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hindinewsst · 4 years
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Big B की Mercedes से अजय देवगन की Rolls-Royce तक, ये हैं स‍ितारों की महंगी कार
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examtak · 6 years
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उद्योग-सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम तथा भारत में प्रमुख उद्योग, इतिहास तथा भविष्य[Full Detail]
उद्योग-सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम तथा भारत में प्रमुख उद्योग, इतिहास तथा भविष्य !
नमस्कार दोस्तों आज हम लोग “उद्योग” के बारे में चर्चा करने वाले हैं |  यह एक छोटा अक्षर है, परंतु किसी भी देश में उद्योगों का विशेष महत्व होता है | नई आवश्यकताओं के लिए  नए प्रकार के उत्पाद एवं सेवाएं अर्थव्यवस्था में लाते हैं | देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि के लिए औद्योगिकीकरण अत्यधिक आवश्यक होता है | प्राथमिक उत्पादों को विनिर्माण उत्पादों में रूपांतरित करने वाली गतिविधियों को औद्योगिकीकरण कहां जाता है |
औद्योगिक लाइसेंसिंग
वर्ष 1991 को नई औद्योगिक नीति लागू होने के पश्चात औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्न नियंत्रण की समाप्ति हेतु व्यापक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया  |वर्तमान में सुरक्षा, सामरिक व पर्यावरण की दृष्टि से मात्र 5 उद्योग अनिवार्य लाइसेंस के अंतर्गत शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं-
एल्कोहल  पेय पदार्थों का  आसवन,
तंबाकू निर्मित  सिगरेट तथा विनिर्मित तंबाकू उत्पाद |
इलेक्ट्रॉनिक, एयरोस्पेस और सभी प्रकार के रक्षा उपकरण |
डेटोनेटिंग सेल्यूलोस, सुरक्षा फ्यूजिंग, बारूद, नाइट्रोसैलूलोज और दियासलाई सहित औद्योगिक विस्फोटक |
भारत के प्रमुख उद्योग
लोह इस्पात उद्योग
लोह इस्पात उद्योग के विकास के संबंध में पहली पंचवर्षीय योजना पर विचार किया गया, परंतु उसका काम दूसरी पंचवर्षीय योजना में ही प्रारंभ हो सका |
द्वितीय पंचवर्षीय योजना में भिलाई, छत्तीसगढ़( सोवियत संघ के सहयोग से), दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल( ब्रिटेन के सहयोग से) और राउकरेला, उड़ीसा( पश्चिम जर्मनी के सहयोग से) मे लोहा इस्पात कारखानों की स्थापना की गई |
तीसरी पंचवर्षीय योजना में सोवियत संघ के सहयोग से बोकारो( झारखंड) में एक और इस्पात कारखाने की स्थापना की गई | चौथी पंचवर्षीय योजना में  सलेम(तमिलनाडु), विजय नगर( कर्नाटक) और  विशाखापट्टनम( आंध्र प्रदेश) में नए  इस्पात कारखाने स्थापित करके इस्पात की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने का लक्ष्य निश्चित किया गया | निजी क्षेत्र के प्रमुख इस्पात संयंत्र TISCO स्थापना वर्ष 1907 में जमशेदपुर में की गई | वर्ष 1974 में सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया(SAIL) की स्थापना की तथा इस्पात उद्योग के विकास की जिम्मेदारी  दी गई |TISCO का विलय स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया(SAIL) में हो गया | संदर्भित विलय  1 अप्रैल 2005 से प्रभावी माना जाता है |
वस्त्र उद्योग
भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग,  कृषि के पश्चात सर्वाधिक रोजगार प्रदाता उद्योग हैं | यह 3.5 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है |देश के पहले सिले सिलाए वस्तुओं के निर्यात संवर्धन के लिए वस्त्र पार्क की स्थापना तमिलनाडु में तिरुपुर में की गई | भारतीय कपड़ा उद्योग देश के निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है | वर्तमान में देश के कुल निर्यात में कपड़े के निर्यात( हस्तशिल्प, पटसन और नारियल रेशा मिलाकर) 20% योगदान है |
पेट्रो रसायन उद्योग
पेट्रो रसायन उद्योग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र  हैं | इस उद्योग में मुख्यतः सिंथेटिक फाइबर, पॉलीमर, परफॉर्मेंस प्लास्टिक, सिंथेटिक डिटर्जेंट, आदि आते हैं| पेट्रो रसायन उद्योग के लिए फीड स्टॉक तथा इंजन का मुख्य स्रोत प्राकृतिक तथा Naphtha है | पहनावा, मकान, निर्माण, फर्नीचर, ऑटोमोबाइल, घरेलू आवश्यकताएं, खिलौने, कृषि, बागवानी, सिंचाई, पैकिंग, चिकित्सा आदि में पेट्रो रसायन के उत्पादों का प्रयोग होता है |
तेल एवं गैस उद्योग
भारत के 6 आधारभूत उद्योगों में से एक तेल एवं गैस उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में काफी अहम भूमिका अदा करता है | पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र, जिन में पेट्रोलियम उत्पादों का गैस का परिवहन, रिफायनिंग और मार्केटिंग शामिल हैं, देश के सकल घरेलू उत्पाद(GDP) में 15% से अधिक हिस्सेदारी रखता है |
पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात का देश के निर्यात में लगभग 18% हिस्सा है  और विदेशी मुद्रा कमाने में यह और उद्योगों से आगे हैं |
भारत को खनिज तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश सऊदी अरब हैं, वहीं ईरान को विस्थापित कर इराक, दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है | ताजा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत के खनिज तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश सऊदी अरब, इराक कुवैत, ईरान तथा नाइजीरिया है |
भारत में सार्वजनिक उद्यम
भारत सरकार ने लाभ कमा रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को वाणिज्य एवं प्रबंधन की स्वायत्तता देने के लिए नवरत्न तथा मिनी रत्ना योजना की संकल्पना वर्ष 1997 में, जबकि महारत्न की शुरुआत वर्ष 2009 में से की गई | यह योजनाएं निम्नलिखित हैं-
महारत्न योजना
इस योजना की शुरुआत वर्ष 2009 से की गई | इसका उद्देश्य बड़े आकार के नवरत्नों उपक्रमों के बोर्ड को अधिक  स्वायत्तता प्रदान करना है, जिससे उपक्रमों का संचालन घरेलू बाजार के साथ ही वैश्विक बाजार में भी हो सके |
किसी भी नवरत्न कंपनी को महारत्न का दर्जा प्रदान करने के लिए निम्नलिखित मानदंड को आधार बनाया जाता है-
कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो
पिछले 3 वर्षों में कंपनी का औसत कारोबार 20000 करोड रुपए रहा हो |
इस दौरान कंपनी ने 25 करोड रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो |
3 वर्षों में कंपनी का निवल मूल्य औसतन ₹15000 करोड़ रहा हो |
कंपनी के पास नवरत्न का दर्जा हो |
कंपनी का विदेश में भी कारोबार हो |
भारत की महारत्न कंपनियां
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड(SAIL)
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम(ONGC)
भारतीय तेल निगम(IOC)
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम(NTPC)
कोल इंडिया लिमिटेड(CIL)
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(BHEL)
भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड(GAIL)
नवरत्न योजना
नवरत्न सार्वजनिक उपक्रमों का एक विशिष्ट वर्ग हैं, इसमें सरकार ग्लोबल कंपनी होने की संभाव्यता देखती हैं | सरकार ने नवरत्नों योजना का प्रारंभ वर्ष 1997 में किया था | नवरत्न का दर्जा प्राप्त  कंपनियों को अधिक प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वायत्तता मिलती हैं | यह कंपनियां घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार पूंजी एकत्रित कर सकती हैं, यह कंपनियां सरकार की अनुमति के बिना भी निवेश कर सकती हैं एवं देश-विदेश में उद्यम लगा सकती हैं | इन कंपनियों के निर्देशकों को बोर्ड की अधिग्रहण तथा विलय संबंधी निर्णय लेने का अधिकार होता है |
नवरत्न कंपनियां
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(BPCL)
भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड(BCL)
हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड(HPCL)
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड(MTNL)
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(HAL)
पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(PGCIL)
राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड(NMDCL)
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड(REL)
नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड(NACL)
 राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड(RINL)
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड(PFL)
शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(SCOIL)
ऑयल इंडिया लिमिटेड(OIL)
नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड(NLCL)
कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(CONCOR)
इंजिनियर्स इंडिया लिमिटेड(EIL)
राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड(NBCCL)
मिनीरत्न योजना
सरकार ने वर्ष 1997 में मिनीरत्न योजना की शुरुआत की थी | सरकार ने नवरत्न के अलावा मुनाफा कमा रहे अन्य  उद्यमों को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ शर्तों के साथ इन्हें वित्तीय,संचालन एवं प्रबंधन संबंधी स्वायत्तता प्रदान  की है | वर्तमान में इसकी संख्या 61 है |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग
सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग को मुख्यतः निवेश के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है | इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार है-
उद्योग
निर्माण उद्योग
सेवा उद्योग
सूक्ष्म
2500000 रुपए तक
₹1000000 तक
लघु
2500000 से 5 करोड़ रुपए
1000000 से दो करोड़ रुपए तक
मध्यम
5से 10 करोड़ रुपए
2 से ₹5 करोड  तक
देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में MSMEs(सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग), का योगदान 45% हैं, जबकि देश के कुल निर्यात में 40% का योगदान है | देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान होने के बाद भी यह  क्षेत्र कई समस्याओं से ग्रसित हैं | ऋण उपलब्ध नहीं, तकनीकी समस्याएं, अवसंरचना से जुड़ी समस्याएं तथा घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा  भी मुख्य है |
खादी और ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना अधिनियम निर्माण द्वारा वर्ष 1956 में की गई थी | यह  आयोग खादी और ग्रामीण उद्योगों के संवर्धन में संलग्न है |
तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी होगी अगर अच्छी लगी है, हैं अपने  मित्रों के साथ शेयर जरूर कीजिए |
धन्यवाद !
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