#राम मंदिर का डिजाइन
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Nashik Mai Ghumane Ki Jagah
Nashik Mai Ghumane Ki Jagah
यदि आप Nashik mai Ghumane ki jagah की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है। Tourist Attractions in Nashik | Places to visit near nashik within 100 kms Ram Kund of Nashik राम कुंड भारत के महाराष्ट्र राज्य के एक शहर नासिक में एक पवित्र स्नान टैंक है। इसे नासिक के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और यह एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ और त्योहार कुंभ मेले से जुड़ा है। कहा जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और उनकी पत्नी सीता ने अपने वनवास के दौरान राम कुंड में स्नान किया था। ऐसा माना जाता है कि इस तालाब का निर्माण स्वयं भगवान राम ने किया था, जिन्होंने अपने धनुष और बाण से जमीन खोदी थी। Sita Gufa , Nashik सीता गुफा (जिसे सीता गुम्फा या सीता गुफा के नाम से भी जाना जाता है) भारतीय शहर नासिक में एक पवित्र स्थान है। यह नागपुर के बाहरी इलाके में त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास एक गुफा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहां भगवान राम की पत्नी सीता ने अपने 14 साल के वनवास के दौरान कुछ समय के लिए निवास किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस शासक रावण सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम द्वारा सीता को छुड़ाने के बाद सीता नासिक पहुंचीं और कुछ समय तक इस गुफा में रहीं। गुफा अपेक्षाकृत छोटी है, और इसमें सीता को समर्पित एक छोटा मंदिर है।सीता गुफा को एक पवित्र स्थल माना जाता है और नैशक आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक अक्सर यहां आते हैं। Coin Museum Nashik नासिक में सिक्का संग्रहालय भारतीय सिक्कों के अतीत और विकास को समर्पित है। यह नासिक के बाहरी इलाके में अंजनेरी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। 1980 में खोला गया यह संग्रहालय देश में अपनी तरह का एकमात्र संग्रहालय है। सिक्का संग्रहालय में प्राचीन, मध्ययुगीन और समकालीन समय सहित भारतीय इतिहास के विभिन्न युगों के 1,500 से अधिक सिक्के हैं। प्रदर्शनियों को अन्य खंडों में विभाजित किया गया है जैसे कि पूर्व-मौर्य काल, मौर्य काल, गुप्त काल, मुगल काल और ब्रिटिश काल। संग्रहालय में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जारी किए गए सिक्कों का एक मूल्यवान संग्रह भी है, जो भारत में व्यापार करने वाली पहली विदेशी शक्तियों में से एक थी। सिक्का संग्रहालय में पदक निर्माण प्रक्रिया के लिए समर्पित एक अनुभाग भी है, जिसमें ढलाई प्रक्रिया, सिक्का डिजाइन और छपाई शामिल है। आगंतुक वास्तविक सिक्का ढलाई प्रक्रिया का निरीक्षण कर सकते हैं और संग्रहालय की दुकान से स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं। संग्रहालय में मुद्राशास्त्र में रुचि रखने वाले शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लिए एक पुस्तकालय और एक अनुसंधान केंद्र भी है।
Kalaram Temple of Nashik कालाराम मंदिर भारत के महाराष्ट्र के नासिक शहर में एक प्रसिद्ध हिंदू स्मारक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के हिंदू पौराणिक अवतार भगवान राम को समर्पित है। यह हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और माना जाता है कि इसका निर्माण 1790 में एक मराठा सरदार सरदार ओढेकर ने करवाया था। मंदिर का नाम गर्भगृह में स्थापित भगवान राम की काले पत्थर की मूर्ति के नाम पर रखा गया है और यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि मूर्ति को एक स्थानीय खदान से लाया गया था, इसलिए इसका नाम "काला राम मंदिर" (हिंदी में काला का अर्थ काला) रखा गया। मंदिर का डिज़ाइन दीवारों और स्तंभों पर जटिल नक्काशी के साथ हिंदू और मुस्लिम तत्वों को जोड़ता है।रामनवमी और विजयदशमी जैसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों के दौरान, मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। Nashik Muktidham Temple मुक्तिधाम मंदिर भारत के महाराष्ट्र के नासिक शहर में एक प्रसिद्ध हिंदू स्मारक है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और अपनी विशिष्ट वास्तुकला और डिजाइन के लिए उल्लेखनीय है। इसका निर्माण 1971 में एक स्थानीय उद्योगपति और परोपकारी स्वर्गीय श्री जयरामभाई बायटेको द्वारा किया गया था। यह मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है और लगभग दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के मुख्य मंदिर में भगवान कृष्ण, भगवान शिव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा और अन्य हिंदू देवताओं को पाया जा सकता है। मंदिर की दीवारें हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाने वाली उत्कृष्ट नक्काशी और चित्रों से सजी हैं।मुक्तिधाम मंदिर नासिक का एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है, जहाँ हर साल हजारों भक्त और पर्यटक आते हैं।
Nashik Sula Vineyards सुला वाइनयार्ड भारत के महाराष्ट्र राज्�� के नासिक शहर में एक प्रसिद्ध अंगूर का बाग है। इसकी शुरुआत 1999 में सिलिकॉन वैली इंजीनियर से वाइनमेकर बने राजीव सामंत ने की थी। यदि आपके पास बहुत समय है और आप कुछ अलग करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कार्यों की एक सूची है। अंगूर का बाग लगभग 1,800 एकड़ में फैला हुआ है और लाल, सफेद, गुलाबी और स्पार्कलिंग वाइन सहित विभिन्न प्रकार की वाइन का उत्पादन करता है। सुला वाइनयार्ड्स वाइन को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें डिकैन्टर वर्ल्ड वाइन अवार्ड्स और इंटरनेशनल वाइन एंड स्पिरिट्स प्रतियोगिता शामिल हैं।सुला वाइनयार्ड्स शराब के शौकीनों के साथ-साथ उन लोगों के लिए भी अवश्य देखने योग्य है जो नासिक की सुंदरता और संस्कृति का पता लगाना चाहते हैं। Trimbakeshwar , Nashik त्र्यंबकेश्वर भारत के महाराष्ट्र राज्य में नासिक से लगभग 28 किमी दूर त्र्यंबक में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों या सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक है।यह मंदिर अपने अनोखे ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह स्वयंभू है। यह मंदिर अपने कई अनुष्ठानों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है, जैसे कि महाशिवरात्रि उत्सव, जिसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। त्र्यंबकेश्वर एक लोकप्रिय हिंदू तीर्थ स्थल है जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नासिक तक कई तरीकों से पहुंचा जा सकता है। हवाई मार्ग द्वारा: ओज़ार हवाई अड्डा, नासिक से 20 किमी दूर, निकटतम हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डे पर बहुत कम विमान हैं। नासिक का निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 170 किमी दूर है। मुंबई-नासिक टैक्सियाँ और बसें उपलब्ध हैं। ट्रेन: नासिक मुख्य भारतीय शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नासिक रोड और देवलाली रेलवे स्टॉप शहर की सेवा करते हैं। मुंबई, दिल्ली, पुणे और अन्य बड़े शहरों में इन स्टेशनों के लिए ट्रेनें हैं।बस: नासिक मुख्य महाराष्ट्र और आसपास के राज्य के शहरों से बस द्वारा जुड़ा हुआ है। नासिक में बॉम्बे, पुणे, औरंगाबाद और शिरडी से कई सरकारी और निजी बस कंपनियां सेवा प्रदान करती हैं। कार द्वारा: नासिक महाराष्ट्र के मुख्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नासिक मुंबई से 170 किमी और मुंबई-पुणे राजमार्ग के माध्यम से पुणे से 210 किमी दूर है। नासिक में कई निजी कार सेवाएँ हैं।
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Ram Mandir News: अयोध्या में 2023 तक तैयार हो जाएगा राम मंदिर! जानें डिजाइन में क्या बदलाव हुआ
Ram Mandir News: अयोध्या में 2023 तक तैयार हो जाएगा राम मंदिर! जानें डिजाइन में क्या बदलाव हुआ
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ayodhya ram mandir new design: अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण की शुरुआत 5 अगस्त से शुरू हो जाएगी। नए डिजाइन में कुछ बदलाव किए गए हैं। मंदिर निर्माण में शामिल कंपनियों का कहना है कि साढ़े तीन साल में काम पूरा हो जाएगा।
Edited By Nilesh Mishra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 23 Jul 2020, 11:14:00 AM IST
अयोध्या में 1989 जैसा यादगार होगा राम मंदिर का भूमि पूजन हाइलाइट्स
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अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन
"भारत भावनात्मक है, दशक-लंबा इंतजार खत्म हुआ है," पीएम कहते हैं
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या भूमि पूजन में 40 किलो चांदी की ईंट, जो निर्माण की शुरुआत का प्रतीक होगी - आज के समारोहों के केंद्र में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 (बुधवार) को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी। उन्होंने पहले हनुमानगढ़ी जाकर हनुमान जी की पूजा अर्चना की और फिर राम जन्मभूमि क्षेत्र पर जाकर भगवान श्री राम जी को दंडवत प्रणाम किया।
इंडोनेशिया, मंदिर जैसे कई देशों में भगवान श्री राम जी ने मानवता को प्रेरित किया है।
राम जन्मभूमि मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि के पवित्र तीर्थ स्थल पर बनाया जा रहा है। राम जन्मभूमि राम की जन्मभूमि है, जिसे हिंदुओं द्वारा भगवान विष्णु के सातवें अवतार (अवतार) के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का निर्माण श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र द्वारा किया जाएगा। मंदिर को गुजरात के सोमपुरा परिवार द्वारा डिजाइन किया गया है।
https://famknowledge.blogspot.com/2020/08/blog-post_5.html
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Shri Ram Mandir Facts In Hindi श्री राम मंदिर के बारे में। श्री राम मंदिर करीब तीन मंजिल का होगा और 235 फीट चौड़ा 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा। श्री राम मंदिर की बनावट ( Design ) आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा जी ने तैयार किया है। जब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आया तो यह फूले न समा रहे थे क्योंकि यह 30 साल से इंतजार कर रहे थे। पहले ही श्री राम मंदिर क�� डिजाइन इन्होंने बना लिया था। बस सुप्रीम कोर्ट से फैसला नहीं आया था के श्री राम मंदिर बनाना है के नहीं। दिसंबर 2023 तक श्री राम मंदिर बन जाएगा।
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Ayodhya News : राम मंदिर के डिजाइन में चेंज, अब राफ्ट में होंगे 27 की जगह 9 मीटर चौड़े ब्लॉक
Ayodhya News : राम मंदिर के डिजाइन में चेंज, अब राफ्ट में होंगे 27 की जगह 9 मीटर चौड़े ब्लॉक
अयोध्या. राम का भव्य मंदिर इन दिनों पूरे देश में चर्��ा का विषय बना हुआ है, इसका जीर्णोधार कार्य भी काफी जोर शोर से चल रहा है. इस कड़ी में हाल ही दिल्ली में हुई बैठक में मंदिर निर्माण के डिजाइन कार्य को लेकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. 14 नवम्बर को हुई बैठक में मंदिर के बुनियाद के बाद बनाई जा रही राफ्ट को लेकर मंथन हुआ 27 मीटर का 17 ब्लॉक राफ्ट का बनाया जा रहा था, जिसके निर्माण लिए तापमान 23…
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Dehradun Famous tourist places To visit In 2021
Mindrolling Monastery
Dehradun Quick View
कोनसे राज्य में स्थित (Dehradun Located In) : Uttarakhand देहरादून की स्थानीय भाषा (Darjiling Local Language) : हिंदी,अंग्रेजी स्थानीय परिवहन (Local Transport) : सरकारी बस,कार,मोटर साइकिल देहरादून के प्रसिद्द खान-पान (Famous Food And Drink Of Dehradun) : अगर आप देहरादून घूमने जाते हे तो हम आपको बताएगे दार्जीलिग में खान-पान में क्या आपको चखना चाहिए। देहरादून में वैसे तो कई ऐसी चीज हे जो आप वह पर खा सकते हो लेकिन उनमे से सबसे प्रसिद्ध वहा के कंडेली का साग, गहत की दाल, आलू के गुटके, निम्बू, काफली, गुलगुला हे जो यहाँ पर ज्यादा मात्रा में खाए जाते हे। देहरादून भारत के सबसे सुन्दर और रमणीय राज्यों में से एक राज्य उत्तराखंड की राजधानी हे। देहरादून भारत के हिल स्टेशन में से सबसे सुन्दर हिल स्टेशन हे। यहाँ के प्राकृतिक नज़ारे और यहाँ की ठंडी हवाई आपको मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी हे। देहरादून हिमालय की पर्वतीय श्रृंखला में बसा हुआ हे इसी लिए इसकी सुंदरता और मनमोहकता बहुत ज्यादा हे। देहरादून शहर हिमालय की तलहटी में लगभग 2,200 फीट (670 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। देहरादून की स्थापना १६९९ में हुई थी जब विधर्मी सिख गुरु राम राय को पंजाब से बाहर निकाल दिया गया था और वहां एक मंदिर का निर्माण किया था। १८वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र ने लगातार आक्रमणकारियों के हमले हुए लगातार हो रहे हमले के आगे इस शहर ने अपने घुटने टेक दिए इन आ��्रमणों में से अंतिम आक्रमणकारी गोरखा (जातीय नेपाली सैनिक) थे। जब 1816 में गोरखा युद्ध समाप्त हुआ तो यह क्षेत्र अंग्रेजों को सौंप दिया गया था। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यह शहर उत्तर प्रदेश के नए राज्य का एक हिस्सा बन गया। लेकिन बाद में 2000 में उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग को उत्तराखंड नाम देकर नया राज्य बनाया गया था। उस समय देहरादून नए राज्य की राजधानी बन गया था।
Dehradun History in Hindi
Dehradun भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक। यह शहर उत्तराखंड की राजधानी हे और हिमालय की गोद में बसा एक ऐतिहासिक शहर। देहरादून ज्ञान और सूचना के क्षेत्र में उत्कृष्ट साख वाला शहर प्रस्तुत होता है। देहरादून को अज्ञात समय से गढ़वाल क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। देहरादून के इतिहास के बारे में कई बाटे मौजूद हे आज हम उन सभी बातो को देखेंगे। स्कंद पुराण में देहरादून को शिव के निवास केदारखंड नामक क्षेत्र के एक हिस्से के रूप में वर्णित किया गया है। विभिन्न पौराणिक कथाएं देहरादून को रामायण का हिस्सा बताती हे । एक लोकप्रिय मान्यता है कि राम और लक्ष्मण इस शहर में तपस्या के लिए आए थे। साथ ही साथ यह कौरवों और पांडवों के शक्तिशाली गुरु द्रोण (द्रोण नगरी) के निवास के रूप में भी प्रसिद्ध है। शहर इसके बारे में कई किंवदंतियों का दावा करता है और उनमें से अधिकांश महान महाकाव्य महाभारत से संबंधित हैं। विभिन्न शिलालेख जो यह पर पाए गए हे वह देहरादून को सम्राट अशोक से जोड़ते हैं। जिन्होंने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में शासन किया था। कुछ लोग कैसे मानते हैं कि इस शहर की स्थापना गुरु राम राय ने की थी। इस प्रकार इस शहर का नाम "दून" और "डेरा" दो शब्दों से बना हे जिसमे दून घाटी को समर्पित हे और डेरा यानि बसावट। पिछले सौ वर्षों में देहरादून में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं जिनका पुनर्पूंजीकरण करना अच्छा होगा ताकि शहर के भविष्य के बहाव को सही परिप्रेक्ष्य में रखा जा सके। 1890 में हरिद्वार से पहली ट्रेन देहरादून रेलवे स्टेशन पहुंची। इस ऐतिहासिक वर्ष ने शेष भारत और विशेष रूप से ब्रिटिशों के लिए घाटी को अधिक सुलभ बनाने की प्रक्रिया शुरू की, इस वर्ष केवल पहला रेडियो स्टेशन भी कच्छरी परिसर में अस्तित्व में आया। Other Post Golconda Fort : Full History Of Golconda And Amazing Fact Alleppey Kerala > Full History And Best Places To Visit Khajuraho Temple > Full History Of Khajuraho Temple Varanasi Banaras : 9 Attractive Places To Visit In Varansi
places to visit in dehradun
देहरादून में आपका सफर बहुत ही रोमांचक होने वाला हे क्युकी यहाँ पर एक से बढ़ कर एक घूमने लायक स्थान मौजूद हे जहा पर आप अपनी छुट्टिया बिता सकते हो। तो आइये देखते हे देहरादून में घूमने लायक जगहों को। Mindrolling Monastery in Clement Town, Dehradun अगर आप देहरादून का दौरा करते हे और आप माइंड्रोलिंग मठ ( Mindrolling Monastery ) की मुलाकात नहीं लेते तो आपकी देहरादून की यात्रा अधूरी है यह जगह स्थानीय रूप से बुद्ध मंदिर के रूप में लोकप्रिय है। जी हां, इस खूबसूरत मंदिर परिसर में जाने के बाद आपका दिमाग घूम जाएगा। हालाँकि इस मठ का नाम 'मिन ड्रोलिंग' के रूप में उच्चारित किया जाता है न कि 'माइंड रोलिंग' के रूप में। क्लेमेंट टाउन में स्थित इस मठ के आस-पास की जगहों में तिब्बतियों के घरो और अच्छी संख्या में तिब्बती कैफे मौजूद हे । तिब्बती भाषा में माइंड्रोलिंग का अर्थ है 'स्वतंत्रता का स्थान'। मठ का निर्माण १९६० में गुरु रिनपोछे द्वारा एक प्रतिकृति के रूप में किया गया था जब १९५९ में एक सांप्रदायिक आक्रमण के दौरान तिब्बत में एक समान दिखने वाले मठ को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। माइंड्रोलिंग मठ बौद्ध संस्कृति को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के इरादे से बनाया गया था। यहाँ पर एक स्तूप बना हे जो 190 फीट ऊंचा और 100 फीट चौड़ा स्तूप है। जिसे विश्व शांति स्तूप के नाम से भी जाना जाता है। यह स्तूप दुनिया का सबसे ऊंचा स्तूप है और माइंड्रोलिंग मठ का मुख्य आकर्षण है। स्तूप के शीर्ष पर रंगीन नक्काशीदार मैत्रेय - भविष्य के बुद्ध हैं जबकि सामने की ओर वर्तमान बुद्ध की एक मूर्ति सीढ़ियों से उतरती हुई दिखाई देती है। स्तूप 5-मंजिला है और बौद्ध धर्म और उसके इतिहास की कहानियों को दर्शाते हुए रंगीन चित्रित भित्ति चित्रों और मूर्तियों के साथ अंदर एक प्रार्थना कक्ष है। प्रार्थना कक्ष में फोटोग्राफी प्रतिबंधित है। माइंड्रोलिंग मठ मंदिर परिसर में एक कॉलेज, भिक्षुओं के लिए छात्रावास, गेस्टहाउस, एक कॉफी शॉप, एक कैंटीन और तिब्बती हस्तशिल्प बेचने वाली एक स्मारिका की दुकान भी है। परिसर के पास एक और आकर्षण बुद्ध की 130 फीट ऊंची ��ूर्ति है जो दलाई लामा को समर्पित है। Robber's Cave or Guchhupani in Malsi, Dehradun
Robber's Cave रॉबर की गुफा देहरादून शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ब्रिटिश शासन के दौरान गुफाओं को लुटेरों द्वारा गुप्त ठिकाने के रूप में इस्तेमाल किया गया था और इसलिए इसका नाम रॉबर की गुफा पड़ा । ६०० मीटर लंबी यह गुफा ऊपर से खुली हुई है जिसके दोनों ओर दो ऊँचे पहाड़ हैं और बीच में पानी की धारा बहती है। रॉबर की गुफा के अंदर जाने के लिए 1-2 फीट गहरे पानी में चलना पड़ता है। जमीन छोटे-छोटे कंकड़ से भरी हुई है और पानी ठंडा और ताज़ा है। जैसे-जैसे आप गुफाओं के अंदर जाते हैं, कण्ठ संकरा और संकरा होता जाता है, जब तक कि यह अंत में एक छोटे से झरने के साथ एक विस्तृत क्षेत्र में नहीं खुल जाता। जलप्रपात बहने वाली धारा का स्रोत है। सूरज की रोशनी दो पहाड़ियों की चोटी से छनती है और एक अद्भुत वातावरण प्रदान करती है। लुटेरों की गुफा में एक ही प्रवेश और निकास बिंदु है और गुफा के अंत तक पहुँचने के बाद आपको उसी रास्ते पर वापस चलना होगा। कहा जाता है कि बरसात के मौसम में पानी का स्तर घुटने तक पहुंच जाता है। पानी में नंगे पैर चलने के बजाय नुकीले पत्थरों और कंकड़ से चोट लगने से बचने के लिए 10 रुपये में बाहर दुकानों से चप्पल / फ्लिप फ्लॉप किराए पर लेने की सलाह दी जाती है। रॉबर की गुफा का पार्किंग क्षेत्र विशाल है और कई खाद्य और स्मारिका दुकानों से घिरा हुआ है। अगर आप पानी में भीगना चाहते हैं तो लॉकर और चेंजिंग रूम भी उपलब्ध हैं। Khalanga War Memorial in Tibbanala Pani, Dehradun खलंगा युद्ध स्मारक दुनिया का पहला स्मारक है जिसे सेना ने अपने विरोधियों को सम्मान देने के लिए बनवाया है। नलपानी की लड़ाई (1814-1816) देहरादून के नलपानी किले में ब्रिटिश सैनिकों और नेपाल के गोरखाओं के बीच लड़ी गई थी। ५००० ब्रिटिश सेना की सेना ६०० मजबूत गोरखा सेना के खिलाफ लड़ते हुए एक महीने से अधिक समय तक लगातार विफल रही। ब्रिटिश सेना ने तब किले की पानी की आपूर्ति में चतुराई से कटौती की और गोरखाओं को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। लेकिन तब तक गोरखाओं ने ब्रिटिश सेना पर भारी तबाही मचा दी थी; इतना कि इसने अंग्रेजों द्वारा जीत की किसी भी सच्ची भावना को नकार दिया। भले ही अंग्रेजों ने लड़ाई जीत ली, लेकिन उन्होंने गोरखाओं की वीरता को उनके लिए एक स्मारक बनाकर उसी स्थान पर बनवाया जहां लड़ाई लड़ी गई थी। खलंगा युद्ध स्मारक घने साल जंगल के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। खलंगा युद्ध स्मारक की यात्रा अत्यंत मनोरम और दर्शनीय है। स्मारक पर शायद ही कोई पर्यटक आता है, इसलिए आप पूरी जगह को अच्छी तरह से देख सकते हैं और इस जगह की शांति का आनंद ले सकते हैं। हालांकि वहां करने के लिए बहुत कुछ नहीं है, लेकिन प्रकृति प्रेमियों और शहर की हलचल से एक छोटा ब्रेक चाहने वालों के लिए खलंगा युद्ध स्मारक अवश्य देखने लायक जगह है। Forest Research Institute on Chakarata road, Dehradun वन अनुसंधान संस्थान (FRI) भारत में वानिकी अनुसंधान पर एक प्रमुख संस्थान है। एफआरआई इमारत प्रतिष्ठित है और देहरादून की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। इमारत 1000 एकड़ से अधिक के क्षेत्र में फैली हुई है जो कि बकिंघम पैलेस से भी बड़ी है! ईंट की इमारत एक हरे-भरे इलाके में खड़ी है जिसकी पृष्ठभूमि में हिमालय है। ग्रीको-रोमन और औपनिवेशिक स्थापत्य शैली के साथ डिजाइन प्रभावशाली है। एफआरआई का निर्माण तब किया गया था जब भारत ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अधीन था और इस इमारत ने बहुत लंबे समय तक दुनिया में सबसे बड़ी विशुद्ध रूप से ईंट संरचना के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब अपने नाम किया। एफआरआई के मुख्य भवन का उद्घाटन 1929 में हुआ था और कहा जाता है कि इसे पूरा होने में 7 साल लगे थे। इमारत के आंतरिक केंद्रीय आंगन हवादार हैं और पहली मंजिल पर छोटी खिड़कियों और भूतल पर बड़ी खिड़कियों के साथ विशिष्ट औपनिवेशिक वास्तुकला पेश करते हैं। वन अनुसंधान संस्थान परिसर में कई प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग की गई है। परिसर में एक मिनी वन से घिरे छावनी निवास भी हैं। वन अनुसंधान संस्थान एक शैक्षिक ��ह पर्यटन स्थल है क्योंकि इसमें 6 संग्रहालय हैं। - Silviculture museum - Entomology museum - Timber museum - Non-wood forest products museum - Social forestry museum - Pathology museum संग्रहालयों में से एक में 700 साल पुराने देवदार के पेड़ के क्रॉस-सेक्शन की प्रदर्शनी देखने से न चूकें। एफआरआई में आधा दिन बिताएं और इसकी शानदार वास्तुकला, सुखदायक माहौल और सुरम्य सुंदरता का आनंद लें। हमने अपने आस-पास की वनस्पतियों, उसके वर्गीकरण, खतरों आदि को समझने में पहले कुछ संग्रहालयों को व्यावहारिक पाया, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़े, हमने पाया कि कुछ संग्रहालय आम आदमी के लिए बहुत अधिक तकनीकी हैं और कॉलेज के छात्रों के लिए बहुत अधिक उपयुक्त हैं। कोई गाइड उपलब्ध नहीं था और हमारे चारों ओर प्रदर्शित वैज्ञानिक शब्द पढ़ने में भी बहुत मुश्किल थे, कुछ भी समझना भूल जाते थे। Sahastradhara Hot Spring and Waterfall in Timilimansingh, Dehradun सहस्त्रधारा एक पर्यटन स्थल है जहां एक ही स्थान पर कई आकर्षण हैं - एक गुफा, गर्म पानी का झरना, एक झरना, कुछ मंदिर, रोपवे के ऊपर एक दृश्य और एक डरावना घर भी है. ईमानदारी से कहूं तो हमें यह जगह स्थानीय लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट के रूप में मिली। सभी रेलिंग और बीच में बने वॉकिंग एरिया से झरना बिल्कुल भी प्राकृतिक नहीं लगता है। झरने के नीचे कई कैस्केडिंग पूल जैसे ढांचे का निर्माण किया गया है जो कि झरने के पानी से भरे हुए हैं, लेकिन ��े सभी बहुत ही गंदे और अस्वच्छ कुछ स्थानों के साथ बहुत ही व्यवसायिक दिखते हैं। गर्म पानी का झरना एक तथाकथित छोटा ठंडे पानी का स्विमिंग पूल है जिसमें गंधक की गंध आती है लेकिन हमें गंभीरता से संदेह है कि यह वास्तव में कितना वास्तविक या प्रामाणिक है। आसपास की दुकान के विक्रेता आपको पानी में डुबकी लगाने और यहां तक कि औषधीय उपचार के लिए पीने के लिए कहेंगे। यह जगह कई रेस्तरां, स्मारिका बेचने वाली दुकानों और स्नान करने की इच्छा होने पर कपड़े किराए पर देने से भरी हुई है। लॉकर और चेंजिंग रूम की सुविधाएं अतिरिक्त शुल्क पर भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं। स्टैलेक्टाइट गुफाएं एक छोटी पहाड़ी पर हैं और पानी के छोटे-छोटे नालों से घिरी हुई हैं जैसे कि गुफाओं के अंदर पानी टपकता है। गुफाओं के पास और भीतर की जमीन बहुत फिसलन भरी है और बहुत कम लोग ही इसे देखने आते हैं। माना जाता है कि महाभारत के गुरु द्रोणाचार्य ने इन गुफाओं में समय बिताया था। Other attractions in Dehradun ऊपर बताए गए लोकप्रिय स्थानों के अलावा, देहरादून में क���छ और दिलचस्प आकर्षण हैं। - सुबीर राहा तेल संग्रहालय एक भारतीय बहुराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी ओएनजीसी के मुख्यालय में स्थित है। यह कच्चे तेल और हाइड्रोकार्बन की उत्पादन प्रक्रिया और तेल उद्योग के विस्तृत इतिहास को प्रदर्शित करता है। - वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी में एसपी नौटियाल संग्रहालय शक्तिशाली हिमालय की उत्पत्ति और विकास को प्रदर्शित करता है। यह भूकंप, ग्लेशियरों पर जलवायु के प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन क्षमता जैसे क्षेत्रों में जनता को शिक्षित करता है। - क्षेत्रीय मानव विज्ञान संग्रहालय वन अनुसंधान संस्थान से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह कलाकृतियों को रखता है और हिमालय की तलहटी में लोगों के जीवन के तरीके दिखाता है - देहरादून चिड़ियाघर और मालसी डियर पार्क पक्षियों और जानवरों की विभिन्न प्रजातियों को देखने के लिए आकर्षण हैं, जो बच्चों के लिए रुचिकर हो सकते हैं। - टपकेश्वर मंदिर, संतला देवी मंदिर, तपोवन मंदिर और लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून में कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं यदि मंदिर आपकी रुचि रखते हैं। - लच्छीवाला नदी के किनारे स्थानीय लोगों के लिए एक और पिकनिक स्थल है, जो गर्मियों और सप्ताहांत में भीड़भाड़ वाला होता है। हम वास्तव में देहरादून आने वाले पर्यटकों को इसकी अनुशंसा नहीं करेंगे। Read the full article
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Nashik Mai Ghumane Ki Jagah
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यदि आप Nashik mai Ghumane ki jagah की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है। Tourist Attractions in Nashik | Places to visit near nashik within 100 kms Ram Kund of Nashik राम कुंड भारत के महाराष्ट्र राज्य के एक शहर नासिक में एक पवित्र स्नान टैंक है। इसे नासिक के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और यह एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ और त्योहार कुंभ मेले से जुड़ा है। कहा जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और उनकी पत्नी सीता ने अपने वनवास के दौरान राम कुंड में स्नान किया था। ऐसा माना जाता है कि इस तालाब का निर्माण स्वयं भगवान राम ने किया था, जिन्होंने अपने धनुष और बाण से जमीन खोदी थी। Sita Gufa , Nashik सीता गुफा (जिसे सीता गुम्फा या सीता गुफा के नाम से भी जाना जाता है) भारतीय शहर नासिक में एक पवित्र स्थान है। यह नागपुर के बाहरी इलाके में त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास एक गुफा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहां भगवान राम की पत्नी सीता ने अपने 14 साल के वनवास के दौरान कुछ समय के लिए निवास किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस शासक रावण सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम द्वारा सीता को छुड़ाने के बाद सीता नासिक पहुंचीं और कुछ समय तक इस गुफा में रहीं। गुफा अपेक्षाकृत छोटी है, और इसमें सीता को समर्पित एक छोटा मंदिर है।सीता गुफा को एक पवित्र स्थल माना जाता है और नैशक आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक अक्सर यहां आते हैं। Coin Museum Nashik नासिक में सिक्का संग्रहालय भारतीय सिक्कों के अतीत और विकास को समर्पित है। यह नासिक के बाहरी इलाके में अंजनेरी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। 1980 में खोला गया यह संग्रहालय देश में अपनी तरह का एकमात्र संग्रहालय है। सिक्का संग्रहालय में प्राचीन, मध्ययुगीन और समकालीन समय सहित भारतीय इतिहास के विभिन्न युगों के 1,500 से अधिक सिक्के हैं। प्रदर्शनियों को अन्य खंडों में विभाजित किया गया है जैसे कि पूर्व-मौर्य काल, मौर्य काल, गुप्त काल, मुगल काल और ब्रिटिश काल। संग्रहालय में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जारी किए गए सिक्कों का एक मूल्यवान संग्रह भी है, जो भारत में व्यापार करने वाली पहली विदेशी शक्तियों में से एक थी। सिक्का संग्रहालय में पदक निर्माण प्रक्रिया के लिए समर्पित एक अनुभाग भी है, जिसमें ढलाई प्रक्रिया, सिक��का डिजाइन और छपाई शामिल है। आगंतुक वास्तविक सिक्का ढलाई प्रक्रिया का निरीक्षण कर सकते हैं और संग्रहालय की दुकान से स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं। संग्रहालय में मुद्राशास्त्र में रुचि रखने वाले शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लिए एक पुस्तकालय और एक अनुसंधान केंद्र भी है।
Kalaram Temple of Nashik कालाराम मंदिर भारत के महाराष्ट्र के नासिक शहर में एक प्रसिद्ध हिंदू स्मारक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के हिंदू पौराणिक अवतार भगवान राम को समर्पित है। यह हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और माना जाता है कि इसका निर्माण 1790 में एक मराठा सरदार सरदार ओढेकर ने करवाया था। मंदिर का नाम गर्भगृह में स्थापित भगवान राम की काले पत्थर की मूर्ति के नाम पर रखा गया है और यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि मूर्ति को एक स्थानीय खदान से लाया गया था, इसलिए इसका नाम "काला राम मंदिर" (हिंदी में काला का अर्थ काला) रखा गया। मंदिर का डिज़ाइन दीवारों और स्तंभों पर जटिल नक्काशी के साथ हिंदू और मुस्लिम तत्वों को जोड़ता है।रामनवमी और विजयदशमी जैसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों के दौरान, मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। Nashik Muktidham Temple मुक्तिधाम मंदिर भारत के महाराष्ट्र के नासिक शहर में एक प्रसिद्ध हिंदू स्मारक है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और अपनी विशिष्ट वास्तुकला और डिजाइन के लिए उल्लेखनीय है। इसका निर्माण 1971 में एक स्थानीय उद्योगपति और परोपकारी स्वर्गीय श्री जयरामभाई बायटेको द्वारा किया गया था। यह मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है और लगभग दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के मुख्य मंदिर में भगवान कृष्ण, भगवान शिव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा और अन्य हिंदू देवताओं को पाया जा सकता है। मंदिर की दीवारें हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाने वाली उत्कृष्ट नक्काशी और चित्रों से सजी हैं।मुक्तिधाम मंदिर नासिक का एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है, जहाँ हर साल हजारों भक्त और पर्यटक आते हैं।
Nashik Sula Vineyards सुला वाइनयार्ड भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर में एक प्रसिद्ध अंगूर का बाग है। इसकी शुरुआत 1999 में सिलिकॉन वैली इंजीनियर से वाइनमेकर बने राजीव सामंत ने की थी। यदि आपके पास बहुत समय है और आप कुछ अलग करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कार्यों की एक सूची है। अंगूर का बाग लगभग 1,800 एकड़ में फैला हुआ है और लाल, सफेद, गुलाबी और स्पार्कलिंग वाइन सहित विभिन्न प्रकार की वाइन का उत्पादन करता है। सुला वाइनयार्ड्स वाइन को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें डिकैन्टर वर्ल्ड वाइन अवार्ड्स और इंटरनेशनल वाइन एंड स्पिरिट्स प्रतियोगिता शामिल हैं।सुला वाइनयार्ड्स शराब के शौकीनों के साथ-साथ उन लोगों के लिए भी अवश्य देखने योग्य है जो नासिक की सुंदरता और संस्कृति का पता लगाना चाहते हैं। Trimbakeshwar , Nashik त्र्यंबकेश्वर भारत के महाराष्ट्र राज्य में नासिक से लगभग 28 किमी दूर त्र्यंबक में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों या सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक है।यह मंदिर अपने अनोखे ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह स्वयंभू है। यह मंदिर अपने कई अनुष्ठानों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है, जैसे कि महाशिवरात्रि उत्सव, जिसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। त्र्यंबकेश्वर एक लोकप्रिय हिंदू तीर्थ स्थल है जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नासिक तक कई तरीकों से पहुंचा जा सकता है। हवाई मार्ग द्वारा: ओज़ार हवाई अड्डा, नासिक से 20 किमी दूर, निकटतम हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डे पर बहुत कम विमान हैं। नासिक का निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 170 किमी दूर है। मुंबई-नासिक टैक्सियाँ और बसें उपलब्ध हैं। ट्रेन: नासिक मुख्य भारतीय शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नासिक रोड और देवलाली रेलवे स्टॉप शहर की सेवा करते हैं। मुंबई, दिल्ली, पुणे और अन्य बड़े शहरों में इन स्टेशनों के लिए ट्रेनें हैं।बस: नासिक मुख्य महाराष्ट्र और आसपास के राज्य के शहरों से बस द्वारा जुड़ा हुआ है। नासिक में बॉम्बे, पुणे, औरंगाबाद और शिरडी से कई सरकारी और निजी बस कंपनियां सेवा प्रदान करती हैं। कार द्वारा: नासिक महाराष्ट्र के मुख्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नासिक मुंबई से 170 किमी और मुंबई-पुणे राजमार्ग के माध्यम से पुणे से 210 किमी दूर है। नासिक में कई निजी कार सेवाएँ हैं।
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ऑल जीन RT-PCR से पकड़ में आ सकता है कोरोना का नया स्ट्रेन, जानिए कैसे? Divya Sandesh
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ऑल जीन RT-PCR से पकड़ में आ सकता है कोरोना का नया स्ट्रेन, जानिए कैसे?
लखनऊ। दवा कंपनी संचालित करने वाले लखनऊ के उमेश सिंह को चार दिन पहले कोरोना के लक्षण आए तो उन्होंने अपनी आरटी-पीसीआर जांच कराई, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आयी। उनकी हालत बिगड़ती चली गयी तो उन्होंने अपने को आइसोलेट कर बाहर से 50 हजार रुपये खर्च कर जांच करवाई। रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला वह इस समय घर पर ही उपचार करवा रहे हैं।
इसी प्रकार लखनऊ के अंकुश त्रिपाठी को कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखे। उन्होंने भी आरटी-पीसीआर जांच कराई, जिसमें वह निगेटिव रहे। लेकिन उनकी हालत बहुत खराब नहीं हुई। उनके गले में जकड़न और सांस लेने में दिक्कत रही है। वह आइसोलेशन में अभी अपना इलाज घर पर कर रहे हैं। अभी कुछ ठीक होंने लगे हैं। कोरोना की दूसरी लह�� का नया स्ट्रेन पहले से बिल्कुल अलग है। लोगों में लक्षण तो आ रहे हैं लेकिन जांच रिपोर्ट में निगेटिव आ रही है। एंटीजन क्या आरटी-पीसीआर जांच से भी मर्ज पकड़ में नहीं आ रहे हैं।
लेक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड(हैदराबाद) के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम ऑन्कोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक राम शंकर उपाध्याय कहते हैं, “यह जो नया स्ट्रेन आया है वह जांच में पकड़ में मुश्किल से आ रहा है। उनका मानना है कि मरीज के सैंपल को ठीक से लिया जाना चाहिए।
यह खबर भी पढ़ें: इस मंदिर में रहते हैं 25 हजार से भी ज्यादा चूहें, भक्तों को पाव रखने की भी नहीं मिलती जगह
यह देखने की बात है। सैंपल लेने के लिए ट्रेंड व्यक्ति को दोनों को नाक का सैंपल लेना चाहिए। नाक के अंदर नेरोफैंजिल कैविटी के अंदर से सैंपल लिया जाना चाहिए। इसके अलावा मुंह में सैंपल लेने के लिए ओरोफैंजिल कैविटी तक सैंपल स्टिक रूई पहुंचनी चाहिए। इसके अलावा उसे तीन से चार सकेंड घुमाना चाहिए। अगर सैंपल ढंग से नहीं लिया गया तो संक्रमण को पहचानने में दिक्कत होगी।”
उन्होंने बताया, “जो पहले के आरटी-पीसीआर किट का डिजाइन 2020 के वायरस के स्वरूप के हिसाब से था। अब संक्रमण की जेनिटेक संरचना बदल चुकी है। उस कारण काफी केस पकड़ में नहीं आएंगे। पहले भी आरटी-पीसीआर की एक्यूरेसी 80 प्रतिशत थी। 20 प्रतिशत फॉल्स पॉजिटिव-निगेटिव रिपोर्ट आते थे। यह एक्यूरेसी और घट चुकी है। काफी सारे वायरस बदल चुके है।
अगर किसी को पता करना है तो आरटी-पीसीआर को अपडेट करना पड़ेगा। उसके लिए ऑल जीन आरटी-पीसीआर करना पड़ेगा। ओ,आर, एस ए, बी, आर यह सारे जीन है। मान लीजिए कोई व्यक्ति नए वायरस के चपेट में है। उसकी आरटी-पीसीआर जांच की जाती है। अगर वायरस ‘एस’ जीन में हुआ तो आरटी-पीसीआर जांच में दिखेगा ही नहीं ऐसे में रिपोर्ट में पुष्टि होंने की संभावना कम हो जाएगी। इसकी जगह हम ऑल जीन आरटी-पीसीआर जांच करेंगे तो भले ही किसी भी जीन में वायरस हो तो वह पकड़ में आ जाएगा।
आगे चलकर वायरस का स्वरूप बदलेगा। सरकारी प्रयोगशाला अपग्रेड करना चाहिए। रेग्युलर जिनामिक सिकवेंसी सर्विलांस करते रहना चाहिए। इससे यह पता चलेगा पब्लिक के अंदर किस प्रकार म्यूटेसन का स्ट्रेन है। पब्लिक में फैलने से पहले लोग जागरूक हो जाएंगे और आरटी-पीसीआर किट भी अपडेट होती रहेगी। सरकारी प्रयोगशालाओं को प्रयास करते रहना चाहिए कि वह जिनोमिक और सिरोलाजिकल सर्विलांस को देश के अंदर बढ़ाए। जीन आरटीपीसीआर का खर्च 700-1000 के बीच हो जाना चाहिए।”
उपाध्यय एक दशक से अधिक समय तक स्वीडन (स्टॉकहोम) के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं। इसके अलावा वह मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च कॉउंसिल ब्रिटेन (लंदन),रैनबैक्सी, ल्यूपिन जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। वह लेक्साई और सीएसआईआर (कॉउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्री रिसर्च) से मिलकर कोविड की दवा खोजने पर भी काम कर रहे हैं। फिलहाल वह स्टॉकहोम में रह रहे हैं।
वहीं, किंग जार्ज मेडिकल के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा कहती हैं, “कई तरह किट उपलब्ध है। वह विभिन्न प्रकार के जीन जांच रही है। पुरानी किट पर जांच हो रही है। अभी किट बदलने के बारे में कोई गाइडलाइन नहीं आयी है। कुछ मरीजों में देखा गया है। वह आरटी-पीसीआर वह निगेटिव आ रहे है। पर उनमें कोविड के लक्षण है।
उनका सिटी स्कैन कराकर उन्हें कोविड के कुछ डिफरेंट इलाके में रखकर वहां उनका कोरोना वाला इलाज हो सकता है। आरटी-पीसीआर निगेटिव है और कोरोना के लक्षण आ रहे तो सैंपल लेने के तरीके में बदलाव करना होगा। संक्रमण बहुत निचले स्तर पर है। उससे दूसरे पर प्रसार का खतरा कम है। अभी सैंपल उसके थ्रोट से ले रहे है। बलगम से भी लेने की जरूरत है। जांच और किट से संबधित फैसले स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर जारी करते हैं। कोई संस्थान अपनी ओर से लागू नहीं कर सकता है।”
–आईएएनएस
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हनुमत निकेतन मंदिर इलाहाबाद || civil line hanuman mandir |Hanumat Niketan Temple |सिविल लाइंस हनुमान हनुमत निकेतन मंदिर इलाहाबाद में प्रसिद्ध मंदिर हैं। यह मंदिर इलाहाबाद के सिविल लाइन इलाके में ��्थित है। इसलिए इस मंदिर को सिविल लाइन के हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और इसे हनुमत निकेतन मंदिर के नाम में जाना जाता है। यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। आपको इस मंदिर में हनुमान जी की बहुत ही भव्य प्रतिमा देखने के लिए मिलती है।हनुमत निकेतन मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत ही भव्य है। मंदिर के प्रवेश द्वार के ऊपर आपको रथ का डिजाइन देखने के लिए मिल जाएगा, जो बहुत ही आकर्षक लगता है। यह रथ भीष्म पितामह जी का है। आप प्रवेश द्वार से अंदर जाएंगे, तो आपको यहां पर बहुत बड़ा ग्राउंड देखने के लिए मिलेगा। ग्राउंड के एक साइड में आपको प्रसाद की दुकान देखने के लिए मिलेगी, जहां से आप हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाने के लिए खरीद सकते हैं। आपको दूसरे साइट एक मंदिर देखने मिलेगा और मुख्य मंदिर आपको सामने देखने के लिए मिलेगा। मुख्य मंदिर में आपको हनुमान जी की भव्य प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। हनुमान जी यहां पर संजीवनी बूटी का पहाड़ उठाई हुए हैं और आप उनके दर्शन कर सकते हैं। यहां पर आपको राम, लक्ष्मण और सीता जी के भी दर्शन करने मिल जाते हैं। यहां मां दुर्गा की मूर्ति भी विराजमान है। आप उनके भी दर्शन कर सकते हैं। मुख्य मंदिर के बाजू में एक और मंदिर है। आप वहां भी सूर्य भगवान जी, गणेश जी, शंकर जी, लक्ष्मी नारायण जी के और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर आपको सरस्वती माता और राधे कृष्ण की भव्य मूर्ति भी देखने के लिए मिल जाती है। यहां पर आपको आकर बहुत अच्छा लगेगा। बहुत सारे लोग शाम के समय यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं और अपना समय यहां पर बिताते हैं। तो दोस्तों कैसा लगा यह वीडियो मुझे कमेंट करके जरूर बताएं और अगर आप मेरे चैनल में नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले और बैल आइकन में बटन दबा दें ताकि मेरे वीडियो सबसे पहले आपको मिले औरअपना प्यार हमेशा बनाए रखें वीडियो लिंक https://youtu.be/pPbmKQanryA #civillinehanumanmandirprayagraj #civillineprayagraj #civilline #hanumantemple #hanumanmandir #prayagraj #cgrider #hanumanniketancivilline #hanumanmandirprayagraj #chhattisgRHRIDER (at Civil Lines- Hanuman Mandir) https://www.instagram.com/p/CL4JDUeM4os/?igshid=n5nbuwwedlyh
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श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने दिया अपना 30 माह का वेतन [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने दिया अपना 30 माह का वेतन [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
प्रयागराज. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह डिप्टी सीएम बाद में है पहले वह राम भक्त हैं। अभी योगदान करने का अभियान शुरू हुआ है खत्म नहीं। वह राम मंदिर आंदोलन के सिपाही हैं। अंशदान इसलिए जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी गौरवान्वित होकर कहे कि इस मंदिर के निर्माण में हमारे पुरखों का भी योगदान है। राममंदिर नींव की ड्राइंग पर मुहर, पर फाइनल डिजाइन में लगेगा वक्त लोनिवि कर्मचारियों ने एक करोड़…
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परेशानी का सबब बना राम मंदिर स्थल के नीचे से निकलता पानी, नींव के काम को अंतिम रूप देने में हो रही देरी
परेशानी का सबब बना राम मंदिर स्थल के नीचे से निकलता पानी, नींव के काम को अंतिम रूप देने में हो रही देरी
अयोध्याः अयोध्या में सरयू नदी के करीब राम मंदिर निर्माण स्थल के नीचे पानी की मौजूदगी के कारण मंदिर की नींव के डिजाइन को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है. इस ��ात की जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दी है. हालांकि, राय ने विश्वास जताया कि जल्द ही मंदिर की बुनियाद के डिजाइन के काम को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. इतना ही नहीं जल्द ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो…
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राम मंदिर निर्माण के लिए बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने दिया एक करोड़ का चंदा
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है और इसके लिए ट्रस्ट द्वारा चंदा इकट्ठा किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी इसमें अपना योगदान दिया है और एक करोड़ रुपये का चंदा दिया है!
गुर���वार को गौतम गंभीर ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के संतों से मुलाकात की और अपनी ओर से सहयोग राशि दी! गौरतलब है कि राम मंदिर के ट्रस्ट और विश्व हिन्दू परिषद की ओर से देशभर से चंदा इकट्ठा करने का अभियान चलाया जा रहा है! इसके तहत करीब पांच लाख परिवारों के पास पहुंचने का लक्ष्य है, ताकि राम मंदिर निर्माण के लिए धनराशि एकत्रित की जा सके!
गुरुवार को ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राम मंदिर निर्माण के लिए 5 लाख एक रुपये का योगदान दिया! कोलकाता के राजभवन में ट्रस्ट के लोगों ने बंगाल के राज्यपाल से मुलाकात की!
इस अभियान की शुरुआत में ट्रस्ट के लोगों ने सबसे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सहयोग राशि ली थी! राष्ट्रपति कोविंद ने कुल पांच लाख रुपये का योगदान दिया था! बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समेत देश की कई बड़ी हस्तियां अबतक इस अभियान में अपना योगदान दे चुकी हैं!
आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जारी है और डिजाइन फाइनल करने की प्रक्रिया अंतिम वक्त में चल रही है! ट्रस्ट की ओर से लक्ष्य रखा गया है कि साढ़े तीन साल में मंदिर को पूरा किया जाए!
https://kisansatta.com/bjp-mp-and-former-cricketer-gautam-gambhir-donated-one-crore-for-ram-temple-construction/ #BJPMPAndFormerCricketerGautamGambhirDonatedOneCroreForRamTempleConstruction BJP MP and former cricketer Gautam Gambhir donated one crore for Ram temple construction National, Religious, State #National, #Religious, #State KISAN SATTA - सच का संकल्प
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इस आलीशान महल में रहते हैं अभिषेक बच्चन, सोने-हीरों से लदी हैं भगवान की मूर्तियां, Unseen Photos Divya Sandesh
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इस आलीशान महल में रहते हैं अभिषेक बच्चन, सोने-हीरों से लदी हैं भगवान की मूर्तियां, Unseen Photos
बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) एक मशहूर हस्ती हैं. बिग-बी के फैन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में है. अमिताभ बच्चन अक्सर अपने फैमिली के सदस्यों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं और आज बिग-बी के लाडले अभिषेक बच्चन अपना 45वां जन्मदिन (Happy Birthday Abhishek Bachchan) मना रहे हैं. जिस तरह हिंदी सिनेमा में अपना अहम योगदान देने वाले अमिताभ बच्चन अपने बंगले ‘जलसा’ को लेकर शुरू से चर्चाओं में रहे हैं तो उनके बेटे भी खबरों में बने रहते हैं.अभिषेक के पिता अमिताभ का आलीशान बंगला मुंबई में है जहां उनके फैंस अक्सर हुजूम लगाए खड़े मिलते हैं. अमिताभ और उनके परिवार की एक झलक देखने के लिए फैंस घंटों बंगले के बाहर इंतजार करते हैं. जितने चर्चित अमिताभ हैं उतना ही चर्चित उनका आलीशान बंगला है जो किसी महल से कम नहीं. इस आलीशान महल में अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं और यहां सोने-हीरों से लदी भगवान की मूर्तियों समेत कई बेशकीमती चीजें हैं.हमेशा फैंस से गुलजार रहने वाला बंगला अंदर से कितना खूबसूरत है और यहां कितनी नायाब चीजें हैं इनकी एक झलक हम आपको अभिषेक बच्चन के बर्थडे पर तस्वीरों के जरिए दिखा रहे हैंअमिताभ बच्चन के आलीशान घर का इंटीरियर ही नहीं बल्कि होम एसेसीरीज, फर्नीचर और झूमर अपने आप में बेहद अलग और खास है.इसी बंगले में अमिताभ का पूरा परिवार रहता है और एक ही छत के नीचे वह पत्नी, बेटे-बहू, पोती-नातिन समेत अन्य सदस्यों के साथ रह रहे हैं.सोने-हीरों से सजी हैं मूर्तियांभले ही बिग-बी एक बहुत बड़ी सेलिब्रिटी हैं लेकिन बच्चन परिवार की भगवान में गहरी आस्था है और इसी कारण घर में बेहद सुंदर मंदिर भी बनाया गया है.रिपोर्ट्स की मानें तो बच्चन परिवार के खास मंदिर में रखी मूर्तियों को सोने व हीरों के गहनों से सजाया गया है. वैसे कुछ खास अवसरों पर अमिताभ बच्चन अपने परिवार के साथ मंदिर की तस्वीरें शेयर करते रहते हैं.मंदिर के साथ बच्चन परिवार में बहुत सारे सोफा और काउच हैं. जिन्हें रंग-बिरंगे कुशन से सजाया गया है और अलग-अलग कमरों के हिसाब से इन्हें डिजाइन किया गया है.चूंकि बिग-बी का परिवार भी बड़ा है और घर में भी काफी बड़ा है. ऐसे में वेंटीलेशन का भी पूरा ख्याल रखा गया है. घर के बाहर सीधे गार्डन एरिया नहीं है बल्कि पहले इमबेंकमेंट है. जहां बच्चन फैमिली मिलकर होली-दिवाली समेत अन्यत्योहार मनाता है. साथ ही इनके घर की छत भी ��पने आप में बेहद खास है. बिग-बी की घर की छत से मुंबई शहर का शानदार नजारा देखने को मिलता है.घर को खूबसूरत बनाने के लिए बड़ी नामी मशहूर हस्तियों की पेटिंग का उपयोग दीवारों को सजाने के लिए किया गया है और रॉयल लुक देने के लिए घर में सफेद मार्बल का उपयोग किया है.साथ ही घर के कोने-कोने को तरह-तरह के फूलों से सजाया जाता है. जिस वजह से बच्चन परिवार का पूरा घर ताजगी भरी खुशबू से महकता रहता है. बिग-बी अपने परिवार और फैंस के काफी करीब हैं और इस कारण उन्होंने अपनी तमाम यादों को संजोकर रखा है. अपनी यादों को संजोकर रखने के लिए बिग-बी ने घर की दीवारों पर तस्वीरें लगाई हुई हैं.अमिताभ बच्चन के घर में कई सेल्फी और फोटो प्वाइंट है जहां अक्सर ऐश्वर्या राय भी तैयार होकर फोटो खिंचवाती है.इसके अलावा कई बार पूरे परिवार भी इन खूबसूरत कोनों का उपयोग फोटो के लिए करता है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो घर को फाइव स्टार होटल जैसी सुख-सुविधाओं की तरह तैयार किया गया है. घर की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए बेशकीमती काली और झूमर लगाए गए हैं.राम दरबारजैसा कि हमने आपको बताया कि बच्चन परिवार भगवान में गहरी आस्था रखता है और मंदिर के साथ-साथ इनके बंगले में राम दरबार भी है. जो बहुत खूबसूरत है और राम दरबार को हर रोज ताजे फूलों से सजाया जाता है.बताते चलें कि अमिताभ बच्चन 70 के दशक में अपने बंगले प्रतीक्षा में शिफ्ट हुए थे. इसके बाद वह जलसा में अपने पूरे परिवार के साथ आ गए. लेकिन अक्सर वह फैमिली के साथ प्रतीक्षा में भी टाइम स्पेंड करने जाते हैं.आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।
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जमीन में धँसे राम मंदिर के पिल्लर, अब नए सिरे से रखी जाएगी मंदिर की नींव
जमीन में धँसे राम मंदिर के पिल्लर, अब नए सिरे से रखी जाएगी मंदिर की नींव
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की नींव रख दी गई थी । प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी ने एक एक प्रोग्राम आयोजित कर राम की मंदिर की नींव राखी थी । 1200 पिल्लर पर बनने वाले इस राम मंदिर के 12 पिल्लर जो तैयार किए गए थे, वो जमीन में 2-6 इंच तक जमीन में नीचे खिसक गए हैं । इसको लेकर निर्माण कार्य में लगी सभी एजेंसियां इस मंथन मीन हैं की क्या मंदिर का डिजाइन फिर से…
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49 करोड़ की लागत से बनेगी नगर निगम की हाइटेक पांच मंजिला इमारत, आर्किटेक्ट डिजाइन का किया गया प्रजेंटेशन [Source: Dainik Bhaskar]
49 करोड़ की लागत से बनेगी नगर निगम की हाइटेक पांच मंजिला इमारत, आर्किटेक्ट डिजाइन का किया गया प्रजेंटेशन [Source: Dainik Bhaskar]
उत्तर प्रदेश में राम की नगरी अयोध्या में एक तरफ जहां राम मंदिर निर्माण का काम जोरों से चल रहा है वहीं दूसरी ओर यहां की पुरानी इमारतों को भी हाइटेक करने का काम शुरू हो गया है। इसी क्रम में अयोध्या नगर निगम के परिसर में ही पांच मंजिला सिग्नेचर बिल्डिंग का निर्माण कराया जाएगा जो पूरी तरह से आधुनिक और हाइटेक होगी। जिस पर करीब 49 करोड़ रुपए की लागत आएग���। इसकी जानकारी नगर निगम के आयुक्त विशाल सिंह ने…
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Visakhapatnam History And 9 Amazing Facts About Visakhapatnam
Visakhapatnam City Overview
City NameVisakhapatnam, vizagCountry
IndiaStateAndhra PradeshDistrictVisakhapatnamLanguage Telugu, Hindi, EnglishArea11,161 KM²Population2,225,906STD Code0891Pin Code 530001Famous FoodPunugulu, Liver kebab, Masala batani, Sweet corn, Bongu chicken
विशाखापट्टनम के बारे में - About Vishakhapatnam
Visakhapatnam कहो या वायजेक आप इसे जो भी कहें यह शहर हर पर्यटक के लिए स्वर्ग है। अदभुत कुदरती दृश्यों और शांत समुद्र तटों के साथ विशाखापत्तनम का उल्लेख अक्सर हर शौकीन यात्री की घूमने की लिस्ट में होता है। ��िशाखापत्तनम का इस लिस्ट में होने का पूरा अधिकार है। प्राकृतिक आकर्षणों के अलावा शहर की एक सांस्कृतिक विरासत और एक गौरवशाली अतीत है जो विशाखापत्तनम के निकट पर्यटन स्थलों में पाया जा सकता है। अपनी प्रतिष्ठित विविधता के लिए यह शहर पर्यटकों को अपनी आकर्षित करता हे। विशाखापत्तनम में सभी के लिए कुछ न कुछ है। चाहे आप बच्चों, अपने जीवनसाथी या दोस्तों के साथ यात्रा कर रहे हों, विशाखापत्तनम में घूमने की जगहें आपके दिल पर एक अमिट छाप छोड़ देंगी। बंदरगाह का शहर विशाखापत्तनम आकार के मामले में आंध्र प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे भारत में सबसे पुराना शिपयार्ड होने का श्रेय दिया जाता है और इसका एक प्राकृतिक बंदरगाह है जो भारतीय पूर्वी तट पर अपनी तरह का एकमात्र ऐसा बंदरगाह है। शहर के प्राकृतिक परिदृश्य में इसके स्थान के योगदान के कारण, इसका समृद्ध सांस्कृतिक अतीत इसके नाम में बहुत अधिक मूल्य जोड़ता है। यदि आप ऐसी जगह की तलाश में हैं जो आपकी आत्मा को अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मानव निर्मित चमत्कारों से जागृत रखे, तो विशाखापत्तनम यानि विजाग आपके लिए एक बहेतर जगह हो सकती हे । विशाखापत्तनम में घूमने की सबसे अच्छी जगहों के बारे में जानने के लिए अंत तक इस आर्टिकल को पढ़िए।
Visakhapatnam History - विशाखापट्टनम इतिहास
विशाखापत्तनम का इतिहास हमें छठी सदी में मिलता है। विशाखापत्तनम का नाम हमें प्राचीन हिन्दू और बौद्ध ग्रंथो में मिलता हे। उसमे विशाखापत्तनम यानि विजेग का बार बार उल्लेख किया गया हे। विशाखापत्तनम का उल्लेख हमें चौथी शताब्दी में पाणिनि और कात्यायन के लेखन में मिलता हे। यह शहर पहले कलिंग साम्राज्य का एक अहम् हिस्सा था लेकिन बाद में इसे सम्राट अशोक ने जित लिया था। विशाखापत्तनम शहर का नाम वीरता और युद्ध के देवता विशाखा के नाम पर रखा गया है। विशाखा भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और मंगल की अधिपति भी हैं। स्थानीय किंवदंती के अनुसार 9वीं और 11वीं शताब्दी के बीच आंध्र के राजा द्वारा इस शहर का नाम विशाखापत्तनम रखा गया था। ऐसा कहा जाता है कि राजा वाराणसी या बनारस के रास्ते में विश्राम करने के लिए इस स्थान पर रुके थे। वह इस जगह की सुंदरता से इतना मोहित हो गया कि उसने अपने परिवार के देवता विशाखा के सम्मान में एक मंदिर बनाने का फैसला किया। हालांकि पुरातात्विक अभिलेखों के अनुसार विजाग या विशाखापट्टनम का निर्माण चोल कुलुतुंगा ने 11वीं और 12वीं शताब्दी के बीच किया था। विशाखापत्तनम के इतिहास के अनुसार शहर पर वर्षों से कई राजवंशों का शासन रहा है। विशाखापत्तनम पर शासन करने वाले कुछ राजवंशों में कलिंगो, चाणक्यो, राजमुंदरी रेड्ड�� राजा, चोल और गोलकोंडा नवाब शामिल हैं। 15वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान विशाखापत्तनम मुगल शासन के अधीन था। विशाखापत्तनम व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित था। डच, फ्रांसीसी और अन्य यूरोपीय व्यापारियों ने हाथी दांत, तंबाकू, मलमल और अन्य उत्पादों के व्यापार के लिए बंदरगाह का इस्तेमाल किया था । 18वीं शताब्दी के अंत में विशाखापत्तनम फ्रांसीसी नियंत्रण में आ गया। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद से, विशाखापत्तनम देश के प्रमुख बंदरगाहों में से एक बन गया है। विशाखापत्तनम भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान की सीट भी है। एक अन्य लोकप्रिय धारणा यह है कि शहर का नाम बौद्ध राजकुमारी विशाखा (5 वीं से 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के नाम पर रखा गया था, और बौद्ध मिथकों में इसका उल्लेख किया गया है। इसी तरह का एक और सिद्धांत वैशाखी नामक बौद्ध भिक्षु को दिया गया है। ६३९-४० ईस्वी के दौरान एक चीनी यात्री ह्वेन सांग ने आंध्र का दौरा किया। अपने यात्रा वृतांत में उन्होंने 'विशाखा साम्राज्य' नाम का उल्लेख किया है जहां हीनयान बौद्ध धर्म प्रचलित था। Other Post Golconda Fort : Full History Of Golconda And Amazing Fact Alleppey Kerala > Full History And Best Places To Visit Khajuraho Temple > Full History Of Khajuraho Temple Varanasi Banaras : 9 Attractive Places To Visit In Varansi
9 Amazing Facts About Vishakhapatnam
भारत के पहले नौसैनिक अड्डा पूर्वी नौसेना कमान ने विशाखापत्तनम में अपने 3 मुख्य ठिकानों में से एक की स्थापना की जो इसका मुख्यालय भी है और आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए जिम्मेदार है। समुद्र में पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में जीत के उपलक्ष्य में हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह आयोजन भारतीय नौसेना की ताकत और बेड़े को प्रदर्शित करता है। इस मोके पर अवश्य भाग लें। भारतीय नौसेना समुद्र में अपनी ताकत दिखाते हुए शानदार नौसैनिक बेड़े को देखने के लिए दर्शकों से यहाँ रोड भर जाएगा। एक मात्र शहर जहा दो बड़े बंदरगाह हे विशाखापत्तनम बंदरगाह भारत के 13 सबसे बड़े और महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक और आंध्र प्रदेश का एकमात्र प्रमुख बंदरगाह है। जो 1933 में कार्गो की मात्रा के हिसाब से भारत का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह बन गया था । वही विशाखापत्तनम में ही गंगावरम बंदरगाह जो की भारत के सबसे गहरे बंदरगाह में से एक हे उसका उद्घाटन 2009 में हुआ था। दक्षिण एशिया में पहला पनडुब्बी संग्रहालय। INS कुरसुरा 1969 में भारतीय नौसेना द्वारा खरीदे गए पहले चार सब-मरीन में से एक है। इसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसे 2001 में बंद कर दिया गया था। जिस के बाद इसे 9 अगस्त 2002 को विजाग के ��ाम कृष्ण समुद्र तट में एक पनडुब्बी संग्रहालय के रूप में स्थापित किया गया था, इस परियोजना को तत्कालीन सी.एम. श्री नारा चंद्रबाबू नायडू ने शुरू किया था वह इसे दक्षिण एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा पनडुब्बी संग्रहालय बना रहे हैं। बौद्ध धर्म के निशान। थोटलाकोंडा बौद्ध परिसर में पाए गए बौद्ध अवशेष पहली शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी तक के अनुमानित हैं। भारत का सबसे पुराना शिपयार्ड। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड भारत का पहला और सबसे पुराना शिपयार्ड है जिसे 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्थापित किया गया था। 2009 तक इसने 170 से अधिक जहाजों का निर्माण किया था और लगभग 2000 जहाजों की मरम्मत की थी और यह भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों की मरम्मत के लिए भी जाना जाता है। जरा सोचिए यह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के निर्माण के लिए भी सुसज्जित है। भगवान नरसिम्हा की भूमि। प्राचीन लिपियों के अनुसार सिंहचलम जो की भगवान नरसिम्हा का मंदिर हे जो विशाखापत्तनम शहर से केवल 25 किलोमीटर दूर स्थित है। ये वो स्थान है जहां भगवान विष्णु ने भगवान नरसिंह के रूप में अवतार लिया था जो भक्त प्रहलाद की प्रार्थनाओं से हिरण्यकश्यप के अत्याचारों को ख़त्म करने के लिए एक खम्भे मे से प्रकट हुए थे। अल्लूरी सीताराम राजू विशाखापत्तनम क्षेत्र से हैं। यह वह स्थान है जिसने अल्लूरी सीता रामा राजू को अपनी किशोरावस्था के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी को ढाला। उन्होंने श्रीमती ए.वी.एन में दाखिला लिया। अपने उच्च अध्ययन के लिए कॉलेज और यहीं पर उन्हें अपने देश को मुक्त करने के लिए प्रेरित किया गया था। उन्हें तेलुगु लोगों द्वारा "मन्यम वीरुडु" (जंगलों का नायक) की उपाधि से नवाजा गया है। भारत के पूर्वी तट पर तीसरा सबसे बड़ा शहर। 554 वर्ग किलोमीटर में यह चेन्नई और कोलकाता के बाद पूर्वी तट पर तीसरा सबसे बड़ा शहर है। यह वित्तीय कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला की मेजबानी भी करता है जिसके कारण इसे "पूर्वी तट का गहना" कहा जाता है। भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी "INS Arihant" का निर्माण विजाग में किया जा रहा है। यह परियोजना 2009 में शुरू की गई थी और इसके 2015 के आस-पास पूर्ण हुई थी । अरिहंत के पूरा होने से भारत दुनिया के छह देशों में से एक हो गया हे जो अपनी परमाणु पनडुब्बियों को डिजाइन, निर्माण और संचालित करने की क्षमता रखता है। Read the full article
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