#लोगोअपमानजनक
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मिंत्रा से क्यों हुई इतनी बड़ी चूक -
मिंत्रा ने लोगो बदला ये खबर तेजी से फ़ैल रही है।लेकिन लोगो बदलने या रखने की बात नहीं है।बात एक सोच की या कहे तो एक नजरिये की है । अगर लोगो गलत था तो पहले क्यों था और नहीं गलत था फिर बदला क्यों गया ।पहले ही क्यों नहीं रिसर्च की गयी इन चीजों पर आज ही क्यों सोचा गया ।ये सवाल बहुत दिमाग में आते है ।ऐसा तो है नहीं की ये एक छोटी सी कंपनी है जिसमे बिना कोई रिसर्च किये या बिना कोई रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम काम करती है ।भारत में मशहूर कपडे की ब्रांड मिंत्रा ने लोगो में बदलाव किया है वो बहुत थोड़ा सा है लेकिन इसने एक बहस को जिन्दा कर दिया है ।इसमे आपके नज़र और दृष्टिकोण को विभेद किया है ।
नाज पटेल साइबर शिकायत-
मुंबई की एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने मिंत्रा के लोगों को आपत्तिजनक होने की शिकायत साइबर पुलिस में की थी ।महिला ने अपनी शिकायत में कहा की ये लोगो महिला के गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है ।और अपमान करने वाला है ।मुम्बइ की इस महिला का नाम नाज़ पटेल है वो अवेस्ता फाउंडेशन एनजीओ कार्यरत है ।उनहोने कहा की मिंत्रा को लोगो एक नग्न महिला जैसा प्रतीत होता है ।
अपनी शिकायत में नाज पटेल ने मिंत्रा से इस लोगों को तुरंत हटाने की मांग की साथ ह��,कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की भी मांग की है। नाज पटेल ने इस मामले को सोशल मीडिया और अन्य फोरम पर भी उठाया है। हालांकि पुलिस का समन मिलने के बाद कंपनी अपने लोगो में बदलाव करने को राजी हो गई है। कंपनी के नए लोगो की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर सामने आई हैं।
इस लोगो पर पुलिस की राय -
साइबर क्राइम की डिप्टी सुप्रिमेन्डेन्ट ऑफ़ पुलिस रश्मि ने इस मामले पर बोलते हुए कहा है की यह यह पाया गया है महिलाओं के लिए मिंत्रा का ये लोगो अपमानजनक है शिकायत के बाद हमने कंपनी को एक मेल भेजा था ।जिसके बाद उनके बड़े अधिकारी हमसे मिलने के लिए आये ।उन्होंने कहा की हम कंपनी का लोगो बदल देंगे ।इसके आलावा कंपनी अपने ऐप और अपने पैकेजिंग पर भी लोगो चेंज कर देगी ।
नज़र और नजरिया पर बहस का जन्म -
देखिये लोगो बदलने पर मेरी आपत्ति नहीं है ।मैं बस आपका ध्यान उस ओर ले जाना चाहता हूँ जहा हो सके आपकी नज़र न पहुंच सकी हो ।यहा मैंने नज़र और नजरिया की बात की है दृष्टि और दृष्टिकोण की बात की ।पहले तो कंपनी को पहले ही रिसर्च करना चाहिए था । भारत की इतनी मशहूर इ -कॉमर्स वेबसाइट के लोगो में इस तरह की गलती कही से बर्दाश करने लायक नहीं है ।लेकिन साथ ही साथ ये हमारे पर भी सवाल उठाती है की -'कही तो हम बुरा खोजने ही तो नहीं चले थे ''।कबीर दास का एक दोहा है जिसको ऐसे कहा गया -
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा ना कोय।।
आजकल का दौर सोशल मीडिया का दौर है ।भारत में तो कभी -कभी अपने बच्चे को भी दूध पिलाती स्त्री की छवि को भी नकरात्मक बना देते है और कहते है उसे जरा ढक के दूध पिलाया करो ।ऐसे बहुत उदाहरण है जो कभी -कभी आपके नज़र और नजरिया में फर्क पैदा करते है । स्त्री हो या पुरुष इस पृत्वी पर नग्न ही आया है और सच ये है की समाज ने ही उसे कपडे पहनाये है ।ये असामनता समाज दवरा ही उत्पन्य हुई है जैसे लिंगवाद।समाज ही तय करता है या कहे जो बनबनाया दृष्टिकोण है उसने ही बनाया की स्त्री को लज्जा रखनी चाहिए।लेकिन हमने देखा है और आगे भी देखेंगे कई ऐसी पुरानी परम्पराये समय के हिसाब से टूटती चली गयी या कहे की अप्रासंगिक होती गयी । क्युकी परिवर्तन ही समाज का नियम है ।ये बदलाव भी कुछ हद तक अच्छा है लेकिन यहाँ दृष्टिकोण की बात है और भी कई ऐसी बुराई है जहा पर लोगो की नज़र पहुचनी चाहिए ।कई बार हम अक्सर स्त्री सूचक शब्द प्रयोग करते है उसका भी विरोध होना चाहिए ।कभी -कभी तो वो एक म���िला ही कर रही होती है ।मेरा मानना है की बात सब पर होनी चाहिए ।जो फिल्मो में महिलाओं को केवल एक देह के रूप में प्रदर्शित करते है वहां भी ऐसा ही विरोध दर्ज करना चाहिए । मेरा काम आपको दिशा देना है | अगर आपको हमारे आर्टिकल पसंद आते है तो कृपया हमे अपना प्यार दे |
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मिंत्रा ने क्यों बदला अपना लोगो -
मिंत्रा से क्यों हुई इतनी बड़ी चूक -
मिंत्रा ने लोगो बदला ये खबर तेजी से फ़ैल रही है।लेकिन लोगो बदलने या रखने की बात नहीं है।बात एक सोच की या कहे तो एक नजरिये की है । अगर लोगो गलत था तो पहले क्यों था और नहीं गलत था फिर बदला क्यों गया ।पहले ही क्यों नहीं रिसर्च की गयी इन चीजों पर आज ही क्यों सोचा गया ।ये सवाल बहुत दिमाग में आते है ।ऐसा तो है नहीं की ये एक छोटी सी कंपनी है जिसमे बिना कोई रिसर्च किये या बिना कोई रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम काम करती है ।भारत में मशहूर कपडे की ब्रांड मिंत्रा ने लोगो में बदलाव किया है वो बहुत थोड़ा सा है लेकिन इसने एक बहस को जिन्दा कर दिया है ।इसमे आपके नज़र और दृष्टिकोण को विभेद किया है ।
नाज पटेल साइबर शिकायत-
मुंबई की एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने मिंत्रा के लोगों को आपत्तिजनक होने की शिकायत साइबर पुलिस में की थी ।महिला ने अपनी शिकायत में कहा की ये लोगो महिला के गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है ।और अपमान करने वाला है ।मुम्बइ की इस महिला का नाम नाज़ पटेल है वो अवेस्ता फाउंडेशन एनजीओ कार्यरत है ।उनहोने कहा की मिंत्रा को लोगो एक नग्न महिला जैसा प्रतीत होता है ।
अपनी शिकायत में नाज पटेल ने मिंत्रा से इस लोगों को तुरंत हटाने की मांग की साथ ही,कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की भी मांग की है। नाज पटेल ने इस मामले को सोशल मीडिया और अन्य फोरम पर भी उठाया है। हालांकि पुलिस का समन मिलने के बाद कंपनी अपने लोगो में बदलाव करने को राजी हो गई है। कंपनी के नए लोगो की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर सामने आई हैं।
इस लोगो पर पुलिस की राय -
साइबर क्राइम की डिप्टी सुप्रिमेन्डेन्ट ऑफ़ पुलिस रश्मि ने इस मामले पर बोलते हुए कहा है की यह यह पाया गया है महिलाओं के लिए मिंत्रा का ये लोगो अपमानजनक है शिकायत के बाद हमने कंपनी को एक मेल भेजा था ।जिसके बाद उनके बड़े अधिकारी हमसे मिलने के लिए आये ।उन्होंने कहा की हम कंपनी का लोगो बदल देंगे ।इसके आलावा कंपनी अपने ऐप और अपने पैकेजिंग पर भी लोगो चेंज कर देगी ।
नज़र और नजरिया पर बहस का जन्म -
देखिये लोगो बदलने पर मेरी आपत्ति नहीं है ।मैं बस आपका ध्यान उस ओर ले जाना चाहता हूँ जहा हो सके आपकी नज़र न पहुंच सकी हो ।यहा मैंने नज़र और नजरिया की बात की है दृष्टि और दृष्टिकोण की बात की ।पहले तो कंपनी को पहले ही रिसर्च करना चाहिए था । भारत की इतनी मशहूर इ -कॉमर्स वेबसाइट के लोगो में इस तरह की गलती कही से बर्दाश करने लायक नहीं है ।लेकिन साथ ही साथ ये हमारे पर भी सवाल उठाती है की -'कही तो हम बुरा खोजने ही तो नहीं चले थे ''।कबीर दास का एक दोहा है जिसको ऐसे कहा गया -
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा ना कोय।।
आजकल का दौर सोशल मीडिया का दौर है ।भारत में तो कभी -कभी अपने बच्चे को भी दूध पिलाती स्त्री की छवि को भी नकरात्मक बना देते है और कहते है उसे जरा ढक के दूध पिलाया करो ।ऐसे बहुत उदाहरण है जो कभी -कभी आपके नज़र और नजरिया में फर्क पैदा करते है । स्त्री हो या पुरुष इस पृत्वी पर नग्न ही आया है और सच ये है की समाज ने ही उसे कपडे पहनाये है ।ये असामनता समाज दवरा ही उत्पन्य हुई है जैसे लिंगवाद।समाज ही तय करता है या कहे जो बनबनाया दृष्टिकोण है उसने ही बनाया की स्त्री को लज्जा रखनी चाहिए।
लेकिन हमने देखा है और आगे भी देखेंगे कई ऐसी पुरानी परम्पराये समय के हिसाब से टूटती चली गयी या कहे की अप्रासंगिक होती गयी । क्युकी परिवर्तन ही समाज का नियम है ।ये बदलाव भी कुछ हद तक अच्छा है लेकिन यहाँ दृष्टिकोण की बात है और भी कई ऐसी बुराई है जहा पर लोगो की नज़र पहुचनी चाहिए ।कई बार हम अक्सर स्त्री सूचक शब्द प्रयोग करते है उसका भी विरोध होना चाहिए ।कभी -कभी तो वो एक महिला ही कर रही होती है ।मेरा मानना है की बात सब पर होनी चाहिए ।जो फिल्मो में महिलाओं को केवल एक देह के रूप में प्रदर्शित करते है वहां भी ऐसा ही विरोध दर्ज करना चाहिए । मेरा काम आपको दिशा देना है | अगर आपको हमारे आर्टिकल पसंद आते है तो कृपया हमे अपना प्यार दे |
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/3agw9O5
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