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भारत के शीर्ष सैन्य कमांडर पांच दिवसीय सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का करेंगे आंकलन
भारत के शीर्ष सैन्य कमांडर पांच दिवसीय सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का करेंगे आंकलन
रक्षा मंत्री 10 नवंबर को सेना कमांडरों के साथ बातचीत करने वाले हैं. (फाइल फोटो) नई दिल्ली: सेना के शीर्ष कमांडर सोमवार से शुरू हो रहे पांच दिवसीय सम्मेलन में पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा समेत राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा करेंगे. साथ ही उन उपायों पर भी मंथन करेंगे, जिससे देश की 13 लाख सैनिकों वाली मजबूत सेना की युद्धक क्षमता को बढ़ाया जा सके. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की…
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अगले सप्ताह नौसेना कमांडरों का सम्मेलन
अगले सप्ताह नौसेना कमांडरों का सम्मेलन
नौसेना के शीर्ष कमांडर बल की परिचालन, साजो-सामान और सामग्री तैयारियों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करने के लिए अगले सप्ताह अपनी द्विवार्षिक बैठक करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह सेना और वायु सेना के प्रमुखों के साथ नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। नौसेना ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इस साल के नौसेना कमांडरों के सम्मेलन…
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चीन लद्दाख में LAC के कई अग्रिम मोर्चों से पीछे नहीं हटा है: अमेरिकी कमांडर Divya Sandesh
#Divyasandesh
चीन लद्दाख में LAC के कई अग्रिम मोर्चों से पीछे नहीं हटा है: अमेरिकी कमांडर
वॉशिंगटन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के शीर्ष सैन्य कमांडर एडमिरल फिलिप एस डेविडसन ने लद्दाख में चल रहे गतिरोध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत की सेना के साथ झड़प के बाद चीन ने एलएसी पर जिन इलाकों पर कब्जा किया था, उसमें से कई अग्रिम मोर्चो से पीछे नहीं हटा है। डेविडसन ने कहा कि अमेरिका ने भारत को सूचना और ठंडे इलाकों में पहने जाने वाले कपड़े तथा अन्य उपकरण मुहैया कराकर सीमा विवाद में उसकी मदद की है।
‘यूएस इंडो-पैसिफिक’ कमान के कमांडर एडमिरल फिल डेविडसन ने ‘सीनेट फॉरेन रिलेशन कमिटी’ के सदस्यों से कहा, ‘पीएलए ने शुरुआती झड़प के बाद जिन इलाकों पर कब्जा किया था, उनमें से कई अग्रिम मोर्चों से पीछे नहीं हटा है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हाल की गतिविधियों ने भारत को यह अहसास दिलाया है कि उनकी अपनी रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों के साथ सहयोगात्मक प्रयास के क्या मायने हो सकते हैं।
‘चार देशों के गठबंधन (क्वाड) के साथ भारत संबंध गहरा करेग��’ एडमिरल फिल डेविडसन ने सदस्यों से कहा, ‘आप जानते हैं कि भारत ने लंबे समय से रणनीतिक स्वायत्तता का रुख अपनाया हुआ था, गुटनिरपेक्षता का रुख लेकिन मुझे लगता है कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हाल की गतिविधियों ने उसे एहसास करा दिया है कि उनकी अपनी रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों के साथ सहयोगात्मक प्रयास के क्या मायने हो सकते हैं।’
एडमिरल ने सीनेटर एंगस किंग के सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘भारत को संकट के समय हमने कुछ सूचनाएं भी दी थीं। इनके अलावा कुछ उपकरण आदि भी दिए थे और पिछले कई वर्षों में, हम अपने समुद्री सहयोग को भी प्रगाढ़ कर रहे हैं।’ डेविडसन ने कहा कि मुझे लगता है कि चार देशों के गठबंधन (क्वाड) के साथ भारत अपने संबंध गहरा करेगा और मुझे लगता है कि यह हमारे, ऑस्ट्रेलिया और जापान के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक अवसर है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष नेताओं का सम्मेलन 12 मार्च को ऑनलाइन आयोजित होगा।
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भारत और चीन के बीच शीर्ष नेताओं के मार्गदर्शन में LAC विवाद सुलझाने पर बनी सहमति: विदेश मंत्रालय
प्रतीकात्मक फोटोभारत-चीन के बीच सीमा विवाद शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमति बनी है (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
India-China standoff: भारत के विदेश मंत्रालय (External Affairs Ministry) ने कहा है कि भारत और चीन के बीच LAC विवाद (LAC Dispute) की दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में जल्द निबटारे को लेकर सहमति बनी है. दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है ताकि शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दे का निबटारा हो सके. ये सीमा के इलाकों में शांति और स्थिरता के लिए भी जरूरी है. यह दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के लिए भी जरूरी है. गौरतलब है कि इसके पहले 6 जून को कोर कमांडर स्तर की बातचीत चुशूल इलाके में हुई थी. सीमा विवाद सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर के प्रयासों के तहत यह बातचीत आयोजित हुई थी.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया जिसमें पिछले कुछ दिनों में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग में संघर्ष के इलाकों से भारत और चीन दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की खबर के बारे में पूछा गया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जैसा कि आपको पता है कि छह जून 2020 को भारत और चीन के कार्प्स कमांडरों के बीच चूसूल-मोल्डो क्षेत्र में बैठक हुई थी. यह बैठक भारत-चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये दोनों पक्षों के बीच जारी राजनयिक और सैन्य संवाद जारी रखने के तहत हुई.नेपाल के साथ नक्शा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात का भी जवाब नहीं दिया कि भारत इस पर जल्द ही नेपाल से बात करेगा या नहीं. हालांकि उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि भारत के नेपाल के साथ रिश्ते बेहद अहम है और कोविड-19 से लड़ने में भारत बाकी पड़ोसी देशों के साथ साथ नेपाल की भी मदद कर रहा है. नेपाल ने हाल ही में एक नया राजनीतिक मानचित्र (नक्शा) स्वीकार किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है.
गौरतलब है कि भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर चीन ने बुधवार को कहा था कि सीमा पर हालात सामान्य बनाने के मकसद से छह जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच हुई ‘सकारात्मक बातचीत’ के आधार पर भारतीय और चीनी सैनिकों ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. एक दिन पहले नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि बुधवार को सैन्य वार्ता के दूसरे दौर के पहले, शांतिपूर्ण तरीके से सीमा गतिरोध को खत्म करने के इरादे से भारत और चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाके से पीछे हटने का फैसला किया है. उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि, क्या दोनों तरफ के जवान अप���ी पुरानी स्थिति की तरफ लौट रहे हैं, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सीमा पर स्थिति सहज बनाने के लिए दोनों तरफ कदम उठाए जा रहे हैं .उन्होंने कहा, ‘‘हाल में चीन और भारत के बीच कूटनीतिक और सैन्य माध्यम से सीमा पर स्थिति के बारे में प्रभावी बातचीत हुई और सकारात्मक सहमति बनी है.”
VIDEO: चीन से तनाव-सरकार-विपक्ष आमने-सामने
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LAC पर चीन से तनाव के बीच रक्षा मंत्री ने दिए संकेत, कहा :"तैयार रहे वायुसेना, विरोधियों को कड़ा...'
LAC पर चीन से तनाव के बीच रक्षा मंत्री ने दिए संकेत, कहा :”तैयार रहे वायुसेना, विरोधियों को कड़ा…’
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि:” लद्दाख की स्थिति के मद्देनजर अग्रिम ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा की गई तीव्र तैनाती से विरोधियों को कड़ा संदेश गया.” राजनाथ सिंह बुधवार को वायु सेना कमांडर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे.
भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों के तीन दिवसीय सम्मेलन को ��हले दिन संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि,” अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिये राष्ट्र का…
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भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन... from NDTV Khabar - India https://ift.tt/2CRzshq
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शुरू हुआ आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस
चीन से चल रहे टकराव के बीच बुधवार को राजधानी दिल्ली में सेना का तीन-दिवसीय आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस शुरू हुआ. थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के नेतृत्व में अगले तीन दिनों में सेना के शीर्ष कमांडर देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गहनता से विचार करेंगे और साझा फैसला लेंगे.
खास बात ये है कि ये कमांडर्स सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब सीमा पर चीन से विवाद और टकराव चल रहा है. हर छह महीने…
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सेनाध्यक्ष की शीर्ष कमांडरों के साथ बैठक शुरू, चीनी आक्रामकता सहित सुरक्षा मुद्दों पर होगी चर्चा
सेनाध्यक्ष की शीर्ष कमांडरों के साथ बैठक शुरू, चीनी आक्रामकता सहित सुरक्षा मुद्दों पर होगी चर्चा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Wed, 27 May 2020 01:06 PM IST
सीमा पर चीन के साथ तनाव के बीच सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे की अध्यक्षता में सेना प्रमुखों के सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। इस बैठक में सेना के शीर्ष कमांडर शामिल हैं। बैठक में लद्दाख में चीनी आक्रामकता सहित सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
Army Commanders’ Conference has started with Army Chief General MM…
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भारत-चीन के गतिरोध के बीच पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर चर्चा करने के लिए शीर्ष सैन्य कमांडर
भारत-चीन के गतिरोध के बीच पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर चर्चा करने के लिए शीर्ष सैन्य कमांडर
भारतीय सेना के शीर्ष ��ैन्य कमांडर बुधवार से शुरू होने वाले तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध की गहन समीक्षा करेंगे। समाचार एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कमांडर जम्मू-कश्मीर के हालात पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही, इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि…
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सेना ने कोविड-19 की वजह से शीर्ष कमांडरों की बैठक को स्थगित किया
सेना ने अगले हफ्ते होने वाले अपने कमांडरों के छह दिवसीय सम्मेलन को कोरोना वायरस के बढ़ते ���ामलों की वजह से स्थगित कर दिया।
सरकारी ��ूत्रों ने बुधवार को बताया कि यह सम्मेलन 13 से 18 अप्रैल तक होना था। इस सम्मलेन में सेना के कमांडर भारत की सुरक्षा चुनौतियों की समग्र समीक्षा करते, खासकर पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा की।
इस सम्मलेन के एजेंडे में 13 लाख कर्मियों वाली फौज में लंबि सुधारों को गति…
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सेना की अहम बैठक, चीन-पाक पर फोकस
Delhi: थल सेना के शीर्ष कमांडर सोमवार से शुरू हो रहे छह दिवसीय सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की समीक्षा करेंगे, साथ ही चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा से जुड़े मुद्दों सहित राष्ट्र के सामने मौजूद मुख्य चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। http://dlvr.it/QPcsr9
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जब पता चला कि हिटलर की मौत हुई ही नही थी !!!???
लेखकों ने फोटो प्रिंट करने की अनुमति के लिए ओटावा में रक्षा विभाग से संपर्क किया। फ़ाइल लापता थी और यह सूचना दी गई थी कि कोई भी निशान कुछ भी, नकारात्मक या प्रिंट के नहीं मिल सकता है। इसलिए यह बड़ा सवाल छोड़ देता है कि क्यों नहीं मियते के तश्तरी उड़ गए? या यह उड़ गया और हमें सच बता नहीं पाया? या, क्या पहले ��ी वर्णित जर्मन नीति का शिकार होने वाला एक व्यक्ति मियतहे को केवल एक व्यक्ति को अपने काम को पूरा करने के लिए जानना ज़रूरी जानना चाहता था? न कम और न ज्यादा! क्या उन्होंने जानबूझकर अमेरिकन फ़्लाइंग सॉसर को तोड़ दिया? अधिक महत्व का, आज आज Miethe कहाँ है? मुझे संदेह है कि हम कभी पता करेंगे ए.वी. रो विमानन कंपनी 1 9 58 में कनाडा के तत्कालीन प्रधान मंत्री जॉन डीफेनबेकर द्वारा दिवालिया होने में संचालित हुई थी। हजारों शीर्ष उड़ान वैज्ञानिक काम से बाहर थे और बोईंग, जनरल डायनेमिक्स और अन्य लोगों ने उनकी क्रीम जल्दी से भर्ती की थी। Miethe और उड़ान तश्तरी वह बनाने में मदद की एक ट्रेस बिना गायब हो गया है! सोवियत संघ ने 50 के दशक के आखिर और 60 के दशक के अंत में उफौ उन्माद की ऊंचाई के दौरान इस अधिनियम में शामिल हो गए। चूंकि कम्युनिस्टों ने रूस पर शासन किया है, इसलिए उन्होंने सबकुछ का आविष्कार किया है या सब कुछ पुन: प्राप्त किया है, बारूद से स्पेसफाइट तक! यह आश्वस्त करने के लिए कि जहां क्रेडिट की जाती है, वहां सोवियत उड़न तश्तरी को यहां पुनर्निर्मित किया गया है। एक कैनवास की एक खराब तस्वीर, परिपत्र के आकार वाले पंख रहित विमान को कवर करती है, जर्मनी के प्रकार लगभग 1 9 35 के साथ प्रयोग किया गया था और संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी विंग बॉम्बर के समान अवधारणा में। निश्चित रूप से, अगर सोवियत ने कब्जा कर लिया था, जैसा कि कुछ समय के लिए डर था, जर्मन यूएफओ टीमों और उनके कारखानों, वे थोड़ा बेहतर कुछ के साथ आ सकता है! और फिर, हमें यह निष्कर्ष निकालना होगा कि एक लापता लिंक है। अब उड़न तश्तरी टीम कहां हैं? या फिर भी बेहतर, जर्मनी छोड़ने के बाद वे कहाँ गए? यह लगभग निश्चित है कि उन्होंने जर्मनी छोड़ दिया था कई संभावनाएं हैं, लेकिन दक्षिणी गोलार्ध की सामान्य दिशा में सभी बिंदु हैं।मूल रूप से, बार सोहर माइकल एक्स और मटनेर की पुष्टि करते हैं। जब बर्लिन में लड़ाई समाप्त हो गई, रूसी पांचवें सेना के कुछ पुरुष स्पेंडौ में एक जला हुआ टैंक में आए, और उसके पास झूठ बोल��े हुए एक लंबे चमड़े की जैकेट पहने हुए एक आदमी का शरीर जैकेट जेब में से एक में उन्होंने एक छोटी सी किताब पाई मार्टिन बोर्नमैन की डायरी, फूएरर के डिप्टी और नाजी पार्टी के नेताओं के सबसे चतुराई में से एक है। मृत आदमी बोनन नहीं था - यह बहुत जल्द ही सत्यापित किया गया था- लेकिन बॉनन के हस्तलेखन में, डायरी में एक प्रविष्टि ने कहा, "मई, मैं बाहर तोड़ने का प्रयास करता हूं।" एक टेलीग्राम जो रीचस्लीटर को नष्ट करने की उपेक्षा की गई थी, उसके कार्यालय में पाया गया: "22 अप्रैल, 1 9 45. दक्षिणी में फैलाव के प्रस्ताव के साथ सहमति सागर से परे क्षेत्र हस्ताक्षर किए, बोर्नमैन। "ये दो वाक्यों ने स्पष्ट रूप से बोर्नमैन के इरादों को पलायन करने के लिए बताया दक्षिण अमेरिका और दिखाया कि उन्होंने 1 मई को अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए शुरू कर दिया था। अर्जेंटीना में सत्ता में पेरोन, हिटलर के प्रशंसक थे। यह एक अच्छी बात है कि नाजी पैसे और हितों द्वारा जमीन के बड़े इलाकों को खरीदा गया था, एक दिलचस्प बात यह है कि जर्मनी के शीर्ष सेनानी बॉम्बर पायलट हिटलर की पसंदीदा, (2,500 से अधिक स्टार्स और 500 से अधिक टैंक और 140 विमानों को अपने क्रेडिट के लिए), हंस उलरिच रुडेल, युद्ध के बाद जुआन पेरोन के लिए गुप्त विमान विकास योजनाओं पर काम किया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कई अवसरों पर पेरोन से मुलाकात की और रुडेल, टैंक और हॉर्टन के आसपास के दल ने अर्जेंटीना के लिए एक बहुत तेज़ जेट लड़ाकू विमान का उत्पादन किया। तस्वीरें देखें इस तथ्य से यह घटाना संभव है कि दोनों सुविधाएं और प्रतिभा उपलब्ध थीं और बेकार नहीं रखीं। Rudel जिस तरह से उसके बाद से दक्षिण अमेरिका में 75 से अधिक यात्राएं हुई हैं !!! किस लिए? तो हमने बर्लिन में गिरावट देखी है हमने आत्महत्या के नाटक में देखा है, हमने देखा है कि हिटलर डेनमार्क और नॉर्वे के लिए बर्लिन छोड़ रहा है। हमने हर कोण को हर बार जांच लिया है, यहां तक कि हिटलर के दिमाग और प्रेरणा भी। हमने अपनी सोच वापस 1 9 45 तक 1 9 45 तक शुरू की और अपनी पुस्तक "मीन काम्पी" से बनीं और बर्लिन के आखिरी दिनों तक अपने विभिन्न भाषणों में से और सभी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि हैं, जिस पर प्रत्यक्ष असर यूएफओ रहस्य के समाधान अब हमें यू बोट के काफिले का पा��न करना चाहिए, जिसमें कथित रूप से हिटलर और ईवा ब्रौन पर अपने गुप्त पानी के नीचे की यात्रा पर कहाँ जाना चाहिए? क्या इस्पात की अंगूठी से बाहर तोड़ना संभव होगा और प्रतीत होता है कि सभी जीतने वाली दलों ने तीसरे रैच के चारों ओर फेंक दिया है? पहला संकेत ब्रिटिश नौसेना के कप्तान से आते हैं। उनका क्रूजर एक बड़े सहयोगी दल का हिस्सा था जो फ़ूहर के काफिले को युद्ध में ले गया था। सहयोगी दलों को इस विशेष काफिले के महत्व के बारे में पता नहीं था, लेकिन तेजी से डूबने वाले जर्मनी से शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेताओं के एक समूह के प्रयासों से कुछ अलग-अलग ब्रेक आउट प्रयासों की अपेक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने पूरे उत्तर सागर के चारों ओर एक आभासी नाकाबंदी को फेंक दिया, जो ध्रुवीय क्षेत्र से नीचे स्पेनिश तट तक फैला था। फ़ूहरर काफिला का पता लगाया गया था और सामान्य क्षेत्र में सभी उपलब्ध इकाइयों द्वारा तुरंत लगी हुई थी, और अप्रत्याशित और विनाशकारी परिणाम के साथ, यह प्रतीत होता है कि गुप्त हथियार, जो गोबेल ने इस तरह के चमकदार शब्दों में केवल कुछ दिन पहले ही बोलते थे, अब थे एक वास्तविक लड़ाई की स्थिति में पहली बार उपयोग करने के लिए डाल दिया। नतीजतन, ब्रिटिश विनाशक से एकमात्र उत्तरजीवी था और यह इस कप्तान से था, कि शब्द कहा गया था: "मई भगवान मेरी मदद करें, क्या मैं फिर कभी ऐसी ताकत का सामना नहीं करूँगा" कप्तान के शब्दों की रिपोर्ट, एल मर्कुरियो, सैंटियागो, चिली में और अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में रह रहे निर्वासित जर्मनों द्वारा प्रकाशित एक पत्र में "डेर वेग" में हुई थी। माइकल एक्स में "हम आपको हिटलर जीवित हैं" का उल्लेख है कि महान मध्यकालीन द्रष्टा और भविष्यद्वक्ता, नॉस्ट्रादैमस ने जर्मनी से हिटलर के पलायन और एक पनडुब्बी में भविष्यवाणी की थी, और हमने उसे इस प्रकार बताया: "जो नेता अनंत लोगों की अगुवाई करेंगे, उनके घर से बहुत दूर अजीब व्यवहार और भाषा के लिए, कैंडिया में पांच हजार और थिसली समाप्त हो गए, बच निकलने वाला नेता, समुद्र पर एक खलिहान में सुरक्षित होगा "। लेकिन एक और कविता है, और भी स्पष्ट है, एक "लोहे के पिंजरे" का उल्लेख करते हुए एक पनडुब्बी का स्पष्ट संदर्भ भूख के लिए जंगली जानवरों नदियों पर तैर जाएगा, प्रभावित अ��िकांश भूमि डेन्यू�� के पास होगी लोहे के पिंजरे में वह महान व्यक्ति को खींचा जाना चाहिए जब जर्मनी का बच्चा " जंगली जानवर स्पष्ट रूप से बलात्कार हैं, सभी गले हुए मित्र राष्ट्रों, नीस, एल्बे, राइन मोल्डाऊ, डेन्यूब, को छोड़कर, जहां यह सब अप्रैल 1 9 45 में समाप्त हो गया था। या ऐसा किया? माइकल एक्स में डोनिज़ और जर्मन पनडुब्बी बेड़े भी शामिल थे, और लैटिन अमेरिका में एक सामरिक ओएसिस के बारे में बात करते हैं। हिटलर और ईवा ब्रौन के पनडुब्बी से बचने के और भी अधिक गंभीर सबूत हैं 10 जुलाई, 1 9 45 को एक सनसनीखेज समाचार रिपोर्ट ने दुनिया भर की सुर्खियां (एक ऐसी दुनिया जो पॉट्सडैम के बेचने वाले सम्मेलन के लिए तैयार हो रही थी, जहां बोल्शेविक सेनाओं को अनुमोदन का अंतिम टिकट दिया गया था, उन्हें ओडेर नीस लाइन के बाहर लाखों जर्मन, बलात्कार, लूट और उनके पैतृक घरों से ड्राइव करने की अनुमति दी गई थी अब जर्मन सैनिकों, पीटा, निहत्थे और भूख से इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका में अवैतनिक गुलामों के काम कर रहे थे क्योंकि रक्षाहीन थे। सोवियत तरीके अन्य सहयोगियों के मुकाबले अधिक अवज्ञा थे।) नवीनतम डिजाइन के एक जर्मन पनडुब्बी, "यू 530", ने खुद अर्जेंटीना के अधिकारियों को दिया था, लेकिन बोर्ड के सभी वैज्ञानिक उपकरणों और हथियारों को नष्ट करने से पहले नहीं किया गया था। उबोट शांतिपूर्वक रियो डी ला प्लाटा के बंदरगाह में फिसल गया था। कमांडर का नाम ओट्टो वर्माउट था दुनिया दंग रह गई और विद्युतीकरण की गई! युद्ध की औपचारिक रूप से समाप्त होने के दो महीने बाद दक्षिण अमेरिका में एक जर्मन पनडुब्बी ने क्या किया था? वे पहले क्यों नहीं आत्मसमर्पण कर चुके थे? अमेरिका। सरकार ने निरंतर और संयुक्त राज्य अमेरिका के पूरे चालक दल के प्रत्यर्पण की मांग की। सामान्य रूप से दक्षिण अमेरिका के साथ याकी के लेन-देन में, औपनिवेशिक गुरु whistled और लैटिन कुत्ते को अपनी पूंछ घूमना पड़ा। चेहरे को बचाने के लिए अर्जेंटीना के अधिकारियों ने अधिकारियों और चालक दल के सवाल का "अध्ययन" करने के लिए लंबे समय से पर्याप्त रूप से पर्याप्त सवाल पूछे हैं कि वे और उनके समर्पण कहां से असामान्य हैं। वॉशिंगटन बहुत आग्रहपूर्ण होने के बाद, कैदियों को अमेरिकी अधिकारियों के पास दिया गया। विमानों को अर्जेंटीना भेज दिया गया था और पुरुषों को पूछताछ के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका भेज दिया गया था। एक बर्फीले चुप्पी प्राप्त परिणामों पर बसे और चालक दल के बारे में भी। अफवाहें ��ैं कि पूरे चालक दल ने उन सभी सवालों के जवाब उन सभी के साथ समान जवाब इसलिए है कि छाप बनी हुई है कि वे इस स्थिति के लिए तैयार हैं। स्पष्ट रूप से अधिकारियों और चालक दल से उनके यू बोट के अंतिम उद्देश्य और अंतिम गंतव्य के बारे में थोड़ा उपयोगी जानकारी प्राप्त की गई थी। हालांकि, अर्जेंटीना के जांचकर्ताओं ने यह पाया कि यू 530 एक बड़ा पनडुब्बी का हिस्सा था जो पूरी तरह से पानी के नीचे यात्रा कर रहा था और सख्त निरपेक्ष रेडियो चुप्पी रखने के लिए आदेश, एक उपाय जो आमतौर पर बेहद संवेदनशील और अति गुप्त अभियानों के दौरान ही कार्यरत होता है, इस प्रकार के आंदोलन के लिए काफिले के एकीकरण के नुकसान का खतरा होता है और इसलिए यू नौकाओं और कर्मचारियों के संभवतः सतर्क शत्रु को नुकसान पहुंचाता है। जाहिर है, जिसने इस मिशन की योजना बनाई थी वह कुछ नौकाओं को खोने के लिए तैयार और सक्षम था। अंतिम गंतव्य के रहस्य को सुरक्षित रखने के लिए किए गए सावधानियां असाधारण हैं। बाद में एक समाचार रिपोर्ट में यह पता चला कि जेम्स फोरेस्टल, फिर अमेरिका नौसेना के सचिव (वाल्टर रीड आर्मी हॉस्पिटल में जबकि बाद में माना जाता है कि 13 वीं मंजिला खिड़की से उनकी मौत हो गई) ने कहा था कि यू 530 मुख्य रूप से एक परिवहन पनडुब्बी था और केवल कुछ टॉरपीडों को ही ले लिया था। वे "टारपीडो अर्ना" या "स्पाइडर टारपीडो" नामक एक नए प्रकार के होते थे। असल में, वे तार निर्देशित पानी के नीचे मिसाइल और रिमोट नियंत्रित थे और उन्होंने अपने लक्ष्य कभी नहीं छोड़े। काफिले द्वारा किए गए गुप्त हथियारों की विनाशकारी प्रभावशीलता के कारण, वहां काफ़ी में कुछ हमला यू-नौका थे। हालांकि, दो चीजों ने पूछताछ के संदेह को जगाया। यू 530 ने 54 लोगों के चालक दल को ले जाया। सामान्य जर्मन दल का आकार केवल 18 पुरुष था बोर्ड पर असाधारण बड़े खाद्य स्टॉक भी थे। हालांकि, असली आश्चर्य था 540 बड़े टिन के डिब्बे या बैरल, सभी भली भांति बंद सील और खोलने पर सिगरेट के अलावा कुछ भी नहीं पाया गया। यह विशेष रूप से असामान्य था क्योंकि सभी चालक दल के सदस्यों ने गैर धूम्रपान करने वाले लोगों को त्याग दिया था। अब युद्ध के अंत के दो महीने बाद, दक्षिण अमेरिकी जल के चारों ओर घूमने वाले, बहुत ही नवीनतम और बहुत बड़े डिजाइन के एक जर्मन यू नाव क्या था? और एक ट्रिपल ताकत चालक दल के साथ; सिगरेट के अलावा कुछ भी कार्गो नहीं ले जा रहा है?उन 54 पुरुषों की औसत उम्र 25 साल से कम हो गई थी, जो कि 32 वर्ष की आयु के निर्माता के अपवाद के साथ थी। कमांडर खुद केवल 25 साल का था, और दूसरा अधिकारी अविश्वसनीय रूप से 22 साल का यु��ा था। (फोटोग्राफ चालक दल के चरम युवाओं को दिखाता है। उनके साथ दिखाया गया है पनडुब्बी के डेक पर टिन के डिब्बे।) चेहरे के चेहरे स्पष्ट रूप से प्रकट करते हैं कि वे कितने युवा हैं अधिक विवरण के लिए फ़ोटो को बंद करें I आयु और नाम-सूची 0! यू -530 में चालक दल ओम्स्कर्स: कैप्लालन ओटो वर्माउट (25 जेहरे), कार्ल फेलिक्स स्कुबर्ट (22), कार्ल लेन्ज (22) पेट्री लेफ्लेर (22) ग्रेगर श्लुटर (32)। उप-ओल्ल्सर्स: ज्युर्केन फिशर (27), हंस सेत्ली (26), जोहान्स विलकेंस (पॉल हान (45), जॉर्ज रीडर (27), कर्ट वार्थ (24), हेन्ज रेहम (24), रुजल श्लिच (26) , रॉल्फ पेट्सस्क (26), अर्न्स्ट ज्लक्लर (24), जॉर्ज मित्टेलस्टेड (2, रॉबर्ट गर्लेंजर (24), विक्टर वालिसिक (27), गियेंटर गुड़िया (2)), रूडोल्फ बोक (7, वर्नर रोनेंगेगन (24), एमी क्रूस (25), कार्ल कौरपा (25)।) चालक दल के सदस्यहथर्ट पाट्सनल (22), सिगिसमंड कोलकिन्सकी (22), फ्रेडरिक मिइफ डिक (23), आर्थर जॉर्डन (21), एडुआर्ड कौलबैच (23), रुडोल्फ मिजल्बाउ (2 'फ्रांज हॉटटर (22), हैरी कोलाकोस्की (2), फ्रांज रोहलेनबउशर (22), जोहरफ ओल्सस्चलागर (20), विली श्ल्लेट ( 2 |), हेन्स हेलमैन (20), हिस पैटज़ोल्ड (एल गेरहार्ड नेलेन (20), अर्न्स्ट लिवहाल्ड (2), रेनिहार्ड कार्स्टेन (22), हंस वुल्फ; हॉफमन (22), आर्थर एंगेलकेन (22), हंस सर्टेल ( 2 |), एर्हर्ट पिस्नाक (मैं जोचिम क्रट्जलग (20), एरहार्ट मथ (25), फ्रेडरिक ओरेज़ (2)), वर्नर 29 '(20), एरहार्ट शावान (20), ह्यूगो ट्रैट (20), एंगल्बर्ग रॉक (20 ), फ्रांज जेट रेट्ज़क्ल (23), जॉर्ज विडेमैन (2), गिनीथर फिशर (2 9), जॉर्ज गोएल (24: अमेरिकी और अर्जेंटीनी द्वारा व्यापक जांच और क्रॉस चेक आयोजित किए गए थे किएल में जर्मन नौसेना मुख्यालय की फाइलों के अधिकारियों और एक अन्य रहस्य को प्रकाश में लाया गया, ओटो वर्माउट के नाम से यू-नाव 530 के कमांडर के रूप में एक कप्तान का कोई रिकॉर्ड नहीं था; वह यू 530 के कई अन्य लोगों के साथ उनके आसपास के समान रहस्य थे। ओटो वॉर्मटाट और उनके दल के सदस्यों द्वारा दिए गए सहयोगियों द्वारा पूछताछ की एक ही प्रतिक्रिया "हम अकेले हैं हमारे पास कोई जीवित परिवार संबंध नहीं है ", जाहिर है, उनकी पत्नियां, माता-पिता, भाई, बहनों और प्रेमी हवाई हमलों में मारे गए थे या युद्ध के दौरान किसी और तरीके से मारे गए थे या कोई अन्य। जल्द ही यू 530 और इसके भाग्य के बारे में भूल गया और रिय�� एडमिरल कार्ल डोनिट्स की अचानक गिरफ्तारी के बारे में रेडियो रिपोर्टों को सुनने में व्यस्त था, जिसे हिटलर जर्मनी के सैन्य नेता के रूप में अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया गया था, काफी नए फ़ूहरर के रूप में नहीं बल्कि सैन्य नेता के रूप में जर्मनी का डोनट्स को गिरफ्तार कर लिया गया था और युद्ध शिविर परीक्षणों के लिए न्यूर्मबर्ग में अपने पूरे कैबिनेट को भेज दिया गया था। इस प्रकार जर्मनी अपने संपूर्ण सरकार के साथ सलाखों के पीछे एक देश बन गया। इस बीच, मित्र देशों की नौसेना खुफिया इकाइयां हिटलर की राक्षस पनडुब्बियों का पता लगाने के प्रयास में लगी हुई थीं, जिन्हें हिटलर के आग्रह पर बनाया गया था और जिनकी सफलता ने उन्हें एक बार टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया "मुझे लगता है कि सभी सतह जहाजों को स्क्रैप करने का अच्छा मकसद है भविष्य पनडुब्बी "। एक भी परिचालन पनडुब्बी नहीं मिली। यह जापान के आत्मसमर्पण तक नहीं था कि अमेरिकियों को एक संख्या बदल दी गई। कभी-कभी, रहस्यमय पनडुब्बियों की उपस्थिति और गायब होने के बारे में कहानियां सुनाई जाती हैं, जो ज्यादातर सोवियत मूल के होने का आरोप है या अधिक बार अज्ञात पहचान का। 1 9 अगस्त, 1 9 45 को पांच हफ्ते बाद, एक और सनसनीखेज पनडुब्बी आत्मसमर्पण हुआ और फिर रियो डी ला प्लाटा में। कमांडर I-I के तहत एक जर्मन यू नाव, यू 977 स्फ़ाफ़ ने स्वयं को अर्जेंटीना के अधिकारियों तक पहुंचा दिया, और यह, जर्मनी में युद्ध के अंत के तीन महीने बाद इस समय चालक दल में केवल 32 पुरुष शामिल थे, लेकिन यह औसत चालक दल के नंबर से ऊपर चौदह था। यह जल्द ही यह पता चला कि एक और 16 पुरुष, उन सभी ने शादी की और जर्मनी में परिवारों के साथ, नॉर्वे के तट पर, "आदेशों" से हटा दिया गया था। यह निश्चित रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि जो भी इस ऑपरेशन के प्रभारी था वह पूरी तरह से नियंत्रण में था और व्यक्तिगत क्रू सदस्य के परिवार और वैवाहिक स्थिति के लिए सबसे छोटा विवरण जानता था। दोनों पनडुब्बियों के लॉग से, यू 530 और यू 9 77, यह पाया गया कि उनके पास था । दो) क्रिस्टियसंड, नॉर्वे, 2 मई 1 9 45 को; बर्लिन से प्रस्थान के बाद फूहरर की पिछली रिपोर्टों के बारे में बताए गए सटीक स्थान से कोई और नहीं था। आयु और नाम सूची ओएल क्रू ओटी यू-971 ओल्लिकर्स: सीबीप्लालन हेनज श्फार (24), कार्ल रायसर (22), अल्बर्ट कान (23 इंजिनल डिट्रिच विसे (30), उप-तेलकार: हंस क्रेब्स (26), लियो क्ल््नकर (28), एरीच ड्यूडेक (23 ), क्रो मेम्बेरे: गेरहार्ड मेएर (23), कार्ल कुल्लक (21), विल्फ्रेड हुस्मान (20 हेनरिक लेमनैन (21), रुडोल्फ श्नेनीच (2), वाल्टर मायर (आई 9) रुडोल्फ ना मिरर (20), हंस बूमेल (7) , हरमन हेनज हेप्ट (2), हर्मन रीका (2!), जोहान्स प्लांटास्च (20), हेन्ज ब्लास्लस (21), एलोइस क्रॉस (20), कु निटरनर (2), हेज़ रौटर (20), हेल्डफ्रिड वर्कर हेल हंसेल (1 9), हेलमुथ मैन '(20), एलोयस नोबलोच (1 9), कार्ल होमोरेक (एल 9), हेनज फ्रैंक (21), हेलस वेशकेक (20) एडेंडर बेलर (1 9) तथ्य यह है कि कैप्टन शैफ़र ने खुद को उसी तरीके से पेश करने के पांच सप्ताह पहले और यू 530 के बिल्कुल उसी स्थान पर इंतजार किया था, जिसका मतलब यह हो सकता है कि उन्हें उम्मीद है कि उन्हें खोज पार्टी द्वारा उठाया जाना था । उन्हें यू 530 के भाग्य का पता होना चाहिए क्योंकि रेडियो रिपोर्ट नियमित रूप से निगरानी रखी गई थीं। कप्तान शैफ़र ने "यू-9 77" नामक उनके अनुभवों के बारे में एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने इन विवरणों को प्रदान किया। "हम बहुत जल्दबाजी के साथ अर्जेंटीना से बाहर ले जाया गया हालांकि, यू बोट के हर वर्ग इंच के पहले नहीं, यहां तक कि फर्श बोर्डों, दीवारों और कोनों को गहनता से जांच की गई थी और फूहरर के निशान के लिए जांच की गई थी कि स्पष्ट ज्ञान में कि फ़ूहरर अभी भी जीवित था "। कम अच्छी तरह से जाना जाता है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है, यह माना जाता है कि ब्रिटिश एडमिराल्टी के साथ आरंभ होने वाली रिपोर्ट 5 जून 1 9 45 को यू 530 के आत्मसमर्पण के पांच हफ्ते पहले एक जर्मन पनडुब्बी के 47 चालक दल के सदस्यों ने अपने भारी क्षतिग्रस्त पनडुब्बी को खत्म करने के बाद, लीक्सोस के विपरीत, पुर्तगाली अधिकारियों को आत्मसमर्पण कर दिया था। एक निश्चित रूप से यह मान सकता है कि यह पनडुब्बी भी फूहर काफिले का था। समय और दिशा निश्चित रूप से मेल खाते हैं। शायद अवरुद्ध नाकाबंदी बल हमले के दौरान जो पनडुब्बी को छोड़ दिया गया था उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया था?
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कल शुरू होगा नौसेना कमांडरों का सम्मेलन
NEW DELHI: नौसेना कमांडरों का चार दिन का सम्मेलन 2 से 5 मई, 2017 के बीच नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. इस सम्मलेन में नौसेना अध्यक्ष और कमांडर – कमांडर इन चीफ पिछले छह महीनों में संचालित की गई प्रमुख प्रचालनगत, प्रशिक्षण विषयक और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे. सम्मेलन में निकट भविष्य को ध्यान में रखकर महत्वपूर्ण गतिविधियों और उपायों पर विचार किया जाएगा. रक्षा मंत्री करेंगे सम्मलेन का उद्घाटन : रक्षा मंत्री सम्मेलन के उद्घाटन के दिन नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे और उनसे वार्ता ��रेंगे. यह सम्मेलन नौसेना के शीर्ष अधिकारियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के बीच ��क संस्थागत संवाद का मंच उपलब्ध कराएगा. इसमें सेना अध्यक्ष और नौसेना अध्यक्ष के साथ भी विचार विमर्श होगा. युद्धक तैयारी और परिष्कृत रख-रखाव व्यवस्था में नौसेना की भूमिका और पर होगा विचार: नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लाम्बा पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी, सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे और भारतीय नौसेना की सुदृढ़ प्रचालनगत क्षमता की योजनाओं पर विचार विमर्श/ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इसमें युद्धक तैयारी और परिष्कृत रख-रखाव व्यवस्था में नौसेना की भूमिका और उसके कार्यक्रमों पर भी विचार होगा. कमांडर भविष्य में संयुक्त/एकीकृत ढांचे में नौसेना की भूमिका को समाभिरूप प्रदान करने पर भी विचार करेंगे. मेक इन इंडिया कार्यक्रम का किया जायेगा समर्थन : आतंकवादी धमकियों और प्रचलित सुरक्षा परिदृश्य के संदर्भ में यह सम्मेलन नौसैनिक परिसम्पत्तियों, ठिकानों और वायु केंद्रों के लिए सुरक्षा के उपायों की समीक्षा करेगा और रक्षा मामलों में स्वदेशीकरण और अधिक आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए ‘‘मेक इन इंडिया’’ कार्यक्रम को समर्थन देने पर जोर देगा. Click to Post
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भारत और चीन के बीच शीर्ष नेताओं के मार्गदर्शन में LAC विवाद सुलझाने पर बनी सहमति: विदेश मंत्रालय
प्रतीकात्मक फोटोभारत-चीन के बीच सीमा विवाद शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमति बनी है (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
India-China standoff: भारत के विदेश मंत्रालय (External Affairs Ministry) ने कहा है कि भारत और चीन के बीच LAC विवाद (LAC Dispute) की दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में जल्द निबटारे को लेकर सहमति बनी है. दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है ताकि शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दे का निबटारा हो सके. ये सीमा के इलाकों में शांति और स्थिरता के लिए भी जरूरी है. यह दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के लिए भी जरूरी है. गौरतलब है कि इसके पहले 6 जून को कोर कमांडर स्तर की बातचीत चुशूल इलाके में हुई थी. सीमा विवाद सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर के प्रयासों के तहत यह बातचीत आयोजित हुई थी.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया जिसमें पिछले कुछ दिनों में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग में संघर्ष के इलाकों से भारत और चीन दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की खबर के बारे में पूछा गया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जैसा कि आपको पता है कि छह जून 2020 को भारत और चीन के कार्प्स कमांडरों के बीच चूसूल-मोल्डो क्षेत्र में बैठक हुई थी. यह बैठक भारत-चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये दोनों पक्षों के बीच जारी राजनयिक और सैन्य संवाद जारी रखने के तहत हुई.नेपाल के साथ नक्शा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात का भी जवाब नहीं दिया कि भारत इस पर जल्द ही नेपाल से बात करेगा या नहीं. हालांकि उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि भारत के नेपाल के साथ रिश्ते बेहद अहम है और कोविड-19 से लड़ने में भारत बाकी पड़ोसी देशों के साथ साथ नेपाल की भी मदद कर रहा है. नेपाल ने हाल ही में एक नया राजनीतिक मानचित्र (नक्शा) स्वीकार किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है.
गौरतलब है कि भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर चीन ने बुधवार को कहा था कि सीमा पर हालात सामान्य बनाने के मकसद से छह जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच हुई ‘सकारात्मक बातचीत’ के आधार पर भारतीय और चीनी सैनिकों ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. एक दिन पहले नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि बुधवार को सैन्य वार्ता के दूसरे दौर के पहले, शांतिपूर्ण तरीके से सीमा गतिरोध को खत्म करने के इरादे से भारत और चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाके से पीछे हटने का फैसला किया है. उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि, क्या दोनों तरफ के जवान अपनी पुरानी स्थिति की तरफ लौट रहे हैं, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सीमा पर स्थिति सहज बनाने के लिए दोनों तरफ कदम उठाए जा रहे हैं .उन्होंने कहा, ‘‘हाल में चीन और भारत के बीच कूटनीतिक और सैन्य माध्यम से सीमा पर स्थिति के बारे में प्रभावी बातचीत हुई और सकारात्मक सहमति बनी है.”
VIDEO: चीन से तनाव-सरकार-विपक्ष आमने-सामने
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चीन ने कहा- भारत के साथ सीमा विवाद मामले में ‘सकारात्मक सहमति’ तक पहुंचे
गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी रोड को जोड़ने वाली सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जतायी थी.
खास बातें
गलवान घाटी में सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जतायी थी
दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी रोड को जोड़ती है यह सड़क
फिंगर इलाके में भारत द्वारा महत्वपूर्ण सड़क बनाने पर भी जताया था ऐतराज
बीजिंग:
चीन ने बुधवार को कहा कि सीमा पर हालात सामान्य बनाने के मकसद से छह जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच हुई ‘सकारात्मक बातचीत’ के आधार पर भारतीय और चीनी सैनिकों ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की एक प्रवक्ता इस बारे में बताया है. एक दिन पहले नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि बुधवार को सैन्य वार्ता के दूसरे दौर के पहले, शांतिपूर्ण तरीके से सीमा गतिरोध को खत्म करने के इरादे से भारत और चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाके से पीछे हटने का फैसला किया है.उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि, क्या दोनों तरफ के जवान अपनी पुरानी स्थिति की तरफ लौट रहे हैं, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सीमा पर स्थिति सहज बनाने के लिए दोनों तरफ कदम उठाए जा रहे हैं .उन्होंने कहा, ‘‘हाल में चीन और भारत के बीच कूटनीतिक और सैन्य माध्यम से सीमा पर स्थिति के बारे में प्रभावी बातचीत हुई और सकारात्मक सहमति बनी.”
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प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सीमा पर स्थिति सहज बनाने के लिए दोनों देश आपस में बनी सहमति के आधार पर कदम उठा रहे हैं.” नयी दिल्ली में सैन्य सूत्रों ने कहा है कि दोनों सेनाएं गलवान घाटी में गश्त प्वाइंट 14 और 15 के आसपास तथा हॉट स्प्रिंग क्षेत्र से हट रही हैं . साथ ही कहा गया है कि चीनी सेना दोनों क्षेत्र में 1.5 किलोमीटर तक पीछे हट गई है .
पेंगॉन्ग सो में हिंसक झड़प के बाद पांच मई से ही भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध चल रहा है . पेंगॉन्ग सो झील के पास फिंगर इलाके में भारत द्वारा महत्वपूर्ण सड़क बनाने पर चीन ने कड़ा ऐतराज किया था. इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी रोड को जोड़ने वाली सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जतायी थी. इसके बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं . छह जून को सैन्य स्तरीय वार्ता के दौरान भारत और चीन 2018 में वुहान शिखर बैठक में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति के आधार पर फैसला करने पर सहमत हुए थे .छह जून को लेह की 14 वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बती सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लिउ लिन के बीच समग्र बैठक हुई थी .
चीन से तनाव : सरकार-विपक्ष आमने-सामने
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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चीन ने कहा- भारत के साथ सीमा विवाद मामले में ‘सकारात्मक सहमति’ तक पहुंचे
गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी रोड को जोड़ने वाली सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जतायी थी.
खास बातें
गलवान घाटी में सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जतायी थी
दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी रोड को जोड़ती है यह सड़क
फिंगर इलाके में भारत द्वारा महत्वपूर्ण सड़क बनाने पर भी जताया था ऐतराज
बीजिंग:
चीन ने बुधवार को कहा कि सीमा पर हालात सामान्य बनाने के मकसद से छह जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच हुई ‘सकारात्मक बातचीत’ के आधार पर भारतीय और चीनी सैनिकों ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की एक प्रवक्ता इस बारे में बताया है. एक दिन पहले नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि बुधवार को सैन्य वार्ता के दूसरे दौर के पहले, शांतिपूर्ण तरीके से सीमा गतिरोध को खत्म करने के इरादे से भारत और चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाके से पीछे हटने का फैसला किया है.उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि, क्या दोनों तरफ के जवान अपनी पुरानी स्थिति की तरफ लौट रहे हैं, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सीमा पर स्थिति सहज बनाने के लिए दोनों तरफ कदम उठाए जा रहे हैं .उन्होंने कहा, ‘‘हाल में चीन और भारत के बीच कूटनीतिक और सैन्य माध्यम से सीमा पर स्थिति के बारे में प्रभावी बातचीत हुई और सकारात्मक सहमति बनी.”
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प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सीमा पर स्थिति सहज बनाने के लिए दोनों देश आपस में बनी सहमति के आधार पर कदम उठा रहे हैं.” नयी दिल्ली में सैन्य सूत्रों ने कहा है कि दोनों सेनाएं गलवान घाटी में गश्त प्वाइंट 14 और 15 के आसपास तथा हॉट स्प्रिंग क्षेत्र से हट रही हैं . साथ ही कहा गया है कि चीनी सेना दोनों क्षेत्र में 1.5 किलोमीटर तक पीछे हट गई है .
पेंगॉन्ग सो में हिंसक झड़प के बाद पांच मई से ही भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध चल रहा है . पेंगॉन्ग सो झील के पास फिंगर इलाके में भारत द्वारा महत्वपूर्ण सड़क बनाने पर चीन ने कड़ा ऐतराज किया था. इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी रोड को जोड़ने वाली सड़क पर भी चीन ने आपत्ति जतायी थी. इसके बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं . छह जून को सैन्य स्तरीय वार्ता के दौरान भारत और चीन 2018 में वुहान शिखर बैठक में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति के आधार पर फैसला करने पर सहमत हुए थे .छह जून को लेह की 14 वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बती सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लिउ लिन के बीच समग्र बैठक हुई थी .
चीन से तनाव : सरकार-विपक्ष आमने-सामने
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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