#राइस ब्रान ऑयल
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kisanofindia · 1 year ago
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Canola Oil: कनोला सरसों की किस्म की खेती में क्या है ख़ास? जानिए इसकी पोषक गुणवत्ता
कनोला का तेल सरसों तेल से दोगुने दाम पर बिकता है                                 
सरसों या राई की कई किस्में होती हैं, इसी में से एक किस्म है कनोला सरसों जो सेहत के लिहाज़ से बहुत लाभदायक मानी जाती है। इसका तेल अन्य तेलों के मुकाबले कहीं ज़्यादा हेल्दी होता है।
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कनोला सरसों (Rapeseed or Canola): खाना बनाने के लिए हमारे देश में कई तरह के तेल का इस्तेमाल होता है जैसे, नारियल, मूंगफली, सरसों, तिल, सोयाबीन, रिफाइन ऑयल, राइस ब्रान ऑयल, तिल का तेल और सरसों तेल। सेहत के प्रति सचेत लोग ऑलिव ऑयल इस्तेमाल करते हैं, जबकि उत्तर भारत के कई राज्यों में सरसों तेल का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है।
वैसे तो सरसों के तेल (Musturd Oil) को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन बाकी तेल की तरह ही इसमें भी सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जिसकी मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक होती है। हमारी ऊर्जा की ज़रूरत को पूरा करने के लिए ये एसिड ज़रूरी है, मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इसकी मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
पारंपरिक सरसों के लिए में इरूसिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो सेहत के लिए हानिकारक है। इसलिए सरसों की कनोला किस्म विकसित की गई जिसमें यह मात्रा बहुत कम होती है।
सरसों और कनोला तेल में अंतर
सरसों के तेल और कनोला तेल (Canola Oil) में मुख्य अंतर है इरूसिक एसिड की मात्रा। सरसों तेल में ये 47 प्रतिशत तक होती है, जबकि कनोला में ये बहुत कम होती है। इसलिए इसे सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, जानकारों का कहना है कि ये बीमारियों से बचाने में मददगार है। कनोला को सफेद सरसों या रेपसीड भी कहा जाता है। एक शोध के मुताबिक, रोज़ाना डायट में 2 चम्मच कनोला का तेल लेने से दिल संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और ये पेट की चर्बी कम करने में भी मददगार हैं।
कनोला सरसों (सफेद सरसों)
पूरी दुनिया में पिछले 5 दशक में कम इरूसिक एसिड वाली सरसों की कई किस्में विकसित की गईं। इसके साथ ही कई ऐसी किस्में भी विकसित हुई हैं जिसमें कम इरूसिक एसिड के साथ ही तेल निकालने के बाद बची खली में ग्लुकोसिनोलेट्स की मात्रा भी 30 माइक्रोमोल्ज़ प्रति ग्राम से कम है। खली जानवरों को खिलाई जाती है, इसमें ग्लुकोसिनोलेट्स अधिक होने से जानवरों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सरसों की इन विकसित किस्मों को ही कनोला या डबल ज़ीरो या डबल लो के नाम से जाना जाता है। विश्व में ये किस्म सबसे पहले कनाडा में विकसित हुई थी और यहीं से कनोला शब्द प्रचलन में आया।
ऑलिव ऑयल की तरह है हेल्दी
कनोला के तेल में इरूसिक अम्ल की मात्रा तो कम है ही साथ ही ओलिक एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो आमेगा-9 फैटी एसिड है। ये दिल की बीमारियों और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार है। ऑलिव ऑयल में भी ओलिक एसिड की मात्रा अन्य तेल से अधिक होती है, ��सलिए कनोला के तेल को ऑलिव ऑयल की तरह ही सेहत के लिए अच्छा माना जाता है और इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड जैसे देशों में तो 2 प्रतिशत से अधिक इरूसिक एसिड वाले सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगा है। इसका उपयोग सिर्फ बायोफ्यूल के लिए किया जाता है।
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भारत में विकसित कनोला की किस्में
भारत में भी तेल में कम इरूसिक अम्ल और खली में ग्लुकोसिनोलेट्स (Glucosinolates) वाली कनोला की किस्में विकसित की जा चुकी ह��ं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना, विश्वस्तरीय मापदंडों के मुताबिक, गोभी सरसों की कनोला डबल ज़ीरो किस्में जीएस-5, जीएस-6, जीएस-7 और दो हाइब्रिड किस्में विकसित की हैं। इसी तरह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने राया की पहली कनोला किस्म आरएलसी-3 और हाइब्रिड किस्म आरसीएच-1 विकसित की है। पंजाब में ज़्यादातर सरसों की कनोला किस्म की ही खेती हो रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने भी राया की कनोला किस्में पीडीजैड-1 यानी पूसा मस्टर्ड-31 और पूसा मस्टर्ड-33 विकसित की है।
अधिक कीमत                    
कनोला सरसों के स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए देश के बड़े शहरों की बड़ी-बड़ी दुकानों पर कनाडा से आयात किए गए कनोला तेल (Canola Oil) के कई ब्रांड मौजूद हैं। इन तेलों की कीमत आम सरसों के तेल से दोगुनी होती है। कनाडा सहित दुनिया के कई अन्य उत्पादक देशों में कनोला सरसों (सफेद सरसों) की सिर्फ जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी ट्रांसजेनिक किस्मों का ही उत्पादन होता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित सरसों की कनोला किस्म (Canola Variety) के तेल और आयातित कैनोल तेल की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है। यदि भारत में बड़े पैमाने पर कनोला की खेती की जाती है, तो पर्याप्त तेल का उत्पादन देश में ही हो सकता है जिससे हमें आयात पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए किसानों को कनोला की खेती के लिए प्रेरित करने की ज़रूरत है।
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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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zealthy · 5 years ago
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राइस ब्राउन ऑयल करता है कैंसर से बचाव
राइस ब्रान ऑयल एक ऐसा ऑयल है जो हमारे स्वाद और सेहत दोनों को ही ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस तेल को चावल के छिलकों से तैयार किया जाता है। अपने गुणकारी तत्वों की वजह से यह जापान, एशिया और खासतौर पर भारत में स्वस्थ तेल यानि हेल्दी ऑयल (healthy oil) के रूप में जाना जाता है। अपने गुणकारी तत्वों की वजह से राइस ब्रान ऑयल को खाना बनाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें पॉलीअनसेचुरेटेड (polyunsaturated) और मोनोअनसैचुरेटेड वसा (monounsaturated fat) का बेहतरीन संतुलन पाया जाता है। राइस ब्रान ऑयल हमारे दिल को सही गति से धड़कने और स्वस्थ्य रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद स्क्वैलिन (squalene)आपके स्किन के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। यह मॉइस्चराइज़र कि तरह काम करता है और आपके डेड स्किन, रिंकल्स यानि झुर्रियों को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें विटामिन-ई (vitamin-e), ओमेगा-3 (omega 3) और ओमेगा-6 (omega 6) भी पाये जाते हैं। ये चीज़ें मेटाबोलिज्म ब��़ाने में मदद करती है। राइस ब्रान ऑयल किस तरह से फ़ायदेमंद है आइये आपको बताते है इस लेख में -
राइस ब्रान ऑयल आपके दिल को स्वस्थ्य रखने में है मददगार/Rice bran oil keeps your heart healthy in hindi
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने राइस ब्रान ऑयल को दूसरे कुकिंग ऑयल की तुलना में सबसे अच्छा माना है क्योंकि इसमें मोनोअनसैचुरेटेड (monounsaturated ), पॉलीअनसेचुरेटेड (polyunsaturated) और संतृप्त वसा (saturated fats) पाये जाते हैं। जो आपके बॉडी से ख़राब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करते हैं। इससे हृदय संबंधित रोग जैसे दिल के दौरे का ख़तरा टल जाता है।
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राइस ब्रान ऑयल कैंसर से करता है बचाव/Rice bran oil reduces cancerous cells in hindi
राइस ब्रान ऑयल में विटामिन-ई के साथ-साथ ओरजेनॉल (oryzanol), टोकोफ़ेरॉल (tocopherol) और टोकोट्रिनॉल (tocotrienol) भी पाएँ जाते हैं जो एंटीऑक्सिडेंट्स का बेहतरीन स्रोत (rich source) हैं। ये सारे तत्व आपके शारीरिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह शरीर में कैंसरस सेल्स (cancerous cells) को पनपने से रोकता भी है।
राइस ब्रान ऑयल वज़न कम करने में है मददगार/Rice bran oil is useful in weight loss hindi
राइस ब्रान तेल खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। राइस ब्रान ऑयल में बना हुआ खाना खाने से आपको कैलोरी तो मिलेगी लेकिन मोटापा सिर्फ 20 प्रतिशत बढ़ेगा। इसमें बने हुए खाने में फैट की मात्रा कम होती है, जिसके कारण यह वजन कम करने में सहायक होता है।
राइस ब्रान ऑयल एलर्जी से बचाव करने में है मददगार/Rice bran oil protects you from allergy in hindi
राइस ब्रान ऑयल में हाइपोएल��्जेनिक कॉम्पोनेन्ट्स (hypoallergenic component) पाए जाते हैं। ये आपको किसी भी तरह की एलर्जी से बचाने में सहायक है। अगर आप किसी भी तरह की एलर्जी की समस्या से पीड़ित हैं तो आपको इस तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी एलर्जी तो ठीक होगी ही इसके अलावा यह आपके शरीर की संवेदनशीलता (sensitivity) को भी कम करेगा।
राइस ब्रान ऑयल बनाता है आपकी स्किन को ग्लोइंग/Rice bran oil makes your skin glowing in hindi
राइस ब्रान ऑयल हमारे बॉडी में विटामिन ई की मात्रा को बढ़ाता है जिसका सीधा असर हमारी स्किन पर पड़ता है। इससे हमारी त्वचा चिकनी होती है, झुर्रियां कम होती हैं। इसके साथ-साथ यह सनबर्न से बचाव भी करता है। विटामिन ई आपकी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें रोगों से लड़ने की ताकत देता है और त्वचा को ग्लोइंग (glowing) बनाता है।
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राइस ब्रान ऑयल किडनी में पत्थरों का बनना करता है कम/Rice bran oil reduces the formation of stones in kidney in hindi
राइस ब्रान ऑयल आपकी बॉडी में कैल्शियम के एबजौर्ब्प्श्न (absorption) को कम करने में मदद करता है। जिसके कारण किडनी में स्टोन यानि पथरी के बनने के चान्सेस (chances) कम हो जाते हैं। इसके सेवन से आपकी किडनी सुरक्षित रहती है।
राइस ब्रान ऑयल के दुष्प्रभाव/Side effects of rice bran oil in hindi
राइस ब्रान ऑयल के भी फ़ायदे और नुक्सान दोनों हैं। ये पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि इसका इस्तेमाल किस तरह से और किन लोगों के लिए किया गया है। आइये एक नज़र डालते है कि कब और किनके लिए ये नुकसानदायक साबित हो सकता है : —
राइस ब्रान ऑयल को ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित पाया गया है जब इसे कुकिंग ऑयल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। शुरू-शुरू में इस ऑयल के इस्तेमाल की आदत नहीं होने की वजह से पेट ख़राब हो जाना, गैस बनना, पेट में दर्द की शिकायत हो जाती है। राइस ब्रान ऑयल का इस्तेमाल नहाने वाले पानी में मिला कर भी किया जाता है। राइस ब्रान ऑयल इस्तेमाल करने का यह तरीका भी कुछ लोगों को सूट करता है। ऐसा करने से उनकी स्किन खुशनुमा हो जाती है, तो वहीं कुछ को स्किन में दाने निकलने के साथ खुजली भी हो होती है। यदि आपको पाचन संबंधित किसी भी तरह की परेशानी जैसे अल्सर आदि है तो आपको राइस ब्रान ऑयल का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। ये आपकी पाचन क्रिया यानि डाइजेस्टिव सिस्टम (digestive system) को धीमा कर आपके लिए पेट सम्बन्धी परेशानी का कारण बन सकता है।
राइस ब्रान ऑयल सबसे बेहतरीन कुकिंग ऑयल माना जाता है। यह हमारे बॉडी पार्ट्स को सुरक्षित रखकर उन्हें सही से काम करने में मदद करता है, फिर चाहे वो दिल हो, किडनी हो, लिवर हो या पाचन क्रिया हो। पाचन संबंधित परेशानियों या अल्सर जैसे बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह नुक़सानदेह हो सकता है।
Originally Published at advantage-and-disadvantages-of-rice-bran-oil-in-hindi in Zealthy
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todaymandibhav · 3 years ago
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Edible Oil Price: खाद्य तेलों की कीमतों में 14 रुपये प्रति लीटर की कटौती, देखें क्या है नये रेट
Edible Oil Price Cut: महंगाई के बीच केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को फूड ऑयल बनाने वाली सभी कंपनियों को जारी निर्देशों के बाद मदर डेयरी (Mother Dairy) ने सोयाबीन, राइस ब्रान तेल की कीमतों (MRP) में प्रति लिटर 14 रुपए तक की कटौती की है। इस कटौती के बाद अब धारा रिफाइंड सोयाबीन तेल (Dhara Refined Soybean Oil) 194 रुपये प्रति लीटर की बजाय 180 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा। जबकि धारा रिफाइंड राइस ब्रान तेल…
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everynewsnow · 4 years ago
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सौरव गांगुली की विशेषता वाले कुकिंग ऑइल विज्ञापन अस्थायी रूप से नीचे खींच लिए गए
सौरव गांगुली की विशेषता वाले कुकिंग ऑइल विज्ञापन अस्थायी रूप से नीचे खींच लिए गए
अडानी विल्मर ने उन सभी विज्ञापनों पर रोक लगा दी है जहाँ पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान थे सौरव गांगुली फॉर्च्यून राइस ब्रान कुकिंग ऑयल का समर्थन करते हुए देखा जाता है। सूत्रों के अनुसार, ब्रांड ने पूर्व भारतीय कप्तान की विशेषता वाले सभी विज्ञापनों को नीचे खींच लिया है, जो वर्तमान में कोलकाता के एक अस्पताल में दिल के दौरे से उबर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने अपनी विज्ञापन एजेंसी को एक नया…
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imchealthyindia · 5 years ago
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#प्रॉडक्टोफेडकी: राइसन (राइस ब्रान ऑयल) पाउच यह संतृप्त और असंतृप्त वसा को संतुलित करता है। इसमें ओमेगा 3 और 6 होता है जो उच्च रक्तचाप, जोड़ों के दर्द को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है। यह हृदय की समस्याओं को कम करने में मदद करता है, तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली बनाता है। #imcbusiness #health #healthproduct #stayfit #IMCBusinessGROUP #imcbusinessoffiicial #LearnAtHome Call:7600242895 (at Ahmedabad - अहमदाबाद) https://www.instagram.com/p/B_HcJkzJXASYH2OymOTIetKXqjDLnWOzLyIXQk0/?igshid=1mz73mhdmmsch
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vsplusonline · 5 years ago
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मलेश‍िया से पाम ऑयल आयात पर रोक से अडानी, पतंजलि, इमामी को सबसे ज्यादा फायदा
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मलेश‍िया से पाम ऑयल आयात पर रोक से अडानी, पतंजलि, इमामी को सबसे ज्यादा फायदा
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सरकार ने मलेश‍िया से पाम ऑयल के आयात पर रोक लगाई है
इससे अडानी, पतंजलि जैसी देसी कंपनियों को फायदा
मलेशिया ने कश्मीर, CAA पर भारत की आलोचना की थी
मलेश‍िया से रिफाइंड पाम ऑयल के आयात पर रोक अडानी विल्मर, इमामी एग्रोटेक, पतंजलि आयुर्वेद, करगिल, गोकुल एग्रो जैसी घरेलू खाद्य तेल कंपनियों के लिए वरदान साबित हो सकता है. ये सभी कंपनियां आयातित तेल के भंडार की वजह से काफी मुश्किलों का सामना कर रही थीं और अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रही थीं.
असल में भारत में ये कंपनियां रिफाइंड पाम ऑयल जिस रेट पर बेचती हैं, उसके मुकाबले मलेश‍िया से यहां आयात करने के बाद भी पाम ऑयल सस्ता पड़ता है. पतंजलि ने हाल में ही दिवालिया हो चुकी खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया को खरीदा है. खाद्य तेल बाजार पर उक्त कंपनियों का दबदबा है, इसलिए आयात पर रोक से सबसे ज्यादा फायदा भी उन्हें ही होगा.
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क्यों लगी मलेश‍िया के आयात पर रोक
गौरतलब है कि कश्मीर और नागरिकता कानून पर भारत सरकार के रुख का मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के विरोध के बाद मलेशिया और भारत के बीच विवाद बढ़ गया. भारत ने  मलेशिया से रिफाइन्ड पाम ऑयल  के आयात पर रोक लगा दी है और इस बात के भी संकेत हैं कि भारत अन्य वस्तुओं के आयात पर भी प्रतिबंध लगा सकता है.
दरअसल, भारत ने ये कदम तब उठाया है, जब मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद कश्मीर मुद्दे से लेकर नागरिकता कानून को लेकर भारत की तीखी आलोचना कर चुके हैं. महातिर ने नागरिकता कानून को लेकर कहा था कि यह पूरी तरह से अनुचित है. इसके अलावा विवादित इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को शेल्टर देने से भी भारत खफा है.
क्यों होगा भारतीय कंपनियों को फायदा
सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बीवी. मेहता ने कहा, ‘साल 2019 में घरेलू खाद्य तेल  रिफाइनरियां अपनी क्��मता का सिर्फ 40 फीसदी ही इस्तेमाल कर पाई हैं, जबकि इसके पिछले साल में उन्होंने 60 फीसदी क्षमता इस्तेमाल किया था. समूची इंडस्ट्री बंद होने के कगार पर थी. सरकार यदि आयात पर रोक नहीं लगाती तो उनके सामने अपना अस्तित्व बचाने का कोई और चारा नहीं था.’  
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गौरतलब है कि सरकार ने मलेश‍िया से क्रूड यानी गैर रिफाइंड पाम ऑयल के आयात पर कोई रोक नहीं लगाई है. इससे फायदा यह होगा कि घरेलू कंपनियां सस्ते में क्रूड ऑयल आयात कर यहां उसकी रिफाइनिंग कर खुद बेचेंगी.
मेहता ने कहा, ‘इंडस्ट्री काफी समय से इसकी मांग कर रही थी कि आयात पर कुछ समय के लिए रोक लगाई जाए. हम हर साल 95 लाख टन पाम ऑयल का आयात करते हैं.’  
अडानी विल्मर फॉर्च्यून ब्रांड नाम से खाद्य तेल बेचती है और इसके पास सोया, सूरजमुखी, सरसों, राइस ब्रान, मुंगफली और बिनौला जैसे सभी श्रेण‍ियों में खाद्य तेल स्पैनिंग की विशाल रेंज है. यह एक दिन में  16,800 टन रिफाइंड तेल का उत्पादन कर सकती है. रिफाइंड पाम ऑयल के आयात पर रोक से दूसरे ऐसे  खाद्य तेलों का उपभोग बढ़ सकता है, जिनमें अडानी, रुचि सोया, पतंजलि,  इमामी जैसी कंपनियां मजबूत हैं.
योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि ने हाल में ही इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के द्वारा 4,350 करोड़ रुपये में रुचि सोया को खरीदा है. इसी तरह अहमदाबाद की गोकुल इंडस्ट्री के पास भी सभी तरह के खाद्य तेल उत्पाद हैं. करग‍िल द्वारा भारत में जेमिनी ब्रैंड नाम से खाद्य तेलों की बिक्री की जाती है.
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पिछले एक दशक में भारतीय खाद्य तेल आयात सालाना 8 फीसदी की दर से बढ़ा है और इसका करीब 15 फीसदी हिस्सा रिफाइंड ऑयल का होता है.
कितना होता है आयात
भारत मलेशिया के खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश रहा है. यही नहीं पाम ऑयल के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है. मलेश‍िया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. 31 मार्च को खत्म हुए पिछले वित्तीय वर्ष में मलेशिया ने भारत को कुल 10.8 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि भारत से सिर्फ 6.4 अरब डॉलर का ही आयात किया.
भारत अगर सीधे तौर पर इन वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा देता है तो मलेशिया की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच सकता है. भारत के कुल खाद्य तेल उपभोग में ��रीब 45 फीसदी हिस्स पाम ऑयल होता है.
(https://www.businesstoday.in/ से साभार)
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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जायफल तेल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Nutmeg Oil Benefits and Side Effects in Hindi
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जायफल तेल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Nutmeg Oil Benefits and Side Effects in Hindi
जायफल तेल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Nutmeg Oil Benefits and Side Effects in Hindi vinita pangeni Hyderabd040-395603080 December 10, 2019
जायफल का इस्तेमाल खाना बनाने के साथ-साथ कई शारीरिक समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है। इसी तरह इससे बनने वाला तेल भी लाभदायक होता है। जायफल का तेल स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। जायफल के तेल का उपयोग वैकल्पिक रूप से कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचने और इनके लक्षण को दूर करने के लिए किया जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जायफल तेल के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बताया जाएगा। जायफल का तेल पूरी तरह से स्वस्थ रखने के साथ-साथ विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से उबरने में भी मदद कर सकता है।
चलिए, अब जायफल तेल के फायदे के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
विषय सूची
जायफल तेल के फायदे – Benefits of Nutmeg Oil in Hindi
यहां हम जायफल तेल को इस्तेमाल करने से होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं। इन समस्याओं में जायफल तेल को इस्तेमाल करने से कुछ लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इस तेल को किसी मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं माना जा सकता। गंभीर अवस्था में डॉक्टर से इलाज करवाना ही सबसे बेहतर है।
1. भूख बढ़ाना
इस मामले में जायफल के तेल को फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद फेनिलप्रोपेनाइड यौगिक (Phenylpropanoid Compound) की वजह से यह तेल भूख बढ़ाने में मदद कर सकता है। चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि जायफल के तेल को इन्हेल के जरिए प्रयोग करने से भूख में बढ़ोत्तरी हो सकती है (1)। इसे इस्तेमाल करने के लिए जायफल के तेल की कुछ बूंदों को डिफ्यूजर में डालकर कमरे में रख दें और इसे इन्हेल करें।
2. मुंह की दुर्गंध
जायफल सांसों की बदबू को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है (2)। दरअसल, जायफल का तेल एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर होता है, जो मुंह में बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकता है। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल कई टूथपेस्ट में भी किया जाता है। इसके अलावा, जायफल तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण भी होते हैं, जो मसूड़ों में होने वाली सूजन को और दांतों में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं (3) (4)। इसके लिए जायफल तेल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर कुल्ला किया जा सकता है।
3. मस्तिष्क के लिए
जायफल के तेल में एंटीकॉनवल्सेंट (Anticonvulsant) गुण होते हैं, जो दिमाग के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। दरअसल, यह गुण मिर्गी के दौरों से बचाव का काम कर सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इसकी कम मात्रा में उपयोग करने से ही यह एंटीकॉनवल्सेंट की तरह काम कर सकता है। वहीं, इसकी अधिक मात्रा उल्टा असर भी दिखा सकती है (5)। मस्तिष्क के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
4. दर्द निवारक
जायफल के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, इसे दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस तेल को प्रभावित क्षेत्र में लगाने पर दर्द से छुटकारा मिल सकता है। अगर पेट में दर्द हो, तो हल्के हाथों से तेल के जरिए मालिश की जा सकती है (3) (4)।
5. यौन शक्ति
जायफल के अर्क (तेल, रस, चूर्ण) में कामोत्तेजक (Aphrodisiac) गतिविधि पाई जाती है। इसलिए, माना जाता है कि यह पुरुषों की यौन शक्ति को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है। कुछ नर चूहों पर किए गए एक शोध के मुताबिक जायफल के इथेनॉल अर्क के इस्तेमाल करने पर चूहों में निरंतर कामेच्छा और शक्ति दोनों बढ़ती रही है। इस शोध में चूहों के यौन व्यवहार में भी सुधार पाया गया (6)। इस संबंध में अभी तक ��नुष्यों पर किसी तरह का परीक्षण नहीं किया गया है, इसलिए जायफल तेल का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
6. डिटॉक्सीफाई (Detoxify)
डिटॉक्सिफिकेशन के लिए जायफल का तेल काफी लाभदायक हो सकता है। किडनी और लीवर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए जायफल का तेल बेहतरीन लिवर टॉनिक की तरह काम कर सकता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर लिवर को होने वाली क्षति को रोकने के साथ ही गुर्दे की पथरी से संबंधित लक्षणों को कम कर सकता है। दरअसल, जायफल के तेल में मौजूद मिरिस्टिसिन (Myristicin) यौगिक में हेपटोप्रोटेक्टीव गतिविधि पाई जाती है, जो लिवर को स्वस्थ रखने का काम कर सकती है (4) (7)।
7. मांसपेशियों और जोड़ों के लिए
जायफल के तेल में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की वजह से यह मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव से संबंधित दर्द को कम कर सकता है। साथ ही यह जोड़ों की सूजन से भी राहत दिलाने का काम कर सकता है (3) (4)।
8. स्किन
जायफल के तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं (6) (7)। ये गुण कील-मुंहासों को कम करने में मदद कर सकते हैं, क्योंकि पिंपल बैक्टीरिया के कारण भी होते हैं। साथ ही यह एंटी-इंफ्लेमेटरी की तरह भी काम करता है, जो मुंहासों से प्रभावित हिस्से में होने वाली सूजन को कम करने में मदद कर सकता है (8) (6)। इसके लिए रूई में एक बूंद जायफल का तेल डालकर एक्ने से प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है। इसके अलावा, जायफल का उपयोग भी एक्ने और इसके निशान को दूर करने के साथ झुर्रियों से बचाने में मदद कर सकता है (9)।
अब हम बता रहे हैं जायफल तेल का उपयोग किस-क���स तरह से किया जा सकता है।
जायफल तेल का उपयोग – How to Use Nutmeg Oil in Hindi
जायफल के उपयोग से तो आप वाकिफ होंगे, लेकिन जायफल के तेल का उपयोग किस तरह से किया जा सकता है, इसके लेकर लोगों में उलझन बनी रहती है। नीचे हम जायफल के तेल का उपयोग करने के कुछ तरीके बता रहे हैं।
जायफल का तेल डिफ्यूजर में डालकर इन्हेल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
जायफल के तेल को सीधे मसूड़ों पर लगाया जा सकता है।
जायफल का तेल को मसाज करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
जायफल तेल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर माउथवॉश की तरह उपयोग किया जा सकता है।
जायफल के तेल का इस्तेमाल अरोमाथेरेपी के लिए किया जा सकता है।
जायफल के तेल का उपयोग फ्लेवर के लिए भी किया जाता है। जैसे- मिठाई या बेक्ड प्रोडक्ट।
नोट: ध्यान रहे कि इसका उपयोग अधिक मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए। अन्यथा जायफल तेल के नुकसान भी हो सकते हैं। हालांकि, इसे इस्तेमाल करने के लिए कोई मात्रा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन इसका उपयोग एक से दो बूंंद से ज्यादा नहीं किया जाना चाहिए।
जायफल तेल के फायदे तो आप जान चुके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जायफल का तेल कैसे बनता है। नीचे हम विस्तार से जायफल का तेल बनाने की विधि बता रहे हैं।
जायफल का तेल बनाने की विधि
जायफल का तेल बाजार में भी आसानी से उपलब्ध है, लेकिन इसे घर में भी बिना किसी परेशानी के बनाया जा सकता है। आपको जायफल का तेल बनाने की विधि शुरू करने से पहले इन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी:
कैरियर ऑयल जैसे नारियल का तेल
जायफल (Whole Nutmegs)
जायफल को पीसने के लिए मूसल व ओखल
कांच की बोतल
बोतल में तेल डालने के लिए कीप (Funnel)
चलिए, अब सभी सामग्रियों को इकट्ठा करने के बाद जायफल का तेल बनाने की विधि जान लेते हैं।
सबसे पहले जायफल को दरदरा पीसकर करीब आधा कप पाउडर बना लें।
अब इसे एयर टाइट कांच के जार में डाल लें। इस जार में कीप की मदद से कैरियर ऑयल (नारियल या कोई अन्य तेल) डालें।
जार में इतना तेल डालें कि खुरदुरा पिसा गया जायफल पूरी तरह से डूब जाए।
अब जार के ढक्‍कन को टाइट से बंद कर दें।
अब इसमें मौजूद तेल को अच्छे से हिलाएं और इसे धूप में कम से कम 48 घंटों के लिए रखें।
धूप में रखने के बाद इसे समय-समय पर हिलाते भी रहें।
धूप में करीब 48 घंटे तेल को रखने के बाद इसे छन्‍नी से छानकर दूसरी बोतल में कीप की मदद से डाल लें।
इस प्रक्रिया को दो बार दोहराएं। यानी तेल छानने के बाद एक बार फिर उसमें आधा कप पिसा हुआ जायफल डालकर धूप में सूखाकर छान लें। लीजिए, तैयार है घर में बना शुद्ध जायफल का तेल।
जायफल का तेल बनाने की विधि के बाद चलिए, अब एक नजर डालते हैं जायफल तेल के नुकसान पर।
जायफल तेल से नुकसान – Side Effects of Nutmeg Oil in Hindi
जायफल तेल के फायदे के साथ ही कई नुकसान भी हो सकते हैं, क्योंकि इसका उपयोग सिर्फ सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। इसका ज्यादा उपयोग नुकसान भी पहुंचा सकता है, जो इस प्रकार है (11):
छाती में दर्द
डबल विजन
मुंह का सूखना
आंख में जलन
पेट में दर्द
हेलोसिनेशन व मतिभ्रम (Hallucination)
निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन)
जी मिचलाना
दिल का तेज धड़कना
नशे का एहसास होना
चिंता
सिरदर्द
चक्कर
दौरा व झटके
त्वचा में लाल चकत्ते
आलस
जायफल तेल का इस्तेमाल करके कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है। लेकिन, इसका उपयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जायफल तेल की अधिक मात्रा नुकसान भी पहुंचा सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह पर ही इसे उपयोग में लाएं। जायफल के तेल से संबंधित यह लेख आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं। सा�� ही अगर जायफल के तेल से जुड़ा कोई सवाल आपके जहन में हो, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं। हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे।
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vinita pangeni
विनिता पंगेनी ने एनएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में बीए ऑनर्स और एमए किया है। टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करते हुए इन्हें करीब चार साल हो गए हैं। इन्हें उत्तराखंड के कई पॉलिटिकल लीडर और लोकल कलाकारों के इंटरव्यू लेना और लेखन का अनुभव है। विशेष कर इन्हें आम लोगों से जुड़ी रिपोर्ट्स करना और उस पर लेख लिखना पसंद है। इसके अलावा, इन्हें बाइक चलाना, नई जगह घूमना और नए लोगों से मिलकर उनके जीवन के अनुभव जानना अच्छा लगता है।
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राइस ब्रान ऑइल (चावल की भूसी के तेल) के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Rice Bran Oil Benefits in Hindi
जानें राइस ब्रान ऑइल के फायदे, उपयोग और नुकसान के बारे में (Rice Bran Oil Benefits in Hindi)। राइस ब्रान ऑइल के मदद से कैंसर, हृदय स्वास्थ्य, मधुमेह के साथ साथ और भी बोहोत कुछ बीमारियां कम हो सकते है। चावल की भूसी के तेल के बारे में विस्तारित जानने के लिए पढ़े ये लेख… .
Source: https://www.stylecraze.com/hindi/jaiphal-tel-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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imchealthyindia · 5 years ago
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#प्रॉडक्टोफेडकी: राइसन (राइस ब्रान ऑयल) पाउच यह संतृप्त और असंतृप्त वसा को संतुलित करता है। इसमें ओमेगा 3 और 6 होता है जो उच्च रक्तचाप, जोड़ों के दर्द को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है। यह हृदय की समस्याओं को कम करने में मदद करता है, तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली बनाता है। #imcbusiness #health #healthproduct #stayfit #IMCBusinessGROUP #imcbusinessoffiicial #LearnAtHome Call:7600242895 https://www.instagram.com/p/B_HcE8FHB_oUmpl31C3Iwh9rG9v4fSRqNGtcyw0/?igshid=3tyk5u93v9kd
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gethealthy18-blog · 6 years ago
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राइस ब्रान ऑइल (चावल की भूसी के तेल) के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Rice Bran Oil Benefits in Hindi
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राइस ब्रान ऑइल (चावल की भूसी के तेल) के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Rice Bran Oil Benefits in Hindi
Somendra Singh Hyderabd040-395603080 July 23, 2019
चावल की भूसी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। आमतौर पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि चावल की भूसी से तेल तैयार किया जाता है, जिसे राइस ब्रान ऑयल के नाम से भी जाना जाता है। इसके कई सारे फायदे हैं, जो सेहत के लि�� लाभदायक है। यही वजह है कि खाना बनाने के लिए पारंपरिक तेलों का प्रयोग करने की बजाए अब चावल की भूसी के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि राइस ब्रान ऑयल के फायदे क्या हैं। साथ ही राइस ब्रैन ऑयल के नुकसान की भी जानकारी देंगे।
विषय सूची
राइस ब्रान ऑइल (चावल की भूसी के तेल) क्या है – What is Rice Bran Oil in Hindi
चावल के ऊपर की परत भूरे रंग की होती है। इसे छूने पर खुरदुरेपन का एहसास होता है। इसे ही भूसी कहा जाता है। इस भूसी को मशीनों की सहायता से निकाला जाता है और इससे तेल बनाया है। राइस ब्रान ऑयल को खाने में भी प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसका स्मोक पॉइंट 450 डिग्री फॉरेनहाइट है, जो उच्च तापमान पर खाना पकाने के लिए उपयुक्त है।
आगे जानिए कि राइस ब्रान ऑयल के क्या फायदे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए प्रभावकारी हैं।
राइस ब्रान ऑइल के फायदे – Benefits of Rice Bran Oil in Hindi
यहां आपको राइस ब्रान ऑयल के स्वास्थ्य से जुड़े हुए कई फायदों के बारे में बताया जा रहा है। इन्हें जानकर आप विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में राइस ब्रान ऑइल का इस्तेमाल कर सकेंगे।
1. हृदय स्वास्थ्य और कोलेस्ट्रॉल में
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एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, खाने में राइस ब्रान ऑइल इस्तेमाल करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को काफी कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉन नियंत्रित रहने से ह्रदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है (1)। एक अन्य वैज्ञानिक शोध के अनुसार, हाइपरलिपिडेमिक रोगियों को कम कैलोरी आहार के साथ राइस ब्रान ऑइल का सेवन कराने से ह्रदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है (2)।
2. वजन घटाने में
वजन घटाने में भी चावल की भूसी के तेल के फायदे देखे जा सकते हैं। एक रिपोर्ट के आधार पर यह बताया गया है कि चावल की भूसी का तेल वजन घटाने में भी सहायक हो सकता है, क्योंकि यह वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार सीरम लिपिड्स को कम कर सकता है (3)। एक शोध में यह भी बताया गया कि चावल की भूसी के तेल में ओरिजनोल पाया जात है, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को बेहतर करता है, जो सही प्रकार से वजन घटाने में मदद कर सकता है (4)।
3. लीवर के स्वास्थ्य में सहायक
राइस ब्रान आयल के फायदे लीवर के स्वास्थ्य में भी देखे जा सकते हैं। एक शोध के अनुसार, राइस ब्रान ऑयल सीरम कोलेस्ट्रॉल और ट्रीग्लिसरॉइड्स के स्तर को कम करने में मदद करता सकता है, जो लीवर के लिए लाभदायक हो सकते हैं (1)। एक अन्य शोध के अनुसार राइस ब्रान ऑयल में अनसैपोनीवबल्स (unsaponifiables – तैलीय मिश्रण से बना एक यौगिक) मौजूद होता है, जो लीवर में मौजूद सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है, जो हमारे लीवर को स्वस्थ्य बनाए रखने में मदद कर सकता है (5)।
4. प्रतिरोधक क्षमता में लाभकारी
शरीर बीमारियों से बचा रहे, इसके लिए जरूरी है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे। इस मामले में राइस ब्रान ऑइल पर भरो��ा किया जा सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, राइस ब्रैन ऑयल के फायदे में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि राइस ब्रान तेल में फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी हैं (5)।
5. कैंसर में मददगार
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आपको जानकर हैरानी होगी कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी राइस ब्रैन ऑयल के फायदे देखने को मिल सकते हैं। राइस ब्रैन ऑयल के फायदे कैंसर के खतरे को कम करने में क्या हो सकते हैं, इस विषय में वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, राइस ब्रान ऑयल में विटामिन-ई और बायोएक्टिव फाइटोन्यूट्रिएंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो एंटीकैंसर का काम करते हैं (5)।
6. एलर्जी में कारगर
राइस ब्रान ऑयल को प्रयोग करने के फायदे एलर्जी में भी देखे जा सकते हैं। आजकल कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी राइस ब्रान ऑइल का उपयोग किया जा रहा है, जो हमारी त्वचा को एलर्जी से बचाने में मदद कर सकते हैं (5)। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, राइस ब्रान ऑइल में बायोएक्टिव कंपाउंड (bioactive compound) मौजूद होने के कारण यह एलर्जी से रक्षा करने वाली कोशिकाओं को बढ़ाता है और एलर्जी के खतरे को कम कर सकता है (6)।
7. रजोनिवृत्ति के लिए
महिलाओं में 40- 45 वर्ष के बीच एक ऐसी स्थिति आती है। उस अवस्था में राइस ब्रान ऑयल सहायक साबित हो सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, राइस ब्रान ऑइल में गामा ओरिजनोल पाया जाता है, जिसमें मासिक धर्म के बंद होने पर आने वाली समस्याओं को कम करने का गुण होता है (7)।
8. मधुमेह में राइस ब्रान ऑइल के फायदे
मधुमेह की समस्या में भी राइस ब्रान ऑयल के फायदे हो सकते हैं। पांच सप्ताह तक किए गए एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार यह देखा गया कि 18 ग्राम राइस ब्रान तेल का रोजाना 5 हफ्ते तक प्रयोग करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित हो सकता है, जो सीधे तौर पर मधुमेह रोगियों को प्रभावित कर सकती है। शोध में यह भी पाया गया कि मधुमेह रोगियों को असामान्य कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने के लिए राइस ब्रान ऑइल का सेवन करना चाहिए (8)।
9. त्वचा को चमकदार बनाने के लिए
त्वचा को चमकदार बनाने के लिए भी राइस ब्रान ऑइल का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक शोध के मुताबिक, राइस ब्रान ऑइल त्वचा की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा सकता है, क्योंकि राइस ब्रान तेल में बायोएक्टिव कंपाउंड्स मौजूद होते हैं, जो त्वचा को सुंदर, कोमल और मुलायम बनाने में मदद करते हैं (5)।
10. डार्क-स्पॉट हटाने में
राइस ब्रान ऑइल को विटामिन-ई का बढ़िया स्रोत माना गया है, जो त्वचा पर उपस्थित डार्क स्पॉट्स को खत्म करने में मदद कर सकता है (5)।
11. मुंहासे में उपयोग
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मुंहासों में भी राइस ब्रान ऑइल के उपयोग देखे जा सकते हैं। एक शोध के अनुसार, 60 लोगों पर 6 महीने तक अध्ययन किया गया और देखा गया कि राइस ब्रान ऑइल का उपयोग करने से उनके मुंहासे कम होने लगे। ऐसा राइस ब्रान ऑइल में मौजूद विटामिन-ई के कारण हुआ (5)। विटामिन-ई मुंहासों को ��ीक करने में प्रभावी हो सकता है (9)।
12. एंटी-एजिंग प्रभाव
राइस ब्रान ऑइल में ऐसा गुण भी मौजूद होता है, जो बढ़ती उम्र के असर को कुछ कम कर सकता है। साथ ही साथ राइस ब्रान तेल शरीर को ऊर्जावान भी बनाता है (6)।
13. खुजली के लिए
खुजली के लिए भी राइस ब्रान ऑइल के फायदे देखे जा सकते हैं। चावल की भूसी से बनने वाले इस तेल गामा-ओरिजनोल (gamma-oryzanol) नामक पदार्थ होता है, जो एंटी-इचिंग का काम करता है (10)। कुछ शैंपू में भी गामा-ओरिजनोल शामिल होता है, जो स्कैल्प पर होने वाली खुजली से राहत दिलाता है।
14. बालों का झड़ना रोके
अगर आपके बाल बड़ी तेजी से गिर रहे हैं, तो राइस ब्रान ऑइल इसमें आपकी मदद कर सकता है। जी हां, इस तेल में विटामिन-ई (अल्फा-टोकोफेरॉल के रूप में) पाया जाता है। जो बालों को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है। इस तेल के प्रयोग से बाल जड़ों से मजबूत हो सकते हैं (11) (12)।
15. बालों की ग्रोथ के लिए
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बालों की अच्छी देखभाल के लिए भी राइस ब्रान ऑयल के फायदे देखे जा सकते हैं। बालों के बेहतर विकास के लिए विटामिन-ई की जरूरत होती है, जो राइस ब्रान ऑइल में पाई जाती है (5)। इस तेल में पाए जाने वाले गामा-ओरिजनोल (gamma-oryzanol) में बालों को डैंड्रफ फ्री बनाने का भी गुण होता है। इसलिए, बालों की ग्रोथ के लिए राइस राइस ब्रान ऑयल का प्रयोग किया जा सकता है (13)।
राइस ब्रान ऑइल के फायदे जानने के बाद आइए अब राइस ब्रान ऑयल के पौष्टिक तत्वों के बारे में जानते हैं ।
राइस ब्रान ऑइल के पौष्टिक तत्व – Rice Bran Oil Nutritional Value in Hindi
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 0.00g ऊर्जा 884kcal प्रोटीन 0.00g कुल लिपिड (वसा) 100.00g कार्बोहाइड्रेट 0.00g फाइबर (कुल डाइटरी) 0.0g शुगर (कुल) 0.00g मिनरल्स कैल्शियम 0mg आयरन 0.07mg मैग्नीशियम 0mg फास्फोरस 0mg पोटैशियम 0mg सोडियम 0mg जिंक 0.00mg सेलेनियम 0.0µg विटामिन्स विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) 32.30mg विटामिन के 24.70µg लिपिड्स फैटी एसिड्स, टोटल सैचुरेटेड 19.700g फैटी एसिड्स, टोटल मोनोसैचुरेटेड 39.300g फैटी एसिड्स, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 35.000g कोलेस्ट्रॉल 0mg फाइ��ोस्टेरोल्स 1190mg
राइस ब्रान ऑइल के पौष्टिक तत्वों के बाद चलिए अब राइस ब्रान ऑइल के उपयोग के बारे में जानते हैं।
राइस ब्रान ऑइल का उपयोग – How to Use Rice Bran Oil in Hindi
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राइस ब्रैन ऑयल के फायदे के अलावा इस तेल के अन्य कई उपयोग भी हैं, जो आप आसानी से अपने घर में कर सकते हैं। आइए जानते हैं राइस ब्रान ऑइल के प्रमुख उपयोग के बारे में :
खाना पकाने में : खाना पकाने के लिए राइस ब्रान ऑइल का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसका स्मोक पॉइंट उच्चतम स्तर का होता है। आप सब्जियों को फ्राई करते समय इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, दाल फ्राई के लिए भी आप राइस ब्रान ऑइल का प्रयोग कर सकते हैं।
पकवान तलने में – अक्सर घर में सरसों के तेल या रिफाइंड से बने पकवान ही चखने को मिलते हैं, लेकिन राइस ब्रान ऑइल के फायदों को देखते हुए पकवान बनाने में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
साबुन बनाने में : राइस ब्रान आयल के उपयोग की दिलचस्प बात यह भी है कि इससे साबुन भी बनाया जा सकता है। जी हां, साबुन बनाने के लिए राइस ब्रान ऑइल के साथ- साथ अन्य तेलों को भी मिलाया जाता है। आप साबुन बनाते समय इसमें सोडियम हाइड्रॉक्साइड और शिया बटर का भी प्रयोग कर सकते हैं।
आइए, अब राइस ब्रैन ऑयल के नुकसान के बारे में भी जान लेते हैं।
राइस ब्रान ऑइल के नुकसान – Side Effects of Rice Bran Oil in Hindi
राइस ब्रान ऑइल को अगर ठीक तरीके से इस्तेमाल न किया जाए, तो इसके कुछ राइस ब्रान आयल साइड इफेक्ट्स आपको परेशान कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :
राइस ब्रान ऑइल का सेवन करने से पहले यह निश्चित कर लें कि आप अल्सर जैसी बीमारी से पीड़ित तो नहीं हैं, क्योंकि अल्सर में राइस ब्रान आयल साइड इफेक्ट्स हानिकारक हो सकता है।
राइस ब्रान आयल में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है (11)। इसलिए खाना बनाते समय जितनी आवश्यकता हो उतनी मात्रा में ही इसका प्रयोग करें, अन्यथा राइस ब्रान आयल साइड इफेक्ट्स से आपके शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है।
राइस ब्रान ऑइल को कभी भी कच्चे रूप में न इस्तेमाल करें, राइस ब्रैन ऑयल के नुकसान आपके पाचन तंत्र को खराब कर सकता है।
अगर आप हृदय संबंधी किसी भी बीमारी से ग्रसित हैं, तो राइस ब्रान आयल साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
आपने इस लेख में राइस ब्रान आयल के फायदे, राइस ब्रान ऑयल के उपयोग, राइस ब्रैन ऑयल के नुकसान के बारे में तथ्यों सहित संपूर्ण जानकारी पढ़ी। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि चावल की भूसी के तेल का इस्तेमाल आपको कई तरीके से फायदा पहुंचा सकता है। आप स्वास्थ्य और शारीरिक संबंधित विभिन्न फायदों के लिए अपनी इच्छानुसार और जरूरत के हिसाब से चावल की भूसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर इस लेख से संबंधित कोई भी सुझाव देना चाहते हैं या सवाल पूछना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।
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