#लोहे का पुल
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jyotis-things · 6 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart84 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart85
"हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण" Part -85
" समुन्द्र पर रामचन्द्र के पुल के लिए पत्थर तैराना"
एक समय की बात है कि सीता जी को रावण उठा कर ले गया। भगवान राम को पता भी नहीं कि सीता जी को कौन उठा ले गया? श्री रामचन्द्र जी इधर उधर खोज करते हैं। हनुमान जी ने खोज करके बताया कि सीता माता लंकापति रावण की कैद में है। पता लगने के बाद भगवान राम ने रावण के पास शान्ति दूत भेजे तथा प्रार्थना की कि सीता लौटा दे। परन्तु रावण नहीं माना। युद्ध की तैयारी हुई। तब समस्या यह आई कि समुद्र से सेना कैसे पार करें?
भगवान श्री रामचन्द्र ने तीन दिन तक घुटनों पानी में खड़ा होकर हाथ जोड़कर समुद्र से प्रार्थना की कि रास्ता दे। परन्तु समुद्र टस से मस न हुआ। जब समुद्र नहीं माना तब श्री राम ने उसे अग्नि बाण से जलाना चाहा। भयभीत समुद्र एक ब्राह्मण का रूप बनाकर सामने आया और कहा कि भगवन् सबकी अपनी-अपनी मर्यादाएँ हैं। मुझे जलाओ मत। मेरे अंदर न जाने कितने जीव-जंतु वसे हैं। अगर आप मुझे जला भी दोगे तो भी आप मुझे पार नहीं कर सकते, क्योंकि यहाँ पर बहुत गहरा गड्डा बन जायेगा, जिसको आप कभी भी पार नहीं कर सकते।
समुद्र ने कहा भगवन ऐसा काम करो कि सर्प भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। मेरी मर्यादा भी रह जाए और आपका पुल भी बन जाए। तब भगवान श्री राम ने समुद्र से पूछा कि वह क्या है? ब्राह्मण रूप में खड़े समुद्र ने कहा कि आपकी सेना में नल और नील नाम के दो सैनिक हैं। उनके पास उनके गुरुदेव से प्राप्त एक ऐसी ��क्ति है कि उनके हाथ से पत्थर भी तैर जाते हैं। हर वस्तु चाहे वह लोहे की ��ो, तैर जाती है। श्री रामचन्द्र ने नल तथा नील को बुलाया और उनसे पूछा कि क्या आपके पास कोई ऐसी शक्ति है? तो नल तथा नील ने कहा कि हाँ जी, हमारे हाथ से पत्थर भी नहीं डूबेंगे। तो श्रीराम ने कहा कि परीक्षण करवाओ।
उन नादानों (नल-नील) ने सोचा कि आज सब के सामने तुम्हारी बहुत महिमा होगी। उस दिन उन्होंने अपने गुरुदेव मुनिन्द्र जी (कबीर परमेश्वर जी) को यह सोचकर याद नहीं किया कि अगर हम उनको याद करेंगे तो कहीं श्रीराम ये न सोच लें कि इनके पास शक्ति नहीं है, यह तो कहीं और से मांगते हैं। उन्होंने पत्थर उठाकर समुद्र के जल में डाला तो वह पत्थर डूब गया। नल तथा नील ने बहुत कोशिश की, परन्तु उनसे पत्थर नहीं तैरे। तब भगवान राम ने समुद्र की ओर देखा मानो कहना चाह रहे हों कि आप तो झूठ बोल रहे थे। इनमें तो कोई शक्ति नहीं है। समुद्र ने कहा कि नल-नील आज तुमने अपने गुरुदेव को याद नहीं किया। कृप्या अपने गुरुदेव को याद करो। वे दोनों समझ गए कि आज तो हमने गलती कर दी। उन्होंने सतगुरु मुनिन्द्र साहेब जी को याद किया। सतगुरु मुनिन्द्र (कबीर परमेश्वर) वहाँ पर पहुँच गए। भगवान रामचन्द्र जी ने कहा कि हे ऋषिवर ! मेरा दुर्भाग्य है कि आपके सेवकों से पत्थर नहीं तैर रहे हैं। मुनिन्द्र साहेब ने कहा कि अब इनके हाथ से कभी तैरेंगे भी नहीं, क्योंकि इनको अभिमान हो गया है।
सतगुरु की वाणी प्रमाण करती है किः-
गरीब, जैसे माता गर्भ को, राखे जतन बनाय।
ठेस लगे तो क्षीण होवे, तेरी ऐसे भक्ति जाय।
उस दिन के बाद नल तथा नील की वह शक्ति समाप्त हो गई। श्री रामचन्द्र जी ने परमेश्वर मुनिन्द्र साहेब जी से कहा कि हे ऋषिवर! मुझ पर बहुत आपत्ति पड़ी हुई है। दया करो किसी प्रकार सेना परले पार हो जाए। जब आप अपने सेवकों को शक्ति दे सकते हो तो प्रभु ! मुझ पर भी कुछ रजा करो। मुनिन्द्र साहेब जी ने कहा कि यह जो सामने वाला पहाड़ है, मैंने उसके चारों तरफ एक रेखा खींच दी है। इसके बीच-बीच के पत्थर उठा लाओ, वे नहीं डूबेंगे। श्री राम ने परीक्षण के लिए पत्थर मंगवाया। उसको पानी पर रखा तो वह तैरने लग गया। नल तथा नील कारीगर (शिल्पकार) भी थे। हनुमान जी प्रतिदिन भगवान याद किया करते थे। उसने अपनी दैनिक क्रिया भी करते रहने के लिए राम राम भी लिखता रहा और पहाड़ के पहाड़ उठा कर ले आता था। नल नील उनको जोड़-तोड़ कर पुल में लगा देते थे। इस प्रकार पुल बना था। धर्मदास जी कहते हैं :-
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।
291
धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।
कोई कहता था कि हनुमान जी ने पत्थर पर राम का नाम लिख दिया था इसलि�� पत्थर तैर गये। कोई कहता था कि नल-नील ने पुल बनाया था। कोई कहता था कि श्रीराम ने पुल बनाया था। परन्तु यह सतकथा ऐसे है, जो ऊपर लिखी है।
(सत कबीर की साखी पृष्ठ 179 से 182 तक)
-: पीव पिछान को अंग :-
कबीर- तीन देव को सब कोई ध्यावै, चौथे देव का मरम न पावै । चौथा छाड़ पंचम को ध्यावै, कहै कबीर सो हम पर आवै।।3।।
कबीर- ओंकार निश्चय भया, यह कर्ता मत जान । साचा शब्द कबीर का, परदे मांही पहचान।।5।।
कबीर- राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नांही संसार । जिन साहेब संसार किया, सो किन्हूं न जन्म्या नार । ।17 ।।
कबीर चार भुजा के भजन में, भूलि परे सब संत । कबिरा सुमिरो तासु को, जाके भुजा अनंत । ।23 ।।
कबीर - समुद्र पाट लंका गये, सीता को भरतार।
ताहि अगस्त मुनि पीय गयो, इनमें को करतार। |26 ।। गिरवर धारयो कृष्ण जी, द्रोणागिरि हनुमंत । कबीर -
शेष नाग सब सृष्टि सहारी, इनमें को भगवंत । | 27 ||
कबीर - काटे बंधन विपति में, कठिन किया संग्राम।
चिन्हों रे नर प्राणियां, गरुड बड़ो की राम ।।28 ।।
कबीर - कह कबीर चित चेतहूं, शब्द करौ निरूवार। श्रीरामहि कर्ता कहत हैं, भूलि परयो संसार।।29 ||
कबीर - जिन राम कृष्ण व निरंजन कियो, सो तो करता न्यार। अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर विचार । ।30 ।।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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amtsaxena · 7 months ago
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डेहरी ऑन सोन, भारत की 5वीं सबसे लम्बी रेल ब्रिज | Dehri Sone Bridge in R...
देहरी सोन पुल (उपर सोन पुल) पर एक विस्तृत लेख
परिचय: देहरी सोन पुल, जिसे उपर सोन पुल के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के रोहतास जिले में स्थित है। यह पुल सोन नदी पर बना हुआ है और इसे बिहार के सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पुलों में से एक माना जाता है। इस पुल का निर्माण भारतीय रेल द्वारा किया गया था और यह बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।
निर्माण और इतिहास: उपर सोन पुल का निर्माण 1900 के दशक की शुरुआत में हुआ था। इस पुल का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान किया गया था, और इसका उद्घाटन 27 फरवरी 1900 को किया गया था। यह पुल सोन नदी पर बने पहले लोहे के पुलों में से एक था। उस समय, यह एशिया का सबसे लंबा रेलवे पुल था और इसे बनाने में कई वर्षों का समय लगा था।
पुल के निर्माण के लिए उस समय लगभग 26 लाख रुपये खर्च हुए थे, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ी रकम थी। इस पुल के निर्माण में 93 पिलरों का उपयोग किया गया था, जो इसे मजबूत और टिकाऊ बनाते हैं। पुल की कुल लंबाई लगभग 3,064 फीट (933 मीटर) है।
तकनीकी विवरण: इस पुल की विशेषता यह है कि यह दो मंजिला (डबल डेकर) पुल है। इसके ऊपरी भाग पर रेलगाड़ियां चलती हैं जबकि निचले भाग पर सड़क मार्ग है। इस पुल का निर्माण लोहे और स्टील के मजबूत खंभों पर किया गया है, जो इसे सदी से भी अधिक समय तक स्थायी बनाए हुए हैं। पुल का निर्माण करते समय ब्रिटिश इंजीनियरों ने इसे इस प्रकार से डिजाइन किया था कि यह भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सके।
महत्व: उपर सोन पुल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह पुल न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़ता है, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। स्वतंत्रता संग्राम के समय इस पुल का उपयोग स्वतंत्रता सेनानियों ने विभिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए किया था।
इस पुल का उपयोग न केवल रेलवे के लिए किया जाता है, बल्कि यह सड़क परिवहन का भी एक प्रमुख माध्य�� है। इस पुल से होकर कई महत्वपूर्ण राजमार्ग गुजरते हैं जो बिहार को उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं।
रोचक तथ्य:
देहरी सोन पुल का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुआ था और उस समय इसे एशिया का सबसे लंबा पुल माना जाता था।
इस पुल की लंबाई 933 मीटर (3,064 फीट) है और इसमें कुल 93 पिलर हैं।
यह पुल दो मंजिला है, जहां ऊपरी मंजिल पर रेलगाड़ियां और निचली मंजिल पर सड़क यातायात होता है।
पुल का निर्माण उस समय 26 लाख रुपये में हुआ था, जो उस समय के हिसाब से एक बड़ी रकम थी।
पुल का डिजाइन ऐसा है कि यह भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकता है।
निष्कर्ष: देहरी सोन पुल, जिसे उपर सोन पुल के नाम से भी जाना जाता है, न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर है। इस पुल ने न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश को एक दूसरे से जोड़ा है, बल्कि यह भारतीय रेल और सड़क परिवहन के लिए भी एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ है। समय के साथ, यह पुल अपनी मजबूती और अद्वितीय डिजाइन के कारण सदी से अधिक समय तक स्थायी बना हुआ है और आने वाले वर्षों में भी यह पुल अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखेगा।
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abhinews1 · 2 years ago
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पुलिस मुठभेड़ में दो शराब तस्कर गिरफ्तार
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पुलिस मुठभेड़ में दो शराब तस्कर गिरफ्तार
थाना जैत पुलिस व स्वाट टीम को दो शराब तस्करों को मुठभेड़ के दोरान गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है।दअरसल शनिवार की सुबह थाना जैत पुलिस व स्वाट टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि एक कंटेनर RJ-11- GB-5323 में अवैध शराब छुपा कर तस्करी के लिए ले जाई जा रही है।पुलिस ने नयति हॉस्पिटल के पास लोहे के पुल के नीचे चेकिंग के दौरान उक्त कंटेनर को रुकवाया, तभी गाड़ी से उतरे बदमाशो ने पुलिस पर फायर झोंकते हुए धोरेरा जंगल की तरफ दौड़ पड़े । पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए दो अभियुक्तों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया । इस दौरान एक अभियुक्त के पैर में भी गोली लगी है जिसे पुलिस ने जिला अस्पताल में भर्ती कर दिया है पकड़े गए अभियुक्त राजस्थान के धौलपुर निवासी दशरथ त्यागी तथा रिंकू त्यागी बताए गए। पत्रकार वार्ता में एसपी सिटी एमपी सिंह ने बताया कि कंटेनर से 451 पेटी पंजाब मार्का शराब तथा 315 बोर की एक पोनिया दो जिंदा कारतूस के अलावा शराब तस्करी में प्रयुक्त किए जाने वाला कैंटर भी बरामद किया है जिसकी कीमत 32 लाख रुपए है और शराब की कीमत 40 लख रुपए है वही जेत पुलिस द्वारा की गई सराहनीय कार्य को देख��े हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा 15 हजार का ईनाम भी पुलिस टीम को दिया गया है।
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joyfulwombatpaper · 2 years ago
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#ज्ञानगंगा_Part34
त्रेतायुग में कविर्देव (कबीर साहेब) का मुनिन्द्र नाम से प्राकाट्य
नल तथा नील को शरण में लेना
त्रेतायुग में स्वयंभु (स्वयं प्रकट होने वाला) कविर्देव (कबीर परमेश्वर) रूपान्तर करके मुनिन्द्र ऋषि के नाम से आए हुए थे। अनल अर्थात् नल तथा अनील अर्थात् नील। दोनों आपस में मौसी के पुत्र थे। माता-पिता का देहान्त हो चुका था। नल तथा नील दोनों शारीरिक व मानसिक रोग से अत्यधिक पीड़ीत थे। सर्व ऋषियों व सन्तों से कष्ट निवारण की प्रार्थना कर चुके थे। सर्व सन्तों ने बताया था कि यह आप का प्रारब्ध का पाप कर्म का दण्ड है, यह आपको भोगना ही पड़ेगा। इसका कोई समाधान नहीं है। दोनों दोस्त जीवन से निराश होकर मृत्यु का इंतजार कर रहे थे।
एक दिन दोनों को मुनिन्द्र नाम से प्रकट पूर्ण परमात्मा का सत्संग सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। सत्संग के उपरांत ज्यों ही दोनों ने परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) उर्फ मुनिन्द्र ऋषि जी के चरण छुए तथा परमेश्वर मुनिन्द्र जी ने सिर पर हाथ रखा तो दोनों का असाध्य रोग छू मन्त्रा हो गया अर्थात् दोनों नल तथा नील स्वस्थ हो गए। इस अद्धभुत चमत्कार को देख कर प्रभु के चरणों में गिर कर घण्टों रोते रहे तथा कहा आज हमें प्रभु मिल गया जिसकी तलाश थी तथा उससे प्रभावित होकर उनसे नाम (दीक्षा) ले लिया तथा मुनिन्द्र साहेब जी के साथ ही सेवा में रहने लगे। पहले संतों का समागम पानी की व्यवस्था देख कर नदी के किनारे पर होता था। नल और नील दोनों बहुत प्रभु प्रेमी तथा भोली आत्माएँ थी। परमात्मा में श्रद्धा बहुत थी। सेवा बहुत किया करते थे। समागमों में रोगी व वृद्ध व विकलांग भक्तजन आते तो उनके कपड़े धोते तथा बर्तन साफ करते। उनके लोटे और गिलास मांज देते थे। परंतु थे भोले से दिमाग के। कपड़े धोने लग जाते तो सत्संग में जो प्रभु की कथा सुनी होती उसकी चर्चा करने लग जाते। वे दोनों प्रभु चर्चा में बहुत मस्त हो जाते और वस्तुएँ दरिया के जल में डूब जाती। उनको पता भी नहीं चलता। किसी की चार वस्तु ले कर जाते तो दो वस्तु वापिस ला कर देते थे। भक्तजन कहते कि भाई आप सेवा तो बहुत करते हो, परंतु हमारा तो बहुत काम बिगाड़ देते हो। ये ख���ई हुई वस्तुएँ हम कहाँ से ले कर आयें? आप हमारी सेवा ही करनी छोड़ दो। हम अपनी सेवा आप ही कर लेंगे। फिर नल तथा नील रोने लग जाते थे कि हमारी सेवा न छीनों। अब की बार नहीं खोएँगे। परन्तु फिर वही काम करते। फिर प्रभु की चर्चा में लग जाते और वस्तुएँ दरिया जल में डूब जाती। भक्तजनों ने ऋषि मुनिन्द्र जी से प्रार्थना की कि कृपा नल तथा नील को समझाओ। ये न तो मानते है और मना करते हैं तो रोने लग जाते हैं। हमारी तो आधी भी वस्तुएँ वापिस नहीं लाते। ये नदी किनारे सत्संग में सुनी भगवान की चर्चा में मस्त हो जाते हैं और वस्तुएँ डूब जाती हैं। मुनिन्द्र साहेब ने एक दो बार तो उन्हें समझाया। वे रोने लग जाते थे कि साहेब हमारी ये सेवा न छीनों। सतगुरु मुनिन्द्र साहेब ने कहा बेटा नल तथा नील खूब सेवा करो, आज के बाद आपके हाथ से कोई भी वस्तु चाहे पत्थर या लोहा भी क्यों न हो जल में नहीं डुबेगी। मुनिन्द्र साहेब ने उनको यह आशीर्वाद दे दिया।
आपने रामायण सुनी है। एक समय की बात है कि सीता जी को रावण उठा कर ले गया। भगवान राम को पता भी नहीं कि सीता जी को कौन उठा ले गया? श्री रामचन्द्र जी इधर उधर खोज करते हैं। हनुमान जी ने खोज करके बताया कि सीता माता लंकापति राव�� (राक्षस) की कैद में है। पता लगने के बाद भगवान राम ने रावण के पास शान्ति दूत भेजे तथा प्रार्थना की कि सीता लौटा दे। परन्तु रावण नहीं माना। युद्ध की तैयारी हुई। तब समस्या यह आई कि समुद्र से सेना कैसे पार करें? भगवान श्री रामचन्द्र ने तीन दिन तक घुटनों पानी में खड़ा होकर हाथ जोड़कर समुद्र से प्रार्थना की कि रास्ता दे दे। परन्तु समुद्र टस से मस न हुआ। जब समुद्र नहीं माना तब श्री राम ने उसे अग्नि बाण से जलाना चाहा। भयभीत समुद्र एक ब्राह्मण का रूप बनाकर सामने आया और कहा कि भगवन सबकी अपनी-अपनी मर्यादाएँ हैं। मुझे जलाओ मत। मेरे अंदर न जाने कितने जीव-जंतु बसे हैं। अगर आप मुझे जला भी दोगे तो भी आप मुझे पार नहीं कर सकते, क्योंकि यहाँ पर बहुत गहरा गड्डा बन जायेगा, जिसको आप कभी भी पार नहीं कर सकते।
समुद्र ने कहा भगवन ऐसा काम करो कि सर्प भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। मेरी मर्यादा भी रह जाए और आपका पुल भी बन जाए। तब भगवान श्री राम ने समुद्र से पूछा कि वह क्या विधि है ? ब्राह्मण रूप में खडे समुद्र ने कहा कि आपकी सेना में नल और नील नाम के दो सैनिक हैं। उनके पास उनके गुरुदेव से प्राप्त एक ऐसी शक्ति है कि उनके हाथ से पत्थर भी जल पर तैर जाते हैं। हर वस्तु चाहे वह लोहे की हो, तैर जाती है। श्री रामचन्द्र ने नल तथा नील को बुलाया और उनसे पूछा कि क्या आपके पास कोई ऐसी शक्ति है? नल तथा नील ने कहा कि हाँ जी, हमारे हाथ से पत्थर भी जल नहीं डुबंेगे। श्रीराम ने कहा कि परीक्षण करवाओ।
उन नादानों (नल-नील) ने सोचा कि आज सब के सामने तुम्हारी बहुत महिमा होगी। उस दिन उन्होंने अपने गुरुदेव भगवान मुनिन्द्र(कबीर साहेब) को यह सोचकर याद नहीं किया कि अगर हम उनको याद करेंगे तो कहीं श्रीराम ये न सोच लें कि इनके पास शक्ति नहीं है, यह तो कहीं और से मांगते हैं। उन्होंने पत्थर उठाकर पानी में डाला तो वह पत्थर पानी में डूब गया। नल तथा नील ने बहुत कोशिश की, परन्तु उनसे पत्थर नहीं तैरे। तब भगवान राम ने समुद्र की ओर देखा मानो कहना चाह रहे हों कि आप तो झूठ बोल रहे हो। इनमें तो कोई शक्ति नहीं है। समुद्र ने कहा कि नल-नील आज तुमने अपने गुरुदेव को याद नहीं किया। नादानों अपने गुरुदेव को याद करो। वे दोनों समझ गए कि आज तो हमने गलती कर दी। उन्होंने सतगुरु मुनिन्द्र साहेब जी को याद किया। सतगुरु मुनिन्द्र (कबीर साहेब) वहाँ पर पहुँच गए। भगवान रामचन्द्र जी ने कहा कि हे ऋषिवर! मेरा दुर्भाग्य है कि आपके सेवकों के हाथों से पत्थर नहीं तैर रहे हैं। मुनिन्द्र साहेब ने कहा कि अब इनके हाथ से तैरेंगे भी नहीं, क्योंकि इनको अभिमान हो गया है। सतगुरु की वाणी प्रमाण करती है किः-
गरीब, जैसे माता गर्भ को, राखे जतन बनाय। ठेस लगे तो क्षीण होवे, तेरी ऐसे भक्ति जाय।
उस दिन के पश्चात् नल तथा नील की वह शक्ति समाप्त हो गई। श्री रामचन्द्र जी ने परमेश्वर मुनिन्द्र साहेब जी से कहा कि हे ऋषिवर! मुझ पर बहुत आपत्ति आयी हुई है। दया करो किसी प्रकार सेना परले पार हो जाए। जब आप अपने सेवकों को शक्ति दे सकते हो तो प्रभु कुछ रजा करो। मुनिन्द्र साहेब ने कहा कि यह जो सामने वाला पहाड़ है, मैंने उसके चारों तरफ एक रेखा खींच दी है। इसके बीच-बीच के पत्थर उठा लाओ, वे नहीं डूबेंगे। श्री राम ने परीक्षण के लिए पत्थर मंगवाया। उसको पानी पर रखा तो वह तैरने लग गया। नल तथा नील कारीगर (शिल्पकार) भी थे। हनुमान जी प्रतिदिन भगवान याद किया करते थे। उसने अपनी दैनिक क्रिया भी साथ रखी राम राम भी लिखता रहा और पहाड़ के पहाड़ उठा कर ले आता था। नल नील उनको जोड़-तोड़ कर पुल में लगा लेते थे। इस प्रकार पुल बना था। धर्मदास जी कहते हैं:-
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।
धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।
कोई कहता था कि हनुमान जी ने पत्थर पर राम का नाम लिख दिया था इसलिए पत्थर तैर गये। कोई कहता था कि नल-नील ने पुल बनाया था। कोई कहता था कि श्रीराम ने पुल बनाया था। परन्तु यह सत कथा ऐसे है, जैसे आपको ऊपर बताई गई है।
(सत कबीर की साखी - पृष्ठ 179 से 182 तक)
-ः पीव पिछान को अंग:-
कबीर-तीन देव को सब कोई ध्यावै, चैथे देव का मरम न पावै।
चैथा छाड़ पंचम को ध्यावै, कहै कबीर सो हम पर आवै।।3।।
कबीर-ओंकार निश्चय भया, यह कर्ता मत जान।
साचा शब्द कबीर का, परदे मांही पहचान।।5।।
कबीर-राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नांही संसार।
जिन साहेब संसार किया, सो किन्हूं न जन्म्या नार।।17।।
कबीर - चार भुजा के भजन में, भूलि परे सब संत।
कबिरा सुमिरो तासु को, जाके भुजा अनंत।।23।।
कबीर - समुद्र पाट लंका गये, सीता को भरतार।
ताहि अगस्त मुनि पीय गयो, इनमें को करतार।।26।।
कबीर -गोवर्धनगिरि धारयो कृष्ण जी, द्रोणागिरि हनुमंत।
शेष नाग सब सृष्टि सहारी, इनमें को भगवंत।।27।।
कबीर -काटे बंधन विपति में, कठिन किया संग्राम।
चिन्हों रे नर प्राणियां, गरुड बड़ो की राम।।28।।
कबीर -कह कबीर चित चेतहंू, शब्द करौ निरूवार।
श्रीरामहि कर्ता कहत हैं, भूलि परयो संसार।।29।।
कबीर -जिन राम कृष्ण व निरंजन कियो, सो तो करता न्यार।
अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर विचार।।30।।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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nidarchhattisgarh · 2 years ago
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बैसाखी के पर्व पर बड़ा हादसा; बैसाखी मेले के दौरान टूट पुल.. 50 से ज्यादा लोग घायल.. आनन-फानन घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया
NCG NEWS DESK जम्मू : जम्मू संभाग के जिला उधमपुर बैसाखी के पर्व पर बड़ा हादसा हो गया है। जिले के चिनैनी में बैसाखी मेले के दौरान पुल टूट गया। देविका और तवी नदी के संगम स्थल बैनी संगम में बैसाखी का मेला आयोजन किया गया था। यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए थे। Read more;-खेत में लगी आग को बुझाते वक्त चपेट में आया किसान, मौके पर हुई मौत इस दौरान देविका नदी पर बना लोहे का पुल क्षतिग्रस्त हो…
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todaypostlive · 2 years ago
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बिहार के दरभंगा में लोहे का पुल टूटा,दस पंचायत का आवागमन ठप
दरभंगा। बिहार में दरभंगा जिले के कुश्वेश्वर स्थान स्थित कमला नदी पर बने लोहे का पुल सोमवार को अचानक दो हिस्सों में टूट गया। पुल गिरने की घटना उस वक्त हुई जब बालू लदा एक ट्रक पुल से गुजर रहा था।पुल के दो हिस्से में टूटने के बाद ट्रक नदी में जा गिरी। इस घटना से अफता-तफरी मच गयी।हालांकि इस दौरान जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है।ट्रक का ड्राइवर और खलासी दोनों सुरक्षित है। पुल के टूटने की खबर फैलते ही…
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nayesubah · 3 years ago
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60 फीट लंबे लोहे की पुल के चोरी का मास्टरमाइंड निकले एसडीओ, आठ को पुलिस ने किया गिरफ्तार
60 फीट लंबे लोहे की पुल के चोरी का मास्टरमाइंड निकले एसडीओ, आठ को पुलिस ने किया गिरफ्तार
Bihar: रोहतास जिला के नासरीगंज प्रखंड स्थित अमियावर गांव के पास नहर पर बने करीब 47 साल पुराने 60 फीट लंबा, दस फीट चौड़े और बारह फीट ऊंचे पुल लोहे के पुल के चोरी के मामले में एसआईटी ने रविवार को मामले का उद्भेदन करते हुए इस कांड में नहर अवर प्रमंडल नासरीगंज के एसडीओ, मौसमी कर्मचारी, 4 कबाड़ी वाले, एक वाहन मालिक और एक राजद नेता को गिरफ्तार किया है। ns news पुलिस की स्पेशल टीम ने चोरी में प्रयुक्त…
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marketingstrategy1 · 2 years ago
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Aligarh News:रेलवे पैदल पुल की मरम्मत शुरू, अब नहीं चलेंगे दोपहिया वाहन - Repair Of Railway Foot Bridge Started In Aligarh
मीनाक्षी पुल ओवर ब्रिज का पैदल पुल बंद – फोटो : रूपेश कुमार विस्तार अलीगढ़ के मीनाक्षी टॉकीज ओवरब्रिज के पास रेलवे के पैदल पुल की मरम्मत का कार्य मंगलवार से शुरू हो गया है। इसके चलते पुल को आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है। रेलवे ने तय किया है कि अब इस पुल का उपयोग केवल पैदल राहगीरों के लिए ही होगा। सा��किल, बाइक, स्कूटी, ई-रिक्शा यहां से नहीं जा सकेंगे। इसके लिए दोनों छोर पर लोहे के पाइप अवरोधक…
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dainiksamachar · 2 years ago
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परेशानी से बचना है तो कल दिल्ली के इन रास्तों पर जाने से बचिए, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को देखते हुए एडवाइजरी जारी
नई दिल्ली: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार 3 जनवरी से दोबारा शुरू हो रही है। यह यात्रा दिल्ली के मध्य हिस्से से शुरू होकर लोनी बॉर्डर से होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। भारत जोड़ो यात्रा के यूपी में प्रवेश से पहले तक दिल्ली के कई रास्तों पर जाम लग सकता है। दिल्ली पुलिस की ओर से इस यात्रा को लेकर सोमवार एक एडवाइजरी जारी की गई। दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो सकते हैं साथ कई गाड़ियां भी निकलेंगी। यात्रा की वजह से नेताजी सुभाष मार्ग, रिंग रोड/एमजीएम मार्ग, श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग, हनुमान मंदिर से पुराने लोहे के पुल तक जाने वाला रूट, गीता कॉलोनी/पुश्ता रोड, अंसारी रोड, जीटी रोड, जाफराबाद मेन रोड, वजीराबाद रोड और लोनी रोड पर यातायात प्रभावित रहेगा। भारत जोड़ो यात्रा लाल किले के पास यमुना बाजार में हनुमान मंदिर से मंगलवार को सुबह करीब 10 बजे फिर शुरू होगी और दोपहर तकरीबन 12 बजे के आस-पास लोनी बॉर्डर पहुंचेगी। इस बीच यह यात्रा लोहे का पुल, शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन, पुरानी जीटी रोड, फर्नीचर मार्केट, अंसारी रोड, मौजपुर, बाबरपुर, वज़ीराबाद रोड और गोकुलपुरी थाने होते हुए लोनी गोल चक्कर पहुंचेगी। दिल्ली पुलिस की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक छाता रेल चौक, लाल किला, एसपीएम मार्ग, पुराना लोहे का पुल, पुश्ता रोड, अंसारी रोड, जीटी रोड पर युधिष्ठिर सेतु से लेकर सीलमपुर टी प्वाइंट तक, शाहदरा फ्लाईओवर से लेकर वजीराबाद रोड पर लोनी गोल चक्कर और लोनी रोड पर भारी यातायात हो सकता है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की ओर से कहा गया है कि इन रास्तों पर जाने से बचे और साथ ही सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें। यात्रा 3 जनवरी को दिल्ली के रास्ते यूपी में प्रवेश करेगी। यूपी में 120 किलोमीटर का सफर तय कर पांच जनवरी को हरियाणा में पहुंचेगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 108 दिनों में करीब 3000 किलोमीटर की दूरी नापते हुए 24 दिसंबर को दिल्ली के लाल किला पहुंची थी। इसके साथ ही इस यात्रा का पहला चरण पूरा हुआ बताया गया। अब एक बार फिर दोबारा यात्रा शुरू हुई थी। (एजेंसी इनपुट के साथ) http://dlvr.it/SgGFv2
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nationalistbharat · 2 years ago
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Bihar:अब जहानाबाद में गायब हुए तीन पुल
Bihar:अब जहानाबाद में गायब हुए तीन पुल
पटना: रोहतास जिले के नासरीगंज में छह माह पहले 50 साल पुराना हजार किलो का लोहे का पुल चोरी होने का मामला सामने आया था। अब जहानाबाद में 50 साल पुराने लोहे के तीन पुल गायब हो गए हैं। नए पुल बन जाने के बाद पुराने पुल उपयोग में नहीं थे। निर्माण स्थल से लोहा पुल के 20-25 गार्डर समेत अन्य सामान गायब कर दिए गए हैं। रतनी इलाके के ग्रामीणों ने ठेकेदार पर विभागी��� अधिकारी से मिलीभगत कर पुराने पुल को बेच देने…
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hindimaster · 3 years ago
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Maharashtra News Aaditya Thackeray Had Built An Iron Bridge Before 6 Months Washed Away In Rain Water Ann
Maharashtra News Aaditya Thackeray Had Built An Iron Bridge Before 6 Months Washed Away In Rain Water Ann
Maharashtra News: महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के आदिवासी इलाक़े शेंद्रीपाड़ा (chhendipada) में ‘तास’ नदी को पार करने के लिए बना लोहे का पुल (Iron Bridge) पहली ही बारिश में बह गया. महज़ 6 महीने पहले ही यह लोहे का पुल बनवाया गया था, जो बाढ़ (Flood)के पानी में बह गया है. इसका हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है. यहां की महिलाओं को एक बार फिर लकड़ी का सहारा लेकर तास नदी में बहते तेज पानी के ऊपर से…
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vividuttarakhand · 3 years ago
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🌹पौड़ी गढ़वाल का अद्भुत💐 गिंदी मेला💐 हर साल मकर संक्रांति के दिन पौड़ी गढवाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के थलनाड़ी और डाडामंडी में गिंदी का मेला लगता है। खासबात यह है कि मकर संक्रांति के दिन यहां रग्बी जैसा खेल खेला जाता है, जिसको 12 से 14 इंच व्यास की चपटी चमड़े की गेंद (लगभग 20 किलो.) से खेला जाता है। हालांकि, रग्बी में कुछ नियम होते हैं, पर यहां कोई नियम नहीं छीना-झपटी में जो पक्ष ताकतवर होता है वह खेल जीत लेता है। कोटद्वार से सिर्फ 23 किलोमीटर है डाडामंडी जहां बलगाढ़ नदी के पूर्व में लंगर पट्टी के नजदीक करीब सौ गांवों के लोग मकर संक्रांति के दिन इकट्ठे होते हैं। यह जगह भटपुड़ी के बीच द्वारीखाल-कोटद्वार रोड के बीच ही है। डाडामंडी में लोहे के पुल के नीचे यह नदी अमूमन सूखी ही रहती है, और इसके बीचों-बीच रखी चमड़े की गेंद को अपने-अपने इलाके में ले जाने की प्रतियोगिता लोगों में होती है। बाहुबल के इस खेल में कई लोग जख्मी हो जाते हैं। कौथिग का ऐतिहासिक महत्व पौराणिक मान्यता के अनुसार यमकेश्वर ब्लाक के अजमीर पट्टी के नाली गांव के जमींदार की गिदोरी नाम की लड़की का विवाह उदयपुर पट्टी के कस्याली गांव में हुआ था। पारिवारिक विवाद होने पर गिदोरी घर छोड़कर थलनदी पर आ गई। उस समय यहां पर दोनों पट्टियों के गांव (नाली और कस्याली) के लोग खेती कर रहे थे। नाली गांव के लोगों को जब यह पता चला कि कि गिदोरी ससुराल छोड़कर आ रही है तो वे उसे अपने साथ ले जाने लगे जबकि कस्याली गांव के लोग उसे वापस ससुराल ले जाने का प्रयास करने लगे। दोनों गांव के लोगों के बीच संघर्ष और छीना झपटी में गिदोरी की मौत हो गई। तब से थलनाड़ी में दोनों पट्टियों में गेंद के लिए संघर्ष होता है। 30 सालों से बना रहे गेंद मेले के लिए गेंद बनाने का काम नाली गांव के दर्शन सिह बिष्ट करते हैं। वे इसके लिए कोई पैसा नहीं लेतेे। 1982 से वही गेंद बना रहे हैं। . जुड़िये अपने उत्तराखंड से अपने पहाड़ से जय देवभूमि जय उत्तराखंड . Join The Visual Journey With ❤️❤️💐💐 @vivid_uttarakhand . Do tag 🏷 Do like 👍🏻 Do share 👨‍👩‍👧‍👦 Do comment 🙏🏻💬 💐Follow Us💐 Love Uttarakhand ❤️❤️ . Advice- Please Don’t Use Plastic While Visiting Mountains 🏔 💫 . Use Hashtag _ #vividuttarakhand . #uttarakhand #uttarakhandheaven #love #uttarkashi #chamoli #rudraprayag #tehrigarhwal #dehradun #paurigarhwal #pithoragarh #bageshwar #almora #champawat #nainital #haridwar #udhamsinghnagar #devbhoomi #gindimela (at Uttarakhand) https://www.instagram.com/p/CgCiFMmrqjd/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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todaypostlive · 3 years ago
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मुखिया और पंचायत सचिव ने मिलकर पंचायत  भवन को ही बेच दिया
मुखिया और पंचायत सचिव ने मिलकर पंचायत  भवन को ही बेच दिया
मुज़फ़्फ़रपुर। बिहार में अनियमितताओं के एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं कहीं रेल इंजन, कहीं लोहे का पुल तो कहीं अस्पताल और अब पंचायत सरकार भवन ही बेच दिया गया। मामला जिले के औराई के औराई पंचायत का है।  जहां बिना किसी आदेश  के मुखिया और पंचायत सचिव ने मिलकर पंचायत  भवन को जेसीबी से तोड़ कर बेच दिया। बता दें कि पूर्व में भी इस तरह की घटना बिहार में हो चुकी है।  जैसे समस्तीपुर मंडल के पूर्णिया…
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nayesubah · 3 years ago
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सिंचाई विभाग के अधिकारी बन 60 फीट लंबे लोहे के पुल को चुरा ले गए चोर
सिंचाई विभाग के अधिकारी बन 60 फीट लंबे लोहे के पुल को चुरा ले गए चोर
Bihar: रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत चोरी का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया जहां चोरों ने करीब 60 फीट लंबे एक लोहे का पुल को ही चुरा लिया हालांकि जो पुल चोरी हुआ है वह काफी जर्जर हो चुका था इस कारण उसका उपयोग बंद कर दिया गया था। ns news जिस पुल की चोरी कर ली गई है उसका निर्माण नासरीगंज थाना क्षेत्र के अमियावर में आरा कैनाल नहर पर किया गया था लिहाजा वो सिंचाई विभाग के अधीन था…
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its-axplore · 4 years ago
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थाना क्षेत्र के जाफरपुर गांव स्थित मनुष्यमारा नदी के बांध के समीप शनिवार की रात अज्ञात अपराधियों ने एक युवक को पहले रॉड से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। फिर चाकू से उसका गला रेता और प्राइवेट पार्ट काटकर शरीर से अलग कर दिया।
जिससे युवक की मौत घटना स्थल पर ही हो गई। मृतक की पहचान जाफरपुर गांव निवासी मो. हासिम के 17 वर्षीय पुत्र मो. सुहैल के रूप में की गई है। घटना को लेकर ग्रामीणों में दशहत का माहौल कायम हो गया। रविवार की सुबह जानकारी मिलते ही घटना स्थल पर सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। सूचना मिलने पर थानाध्यक्ष राकेश कुमार दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। मामले की छानबीन शुरू की। पुलिस ने घटनास्थल से एक चाकू, घड़ी एवं लोहे का रॉड बरामद किया है।
पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के लिए शव उठाना चाहा लेकिन ग्रामीण खोजी कुत्ता बुलाने की जिद पर अड़ गए। चार घंटा के बाद ग्रामीणों के तेवर को देखते हुुए पुलिस ने खोजी कुत्ता बुलाया। खोजी कुत्ता शव को सूंघकर बांध होते हुए बसौल पुल पर आकर रूका। लेकिन, अपराधियों का कोई सुराग नहीं मिल सका। इसके बाद पुलिस शव को कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल में भेज दिया। यहां पोस्टमार्टम करने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया।
शाम 7 बजे से सुहैल था गायब, परिजनों ने की थी खोजबीन, अगले सुबह मिली लाश मृतक के परिजन मो. हैदर ने कहा कि सुहैल शनिवार की शाम 7 बजे तक घर में ही था। इसके बाद वह कहीं चला गया। परिजनों ने जब उसे खाना खाने के लिए बुलाया तो वह घर पर नहीं था। इसके बाद काफी देर तक उसकी खोजबीन करते रहे लेकिन, उसका कहीं कोई पता नहीं चल सका। रविवार की सुबह ग्रामीण बांध की ओर शौच करने के लिए गए थे। तभी बांध के नीचे उसका शव मिला।
जिस हथियार से घटना को अंजाम दिया वह घटनास्थल से हुआ बरामद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतक के शरीर पर कई जगहों पर बड़े-बड़े जख्म के निशान पाए गए है। अपराधियों ने युवक को रॉड से पीट-पीटकर बुरी तरह से जख्मी कर दिया। फिर उसका सर भी फोड़ दिया। इसके बाद उसका गला एवं प्राइवेट पार्ट काट कर हत्या कर दी। अपराधियों ने जिस हथियार से घटना को अंजाम दिया है। वह घटनास्थल पर छोड़कर फरार हो गया है।
घटना को लेकर आशंका के आधार पर चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इसमें सलमान, अयूब, आलम एवं वाजिद शामिल है। घटना के सहीं कारणों का पता नहीं चल सका है। फिलहाल पुलिस घटना के सभी बिन्दुओं पर जांच कर रही है। जल्द ही दोषी अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।-राकेश कुमार, थानाध्यक्ष
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बेलसंड मे शव को देखने के लिए उमड़ी भीड़ व घटनास्थल पर तैनात पुलिसकर्मी।
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