#राम भक्त
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appasahebparbhane · 8 months ago
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गुरु दीक्षा लेने के लिए आवश्यक नियम
दीक्षा लेने के लिए, कुछ नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है। यह अतयंत महत्वपूर्ण है कि दीक्षा और भक्ति सफल /लाभप्रद होने के लिए इन नियमों का क��़ाई से पालन किया जाए। यदि कोई शिष्य किसी भी नियम को तोड़ता है, तो भक्ति सफल नहीं होती है और यह एक निरर्थक प्रयास रह जाता है। कृपया भक्ति के नियमों से खुद को परिचित करें।
यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि दीक्षा लेने के इच्छुक व्यक्ति संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान किए गए तत्वज्ञान से परिचित हों। ज्ञान ही भक्ति व नाम के समेकन (Consolidation) का आधार है। तत्वज्ञान प्राप्त करने के लिए आप ज्ञान गंगा नामक पुस्तक पढ़ सकते हैं, जिसे हमारे प्रकाशन पृष्ठ से मुफ्त डाउनलोड किया जा सकता है। संत रामपाल जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को भी सुना जा सकता है जो इस वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और इन्हें YouTube पर भी देखा जा सकता है।
#किताब #डाउनलोड #करें:
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#समर्थ #परमात्मा #कबीर
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subhashdagar123 · 9 months ago
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ayodhyavasi · 2 years ago
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satlokashram · 9 months ago
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कबीर जी ने गुरु की महिमा बताई है:- वाणी:- गुरु ते अधिक न कोई ठहरायी। मोक्षपंथ नहिं गुरु बिनु पाई।। राम कृष्ण बड़ तिहुँपुर राजा। तिन गुरु बंदि कीन्ह निज काजा।। सरलार्थ:- गुरु से अधिक किसी को नहीं मानें। गुरु के बिना मोक्ष का रास्ता (भक्ति विधि) प्राप्त नहीं हो सकती। उदाहरण बताया है कि श्री राम तथा श्री कृष्ण जी को तो आप हिन्दू भगवान मानते हैं। इनसे बड़े तो आप नहीं हैं। जब श्री राम तथा श्री कृष्ण ने भी गुरु बनाए और उनको अर्थात् अपने गुरुदेवों को नमन किया। उनके सामने एक भक्त की तरह आधीन बनकर रहे। उनकी आज्ञा का पालन किया तो आप जी को भी गुरु बनाकर उपदेश दीक्षा लेकर साधना करनी चाहिए। श्री राम तथा श्री कृष्ण तो तीन लोक में बड़े हैं। उन्होंने भी गुरु को बन्दगी (प्रणाम) करके अपने निजी कार्यों को किया, उनकी आज्ञा मानी।
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jayshrisitaram108 · 4 months ago
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ll श्रीराम चालीसा ll
श्री रघुबीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहीं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन मांही।
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥
जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला।
सदा करो संतन प्रतिपाला॥
तव भुजदण्�� प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं।
दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ भेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहिं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहीं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहूं न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
जो तुम्हरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा।
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन-मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आव��गमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर,
पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से,
अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े,
राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै,
सकल सिद्ध हो जाय॥
🙏जय श्री राम🙏
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rajju03 · 2 months ago
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कबीर साहब बांधवगढ़ के सेठ धर्मदास को मिले जो कृष्ण जी के भक्त थे तब कबीर साहब ने खुद को एक भक्त बताया और धर्मदास को विद्वान ।
सीधे ही धर्मदास को कह देते मै ही परमेश्वर हुं तो धर्मदास उनकी एक ना सुनता ।
फिर धर्मदास को ज्ञान सुनाते समझाते अपने ज्ञान तक लाये तब धर्मदास को यकीन हुआ यही परमेश्वर है
कबीर साहब ने राम नाम के गुण गाये ।
कबीर , राम नाम की लूट मचीं है , लूट सके तो लूट ।
पीछे फिर पछतायेगा , प्राण जायेंगे छूट ।।
फिर राम की भिन्नता बताई है ।
एक राम दशरथ का बेटा , एक राम घट घट में बैठा ।
एक राम का सकल पसारा , एक राम है सबसे न्यारा ।।
फिर कहा है
राम राम सब जगत बखाने , आदिराम कोई विरला जाने ।
भम्र गये जग वेद पुराण , आदिराम का भेद ना जाना ।।
फिर फाईनल ज्ञान में बताया
ज्योत स्वरूप तेरा अलख निरंजन धरता ध्यान हमारा ।।
अलख निरंजन जिसको गीता में बह्म कहा गया है जिसका ॐ मन्त्र है वो भी कबीर साहब जी का ध्यान धर कर साधना करता है ।
हम सब ने ना वेद देखे ना गीता पढी ना कबीर साहब के साख देने वाले संतो की वाणियां पढी । बस लगे है कबीर साहब का विरोध करने ।
कौन कहता है बह्मा विष्णु शिव भगवान नही है संत रामपाल जी महाराज तो कहते है यह तीन लोक के भगवान ही आपको लाभ देंगे आप इनकी भक्ति मुझ दास (संत रामपाल जी महाराज)से लेकर इनके मन्त्रो से करो फिर देखो ...
बिना सोचे बिना विचारे कुछ भी गलत ना बोले ।
हम भी हाथ जोड��र बह्मा विष्णु शिव जी का सत्कार करते है वे हमारे धरती पाताल और स्वर्ग ��े एक एक विभाग के भगवान है सत्वगुण के विष्णु जी , रजगुण के बह्मा जी , तमोगुण के शिव जी ।
पर हम सब के परमेश्वर कबीर साहब है जो समस्त‌ सृष्टी के रचनाकार और पालनकर्ता है ।
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hinducosmos · 2 years ago
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Kolhapur - कोल्हापूर Meena Bajpai @ms_yatra wrote : #🌹🙏# भरत जी #🙏🌹 भूमिजा - रमण - पदकंज - मकरंद - रस - रसिक - मधुकर भरत भूरिभागी । भुवन - भूषण, भानुवंश - भूषण, भूमिपाल - मणि रामचंद्रानुरागी ॥ 💐श्रीभरतजीकी जय हो, जो जानकीपति श्रीरामजीके चरण - कमलोंके मकरन्दका पान करनेके लिये रसिक भ्रमर हैं । जो संसारके भूषणस्वरुप, सूर्यवंशके विभूषण और नृप - शिरोमणि श्रीरामचन्द्रजीके पूर्ण प्रेमी हैं ॥💐 भरत जी न केवल भगवान राम के एक प्रमुख भक्त हैं, बल्कि रामायण के सबसे आराध्य और पवित्र चरित्र हैं।भरत चरित का निरंतर जप भगवान राम के करीब आने में मदद करता है, जीवन से सभी बाधाओं को दूर करता है और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध को बढ़ाता है। #kolhapur #maharashtra #2april #2018 #monday #laxmitemple # #kolhapurcity #mahalakshmi #🙏🙏 #mandirdiaries🙏 #msyatra #bharat #ancienttemple #indiantemple #templetourism #templeofindia #architecture #myyatra #389 #templearchitecture #🌹🌹 (via Instagram: Meena Bajpai @ms_yatra)
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helputrust · 9 months ago
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23.04.2024, लखनऊ |  हनुमान जयंती के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चन्द्रशेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर, महामायानगर, तकरोही, लखनऊ में "पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, चन्द्र शेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर के प्रबंधक श्री संतोष वर्मा एवं शिक्षकों द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया तथा पवन पुत्र हनुमान जी की पूजा अर्चना कर सभी को प्रसाद वितरित किया गया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “हनुमान जयंती आध्यात्मिक रूप से भगवान हनुमान से जुड़ने और उनके गुणों को याद करने का एक अवसर है । अपार ताकत होने के बावजूद वह एक नदी की तरह शांत थे । उन्हें अपने कौशल पर कभी कोई गर्व नहीं रहा है और इसका ���पयोग वो केवल दूसरों के हित के लिए करते है । यह त्यौहार हमें स्वयं को भगवान हनुमान के रूप में आध्यात्मिक और मानसिक रूप से विकसित होना सिखाता है । यह हमें भगवान हनुमान पर पूरा भरोसा बनाये रखते हुए कठिन परिस्थितियों में धैर्य और शांतचित्त रहना सिखाता है और इससे बाहर निकलने की योजना बनाना भी सिखाता है ।“
चन्द्र शेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर की शिक्षिका श्रीमती संगीता भट्ट ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “जैसा कि आप सभी जानते हैं आज का दिन पवन पुत्र हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है । हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं तथा बल, बुद्धि और विद्या के प्रतीक है | हमें भी हनुमान जी की तरह बलशाली एवं बुद्धिमान बनना चाहिए जिससे हम अपने समाज और देश पर आने वाले संकटों का डटकर सामना कर सकें | जय श्री राम |
अंत में श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि "इस तरह के कार्यक्रम प्रत्येक स्कूल में आयोजित होने चाहिए जिससे विद्यार्थी भारत देश के आध्यात्मिक एवं पौराणिक इतिहास के बारे में जान सके |"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, चन्द्र शेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर के प्रबंधक श्री संतोष वर्मा, प्रधानाध्यापिका श्रीमती सीमा वर्मा, शिक्षकों श्रीमती संगीता भट्ट, यासमीन फातिमा, सुश्री साक्षी, सुश्री अंजना, सुश्री अनीता, श्री अंशुमन, सुश्री अंजलि, सुश्री नीलम, सुश्री सभ्यता, शाहीना, सुश्री मानसी, श्री विकास, छात्र-छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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sudharawat · 10 months ago
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राम भक्त ने कहा संत रामपाल जी ही भगवान हैं|| Sant Rampal Ji Maharaj||Tar... Ram bhakton Ne Kaha Sant Rampal Maharaj hi Bhagwan Hain
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sriramjanmbhumi · 2 months ago
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Hindu Festival: Tulsi Vivah (तुलसी विवाह)
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🚩जय श्री राम🚩
तुलसी विवाह: Facts, Tulsi Mantra And Beliefs
महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
#ब्रह्मवैवर्तप��राण के अनुसार तुलसी (वृंदा) शंखचूड़ नामक असुर की पत्नी थीं। शंखचूड़ बहुत बड़ा अधर्मी था, लेकिन उसकी पत्नी सतीत्व का पालन करती थी। यही कारण था कि वह बहुत बलवान था और देवता उसको हरा नहीं पा रहे थे। भगवान विष्णु ने शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी को छू लिया, जिससे उनका सतीत्व भंग हो गया।
भगवान #विष्णु के ऐसा करते ही #शंखचूड़ की शक्ति समाप्त हो गई। उसके बाद शिवजी ने उसका वध कर दिया। तुलसी को इस बात की जानकारी हुई, तो बहुत ही क्रोधित हुईं। उन्होंने भगवान विष्णु को पत्थर (#शालीग्राम) बनने का श्राप दे दिया।
भगवान विष्णु ने श्राप स्वीकार करते हुए कहा कि वह शालिग्राम रूप में पृथ्वी पर रहेंगे। तुम मुझको तुलसी के एक पौधे के रूप में छांव दोगी। उनके भक्त तुलसी से विवाह करके पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे। इस दोनों का #कार्तिक #शुक्ल #एकादशी को विवाह किया जाता है। आज भी तुलसी नेपाल की #गंडकी नदी पर पौधे के रूप में पृथ्वी पर हैं, जहां शालिग्राम मिलते हैं।
Jai Shri Krishna!
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indrabalakhanna · 3 months ago
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मीरा बाई: राजकुमारी से महान भक्त बनने तक का सफर | Sant Rampal Ji LIVE Sa...
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🌐World Victorious Sant🌐
*📣🙏बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🙏📣*
*15/08/2024
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🔰कबीर परमात्मा हैं सबके रक्षक!
🔰परमेश्वर कबीर जी पूर्ण समर्थ हैं जो अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में है। जिसमें स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकते हैं!
#सत_भक्ति_संदेश
*सतगुरु पूर्ण ब्रह्म हैं, सतगुरु आप अलेख! सतगुरु रमता राम हैं, या में मीन ना मैंख!!*
*सतगुरु मेरा बानिया, करता सब्ज़ व्यवहार! बिन डांडी बिन पालडे तोल दिया संसार!!*
*कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरे पारा!!
*सतगुरु शरण में आने से आई टले बला!जै मस्तक में सूली हो,कांटे में टल जा!!*
🙏⏩आत्मा की सभी शंकाएं जगतगुरु परमेश्वर तत्वदर्शी संत बंदीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संगो के माध्यम से ही समाप्त होंगीं!
🙏⏩अवश्य सब्सक्राइब करें !
*संत रामपाल जी महाराज*_यूट्यूब चैनल पर! और प्रतिदिन देखें!🙏
श्रद्धा MH ONE 📺 चैनल 2:00p.m.
साधना 📺 चैनल 7:30 p.m.
ईश्वर 📺 चैनल 8:30 p.m.
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पवित्र पुस्तक 📕*ज्ञान गंगा*📕 *जीने की राह*📙*हिंदू साहेबान नहीं समझे गीता वेद पुराण*
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ajitdas0987 · 7 months ago
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लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
🔹त्रेतायुग में नल तथा नील दोनों ही कबीर परमेश्वर के शिष्य थे। कबीर परमेश्वर ने नल नील को आशीर्वाद दिया था कि उनके हाथों से कोई भी वस्तु चाहें वह किसी भी धातू से बनी हो,जल में डूबेगी नहीं। परंतु अभिमान होने के कारण नल नील के आशीर्वाद को कबीर परमेश्वर ने वापस ले लिया था। तब कबीर परमेश्वर ने एक पहाड़ी के चारों और रेखा खींचकर उसके पत्थरों को हल्का कर दिया था। वही पत्थर समुद्र पर तैरे थे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
🔹कबीर साहेब जी ही त्रेतायुग में लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण जी को मुनीन्द्र रुप में मिले थे विभीषण जी ने उनसे तत्वज्ञान ग्रहण कर उपदेश प्राप्त किया और मुक्ति के अधिकारी हुए।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया।
धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।।
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।
🔹त्रेतायुग में कबीर परमात्मा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से प्रकट हुये थे। त्रेता युग में कबीर परमात्मा लंका में रहने वाले चंद्रविजय और उनकी पत्नी कर्मवती को भी मिले थे। और उस समय के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण को भी ज्ञान समझा कर अपनी शरण में लिया। यही कारण था कि रावण के राज्य में भी रहते हुए उन्होंने धर्म का पालन किया।
🔹कबीर परमात्मा जी द्वारा नल और नील के असाध्य रोग को ठीक करना
जब त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया तथा नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से ही पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ था। पांडवों के अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि महर्षि मंडलेश्वर उपस्थित थे। यहां तक की भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे। फिर भी उनका शंख नहीं बजा। कबीर परमेश्वर ने सुपच सुदर्शन वाल्मीकि के रुप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया था।
🔹परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से जब द्वापरयुग में प्रकट थे तब काशी में रह रहे थे। सुदर्शन नाम का एक युवक उनकी वाणी से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। एक दिन सुदर्शन ने करुणामय जी से पूछा कि आप जो ज्ञान देते हैं उसका कोई ऋषि-मुनि समर्थन नहीं करता है, तो कैसे विश्वास करें? उन्होंने सुदर्शन की आत्मा को सत्यलोक का दर्शन करवाया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। उसके माता-पिता रोते हुए परमेश्वर करूणामय के घर आए और उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
तीसरे दिन सुदर्शन होश में आया और कबीर जी को देखकर रोने लगा। उसने सबको बताया कि परमेश्वर करूणामय (कबीर साहेब जी) पूर्ण परमात्मा हैं और सृष्टि के रचनहार हैं।
🔹द्वापरयुग में एक राजा चन्द्रविजय था। उसकी पत्नी ��न्द्रमति धार्मिक प्रवृत्ति की थी।
द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे।करूणामय साहेब ने रानी से कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म-मृत्यु के कष्ट से नहीं बचा सकती। आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु, न नकली साधना बचा सकेगी। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। सर्प बनकर काल ने रानी को डस लिया। करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हुए। दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया।
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subhashdagar123 · 10 months ago
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satlokashram · 1 year ago
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गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश- साहिब मेरा एको है। एको है भाई एको है। आपे रूप करे बहु भांती नानक बपुड़ा एव कह।। (पृ. 350) जो तिन कीआ सो सचु थीआ, अमृत नाम सतगुरु दीआ।। (पृ. 352) गुरु पुरे ते गति मति पाई। (पृ. 353) बूडत जगु देखिआ तउ डरि भागे। सतिगुरु राखे से बड़ भागे, नानक गुरु की चरणों लागे।। (पृ. 414) मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा बिचारी राम। (पृ. 439) उपरोक्त अमृतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि साहिब (प्रभु) एक ही है तथा मेरे गुरु जी ने मुझे उपदेश नाम मन्त्र दिया, वही नाना रूप धारण कर लेता है अर्थात् वही सतपुरुष है वही जिंदा रूप बना लेता है। वही धाणक रूप में भी विराजमान होकर आम व्यक्ति अर्थात् भक्त की भूमिका करता है। शास्त्रविरुद्ध पूजा करके सारे जगत् को जन्म-मृत्यु व कर्मफल की आग में जलते देखकर जीवन व्यर्थ होने के डर से भागकर मैंने गुरुजी के चरणों में शरण ली।
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jayshrisitaram108 · 8 months ago
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हे राम हे रघुनाथ हे जानकीराम
मैं सभी जन्मो में आपका ही भक्त बनकर जनमलूँ
ऐसी कृपा आपमुझ पर कीजिये जय श्री सीताराम🏹ᕫ🚩🙏
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hittu · 8 months ago
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#परमात्माकबीरकी_वाणी_एकमंत्र के समान है।
💫 हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना ।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना ।
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परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि
हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है। इसी बात पर दोनों लड़-लड़ क�� मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया ।
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"Sant Rampal Ji Maharaj"
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