#विश्वकोजेहादीइस्लामऔरईसाइयतसेखतराक्यूँहै
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भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं? इस देश में रहने वाले तथाकथित ब्रेनवाश किये हुए लिबरल हिन्दू और तथाकथित सेक्युलर लोग, मुगलों और ब्रिटिश हुकूमत की दासता के फलस्वरूप उत्पन्न कनवर्टेड और प्रोग्राम्ड मुस्लिम और इसाई, जिन्हें अपनी जड़ों का भान नहीं है, जो षड़यंत्रकारियों और देशी विदेशी दुश्मनों के हाथ की कठपुतलियां बनकर अपने ही राष्ट्र को खोखला और खंडित करने के लिए जी जान से प्रयासरत हैं। ये सभी 1000 वर्षों की दासता और पिछले 75 वर्षों की कांग्रेस और कम्युनिस्ट अलगाववादियों और भारत की संप्रभुता और विराट गौरवमयी और प्राचीन संस्कृति को समूल नष्ट करने की इच्छा रखने वाले, दोगले, गद्दार और निकृष्टतम मनुष्य रुपी पिशाच हैं। इनके लिए इनके व्यक्तिगत छुद्र स्वार्थ, शत्रुओं के द्वारा फेंकी गयी बोटियाँ और प्रलोभन सबकुछ है, यह अपना जमीर और आत्मा गिरवी रख चुके हैं उनके क़दमों में और इस महान राष्ट्र को पददलित और नष्ट करने में लगे हुए हैं। यह सभी लोग, सदा से ही इस देश और इस महान संस्कृति को नष्ट करनेवाले, इसे पददलित और कुरूप करने वाले, इस राष्ट्र और इसकी समृद्धि और श्रेष्ठता से घृणा करनेवाले और इसे लूटने और बर्बाद करने की चाह रखनेवाले सभी आंतरिक और बाहरी लूटेरों, विदेशी आ���्रान्ताओं, हमलावरों, और इस राष्ट्र की अखंडता और एकता को भंग करने के नीच इरादे रखनेवाले लोगों की हाथ की कठपुतली रहे हैं। पिछले 1000 वर्षों से, आज यह सभी लोग, इसाई और इस्लामिक राष्ट्रों और आतंकवादी संगठनों के हाथों की कठपुतलियां बनकर अपनी ही मातृभूमि और इसकी परम पूजनीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मलिन और कुरूप करने में मुख्य उपकरण बने हुए हैं। इस देश का दुर्भाग्य है की इसने अवतारों, श्रेष्ठतम मानवों और देशभक्त वीरों के साथ साथ बेहद शर्मनाक और नीच लोगों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने लाभ के लिए अपनी मातृभूमि का सौदा लुटेरों और वहशी जानवरों के साथ किया है और आज भी कर रहे हैं। आज यह महान देश अलगाववादियों, जाति, धर्म और वोट बैंक की राजनीति करके सत्ता में बने रहने की लिप्सा में हर जघन्य अपराध करनेवाले और राष्ट्र को खोखला करनेवाले भ्रष्ट और निकृष्ट राजनीतिज्ञों और उनके दलालों और गुलामों से सबसे ज्यादा त्रस्त है। यह दीमक की तरह इस देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक मूल्यों और विरासत को नष्ट करने के भयानक षड़यंत्र में लगे हुए हैं। यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है, इस देश को बाहरी दुश्मनों से ही नहीं इन आस्तीन के साँपों और गद्दारों से सबसे ज्यादा खतरा है, सबसे पहले इनका उपचार करना और राष्ट्र को इनकी गद्दारी और दुष्टता के पंजे से मुक्त करना सबसे प्राथमिक कार्य है।
यह सभी लोग ईसाइयत और इस्लामिक प्रभुत्व की आकांक्षा रखने वाले लोगों के गुलाम और तलवे चाटने वाले जीव बन गये हैं और उनके नीच और दूषित उद्देश्यों और इस राष्ट्र को संकट ग्रस्त रखने और इसे तोड़ने के दुर्भाग्य पूर्ण षड़यंत्र में सहयोगी हैं, सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए। जी हां, इस्लाम, ईसाइयत और कम्युनिज्म की बुनियाद में ही यह है, ऐसा इस्लाम और ईसाइयत के प्रवर्तकों की वजह से नहीं उनके माननेवाले लोगों के पागलपन, राजनैतिक महत्वकांक्षा, सत्ता और शक्ति के उन्माद की वजह से। हजारों साल के हमारे इतिहास में हमारे राष्ट्र ने कभी भी किसी भी मुल्क पर अपनी सत्ता और प्रभुत्व स्थापित करने के लिए हमला नहीं किया है, हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा ने कभी भी किसी भी कौम और संप्रदाय के लोगों को हमारी संस्कृति, और मूल्यों को अपनाने के लिए किसी भी किस्म का कोई भी प्रयास बलपूर्वक, छल पूर्वक और षड्यंत्रपूर्वक नहीं किया है, यह हमारे खून और संस्कार में नहीं रहा कभी भी। यह अलग बात है की आज असंख्य लोग विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के प्रबुद्ध निवासी भारत और भारतीय संस्कृति और इसकी आध्यात्मिक विरासत को अपनाने और इसका अनुसरण करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। तमाम विकसित राष्ट्रों में लाखों लोग सनातन परंपरा में दीक्षित होकर धर्मप्राण जीवन जीने की और अग्रसर हो रहें हैं, हमारी संस्कृति और परंपरा के उद्दात और परम मानवीय गुण सदा से पूरे विश्व में आदरणीय और अनुकरणीय रहे हैं, यह अपने प्रारंभ से लोगों के ह्रदय और आत्मा को प्रभावित करते रहे हैं, आज भी कर रहे हैं, आप स्वयं देख सकते हैं hindu russia world wide hindu temples सभी लोग स्वेच्छा से भारतीय आध्यात्मिक विरासत को अंगीकार करके जीवन के उच्चतम मूल्यों और रहस्यों का साक्षात्कार कर अपना जीवन धन्य कर रहे हैं, प्रेम और करुणा के वशीभूत होकर, बिना किसी प्रलोभन, लालच या विवशता के, स्वेच्छा से लोग योग, ध्यान, तंत्र साधना पद्धतियों और उपासना के मार्गों पर चल रहे हैं। यह है प्रेम और श्रेष्ठता का प्रभाव, यदि आपमें कुछ भी बेहतर है तो वह लोगों के ह्रदय और आत्मा को स्वतः ही छुएगा और लोग ��से सहर्ष स्वीकार करेंगे, आपको किसी पर कुछ भी आरोपित करने की जरुरत नहीं है, लेकिन यह बात इस देश के बाहर जन्म लिए सम्प्रदायों और उनके प्रभाव में जीने वाले गुलाम लोग कभी भी नहीं समझ पाए हैं और न समझ सकेंगे कभी भी। प्रेम ही जीवन का केंद्र है और सभी की आंतरिक आकांक्षा प्रेम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, स्वयं के सत्य को जानने के अलावा कुछ भी मनुष्य को समस्त दुखों और बंधनों से मुक्त नहीं कर सकता है, यही हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी खोज और देन है विश्व को, हमने सारे विश्व को जीवन जीने की कला और जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने की विधियाँ और साधन उपलब्ध कराएँ हैं। मनुष्यता के इतिहास में इतने महिमामयी आध्यात्मिक पुरुष, योगी और मुक्त पुरुष धरती पर कहीं जन्म नहीं लिए हैं, संपूर्ण विश्व में सभी धर्म और सम्प्रदायों के जनक और प्रवर्तकों ने धर्म की प्रेरणा हमारे मुक्त पुरुषों और हमारी पुन्य सलिला धरती से ग्रहण की है, जीसस अपने प्रकटीकरण और सूली लगने के उपरांत भारत में कश्मीर में ही अपना जीवन व्यतीत किये हैं मृत्यु पर्यंत, उनकी समाधी आज भी वहां मौजूद है। मुहम्मद साहब ने भी हमारे योगियों और साधकों से प्रेरणा ग्रहण की थी, उनके धर्म स्थल मक्का मदीना पर तीर्थयात्रियों द्वारा किये जाने वाले सारे संस्कार और क्रियायें हमारी संस्कृति से प्रेरित हैं, परिक्रमा से लेकर बिना सिले वस्त्र पहनने की परंपरा आदि सब यहाँ से ही लिया गया है, इस्लाम से पहले पूरा यूरोप और अरबिया प्रकृति पूजक था, स्वयं मुहम्मद एक प्रकृति पूजक परिवार से थे इस्लाम के उद्भव के पूर्व 360 मूर्तियों और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करने वाले लोगों में से थे।
दूसरों पर शासन करने और उन्हें अपना गुलाम बनाने या उनकी संस्कृति और जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की भावना, इच्छा और उद्देश्य हमारे यहाँ कभी भी नहीं रहा है। हम सदा से ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और धन, धान्य और समृद्धि से भरपूर रहें हैं, हमें कभी ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ी है, यही हमारी संस्कृति और राष्ट्र की विशेषता है जो इसे विश्व में सबसे मूल्यवान और अनूठा बनाता है और दूसरों के लिए इर्ष्या और नफरत की वजह, लोग क्यूँ खुद को इतना विकसित नहीं करना चाहते? भारत को कोई कभी नहीं मिटा पाया और न कभी भी मिटा पायेगा, यह विश्व की आध्यात्मिक राजधानी थी, है और सर्वदा रहेगी , जब तक इस धरती पर जीवन है। लेकिन हमारी यही सभी खूबियां, गुणवत्ता और अतुलनीय संपत्ति और समृद्धि दुनिया के तमाम लूटेरों, ठगों, लालची और विस्तार और वैभव के आकांक्षियों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी ने इन तमाम दुर्दांत ठगों, लूटेरों, उपनिवेशवादियों और हमलावरों को इस धरती पर आक्रमण करने और इसे अपना निशाना बनाने के लिए प्रेरित किया है, और हमारे ही देश के गद्दारों और नीच लोगों ने इस लूट और बर्बादी में सहयोग किया है और आज भी यही कर रहे हैं ईसाइयत और इस्लाम, यह दोनों सम्प्रदाय पूरी दुनिया में अपनी बर्बरता, क्रूरता और अमानवीय सोच और कारनामों की वजह से पनपे हैं इनका उद्देश्य अपना प्रचार और प्रसार और बाकी सब का विनाश है, जो इनकी तरह नहीं है, या इन जैसे वहशी, पागल दरिन्दे, अंधे और अज्ञानी और मूढ़ बनने को राजी नहीं हैं। इन दोनों सम्प्रदायों के लोग धार्मिक नहीं है, वे राजनैतिक महत्वकांक्षा से भरे हैं और सारी दुनिया को अपनी वहशत और दहशत के रंग में रंगना चाहते है, और काफी हद तक कामयाब भी हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो ��ह है कि इस्लाम और ईसाइयत के माननेवाले अपने ही पैगंबरों के खिलाफ रहे है उनके जीवन भर, एक को सूली दे दी, और दूसरे को उम्र भर खत्म करने का षडयंत्र रचते रहे और उनकी मृत्यु के बाद उनके सारे परिवार की हत्या कर दी। इनके माननेवालों ने जब अपने प्रवर्तकों के साथ ही ऐसा किया तो बाकी लोगों के साथ क्या कर सकते थे, इस्लाम हत्या, लूट, बलात्कार के बल पर फैला है और इसाइयों का तरीका पहले यही था अब बदल गए है अब वो दान, कुटिलता, अभावग्रस्त और उपेक्षित लोगों के शोषण और उनपर दया दिखाने के नाटक को, अपने संप्रदाय में कन्वर्जन के लिए इस्तेमाल करके लोगो को अपने संप्रदाय का हिस्सा बनाने का और लोगों को अपनी ही जड़ों से नफरत करने और उनकी सोच और दृष्टि को विकृत करने का नीच और दुष्टता भरा कार्य कर रहे है। इन दोनों संप्रदाय के मानने वालों ने पिछले 2000 वर्षों में करोड़ों निर्दोष और मासूम लोगों की हत्या की है और लोगों को बलपूर्वक अपने संप्रदाय में शामिल किया है, इन्होंने दूसरी सभ्यता और संस्कृतियों को समूल नष्ट कर दिया अपनी सत्ता और विस्तार की हवस को पूरा करने के लिए। इनका पूरा इतिहास खून खराबे, लूट, हत्या, खूनी जिहाद और बलात्कार से भरा है, सिर्फ अपनी संख्या बढ़ाने और अपने उन्माद और पागलपन से लोगों का जीवन और संस्कृति नष्ट करते हुए, यह आज भी कायम है, यह भयानक हत्यारी सोच है और बेहद घृणास्पद और अमानवीय है। दूसरों की तो छोड़िए यह अपनी ही कौम के लोगो की हत्या और बलात्कार में संलग्न है, सीरिया, यमन, इराक़, ईरान, अफ्रीका, अरब और अन्य इस्लामिक देशों में यह अपने ही कौम के लोगों की हत्या कर रहे है, पूरी धरती पर सबसे विकृत और पाशविक कौम है यह, और ऊपर से बदगुमान और झूठा प्रचार की यह शांतिप्रिय लोग हैं। यह दोनों संप्रदाय धरती को नरक बनाए हुए है, पिछले 2000 सालों से, हमारी संस्कृति को भी नष्ट करने के लिए और यहां के मूल निवासियों को आतंक, लालच, और अन्य अमानवीय तरीके से परिवर्तित करके अपने सम्प्रदायों के विस्तार में लगे हुए है, यह बेहद घृणित और शर्मनाक है, हत्या, बलात्कार, आबादी का विस्फोट, कन्वर्शन, जिहाद, आतंकवाद इनके उपकरण है इनके विस्तार और सत्ता के लिए। इसाई, मिशनरी और चर्च के माध्यम से और इस्लामी लोग अपने धार्मिक उन्माद, लव जेहाद, जनसंख्या विस्फोट, और गैर कानूनी कब्जा करके राष्ट्र के राष्ट्र लील गए है। एक कबीले से शुरू हुआ था इस्लाम और आज धरती पर 57 देश इस्लामिक है, सब के सब जोर जबरदस्ती, लूट, हत्या और बलात्कार के दम पर, यही इनकी हकीकत और तरीका है विस्तार का। इसी सब की बदौलत ईसाइयत और इस्लाम मानने वालों की आबादी इस धरती पर सबसे अधिक है। इनका काम ही है विश्व की श्रेष्ठ और महान संस्कृतियों की हत्या और विलोपन और इनकी बर्बर और असभ्य प��ुवत कबीले वाली मानसिकता और जीवन व्यवहार का विस्तार। इन हिंसक, बर्बर और हमलावर और हत्यारी कौमों के बाद सनातन परंपरा के लोग इस धरती पर सबसे अधिक संख्या में है, साथ ही यह धरती पर सबसे शांतिप्रिय और सुसंस्कृत सभ्यता और विचार रखने वाले लोग है, जो इन कुत्सित मानसिकता के लोगों को खटकते हैं।
हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, जब इन सभी का अस्तित्व था ही नहीं, यह सभी हमारी संस्कृति के ज्ञान और विकास के सामने, सभी हमलावर कौमें आज भी आदिम बर्बर युग की मानसिकता में जी रहे है, लेकिन अब यह सबसे आधुनिक युद्ध तकनीक और हमले के गुप्त और ज्यादा भयानक हथियारों से हमारी संस्कृति और विरासत को नष्ट करने में संलग्न है, इन्हे रोकना और अपनी देव संस्कृति और मूल्यों की रक्षा हमारा परम धर्म है। भारतवर्ष पर पहले भी हमले हुए हैं और आज भी हमारी संस्कृति के विद्रूपण और विलोपन की सारी कोशिशें इन्ही लोगो द्वारा या इनके दलालों और गुलामों द्वारा की जा रही हैं, यह पहले भी असफल हुए और हमेशा रहेंगे, लेकिन पूरा विश्व इनकी शैतानियत और हैवानियत से पीड़ित और त्रस्त है। हमे इनके नीच इरादों और षडयन्त्रों को नष्ट करना होगा, यही पूरी मानवता के हित में है, वर्ना यह पूरे विश्व को अपनी बिमारियों से ग्रस्त और त्रस्त कर रहे हैं, यह बेहद उन्माद ग्रस्त और विक्षिप्त लोग हैं, इनके नीच इरादों में इन्हें सफल नहीं होने देना ही सम्पूर्ण मानव जाति के हित में है। आज इस्लाम, हमारे अलावा इसाईं देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि सभी को अपनी जहालत और जिहाद का शिकार बना रहा है, सारी दुनिया आज इस्लामिक जिहाद और आतंकवाद से बुरी तरह त्रस्त है, यह लोग जहाँ भी जाते है, हत्या, लूट, बलात्कार, जनसँख्या विस्फोट आदि हथियारों का इस्तेमाल करके वहां के मूल निवासियों का जीना दूभर कर रहे हैं। यह लोग, इन सभी देशों में शरणार्थी की हैसियत से आये थे, उन तमाम देशों से, जहाँ इस्लाम और शरिया का प्रभुत्व है से भागकर अपनी जान बचाकर, जहाँ मुसलमान ही मुसलमान की हत्या और बलात्कार कर रहे हैं, सीरिया, यमन, ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफ्रीका, और सभी इस्लामिक देश वहां वो एक दुसरे का ही खून बहा रहे हैं और भागकर दुसरे देशों में शरण की भीख मांगते हैं। दुसरे राष्ट्रों द्वारा इन्हें शरण देने पर ही, कुछ समय के अंदर यह वहां की सरकार कानून और व्यवस्था को मिटाकर अपना कानून और व्यवस्था बनाने की मांग करने लगते हैं, इसी वजह से कुछ देशों ने इस्लाम को और मुसलमानों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्कों में से चीन और जापान में मुसलमानों को स्थायी नागरिकता नहीं दी जाती है, और न ही उन्हें कोई विशेषाधिकार दिए जाते हैं, ऐसा, अमेरिका और रूस में भी किया जा रहा है। आज सारे विश्व में इसाई और इस्लामिक देशों के बीच खूनी संघर्ष कई दशकों से चल रहा है, और वजह है, सत्ता और संसाधनों पर आधिपत्य और अपने संप्रदाय का प्रभुत्व कायम करने की महत्वाकांक्षा, दूसरे संप्रदाय के लोगों को कन्वर्ट करके या हत्या करके अपने संप्रदाय में करना। यह लोग बेहद क्रूर और हेवानियत भरे कारनामे अंजाम देने में सैकड़ों वर्षों से लगे हुए हैं और यह आज भी जारी है, और पता नहीं यह हैवानियत का खेल कब रुकेगा और कब इन दुराग्रही, लालची, दुष्ट, अंधे और मूर्ख लोगों की आँखें खुलेगी। दुनिया के बहुत सारे देश इनकी असलियत पहचान कर इनसे अपने राष्ट्र और जनता को सुरक्षित करने के लिए इनका बहिष्कार और देश निकाला कर दिया है, यहाँ तक की पूरी तरह मुसलमान अरब मुल्कों से भी पाकिस्तान और अन्य मुल्कों के संदिग्ध मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जा रहा है। अभी हाल ही मे श्रीलंका में इस्लामिक आतंकवादियों ने करीब 350 लोगों को बम विस्फोट से उड़ा दिया, आज श्रीलंका में इस्लाम को माननेवालों के खिलाफ बेहद गुस्सा और नफरत है, वहां की मस्जिदों को बंद कर दिया गया है और वहां बाहर से आये हुए सभी मुसलमानों को उनके मूल स्थान, जैसे पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों की और जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, बाहर भेजा जा रहा है। ऐसा म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ किया गया और ऐसा संपूर्ण विश्व में हो रहा है, कोई भी इनके साथ रहम, प्रेम और मानवता दिखने की भयानक कीमत चुकाने के लिए तैयार नहीं है, यह लोग बेहद कृतघ्न और अमानवीय सिद्ध हो रहे हैं। धरती को इनके दुष्ट और आतयायी पंजे से बचाना पूरी मानवता के हित में है, और हमे इसके लिए जागरूक और समर्थ होना पड़ेगा और इनके शैतानी इरादों को नष्ट करना होगा, आज यह सिर्फ भारत की नहीं पूरी विश्व की समस्या है, और इसे हम सबको मिलकर निर्मूल करना है, तभी यह विश्व एक परिवार की तरह, सारी विविधताओं और संस्कृतियों का महान आयोजन और समारोह बन पायेगा। आज सनातन परंपरा विश्व के सभी शांतिप्रिय और जीवन के उच्चतर आयामों को जीने की अभिलाषा रखने वाले और जीवन के परम सत्य की खोज करने वाले सभी जिज्ञासुओं, भक्तों और साधकों के लिए सबसे प्रथम और अंतिम गंतव्य बन चुका है। आज विश्व में सभी विकसित और विकासशील राष्ट्र, रूस, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस और अफ्रीका में अनगिनत लोग सनातन परंपरा को अंगीकार करके जीवन की मधुरता और आंतरिक सत्य को प्राप्ति की दिशा में गतिमान हो रहे हैं, बिना किसी प्रचार, प्रलोभन या बल प्रयोग के, यही हमारी सनातन परंपरा और भारतीय संस्कृति का प्रभ���व है, यह सभी के ह्रदय और आत्मा को छू��ी है और उन्हें आंतरिक रूपंतार्ण में सहयोगी होकर जीवन के परम सत्य को उपलब्ध करने में सहयोगी बनती है जो मनुष्य जीवन धारण करने के परम उद्देश्य और लक्ष्य है। आइये अपनी 15000 वर्षों से अधिक प्राचीन और सर्वोत्तम मानवीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को इन दुराग्रही, आततायी और दुष्ट और जाहिल बर्बर लोगों से सुरक्षित करें और जो पिछले हज़ार साल में इस देश और पूरे विश्व में हुआ है उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना और आशंका को निर्मूल करें और पुनः सनातन धर्म और परंपरा को पुष्ट और पुनर्स्थापित करें इसके सम्पूर्ण गौरव और वैभव में।
हमारी संस्कृति एक वैश्विक संस्कृति है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम" का उपदेश और सन्देश दिया, हमारी संस्कृति सभी के कल्याण और उत्थान की प्रेरणा और संकल्प से युक्त है, यही इसे विश्व की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों से महान बनाती है, आओ इसके गौरव की पुनः प्रतिष्ठा करें। हमारा देश भारत आज विश्व में पुनः प्रतिष्ठा पा रहा है, एक सुदृढ़ और प्रभावी नेतृत्व में और हमें इसे पुनः इसके प्राचीन गौरव और महिमा के साथ पुनः स्थापित करने से कोई भी नहीं रोक सकता है, हमें यह संकल्प करना होगा की हमारे राष्ट्र की गरिमा और गौरव और अखंडता अक्षुण्ण बनी रहे। हमारी भावना और प्रार्थना समस्त विश्व के कल्याण और उत्थान के लिए - ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा- कश्चिद्दुः- खभाग्भवेत्- । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (उपनिषद् से साभार, संस्कृत भाषा में) Meaning in Hindi (हिंदी अर्थ) - ॐ सब सुखी हों सब स्वस्थ हों । सब शुभ को पहचान सकें कोई प्राणी दुःखी ना हो ।। हमारे जीवन की प्रभावना और उद्देश्य - असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ हे परम, हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो । मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥ जय माँ भारती, जय भारत भूमि, जय भारतवर्ष, जय हिन्द Read the full article
#isaiyataurislam#radicalIslam#threattoworldpeace#इसाईमिशनरीकाषड़यंत्र#ईसाइयतऔरइस्लाम#भारतकेअसलीदुश्मन#भारतकेवास्तविकशत्रु#मानवताकेशत्रु#विश्वकोजेहादीइस्लामऔरईसाइयतसेखतराक्यूँहै#विश्वमेंसनातन��र्मकाप्रभाव#सनातनपरंपराऔरविश्व#सनातनपरंपराऔरसंस्कृतिकेशत्रु#हिन्दुओंकेशत्रु
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भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं? इस देश में रहने वाले तथाकथित ब्रेनवाश किये हुए लिबरल हिन्दू और तथाकथित सेक्युलर लोग, मुगलों और ब्रिटिश हुकूमत की दासता के फलस्वरूप उत्पन्न कनवर्टेड और प्रोग्राम्ड मुस्लिम और इसाई, जिन्हें अपनी जड़ों का भान नहीं है, जो षड़यंत्रकारियों और देशी विदेशी दुश्मनों के हाथ की कठपुतलियां बनकर अपने ही राष्ट्र को खोखला और खंडित करने के लिए जी जान से प्रयासरत हैं। ये सभी 1000 वर्षों की दासता और पिछले 75 वर्षों की कांग्रेस और कम्युनिस्ट अलगाववादियों और भारत की संप्रभुता और विराट गौरवमयी और प्राचीन संस्कृति को समूल नष्ट करने की इच्छा रखने वाले, दोगले, गद्दार और निकृष्टतम मनुष्य रुपी पिशाच हैं। इनके लिए इनके व्यक्तिगत छुद्र स्वार्थ, शत्रुओं के द्वारा फेंकी गयी बोटियाँ और प्रलोभन सबकुछ है, यह अपना जमीर और आत्मा गिरवी रख चुके हैं उनके क़दमों में और इस महान राष्ट्र को पददलित और नष्ट करने में लगे हुए हैं। यह सभी लोग, सदा से ही इस देश और इस महान संस्कृति को नष्ट करनेवाले, इसे पददलित और कुरूप करने वाले, इस राष्ट्र और इसकी समृद्धि और श्रेष्ठता से घृणा करनेवाले और इसे लूटने और बर्बाद करने की चाह रखनेवाले सभी आंतरिक और बाहरी लूटेरों, विदेशी आक्रान्ताओं, हमलावरों, और इस राष्ट्र की अखंडता और एकता को भंग करने के नीच इरादे रखनेवाले लोगों की हाथ की कठपुतली रहे हैं। पिछले 1000 वर्षों से, आज यह सभी लोग, इसाई और इस्लामिक राष्ट्रों और आतंकवादी संगठनों के हाथों की कठपुतलियां बनकर अपनी ही मातृभूमि और इसकी परम पूजनीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मलिन और कुरूप करने में मुख्य उपकरण बने हुए हैं। इस देश का दुर्भाग्य है की इसने अवतारों, श्रेष्ठतम मानवों और देशभक्त वीरों के साथ साथ बेहद शर्मनाक और नीच लोगों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने लाभ के लिए अपनी मातृभूमि का सौदा लुटेरों और वहशी जानवरों के साथ किया है और आज भी कर रहे हैं। आज यह महान देश अलगाववादियों, जाति, धर्म और वोट बैंक की राजनीति करके सत्ता में बने रहने की लिप्सा में हर जघन्य अपराध करनेवाले और राष्ट्र को खोखला करनेवाले भ्रष्ट और निकृष्ट राजनीतिज्ञों और उनके दलालों और गुलामों से सबसे ज्यादा त्रस्त है। यह दीमक की तरह इस देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक मूल्यों और विरासत को नष्ट करने के भयानक षड़यंत्र में लगे हुए हैं। यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है, इस देश को बाहरी दुश्मनों से ही नहीं इन आस्तीन के साँपों और गद्दारों से सबसे ज्यादा खतरा है, सबसे पहले इनका उपचार करना और राष्ट्र को इनकी गद्दारी और दुष्टता के पंजे से मुक्त करना सबसे प्राथमिक कार्य है।
यह सभी लोग ईसाइयत और इस्लामिक प्रभुत्व की आकांक्षा रखने वाले लोगों के गुलाम और तलवे चाटने वाले जीव बन गये हैं और उनके नीच और दूषित उद्देश्यों और इस राष्ट्र को संकट ग्रस्त रखने और इसे तोड़ने के दुर्भाग्य पूर्ण षड़यंत्र में सहयोगी हैं, सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए। जी हां, इस्लाम, ईसाइयत और कम्युनिज्म की बुनियाद में ही यह है, ऐसा इस्लाम और ईसाइयत के प्रवर्तकों की वजह से नहीं उनके माननेवाले लोगों के पागलपन, राजनैतिक महत्वकांक्षा, सत्ता और शक्ति के उन्माद की वजह से। हजारों साल के हमारे इतिहास में हमारे राष्ट्र ने कभी भी किसी भी मुल्क पर अपनी सत्ता और प्रभुत्व स्थापित करने के लिए हमला नहीं किया है, हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा ने कभी भी किसी भी कौम और संप्रदाय के लोगों को हमारी संस्कृति, और मूल्यों को अपनाने के लिए किसी भी किस्म का कोई भी प्रयास बलपूर्वक, छल पूर्वक और षड्यंत्रपूर्वक नहीं किया है, यह हमारे खून और संस्कार में नहीं रहा कभी भी। यह अलग बात है की आज असंख्य लोग विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के प्रबुद्ध निवासी भारत और भारतीय संस्कृति और इसकी आध्यात्मिक विरासत को अपनाने और इसका अनुसरण करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। तमाम विकसित राष्ट्रों में लाखों लोग सनातन परंपरा में दीक्षित होकर धर्मप्राण जीवन जीने की और अग्रसर हो रहें हैं, हमारी संस्कृति और परंपरा के उद्दात और परम मानवीय गुण सदा से पूरे विश्व में आदरणीय और अनुकरणीय रहे हैं, यह अपने प्रारंभ से लोगों के ह्रदय और आत्मा को प्रभावित करते रहे हैं, आज भी कर रहे हैं, आप स्वयं देख सकते हैं hindu russia world wide hindu temples सभी लोग स्वेच्छा से भारतीय आध्यात्मिक विरासत को अंगीकार करके जीवन के उच्चतम मूल्यों और रहस्यों का साक्षात्कार कर अपना जीवन धन्य कर रहे हैं, प्रेम और करुणा के वशीभूत होकर, बिना किसी प्रलोभन, लालच या विवशता के, स्वेच्छा से लोग योग, ध्यान, तंत्र साधना पद्धतियों और उपासना के मार्गों पर चल रहे हैं। यह है प्रेम और श्रेष्ठता का प्रभाव, यदि आपमें कुछ भी बेहतर है तो वह लोगों के ह्रदय और आत्मा को स्वतः ही छुएगा और लोग उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे, आपको किसी पर कुछ भी आरोपित करने की जरुरत नहीं है, लेकिन यह बात इस देश के बाहर जन्म लिए सम्प्रदायों और उनके प्रभाव में जीने वाले गुलाम लोग कभी भी नहीं समझ पाए हैं और न समझ सकेंगे कभी भी। प्रेम ही जीवन का केंद्र है और सभी की आंतरिक आकांक्षा प्रेम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, स्वयं के सत्य को जानने के अलावा कुछ भी मनुष्य को समस्त दुखों और बंधनों से मुक्त नहीं कर सकता है, यही हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी खोज और देन है विश्व को, हमने सारे विश्व को जीवन जीने की कला और जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने की विधियाँ और साधन उपलब्ध कराएँ हैं। मनुष्यता के इतिहास में इतने महिमामयी आध्यात्मिक पुरुष, योगी और मुक्त पुरुष धरती पर कहीं जन्म नहीं लिए हैं, संपूर्ण विश्व में सभी धर्म और सम्प्रदायों के जनक और प्रवर्तकों ने धर्म की प्रेरणा हमारे मुक्त पुरुषों और हमारी पुन्य सलिला धरती से ग्रहण की है, जीसस अपने प्रकटीकरण और सूली लगने के उपरांत भारत में कश्मीर में ही अपना जीवन व्यतीत किये हैं मृत्यु पर्यंत, उनकी समाधी आज भी वहां मौजूद है। मुहम्मद साहब ने भी हमारे योगियों और साधकों से प्रेरणा ग्रहण की थी, उनके धर्म स्थल मक्का मदीना पर तीर्थयात्रियों द्वारा किये जाने वाले सारे संस्कार और क्रियायें हमारी संस्कृति से प्रेरित हैं, परिक्रमा से लेकर बिना सिले वस्त्र पहनने की परंपरा आदि सब यहाँ से ही लिया गया है, इस्लाम से पहले पूरा यूरोप और अरबिया प्रकृति पूजक था, स्वयं मुहम्मद एक प्रकृति पूजक परिवार से थे इस्लाम के उद्भव के पूर्व 360 मूर्तियों और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करने वाले लोगों में से थे।
दूसरों पर शासन करने और उन्हें अपना गुलाम बनाने या उनकी संस्कृति और जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की भावना, इच्छा और उद्देश्य हमारे यहाँ कभी भी नहीं रहा है। हम सदा से ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और धन, धान्य और समृद्धि से भरपूर रहें हैं, हमें कभी ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ी है, यही हमारी संस्कृति और राष्ट्र की विशेषता है जो इसे विश्व में सबसे मूल्यवान और अनूठा बनाता है और दूसरों के लिए इर्ष्या और नफरत की वजह, लोग क्यूँ खुद को इतना विकसित नहीं करना चाहते? भारत को कोई कभी नहीं मिटा पाया और न कभी भी मिटा पायेगा, यह विश्व की आध्यात्मिक राजधानी थी, है और सर्वदा रहेगी , जब तक इस धरती पर जीवन है। लेकिन हमारी यही सभी खूबियां, गुणवत्ता और अतुलनीय संपत्ति और समृद्धि दुनिया के तमाम लूटेरों, ठगों, लालची और विस्तार और वैभव के आकांक्षियों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी ने इन तमाम दुर्दांत ठगों, लूटेरों, उपनिवेशवादियों और हमलावरों को इस धरती पर आक्रमण करने और इसे अपना निशाना बनाने के लिए प्रेरित किया है, और हमारे ही देश के गद्दारों और नीच लोगों ने इस लूट और बर्बादी में सहयोग किया है और आज भी यही कर रहे हैं ईसाइयत और इस्लाम, यह दोनों सम्प्रदाय पूरी दुनिया में अपनी बर्बरता, क्रूरता और अमानवीय सोच और कारनामों की वजह से पनपे हैं इनका उद्देश्य अपना प्रचार और प्रसार और बाकी सब का विनाश है, जो इनकी तरह नहीं है, या इन जैसे वहशी, पागल दरिन्दे, अंधे और अज्ञानी और मूढ़ बनने को राजी नहीं हैं। इन दोनों सम्प्रदायों के लोग धार्मिक नहीं है, वे राजनैतिक महत्वकांक्षा से भरे हैं और सारी दुनिया को अपनी वहशत और दहशत के रंग में रंगना चाहते है, और काफी हद तक कामयाब भी हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस्लाम और ईसाइयत के माननेवाले अपने ही पैगंबरों के खिलाफ रहे है उनके जीवन भर, एक को सूली दे दी, और दूसरे को उम्र भर खत्म करने का षडयंत्र रचते रहे और उनकी मृत्यु के बाद उनके सारे परिवार की हत्या कर दी। इनके माननेवालों ने जब अपने प्रवर्तकों के साथ ही ऐसा किया तो बाकी लोगों के साथ क्या कर सकते थे, इस्लाम हत्या, लूट, बलात्कार के बल पर फैला है और इसाइयों का तरीका पहले यही था अब बदल गए है अब वो दान, कुटिलता, अभावग्रस्त और उपेक्षित लोगों के शोषण और उनपर दया दिखाने के नाटक को, अपने संप्रदाय में कन्वर्जन के लिए इस्तेमाल करके लोगो को अपने संप्रदाय का हिस्सा बनाने का और लोगों को अपनी ही जड़ों से नफरत करने और उनकी सोच और दृष्टि को विकृत करने का नीच और दुष्टता भरा कार्य कर रहे है। इन दोनों संप्रदाय के मानने वालों ने पिछले 2000 वर्षों में करोड़ों निर्दोष और मासूम लोगों की हत्या की है और लोगों को बलपूर्वक अपने संप्रदाय में शामिल किया है, इन्होंने दूसरी सभ्यता और संस्कृतियों को समूल नष्ट कर दिया अपनी सत्ता और विस्तार की हवस को पूरा करने के लिए। इनका पूरा इतिहास खून खराबे, लूट, हत्या, खूनी जिहाद और बलात्कार से भरा है, सिर्फ अपनी संख्या बढ़ाने और अपने उन्माद और पागलपन से लोगों का जीवन और संस्कृति नष्ट करते हुए, यह आज भी कायम है, यह भयानक हत्यारी सोच है और बेहद घृणास्पद और अमानवीय है। दूसरों की तो छोड़िए यह अपनी ही कौम के लोगो की हत���या और बलात्कार में संलग्न है, सीरिया, यमन, इराक़, ईरान, अफ्रीका, अरब और अन्य इस्लामिक देशों में यह अपने ही कौम के लोगों की हत्या कर रहे है, पूरी धरती पर सबसे विकृत और पाशविक कौम है यह, और ऊपर से बदगुमान और झूठा प्रचार की यह शांतिप्रिय लोग हैं। यह दोनों संप्रदाय धरती को नरक बनाए हुए है, पिछले 2000 सालों से, हमारी संस्कृति को भी नष्ट करने के लिए और यहां के मूल निवासियों को आतंक, लालच, और अन्य अमानवीय तरीके से परिवर्तित करके अपने सम्प्रदायों के विस्तार में लगे हुए है, यह बेहद घृणित और शर्मनाक है, हत्या, बलात्कार, आबादी का विस्फोट, कन्वर्शन, जिहाद, आतंकवाद इनके उपकरण है इनके विस्तार और सत्ता के लिए। इसाई, मिशनरी और चर्च के माध्यम से और इस्लामी लोग अपने धार्मिक उन्माद, लव जेहाद, जनसंख्या विस्फोट, और गैर कानूनी कब्जा करके राष्ट्र के राष्ट्र लील गए है। एक कबीले से शुरू हुआ था इस्लाम और आज धरती पर 57 देश इस्लामिक है, सब के सब जोर जबरदस्ती, लूट, हत्या और बलात्कार के दम पर, यही इनकी हकीकत और तरीका है विस्तार का। इसी सब की बदौलत ईसाइयत और इस्लाम मानने वालों की आबादी इस धरती पर सबसे अधिक है। इनका काम ही है विश्व की श्रेष्ठ और महान संस्कृतियों की हत्या और विलोपन और इनकी बर्बर और असभ्य पशुवत कबीले वाली मानसिकता और जीवन व्यवहार का विस्तार। इन हिंसक, बर्बर और हमलावर और हत्यारी कौमों के बाद सनातन परंपरा के लोग इस धरती पर सबसे अधिक संख्या में है, साथ ही यह धरती पर सबसे शांतिप्रिय और सुसंस्कृत सभ्यता और विचार रखने वाले लोग है, जो इन कुत्सित मानसिकता के लोगों को खटकते हैं।
हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, जब इन सभी का अस्तित्व था ही नहीं, यह सभी हमारी संस्कृति के ज्ञान और विकास के सामने, सभी हमलावर कौमें आज भी आदिम बर्बर युग की मानसिकता में जी रहे है, लेकिन अब यह सबसे आधुनिक युद्ध तकनीक और हमले के गुप्त और ज्यादा भयानक हथियारों से हमारी संस्कृति और विरासत को नष्ट करने में संलग्न है, इन्हे रोकना और अपनी देव संस्कृति और मूल्यों की रक्षा हमारा परम धर्म है। भारतवर्ष पर पहले भी हमले हुए हैं और आज भी हमारी संस्कृति के विद्रूपण और विलोपन की सारी कोशिशें इन्ही लोगो द्वारा या इनके दलालों और गुलामों द्वारा की जा रही हैं, यह पहले भी असफल हुए और हमेशा रहेंगे, लेकिन पूरा विश्व इनकी शैतानियत और हैवानियत से पीड़ित और त्रस्त है। हमे इनके नीच इरादों और षडयन्त्रों को नष्ट करना होगा, यही पूरी मानवता के हित में है, वर्ना यह पूरे विश्व को अपनी बिमारियों से ग्रस्त और त्रस्त कर रहे हैं, यह बेहद उन्माद ग्रस्त और विक्षिप्त लोग हैं, इनके नीच इरादों में इन्हें सफल नहीं होने देना ही सम्पूर्ण मानव जाति के हित में है। आज इस्लाम, हमारे अलावा इसाईं देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि सभी को अपनी जहालत और जिहाद का शिकार बना रहा है, सारी दुनिया आज इस्लामिक जिहाद और आतंकवाद से बुरी तरह त्रस्त है, यह लोग जहाँ भी जाते है, हत्या, लूट, बलात्कार, जनसँख्या विस्फोट आदि हथियारों का इस्तेमाल करके वहां के मूल निवासियों का जीना दूभर कर रहे हैं। यह लोग, इन सभी देशों में शरणार्थी की हैसियत से आये थे, उन तमाम देशों से, जहाँ इस्लाम और शरिया का प्रभुत्व है से भागकर अपनी जान बचाकर, जहाँ मुसलमान ही मुसलमान की हत्या और बलात्कार कर रहे हैं, सीरिया, यमन, ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफ्रीका, और सभी इस्लामिक देश वहां वो एक दुसरे का ही खून बहा रहे हैं और भागकर दुसरे देशों में शरण की भीख मांगते हैं। दुसरे राष्ट्रों द्वारा इन्हें शरण देने पर ही, कुछ समय के अंदर यह वहां की सरकार कानून और व्यवस्था को मिटाकर अपना कानून और व्यवस्था बनाने की मांग करने लगते हैं, इसी वजह से कुछ देशों ने इस्लाम को और मुसलमानों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्कों में से चीन और जापान में मुसलमानों को स्थायी नागरिकता नहीं दी जाती है, और न ही उन्हें कोई विशेषाधिकार दिए जाते हैं, ऐसा, अमेरिका और रूस में भी किया जा रहा है। आज सारे विश्व में इसाई और इस्लामिक देशों के बीच खूनी संघर्ष कई दशकों से चल रहा है, और वजह है, सत्ता और संसाधनों पर आधिपत्य और अपने संप्रदाय का प्रभुत्व कायम करने की महत्वाकांक्षा, दूसरे संप्रदाय के लोगों को कन्वर्ट करके या हत्या करके अपने संप्रदाय में करना। यह लोग बेहद क्रूर और हेवानियत भरे कारनामे अंजाम देने में सैकड़ों वर्षों से लगे हुए हैं और यह आज भी जारी है, और पता नहीं यह हैवानियत का खेल कब रुकेगा और कब इन दुराग्रही, लालची, दुष्ट, अंधे और मूर्ख लोगों की आँखें खुलेगी। दुनिया के बहुत सारे देश इनकी असलियत पहचान कर इनसे अपने राष्ट्र और जनता को सुरक्षित करने के लिए इनका बहिष्कार और देश निकाला कर दिया है, यहाँ तक की पूरी तरह मुसलमान अरब मुल्कों से भी पाकिस्तान और अन्य मुल्कों के संदिग्ध मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जा रहा है। अभी हाल ही मे श्रीलंका में इस्लामिक आतंकवादियों ने करीब 350 लोगों को बम विस्फोट से उड़ा दिया, आज श्रीलंका में इस्लाम को माननेवालों के खिलाफ बेहद गुस्सा और नफरत है, वहां की मस्जिदों को बंद कर दिया गया है और वहां बाहर से आये हुए सभी मुसलमानों को उनके मूल स्थान, जैसे पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों की और जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, बाहर भेजा जा रहा है। ऐसा म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ किया गया और ऐसा संपूर्ण विश्व में हो रहा है, कोई भी इनके साथ रहम, प्रेम और मानवता दिखने की भयानक कीमत चुकाने के लिए तैयार नहीं है, यह लोग बेहद कृतघ्न और अमानवीय सिद्ध हो रहे हैं। धरती को इनके दुष्ट और आतयायी पंजे से बचाना पूरी मानवता के हित में है, और हमे इसके लिए जागरूक और समर्थ होना पड़ेगा और इनके शैतानी इरादों को नष्ट करना होगा, आज यह सिर्फ भारत की नहीं पूरी विश्व की समस्या है, और इसे हम सबको मिलकर निर्मूल करना है, तभी यह विश्व एक परिवार की तरह, सारी विविधताओं और संस्कृतियों का महान आयोजन और समारोह बन पायेगा। आज सनातन परंपरा विश्व के सभी शांतिप्रिय और जीवन के उच्चतर आयामों को जीने की अभिलाषा रखने वाले और जीवन के परम सत्य की खोज करने वाले सभी जिज्ञासुओं, भक्तों और साधकों के लिए सबसे प्रथम और अंतिम गंतव्य बन चुका है। आज विश्व में सभी विकसित और विकासशील राष्ट्र, रूस, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस और अफ्रीका में अनगिनत लोग सनातन परंपरा को अंगीकार करके जीवन की मधुरता और आंतरिक सत्य को प्राप्ति की दिशा में गतिमान हो रहे हैं, बिना किसी प्रचार, प्रलोभन या बल प्रयोग के, यही हमारी सनातन परंपरा और भारतीय संस्कृति का प्रभाव है, यह सभी के ह्रदय और आत्मा को छूती है और उन्हें आंतरिक रूपंतार्ण में सहयोगी होकर जीवन के परम सत्य को उपलब्ध करने में सहयोगी बनती है जो मनुष्य जीवन धारण करने के परम उद्देश्य और लक्ष्य है। आइये अपनी 15000 वर्षों से अधिक प्राचीन और सर्वोत्तम मानवीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को इन दुराग्रही, आततायी और दुष्ट और जाहिल बर्बर लोगों से सुरक्षित करें और जो पिछले हज़ार साल में इस देश और पूरे विश्व में हुआ है उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना और आशंका को निर्मूल करें और पुनः सनातन धर्म और परंपरा को पुष्ट और पुनर्स्थापित करें इसके सम्पूर्ण गौरव और वैभव में।
हमारी संस्कृति एक वैश्विक संस्कृति है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम" का उपदेश और सन्देश दिया, हमारी संस्कृति सभी के कल्याण और उत्थान की प्रेरणा और संकल्प से युक्त है, यही इसे विश्व की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों से महान बनाती है, आओ इसके गौरव की पुनः प्रतिष्ठा करें। हमारा देश भारत आज विश्व में पुनः प्रतिष्ठा पा रहा है, एक सुदृढ़ और प्रभावी नेतृत्व में और हमें इसे पुनः इसके प्राचीन गौरव और महिमा के साथ पुनः स्थापित करने से कोई भी नहीं रोक सकता है, हमें यह संकल्प करना होगा की हमारे राष्ट्र की गरिमा और गौरव और अखंडता अक्षुण्ण बनी रहे। हमारी भावना और प्रार्थना समस्त विश्व के कल्याण और उत्थान के लिए - ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा- कश्चिद्दुः- खभाग्भवेत्- । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (उपनिषद् से साभार, संस्कृत भाषा में) Meaning in Hindi (हिंदी अर्थ) - ॐ सब सुखी हों सब स्वस्थ हों । सब शुभ को पहचान सकें कोई प्राणी दुःखी ना हो ।। हमारे जीवन की प्रभावना और उद्देश्य - असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ हे परम, हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो । मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥ जय माँ भारती, जय भारत भूमि, जय भारतवर्ष, जय हिन्द Read the full article
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भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं?
भारत के वास्तविक शत्रु कौन हैं? इस देश में रहने वाले तथाकथित ब्रेनवाश किये हुए लिबरल हिन्दू और तथाकथित सेक्युलर लोग, मुगलों और ब्रिटिश हुकूमत की दासता के फलस्वरूप उत्पन्न कनवर्टेड और प्रोग्राम्ड मुस्लिम और इसाई, जिन्हें अपनी जड़ों का भान नहीं है, जो षड़यंत्रकारियों और देशी विदेशी दुश्मनों के हाथ की कठपुतलियां बनकर अपने ही राष्ट्र को खोखला और खंडित करने के लिए जी जान से प्रयासरत हैं। ये सभी 1000 वर्षों की दासता और पिछले 75 वर्षों की कांग्रेस और कम्युनिस्ट अलगाववादियों और भारत की संप्रभुता और विराट गौरवमयी और प्राचीन संस्कृति को समूल नष्ट करने की इच्छा रखने वाले, दोगले, गद्दार और निकृष्टतम मनुष्य रुपी पिशाच हैं, इनके लिए इनके व्यक्तिगत छुद्र स्वार्थ, शत्रुओं के द्वारा फेंकी गयी बोटियाँ और प्रलोभन सबकुछ है, यह अपना जमीर और आत्मा गिरवी रख चुके हैं उनके क़दमों में और इस महान राष्ट्र को पददलित और नष्ट करने में लगे हुए हैं। यह सभी लोग, सदा से ही इस देश और इस महान संस्कृति को नष्ट करनेवाले, इसे पददलित और कुरूप करने वाले, इस राष्ट्र और इसकी समृद्धि और श्रेष्ठता से घृणा करनेवाले और इसे लूटने और बर्बाद करने की चाह रखनेवाले सभी आंतरिक और बाहरी लूटेरों, विदेशी आक्रान्ताओं, हमलावरों, और इस राष्ट्र की अखंडता और एकता को भंग करने के नीच इरादे रखनेवाले लोगों की हाथ की कठपुतली रहे हैं। पिछले 1000 वर्षों से, आज यह सभी लोग, इसाई और इस्लामिक राष्ट्रों और आतंकवादी संगठनों के हाथों की कठपुतलियां बनकर अपनी ही मातृभूमि और इसकी परम पूजनीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मलिन और कुरूप करने में मुख्य उपकरण बने हुए हैं। इस देश का दुर्भाग्य है की इसने अवतारों, श्रेष्ठतम मानवों और देशभक्त वीरों के साथ साथ बेहद शर्मनाक और नीच लोगों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने लाभ के लिए अपनी मातृभूमि का सौदा लूटेरों और वहशी जानवरों के साथ किया है और आज भी कर रहे हैं। आज यह महान देश अलगाववादियों, जाति, धर्म और वोट बैंक की राजनीति करके सत्ता में बने रहने की लिप्सा में हर ज��न्य अपराध करनेवाले और राष्ट्र को खोखला करनेवाले भ्रष्ट और निकृष्ट राजनीतिज्ञों और उनके दलालों और गुलामों से सबसे ज्यादा त्रस्त है, यह दीमक की तरह इस देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक मूल्यों और विरासत को नष्ट करने के भयानक षड़यंत्र में लगे हुए हैं। यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है, इस देश को बाहरी दुश्मनों से ही नहीं इन आस्तीन के साँपों और गद्दारों से सबसे ज्यादा खतरा है, सबसे पहले इनका उपचार करना और राष्ट्र को इनकी गद्दारी और दुष्टता के पंजे से मुक्त करना सबसे प्राथमिक कार्य है।
यह सभी लोग ईसाइयत और इस्लामिक प्रभुत्व की आकांक्षा रखने वाले लोगों के गुलाम और तलवे चाटने वाले जीव बन गये हैं और उनके नीच और दूषित उद्देश्यों और इस राष्ट्र को संकट ग्रस्त रखने और इसे तोड़ने के दुर्भाग्य पूर्ण षड़यंत्र में सहयोगी हैं, सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए। जी हां, इस्लाम, ईसाइयत और कम्युनिज्म की बुनियाद में ही यह है, ऐसा इस्लाम और ईसाइयत के प्रवर्तकों की वजह से नहीं उनके माननेवाले लोगों के पागलपन, राजनैतिक महत्वकांक्षा, सत्ता और शक्ति के उन्माद की वजह से। हजारों साल के हमारे इतिहास में हमारे राष्ट्र ने कभी भी किसी भी मुल्क पर अपनी सत्ता और प्रभुत्व स्थापित करने के लिए हमला नहीं किया, हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा ने कभी भी किसी भी कौम और संप्रदाय के लोगों को हमारी संस्कृति, और मूल्यों को अपनाने के लिए किसी भी किस्म का कोई भी प्रयास बलपूर्वक, छल पूर्वक और षड्यंत्रपूर्वक नहीं किया है, यह हमारे खून और संस्कार में नहीं रहा कभी भी। यह अलग बात है की आज सारे विश्व में भारत और भारतीय संस्कृति और इसकी आध्यात्मिक विरासत को अपनाने और इसका अनुसरण करने की ओर अग्रसर हुई है, तमाम विकसित राष्ट्रों में लाखों लोग सनातन परंपरा में दीक्षित होकर धर्मप्राण जीवन जीने की और अग्रसर हो रहें हैं, हमारी संस्कृति और परंपरा के उद्दात और परम मानवीय गुण सदा से पुरे विश्व में आदरणीय और अनुकरणीय रहे हैं, यह अपने प्रारंभ से लोगों के ह्रदय और आत्मा को प्रभावित करते रहे हैं, आज भी कर रहे हैं, आप स्वयं देख सकते हैं hindu russia world wide hindu temples सभी लोग स्वेच्छा से भारतीय आध्यात्मिक विरासत को अंगीकार करके जीवन के उच्चतम मूल्यों और रहस्यों का साक्षात्कार कर अपना जीवन धन्य कर रहे हैं, प्रेम और करुणा के वशीभूत होकर, बिना किसी प्रलोभन, लालच या विवशता के, स्वेच्छा से लोग योग, साधना पद्धतियों और उपासना के मार्गों पर चल रहे हैं। यह है प्रेम और श्रेष्ठता का प्रभाव, यदि आपमें कुछ भी बेहतर है तो वह लोगों के ह्रदय और आत्मा को स्वतः ही छुएगा और लोग उसे सहर्ष स्वीकार करेंगे, आपको किसी पर कुछ भी आरोपित करने की जरुरत नहीं है, लेकिन यह बात इस देश के बाहर जन्म लिए सम्प्रदायों और उनके प्रभाव में जीने वाले गुलाम लोग कभी भी नहीं समझ पाए हैं और न समझ सकेंगे कभी भी। प्रेम ही जीवन का केंद्र है और सभी की आंतरिक आकांक्षा प्रेम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है, स्वयं के सत्य को जानने के अलावा कुछ भी मनुष्य को समस्त दुखों और बंधनों से मुक्त नहीं कर सकता है, यही हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी खोज और देन है विश्व को, हमने सारे विश्व को जीवन जीने की कला और जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने की विधियाँ और साधन उपलब्ध कराएँ हैं। मनुष्यता के इतिहास में इतने महिमामयी आध्यात्मिक पुरुष, योगी और मुक्त पुरुष धरती पर कहीं जन्म नहीं लिए हैं, संपूर्ण विश्व में सभी धर्म और सम्प्रदायों के जनक और प्रवर्तकों ने धर्म की प्रेरणा हमारे मुक्त पुरुषों और हमारी पुन्य सलिला धरती से ग्रहण की है, जीसस अपने प्रकटीकरण और सूली लगने के उपरांत भारत में कश्मीर में ही अपना जीवन व्यतीत किये हैं मृत्यु पर्यंत, उनकी समाधी आज भी वहां मौजूद है। मुहम्मद साहब ने भी हमारे योगियों और साधकों से प्रेरणा ग्रहण की थी, उनके धर्म स्थल मक्का मदीना पर तीर्थयात्रियों द्वारा किये जाने वाले सारे संस्कार और क्रियायें हमारी संस्कृति से प्रेरित हैं, परिकृमा से लेकर बिना सिले वस्त्र पहनने की परंपरा आदि सब यहाँ से ही लिया गया है, इस्लाम से पहले पूरा यूरोप और अरबिया प्रकृति पूजक था, स्वयं मुहम्मद एक प्रकृति पूजक परिवार से थे इस्लाम के उद्भव के पूर्व 360 मूर्तियों और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करने वाले लोगों में से थे।
दूसरों पर शासन करने और उन्हें अपना गुलाम बनाने या उनकी संस्कृति और जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की भावना, इच्छा और उद्देश्य हमारे यहाँ कभी भी नहीं रहा है, हम सदा से ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और धन, धान्य और समृद्धि से भरपूर रहें हैं, हमें कभी ऐसा करने की जरुरत नहीं पड़ी है, यही हमारी संस्कृति और राष्ट्र की विशेषता है जो इसे विश्व में सबसे मूल्यवान और अनूठा बनाता है और दूसरों के लिए इर्ष्या और नफरत की वजह, लोग क्यूँ खुद को इतना विकसित नहीं करना चाहते? भारत को कोई कभी नहीं मिटा पाया और न कभी भी मिटा पायेगा, यह विश्व की आध्यात्मिक राजधानी थी, है और सर्वदा रहेगी , जब तक इस धरती पर जीवन है। लेकिन हमारी यही सभी खूबियां, गुणवत्ता और अतुलनीय संपत्ति और समृद्धि दुनिया के तमाम लूटेरों, ठगों, लालची और विस्तार और वैभव के आकांक्षियों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी ने इन तमाम दुर्दांत ठगों, लूटेरों, उपनिवेशवादियों और हमलावरों को इस धरती पर आक्रमण करने और इसे अपना निशाना बनाने के लिए प्रेरित किया है, और हमारे ही देश के गद्दारों और नीच लोगों ने इस लूट और बर्बादी में सहयोग किया है और आज भी यही कर रहे हैं यह दोनों सम्प्रदाय पूरी दुनिया में अपनी बर्बरता, क्रूरता और अमानवीय सोच और कारनामों की वजह से पनपे हैं इनका उद्देश्य अपना प्रचार और प्रसार और बाकी सब का विनाश है जो इनकी तरह नहीं है, या इन जैसे वहशी, पागल दरिन्दे, अंधे और अज्ञानी और मूढ़ बनने को राजी नहीं हैं। इन दोनों सम्प्रदायों के लोग धार्मिक नहीं है, वे राजनैतिक महत्वकांक्षा से भरे हैं और सारी दुनिया को अपनी वहशत और दहशत के रंग में रंगना चाहते है, और काफी हद तक कामयाब भी हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस्लाम और ईसाइयत के माननेवाले अपने ही पैगंबरों के खिलाफ रहे है उनके जीवन भर, एक को सूली दे दी, और दूसरे को उम्र भर खत्म करने का षडयंत्र रचते रहे और उनकी मृत्यु के बाद उनके सारे परिवार की हत्या कर दी। इनके माननेवालों ने जब अपने प्रवर्तकों के साथ ही ऐसा किया तो बाकी लोगों के साथ क्या कर सकते थे, इस्लाम हत्या, लूट, बलात्कार के बल पर फैला है और इसाइयों का तरीका पहले यही था अब बदल गए है अब वो दान, कुटिलता, अभावग्रस्त और उपेक्षित लोगों के शोषण और उनपर दया दिखाने के नाटक को, अपने संप्रदाय में कन्वर्जन के लिए इस्तेमाल करके लोगो को अपने संप्रदाय का हिस्सा बनाने का और लोगों को अपनी ही जड़ों से नफरत करने और उनकी सोच और दृष्टि को विकृत करने का नीच और दुष्टता भरा कार्य कर रहे है। इन दोनों संप्रदाय के मानने वालों ने पिछले 2000 वर्षों में करोड़ों निर्दोष और मासूम लोगों की हत्या की है और लोगों को बलपूर्वक अपने संप्रदाय में शामिल किया है, इन्होंने दूसरी सभ्यता और संस्कृतियों को समूल नष्ट कर दिया अपनी सत्ता और विस्तार की हवस को पूरा करने के लिए। इनका पूरा इतिहास खून खराबे, लूट, हत्या, खूनी जिहाद और बलात्कार से भरा है, सिर्फ अपनी संख्या बढ़ाने और अपने उन्माद और पागलपन से लोगों का जीवन और संस्कृति नष्ट करते हुए, यह आज भी कायम है, यह भयानक हत्यारी सोच है और बेहद घृणास्पद और अमानवीय है। दूसरों की तो छोड़िए यह अपनी ही कौम के लोगो की हत्या और बलात्कार में संलग्न है, सीरिया, यमन, इराक़, ईरान, अफ्रीका, अरब और अन्य इस्लामिक देशों में यह अपने ही कौम के लोगों की हत्या कर रहे है, पूरी धरती पर सबसे विकृत और पाशविक कौम है यह, और ऊपर से बदगुमान और झूठा प्रचार की यह शांतिप्रिय लोग हैं। यह दोनों संप्रदाय धरती को नरक बनाए हुए है, पिछले 2000 सालों से, हमारी संस्कृति को भी नष्ट करने के लिए और यहां के मूल निवासियों को आतंक, लालच, और अन्य अमानवीय तरीके से अपने सम्प्रदायों के विस्तार में लगे हुए है, यह बेहद घृणित और शर्मनाक है, हत्या, बलात्कार, आबादी का विस्फोट, कन्वर्शन, जिहाद, आतंकवाद इनके उपकरण है इनके विस्तार और सत्ता के लिए। इसाई, मिशनरी और चर्च के माध्यम से और इस्लामी लोग अपने धार्मिक उन्माद, लव जेहाद, जनसंख्या विस्फोट, और गैर कानूनी कब्जा करके राष्ट्र के राष्ट्र लील गए है। एक कबीले से शुरू हुआ था इस्लाम और आज धरती पर 57 देश इस्लामिक है, सब के सब जोर जबरदस्ती, लूट, हत्या और बलात्कार के दम पर, यही इनकी हकीकत और तरीका है विस्तार का। इसी सब की बदौलत ईसाइयत और इस्लाम मानने वालों की आबादी इस धरती पर सबसे अधिक है। इनका काम ही है विश्व की श्रेष्ठ और महान संस्कृतियों की हत्या और विलोपन और इनकी बर्बर और असभ्य पशुवत कबीले वाली मानसिकता और जीवन व्यवहार का विस्तार। इन हिंसक, बर्बर और हमलावर और हत्यारी कौमों के बाद सनातन परंपरा के लोग इस धरती पर सबसे अधिक संख्या में है, साथ ही यह धरती पर सबसे शांतिप्रिय और सुसंस्कृत सभ्यता और विचार रखने वाले लोग है, जो इन कुत्सित मानसिकता के लोगों को खटकते हैं।
हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, जब इन सभी का अस्तित्व था ही नहीं, यह सभी हमारी संस्कृति के ज्ञान और विकास के सामने, सभी हमलावर कौमें आज भी पाषाण युग में जी रहे है, लेकिन अब यह सबसे आधुनिक युद्ध तकनीक और हमले के गुप्त और ज्यादा भयानक हथियारों से हमारी संस्कृति और विरासत को नष्ट करने में संलग्न है, इन्हे रोकना और अपनी देव संस्कृति और मूल्यों की रक्षा हमारा परम धर्म है। भारतवर्ष पर पहले हुए हमले और आज भी हमारी संस्कृति के विद्रूपण और विलोपन की सारी कोशिशें इन्ही लोगो द्वारा या इनके दलालों और गुलामों द्वारा की जा रही हैं, यह पहले भी असफल हुए और हमेशा रहेंगे, लेकिन पूरा विश्व इनकी शैतानियत और हैवानियत से पीड़ित और त्रस्त है, हमे इनके नीच इरादों और षडयन्त्रों को नष्ट करना होगा, यही पूरी मानवता के हित में है, वर्ना यहपूरे विश्व को अपनी बिमारियों से ग्रस्त और त्रस्त कर रहे हैं, यह बेहद उन्माद ग्रस्त और विक्षिप्त लोग हैं, इनके नीच इरादों में इन्हें सफल नहीं होने देना ही सम्पूर्ण मानव जाति के हित में है। आज इस्लाम, हमारे अलावा इसाईं देशों जैसे फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि सभी को अपनी जहालत और जिहाद का शिकार बना रहा है, सारी दुनिया आज इस्लामिक जिहाद और आतंकवाद से बुरी तरह त्रस्त है, यह लोग जहाँ भी जाते है, हत्या, लूट, बलात्कार, जनसँख्या विस्फोट आदि हथियारों का इस्तेमाल करके वहां के मूल निवासियों का जीना दूभर कर रहे हैं। यह लोग, इन सभी देशों में शरणार्थी की हैसियत से आये थे, उन तमाम देशों से, जहाँ इस्लाम और शरिया का प्रभुत्व है से भागकर अपनी जान बचाकर, जहाँ मुसलमान ही मुसलमान की हत्या और बलात्कार कर रहे हैं, सीरिया, यमन, ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफ्रीका, और सभी इस्लामिक देश वहां वो एक दुसरे का ही खून बहा रहे हैं और भागकर दुसरे देशों में शरण की भीख मांगते हैं। दुसरे राष्ट्रों द्वारा इन्हें शरण देने पर ही, कुछ समय के अंदर यह वहां की सरकार कानून और व्यवस्था को मिटाकर अपना कानून और व्यवस्था बनाने की मांग करने लगते हैं, इसी वजह से कुछ देशों ने इस्लाम को और मुसलमानों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है, दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्कों में से चीन और जापान में मुसलमानों को स्थायी नागरिकता नहीं दी जाती है, और न ही उन्हें कोई विशेषाधिकार दिए जाते हैं, ऐसा, अमेरिका और रूस में भी किया जा रहा है। आज सारे विश्व में इसाई और इस्लामिक देशों के बीच खूनी संघर्ष कई दशकों से चल रहा है, और वजह है, सत्ता और संसाधनों पर आधिपत्य और अपने संप्रदाय का प्रभुत्व कायम करने की महत्वाकांक्षा, दुसरे संप्रदाय के लोगों को कन्वर्ट करके या हत्या करके अपने संप्रदाय में करना, यह लोग बेहद क्रूर और हेवानियत भरे कारनामे अंजाम देने में सैकड़ों वर्षों से लगे हुए हैं और यह आज भी जारी है, और पता नहीं यह हैवानियत का खेल कब रुकेगा और कब इन दुराग्रही, लालची, दुष्ट, अंधे और मूर्ख लोगों की आँखें खुलेगी। दुनिया के बहुत सारे देश इनकी असलियत पहचान कर इनसे अपने राष्ट्र और जनता को सुरक्षित करने के लिए इनका बहिष्कार और देश निकाला कर दिया है, यहाँ तक की पूरी तरह मुसलमान अरब मुल्कों से भी पाकिस्तान और अन्य मुल्कों के संदिग्ध मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जा रहा है। धरती को इनके दुष्ट और आतयायी पंजे से बचाना पूरी मानवता के हित में है, और हमे इसके लिए जागरूक और समर्थ होना पड़ेगा और इनके शैतानी इरादों को नष्ट करना होगा, आज यह सिर्फ भारत की नहीं पूरी विश्व की समस्या है, और इसे हम सबको मिलकर निर्मूल करना है, तभी यह विश्व ��क परिवार की तरह, सारी विविधताओं और संस्कृतियों का महान आयोजन और समारोह बन पायेगा। आज सनातन परंपरा विश्व के सभी शांतिप्रिय और जीवन के उच्चतर आयामों को जीने की अभिलाषा रखने वाले और जीवन के परम सत्य की खोज करने वाले सभी जिज्ञासुओं, भक्तों और साधकों के लिए सबसे प्रथम और अंतिम गंतव्य बन चुका है। आज विश्व में सभी विकसित और विकासशील राष्ट्र, रूस, अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस और अफ्रीका में अनगिनत लोग सनातन परंपरा को अंगीकार करके जीवन की मधुरता और आंतरिक सत्य को प्राप्ति की दिशा में गतिमान हो रहे हैं, बिना किसी प्रचार, प्रलोभन या बल प्रयोग के, यही हमारी सनातन परंपरा और भारतीय संस्कृति का प्रभाव है, यह सभी के ह्रदय और आत्मा को छूती है और उन्हें आंतरिक रूपंतार्ण में सहयोगी होकर जीवन के परम सत्य को उपलब्ध करने में सहयोगी बनती है जो मनुष्य जीवन धारण करने के परम उद्देश्य और लक्ष्य है। आइये अपनी 15000 वर्षों से अधिक प्राचीन और सर्वोत्तम मानवीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को इन दुराग्रही, आततायी और दुष्ट और जाहिल बर्बर लोगों से सुरक्षित करें और जो पिछले हज़ार साल में इस देश और पुरे विश्व में हुआ है उसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना और आशंका को निर्मूल करें और पुनः सनातन धर्म और परंपरा को पुष्ट और पुनर्स्थापित करें इसके सम्पूर्ण गौरव और वैभव में।
यह एक वैश्विक संस्कृति है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम" का उपदेश और सन्देश दिया, हमारी संस्कृति सभी के कल्याण और उत्थान की प्रेरणा और संकल्प से युक्त है, येही इसे विश्व की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों से महान बनाती है, आओ इसके गौरव की पुनः प्रतिष्ठा करें। हमारा देश भारत आज विश्व में पुनः प्रतिष्ठा पा रहा है, एक सुदृढ़ और प्रभावी नेतृत्व में और हमें इसे पुनः इसके प्राचीन गौरव और महिमा के साथ पुनः स्थापित करने से कोई भी नहीं रोक सकता है, हमें यह संकल्प करना होगा की हमारे राष्ट्र की गरिमा और गौरव और अखंडता अक्षुण्ण बनी रहे। हमारी भावना और प्रार्थना समस्त विश्व के कल्याण और उत्थान के लिए - ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा- कश्चिद्दुः- खभाग्भवेत्- । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (उपनिषद् से साभार, संस्कृत भाषा में) Meaning in Hindi (हिंदी अर्थ) - ॐ सब सुखी हों सब स्वस्थ हों । सब शुभ को पहचान सकें कोई प्राणी दुःखी ना हो ।। हमारे जीवन की प्रभावना और उद्देश्य - असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ हे परम, हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो । मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥ जय माँ भारती, जय भारत भूमि, जय भारतवर्ष, जय हिन्द Read the full article
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