#ललिता माता चालीसा
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brijkerasiya · 3 months ago
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ललिता चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Lalita Chalisa with Hindi Meaning)
श्री ललिता चालीसा विडियो श्री ललिता चालीसा (Lalitha Chalisa) ॥ चौपाई ॥ जयति जयति जय ललिते माता, तब गुण महिमा है विख्याता। तू सुन्दरि, त्रिपुरेश्वरी देवी, सुर नर मुनि तेरे पद सेवी। तू कल्याणी कष्ट निवारिणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी। मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी। आदि शक्ति श्री विद्या रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा। हृदय निवासिनी भक्त तारिणी, नाना कष्ट विपति दल…
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blogalien · 3 years ago
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ललिता माता चालीसा : जयति जयति जय जय ललिते माता
ललिता माता चालीसा : जयति जयति जय जय ललिते माता
श्री  ललिता माता चालीसा हिंदी मे��  Lalita Mata Chalisa in Hindi   ललिता माता चालीसा पाठ करने से जीवन में  सुख- समृद्धि वैभव में वृद्धि होती है। ललिता माता की कृपा से विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती हैं ! रीद्धि-सिद्धि, बल-बुद्धि, धन-दोलत और भक्त सारी तकलीफों से दूर हो जाता हो जाता हैं ! इसलिए माता की आराधना अवश्य करनी चाहिए !   -: अन्य चालीसा संग्रह :-  अन्नपूर्णा चालीसा  माँ बगलामुखी चालीसा श्री…
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sabkuchgyan · 3 years ago
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कल सुबह से 10 दिन तक राशि के अनुसार करें माता रानी की पूजा, सारे बिगड़े काम हो जायेंगे पुरे
कल सुबह से 10 दिन तक राशि के अनुसार करें माता रानी की पूजा, सारे बिगड़े काम हो जायेंगे पुरे #astrology
मेष राशि इस राशि के लोगों को स्कंद माता की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। स्कंदमाता करुणामय हैं जिनके पास उत्साह का भाव है। वृषभ राशि वृषभ राशि के लोग महागौरी रूप की पूजा करके विशेष फल प्राप्त करते हैं। ललिता सहस्र नाम का पाठ करें। अविवाहित लड़कियों को पूजा करने से सबसे अच्छा वर मिलता है। मिथुन राशि इस राशि के लोगों को देवी यंत्रों को स्थापित करके…
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gyanjyotish · 4 years ago
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किन राशियों के लिए ख़ास होगी ये नवरात्री और क्यों?
नवरात्रि का हर दिन माँ दुर्गा को समर्पित है, नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा माँ के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है, एवं kundali matching का अच्छा योग होता है आदि शक्ति की आराधना का पर्व एक वर्ष में चार बार आता है। धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार, चैत्र नवरात्र भगवती दुर्गाजी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम और माँ दुर्गा का जन्म हुआ था।
नवरात्रि में राशि पर प्रभाव :
पंडित राजीव शास्त्री जी के अनुसार kundli making के लिए हर भक्त सभी देवियों की पूजा अर्चना करता है, जिससे उसे देवी माँ की कृपा भी प्राप्त होती है। पर क्या आप जानते हैं कि देवी माँ की पूजा की स्थिति भी आपकी राशि को काफी प्रभावित करती है। जैसे हर कुंडली में एक खास राशि और उसका स्वामी होता है, ऐसे ही हर राशि की एक खास या यूं कहें मुख्य देवी होती हैं। जिनकी पूजा हमें सर्वाधिक फल प्रदान करती है।
चैत्र नवरात्रि में इन 3 राशियों की किस्मत का तारा चमकेगा और उनके लिए हर तरह से लाभ के योग बनेंगे-
· मकर राशि
चैत्र नवरात्रि आपके लिए अनुकूल अवधि होगी| आपको पदोन्नति मिलने की संभावना है| एक उच्च संभावना है कि आपकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा |
· कुंभ राशि
kundli matching in hindi अनुसार आपके सीनियर्स आपके काम से प्रभावित होंगे| आने वाले दिनों में आप पर देवी दुर्गा की कृपा होगी| आपकी कुछ संपत्ति में निवेश करने की संभावना बन रही है और ये आपके लिए भविष्य में अच्छे परिणाम लाएगा|
· मीन राशि
चैत्र नवरात्रि आपके लिए एक अद्भुत अवधि होगी. आपको एक बहुत जरूरी ब्रेक मिलेगा| आप अपने दोस्तों के साथ कुछ आकर्षक स्थान की यात्रा कर सकते हैं| जिनकी पूजा हमें सर्वाधिक फल प्रदान करती है।
नवरात्रि के राशि अनुसार उपाय :
ज्योतिष आचार्य राजीव शास्त्री जी अनुसार यदि नवरात्रि में राशि अनुसार विशेष उपाय किए जाएं तो माता की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। इनमें से एक है अपनी मुख्य देवी की पूजा। जानकारों के अनुसार हर राशि की एक मुख्य देवी होती हैं, जिनकी पूजा करने से इस राशि के जातक को जल्दी और खास लाभ मिलते हैं|
मेष- इस राशि के लोगों के लिए मां स्कंदमाता की अराधना काफी फलदायी मानी जाती है। नवरात्र के नौ दिन दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें|
वृषभ- आपको माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना करनी चाहिए। नवरात्र में ललिता सहस्र नाम का पाठ करें।
मिथुन- इस राशि के लोगों को मां ब्रह्मचार���णी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करना चाहिए।
कर्क- कर्क राशि के लोगों को मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए और नवरात्र में लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए|
लेखक का परिचय
ज्योतिष आचार्य राजीव शास्त्री जी जाने-माने kundli maker ज्योतिषियों में से एक हैं। वह ज्योतिष केंद्र,एस्ट्रोलॉजी,ज्योतिष शास्त्र सहित अंक ज्योतिष और जातकों को दोषमुक्त करने में उनकी सहायता की है| ये ज्ञान ज्योतिष द्वारा करते है एवं लोगों की समस्याओं का समाधान करते है|
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moneycontrolnews · 5 years ago
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गुप्त नवरात्रि में सभी बारह राशि के जातक अपनी राशि के अनुसार माँ दुर्गा की ऐसे करें पूजा आराधना। प्रसन्न होकर माता आपकी सभी कामनाएं पूरी कर देगी। माघ मास की गुप्त नवरात्र 25 जनवरी से शुरू होकर 3 फरवरी 2020 तक रहेगी। 1- मेष राशि- मेष राशि के जातक इस नवरात्र जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता एवं अपने आप को शक्तिमान बनाने के लिए माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा करने से श्रेष्ठ और मंगलकारी जीवन की प्राप्ति होती है। 2- वृषभ- वृषभ राशि के लोगों को महागौरी स्वरूप की उपासना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। ललिता सहस्र नाम का पाठ करें। जन-कल्याणकारी है। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है। 3- मिथुन- इस राशि के लोगों को देवी यंत्र स्थापित कर ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करें। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता व विद्या के अवरोध दूर करती है। 4- कर्क- कर्क राशि के लोगों को शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें। भगवती की वरद मुद्रा अभय दान प्रदान करती है। 5- सिंह- सिंह राशि के लिए मां कूष्मांडा की साधना विशेष फल करने वाली है। दुर्गा मंत्रों का जप करें। ऐसा माना जाता है कि देवी मां के हास्य मात्र से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। देवी बलि प्रिया हैं, अत: साधक नवरात्र की चतुर्थी को आसुरी प्रवृत्तियों यानी बुराइयों का बलिदान देवी के चरणों में निवेदित करते हैं। 6- कन्या- इस राशि के लोगों को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करना चाहिए। लक्ष्मी मंत्रों का साविधि जप करें। ज्ञान प्रदान करती हुई विद्या मार्ग के अवरोधों को दूर करती हैं। विद्यार्थियों हेतु देवी की साधना फलदाई है। 7- तुला- तुला राशि के लोगों को महागौरी की पूजा-आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। जन-कल्याणकारी हैं। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है। 8- वृश्चिक- वृश्चिक राशि के लोगों को स्कंदमाता की उपासना श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 9- धनु- इस राशि वाले मां चंद्रघंटा की उपासना करें। संबंधित मंत्रों का यथाविधि अनुष्ठान करें। घंटा प्रतीक है उस ब्रह्मनाद का, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है।     10- मकर- मकर राशि के जातकों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। नर्वाण मंत्र का जप करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोप, अग्निकांड आदि का शमन करती हैं। शत्रु संहारक है। 11- कुंभ- कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए कालरात्रि की उपासना लाभदायक है। देवी कवच का पाठ करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोपों का शमन करती है। 12- मीन- मीन राशि के लोगों को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए। हरिद्रा (हल्दी) की माला से यथासंभव बगलामुखी मंत्र का जप करें। घंटा उस ब्रह्मनाद का प्रतीक है, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है। **************** source https://www.patrika.com/dharma-karma/gupt-navratri-2020-puja-vidhi-for-rashifal-5692757/
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/blog-post_514.html
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latesthindinewsindia · 6 years ago
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Deepawali 2018 : दीपावली महापर्व 7 नवंबर बुधवार इस सटीक शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजन
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कार्तिक मास की अमावस्या 7 नवंबर दिन बुधवार 2018 को सूर्योदय से लेकर रात्रि 9 ब���कर 31 मिनट तक प्रकाश का प्रेरक महापर्व दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त हैं । सुख शांति, श्री, समृद्धि, यश, कीर्ति और वैभव प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी का पूजन इस सहीं और सटीक शुभ मुहूर्त में करें ।
  महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
बुधवार 7 नवंबर 2018 – पूजन का शुभ मुहूर्त
1- स्थिर लग्न कुम्भ अपरान्ह 1 बजकर 11 मिनट से 2 बजकर 44 मिनट के बीच । 2- स्थिर लग्न वृष सायंकाल 5 बजकर 58 मिनट से रात्रि 7 बजकर 58 मिनट के बीच प्रदोष कालिक मुहूर्त में पूजन करना अतिउत्तम रहेगा । 3- पूजन के बाद हल्दी, कामया सिंदूर और गाय का घी मिश्रित घोल से मुख्य द्वार, आलमारी, तिजोरी आदि पर शुभता का प्रतीक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें । 4- मकान दुकान आदि के मुख्य द्वार पर पूजा की हुई लोहे की कील ठोक दे । 5- लाल क���ड़ें में बनाई गई कुबेर की पोटली को स्वास्तिक बनाकर धन रखने के स्थान पर स्थापित करें । 6- सभी कार्यों की सफलता के लिए लाल कपड़े में गोमती चक्र सिक्के के साथ घर एवं व्यापार स्थल दुकान आदि के भीतरी तरफ मुख्य प्रवेश द्वार पर बांध दे ।
  निशीथकालीन पूजन
1- रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के बीच करें । 2- इस बीच सिद्धि कुंजिका स्त्रोत. दत्तात्रेय वज्र कवच. शिव अमोघ कवच, या हनुमान बाहूक आदि का पाठ करना चाहिए ।
  स्थिर लग्न सिंह- रात्रि 12 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 35 मिनट के बीच सुविधा अनुसार पाठ या पूजन करें ।
अति विशिष्ठ महालक्ष्मी के भ्रमणकाल का शुभ मुहूर्त
1- रात्रि 1 बजकर 55 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट के बीच मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओऱ गाय के घी के दीपक जलायें । 2- मंगल ध्वनी करें, शंख, गरूड़ घंटी बजायें और श्री सुक्त, ललिता सहत्रनाम, कनक धारा स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा आदि का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें । 3- ऊँ श्रीं श्रियै नमः मंत्र का पाठ करें । 4- उपरोक्त विधि से माता लक्ष्मी का पूजन करने पर माता प्रसन्न हो जाती हैं । 5- बेल वृक्ष या पीपल पेड़ के नीचे गाय के घी का दीपक अवश्य जलायें । 6- दीपक जलाने के बाद वहीं बैठकर श्री सुक्त का पाठ अवश्य करें । 7- मेवा मिष्ठान का चुरमा बनाकर भोग लगायें, एवं वृक्ष की जड़ों में चीटियों के लिए बिखरा दें ।
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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Deepawali 2018 : दीपावली महापर्व 7 नवंबर बुधवार इस सटीक शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजन
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कार्तिक मास की अमावस्या 7 नवंबर दिन बुधवार 2018 को सूर्योदय से लेकर रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक प्रकाश का प्रेरक महापर्व दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त हैं । सुख शांति, श्री, समृद्धि, यश, कीर्ति और वैभव प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी का पूजन इस सहीं और सटीक शुभ मुहूर्त में करें ।
  महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
बुधवार 7 नवंबर 2018 – पूजन का शुभ मुहूर्त
1- स्थिर लग्न कुम्भ अपरान्ह 1 बजकर 11 मिनट से 2 बजकर 44 मिनट के बीच । 2- स्थिर लग्न वृष सायंकाल 5 बजकर 58 मिनट से रात्रि 7 बजकर 58 मिनट के बीच प्रदोष कालिक मुहूर्त में पूजन करना अतिउत्तम रहेगा । 3- पूजन के बाद हल्दी, कामया सिंदूर और गाय का घी मिश्रित घोल से मुख्य द्वार, आलमारी, तिजोरी आदि पर शुभता का प्रतीक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें । 4- मकान दुकान आदि के मुख्य द्वार पर पूजा की हुई लोहे की कील ठोक दे । 5- लाल कपड़ें में बनाई गई कुबेर की पोटली को स्वास्तिक बनाकर धन रखने के स्थान पर स्थापित करें । 6- सभी कार्यों की सफलता के लिए लाल कपड़े में गोमती चक्र सिक्के के साथ घर एवं व्यापार स्थल दुकान आदि के भीतरी तरफ मुख्य प्रवेश द्वार पर बांध दे ।
  निशीथकालीन पूजन
1- रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के बीच करें । 2- इस बीच सिद्धि कुंजिका स्त्रोत. दत्तात्रेय वज्र कवच. शिव अमोघ कवच, या हनुमान बाहूक आदि का पाठ करना चाहिए ।
  स्थिर लग्न सिंह- रात्रि 12 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 35 मिनट के बीच सुविधा अनुसार पाठ या पूजन करें ।
अति विशिष्ठ महालक्ष्मी के भ्रमणकाल का शुभ मुहूर्त
1- रात्रि 1 बजकर 55 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट के बीच मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओऱ गाय के घी के दीपक जलायें । 2- मंगल ध्वनी करें, शंख, गरूड़ घंटी बजायें और श्री सुक्त, ललिता सहत्रनाम, कनक धारा स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा आदि का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें । 3- ऊँ श्रीं श्रियै नमः मंत्र का पाठ करें । 4- उपरोक्त विधि से माता लक्ष्मी का पूजन करने पर माता प्रसन्न हो जाती हैं । 5- बेल वृक्ष या पीपल पेड़ के नीचे गाय के घी का दीपक अवश्य जलायें । 6- दीपक जलाने के बाद वहीं बैठकर श्री सुक्त का पाठ अवश्य करें । 7- मेवा मिष्ठान का चुरमा बनाकर भोग लगायें, एवं वृक्ष की जड़ों में चीटियों के लिए बिखरा दें ।
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wiralfeed · 7 years ago
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Lalita Mata Ki Chalisa : ललिता माता की चालीसा Lalita Mata Ki Chalisa : Jayti Jayti Jai Lalita Mata. Tav Gun Mahima Hei Vikhyata.
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blogalien · 3 years ago
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धोली सती चालीसा I धोली सती दादी का चालीसा I Dholi Sati Dadi
धोली सती चालीसा I धोली सती दादी का चालीसा I Dholi Sati Dadi
श्री धोली सती चालीसा हिंदी में    श्री धोली सती चालीसा : राजस्थान के सीकर जिले की फतेहपुर शेखवाटी में धोली सती दादी का बड़ा ही मनमोहक व सच्चा दरबार हैं ! धोली सती दादी बिंदल गोत्र की कुलदेवी के रूप में जानी जाती हैं !   -: अन्य चालीसा संग्रह :- राणी सती दादी चालीसा  श्री सति सावित्री चालीसा  ललिता माता चालीसा  श्री कैला देवी चालीसा  जीण माता चालीसा *******************   श्री धोली सती चालीसा भजो…
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blogalien · 3 years ago
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राणी सती दादी चालीसा : नमो: नमो: श्री सती भवानी I झून्झूनू वाली दादी
राणी सती दादी चालीसा : नमो: नमो: श्री सती भवानी I झून्झूनू वाली दादी
श्री राणी सती दादी चालीसा हिंदी में Shri Rani Satti Dadi Chalisa In Hindi   श्री राणी सती दादी चालीसा : श्री राणी सती दादी जी का वास्तविक नाम माँ नारायणी हैं ! इनका प्राचीन और विशाल मन्दिर राजस्थान के झून्झूनू  जिले में स्थित है ! राणी सती दादी का यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना बताया जाता हैं !   -: अन्य चालीसा संग्रह :- कैला देवी चालीसा ललिता माता चालीसा कामाख्या चालीसा माँ बगलामुखी…
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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Deepavali 2018 : धनतेरस, दीपावली 2018, सटीक शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं उपाय
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स्वच्छ, सुन्दर, सुसज्जित घर आंगन, पर्यावरण एवं प्रकाश का प्रेरक महापर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या 7 नवंबर दिन बुधवार 2018 को सूर्योदय से रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक हैं । सुख शांति और श्री समृद्धि प्रदान करने वाली भगवती महालक्ष्मी पवित्रता में ही स्थाई वास कर कर्तव्यनिष्ठ उद्यमी को यश, कीर्ति और वैभव प्रदान करती हैं । वास्तु एवं ज्योतिष सलाहकार महेष खजांची ने पत्रिका डॉ़ट कॉम को धनतेरस, रूप चौदस एवं दीपावली पर्व की पूजा विधि व सटीक शुभ मुहूर्त के बारे में बताया ।
  शुभ मुहूर्त 1- दीपवाली पूर्व पुष्य नक्षत्र- बुधवार 31 अक्टूबर को सूर्योदय से लेकर देर रात्रि तक खरीदी हेतू विशेष – खाता, बही, कलम, कम्प्यूटर, मोबाईल, कपड़े, बर्तन, आभूषण, सोना चांदी,स वाहन, भवन, भूमि, प्लाट एवं व्यापारादि शुभारंभ हेतू । इस दिन कर्ज मुक्ति एवं श्री समृद्धि के लिए ये विशेष उपाय अवश्य करें । – बेल वृक्ष या पीपल पेड़ के नीचे गाय के घी का दीपक अवश्य जलायें । – दीपक जलाने के बाद वहीं बैठकर श्री सुक्त का पाठ अवश्य करें । – मेवा मिष्ठान का चुरमा बनाकर भोग लगायें, एवं वृक्ष की जड़ों में चीटियों के लिए बिखरा दें । – अपना कार्य में इमानदारी पूर्वक कार्य करने का संकल्प लेकर सफलता की कामना करें ।
  2- धनतेरस – नवंबर को सूर्योदय से लेकर रात्रि 11 बजकर 45 मिनट तक, सोम प्रदोष मास शिवरात्रि के वार्षिक शुभ मुहूर्त में उपरोक्त सभी प्रकार की खरीदी कर सकते हैं । – इस दिन दोपहर में 12 से 1 बजकर 30 मिनट तक राहु काल में यात्रा ना करें । – सूर्यास्त से लेकर रात 8 बजे तक भगवान धनवंतरी के साथ कलश का भी पूजन करें । – दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भगवान यमराज का भी पूजन करें ।
  3- रूप चतुर्दशी ( नरक चौदस )
– सूर्योदय से पूर्व दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर उबटन लगायें । – गंगाजल मिश्रित जल में पूर्व दिशा की ओर मुख करके अनामिका अंगुली से ऊँ बनाकर प्रणाम करके उसी जल से स्नान करें । – स्नान के बाद सुंगधित तेल, इत्र आदि लगाकर अपने मुख का दर्शन दर्पण में करते हुए आत्मदेवका को प्रणाम करे ।
  4- मुख्य पर्व दीपावली
7 नवंबर 2018 बुधवार- पूजन का शुभ मुहूर्त,
– स्थिर लग्न कुम्भ अपरान्ह 1 बजकर 11 मिनट से 2 बजकर 44 मिनट के बीच । – स्थिर लग्न वृष सायंकाल 5 बजकर 58 मिनट से रात्रि 7 बजकर 58 मिनट के बीच प्रदोष कालिक मुहूर्त में पूजन करना अतिउत्तम रहेगा । – पूजन के बाद हल्दी, कामया सिंदूर और गाय का घी मिश्रित घोल से मुख्य द्वार, आलमारी, तिजोरी आदि पर शुभता का प्रतीक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें । – मकान दुकान आदि के मुख्य द्वार पर पूजा की हुई लोहे की कील ठोक दे । – लाल कपड़ें में बनाई गई कुबेर की पोटली को स्वास्तिक बनाकर धन रखने के स्थान पर स्थापित करें । – सभी कार्यों की सफलता के लिए लाल कपड़े में गोमती चक्र सिक्के के साथ घर एवं व्यापार स्थल दुकान आदि के भीतरी तरफ मुख्य प्रवेश द्वार पर बांध दे ।
  5- निशीथकालीन पूजन
– रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के बीच करें । – इस बीच सिद्धि कुंजिका स्त्रोत. दत्तात्रेय वज्र कवच. शिव अमोघ कवच, या हनुमान बाहूक आदि का पाठ करना चाहिए ।
  6- स्थिर लग्न सिंह- रात्रि 12 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 35 मिनट के बीच सुविधा अनुसार पाठ या पूजन करें ।
  7- अति विशिष्ठ महालक्ष्मी के भ्रमणकाल का शुभ मुहूर्त
– रात्रि 1 बजकर 55 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट के बीच मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओऱ गाय के घी के दीपक जलायें । – मंगल ध्वनी करें, शंख, गरूड़ घंटी बजायें और श्री सुक्त, ललिता सहत्रनाम, कनक धारा स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा आदि का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें ।
– ऊँ श्रीं श्रियै नमः मंत्र का पाठ करें । – उपरोक्त विधि से माता लक्ष्मी का पूजन करने पर माता प्रसन्न हो जाती हैं ।
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Hindi News Deepavali 2018 : धनतेरस, दीपावली 2018, सटीक शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं उपाय Read Latest Hindi News on Kranti Bhaskar.
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latesthindinewsindia · 6 years ago
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Deepavali 2018 : धनतेरस, दीपावली 2018, सटीक शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं उपाय
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स्वच्छ, सुन्दर, सुसज्जित घर आंगन, पर्यावरण एवं प्रकाश का प्रेरक महापर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या 7 नवंबर दिन बुधवार 2018 को सूर्योदय से रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक हैं । सुख शांति और श्री समृद्धि प्रदान करने वाली भगवती महालक्ष्मी पवित्रता में ही स्थाई वास कर कर्तव्यनिष्ठ उद्यमी को यश, कीर्ति और वैभव प्रदान करती हैं । वास्तु एवं ज्योतिष सलाहकार महेष खजांची ने पत्रिका डॉ़ट कॉम को धनतेरस, रूप चौदस एवं दीपावली पर्व की पूजा विधि व सटीक शुभ मुहूर्त के बारे में बताया ।
  शुभ मुहूर्त 1- दीपवाली पूर्व पुष्य नक्षत्र- बुधवार 31 अक्टूबर को सूर्योदय से लेकर देर रात्रि तक खरीदी हेतू विशेष – खाता, बही, कलम, कम्प्यूटर, मोबाईल, कपड़े, बर्तन, आभूषण, सोना चांदी,स वाहन, भवन, भूमि, प्लाट एवं व्यापारादि शुभारंभ हेतू । इस दिन कर्ज मुक्ति एवं श्री समृद्धि के लिए ये विशेष उपाय अवश्य करें । – बेल वृक्ष या पीपल पेड़ के नीचे गाय के घी का दीपक अवश्य जलायें । – दीपक जलाने के बाद वहीं बैठकर श्री सुक्त का पाठ अवश्य करें । – मेवा मिष्ठान का चुरमा बनाकर भोग लगायें, एवं वृक्ष की जड़ों में चीटियों के लिए बिखरा दें । – अपना कार्य में इमानदारी पूर्वक कार्य करने का संकल्प लेकर सफलता की कामना करें ।
  2- धनतेरस – नवंबर को सूर्योदय से लेकर रात्रि 11 बजकर 45 मिनट तक, सोम प्रदोष मास शिवरात्रि के वार्षिक शुभ मुहूर्त में उपरोक्त सभी प्रकार की खरीदी कर सकते हैं । – इस दिन दोपहर में 12 से 1 बजकर 30 मिनट तक राहु काल में यात्रा ना करें । – सूर्यास्त से लेकर रात 8 बजे तक भगवान धनवंतरी के साथ कलश का भी पूजन करें । – दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भगवान यमराज का भी पूजन करें ।
  3- रूप चतुर्दशी ( नरक चौदस )
– सूर्योदय से पूर्व दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर उबटन लगायें । – गंगाजल मिश्रित जल में पूर्व दिशा की ओर मुख करके अनामिका अंगुली से ऊँ बनाकर प्रणाम करके उसी जल से स्नान करें । – स्नान के बाद सुंगधित तेल, इत्र आदि लगाकर अपने मुख का दर्शन दर्पण में करते हुए आत्मदेवका को प्रणाम करे ।
  4- मुख्य पर्व दीपावली
7 नवंबर 2018 बुधवार- पूजन का शुभ मुहूर्त,
– स्थिर लग्न कुम्भ अपरान्ह 1 बजकर 11 मिनट से 2 बजकर 44 मिनट के बीच । – स्थिर लग्न वृष सायंकाल 5 बजकर 58 मिनट से रात्रि 7 बजकर 58 मिनट के बीच प्रदोष कालिक मुहूर्त में पूजन करना अतिउत्तम रहेगा । – पूजन के बाद हल्दी, कामया सिंदूर और गाय का घी मिश्रित घोल से मुख्य द्वार, आलमारी, तिजोरी आदि पर शुभता का प्रतीक स्वास्तिक का चिन्ह बनायें । – मकान दुकान आदि के मुख्य द्वार पर पूजा की हुई लोहे की कील ठोक दे । – लाल कपड़ें में बनाई गई कुबेर की पोटली को स्वास्तिक बनाकर धन रखने के स्थान पर स्थापित करें । – सभी कार्यों की सफलता के लिए लाल कपड़े में गोमती चक्र सिक्के के साथ घर एवं व्यापार स्थल दुकान आदि के भीतरी तरफ मुख्य प्रवेश द्वार पर बांध दे ।
  5- निशीथकालीन पूजन
– रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के बीच करें । – इस बीच सिद्धि कुंजिका स्त्रोत. दत्तात्रेय वज्र कवच. शिव अमोघ कवच, या हनुमान बाहूक आदि का पाठ करना चाहिए ।
  6- स्थिर लग्न सिंह- रात्रि 12 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 35 मिनट के बीच सुविधा अनुसार पाठ या पूजन करें ।
  7- अति विशिष्ठ महालक्ष्मी के भ्रमणकाल का शुभ मुहूर्त
– रात्रि 1 बजकर 55 मिनट से 2 बजकर 15 मिनट के बीच मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओऱ गाय के घी के दीपक जलायें । – मंगल ध्वनी करें, शंख, गरूड़ घंटी बजायें और श्री सुक्त, ललिता सहत्रनाम, कनक धारा स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा आदि का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें ।
– ऊँ श्रीं श्रियै नमः मंत्र का पाठ करें । – उपरोक्त विधि से माता लक्ष्मी का पूजन करने पर माता प्रसन्न हो जाती हैं ।
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Hindi News Deepavali 2018 : धनतेरस, दीपावली 2018, सटीक शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं उपाय Read Latest Hindi News on Kranti Bhaskar.
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