#राष्ट्रीय दिवस विरोध
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airnews-arngbad · 17 days ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date - 17 January 2025
Time 01.00 to 01.05 PM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक १७ जानेवारी २०२५ दुपारी १.०० वा.
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मोबिलिटी क्षेत्रातलं अभूतपूर्व परिवर्तन आणि झपाट्याने होणाऱ्या प्रगतीमुळे विकसित भारताचा प्रवास अधिक जलद होईल, असं पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी म्हटलं आहे. नवी दिल्लीतील भारत मंडपम् इथं भारतातलं सर्वात मोठं परिवहन प्रदर्शन, भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्स्पो २०२५ चं उद्घाटन केल्यानंतर ते आज बोलत होते. भारत ग्रीन तंत्रज्ञान, इलेक्ट्रिक वाहनं, हायड्रोजन इंधन आणि जैवइंधनांच्या विकासावर भर देत असल्याचं त्यांनी सांगितलं. यावर्षी भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्स्पोने आणखी विस्तार साधला असून, देश वाहन उद्योगाच्या भविष्याकडे सकारात्मक पाऊल टाकत असल्याचं पंतप्रधान म्हणाले.
या एक्स्पोचं उद्दिष्ट संपूर्ण गतिशीलता मूल्य साखळीला एकाच छत्राखाली आणणं हे आहे. या वर्षीच्या प्रदर्शनात जागतिक महत्त्वावर विशेष भर दिला जाईल ज्यामध्ये जग��रातले प्रदर्शक आणि अभ्यागत सहभागी होतील.
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राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू यांच्या हस्ते आज राष्ट्रीय क्रिडा पुरस्कारांचं वितरण झालं. बुद्धिबळपटू डी गुकेश, हॉकीपटू हरमनप्रीत सिंग, पॅरा ॲथलिट प्रवीण कुमार आणि नेमबाज मनु भाकर यांना खेलरत्न पुरस्कारानं गौरवण्यात आलं. नेमबाज स्वप्निल कुसळे आणि पॅरा ॲथलिट सचिन खिलारी यांच्यासह ३५ जणांना अर्जुन पुरस्कारानं गौरवण्यात आलं. तर प्रशिक्षक सुभाष राणा, दीपाली देशपांडे, संदीप सांगवान यांना द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान करण्यात आला.
ॲथलिट सुचा सिंह आणि पॅरा जलतरणपटू मुरलीकांत पेटकर यांना जीवनगौरव अर्जुन पुरस्कारानं सन्मानित करण्यात आलं. तर खेलो इंडिया विद्यापीठ स्पर्धांमध्ये सर्वोच्च कामगिरी करणाऱ्या चंदीगढ विद्यापीठाला मौलाना अबुल कलाम आझाद चषक प्रदान करण्यात आला. 
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डिजीटल कौशल्य क्षेत्रात कॅनडा आणि जर्मनीला मागे टाकत भारतानं दुसऱ्या क्रमांकावर झेप घेतली आहे. क्यू एस वर्ल्ड फ्युचर स्किल्स इंडेक्सने हा अहवाल जारी केला आहे. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी मोदी यांनी या कामगिरीबद्दल समाजमाध्यमावरील संदेशात आनंद व्यक्त केला. गेल्या दशकात सरकारने देशातल्या तरुणांना स्वावलंबी बनण्यास आणि रोजगार निर्मितीत सक्षम बनवणाऱ्या कौशल्यांनी सुसज्ज करण्याचं काम केलं आहे. देश समृद्धी आणि युवा सक्षमीकरणाच्या दिशेने प्रवास करत असताना हा अहवाल प्रसिद्ध होणं समाधानकारक असल्याचं पंतप्रधानांनी म्हटलं आहे.
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दिल्ली विधानसभा निवडणुकीसाठी उमेदवारी अर्ज दाखल करण्याचा आज शेवटचा दिवस आहे. आतापर्यंत ८४१ उमेदवारी अर्ज दाखल झाले. येत्या २० तारखेपर्यंत उमेदवार आपले अर्ज मागे घेऊ शकतात. दिल्ली विधानसभा निवडणुकीसाठी पाच फेब्रुवारीला मतदान होणार असून, आठ फेब्रुवारीला मतमोजणी होईल.
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छत्रपती संभाजीनगर इथल्या एमजीएम विद्यापीठाच्या शार्ङ्गदेव महोत्सवाला आजपासून प्रारंभ होत आहे. महागामीच्या वतीनं आयोजित या तीन दिवसीय महोत्सवात दररोज सायंकाळी सहा वाजता होणाऱ्या सादरीकरणात यंदा ज्योती हेगडे यांचं रुद्र वीणा वादन, दशावतार प्रयोग, सुखद मुंडे आणि समूहाचं पखावज वादन, प्रसिद्ध गायक भुवनेश कोमकली यांचं ख्याल गायन, आदी सादरीकरणांसह दररोज सकाळी दहा वाजता शार्ङ्गदेव प्रसंग या व्याख्यानमालेसह, शार्ङ्गदेव प्रवाह या कार्यशाळेचं आयोजन करण्यात आलं आहे. महोत्सवात शार्ङ्गदेव स्पंदन हे प्रदर्शनह�� पाहता येणार आहे. महोत्सवाचं हे १६ वं वर्ष आहे.
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बीड जिल्ह्यात आष्टी तालुक्यातल्या वाहिरा परिसरात दोन सख्ख्या भावाची निर्घृण हत्या झाल्याचं उघडकीस आलं आहे. अजय आणि भरत भोसले हे आष्टी तालुक्यातल्या हातवळण या मूळ गावचे असल्याचं आमच्या वार्ताहरानं कळवलं आहे.  पोलिसांनी या प्रकरणी संशयित चार जणांना ताब्यात घेतलं असून, हत्येचं कारण अद्याप स्पष्ट झालं नसल्याचं सांगितलं आहे.
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भंडारा जिल्ह्यातून जाणाऱ्या भंडारा - गडचिरोली समृद्धी महामार्गाला या परिसरातल्या शेतकऱ्यांनी विरोध केला आहे. या मार्गाच्या बांधकामाकरता जमिनीचं भूसंपादन करण्यासाठी अधिसूचना प्रसिद्ध करण्यात आली, मात्र राज्य सरकारने शेतकऱ्यांना विश्वासात न घेता ही अधिसूचना जारी केली असून, या निर्णयामुळे शेतकरी भूमिहीन होतील, अशा आशयाचं पत्र या शेतकऱ्यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांना पाठवलं आहे.
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भारतीय खुल्या बॅडमिंटन स्पर्धेत महिला एकेरीच्या उपांत्यपूर्व फेरीत भारताच्या पी व्ही सिंधुचा सामना आज इंडोनेशियाच्या ग्रेगोरिया मारिस् टुनजुंग हिच्याशी होणार आहे. सिंधुनं काल झालेल्या सामन्यात जपानच्या मनामी सुईझू हिचा २१-१५, २१-१३ असा पराभव केला. याच स्पर्धेच्या पुरुष दुहेरीत भारताच्या सात्विकसाइराज रांकीरेड्डी आणि चिराग शेट्टी जोडीनेदेखील उपांत्यपूर्व फेरी गाठली आहे.
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पंतप्रधान नरेंद्र मोदी परवा १९ तारखेला आकाशवाणीवरच्या मन की बात या कार्यक्रमातून देशवासियांशी संवाद साधणार आहेत. या कार्यक्रमाचा हा ११८ वा भाग असेल.
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drmullaadamali · 6 months ago
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14 September Hindi Diwas Par Visesh : हिन्दी की उपयोगिता क्या असंभव है?
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14 सितंबर 2024 राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष:
आज से पचपन वर्ष पूर्व हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव अहिन्दी भाषियों ने रखा था, जिसका अनुमोदन व समर्थन भी अधिकतर अहिन्दी भाषियों ने ही किया था जिनमें प्रमुख है तमिल भाषी गोपाल स्वामी अयंगार ने प्रस्ताव रखा तो समर्थन व अनुमोदन करने वालों में मराठी भाषा के श्री शंकर देव, उर्दू भाषा के मौलाना अबुल कलाम आजाद, गुजराती के श्री के. एम. मुंशी, तेलुगु भाषी श्रीमती दुर्गाबाई, कन्नड़ भाषी श्री कृष्णमूर्ति थे। आज की परिस्थितियाँ क्या है हिन्दी की तूंती केवल हिन्दी भाषी ही बजा रहे हैं अथवा हिन्दी से संबंधित, हिन्दी से जुड़े लोग ही 'हिन्दी हिन्दी' कह रहे हैं, चिल्ला रहे है, 'हिन्दी दिवस' आदि मना रहे है, जबकि उनकी अपनी संतान ही हिन्दी समाचार पत्र के शीर्षक तक पढ़ने में अपने आपको छोटा मानने लगे है। अभी अभी हैदराबाद के प्रसिद्ध हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य जी की मरणोपरांत समस्त पुस्तक संपादा चने-बटाने की दुकानों पर पुड़ियाँ बाँधने में काम आ रहे है। हम हमारे पूर्ववर्ती पीढ़ी से कुछ हिन्दी, स्वभाषा, स्वदेश प्रेम सीखे थे वही हम हमारी परवर्ती पीढ़ी को अपने वारिस को क्या बना कर छोड़ रहे हैं, उनके मन में हमारे प्रति हमारी पुस्तकों के प्रति कोन-सी धारना उत्पन्न कर पा रहे हैं। वे अंग्रेजी माध्यम से पढ़े इंजीनियर डाक्टर, आफिसर कलेक्टर बने इसमें कोई आपत्ति नहीं है पढ़ने तथा हिन्दी के कार्यान्वयन के प्रति क्यों प्रेरित कर नहीं पा रहे है। हिन्दी तब ही पनपेगी, उभरेगी जब अहिन्दी भाषी हिन्दी का प्रयोग करें, अंग्रेजी विद्धान तथा अंग्रेजी वीर अभिमानी भी हिन्दी में बात करने, पढ़ने और कुछ लिखने में स्वयमेव गौरव का अनुभव कर सके।
आज हिन्दी की वह स्थित नहीं जो पहले केवल साहित्यिक तक ही सीमित थी। अब तो ऑक्स्फ़ोर्ड शब्द कोश में ढेर सारे हिन्दी शब्दों को अंकित किया गया। दुनिया के कोने-कोने में हिन्दी का प्रयोग धीरे-धीरे हो रहा है। कंम्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने के लिए हिन्दी में श्रीलिपिण लीप ऑफिस, आई-लीप, 'गुरु' मल्टीमीडिया, अक्षर, आकृति जैसे कई सॉफ्टवेयरों का निर्माण कार्य गति से चल रहा है। कंप्यूटर क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसाफ्ट ने अपना बहुप्रसिद्ध उत्पाद एम. एस. ऑफिस और विंडोस हिन्दी में भी उपलब्ध करा रही है। अमेरिका में विशेषकर मैक्सिकों में विदेशी युवा हिन्दी सीख रहे है। सिलीकान वैली में भारतीय इंजीनियरों का बोल-बाला रहने के कारण उनके यहाँ काम करने व सहयोग देने हेतु कई विदेशी बच्चे हिन्दी सीख रहे हैं और हम विदेश भागने के लिए हिन्दी छोड़ अंग्रेजी ही रट लगाए बैठे हैं। अपनी धारणा बदलनी होगी, हमें हिन्दी को सुदृढ़ बनाना है तो हमें पहले अंग्रेजी भाषा पर भी समान प्रवीणता प्राप्त करनी होगी अन्यता वही कहेंगे कि हिन्दी वालों को अग्रेजी नहीं आती है, वे अंधा-घूंध अंग्रेजी की अहमियत जाने बगैर ही अंग्रेजी का विरोध कर रहे हैं, वे अंग्रेजी विरोधी है, कहकर हमें सभी के विरोधी करार दिये जा रहा है अतः हमें अंग्रेजी का विरोध नहीं अंग्रेजीयत के 'लत' का विरोध करना है। हिन्दी से जुड़े लोग हिन्दी की बात या 'हिन्दी दिवस', हिन्दी सप्ताह/ पखवाडे' मनाने अपना ढोल अपनी बीन आप बजाय जैयी बात लगेगी। अतएव हमें हिन्दी के स्थान के साथ-साथ प्रादेशिक भाषाओं को भी बढ़ावा देने से ही हिन्दी की उपयोगिता व कार्यान्वयता बढ़गी, अपन निजी व्यवहार में भी प्रादेशिक भाषाओं में वार्तालाप करने-मेल-मिलाप बढ़ाने, तत्संबंधित गति विधियों में भाग लेने से आवश्यकतानुसार अंग्रेजी में भी कार्य करते हुए हिन्दी क�� आगे बढ़ाना होगा। सच कहा जाए तो विद्यालय और महाविद्यालयों में हम हिन्दी अध्यापनाकर्ता अंग्रेजी न जानने वाले नमूने गिने जाने के कारण ही हमारा कार्य व व्यवहार गंभीर तथा आदर्श नहीं रहने के कारण भी अपनी कुल्हाड़ी अपने पैर पर चलाने के आदि हो गए हैं। हिन्दी की कार्यान्वयन की समस्या वास्तव में कोई समस्या ही नहीं है, यह तो केवल मानसिक स्थिरता और साहसिक पहल की बात है। हम अपनी आत्मा को टटोलकर पूछे कि अपनी निजी व्यवहार में क्या हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं कम से कम प्रति दिन हम कितने शब्द लिखते हैं और पढ़ते हैं। आज हम सब 'साक्षर' है परंतु 'स्वाक्षर' नहीं। पिछली बार हमने देखा विगत सरकार का पलड़ा कैसे पलट गया उसका एक मात्र कारण उनके द्वारा अपनायी गई नीति व व्यवहार कुशलता थी, जो 'फील-गुड' के अंग्रेजी शब्द का प्रचार कर गये जिसे हिन्दुस्तानी समझ नहीं पाये और उसी सरकार के सूत्रधार कहे हिन्दी पत्र पत्रिकाओं की समीक्षा को छोड़ विदेशी पत्र-पत्रिकाओं तथा अंग्रेजी पत्रिकाओं और 'लैप- टैप' पर ही संपूर्ण विश्वास रखा। जमीनी जरुरतों व जमीनी भाषा का अनदेखा का प्रभाव सरकार पलटने में काम कर सकती है तो क्या प्रशासन व शासन करने में क्या अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता। अतः अपना देश, अपना वेश, अपनी भाषा अपना कार्य ही अपने लिए श्रेयस्कर सिद्ध होगा।
Happy Hindi Diwas 2024
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डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक यूट्यूब चैनल
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deshbandhu · 11 months ago
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किसानों ने सड़क के किनारे अपने ट्रैक्टर खड़े करके किया विरोध प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले किसानों ने सोमवार को ‘डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) छोड़ो दिवस’ मनाने के लिए जालंधर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग सहित जिले भर में कई स्थानों पर सड़क के किनारे अपने ट्रैक्टर खड़े करके विरोध प्रदर्शन किया।
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abhinews1 · 2 years ago
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राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली के छात्रों ने नेक्स्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
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राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली के छात्रों ने नेक्स्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली के छात्रों ने 1 जुलाई को नेक्स्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया सरकार ने NExT परीक्षा के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन 2023 पर एक गजट अधिसूचना जारी की है। नियमों में NExT परीक्षा पैटर्न, शेड्यूल, अंकन योजना, पात्रता और बहुत कुछ पर दिशानिर्देश शामिल हैं। यह परीक्षा स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश और चिकित्सा अभ्यास के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पीजी की जगह लेगी। कई एमबीबीएस छात्रों और डॉक्टरों ने एनईएक्सटी परीक्षा गजट का विरोध किया और नियमों को वापस लेने की मांग की। जहां कुछ ने इसे एनएमसी अधिनियम 2019 का उल्लंघन बताया, वहीं अन्य ने परीक्षा कार्यक्रम में स्पष्टता की कमी को उजागर किया। छात्र विरोधी आदेश': छात्रों, डॉक्टरों ने NExT परीक्षा राजपत्र, NMC नियमों का विरोध किया 'छात्र विरोधी आदेश': छात्रों, डॉक्टरों ने NExT परीक्षा राजपत्र, NMC नियमों का विरोध किया नेशनल मेडिकल कमीशन के नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन 2023 NExT परीक्षा पैटर्न, शेड्यूल, अंकन योजना आदि की व्याख्या करते हैं। एनएमसी नेक्सटी नियम जारी; छात्रों ने विरोध किया नई दिल्ली: सरकार ने NExT परीक्षा के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन 2023 पर एक गजट अधिसूचना जारी की है। नियमों में NExT परीक्षा पैटर्न, शेड्यूल, अंकन योजना, पात्रता और बहुत कुछ पर दिशानिर्देश शामिल हैं। यह परीक्षा स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश और चिकित्सा अभ्यास के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पीजी की जगह लेगी आधिकारिक गजट अधिसूचना में कहा गया है, "इन नियमों को एनएमसी, नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन, 2023 कहा जाएगा। ये नियम आधिकारिक राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से तुरंत लागू होंगे।" कई एमबीबीएस छात्रों और डॉक्टरों ने एनईएक्सटी परीक्षा गजट का विरोध किया और नियमों को वापस लेने क��� मांग की। जहां कुछ ने इसे एनएमसी अधिनियम 2019 का उल्लंघन बताया, वहीं अन्य ने परीक्षा कार्यक्रम में स्पष्टता की कमी को उजागर किया। नियमों के अनुसार, एमबीबीएस छात्र अपने स्कोर में सुधार करने के लिए NExT चरण 1 में कई बार उपस्थित हो सकते हैं, बशर्ते कि उन्होंने NExT चरण 2 पास कर लिया हो और एमबीबीएस प्रवेश के 10 साल के भीतर प्रक्रिया पूरी कर लें। नेक्सटी परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी - चरण 1 और चरण 2। दोनों परीक्षण साल में दो बार आयोजित किए जाएंगे और एमबीबीएस छात्रों का 2019 बैच परीक्षा में बैठने वाला पहला बैच होगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली मई और नवंबर में अगला चरण 1 आयोजित करेगा। एक डॉक्टर ने NExT नियमों को "छात्र विरोधी" बताया और एक ट्वीट में कहा, "कल डॉक्टर्स डे पर!" भारत NMC_IND के छात्र विरोधी आदेश के खिलाफ पूरे भारत में मेडिकल छात्र #प्रोटेस्ट दिवस मनाने जा रहा है !!” एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि 2019 बैच पर NExT लगाना NMC अधिनियम 2019 का उल्लंघन है। उन्होंने ट्वीट किया, “2019 बैच पर NeXT लगाना NMC अधिनियम के खंड 49 (1) का उल्लंघन है क्योंकि 2019 बैच 1 अगस्त 2019 को शुरू हुआ था जबकि NMC अधिनियम प्रकाशित हुआ था। 08/08/2019।” फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने पूछा कि 2019 बैच की क्या गलती है और गजट का विरोध किया। “प्रश्न: 2019 बैच ने क्या गलती की? उत्तर: उन्होंने इस देश में एमबीबीएस का सपना देखा था। क्या एनएमसी सचमुच एक संस्था है, या महज़ एक मज़ाक! हम नये राजपत्र का पुरजोर विरोध करते हैं।''
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venkteshwara · 2 years ago
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वेंकेटश्वेरा मैं "समानता एवं समरसता दिवस" के रूप में मनाई गई बाबा साहब की जयंती।
"सत्य एवं समानता से शिखर की ओर भारत" विषय पर संगोष्ठी एवं "क्लीन इंडिया- ग्रीन इंडिया" मिशन के तहत संस्थान के सम्मानित सफाई कर्मी बंधुओं को "स्वच्छता प्रेरक पुरस्कार" देकर शानदार तरीके से मनाई गई अंबेडकर जयंती। अंबेडकर जी देश में अंतिम पायदान पर खड़े शोषित, दबे कुचले व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर समानता एवं अखंड भारत का संदेश देने वाले सही मायनों में सच्चे भारत रत्न थे - डॉ सुधीर गिरी चेयरमैन वेंकटेश्वरा समूह। देश के बंटवारे में खुलकर मुखर रूप से गांधीजी एवं नेहरु जी का विरोध करने वाले एकमात्र साहसी व्यक्ति थे अंबेडकर -डॉ कमल मलिक पूर्व विधायक एवं अध्यक्ष राष्ट्रवादी विचारक मंच। शिक्षा एवं ज्ञान ही सम्मान पाने का एकमात्र रा��्ता है, ऐसी प्रेरणा देकर शोषितों का उत्थान करने वाले थे अंबेडकर जी - डॉ राजीव त्यागी प्रति कुलाधिपति एवं राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता।
आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान में संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती पर "सत्य एवं समानता से शिखर की ओर भारत" विषय पर एकदिवसीय  संगोष्ठी एवं इस देश की स्वच्छता की रीढ़ सम्मानित सफाई कर्मी बंधुओं को "स्वच्छता प्रेरक पुरस्कार" देकर बहुत ही शानदार तरीके से अंबेडकर जयंती मनाई गई। श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय संस्थान के बी- ब्लॉक में आयोजित "संगोष्ठी एवं स्वच्छता प्रेरक सम्मान" समारोह का शुभारंभ समूह चेयरमैन डॉ सुधीर गिरी, पूर्व विधायक एवं राष्ट्रवादी विचारक मंच के अध्यक्ष डॉ कमल मलिक, प्रति कुलाधिपति डॉ राजीव त्यागी, सीईओ अजय श्रीवास्तव आदि ने सरस्वती मां की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया। अपने संबोधन में मुख्य वक्ता डॉ कमल मलिक ने कहा कि समानता, स्वतंत्रता, राष्ट्रीय एकता, सत्य एवं सामाजिक समरसता में विश्वास ये पंचतत्व बाबा साहब की सिद्धांटिक विचारधारा का मूल था। भारत के विभाजन के समय राष्ट्रहित में नेहरू एवं गांधीजी का खुलकर मुखर विरोध करने वाले अकेले साहसी व्यक्ति अंबेडकर जी ही थे। संगोष्ठी को प्रति कुलाधिपति डॉ राजीव त्यागी, सीईओ अजय श्रीवास्तव एवं कुलसचिव प्रो पीयूष पांडे ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कुलपति डॉ राकेश यादव, रिसर्च डायरेक्टर डॉक्टर एसएन साहू, डॉ नेहा जैन, मेरठ परिसर से डॉ प्रताप, कैंपस मैनेजर एसएस बघेल, नीतूश्री पाल, एचआर हेड बाला, अखिल नायर, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।
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untitled59750 · 3 years ago
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पुलिस ने हांगकांग में 4 व्यक्तियों के राष्ट्रीय दिवस के विरोध को रोका
पुलिस ने हांगकांग में 4 व्यक्तियों के राष्ट्रीय दिवस के विरोध को रोका
पुलिस ने हांगकांग में 4 व्यक्तियों के राष्ट्रीय दिवस के विरोध को रोका विपक्षी पार्टी लीग ऑफ सोशल डेमोक्रेट्स के चार सदस्यों ने हार्बर-साइड कन्वेंशन सेंटर तक मार्च करने का प्रयास किया था जहां आधिकारिक उत्सव आयोजित किया जा रहा था। हॉन्ग कॉन्ग में पुलिस ने अभिव्यक्ति की आज़ादी और विपक्षी राजनीति पर बढ़ती कार्रवाई के बीच 1 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रीय दिवस पर चार लोगों के लोकतंत्र-समर्थक विरोध को रोक…
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vaidicphysics · 4 years ago
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जब भारत का आत्मा रो पड़ा
भारतीय गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के पावन अवसर पर किसानों के नाम पर देश की राजधानी में जो तांडव हुआ, उसे देखकर भारत का आत्मा रो पड़ा। लाठी, तलवार व पत्थरों से जिस प्रकार आतंकवादियों वा अलगाववादियों ने पुलिस बल पर जो आक्रमण किया, उन्हें ट्रैक्टरों से रौंद रौंद कर मारने का प्रयास किया, वे जवान गंदे नाले में प्राण बचाने हेतु कूदने को विवश हुए, महिलाओं को भी नहीं छोड़ा, गाड़ियों को ही नहीं, अपितु रोगी वाहनों तक को नष्ट किया गया, क्या यह आंदोलन था? सबसे बढ़कर राष्ट्र के गौरव के प्रतीक लाल किले पर राष्ट्रध्वज का अपमान किया, उसे फेंका गया, उतारा भी गया और अपना एक पंथ विशेष का ध्वज लगा दिया, यह किसी भी प्रकार अपनी ही मां भारती के विरुद्ध युद्ध के बिगुल से कम नहीं था।
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भारतीय गणतंत्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। पुलिस तथा भारत सरकार इतना सब सहन करती रही, तब यह प्रश्न उठता है कि क्या भारत इतना बेबश हो गया है, दुर्बल हो गया है कि कोई भी आतंकवादी वा अलगाववादी संगठन देश की राजधानी को बंधक बनाकर कुछ भी तांडव कर सकता है? क्या इसे किसानों का आंदोलन कहा जा सकता है? सरकार ने पुलिस के जवानों को प्रारंभ में आत्मरक्षार्थ लाठी तक नहीं दी, बेचारे मार खाते रहे। नेताओं ने अपनी कोठियों के पास पूरी सुरक्षा कर रखी थी परंतु जवानों को हिंसक भीड़ के आगे अकेला निहत्था बेवश छोड़ दिया। आंसू गैस आदि का प्रयोग भी तब हुआ, जब स्थिति अनियंत्रित हो गई।
वस्तुतः मुझे इस आंदोलन पर पूर्व से कुछ-कुछ ही संदेह था। अपने कार्य की व्यस्ततावश मैं इस विषय में अधिक कुछ जानने व समझने की इच्छा भी नहीं कर पाता, परंतु संक्षिप्त समाचार देखने से इतना तो अवगत था कि कहीं कुछ अनिष्ट अवश्य है। किसानों के समर्थन में जो नेता आ रहे थे, कभी ट्रैक्टर्स पर बैठकर किसान हितैषी होने का प्रदर्शन करते हैं, वहां जोशीले भाषण देते हैं, कभी राष्ट्रपति भवन की ओर दौड़ते हैं। क्या किसानों ने कभी उनसे यह पूछने का प्रयास भी किया कि स्वतंत्रता के पश्चातझ्झ् अधिकांश समय उन्हीं की सरकार रही है, तब उन्होंने क्यों नहीं किसानों का कायाकल्प कर दिया? क्यों नहीं आज भी उनकी राज्य सरकारें किसानों का भला कर पा रही हैं? क्यों उनके शासन में किसान आत्महत्या करते रहे हैं? किसानों ने क्यों पिछले लगभग 70 वर्षों में विभिन्न सरकारों द्वारा उनके लिए बनाई गई नीतियों का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास नहीं किया? यदि वे सभी राजनीतिक दलों को किसान विरोधी मानते हैं, तब क्यों नहीं उन्होंने अपने मंच से राजनेताओं को धक्का मार कर बाहर निकाला? जो राजनेता सदैव पाकिस्तान व चीन की भाषा बोलते हैं, आतंकवादियों व अलगाववादियों का खुलकर समर्थन करते हैं, कश्मीर में धारा 370 लगाने के अपराधी रहे हैं और आज फिर गुपकार गिरोह, के साथ मिलकर पुनः 370 धारा को बहाल करने की मांग करते हैं  और गुपकार गिरोह चीन के सहयोग, तो कोई अमेरिका के सहयोग से धारा 370 को बहाल करने की बात करते हैं, वे राष्ट्रीय इतिहास व संस्कृति का पदे पदे अपमान करते हैं, उनका किसानों का मसीहा बनने का दिखावा क्यों किसानों को दिखाई नहीं दिया? यह किसानों से भूल हुई। इसके साथ ही किसानों की भीड़ में पाकिस्तान व खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगना, अलगाववादियों के चित्र को लहराना, यह सब यही दर्शाता है कि किसानों का आंदोलन अपने मूल लक्ष्य से भटक गया और इसमें खालिस्तानी आतंकवादी, चीन व पाक के चाटुकार वामपंथी शक्तियों ने घुसपैठ कर ली। विपक्षी दल भी इस पाप में पूर्णतः सम्मिलित थे। इस आंदोलन के समर्थन में कनाडा के प्रधानमंत्री का बोलना, यूएन का बोलना, ब्रिटेन में प्रदर्शन होना, यह सब दर्शाता है कि यह आंदोलन परोक्ष रूप से कहीं बाहर से भी प्रेरित था और गणतंत्र दिवस को ही लक्ष्य बनाने की हठ कोई सामान्य बात नहीं थी, बल्कि इसमें पूर्व नियोजित भयानक षडयंत्र की गंध आती है।
यह बात नितांत सत्य है कि किसी भी देश का किसान उस देश का आत्मा है, वह अन्नदाता है, इस कारण महर्षि दयानंद सरस्वती ने किसानों को राजाओं का राजा कहा था। वे किसानों के प्रति बहुत सहृदयता रखते थे, इस कारण उन्होंने गो-कृषि आदि रक्षिणी सभा की स्थापना की थी। दुर्भाग्य से देश ने ऋषि दयानंद को नहीं समझा और किसान दुःखी ही होता रहा। कई सरकारें आयीं व गयीं परन्तु ऋषि दयानन्द को किसी ने भी महत्व नहीं दिया?
यद्यपि मोदी सरकार ने किसानों के हित में पूर्व सरकारों की अपेक्षा कुछ कदम तो उठाए ही हैं परंतु ये बिल जिस प्रकार अकस्मात् लाकर बिना चर्चा के पारित कराए, वह प्रक्रिया ही गलत थी, अधिनायकवादी थी। वे बिल किसानों के हित में हैं वा नहीं, यह मेरा विषय नहीं परंतु इतना सुना है कि जो नेता इनका अब विरोध कर रहे हैं,  वे ही पहले इन बिलों को ला रहे थे, तब भाजपा ने विरोध किया और जब भाजपा लायी, तो ये विरोध कर रहे हैं, तब सत्यवादी तो कोई दल वा नेता नहीं है। सभी सत्ता के मद में जनता के अधिकारों व वास्तविक हितों को भूल जाते हैं। आज कोरोना के नाम पर भी अघोषित आपात्काल व अधिनायकवाद चल रहा है, सत्य कोई सुनने वाला नहीं। देश बर्बाद हो गया है। कारोना काल में कुछ बडे़ पूंजीपतियों की सम्पत्ति बहुत बढ़ गयी और करो���ों लोग बेरोजगार हो गये, करोड़ों और अधिक निर्धन हो गये, व्यापारी व विद्यार्थी आदि बर्बाद हो गये। तब भी क्या इसे कोई षड्यन्त्र मानने को उद्यत है, कोई कुछ सुनना चाहता है? परन्तु आज कुछ मत बोलो, स्वास्थ्य आपात्काल है, इसमें सत्य को भी अफवाह बताया जाता है।
सबका अन्नदाता आज भी दुःखी ही है और पूंजीवाद बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि जनता आंदोलनों के लिए भी बाध्य हो जाती है। यह आंदोलन भी इसी का परिणाम था। सरकार ने आंदोलनकारी किसानों के दबाव को देखते हुए कई चक्र की वार्ता की। किसानों को बिलों के किसी भी बिंदु पर बात करने का प्रस्ताव रखा, अनेक बातों को स्वीकार भी किया, कानूनों को स्थगित करके एक समिति भी बनाई, तब किसानों का कर्तव्य था कि वे आ��दोलन को स्थगित कर देते, समिति के निर्णय की प्रतीक्षा करते परंतु ऐसा लगता है कि किसान नेता अराजक व अलगाववादी तत्त्वों के नियंत्रण में आ चुके थे और भोले भाले किसानों को लेकर ठंड में सड़कों पर डटे रहे। अंत में अराजक तत्त्वों ने देश के मस्तक पर यह कलंक लगा ही दिया। सरकार को इस कलंक के अपराधियों को कठोरतम दण्ड देना चाहिए। जहाँ तक बात बिलों को वापिस लेने की हठ की है, उस विषय में यह भी सत्य है कि बिल वापिस लेने से देश पर कोई संकट का पहाड़ नहीं टूटेगा, परन्तु एक आशंका यह अवश्य है कि इससे प्रेरित होकर राष्ट्रविरोधी नेता धारा 370 हटाने आदि जैसे अनेक राष्ट्रहित के कानूनों को भी रद्द करने के लिए आन्दोलन करने लग जाएंगे। इस कारण बिलों में किसान हित में आवश्यक संशोधन ही करना चाहिए। बिल वापिसी की हठ ठीक नहीं।
मैं तो सभी देशवासियों से विनती करता हूं कि देश सर्वोपरि है, इस कारण इसकी अस्मिता की रक्षा करना सबका सामूहिक उत्तरदायित्व है। सरकार व जनता दोनों को ही अपने अपने अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य तथा दूसरों के अधिकारों को समझना होगा। जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को मनमाने ढंग से कानून बनाकर देश पर थोपने से पूर्व जन भावनाओं को समझना होगा। किसानों, श्रमिकों व उद्योगपतियों के बीच मैत्रीपूर्ण समन्वय किसी भी राष्ट्र के लिए अनिवार्य है, अन्यथा राष्ट्र का अस्तित्व ही नष्ट हो सकता है। निर्धन व धनी के बीच बढ़ती दूरी अत्यंत घातक है। आज यह घातक पाप प्रवाह जोरों से चल रहा है। हाँ, एक तथ्य यह भी है कि, जो लोग अम्बानी व अडानी जैसे उद्योगपतियों को लेकर छाती पीटते हैं, वे विदेशी कम्पनीज् की चर्चा भी नहीं करते, यह क्या रहस्य है?
स्मरण रहे यह अमानवीय पाप आज प्रारंभ नहीं हुआ है, बल्कि इसके नायक श्री जवाहरलाल नेहरू ही थे। विदेशी कंपनीज् को आमंत्रित करने वाले वे ही थे। उदारीकरण, जो वास्तव में उधारीकरण की प्रक्रिया श्री नरसिंहा राव के शासनकाल में ही प्रारंभ हो गई थी, तब भाजपा व संघ दोनों ही इसके विरुद्ध थे और स्वदेशी की दुहाई दे रहे थे, परंतु दुर्भाग्य से अब वे ही विदेशी कंपनीज् के स्वागत में पलक पावडे़ बिछा रहे हैं। कभी एक ईस्ट इंडिया कंपनीज् ने देश पर क्रूर शासन किया था, आज विदेशी दवा कंपनीज् संपूर्ण विश्व पर शासन कर रही हैं। खाद, बीज, इंटरनेट आदि से जुड़ी कंपनीज् भी इसमें सहभागी हैं। कोरोना नामक कथित महामारी भी इन्हीं की देन है। सर्वत्र अंधकार है, पूंजीपति लूट मचा रहे हैं, अधिकांश कानून उन्हीं के संरक्षण के लिए होते हैं। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश पराधीनता की ऐसी बेड़ियों में जकड़ गया है, जो भविष्य में देश को पूर्व की पराधीनता से भी अधिक भयानक गर्त में गिर सकता है। आज मेरी यह बात सबके गले नहीं उतरेगी परंतु वह दिन दूर नहीं जब ऐसा दुर्भाग्य हमारे समक्ष आ खड़ा होगा। इधर हमारी आंतरिक समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं, उधर चीन, तुर्की व पाकिस्तान का गठजोड़ हमारे लिए संकट बढ़ाता जा रहा है। हां, इतना अवश्य है चीन के संकट के समक्ष सीना तान कर खड़ा होने का भारी साहस तो मोदी जी ने किया ही है, जो हमारे लिए गर्व की बात है, परंतु जो देश आंतरिक संकटों से निरंतर घिरता जाए और देश के अधिकांश नागरिक स्वार्थी व संकीर्ण सोच तक ही सीमित हो गये हों और सरकार अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं व बहुराष्ट्रीय कम्पनीज् के मकड़जाल में फंसने और उनसे प्रशंसा पाने को ही राष्ट्र का गौरव मानने की भूल कर रही हो, तब कोई चमत्कार ही देश को बचा सकता है।
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक प्रमुख, श्री वैदिक स्वस्ति पन्था न्यास
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janchowk · 2 years ago
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साहिबजादों की शहादत को केंद्र द्वारा 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाने का पंजाब में तीखा विरोध
साहिबजादों की शहादत को केंद्र द्वारा ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने का पंजाब में तीखा विरोध
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नवम् गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के अमर शहीद साहिबजादों की ऐतिहासिक तथा अमर शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के तौर पर मना रही है। इस संबंध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा अपने तईं मनाए जा रहे मुख्य श्रद्धांजलि आयोजन में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी शिरकत कर रहे हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इसमें विशेष सहयोग दे…
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darshanpolicetime1 · 2 years ago
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२५ नोव्हेंबरपर्यंत राज्यात कौमी एकता सप्ताह
२५ नोव्हेंबरपर्यंत राज्यात कौमी एकता सप्ताह
मुंबई, दि. 22 : राज्यात केंद्र शासनाने सन 1986 मध्ये घेतलेल्या निर्णयानुसार अल्पसंख्याक विकास विभागाच्या शासन निर्णयानुसार ‘कौमी एकता सप्ताह’  19 नोव्हेंबर ते 25 नोव्हेंबर, 2022 पर्यंत संपूर्ण राज्यात साजरा  करण्यात येत आहे. या सप्ताहात जास्तीत जास्त लोकांनी सहभागी व्हावे, असे आवाहन करण्यात आले आहे. राष्ट्रीय एकात्मता दिवस, धर्मनिरपेक्षता, जातीयवाद विरोध व अहिंसा यांच्यावर भर देणारे सभा,…
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airnews-arngbad · 1 month ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date 23 December 2024 Time 11.00 to 11.05 AM Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक: २३ डिसेंबर २०२४ सकाळी ११.०० वाजता.
शासकीय कार्यालयं आणि विभागांमध्ये निवड झालेल्या ७१ हजारांहून अधिक उमेदवारांना पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आज दूरदृश्य प्रणालीद्वारे नियुक्तीपत्र प्रदान करणार आहेत. हा रोजगार मेळावा देशभरात ४५ ठिकाणी आयोजित करण्यात आला असून, या माध्यमातून देशभरातून निवडलेले नवे उमेदवार गृह मंत्रालय, टपाल कार्यालय, उच्च शिक्षण विभाग, आरोग्य आणि कुटुंब कल्याण मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग यांसारखी विविध मंत्रालयं तसंच विभागांमध्ये नियुक्त होतील. पुण्यात केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोळ यांच्या उपस्थितीत रोजगार मेळावा होत असून, यावेळी ५०० जणांना नियुक्तीपत्रं प्रदान करण्यात येणार आहेत.
पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आपला कुवेत दौरा आटोपून काल भारतात परतले. त्यांच्या या भेटीत संरक्षण सहकार्यासह चार महत्त्वपूर्ण करार करण्यात आले. सर्वसमावेशक संरक्षण सहकार्य करारात द्विपक्षीय लष्करी सहकार्यासह, सांस्कृतिक, क्रिडा, सौर ऊर्जा क्षेत्रांचा यात समावेश आहे. भारत आणि कुवेत या दोन्ही देशांनी सीमेपलीकडच्या दहशतवादासह सर्व प्रकारच्या दहशतवादाचा एकमुखानं विरोध केला. दहशतवादाशी लढण्यासाठी दोन्ही देश सहकार्य वाढवतील, असं परराष्ट्र व्यवहार मंत्रालयानं प्रसिद्ध केलेल्या संयुक्त निवेदनात म्हटलं आहे.
राष्ट्रीय शेतकरी दिनानिमित्त आज देशभर विविध कार्यक्रमांचं आयोजन करण्यात आलं आहे. देशाची प्रगती आणि विकासामध्ये शेतकऱ्यांच महत्व आणि भागिदारी अधोरेखित करणं, अन्न सुरक्षा, शाश्वत ग्रामीण अर्थव्यवस्था आणि कृषी परंपरा जपण्यासाठी शेतकऱ्यांचं योगदान कसं महत्वाचं आहे, यासाठी आजचा दिवस साजरा केला जातो. शेतकऱ्यांची महत्त्वाची भूमिका ओळखून सरकारने त्यांच्या सामाजिक-आर्थिक उन्नतीसाठी आणि शाश्वत कृषी विकासासाठी अनेक उपक्रम हाती घेतले आहेत. देशात यंदा विक्रमी ३३२ दशलक्ष टनापेक्षा जास्त अन्नधान्याचं उत्पादन झालं आहे.
शेती हा ग्रामीण विकासाचा कणा अ��ून, जोपर्यंत ग्रामीण भागाचं चित्र बदलत नाही तोपर्यंत देश विकसित होऊ शकत नाही, असं प्रतिपादन उपराष्ट्रपती जगदीप धनखड यांनी केलं आहे. नवी दिल्ली इथं चौधरी चरणसिंह पुरस्कार प्रदान सोहळ्यात ते काल बोलत होते. शेतकरी जेव्हा आत्मनिर्भर होईल तेव्हाच ग्रामीण भागाची अर्थव्यवस्था उभी राहु शकते, असं धनखड म्हणाले. यावेळी उपराष्ट्रपतींनी चौधरी चरणसिंह यांच्या कार्याबद्दल गौरवोद्गार काढले, तसंच शेतकरी कल्याण, ग्रामीण विकास यासाठीच्या चरणसिंह यांच्या योगदानाचाही उल्लेख केला.
विमानानं प्रवास करणाऱ्या प्रवाशांसाठी नागरी उड्डाण मंत्रालयानं विमान तळांवर ‘उडान यात्री कॅफे’ सुरू करण्याची घोषणा केली आहे. विमान तळांवर वाजवी दरात खाद्यपदार्थ आणि पाण्याची सोय होणार असल्यानं प्रवाशांसाठी हा मोठा दिलासा आहे. प्रायोगिक तत्वावर कोलकता विमान तळावर सुरू केलेला हा उपक्रम यशस्वी झाल्यानं देशात अन्य विमान तळांवर सुद्धा हा उपक्रम राबवला जाईल.
माहिती प्रसारण मंत्रालयाच्या अखत्यारितल्या आय आय एम सी या माध्यम क्षेत्रातल्या सर्वोच्च संस्थेची उभारणी बडनेरा इथं होत आहे. केंद्रीय माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयाचे सचिव, संजय जाजू यांनी काल नागपूर इथं या संस्थेच्या बांधकामाचा आढावा घेतला. यावेळी त्यांनी माहिती प्रसारण मंत्रालयाच्या अंतर्गत येणाऱ्या आकाशवाणी, दूरदर्शन, पत्र सूचना कार्यालय, केंद्रीय संचार ब्युरो कार्यालयांच्या प्रमुखांचीदेखील बैठक घेतली.
पुण्यातल्या बालरंगभूमी संमेलनाचा काल समारोप झाला. या समारोप सोहोळ्यात बालरंगभूमीवरील उल्लेखनीय कर्याबद्दल प्रतिभा मतकरी यांना बालरंगभूमी गौरव पुरस्कारानं सन्मानित करण्यात आलं. तीन दिवसांच्या या संमेलनात बालरंगभूमी परिषदेच्या पुण्यासह राज्यभरातल्या शाख��ंमधल्या बालकलावंत आणि दिव्यांग कलावंतांनी सादरीकरण केलं.
पुण्यात वाघोली इथं भरधाव डंपरनं चिरडल्यामुळे फुटपाथवर झोपलेल्या तीन जणांचा मृत्यू झाला, तर सहा जण जखमी झाले. डंपर चालकाविरुद्ध सदोष मनुष्यवधाचा गुन्हा दाखल झाल्याचं याबाबतच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
आयुर्वेदिक औषधाच्या नावाखाली भांगेच्या गोळयांची तस्करी करणाऱ्या एकाला ठाणे जिल्ह्यातल्या भाईंदर इथून उत्पादन शुल्क विभागाने अटक केली. जितेंद्र कामता असं या आरोपीचं नाव असून, त्याच्याकडून दो�� लाखांहून अधिक रुपयांच्या भांगेच्या गोळ्यांचा साठा जप्त करण्यात आल��. त्याच्याविरोधात गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे.
बीड तालुक्यातल्या निराधारांना संजय गांधी, श्रावणबाळ योजने अंतर्गत नव्या लाभार्थ्यांचे अर्ज आता मंजूर झाले आहेत. आमदार संदीप क्षीरसागर यांच्या मार्गदर्शनाखाली या संदर्भात बीड इथं झालेल्या बैठकीत हा निर्णय घेण्यात आला.
महिला क्रिकेटमध्ये एकदिवसीय सामन्यांत एका वर्षात सर्वाधिक धावा करण्याचा विक्रम स्मृती मानधनानं नोंदवला आहे. काल वडोदरामध्ये वेस्ट इंडिज संघाबरोबर झालेल्या सामन्यात स्मृतीनं ९१ धावा केल्यामुळे तिनं या वर्षी केलेल्या धावांची संख्या एक हजार ६०२ झाली आहे. त्यामुळे स्मृतीनं दक्षिण आफ्रिकेच्या लॉरा वोलवार्टचा एक हजार ५९३ धावांचा विक्रम मोडला आहे.
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mhlivenews · 2 years ago
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२५ नोव्हेंबरपर्यंत राज्यात कौमी एकता सप्ताह
२५ नोव्हेंबरपर्यंत राज्यात कौमी एकता सप्ताह
मुंबई, दि. 22 : राज्यात केंद्र शासनाने सन 1986 मध्ये घेतलेल्या निर्णयानुसार अल्पसंख्याक विकास विभागाच्या शासन निर्णयानुसार ‘कौमी एकता सप्ताह’  19 नोव्हेंबर ते 25 नोव्हेंबर, 2022 पर्यंत संपूर्ण राज्यात साजरा  करण्यात येत आहे. या सप्ताहात जास्तीत जास्त लोकांनी सहभागी व्हावे, असे आवाहन करण्यात आले आहे. राष्ट्रीय एकात्मता दिवस, धर्मनिरपेक्षता, जातीयवाद विरोध व अहिंसा यांच्यावर भर देणारे सभा,…
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headlinesindia · 2 years ago
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हिंदी दिवस पर विशेष : अगर 57 साल पहले साउथ में विरोध न होता तो राष्ट्रभाषा बन जाती हिंदी
दिल्‍ली। दुनिया की सबसे ज्‍यादा बोली समझी जाने वाली भाषा हिंदी है। बावजूद  इसके, हिंदी  आज भी राष्ट्रभाषा के लिए लड़ाई लड़ रही है। राजभाषा हिंदी को जब भी राष्ट्रभाषा बनाने की बात हुई तो विरोध के स्वर उठे। बीते साल  गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समय आ गया है। उन्‍होंने अंग्रेजी छोड़ हिंदी में ही बात करने पर जोर दिया। हिंदी को उसका वजूद या कहें उसका अधिकार दिलाने के लिए आजादी के पहले से ही प्रयास किए गए। बावजूद इसके हिंदी आज भी अपनी अस्मिता को लेकर संघर्ष कर रही है।
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आइए आज हम बात करते हैं कि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को लेकर कैसे विरोध होता रहा। जिसके लिए हिंदी आज भी संघर्ष कर रही है। 
बापू चाहते थे कि हिंदी राष्ट्रभाषा बने  साल था 1915। महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे। इसके 3 साल बा�� यानी साल 1918 में उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही थी। यही नहीं पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी समर्थन किया था। विरोध के स्‍वर तब भी उठे थे। बाद में जब देश आजाद हुआ तो हिंदी को सम्‍मान देने की फिर पहल की गई। हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला।
http://headlinesindia.in/Ghulam-Nabi-Azad-told-the-media-today-that-when-Narendra-Modi-called-me संविधान बनाते समय भी विवाद इसके बाद साल आया 1946-1949 ।  संविधान बनाने की तैयारियां शुरू हो गई थीं। सबसे ज्यादा विवादि�� मुद्दा यह रहा कि संविधान को किस भाषा में लिखा जाए। किस भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देना है।  दक्षिण के प्रतिनिधि इस पर अपनी विरोध प्रकट कर रहे थे।  1965 तक अंग्रेजी में कामकाज  संविधान सभा में मद्रास का प्रतिनिधित्व टीटी कृष्णामचारी कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि अगर यूपी के दोस्त हिंदी साम्राज्यवाद की बात करते हैं तो हमारी यानी दक्षिण भारतीयों की समस्या ना बढ़ाएं। यूपी के दोस्त तय कर लें कि उन्हें अखंड भारत चाहिए या हिंदी भारत। इसके बाद सभा ने कहाकि भारत की राजभाषा हिंदी (देवनागिरी लिपि) होगी, लेकिन संविधान लागू होने के 15 साल बाद यानि 1965 तक सभी राजकाज के काम अंग्रेजी भाषा में होंगे।
http://headlinesindia.in/Government-s-big-decision--The-price-of-essential-medicines-will-be-low/ लाल बहादुर शास्त्री भी थे हिमायती  अब साल था 1965 । उस समय लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे। वे हिंदी के हिमायती थे। उन्होंने हिंदी को देश की भाषा बनाने का फैसला लिया था। हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की कोशिश हुई तो दक्षिण भारतीय राज्यों में असंतोष बढ़ गया। हिंसक झड़पें हुई। इसमें दो लोगों की मौत हो गई। विरोध पर बैकफुट पर आई सरकार  इसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने लचीला रूख दिखाया। कहा गया कि राज्य अपने यहां होने वाले सरकारी कामकाज के लिए कोई भी भाषा चुन सकता है। फैसले में कहा गया कि केंद्रीय स्तर पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। हिंदी के विरोध के चलते वह सिर्फ राजभाषा बनकर ही रह गई, राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई। राजभाषा का दर्जा मिला  हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949  को मिला। संविधान के भाग-17 में महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए। 1953 से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा प्रतिवर्ष 14 सितंबर को 'हिंदी दिवस' मनाया जाता है। हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं। सिर्फ 7 भाषाओं में बनता है यूआरएल  दुनिया में सिर्फ सात ऐसी भाषाएं हैं, जिनका उपयोग वेब एड्रेस (URL) बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। हिंदी भाषा उन सात भाषाओं में से एक है। 5 हजार साल से भी कहीं अधिक पहले से बोली जाने वाली संस्कृत भाषा जिसे आर्य भाषा या देवों की भाषा कहते हैं, इससे हिंदी भाषा का जन्म हुआ। 
हिंदी से जुड़ी 5 खास बातें संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है। 
संघ के शासकीय कामों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।
विश्व का पहला हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया और इसी दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में चुना गया।
भारत के अलावा सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और नेपाल मॉरीशस, फिजी, गुयाना, अमेरिका जैसे देशों में भी हिंदी खासतौर पर बोली जाती है।
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abhinews1 · 2 years ago
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राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को 21 मार्च 2023 को पास किया
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राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को 21 मार्च 2023 को पास किया
राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को 21 मार्च 2023 को पास किया है। आईएमए मथुरा शाखा के सभी सदस्य राजस्थान सरकार द्वारा चिकित्सकों के विरोध के बाबजूद जनविरोधी ‘‘राईट टू हेल्थ बिल’’ को पारित किये जाने से दुःखी एवं आक्रोषित है। पिछले कई दिनों से राजस्थान प्रदेश के डॉक्टर हड़ताल पर है। सरकार निजी अस्पताल के डॉक्टरों पर वाटर कैनन से पानी छिड़कर और डंडे चलाकर अगर राइट टू हेल्थ बिल लाई है तो यह कामयाब नहीं होगा। आईएमए मथुरा के अध्यक्ष डॉ.संजय गुप्ता ने बताया कि यह बिल आम जनों को संविधान के धारा-21 के अंतर्गत सरकार द्वारा डॉक्टर्स को राईट टू लीव अधिकार से बंचित करने का प्रयास है। सरकारें स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने दायित्व को प्राईवेट सेक्टर पर बिना किसी खर्च फेंक कर उन्हें बर्बाद करने पर उतारू है। किसी न किसी रूप में केन्द्र एवं सभी राज्य सरकारें एक जैसा कदम उठा रही है। राजस्थान सरकार जबतक इस जनविरोधी वाले काला कानून(राईट टू हेल्थ बिल) को वापस नहीं लेती है तब तक ��ईएमए मथुरा इसका हर स्तर विरोध करना जारी रखेगी। राजस्थान सरकार द्वारा लागू किया जा रहा राइट टू हैल्थ (आरटीएच) बिल बिना सोचे समझे थोपा जा रहा है, यह हर वर्ग के खिलाफ है। आमजन का स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और यह जबरन प्राइवेट डॉक्टरों पर थोपना चाह रही है। इस बिल से संबंधित कमेटियों में डॉक्टरों को शामिल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बिल में बिना सुनवाई के सजा का प्रावधान है, इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं है, कोई भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करेगा यह किसी भी तरह से व्यवहारिक नहीं है। बिल में व्यावहारिक संशोधन किया जाना चाहिए। चिकित्सकों की कोई राय नहीं ली गई। ये पूरी तरह से चुनावी बिल है। आई एम ए का मानना है कि मुफ्त का कोई भी सिस्टम स्थायी नहीं है. इस प्रकार का सिस्टम एक समय के बाद बंद होना होता है और बंद होने के बाद आंदोलन होते है. राष्ट्रीय आईएमए ने दिनांक 27.03.2023 (सोमवार) को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाने की घोषणा की है। इस दिन देश भर में चिकित्सक काला पट्टी बांध कर काम करेंगे। राजस्थान एवं केन्द्र सरकार को अपना ज्ञापन भेंजेगे, आम सभा करेंगे जिसमें राजस्थान के साथियों के समर्थन में प्रस्ताव पारित करेंगे एवं अगर जरूरत पड़ती हें तोह भविष्य में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के लिए तैयार होंगे। राष्ट्रीय आईएमए द्वारा घोषित 27 मार्च 2023 के आंदोलन में आईएमए मथुरा सभी अन्य चिकित्सीय संगठनों से भी साथ देने की अपील करता है। भारतीय चिकित्सा संघ के सभी चार लाख सदस्य इस काले कानून के विरोध में एवं उन पर किए गए अत्याचार के विरोध में अपने राजस्थान के साथियों के संग हाथ से हाथ मिला कर खड़े हैं और आज सांकेतिक काला दिवस मना रहे हैं और अगर हमारा यह शांति पूर्ण आंदोलन राजस्थान सरकार नहीं सुनेगी तो यह आग पूरे देश में फैलेगी और हम आगे की कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे
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राजस्थान विधानसभा में डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद भी राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को 21 मार्च 2023 को पास किया Read the full article
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sharpbharat · 3 years ago
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jamshedpur-bjp-emergency-day-celebrated-जमशेदपुर भाजपा ने आपातकाल के विरोध में मनाया काला दिवस, लोकतंत्र सेनानियों को किया सम्मानित, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास बोले-वंशवादी कांग्रेस ने कभी भी लोकतंत्र ��र विश्वास नही किया, भाजपा की पंच निष्ठा में एक निष्ठा मजबूत लोकतंत्र भी
jamshedpur-bjp-emergency-day-celebrated-जमशेदपुर भाजपा ने आपातकाल के विरोध में मनाया काला दिवस, लोकतंत्र सेनानियों को किया सम्मानित, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास बोले-वंशवादी कांग्रेस ने कभी भी लोकतंत्र पर विश्वास नही किया, भाजपा की पंच निष्ठा में एक निष्ठा मजबूत लोकतंत्र भी
जमशेदपुर : आपातकाल की 47 वीं बरसी शनिवार को मनायी गयी. भाजपा इसे काला दिवस के रूप में मना रही है. जमशेदपुर में पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपाइयों ने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए आपातकाल के नायकों के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया. अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए कहा देश के इतिहास…
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rais007 · 3 years ago
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•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
*RSS का FULL FORM क्या होता है ?*
*RSS कैसे बना ? क्यों बना ? कब बना ?*
*RSS के गठन का मुख़्य उद्देश्य क्या थी ?*
*क्या यह हिन्दुओं का संगठन है या ब्राह्मणों का ?*
*इस संगठन का मुखिया चित्तपावन ब्राह्मण ही क्यों होता है ?*
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""''''''''''''""""""'''''''''''''""""""'''''''
#Racial_Secret_Service( RSS )
प्रजातीय रहस्यमय क्रम-व्यवस्था
🐍 RSS का असली नाम रेसियल सीक्रेट सर्विस है | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नहीं |
🐍 RSS की स्थापना इजराइली यहुदी मूल के चितपावन ब्राह्मणों नी की है |
🐍 RSS में ज्यादातर सरसंघचालक चितपावन ब्राह्मण ही होते आए हैं | रिसर्च के अनुसार इन ब्राह्मणों का DNA 99.90% बेने इज़राइली यहूदियों से मिलता है |
🐍 RSS आज भी अमेरिका की आतंकवादी लीस्ट में शामिल है |
🐍 RSS ने अपने कार्यालय पर तिरंगा झंडा लहराना 52 वर्षो के बाद शुरु किया है, इसका असली नाम रेसियल सीक्रेट सर्विस था |
🐍 RSS का आज़ादी के आंदोलन से कोई सरोकार नहीं है ।
🐍 RSS ने देश जब 15 अगस्त को आजाद हुआ तब इसने स्वाधीनता दिवस मनाने से इंकार किया था और 1947 से लेकर 2002 तक नागपुर मुख्यालय पर तिरंगा कभी नहीं फहराया।
🐍 RSS ने वर्ष 2002 के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद तिरंगा फहराया।
🐍 RSS पर सरदार पटेल ने प्रतिबन्ध (बैन) इसीलिए लगाया था, क्योंकि बैन हटाने के लिए उसने जो हलफनामा दिया था उसमे निम्नलिखित मुख्य बातें थी :--
1) RSS भारत के संविधान को मानेगा, जिसको वो नहीं मानता था और आज भी नहीं मानता है | इसीलिए स्वयं सेवक गैर संवैधानिक बयान देते रहते हैं |
2) RSS संविधान में निहित राष्ट्रीय प्रतीकों का विरोध नहीं करेगा, जिसके वो हमेंशा खिलाफ रहा और आज भी है |
3) RSS कभी भी राजन��ति में नहीं आएगा, परंतु आज वो सरकार में है ।
🐍 RSS कुल मिलाकर देशद्रोही संस्था है जो तब भी थी और आज भी देश का सामाजिक ताना बाना बिखेरना चाहती है।
🐍 RSS वाला देशभक्ति की बात करे, तो उसे कहिए *"केस नंबर 176, नागपुर, 2001"* वह शर्म से सिर झुका लेगा | हां, यह तभी होगा अगर उनमें लाज बची हो | सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और संविधान विशेषज्ञ नितिन मेश्राम की हजारों किताबों की शानदार लाइब्रेरी में इस केस का जजमेंट रखा है |
🐍 RSS के नागपुर हेडक्वार्टर में 26 जनवरी 2001 को तीन युवक पहुंचे, उनके पास भारत का राष्ट्रीय ध्वज था | वे उस बिल्डिंग पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहते थे | वहां मौजूद RSS के बड़े नेताओं ने ऐसा नहीं करने दिया और पुलिस केस कर दिया | उनकी सरकार थी, पुलिस ने झंडा जब्त कर लिया | आखिरकार कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया | सबसे बड़ी बात.... आदेश में दर्ज है कि झंडे को पूरी मर्यादा के साथ हिफाजत में रखा जाए |
🐍 RSS इस घटना की शर्म की वजह से अब कहीं कहीं राष्ट्रीय झंडा फहराना शुरू कर दिया है।
🐍 RSS विश्व का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है, यह हम OBC, SC, ST, MINORITY तथा अन्य गैर मनुवादी भारतीय भाई -बहनों को आर्थिक + सामाजिक +मानसिक और यहाँ तक की शारीरिक तौर से गुलाम बनाना चाहता है !
🐍 RSS का मकसद भगवान बुद्ध, सम्राट अशोक, ज्योतिबा फूले, पेरियार ई. वी. रामासामी नायकर, ललई सिंह यादव, संत कबीरसाहेब, गुरुनानक, गुरुरविदास, छत्रपति शिवाजी, नारायण गुरु, सावित्री बाई फुले, शाहूजी महाराज, डॉ बाबा साहेब आंबेडकर तथा अन्य बहुजन महापुरुषों के संघर्षो को नेस्तनाबूत करना है ।
🐍 RSS संगठन भारत के संविधान को बदल कर अपनी मनुस्मृति की विचारधारा हम भारतीयों पर लागू करके सिर्फ और सिर्फ अपना मनुवादी राज्य निर्मित करना चाहता है |
🐍 RSS हमेशा चुनावों के पहले हिंदु-मुसलमान, मंदीर-मस्जिद, गौमाता के नाम पर देश के एससी, एसटी, ओबीसी को हिन्दु बनाकर मुसलमानों के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगा करवाता है।
🐍 9 अगस्त 2018 को RSS के लोगों ने ही भारत का संविधान को जलाया और बाबासाहेब आम्बेड़कर को अपमान किया।
🐍 भारत में जो भी बॉम्ब ब्लास्ट हुए सभी
RSS के द्वारा किया गया।
🐍 RSS ऐसा संगठन है जो पुश्यमित्र शुंग की
तरह भारत को अस्थिर व लोगों में भय पैदा करके अपना मनुव्यवस्था कायम करना चाहता है।
🐍 आज का बीजेपी सरकार RSS के एजेंडों
"The bunch of thought" पर काम कर रही है।
🐍 एजेंड़ो के अनुसार- मोवलिंचीग, दलित उत्पीडन, मुस्लिम उत्पीडन, नारी अत्याचार, आदिवासी उत्पीडन, पिछड़ों का बजट शून्य, आरक्षण शून्य आदि उत्पन्न कर दी है।
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Q. क्या RSS मूल भारतीयों (Sc/St/Obc/Dt.Nt/RMs) के लिए कभी अच्छा हो सकता है ?
[8/2, 8:14 PM] *भारत की 85% जनसंख्या एससी/एसटी /ओबीसी प्रत्येक को यह संदेश पढ़ना जरूरी है । सिर्फ एक बार जरूर पढ़ें संदेश जरूरत से ज्यादा बड़ा है इसलिए क्षमा करें।*
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*जानिए संविधान लिखे जाने से पहले संविधान और संवैधानिक अधिकारों के लिए तत्कालीन राजनेताओं की जहरीली सोच....*
*1. लोकमान्य तिलक* : "ये तेली, तंबोली, कुर्मी,नाभिक,साळी,माळी, कुम्हार,बंजारा,चांभार,संसद में जाकर क्या हल चलाएंगे।"
*2.महात्मा गांधी* : "अगर अंग्रेज शूद्रों को भी आजादी देते हैं, तो मुझे ऐसी आजादी नहीं चाहिए, मैं शूद्रों को आजादी देने के पक्ष में नहीं हूँ।"
*3. महात्मा गांधी* : "मैं शूद्रों को पृथक आरक्षण देने का विरोध करता हूँ।"
*4. सरदार पटेल* : "डॉ अंबेडकर के लिए संविधान सभा के दरवाजें ही नहीं, खिड़कियाँ ���ी बंद कर दी है, देखता हूँ, डॉ अंबेडकर कैसे संविधान सभा में आता है।"
*5. आरएसएस* : "डॉ अंबेडकर साहब के द्वारा भारत का संविधान लिखने के बाद संविधान को लागू नहीं करवाने के लिए डॉ अंबेडकर साहब के पूरे देश में पुतलें जलाये गये।"
*इसीलिए संविधान की महत्ता और ज्यादा हो जाती है कि इतने दिग्गजों के विरोध के बावजूद बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब ने अपनी योग्यता और सूझभुज से देश का ऐसा संविधान लिखा जिसे मानना सबके लिए जरूरी हो गया...*
*भारत का गणतंत्र- मतलब--जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन....* अर्थात गणतंत्र अर्थात प्रजातंत्र अर्थात लोकतंत्र अर्थात जनतंत्र में जहाँ देश की जनता ही सर्वोपरि है....
महत्व : *गणतंत्र के सम्पूर्ण संचालन में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना....*
संविधान : *देश को संचालित करने का लिखित विधान जिसमें सब नागरिक बिना स्थान, जाति, धर्म, लिंग, भेद के समान भागीदार हों....*
इसी क्रम में संविधान लागू करने और मानने की उपयोगिता देश और प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक हो जाती है....
संविधान, संविधान-सभा की उप-सम��ति
*प्रारूप समिति के अध्यक्ष भारतरत्न डॉ भीमराव अंबेडकर साहब की अध्यक्षता* में या कटु सच्चाई कहे तो एकमात्र बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब द्वारा 29 अगस्त, 1947 से 26 नवंबर, 1949 की अल्पकालीन समयावधि में लिपिबद्ध किया गया जिसे संविधान-सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को अंगीकार करके 26 जनवरी, 1950 को समता, समानता, न्याय और बंधुता की अखंड भावना के अंतर्निहित देश में लागू किया गया जिसकी महान स्मृति में प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस देशभर में मनाया जाता है....
*संविधान को मानने के अनेकों-अनेकों कारण हैं जिनमें से कुछ पर संक्षिप्त में प्रकाश डाला जा रहा है :-*
*1.* संविधान की दृष्टि में भारत का प्रत्येक नागरिक समान है ।
*2.* नागरिकों में संवैधानिक रूप से किसी प्रकार का स्थान, जाति, धर्म, लिंग के आधार पर विभेद नहीं किया गया है ।
*3.* संविधान के अंतर्गत राष्ट्र को सर्वोपरि माना गया है ।
*4.* सभी जाति-धर्म के लोगों की बिना भेदभाव के संपूर्ण विकास की परिकल्पना की गई है ।
*5.* राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में सभी नागरिकों की भूमिका निहित की गई है ।
*6.* सामाजिक आधार पर शोषित, वंचित, बहिष्कृत, पीड़ित वर्ग को भी राष्ट्र की विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेषाधिकार प्रतिपादित किए गए हैं ।
*7.* महिलाओं को लिंगभेद और जातिभेद से मुक्ति दिलाकर उनके लिए राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में समानांतर भूमिका का प्रतिपादन किया गया है ।
*8.* महिलाओं को पिता और पति की सम्पत्ति का भागीदार बनाया गया है।
*9.* महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश और विशेषाधिकारों की व्यवस्था की गई है ।
*10.* नागरिकों के लिए शिक्षा और सुविधा के साथ-साथ रोजगार देने की सुविधा भी प्रतिपादित की गई है ।
*11.* नागरिकों को अपनी पसंद का जनप्रतिनिधि चुनने का मताधिकार दिया गया है ।
*12.* बिना भेदभाव के योग्यता के आधार पर उच्चतम चयन की प्रक्रिया प्रतिपादित की गई है।
*13.* बिना भेदभाव के उच्चतम पद तक चुनाव की प्रणाली प्रतिपादित की गई है ।
*14.* समतामूलक समाज की परिकल्पना को समाहित किया गया है।
*15.* विधि के समक्ष सभी नागरिकों को समानांतर माना गया है।
*16.* स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना की गई है।
*17.* स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है ।
*18.* भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई है ।
*19.* देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा की संरचना का निर्माण किया गया है ।
*20.* नागरिकों को मौलिक अधिकारों सहित नीति-निर्देशक नियम प्रदत्त किये गए हैं ।
*21.* धार्मिक उपाधियों का अंत करके धार्मिक गुलामी से आजादी दिलाई गई हैं ।
*22.* देश का मूल और ऐतिहासिक नाम *"भारत"* रखकर सभी जाति-धर्मों में देश के प्रति राष्ट्रीय भावना का संचार किया गया है ।
*23.* राष्ट्र के नाम के परिवर्तन का अधिकार संसद को भी नहीं दिया गया है ताकि कभी कोई साम्प्रदायिक सरकार भी देश के नाम को परिवर्तन नहीं कर सके ।
*24.* धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की संकल्पना के तहत किसी भी धर्म को संविधान में दखल करने का अधिकार नहीं है ।
ये वो कुछ खूबियाँ संविधान की हैंं जिनको हमें जानना हैं....
*आजकल संविधान व जाति-धर्म के विरोध में राजनेताओं द्वारा बहुत कुछ कहा जा रहा है तो हमें यह भी जानना जरूरी है कि किसने क्या कहा....*
*1.प्रधानमंत्री मोदी जी* : "दलित मंदबुद्धि होते हैं।"
*2. संघप्रमुख मोहनभागवत* : आरक्षण जाति आधारित नहीं होना चाहिए, अतः आरक्षण की समीक्षा की जाएं।
*3. केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह* : "दलित कुत्ते होते हैं।"
*4. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी* : "हम यानि भाजपा आरक्षण को निर्रथक कर देंगे।"
*5. केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े* : "हम यानि भाजपा सत्ता में संविधान बदलने आये हैं।"
*6. केन्द्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े* : "व्यक्ति की पहचान जाति से होनी चाहिए।"
*7. धर्मगुरु स्वरूपानंद सरस्वती* : "हम संविधान को नहीं मानते हैं।"
*यह क्यों कहा गया, यह जानना भी जरूरी है....*
*1.* संविधान के पहले जो जातियां धार्मिक गुलाम थी, वे संवैधानिक अधिकारों को पाकर सक्षम होने लगी हैं जिनकी उन्नति और प्रगति धर्म के ठेकेदारों को हजम नहीं हो रही हैं।
*2.* संवैधानिक अधिकारों की बदौलत अशिक्षित वर्ग शिक्षित होकर इनका प्रतिभागी बन गया है।
*3.* संविधान प्रदत्त अधिकारों से बहिष्कृत वर्ग अपने अधिकारों को पाने के लिए संघर्ष करने लग गया है।
*4.* संवैधानिक अधिकारों से जागरूक होकर गुलाम वर्ग शासक बनने की ओर अग्रसर हो रहा है ।
*5.* अधिकारसंपन्न होकर पिछड़ी जातियां शारीरिक आत्मरक्षा करने में सक्षम हो रही हैं ।
*6.* इन्हें कमजोर करने के षड़यंत्र और साजिश के तहत आजकल अनर्गल बयानबाजी करके भारत के बहुजन मूलनिवासियों के विरूद्ध साम्प्रदायिक और जातीय भेदभाव के माहौल का निर्माण किया जा रहा है।
*"आपकी सावधानी और जागरूकता ही समाज को वापिस गुलाम होने से बचा सकती है :-"*
*1.* मनुवादी ताकतों ने स्पष्ट इशारा कर दिया है कि वो वापस से भारत के मूलनिवासियों अर्थात SC-ST-OBC को गुलाम बनाने की तैयारी कर रहे हैं जिससे हमें सावधान रहना है।
*2.* हमारे बच्चों को मनुवादी संगठनों से दूर करके हमारे महापुरुषों के इतिहास को उन्हें बताना चाहिए।
*3.* बच्चों को संविधान की जानकारी देनी चाहिए।
*4.* कम खा लेना, परंतु बच्चों को जरूर शिक्षित करना।
*5.* संविधान और आरक्षण के विरोधियों को तुरंत जवाब देना होगा।
*6.* मनुवादियों के किसी भी संगठन पर विश्वास मत करना क्योंकि मनुवादी धर्म के नाम आपको भ्रमित करके आपसे ही आपके संवैधानिक अधिकारों का विरोध करवाने की साजिश रच सकते हैं ।
*7.* कोई कितना भी समझाए, यह मान लेना कि हम बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब से ज्यादा बुद्धिमान नहीं हो सकते हैं ।
*8.* बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब ने जोकुछ किया है, वो बहुत सोच-समझकर किया है अर्थात बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब गलत नहीं हो सकते हैं।
*9.* भले चाहे जितनी बड़ी कुर्बानी देनी पड़े, संविधान खत्म मत होने देना ।
*10.* संविधान बचा रहेगा तो SC-ST-OBC का अस्तित्व भी बचा रहेगा, अन्यथा जिस दिन संविधान खत्म होगा, आप उसी दिन से वापस गुलाम हो जाएंगे-
आप ने इसे पढ़ने के लिए समय दिया उसका बहुत बहुत धन्यवाद । अब एक एहसान और करदो इस संदेश को अन्य 10-20 साथियों में और भेज दो। बस यही तरीका है अपने साथियों को जागरूक करने का ।
धन्यवाद ।
*जय भारत*
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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mediawalablog · 3 years ago
Text
FIR Against Amazon: मध्यप्रदेश में अमेजॉन कंपनी के खिलाफ दर्ज होगी FIR, गृह मंत्री ने दिए निर्देश
भोपाल: गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आज भोपाल में मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म ऐमेज़ॉन (Amazon) के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाएगी। इस संबंध में उन्होंने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं।
दरअसल इस कंपनी के द्वारा अपने ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर राष्ट्रध्वज संहिता का उल्लंघन किया है।
कंपनी ने टी शर्ट और जूतों सहित कई प्रोडक्ट पर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का दुरुपयोग है जिनका विरोध भारतीयों द्वारा सड़क से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगातार किया जा रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि यह पीड़ादायक बात है। राष्ट्र की भावना के खिलाफ है और अपमानजनक भी है।
इस तरह के कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह राष्ट्र ध्वज संहिता का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि मैंने इस संबंध में डीजीपी को एफ आई आर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
ज्ञात रहे कि इसके पहले भी ऐसे ही अन्य मामलों में गृह मंत्री ने अमेजॉन फ्लिपकार्ट और ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाने के निर्देश दिए थे।
https://mediawala.in/fir-will-be-registered-against-amazon-company-in-madhya-pradesh-home-minister-gave-instructions/
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