#वैश्विक कार्य बल
Explore tagged Tumblr posts
Photo
श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के मौराजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में चौदह दिवसीय ’’योगा फॉर यूथ पखवाड़े’’ का शानदार शुभारम्भ। https://bit.ly/3oXUXWf
विवेकानन्द योग संस्थान नयी दिल्ली के निदेशक विख्यात योग गुरु आचार्य डॉ0 विक्रमादित्य के द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में ’’वेंक्टेश्वरा से वृहृद योग पखवाडे’’ का लाईव प्रसारण हुआ। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत की प्राचीन विरासत ’’योग’’ को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाकर भारत का पुराना गौरव लौटाने का ऐतिहासिक कार्य किया- डॉ0 सुधीर गिरि, चेयरमैन, वेंक्टेश्वरा समूह। हिन्दुस्तान विश्व का सबसे युवा देश, योग एवं आध्यात्म के बल पर फिर से दुनिया का सिरमौर बनेगा भारत- डॉ0 राजीव त्यागी प्रतिकुलाधिपति, श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय। चौदह दिन चलने वाले इस ’’योगा फॉर यूथ’’ पखवाड़े के समापन सैरेमनी में (07 जून-21 जून तक) देश एवं विदेश के विख्यात योग गुरुओ समेत कई राजनायिक, केन्द्र एवं राज्य सरकार के कई मंत्री करेगे शिरकत। आचार्य स्वामी विक्रमादित्य ने विभिन्न योग क्रियाओ/मुद्राओ का शानदार प्रदर्शन कर दिये स्वस्थ रहने के टिप्स।
0 notes
Text
UP Budget 2023: यूपी बजट में किसानों के लिए योगी सरकार ने खोला खजाना, की गईं ये घोषणाएं
लखनऊ, 22 फरवरी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को विधानसभा में बजट पेश किया। वित्त मंत्री ने बजट में किसानों,युवाओं,अधिवक्ताओं व महि��ाओं का विशेष ध्यान रखा है। सुबह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई है। कैबिनेट बैठक में बजट को अनुमोदन मिला है। उसके बाद सुरेश खन्ना ने विधानसभा में बजट पेश किया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यूपी के विकास दर में वृद्धि हुई है। बेरोजगारी दर घटकर 4.2 प्रतिशत हुई है। वहीं कानून व्यवस्था में भी सुधार हुआ है। बजट भाषण करते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश आज देश के कई राज्यों से आगे है। कोविड वैक्सीनेशन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है। विकास की ठोस नीति तैयार कर जमीन पर उतारने का काम हुआ है। उत्तर प्रदेश में निवेश बढ़ा है। तीन महिला पीएसी बटालियन का गठन किया गया है। सुरेश खन्ना ने कहा कि दुग्ध उत्पादन, गन्ना एवं चीनी उत्पादन तथा एथेनॉल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना। कोरोना के बचाव हेतु वैक्सीनेशन के 39.20 करोड़ से अधिक डोज लगाने वाला देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है तथा चिकित्सा शिक्षण संस्थान स्थापित कर संचालित करने वाला देश का अग्रणी राज्य बन गया है। वहीं भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप रैकिंग के तहत उत्तर प्रदेश को इनस्पायरिंग लीडर के रूप में सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास नीति को लागू करने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया है। अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत पंजीकरण करने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान पर है। आज हमारा प्रदेश न केवल देश के अन्दर बल्कि वैश्विक समुदाय के मध्य भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निरन्तर कठोर परिश्रम एवं अनुशासन से सम्भव हो सका है। वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने सायराना अंदाज में कहा योगी जी का बजट बना है यूपी की खुशहाली है, ये रंगीन करेगा आने वाली होली का।'' सुधर गई कानून व्यवस्था, उद्योगों की अलख जगी यूपी बना ग्रोथ इंजन,इस सब पहली दफा समझ, फकत किनारे बैठे-बैठे,लहरों से मत सवाल कर डूब के खुद गहरे पानी में पानी का फलसफा समझ दुग्ध, गन्ना एवं चीनी उत्पादन में प्रथम स्थान पर यूपी वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि दुग्ध उत्पादन, गन्ना एवं चीनी उत्पादन तथा एथेनॉल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना। भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप रैकिंग के तहत उत्तर प्रदेश को इनस्पायरिंग लीडर के रूप में सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास नीति को लागू करने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया है। अटल पेंशन योजना के अन्तर्गत पंजीकरण करने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान पर है। खन्ना ने कहा कि आज हमारा प्रदेश न केवल देश के अन्दर बल्कि वैश्विक समुदाय के मध्य भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निरन्तर कठोर परिश्रम एवं अनुशासन से सम्भव हो सका है। श्रम के जल से राह सदा सिंचती है गति मशाल आंधी में ही हंसती है छालों से ही श्रृंगार पथिक का होता है वो विपरीत परिस्थितियों में चलने के आदी हैं मंजिल की मांग लहू से ही सजती है। वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा अपने पिछले कार्यकाल तथा वर्तमान कार्यकाल में प्रदेश के सर्वांगीण विकास की ठोस नीतियां तैयार कर उन्हें घरातल पर प्रभावी रूप से मूर्त रूप प्रदान किया गया हैं । हमने न केवल प्रदेश में अवस्थापना विस्तार, निवेशानुकूल वातावरण तैयार करने और उद्योग स्थापित करने पर बल दिया अपितु समाज के विभिन्न समूहों, विशेषकर किसान, महिला, युवा, श्रमिक तथा आर्थिक एवं सामाजिक रूप से दुर्बल वर्ग के सशक्तिकरण एवं स्वावलम्बन की दिशा में निरन्तर कार्य किया। उत्तर प्रदेश ने की जी-20 सम्मेलन की बैठकों की मेजबानी वित्त मंत्री ने बताया कि विश्व के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के समूह जी -20 के सम्मेलन की मेजबानी का गौरव भारत सरकार को प्राप्त हुआ है। इस सम्मेलन के अन्तर्गत भारत सरकार की अध्यक्षता में 200 से अधिक बैठकें होंगी, जिसमें उत्तर प्रदेश के 04 शहरों- लखनऊ, आगरा, वाराणसी एवं ग्रेटर नोएडा में 11 बैठकों का आयोजन किया जायेगा। जी-20 सम्मेलन की बैठकों की मेजबानी उत्तर प्रदेश के लिये बुनियादी ढांचे सांस्कृतिक विरासत तथा विकास के स्तर और सम्भावनाओं को दुनिया के सम्मुख प्रदर्शित करने का एक वृहद एवं व्यापक अवसर होगा जिसका लाभ प्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं जनता को प्राप्त होगा। Read the full article
0 notes
Text
एनसीजीजी, मसूरी में आज अरुणाचल प्रदेश,बंगलादेश और मालदीव के सिविल सेवकों के लिए सुशासन पर पहले क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत
New Post has been published on http://www.lokkesari.com/launch-of-first-capacity-building-programme-on-good-governance-for-civil-servants-of-arunachal-pradesh-bangladesh-and-maldives-today-in-ncgg-mussoorie.html
एनसीजीजी, मसूरी में आज अरुणाचल प्रदेश,बंगलादेश और मालदीव के सिविल सेवकों के लिए सुशासन पर पहले क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत
देहरादून / आज बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए दो सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन आज मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में किया गया। इसमें बांग्लादेश (56वें बैच) के 39 प्रतिभागी, मालदीव (20वें बैच) के 26 प्रतिभागी और अरुणाचल प्रदेश के पहले क्षमता निर्माण कार्यक्रम में 22 प्रतिभागी शामिल हुए। यह कार्यक्रम सिविल सेवकों को उनके ज्ञान और कौशल को उन्नत करने में मदद करेगा, जिससे वे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में तेजी ला सकें। इस कार्यक्रम को वैज्ञानिक रूप से भागीदारी के रूप में विकसित किया गया है, जिससे सिविल सेवकों को आम लोगों तक निर्बाध सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए समर्थ बनाया जा सके।
कार्यक्रम की अवधारणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विजन और ‘पड़ोसी पहले’ वाली नीति के अनुरूप है, जिसे आगे बढ़ाते हुए एनसीजीजी ने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से बांग्लादेश और मालदीव के सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरूआत की है। उत्तर पूर्व और सीमावर्ती राज्यों में शासन और सार्��जनिक सेवा वितरण में और ज्यादा स��धार लाने के लिए, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने अरूणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्देश दिया है। एनसीजीजी पहले से ही जम्मू और कश्मीर के सिविल सेवकों के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, जिसे बड़ी सफलता प्राप्त हो रही है। एनसीजीजी ने 2024 तक मालदीव के 1,000 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए सिविल सेवा आयोग, मालदीव के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है जबकि 2024 तक 1,800 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। पहली बार, अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों को भी 2022 में हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन के अनुसार एनसीजीजी के क्षमता निर्माण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्री भरत लाल, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक ने की। अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रभावी सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने पर बल दिया। उन्होंने एक सक्षम माहौल तैयार करने के लिए सिविल सेवकों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया, जहां प्रत्येक नागरिक के साथ समान रूप से व्यवहार किया जाता है और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाओं तक उनकी पहुंच होती है। उन्होंने सुशासन मॉडल का भी उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसके माध्यम से नागरिकों को पेयजल, बिजली, स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन तक पहुंच और त्वरित इंटरनेट कनेक्शन जैसी निर्बाध सेवाएं प्रदान करने में सहायता प्राप्त हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बात को बल देकर रेखांकित किया कि ‘कोई भी न छूटे’। महानिदेशक ने कहा कि सुशासन में नवाचार और नए प्रतिमान स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और नवाचारों को लाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम से प्राप्त शिक्षा का उपयोग करें और अपनी स्वयं की कार्य योजना तैयार करें, जिसे वे संबंधित देशों/ राज्यों में अपने कार्य क्षेत्रों में लागू करना चाहते हैं।
बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश के सिविल सेवकों के लिए इस 2 सप्ताह के कार्यक्रमों में, सिविल सेवक विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत करेंगे, जैसे शासन के बदलते प्रतिमान, 2047 में भारत का दृष्टिकोण और सिविल सेवकों की भूमिका, विकेंद्रीकृत नगरपालिका, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शासन को मजबूत करने की दिशा में सरकारी भर्ती एजेंसी की भूमिका, दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, शासन में नैतिक दृष्टिकोण, आपदा प्रबंधन, देश में ग्रामीण विकास का अवलोकन, 2030 तक एसडीजी के ��िए दृष्टिकोण, भारत में स्वास्थ्य शासन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर इसका प्रभाव – नीतियां और वैश्विक प्रथाएं, भ्रष्टाचार विरोधी प्रथाएं, लाइफ, परिपत्र अर्थव्यवस्था आदि सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना 2014 में भारत सरकार द्वारा देश के एक शीर्षस्थ संस्थान के रूप में की गई, जिसमे भारत के साथ-साथ अन्य विकासशील देशों के सिविल सेवकों के लिए सुशासन, नीतिगत सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर काम करने का जनादेश प्राप्त है। यह सरकार के थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है। विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में, एनसीजीजी ने अब तक 15 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिसमें बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं। इसे कंटेंट और वितरण के लिए जाना जाता है, क्षमता निर्माण कार्यक्रम की मांग की जाती है और एनसीजीजी विभिन्न देशों के सिविल सेवकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या को समायोजित करने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है।
प्रतिभागियों को स्मार्ट सिटी, इंदिरा पर्यावरण भवन: शून्य ऊर्जा भवन, भारतीय संसद, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, प्रधानमंत्री संग्रहालय आदि जैसे विभिन्न संस्थानों का दौरा भी कराया जाएगा।
आज के उद्घाटन में मालदीव के पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. ए. पी. सिंह, अरुणाचल प्रदेश के पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. बी. एस. बिष्ट, बांग्लादेश के पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. मुकेश भंडारी और एनसीजीजी, मसूरी के संकाय डॉ. संजीव शर्मा भी शामिल हुए।
0 notes
Link
#abpnews#bbcnews#hindinewslive#hindinewspaper#moneycontrolbusinessnews#ndtvhindi#newstoday#onlinebusinessnews#skynews#ukrainenews#अलगववद#अलगाववादीसमूह#आतकवद#आतंकवादीसमूह#उग्रवादीसमूहों#एकल#एससीओबैठक#और#क#कषतर#चरमपथ#तालिबान#न#नरेंद्रमोदी#परतबधत#बनई#यजन#रजय#रसायनिकशस्त्र#विनयक्वात्र
0 notes
Text
लायंस क्लब हिमगिरी द्वारा मधु जैन को आउटस्टैंडिंग सोशल एक्टिविस्ट अवार्ड प्रदान
लायंस क्लब हिमगिरी द्वारा मधु जैन को आउटस्टैंडिंग सोशल एक्टिविस्ट अवार्ड प्रदान
जिन्होंने कोरोना वैश्विक माहमारी के भयंकर प्रकोप के समय अपनी जिंदगी की परवाह न करते हुए महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री वितरित की। लायंस क्लब हिमगिरी देहरादून आपके द्वारा किये गए सभी सराहनीय एवम उत्कृष्ट कार्यों को ओर आपको सलूट करता है और जिस तरह आपने एक महिला होकर समाज हित में दिन रात कार्य कर रही हैं इसके लिए सभी मातृ शक्तियों को आपसे एक नई प्रेरणा और बल मिलेगा आप…
View On WordPress
0 notes
Text
आजादी की 75वीं वर्षगांठ/ आन-बान-शान से लहराया तिरंगा, पूरे जिले में जश्ने-आजादी का उत्साह Divya Sandesh
#Divyasandesh
आजादी की 75वीं वर्षगांठ/ आन-बान-शान से लहराया तिरंगा, पूरे जिले में जश्ने-आजादी का उत्साह
वाराणसी। आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर रविवार को पूरे आन-बान-शान के साथ जिले भर में तिरंगा लहराया। वैश्विक महामारी कोरोना संकट,बाढ़ के बावजूद उल्लासपूर्ण माहौल में लोगों ने जश्ने आजादी का वर्षगांठ पूरे उत्साह से मनाया।
जिले भर में जगह-जगह, चौराहा-तिराहा,सरकारी,अर्ध सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक भवनों, स्कूलों-कालेजों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यालय गोदौलिया, काशी पत्रकार संघ, बीएचयू, संम्पूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सहित जिले के विभिन्न महाविद्यालयों में सादगी से कोविड प्रोटोकाल का पालन कर ध्वजारोहण किया गया। खास बात रही कि शहर में मुस्लिम युवाओं ने पूरे उत्साह के साथ तिरंगा फहराया। वहीं, मदरसे में भी उत्साह से ध्वजारोहण किया गया।
मण्डलीय कार्यालय पर कमिश्नर दीपक अग्रवाल की मौजूदगी में कमिश्नरी कार्यालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजपत राम ने ध्वजारोहण किया। ध्वजारोहण के दौरान पूरा कमिश्नरी परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इस मौके पर मण्डलायुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि चाहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो या प्रथम श्रेणी का सबको सरकार ने दायित्व निर्धारित किया है। जो भी व्यक्ति अपने दायित्व को अपने पूरे मनोयोग से निभा रहा है। उतना ही बड़ा काम कर रहा है।
कमिश्नर ने कहा कि यदि कोई अपना काम पूरे मनोयोग से कर रहा है तो उसे सम्मान मिलना चाहिए। अगले वर्ष राजपत राम रिटायर हो रहे हैं। इतने वर्ष तक इन्होंने निष्ठापूर्वक अपना कार्य किया, उसके लिए ये सम्मान के हकदार है।
कलेक्ट्रेट स्थित अपने कार्यालय में जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने ध्वजारोहण किया। इस मौके पर जिलाधिकारी ने अपने अधिनस्थों को सेवा भावना का संकल्प भी दिलाया। जिलाधिकारी ने गार्ड ऑफ ऑनर देने वाले कमांडर को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस���े बाद कलेक्ट्रेट में अपने पुत्र के साथ पौधारोपण भी किया।
यह खबर भी पढ़ें: दुनिया में इन चीजों का जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है?
इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने का हमें मौका मिला है। हम देशवासियों का दायित्व है कि हम अपने देश को और विकसित करते हुए आगे लेकर जाए। प्रत्येक नागरिक और हर एक अधिकारी व कर्मचारी को कंधे से कंधा मिलकर आगे बढ़ना होगा। पुलिस लाइन में पुलिस कमिश्नर सतीश ए गणेश ने ध्वजारोहण कर पुलिस परेड की सलामी ली। चौकाघाट स्थित एनडीआरएफ़ मुख्यालय में डीआईजी ने ध्वजारोहण कर रेस्कुएर्स व वाराणसी वासियों को जश्ने आजादी के वर्षगांठ की शुभकामनायें दीं।
बनारस रेल इंजन कारखाना परिसर में महाप्रबंधक अंजली गोयल ने ध्वजारोहण कर रेलवे सुरक्षा बल, सेंट जॉन्स एम्बुलेंस ब्रिगेड एवं नागरिक सुरक्षा दल के परेड का निरीक्षण किया।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. वी.के. शुक्ल ने एंफीथियेटर मैदान और मालवीय भवन में ध्वजारोहण किया। विवि के विभिन्न विभागों के संकायाध्यक्षों ने भी विभाग के बाहर ध्वजारोहण किया। विश्वविद्यालय के सभी छात्रावासों के वार्डेन ने ध्वजारोहण किया। 34 वीं वाहिनी पीएसी भुल्लनपुर वाराणसी में सेनानायक ने ध्वजारोहण किया।
यह खबर भी पढ़ें: देव सोने और जागने का रहस्य, जानिए इस युगों पुरानी परंपरा का राज
इसी क्रम में विजया चौराहे पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने झंडारोहण किया। विकास भवन में सीडीओ अभिषेक गोयल, नगर निगम कार्यालय में महापौर मृदुला जायसवाल और नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने ध्वजारोहण किया। गुरूधाम कॉलोनी स्थित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय कार्यालय पर भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी सुनील ओझा ने ध्वजारोहण किया। इसी तरह गोविन्दपुर रोहनिया स्थित स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती इंटरमीडिएट कॉलेज में रोहनिया विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह ने झंडारोहण किया। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का स्वागत विद्यालय के प्रधानाचार्य देवेंद्र प्रताप सिंह ने किया।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
Text
वैश्विक जलवायु परिवर्तन के निदान के लिए वनों का विकास जरूरी : चतुर्वेदी
वैश्विक जलवायु परिवर्तन के निदान के लिए वनों का विकास जरूरी : चतुर्वेदी
रायपुर. भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् देहरादून के तत्वाधान में रेड्ड प्लस कार्य योजना के निर्माण तथा छत्तीसगढ़ राज्य वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की क्षमता निर्माण के लिए दो दिवसीय हितधारक परामर्श कार्यशाला एवं दो दिवसीय विशेषज्ञ कार्यशाला का आयोजन 17 फरवरी से 20 फरवरी 2021 तक रायपुर मे किया गया है। कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के अवसर पर छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल…
View On WordPress
0 notes
Text
FATF की ‘ग्रे सूची’ में बना रहेगा पाकिस्तान, आतंकियों की फंडिग रोकने में रहा नाकाम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान. (फाइल फोटो)
खास बातें
वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया
पाकिस्तान आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा
FATF ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
नई दिल्ली:
आतंकवाद को धन उपलब्ध होने पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का बुधवार को निर्णय लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि FATF के मुताबिक वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
यह भी पढ़ें
इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘FATF ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया है.’ अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया है.
इससे पहले एक अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान ने 2019 में आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमलों को रोकने के लिए भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों के खिलाफ ‘मामूली कदम’ उठाए लेकिन वह अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ बना हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ��्वारा पाकिस्तान को दी जान��� वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही.
उसने कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिये 2019 में मामूली कदम उठाए.’ आतंकवाद पर देश की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.
VIDEO: पाकिस्तान को FATF की कड़ी चेतावनी
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Source link
from WordPress https://ift.tt/2NssPUU
0 notes
Text
द चाइना सिंड्रोम: जबकि दुनिया में पाप किया जा रहा है, प्रतिरोध भी बल इकट्ठा कर रहा है
द चाइना सिंड्रोम: जबकि दुनिया में पाप किया जा रहा है, प्रतिरोध भी बल इकट्ठा कर रहा है
कोरोनावाइरस महामारी ने पारदर्शिता की समस्या को उजागर किया है, और वैश्विक आदेश के लिए चीन की कमी का क्या मतलब है। लेकिन यह समस्या पहले से ही हुकुमों में रही है, जब से पश्चिम ने साम्यवादी चीन को वैश्विक व्यापार क्रम में स्वीकार करके एक फौस्टियन सौदेबाजी की है।
वैश्विक बाजार केवल पारदर्शिता के माध्यम से कार्य कर सकते हैं, और मुक्त बाजारों को सीमित सरकार की आवश्यकता होती है। कम्युनिस्ट चीन के पास…
View On WordPress
0 notes
Text
Google’s Sundar Pichai Joins Steering Committee of COVID-19 Task Force
Google’s Sundar Pichai Joins Steering Committee of COVID-19 Task Force
Google के तीन भारतीय-अमेरिकी सीईओ सुंदर पिचाई, डेलॉइट से पुनीत रेनजेन, और एडोब से शांतनु नारायण, पांडेमिक रिस्पॉन्स पर ग्लोबल टास्क फोर्स की स्टीयरिंग कमेटी में शामिल हो गए हैं, जो भारत को सफलतापूर्वक COVID19 से लड़ने में मदद करने के लिए एक अभूतपूर्व कॉर्पोरेट क्षेत्र की पहल की देखरेख कर रहा है। गुरुवार को स्टीयरिंग कमेटी की सूची में तीन भारतीय-अमेरिकी सीईओ के नाम जोड़े गए। तीनों सीईओ अमेरिकी…
View On WordPress
#19 वैश्विक कार्यदल कोविड#google sundar pichai स्टीयरिंग कमेटी में शामिल हों#एडोब#गूगल#डेलॉयट#रेनजीन को सजा दें#वैश्विक कार्य बल#शांतनु नारायण
0 notes
Text
कोविड-19 के खिलाफ जंग में हिस्सा लें, ज़रूरतमंदों का सहारा बनें
New Post has been published on https://apzweb.com/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a1-19-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%96%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%ab-%e0%a4%9c%e0%a4%82%e0%a4%97-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%b8/
कोविड-19 के खिलाफ जंग में हिस्सा लें, ज़रूरतमंदों का सहारा बनें
कोरोना वायरस के संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए पिछले महीने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. बाकी देशों की तुलना में भारत इस वैश्विक महामारी का मुक़ाबला काफी प्रभावी रूप से कर रहा है. इसका पूरा श्रेय जाता है हमारे जांबाज़ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को. लेकिन आज जहां ज़्यादातर लोग अपने घरों में सुरक्षित हैं और घर से काम कर रहे हैं, वहीं देश में कई लोग ऐसे भी हैं जो अपना रोज़गार गंवा चुके हैं और जिनके लिए अपना और अपने परिवार का खर्च उठाना बहुत मुश्किल हो गया है.
इस वक़्त जब देश इन मुश्किल हालातों से गुज़र रहा है, तो ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सबका फर्ज़ बनता है कि हम अपने देश के गरीबों, दिहाड़ी मज़दूरों, डॉक्टरों, और साथ ही डिलीवरी और सिक्योरिटी में काम करने वाले लोगों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाएं. छोटा हो या बड़ा, इन मुश्किल हालातों में आपका हर योगदान काफी महत्व रखता है.
कोरोना वायरस के खिलाफ छेड़ी गई इस जंग को और भी सशक्त बनाने के लिए देश भर से लाखों लोग डोनेशन भेज रहे हैं. जहां कई लोग ग़ैर सरकारी संस्थाओं (NGO) को डोनेशन दे रहे हैं, वहीं कई लोग भारत सरकार द्वारा स्थापित PM CARES फंड में पैसा डाल कर अपना योगदान दे रहे हैं.
कोरोना वायरस को हराने की इस मुहिम में ज़्यादा से ज़्यादा लोग जुड़ें, इसके लिए ऐमेज़ॉन ने डोनेशन भेजने का एक बेहद आसान रास्ता निकाला है. अब आप ऐमेज़ॉन की मदद से बिना किसी कठिनाई के अक्षया पात्रा फाउंडेशन, यूनाइटेड वे मुंबई, ऑक्सफैम इंडिया, हैबिटैट फॉर ह्यूमैनिटी और वर्ल्ड विजन इंडिया जैसी ग़ैर सरकारी संस्थाओं को अपने डोनेशन भेज सकते हैं. साथ ही आप PM CARES फंड में भी बड़ी आसानी से अपना योगदान दे सकते हैं. यह डोनेशन आप ऐमेज़ॉन के मोबाइल ऐप और वेबसाइट दोनों के ज़रिए भेज पाएंगे.
ऐप पर किए गए हर डोनेशन में ऐमेज़ॉन अतिरिक्त 10 प्रतिशत राशि जोड़ देगा. यह समझना आवश्यक है कि भले ही आप कितनी ही ��म या ज़्यादा राशि डोनेट करें, सबसे ज़रूरी बात ये है कि आप कोरोनावायरस के खिलाफ इस जंग में अपने देश के साथ खड़े हैं.
सभी ग़ैर सरकारी संस्थानों को भेजी गई धनराशि से
1) बच्चों, बुजुर्गों और उन सभी लोगों को हाइजीन किट्स बांटी जाएंगी, जिन्हें कोरोनावायरस का ज़्यादा खतरा है.
2) ग़रीबों और मज़दूरों को राशन दिया जाएगा.
3) स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सुरक्षात्मक किट्स का इंतज़ाम किया जाएगा, जिससे वो बिना किसी डर और जोखिम लोगों का इलाज कर सकें.
आप यहां दिए गए किसी भी NGO को डोनेशन भेज सकते हैं ताकि देश भर में चल रहे उनके राहत कार्य को और बल मिले.
आइए इस लॉकडाउन के दौरान ग़रीबों, वंचितों और उन सभी के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलें, जो इस वक़्त हमारे लिए अपनी जान हथेली पर रख कर काम कर रहे हैं. उन्हें कतई ऐसा महसूस न होने दें कि इस लड़ाई में वो अकेले हैं. आइए साथ मिल कर उनका सहयोग करें क्योंकि बड़ा हो या छोटा, हर पेमेंट महत्वपूर्ण है.
आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें. डाउनलोड करें
!function(e,t,n,c,o,a,f)(o=e.fbq=function()o.callMethod?o.callMethod.apply(o,arguments):o.queue.push(arguments),e._fbq(window,document,"script"),fbq("init","465285137611514"),fbq("track","PageView"),fbq('track', 'ViewContent'); Source link
0 notes
Link
अबू धाबी में विश्व का प्रथम कृत्रिम बुद्धिमत्ता विश्वविद्यालय
भूमिका
पांच वर्ष पहले‚ शायद बहुत लोगों ने अबू धाबी और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को कृत्रिम बुद्धिमता (AI- Artificial Intelligence) के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में नहीं सोचा होगा। इस सोच में पहली बार बदलाव तब आया‚ जब वर्ष 2017 में यू.ए.ई. कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए पृथक मंत्रालय का गठन करने वाला विश्व का पहला देश बना। इसी दिशा में आगे एक और कदम बढ़ाते हुए अबू धाबी ने विश्व का पहला स्नातक स्तर का ‘ए.आई. (AI) विश्वविद्यालय’ की घोषणा करके कृत्रिम बुद्धिमता को हमारे भविष्य के मूल में रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
16 अक्टूबर‚ 2019 को संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) द्वारा विश्व का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता विश्वविद्यालय का राजधानी अबू धाबी में उद्घाटन किया गया।
विश्वविद्यालय का नाम ‘मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ (Mohammed Bin Zayed University of Artificial Inteligence – MBZUAI) है।
मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस
विश्वविद्यालय का नामकरण अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और यू.ए.ई. के सशस्त्र बलों के उप-सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान (Sheikh Mohammed bin Zayed Al Nahyan) के नाम पर किया गया है।
गौरतलब है कि यू.ए.ई. के प्रिंस अपने देश को विश्व के प्रमुख देशों में शुमार करने के लिए ज्ञान और वैज्ञानिक सोच के माध्यम से देश की मानव पूंजी के विकास के लिए काफी लंबे समय से वकालत करते रहे हैं।
सितंबर‚ 2020 में अबू धाबी स्थित मसदर (Masdar) शहर परिसर में विश्वविद्यालय का पहला सत्र प्रारंभ होगा।
विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुल्तान अहमद अल जाबेर (Sultan Ahmed Al Jaber) हैं।
विश्वविद्यालय के अंतरिम अध्यक्ष प्रोफेसर सर माइकल ब्रैडी (Prof. Sir Michael Brady) हैं।
विश्वविद्यालय में ए.आई.- मशीन लर्निंग‚ कंप्यूटर विजन और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मास्टर ऑफ साइंस (MSc.) और पीएच.डी. (Ph.D.) स्तर के पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
विश्वविद्यालय ने अबू धाबी स्थित ‘इंसेप्��न इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ (Inception Institute of Artificial Intelligence-IIAI) के साथ साझेदारी की है‚ जो कि पीएच.डी. छात्रों और पाठ्यक्रम विकास की देख-रेख के लिए उत्कृष्टता और ए.आई. अनुसंधान के क्षेत्र में एक वैश्विक बल है।
विश्वविद्यालय सभी नव प्रवेशी छात्रों को पूर्ण छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है‚ जिसमें 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस के साथ-साथ अन्य लाभ जैसे कि मासिक भत्ता‚ स्वास्थ्य सेवा और आवास शामिल हैं।
विश्वविद्यालय इंटर्नशिप को सुरक्षित करने के लिए अग्रणी स्थानीय और वैश्विक कंपनियों के साथ काम करेगा तथा रोजगार के अवसर खोजने में छात्रों की सहायता भी करेगा।
विश्वविद्यालय स्नातक छात्रों‚ व्यवसायों और सरकारों को ए.आई. (A.I.) क्षेत्र के विकास को आगे ले जाने में सक्षम बनाएगा।
0 notes
Text
वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, वैक्सीन... कोरोना के खिलाफ भारत की मदद को आगे आईं अमेरिका की 40 कंपनियां Divya Sandesh
#Divyasandesh
वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, वैक्सीन... कोरोना के खिलाफ भारत की मदद को आगे आईं अमेरिका की 40 कंपनियां
वॉशिंगटन अमेरिका की शीर्ष 40 कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करने के लिए वैश्विक कार्यबल के गठन के वास्ते एकजुट हुए हैं। डेलोइट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा कि यूएस चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स की यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम एंड बिजनेस राउंडटेबल की सामूहिक पहल कार्य बल ने सोमवार को यहां एक बैठक में अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20,000 ऑक्सीजन मशीनें भेजने की प्रतिबद्धता जताई।
महामारी पर यह वैश्विक कार्यबल भारत को अहम चिकित्सा सामान, टीके, ऑक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराएगा। किसी देश में जन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बने अपनी तरह के पहले वैश्विक कार्य बल को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने संबोधित किया।
ब्लिंकन ने ट्वीट किया कि यह बातचीत दिखाती है कि कैसे भारत के कोविड-19 संकट के समाधान के लिए अमेरिका और भारत अपनी विशेषज्ञता और क्षमताओं का लाभ उठा सकता है। रंजन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सप्ताहांत में अमेरिका की कई कंपनियां एक साथ आई। हम हरसंभव मदद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पहली लहर से सफलतापूर्वक निपटने के बाद हम बहुत आश्वस्त हैं, हमारा मनोबल ऊंचा है लेकिन इस लहर ने देश को हिला दिया है। अब हमारी जिम्मेदारी किसी भी तरीके से इससे निपटने की है।’’
उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी ऑक्सीजन और उसके कंसनट्रेटर्स हैं। उन्होंने कहा कि वे अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20,000 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स भेजेंगे। रंजन ने कहा कि पहली 1,000 मशीनें इस हफ्ते तक पहुंच जाएंगी और पांच मई तक अन्य 11,000 मशीनों के पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा 10 लीटर और 45 लीटर की क्षमता से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजने का है।
डेलोइट के सीईओ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बातचीत और भारत को तत्काल चिकित्सा आपूर्ति करने के अमेरिका के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश स्वाभाविक सहयोगी हैं। उन्होंने बताया कि डेलोइट के भारत में करीब 2,000 कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
0 notes
Text
सदगुरु जग्गी वासुदेव कौन हैं, किन लोगों को उनसे समस्या है?
सदगुरु जग्गी वासुदेव कौन हैं, किन लोगों को उनसे समस्या है?
मेरे एक प्रिय Quora लेखक मित्र ने प्रश्न किया है सद्गुरु जग्गी वासुदेव कौन हैं, किन लोगों को उनसे समस्या है? सदगुरु जग्गी वासुदेव, एक योगी, रहस्यदर्शी और बुद्ध पुरुष हैं, और बुद्ध पुरुषों से बुद्धुओं को, मूढो, दुष्टों को, षडयंत्रकारियों, कुटिल लोगों को सदैव समस्या रही है। ऐसा सदा से हुआ है चाहे वो राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, जीसस, कबीर, नानक, ओशो या सदगुरु ही क्यों ना हो, इन सभी ने अपने समय में यहाँ तक की सेकड़ों, हज़ारों वर्ष बाद आज भी इन दुर्बुद्धि लोगों की मुर्खता और दुष्टता का सामना करना पड़ रहा है, कुछ मूर्ख और दुर्बुद्धि लोग इन महामानवों, अवतारों, और सिद्ध पुरुषों की अवमानना और अपमान करने का दुर्भाग्यपूर्ण निंदित कृत्य करने में प्रवृत्त रहते हैं, उनके अस्तित्व और प्रामाणिकता पर प्रश्न करते हैं, क्या ऐसे बीमारों का कोई इलाज संभव है? चमगादड़ और अंधेरे में रहने और जीने वाले सभी जीवों को सूर्य और रोशनी से समस्या रहती है, ऐसा ही इन बंदबुद्धि लिबरल, सेक्युलर और वामपंथी लोगों की भी समस्या है, यह लोग भी उन्हीं में से हैं जो सत्य देखना, सुनना और प्रतिष्ठित होते देखना बर्दाश्त नहीं कर सकते, क्यूंकि, इससे इनके नीच स्वार्थों और दूषित उद्देश्य उजागर होने का भय रहता है, यह लोग सदैव प्रबुद्ध और जागृत लोगों से और लोगों के अज्ञान और अचेतना को तोड़ने वाले महामानवों से भयभीत होते हैं।
sadhguru -a realized yogi, mystic, an enlightened master कुटिल और दुष्ट सत्ताधारी और राजनितिक शक्तियाँ और तथाकथित बुद्धिजीवी, लोभी, लालची पत्रकार अपने सत्ताधारी आकाओं और प्रायोजकों की दया पर और उनकी चापल��सी करके जीवन जीते हैं, ऐसे लोग और इनके आका और प्रायोजक सदगुरु जैसे व्यक्तियों की बातों को बिल्कुल पसंद और बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। यह सभी सदा से सदगुरु जैसे महिमावान सम्बुद्ध व्यक्तियों के विरोधी हैं और रहेंगे, जो भी व्यक्ति जनमानस को सत्य और बोध की ओर ले जाते हों, जो उनकी मूढ़ता, जड़ता और अंधेपने के प्रति उन्हें जागरुक करें और उनपर चोट करें, उनसे यह लोग भयभीत रहते हैं, क्यूंकि इनकी स्वार्थ सिद्धि तभी संभव है जब लोग अज्ञानी, अचेत और अंधे हों, और सदगुरु जैसे लोग इनके लिए मुसीबत सिद्ध होते हैं, क्यूंकि उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य लोगों को चेतन और जागृत करना और सत्य को जानने और अनुभव करने में सक्षम बनाना होता है। जो लोग सदगुरु जैसे बुद्ध पुरुषों के खिलाफ झूठे आरोपों और मिथ्या प्रचार का जाल बुनने की कोशिश करते हैं वो इस धरती पर उन लोगों में से हैं जिन्हें सत्य सुनने, देखने और समझने से परहेज है सदा से और रहेगा सदा, क्योंकि वो खुद जीवन के मूल अर्थ और उद्देश्यों को भूलकर उसकी अर्थी उठाने वाले बन चुके हैं, साथ ही यह सभी अपनी ही सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से कटे मूर्ख और परजीवी हैं, जिन्हें बुद्धिजीवी और विद्वान होने का भ्रम है। यह बिना रीढ़ और चेतना वाले लोग सदगुरु जैसे महामानवों की वास्तविकता और अर्थवत्ता और उनके कल्याणकारी कार्यों और उद्देश्यों पर प्रश्न करते हैं, उनकी गरिमा को भंग करने का ओछा और असफल प्रयास करते रहते हैं, क्यूंकि इनकी इतनी हैसियत नहीं जो परम शिव की महिमा को जान देख और समझ सकें, इनकी बुद्धि और मूर्खता हास्यापद है। यहाँ भी यह सभी लोग इस देश के लोगों का ब्रेनवाश करने, उन्हें उनकी आध्यात्मिक विरासत और हज़ारों साल पुरानी संस्कृति से काटने, भ्रमित करने, हमारे गौरवशाली अतीत और इतिहास को मलिन, विकृत और दूषित करने का जघन्य अपराध करते रहे है पिछले 70 वर्षों से और आज भी इसे पूरे जतन से संपादित कर रहे हैं।
Adiyogi - 112 feet tall Lord Shiva Bust at Isha Yoga Center सदगुरु, इस राष्ट्र के लोगों को उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान की परंपरा से जोड़ने का महान उपक्रम कर रहे हैं, वो हज़ार वर्षों से कुंठित, दिग्भ्रमित, मलिन और दूषित मानवीय चेतना को जागृत करने का दुर्धर्ष कार्य कर रहे हैं। सदगुरु, भारत की सोई हुई चेतना को जगा रहे हैं, पूरे वि��्व में भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक ज्ञान और चेतना के बीज बो रहे हैं, वो इस राष्ट्र की वास्तविक आत्मा से लोगों का परिचय करा रहे हैं। सदगुरु, भारत के प्राचीन गौरव और ज्ञान की पुनर्स्थापना का महानतम कार्य कर रहे हैं, इन सबसे उपर वो लाखों लोगों को उनके जीवन में क्रांतिकारी आत्म रूपांतरण की तकनीक सिखा रहे हैं, साथ ही लाखों असहाय, बेसहारा लोगों को स्वस्थ, शिक्षित और सक्षम बनाने का कार्य उनके फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। वो सत्य को पूरी स्पष्टता और निर्भीकता पूर्वक प्रस्तुत करते हैं, राष्ट्र विरोधी ताकतों से कठोरता से निपटने का सुझाव देते हैं, वो भारतीय सेना के शौर्य और साहस की बेहद प्रशंसा करते हैं, उनके बलिदान और जज्बे को नमन करते हैं। वो जो जैसा है उसे वैसा ही देखने, समझने और स्वीकार करने पर बल देते हैं, वास्तविकता आधारित तथ्य और सत्य प्रस्तुत करते हैं, जीवन और जगत के संबन्ध में सभी आयामों और घटनाओं के संबन्ध में और जो भी इस ग्रह और यहाँ के जीवन की बेहतरी के लिए जरुरी है। वो भारत की एकता और अखंडता के घनघोर पक्षधर हैं, वो पूरे राष्ट्र की नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रयासरत हैं, करोड़ो वृक्षों का रोपण करवा रहे हैं, वो भारत के वर्तमान नेतृत्व की रचनात्मक और राष्ट्र को सशक्त और बेहतर बनाने के कार्यों, परियोजनाओं के प्रशंषक और सलाहकार हैं। वो नये भारत के निर्माताओं में से एक हैं, वो युवाओं को सत्य के अवगाहन के लिए प्रेरित करते हैं, उन्हें जीवन और जगत के प्रति वास्तविक और वैज्ञानिक दृष्टि और दिशा देते हैं, वो सभी को अपना और जीवन का सत्य जानने और खोजने के लिए प्रेरित करते हैं। सदगुरु, योग के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक स्वरूप को सीखने और जानने तथा भारत की महान आध्यात्मिक विरासत को जन जन में और संपूर्ण विश्व में प्रतिष्ठित करने और वास्तविक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का सार्थक उपक्रम कर रहे हैं, पूरे विश्व में उनके साधक और साधना केंद्र लाखों लोगों के जीवन को रूपांतरित करने का महान कार्य कर रहे हैं। सदगुरू, वर्तमान में भारत की वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा के वास्तविक उदगाता और प्रतिष्ठापक हैं, वो जीवंत जागृत बुद्ध पुरुष हैं, वो ऐसा सबकुछ कर रहे हैं, जो इन तथाकथित वामपंथियो, लिबरल और विशिष्ट एजेंडे वाले तथाकथित सेक्युलर की झूठी, मक्कारी भरी, शोषण और असत्य पर आधारित अस्तित्व और अलगावकारी विनाशकारी राष्ट्रद्रोही व्यवस्था के बिल्कुल पक्ष और समर्थन में नहीं है। सदगुरु योग के वैज्ञानिक स्वरुप, आतंरिक और बाह्य स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के सभी आयामों के सम्बन्ध में जागरूकता और चेतना विकसित करने के लिए पूरे विश्व में भ्रमण कर रहे हैं, सभी शक्तिशाली वैश्विक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठनों और नेताओं और प्रमुख व्यक्तियों के साथ विचार ��िमर्श करते हुए और उनके साथ मिलकर विश्व कल्याण और मानवीय चेतना को ऊपर उठाने के कार्यक्रमों और आवश्यकता के प्रति जागरूकता और प्रशिक्षण का आयोजन कर रहे हैं। वे भारत स्थित ईशा योग केंद्र और पूरे विश्व के विभिन्न भागों में स्थापित और क्रियाशील केन्द्रों के माध्यम से लाखों लोगों तक वास्तविक योग और ज्ञान की ज्योति पहुंचा रहे हैं, उनके समस्त कार्य का सञ्चालन भारत और पूरे विश्व में उनके स्वयं सेवकों द्वारा संचालित किया जाता है, जो बेहद प्रतिभावान और शिक्षित और अपने जीवन और कार्य क्षेत्र में बेहद सक्षम स्थिति को प्राप्त व्यक्ति हैं, जो सदगुरु के पवित्र उद्देश्यों के लिए अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं, बिना किसी व्यक्तिगत आर्थिक लाभ की कामना या प्राप्ति के।
Dhyanlinga - A door to the divine वो भारत के अक्षुण्ण और सार्थक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की प्रतिष्ठा कर रहे हैं, वो भारत को और सम्पूर्ण विश्व को भारत की अद्भुत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति चेतन जागरुक और दीक्षित और प्रशिक्षित कर रहे हैं। उन्होंने ध्यान साधना के लिए पूर्व काल में असाध्य एवं असंभव, एक अद्भुत रचना निर्मित की है, जो पिछले हजारों सालों से योगियों और दिव्यदर्शियों का स्वप्न रहा है, वो है ध्यानलिंग - मुक्ति का द्वार सदगुरु के अनेक जन्मों की साधना और उनके गुरु के स्वप्न का जीवंत जागृत सातों चक्रों तक चरम रूप से प्रतिष्ठित शिव स्वरुप है ध्यानलिंग के स्वरुप में। वो इस राष्ट्र और संपूर्ण विश्व में चैतन्य योगियों, साधकों और प्रशिक्षक और प्रशिक्षुओं की एक विराट श्रृंखला निर्मित कर रहे हैं, जो पूरे विश्व में स्वयं को और सभी को मनुष्य होने की असीम संभावना और गौरव के प्रति जागरुक और परिचित होने में सक्षम बना रहे हैं, ईशा योग केंद्र द्वारा संचालित आत्म रूपांतरण के कार्यक्रम। वो एक ऐसी मनुष्यता और मनुष्य निर्मित करने की संभावना पर कार्य कर रहे हैं, जो किसी भी जाति, धर्म, विचार पद्धति या भौगोलिक स्थिति और सामाजिक स्थिति, राजनितिक विचार से परे एक चेतनावान आत्म बोधयुक्त मुक्त मनुष्य के रूप में विकसित होने में समर्थ बन सके। राजनेता और राजनैतिक शक्तियाँ सदैव जनता को दिग्भ्रमित करने, सत्य से विमुख रखने, झूठे प्रोपेगंडा फैलाने और उन्हें वास्तविक मुद्दों से विमुख रखने और इन्हीं सभी बातों का जाल बुनने और लोगों को व्य��्त रखने का कारोबार करते रहते है। इस तरह वो अपने उद्देश्यों की पूर्ति करते रहते हैं और लोगों को मूर्ख बनाए रखने, उलझाए रखने, बाँटे रखने में व्यस्त रहते हैं, ताकि उनकी कमजोरियों, भयों, अज्ञानता और भ्रमों का शोषण करते हुए उन्हें गुलाम, असंगठित और विभाजित रखा जा सके। सदगुरु जैसी विभूतियाँ लोगों के भ्रमों, असत्यों और अज्ञान को नष्ट कर उन्हें जीवन, जगत और व्यवस्थाओं के सत्य के प्रति जागरुकता और बोध से भरते हैं, वो व्यक्ति को उसकी वास्तविकता से परिचित कराते हैं और उन्हें पूर्ण स्वतंत्रता की ओर अग्रसर होने में सक्षम बनाते हैं। चेतना विकास की इन सभी प्रक्रियाओं में लोगों की रुचि बढ़ने और उनके इसमें शामिल होने से सभी असामाजिक और अराजक राजनीतिक, आर्थिक शक्तियों और व्यक्तियों को असुरक्षा महसूस होती है, क्योंकि लोगों की चेतना और बोध का जागृत होना, उनके फैलाये गये झूठ और भ्रमों की मृत्यु के द्वार खोलती है। इसलिए सदा से कुटिल राजनैतिक शक्तियाँ, व्यवस्था और पदाधिकारी सदगुरु जैसे वास्तविक ज्ञानी, सत्य उदघोषक और वास्तविकता से साक्षात्कार कराने वाले बुद्ध पुरुषों से भयभीत रहते हैं, और उनकी छवि, महिमा, प्रतिभा और सत्य को मलिन और नष्ट करने मे संलग्न रहते हैं। आप सदगुरु के बारे में, उनके कार्यों, शिक्षाओं और ज्ञान के मुक्तकों के लिए उनके संस्थान की वेबसाइट Homepage पर जा सकते है, और उनके संबंध में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप सदगुरु द्वारा निर्देशित योग और ध्यान की विधियों और आत्म रूपांतरण की क्रियाओं और योग अभ्यासों के लिए विभिन्न एप्प डाउनलोड कर सकते हैं और उनका लाभ ले सकते हैं एंड्राइड app के लिए एवं iphone app के लिए, इसके अलावा भी अन्य एप्प आपके मोबाइल डिवाइसेस के लिए उपलब्ध हैं, जिनका आप लाभ ले सकते हैं। Read the full article
0 notes
Text
द्वन्द्वकालीन मुद्दा सुल्झाउने बाटो
संक्रमणकालीन न्यायसम्बन्धी मुद्दाहरुको सत्य निरुपण गरी आवश्यक सिफारिस गर्न गठन भएका दुई आयोगहरु (सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोग र बेपत्ता पारिएका व्यक्तिको छानविन गर्न बनेको आयोग)को कानुनी समयसीमा आगामी माघ २६ गते पूरा हुँदैछ । चार वर्षअघि दुवै आयोगहरु दुई वर्षको समान कार्यकाल तोकिएर गठन भएका थिए ।
संक्रमणकालीन न्याय सम्पादन गर्न कानुन अपूर्ण भएको, द्वन्द्वपीडित र राष्ट्रिय मानव अधिकार संस्थाहरु तथा अन्तर्राष्ट्रिय समुदायको समेत असहयोग झेलिरहेका आयोगले उल्लेख्य प्रगति नगरेपनि दुई पटक एक वर्षका दरले दुवैको म्याद यथास्थितिमा थपियो ।
अहिले बेपत्ता छानबिन छानबिन आयोगमा परेका ��रीब ३३ सय मुद्दा मध्ये अधिकांशको प्रारम्भिक छानबिन सकिएको बताइएको छ भने सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोगमा दर्ता भएका करीब ६० हजार मुद्दामध्ये केहीमा प्रथम दृष्टिको टिप्पणी लेख्ने बाहेक खास प्रगति हुन सकेको छैन । बेपत्ता आयोगमा दर्ता भएका मुद्दाको छानबिन पनि केवल प्रारम्भिक हो, जसलाई निष्कर्षमा पुर्याउन थप विस्तृत र प्राविधिक अनुसन्धानको जरुरत पर्छ ।
जुन चौतर्फी अविश्वासको धरातलमा आयोगहरु गठन भए, त्यसलाई चिर्न कानुन अपर्याप्त भनिए पनि एउटा काम उनीहरुले गर्न सक्थेस् सत्यको उदघाटन । दर्ता गरिएका मुद्दाहरु एकएक गर्दै छिचोल्न आयोगले विकेन्द्रित शैलीमा काम गर्नुपर्थ्यो । कामको गति बढाएर पीडित समुदायको विश्वास जित्न सकिन्थ्यो, किनभने शुरुवाती अविश्वासका बाबजूद र कतिपय अवस्थामा स्थानीय एनजीओहरुले रोक्न खोज्दाखोज्दै अधिकांश द्वन्द्वपीडितले आफ्नो लामो संघर्षपछि गठित आयोगहरुमा आशंकासहितको विश्वास जनाएर आयोगकै आह्वान अनुसार मुद्दा दर्ता गराएका थिए । धेरै मुद्दाहरु राजनीतिक प्रतिस्पर्धामा दर्ता भए । यद्यपि धेरैजसो मुद्दा वास्तविक घटनामा आधारित छन् भन्नेमा सन्देह छैन ! यिनको छानबिन भई सत्य स्थापित हुनु आवश्यक छ ।
बहकिएको बहस
प्रारम्भदेखि नै नेपालको संक्रमणकालीन न्यायसम्बन्धी बहस अभियोजन र आममाफीका दुई अतिवादको चेपुवामा फस्यो । एउटा पक्षले अभियोजनलाई राष्ट्रिय र अन्तर्राष्ट्रिय मञ्चमा पुर्याउन सक्दो बल लगायो, जसमा धेरै अन्तरराष्ट्रिय मित्रहरुले पनि साथ दिए ।
अन्तरराष्ट्रिय गैरसरकारी संस्था एवं दातृराष्ट्रहरुले अभियोजनलाई बलियो गरी उठाएपछि अर्को पक्षले आममाफी हुनुपर्ने विषयलाई मुद्दा बनायो । उसै पनि नेपालमा विगतका राजनीतिक क्रान्ति तथा परिवर्तनपछि मानवअधिकार उल्लंघन वा विद्यमान कानुन उल्लंघनका घटनामा अनुसन्धान भई कारवाही भएको नजिर छैन ।
अभियोजन र आममाफीका परस्पर विरोधी बिन्दुबाट उठान गरिएको बहसले संक्रमणकालीन न्यायको अवधारणालाई बल पुर्याउनुको साटो थप स्वीकृत गरिदियो । आन्तरिक राजनीतिको यो बहसमा विश्वब्यापीकरण र मानव अधिकारका वैश्विक सिद्धान्तले आकषिर्त गरिदिएका पश्चिमा शक्ति राष्ट्रहरु जोडिन आइपुगे । यसले बहसमा पैसा थपिदियो । फलतः आन्तरिक स्वार्थ समूहहरु झन् ठूलो टकरावमा लागे ।
बुझ्नुपर्ने विषय के हो भने मानव अधिकार आधुनिक राजनीतिकै एउटा तत्व हो । पश्चिमा लोकतान्त्रिक अवधारणाले रचना गरेको विश्व-मर्यादालाई ��ोगाउन र त्यसको प्रतिस्पर्धामा आउन चाहने अन्य राजनीतिक विचारलाई कमजोर बनाउन मानव अधिकारको राजनीति सार्थक भयो ।
संयुक्त राष्ट्र संघ, विभिन्न अन्तर्राष्ट्रिय सन्धि, महासन्धि एबम् अनुबन्धलाई मानेर नेपालले मानव अधिकारका विश्वव्यापी मान्यतालाई अंगीकार गरिसकेको छ । अब प्रतिस्पर्धात्मक लोकतन्त्र अंगालेको र बृहत विश्व समुदायको स्वीकार्यता खोज्ने कुनै पनि देशले मानव अधिकारका सिद्धान्तलाई नजरअन्दाज गर्न सक्ने अवस्था रहेन । यद्यपि राज्यको सर्वाभौमिकताले मानव अधिकारका ती मान्यता तथा सिद्धान्तलाई हरेक राष्ट्रको राजनीतिक सापेक्षतामा प्रयोग र लागू गर्ने बाटो खुला राखेको छ, जसको बीचबाट नेपालले विश्व समुदायको समेत साथ र सहयोगमा संक्रमणकालीन न्यायको बाटो तय गर्न सक्थ्यो । समय घर्किंदै जाँदा यसमा मुलुक चुक्न थालेको आभाष भैरहेको छ ।
संक्रमणकालीन न्यायका तत्वमा आममाफी कतै पनि पर्दैन । तर छानविन गर्दा मेलमिलाप गराउन सकिने मुद्दा भेटिन सक्छन् । समग्र प्रक्रियाको सार्थक निष्कर्षका लागि सत्यको विश्वसनीय उदघाटन, परिपूरण, न्याय, मेलमिलाप र संस्थागत सुधारका उद्देश्य पीडितहरुको सहभागितामा कसरी प्राप्त गर्ने भन्नेतर्फ बहस जानुपर्थ्यो ।
तर, शुरुवातकै अतिवादले यस्तो बहसको बाटो छेक्यो, न्याय प्रक्रिया अवरुद्ध भयो । यसले एकातिर द्वन्द्वको सामाजिक आयाम सम्बोधन हुन सकेन भने अर्कोतिर पीडितको घाउमा मल्हम लगाउने कार्य रोकियो ।
कस्तो न्याय, कसरी न्याय ?
प्रारम्भमा नै ठीक बाटो नसमातेको बहसले संक्रमणकालीन न्याय���ो आधारभूत बोधलाई दोषपूर्ण बनायो । आम बुझाइमा न्याय भन्नासाथ विद्यमान कानुनको आधारमा दिइने अदालती फैसला मात्र बुझिन्छ जसले मूल रुपमा दोषीलाई अदालती प्रमाणका आधारमा दण्ड दिन्छ ।
यसले पीडक पक्षलाई सजायँ त दिन्छ, तर पीडितका आवश्यकता सम्बोधन गर्नुपर्ने पक्ष पूरै बेवास्ता गर्छ । सामान्य विधिशास्त्रमा क्षतिपूर्ति लगायतका माध्यमद्वारा खास प्रकारका पीडितका समस्या हल हुनुपर्ने प्रचलन धेरै नयाँ हो ।
सामान्य कानुनले नपुग्ने वा सम्बोधन गर्न नसक्ने भएकैले द्वन्द्वोत्तर शान्ति स्थापना गरिनुपर्ने राष्ट्रमा संक्रमणकालीन न्यायको मान्यता अपनाउनु परेको हो । यसले द्वन्द्वका समयमा भएका मानव अधिकार उल्लंघनको छानविन गरी सत्य पत्ता लगाउँछ, पीडितका आवश्यकता पहिचान गरी उपयुक्त परिपूरणको व्यवस्था गर्छ, सामान्य मानवाधिकार उल्लंघनमा न्यायिक प्रक्रिया सहितको मेलमिलाप गराउँछ, गम्भीर प्रकृतिका उल्लंघनमा अभियोजन गर्छ र भविष्यमा द्वन्द्व नदोहोरियोस् भन्ने सुनिश्चित गर्न लोकतान्त्रिक संस्थाहरुमा आवश्यक सुधार गर्छ ।
यस्तो अवस्थामा द्वन्द्वकालका सबै मुद्दाहरु अदालत पुग्छन् भन्ने छैन । अर्थात, संक्रमणकालीन न्याय र शान्तिकालीन न्यायको अवधारणामा भएको ब्यापक भिन्नतालाई आत्मसात गरेपछि मात्र यो मुद्दा सहि समाधान तर्फ लैजान सकिन्छ । नेपालको सन्दर्भमा संक्रमणकालीन आयोगले राजनीतिक तह र पीडित समुदायभित्र पुगेर यी मान्यतालाई सक्रिय बनाउन सक्नुपर्छ ।
न्यायको व्यापक अवधारणा कार्यरुपमा लैजाँदा द्वन्द्वका घाउहरु निको हुँदै जाने वातावरण बनाउन सकिन्छ, जसले सामाजिक स्थायित्व कायम गर्न सहयोग पुग्छ ।
पीडितको सहभागिताको प्रश्न
संक्रमणकालीन न्यायका सन्दर्भमा राजनीतिक तह खास विषयमा प्रष्ट हुनुपर्छ । नेपालमा द्वन्द्व पीडितलाई हालसम्म याचक सेवाग्राहीको व्यवहार गरिएको छ जबकि यो प्रक्रियाको वास्तविक सरोकारवाला पक्ष द्वन्द्व पीडित हुन् भन्ने तथ्य अनेक उदाहरण र नजीरले पुष्टि गरिसकेको छ । यसमध्ये हालै अनसनरत जनयुद्धका घाइते योद्धासँग नेपाल सरकारले पुस नौ गते गरेको सहमति पछिल्लो हो । उनीहरु सरोकारवाला नभैदिएको भए पाँच जना व्यक्ति अनसन बसेर राखेको माग सरकारले पूरा गर्नुपर्ने थिएन । यस्ता सम्झौताहरु विगतमा द्वन्द्व पीडितका धेरै संगठनसँग सरकारले गरेको छ ।
तर, यसरी टुक्रे रुपमा र कठोर प्रकारका आन्दोलनद्वारा पीडितलाई आफ्ना माग पूरा गर्ने स्थानमा पुर्याउनु सरकारका निम्ति प्रत्युत्पादक हुन्छ । हरेक प्रकारका द्वन्द्व पीडितहरु आफ्ना माग पूरा गर्न अनसन वा आन्दोलनमा उत्रिँदा संक्रमणकालीन न्याय झन् जटिल बन्न पुग्छ । त्यसैले, यसको दीर्घकालीन र विश्वसनीय समाधानका लागि द्वन्द्व पीडितलाई नै प्रक्रियामा कतै न कतै सहभागी बनाउनुपर्छ ।
यस्तो तर्क आउँदा धेरैको निधार खुम्चन सक्ला, तर के हेक्का रहनुपर्छ भने जतिसुकै कानुन पास गरे पनि पीडितको स्वीकार्यता भएन भने संक्रमणकालीन न्याय कहिल्यै बन्द नहुने फाइल बन्छ र यस्तो फाइल नेपालमा खुल्न नसके कुनै पनि देश वा अन्तरराष्ट्रिय संयन्त्रमा खुल्न सक्छ । यो प्रक्रियालाई बिथोलेर अन्तरराष्ट्रिय शक्तिको हातमा लैजाने खेल अहिले तीब्र रुपमा भैरहेको छ, जसलाई सरकारको सही कदमले रोक्नुपर्छ ।
आयोग र संयन्त्र
गत मंसिर ५ गते द्वन्द्व पीडितहरुको सबैभन्दा ठूलो र छाता संगठन द्वन्द्व पीडित साझा चौतारीले राष्ट्रिय सम्मेलन मार्फत बडापत्र सार्वजनिक गरी संक्रमणकालीन न्याय निष्कर्षमा पुर्याउने समाधानमुखी बाटो अघि सारेको छ । संसारकै द्वन्द्व समाधानका प्रक्रियामा राज्यपीडित, बिऽोही र असंलग्न द्वन्द्व पीडितहरु एउटा मन्चमा संगठित भएर समाधानको कार्यसूचि तयार गरेको यस्तो उदाहरण बिरलै भेटिन्छ ।
संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रियालाई निष्कर्षमा लैजान बिगतका असफलता वा कमजोरीहरुको व्यापक सिंहावलोकन गर्नुपर्छ । पीडितका संगठन र मानव अधिकार समुदायसँग भएका ��लफल तथा विभिन्न अन्तर्राष्ट्रिय अनुभव समेतका आधारमा नेपालका लागि समाधानको मुख्य कार्यसूचीमा तीन वटा राजनीतिक कदम तत्काल आवश्यक देखिन्छ ।
पहिलो, संसदमा सम्बोधनमार्फत सत्तारुढ दल र प्रमुख प्रतिपक्षको शीर्ष राजनीतिक नेतृत्वले संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया निष्कर्षमा लैजान विस्तृत शान्ति सम्झौताको रुपान्तरणमुखी एजेन्डाप्रतिको आफ्नो प्रतिवद्दतालाई नवीकरण गर्ने ।
दोस्रो, संक्रमणकालीन न्यायको बृहत्तर अवधारणामा समेटिएका चारवटा मुख्य तत्व (सत्य, न्याय, परिपूरण, संस्थागत सुधार) मध्ये परिपूरण संस्थागत सुधारका कार्यहरु गर्न बिज्ञहरुको उपयुक्त संयन्त्र निर्माण गर्ने ।
र तेस्रो, विद्यमान आयोगहरुको पुनर्संरचना गर्ने ।
संयन्त्रले मूलभूत रुपमा पाँचवटा कार्य गर्न सक्छ ।
यसले संक्रमणकालीन न्यायको प्रमुख सरोकारवाला पीडित समुदाय, सम्बन्धित विज्ञ, नागरिक समाज, मानवअधिकारकर्मी, सरकार र राजनैतिक दलहरुवीच आपसमा सम्वाद गर्छ ।
विगत १२ बर्षको अनुभवले के देखायो भने उपयुक्त राष्ट्रिय नीतिहरुको अभावमा जस्तोसुकै असल कानुन बन्यो भने पनि त्यसले परिणाम दिन सक्दैन । विद्यमान कानूनमा रहेका असहमतिका बुँदाहरुमा सहमति कायम गरी आवश्यक कानुन बनाउन संयन्त्रले भूमिका खेल्छ ।
विज्ञ संयन्त्रको सबैभन्दा मुख्य काम राष्ट्रिय परिपूरण नीति तर्जुमा गरी लागु गर्न सरकारलाई सहयोग गर्नु र संस्थागत सुधारका लागि आवश्यक कार्यहरु गर्नु हो ।
संक्रमणकालीन मुद्दा छिन्न आयोग नै बनाइसकेपछि अर्को संयन्त्र किन चाहियो भन्ने प्रश्न उठ्न सक्छ, जुन स्वाभाविक पनि छ । तर, एकैछिन विचार गरौँ ।
दुई आयोगमा अहिले दर्ता भएका ६३ हजार मुद्दा छिनेर सत्य उदघाटन गर्न कति समय लाग्छ ? के त्यतिञ्जेल संस्थागत सुधारका लागि आवश्यक कानुन बनाउन, सेवा प्रवाहलाई प्रभावकारी बनाउने कार्य गर्न तथा पीडितका तत्कालीन आवश्यकताहरु सम्बोधन गर्न आयोगको प्रतिवेदन कुर्न सकिन्छ ?
आयोगले सत्य पत्ता लगाएपछि सिफारिस भएका निवेदनहरु महान्याधिवक्ता कार्यालयमा जालान्, कतिपय पीडितलाई व्यवस्था गर्न राहत लगायतका शिफारिशहरु होलान् । त्यो अन्तिम निकासको बिन्दु हो । त्यसअघि पीडितका आवश्यकता सम्बोधन गर्न, संस्मरणका कार्य गर्न, घाइते र अपांगता भएकाको उचित व्यवस्थापन गर्न, यातना र यौन हिंसाका पीडितको पहिचान गरी तत्काल अन्तरिम राहतको व्यवस्था गर्न बिज्ञ संयन्त्रले काम गर्नुपर्छ ।
स्थानीय सरकारलाई संलग्न गराएर सम्पत्ती फिर्ता तथा अझसम्म पनि विस्थापित भएकालाई उनीहरुको इच्छा भएमा सम्बन्धित ठाउँमा पुनस्थापित गर्न सकिन्छ । यति गर्न आयोगको प्रतिवेदन पर्खिनुपर्दैन, पर्खिनुहुँदैन ।
आयोगको काम घटनाको सत्य तथ्य पत्ता लगाएर आवश्यक सिफारिस ��र्नु हो । यसले संक्रमणकालीन न्यायका चारवटा तत्व मध्ये एउटाको मात्र सम्बोधन गर्छ । सत्य उदघाटित भएपछि मात्र न्यायको सम्बोधन हुन सक्छ जसका लागि विशेष अदालत वा यस्तै संयन्त्र बन्न सक्ला । तर, परिपूरण र संस्थागत सुधार यसै क्रममा हुनुपर्दछ जसकालागि अलग संयन्त्र नभई हुँदैन । एउटा आयोगलाई यी सबै कुराको भारी बोकाइयो भने सारा प्रक्रिया अवरुद्ध हुन्छ भन्ने तथ्य इतिहासले प्रमाणित गरिसकेको छ ।
संयन्त्र आयोगको विकल्प होइन । आयोगहरु कानुन अनुसार स्वतन्त्र रुपले कार्य गर्छन् । संयन्त्रले माथि उल्लेखित बाहेक नेपालको शान्ति प्रक्रियाबारे अध्ययन, अनुसन्धान र अभिलेखीकरणको कार्य पनि गर्नुपर्छ किनभने संक्रमणकालीन न्याय पूरा हुने बाटोमा लाग्नासाथ नेपालको शान्ति प्रक्रिया विश्वमा एउटा अद्वितीय सफलताको उदाहरण बन्न पुग्छ । यसको अन्तरराष्ट्रिय प्रचारले नेपाल राष्ट्रको इज्जत त बढ्छ नै नेपाली राष्ट्रिय नेतृत्वको उचाई झनै अग्लो हुन्छ ।
अब प्रश्न उठ्छ संयन्त्र कसरी बन्छ त ?
सत्तारुढ र प्रतिपक्षी दलको सहमतिमा नेपाल सरकार मन्त्रिपरिषद्को निर्णयद्वारा निश्चित टिओआरसहित कुनै पनि संयन्त्र बन्न सक्छ । संशोधनको प्रक्रियामा रहेको संक्रमणकालीन न्यायसम्बन्धि कानुनमा पनि यसको व्यवस्था गर्न सकिन्छ । यस्ता संयन्त्रहरु बन्ने अधार विस्तृत शान्ति सम्झौताले प्रशस्त दिएको छ ।
(ढकाल द्वन्द्व समाधानका विषयमा स्नातकोत्तर हुन् ।)
0 notes
Text
FATF की ‘ग्रे सूची’ में बना रहेगा पाकिस्तान, आतंकियों की फंडिग रोकने में रहा नाकाम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान. (फाइल फोटो)
खास बातें
वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया
पाकिस्तान आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा
FATF ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
नई दिल्ली:
आतंकवाद को धन उपलब्ध होने पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का बुधवार को निर्णय लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि FATF के मुताबिक वह लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया.
यह भी पढ़ें
इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘FATF ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया है.’ अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया है.
इससे पहले एक अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान ने 2019 में आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और उस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमलों को रोकने के लिए भारत केंद्रित आतंकवादी समूहों के खिलाफ ‘मामूली कदम’ उठाए लेकिन वह अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ बना हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही.
उसने कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बड़े पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिये 2019 में मामूली कदम उठाए.’ आतंकवाद पर देश की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.
VIDEO: पाकिस्तान को FATF की कड़ी चेतावनी
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Source link
from WordPress https://hindi.khabaruttarakhandki.in/fatf-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a5%82%e0%a4%9a%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a5%87%e0%a4%97/
0 notes