#वैदिक मंत्र
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geeta1726 · 10 months ago
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क्या कोई ऐसा उपाय है जिसके करने से कुंडली के सभी ग्रहों के शुभ परिणाम प्राप्त हो?
ज्योतिष या कुंडली के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी दशाएं उसके जीवन में विभिन्न प्रभाव डाल सकती हैं। हालांकि, कोई भी ऐसा उपाय जो सभी ग्रहों के शुभ परिणाम सुनिश्चित करे, वैदिक ज्योतिष में सामान्यत: संभावना के बारे में हैं।
ध्यान और मेधा भड़ाना: योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति बनाए रखना ग्रहों के प्रभाव को कम कर सकता है।
दान और सेवा: धर्मिक और नैतिक कार्यों के माध्यम से ग्रहों के प्रभाव को शांत करने के लिए दान और सेवा करना उपयुक्त हो सकता है।
मंत्र जाप: कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना भी ग्रहों के प्रभाव को शांत करने में सहायक हो सकता है।
योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है, जिससे ग्रहों का प्रभाव कम हो सकता है।
यह उपाय शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए हो सकते हैं, लेकिन कृपया ध्यान दें कि ये विचार विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठानों और विशेष शिक्षा के साथ आएंगे। जिसके लिए आप Kundli Chakra 2022 Professional सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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news365timesindia · 16 days ago
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[ad_1] अग्रणी लक्जरी आयुर्वेदिक स्किनकेयर ब्रांड परम अमृत ने नई दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में अपना भव्य शुभारंभ किया। प्रसिद्ध गायक और पद्म श्री पुरस्कार विजेता कैलाश खेर, जो ब्रांड के संस्थापक डॉ. नूतन खेर के भाई हैं, ने गहन रूप से जड़े आयुर्वेदिक उत्पादों की पहली श्रृंखला का अनावरण करके कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम को आध्यात्मिक गुरु श्री बाबा स्वामी अमृतानंद जी की उपस्थिति से और भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपना आशीर्वाद और अंतर्दृष्टि प्रदान की। उनकी भागीदारी ने लॉन्च में एक गहन आध्यात्मिक आयाम जोड़ा। सुंदरता से परे: मंत्र औषधि से युक्त परम अमृत मंत्र औषधि की प्राचीन प्रथा को आधुनिक त्वचा देखभाल में एकीकृत करके खुद को अलग करता है। चरक संहिता में प्रलेखित आयुर्वेद की आधारशिला, यह प्रतिष्ठित परंपरा शक्तिशाली मंत्रों के जाप के माध्यम से जड़ी-बूटियों को शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने पर जोर देती है। ब्रांड के पीछे दूरदर्शी डॉ. नूतन खेर ने बताया, “परम अमृत प्रकृति के तत्वों की गहरी शक्ति को अपनाने के बारे में है।” “हमारे सावधानीपूर्वक तैयार किए गए उत्पाद केवल कायाकल्प से परे हैं, जो मन और आत्मा को आंतरिक शांति और सद्भाव के लिए प्रकृति की ऊर्जा के साथ जोड़ते हैं।” एक पारिवारिक विरासत, फिर से जागृत यह लॉन्च खेर परिवार के लिए एक भावनात्मक घर वापसी थी। पद्म श्री कैलाश खेर ने इस भूली हुई परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी बहन के समर्पण पर बहुत गर्व व्यक्त किया। उन्होंने साझा किया, “डॉ. नूतन खेर को परम अमृत के माध्यम से प्राचीन आयुर्वेद को आधुनिक दुनिया में वापस लाते हुए देखना मुझे बहुत गर्व से भर देता है। यह यात्रा त्वचा की देखभाल से परे है – यह हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के बारे में है।” एक अद्वितीय उत्पाद संग्रह का अनावरण किया गया इस लॉन्च में परम अमृत के सावधानीपूर्वक तैयार किए गए उत्पादों का प्रारंभिक संग्रह प्रदर्शित किया गया, जिसमें सिग्नेचर शतधौत घृतमृत फेस क���रीम, कुमकुमादि फेस सीरम, पौष्टिक लिप बाम और आयुर्वेदिक साबुन की एक श्रृंखला शामिल है। प्रत्येक उत्पाद प्राचीन वैदिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है, जैसे पूर्णिमा के नीचे गंगा जल से 10,000 बार घी धोना, और निरंतर मंत्र जाप के माध्यम से सशक्त बनाना। ब्रांड आने वाले महीनों में अपनी लाइन का विस्तार करने की योजना बना रहा है, जिसमें बॉडी केयर और ब्यूटी उत्पादों की पूरी श्रृंखला शामिल है, जो सभी प्रामाणिकता और आध्यात्मिक शिल्प कौशल के प्रति समान समर्पण के साथ जुड़े हुए हैं। परम अमृत के सीएमओ योगेश ठाकुर ने कहा, “हमारा लक्ष्य पारंपरिक स्किनकेयर से बेहतर प्रीमियम अनुभव बनाना है। मंत्रों की परिवर्तनकारी ऊर्जा के साथ आयुर्वेदिक प्रथाओं का सामंजस्य स्थापित करके, हमारा लक्ष्य न केवल शारीरिक सुंदरता बल्कि आध्यात्मिक कल्याण भी प्रदान करना है।” एक यादगार लॉन्च इवेंट कार्यक्रम की शुरुआत पद्म श्री कैलाश खेर, श्री बाबा जी और डॉ. नूतन खेर सहित गणमान्य व्यक्तियों की अगुवाई में एक शांत गणेश वंदना और दीप प्रज्वलन समारोह के साथ हुई। इसके बाद डॉ. नूतन खेर और ऋचा मेहता की एक आकर्षक पैनल चर्चा हुई, जिसमें आज की दुनिया में मंत्र-युक्त स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई। एक समर्पित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रांड के दर्शन और उत्पाद की अवधारणा पर गहन चर्चा की गई, जिसमें मीडिया कर्मियों को एक विशेष अनुभव प्रदान किया गया। उपस्थित लोगों को संस्थापकों के साथ बातचीत करने और मंत्र-ऊर्जावान उत्पादों का व्यक्तिगत रूप से अनुभव करने का सौभाग्य मिला। परम अमृत के बारे में परम अमृत एक ऐसा ब्रांड है जो मंत्र औषधि की परिवर्तनकारी शक्ति को एकीकृत करके आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित है। प्रत्येक सावधानीपूर्वक हस्तनिर्मित उत्पाद समग्र कल्याण का प्रमाण है, जो मन, शरीर और आत्मा को जोड़ता है। प्राचीन अनुष्ठानों को आधुनिक स्वास्थ्य आकांक्षाओं के साथ मिलाकर, परम अमृत आयुर्वेदिक उत्पादों की एक अनूठी श्रृंखला पेश करता है जो सतही सुंदरता से परे आध्यात्मिक और भावनात्मक कायाकल्प को बढ़ावा देते हैं। [ad_2] Source link
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news365times · 16 days ago
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parasparivaarorg · 16 days ago
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जय माता दी पारस परिवार के साथ कुंडली भजन 
सनातन धर्म के हृदय में दिव्य मंत्र है: जय माता दी। यह सिर्फ़ अभिवादन से कहीं बढ़कर है; यह एक प्रार्थना है, सार्वभौमिक माँ, माँ का आह्वान है। चाहे वह मंदिरों में गूंजने वाले मधुर भजन हों या हमारे जीवन का मार्गदर्शन करने वाली कुंडली पढ़ना, हिंदू धर्म का सार पारस परिवार की आध्यात्मिक प्रथाओं में जटिल रूप से बुना हुआ है। आइए जानें कि पारस परिवार किस तरह से माँ के सार का जश्न मनाता है और कुंडली पढ़ने, भजन और सनातनी आध्यात्मिकता से इसका क्या संबंध है।
पारस परिवार और जय माता दी का महत्व
जय माता दी का जाप न केवल दिव्य माँ का आह्वान है, बल्कि दुनिया भर के हिंदू भाइयों (हिंदू भाइयों और बहनों) के लिए एक एकीकृत नारा भी है। पारस परिवार, सनातन धर्म में गहराई से निहित एक समुदाय है, जो माँ से जुड़ने के साधन के रूप में इस आध्यात्मिक अभिवादन पर जोर देता है। यह देवी से आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन की मांग करते हुए एक हार्दिक प्रार्थना का प्रतिनिधित्व करता है।
सनातन धर्म के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित पारस परिवार आध्यात्मिक एकजुटता का एक मजबूत समर्थक है। समुदाय प्राचीन परंपराओं को कायम रखता है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से हिंदू भाइयों को एक साथ लाता है, जो दिव्य माँ के प्रति अपने प्रेम और भक्ति से एकजुट होते हैं।
सनातन धर्म और पारस परिवार में कुंडली की भूमिका
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सनातन धर्म की प्रथाओं में, कुंडली (जन्म कुंडली) का एक प्रमुख स्थान है। ऐसा माना जाता है कि कुंडली जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर किसी के जीवन का खाका प्रदान करती है। पारस परिवार, वैदिक परंपराओं की अपनी गहरी समझ के साथ, भक्तों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर मार्गदर्शन करने के लिए कुंडली पढ़ने का उपयोग करता है।
हिंदू धर्म में कुंडली का महत्व
कुंडली की अवधारणा ब्रह्मांडीय ��्यवस्था से जुड़ी हुई है, जो हिंदू धर्म में एक मुख्य विश्वास है। प्रत्येक ग्रह (ग्रह) का व्यक्ति के जीवन पर एक विशिष्ट प्रभाव होता है। इन प्रभावों को समझकर, व्यक्ति चुनौतियों का सामना कर सकता है और शक्तियों का लाभ उठा सकता है। पारस परिवार कुंडली पढ़ने के माध्यम से आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे भक्तों को माँ और ब्रह्मांडीय शक्तियों द्वारा निर्धारित उनके जीवन पथ को समझने में मदद मिलती है।
कुंडली पढ़ना: पारस परिवार की एक परंपरा
पीढ़ियों से, कुंडली पढ़ना हिंदू धर्म में आध्यात्मिक प्रथाओं का हिस्सा रहा है। पारस परिवार इस परंपरा को जारी रखता है, अपने समुदाय के सदस्यों को व्यक्तिगत रीडिंग प्रदान करता है। इस प्राचीन प्रथा को ईश्वरीय इच्छा के साथ अपने कार्यों को संरेखित करने का एक तरीका माना जाता है, जिससे सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए माँ से आशीर्वाद मांगा जा सके। जब पारस परिवार के किसी जानकार मार्गदर्शक द्वारा कुंडली पढ़ी जाती है, तो यह जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे करियर, विवाह, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
पारस परिवार में भजनों की शक्ति
जय माता दी का कोई भी उत्सव भजनों की भावपूर्ण प्रस्तुति के बिना पूरा नहीं होता है। भजन ईश्वर की स्तुति में गाए जाने वाले भक्ति गीत हैं, विशेष रूप से माँ की कृपा पर ध्यान केंद्रित करते हुए। पारस परिवार को देवी माँ को समर्पित भजन गाने और रचना करने की अपनी समृद्ध परंपरा पर बहुत गर्व है।
भजन: हिंदू धर्म का आध्यात्मिक संगीत
सनातन धर्म के हृदय में, भजनों को भक्ति का संगीतमय अवतार माना जाता है। माना जाता है कि इन भजनों को गाने से उत्पन्न कंपन ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ प्रतिध्वनित होते हैं, जो गायक को माँ के करीब लाते हैं। पारस परिवार के भजन अपनी साद��ी, माधुर्य और गहरे आध्यात्मिक अर्थ के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें हिंदू भाइयों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाते हैं।
आत्मा पर भजनों का प्रभाव
भजन मन और आत्मा पर शांत प्रभाव डालते हैं। वे तनाव को दूर करने, विचारों को शुद्ध करने और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करते हैं। भजन गाने या सुनने का कार्य, विशेष रूप से जय माता दी के साथ गाया जाने वाला भजन, वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। पारस परिवार की सभाओं में, ये भजन एक शक्तिशाली सामूहिक आध्यात्मिक अनुभव बनाते हैं, जो हिंदू भाइयों की एकता और विश्वास को मजबूत करते हैं।
पारस परिवार के साथ सनातन धर्म का जश्न मनाना
सनातन धर्म को संरक्षित करने और मनाने के लिए पारस परिवार की प्रतिबद्धता इसकी विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों में स्पष्ट है। भव्य नवरात्रि कार्यक्रमों के आयोजन से लेकर नियमित भजन सत्रों की मेजबानी तक, ��ारस परिवार हिंदू धर्म की परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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pradeepdasblog · 22 days ago
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#Godmorningwednesday 🪴👏
#अनसुना_रहस्य_रामचरितमानस_का
मनु और शतरूपा को स्वयं "सच्चिदानंदघन ब्रह्म" ने वैदिक द्वादश अक्षर मंत्र दिए थे।
➡️ इन मंत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए अवश्य सुनें जगतगुरु तत्वदर्शी Sant Rampal Ji Maharaj जी के अमृत सत्संग
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chhayawalekar1782 · 23 days ago
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#अनसुना_रहस्य_रामचरितमानस_का
मनु और शतरूपा को स्वयं "सच्चिदानंदघन ब्रह्म" ने वैदिक द्वादश अक्षर मंत्र दिए थे। इन मंत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए अवश्य सुनें जगतगुरु तत्वदर्शी Sant Rampal Ji Maharaj जी के अमृत सत्संग प्रवचन।🙏🏻
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indlivebulletin · 27 days ago
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Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा कल, शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि और मंत्र तक, एक क्लिक में जानें सारे जवाब
Govardhan Puja on 2 November: गोवर्धन पूजा का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. हर साल दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा ���नाई जाती है. लेकिन कई बार गोवर्धन पूजा पर्व और दिवाली के बीच में एक दिन का अंतर आ जाता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ. इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने की वजह से दीपावली दो दिन मनाई गई. ऐसे में वैदिक पंचांग अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा कल यानी…
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astrovastukosh · 1 month ago
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अपनी राशि के समय के अनुसार शुद्ध मुहूर्त में करें दिपावली का पूजन हो जाएँगे माला - माल साल भर में!
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🌞🌳 🕉दीपावली पूजन के लिये चार विशेष मुहूर्त
👉1- वृश्चिक लग्न- यह लग्न दीपावली के सुबह आती है वृश्चिक लग्न में मंदिर, स्कूल, हॉस्पिटल, कॉलेज आदि में पूजा होती है। राजनीति से जुड़े लोग एवं कलाकार आदि इसी लग्न में पूजा करते हैं।
👉2- कुंभ लग्न- यह दीपावली की दोपहर का लग्न होता है। इस लग्न में प्रायः बीमार लोग अथवा जिन्हें व्यापार में काफी हानि हो रही है, जिनकी शनि की खराब महादशा चल रही हो उन्हें इस लग्न में पूजा करना शुभ रहता है।
👉3- वृषभ लग्न- यह लग्न दीपावली की शाम को प्रायः मिल ही जाता है तथा इस लग्न में गृहस्थ एवं व्यापारियों को पूजा करना सबसे उत्तम माना गया है।
👉4- सिंह लग्न- यह लग्न दीपावली की मध्यरात्रि के आस-पास पड़ता है तथा इस लग्न में तांत्रिक, सन्यासी आदि के लिए पूजा करना शुभ रहता है ।
दिल्ली के अनुसार लग्न की समय अवधि :-
👉वृश्चिक लग्न:- 07:00 से 10 :10 तक 👉कुंभ लग्न:- 13 :57 से 15 : 24 तक 👉वृषभ लग्न:- 18 :24 से 20 :19 तक 👉सिंह लग्न:- 00:59 से 03 :16 तक
🕉🚩महानिशीथ काल:-
महानिशीथ काल में धन लक्ष्मी का आवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य किया जाता है। श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य वैदिक तांत्रिक मंन्त्रों का जपानुष्ठान किया जाता है।
महानिशीथ काल रात्रि में 23:38 से 24:30 मिनट तक रहेगा। इस समयावधि में कर्क लग्न और सिंह लग्न होना शुभस्थ है। इसलिए अशुभ चौघडियों को भुलाकर यदि कोई कार्य प्रदोष काल अथवा निशिथकल में शुरु करके इस महानिशीथ काल में संपन्न हो रहा हो तो भी वह अनुकूल ही माना जाता है। महानिशिथ काल में पूजा समय चर लग्न में कर्क लग्न उसके बाद स्थिर लग्न, सिंह लग्न भी हों, तो विशेष शुभ माना जाता है। महानिशीथ काल में कर्क लग्न और सिंह लग्न होने के कारण यह समय शुभ हो गया है। जो शास्त्रों के अनुसार दीपावली पूजन करना चाहते हो, वह इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग कर सकते हैं। इसमें किया हुआ तंत्र प्रयोग मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन इत्यादि कर्म तांत्रिकों की ओर से किए जाते हैं। इस समय में किया हुआ कोई भी मंत्र सिद्ध हो जाता है। इस समय में सभी आसुरी शक्तियां जागृत हो जाती हैं। इस समय में घोर, अघोर, डाबर, साबर सभी प्रकार के मंत्रों की सिद्धि हो जाती है। इस��� समय उल्लूक तंत्र का प्रयोग साधक लोग करते हैं। पंच प्रकार की पूजा, काली पूजा, तारा, छिन्नमस्ता, बगुलामुखी पूजा इसी समय की जाती है। जो जन शास्त्रों के अनुसार दीपावली पूजन करना चाहते हो, उन्हें इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग करना चाहिए। वृष एवं सिंह लग्न में कनकधारा एवं ललितासहस्त्रनाम का पाठ विशेष लाभदायक माना गया है।
🕉🚩दीपदान मुहूर्त : लक्ष्मी पूजा दीपदान के लिए प्रदोष काल (रात्रि का पंचमांश प्रदोष काल कहलाता है) ही विशेषतया प्रशस्त माना जाता है। दीपावली के दिन प्रदोष काल सायं 05:50 से रात्रि 08:27 बजे तक रहेगा ।
🕉🚩राशियों के अनुसार लक्ष्मी पूजन मेष, सिंह और धनु
ये तीनों अग्नि तत्व प्रधान राशि है इन राशि वालों के लिए धन लक्ष्मी की पूजा विशेष लाभकारी होती है, मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके पास अनाज की ढेरी हो। चावल की ढेरी पर लक्ष्मीजी का स्वरूप स्थापित करें उनके सामने घी का दीपक जलाएं, उनको चांदी का सिक्का अर्पित करें। पूजा के उपरान्त उसी चांदी के सिक्के को अपने धन स्थान पर रख दें।
🕉🚩मिथुन, तुला और कुम्भ राशि
इन राशि वालों के लिए गजलक्ष्मी के स्वरूप की आराधना विशेष होती है, कारोबार में धन की प्राप्ति के लिए गज लक्ष्मी की पूजा, लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें दोनों तरफ उनके साथ हाथी हों, लक्ष्मीजी के समक्ष घी के तीन दीपक जलाएं, मां लक्ष्मी को एक कमल या गुलाब का फूल अर्पित करें, पूजा के उपरान्त उसी फूल को अपनी तिजोरी में रख दें।
🕉🚩वृष, कन्या, और मकर राशि :-
इस राशि के लोगों के लिए ऐश्वर्यलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है, नौकरी में धन की बढ़ोतरी के लिए ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा, गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की स्थापना करें, गणेशजी को पीले और लक्ष्मीजी को गुलाबी फूल चढ़ाएं, लक्ष्मीजी को अष्टगंध चरणों में अर्पित करें, नित्य प्रातः स्नान के बाद उसी अष्टगंध का तिलक लगाएं।
🕉🚩कर्क, वृश्चिक और मीन राशि :-
इस राशि के लिए वरलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है। धन के नुकसान से बचने के लिए वर जयपुर लक्ष्मी की पूजा में लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें। जिसमें वह खड़ी हों और धन दे रही हों, उनके सामने सिक्के तथा नोट अर्पित करें, पूजन के बाद यही धनराशि अपनी तिजोरी में रखें, इसे खर्च न करें। उपरोक्त विधि-विधान से पूजन करने पर भुवनेश्वर महालक्ष्मी आप पर प्रसन्न होगीं जम्मू तथा घर में समृद्धि व प्रसन्नता आयेगी
🕉🚩भारत में दीपावली पूजन का मुहूर्त (31.10.2024):-
👉व्यावसायिक स्थल में पूजन का समय, कुम्भ लग्न:- 13 :57 से 15 : 24 तक
👉घर में पूजन का समय, वृषभ लग्न:- 18 :24 से 20 :19 तक
👉प्रातः काल में पूजन का समय, वृश्चिक लग्न:- 07:00 से 10 :10 तक
👉साधना और सिद्धि का समय, सिंह लग्न:- 00:59 से 03 :16 तक
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rudrabhishekpuja · 1 month ago
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How much does maha mrityunjaya Puja cost in ujjain?
वैदिक विधि से किये गए महामृत्युंजय जाप का विशेष महत्व है और अगर यह उज्जैन में विद्वान ब्राह्मणो द्वारा किया जा रहा हो तो अति उत्तम फलदायक होता है। महामृत्युंजय मंत्र की महत्ता, उच्चारण विधि, और इससे क्या क्या लाभ प्राप्त होते है ये बहुत से लोगो को नहीं पता है
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व: महामृत्युंजय मंत्र सनातन धर्म में मृत्यु से भय को दूर करने वाला एक प्रभावशाली मंत्र है। इसका उच्चारण, जप, या ध्यान करने से व्यक्ति को भगवान शिव द्वारा आरोग्य, दीर्घायु, और जीवन के विभिन्न कठिनाइयों से बचाने की शक्ति मिलती है।
महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण विधि: महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करने के लिए व्यक्ति को श्वास लेने की विधि का पालन करना चाहिए। इसे शुभ समय और शुद्ध मन से करने से इसके प्रभाव में वृद्धि होती है।
महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
उज्जैन – महामृत्युंजय जाप के लिए उत्तम स्थान: उज्जैन नगरी एक प्राचीन एवं पवित्र नगर है। यहां पर महाकालेश्वर मंदिर अपने भगवान शिव के रूप में प्रसिद्ध है और यहां पर महामृत्युंजय मंत्र के जाप का विशेष महत्व है। यहां लाखों श्रद्धालु वर्ष भर में यात्रा करते हैं और मंत्र के जाप से भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं।
महामृत्युंजय जाप के लाभ: शारीरिक और मानसिक रूप से रोगों से रक्षा करता है। जीवन के विभिन्न कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है। ध्यान और धारणा की शक्ति को बढ़ाता है। आत्म-विकास और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
महामृत्युंजय मंत्र शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है और एक पवित्र जीवन की प्राप्ति के लिए साधकों के लिए एक अमूल्य संसाधन है। हम सभी को इस मंत्र का नियमित जाप करते रहना चाहिए।
How much does maha mrityunjaya Puja cost in ujjain?
Maha mrityunjaya puja cost is determined by the sort of yagna performed and the number of mantras sung.
The maha mrityunjaya puja cost in ujjain lasts three to four days and costs between Rs. 40,000 and Rs. 50,000 & it can be manage on call. Following the recitations, there is a Havan. Depending on the number of recitations, the havan might be small, medium, or large.
Our Other Puja Services
Book Rudrabhishek Puja in Ujjain Book Mangal Dosh Puja in Ujjain
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countryinsidenews · 2 months ago
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ढंडारी खुर्द विशाखा जाड़ कालोनी में मां कूष्मांडा का पूजन करते श्रद्धालु
लुधियाना, निखिल दुबे : ढंडारी खुर्द विशाखा जाड़ कालोनी में नवयुवक दुर्गा पूजा समारोह की ओर से 18 वां दुर्गा पूजन समारोह एवं भगवती जागरण का आयोजन करवाया गया है। इसमें पंडित राहुल परोहा ने वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ पूजन शुरू करवाया। बता दे शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्मांडा का पूजन करवाया गया। इस दौरान पंडित राहुल परोहा ने बताया मां कूष्मांडा की मंद मुस्कान से ही…
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blog4nation · 3 months ago
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मातृभाषा हिंदी l
नमस्ते हिंदी l
हिंदी भाषा की परिभाषा यह है कि व्यक्ति अपनी भावनाएं, इच्छाएं, समस्याएं और अपनी बातों को व्यक्त करते हैं और अपनी वक्तव्य को दूसरों तक पहुंचाता है और भाषा के द्वारा ही व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढता है, या दूसरों की समस्याओं का समाधान करता है l
यदि एक भाषा दूसरी भाषा को दबाता है तो इंसान खुद ब खुद दबता चला जाता है l
आइए हम सब मिलकर हिंदी को प्रोत्साहित करें, हिंदी को महत्व दें और हिंदी को आगे बढ़ावा देl
अपना एक ही अभियान हिंदी सर्वोपरि है l
हिंदी महान है…l.
हिंदी हम सब का सम्मान है..l
हिंदी, अभिव्यक्तित्व की निखार है l
हिंदी, अंतरात्मा की एक पुकार है..l
अपनों से अच्छा व्यवहार है l
हिंदी और संस्कृत भाषा में अपने पूर्वजों का संस्कार हैं l
अपनी भाषा हिंदी है तो समृद्धि है, उत्थान है और…
मानवता को विश्व स्तर पर पहुंचाने का एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की संपत्ति है l
हिंदी भाषा में स्वाबलंबन है, समरसता है, संभावना है, समर्पण है l
हिंदी है तो खुशियां और समृद्धि है l
हिंदी है तो सब सुख संपन्न है l
हिंदी भाषा में दूरदर्शिता है l
हिंदी भाषा अविष्कारों की जननी हैl
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की एक पहचान हैl
हिंदी महान है...l
हिंदी है तो बौद्धिक संस्कृति है
हिंदी है तो कवि और कलाकार है
हिंदी है तो बुद्धिजीवी अपार है l
हिंदी है तो ज्ञान का भंडार है l
हिंदी और संस्कृत है तो ..
लोगों को शास्त्र का ज्ञान है l
उपनिषद और वैदिक विज्ञान है ll
हिंदी है तो राष्ट्रभक्ति है,
नारी की शक्ति है l
हिंदी है तो युवा शक्ति है l
हिंदी है तो हिंदुस्तान शक्तिशाली है l
हिंदी एक साधना है l
हिंदी आराधना है l
अंतर्मन की पूजा है हिंदी l
अपनों की आदर और सत्कार है हिंदी l
हिंदी एक विचारधारा l
जो बहती गंगा सी धारा है ll
हिंदी कामधेनु गो है l
कल्पतरू है हिंदी ll
रिधि सिद्धि है हिंदी l
शुभ लाभ है हिंदी ll
सर्वे भवंतू सुखिना: है l
वसुदेव कुटुंबकम है ll
हिंदी है तो निस्वार्थ भावना है l
एक सहयोग है l
हिंदी एक योग है ll
कवि की कल्पना है हिंदी l
हिंदी है तो परिपक्वता है l
हिंदी, भाषा में एक विश्वास है l
हिंदी, विश्व गुरु बनने का ब्रह्मास्त्र हैl
हिंदी और संस्कृत है तो मानवता है l
ललाट पर लगी भगवा रोड़ी की टीका है हिंदी l
हम सभी के लिए वरदान है हिंदी l
राष्ट्र की मान और सम्मान है हिंदी l
आन, बान और शान हिंदी l
हिंदुत्व की जान है हिंदी l
हिंदी हमारी जुबान है l
हिंदी है तो हम जवान हैं l
उर्दू और फारसी के साथ भाईचारा निभाता आया है हिंदी l
उनके कुछ अनमोल शब्द खरीद रखे हैं हिंदी l
जय हिंद का नारा दिया है हिंदी ने l
राष्ट्रीयता पूरी निभाया है हिंदी ने l
स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर लड़ाई लड़ी है हिंदी ने l
हिंदुस्तान को आजादी दिलाई है हिंदी ने l
हिंदी है तो हम शक्तिमान हैं l
पत्रकारिता की लाठी है हिंदी l
लेखकों की साथी है हिंदी l
छात्रों का सहपाठी हिंदी l
रंगमंच की पहचान है हिंदी l
फिल्म जगत की जान है हिंदी l
गीत संगीत की आत्मा है हिंदी l
14 सितंबर की वार्षिक उत्सव तक ही सीमित नहीं है हिंदी l
साल के 365 दिनों तक साथ निभाता है हिंदी l
कार्यालय में भी बढ़-चढ़कर कार्य करता है हिंदी l
लाखों लेखकों का लेख -निबंध है हिंदी l
अनपढ़ों पर लगाती प्रतिबंध है हिंदी
हिंदी है तो स्वच्छता अभियान है l
हिंदी हमारे देश का अभिमान है l
हिंदी है तो पर्यावरण में गतिविधियां...है ,
प्रकृति के साथ जीने की अनेक विधियां है l
हिंदी है तो अनेकता में एकता हैl
हिंदी है तो अभिव्यक्ति की आजादी हैl
हिंदी भाषा का सकारात्मक दिशा में एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी हैं तो...
अनेकों व्यापार है..l
अच्छा व्यवहार है..l
आपस में प्यार और शिष्टाचार है l
हिंदी है तो न्यायालय में न्याय है l
जीने का अधिकार हैl
हिंदी में ही तो...
हीतो पदेस की कहानियां है l
हिंदी में तो विदुर नीति है l
हिंदी है तो चाणक्य नीति है l
जिस पर हिंदुस्तान टिकी है l
हिंदी में लिखी पंचतंत्र है l
राजनीति का एक मूल मंत्र है ll
हिंदी है तो ��ोकतंत्र है l
हिंदी है तो हम स्वतंत्र है l
हिंदी है तो...
पूजा-अर्चना है l
आशा है, अभिलाषा हैl
हिंदी, हिंदुत्व की परिभाषा है l
हिंदी है तो जीने की इच्छा है l
हिंदी अपने आप में एक उच्च शिक्षा है l
हिंदी में दिखाई देती भविष्य की तस्वीर है l
हिंदी ने कलम से लिखी लाखों लोगों की तकदीर है ll
हिंदी बदलती दशा के साथ दिखाती एक नई दिशा हैl
हिंदी है तो अपनों से रिश्ता है
अनजान भी फरिश्ता है l
हिंदी हिंदुत्व की एकत्रीकरण है
हिंदी इतिहास का स्मरण है l
दिनकर की दिनचर्या थी हिंदी.......l
कबीरदास, सूरदास और मीरा की वंदना थी हिंदी l
संस्कृत-हिंदी है तो तुलसीदास की रामचरितमानस है l हनुमान चालीसा है हिंदी l
सुंदरकांड का पाठ और गीता है हिंदीl
हिंदी है तो दुश्मन भी अपने सामने नतमस्तक है l
हिंदी है तो दुनिया हिंदुस्तान के सामने नतमस्तक है l
जय हिंद l
जय हिंदी ll
जय हिंदुस्तान lll
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं!
संभार :
मधुसूदन लाल
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astrobysadhak · 3 months ago
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बुध के गोचर से मालामाल हो जाएंगे ये जातक, बस इन जातकों को रहना होगा बहुत सतर्क!
ज्योतिष में बुध का गोचर एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संचार, व्यापार, शिक्षा और लेखन के कारक हैं। जब बुध किसी राशि में विराजमान रहते हैं, तो इसका प्रभाव हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। गोचर के समय बुध की स्थिति और उसकी दिशा हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। बुध का गोचर एक राशि से दूसरी राशि में लगभग 14 से 30 दिनों के बीच होता है। इस अवधि के दौरान, यह विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, बुध का मेष राशि में गोचर लोगों को नई सोच और नए विचारों की प्रेरणा दे सकता है, जबकि वृषभ राशि में गोचर होने पर यह व्यापार में स्थिरता और समृद्धि लाने में सक्षम होता है।
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बुध का सिंह राशि में गोचर: समय व तिथि
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध महाराज 04 सितंबर 2024 की सुबह 11 बजकर 31 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध का सिंह राशि में गोचर होने से राशि चक्र की सभी 12 राशियों पर असर देखने को मिलेगा।
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का बहुत अधिक महत्व है। इसे बुद्धि, तर्कशक्ति, संचार, व्यापार, और शिक्षा का कारक ग्रह माना जाता है। बुध ग्रह का नाम संस्कृत में ‘बुध’ है, जिसका अर्थ है “बुद्धिमान”। यह ग्रह व्यक्ति के मानसिक स्तर, ज्ञान, विवेक, और तर्कशक्ति को प्रभावित करता है। बुध व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और शिक्षा के स्तर को दर्शाता है। जिनकी कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में विराजमान होते हैं, वे लोग तेज दिमाग, तर्कशक्ति, और ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले होते हैं। इन्हें गणित, विज्ञान, और साहित्य में विशेष रुचि होती है।
बुध ग्रह का धार्मिक महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का धार्मिक महत्व भी गहरा है। बुध को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। भगवान विष्णु को संतुलन और धैर्य का देवत�� माना जाता है, और बुध भी व्यक्ति के जीवन में संतुलन, विवेक और समझदारी लाता है। बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति धार्मिकता की ओर आकर्षित होता है और उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। धार्मिक रूप से, यह वेदों, शास्त्रों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुध का अनुकूल प्रभाव व्यक्ति को धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने और उनमें रुचि रखने की प्रेरणा देता है।
बुध ग्रह के अनुकूल प्रभाव के लिए आसान उपाय
बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और इसके शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप बुध के दुष्प्रभाव से छुट���ारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
बुध मंत्र का जाप
बुध के मंत्र का नियमित जाप करना बुध ग्रह के दोषों को कम करने में सहायक होता है। बुधवार के दिन सुबह स्नान करके हरे वस्त्र पहनकर इस मंत्र -ॐ बुं बुधाय नमः का कम से कम 108 बार जाप करें।
भगवान गणेश की पूजा
बुध ग्रह का संबंध भगवान गणेश से भी है। बुध के दोषों को शांत करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें। इसके अलावा, बुधवार के दिन गणेश जी की आराधना करने से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होता है।
हरा वस्त्र और हरे रंग का प्रयोग
बुध ग्रह का रंग हरा माना जाता है इसलिए बुध के शुभ प्रभाव के लिए बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनें और हरे रंग की वस्तुओं का दान करें। इसके अलावा, मूंग की दाल का दान करना भी लाभकारी होता है।
गाय को हरा चारा खिलाना
गाय को हरा चारा खिलाना बुध ग्रह के दोषों को कम करने का एक प्रभावी उपाय है। विशेष रूप से बुधवार के दिन इस उपाय को करने से बुध के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
आंवला और हरी सब्जियों का सेवन
आंवला और हरी सब्जियों का सेवन करना बुध ग्रह को मजबूत बनाता है। बुध को बलवान बनाने के लिए अपने आहार में हरी सब्जियों, विशेषकर आंवला को शामिल करें।
रुद्राक्ष धारण करना
पांच मुखी रुद्राक्ष को बुध के लिए शुभ माना गया है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से बुध के अशुभ प्रभावों में कमी आती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तुलसी की पूजा
तुलसी का पौधा बुध से संबंधित होता है। घर में तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी नियमित पूजा करें। तुलसी को जल अर्पित करें और उसके पास दीपक जलाएं। इससे बुध ग्रह के दोष कम होते हैं।
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astrotalk1726 · 3 months ago
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क्या आप जानते हैं कि कई बार जन्मकुंडली में दोष होते हैं जो वैवाहिक जीवन में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। कुंडली मिलान के दौरान इन दोषों की पहचान की जाती है और उन्हें दूर करने के उपाय सुझाए जाते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखा जा सकता है।?
हाँ, मैं जानता हूँ कि जन्मकुंडली में कुछ दोष होते हैं जो वैवाहिक जीवन में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। कुंडली मिलान के दौरान इन दोषों की पहचान की जाती है और इन्हें दूर करने के उपाय सुझाए जाते हैं ताकि वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखा जा सके। यदि आपकी कुंडली में विवाह के समय कोई समस्या हो रही है। तो आप Vivaha Sutram 2 software की मदद ले सकते है. जो आपकी कुंडली के आधार पर बेहतर जानकारी दे सकता है
यहाँ कुछ प्रमुख दोषों का उल्लेख है जो वैवाहिक जीवन में बाधा डाल सकते हैं:
मांगलिक दोष (मंगल दोष): यदि जन्मकुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित हो, तो इसे मांगलिक दोष कहा जाता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में संघर्ष, मतभेद, और कभी-कभी तलाक की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके निवारण के लिए विभिन्न उपाय जैसे कि मांगलिक व्यक्ति से ही विवाह, पूजा-पाठ, और ��िशेष रत्न धारण करने का सुझाव दिया जाता है।
शनि का प्रभाव: शनि का अत्यधिक प्रभाव भी वैवाहिक जीवन में देरी, कठिनाइयों और तनाव का कारण बन सकता है। यदि शनि सप्तम भाव (विवाह का भाव) पर दृष्टि डाल रहा हो, तो यह समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
निवारण के उपाय:
विशेष पूजा और यज्ञ: विभिन्न दोषों के निवारण के लिए विशेष पूजा और यज्ञ का आयोजन किया जाता है। उदाहरण के लिए, मांगलिक दोष के निवारण के लिए मंगल पूजा और कुज दोष के निवारण के लिए हनुमान पूजा की जाती है।
रत्न धारण करना: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, दोषों को दूर करने के लिए उचित रत्न धारण करना फायदेमंद हो सकता है। जैसे कि मांगलिक दोष के लिए मूंगा (लाल प्रवाल) धारण किया जा सकता है।
मंत्र जाप: विभिन्न मंत्रों का जाप दोषों को कम करने में सहायक हो सकता है, जैसे कि "मंगल मंत्र" या "शनि मंत्र" का जाप।
गौदान और अनुष्ठान: कुछ दोषों के निवारण के लिए गौदान या अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं।
इन उपायों का उद्देश्य दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना है। हालांकि, यह सभी उपाय किसी Vivaha Sutram 2 Software सलाह |
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vaikunth · 4 months ago
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गायत्री मंत्र जप के लाभ
गायत्री मंत्र जाप हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली अनुष्ठान है, जो आत्मिक उन्नति और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। वैदिक रीति से इस मंत्र का जाप करने से आपके मन, शरीर, और आत्मा की शुद्धि होती है और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस मंत्र को सही से जाप विधिपूर्वक करने के लिए हमारे पंडित को बुक करें, जो आपकी पूजा को सफल बनाने में आपकी मदद करेंगे।
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edufly · 5 months ago
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वैदिक सभ्यता क्या है?
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https://grammarpdf.com/vaidik-sabhyata-in-hindi
वैदिक सभ्यताः - सिंधु घाटी सभ्यता के पश्चात भारत में जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ उसे ही आर्य अथवा वैदिक सभ्यता या वैदिक काल के नाम से जाना जाता है। वैदिक सभ्यता या वैदिक काल की जानकारी हमे मुख्यतः वेदों से प्राप्त होती है
वैदिक काल (1500 ई. पूर्व-600ई.पूर्व)
उत्तर वैदिक काल (1000-600ई.पूर्व) - इस काल की जानकारी अन्य वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद से मिलते हैं
ऋग्वैदिक काल (1500-1000ई.पूर्व) - इस काल की जानकारी ऋग्वेद से मिलती है
वैदिक काल में आर्यों का आगमन भारत में हुआ था। आर्य संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "श्रेष्ठ" आर्यों का मूल निवा�� स्थान
मैक्समूलर - मध्य एशिया दयानंद सरस्वती - तिब्बत  बाल गंगाधर तिलक - उत्तरी ध्रुव
आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में आकर बसे । यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। आर्यों की भाषा संस्कृत थी।
आर्यों की प्रशासनिक इकाई पांच भागों में बटी थी - कुल, ग्राम, विश, जन, राष्ट्र
कुल कितने वेद हैं:- 4 वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, सामवेद
ऋग्वेदः - ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है
इसमें 10 मंडल 1028 सूक्त और 10462 ऋचाएं हैं ऋग्वेद के तीसरे मंडल में ���ायत्री मंत्र हैं
ऋग्वेद :- 
ऋग्वेद मैं स्तोत्र और प्रार्थनाएं का संचय है
ऋग्वेद में कुल मंत्रों की संख्या 10580 है इसमें 118 मंत्र दोहराए गए हैं मूल मंत्रों की संख्या 10462 है
यजुर्वेदः -
यजुर्वेद में यज्ञों के नियमों एवं विधि विधान का संकलन मिलता है इसमें बलिदान विधि का भी वर्णन है
सामवेद:- 
"साम" का शाब्दिक अर्थ है गान इसे भारतीय "संगीत का जनक" कहा जाता है इसमें संगीतमय स्तोत्र का वर्णन है
अथर्ववेदः - 
अथर्ववेद अथर्वा ऋषि द्वारा रचित है इसमें कुल 731 मंत्र हैं तथा लगभग 6000 पद्य हैं अथर्ववेद का संबंध चिकित्सा तंत्र मंत्र और वशीकरण से है
वेद - 4  पुराण - 18 उपनिषद - 108
उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है "गुरुओं के समीप बैठना" "सत्यमेव जयते" मुंडक उपनिषद से लिया गया है
वेदांग की संख्या 6 है -
ऋग्वैदिक काल में समाज 4 वर्णों में बंटा हुआ था
ब्राह्मण
क्षत्रिय
वैश्य 
शूद्र
ऋग्वैदिक काल में वर्ण व्यवसाय के आधार पर निर्धारित किए गए थे
वैदिक काल के देवताः-
1. इंद्रः- यह आर्यों के सर्वाधिक प्रिय देवता थे, इन्हें युद्ध तथा वर्षा का देवता माना जाता था और इन्हें पुरंदर भी कहते थे
2. अग्निः- आग के देवता
3. वरुण:- वायु देवता
4. सोमः - जंगल के देवता
5. मारुतः - तूफान के देवता
6. रुद्रः- ये सबसे क्रोध वाले देवता थे
ऋग्वैदिक काल की नदियां:-
आधुनिक नाम = प्राचीन नाम
शुतुद्रि = सतलज
पुरुष्णी = रावी
अस्किनी = चिनाब
वितस्ता =झेलम
विपाशा = व्यास
सरस्वती/दृशद्वती = घग्घर
कुभा = काबुल
कुमु = कुर्रम
सदानीरा = गंडक
सुवस्तु = स्वात
वेद और उपनिषद को पढ़कर ही 6 ऋषियों ने अपना दर्शन गढ़ा है। इसे भारत का षड्दर्शन कहते हैं।
1. सांख्य दर्शनः - कपिल
2. न्याय दर्शन:- गौतम
3. योग दर्शन:- पतंजलि
4. वैशेषिक दर्शनः - कणाद
5. उत्तर मीमांसाः- वादरायण
6. पूर्वी मीमांसाः- जैमिनी
ऋग्वैदिक काल महत्वपूर्ण तथ्य
आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था
आर्यों का समाज पितृप्रधान था
गाय को अधन्या (ना मारे जाने योग्य पशु की श्रेणी में रखा गया था)
आर्यों का प्रिया पशु घोड़ा एवं सर्वाधिक प्रिय देवता इंद्र थे
आर्यों द्वारा खोजी के धातु लोहा थी
ऋग्वेद में सरस्वती नदी सबसे महत्वपूर्ण तथा पवित्र मानी जाती थी
ऋग्वेद में गंगा का उल्लेख 1 बार यमुना का उल्लेख 3 बार तथा सिंधु नदी का उल्लेख सर्वाधिक बार हुआ है
उत्तरवैदिक काल के महत्वपूर्ण तथ्य
उत्तरवैदिक काल में इंद्र की बजाए प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता बन गए
उत्तर वैदिक काल में वर्ण व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे थे
यव (जौ), व्रीहि (धान), माड़ (उड़द), गुदग (मूंग), गोधूम (गेंहू), मसूर आदि खाद्यान्नों का वर्णन यजुर्वेद में मिलता है।
उत्तरवैदिक ग्रन्थों में लोहे के लिए लौह अयस एवं कृष्ण अयस शब्द का प्रयोग हुआ है अतरंजीखेड़ा में पहली बार कृषि से सम्बन्धित लौह उपकरण प्राप्त हुए हैं।
वैदिक सभ्यता के महत्वपूर्ण प्रश्न - 
पूर्व-वैदिक या ऋग्वैदिक संस्कृति का काल किसे माना जाता है ? - 1500 ई. पू.-1000 ई. पू.
उत्तर-वैदिक संस्कृति का काल किसे माना जाता है ? - 1000 ई. पू.-600 ई. पू.
'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ है - श्रेष्ठ या कुलीन
किस फसल का ज्ञान वैदिक काल के लोगों को नहीं था ? - तम्बाकू
उत्तर-वैदिक काल के वेदविरोधी और ब्राह्मणविरोधी धार्मिक अध्यापकों को किस नाम से जाना जाता था ?  - श्रमण
वैदिक गणित का महत्वपूर्ण अंग है - शुल्व सूत्र
किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई है? - ऋग्वेद
वेदों की संख्या कितनी है ? - चार
भारत के राजचि में प्रयुक्त होने वाले शब्द 'सत्यमेव जयते' किस उपनिषद् से लिए गए हैं ? - मुण्डक उपनिषद् से
ऋग्वैदिक आर्यों का मुख्य व्यवसाय क्या था ? - पशुपालन
भारतीय संगीत का आदिग्रन्थ कहा जाता है - सामवेद
प्रमुख दर्शन और उनके प्रवर्तक
प्रवर्तक = दर्शन 
कपिल = सांख्य
गौतम = न्याय
चार्वाक = चार्वाक
योग = पतंजलि
जैमिनी = पूर्व मीमांसा
बादरायण = उत्तरमीमांसा
कणाद = वैशेषिक
कृष्ण भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रन्थ है – श्रीमद्भागवतगीता
ऋग्वेद में संपत्ति का प्रमुख रूप क्या है ? - गोधन
ऋग्वेद के किस मंडल में शूद्र का उल्लेख पहली बार मिलता है ?  - 10वें
वेदों की ऋचाओं को पढ़ने वाले ऋषि को क्या कहते हैं - होतृ
ऋग्वेद का सम्बन्ध किससे है ? - ईश्वर महिमा से
ऋग्वेद में कुल मंडल हैं - 10
ऋग्वेद में कुल सूक्तियाँ हैं -1028
ऋग्वेद में कुल ऋचाएँ हैं -10580
ऋग्वेद में इन्द्र के लिए ऋचाएँ हैं -250
ऋग्वेद में अग्नि के लिए ऋचाएँ हैं -200
सबसे पुराना वेद कौन-सा है ? - ऋग्वेद
ज्ञान-वेदों की संख्या चार है-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद। इनमें सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है।
त्रयी नाम है -  तीन वेदों का
ज्ञान-ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा सामवेद को 'वेदत्रयी' या 'त्रयी' कहा जाता है।
किस वैदिक ग्रन्थ में 'वर्ण' शब्द का सर्वप्रथम नामोल्लेख मिलता है ? - ऋग्वेद में
भारत का सबसे प्राचीन धर्म ग्रन्थ कौन-सा है ? - वेद
अथर्व का अर्थ क्या है ? - पवित्र जादू
पूर्व मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक कौन है ?  - जैमिनी
सबसे प्राचीन पुराण कौन-सा है ? - मत्स्य पुराण
ब्राह्मण ग्रन्थों में सबसे प्राचीन ग्रन्थ कौन-सा है ? - शतपथ ब्राह्मण 
वर्ण व्यवस्था से सम्बन्धित 'पुरुष सूक्त' मूलतः पाया जाता है - ऋग्वेद में
'गोपथ ब्राह्मण' सम्बन्धित है - अथर्ववेद से
उपनिषदों का मुख्य विषय है - दर्शन
नचिकेता आख्यान का उल्लेख मिलता है - कठोपनिषद् में
पुराणों की संख्या कितनी है ? -18
वैदिक धर्म का मुख्य लक्षण किसकी उपासना से था ? - प्रकृति
किस देवता के लिए ऋग्वेद में 'पुरंदर' शब्द का प्रयोग हुआ है? – इंद्र
'शुल्व सूत्र' किस विषय से सम्बन्धित पुस्तक है ? - ज्यामिति
'असतो मा सदगमय' कहाँ से लिया गया है ? - ऋग्वेद
आर्य भारत में बाहर से आए और सर्वप्रथम बसे थे - पंजाब में
ऋग्वेद का कौन-सा मंडल पूर्णतः सोम को समर्पित है ?  - नौवाँ मंडल
प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध 'दाशराज युद्ध' किस नदी के तट पर लड़ा गया ? - परुष्णी
धर्मशास्त्रों में भूराजस्व की दर क्या है ? -1/6
800 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व का काल किस युग से जुड़ा है? - ब्राह्मण युग
आरम्भिक वैदिक साहित्य में सर्वाधिक वर्णित नदी है - सिन्धु
उपनिषद् काल के राजा अश्वपति कहाँ के शासक थे ?  - केकय के
अध्यात्म ज्ञान के विषय में नचिकेता और यम का संवाद किस उपनिषद् में प्राप्त होता है ?  - कठोपनिषद् में
वैदिक नदी कुभा (काबुल) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए ? - अफगानिस्तान में 
कपिल मुनि ��्वारा प्रतिपादित दार्शनिक प्रणाली है - सांख्य दर्शन
भारत के किस स्थल की खुदाई से लौह धातु के प्रमाण मिले हैं ? प्रचलन के प्राचीनतम  - अतरंजीखेड़ा
किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी ? - धर्मशास्त्र के काल में
गायत्री मंत्र (देवी सावित्री को सम्बोधित) किस पुस्तक में मिलता है ? - ऋग्वेद में
न्यायदर्शन को प्रचारित किया था - गौतम ने
प्राचीन भारत में 'निष्क' से जाने जाते थे - स्वर्ण आभूषण
योग दर्शन के प्रतिपादक हैं - पतंजलि
उपनिषद् पुस्तकें हैं - दर्शन पर
पूर्व-वैदिक आर्यों का धर्म प्रमुखतः था - प्रकृति-पूजा और यज्ञ
'चरक संहिता' नामक पुस्तक किस विषय से सम्बन्धित है ? - चिकित्सा
यज्ञ सम्बन्धी विधि-विधानों का पता चलता है - यजुर्वेद से
वैदिक युगीन 'सभा' क्या थी ? - मंत्रिपरिषद्
वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी - गणतंत्र
सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है ? - ऋग्वेद
कौन भारतीय दर्शन की आरम्भिक विचारधारा है ? - सांख्य
सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा एवं वेदांत - इन छः भिन्न भारतीय दर्शनों की स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति हुई - वैदिक युग में
वह दस्तकारी कौन-सी है जो आर्यों द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी ? - लुहार (लुहारगीरी)
प्राचीनतम व्याकरण 'अष्टाध्यायी' के रचनाकार हैं - पाणिनि
कौन-सी स्मृति प्राचीनतम है ? - मनुस्मृति
'आदि काव्य' की संज्ञा किसे दी जाती है ? - रामायण
प्राचीनतम पुराण है - मत्स्य पुराण
ऋग्वेद में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है ? - सरस्वती
वैदिक समाज की आधारभूत इकाई थी - काल/कुटुम्ब
ऋग्वैदिक युग की प्राचीनतम संस्था कौन-सी थी ? - विदथ
ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है ? - शतपथ ब्राह्मण
'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई ? - उत्तर-वैदिक काल
'मनुस्मृति' मुख्यतया सम्बन्धित है - समाज व्यवस्था से
गायत्री मंत्र की रचना किसने की थी ? - विश्वामित्र ने
'अवेस्ता' और 'ऋग्वेद' में समानता है। 'अवेस्ता' किस क्षेत्र से सम्बन्धित है? - ईरान से
किसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है ? - सामवेद का
किस वेद में जादुई माया और वशीकरण (magical charms and spells) का वर्णन है ? - अथर्ववेद में
'आर्य' शब्द इंगित करता है - नृजाति समूह को
 प्राचीनतम विवाह संस्कार का वर्णन करने वाला 'विवाह सूक्त' किसमें पाया जात�� है ?  - ऋग्वेद में
ऋग्वेद में 'अघन्य' (वध योग्य नहीं) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया था ?  - गाय के
ऋग्वेद में किन नदियों का उल्लेख अफगानिस्तान के साथ आर्यों के सम्बन्ध का सूचक है ?  - कुभा, क्रमु
आर्यों के आर्कटिक होम सिद्धान्त का पक्ष किसने लिया था ? - बी. जी. तिलक ने
 'अथर्व' का अर्थ है - पवित्र जादू
कौन-सा वेद अंशतः गद्य रूप में भी रचित है ? - यजुर्वेद
उत्तर-वैदिक काल में किस देवता को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था ?  - प्रजापति
- संस्कारों की कुल संख्या कितनी है ? -16
कर्म का सिद्धान्त सम्बन्धित है - मीमांसा से
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hindugods01 · 5 months ago
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गणेश जी की आरती फास्ट!! #ganesha #god #ganesh_ji_status_video श्री गणेशाय !! ki aarti !! ganesh aarti !! गणेशाय नमः !! ganeshay namah !! shree ganeshay !! ganeshaya namah !! shri ganeshay !! नमो नमः !! om gananesh !! gan ganpataye !! bappa morya !! ganesh chaturthiगणेश स्तुति मंत्र !! Ganesh Mantra in Hindi !! इच्छापूर्ति गणेश मंत्र !! गणेश जी का ध्यान मंत्र !! गणेश मंत्र 108 !! गणेश जी का वैदिक मंत्र !! गणेश मूल मंत्र !! गणेश मंत्र लाभ !!
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