#विविधता को प्रेरित करना
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vlogrush · 5 months ago
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बच्चों के लिए 10 नई कहानियां
बच्चों की नई कहानियां बच्चों की नयी कहानियों और वृद्धि करने वाली कहानियों की खोज में? यह समूह बच्चों के लिए 10 मनोरंजक, बौद्धिक और शिक्षाप्रद कहानियाँ प्रदान करता है। विभिन्न विषयों से संबंधित, ये कहानियाँ आपके बच्चे के कल्पना शक्ति को उड़ान देंगी और उनमें पढ़ने का जुनून जगाएंगी।बच्चों के लिए कहानियाँ उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे न केवल उनकी कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देती हैं,…
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poojagurung · 3 months ago
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15 अगस्त: स्वतंत्रता का जश्न मनाना और सशक्तीकरण का भविष्य गढ़ना
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"आओ  करे सलाम उन्हें 
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है!
कितने खुशनसीब है वो लोग 
जिनका खून वतन के काम आता है!"
जब हम क्राफ्ट एम्पावरिंग करियर देहरादून में 77वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने में राष्ट्र के साथ शामिल होते हैं, तो हम इस दिन के महत्व और भारत के उज्जवल भविष्य को आकार देने में अपनी भूमिका पर विचार करते हैं। 15 अगस्त एक ऐतिहासिक मील का पत्थर से कहीं अधिक है; यह भारतीय लोगों की ताकत, लचीलापन और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। यह एक ऐसा दिन है जो हमें स्वतंत्रता की शक्ति और इसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।
स्वतंत्रता दिवस: हमारे नायकों को श्रद्धांजलि
भारत की स्वतंत्रता की यात्रा बलिदान और दृढ़ संकल्प से भरा संघर्ष था। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और अनगिनत अन्य दूरदर्शी लोगों ने आज जिस स्वतंत्रता का आनंद लिया है उसे हासिल करने के लिए अथक संघर्ष किया। उनका सपना सिर्फ एक स्वतंत्र भारत का नहीं था, बल्कि एक ऐसे राष्ट्र का था जहाँ हर व्यक्ति सम्मान और अवसर के साथ आगे बढ़ सके।
क्राफ्ट  देहरादून में, हम इस दृष्टि से प्रेरित हैं। हम शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से व्यक्तियों को सशक्त बनाने में विश्वास करते हैं, ऐसे करियर के लिए मार्ग बनाते हैं जो राष्ट्र की प्रगति में योगदान करते हैं। जिस तरह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने एक आत्मनिर्भर राष्ट्र की कल्पना की थी, उसी तरह हम अपने छात्रों को अपने करियर में आत्मनिर्भर और सफल होने के लिए कौशल और ज्ञान से लैस करने का प्रयास करते हैं।
श��क्षा और कौशल विकास के माध्यम से सशक्तिकरण
आज की दुनिया में, स्वतंत्रता राजनीतिक स्वतंत्रता से परे है; इसमें आर्थिक आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत विकास शामिल है। क्राफ्ट देहरादून में, हम उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो व्यक्तियों को अपने भविष्य को नियंत्रित करने के लिए सशक्त बनाते हैं। चाहे वह व्यावसायिक प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता या करियर परामर्श के माध्यम से हो, हमारा लक्ष्य तेजी से बदलती दुनिया में सभी के लिए सफल होने के अवसर पैदा करना है।
"चलो फिर से आज वह नज़ारा याद कर लें 
शहीदों की दिल में थी जो ज्वाला याद कर लें!
जिसमें  बहकर आज़ादी पहुंची थी किनारे पे 
देशभक्तों के खून की वो धरा याद कर लें!"
शिक्षा क्षमता को अनलॉक करने और नवाचार को आगे बढ़ाने की कुंजी है। इस स्वतंत्रता दिवस पर, हम सभी के लिए शिक्षा को सुलभ बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक छात्र के पास सफल करियर बनाने और भारत के विकास में योगदान देने के लिए आवश्यक उपकरण हों।
भविष्य के लिए एक विजन तैयार करना
जैसा कि हम 15 अगस्त का जश्न मना रहे हैं, आगे देखना और उस भविष्य के बारे में सोचना महत्वपूर्ण है जिसे हम बनाना चाहते हैं। भारत अपार प्रतिभा और संभावनाओं का देश है, और क्राफ्ट देहरादून में, हम इस क्षमता को पोषित करना अपना कर्तव्य समझते हैं। छात्रों को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करके, हम एक मजबूत, अधिक अभिनव भारत में योगदान दे रहे हैं।
हमारा मिशन आत्मनिर्भरता और सतत विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हम अपने शिक्षण विधियों में नवाचार करना जारी रखेंगे, अपने कार्यक्रमों का विस्तार करेंगे, और अधिक समुदायों तक पहुँचेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक व्यक्ति को एक सफल और पूर्ण करियर बनाने का अवसर मिले।
अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाना
इस स्वतंत्रता दिवस पर, जब हम राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और अपनी यात्रा पर विचार करते हैं, तो आइए याद रखें कि आज हम जिस स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, वह कड़ी मेहनत से अर्जित की गई है। एक मजबूत, समावेशी और सशक्त राष्ट्र का निर्माण करके इस विरासत का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।
क्राफ्ट एम्पोवेरिंग कैरियर्स देहरादून  में, हमें इस यात्रा का हिस्सा होने पर गर्व है। हम अपने छात्रों की विविधता, रचनात्मकता और लचीलेपन का जश्न मनाते हैं, और हम करियर को सशक्त बनाने और सभी के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने में अपना काम जारी रखने के लिए तत्पर हैं।
निष्कर्ष
15 अगस्त सिर्फ़ जश्न का दिन नहीं है; यह प्रतिबद्धता का दिन है। जैसा कि हम अपने देश की आज़ादी का जश्न मनाते हैं, आइए हम शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सशक्तिकरण के लिए भी प्रतिबद्ध हों। साथ मिलकर, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति को सफल होने का अवसर मिले, और जहाँ भारत वैश्विक मंच पर चमकता रहे।
"हाथ ध्वजा में रहे 
बाल दल सजा रहे!
ध्वज कभी झुके नहीं 
दल कभी रुके नहीं!"
क्राफ्ट एम्पोवेरिंग कैरियर्स देहरादून की ओर से स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ!
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bhallaeyehospital · 7 months ago
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🌎 धरती दिवस की शुभकामनाएं! 🌍
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आज, 22 अप्रैल, धरती दिवस का उत्सव मनाया जाता है, जो हमारी प्रकृति की सुंदरता का उत्साह दिखाता है और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता है। इस दिन को याद करते हुए, हमें हमारी पृथ्वी को वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखने के महत्व को महसूस करना चाहिए।
🌱 धरती दिवस का महत्व:
धरती दिवस, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई, और जैव विविधता की कमी जैसी पर्यावरण समस्याओं को संज्ञान में लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यह व्यक्तियों, समुदायों, व्यवसायों, और सरकारों को महत्वपूर्ण कार्यवाही करने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा और पुनर्स्थापन हो सके।
धरती दिवस अवसर पर विश्व समूह और साझेदारी के भाव को बढ़ावा देता है पर्यावरणीय अपघात के खिलाफ लड़ाई में।
🌿 परिणामी बदलाव के तरीके:
कम करें, पुनः उपयोग करें, रीसाइकल करें: अपनी भूमिका में संयम बरतकर अपशिष्ट को कम करें, सामग्री को फिर से उपयोग करें, और सामग्री को पुनः उपयोग करने के लिए पुनः संचित करें।
ऊर्जा संरक्षण: ऊर्जा की कमी, उर्जा की कमी के उपकरणों का उपयोग करें, अप्रयोग में लाइट्स को बंद करें, और सौर या वायु ऊर्जा जैसे नवाचारी ऊर्जा स्रोतों का चयन करें।
पर्यावरण के दृष्टिकोण से समर्थन करें: पर्यावरण के मित्रपूर्ण उत्पादों का चयन करें, पर्यावरण स्थिति को महत्व देने वाले व्यवसायों का समर्थन करें, और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाले नीतियों का समर्थन करें।
प्रकृति से जुड़ें: बाहरी क्षेत्र में समय बिताएं, प्रकृति की सुंदरता की सराहना करें, और प्राकृतिक आवासों को संरक्षित और सुरक्षित करने में मदद करने वाली गतिविधियों में भाग लें।
शिक्षा और प्रचार करें: पर्यावरण समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाएं, चर्चाओं में शामिल हों, और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने वाली नीतियों और पहलों का समर्थन करें।
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बेतिया में सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग अस्पताल: सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल की नवीनतम चिकित्सा प्रणाली
प्रस्तावना:
बेतिया, बिहार का एक सुंदर और समृद्धि से भरा जिला है, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि के लिए अभिज्ञानी है। इस जिले में स्त्री रोगों के लिए एक नवीनतम चिकित्सा प्रणाली के साथ सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है। यहां हम इस अस्पताल की नवीनतम चिकित्सा प्रणाली के बारे में जानेंगे जिससे स्त्री रोगों का समर्थन किया ��ा रहा है और जिले में स्त्री स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल का परिचय:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल बेतिया में स्त्री रोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने का एक समर्पित स्वास्थ्य संस्थान है। यह अस्पताल स्त्री स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अपने नवीनतम चिकित्सा प्रणाली के साथ प्रसिद्ध है। यहां के चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी स्त्री रोगों के लिए विशेषज्ञ हैं और उन्हें सही दिशा में इलाज करने के लिए तैयार हैं।
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल की नवीनतम चिकित्सा प्रणाली:
1. तकनीकी उन्नति:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल ने नवीनतम चिकित्सा तकनीकों को अपनाया है जो स्त्री रोगों के सही और त्वरित इलाज में मदद करते हैं। उन्नत उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करके चिकित्सक सही निगरानी और निदान के साथ स्त्री रोगों को सहारा प्रदान कर रहे हैं। इससे इलाज में गति बढ़ती है और मरीजों को त्वरित आराम मिलता है।
2. स्त्री स्वास्थ्य शिक्षा:
अस्पताल में स्त्री स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर नार्सिंग स्टाफ स्त्रीयों को स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षित करते हैं। वे स्त्रीयों को स्वास्थ्य की जानकारी देने के साथ-साथ सही प्रेरणा प्रदान करके स्वास्थ्य सुरक्षित रखने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
3. महिला चिकित्सकों का समर्थन:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल में विशेषज्ञता प्राप्त महिला चिकित्सकों का समर्थन है जो स्त्रीयों को अच्छी तरह समझती हैं और उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों को ध्यान में रखती हैं। इससे मरीजों को आत्म-विश्वास मिलता है और वे अपनी समस्याओं को खुलकर चर्चा कर सकती हैं।
4. सांविदानिक सेवाएं:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल ने सांविदानिक सेवाओं को महत्वपूर्णता दी है ताकि मरीजों को उच्च स्तरीय और सावधानीपूर्ण इलाज मिल सके। स्त्री रोगों के निदान और उपचार में इस अस्पताल की सांविदानिकता ने इसे जिले में सर्वश्रेष्ठ बना दिया है।
5. समृद्धि से भरा इंफ्रास्ट्रक्चर:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल का इंफ्रास्ट्रक्चर सशक्त है और इसमें स्त्री रोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने के लिए आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। यहां पर मॉडर्न चिकित्सा उपकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए गए हैं जो स्त्री रोगों के लिए आदर्श हैं।
नवीनतम चिकित्सा प्रणाली के लाभ:
1. त्वरित और सटीक निदान:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल की नवीनतम चिकित्सा प्रणाली स्त्री रोगों के त्वरित निदान की सुनिश्चित करती है। उन्नत डायग्नोस्टिक उपकरणों का उपयोग करके चिकित्सक रोग की पहचान करते हैं और इस पर सही उपचार शुरू करते हैं।
2. व्यक्तिगत परिचर्चा और योजना:
प्रत्येक मरीज को उनकी स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत परिचर्चा और इलाज की योजना बनाई जाती है। इससे मरीजों को अपनी समस्याओं के साथ सही से निपटने का सुनिश्चित किया जा सकता है।
3. नवीनतम उपचार तकनीक:
अस्पताल में नवीनतम चिकित्सा तकनीकों का उपयोग करके स्त्री रोगों के लिए सर्वोत्तम उपचार प्रदान किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि मरीजों को उच्चतम स्तर की चिकित्सा मिलती है।
4. स्त्री स्वास्थ्य को समर्थन (जारी):
अस्पताल में स्त्री स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है स्त्रीयों को समर्थन प्रदान करना। यहां के चिकित्सक �� केवल रोग का इलाज करते हैं, बल्कि मरीजों को उनके भावनात्��क और आत्मिक स्वास्थ्य को समझने के लिए भी समर्थन प्रदान करते हैं। इससे मरीजों को आत्म-संवाद करने का मौका मिलता है और वे अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए सक्षम होती हैं।
5. सामाजिक सशक्तिकरण:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल का मुख्य लक्ष्य स्त्रीयों को सामाजिक रूप से सशक्तिकरण करना है। इसके लिए, समृद्धि से भरा शिक्षा कार्यक्रम और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। इससे स्त्रीयाँ न केवल अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती हैं, बल्कि समाज में भी अपनी भूमिका में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं।
6. संवेदनशीलता और यात्रा का समर्थन:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल में यह सुनिश्चित किया गया है कि सम्पूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया में संवेदनशीलता बनी रहे। मरीजों को समझाने, सुनने और उनकी आवश्यकताओं को समझने का समर्थन किया जाता है। यहां के चिकित्सक और कर्मचारी निरंतर यह सुनिश्चित करते हैं कि मरीजों को चिकित्सा प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है और उनकी आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है।
7. नेतृत्व और शिक्षा:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल में चिकित्सकों को उच्च स्तरीय नेतृत्व कौशल और शिक्षा प्रदान करने का ध्यान रखा जाता है। इससे न केवल वे मरीजों के साथ संवाद कर सकते हैं, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का भी अवसर मिलता है।
8. आधुनिक जर्मनीयम:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल में आधुनिक जर्मनीयम का प्रयोग हो रहा है जिससे स्त्री रोगों के इलाज में आगे की बढ़ोतरी हो सकती है। यह तकनीक न केवल इलाज को अधिक सटीक बनाती है, बल्कि उपचार की गुणवत्ता में भी सुधार करती है।
9. सावधानीपूर्ण रोगनिदान:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल में रोगनिदान की प्रक्रिया को सावधानीपूर्ण तरीके से संचालित किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी रोग को सही ढंग से पहचाना जा रहा है और इसके उपचार की योजना सटीक है।
समापन:
सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल बेतिया में स्त्री रोगों के इलाज में नवीनतम चिकित्सा प्रणाली के साथ एक सुरक्षित और उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहा है। यहां के चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारी न केवल रोग का इलाज कर रहे हैं, बल्कि समाज में स्त्री स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रहे हैं। इससे जिले में स्त्री स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार हो रहा है और लोगों को विश्वास है कि सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का सही समाधान प्रदान करेगा।
आशा है कि इस लेख ने सिन्हा स्त्री रोग अस्पताल की नवीनतम चिकित्सा प्रणाली को समझने में मदद की है और लोगों को स्त्री स्वास्थ्य के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया है।
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youthclubindia1 · 10 months ago
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About us
हेल्लो योउथ्! यूथ क्लब इंडिया में आपका स्वागत है। यहां, हम नई सोच और जुनून से भरे युवाओं का एक घर बनाते हैं। हमारा मकसद है आपको एक ऐसा प्लेटफार्म देना, जहां आपका टैलेंट चमक सके और आप अपने सपनों को हकीकत में बदल सकें।
हम यहां एक परिवार की तरह है, जहां एकता, जुनून और विकास एक साथ गुनगुनाते हैं। हम समझते हैं कि हर युवा अलग होता है, इसलिए हम उनकी अलग पहचान और शक्ति को समर्थन देना चाहते हैं। यूथ क्लब इंडिया में, हम करियर मार्गदर्शन से लेकर सामाजिक कार्यक्रम तक हर जगह अपना योगदान देते हैं।
चलिए, मिलकर बनाएं एक ऐसा सफर जहां आपका टैलेंट नई ऊंचाइयों तक पहुंचे और आप अपने आने वाले कल को रोशन करें। हम यहां हैं ताकि आपके सपनों को पूरा करने में मदद कर सकें और एक बेहतर भविष्य की ओर  आपका साथ दे सकें। आइए, हमारे साथ जुड़कर युवाओं की ताकत को बढ़ाते हैं,  "युवा क्लब इंडिया, जवानों की आवाज़ का मंच हैं ,एक साथ जुड़कर, बदलेंगे भविष्य का रंग।
साथ चलेंगे, सपनों की ऊंचाइयों की ओर।"क्योंकि ये युवा है, ये देश है, और ये हमारा क्लब है!
हमारा उद्देश्य:
हमारा उद्देश्य है एक ऐसा समाज बनाना यहां हर युवा अपने सपनों का परिचय करें और उन्हें हकीकत बनाएं। हम विशेष रूप से शिक्षा, करियर विकास और मानसिक स्वास्थ्य ��र ध्यान केंद्रित करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि ये तीनों ही पहलू एक सफल पूरी कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
हमारा संकल्प:
यूथ क्लब का संकल्प है एक समझदार, संवेदनशील और प्रगतिशील युवा समाज बनाने का। हम युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं अपने विचार व्यक्त करते हैं, अलग सोचते हैं, और अपने सपनों की तलाश में आगे बढ़ते हैं। हम समझते हैं कि युवा शक्ति ही हमारे देश की असली ताकत है, और हम उन्हें इस ताकत का पूरा मौका देने में मदद करना चाहते हैं।
जनसंख्या का पावरहाउस:
भारत दुनिया भर में एक से बड़ा युवा जनसंख्या के धरोहर से सम्पन्न देश है, जिसके 15 से 34 वर्ष के बीच के व्यक्तित्वों की बड़ी संख्या है। क्या जनसंख्या का लाभ उठाने का ये एक विशेष अवसर है देश के युवाओं को उनकी ऊर्जा, सृजनात्मकता और क्षमता का उपयोग करने के लिए। भारत के युवा देश के सामाजिक-आर्थिक वस्त्र को बनाने में योगदान देने वाले विविध भाषाएँ, संस्कृतियाँ और दृष्टिकोन एकत्र कर रहे हैं।
उम्मीद और सपनों का सफर:
भारत के युवा के सपने और उम्मीदें बहुत ही विविध है, जैसे कि देश खुद। अन्तर्राष्ट्रीय कारोबार व्यवसाय से लेकर, कल्पना से भरी कलाकारों तक, वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यक्रमों तक, युवा भारत में सफलता की ओर नए पथ पर चल रहे हैं। महत्वाकांक्षा का भाव और व्यक्ति और सामाजिक सुधार की इच्छा युवाओं को शिक्षा, कुशलता  विकास और व्यवसाय में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं।
सांस्कृतिक विनम्रता और विविधता की प्रशंसा:
यूथ क्लब इंडिया भिन्न संस्कृतियों को महत्व देने में विशेषज्ञ है। सांस्कृतिक समन्वय के माध्यम से, कार्यक्रम, और कार्यशालाओं के द्वार, संगठन युवाओं को विभिन्न संस्कृतियों को समझने और विकास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, एकता और समाज की भावना को बढ़ावा देते हैं।
पर्यावरण सुधार:
 पर्यावरण सुधार यूथ क्लब इंडिया के मिशन का अवसर हिस्सा है। संगठन युवाओं के बीच पर्यावरण-चेतना को बढ़ाने का काम करता है, सशक्त प्रवृत्तियों और पर्यावरण संरक्षण अभियानों को बढ़ावा देते हुए एक हरि और टिकाऊ भविष्य बनाने की दिशा में योगदान देते हैं।
डिजिटल परिवर्तन:
युग में तकनीक, यूथ क्लब इंडिया तकनीक के ज्ञान और नवीनता का महत्व समझता है। हम डिजिटल कौशल विकास, व्यवसाय, और तकनीकी का समृद्ध इस्तेमाल बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। डिजिटल युग को अपने माध्यम से, हम युवा को ताकत में भाग लेने के लिए सशक्त बनाते हैं और उन्हें हमारे देश का भविष्य आकार देने के लिए प्रेरित करते हैं।
यूथ क्लब इंडिया क्यों चुने?
समग्र दृष्टिकोण: हम समग्र विकास में विश्वास करते हैं, विभिन्न रुचियों और कलाओं को ध्यान में रखने वाले कई कार्यक्रम का समर्थन करते हैं।
नवीनतम: हमारा नवीनतम में समर्पण हमें डिजिटल ट्रेंड के आगे रहने पर मजबूर करता है, इसके आशाओं से ध्यान रख ��र कि हमारा समुदाय हमेशा नए ज्ञान और साधनों से सहायक हो।
समावेश: डिजिटल यूथ क्लब इंडिया एक समावेशी मंच है जो हर जीवन के व्यक्ति को अपने भानुमति के रंगों में स्वागत करता है, एक विविध और उन्नत समुदाय को बढ़ाने का स्थान।
विश्वास दर्शन: डिजिटल युग में सीमाएं मिलती जा रही हैं। डिजिटल यूथ क्लब इंडिया एक विश्वास दर्शन को बढ़ाने का समर्थन करता है, जो क्षेत्र भर की सीमाएं पर करके जुड़ें और सहयोग करने को बढ़ावा देता है।
कार्यक्रम और प्रयास:
यूथ क्लब इंडिया अपने विविध कार्यक्रमों और प्रयासों पर गर्व करता है जो आज के युवा के बहुत से रुचियां और जरूरतों का ध्यान रखते हैं। कुशलता विकास से लेकर सामुदायिक प्रतिस्पर्धा प्रोजेक्ट तक, हम उनकी रुचि को समझते हैं, उनके नए कुशलता विकास में मदद करते हैं, और उन्हें सामाजिक मुद्दों में योगदान देने का अवसर देते हैं।
हमारा परिवार:
यूथ क्लब एक परिवार है जिसका सभी सदस्य एक दूसरे का सम्मान करते हैं। हम टीम वर्क की अहमियत को समझते हैं और युवाओं को एक दूसरे के साथ जुड़ने और बढ़ने का प्रोत्साहन देते हैं। हर एक युवा, हर एक सोच हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
निर्णय:
अंत में, भारत के युवा अपने देश का भविष्य नहीं, बाल्की अब का भी निर्माण कर रहे हैं। अपने सपने, उम्मीदें और दृढ़ संकल्प के साथ, युवा भारत का भविष्य नहीं, बालक वर्तमान परिवर्तन के निर्माण है। जबकि भारत आगे बढ़ता है, युवाओं को शक्तिशाली बनाने का उनका समर्पण इस देश को और इसके नागरिकों को इस सकारात्मक और विविध देश की ओर ले जाने में मुख्य भूमिका निभाता है। सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज का मिलजुल कर काम करना बहुत जरूरी है, ताकत, सुशीलता और विकास के लिए एक बदलाव बन सके, जो युवा के उम्मीदों को पोषित करता है, भारत को एक तेजी से आगे बढ़ने वाले और अधिक समृद्ध भविष्य की या बढ़ता है।
कैसे जुड़ें:
अगर आप भी चाहते हैं अपने आप को बेहतर बनाये, नए दोस्त बनाएं, और अपने सपनों को हकीकत बनाने में मदद चाहिए, तो आप हमारे साथ जुड़ सकते हैं। हमारे कार्यक्रम और गतिविधियों में भाग लें, हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमसे जुड़ें, और एक नये और बेहतर कल की तरफ एक कदम बढ़ाये।
दोस्तों, हम यहां हैं एक दूसरे की मदद करने के लिए, एक दूसरे को प्रेरित करने के लिए। यूथ क्लब आपके साथ है, क्योंकि हम मानते हैं कि जब युवा मिलकर काम करते हैं, तो कुछ भी मुश्किल नहीं।https://youthclubindia.org/
धन्यवाद!
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abhinews1 · 11 months ago
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कृषि विभाग ने अनंतनाग में किसान जागरूकता शिविर का आयोजन किया
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कृषि विभाग ने अनंतनाग में किसान जागरूकता शिविर का आयोजन किया
माननीय उपराज्यपाल द्वारा परिकल्पित एचएडीपी यूटी के कृषि क्षेत्र के लिए गेम चेंजर के रूप में उभर रहा है: एस.एफ. हामिद अनंतनाग 10 दिसंबर: कृषि जागरूकता बढ़ाने और स्थानीय किसान समुदाय को सशक्त बनाने के प्रयास में कृषि विभाग ने आज सुभानपोरा, अनंतनाग में किसान जागरूकता शिविर का आयोजन किया। डिप्टी कमिश्नर (डीसी) अनंतनाग एसएफ हामिद और निदेशक कृषि कश्मीर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करना, आधुनिक कृषि पद्धतियों पर जानकारी का प्रसार करना और किसानों के लिए एक सहयोगी मंच को बढ़ावा देना है। बड़ी संख्या में स्थानीय किसानों ने भाग लिया और विभिन्न परियोजनाओं में एचएडीपी के तहत कई प्रगति��ील किसानों के बीच स्वीकृति पत्र भी वितरित किए गए। मौके पर उपायुक्त ने कहा कि समग्र कृषि विकास कार्यक्रम (एचएडीपी) के तहत क्षेत्र में सब्जी क्षेत्र के प्रचार-प्रसार एवं विकास के लिए कृषि विभाग द्वारा बहुआयामी परियोजना क्रियान्वित की जा रही है. उन्होंने कहा कि सब्जी क्षेत्र में राजस्व और रोजगार सृजन की काफी संभावनाएं हैं। डीसी ने युवा किसानों, कृषि उद्यमियों को एचएडीपी के तहत विभिन्न परियोजनाओं का लाभ उठाने और कृषि अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि युवा शिक्षित किसान अच्छा काम कर रहे हैं और यह प्रवृत्ति वास्तव में उत्साहजनक है। निदेशक कृषि कश्मीर ने बोलते हुए आह्वान किया कि विकासात्मक कार्यक्रमों विशेषकर एचएडीपी के कार्यान्वयन से अनंतनाग जिले की कृषि अर्थव्यवस्था में बदलाव आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनंतनाग की रणनीतिक जलवायु और जैवसंसाधन विविधता का दोहन किया जा सकता है नीति समर्थन प्रणाली को सक्षम करना जो प्रौद्योगिकी, ज्ञान के उपयोग पर केंद्रित है और द्वितीयक कृषि, मूल्य को बढ़ावा देने के माध्यम से पूंजी निवेश जोड़ और प्रसंस्करण, विविधीकरण, बाजार संपर्क, क्षमता निर्माण कृषि प्रणालियों का लचीलापन। मुख्य कृषि अधिकारी अनंतनाग स्थानीय कृषक समुदाय को उनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी और सहभागिता के लिए आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग टिकाऊ और समृद्ध कृषि भविष्य के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों के साथ किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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nitindigitalsolutions · 1 year ago
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ELITE TUTOR HUB 6203656047
Har Ghar Tiranga Certificate: सभी घरों में गर्व की बात
शीर्षक: हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र: एक राष्ट्रीय गर्व
परिचय: भारतीय ध्वज का महत्व
भारतीय संस्कृति और इतिहास में ध्वज का महत्व अत्यधिक है। हमारे तिरंगे की श्रीयुता और महत्व ने हमें न केवल एक राष्ट्रीय पहचान प्रदान की है, बल्कि यह हमारे गरीबी, समृद्धि, एकता और विविधता को भी दर्शाता है। इसी भावना के साथ "हर घर तिरंगा" पहल की गई है।
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र: जानकारी और महत्व
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र, एक ऐतिहासिक कदम है जिसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों को राष्ट्रीय भावना और गर्व को बढ़ावा देना है। यह प्रमाणपत्र उन लोगों के लिए होता है जो अपने घर में भारतीय ध्वज को लगाने का समर्थन करते हैं और इसे एक आदर्श नागरिक की तरह संभालते हैं।
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त करें
पंजीकरण: सबसे पहले, आपको आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और उनके दिशानिर्देशों का पालन करके पंजीकरण करना होगा।
आवेदन पत्र: ऑनलाइन पंजीकरण के बाद, आपको आवेदन पत्र भरना होगा जिसमें आपकी व्यक्तिगत जानकारी और परिवार के सदस्यों की जानकारी होनी चाहिए।
सत्यापन: जब आवेदन पत्र भरा जाता है, तो आपको आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी।
अनुदान: आवेदन के सत्यापन के बाद, आपको एक नोटिफिकेशन मिलेगा जिसमें बताया जाएगा कि आपका अनुदान स्वीकृत हुआ है और आपको प्रमाणपत्र प्राप्त होने वाला है।
प्रमाणपत्र प्राप्ति: सफलतापूर्वक आवेदन के बाद, आपको एक विशेष तिथि पर अपने प्रमाणपत्र को प्राप्त करने की अनुमति दी जाएगी।
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र के लाभ
राष्ट्रीय भावना और गर्व का प्रतीक बनना।
समाज में राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देना।
नए पीढ़ियों में देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करना।
विभाजन और असहमति को दूर करके एकता की भावना को मजबूती देना।
निष्कर्ष: गर्व से झंडा लहराएं
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र एक ऐतिहासिक कदम है जो हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक हैं और हमारा गर्व हमारी एकता में है। यह प्रमाणपत्र हमें हमारे देश के प्रति अपने संविदानिक कर्तव्य की याद दिलाता है और हमें एक सशक्त और समृद्ध भारत की दिशा में प्रेरित करता है।
अनूठे पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र क्या है?
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र एक पहल है जो घरों में भारतीय ध्वज को लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करती है।
यह प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
आपको ऑनलाइन पंजीकरण करके और आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होगा।
हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र के क्या लाभ हैं?
यह राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा देता है और समाज में एकता की भावना को मजबूती देता है।
क्या यह प्रमाणपत्र निशुल्क है?
हां, हर घर तिरंगा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कोई शुल्क नहीं है।
क्या मैं अपने प्रमाणपत्र को अपडे�� कर सकता हूँ?
जी हां, आप आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपने प्रमाणपत्र की अपडेटेड कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।
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007rebel · 3 years ago
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*इंडिया गेट पर 1971 के शहीदों की याद में जल रही ‘अमर जवान ज्योति’ को बुझाने के बाद आज नरेंद्र मोदी जी ज्ञान दे रहा हैं कि 'शहीदों का योगदान अमर है'। अगर उन्हें शहीदों की सच में कद्र है तो शहीदों के सम्मान में 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति क्यों बुझाई गई?*
*कह रहे हैं कि वॉर मेमोरियल म्युजियम में एक नई ज्योति जलाई गई है इसलिए पुरानी का उसी में विलय कर दिया गया। दो ज्योतियों का विलय कैसे संभव है? क्या किसी की समाधि को ��िफ्ट किया जा सकता है? क्या किसी के प्रति आस्था और सम्मान का विलय किया जा सकता है? क्या शहीदों के प्रति सम्मान की भावना कोई राजनीतिक पार्टी है जिसका विलय करा दो?*
*संघी और भाजपाई मिलकर महात्मा गांधी के कद और सम्मान के साथ हमेशा गोडसे का विलय कराने की कोशिश करते रहे हैं। आज भी कर रहे हैं लेकिन कर नहीं पाए। उन्हें समझना चाहिए कि आस्थाओं का और सम्मान का विलय नहीं होता।*
*विलय किया क्यों गया? कारण क्या था? कह रहे हैं कि दो ज्योति का रखरखाव संभव नहीं था। क्या 50 साल से जल रही एक ज्योति के रखरखाव का खर्च मोदी के दस लखा सूट से भी ज्यादा था? भारत सरकार के खजाने से प्रधानमंत्री अपने लिए आठ आठ हजार करोड़ के दो विमान खरीद सकते हैं, 20 हजार करोड़ का हवामहल बनवा सकते हैं, 12 करोड़ की कार खरीद सकते हैं, जासूसी के लिए इजराइल से हथियार खरीद सकते हैं, शहीदों के लिए एक ज्योति का खर्च नहीं उठा सकते? भारत इतना गरीब कब से हो गया कि शहीदों के लिए जल रहे एक दिये का खर्च न उठा सके?*
*नई ज्योति जलाने का तुक क्या था? युद्ध 1971 में हुआ था, सैनिकों के सम्मान में ज्योति उसके बाद जलाई गई थी? उसे क्यों छेड़ा गया? शहीदों का अपमान क्यों किया गया? क्योंकि उसका उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था। इनको करना धरना कुछ नहीं, बस देश तबाह करना है और नेहरू और इंदिरा की भद्दी नकल करनी है।*
*आरएसएस का नया तरीका है कि जिसे मिटाना होता है, ये उसी के नाम का नारा लगाते हैं। सुबह नरेंद्र मोदी गांधी को फूल चढ़ाकर आए हैं और अब उनके अंडाणु ट्विटर पर हत्यारे की जय बोल रहे हैं और ट्रेंड करा रहे हैं। पत्रकारों और आम लोगों के ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कराने वाली सरकार इस तरह नफरत भरे ट्रेंड क्यों नहीं रुकवाती है? क्योंकि इन्हीं की शह पर यह हो रहा है।*
*इनका मकसद है पूरे भारत की ऐतिहासिक विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को मिटाना, धर्मनिरपेक्ष और बहुलता से परिपूर्ण भारत को नष्ट करके एक घृणास्पद विचारधारा की स्थापना करना। वही विचारधारा जो हिटलर के नाजीवाद से प्रेरित है, जो घृणा पर आधारित है, सावरकर और गोलवलकर के अनुसार जिसमें यह माना गया है कि मुसलमानों, इसाइयों और कम्युनिस्टों की भारत में कोई जगह नहीं है। ये लोग रहना चाहें तो हिंदुओं की संस्कृति अपना कर दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह सकते हैं। इसी विचार को लागू करने के लिए धर्म पर आधारित सीएए और एनआरसी नाम के घृणास्पद कानून बनाने की कोशिश की गई।*
*मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि सांप्रदायिकता धर्म और सं​स्कृति की खाल ओढ़कर आती है। अपने असली रूप में सामने आने में उसे लज्जा आती है। आरएसएस और भाजपा ने धर्म, संस्कृति के साथ राष्ट्रवाद की खाल ओढ़ रखी है।*
*स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को बताया था कि हमारी धरती पर सभी धर्मों के लिए जगह है। वसुधैव कुटुंबकम हमारा मूलमंत्र है। महात्मा गांधी का भारत पूरी दुनिया में अपनी बहुलता और विविधता के लिए सराहा गया। आज उसी खूबी पर चोट की जा रही है। भारत की संसदीय परंपराओं से लेकर भारत के इतिहास पर और भारत के शहीदों पर हमला बोला जा रहा है।*
*संघ की विचारधारा ने यह तरीका अपनाया है कि जिसे खत्म करना हो, पहले उसके आगे सिर झुकाओ। हत्यारा गोडसे जब गांधी के पास पहुंचा तो विरोधी बनकर नहीं पहुंचा था। वह आम आदमी की तरह गया, गांधी के पैर छुए और धोखे से गोली मारी।*
*नरेंद्र मोदी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने जाते रहे हैं। उन्हें यह नहीं लगा कि जिस ज्योति के सामने देश के प्रधानमंत्री, सेनाध्यक्ष जाकर सिर झुकाते हों, उसे खंडित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कर दिया। उनका सिर जहां-जहां झुकता है, आप कैसे विश्वास करेंगे कि उनकी श्रद्धा सच्ची है? यह बहुत​ दुखद और आहत करने वाला है।*
*यह आपको तय करना है कि आप इस दुष्कृत्य के साथ हैं या इसके खिलाफ हैं।*
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kaminimohan · 3 years ago
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काव्यस्यात्मा 1086
" धर्म-अधर्म और राष्ट्रवाद "
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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किसी भी देश की उन्नति का सबसे बड़ा कारण उस देश की जलवायु होती हैं। भारत जैसे विशाल और बहुआयामी विविधता से संपन्न जलवायु वाला देश प्रतिक्षण कुछ न कुछ करने को प्रेरित करता रहता है। उत्तर में हिमालय, दक्षिण में समुद्र, पश्चिम में थार का रेगिस्तान, दक्षिण के पठार, कच्छ का रण और लद्दाख का सफेद मरुस्थल विविधता की बानगी पेश करता है।
भारत को इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि प्राकृतिक कारण किसी भी देश की उन्नति पर प्रभाव डालते हैं। इसी सम्पन्नता के कारण खाद्यान्न, फल और किसी क्षेत्र का विकास आता है। इसी वजह से भारत सोने की चिड़िया कहलाता है।
भारत की उन्नति का आधार प्राकृतिक कारणों के अतिरिक्त एक विचारशील तार्किक और अध्यात्मिक भूमि है। इसी कारण भारत विश्व गुरु बन जाता है। इस विश्व गुरु का आधार राष्ट्रवाद और ईमानदारी पूर्वक निभाया जाने वाला कर्तव्य कर्म रूपी धर्म है। इसमें भी राष्ट्रीयता सर्वोपरि है। राष्ट्रीयता प्राचीन भारत की उन्नति का मुख्य कारण रहा है। जब-जब राष्ट्रीयता की हानि होती है, तब-तब देश को संकट का सामना करना पड़ता है। इसमें जातीयता, सम्प्रदायवाद और अलगाववाद देश की अवनति का कारण बनते हैं।
राष्ट्रवाद या राष्ट्रीयता किसी भी देश में रहने वाली जनता के भीतर बसने वाली उस भावना का नाम है। जो देश को प्रथम स्थान पर रखते हैं। उसके लिए मर मिटते हैं। उसी के लिए कामना और लालसा करते हैं। जाहिर है यदि किसी भी राष्ट्र में ऐसी भावना हो तो अन्य भावनाएँ निश्चय ही गौण हो जाती है।
वर्तमान में हम देखते हैं कि अपने धर्म को लेकर सर्वश्रेष्ठता की भावना दूसरे धर्म को मानने वालों के प्रति घृणा के तौर पर विकसित हो रही हैं। यह घृणा को बढ़ाता है। यह सर्वश्रेष्ठता की भावना किसी भी स्तर तक जा सकता है। यह देश को देश के नागरिकों के हृदय में बसने वाली राष्ट्रवाद की भावना, उसके प्रति भरी हुई अप्रतिम लालसा को धूमिल कर सकता है। क्योंकि देश को सर्वोपरि रखने पर ही इस समस्या का समाधान संभव है। शरीर और आत्मा का सम्बन्ध सर्वविदित है। धर्म ग्रंथों और धर्म आचार्यों द्वारा इसकी व्याख्या भी की जा चुकी हैं। लेकिन सर्वश्रेष्ठता की भावना के कारण नये व्याख्यान गढ़े जा रहे हैं।
दुनिया में एक ही धर्म को मानने वाले देशों में शांति रहती है, ऐसा मानना भी बहुत बड़ी भूल है। ��ुनिया में यह देखा गया है कि कई बार सत्ता राष्ट्रवाद को भुला बैठती है। धर्म की आड़ लेकर सत्ता की राजनीति कहीं न कहीं निर्बलता है। यह निर्बलता दुनिया के कई देशों में संघर्ष का कारण बनती हैं। नाश का कारण बनती हैं। ऊपर से सर्वश्रेष्ठता की गलत भावना अनेकों दुर्भावनाओं को जन्म देती है। भारत में कई धर्मों को मानने वाले रहते हैं। लेकिन भेदभाव कभी नहीं रहा। परन्तु अब धर्म की सर्वोच्चता की भावना को बल प्रदान करने में कुछ लोग लगे हैं। इन्हें दूसरे की  सनातन आस्था और सम्मान से कोई लेना देना नहीं है। सनातन आत्मा को धारण करने वाले मनुष्य का धर्म ईमानदारी पूर्वक निभाया जाने वाला कर्तव्य कर्म ही है। लेकिन धर्म की सत्तात्मक सोच के कारण इसे झुठलाया जा रहा है। जाहिर है यह इन्कारात्मक सोच राष्ट्रवाद और राष्ट्र प्रेम की भावना को आहत करने वाला है। इस सीधी और सरल आध्यात्मिकता को न समझना देश की उन्नति के लिए बाधा है।
तो देश में राष्ट्रीय भावना कैसे पैदा हो? इस प्रश्न का जवाब भक्ति और प्रेम है। क्योंकि भक्ति और प्रेम के अपने आधार होते हैं। वस्तुओं के प्रति, धर्म के प्रति, अपेक्षा और उपेक्षा का कितना भाव है, यह पता चल जाता है। ख़ुद के और राष्ट्र के गौरव का क्या महत्व है?, इसका भी पता चलता है।
भारत के लोग सदा से धर्म को अपने जीवन में सर्वोपरि स्थान देते आए हैं उन्हें जो भी मिला धर्म से मिला जो लिया उसे वापस धर्म को ही कर दिया। अपने लिए कभी कुछ भी नहीं रखा। यह भावना जब तक रही तब तक देश का विकास सर्वोपरि रहा। क्योंकि तब भारत के हृदय में स्वयं के तन, मन, धन का महत्व राष्ट्र के बाद रहा। यानी राष्ट्रहित सर्वोपरि था।
इसलिए, धर्म-अधर्म का विचार होना ही चाहिए। ऐसा विचार जो सभी संदेहों से परे हो। क्योंकि राष्ट्र को खोकर यदि कुछ प्राप्त करना पड़े तो वह इस लोक और परलोक दोनों को नष्ट करने वाला है। किसी भी धर्म को मानने वाले का धार्मिक भेदभाव और आपस में झगड़ा करना धर्म नहीं कहा जा सकता। यदि ऐसा अधर्म हो रहा है तो निश्चित ही राष्ट्र का नुकसान होगा और धर्म को एक शतरंज की चाल की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। शह और मात का खेल खेला जाएगा। 
मानवता प्राणी को प्राणी से जोड़ने वाली हैं। यह जुड़ाव ही धर्म है। दूसरे की नेक नियति उसकी उन्नति को देखकर प्रेरणा प्राप्त करना। ख़ुद को उसमें शामिल करके आनंद लेना ही धर्म है। यदि कोई कष्ट में है। दुखी है। उसकी सहायता करना, उसके साथ खड़ा होना धर्म है। ऐसा आनंद ऐसा धर्म साधना-आराधना ही है।
एक परम ईश्वर सभी प्राणियों के हृदय में वास करते हैं। चारों तरफ उन्हीं की व्याप्तता है। ऐसे में, कहीं किसी की  प्रसन्नता में शामिल हो जाना, कहीं किसी दूसरे के कष्ट में शामिल हो जाना मनुष्य का वास्तविक धर्म है। दरअसल, यह परम ईश्वर जो प्रत्येक प्राणी में व्याप्त है ��नके साथ जुड़ जाना है। ईश्वर की ही इच्छा को पूरा करना है।
आज इंसानियत के प्रति मनुष्य का प्रेम पहले की तुलना में नगण्य रह गया है। यह सोचनीय है। ऐसे में पूरी दुनिया में व्याप्त परम ईश्वर के साहचर्य के प्रति सजगता और समझदारी की दृष्टि प्रत्येक मनुष्य में विकसित होनी ही चाहिए।
#kaminimohan
#धर्म
#अधर्म
#राष्ट्रवाद
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namoagainnarendramodi · 3 years ago
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‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है जहां सकारात्मकता और संवेदनशीलता है, इसका कैरेक्टर कलेक्टिव है: पीएम मोदी
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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार !
दो दिन पहले की कुछ अद्भुत तस्वीरें, कुछ यादगार पल, अब भी मेरी आँखों के सामने हैं, इसलिए, इस बार ‘मन की बात’ की शुरुआत उन्ही पलों से करते हैं | Tokyo Olympics में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलते देखकर मैं ही नहीं पूरा देश रोमांचित हो उठा | पूरे देश ने, जैसे, एक होकर अपने इन योद्धाओं से कहा – विजयी भव ! विजयी भव !
जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो, मुझे इनसे गप-शप करने का, उनके बारे में जानने और देश को बताने का अवसर मिला था | ये खिलाड़ी, जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करते हुए यहाँ पहुंचे हैं | आज उनके पास, आपके प्यार और support की ताकत है - इसलिए, आइए मिलकर अपने सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएँ, उनका हौसला बढ़ाएँ | Social Media पर Olympics खिलाड़ियों के support के लिए हमारा Victory Punch Campaign अब शुरू हो चुका है | आप भी अपनी टीम के साथ अपना Victory Punch share करिए India के लिए cheer करिए |
साथियो, जो देश के लिए तिरंगा उठाता है उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना, स्वाभाविक ही है | देशभक्ति की ये भावना, हम सबको जोड़ती है | कल, यानि, 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ भी है | क��रगिल का युद्ध, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम का ऐसा प्रतीक है, जिसे, पूरी दुनिया ने देखा है | इस बार ये गौरवशाली दिवस भी ‘अमृत महोत्सव’ के बीच में मनाया जाएगा | इसलिए, ये, और भी खास हो जाता है | मैं चाहूँगा कि आ��� कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरुर पढ़ें, कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें |
साथियो, इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आज़ादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है | ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आज़ादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं | आपको याद होगा, आज़ादी के 75 साल मनाने के लिए, 12 मार्च को बापू के साबरमती आश्रम से ‘अमृत महोत्सव’ की शुरुआत हुई थी | इसी दिन बापू की दांडी यात्रा को भी पुनर्जीवित किया गया था, तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुचेरी तक, गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक, देश भर में ‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं | कई ऐसी घटनाएँ, ऐसे स्वाधीनता सेनानी, जिनका योगदान तो बहुत बड़ा है, लेकिन उतनी चर्चा नहीं हो पाई - आज लोग, उनके बारें में भी जान पा रहे हैं | अब, जैसे, मोइरांग डे को ही लीजिये ! मणिपुर का छोटा सा क़स्बा मोइरांग, कभी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की Indian National Army यानि INA का एक प्रमुख ठिकाना था | यहाँ, आज़ादी के पहले ही, INA के कर्नल शौकत मलिक जी ने झंडा फहराया था | ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान 14 अप्रैल को उसी मोइरांग में एक बार फिर तिरंगा फहराया गया | ऐसे कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें ‘अमृत महोत्सव’ में देश याद कर रहा है | सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं | ऐसा ही एक आयोजन इस बार 15 अगस्त को होने जा रहा है, ये एक प्रयास है - राष्ट्रगान से जुड़ा हुआ | सांस्कृतिक मंत्रालय की कोशिश है कि इस दिन ज्यादा-से-ज्यादा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएँ, इसके लिए एक website भी बनाई गई है – राष्ट्रगानडॉटइन | इस website की मदद से आप राष्ट्रगान गाकर, उसे record कर पाएंगे, इस अभियान से जुड़ पाएंगे | मुझे उम्मीद है, आप, इस अनोखी पहल से जरूर जुड़ेंगे | इसी तरह के बहुत सारे अभियान, बहुत सारे प्रयास, आपको, आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे | ‘अमृत महोत्सव’ किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं, यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है | हर स्वतंत्र और कृतज्ञ भारतीय का अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन है और इस महोत्सव की मूल भावना का विस्तार तो बहुत विशाल है - ये ��ावना है, अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना, उनके सपनों का देश बनाना | जैसे, देश की आजादी के मतवाले, स्वतंत्रता के लिए एकजुट हो गए थे, वैसे ही, हमें, देश के विकास के लिए एकजुट होना है | हमें देश के लिए जीना है, देश के लिए काम करना है, और इसमें, छोटे- छोटे प्रयास भी बड़े नतीजे ला देते हैं | रोज के कामकाज करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं, जैसे, Vocal for Local | हमारे देश के स्थानीय उद्यमियों, आर्टिस्टों, शिल्पकारों, बुनकरों को support करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए | 7 अगस्त को आने वाला National Handloom Day, एक ऐसा अवसर है जब हम प्रयास पूर्वक भी ये काम कर सकते हैं | National Handloom Day के साथ बहुत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जुड़ी हुई है | इसी दिन, 1905 में, स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी |
साथियो, हमारे देश के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में, Handloom, कमाई का बहुत बड़ा साधन है | ये ऐसा क्षेत्र है जिससे लाखों महिलाएं, लाखों बुनकर, लाखों शिल्पी जुड़े हुए हैं | आपके छोटे-छोटे प्रयास, बुनकरों में एक नई उम्मीद जगाएँगे | आप, स्वयं कुछ-न-कुछ खरीदें, और अपनी बात दूसरों को भी बताएं, और, जब हम आज़ादी के 75 साल मना रहे हैं, तब तो, इतना करना हमारी ज़िम्मेवारी बनती ही है भाइयो | आपने देखा होगा, साल 2014 के बाद से ही ‘मन की बात’ में हम अक्सर खादी की बात करते हैं | ये आपका ही प्रयास है, कि, आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है | क्या कोई सोच सकता था कि खादी के किसी स्टोर से एक दिन में एक करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री हो सकती है! लेकिन, आपने, ये भी कर दिखाया है | आप जब भी कहीं पर खादी का कुछ खरीदते हैं, तो इसका लाभ, हमारे गरीब बुनकर भाइयो- बहनों को ही होता है | इसलिए, खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा भी है, देश-सेवा भी है | मेरा आपसे आग्रह है कि आप सभी मेरे प्यारे भाइयो-बहनों ग्रामीण इलाकों में बन रहे Handloom Products जरूर खरीदें और उसे #MyHandloomMyPride के साथ शेयर करें |
साथियो, बात जब आज़ादी के आंदोलन और खादी की हो तो पूज्य बापू का स्मरण होना स्वाभाविक है – जैसे, बापू के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चला था, वैसे ही, आज हर देशवासी को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ का नेतृत्व करना है | ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपना काम ऐसे करें जो विविधताओं से हमारे भारत को जोड़ने में मददगार हो | तो आइए, हम ‘अमृत महोत्सव’ को, ये अमृत संकल्प लें, कि, देश ही हमारी सबसे बड़ी आस्था, सबसे बड़ी प्राथमिकता बना रहेगा | “Nation First, Always First”, के मंत्र के साथ ही हमें आगे बढ़ना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज, मैं, ‘मन की बात’ सुन रहे मेरे युवा साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूँ | अभी कुछ दिन पहले ही, MyGov की ओर से ‘मन की बात’ के श्रोताओं को लेकर एक study की गई थी | इस study ��ें ये देखा गया कि ‘मन की बात’ के लिए सन्देश और सुझाव भेजने वालों में प्रमुखत: कौन लोग हैं | Study के बाद ये जानकारी सामने आई कि संदेश और सुझाव भेजने वालों में से करीब-करीब 75 प्रतिशत लोग, 35 वर्ष की आयु से कम के होते हैं यानि भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं | मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूँ | ‘मन की बात’ एक ऐसा माध्यम है जहाँ सकारात्मकता है – संवेदनशीलता है | ‘मन की बात’ में हम positive बातें करते हैं, इसका Character collective है | सकारात्मक विचारों और सुझावों के लिए भारत के युवाओं की ये सक्रियता मुझे आनंदित करती है | मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे युवाओं के मन को भी जानने का अवसर मिलता है |
साथियो, आप लोगों से मिले सुझाव ही ‘मन की बात’ की असली ताकत हैं | आपके सुझाव ही ‘मन की बात’ के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं, भारतवासियों के सेवा और त्याग की ख़ुशबू को चारों दिशाओं में फैलाते हैं, हमारे मेहनतकश युवाओं के innovation से सब को प्रेरित करते हैं | ‘मन की बात’ में आप कई तरह के Ideas भेजते हैं | हम सभी पर तो नहीं चर्चा कर पाते हैं, लेकिन उनमें से बहुत से Ideas को मैं सम्बंधित विभागों को जरुर भेजता हूँ ताकि उन पर आगे काम किया जा सके |
साथियो, में आपको साई प्रनीथ जी के प्रयासों के बारे में बताना चाहता हूँ | साई प्रनीथ जी, एक Software Engineer हैं, आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं | पिछले वर्ष उन्होंने देखा कि उनके यहाँ मौसम की मार की वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था | मौसम विज्ञान में उनकी दिलचस्पी बरसों से थी | इसलिए उन्होंने अपनी दिलचस्पी और अपने talent को किसानों की भलाई के लिये इस्तेमाल करने का फैसला किया | अब वे अलग-अलग Data Sources से Weather Data खरीदते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं और स्थानीय भाषा में अलग-अलग माध्यमों से किसानों के पास जरुरी जानकारी पहुंचाते हैं | Weather updates के अलावा, प्रनीथ जी, अलग-अलग Climate conditions में लोगों को क्या करना चाहिए, guidance भी देते हैं | खासकर बाढ़ से बचने के लिए या फिर तूफ़ान या बिजली गिरने पर कैसे बचा जाए, इस बारे में भी वो लोगों को बताते हैं |
साथियो, एक ओर इस नौजवान software engineer का यह प्रयास दिल को छूने वाला है तो दूसरी ओर हमारे एक साथी के द्वारा किया जा रहा technology का उपयोग भी आपको अचंभित कर देगा | ये साथी हैं ओडिशा के संबलपुर जिले के एक गाँव में रहने वाले श्रीमान् ईसाक मुंडा जी | ईसाक जी कभी एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे लेकिन अब वे एक internet sensation बन गए हैं | अपने YouTube Channel से वो काफ़ी रुपये कमा रहे हैं | वे अपने videos में स्थानीय व्यंजन, पारंपरिक ��ाना बनाने के तरीके, अपने गाँव, अपनी lifestyle, परिवार और खान-पान की आदतों को प्रमुखता से दिखाते हैं | एक YouTuber के रूप में उनकी यात्रा मार्च, 2020 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने ओडिशा के मशहूर स्थानीय व्यंजन पखाल से जुड़ा एक video post किया था | तब से वे सैकड़ों video post कर चुके हैं | उनका यह प्रयास कई कारणों से सबसे अलग है | खासकर इसलिए कि इससे शहरों में रहने वाले लोगों को वो जीवनशैली देखने का अवसर मिलता है जिसके बारे में वे बहुत कुछ नहीं जानते | ईसाक मुंडा जी culture और cuisine दोनों को बराबर मिलाकर के celebrate कर रहे हैं और हम सब को प्रेरणा भी दे रहे हैं |
साथियो, जब हम technology की चर्चा कर रहे हैं तो मैं एक और interesting विषय की चर्चा करना चाहता हूँ | आपने हाल-फिलहाल में पढ़ा होगा, देखा होगा कि IIT Madras के alumni द्वारा स्थापित एक start-up ने एक 3D printed house बनाया है | 3D printing करके घर का निर्माण, आखिर ये हुआ कैसे ? दरअसल इस start-up ने सबसे पहले 3D printer में एक, 3 Dimensional design को feed किया और फिर एक विशेष प्रकार के concrete के माध्यम से layer by layer एक 3D structure fabricate कर दिया | आपको यह जानकार खुशी होगी कि देशभर में इस प्रकार के कई प्रयोग हो रहे हैं | एक समय था जब छोटे-छोटे construction के काम में भी वर्षों लग जाते थे | लेकिन आज technology की वजह से भारत में स्थिति बदल रही है | कुछ समय पहले हमने दुनियाभर की ऐसी innovative companies को आमंत्रित करने के लिए एक Global Housing Technology Challenge launch किया था | ये देश में अपनी तरह का अलग तरह का अनोखा प्रयास है, इसलिए हमने इन्हें Light House Projects का नाम दिया | फिलहाल देश में 6 अलग-अलग जगहों पर Light House Projects पर तेजी से काम चल रहा है | इन Light House Projects में Modern Technology और Innovative तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है | इससे constructions का time कम हो जाता है | साथ ही, जो घर बनते हैं वो अधिक टिकाऊ, किफायती और आरामदायक होते हैं | मैंने हाल ही में drones के जरिए इन projects की समीक्षा भी की और कार्य की प्रगति को live देखा | इंदौर के project में Brick और Mortar Walls की जगह Pre-Fabricated Sandwich Panel System का इस्तेमाल किया जा रहा है | राजकोट में Light House, French Technology से बनाए जा रहे हैं, जिनमें Tunnel के जरिए Monolithic Concrete construction technology का इस्तेमाल हो रहा है | इस technology से बने घर आपदाओं का सामना करने में कहीं अधिक सक्षम होंगे | Chennai में, America और Finland की technologies, Pre-Cast Concrete System का उपयोग किया जा रहा है | इससे मकान जल्दी भी बनेंगे और लागत भी कम आएगी | Ranchi में Germany के 3D Construction System का प्रयोग करके घर बनाए जाएंगे | इसमें हर कमरे को अलग से बनाया जाएगा, फिर पूरे structure को उसी तरह जोड़ा जाएगा, जैसे block toys को जोड़ा जाता है | अगरतला में New Zealand की technology का उपयोग कर steel frame के साथ मकान बनाए जा रहे हैं, जो बड़े भूकंप को झेल सकते हैं | वहीं लखनऊ में Canada की technology का इस्तेमाल किया जा रहा है | इसमें plaster और paint की जरुरत नहीं होगी और तेजी से घर बनाने के लिए पहले से ही तैयार दीवारों का प्रयोग किया जाएगा |
साथियो, आज देश में ये प्रयास हो रहा है कि ये project Incubation Centres की तरह काम करें | इससे हमारे Planners, Architects, Engineers और Students नई technology को जान सकेंगे और उसका Experiment भी कर पायेंगे | मैं इन बातों को खास तौर पर अपने युवाओं के लिए साझा कर रहा हूँ ताकि हमारे युवा राष्ट्रहित में technology के नए-नए क्षेत्रों की ओर प्रोत्साहित हो सकें |
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने अंग्रेजी की एक कहावत सुनी होगी – “To Learn is to Grow” यानि सीखना ही आगे बढ़ना है | जब हम कुछ नया सीखते हैं, तो हमारे लिए प्रगति के नए-नए रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं | जब भी कहीं League से हटकर कुछ नया करने का प्रयास हुआ है, मानवता के लिए नए द्वार खुले हैं, एक नए युग का आरंभ हुआ है | और आपने देखा होगा जब कहीं कुछ नया होता है तो उसका परिणाम हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है | अब जैसे कि अगर मैं आपसे पूछूँ कि वो कौन से राज्य हैं, जिन्हें आप सेब, Apple के साथ जोडेंगे ? तो जाहिर है कि आपके मन में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम आएगा | पर अगर मैं कहूँ कि इस list में आप मणिपुर को भी जोड़ दीजिये तो शायद आप आश्चर्य से भर जाएंगे | कुछ नया करने के जज़्बे से भरे युवाओं ने मणिपुर में ये कारनामा कर दिखाया है | आजकल मणिपुर के उखरुल जिले में, सेब की खेती जोर पकड़ रही है | यहाँ के किसान अपने बागानों में सेब उगा रहे हैं | सेब उगाने के लिए इन लोगों ने बाकायदा हिमाचल जाकर training भी ली है | इन्हीं में से एक हैं टी एस रिंगफामी योंग (T.S. Ringphami Young) | ये पेशे से एक Aeronautical Engineer हैं | उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती टी.एस. एंजेल (T.S. Angel) के साथ मिलकर सेब की पैदावार की है | इसी तरह, अवुन्गशी शिमरे ऑगस्टीना (Avungshee Shimre Augasteena) ने भी अपने बागान में सेब का उत्पादन किया है | अवुन्गशी दिल्ली में job करती थीं | ये छोड़ कर वो अपने गाँव लौट गईं और सेब की खेती शुरू की | मणिपुर में आज ऐसे कई Apple Growers हैं, जिन्होंने कुछ अलग और नया कर��े दिखाया है |
साथियो, हमारे आदिवासी समुदाय में, बेर बहुत लोकप्रिय रहा है | आदिवासी समुदायोँ के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं | लेकिन COVID-19 महामारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है | त्रिपुरा के उनाकोटी (Unakoti) के ऐसे ही 32 साल के मेरे युवा साथी हैं बिक्रमजीत चकमा | उन्होंने बेर की खेती की शुरुआत कर काफ़ी मुनाफ़ा भी कमाया है और अब वो लोगों को बेर की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे है | राज्य सरकार भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आई है | सरकार द्वारा इसके लिए कई विशेष nursery बनाई गई हैं ताकि बेर की खेती से जुड़े लोगों की माँग पूरी की जा सके | खेती में innovation हो रहे हैं तो खेती के by products में भी creativity देखने को मिल रही है |
साथियो, मुझे उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किए गए एक प्रयास के बारे में भी पता चला है | COVID के दौरान ही लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है | वहाँ महिलाओं को केले के बेकार तनों से fibre बनाने की training देने का काम शुरू किया गया | Waste में से best करने का मार्ग | केले के तने को काटकर मशीन की मदद से banana fibre तैयार किया जाता है जो जूट या सन की तरह होता है | इस fibre से handbag, चटाई, दरी, कितनी ही चीजें बनाई जाती हैं | इससे एक तो फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हो गया, वहीँ दूसरी तरफ गाँव में रहने वाली हमारी बहनों-बेटियों को आय का एक और साधन मिल गया | Banana fibre के इस काम से एक स्थानीय महिला को चार सौ से छह सौ रुपये प्रतिदिन की कमाई हो जाती है | लखीमपुर खीरी में सैकड़ों एकड़ जमीन पर केले की खेती होती है | केले की फसल के बाद आम तौर पर किसानों को इसके तने को फेंकने के लिए अलग से खर्च करना पड़ता था | अब उनके ये पैसे भी बच जाते है यानि आम के आम, गुठलियों के दाम ये कहावत यहाँ बिल्कुल सटीक बैठती है | साथियो, एक ओर banana fibre से products बनाये जा रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ केले के आटे से डोसा और गुलाब जामुन जैसे स्वादिष्ट व्यंजन भी बन रहे हैं | कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ और दक्षिण कन्नड़ जिलों में महिलाएं यह अनूठा कार्य कर रही हैं | ये शुरुआत भी कोरोना काल में ही हुई है | इन महिलाओं ने न सिर्फ केले के आटे से डोसा, गुलाब जामुन जैसी चीजें बनाई बल्कि इनकी तस्वीरों को social media पर share भी किया है | जब ज्यादा लोगों को केले के आटे के बारे में पता चला तो उसकी demand भी बढ़ी और इन महिलाओं की आमदनी भी | लखीमपुर खीरी की तरह यहाँ भी इस innovative idea को महिलाएं ही lead कर रही हैं | साथियो, ऐसे उदाहरण जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा बन जाते हैं | आप के आस-पास भी ऐसे अनेक लोग होंगे | जब आपका परिवार मन की बातें कर रहा हो तो आप इन्हें भी अपनी गप-शप का हिस्सा बनाइये | कभी समय निकलकर बच्चों के साथ ऐसे प्रयासों को देखने भी जाइए और अवसर मिल जाये तो खुद भी ऐसा कुछ कर दिखाइए | और हाँ, यह सब आप मेरे साथ NamoApp या MyGov पर साझा करेंगे तो मुझे और अच्छा लगेगा | मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे संस्कृत ग्रंथों में एक श्लोक है – आत्मार्थम् जीव लोके अस्मिन्, को न जीवति मानवः | परम् परोपकारार्थम्, यो जीवति स जीवति ||
अर्थात् अपने लिए तो संसा�� में हर कोई जीता है | लेकिन वास्तव में वही व्यक्ति जीता है जो परोपकार के लिए जीता है | भारत माँ के बेटे-बेटियों के परोपकारिक प्रयासों की बातें – यही तो ‘मन की बात’ है | आज भी ऐसे ही कुछ और साथियों के बारे में हम बात करते हैं | एक साथी चंडीगढ़ शहर के हैं | चंडीगढ़ में, मैं भी, कुछ वर्षों तक रह चुका हूँ | यह बहुत खुशमिजाज और खुबसूरत शहर है | यहाँ रहने वाले लोग भी दिलदार हैं और हाँ, अगर आप खाने के शौक़ीन हो, तो यहाँ आपको और आनंद आएगा | इसी चंडीगढ़ के सेक्टर 29 में संजय राणा जी, Food Stall चलाते हैं और साईकिल पर छोले-भटूरे बेचते हैं | एक दिन उनकी बेटी रिद्धिमा और भतीजी रिया एक idea के साथ उनके पास आई | दोनों ने उनसे COVID Vaccine लगवाने वालों को free में छोले–भटूरे खिलाने को कहा | वे इसके लिए खुशी-खुशी तैयार हो गए, उन्होंने, तुरंत ये अच्छा और नेक प्रयास शुरू भी कर दिया | संजय राणा जी के छोले-भटूरे मुफ़्त में खाने के लिए आपको दिखाना पड़ेगा कि आपने उसी दिन vaccine लगवाई है | Vaccine का message दिखाते ही वे आपको स्वादिष्ट छोले–भटूरे दे देंगे | कहते हैं, समाज की भलाई के काम के लिए पैसे से ज्यादा, सेवा भाव, कर्तव्य भाव की ज्यादा आवश्यकता होती है | हमारे संजय भाई, इसी को सही साबित कर रहे हैं | साथियो, ऐसे ही एक और काम कि चर्चा आज करना चाहूँगा | ये काम हो रहा है तमिलनाडु के नीलगिरी में | वहाँ राधिका शास्त्री जी ने AmbuRx (एम्बुरेक्स) Project की शुरुआत की है | इस project का मकसद है, पहाड़ी इलाकों में मरीजों को इलाज के लिए आसान transport उपलब्ध कराना | राधिका कून्नूर में एक Cafe चलाती हैं | उन्होंने अपने Cafe के साथियों से AmbuRx के लिए fund जुटाया | नीलगिरी पहाड़ियों पर आज 6 AmbuRx सेवारत हैं और दूरदराज़ के हिस्सों में emergency के समय मरीजों के काम आ रही हैं | एम्बुरेक्स में Stretcher, Oxygen Cylinder, First Aid Box जैसी कई चीजों की व्यवस्था है |
साथियो, संजय जी हों या राधिका जी इनके उदाहरणों से पता चलता है कि हम अपना कार्य, अपना व्यवसाय, नौकरी करते-करते भी सेवा के कार्य कर सकते हैं |
साथियो, कुछ दिन पहले एक बहुत ही interesting और बहुत ही emotional event हुआ, जिससे भारत-जॉर्जिया मैत्री को नई मजबूती मिली | इस समारोह में भारत ने सेंट क्वीन केटेवान (Saint Queen Ketevan) के होली रेलिक (Holy Relic) यानि उनके पवित्र स्मृति चिन्ह जॉर्जिया की सरकार और वहाँ की जनता को सौंपा, इसके लिए हमारे विदेश मंत्री स्वयं वहाँ गए थे | बहुत ही भावुक माहौल में हुए इस समारोह में, जॉर्जिया के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अनेक धर्म गुरु, और बड़ी संख्या में जॉर्जिया के लोग, उपस्थित थे | इस कार्यकम में भारत की प्रशंसा में जो शब्द कहे गए, वो बहुत ही यादगार हैं | इस एक समारोह ने दोनों देशों के साथ ही, गोवा और जॉर्जिया के बीच के संबंधों को भी और प्रगाढ़ कर दिया है | ऐसा इसलिए, क्योंकि सेंट क्वीन केटेवान (Saint Queen Ketevan) के ये पवित्र अवशेष 2005 में गोवा के Saint Augustine Church से मिले थे |
साथियो, आपके मन में सवाल होगा कि ये सब क्या है, ये कब और कैसे हुआ ? दरअसल, ये आज से चार सौ- पांच सौ साल पहले की बात है | क्वीन केटेवान जॉर्जिया के राजपरिवार की बेटी थीं | दस साल के कारावास के बाद 1624 में वो शहीद हो गई थीं | एक प्राचीन पुर्तगाली दस्तावेज के मुताबिक Saint Queen Ketevan की अस्थियों को Old Goa के Saint Augustine Convent में रखा गया था | लेकिन, लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि गोवा में दफनाए गए उनके अवशेष 1930 के भूकंप में गायब हो गए थे |
भारत सरकार और जॉर्जिया के इतिहासकारों, Researchers, Archaeologists और जॉर्जियन चर्च के दशकों के अथक प्रयासों के बाद 2005 में उन पवित्र अवशेषों को खोजने में सफलता मिली थी | यह विषय जॉर्जिया के लोगों के लिए बहुत ही भावनात्मक है | इसीलिए उनके Historical, Religious और Spiritual sentiments को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इन अवशेषों का एक अंश जॉर्जिया के लोगों को भेंट में देने का निर्णय लिया | भारत और जॉर्जिया के साझे इतिहास के इस अनूठे पक्ष को संजोए रखने के लिए मैं आज गोवा के लोगों को हृदय से धन्यवाद देना चाहूँगा | गोवा कई महान आध्यात्मिक धरोहरों की भूमि रही है | Saint Augustine Church, UNESCO की World Heritage Site – Churches and Convents of Goa का एक हिस्सा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, जॉर्जिया से अब मैं आपको सीधे सिंगापुर लेकर चलता हूँ, जहाँ इस महीने की शुरुआत में एक और गौरवशाली अवसर सामने आया | सिंगापुर के प्रधानमंत्री और मेरे मित्र, ली सेन लुंग (Lee Hsien Loong) ने हाल ही में Renovate किए गए सिलाट रोड गुरुद्वारा का उद्घाटन किया | उन्होंने पारंपरिक सिख पगड़ी भी पहनी थी | यह गुरुद्वारा लगभग सौ साल पहले बना था और यहाँ भाई महाराज सिंह को समर्पित एक स्मारक भी है | भाई महाराज सिंह जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी और य��� पल आज़ादी के 75 साल मना रहे हैं तब और अधिक प्रेरक बन जाता है | दो देशों के बीच, People to People Connect, उसे, मजबूती, ऐसी ही बातों, ऐसे ही प्रयासों से, मिलती है | इनसे यह भी पता चलता है कि सौहार्दपूर्ण माहौल में रहने और एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का कितना महत्व है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में हमने अनेक विषयों की चर्चा की | एक और विषय है जो मेरे दिल के बहुत करीब है | ये विषय है, जल संरक्षण का | मेरा बचपन जहाँ गुजरा, वहाँ पानी की हमेशा से किल्लत रहती थी | हम लोग बारिश के लिए तरसते थे और इसलिए पानी की एक-एक बूँद बचाना हमारे संस्कारों का हिस्सा रहा है | अब “जन भागीदारी से जल संरक्षण” इस मंत्र ने वहाँ की तस्वीर बदल दी है | पानी की एक-एक बूँद को बचाना, पानी की किसी भी प्रकार की बर्बादी को रोकना यह हमारी जीवन शैली का एक सहज हिस्सा बन जाना चाहिए | हमारे परिवारों की ऐसी परंपरा बन जानी चाहिए, जिससे हर एक सदस्य को गर्व हो |
साथियो, प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा भारत के सांस्कृतिक जीवन में, हमारे दैनिक जीवन में, रचा बसा हुआ है | वहीं, बारिश और मानसून हमेशा से हमारे विचारों, हमारी philosophy और हमारी सभ्यता को आकार देते आए हैं | ऋतुसंहार और मेघदूत में महाकवि कालिदास ने वर्षा को लेकर बहुत ही सुंदर वर्णन किया है | साहित्य प्रेमियों के बीच ये कवितायें आज भी बेहद लोकप्रिय हैं | ऋग्वेद के पर्जन्य सुक्तम में भी वर्षा के सौन्दर्य का खूबसूरती से वर्णन है | इसी तरह, श्रीमद् भागवत में भी काव्यात्मक रूप से पृथ्वी, सूर्य और वर्षा के बीच के संबंधों को विस्तार दिया गया है |
अष्टौ मासान् निपीतं यद्, भूम्याः च, ओद-मयम् वसु |
स्वगोभिः मोक्तुम् आरेभे, पर्जन्यः काल आगते ||
अर्थात- सूर्य ने आठ महीने तक जल के रूप में पृथ्वी की संपदा का दोहन किया था, अब मानसून के मौसम में, सूर्य, इस संचित संपदा को पृथ्वी को वापिस लौटा रहा है | वाकई, मानसून और बारिश का मौसम सिर्फ खूबसूरत और सुहाना ही नहीं होता बल्कि यह पोषण देने वाला, जीवन देने वाला भी होता है | वर्षा का पानी जो हमें मिल रहा है वो हमारी भावी पीढ़ियों के लिए है, ये हमें कभी भूलना नहीं चाहिए |
आज मेरे मन में ये विचार आया कि क्यों न इन रोचक सन्दर्भों के साथ ही मैं अपनी बात समाप्त करूँ | आप सभी को ��ने वाले पर्वों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | पर्व और उत्सवों के समय, ये जरुर याद रखिएगा कि कोरोना अभी हमारे बीच से गया ��हीं है | कोरोना से जुड़े protocols आपको भूलने नहीं है | आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें|
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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vlogrush · 5 months ago
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बच्चों के लिए 10 नई कहानियां
बच्चों की नई कहानियां बच्चों की नयी कहानियों और वृद्धि करने वाली कहानियों की खोज में? यह समूह बच्चों के लिए 10 मनोरंजक, बौद्धिक और शिक्षाप्रद कहानियाँ प्रदान करता है। विभिन्न विषयों से संबंधित, ये कहानियाँ आपके बच्चे के कल्पना शक्ति को उड़ान देंगी और उनमें पढ़ने का जुनून जगाएंगी।बच्चों के लिए कहानियाँ उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे न केवल उनकी कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देती हैं,…
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saathi · 6 years ago
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एक बेहतर और ज़्यादा सकारात्मक Tumblr
2007 में जब से Tumblr आया है, तभी से यह हमेशा समुदाय और संस्कृति के प्रमुख मूल्यों के संबंध में विस्तृत, व्यापक और रचनात्मक स्व-अभिव्यक्ति का एक माध्यम रहा है. जैसा कि हमारे संस्थापक डे��िड कार्प ने कहा है, उसी को दोहराते हुए मैं भी कहूँगा कि हमें गर्व है कि हमने कलाकारों, लेखकों, रचनाकारों, संरक्षकों और समाजसुधारकों की पूरी एक पीढ़ी को प्रेरित किया कि वे हमारी संस्कृति को पुनर्परिभाषित करें और वैयक्तितता का समर्थन करें.
पिछले कई महीनों में अपने शानदार बीते हुए वक़्त से प्रेरणा लेकर हमने इस बारे में काफ़ी विचार-विमर्श किया है कि आगे चलकर हम अपने समुदाय की नज़रों में कैसे दिखना चाहते हैं और साथ ही इस दौरान एक बेहतर Tumblr कि नींव रखने मे भी हम पूरी मेहनत के साथ लगे रहे. हमने यह महसूस किया कि अपने वादे को पूरा करने और समाज में अपनी जगह बनाए रखने के लिए, खासकर तब, जब समाज विकसित हो रहा हो, हमें हर हाल में बदलना ही होगा. इनमें से कुछ बदलाव हमारे समुदाय के सदस्यों के बीच बेहतर संवाद को बढ़ावा देने के साथ शुरू होते हैं. हम आज इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ रहे हैं और अब से हम वयस्क सामाग्री चलाने की आज्ञा नहीं देंगे, जिसमें स्पष्ट रूप से कामुक सामग्री और नग्नता भी शामिल है (कुछ अपवादों के साथ).
आइये पहले एक बात बिलकुल स्पष्ट कर देते हैं, जिसे आज के नीति बदलाव से अलग रखना ज़रूरी है: कोई भी ऐसी सामग्री पोस्ट करना जो नाबालिगों के लिए नुकसानदेह हो, जिसमें बच्चों की पोर्नोग्राफ़ी भी शामिल है, हर तरह से घृणास्पद है और हमारे समुदाय में इसके लिए कोई जगह नहीं है. हमारी नीति के तहत हमने इस तरह की सामाग्री को ना कभी बर्दाश्त किया है, न ही आगे ऐसा करेंगे. इसके संबंध में, हम लगतार इस नीति को और भी सख्ती से लागू करने की कोशिशों में लगे रहते हैं, इन कोशिशों में इंडस्ट्री के मानकों के अनुसार मशीन द्वारा निगरानी, ह्यूमन मॉडरेटर की लगातार बढ़ती हुई टीम और ऐसे उपयोगकर्ता टूल शामिल हैं जो ऐसी किसी बात की शिकायत को दर्ज करना आसान बनाते हैं. हम, नैशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटेड चिल्ड्रेन और इंटरनेट वॉच फ़ाउंडेशन, दो ऐसी संस्थाएं जो हमारे बच्चों को किसी भी तरह के उत्पीड़न का शिकार होने से बचाने मे सबसे ज़्यादा मुस्तैद हैं, के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और इन भागीदारियों के ज़रिये हम इस नीति के उल्लंघन की घटनाओं को कानून प्रवर्तन अधिकारियों को रिपोर्ट कर��े हैं. हम बुरा या गलत करने वालों सभी लोगों को अपने प्लैटफ़ार्म के गलत इस्तेमाल से तो नहीं रोक सकते लेकिन यह हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि हम अपने समुदाय को ज़्यादा से ज़्यादा सुरक्षित रखें.
क्या बदल रहा है?
Tumblr पर अब वयस्क सामग्री वाली पोस्ट को अनुमति नहीं दी जाएगी  और हमने इस नीति में बदलाव को बताने के लिए हमारे समुदाय दिशानिर्देशों को अपडेट किया है. हम इस बात को अच्छे से समझते हैं कि Tumblr कला, लिंग सकारात्मकता, आपके रिश्ते, आपकी कामुकता और आपके जीवन की कहानी जैसे विषयों के बारे में स्वतंत्र रूप से बात करने की भी जगह है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम इस प्रकार की अभिव्यक्ति की विविधता को समुदाय में बढ़ावा देना जारी रखें, इसलिए हमारी नई नीति इस संतुलन को बरकरार रखने का प्रयास कर रही है.
हम ये क्यों कर रहे हैं?
यह हमारी निरंतर, नम्र आकांक्षा है कि Tumblr रचनात्मक अभिव्यक्ति, आत्म-खोज, और समुदाय की गहरी भावना के लिए एक सुरक्षित स्थान बना रहे.  जैसे जैसे Tumblr बढ़ता और विकसित होता जा रहा है और दुनिया पर हमारे प्रभाव की हमारी समझ स्पष्ट हो जाती है, हमारे पास अलग-अलग आयु के समूहों, जनसांख्यिकी, संस्कृतियों और लोगों के दिमागों पर प्रभाव के बारे में विचार करने की ज़िम्मेदारी है. हमने समुदाय में अभिव्यक्ति के लाभ और हानि के बारे में सोचने में काफ़ी समय बिताया, जिसमें वयस्क सामग्री भी शामिल है. ऐसा करने में, यह बात सॉफ हो गई कि इस सामग्री के बिना हमारे पास एक ऐसी जगह बनाने का अवसर है जहाँ ज़्यादा से स्यादा लोग ख़ुद को व्यक्त करने में सहज महसूस कर सकेंगे.
इसका सार: इंटरनेट पर ऐसी साइटों की कोई कमी नहीं है जिनकी विशेषता वयस्क सामग्री हैं. हम यह काम उनको ही करने देंगें और हम हमारे समुदाय के लिए अच्छा साफ़ सुथरा माहौल बनाने की कोशिश पर ध्यान देंगें.
अब आगे क्या होगा?
17 दिसंबर, 2018 से, हम इस नई नीति को लागू करना शुरू कर देंगे. समुदाय के सदस्य जिनके पास ऐसी सामग्री है जिसकी अनुमति अब Tumblr नहीं देता है, हम पहले उन्हें इसके बारे में बताएँगे और अगर वो चाहेंगे तो समुदाय के बाहर उनकी सामग्री को अपील करने या उसे बचा के रखने के लिए वे क्या कदम उठा सकते हैं, इसका तरीका भी बताएँगे. सभी बदलाव रातोंरात नहीं होंगे, क्योंकि ऐसी पेंचीदा चीज़ें करने में कुछ समय तो ज़रूर लगता है.
एक बात और, इस प्रकार की सामग्री को छांट पाना कामसूत्र से प्रेरित मूर्ति को हटाने या एक राजनीतिक विरोध वाली सामग्री को चुनने से भी कहीं ज़्यादा मुश्किल है और इतने ��ड़े पैमाने पर करना तो बिल्कुल भी आसान नहीं है. हम वयस्क सामग्री की पहचान के लिए स्वचालित उपकरणों पर निर्भर हैं और हमारे सिस्टम को ठीक रखने और ट्रेन करने के लिए मनुष्यों पर निर्भर हैं. हम जानते हैं कि गलतियां होंगी, लेकिन हमने नीति बनाने और लागू करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है जो समुदाय में दिखाई देने वाली अभिव्यक्ति की सीमा को स्वीकार करता है. ज़रूरी बात यह है कि हम जिन निर्णयों को ले रहे हैं और जो संसाधन आपके लिए उपलब्ध हैं हम उनके बारे में आपके साथ जितना संभव हो सकेगा पारदर्शी होंगे, जिसमें अधिक विस्तृत जानकारी, उत्पाद संवर्द्धन, और समुदाय और सामग्री के साथ सीधे इंटरफ़ेस करने के लिए अधिक कॉंटेंट मॉडरेटर शामिल हैं.
आपकी ही तरह, हम भी Tumblr से बहुत प्यार करते हैं और यह भी जानते हैं कि दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए यह कितना मायने रखता है. हमने ये सबकुछ, समुदाय के लिए हमारे प्यार और उनकी भलाई के बारे में सोचते हुए किया है. पहले-पहल हम कभी भी चीज़ें सही तरह से नहीं कर पाते हैं, पर हम आपके अनुभव को और भी बेहतर बनाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं.
 जेफ्फ़ डी'ओनोफ्रिओ (Jeff D’Onofrio)
सीईओ (CEO)
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merikheti · 2 years ago
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Natural Farming: प्राकृतिक खेती में छिपे जल-जंगल-जमीन संग इंसान की सेहत से जुड़े इतने सारे राज
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जीरो बजट खेती की दीवानी क्यों हुई दुनिया? नुकसान के बाद दुनिया लाभ देख हैरान ! नीति आयोग ने किया गुणगान
भूमण्डलीय ऊष्मीकरण या आम भाषा में ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) से हासिल नतीजों के कारण पर्यावरण संरक्षण (Environmental protection), संतुलन व संवर्धन के प्रति संवेदनशील हुई दुनिया में नेट ज़ीरो एमिशन (net zero emission) यानी शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश नैचुरल फार्मिंग (Natural Farming) यानी प्राकृतिक खेती का रुख कर रहे हैं।
प्राकृतिक खेती क्या है? इसमें क्या करना पड़ता है? क्या प्राकृतिक खेती बहुत महंगी है? जानिये इन सवालों के जवाब।
खेत और किसान की जरूरत
इसके लिए यह समझना होगा कि, किसी खेत या किसान के लिए सबसे अधिक जरूरी चीज क्या है? उत्तर है खुराक और स्वास्थ्य देखभाल।मतलब, यदि किसी खेत के लिए जरूरी खुराक यानी उसके पोषक तत्व और पादप संरक्षण सामग्री का प्रबंध प्राकृतिक तरीके से किया जाए, तो उसे ही प्राकृतिक खेती (Natural Farming) कहते हैं।
प्राकृतिक खेती क्या है?
प्राकृतिक खेती, प्रकृति के द्वारा स्वयं के विस्तार के लिए किए जाने वाले प्रबंधों का मानवीय अध्ययन है। इसमें कृषि विज्ञान ने किसानी में उन तरीकों कोे अपनाना श्रेष्यकर समझा है, जिसे प्रकृति खुद अपने संवर्धन के लिए करती है।
प्राकृतिक खेती में किसी रासायनिक पदार्धों के अमानक प्रयोग के बजाए, प्रकृति आधारित संवर्धन के तरीके अपनाए जाते हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) या एकीकृत कृषि प्रणाली, प्राकृतिक खेती का वह तरीका है, जिसकी मदद से प्रकृति के साथ, प्राकृतिक तरीके से खेती किसानी कर किसान कृषि आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है।ये भी पढ़ें: केमिस्ट्री करने वाला किसान इंटीग्रेटेड फार्मिंग से खेत में पैदा कर रहा मोती, कमाई में कई गुना वृद्धि!
प्राकृतिक संसाधनों के प्रति देशों की सभ्यता का प्रमाण तय करने वाले नेट ज़ीरो एमिशन (net zero emission) यानी शुद्ध शून्य उत्सर्जन अलार्म, के कारण देशों और उनसे जुड़े किसानों को कृषि के तरीकों में बदलाव करना होगा। COP26 summit, Glasgow, में भारत ने 2070 तक, अपने नेट ज़ीरो एमिशन को शून्य करने का वादा किया है।
इसी प्रयास के तहत भारत में केंद्र एवं राज्य सरकार, इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही हैं। प्राकृतिक खेती में सिंचाई, सलाह, संसाधन के प्रबंध के लिए किसानों को प्रोत्साहन योजनाओं के जरिए लाभान्वित किया जा रहा है।ये भी पढ़ें: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अब यूपी में होगा बोर्ड का गठन
प्राकृतिक खेती के लाभ
प्राकृतिक खेती के लाभों की यदि बात करें, तो इसमें घरेलू संसाधनों से आवश्यक पोषक तत्व और पादप संरक्षण सामग्री तैयार की जा सकती है।
किसान इस प्रकृति के साथ वाली किसानी की विधि से कृषि उत्पादन लागत में भारी कटौती कर कृषि उपज से होने वाली साधारण आय को अच्छी-खासी रिटर्न में तब्दील कर सकते हैं। प्राकृतिक खेती से खेत में उर्वरक और अन्य रसायनों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
प्राकृतिक खेती की जरूरत
एफएओ 2017, खाद्य और कृषि का भविष्य – रुझान और चुनौतियां शीर्षक आधारित रिपोर्ट के अनुसार नीति आयोग (NITI Aayog) ने मानवीय जीवन क्रम से जुड़े कुछ अनुमान, पूर्वानुमान प्रस्तुत किए हैं।
नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, विश्व की आबादी वर्ष 2050 तक लगभग 10 अरब तक हो जाने का पूर्वानुमान है। मामूली आर्थिक विकास की स्थिति में, इससे कृषि मांग में वर्ष 2013 की मांग की तुलना में 50% तक की वृद्धि होगी।
नीति आयोग ने खाद्य उत्पादन विस्तार और आर्थिक विकास से प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता जताई है।
बीते कुछ सालों में वन आच्छादन और जैव विविधता में आई उल्लेखनीय कमी पर भी आयोग चिंतित है।
रिपोर्ट के अनुसार, उच्च इनपुट, संसाधन प्रधान खेती रीति के कारण बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, पानी की कमी, मृदा क्षरण और ग्रीनहाउस गैस का उच्च स्तरीय उत्सर्जन होने से पर्यावरण संतुलन प्रभावित हुआ है।
वर्तमान में बेमौसम पड़ रही तेज गर्मी, सूखा, बाढ़, आंधी-तूफान जैसी व्याथियों के समाधान के लिए कृषि-पारिस्थितिकी, कृषि-वानिकी, जलवायु-स्मार्ट कृषि और संरक्षण कृषि जैसे ‘समग्र’ दृष्टिकोणों पर देश, सरकार एवं किसानों को मिलकर काम करना होगा।
खेती किसानी की दिशा में अब एक समन्वित परिवर्तनकारी प्रक्रिया को अपनाने की जरूरत है।
भविष्य की पीढ़ियों का ख्याल
हमें स्वयं के साथ अपनी आने वाली पीढ़ियों का भी यदि ख्याल रखना है, धरती पर यदि भविष्य की पीढ़ी के लिए जीवन की गुंजाइश शेष छोड़ना है तो इसके लिए प्राकृतिक खेती ही सर्वश्रेष्ठ विचार होगा।ये भी पढ़ें: देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 30 फीसदी जमीन पर नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था
यह वह विधि है, जिसमें कृषि-पारिस्थितिकी के उपयोग के परिणामस्वरूप भावी पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता किए बगैर, बेहतर पैदावार हासिल होती है। एफएओ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए तमाम सहयोगी योजनाएं जारी की हैं।
प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के लाभों को 9 भागों में रखा जा सकता है :
1. उपज में सुधार 2. रासायनिक आदान अनुप्रयोग उन्मूलन 3. उत्पादन की कम लागत से आय में वृद्धि 4. बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चितिकरण 5. पानी की कम खपत 6. पर्यावरण संरक्षण 7. मृदा स्वास्थ्य संरक्षण एवं बहाली 8. पशुधन स्थिरता 9.रोजगार सृजन
नो केमिकल फार्मिंग
प्राकृतिक खेती को रासायनमुक्त खेती भी कहा जाता है। इसमें केवल प्राकृतिक आदानों का उपयोग किया जाता है। कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित, यह एक विविध कृषि प्रणाली है। इसमें फसलों, पेड़ों और पशुधन एकीकृत रूप से कृषि कार्य में प्रयुक्त होते हैं। इस समन्वित एकीकरण से कार्यात्मक जैव विविधता के सर्वोत्तम उपयोग में किसान को मदद मिलती है।ये भी पढ़ें: प्राकृतिक खेती ही सबसे श्रेयस्कर : ‘सूरत मॉडल’
प्रकृति आधारित विधि
अपने उद्भव से मौजूद प्रकृति संवर्धन की वह विधि है जिसे मानव ने बाद में पहचान कर अपनी सुविधा के हिसाब से प्राकृतिक खेती का नाम दिया। कृषि की इस प्राचीन पद्धति में भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखा जाता है।
प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग वर्जित है। जो तत्व प्रकृति में पाए जाते है, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में अपनाया जाता है।
एक तरह से चींटी, चीटे, केंचुए जैसे जीव इस खेती की सफलता का मुख्य आधार होते हैं। जिस तरह प्रकृति बगैर मशीन, फावड़े के अपना संवर्धन करती है ठीक उसी युक्ति का प्रयोग प्राकृतिक खेती में किया जाता है।
ये चार सिद्धांत प्राकृतिक खेती के आधार
प्राकृतिक कृषि के सीधे-साधे चार सिद्धांत हैं, जो किसी को भी आसानी से समझ में आ सकते हैं।
ये चार सिद्धांत हैं:
हल का उपयोग नहीं, खेत पर जुताई-निंदाई नहीं, बिलकुल प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र की तरह की जाने वाली इस खेती में जुताई, निराई की जरूरत नहीं होती।
किसी तरह का कोई रासायनिक उर्वरक या फिर पहले से तैयार की हुई खाद का उपयोग नहीं
हल या शाक को नुकसान पहुंचाने वाले किसी औजार द्वारा कोई निंदाई, गुड़ाई नहीं
रसायनों पर तो किसी तरह की कोई निर्भरता बिलकुल नहीं।
जीरो बजट खेती
अब जिस खेती में निराई गुड़ाई की जरूरत न हो, तो उसे जीरो बजट की खेती ही कहा जा सकता है। प्राकृतिक खेती को ही जीरो बजट खेती भी कहा जाता है।
प्राकृतिक खेती में प्रकृति प्रदत्त संसाधनों को लाभकारी बनाने के तरीके निहित हैं। किसी बाहरी कृत्रिम तरीके से निर्मित रासायनिक उत्पाद का उपयोग प्राकृतिक खेती में वर्जित है। जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग कर भूमि की उर्वरता बढ़ाई जाती है।
शून्य उत्पादन लागत की प्राकृतिक खेती पद्धति के लिए अलग से कोई इनपुट खरीदना जरूरी नहीं है। जापानियों द्वारा प्रकाश में लाई गई इस विधि की खेती में पारंपरिक तरीकों के विपरीत केवल 10 प्रतिशत पानी की दरकार होती है।
source Natural Farming: प्राकृतिक खेती में छिपे जल-जंगल-जमीन संग इंसान की सेहत से जुड़े इतने सारे राज
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satyam-mathematics · 3 years ago
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1.गणित ओलंपियाड का महत्त्व का परिचय (Introduction to Importance of Mathematics Olympiad)-
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गणित ओलंपियाड का महत्त्व (Importance of Mathematics Olympiad) छिपा हुआ नहीं है।इसका माध्यमिक स्तर के बच्चों की प्रतिभा को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान है।
गणित में बच्चों की प्रतिभाओं को निखारने,उभारने के लिए पहेली हल करना,वर्ग पहेली,पजल हल करना,गणित के मॉडल बनाना, गणित की प्रतियोगिता आयोजित करना जैसे कई महत्वपूर्ण तरीके हैं।
गणित ओलंपियाड में परंपरागत गणित से हटकर प्रतियोगिता में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिससे छात्र-छात्राओं की तार्किक,बौद्धिक और काल्पनिक क्षमता का पता लगाया जा सके।
गणित ओलंपियाड में भाग लेने के लिए तथा उसके लिए तैयारी करने के लिए ��ात्र छात्राओं को एक ठोस रणनीति अपनाने की जरूरत होती है।गणित ओलंपियाड में सफल होने के लिए छात्र-छात्राओं को केवल कठिन परिश्रम की ही आवश्यकता नहीं है बल्कि उसके साथ-साथ स्मार्ट तरीके अपनाने होते हैं।
छात्र-छात्राओं को प्रारंभ से ही गणित ओलंपियाड में भाग लेने के लिए तैयारी करनी होती है।तैयारी भी ऐसी करनी होती है जिससे उनकी तार्किक,बौद्धिक क्षमता का विकास हो।नवीन और विविधता लिए हुए सवालों को हल करने की कूवत हो तभी गणित ओलंपियाड में सफलता अर्जित कर सकते हैं।
भारत ने गणित ओलंपियाड में प्रारंभ से ही रुचि दिखाई है। इसलिए भारत के बहुत से छात्र-छात्राएं गणित ओलंपियाड में सफल हो चुके हैं।
गणित ओलंपियाड में सफल होने पर पुरस्कार तो मिलता ही है परंतु छात्र-छात्राओं को विश्व स्तरीय ऐसी पहचान मिल जाती है जिससे उनको कैरियर में कई मौके मिलते हैं।यदि छात्र-छात्रा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेना चाहते हैं तो वहां भी उनका प्रवेश आसानी से हो जाता है।
हालांकि शिक्षा संस्थानों में इस तरह की प्रतियोगिता आयोजित करने की आवश्यकता है।परंतु शिक्षा संस्थान पाठ्यक्रम (Syllabus) को पूरा करने में ही लगे रहते हैं। इसलिए वे इस तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं करते हैं जिससे बच्चों की गणितीय प्रतिभा को उभारा जा सके।इसलिए गणित ओलंपियाड छात्र-छात्राओं के लिए एक बेहतरीन मौका है जिसमें भाग लेकर छात्र-छात्राएं अपनी गणित की प्रतिभा को पहचान सकते हैं।
गणित एक ऐसा विषय है जिसका महत्त्व हर प्रतियोगिता परीक्षा तथा हर क्षेत्र में है।इसलिए हर छात्र-छात्रा में बेसिक गणित प्रतिभा तो होनी ही चाहिए।
प्रतियोगिता परीक्षाओं के द्वारा छात्र-छात्राओं को गणितीय प्रतिभा को उभारने, निखारने में मदद मिलती है।छात्र-छात्राएं प्रेरित होकर गणित ओलंपियाड में सफल होने हेतु कठिन परिश्रम के साथ अपनी तैयारी करते हैं।
इसलिए गणित ओलंपियाड छात्र-छात्राओं के लिए एक ऐसा मंच है जिसके द्वारा उनको अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है।
हमने गणित ओलंपियाड में भाग लेने के तरीके व नियमादि से संबंधित आर्टिकल पूर्व में पोस्ट कर चुके हैं।इसलिए जो छात्र-छात्राएं गणित ओलंपियाड में भाग लेना चाहते हैं तथा इसके नियम जानना चाहते हैं उन्हें उस आर्टिकल को पढ़ना चाहिए।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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प्लेइंग इलेवन में नियमित नहीं होना मुझे परेशान नहीं करता: कुलदीप यादव Divya Sandesh
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प्लेइंग इलेवन में नियमित नहीं होना मुझे परेशान नहीं करता: कुलदीप यादव
नई दिल्ली| प्रमुख चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ हुई सीरीज में भारत की जीत का हिस्सा थे। कुलदीप लगातार जैव बुलबुले के बीच टीम के साथ बने हुए थे लेकिन उन्हें बहुत कम मैचों में मौका मिला।
कभी कुलदीप कप्तान विराट कोहली का तुरुप का इक्का हुआ करते थे लेकिन पिछले सात महीनों में आईपीएल में उनके फ्रैंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स और भारतीय टीम के लिए उन्हें सीमित अवसर मिले। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में केवल एक वनडे मैच खेला, और फिर इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान एक टेस्ट और दो वनडे खेले। उन्होंने आईपीएल के पिछले सीजन के बाद से एक भी टी20 नहीं खेला है जबिक आईपीएल के बीते सीजन में वह केकेआर के लिए सिर्फ पांच मैचों में खेले थे। हालांकि, वह कहते हैं कि इन सब बातों से वह निराश नहीं हैं।
26 वर्षीय कुलदीप, जिन्होंने इंग्लैंड के साथ हुई सीरीज के बाद कानपुर में अपने परिवार के साथ तीन-चार दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने आगामी आईपीएल से पहले अपने लंबे समय के कोच के साथ नेट पर कुछ चीजों पर काम किया। कुलदीप ने अतीत के कुछ महीनों बारे में आईएएनएस से बात की।
साक्षात्कार के कुछ अंश इस प्रकार हैं: प्रश्न: आईपीएल के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं? कुलदीप : आईपीएल निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि यह एक टी20 प्रारूप है और खेल होते रहते हैं। मुझे खुद को तैयार रखना है ताकि जब भी मौका मिले, मैं अच्छा प्रदर्शन कर सकूं। मैंने हाल की सीरीज के बाद कुछ चीजों पर काम किया है और मैं उन चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित रखूंगा। सटीकता, गेंद को एक स्थान पर रखना, बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रश्न: वनडे और टेस्ट में गेंदबाजी से टी20 की गेंदबाजी कितनी अलग होती है? आपने हाल ही में भारत के लिए केवल यही दो प्रारूप खेले हैं .. कुलदीप : यह सब जल्दी से स्थिति के अनुकूल ढालने पर निर्भर करता है। आपको स्थिति के अनुसार गेंदबाजी करनी होगी, और जल्दी से बदलाव लाना होगा। कोणों का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण होगा। मैंने इन सभी चीजों पर काम किया था (लंबे समय तक कोच) कपिल (पांडे) के साथ, जब मैं पिछले 3-4 दिनों से घर पर था।
प्रश्न: आपको हाल के दिनों में ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला। बेंच पर रहते हुए प्रेरित होना कितना कठिन है? कुलदीप : यह सरल है (अपने आप को प्रेरित करना)। एक क्रिकेटर के रूप में, आप खेलना चाहते हैं और आप हमेशा सोचते हैं कि आप खेलने जा रहे हैं। लेकिन परिस्थितियां आपको हमेशा खेलने की अनुमति नहीं देती हैं। अक्सर, टीम की मांग अलग होती है, और विभिन्न मैचों के लिए आवश्यक संयोजनों को भी ध्यान में रखा जाता है। लेकिन यह मेरे लिए ज्यादा मायने नहीं रखता। क्योंकि आपको इस बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि यह आपके नियंत्रण में नहीं है। और मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता।
मैं टीम के लिए खेलना चाहता हूं। लेकिन मुझे टीम के बारे में भी सोचना होगा। यदि आप टीम में योगदान करने में सक्षम हैं या आपके लिए कोई आवश्यकता है, तो जाहिर है कि आप खेलते हैं। लेकिन अगर कोई जगह नहीं है और एक अन्य खिलाड़ी जो फिट बैठता है, तो वह भी अच्छा है। मैं इसके बारे में कभी चिंतित नहीं था (खेलने में सक्षम नहीं)। मुझ में बहुत आत्म-विश्वास है। मैं बहुत अच्छी गेंदबाजी भी कर रहा था। मैंने अपने आप को पसंद किया और अपने आत्मविश्वास के स्तर को ऊंचा रखा। मैं बहुत चिंतित नहीं था और कभी अवसाद में नहीं गया। लेकिन टीम प्रबंधन हमेशा स्पष्ट था – उन्होंने जो भी फैसला लिया, उन्होंने मुझसे बात करने के बाद लिया। यदि आप प्रदर्शन करते हैं तो आप खुश हैं, अगर आपको खेलना नहीं आता है तो वह भी खेल का हिस्सा है। आप बस मेहनत करते रहें।
प्रश्न: क्या एक चाइनामैन एक तरह की कमी है क्योंकि जब तक आप सरप्राइज एलीमेंट नहीं होते हैं, आपसे आगे एक रूढ़िवादी स्प��नर मौका पा जाता है? कुलदीप : मैंने इसके बारे में कभी नहीं सोचा है और मैं इसके बारे में नहीं सोचता। यदि आप अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं और आपका प्रदर्शन अच्छा है, तो मुझे नहीं लगता कि (चाइनामैन) एक कमबैक के रूप में काम करता है। ऐसे समय होते हैं जब आप कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन आपको प्रदर्शन करने के लिए नहीं मिलता है। लेकिन आप कड़ी मेहनत करते रहते हैं। कभी-कभी यह काम करता है और कभी-कभी हालात आपके अनुरूप नहीं होता है।
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लेकिन हां, जब मैंने अपना करियर शुरू किया था, तब कई चाइनामैन गेंदबाज नहीं थे। इसलिए मुझे संदेह होता था और अक्सर आश्चर्य होता था कि क्या इसके लिए कोई गुंजाइश है। लेकिन अब बहुत सारे लोग चाइनामैन गेंदबाजी कर रहे हैं। बहुत सी राज्य टीमों में चाइनामैन गेंदबाज भी हैं। धीरे-धीरे यह सामान्य स्पिन गेंदबाजी में बदल रहा है। मुझे नहीं लगता कि यह कोई कमी होगी।
प्रश्न: आपने पिछले आईपीएल में केकेआर के लिए बहुत कम मैच खेले हैं क्योंकि उनके पास बहुत सारे स्पिनर हैं। इस बार केकेआर ने हरभजन सिंह को भी टीम में शामिल किया है .. कुलदीप : केकेआर का स्पिन विभाग आईपीएल में सबसे अच्छा होना चाहिए, और टीम के लिए अच्छी बात यह है कि इसमें चुनने के लिए बहुत सारे विकल्प हैं। केकेआर के पास विविधता है और वे गेंदबाजों को स्थिति, पिच आदि के अनुसार चुन सकते हैं। मुझे प्लेइंग इलेवन में शामिल होने की चिंता कभी नहीं रही। अगर टीम प्रबंधन को लगता है कि कुलदीप की जरूरत है, तो मैं खेलूंगा। लेकिन हां, मैं खेलना चाहता हूं।
प्रश्न: आप प्रतियोगिता को कैसे देखते हैं? क्या यह आपके खेलने के अवसरों को कम करता है? कुलदीप : प्लेइंग इलेवन में शामिल होना प्रबंधन का निर्णय है। एक खिलाड़ी और एक व्यक्ति के रूप में, आपको अपना 100 प्रतिशत देने के बारे में सोचना होगा। मुझे सीखने और अनुभव हासिल करने के लिए भी मिलेगा। मैंने भज्जू पा (हरभजन सिंह) से बात की है। मैं उनसे मिलने और उनसे सीखने के लिए बहुत उत्साहित हूं। मैं उसके साथ दो महीने बिताऊंगा। वह एक बड़ा खिलाड़ी रहा है, और उसने बहुत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। वह जो अनुभव करता है वह निश्चित रूप से बहुत उपयोगी होगा। मैं उससे बात करता रहूंगा और जो भी अनुभव होगा उसे पाने के लिए देखूंगा।
प्रश्न: क्या आपने क्रिकेटर के रूप में बल्लेबाजी जैसे अन्य पहलुओं में सुधार करने के बारे में सोचा है? कुलदीप : मैंने हाल ही में अपनी बल्लेबाजी पर काफी काम किया है। मुझे मैचों में बल्लेबाजी करने के ज्यादा मौके नहीं मिले। लेकिन मैंने (बल्लेबाजी कोच) विक्रम (राठौर) पाजी के साथ काम किया। मुझे लगता है कि मैं आने वाले समय में रन बनाऊंगा। मेरे पास बल्ले से जो भी कौशल हैं, मैं उनका उपयोग करूंगा।
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abstarnewsnews · 4 years ago
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रहें तैयार, भविष्य में आने वाली हैं और भी खतरनाक महामारियां
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दुनिया में मौजूद हैं 850,000 अज्ञात वायरस, भविष्य में करना पड़ सकता है इन महामारियों का सामना
कोरोनावायरस ने देश दुनिया को हिला कर रख दिया। कई जगह लॉकडाउन लगाया गया तो कहीं सख्ती से नियमों का पालन किया गया। बावजूद इसके संक्रमण से बचा नहीं जा सका और न जाने कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई। कोरोना का कहर ऐसा था कि लोगों को लगा इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। लेकिन हक़ीक़त ये है कि दुनिया में अभी 850,000 अज्ञात वायरस मौजूद हैं।
लंबे समय से विश्व और भारत के लोग गंभीर कोरोनावायरस से जूझ रहे हैं। इस साल कोरोना महामारी के चलते पहले ही आईं ढेरों बुरी खबरों ने दुखी किया हुआ है कि इस बीच प्रमुख विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट फिर से डरा रही है। ये रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भविष्य में और अधिक बार महामारी का अनुभव कर सकती है, कि इनमें से कुछ कोरोनावायरस की तुलना में घातक होंगे, और नियंत्रित करने के लिए महंगे होंगे।
गुरुवार(29 अक्टूबर) को एक रिपोर्ट जारी की गई। बता दें कि जैव विविधता और महामारी पर ये वैश्विक रिपोर्ट दुनिया भर के 22 प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा लिखी गई थी। यह जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (IPBES) पर अंतरसरकारी विज्ञान-नीति प्लेटफॉर्म द्वारा बुलाई गई कार्यशाला का परिणाम है जो प्रकृति के क्षरण और बढ़ती महामारी के जोखिमों के बीच संबंधों पर केंद्रित है।
अगर आपको भी ऐसा लगता है कि कोरोनावायरस बहुत घातक वायरस है तो ये बात जान लीजिए कि प्रकृति में 540,000 – 850,000 अज्ञात वायरस हैं जो लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। यह रिपोर्ट WHO द्वारा फ्रेंच गुयाना में मायरो वायरस की बीमारी के फैलने के तीन दिन बाद आई है। डेंगू के समान लक्षणों के साथ, यह वायरस भी मच्छरों के माध्यम से फैलता है।
रिपोर्ट में इन बातों का भी किया गया खुलासा
इबोला, ज��िका, निपाह इन्सेफेलाइटिस, और इन्फ्लूएंजा, एचआईवी / एड्स, कोविड -19 जैसी लगभग सभी ज्ञात महामारियों में से अधिकांश (70%) पशु रोगों की उ��्पत्ति के रोगाणु हैं।
आईपीबीईएस रिपोर्ट में कहा गया है कि वन्यजीवों, पशुओं और लोगों के बीच संपर्क के कारण ये रोगाणु फैल जाते हैं।
विशेषज्ञों ने सहमति व्यक्त की कि महामारी के युग से बचना संभव है, लेकिन सही प्रतिक्रिया से रोकथाम तक जरूरी है।
रिपोर्ट में कहा गया “कोविड -19 1918 के ग्रेट इन्फ्लुएंजा महामारी के बाद से कम से कम छठी वैश्विक स्वास्थ्य महामारी है, और हालांकि इन्फ्लुएंजा की उत्पत्ति जानवरों के रोगाणुओं में हुई थी, लेकिन सभी महामारियों की तरह इसकी शुरुआत पूरी तरह से मानव गतिविधियों से प्रेरित थी। स्तनधारी जीवों और पक्षियों में वर्तमान में अनुमानित7 मिलियन अज्ञात वायरस मौजूद हैं।”
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