#लॉकडाउन रणनीति
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मां बीड़ी कारखाने में मजदूर, पापा थे कंडक्टर, बेटी का हौसला तो देखिए... क्रैक कर दिखाया UPSC
नई दिल्ली: एक बहुत पुरानी कहावत है, जहां चाह...वहां राह। मतलब, अगर आपने कुछ करने का ठान लिया, तो फिर मंजिल तक पहुंचने का रास्ता खुद-ब-खुद बन जाता है। और, तमिलनाडु के तेनकासी जिले की रहने वालीं एस इनबा ने इस कहावत को पूरी तरह से सही साबित कर दिखाया है। इनबा के पिता श्रीनिवासन राज्य परिवहन निगम में कंडक्टर के पद से रिटायर हैं। मां एस स्टेला बीड़ी बनाने के एक कारखाने में काम करती हैं। वक्त बचता है, तो कुछ और पैसे कमाने के लिए पास की दुकान पर फूल माला बनाने चली जाती हैं। इनबा ने जब यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर जॉइन किया, तो कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लग गया। ऐसी कई मुश्किलों के बावजूद इनबा ने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक की है।इनबा को यूपीएससी में 851वीं रैंक मिली है। हालांकि, इस रैंक तक पहुंचने से पहले इनबा के सामने चुनौतियों का एक बड़ा पहाड़ खड़ा था। आर्थिक समस्याएं थी, लॉकडाउन था और ऐसी ही कई अन्य परेशानियां थीं। लेकिन, इन सबके ऊपर इनबा का हौसला भारी पड़ा। करीब ढाई साल तक उन्होंने अपने जिले की सरकारी लाइब्रेरी को ही अपना घर बना लिया। वो 12-12 घंटे तक मेहनत करती थीं। विपरीत हालातों पर जीत हासिल करने के जज्बे और उनकी लगन ने उन्हें आज पूरे देश के लिए एक मिसाल बना दिया है। वासुदेवनल्लूर के नादर कम्युनिटी हायर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने अंग्रेजी मीडियम में 10वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 12वीं के लिए उन्होंने तेनकासी जिले के ही एमकेवीके मैट्रिकुलेशन स्कूल में एडमि��न लिया। 2020 में इनबा ने कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली। अब वो वक्त आ चुका था, जब इनबा को अपने करियर का फैसला लेना था। उन्होंने तय किया कि वो यूपीएससी परीक्षा पास कर सिविल सर्विस में जाएंगी। इनबा ने सिविल सर्विस की कोचिंग के लिए चेन्नई में शंकर आईएएस अकादमी में एडमिशन ले लिया। लॉकडाउन की वजह से छोड़नी पड़ी कोचिंग परिवार की आर्थिक समस्याओं के बावजूद यहां तक पहुंची इनबा के सामने मुश्किलों का असली दौर अब शुरू हुआ। जैसे ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया, देश में कोरोना वायरस की वजह से ल़ॉकडाउन लग गया। उन्हें कोचिंग सेंटर छोड़ना पड़ा। अब इनबा ऑनलाइन कोचिंग लेने के लिए मजबूर थी। समस्या ये थी कि उनके घर पर इंटरनेट की सुविधा नहीं थी। ऐसे में शेंगोट्टई इलाके की सरकारी लाइब्रेरी उनके काम आई। इनबा ने अगले ढाई साल तक इस लाइब्रेरी को ही अपना दूसरा घर बना लिया। वो सुबह 8 बजे ही लाइब्रेरी आ जातीं और रात को 8 बजे इसके बंद होने पर ही घर जातीं। दो बार प्री परीक्षा में हुईं फेल लाइब्रेरी में इनबा को अखबारों, किताबों के साथ-साथ फ्री वाईफाई की भी सुविधा मिली। अब उनके लिए ऑनलाइन कोचिंग हासिल करने में कोई मुश्किल नहीं थी। इसके बाद अब वो दिन आया जब इनबा यूपीएससी की परीक्षा में बैठी। हालांकि, उन्हें पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। इसके बाद दिसंबर 2022 में एक प्रवेश परीक्षा पास करके उन्होंने चेन्नई के एक निःशुल्क सरकारी कोचिंग संस्थान 'अखिल भारतीय सिविल सेवा संस्थान' में एडमिशन ले लिया। इस बीच आया और दूसरी बार भी उन्हें असफलता हाथ लगी। और आखिरकार इनबा ने हासिल की कामयाबी दो-दो असफलताओं से जूझने के बावजूद इनबा ने हिम्मत नहीं हारी। वो फिर से यूपीएससी की परीक्षा में बैठीं और इस बार उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इनबा ने पूरी रणनीति के साथ इंटरव्यू की तैयारी की और जब 16 अप्रैल 2024 को यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ तो इनबा का नाम मेरिट लिस्ट में था। उन्हें 851वीं रैंक मिलीं। इनबा बताती हैं कि उनकी प्रेरणा कोई और नहीं, बल्कि उनकी मां हैं, जिन्होंने हर मुश्किल के बावजूद इनबा की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ने दिया। वहीं, इनबा की कामयाबी पर उनकी मां भी बेहद खुश हैं और हर किसी से अपनी बेटी के संघर्ष की कहानी बता रही हैं। http://dlvr.it/T6Hx5z
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क्या है कोरोना से निपटने का पंजाब मॉडल, जिसकी तारीफ मोदी ने भी की
क्या है कोरोना से निपटने का पंजाब मॉडल, जिसकी तारीफ मोदी ने भी की
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प्रधानमंत्री Narendra Modi ने सभी राज्यों से कहा कि Corona Virus संक्रमण के खिलाफ पंजाब जिस तरह से लड़ रहा है, वह मॉडल सबको अपनाना चाहिए. मंगलवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये हुई बैठक में पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने Covid-19 के खिलाफ राज्य की कोशिशों और तैयारियों के बारे में बताया था.
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#Corona virus updates#covid 19 punjab model#covid 19 updates#Lockdown strategy#Lockdown Updates#कोरोना वायरस अपडेट#कोविड 19 पंजाब मॉडल#कोविड-19 अपडेट#लॉकडाउन अपडेट#लॉकडाउन रणनीति
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राहुल गांधी का थ्रोबैक इंस्टाग्राम पोस्ट सेंट्रे की कोविद रणनीति पर
राहुल गांधी का थ्रोबैक इंस्टाग्राम पोस्ट सेंट्रे की कोविद रणनीति पर
राहुल गांधी ने COVID-19 से निपटने की अपनी रणनीति को लेकर केंद्र पर हमला किया। (फाइल) नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने COVID-19 महामारी से निपटने के लिए अपनी रणनीति को लेकर केंद्र की आलोचना की, जिसकी घातक दूसरी लहर देश में फैल रही है। श्री गांधी ने देश में कोविद की वर्तमान स्थिति पर एक रिपोर्ट के साथ एक साल पुराने वीडियो से एक स्निपेट साझा करते हुए, उन्होंने सुझाव दिया कि वायरस…
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चुनावी राजनीति : जब प्रतिद्वंदी को आपकी मजबूरियों और सीमाओं का भान हो –
मोदी -02 का एक वर्ष मई महीने में पूरा हो चूका है | पिछले एक वर्ष का कार्यकाल मोदी सरकार के अपने कोर एजेंडे( धारा-३७० ,मंदिर निर्माण , समान नागरिक सहिंता ) के दो -तिहाई हिस्से को पूरा करने का वर्ष रहा है | धारा 370 और 35A को सरकार ने समाप्त कर दिया और मंदिर निर्माण का रास्ता माननीय उच्चतम न्यायालय ने साफ़ कर दिया |हाल -फ़िलहाल CAA भी चुनौती विहीन दिख रहा है| दिल्ली का ‘ यासीन बाग ‘ हो या प्रयागराज का ‘मंसूर पार्क’ दोनों स्थानों से ‘कोरोना ‘ के चलते आंदोलनकारी हटाए जा चुके है | दिल्ली में तो दिल्ली दंगों और CAA के विरुद्ध प्रदर्शनो के बीच के सम्बन्ध को दिल्ली -पुलिस खंगालने का दावा कर रही है |कुछ एक विपक्षी दलों को छोरकर कोई दल खुलकर CAA के विरोध में अब नहीं आ पा रहा है |
कोविड-19 के मामले में भी जब संक्रमितों की संख्या सैकड़ों में भी नहीं थी तो नोटबंदी की तर्ज़ पर मोदी सरकार एक दिन के नोटिस पर पूर्ण लॉकडाउन करती है | जब संक्रमितों लाखो में पहुंचते है तो अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर देती है | ‘ इक्कीस दिन ‘ कोरोना मुक्ति के लिए मांगने वाली मोदी जी तीन माह पहले ही ले चुके है |…………और लगता है कोविड-19 के साथ जदोजहद अभी और लम्बी चलेगी | चीन के साथ विवाद के सवाल पर अगर ‘ मोदी सरकार ‘ के तर्क को माना भी जाये , की चीन ने धोखा दिया , तो भी मोदी सरकार इस आरोप से बरी नहीं हो जाती की शी जिनपिन के इरादों को समझने में मोदी जी चूक गये| रही बात श्रमिकों , किसानो, छोटे व्यपारियों . कामकाजी लोगों , छात्रों -नवजवानो की तो इस कोरोना काल में इनकी स्थिति के बारे में कहना ही क्या ? इन सब के बावजूद मोदी सरकार अभी भी सशक्त और आशक्त लग रही है |सामाजिक -राजनैतिक वैज्ञानिक क्या इसी वजह से मोदी उभार को ‘ मोदी परिघटना ‘ कहते है | मोदी के चुनावी प्रतिद्वंदी चुनावी क्षेत्र में भी और राजनैतिक बहसों में भी ‘ मोदी ‘ के सामने पस्त दीखते है | चुनावी राजनीती में कई बार ऐसा दीखता है की विपक्षी भले ही चुनाव हार रहे हो किन्तु नैतिक व् वैचारिक स्तर पर सत्ताधारी दल से बीस पड़ते है |किन्तु यहाँ तो स्थिति दूसरी ही दिख रही है |नैतिक और वैचारिक स्तर पर भी विपक्ष के पास लगता है जनता को कुछ देने के लिए बचा ही नहीं है | उदाहरण के लिए मुख्या विपक्षी दल कांग्रेस को ले तो ‘पार्टी ‘ ऐसा लगता है मानो ‘ नेहरू परिवार ‘ की निजी सम्पत्ति हो गयी है | इस बाध्यता को मोदी -शाह की भाजपा खूब अच्छे से समझती है | गाँधी परिवार की रणनीति चार स्तरों पर कार्य करती रही है |
1 – सारा श्रेय आजादी के बाद से गाँधी परिवार को देना यहाँ तक की कांग्रेस के दूसरे प्रधानमंत्रियों – नरसिम्हाराव और मनमोहन सिंह को भी हाशिये पर रखना | 2 – भ्रष्टाचार , भाई -भतीजावाद , बाबरी विध्वंश ये सबकुछ दुसरो ( मनमोहन सिंह ) पर मढ़ने देना और श्रेय ( मनरेगा ) स्वम ( सोनिया गाँधी ) लेते रहना | 3 – पार्टी में राहुल -प्रियंका के वर्चस्व को बनाये रखने के लिए नयी पीढ़ी भले ही वंशवाद आधारित हो , ( सचिन पायलेट , सिंधिया आगे बढ़ने से रोकना | 4 – भ्रष्टाचार , वंशवाद , अवसरवादी साम्प्रदायिक प्रयोग के आरोपों से घिर जाने पर कांग्रेस के बहाने गाँधी परिवार को भारत के विचार ( आईडिया ऑफ़ इंडिया ) और धर्मनिरपेक्षतावाद का एक मात्र रक्षक घोषित करने का प्रयास करना | मोदी -शाह की भाजपा गाँधी परिवार की इस स्थिति को बखूबी समझती है और समझते -भुझते इसका दोहन भी जम के कर रही है | गाँधी -पटेल -बोस -आंबेडकर को छोड़कर ‘ नेहरू ‘ को टारगेट करना हो या फिर राजीव गाँधी को कटघरे में खड़ा करना हो |राहुल गाँधी को ‘युवराज ‘ कह के सम्बोधन भी इसी रणनीति का हिस्सा है इस मामले में दिलचस्प ये है की भाजपा इंदिरा गाँधी को कुछ ज्यादा नहीं कहती क्यों की कुछ मामलो में इंदिरा गाँधी उनकी राजनीती के लिए अनुकूल लगती है |बा��ग्लादेश की लड़ाई उनमे से एक है |
सोनिया गाँधी का प्रतक्ष्य राजनीती में पर्दापर्ण , गुजरात दंगों , सप्रंग का गठन ये सब लगभग एक कालखंड की घटनाये है | देश के पैमाने पर मुस्लिम वोटो का ध्रवीकरण कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए ताकि दूसरी सेक्युलर क्षेत्रीय पार्टिया में मुसलमान वोट न छिटक जाये , कांग्रेस ने गुजरात दंगों और मोदी -भय को लगातार जीवित रखा |स्वयंसेवी सस्थाओं (NGO ) तरह -२ के प्रकाशनो , मीडिया संस्थानों वैगरह का प्रयोग करके ‘मोदी ‘ को देश के घर -घर में चर्चा का विषय बना डाला | सोनिया गाँधी ने तो मोदी को इतना महत्व दिया की हर बार (२००७, २०१२ ) का गुजरात चुनाव मोदी vs सोनिया ही हो गया | जिसमे हर बार सोनिया गाँधी ही मात खाई और मोदी ने भी इन चुनावो को राष्ट्रीय स्तर के चुनाव ( २०१४) के पहले के क्वार्टर फाइनल और सेमी फाइनल की तरह खूब भुनाया |
अन्ना -आंदोलन , भ्रष्टाचार , भाई -भतिजावाद अराजकता वैगरह के आरोपों से घिरे गाँधी परिवार और कांग्रेस ने फिर से फासिस्ट मोदी , फासीवाद , संघ परिवार वैगरह का रण अलापना खुद से , और अपनी समर्थक संस्थाओं के माध्यम से शुरू कर के मोदी को केंद्र में ला खड़ा किया | भारतीय पूंजीपतियों को ये लग ही रहा था की मोदी जैसा व्यक्ति उनके लिए फिलवक्त गाँधी परिवार से बेहतर साबित होगा बाकि तो सब जानते है | एक दौर था जब आरएसएस , मोदी , आडवाणी वैगरह का भय कांग्रेस और दूसरी क्षेत्रीय दलों के सत्ता में बने रहने की पूर्व शर्त थी , लेकिन अब पैराडाइम ऐसा बदला , की मोदी -शाह के सत्ता में बने रहने के लिए -” गाँधी परिवार “और बाकी वंशवादी दलों का इसी रूप में अस्तित्व में रहना -पूर्व शर्त की तरह हैं|फिर तेजस्वी -अखिलेश -मायावती -राहुल गाँधी जैसे प्रतिद्वंदी मोदी -शाह -आदित्यनाथ आखिर क्यों नहीं चाहेंगे ?
पूरा जानने के लिए -https://bit.ly/3iEG83c
#अनलॉक#कांग्रेस#कोरोना मुक्ति#कोविड-19#गाँधी परिवार#चुनावी राजनीति#नेहरू परिवार#नैतिक और वैचारिक स्तर#प्रधानमंत्रियों#बाबरी विध्वंश#भाई -भतीजावाद#भाजपा#भ्रष्टाचार#मोदी सरकार#युवराज#वंशवाद#विपक्ष#संक्रमितों#सामाजिक#सामाजिक -राजनैतिक#वैज्ञानिक
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डिजिटल हो ना : भारतीय रिटेल बाजार के लिए एकमात्र विकल्प
एक लंबे समय के लिए, रोलेक्स से रोल्स रॉयस और लुइस वुइटन से लेम्बोर्गिनी तक के लक्जरी ब्रांड 'इंटरनेट ' से दुरी बनाये रखे है। पर अब यह क्षेत्र डिजिटलीकरण को गले लगाने वाला अंतिम क्षेत्र है। लेकिन, कोविद -19 के प्रकोप के साथ, इस उद्योग के नियम निश्चित रूप से बदलने के लिए बाध्य हैं।
कोविद -19 वैश्विक स्तर पर लक्जरी बिक्री के लिए एक गंभीर झटका है और भारत इसके लिए कोई अपवाद नहीं है। लक्जरी बाजार, हालांकि भारत में तेजी से बढ़ रहा है, पर अभी भी एक बहुत ही नवजात अवस्था में है। और इस प्रकार, इस महामारी जैसी अप्रत्याक्षित घटनाएं लक्जरी ब्रांडों को सभी मोर्चों में कदम उठाते हुए उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर कर रही है। एक ऐसा कदम जिसे ब्रांड ने पिछले कुछ वर्षों में अप��क्षाकृत नजरअंदाज किया है, वह है ऑनलाइन रिटेल।
हम सभी जानते हैं कि डिजिटल क्षेत्र में ऑफ़लाइन खरीदारी अनुभव को दोहराने के लिए लक्जरी सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में से एक है। लक्जरी ब्रांडों के लिए अद्वितीय, जादुई और अद्वितीय खरीदारी का अनुभव ऑनलाइन बनाने का कार��य एक लंबा, चुनौतीपूर्ण मार्ग है। भारत में लक्जरी ब्रांडों को इन परेशान समयों के दौरान दुरी बनायें रहने के लिए नेविगेट करना होगा।
हमने इस घटना को हाल ही में चीन में देखा है जहां हेमीज़ ने अपने प्रमुख स्टोर पोस्ट कोविद -19 लॉकडाउन को फिर से खोलने के दौरान $ 2.7 मिलियन की रिकॉर्ड एक दिन की बिक्री हासिल की।
तो, क्या यह घटना भारत में भी हो सकती है-बिल्कुल हां! इस होड़ को चलाने वाले लक्ज़री दुकानदारों की संख्या सीमित हो सकती है, लेकिन जो खरीदेंगे वे संभवतः ओवरस्पीड करेंगे क्योंकि उन्हें इतने हफ्तों के बाद पहली बार फुर्सत मिलेगी। इसके अलावा, सहस्राब्दी की आबादी भौतिक दुकानों पर जाने के बजाय डिजिटल खरीदारी करने के लिए अधिक इच्छुक होगी। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर वायरस आने का भय के कारक लक्जरी खरीदारों को पहले से कहीं अधिक ऑनलाइन लक्जरी खरीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर करेगा।
हालाँकि, आसानी से कहा जाता है, भारत में रिटेल ब्रांडों के लिए डिजिटल की दिशा में रणनीतिक सोच और सामरिक योजनाओं की बहुत आवश्यकता है। ऑफ़लाइन स्टोर्स में अद्वितीय, वैयक्तिकृत लक्ज़री खरीदने के अनुभव की प्रतिकृति बनाने के कार्य को विश्व स्तरीय डिजिटल तकनीकों में निवेश की आवश्यकता होगी। उपभोक्ताओं को लाड़ प्यार और अच्छी तरह से उनके खरीदी अनुभव के लिए मानवतावादी तत्व को डिजिटल उपकरणों के साथ चतुराई से जोड़ा जाना चाहिए।
हाल के शोध के अनुसार, 30% वैश्विक औसत की तुलना में 57% भारतीय उपभोक्ता सोशल मीडिया के माध्यम से खरीदारी करते हैं। इसलिए, रिटेल ब्रांडों को सोशल मीडिया का उपयोग अपने सर्वोत्तम उपयोग के लिए करना चाहिए और अपनी डिजिटल रणनीतियों में सामाजिक वाणिज्य को एकीकृत करने के लिए सभी रणनीति को तयार करना चाहिए।
ब्रांडों को भी बहुत ही चयनात्मक होने और डिजिटल संचार, ऑनलाइन जनसंपर्क और संबद्ध सामग्री रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी। आज, उपभोक्ता निरंतरता मितव्ययी जीवन शैली पर ध्यान केंद्रित करते हैं और विवेकाधीन व्यय से बचते हैं। इसलिए, कंपनियों को स्पष्ट रूप से अपने ब्रांडों में स्थिरता तत्व और लक्जरी खरीदारों के लिए पीढ़ियों पर दीर्घकालिक मूल्य प्रस्ताव के प्रति अपनी प्रति��द्धता देने की आवश्यकता है।
हाल ही में McKinsey रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल आधार है। वर्तमान में लगभग 600 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता है, और यह 2023 तक 800 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने का अनुमान है। इंटरनेट के लोकतंत्रीकरण के साथ, ब्रांड चेतना बढ़ रही है और नए युग के उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ानी है। भारतीय रिटेल ब्रांड को डिजिटल मार्ग में लेने का समय आ गया है। डिजिटल आगे का रास्ता है, लेकिन डिजिटलीकरण चुनौतियों वाला रास्ता है, फिर भी इस चुनौतीपूर्ण मार्ग को नेविगेट करने के लिए सही कदम उठाएं।
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चीन कोविड ने दुनिया की सबसे बड़ी iPhone फैक्ट्री में उत्पादन बाधित किया
चीन कोविड ने दुनिया की सबसे बड़ी iPhone फैक्ट्री में उत्पादन बाधित किया
द्वारा एएफपी चीन में लाखों लोग बुधवार को कड़े कोविड प्रतिबंधों के अधीन थे क्योंकि देश भर में छिटपुट प्रकोप ने दुनिया के सबसे बड़े iPhone कारखाने में व्यापार बंद और व्यवधान को प्रेरित किया। चीन आखिरी बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसे शून्य-कोविड रणनीति के लिए वेल्डेड किया गया है, जो संक्रमण को न्यूनतम रखने के लिए स्नैप लॉकडाउन, बड़े पैमाने पर परीक्षण और लंबी संगरोध के साथ बनी हुई है। लेकिन तेजी से फैलने…
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With Millions Still Under Lockdown, China Adds More Curbs Across Cities
With Millions Still Under Lockdown, China Adds More Curbs Across Cities
देश के पूर्व से पश्चिम तक कई सीओवीआईडी -हिट चीनी शहरों ने गुरुवार को अपनी आबादी पर नए प्रतिबंध और तालाबंदी लागू कर दी, ताकि भड़क उठे जो फिर से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बाधित करने की धमकी दे रहे हैं। कुछ दिनों के लिए लोगों की अनावश्यक आवाजाही को कम करना – एक नरम प्रकार का लॉकडाउन – जैसे ही दर्जनों नए मामले सामने आते हैं, चीन की “गतिशील COVID-शून्य” रणनीति का एक प्रमुख अभ्यास है। इसका ���द्देश्य…
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उत्तराखंड में अमेरिकी सैनिक देख चीन के सीने में उठी जलन, भारत ने भी दो टूक सुना दिया
नई दिल्ली : अमेरिका के साथ उत्तराखंड में चल रहे संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास पर चीन की आपत्ति को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। उसने दो टूक कहा है कि हमारे सैन्य अभ्यास को लेकर किसी भी तीसरे पक्ष को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। भारत ने पलटवार करते हुए कहा कि चीन को पहले खुद आईने में झांकना चाहिए कि उसने पूर्वी लद्दाख में अतिक्रमण करके किस तरह समझौतों पर उल्लंघन किया है। 'दाल भात में मूसल चंद' बनने की कोशिश कर रहे चीन ने भारत-अमेरिका युद्धाभ्यास पर यह कहते हुए आपत्ति की है कि यह सीमा पर शांति के लिए हुए द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। बीजिंग लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के नजदीक हो रहे युद्धाभ्यास को भारत-चीन मामलों में अमेरिका की दखल के रूप में देख रहा है। 'पूर्वी लद्दाख में चीन ने खुद 1993 और 96 के समझौते का उल्लंघन किया' चीन की आपत्ति से जुड़े सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने किसी तीसरे देश को इसका 'वीटो' नहीं दिया है कि किसके साथ सैन्य अभ्यास करें, किसके साथ नहीं। उन्होंने कहा कि युद्धाभ्यास का द्विपक्षीय संब��धों से कुछ लेना-देना ही नहीं है। बागची ने आगे कहा, 'लेकिन चूंकि ये चीनी पक्ष की तरफ से उठाया गया है तो मैं जोर देकर कहता हूं कि चीनी पक्ष को आत्ममंथन की जरूरत है और उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए कि उन्होंने खुद 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन किया है।' बागची ने कहा कि भारत जिसके साथ चाहे सैन्य अभ्यास करे, किसी तीसरे देश को उसने ऐसे मुद्दों पर कोई 'वीटो' नहीं दिया है। LAC के नजदीक भारत-चीन संयुक्त अभ्यास से चिढ़ा है चीन इससे पहले चीन ने भारत के साथ ये मुद्दा उठाया था कि एलएसी के पास अमेरिका के साथ उसका सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में दिल्ली और बीजिंग के बीच हुए समझौते की भावनाओं के खिलाफ है। इससे द्विपक्षीय विश्वास पैदा करने में मदद नहीं मिलेगी। दरअसल, 1993 का समझौता एलएसी पर शांति बरकरार रखने के लिए हैं। वहीं 1996 का समझौता 'भारत-चीन सीमा इलाके' पर दोनों पक्षों की तरफ से विश्वास बढ़ाने वाले कदमों से जुड़ा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची से जब चीन में सख्त कोरोना लॉकडाउन के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ कहने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह किसी भी देश की कोरोना से निपटने की रणनीति पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही दुनिया कोरोना के कहर से बाहर आएगी। http://dlvr.it/SdjdN2
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China exports rebound in May as virus controls ease - Times of India
China exports rebound in May as virus controls ease – Times of India
बीजिंग: चीन के निर्यात ने मई में जोरदार वापसी की, डेटा गुरुवार को दिखाया गया, कारखानों को फिर से शुरू करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं के रूप में शंघाई धीरे-धीरे एक भीषण से उभरा कोविड लॉकडाउन। मार्च के अंत में आर्थिक केंद्र में तालाबंदी शुरू हो गई और इसके 25 मिलियन निवासियों में से अधिकांश लगभग दो महीने तक अपने घरों में कैद रहे क्योंकि चीन अपनी शून्य-कोविड रणनीति पर कायम है। कई शहरों में सख्त आवाजाही…
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तीन दिन के लॉकडाउन के बाद भी चीन के संघाई शहर ले हालत नहीं सुधर रहें...
तीन दिन के लॉकडाउन के बाद भी चीन के संघाई शहर ले हालत नहीं सुधर रहें…
चीन कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। चीन के शंघाई शहर में लाखों लोग लॉकडाउन में हैं और स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग भूख से तड़प रहे हैं। कोरोना को कंट्रोल करने के लिए चीन जीरो कोविड रणनीति पर काम कर रहा है, जो कि सफल होती नहीं दिख रही है। शंघाई शहर में लॉकडाउन के तीन दिन बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। लॉकडाउन की वजह से स्थिति ऐसी हो गई है कि लोगों को…
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शंघाई कोविड -19 लॉकडाउन निवासियों को भोजन, दवाओं के लिए बेताब छोड़ देता है | विश्व समाचार
शंघाई कोविड -19 लॉकडाउन निवासियों को भोजन, दवाओं के लिए बेताब छोड़ देता है | विश्व समाचार
चीन कोविड -19 में अपनी सबसे बड़ी वृद्धि का मुकाबला कर रहा है महामारी की शुरुआत के बाद से, लाखों लोग लॉकडाउन में हैं और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली दबाव महसूस कर रही है। शून्य-कोविड रणनीति से चिपके हुए अंतिम देशों में से एक, चीन का लक्ष्य सख्त लॉकडाउन के साथ हर संक्रमण पर मुहर लगाना और सभी मामलों को सुरक्षित सुविधाओं तक भेजना है। शंघाई में, जैसा कि शहर सख्त तालाबंदी के अपने तीसरे दिन में प्रवेश करता…
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चीन में चौथी लहर के डर, लॉकडाउन और बड़े पैमाने पर कोविड -19 परीक्षण के बीच, भारत के लिए चिंताजनक संकेत? | भारत समाचार
चीन में चौथी लहर के डर, लॉकडाउन और बड़े पैमाने पर कोविड -19 परीक्षण के बीच, भारत के लिए चिंताजनक संकेत? | भारत समाचार
बीजिंग: चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई में नए सिरे से तालाबंदी करने और अपनी सख्त कोविड -19 रणनीति के हिस्से के रूप में बड़े पैमाने पर परीक्षण शुरू करने के फैसले ने देश में कोरोना वायरस की संभावित चौथी लहर की तीव्र अटकलों के बीच आने वाले दिनों में खतरनाक संकेत दिए हैं। स्थानीय सरकार ने कहा कि शंघाई के पुडोंग वित्तीय जिले और आसपास के क्षेत्रों को सोमवार से शुक्रवार तक बंद कर दिया जाएगा क्योंकि शहर भर…
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हांगकांग: कोविड -19: हांगकांग के कोविड उपायों पर वायरस का उछाल शुरू हो गया है
हांगकांग: कोविड -19: हांगकांग के कोविड उपायों पर वायरस का उछाल शुरू हो गया है
हॉगकॉग: हॉगकॉगके नेता ने मंगलवार को कहा कि कोरोनोवायरस के मामलों में वृद्धि शहर के आपातकालीन संसाधनों पर भारी पड़ रही है, लेकिन लगाए गए सख्त उपायों का बचाव किया। मुख्य कार्यकारी कैरी लामो ने कहा कि चीनी केंद्र सरकार शहर को मदद दे रही है, जो एक नाममात्र स्वायत्त एन्क्लेव है। अपनी अलग-अलग सफलता के बावजूद, हांगकांग चीन की शून्य-सहनशीलता की रणनीति के साथ अटका हुआ है, जिसके लिए लॉकडाउन, संगरोध और बड़े…
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चीन ने कोविड फ्लेयर-अप के बाद लॉकडाउन में लाखों और ऑर्डर दिए
चीन ने कोविड फ्लेयर-अप के बाद लॉकडाउन में लाखों और ऑर्डर दिए
चीन ने कड़े सीमा प्रतिबंधों की “शून्य-कोविड” रणनीति का पालन किया है। (फाइल) बीजिंग: चीन ने मंगलवार को सैकड़ों हजारों लोगों को लॉकडाउन के तहत रखा और एक बिगड़ते कोरोनोवायरस प्रकोप पर मुहर लगाने की कोशिश की, क्योंकि कई अमेरिकी राज्यों और यूरोप में संक्रमण नई ऊंचाई पर पहुंच गया। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई देशों ने आर्थिक रूप से दंडात्मक प्रतिबंधों और वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के बीच…
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केरल में कोरोना को लेकर दिख रही लापरवाही, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताई सख्त लॉकडाउन की जरूरत
केरल में कोरोना को लेकर दिख रही लापरवाही, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताई सख्त लॉकडाउन की जरूरत
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले दिनोंदिन घट-बढ़ रहे हैं. इस बीच विशेषज्ञ तीसरी लहर की भी चेतावनी दे चुके हैं. वहीं इस समय केरल देश में कोरोना संक्रमण को लेकर चिंता बढ़ा रहा है. केरल में रोजाना बड़ी संख्या में नए मामले आ रहे हैं. इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बिगड़ते हालात पर काबू पाने के लिए केरल में रणनीति के तहत लाकडाउन की जरूरत है. (more…)
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