#लौंग के मंत्र
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🍁50 साल बाद महाअष्टमी पर बनेगा बेहद दुर्लभ अनोखा संयोग: इन राशियों के लोग होंगे मालामाल बनेंगे रुके काम!🍁
🌳3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और समापन 12 अक्टूबर, दशहरा के दिन होगा. शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी इस बार 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन माता महागौरी की उपासना की जाती है.
🌳ज्योतिषिय के अनुसार, इस बार महाअष्टमी बहुत ही खास मानी जा रही है क्योंकि इसी दिन महानवमी का संयोग भी बन रहा है. साथ ही, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग, बुधादित्य योग का संयोग भी बन रहा है. आपको बता दें कि यह संयोग 50 साल बाद बनने जा रहा है.
👉मेष मेष वालों के लिए महाअष्टमी बहुत ही शुभ मानी जा रही है. इस शुभ संयोग से मेष राशि वालों को शुभ समाचार मिल सकता है. बिजनेस से जुड़े लोगों की तरक्की होगी.
👉कर्क कर्क वालों को अच्छी नौकरी प्राप्त हो सकती है. कार्यक्षेत्र में पद प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है. आर्थिक स्थिति बेहतर रहेगी. इन राजयोगों के कारण इनके पारिवारिक जीवन में शांति बनी रहेगी. सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होगा.
👉कन्या बिजनेस करने वालों को काम के सिलसिले में यात्रा पर जाना पड़ सकता है. यह यात्रा आपके बिजनेस के लिए शुभ फलदायी रहने वाली है. कुल मिलाकर बिजनेस करने वालों के लिए यह समय काफी बेहतर रहने वाला है. इन्हें निवेश के नए रास्ते मिलेंगे.
👉मीन मीन राशि के लोगों को इस दौरान समाज में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी. बिजनेस करने वालों के लिए भी समय अच्छा है धन लाभ होगा. नौकरी करने वाले लोगों के लिए यह राजयोग किसी वरदान से कम नहीं है. माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
🌞शारदीय नवरात्रि पंचमी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय🌞
👉अगर आपके भी जीवन में संतान सुख अभी तक नहीं बन पाया है तो नवरात्रि की पंचमी तिथि पर एक चुनरी में नारियल लपेट लें। इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। मंत्र का जाप करते हुए इस नारियल को चुनरी समेत माँ स्कंदमाता के चरणों में अर्पित कर दे। मंत्र है: “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी”। पूजा के बाद इस नारियल और चुनरी को अपने शयन कक्षा में अपने सिरहाने रखें। इस छोटे से अचूक उपाय को करने से जल्द ही भक्तों की झोली ��ंतान की किलकारी से माता अवश्य भर देती हैं।
👉इसके अलावा अगर आपके विवाह में रुकावट आ रही है या आपके परिवार में किसी सदस्य के विवाह में रुकावट आ रही है तो नवरात्रि की 36 लॉन्ग और छह कपूर लेकर इसमें चावल और हल्दी मिलाकर इसे मां दुर्गा को आहुति दें। ऐसा करने से जल्द ही विवाह के संदर्भ में आ रही सभी रुकावटें दूर होने लगेगी। [विशेष पंचमी तिथि पर]
👉अगर आपका व्यवसाय या नौकरी ठीक से नहीं चल रही है, आपको मनचाही सफलता नहीं मिल रही है, कठिन परिश्रम के बाद भी आप नतीजे से खुश नहीं हैं तो लौंग और कपूर में अमलतास के फूल या कोई भी पीला फूल मिलाकर इससे मां दुर्गा को आहुति दें। ऐसा करने से जल्द ही आपको मनचाही तरक्की और सफलता मिलने लगेगी। [विशेष पंचमी तिथि पर]
👉अगर आपके जीवन में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां निरंतर रूप से बनी हुई है या आपके परिवार में कोई बार-बार बीमार पड़ रहा है तो इस दिन 52 लॉन्ग और 42 कपूर के टुकड़े ले लें। अब इस पर नारियल की गिरी, शहद और मिश्री मिला लें और इससे हवन करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधित सभी परेशानियां जल्द ही दूर होने लगेंगे।
👉इसके अलावा अगर आपके काम में किसी तरह की कोई रुकावट आ रही है, विघ्न आ रहा है या बनते बनते काम बिगड़ जा रहे हैं तो नवरात्रि पर पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी अपने घर में ले आयें। अब इस मिट्टी पर दूध, दही, घी, अक्षत, रोली, अर्पित करें और इसके आगे दिया जलाएं। अगले दिन मिट्टी को वापस पेड़ के नीचे डाल दें। ऐसा करने से जल्द ही आपके जीवन से सभी रुकावटें और बाधाएँ दूर होने लगेगी। [विशेष पंचमी तिथि पर]
👉स्कंद माता का संबंध या यूं कहिए नवरात्रि की पंचमी तिथि का संबंध बुध ग्रह से भी जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी बुध ग्रह से संबंधित दोष मौजूद है या बुध ग्रह पीड़ित अवस्था में है और आपको सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो इस दिन स्कंदमाता की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से करियर और व्यवसाय में आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी और आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होगी।
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स्कन्द षष्ठी व्रत कैसे करें? पूजा विधि, मंत्र और आरती
स्कन्द षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) को समर्पित है, जो शिव और पार्वती के पुत्र हैं और जिन्हें युद्ध और विजय के देवता माना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत रखने से भक्तों को साहस, शक्ति, और सफलता की प्राप्ति होती है।
स्कन्द षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की पूजा और आराधना का विशेष अवसर है। इस दिन व्रत, पूजा, और मंत्र जप करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है।
स्कन्द षष्ठी व्रत की पूजा विधि
स्कन्द षष्ठी व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित है:
प्रातःकाल स्नान:
प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल की तैयारी:
पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा की थाली में दीप, धूप, फूल, फल, मिठाई, और जल रखें।
पूजा सामग्री:
दीपक, धूपबत्ती, कपूर
पुष्प (गुलाब, कमल, चमेली)
नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
चंदन, रोली, अक्षत (चावल)
पान, सुपारी, लौंग, इलायची
पूजा विधि:
दीप जलाकर भगवान कार्तिकेय की आरती करें।
धूप दिखाकर भगवान का ध्यान करें।
चंदन, रोली, और अक्षत से भगवान का तिलक करें।
पंचामृत से अभिषेक करें और फूल अर्पित करें।
भगवान को मिष्ठान का भोग लगाएं और प्रसाद वितरण करें।
माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा:
स्कन्द षष्ठी के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है।
उनकी पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
भजन और कीर्तन:
भगवान कार्तिकेय के भजन और कीर्तन गाएं।
उनके स्तोत्र और मंत्रों का पाठ करें।
आरती:
पूजा के बाद अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें।
स्कन्द षष्ठी मंत्र
भगवान कार्तिकेय की पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
ओं श्रीं गुहाय नमः
ओं स्कन्दाय नमः
ओं षडाननाय नमः
ओं शक्तिहस्ताय नमः
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Kamakhya mohini mantra कामाख्या मोहिनी मंत्र – अचूक प्रभावशाली वशीकरण विद्या ph. 85280 57364
Kamakhya mohini mantra कामाख्या मोहिनी मंत्र – अचूक प्रभावशाली वशीकरण विद्या ph. 85280 57364
कामाख्या मोहिनी मंत्र – अचूक प्रभावशाली वशीकरण विद्या ph. 85280 57364
Kamakhya mohini mantra कामाख्या मोहिनी मंत्र – अचूक प्रभावशाली वशीकरण विद्या ph. 85280 57364 इस मंत्र को सिद्ध करने के पश्चात् आप किसी का भी वशीकरण कर सकते हो यह एक अचूक प्रभावकारी मंत्र है
कामाख्या मोहिनी मंत्र Kamakhya mohini mantra
ॐ कामरू देस कामाख्या देवी तहाँ बसे इस्माइल जोगी, इस्माइल जोगी ने बोयी बारी फूल उतारे लोना चमारी एक फूल हँसे, दूसरा विगसे तीजे फूल में छोटा बड़ा नाहरसिंह बसे, जो सूँघे इस फूल की बास सो आवै हमारे पास और के पास जाय हियो फाट मर जाय मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।
कामाख्या मोहिनी मंत्र Kamakhya mohini mantra साधना विधि
किसी शुभ रविवार को नहा-धोकर पूजा के लिए यह सामग्री संजोयें – सुपारी, पान, लौंग, फूल-मिठाई, दीपक, गूगल या लोबान अथवा अगरबत्ती, घी। सर्वप्रथम स्नान करके पूजा करें। ऊपर लिखा मन्त्र बराबर पढ़ते रहें। ऊपर लिखी चीजें एक- एक करके पान पर चढ़ावें और धूप-दीप देकर आग जलायें और उसके मन्त्र पढ़ते हुए ही १-१ फूल घी में डुबोकर हवन करते रहें।
१०८ फूलों की आहुति देकर फिर मन्त्र का १०८ बार जप करें। यह क्रिया लगातार २१ दिनों तक की जानी चाहिए। बाईसवें दिन सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करायेम और दक्षिणा दें। पूरी साधना अवधि में ब्रह्मचर्य से रहें। इस प्रकार मन्त्रसिद्ध हो जायेगा ।
बाद में जब कभी आवश्यकता हो, किसी को अपने प्रति अनुरक्त, सम्मोहित या वशीभूत करना हो तो कोई सुगन्धित पुष्प लें और उस पर सात बार मन्त्र पढ़कर फूँक मारें । इस तरह वह पुष्प मन्त्राभिषिक्त हो जायेगा। ऐसा मन्त्रसिद्ध पुष्प यदि अभीष्ट व्यक्ति (नारी या पुरुष) की सुँघाया जाय तो वह साधक की ओर स्वभावतः आकृष्ट हो जाता है।
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दीपावली पूजन विधि और मंत्र | Diwali Poojan Vidhi Aur Mantr
दीपावली पूजन शुरू करने से पहले श्री गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर मनमोहक रंगोली बनाएं। आप जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक अवश्य जलाएं। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें और फिर गणेश लक्ष्मी की प्रति
मुख पृष्ठ पोस्ट दीपावली पूजन विधि और मंत्र दीपावली पूजन विधि और मंत्र ।हिन्दी।।English। दीपावाली पूजन के लिए जरूरी सामग्री: कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने ��ेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती,…
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#अखंड रामायण#दिवाली#दीपावली#दीपावली पूजन विधि और मंत्र#Diwali#Diwali Parv kee Katha#diwali poojan vidhi aur mantr#Hindu dharma#MNSGranth#New post
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(एकादशी व्रत तिथि, निर्जला एकादशी व्रत सभी का)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-31-मई-2023
वार:--------बुधवार
तिथी :------11एकादशी:-13:46
पक्ष:-------शुक्लपक्ष
माह:--------ज्येष्ठ
नक्षत्र:-------हस्त:-06:00
योग:--------व्यती:-20:15
करण:------विष्टि:-13:46
चन्द्रमा:-----कन्या:-18:30/तुला
सुर्योदय:------05:50
सुर्यास्त:-------19:21
दिशा शुल--------उत्तर
निवारण उपाय:----गुड का सेवन
ऋतु :------------ग्रीष्म-ऋतु
गुलीक काल:---11:00से 12:40
राहू काल:-----12:40से14:20
अभीजित.... नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-----पिंगल
🌞चोघङिया ���िन🌞
लाभ:-05:50से07:30तक
अमृत:-07:30से09:10तक
शुभ:-11:00से12:40तक
चंचल:-16:00से 17:40तक
लाभ:-17:40से 19:21तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:40से22:00तक
अमृत :-22:00से23:20तक
चंचल :-23:20से00:40तक
लाभ :-03:20से04:40तक
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का71वाँ दिन, भद्रा समाप्त 13:47, सिद्धियोग 05:46से 06:00 , भीम निर्जला एकादशी, श्री गायत्री जयंती रुकमणी विवाह, रवियोग 06:00तक, राजयोग 13:46 से29:40तक, व्यतिपात पुण्य,
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👉वास्तु टिप्स👈
एकादशी के दिन घर में तुल��ी का पौधा जरुर लगाएं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
सुविचार
बाहर की चुनौतियों से
तुम तभी लड़ पाओगे जब अपने अंदर की कमजोरियों को अच्छी तरह जान लोगे...👍राधे राधे...
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*लौंग सिरदर्द के लिए फायदेमंद -*
सिरदर्द होने पर पुरुष ज्यादातर मेडिसिन लेना एकमात्र उपाय मानते हैं। इसके पीछे की वजहों को जानने की कोशिश नहीं करते। इससे ये समस्या लगातार बनी रहती है।
लौंग के उपयोग से सिरदर्द को कम किया जा सकता है। इसके लिए आप कुछ लौंग को लीजिए और उसका पेस्ट बना लीजिए। फिर इसमें सेंधा नमक मिलाइए और दूध तथा पानी के साथ इसका सेवन कीजिए। यह मिश्रण सिरदर्द को जल्दी और प्रभावी रूप से कम कर देता है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। बेरोजगारी दूर होकर संतुष्टि प्राप्त होगी। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिल सकती है। भाग्य का साथ रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। कुसंगति से हानि होगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। धन तथा मानहानि की आशंका है। विवाद को तूल न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। समय पर कार्य न होने से खिन्नता रहेगी। थकान रहेगी।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
डूबा हुआ पैसा मिल सकता है, प्रयास करें। व्यापार में वृद्धि होगी। निवेश में जल्दबाजी न करें। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। किसी प्रकार का भय रहेगा। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। आय में वृद्धि होगी। नया काम मिलेगा। जोखिम न लें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
कार्यसिद्धि के प्रयास सफल रहेंगे। आर्थिक उन्नति के लिए नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोर्ट व कच���री के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। आय के स्रोतों में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। प्रसन्नता रहेगी।
👩🏻🦱 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
किसी आकस्मिक रोग के होने की आशंका है। खानपान का ध्यान रखें। चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि हो सकती है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। नकारात्मकता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभ देंगे। चिंता में वृद्धि होगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
शत्रुभय रहेगा। प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी। किसी व्यक्ति विशेष का सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। शारीरिक कष्ट की आशंका है। मानसिक बेचैनी रहेगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
जीवनसाथी के स्वास्��्य संबंधी चिंता बनी रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। स्वयं के स्थास्थ्य का ध्यान रखें। कुसंगति से बचें। भूमि व भवन आदि की खरीद-फरोख्त लाभदायक रहेगी। पार्टनरों का साथ रहेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
भय, पीड़ा, रोग व चिंता का वातावरण बन सकता है। सावधानी आवश्यक है। रचनात्मक कार्यों में रुचि रहेगी। परीक्षा व प्रतियोगिता आदि में सफलता प्राप्त होगी। छोटी-मोटी यात्रा हो सकती है। मनोरंजन का अवसर प्राप्त होगा। धनार्जन होगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
किसी तरह की झंझटों में पड़ने से नुकसान हो सकता है। अहंकार से प्रतिष्ठा कम हो सकती है। दु:खद समाचार मिलने की आशंका है। भागदौड़ रहेगी। लाभ के अवसर टलेंगे। किसी व्यक्ति पर अतिविश्वास न करें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
किसी प्रकार से शारीरिक कष्ट की आशंका है। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लोगों की सहायता कर पाएंगे। प्रयास सफल रहेंगे। भाग्य का साथ रहेगा। नया काम करने का मन बनेगा। यात्रा से लाभ होगा।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
भागदौड़ होगी। आराम का समय नहीं मिलेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। घर-बाहर सभी तरफ से सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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चैत्र नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को समर्पित है!
ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।
मंत्र का 108 बार जाप करें. हर मंत्र के बाद एक पीला फूल माता को चढ़ाए. गोबर के उपले जलाकर उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें. मान्यता है विवाह और वैवाहिक जीवन संबंधी हर समस्या का निवारण होता है!
सुनिए नवरात्रि नॉनस्टॉप भजन 👉 https://youtu.be/bbttmNQNVG0 Official Website 👉 https://vvlmusic.com/
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चैत्र नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को समर्पित है!
ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।
मंत्र का 108 बार जाप करें. हर मंत्र के बाद एक पीला फूल माता को चढ़ाए. गोबर के उपले जलाकर उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें. मान्यता है विवाह और वैवाहिक जीवन संबंधी हर समस्या का निवारण होता है!
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Laung ke ye totake बदल सकते है आपकी किस्मत
वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बेहद महत्व होता है,यदि घर की कोई वस्तु वास्तु के नियमों के अनुसार नहीं होती हैं तो उस घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होने लगता है। इसके विपरीत यदि घर में सभी वस्तुएं वास्तु के अनुसार हो तो वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। घर में वास्तु दोष होने पर निम्नलिखित लौंग के ये टोटके करने चाहिए। धनवान बनाने के लिए उपाय: दिन रात मेहनत करने के बाद भी आपके पास पैसा नहीं रूकता तो इसके लिए आप एक ��ींबू ले उसके ऊपर 4 लौंग रखकर ऊं श्री हनुमते नमः मंत्र का जाप करे उस नींबू को अपने पास संभाल कर रख लें।
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भूमि भबन साधना
इस तेज रफ्तार जीबन के इस युग में हर किसी को भूमि -भबन की इच्छा और आबश्यकता है । इसके लिए कुच्छ बिशिष्ट देबताओं की संयोग अबश्य ही बन अथबा मिल जाते है की साधक की भूमि एबं भबन की इच्छा पूरी हो जाती है । इस प्रकार की इच्छापूर्ति के लिए इस आशय का संकल्प पढ़कर निम्न Bhumi Bhavan Sadhana करने से लाभ अबश्य होता है –
Ganapati Bhumi Bhavan Sadhana :
शुद्ध निर्बिघ्न स्थल, नदी तट, देबालय, पर्बत, बन या गौशाला अथबा अपने स्थान में ही नया रक्तबर्ण आसन, गुड़हल पुष्प, गणपति की एक छोटी बारह अंगुल से छोटी काले रंग की पथर प्रतिमा जो बरद मुद्रा में हो । “ॐ भू गणपतये नम:”, मंत्र से जल, पुष्प, रक्त चन्दन, कुंकुम नामक इत्र, रक्त आसान, काठ का पीड़ा या पटरा, धूप, दीप, नैबेद्य, यज्ञोपबीत, पेयजल, दक्षिणा बस्त्र ताम्बूल, पूंगीफल (सुपारी) लड्डू का भोग तथा लाल फल मीठे ११ दिन तक प्रात:काल सूर्योदय के समय अर्पित करे । फिर ३३ माला जप उक्त मंत्र की करे और पूजनोपरान्त ११ बर्ष से कम आयु के बच्चों को एक एक लड्डू, एक एक फल बी एक एक रुपया दक्षिणा देबे । निशिचित रूप से अनुकूल परिणाम मिलता है ।
Prithwi Bhumi Bhavan Sadhana
गणपति अनुष्ठान की भाँती पृथ्वी अनुष्ठान के लिए भी संकल्प पढ़कर ���ोबर (गाय का) से एक निर्बिघ्न स्थान जंहाँ पर २१ दिन तक दूसरा न जाये, शुभ मुहूर्त में लीपकर, शुद्ध हो शुद्ध आसन पर बैठकर “ॐ पृथिब्यै नम:” इस मंत्र से धूप, दीप, नैबेद्य, चाबल, कुंकुम, इत्र, बस्त्र, दक्षिणा, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, फल, मिठाई, से पूजन करे अथबा योग्य ब्राहमण से कराए तथा उसी आसन पर स्थित रहकर २१ माला जप नित्य करे बाद में प्रसाद बच्चों में बाँट दे । २१ दिन अनुष्ठान करने से समस्या का हाल निश्चय ही होता है । कोई बिघ्न आ जाए तो धैर्यपूर्बक दुबारा ��ही अनुष्ठान करे । एक कार्य के लिए एक अनुष्ठान करना होता है ।
Barah Bhumi Bhavan Sadhana
भूमि और भबन के कार्य रुके पड़े हों तो शुद्ध स्थान पर कची मिट्टी बाली जगह पर संकल्प पढ़कर ११ दिन तक निम्न मंत्र से – “ॐ नमो बाराहाय उद्धार्र्णाय नम:” जल, पुष्प, चाबल, चन्दन, धूप, दीप, नैबेद्य, आरती, बस्त्र, दक्षिणा, फल, पान सुपारी, से बाराह मूर्ति अथबा चित्र पर करके ११ माला जप नित्य सूर्योदय के समय करने से समस्या का समाधान जल्दी ही हो जाता है । प्रसाद नित्य बच्चों में बाँटे ।
यूँ बहुत से अन्य कारगर एबं प्रभाबी उपाय इस समस्या के निदान के लिए हैं किन्तु ये अनुष्ठान त्वरित कार्य सिद्धि के लिए बड़े उपयोगी और सरल है । एक बार में कार्य न होने पर दुबारा तिबारा भी कर सकते हैं ।
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तुलसी के पत्तों और लौंग से 24 घंटे में अपनी मुँह मांगी इच्छा पूरी करे
पुरातन समय से ही तुलसी के पौधे को बहुत ज्यादा पूजा जाता है। यह पौधा बहुत ही कारगर है। पीतल के बर्तन में जल भर के उसमे तुलसी के पत्ते रखे जितने आपके घर में परिवार के सदस्य है उतने पत्ते रखे। अगले दिन सुबह नहा धो कर आप इसे घर के मुखी द्वार पर छिड़क दे। एस्ट्रोलॉजर जे डी शास्त्री जी के अनुसार आप अगर तुलसी के पत्तो का उपाय करते है तो आप बहुत ही आसानी से अपने मन की इच्छा को पूरा कर सकते है। तुलसी के पत्ते को सुध जल में ही प्रयोग करे क्युकी तुलसी को भगवान् का एक बहुत बड़ा वरदान मन जाता है। जो कोई भी तुलसी के पौधे की पूजा करता है उसके घर में शांति का माहौल बना रहता है। घर परिवार में हमेशा के लिए अच्छा भाव बना रहना बहुत जरूरी है।
इस प्रक्रिया से मिलने वाले लाभ :-
इससे आपके घर में सुखद माहौल बना रहेगा और आपके जीवन में उजाला बना रहेगा।
जिन लड़के लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है वह इस तरकीब को जरूर अपनाये। देखना आपकी शादी के योग तुरंत बनने लग जायेंगे।
इससे आपके कारोबार में भी बढ़ोतरी होगी और आपने हर कार्य को जल्दी निपटाकर आप अपने कारोबार में बढ़ोतरी कर सकते है जो जातक नौकरीपेशा है वह उसमें अपनी उन्नति प्राप्त कर सकते है।
तुलसी मगल से जुडी है अगर आप मांगलिक है तो आपको तुसली के पौधे की पूजा करनी पड़ेगी ताकि आप आपको अपने जीवनसाथी की तलाश और न करनी पड़े आपको आपका जीवनसाथी जल्द ही मिल जाए।
जिन लोगो की संतान उनके काबू में नहीं होती है और न उनकी कोई बात सुनती है वह तुसली के पौधे का उपाय कर अपने पुत्र या पुत्री अपने काबू में कर उनको एक अच्छा सबक दे सकती है।
लौंग के टोटके
अस्त्रोलोगेर जे डी शास्त्री के मुताबिक आपको लक्ष्मी जी की पूजा करते समय में रोज लौंग के साथ गुलाब की पंखुड़ियों के साथ फूल को भी चढ़ाना है। 5 लौंग को एक लाल रंग के कपड़े में भांधकर पंडित जी द्वारा दिया गया मंत्र आपको इस्तेमाल में लाना है। इसका असर भी आपके जीवन के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी है। हर किसी की किसी भी तरह की समस्या का समाधान हो सकता है अगर आप लौंग को साथ में रखकर मंत्र पढ़ते हुए वशीकरण करते है तो आपकी हर तरह की मनोकामना पूर्ण हो सकती है।
कच्ची धानी के तेल में दीपक जलाकर आप उसमें कुछ लौंग के टुकड़े को गिराए और फिर वशीकरण मंत्र का जाप आपके बिज़नेस में बढ़ोतरी के लाभ बढ़ सकते है। जितना भी आप इस्तेमाल करते है अपने जीवन की इच्छाओ को पूरा भी कर सकते है। माँ लक्ष्मी जी की पूजा करने के तरीके अपनाकर आप अपने घर में माँ लक्ष्मी जी के वास को प्राप्त कर सकते है। इसका प्रभाव आपके जीवन को बहुत ही आसान बना सकता है फिर आप कभी भी किसी समस्या में नहीं फसेंगे। एस्ट्रोलॉजर जे डी शास्त्री जी के अनुसार ही आप अपनी किसी भी तरह की इच्छा को पूरा कर सकते है। तुलसी पत्ते और लॉन्ग से आप अपने जीवन को महका सकते है। तो आज ही इसे अपनाये और अपनी हर मुश्किल से निजात पाए।
#लौंग के टोटके#तुलसी के पत्ते का टोटका#लौंग वशीकरण मंत्र#तलसी के पौधे की पूजा#लौंग कपूर का मंत्र#लौंग के मंत्र
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अगर पौरुष समस्या से परेशान है, तो नाइट राइडर का करे उपयोग मिलेगा जबरदस्त लाभ !
आयुर्वेद क्या है (What is ayurveda)?
आयुर्वेद चिकित्सा मानव जीवन को सदैव स्वस्थ्य रखने का प्राकृतिक मंत्र है। आयुर्वेद ने बहुत सारी उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज की और उनके प्रयोग से मानव जीवन को लाभान्वित किया। आयुः + वेद = आयुर्वेद, संसार की सबसे अलौकिक चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। इसका मतलब होता है, “जीवन से सम्बन्धित ज्ञान”। आयुर्वेद को भारतीय आयुर्विज्ञान कहा जाता है। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जिनके अनेक फायदे होते है, इनके उचित मिश्रण से आप किसी भी समस्या का समाधान कर सकते है। पर आज हम बात करेंगे मानव जीवन में सेक्सुअल समस्या के बारे में और इन जड़ी बूटियों के मिश्रण से उसके उपचार के बारे में। आज के समय में हर दूसरा पुरुष किसी न किसी सेक्सुअल समस्या जैसे:- शीघ्रपतन की समस्या, धातु की कमी, प्राइवेट पार्ट में कमजोर���, स्वप्नदोष, उत्तेजना की कमी जैसी विभिन्न बीमारियों से ग्रसित है। तो आइये जानते है जड़ी-बूटियों तथा उनके फायदों के बारे में कि कैसे आयुर्वेद की मदद से इन सभी सेक्सुअल समस्याओं (Sexual Problems) से छुटकारा पाया जा सकता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां तथा उनके फ़ायदे (Ayurvedic herbs and their benefits)
अश्वगंधा:- अश्वगंधा के सेवन करने से शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन होता है और खून के जरिए गुप्तांग तक पहुँचता है इससे कामेच्छा और संतुष्टि में बढ़ोतरी होती है।
शिलाजीत:- शिलाजीत पौरुष पावर बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि कहलाती है(herbal medicine for man power)। जो ऊर्जा को पुनर्जीवित करती है और शारीरिक बल बढाती है।
सतावरी:- इसके प्रयोग से सेक्सुअल स्टैमिना में बृद्धि होती है।
श्वेत मूसली:- सम्भोग के समय ताकत को बनाए रखने में मदद करती है।
कौचा:- ये काम शक्ति को बढाने में मदद करती है।
विदारी:- शरीर को मजबूत करती है, और सेक्स के प्रति रूचि प्रदान करती है।
केसर:- केसर मानसिक तनाव को दूर करती है, और आंतरिक ऊर्जा का निर्माण करती है।
जायफल:- इसके प्रयोग से सेरेटोनिन हार्मोन्स का उत्पादन होता है ,ये कामेच्छा में बृद्धि करता है।
लौंग:- विशेषज्ञों का मानना है कि लौंग का सेवन पुरुषों में कई तरह की पौरुष संबंधी दिक्कतों को दूर करता है और शक्तिवर्धन का कार्य करता है।
आइये जानते है नाइट राइडर के बारे में (Let’s know about Knight Rider)
“नाइट राइडर टेबलेट” आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बना हुआ आयुर्वेदिक औषधि है, जो शरीर में हुई सेक्सुअल कमजोरियों को ठीक करके आपमें नई ऊर्जा का उत्पादन करता है। नाइट राइडर विशेष रूप से पुरुषो में होने वाली सेक्सुअल कमजोरी के लिए तैयार किया गया है (best ayurvedic medicine for ed and pe) जिसमे शीघ्रपतन, स्वप्नदोष , धातुओं की कमी, लिंग में कमजोरी जैसी बीमारियां प्रमुख है।”नाइट राइडर टेबलेट” में मिश्रित जड़ीबूटियां आपकी धमनियों को साफ करके आपके लिंग में ब्लड सर्कुलेशन ठीक करती है। युवावस्था में हस्तमैथुन की गलती से हुई शुक्र धातु की कमी की वजह से आपका वीर्य पतला हो जाता है,और नसें कमजोर पड़ जाती है जिससे लिंग में टेढ़ापन और पतलापन आ जाता है। ये वीर्य को गाढ़ा करती है तथा नसों को मजबूत करती है, जिससे आपके लिंग को उचित ऊर्जा मिलती है और आपके लिंग की मोटाई और लम्बाई बढती है साथ ही इरेक्शन / उत्तेजना में मजबूती मिलती है। यह पुरुष सेक्सुअल हॉर्मोन्स टेस्टोस्टेरोन की गुणवत्ता में बृद्धि करता है, जिससे मेल सेक्सुअल परफॉरमेंस संचालित होती है। यह रक्त संचार दुरुस्त करके शुक्र धातु का निर्माण करता है और आपकी सेक्स क्षमता को बढ़ाता है। (ayurvedic medicine for sex stamina) जिससे आप लम्बे समय तक सम्भोग का आनंद ले सकते है और अपनी पार्टनर को संतुष्ट कर सकते है।
नाइट राइडर टेबलेट के फायदे (Benfits of Knight Rider):-
यह पुरुषों के सेक्सुअल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन को विकसित करता है जिससे यौन क्षमता में बृद्धि होती है।
इसके प्रयोग से शुक्र धातु का निर्माण होता है,जिससे सेक्सुअल स्टैमिना में बढ़ोत्तरी होती है।
ये आपकी उत्तेजना में बृद्धि करता है, और कामेक्षा (libido problem) की समस्या का निवारण करता है।
आपकी शुक्राणुओं को मजबूत करता है, जिससे आपको सेक्स के लिए अधिक एनर्जी मिलती है।
नाइट राइडर सम्भोग के दौरान आपकी ऊर्जा को बनाये रखता है, जिससे आप लम्बे समय तक सम्भोग का आनंद ले सकते है।
ये आपकी लिंग की नसों की मरम्मत करता है जिससे आपकी लिंग मजबूत होती है।
ये आपके वीर्य को गाढ़ा करता है जिससे शीघ्रपतन की समस्या का समाधान होता है।
स्वप्नदोष की समस्या का निवारण करता है।
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गुप्त नवरात्रि के अचूक उपाय:
मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए:
गुप्त नवरात्रि के बताशे का उपाय
गुप्त नवरात्रि में बताशे का उपाय:
यह उपाय मुख्य रूप से मनोकामनाओं की पूर्ति और सफलता प्राप्ति के लिए किया जाता है।
आवश्यक सामग्री:
9 बताशे
2 लौंग
दीपक
विधि:
9 बताशे लें और प्रत्येक बताशे पर 2 लौंग रखें।
बताशे को मां दुर्गा को समर्पित करते हुए अपनी मनोकामना प्रार्थना करें।
9 दिनों तक प्रतिदिन यह उपाय करें।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
उपाय करते समय मन में सकारात्मक विचार रखें।
उपाय गुप्त रूप से करें, किसी को भी इसके बारे में न बताएं।
9 दिनों तक नियमित रूप से पूजा-पाठ करें और व्रत रखें।
दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
यह उपाय करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और आपको सफलता प्राप्त होगी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उपाय का प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है।
अन्य उपाय:
नौकरी और व्यवसाय में तरक्की के लिए:
9 बताशे, 9 लौंग और 9 लाल फूल लें।
इन सभी को मां दुर्गा को समर्पित करें और अपनी इच्छा प्रार्थना करें।
शत्रुओं से मुक्ति के लिए:
9 बताशे, 9 नीम के पत्ते और 9 काली मिर्च लें।
इन सभी को मां दुर्गा को समर्पित करें और अपनी इच्छा प्रार्थना करें।
विवाह में बाधाओं को दूर करने के लिए:
9 बताशे, 9 लाल गुलाब और 9 लाल चंदन की लकड़ी लें।
इन सभी को मां दुर्गा को समर्पित करें और अपनी इच्छा प्रार्थना करें।
यह भी ध्यान रखें कि उपाय के साथ-साथ कर्म भी महत्वपूर्ण है।
आप अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर्म भी करें।
शुभकामनाएं!
नवरात्रि के दौरान 'श्री दुर्गा चालीसा', 'नवकारणी मंत्र' या 'दुर्गा स्तुति' का जाप करें।
विशेष उपाय:
धन-समृद्धि के लिए:
नवरात्रि के दौरान नौ कन्याओं को भोजन कराएं।
मां लक्ष्मी की पूजा करें और 'श्रीं लक्ष्मी नमः' मंत्र का जाप करें।
सुख-शांति के लिए:
मां दुर्गा को नौ कन्याओं के रूप में पूजा करें।
'ॐ शांति शांति शांतिः' मंत्र का जाप करें।
विवाह के लिए:
मां कात्यायनी की पूजा करें और 'ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।' मंत्र का जाप करें।
शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए:
मां दुर्गा को कवच और चंडी पाठ कराए��।
रोगों से मुक्ति के लिए:
मां दुर्गा को 'श्री दुर्गा रोग नाशक स्तोत्र' का पाठ करें।
दान-पुण्य:
नवरात्रि के दौरान दान-पुण्य करें।
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें।
ध्यान दें:
उपरोक्त उपायों को करते समय शुद्धता का ध्यान रखें।
मन में सकारात्मक विचार रखें और मां दुर्गा के प्रति पूर्ण विश्वास रखें।
इन उपायों से आपको ��ां दुर्गा की कृपा प्राप्त होगी और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
यह भी ध्यान रखें कि:
उपरोक्त उपाय केवल जानकारी के लिए हैं।
इन उपायों को करने से पहले किसी ज्योतिषी या धार्मिक गुरु से सलाह लेना उचित होगा।
शुभकामनाएं!
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नवरात्रि 2020: जानिए माँ दुर्गा के पांचवे अद्भुत रूप के बारे में
17 अक्टूबर से नवरात्रि का महापर्व शुरू हो चुका हैं. माँ दुर्गा का पांचवा स्वरुप माँ स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है. मोक्ष के द्वार खोलने में माँ परम सुखदायी हैं. माँ अपने बच्चों की सारी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली हैं.
माँ स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं.और गोद में स्कंदकुमार कार्तिकेय को लिए हुए हैं. इनका स्वरुप पूर्णतः मनमोहिनी स्वरुप है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. सिंह भी इनका वाहन है.
माँ स्कंदमाता की पूजन विधि– नवरात्रि के पांचवे दिन स्नान आदि करें और फिर स्कंदमाता का स्मरण करें. इसके पश्चात स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें. उनको बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाएं. फिर स्कंदमाता की आरती करें. स्कंदमाता की पूजन से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं.
माता स्कंदमाता के मंत्र–
1. या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
2. महाबले महोत्साहे। महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते। शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
3. ओम देवी स्कन्दमातायै नमः॥
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mahakal shatru nashak mantra महाकाल शत्रु नाशक मंत्र ph. 85280-57364
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mahakal shatru nashak mantra महाकाल शत्रु नाशक मंत्र इस साधना से आप शत्रु के नाश होगा और शत्रु पागल हो जाएगा ph.8528057364
महाकाल शत्रु नाशक मंत्र
ॐ काली कङ्काली महाकाली के पुत्र कङ्काल भैरव ! हुक्म है – हाजिर रहे, मेरा कहा तुरन्त करे। मेरा भेजा रक्षा करे। लान बाँघूँ बान चलते के-फिरते के औसान बाँघूँ। दश दिशा, दसों सूर नव-नाथ बहत्तर वीर बाँधू, पाँच हाथ की काया, कुबेर की माया बाँयूँ । फूल में भेजूँ — फूल में जाय । मेरे ‘अमुक’ शत्रु का कलेजा खाय। थर-थर काँपे, हल-हल हिले, गिर- गिर पड़े। मेरा भेजा सवा मास, सवा दिन, सवा पहर ‘अमुक’ को बावला न करे, तो माता काली की शय्या पर पग धरे । वाचा छोड़ कुवाचा करे, तो धोबी की नाँद, चमार के कुण्ड में पड़े, रुद्र की नेत्र की ज्वाला पड़े, पारबती के चीर पर चोट पड़े। दुहाई काली माई की। कामरू कामाक्षा की। गुरू गोरखनाथ की ।
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गाय के गोबर का चौका ( लीपकर ) देकर दक्षिण की तरफ मुख करके बैठें। ‘कालरात्रि’ में यह साधना करना उत्तम है। पूजन में लाल कनेर का फूल, सिन्दूर, नींबू, लौंग और लड्डू आदि रखें। चार मुख का दिया, फूलों की माला भी रखें। १०८ बार मन्त्र का जप करें और इतनी ही बार चीनी और घी मिलाकर हवन करें।
हवन की समाप्ति पर यदि भैरव जी प्रकट हों, तो उन्हें फूलों की माला अर्पित करें, लड्डू का भोग दें और प्रणाम कर उनसे कार्य सिद्ध करने की प्रार्थना करें। १. मन्त्र सिद्ध हो जाने पर एक नींबू पर शत्रु का नाम सिन्दूर से लिखें। २१ बार मन्त्र का जप कर उस नींबू में २ सुइयाँ चुभो दें और एक मिट्टी की छोटी-सी हण्डी में उसे रखकर श्मशान में गाड़ दें।
जब तक यह गड़ा रहेगा, शत्रु को भयानक पीड़ा होगी। २. शत्रु के पहनने का कोई कपड़ा प्राप्त कर उस पर श्मशान के कोयले से शत्रु का चित्र बनायें। चित्र में प्राण-प्रतिष्ठा करें और शत्रु का नाम लिखें। फिर इस कपड़े पर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें।
खैर या आक की लकड़ी जलाकर इस वस्त्र को आग में तपायें। कपड़ा जलने न पाये। शत्रु पागल हो जायेगा। अच्छा करने के लिए गधे क�� मूत्र से उस कपड़े को धोकर सुखा दें
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दीपावली पूजन विधि और मंत्र | Diwali Poojan Vidhi Aur Mantr
कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन....
दीपावली पूजन विधि और मंत्र ।हिन्दी।।English। दीपावाली पूजन के लिए जरूरी सामग्री: कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा,…
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#अखंड रामायण#दिवाली#दीपावली#दीपावली पूजन विधि और मंत्र#Diwali#Diwali Parv kee Katha#diwali poojan vidhi aur mantr#Hindu dharma#MNSGranth#New post
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दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi with ENglish
दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi
दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं.दिवाली पर लक्ष्मी पूजा सहित विघ्नहर्ता श्रीगणेश एवं माता सरस्वती की पूजा करने का विधान है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में महालक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। ऐसे में महालक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने पर देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष काल मुहूर्त
श्री गणेश, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक खातों का पूजन, दीपदान, अपने सेवकों को वस्तुएं दान करने के लिये शुभ रहेगा. प्रदोष काल मंदिर मे दीप दान, रंगोली और पूजा की पूर्ण तयारी कर लेनी चाहिए. इसी समय मे मिठाई वितरण कार्य भी संपन्न कर लेना चाहिए. द्वार प़र स्वस्तिक और शुभ लाभ का सिन्दूर से निर्माण भी इसी समय करना चाहिए.
पूजा की सामग्री
लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी
चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ. गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.
ग्यारह दीपक(पहली थाली में)
खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान (दूसरी थाली में)
फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक. (तीसरी थाली में)
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला स्व्यं बैठे. परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.
लक्ष्मी पूजन विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संकसंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए.
हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन कीजिये.
Diwali Puja Mantra Shloka Hindi Sanskrit
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें –
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए यह मंत्र बोलें –
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।
यह मंत्र बोलते हुए आचमन करें –
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:।
मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए यह मंत्र पढ़ें –
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
मां लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए यह मंत्र पढ़ें –
आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी। क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि।।
फूल चढ़ाएं –
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम्।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम्।।
श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि।।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी ! नमोsस्तुते।।
श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम:नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि!
नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण।
गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम्।
गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले।।
श्रीलक्ष्मी देव्यै ��र्घ्यं स्वाहा।।
माता महालक्ष्मी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण से स्नान करवाते हुए पढ़ें –
गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै:। स्नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्व मे।। आदित्यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्व:। तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्मी:।। श्रीलक्ष्मी देव्यै जलस्नानं समर्पयामि।।
वस्त्र के रूप में कलावा चढ़ाते हुए पढ़ें –
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम्। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।।
।।श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए माता को गहने अर्पित करें –
रत्नकंकड़ वैदूर्यमुक्ताहारयुतानि च।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे।।
क्���ुप्तिपपासामालां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात्।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर –
ॐ सिन्दुरम् रक्तवर्णश्च सिन्दूरतिलकाप्रिये । भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् समर्पयामि।।
कुमकुम –
ॐ कुमकुम कामदं दिव्यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।। श्रीलक्ष्मी देव्यै कुमकुम समर्पयामि।।
चावल –
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुंकमाक्ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अक्षतान् समर्पयामि।।
गंध –
श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै चंदनं समर्पयामि।।
फूल –
यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं समर्पयामि।।
क्षमा-प्रार्थना करें
पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-
मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
दिवाली की पूजा विधि (Diwali 2022–2023–2024–2025 Puja Vidhi) | Tips
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के प्रवेश द्वार को रंगोली और दीयों से सजाएं।
पूजास्थल पर एक चौकी स्थापित करे व उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
चौकी पर माँ लक्ष्मी व श्रीगणेश की मूर्ति की स्थापना करे।
अब जल से भरा एक कलश चौकी के पास रखें।
देवी लक्ष्मी एवं श्रीगणेश की मूर्ति पर तिलक लगाकर दीपक प्रज्जवलित करे।
इसके बाद जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
अब हाथ जोड़कर देवी लक्ष्मी की स्तुति करें।
माँ लक्ष्मी सहित माँ सरस्वती, मां काली, श्रीहरि विष्णु व कुबेर देव की पूजा भी विधि विधान से करें।
पूरे परिवार को एकत्रित होकर महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।
देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते एवं व्यापारिक उपकरण की पूजा करें।
पूजा के बाद श्रद्धाभाव से ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा देनी चाहिए।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
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लक्ष्मीजी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्या��ा, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
IN ENGLISH LET ME WRITE FOR YOU:Why we do Ganesh-Laxmi Puja on Diwali:
Diwali is not just a festival but also considered as a beginning of a new phase in our lives. It is believed that Maa Laxmi visits every house in Diwali carrying a pot full of wealth, good luck and prosperity. We worship Lord Ganesha with Laxmi ma because Ganesh ji is the God of wisdom and he is known to remove all the obstacles in one’s life while Laxmi Ma is Goddess of wealth. We worship them together on Diwali so that we get wisdom along with wealth and all our life obstacles are removes. And obviously, without wisdom, wealth cannot stay longer with you.
This is the reason why we worship Laxmi-Ganesh on Diwali, in order to invite wealth, prosperity, abundance, good luck and wisdom.
How to do Diwali Puja at Home?
Every Diwali the Muhurat (favourable time) for Diwali puja is different. This year in 2022, Diwali is on 24 October and the Puja Muhurat starts at 6:54 pm to 8:18 pm.
In my family, we begin with taking bath and wearing new clothes before the puja. The puja-ghar or altar is cleaned and decorated on Dhanteras (2 days before) it self. So, we set up the puja things in the room to prepare for puja. After this, we do the following steps:
Spread a new red cloth
Sprinkle some rice on it and touch it to seek blessings
Place a kalash in the middle of it, fill it with ganga jal and some rice.
Cover it with mango leaves
Put a tilak on it
Now on one aasan, place the Ganesh-Laxmi idols
Start the puja by sprinkling ganga jal, making them wear new clothes and garlands, putting tilak and offering them flowers sweets, dry-fruits and fruits.
Then light 9 earthen diyas for 9 planets (this is done to balance and calm all the 9 planets and seek blessings)
This ritual to worship the God and Godness and the kalash is done by everyone in the house
The Diwali puja is also to be done in your office and seek blessings of the almighty. So, because 90% of our work is done by phones and laptops, we also worship it. We put the work-related gadgets in front of the God and Goddess and worship it by making a swastik on it, sprinkling rice and flowers on it. We then keep it for some time in the puja ghar only.
Some people also put their cash chest, cash box, locker keys and account books too. After from this, it is also a good ritual to take a bowl and ask every earning member of the family to put some money into the money bowl which resembles inviting prosperity and wealth to our home.
An aarti is performed and prasaad is distributed to conclude the Diwali puja ritual. We then light the diyas and candles and celebrate it further by burning crackers, eating sweets and meeting and greeting the loved ones.
This is how I do Diwali puja at home. Hope this helped you! Don’t forget to share!
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