
ॐ रां रासविलासिन्यै स्वाहा पृष्ठं सदावतु।।10।।
वृन्दावनविलासिन्यै स्वाहा वक्ष: सदावतु।
तुलसीवनवासिन्यै स्वाहा पातु नितम्बकम्।।11।।
कृष्णप्राणाधिकाङेन्तं स्वाहान्तं प्रणवादिकम्।
पादयुग्मं च सर्वाङ्गं सन्ततं पातु सर्वत:।।12।।
राधा रक्षतु प्राच्यां च वह्नौ कृष्णप्रियावतु।
तुलसीवनवासिन्यै स्वाहा पातु नितम्बकम्।।13।।
पश्चिमे निर्गुणा पातु वायव्ये कृष्णपूजिता।
उत्तरे सन्ततं पातु मूलप्रकृतिरीश्वरी।।14।।
सर्वेश्वरी सदैशान्यां पातु मां सर्वपूजिता।
जले स्थले चान्तरिक्षे स्वप्ने जागरणे तथा।।15।।
महाविष्णोश्च जननी सर्वत: पातु सन्ततं।
कवचं कथितं दुर्गे श्रीजगन्मङ्गलं परम्।।16।।
यस्मै कस्मै न दातव्य गुढाद् गुढतरं परम्।
तव स्नेहान्मयाख्यातं प्रवक्‍तं न कस्यचित्।।17।।
गुरुमभ्यर्च्य विधिवद् वस्त्रालङ्कारचन्दनै:।
कण्ठे वा दक्षिणे बाहौ धृत्वा विष्णोसमो भवेत्।।18।।
शतलक्षजपेनैव सिद्धं च कवचं भवेत्।
यदि स्यात् सिद्धकवचो न दग्धो वह्निना भवेत्।।19।।
एतस्मात् कवचाद् दुर्गे राजा दुर्योधन: पुरा।
विशारदो जलस्तम्भे वह्निस्तम्भे च निश्चितम्।।20।।
मया सन���्कुमाराय पुरा दत्तं च पुष्करे।
सूर्यपर्वणि मेरौ च स सान्दीपनये ददौ।।21।।
बलाय तेन दत्तं च ददौ दुर्योधनाय स:।
कवचस्य प्रसादेन जीवन्मुक्‍तो भवेन्नर:।।22।।
नित्यं पठति भक्त्येदं तन्मन्त्रोपासकश्च य:।
विष्णुतुल्यो भवेन्नित्यं राजसूयफलं लभेत्।।23।।
स्नानेन सर्वतीर्थानां सर्वदानेन यत्फलम्।
सर्वव्रतोपवासे च पृथिव्याश्च प्रदक्षिणे।।24।।
सर्वयज्ञेषु दीक्षायां नित्यं च सत्यरक्षणे।
नित्यं श्रीकृष्णसेवायां कृष्णनैवेद्यभक्षणे।।25।।
पाठे चतुर्णां वेदानां यत्फलं च लभेन्नर:।
यत्फलं लभते नूनं पठनात् कवचस्य च।।26।।
राजद्वारे श्मशाने च सिंहव्याघ्रान्विते वने।
दावाग्नौ सङ्कटे चैव दस्युचौरान्विते भये।।27।।
कारागारे विपद्ग्रस्ते घोरे च दृढबन्धने।
व्याधियुक्‍तो भवेन्मुक्‍तो धारणात् कवचस्य च।।28।।
इत्येतत्कथितं दुर्गे तवैवेदं महेश्वरि।
त्वमेव सर्वरूपा मां माया पृच्छसि मायया।।29।।
श्रीनारायण उवाच।
इत्युक्त्वा राधिकाख्यानं स्मारं च माधवम्।
पुलकाङ्कितसर्वाङ्ग: साश्रुनेत्रो बभुव स:।।30।।
न कृष्णसदृशो देवो न गङ्गासदृशी सरित्।
न पुष्करसमं तीर्थं नाश्रामो ब्राह्मणात् पर।।31।।
परमाणुपरं सूक्ष्मं महाविष्णो: परो महान्।
नभ परं च विस्तीर्णं यथा नास्त्येव नारद।।32।।
तथा न वैष्णवाद् ज्ञानी यिगीन्द्र: शङ्करात् पर:।
कामक्रोधलोभमोहा जितास्तेनैव नारद।।33।।
स्वप्ने जागरणे शश्वत् कृष्णध्यानरत: शिव:।
यथा कृष्णस्तथा शम्भुर्न भेदो माधवेशयो:।।34।।
यथा शम्भुर्वैष्णवेषु यथा देवेषु माधव:।
तथेदं कवचं वत्स कवचेषु प्रशस्तकम्।।35।।
।।इति श्रीब्रह्मवैवर्ते श्रीराधिकाकवचं सम्पूर्णम्।।🙏
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gothalokhabar · 3 years ago
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ट्रकको ठक्करबाट पैदलयात्रुको मृत्यु
देउखुरी, १६ जेठ । दाङको देउखुरीमा मिनी ट्रकको ठक्करबाट  पैदलयात्रुको मृत्यु भएको छ ।  राप्ती गाउँपालिका–४ श्रीनारायण चोकमा पूर्वबाट पश्चिमतर्फ आइरहेको लुअअजे ७००३ नम्बरको मिनी ट्रकको ठक्करबाट सोही वडा खिनैटा निवासी करि�� ५२ वर्षीय बल्लु गिरीको घटनास्थलमै मृत्यु भएको इलाका प्रहरी कार्यालय भालुवाङका प्रहरी निरीक्षक सुजनविक्रम शाहले जानकारी दिनुभयो । शव परीक्षणका लागि लमही अस्पतालमा राखिएको , ठक्कर…
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