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Motihari:प्रतिबंधित पीएफआई संगठन के रियाज ने पूछताछ में एनआइए को दी कई अहम जानकारी
Motihari: जिले के चकिया से गिरफ्तार प्रतिबंधित पीएफआई के राज्य उपाध्यक्ष रियाज मारूफ ने एनआइए की पूछताछ में कई राज उगले है।जिसके आधार पर एनआइए की टीम ने मोतिहारी पुलिस के साथ करीब आठ से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है। मोतिहारी पुलिस के रियाज को गिरफ्तार किये जाने के बाद पिपरा थाना में एनआइए व एटीएस की टीम ने उससे लंबी पूछताछ की है।जहां उसने दो वैसे लोगो का नाम बताया है,क�� जो चकिया थाना में खाना…
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Kanhaiyalal Murder Case : आरोपी मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली जमानत
Kanhaiyalal Murder Case : उदयपुर कन्हैयालाल हत्या कांड मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने सह आरोपी जावेद को जमानत दी है। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने जावेद को यह राहत प्रदान की। मामले में जावेद पर आरोप था कि उसने मुख्य आरोपियों के साथ मिलकर कन्हैयालाल की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन हाईकोर्ट ने साक्ष्यों और सुनवाई के आधार पर उसकी जमानत याचिका मंजूर कर ली। कोर्ट…
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Updated Bollywood News: आसिम रियाज ने मिस्ट्री वुमन के साथ की रोमांटिक तस्वीर शेयर https://newswatchindia.com/asim-riaz-shares-romantic-picture-with-mystery-woman/
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Mohammed Rafi and Suraiya: Read 10 Unheard Stories
Introduction
10 Interesting Facts About Mohammed Rafi: ‘जिंदगी हम फकीरों से क्या ले गई, सर से चादर बदन से हवा ले गई’ यह शेर महान गायक मोहम्मद रफी पर बिल्कुल सटीक बैठता है. रफी साहब को जिन्होंने जाना, समझा और परखा तो मिजाज से फकीर ही पाया. ऐसा फकीर जिसने अपनी गायकी से करोड़ों दिलों में जगह बनाई. वक्त बदला, दौर बदला और अब तो सदी ही बदल गई, लेकिन मोहम्मद रफी के चाहने और सुनने वालों का कारवां घटने की बजाय बढ़ता रहा. रफी साहब ने हर मूड और मिजाज के गाने गाए और लोगों ने इन्हें खूब पसंद भी किया. अब 21वीं सदी ��ें भी मोहम्मद रफी के लिए वही दीवानगी बरकरार है, जो पहले थी. मानसिक परेशानी में जो काम डॉक्टरों की दवाइयां नहीं कर पाती हैं वह उनके गीत कर जाते हैं. दर्द के नगमे गाकर जहां मोहम्मद रफी ने लोगों को तसल्ली दी तो उनके गाए खुशियों के गीत लाखों अरमानों को एकसाथ जिंदा कर देते हैं. इस स्टोरी में हम बताएंगे महान गायक मोहम्मद रफी की जिंदगी और गायकी से जुड़े अनसुने किस्से.
Table Of Content
फकीर ने कर दी थी महान बनने की भविष्यवाणी
रफी का वह गीत जिसके बिना अधूरी है शादी
कभी नाई की दुकान में काटते थे बाल
एक गाने की वजह से बन गई बात
13 साल में दी पहली परफॉर्मेंस
श्याम सुंदर ने दिया पहला ब्रेक
सुरैया ने क्या दिया रफी को अपना कमरा
19 वर्ष में हो गई थी शादी
सुरैया ने क्या दिया रफी को अपना कमरा
रफी की कब्र से मिट्टी ले गए थे लोग
फकीर ने कर दी थी महान बनने की भविष्यवाणी
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर, 1924 को पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ. ग्रामीण जीवन को उन्होंने बखूबी जिया. गुल्ली डंडा से लेकर हर वह खेल जो गांव में खेले जाते हैं उनका आनंद मोहम्मद रफी ने भी लिया. बावजूद इसके बचपन से ही उनमें सादगी वाला मिजाज रहा. हां, संगीत के प्रति उनका लगाव था. बचपन में शादी-समारोह या अन्य आयोजन होते तो उनमें बजने वाला संगीत उन्हें खूब पसंद आता. शादी में जाने की हसरत पूरी नहीं होती तो वह दूर से ही समारोह में गाए गीतों को सुनते. गांव में एक फकीर अक्सर आया करता था. गांव की गलियों में गाना गाते हुए एक फकीर को देखकर मोहम्मद रफी ऐसे प्रभावित हुए कि रोजाना उसे सुनने का इंतजार करते थे.
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उस फकीर की नकल उतारते हुए बाल मोहम्मद रफी खुद भी रियाज किया करते थे. फकीर की बानगी और गीत मोहम्मद रफी को खूब पसंद आते. वह उस फकीर के पीछे-पीछे घूमा करते थे. फकीर भी कभी मुस्कुराकर तो कभी हालचाल पूछकर मोहम्मद रफी को घर लौटा दिया करता था. एक दिन मोहम्मद रफी उस फ़कीर के पीछे-पीछे चलने लगे तो उन्होंने गोद में उठा लिया. प्यार-दुलार करने के बाद फकीर ने बच्चे रफी से कहा- ‘जा बच्च��� तू एक दिन बहुत बड़ा आदमी ��नेगा. दुनिया तेरे नाम की दीवानी होगी’ यह बात सबके सामने फकीर ने कही. आसपास के लोगों ने सुनी, लेकिन बचपन में मोहम्मद रफी को यह बात समझ नहीं आई, लेकिन फकीर की दुआ की चर्चा जरूर पूरे गांव में हुई. मोहम्मद रफी आगे चलकर स्वर सम्राट मोहम्मद रफी के नाम से पहचाने गए. कहते हैं कि मोहम्मद रफी साहब को एक फकीर की दुआ लगी थी और वह महान शख्सियत बन गए, जिन्हें जमाना सदियों तक भूला नहीं पाएगा.
रफी का वह गीत जिसके बिना अधूरी है शादी
कभी नाई की दुकान में काटते थे बाल
एक गाने की वजह से बन गई बात
नाई की दुकान में बाल काटने के दौरान मोहम्मद रफी अमृतसर स्टाइल में वारिस शाह का ‘हीर’ गुनगुना रहे थे. नन्हे रफी की आवाज में गाना सुनकर जीवनलाल बहुत प्रभावित हुए. रफी को जीवनलाल ने ऑडिशन के लिए बुलाया. ऑडिशन क्लीयर करने के बाद जीवनलाल ने ही उन्हें पंजाबी संगीत की ट्रेनिंग दी. उनकी उस्तादी में हुनरमंद रफी गायिकी में माहिर होते चले गए. इसके बाद बड़े भाई मोहम्मद हमीद ने संगीत के प्रति इनकी रुचि को देखा और रफी को उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास संगीत शिक्षा लेने के लिए कहा.
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13 साल में दी पहली परफॉर्मेंस
श्याम सुंदर ने दिया पहला ब्रेक
19 वर्ष में हो गई थी शादी
सुरैया ने क्या दिया रफी को अपना कमरा
रफी की कब्र से मिट्टी ले गए थे लोग
Conclusion
मोहम्मद रफी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में करीब तीन दशक से भी ज्यादा समय तक अपनी गायकी का जादू चलाया. हिंदी फिल्मों में उन्होंने सर्वाधिक गाने गए, वहीं उन्होंने हिंदी के अलावा पंजाबी, बंगाली, गुजराती और कई अन्य भाषाओं में 7400 से ज्यादा गाने गाए.
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जोराम फिल्म रिव्यु!
"अस्तित्व, न्याय और मानवीय भावना की कहानी"
Image of Manoj Bajpayi lead in the Reviewed Film प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसे व्यक्ति की कहानी पर आधारित है जो काम करने झारखंड से मुंबई आता है एक दिन जब वह काम से घर वापस जाता है तो देखता है कि उसकी पत्नी लटकी हुई है और गुंडों से लड़ते हुए, उसे मार कर अपनी जान बचाता है और अपनी छोटी सी बच्ची को बचाने के लिए अपनी पत्नी को छोड़ कर भाग जाता है और भागते भागते अपने गांव झारखंड आ जाता है| उसको पकड़ने के लिए मुंबई से पुलिस वाला भी वहां पहुंच जाता है| क्या पुलिस वाला उसको पकड़ पाएगा? उसकी पत्नी पर किसने हमला करवाया था? उसने अपने आप को पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया? इन सभी सवालों के जवाबों के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: यह फिल्म एक्शन थ्रिलर टोन पर आधारित है यह Offbeat सिनेमा की फिल्म है| फिल्म की थीम Survival और Justice पर है और इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्डस हासिल करना और फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाना है| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: दसरू की भूमिका में मनोज बाजपेई का अभिनय उत्तम दर्जे का है उन्होंने चरित्र का चोला अपने शरीर पर पहनकर इस रोल को पूरी ताकत के साथ निभाया चाहे उनका हेयर स्टाइल हो, मेकअप हो, beard हो, कॉस्ट्यूम हो, बॉडी लैंग्वेज हो पूरी Perfection के साथ रोल निभाया| वह इस रोल के लिए अवार्ड नॉमिनेशन के भी हकदार हैं और जीत भी सकते हैं रत्नाकर के रोल में मोहम्मद जीशान अय्यूब का अभिनय भी अच्छा है उन्होंने भी अपने रोल को 100% देने की कोशिश की है | फूलों की भूमिका में स्मिता तांबे का अभिनय भी लाजवाब है उन्होंने भी अपने रोल को पूरी मेहनत से निभाया चाहे उनका मेकअप हो, कॉस्ट्यूम हो, बॉडी लैंग्वेज हो, हेयर स्टाइल हो, और ज्वेलरी हो, अच्छा अभिनय करने का पूरा प्रयास किया, वानो की भूमिका में तनिष्ठा मुखर्जी का अभिनय अच्छा है, दसरू की पत्नी के रोल में उनकी विशेष भूमिका है| Written एंड Direction: इस फिल्म को देवाशीष मखीजा ने निर्देशित किया है इस फिल्म से पहले वह Short Films बना चुके हैं, कुछ फिल्मों के Screenplay और Dialogues भी लिख चुके हैं, अनुराग कश्यप और शाद अली जैसे Directors के साथ वह बंटी और बबली और ब्लैक फ्राईडे जैसी फिल्मों में Assistant Director के तौर पर भूमिका निभा चुके हैं, ज्यादातर उनकी फिल्में Critically Acclaimed और Film Festivals में जाने वाली होती हैं और अवार्ड जीतने वाली होती हैं उन्होंने भोंसले, अज्जी जैसी Critically Acclaimed और Awards Winning फिल्मों को भी निर्देशित किया है, इस फिल्म का निर्देशन उनका बढ़िया है उनका कहानी को बताने का स्टाइल Unique है, फिल्म की गति पर भी कंट्रोल है सीधी साधी कहानी को उन्होंने अच्छे से बताने का प्रयास किया है, फिल्म की कहानी ���लग तरह की ��ै पटकथा भी औसत दर्जे की है, उन्होंने फिल्म को Original Locations पर फिल्माकर, एक अलग तरह की फिल्म बनाई है, चाहे रेलगाड़ी के अंदर के दृश्य हो, Mines के दृश्य हो , गांव के दृश्य हो, सभी दृश्यों को अच्छे से पर्दे पर दिखाया है सिनेमैटोग्राफी: पीयूष पुट्टी अच्छी है, Original Locations के दृश्यों को बहुत अच्छे से फिल्माया है, उनका कैमरा वर्क भी अच्छा है Aerial Views दृश्य ज्यादा नहीं है| एडिटिंग: अभ्र बनर्जी की संतुलित है, फिल्म थोड़ी सी धीमी है और कसी हुई हो सकती थी| साउंड डिजाइन: धीमान कर्मकार का बहुत बढ़िया है, खास कर जंगल वाले दृश्यों का| बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े का बहुत अच्छा है फिल्म की कहानी के अनुसार है| एक्शन: रियाज शेख और हबीब सैयद का ठीक-ठाक है, उनके लिए ज्यादा स्कोप नहीं था | कॉस्ट्यूम डिजाइन: सुबोध श्रीवास्तव का बहुत बढ़िया है| प्रोडक्शन डिजाइन: शमीम खान का ठीक-ठाक है| क्लाइमेक्स: बहुत बढ़िया बन पड़ा है ओपिनियन: One Time Watch! जो Offbeat फिल्मों को देखना पसंद करते हैं Flaw: वानो ने जब दसरू को कहा मत जाओ, वह उसे जिंदा ही छोड़कर भाग जाता है उसने अपनी पत्नी को बचाया क्यों नहीं समझ से परे हैं| फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स), बेस्ट डायरेक्टर (क्रिटिक्स) एंड बेस्ट स्टोरी CBFC-U/A Movietime-2h.18mins Genre-Thriller Backdrop-Jharkhand Release Year-2023 Film Cast: Manoj Bajpai, Mohammed Zeeshan Ayub, Smita Tambe, Megha Mathur, Tanishtha Mukherjee Producer: Makhija film, Anupama Bose, Devashish Makhija, Written and Director: Devashish Makhija, Cinematography: Piyush Puty, Editor: aAbhro Banerjee, Sound Design: Dhiman Karmakar, Background Score: Mangesh Dhakde, Casting: Casting Bay, Abhishek Banerjee, Anmol Ahuja, Action: Riyaz Shaikh and Habib Sayed, Costume Design: Subodh Srivastav, Production Design: Shamim Khan जोराम का मतलब शिशु होता है Read the full article
#जोराम#जोरामफिल्म#जोराममूवी#मनोजबाजपेयी#मोहम्मदजीशानअयूब#ड्रामा#देवाशीषमखीजा#एक्शन#थ्रिलर#एक्शनथ्रिलर
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सरकारी दफ्तर में 10 करोड़ का गबन! कर्मचारियों ने बैंक अधिकारी से मिलकर उड़ाए पैसे
मध्य प्रदेश में शासकीय खजाने में 10 करोड़ रुपये के गबन का बड़ा मामला सामने आया है. बीज प्रमाणीकरण संस्था के कुछ कर्मचारियों ने बैंक अधिकारियों के साथ साजिश कर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया. पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए मास्टरमाइंड सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने गबन की गई राशि का इस्तेमाल जमीन खरीदने और अन्य संपत्तियों में किया. डीसीपी (जोन-3) रियाज इकबाल ने बताया कि आरोपियों ने…
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अंतरिम सरकार ने किया नौ सदस्यों वाले संविधान सुधार आयोग का गठन; 90 दिनों में सौंपनी होगी रिपोर्ट
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने नौ सदस्यों का एक संविधान सुधार आयोग बनाया है। इस आयोग का अध्यक्ष बांग्लादेशी-अमेरिकी प्रोफेसर अली रियाज को बनाया गया है। यह संविधान सुधार आयोग 90 दिनों में सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। बांग्लादेश की सरकारी बीएसएस समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी है। बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोगों को सशक्त बनाते हुए एक प्रतिनिधि और प्रभावी लोकतंत्र स्थापित करने के लिए…
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Jharkhand Congress : झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष पहुंचे जमशेदपुर, इंटक मजदूर नेताओं ने मांगा जमशेदपुर से टिकट
जमशेदपुर : झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष केशव महतो कमलेश जमशेदपुर के गोलमुरी टिनप्लेट वर्कर्स यूनियन की हाल में पहुंचे. झारखंड इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय अपनी पूरी टीम के साथ स्वागत एवं मुलाक़ात किये. इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नागेंद्र प्रसाद, रामा खालको, रियाज अहमद, पूर्व अध्यक्ष रामाश्रय प्रसाद, परबिन्दर सिंह सोहल, मनोज कुमार सिंह, मनोज सिंह, पंकज सिंह, कांत सिंह आदि कई नेताओं…
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कन्हैयालाल को 26 बार चाकू मारने वाले जावेद को मिली जमानत, जानें पूरा मामला
Rajasthan News: कन्हैयालाल हत्याकांड को कौन भूल सकता है. उदयपुर के सुप्रीम टेलर्स में काम करने वाले कन्हैयालाल की 28 जून 2022 को हत्या कर दी गई थी. अब इस मामले में हाई कोर्ट का आदेश आया है. अदालत ने आरोपी मोहम्मद जावेद को जमानत दे दी है. जावेद को सशर्त जमानत मिली है. जावेद की दुकान कन्हैयालाल की दुकान के सामने थी. एनआईए ने मामले में जावेद पर कन्हैयालाल की रेकी कर रियाज अत्तारी और मोहम्मद गौश को…
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'तुझे उठाकर यहीं फेंक दूंगा, तेरी बकवास...' आसिम की बदतमीजी पर भड़के रोहित शेट्टी, लगाई फटकार
खतरों के खिलाड़ी सीजन 14 से आसिम रियाज के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिसमें उन्हें शो की टीम और अपने साथी कंटेस्टेंट्स से लड़ते हुए देखा जा सकता है। वह शो में अपना रुतबा भी दिखाते नजर आते हैं, जिस पर शो के होस्ट रोहित शेट्टी काफी नाराज हो जाते हैं और कहते हैं कि ‘कोई यह न सोचे कि यह शो उनकी वजह से चल रहा है।’ रोहित शेट्टी के स्टंट बेस्ड रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी सीजन 14’ की…
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Mewar_University_In_Media :: MOU signed between Mewar University, AUGP USA and UNUGP
मेवाड़ यूनिवर्सिटी और द अमेरिकन यूनिवर्सिटी यूएसए (एयूजीपी यूएसए) व यूनाइटेड नेशनस यूनिवर्सिटी फॉर ग्लोबल पीस यूएसए (यूएनयूजीपी) के बीच एक एमओयू साइन हुआ है । व्यावसायिक और उच्च अध्ययन के विविध क्षेत्रों के मद्देनजर दोनों संस्थानों के बीच शांति संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर समझौता किया गया है। यह एमओयू मेवाड़ यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन डॉ. अशोक कुमार गदिया और द अमेरिकन यूनिवर्सिटी यूएसए (एयूजीपी यूएसए) और यूनाइटेड नेशन के चेयरमेन व चीफ रेक्टर प्रो. (डॉ.) मधु कृष्ण के बीच नई दिल्ली में किया गया। इस मौके पर एयूजीपी और यूएनयूजीपी यूएसए के डायरेक्टर और डीन डॉ. नीरज टंडन और एयूजीपी यूएसए के कोर्डिनेटर पवन पटेल, मेवाड़ यूनिवर्सिटी और जम्मू एंड कश्मीर गर्वनमेंट यूनिवर्सिटी के कॉर्डिनेटर रियाज और मेवाड़ यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग और वोकेशनल स्टडीज संकाय के डीन ए़ यादव भी मौजूद थे।
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Published In: Rajasthan Patrika, Dainik Bhaskar, Dainik Navajyoti, etc…
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The Journey of Zakir Hussain: From Tabla Artist to Legendary Ustaad
Introduction
Zakir Hussain : जाकिर हुसैन की गिनती महान तबला वादकों में की जाती है. यही वजह है कि उनके नाम के आगे उस्ताद लगाया जाता है. वैसे उनका एक तबला वादक से उस्ताद जाकिर हुसैन बनने का सफर काफी दिलचस्प है. महज 12 साल की उम्र में अमेरिका को अपने तबले की धुन के जरिये मंत्र मुग्ध करने वाले जाकिर हुसैन को ये कला विरासत में मिली, जिसे उन्होंने मरते दम तक सहेज कर रखा. तबले की थाप पर संगीत की धुन रचने वाले जाकिर हुसैन ने अपने जीवन के 73 सालों में पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मान अपने नाम किए. घुंघराले बालों के साथ हंसमुख चेहरा जाकिर हुसैन का अलग ही व्यक्तित्व दर्शाता था. जो भी उनसे मिलता प्रभावित होता और अगर बात कर ले तो उनका दीवाना हो जाता था.
यही वजह है कि उस्ताद जाकिर हुसैन के सिर्फ फैन्स और दीवाने ही मिलेंगे लेकिन आलोचक नहीं. 15 दिसंबर, 2024 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने दुनिया को अलविदा कह दिया. जाकिर हुसैन फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे. भारतीयों की नजर में ‘वाह उस्ताद’ का रुतबा हासिल कर चुके जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे. ऐसे में हम आपके लिए उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से लेकर आए हैं, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे.
Table of Content
जाकिर हुसैन का बचपन
जाकिर का हेयर स्टाइल
तबले से करते थे बात
जब सीखी गणेश वंदना
5 रुपये से 5 लाख तक ली फीस
विकेटकीपिंग करते थे जाकिर
मुगल-ए-आज़म
फिल्मों में भी किया काम
जाकिर हुसैन का बचपन
जाकिर का हेयर स्टाइल
जाकिर हुसैन का हेयर स्टाइल भी काफी पॉपुलर हुआ था. हैरानी की बात है कि उन्होंने इसके बारे में कभी सोचा ही नहीं था. लोगों के साथ-साथ मीडिया ने ये एहसास कराया तो उन्होंने भी अपना हेयर स्टाइल नोटिस किया. अपने इस हेयर स्टाइल को लेकर उनका कहना था कि काम पर जाने की जल्दी में उन्हें बाल सुखाने और उन्हें कंघी करने का मौका ही नहीं मिलता था. वो नहा धोकर ऐसे ही घर से बाहर निकल जाया करते थे. अपने एक इंटरव्यू में जाकिर ने कहा था कि उन दिनों अमेरिका में लंबे बालों और दाढ़ी का हिप्पी स्टाइल चल रहा था. हालांकि, तब मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया. जाकिर ने बताया कि उन्हीं दिनों ताज चाय वालों के साथ मेरा कॉन्ट्रैक्ट हुआ, जिसमें उन्होंने शर्त रखी कि आप बाल नहीं कटवाएंगे. कह सकते हैं कि ये मेरी मजबूरी भी बन गई थी.
तबले से करते थे बात
जाकिर हुसैन की संगीत के लिए दीवानगी देखिए कि वो अपने तबले से बातचीत करते थे. वो अक्सर उससे पूछते थे कि तुम्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं. उसकी सफाई का काम जाकिर खुद किया करते थे. दरअसल, बचपन में एक बार जाकिर पंडित किशन महाराज का कार्यक्रम सुनने गए जो बिरजू महाराज के साथ तबला बजा रहे थे. जब किशन महाराज स्टेज पर जा रहे थे तब जाकिर ने उन्हें गुड लक कहा. इसके जवाब में किशन महाराज ने कहा- ‘देखते हैं बेटा आज साज क्या कहेगा.’ उस छोटी सी उम्र में जाकिर हुसैन को इन शब्दों का मतलब नहीं पता था, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि साज की भी जुबान है. अगर वो नहीं बोलेगा तो जो चाहे कर लो, कुछ नहीं होगा.
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जब सीखी गणेश वंदना
जाकिर हुसैन सुबह 3 बजे उठकर पिता के साथ 6 बजे तक रियाज किया करते थे. बचपन में सुर, लय और ताल के साथ जाकिर ने कई श्लोक और मंत्र भी सीखे. पिता ने उन्हें सरस्वती और गणेश वंदना भी सिखाई. जहां उनके पिता बेटे को एक बड़ा संगीतकार बनाना चाहते थे तो वहीं दूसरी तरफ जाकिर हुसैन की मां बीवी बेगम चाहती ही नहीं थीं कि उनका बेटा तबला बजाये. वो तो बेटे को इंजीनियर या डॉक्टर बनते देखना चाहती थीं, लेकिन तबला और जाकिर एक-दूजे के लिए ही बने थे. दोनों का साथ ऐसा बना कि जिंदगी भर नहीं टूटा.
5 रुपये से 5 लाख तक ली फीस
विकेटकीपिंग करते थे जाकिर
उस्ताद जाकिर हुसैन का बचपन में मन क्रिकेट खेलने में खूब रमता था. स्कूल के दिनों में जाकिर हुसैन टीम में बतौर विकेटकीपर खेलते थे. हालांकि, उनके मन में सिर्फ संगीत ही बसा था. उसी के साथ आगे बढ़ते हुए जाकिर हुसैन ने वो मुकाम हासिल किया जो भारत में किसी संगीतकार के पास नहीं है. 1988 में जब जाकिर हुसैन को पद्म श्री अवॉर्ड दिया गया था तब उनकी उम्र सिर्फ 37 साल थी. फिर साल 2002 में उन्हें संगीत की दुनिया में अपने योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजा गया. उन्हें 1992 और 2009 में म्यूजिक की दुनिया के सबसे बड़े सम्मान ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया. वर्ष 2023 जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.
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मुगल-ए-आज़म
के. आसिफ की फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में जाकिर हुसैन के पिता अल्लाह रक्खा म्यूजिक कंपोज कर रहे थे. उस वक्त जाकिर को सलीम का किरदार ऑफर किया गया था. दिलीप कुमार को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं थी, मगर जाकिर हुसैन के पिता इसके लिए राजी नहीं हुए. उनका मानना था कि इससे जाकिर अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाएगा. पिता की एक ना की वजह से जाकिर हुसैन हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ का हिस्सा बनते-बनते रह गए. हालांकि, उसके बाद जाकिर हुसैन ने 12 फिल्मों में काम किया.
फिल्मों में भी किया काम
Conclusion
वर्ष 2016 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट का आयोजन किया. इस कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने वाले जाकिर हुसैन पहले भारतीय संगीतकार थे. 1979 से 2007 तक ज़ाकिर हुसैन अलग-अलग इंटरनेशनल समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाते रहे. यही वजह है कि वो जितने मशहूर भारत में रहे उतने ही विदेश में भी रहे. 73 साल की उम्र में जाकिर हुसैन ने इस दुनिया को अलविदा कह अपने करोड़ों फैन्स का दिल तोड़ दिया. भले ही उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन वो सदियों तक लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे.
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अनेक फिल्म समीक्षा/रिव्यु!
Image of Ayushmann Khurrana lead in the reviewed film प्लॉट: यह फिल्म नॉर्थ ईस्ट के आतंकवाद पर बनाई गई है, जिसमे में एक एजेंट को मिशन को पूरा करने और एक टेररिस्ट ग्रुप को खत्म करने के लिए भेजा जाता है| इसके साथ साथ अलगाववादी ग्रुप के सदस्य टाइगर सांगा से बात भी चलती रहती है ताकि भारत सरकार से शांति समझौता हो सके| पर क्या शांति समझौता हो पाएगा? क्या एजेंट अपना मिशन पूरा कर पाएगा? क्या आतंकवादी ग्रुप हथियार छोड़ देंगे? इन सभी सवालों को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: यह फिल्म एक्शन थ्रिलर की टोन पर बनी है, फिल्म की थीम अलगाववाद और आतंकवाद पर आधारित है| इस फिल्म का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ संदेश देना भी है कि हिंसा किसी भी तरह से समाधान का हल नहीं निकाल सकता, सबको भारत के संविधान के अनुसार मेज़ पर बैठकर हर समस्या का हल ढूंढना होगा| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: अमन के किरदार में आयुष्मान खुराना का अभिनय औसत दर्जे का है उनका रोल में कुछ खास नहीं था, जो वह अलग से कुछ कर पाते| अबरार के रोल में मनोज पाहवा, अबरार के बॉस के रोल में कुमुद मिश्रा का अभिनय भी ठीक-ठाक है| किरदारों को अच्छे से नहीं लिखा गया| Aido के रोल में Andrea kevichusa का अभिनय अच्छा है, यह उनकी पहली हिंदी फिल्म है अंजैयाह के किरदार में जेडी चक्रवर्ती का अभिनय भी ठीक-ठाक है| डायरेक्शन: इस फिल्म को अनुभव सिन्हा ने निर्देशित किया है इस फिल्म से पहले उन्होंने मुल्क, आर्टिकल 15, थप्पड़ जैसी फ़िल्में बनाई है जो सफल फिल्मों की श्रेणी में कहीं जा सकती है पर इस फिल्म में वह पूरी तरह से पटरी से नीचे उतर गए उनका बहुत ही कमजोर निर्देशन है फिल्म में उनकी पकड़ बहुत कमजोर है, शुरू से लेकर अंत तक वह फिल्म को संभाल नहीं पाए, जो एक अच्छी फिल्म बन सकती थी पर नहीं बन पाई| कहानी का कोई सिर पैर नहीं है और गति भी बहुत धीमी है अनुभव सिन्हा के लिखे हुए डायलॉग भी कुछ खास नहीं हैं| कहानी और स्क्रीनप्ले: अनुभव सिन्हा,सीमा अग्रवाल और यश केसवानी का बहुत कमजोर है दर्शक अपने आप को फिल्म से कनेक्ट नहीं कर पाते, दर्शक फिल्म देखने के दौरान अपना सब्र खो देते हैं क्योंकि फिल्म बहुत ही धीमी गति की है| सिनेमाटोग्राफी: इवान मुल्लिगन की कमाल की है, फिल्म की USP है, चाहे रंग हो, रोशनी हो, कमरे की गति हो, अलग-अलग एंगल हो, हर तरह से बहुत ही दमदार और लाजवाब है, एरियल व्यूज के दृश्य तो कमाल के फिल्माए है, कुछ दृश्य तो बहुत ही अच्छे से फिल्माए गए हैं| एडिटिंग: याशा जयदेव रामचंदानी की बहुत ही कमजोर है, एडिटिंग कंसिस्टेंसी में नहीं है, फर्स्ट हाफ बोरिंग है, कहीं कहीं पर फिल्म बोर भी करती है| बैकग्राउंड स्कोर: मंगेश धाकड़े का बहुत ही लाजवाब और जबरदस्त है, फिल्म के मूड के अनुसार है, जिस तरह से फिल्म पहाड़ों और जंगलों में फिल्माई गई है उसके अकॉर्डिंग बहुत ही जबरदस्त है| साउंड डिजाइन: कामोद एल खराडे का बहुत ही अच्छा है हर दृश्य में इतनी क्लेरिटी है कि आप हर तरह के ऑडियो साउंड को सुन सकते है जैसे झरने हो, पक्षी हो, पहाड़ हो, और जंगल हो| म्यूजिक एंड लिरिक्स: संगीत और गीत बहुत ही कमजोर है, फिल्म में इसकी जरूरत भी महसूस नहीं होती| कॉस्ट्यूम डिजाइन: विशाखा विजय कुल्लवार का ठीक-ठाक है| प्रोडक्शन डिजाइन: निखिल कोवले का संतुलित है एक्शन: स्टीफन रिचटर और रियाज-हबीब का ठीक-ठाक है| क्लाइमैक्स: वन टाइम वॉच! अगर आपके अंदर सब्र है ,तो आप एक बार देख सकते हैं| Flaws: जेडी चक्रवर्ती के रोल की जरूरत नहीं थी,उनको फिल्म में Waste किया गया है, जॉनसन को अंत तक फिल्म में नहीं दिखाया गया है कि वह कौन था, म्यूजिक लिरिक्स की भी फिल्म में जरूरत नहीं थी, कुछ दृश्यों को काटकर फिल्म छोटी की जा सकती थी, अभिनेता कुमुद मिश्रा को भी Waste किया गया है, फिल्म कहीं भी अपना Impact नहीं छोड़ पाती| फिल्मफेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: इस फिल्म को बेस्ट सिनेमाटोग्राफी, बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर, बेस्ट साउंड डिजाइन और बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए नॉमिनेशंस मिले थे| Filmcast: Ayushmann Khurana, Andrea Kevichusa, Manoj Pahwa, Kumud Mishra, JD Chakravarthy Casting Director: Mukesh chhabra, Music: Anurag Saikia, Lyrics: Shakeel Azmi, Basharat Peer, Jonathan Lentur, Anubhav Sinha Costume Design: Vishaka Vijay Kullarwar, Background Score: Mangesh Dhakde, Sound Design: Kaamod L Kharade Action: Stefan Richter, Riyaz-Habib, Production Design: Nikhil Kovale, Editor: Yasha Jaidev Ramchandani Cinematography: Ivan Mulligan, Script Consultant: Anjum Rajabali, Story and Dialogue: Anubhav Sinha, Dialogues: Anubhav Sinha, Sima Agarwal, Yash Keshwani Produced and Directed by: Anubhav Sinha, Produced: T-Series, Bhushan Kumar, Krishna Kumar CBFC-U/A Movietime-2h.27mins Genre-Political Social Drama Backdrop-North East India Release Year-2022 Read the full article
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Khatron Ke Khiladi 14: मेरी जगह आसिम रियाज ट्रॉफी के साथ इंटरव्यू दे रहा होता…विनर करणवीर मेहरा ने ऐसा क्यों कहा?
करणवीर मेहरा ने रोहित शेट्टी के एडवेंचर रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ के सीजन 14 की ट्रॉफी अपने नाम की है. तीन महीने के इस पूरे सफर में करणवीर ने अपने स्टंट और कॉमेडी के साथ ऑडियंस का खूब मनोरंजन किया. खतरों के खिलाड़ी में करणवीर अपने सबसे पहले स्टंट के दौरान सीधे आसिम रियाज से टकराए थे. ये करणवीर मेहरा, गश्मीर महाजनी, आसिम रियाज और अभिषेक कुमार के बीच हुआ हेड ऑन स्टंट था. करणवीर ने बड़ी ही आसानी से…
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रियाज अहमद ने भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद, कुपवाड़ा में रहकर आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के काम कर रहा था। बार्डर पार से LOC पर आतंकियों द्वारा भेजे गए गोला बारूद को रिसीव कर भारत में भेजा करता था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। इनको सेना में नौकरी देना मतलब भारत की सुरक्षा से खिलवाड़ करना।
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