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dainiksamachar · 8 months ago
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एससीओ सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति की मौजूदगी का कैसा रहेगा असर, जानें क्या है भारत की चुनौती
नई दिल्ली : चीनी राष्ट्रपति कजाकिस्तान के अस्ताना में 3- 4 जुलाई को होने वाली एससीओ समिट में हिस्सा लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से रविवार को इस बात की पुष्टि भी की गई। इसके साथ शी का कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान जाने का भी कार्यक्रम है। हालांकि इस बार भारत की ओर से प्रधानमंत्री एससीओ समिट में हिस्सा नहीं लेंगे। बीते शुक्रवार को ही विदेश मंत्रालय की ओर से ये साफ किया गया था कि अस्ताना में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे। तो जिनपिंग, शरीफ से होती मुलाकात हालांकि इसके अलावा इस मामले पर कोई और डिटेल नहीं दी गई। देश में नई सरकार बनने के बाद पहले संसद के सत्र चलते ऐसा फैसला लिया गया। इसके साथ ही चीन के साथ संबंधों में असहजता भी एक वजह मानी जा रही है। अगर प्रधानमंत्री अस्ताना जाते हैं, तो उनका सामना शी जिनपिंग के साथ साथ पाकिस्तान के राष्ट्रपति शहबाज शरीफ से भी होता। पिछले साल इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आई थी, जिनमें इस बात की आशंका जताई थी कि चीन और रूसी राष्ट्रपति पुतिन समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आने वाले हैं। भारत की भागीदारी में बदलाव नहीं भारत की ओर से समिट वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई थी। चीनी मामलों के जानकार हर्ष वी पंत कहते हैं कि चीन और भारत के संबंधों में असहजता तो है, लेकिन एससीओ को लेकर भारत अपनी भागीदारी में ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहेगा। वो कहते हैं कि एससीओ ��ारत के लिए अहम प्लैटफॉर्म बना रहेगा, क्योंकि इसमें आतंकवाद, स्मगलिंग और नार्को टेररिज्म जैसे मुद्दों पर काफी फोकस किया जाता है, जो भारत के लिए भी जरूरी हैं।हालांकि ये जरूर है कि जिस तरह के संबंध भारत और चीन के बीच मौजूदा समय में चल रहे हैं, उसे देखते हुए भारत की प्रधानमंत्री लेवल पर इंगेजमेंट को लेकर असहजता होना लाजिमी है। दोनों देशों के संबंध ऐसे नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना बने। ऐसे में संभव है कि भारत ने इसको ध्यान में रखकर ही ये फैसला लिया होगा। एससीओ को लेकर भारत की विदेश नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है। 2001 में हुआ था गठन पिछले साल एससीओ समिट भारत के पास थी। इस बार समिट में क्षेत्रीय सुरक्षा के अलावा कनेक्टिविटी और व्यापार को आगे बढ़ाने को लेकर फोकस किया जाएगा। बात साझे ज्वाइंट इनवेस्टमेंट फंड को लेकर भी हो रही है। 2001 में बना शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन एक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा ग्रुप है। कौन-कौन है संगठन का सदस्य मौजूदा समय में चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान,ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य हैं। ईरान 2023 में इसका हिस्सा बना। भारत का एससीओ के साथ संबंध साल 2005 में शुरू हुआ लेकिन साल 2017 में वो इसका पूर्ण मेम्बर बन गया था। भारत ने पहली बार साल 2015 में उफा समिट में पूर्ण सदस्यता के लिए कोशिश की थी दो स्तर पर रणनीति बनानी होगी जानकार कहते हैं कि भारत के लिए चीन एक रणनीतिक समस्या है, सामरिक चुनौती है, ऐसे में भारत अपनी विदेश नीति के जरिए इस समस्या को कई स्तरों पर सुलझाने की कोशिश करेगा । एक ओर भारत को एससीओ और ब्रिक्स जैसे मंचों पर मौजूद रहना पड़ेगा और इसके साथ ही ची न को ये स्पष्ट करना होगा कि उसके दबाव में हम किसी नीति को नहीं अपनाएंगे। इसीलिए अगर चीनी विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री के बीच मुलाकात होती है तो भारत अपना पक्ष उठाएगा ही। खासकर जयशंकर ने साल 2020 के बाद इस तरह की बैठकें की हैं और संभव है कि इस बार भी दोनों देशों के विदेश मंत्री एक दूसरे से मुखातिब हों http://dlvr.it/T925hn
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fastnewshindi · 4 years ago
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Ajit Doval ताजिकिस्तान में रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिले
Ajit Doval ताजिकिस्तान में रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिले
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ताजिकिस्तान में अपने रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से मुलाकात की (फाइल) नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ताजिकिस्तान में एससीओ की बैठक के इतर अपने रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से मुलाकात की, जिसके दौरान उन्होंने सुरक्षा क्षेत्र में रूस-भारत बातचीत की योजना और सुरक्षा और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग पर चर्चा की। रिपोर्ट…
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lok-shakti · 3 years ago
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रूस के साथ तनाव से प्रभावित नहीं, भारत के साथ संबंध अपनी खूबियों पर टिके हैं: अमेरिका
रूस के साथ तनाव से प्रभावित नहीं, भारत के साथ संबंध अपनी खूबियों पर टिके हैं: अमेरिका
बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध अपनी योग्यता के आधार पर हैं और रूस के साथ चल रहे तनाव से प्रभावित नहीं हुए हैं। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने गुरुवार को अपने दैनिक समाचार सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, “भारत के साथ हमारा रिश्ता है जो अपनी खूबियों पर टिका है।” वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या यूक्रेन संकट को लेकर रूस के साथ तनाव के कारण भारत के साथ अमेरिकी…
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sabkuchgyan · 2 years ago
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Ukraine :यूक्रेन ने भारत से रूस पर दबाव बनाने का अनुरोध किया, जयशंकर ने किया खुलासा
Ukraine :यूक्रेन ने भारत से रूस पर दबाव बनाने का अनुरोध किया, जयशंकर ने किया खुलासा
Ukraine : विदेश मंत्री के तौर पर एस जयशंकर इन दिनों न्यूजीलैंड के अपने पहले दौरे पर हैं। इस बीच उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच यूक्रेन ने भारत से रूस पर दबाव बनाने का अनुरोध किया था. Zaporizhzhya परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा के संबंध में अनुरोध किया गया था। आपको बता दें कि जिस समय पुतिन की सेना अपने पड़ोसी देश पर बमों और मिसाइलों से हमला कर रही थी, उस समय इस परमाणु…
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suryyaskiran · 3 years ago
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भारत, चीन और रूस का वोस्तोक में सैन्य अभ्यास शुरू
नई दिल्ली, 1 सितम्बर (SK)। रूस, चीन और भारत सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमी�� पुतिन ने अमेरिका और उसके सहयोगियों को यूक्रेन पर अपने आक्रमण को लेकर अलग-थलग करने के प्रयासों पर जोर दिया है। 140 से अधिक विमान और 60 युद्धपोत सहित 50,000 से अधिक सैनिक और सैन्य उपकरणों के 5,000 टुकड़े, रूस के सुदूर पूर्व में गुरुवार से शुरू हुए सप्ताह भर चलने वाले वोस्तोक-2022 युद्ध खेलों में भाग ले रहे हैं, जिसमें समुद्र में नौसैनिक अभ्यास भी शामिल है। नियमित अभ्यास शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य राज्यों और भागीदारों और पूर्व सोवियत गणराज्यों के रूसी नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन को एक साथ लाते हैं।भले ही अमेरिका भारत को एक रक्षा भागीदार के रूप में लुभा रहा है और यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कम नहीं करने का आग्रह कर रहा है, नई दिल्ली सरकार सेना के अभ्यास के लिए 75-मजबूत सैन्य टुकड़ी भेज रही है। इनमें गोरखा सैनिक और नौसेना और वायु सेना के प्रतिनिधि शामिल हैं, हालांकि भारत रूस को नौसेना या हवाई संपत्ति नहीं भेज रहा है।भारत, जो पहले अभ्यास में भाग ले चुका है, ने यूक्रेन में रूस के युद्ध का पक्ष लेने से परहेज किया है। फिर भी, दक्षिण एशियाई राष्ट्र ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पिछले सप्ताह एक प्रक्रियात्मक वोट में पहली बार इस मुद्दे पर रूस के खिलाफ मतदान किया, जिसने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को वीडियो लिंक के माध्यम से निकाय को संबोधित करने की अनुमति दी।भारत ने संयुक्त रूप से हेलीकॉप्टरों का उत्पादन करने के कदमों को भी टाल दिया है और रूस से लगभग 30 लड़ाकू विमानों को खरीदने की एक और योजना पर रोक लगा दी है।बीजिंग में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन की सेना, वायु सेना और नौसेना बल अभ्यास में भाग ले रहे हैं, जिसका उद्देश्य सैन्य समन्वय को मजबूत करना है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समर्थित ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि इस साल अभ्यास संभावित खतरों पर ध्यान केंद्रित करेगा, खासकर प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका से।चीन ने यूक्रेन पर छह महीने के लंबे आक्रमण के लिए रूस की आलोचना करने से इनकार कर दिया है और मास्को के खिलाफ अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों की निंदा की है। लेकिन इसने अमेरिकी माध्यमिक प्रतिबंधों के जोखिम के कारण रूस के युद्ध प्रयासों के लिए प्रौद्योगिकी और सैन्य आपूर्ति प्रदान कर पुतिन का साथ देना स्पष्ट कर दिया है।मॉस्को के हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक रूसी सैन्य विशेषज्ञ वसीली काशिन ने कहा, युद्ध में चीनी भूमिका को संघर्ष पर रूस के लिए समर्थन के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह सिर्फ हमें दिखाता है कि सैन्य-से-सैन्य संबंध चल रहे हैं हमेशा की तरह।रूस का सहयोगी बेलारूस भी पूर्व सोवियत गणराज्य कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान और ताजकिस्तान और सीरिया, अल्जीरिया, मंगोलिया, लाओस और निकारागुआ सहित अन्य राज्यों के साथ वोस्तोक-2022 में भाग ले रहा है।--SK एकेआर/एसकेपी Read the full article
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merikheti · 3 years ago
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भारत में 2 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करेगा UAE, जानिये इंटीग्रेटेड फूड पार्क के बारे में
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भारत में इंटीग्रेटेड फूड पार्क बनाने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) (United Arab Emirates – UAE) ने 2 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को I2U2 की बैठक में भारत में निवेश से जुड़ी जानकारी प्रकाश में आई। संयुक्त अरब अमीरात द्वारा भारत में इन्वेस्टमेंट के जरिये इंटीग्रेटेड फूड पार्क की सीरीज डेवलप की जाएगी।
अव्वल तो यह I2U2 की बैठक क्या है, मेगा फूड पार्क (Mega Food Park) क्या है, इसके क्या फायदे हैं, भारत में वर्तमान में इस संदर्भ में क्या स्थिति है, इन सवालों के जानिये जवाब मेरीखेती पर।
संयुक्त अरब अमीरात के द्वारा भारत में इंटीग्रेटेड फूड पार्क की सीरीज डेवलपमेंट से जुड़े निवेश के बारे में बयान I2U2 की संयुक्त बैठक में दिया गया।
गौरतलब है कि भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, इजरायल के पीएम यायर लापिड (Yair Lapid) और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, I2U2 के पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन में सम्मिलित हैं। इस सम्मेलन में ये लीडर्स संयुक्त आर्थिक परियोजनाओं पर चर्चारत हैं।
I2U2 का अर्थ
आईटूयू2 (I2U2) भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई द्वारा मिलकर बनाया गया एक समूह है। दरअसल, I2U2 नाम में आई-2 का मतलब इंडिया (भारत) और इस्राइल से, जबकि यू-2 का उपयोग यूएस और यूएई के लिए किया गया है।
I2U2 समूह की अवधारणा विगत 18 अक्टूबर को चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हुई थी। गौरतलब है कि बीते तीन सालों में भारत के संबंध समूह के अन्य तीन देशों के साथ मजबूत हुए हैं। समूह 12U2 का प्रमुख उद्देश्य पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य एवं फूड सिक्योरिटी अर्थात खाद्य सुरक्षा जैसे छह क्षेत्रों में मिलकर निवेश एवं प्रोत्साहन को बढ़ावा एवं मदद देना है। इस I2U2 वर्चुअल सम्मेलन में प्रमुख चर्चा का विषय यूक्रेन-रूस गतिरोध, वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा का संकट हैं।
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मेगा फूड पार्क (Mega Food Park) किसे कहते हैं ?
मेगा फूड पार्क में एग्री प्रोडक्ट्स (कृषि उत्पाद) के भंडारण और उसकी प्रोसेसिंग की व्यवस्था रहती है। इस व्यवस्था तंत्र में इन प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग के जरिये इनका मूल्य संवर्धन किया जाता है। इसके लिए व्यवस्थित तंत्र के तहत कच्चे माल को उच्च क्वालिटी की ऊंची ��ीमत वाले उत्पादों में बदला जाता है।
यानी मेगा फूड पार्क (Mega Food Park) खाद्य सुरक्षा के लिए तैयार वह व्यवस्थित तंत्र ��ै, जिसमें खेत की फसलों के भंडारण के साथ ही उससे तैयार उत्पादों के भंडारण और उसकी प्रोसेसिंग से लेकर उन्हें बाजार उपलब्ध कराने तक की सारी व्यवस्था निहित है।
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मौजूदा तौर पर भारत में किसान और किसानी हित में लागू मंडी क्रय-विक्रय व्यवस्था के मुकाबले यह तंत्र इसलिए सफल कहा जा सकता है क्योंकि, इसमें फसल के उच्चतम उपभोग से लेकर उसके उचित एवं उच्चतम दाम प्राप्त करने का सार भी समाहित है। किसानों को उपज की सही कीमत मिले, बाजार को जरूरी प्रोसेस्ड प्रॉडक्ट्स मिले, इस उद्देश्य से केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 में देश में 42 मेगा फूड पार्क स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया था। वर्तमान में, देश में 22 मेगा फूड पार्क ने काम करना शुरू कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री पटेल ने दी जानकारी
संसद में शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) ने देश में स्वीकृत 38 मेगा फूड पार्कों को दी गई अंतिम मंजूरी के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि 3 अन्य मेगा फूड पार्क को भी सैद्धांतिक अनुमति दी गई है। इन तीन में से दो मेगा फूड पार्क मेघालय और तमिलनाडु में स्थापित होने जा रहे हैं।
फूड पार्कों में 6.66 लाख रोजगार सृजित
केंद्रीय मंत्री ने एक सवाल का जवाब में बताया कि, एक मेगा फूड पार्क से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर 5 हजार लोगों के लिए रोजगार सृजन होता है। यहां यह ध्यान रहे कि बिजनेस प्लान के आधार पर प्रोजेक्ट्स में सृजित रोजगार संख्या भिन्न भी हो सकती है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्तमान में संचालित 22 मेगा फूड पार्कों से लगभग 6,66,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ है। राज्य सभा में लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि, ये 22 मेगा फूड पार्क- असम, पंजाब, ओडिशा, मिजोरम, महाराष्ट्र सहित 15 राज्यों में संचालित किए जा रहे हैं।
मेगा फूड पार्क में उपलब्ध व्यवस्थाएं
मेगा फूड पार्क एक ऐसा बड़ा तंत्र है जहां कृषि उत्पादित फसल (एग्री प्रॉडक्ट्स), फल-सब्जियों के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था होती है। यहां इन प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग कर मार्क��ट की डिमांड के मुताबिक प्रॉडक्ट्स तैयार किए जा सकते हैं। साथ ही इन मेगा फूड पार्क का सड़क, रेल एवं जल मार्ग से जुड़ने का भी बेहतर नेटवर्क होता है। यहां निर्मित वस्तुओं को कम समय में देश के अन्य राज्यों के साथ ही निर्यात के तौर पर विदेशों तक अल्प समय में पहुंचाया जा सकता है।
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क्लस्टर बेस्ड सर्विस
मेगा फूड पार्क को “क्लस्टर” बेस्ड अवधारणा पर विकसित किया गया है। इसमें प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों (Primary Processing Center), केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों (Central Processing Center) की व्यवस्था की गई है।
फल-सब्जियों के साथ-साथ उद्यमियों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों (Food Processing Units) की स्थापना के लिए भी इसमें 25-30 पूर्ण विकसित भूखंडों सहित आपूर्ति श्रृंखला संरचना का तंत्र स्थापित किया जाता है।
किसानों को मिलने वाले फायदे
कृषि उत्पादित फसल के भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में फल-सब्जियों के सड़ने का खतरा रहता है। मेगा फूड पार्क में एग्री प्रॉडक्ट्स के भंडारण की व्यवस्था के साथ ही प्रोसेसिंग तंत्र की सुलभता के कारण फल-सब्जियों के सड़ने के बजाए, कीमत बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
कच्चे माल के सुरक्षित भविष्य के कारण किसान, उद्योग, व्यापारी के मुनाफे के साथ ही जिले एवं राज्य के राजस्व में भी सकारात्मक वृद्धि होती है।
फल-सब्जियों जैसी फसलों की प्रोसेसिंग के विकल्प न होने से, दूरदराज तक भेजने के चक्कर में व्यापारी व किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। ऐसे में जिन राज्यों, जिलों में किसी फसल की यदि प्रधानता है, वहां प्रोसेसिंग यूनिट लग जाए तो फसल सड़ने से बचेगी, किसान का भला होगा, व्यापारी भी नुकसान से बच जाएगा।
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इसे टमाटर से समझा जा सकता है, अल्प काल तक खाद्य योग्य टमाटर उत्पादित क्षेत्र में, टोमैटो सॉस बनाने की प्रोसेसिंग यूनिट यदि विकसित की जाए, तो किसान व किसानी सभी का कल्याण होगा।
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काम करने का तंत्र
मेगा फूड पार्क प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन एक विशेष प्रयोजन उपाय (एसपीवी) करती है। जो संस्���ा अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत कॉरपोरेट निकाय है। राज्य सरकार, राज्य सरकार की संस्थाओं एवं सहकारिताओं को मेगा फूड पार्क परियोजना के कार्यान्वयन के लिए पृथक रूप से एसपीवी बनाने की आवश्यकता नहीं है।
यहां संचालित हो रहे मेगा फूड पार्क
प्रदान की गयी जानकारी के अनुसार संचालित किए जा रहे 22 मेगा फूड पार्क इस प्रकार हैं :
स्रीनी मेगा फूड पार्क, चित्तूर, आंध्र प्रदेश
गोदवारी मेगा एक्वा पार्क, पश्चिम गोदावरी, आंध्र प्रदेश
नॉर्थ इस्ट मेगा फूड पार्क, नलबाड़ी, असम
इंडस बेस्ट मेगा फूड पार्क, रायपुर, छत्तीसगढ़
गुजरात एग्रो मेगा फूड पार्क, सूरत, गुजरात
क्रेमिका मेगा फूड पार्क, ऊना, हिमाचल प्रदेश
इंटिग्रेटेड मेगा फूड पार्क, तुमकुर, कर्नाटक
केरल औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम (KINFRA) मेगा फूड पार्क, पलक्कड़, केरल
इंडस मेगा फूड पार्क, खरगौन, मध्य प्रदेश
अवंती मेगा फूड पार्क, देवास, मध्य प्रदेश
पैथन मेगा फूड पार्क, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
सतारा मेगा फूड पार्क, सतारा, महाराष्ट्र
ज़ोरम मेगा फ़ूड पार्क, कोलासिब, मिज़ोरम
एमआईटीएस मेगा फूड पार्क, रायगढ़, ओडिशा
इंटरनेशनल मेगा फूड पार्क, फज्जिलका, पंजाब
सुखजीत मेगा फूड पार्क, कपूरथला, पंजाब
ग्रीनेटक मेगा फूड पार्क, अजमेर, राजस्थान
स्मार्ट एग्रो मेगा फूड पार्क, निजामाबाद, तेलंगाना
त्रिपुरा मेगा फूड पार्क, पश्चिम त्रिपुरा, त्रिपुरा
पतंजली फूड एंड हर्बल पार्क, हरिद्वार, उत्तराखंड
हिमालयन मेगा फूड पार्क, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
जंगीपुर बंगाल मेगा फूड पार्क, मुर्शीदाबाद, पश्चिम बंगाल।
भारत में यूएई द्वारा इन्वेस्ट की जा रही बड़ी राशि से निश्चित ही उम्मीद की जा सकती है कि, इससे I2U2 के उद्देश्य पूरे होंगे और भारत के कृषि उत्पादन, विनिर्माण एवं बाजार तंत्र में कसावट आने से उचित परिणाम मिलेंगे।
source भारत में 2 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करेगा UAE, जानिये इंटीग्रेटेड फूड पार्क के बारे में
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indiandefencenewz99 · 3 years ago
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भारत: सुरक्षा मुद्दों पर भारत को विकल्प मुहैया कराएगा अमेरिका, साझेदारी बढ़ाए: व्हाइट हाउस सलाहकार
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बदलते विश्व व्यवस्था और रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों के समय में, सफेद घर इंडो-पैसिफिक के सलाहकार कर्ट कैंपबेल ने कहा कि अमेरिका ने के साथ अपनी साझेदारी बढ़ाने का फैसला किया है भारत साथ ही प्रदान करने के लिए नई दिल्ली सुरक्षा मुद्दों पर विकल्पों के साथ। अधिकारी ने भारत के साथ संबंधों को 21वीं सदी में अमेरिका के लिए "सबसे महत्वपूर्ण" भी बताया। "मुझे लगता है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हमेशा चुनौतियां होती हैं, कुंजी यह समझने के लिए उद्देश्यपूर्ण बने रहना है कि सबसे महत्वपूर्ण संबंध, मेरे विचार से संयुक्त राज्य अमेरिका 21 वीं सदी में भारत के साथ रहने की संभावना है, "उन्होंने वाशिंगटन के सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (सीएनएएस), यूएस में एक पैनल चर्चा में कहा। अमेरिका के शीर्ष नीति निर्माता ने कहा, "हमें संस्थागत रूप से यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि हम भारत सरकार में अपनी साझेदारी, मजबूत खुफिया लिंक, मजबूत व्यापार और आर्थिक संबंध बढ़ाने जा रहे हैं।" QUAD (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका) भागीदारों द्वारा विभिन्न नीति प्रतिक्रियाओं का जवाब रूसका आक्रमण यूक्रेनउन्होंने कहा, "यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि हर मुद्दे पर आपका चार गतिशील राष्ट्रों के बीच पूर्ण संरेखण होगा।" संकट पर भारत के तटस्थ रुख का बचाव करते हुए, कैंपबेल ने बताया कि अमेरिका निजी तौर पर नई दिल्ली और उसके नेतृत्व के साथ स्पष्ट रूप से संवाद करने के प्रयास में संलग्न है, कि समय के साथ, अमेरिका "भारत के साथ मजबूत संबंध" बनाना चाहता है। "मुझे लगता है कि यह स्पष्ट है, हालांकि, भारतीय दोस्तों के साथ बातचीत और जुड़ाव में, वे यूक्रेन में चल रही स्थिति की गंभीरता को समझते हैं ... और इसलिए मुझे लगता है कि हमने एक जिम्मेदार तरीके से जो करने की कोशिश की है वह निजी तौर पर भारतीयों को शामिल करना है। सहयोगियों को स्पष्ट रूप से संवाद करने के प्रयास में, कि समय के साथ, हम भारत के साथ एक मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं।" कैंपबेल ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यूके, फ्रांस और इज़राइल जैसे अपने सहयोगियों के साथ अमेरिका भी सुरक्षा के मुद्दे पर भारत की मदद करेगा। "हमें सुरक्षा पक्ष पर भारत को विकल्प प्रदान करने में मदद करने की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है कि न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका क्षमताएं प्रदान कर रहा है बल्कि ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल जैसे भागीदार हैं। हम भारत का समर्थन करने के लिए अन्य देशों के साथ काम कर रहे हैं, इसलिए इसके पास विकल्पों का एक व्याप�� सेट है जब यह सुरक्षा और रक्षा के लिए आता है," व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा। आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका एक मजबूत साझेदारी बनाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। कैंपबेल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी मुश्किल हो सकती है लेकिन जरूरी है, "न केवल राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री नेता स्तर पर बल्कि 2 + 2 संवाद जैसी संस्थाएं।" कैंपबेल ने रक्षा और कूटनीति नेतृत्व के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता का भी उल्लेख किया, दोनों देशों के बीच की बैठकों को "उत्कृष्ट" कहा और कैसे दो लोकतंत्र "सहयोग और जुड़ाव बढ़ाने के लिए निर्धारित कई मुद्दों पर बात करने में सक्षम थे"। "मुझे लगता है कि लंबी, लंबी अवधि के प्रक्षेपवक्र संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत को एक साथ बहुत करीब लाएंगे।" इस साल की शुरुआत में शुरू हुए रूसी-यूक्रेनी युद्ध पर भारत की रणनीतिक रूप से स्वतंत्र विदेश नीति ने नई दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। क्वाड ग्रुपिंग में वाशिंगटन के साथ नई दिल्ली की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए कई लोगों को उम्मीद थी कि भारत खुद को यूक्रेन के साथ और रूस के खिलाफ गठबंधन कर लेगा। फोरम में बोलते हुए भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेटिक कांग्रेसी डॉ अमी बेरा थे, जो कैलिफोर्निया जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें सैक्रामेंटो शहर शामिल है, और एशिया पर हाउस फॉरेन अफेयर्स उपसमिति की अध्यक्षता करते हैं, जो उस क्षेत्र में कानून और खर्च पर महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं। भारत के साथ अमेरिकी संबंध "रणनीतिक, गहरा और यह लंबी अवधि के लिए" है, यूएस प्रतिनिधि अमी बेरा ने पैनल को बताया, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह भारत-अमेरिका संबंधों में एक अवसर देखते हैं क्योंकि "भारत ने पश्चिम की ओर बढ़ने की भूख दिखाई है" और संयुक्त राज्य अमेरिका"। अमेरिका ने अक्सर सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वह रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों को समझता है और भारत के लिए रूस के साथ अपने संबंधों को जल्दी से खत्म करना कितना मुश्किल होगा। बेरा ने कहा, "हां, भारत के साथ हमारे संबंधों में हमेशा अड़चनें आती हैं, लेकिन अंत में, प्रक्षेपवक्र हमेशा सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।" Source link Read the full article
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divyabhashkar · 3 years ago
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भारत ने रूस के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए क्योंकि हम तब तैयार नहीं थे: अमेरिका | भारत समाचार
भारत ने रूस के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए क्योंकि हम तब तैयार नहीं थे: अमेरिका | भारत समाचार
न्यूयॉर्क: विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने स्वीकार किया कि भारत ने रूस के साथ रक्षा संबंध विकसित किए हैं क्योंकि सोवियत संघ और भारत के करीब आने पर अमेरिका ऐसे रिश्ते के लिए तैयार नहीं था। लेकिन उन्होंने मंगलवार को कहा कि रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद, अमेरिका नई दिल्ली के लिए “पसंद का भागीदार” है और रक्षा और सुरक्षा सहित वाशिंगटन के साथ संबंध विकसित हो रहे हैं। सोमवार को…
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sachtaknews · 3 years ago
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यूक्रेन- रूस वार LIVE :- रूस के हमले के बाद यूक्रेन के राजदूत ने पीएम मोदी से की अपील, कही ये बात
यूक्रेन- रूस वार LIVE :- रूस के हमले के बाद यूक्रेन के राजदूत ने पीएम मोदी से की अपील, कही ये बात
यूक्रेन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच नई दिल्ली में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि नई दिल्ली और रूस के बीच विशेष संबंध हैं। ऐसे में नई दिल्ली हालात को नियंत्रित करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकती है। यूक्रेन-रूस विवाद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने कहा है कि इस मसले का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालना जरूरी है। भारत ने कहा है कि कूटनीतिक हल समय…
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dainiksamachar · 8 months ago
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तालिबान पर भारत और रूस क्‍यों साथ-साथ, अफगानिस्तान पर एकजुटता की इनसाइड स्टोरी
मॉस्को: मार्च 2024 में मॉस्को के क्रोकस सिटी सेंटर पर कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत (ISKP) के हमले के बाद से रूस ने अफगानिस्तान को आतंकी पनाहगाह के रूप में फिर से उभरने से रोकने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। ऐसा करने का एक तरीका, जैसा कि रूसी कार्रवाइयों से पता चलता है, तालिबान के साथ अधिक जुड़ाव है। हाल ही में, रूसी विदेश मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को तालिबान को आतंकी संगठनों की सूची से हटाने का प्रस्ताव भेजा है। तालिबान को रूस ने 2003 में आतंकवादी समूह घोषित किया था। यह देखते हुए कि भारत और रूस अफगानिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद पर सहयोग करते हैं, अफगानिस्तान में नए घटनाक्रम और आतंकवाद विरोधी पर भारत-रूस सहयोग को समझना महत्वपूर्ण है। अपने हितों की सुरक्षा ओआरएफ की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान को अपनी आतंकी सूची से हटाने का फैसला रूस ने अचानक नहीं लिया, लेकिन इसे 'सीमित जोखिम' भरे परिदृश्य के रूप में देखा जा रहा है। मान्यता से वंचित होने के बावजूद, समूह अभी भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के तहत है, मास्को के फैसले का उद्देश्य तालिबान द्वारा संचालित इस्लामिक अमीरात के साथ लाभ प्राप्त करना है। काबुल के पतन के बाद से, रूस तालिबान के साथ जुड़ा हुआ है। रूसी राजनयिक काबुल में ही रहे और उनका दूतावास खुला रहा। मॉस्को ने अगस्त 2022 में तालिबान द्वारा नियुक्त एक राजनयिक को मान्यता भी दी और इस साल फरवरी में एक सैन्य अताशे को स्वीकार किया। इसने समूह को 2021 और 2022 में मॉस्को फॉर्मेट परामर्श और 2022 और 2024 में दो बार सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच के लिए आमंत्रित किया। देश के विशेष दूत ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में काबुल के संभावित समावेश का भी संकेत दिया, बशर्ते कि इसे मान्यता दी जाए। तालिबान के करीब क्यों गया रूस अपनी 2023 की विदेश नीति की अवधारणा में, रूस ने सहयोग के लिए अफगानिस्तान को यूरेशियन क्षेत्र में एकीकृत करने के अपने दीर्घकालिक उद्देश्य को स्पष्ट किया। इस प्रकार, तालिबान के प्रति मास्को के झुकाव के पीछे एक मजबूत भू-आर्थिक कारक भी है और समूह को आतंकवादी सूची से हटाने से द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। उज्बेकिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान रेलमार्ग और तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत गैस के अफगान क्षेत्र जैसी परियोजनाएं अफगानिस्तान में आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा ��े सकती हैं, क्षेत्र���य संपर्क में सुधार ला सकती हैं और आतंकवादी घुसपैठ को रोकने के लिए सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को बढ़ा सकती हैं। 2022 से सुधरने शुरू हुए भारत-तालिबान संबंध जून 2022 से भारत के काबुल स्थित दूतावास में एक तकनीकी टीम तैनात है। समूह के साथ नई दिल्ली की भागीदारी भी बढ़ी है, भारतीय अधिकारियों ने मार्च 2024 में तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री से मुलाकात की ताकि सहायता के प्रावधान और अफगान व्यापारियों द्वारा चाबहार के उपयोग पर चर्चा की जा सके। अफगानिस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इन्वेस्टमेंट ने देश के व्यापारियों द्वारा बंदरगाह के उपयोग पर चर्चा करने के लिए भारतीय पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के साथ एक ऑनलाइन बैठक भी की। तालिबान के नियुक्त राजनयिकों को भारत ने औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है, हालांकि, अफगान गणराज्य-युग के राजदूत और मुंबई के महावाणिज्यदूत ने इस्तीफा दे दिया है। भारत ने जून 2022 से काबुल स्थित अपने दूतावास में एक तकनीकी टीम तैनात की है। तालिबान से साथ भारत की बढ़ी सहभागिता तालिबान के साथ भारत की सहभागिता भी बढ़ी है। भारतीय अधिकारियों ने मार्च 2024 में तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री से मुलाकात की, जिसमें सहायता के प्रावधान और अफगान व्यापारियों द्वारा चाबहार के उपयोग पर चर्चा की गई। महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बनाए रखने और एक समावेशी सरकार स्थापित करने के लिए तालिबान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, भारत ने जोर देकर कहा है कि अफगानिस्तान को आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, जिससे खतरे का मुकाबला करने की जिम्मेदारी तालिबान पर आ गई है। यह दोनों - लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे भारत विरोधी आतंकवादी समूहों और अंतरराष्ट्रीय समूहों को अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए एक बड़ा खतरा मानता है। कश्मीर में आतंकवाद को साधना चाहता है भारत भारत के लिए, अफगानिस्तान में LeT और JeM की मौजूदगी और जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने की उनकी क्षमता के बारे में आशंकाएं एक प्रमुख चिंता का विषय रही हैं। विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल की 13वीं रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि जैश-ए-मोहम्मद ने अफगानिस्तान में प्रशिक्षण शिविर बनाए रखे हैं,… http://dlvr.it/T91PmD
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lok-shakti · 3 years ago
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भारत, रूस ने 4 सौदों पर हस्ताक्षर किए; नई दिल्ली चीन की आक्रामकता को सामने लाती है
भारत, रूस ने 4 सौदों पर हस्ताक्षर किए; नई दिल्ली चीन की आक्रामकता को सामने लाती है
भारत ने सोमवार को दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच पहली 2 + 2 बैठक में रूस के साथ चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए, और वार्ता में नई दिल्ली द्वारा चीनी आक्रमण और कोविड -19 महामारी का उल्लेख शामिल था। अब तक, भारत ने चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) के सदस्य देशों – अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ बैठकों का 2+2 प्रारूप आयोजित किया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक शिखर सम्मेलन…
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abhay121996-blog · 4 years ago
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'अफगानिस्तान में पूरी तरह अलग-थलग हो गया है भारत', ओवैसी ने इशारों में कहा- हमें अमेरिका ने भी दिया धोखा Divya Sandesh
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'अफगानिस्तान में पूरी तरह अलग-थलग हो गया है भारत', ओवैसी ने इशारों में कहा- हमें अमेरिका ने भी दिया धोखा
नई दिल्ली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद का मानना है कि अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद भारत को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले 20 वर्षों से 3 अरब डॉलर खर्च करके भी भारत बदली सूरत में पूरी तरह मार्जिनाइज्ड हो गया। ओवैसी ने इशारों में कहा कि अफगानिस्तान-तालिबान के मुद्दे पर अमेरिका ने भी भारत को धोखा दिया। उन्होंने कहा, ‘जल्मे खलीलजाद ने हमसे बात नहीं की। ब्लिंकन आकर यहां कहते हैं और जयशंकर साहब संसद में कहते हैं कि भारत-अमेरिका सेम पेज पर हैं, क्या यही सेम पेज पर हैं?’
हमें कहा गया इंतजार करिए, कैसे करें इंतजार: ओवैसी ओवैसी ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर गुरुवार को केंद्र सरकार के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सभी दलों से कहा कि अभी वेट एंड वॉच की नीति अपनाएं। उन्होंने कहा, ‘आपने सभी दलों को बुलाकर कहा कि वेट एंड वॉच, कैसे वेट एंड वॉच होगा? 20 साल में भारत का अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर खर्च हुआ है। 20 साल तक हर साल 8-8 सौ अफगानियों को बुलाकर कॉलेज में और अन्य जगहों पर ट्रेनिंग देकर भेजा। वहां की संसद बनाई, डैम बनाए, चाबहार पोर्ट बनाया। सच्चाई यह है कि अफगानिस्तान में आई तब्दीली से भारत पूरी तरह दरकिनार हो गया है।’
हर मंच से नदारद है भारत: ओवैसी लोकसभा सांसद ने अफगानिस्तान में भारत की नीतियों की नाकामियां गिनाईं। उन्होंने कहा, ‘ट्रॉइका प्लस बनाया गया, भारत नहीं है उसमें। कौन है उसमें- यूएस, चीन, रूस। रीजनल आर्क बनाया गया, उसमें भारत नहीं है। कौन है उसमें- चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान। कनेक्टिविटी क्वाड्रिलेटरल बनाया गया, उसमें उज्बेकिस्तान, यूएस, पाकिस्तान है, हम नहीं हैं।’ ओवैसी ने ये बातें टीवी चैनल एबीपी न्यूज के एक विशेष कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि भारत हर तरह से अफगानिस्तान में मार्जनिलाइज्ड होकर रह गया और वहां जो कुछ भी तब्दीली आई है, वो भारत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है लॉन्ग टर्म में।
‘हम 2013 से ही चेतावनी दे रहे थे’ ओवैसी ने कहा कि वो वर्षों से भारत सरकार को अफगानिस्तान और तालिबान के प्रति नीतियों को लेकर आगाह कर रहे थे, लेकिन उनका मजाक उड़ाया गया। आज सच्चाई यह है कि भारत पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया है। उन्होंने कहा, हम शुरू से कह रहे हैं, 2013 से कह रहे हैं पार्ल्यामेंट में कि देखिए यह होगा तो मुझ पर उंगलियां उठाते थे ये लोग, हंसते थे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मोदी सरकार आई, हमने कहा कि यह होगा, उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया। 13 साल पहले और 7 साल मोदी सरकार के, हमने क्या किया अफगानिस्तान के लिए? हमने अमेरिका पर इतना भरोसा किया और वो ग्रीन जोन से चला गया। जब हमने कहा कि अपनी एंबेसी के लोगों को वापस लाना है तो यूएस ने कह दिया कि हम आपको प्रॉटेक्शन नहीं देंगे।’
काबुल दूतावास बंद करने पर भी नाराजगी ओवैसी ने प्रॉटेक्शन नहीं देने की बात पता नहीं कहां से की क्योंकि खबरें तो यही आईं कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से इस संबंध में बात की, उसके बाद अमेरिकी सैनिकों ने काबुल एयपोर्ट ��र भारतीय दूतावास के कर्मियों को सुरक्षा देकर वतन वापस लौटने में मदद की। हैदराबाद सांसद ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि भारत ने काबुल में अपना दूतावास पूरी तरह बंद कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमने अफगानिस्तान को ही छोड़ दिया। अमेरिका ने एक रूम लेकर अपना डिप्लोमेटिक प्रजेंस को रखा है वहां। अफगानी नागरिक जो हमारी एंबेसी में काम करते थे, उनको हम छोड़कर आ गए।’
भारत के दुश्मन आतंकी संगठनों का खतरा बढ़ा ओवैसी ने कहा कि अफगानिस्तान में उन आतंकी संगठनों की पकड़ मजबूत हो गई है जिन्होंने भारत में खून बहाए थे। उन्होंने कहा, ‘पूर्वी अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा आ चुका है, दक्षिणी अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद आ चुका है। ये मशहूर आतंकी संगठन हैं जिन्होंने भारत की जमीन पर मासूम लोगों के खून बहाए। इस परिस्थिति में अगर हम मार्जिनलाइज्ड होकर रह जाएंगे तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है।’
भारत सरकार के रुख से नाराज हैं ओवैसी ओवैसी ने तालिबान के प्रति भारत सरकार के मौजूदा रवैये पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने पूछा कि आखिर भारत सरकार विभिन्न मंचों पर तालिबान का नाम लेने से क्यों बच रही है? उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार का जो रवैया है, जयशंकर साहब संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हैं, तालिबान के बारे में एक बात भी नहीं बोलते हैं। 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में हमने तालिबान का कोई जिक्र नहीं किया।’
चुनावों में तालिबान-तालिबान करेगी बीजेपी: ओवैसी ओवैसी यहीं नहीं रुके और यहां तक कह डाला कि सरकार ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर फोकस करके कल की मीटिंग की है। उन्होंने बीजेपी पर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का इस्तेमाल भी भारत के अंदर फायदा उठाने में करती है, यह गलत है। उन्होंने कहा, ‘भारत की विदेश नीति क्यों फेल होती है पता है? बीजेपी घरेलू नीतियों को विदेशी नीतियों से जोड़ती है और आप देखेंगे कि आने वाले चुनाव में ये तालिबान-तालिबान करते रहेंगे।’ ओवैसी का इशारा अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तरफ है।
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bollywoodpapa · 4 years ago
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बिना खून बहाए बिहार के इस राजा ने 500 हाथी के दम पर जीत लिया था अफगानिस्तान, जानिए पूरी कहानी!
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बिना खून बहाए बिहार के इस राजा ने 500 हाथी के दम पर जीत लिया था अफगानिस्तान, जानिए पूरी कहानी!
दोस्तों अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से वहां के हालात बेहद खराब हो चुके हैं। पूरे देश में तालिबानियों के डर के चलते अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। दुनिया के अलग-अलग देश अपने हिसाब से तालिबान की इस हरकत पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लेकिन अब तक दुनिया के किसी भी मुल्क ने अफगानिस्तान में शांति बहाली के कोई प्रयास नहीं किए हैं। अफगानिस्तान की आम जनता बेहाल है। महिलाओं और बच्चों का सबसे बुरा हाल है। दुनियाभर के एक्सपर्ट अफगानिस्तान के मसले पर अमेरिका की नाकामियों को गिनाने में जुटे हैं।
उनका कहना है कि 20 साल तक अफगानिस्तान में रहने के बाद भी अमेरिकी फौज अफगान सरकार और यहां की फौज को इतनी ताकत नहीं दे पाए कि वह तालिबानियों का तनिक भी सामना कर पाए। तालिबान के मसले क��� सुलझाने के लिए एक्सपर्ट अपने हिसाब से मशविरा भी दे रहे हैं। कबीला संस्कृति वाले अफगानिस्तान में अमेरिका और रूस दोनों की बारी-बारी से विफलता के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस जगह पर कभी कोई ताकत शांति बहाली नहीं कर सकती है। ऐसे में भारतीय इतिहास के पन्ने पलटने पर एक ऐसी घटना याद आती है जिसमें बिहार के एक शासक ने बिना युद्ध के कूटनीतिक का प्रयोग कर अफगानिस्तान को भारत की सीमा में मिला लिया था।
आइए इतिहास के जरिए उस महाप्रतापी सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की कहानी को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं जिसने बिना युद्ध के अफगानिस्तान की सीमा को भारत का हिस्सा बनाया था। इतिहास में इस घटना को भारतीय शासक की पहली कूटनीतिक जीत के रूप में भी याद किया जाता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग की प्रोफेसर विजया लक्ष्मी सिंह कहती हैं भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते सदियों पुराने हैं। कुछ इतिहासकार भारत-अफगानिस्ता संबंध को सिंधु सभ्यता से भी जोड़ते हैं। प्राचीन काल में शोर्तुगई ट्रेड कॉलोनी में आमू दरिया (अफगानिस्तान में नदी) थी। उत्तरी अफगानिस्तान के इस इलाके में यहां पुरातात्विक सिंधु कॉलोनी थी, जो व्यापार के लिए प्रयोग किया जाता था।
जस्टिन और ग्रीक-रोमन इतिहासकार प्लूटार्क महान भारतीय शासक चंद्रगुप्त मौर्य और अलेक्जेंडर के बीच रिश्ते का जिक्र करते हैं। अलेक्जेंडर के सेनापति सेल्युकस ने एक बार मौजूदा अफगानिस्तान (तब कंधार हुआ करता था) को जीत लिया था और पश्चिमी भारत के सरहद तक धमक दिखा दी। ऐसे में चंद्रगुप्त मौर्य भी सरहद की सुरक्षा के लिए वहां जा पहुंचे और दोनों में जंग छिड़ गई। यह युद्ध एक संधि के साथ खत्म हुआ। इसके तहत 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को अफगानिस्तान सौंप दिया था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस जंग के बाद मौर्य साम्राज्य और प्राचीन ग्रीक साम्राज्य के बीच कूटनीतिक रिश्ते कायम हो गए।
प्रोफेसर विजया बताती हैं कि ग्रीक साम्राज्य ने कंधार के अलावा अफगानिस्ताने के दूसरे इलाके और भारत पर चंद्रगुप्त का आधिपत्य स्वीकार कर लिया था। इस दोस्ती के बदले चंद्रगुप्त ने महावतों के साथ 500 हाथी, मुलाजिम, सामग्री और अनाज यूनान को भेजे। उन्होंने बताया कि ग्रीक (यूनान) के राजदूत मेगास्थनीज मौर्य के दरबार में नियुक्त हुए। मेगास्थनीज ने चंद्रगुप्त के कार्यकाल पर बहुत ही नामचीन किताब इंडिका लिखी, जिसमें हमें उस वक्त की जानकारी मिलती है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि सेल्युकस ने अपनी बेटी हेलेन की शादी चंद्रगुप्त मौर्य से की। हालांकि इसकी आधिकारिक जानकारी कहीं नहीं मिलती है। चंद्रगुप्त वंशज के ही महान सम्राट अशोक ने भी अफगानिस्तान पर शासन किया और इस इलाके में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। अशोक के शासनकाल में अरमिक और ग्रीक दोनों भाषा अफगानिस्तान के इन इलाकों में बोली जाती थी।
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sarkariresultgov · 4 years ago
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Top Current Affairs - 13 April 2021 @ SarkariResultGov.com
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1. Japanese brokerage company Nomura has revised the fiscal year 2021-22 (FY22) GDP estimate to 12.6 percent from its previous estimate of 13.5 percent amid rising coronavirus cases and high inflation. Nomura has pegged the calendar year GDP growth at 11.5 percent, a decline of 12.4 percent previously estimated. जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने बढ़ते कोरोनोवायरस मामलों और उच्च मुद्रास्फीति के बीच वित्तीय वर्ष 2021-22 (FY22) के जीडीपी अनुमान को 13.5 प्रतिशत के पिछले अनुमान से 12.6 प्रतिशत तक संशोधित किया है। नोमुरा ने कैलेंडर वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 11.5 प्रतिशत आंकी है, जो पहले अनुमानित 12.4 प्रतिशत की गिरावट थी। 2. Sugam Election Commissioner (EC) Sushil Chandra has been nominated to become the next Chief Election Commissioner (CEC) of India. He will take over from April 13, 2021. He will replace current CEC Sunil Arora, who retires on April 12, 2021. सुगम चुनाव आयुक्त (ईसी) सुशील चंद्र को भारत का अगला मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) बनने के लिए नामित किया गया है। वह 13 अप्रैल, 2021 से प्रभावी पदभार ग्रहण करेंगे। वह वर्तमान सीईसी सुनील अरोड़ा का स्थान लेंगे, जो 12 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। 3. The British Academy Film Awards (BAFTA) for the year 2021 have been announced by the British Academy of Film and Television Arts. BAFTA 2021 is the 74th edition of the annual award to honor the best national and foreign films in 2020 and early 2021. वर्ष 2021 के लिए ब्रिटिश एकेडमी फिल्म अवार्ड्स (बाफ्टा) की घोषणा ब्रिटिश एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन आर्ट्स द्वारा की गई है। बाफ्टा 2021 2020 और 2021 की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय और विदेशी फिल्मों को सम्मानित करने के लिए वार्षिक पुरस्कार का 74 वां संस्करण है। 4. The Jallianwala Bagh massacre, also known as the Amritsar massacre, took place on 13 April 1919. This year, we took the entire nation to a standstill in commemoration of the 102nd anniversary of terror. The Jallianwala Bagh garden has been converted into a monument. And on this day thousands of people come to pay their respects to the martyred men, women who died on that fatal day for the country. जलियांवाला बाग हत्याकांड, जिसे अमृतसर नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है, 13 अप्रैल 1919 को हुआ था। इस साल हम आतंक की 102 वीं वर्षगांठ की याद में पूरे देश को एक ठहराव की ओर ले गए। जलियांवालाबाग उद्यान को एक स्मारक में बदल दिया गया है। और इस दिन हजारों लोग शहीद हुए पुरुषों, महिलाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने आते हैं, जो कि देश के लिए उस घातक दिन मारे गए थे। 5. Legendary shooting coach Sanjay Chakraborty passed away due to Covid-19. Dronacharya Avardi had trained some of the best Indian shooters including Abhinav Bindra, Gagan Narang, Anjali Bhagwat and Suma Shirur, Deepali Deshpande, Anuja Jung and Ayonya Paul. कोविद -19 के कारण दिग्गज शूटिंग कोच संजय चक्रवर्ती का निधन हो गया। द्रोणाचार्य अवार्डी ने अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, अंजलि भागवत और सुमा शिरुर, दीपाली देशपांडे, अनुजा जंग और अयोन्या पॉल सहित कुछ बेहतरीन भारतीय निशानेबाजों को प्रशिक्षित किया था। 6. The Union Minister of Education, Ramesh Pokhriyal Nishank, recently presented the AICTE Lilavati Award, 2020 in New Delhi. The awards were based on the theme "Women Empowerment". The winners were selected by AICTE (All India Council for Technical Education) in six sub-disciplines. केंद्रीय शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल निशंक ने हाल ही में नई दिल्ली में AICTE लीलावती पुरस्कार, 2020 प्रदान किया। पुरस्कार "महिला सशक्तिकरण" विषय पर आधारित थे। विजेताओं का चयन छह उप-विषयों में AICTE (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) द्वारा किया गया था। 7. The Central Drug Regulator, DCGA has approved the Emergency Use Authority of the Russian vaccine, Sputnik V. It becomes the third vaccine to receive emergency use authorization from drug regulators after Covishield and covaxin. This vaccine was developed by the Gamale National Research Institute of Epidemiology and Microbiology in Russia last year. सेंट्रल ड्रग रेगुलेटर, DCGA ने रूसी वैक्सीन, स्पुतनिक वी के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण को मंजूरी दे दी है। कोविशिल्ड और कोवाक्सिन के बाद ड्रग रेगुलेटर से आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्राप्त करने वाला यह तीसरा टीका बन गया है। इस वैक्सीन को गामाले नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा पिछले साल रूस में विकसित किया गया था। 8. Poonam Gupta will be the new director-general of the policy think tank National Council of Applied Economic Research (NCAER). Gupta will succeed Shekhar Shah, the current head of the think tank, becoming the first woman to hold the position. Currently, Gupta is the lead economist at the World Bank in Washington DC. पूनम गुप्ता पॉलिसी थिंक टैंक नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की नई डायरेक्टर-जनरल होंगी। गुप्ता थिंक टैंक के वर्तमान प्रमुख शेखर शाह को पद संभालने वाली पहली महिला बनने में सफल होंगे। वर्तमान में, गुप्ता वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक में प्रमुख अर्थशास्त्री हैं। 9. Ghaziabad Municipal Corporation (GNN) has announced to successfully raise and list India's first Green Municipal Bond issue. GNN raised ₹ 150 crore at a cost of 8.1 per cent. The funds will be used to clean up the dirty water by setting up a tertiary water treatment plant and supply piped water through water meters such as Amoebabad. According to India Ratings, Ghaziabad is debt free and has maintained a state of revenue surplus over the years. गम (GNN) ने भारत के पहले ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड मुद्दे को सफलतापूर्वक उठाने और सूचीबद्ध करने की घोषणा की है। जीएनएन ने 8.1 फीसदी की लागत से ₹ 150 करोड़ जुटाए। तृतीयक जल उपचार संयंत्र की स्थापना करके गंदे पानी को साफ करने और पानी के मीटर के माध्यम से पाइप्ड पानी की आपूर्ति करने के लिए धन का इस्तेमाल किया जाएगा जैसे अमीबाबाद। इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, गाजियाबाद कर्ज मुक्त है और पिछले कुछ वर्षों में राजस्व अधिशेष की स्थिति बनाए हुए है। 10. Bharti AXA Life and Fincare Small Finance Bank have joined hands for a bancassurance partnership under which the bank will sell insurance policies to its customers. The alliance will provide life insurance solutions to over 26.5 lakh customers of Fincare Small Finance Bank and provide financial security to them. भारती एक्सा लाइफ और फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक ने एक बैंकासुरेशन साझेदारी के लिए हाथ मिलाया है जिसके तहत बैंक अपने ग्राहकों को बीमा पॉलिसी बेचेगा। यह गठबंधन फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक के 26.5 लाख से अधिक ग्राहकों को जीवन बीमा समाधान उपलब्ध कराएगा और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा। 11. A Sanskrit learning app Guru Little Guru has been launched in Bangladesh by the Indira Gandhi Cultural Center (IGCC) of the High Commission of India. The Sanskrit learning app is part of the Indian Council for Cultural Relations (ICCR) campaign to promote Sanskrit language among students, religious scholars, scientists and historians around the world. भारत के उच्चायोग के इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC) द्वारा बांग्लादेश में एक संस्कृत शिक्षण ऐप Guru लिटिल गुरु ’लॉन्च किया गया है। संस्कृत शिक्षण ऐप भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा दुनिया भर के छात्रों, धार्मिक विद्वानों, वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के बीच संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। 12. Axis Bank Limited informed that after completing the acquisition of a 12.99% stake in the company by Axis Entities collectively, it has become a co-promoter of Max Life Insurance Company Limited. Axis Bank and its two subsidiaries Axis Capital Limited and Axis Securities Limited collectively own a 12.99% stake in Max Life after the closing of the deal. एक्सिस बैंक लिमिटेड ने सूचित किया कि कंपनी में एक्सिस एंटिटीज द्वारा सामूहिक रूप से 12.99% हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा करने के बाद, यह मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का सह-प्रवर्तक बन गया है। एक्सिस बैंक और उसकी दो सहायक कंपनियां एक्सिस कैपिटल लिमिटेड और एक्सिस सिक्योरिटीज लिमिटेड सामूहिक रूप से सौदे की समाप्ति के बाद मैक्स लाइफ में 12.99% हिस्सेदारी की मालिक हैं। Read the full article
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kisansatta · 5 years ago
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तनाव के बीच पहली बार सामने होंगे चीन और भारत के विदेश मंत्री
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नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत चीन के बीच हुई झड़प के बाद आज भारत,रूस और चीन के बीच एक वर्चुअल संवाद होगा | विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद हिंसक झड़प के बाद आज पहली बार जयशंकर और वांग यी आमने-सामने होंगे। इस सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके रूसी समकक्ष सर्जेई लावरोव भी भाग लेंगे।
इससे पहले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के बाद बैठक को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस टकराव की घटना ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा पर पहले से बनी हुई नाजुक स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि बैठक में कोरोना वायरस महामारी पर तथा वैश्विक सुरक्षा एवं वित्तीय स्थिरता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी। सूत्रों ने परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि बैठक में भारत और चीन के बीच सीमा पर बने हुए गतिरोध पर चर्चा की संभावना नहीं है क्योंकि त्रिपक्षीय वार्ता के प्रारूप में सामान्य तौर पर द्विपक्षीय विषयों पर बातचीत नहीं की जाती।
रूस पहले ही कह चुका है कि भारत और चीन को सीमा विवाद बातचीत के जरिए सुलझा लेना चाहिए तथा दोनों देशों के बीच सकारात्मक संबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी हैं। तीनों विदेश मंत्री फरवरी में अमेरिका के तालिबान के साथ एक शांति समझौता करने के बाद अफगानिस्तान में उभरते राजनीतिक हालात पर विस्तार से बातचीत कर सकते हैं।
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dainiksamachar · 2 years ago
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नाटो में शामिल होने के लिए भारत पर कोई दबाव नहीं डाल सकता...यूएन में भारत ने दोस्‍त रूस को सुना दिया
संयुक्त राष्ट्र: भारत एक बड़ा देश है, जो 'अपने दम पर खड़ा है और गौरवान्वित' है और कोई भी इस पर दबाव नहीं डाल सकता। यह बात संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को उस समय कही, जब उनसे रूस के विदेश मंत्री के इस दावे के बारे में सवाल किया गया कि पश्चिमी सैन्य समूह नाटो भारत पर मास्को और बीजिंग विरोधी गठबंधन में शामिल होने का दबाव डाल रहा है। कंबोज ने कहा, भारत की बहुआयामी स्वतंत्र नीति है। भारतीय प्रतिनिधि कंबोज ने कहा कि रूस के साथ हमारे महत्वपूर्ण संबंध हैं और जहां तक अमेरिका के साथ संबंधों की बात है, यह एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जो कभी भी इतनी मजबूत नहीं थी। भारत ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता उस समय संभाली है, जब वीटो के अधिकार वाले रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और उससे उपजे वैश्विक तनाव से वह असहाय हो चुका है। इस संदर्भ में पश्चिमी देशों और रूस के साथ भारत का संबंध उपयोगी हो सकता है। गुरुवार को महीने भर के लिए तयक सुरक्षा परिषद के कार्यक्रम में यूक्रेन मुद्दे को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन कंबोज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मुद्दा सामने आएगा। 'पीएम मोदी ने पुतिन को दिया था शांति का संदेश' यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के संदर्भ में कम्बोज ने कहा, 'हम शुरू से ही बहुत स्पष्ट रहे हैं, हमने एक स्वर में शांति की बात की है। हम कूटनीति और संवाद के पक्षधर हैं। इसके लिए हमारे प्रधान मंत्री (नरेंद्र मोदी) और विदेश मंत्री (एस जयशंकर) दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं। हम उन कुछ देशों में से हैं, जो दोनों से बात कर रहे हैं।' उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था, 'यह युद्ध का युग नहीं है' और कहा कि इसे 'वैश्विक स्वीकृति मिली है।' जी 20 की हालिया घोषणा में भी इसे शामिल किया गया है। प्रमुख औद्योगिक और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी20 ने पिछले महीने बाली में अपने शिखर सम्मेलन में आम सहमति की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने यूक्रेन में बुनियादी ढांचे पर हमलों की निंदा की है। कंबोज ने बताया कि भारत यूक्रेन को 12 मेडिकल कंसाइनमेंट और शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। एक रिपोर्टर द्वारा चीन में जारी विरोध प्रदर्शन और उसकी सरकार की कोविड नीति के बारे में पूछे जाने पर कंबोज ने कहा, 'हम अन्य देशों के आंतरिक और घरेलू मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं, इस पर टिप्पणी करना हमारा काम नहीं है।' http://dlvr.it/SdjdPq
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