#यूक्रेन युद्ध रूस
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samrathaltv · 2 years ago
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Peace Talks:रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए साथ आएंगे 30 देश,रूस-यूक्रेन के लिए शांतिदूत बनेगा भारत,
Peace Talks:यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच सऊदी अरब अगस्त की शुरुआत में एक शांति वार्ता की मेजबानी करेगा, जिसमें भारत भी शामिल हो सकता है। सऊदी अरब और यूक्रेन ने अभी तक बातचीत की पुष्टि नहीं की है.
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amitgopal390 · 2 years ago
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रूस यूक्रेन युद्ध कब खत्म होगा | कब तक चलेगा यूक्रेन रूस की लड़ाई
रूस यूक्रेन युद्ध कब खत्म होगा | कब तक चलेगा यूक्रेन रूस की लड़ाई रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई को 15 महीने से भी ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन अभी भी यह थमने का नाम नहीं ले रहा है। न ही इस लड़ाई से रूस पीछे हट रहा है और न ही यूक्रेन के जज्बे कम हो रहे हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे रूस यूक्रेन युद्ध खत्म होगा। तो चलिए देखते है विस्तार से। रूस यूक्रेन युद्ध युद्ध के शुरुआत से ही रूस अपने…
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ramawtarjat · 2 years ago
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यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष।
दुनिया में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे अधिक जानें रूस - यूक्रेन युद्ध में हुई हैं। 24 फरबरी 2022 के अल सुबह जब रूस ने हमला बोला तो किसी ने नहीं सोचा था की ये लड़ाई 21वी सदी में दो पड़ोसी देशों में इतना लंबा पारंपरिक युद्ध चलेगा Read more....
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oyspa · 5 hours ago
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पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने को लेकर क्या सलाह दी ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के यूट्यूब चैनल पर एक पॉडकास्ट के लिए दिए इंटरव्यू में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध पर प्रतिक्रिया दी है. तीन घंटे 17 मिनट के इस पॉडकास्ट में मोदी ने कई मुद्दों पर फ्रीडमैन से बात की है. उन्होंने कहा, “हमारा बैकग्राउंड इतना मज़बूत है कि जब भी हम शांति के लिए बात करते हैं, तो विश्व हमें सुनता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह बुद्ध और…
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globalnewsnetworkhindi · 5 hours ago
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रूस और यूक्रेन दोनों के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध... युद्ध की समाप्ति को लेकर PM मोदी ने कही बड़ी बात Our Channel: https://www.youtube.com/@globalnewsnetworkofficial?sub_confirmation=1 PM Modi On Russia Ukraine War: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी बात की. पीएम मोदी ने कहा कि इस युद्ध के कारण सभी ने कष्ट झेले हैं और अब ये सार्थक दिशा में आगे बढ़ रही है. उन्होंने अपने "युद्ध के मैदान में कभी कोई समाधान नहीं निकलेगा" वाक्य को फिर दोहराया. "दोनों पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए" रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके दोनों देशों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. उन्होंने कहा, "रूस और यूक्रेन दोनों के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध हैं. मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठकर कह सकता हूं कि यह युद्ध का समय नहीं है और मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी मित्रवत तरीके से कह सकता हूं कि भाई, दुनिया में चाहे कितने भी लोग आपके साथ खड़े हों, युद्ध के मैदान में कभी कोई समाधान नहीं निकलेगा." उन्होंने कहा, "यूक्रेन अपने सहयोगियों के साथ अनगिनत चर्चाएं कर सकता है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा. चर्चा में दोनों पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए." क्रेमलिन ने आज पुष्टि की कि रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने नए कूटनीतिक प्रयासों के बाद युद्ध को समाप्त करने के लिए "अगले कदमों" पर चर्चा की है. कुछ घंटे पहले, कीव के यूरोपीय सहयोगियों ने मास्को से बिना शर्त 30-दिवसीय युद्ध विराम के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया था. सऊदी अरब में वार्ता के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने युद्ध विराम के लिए दबाव डाला था, जिसे यूक्रेन ने स्वीकार कर लिया. इस घटनाक्रमों पर बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा, "शुरू में, शांति स्थापित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अब, वर्तमान स्थिति यूक्रेन और रूस के बीच सार्थक और उत्पादक वार्ता का अवसर प्रस्तुत करती है. इस युद्ध के कारण बहुत नुकसान हुआ है. यहां तक कि ग्लोबल साउथ को भी नुकसान हुआ है. दुनिया अन्न, ईंधन और खाद के संकट से जूझ रही है. इसलिए, वैश्विक समुदाय को शांति के लिए एकजुट होना चाहिए. जहां तक मेरी बात है, मैंने हमेशा कहा है कि मैं शांति के साथ खड़ा हूं. मैं तटस्थ नहीं हूं. मे���ा एक रुख है, और वह शांति है, और मैं शांति के लिये प्रयास करता हूं.''
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rightnewshindi · 2 days ago
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रूस-यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप का बयान, कहा, यूक्रेनी सैनिकों की जान बख्श दें, यह एक भयानक नरसंहार; पुतिन में नेक मिशन के लिए जताया आभार
America News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की है। ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि पुतिन के साथ बहुत अच्छी चर्चा हुई और मैंने उनसे यूक्रेनी सैनिकों की जान बख्शने की गुजारिश की। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर ट्रंप ने लिखा, ‘गुरुवार को मैंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बहुत अच्छी और कारगर चर्चा की। अब बहुत…
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पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की पुतिन ने की जमकर तारीफ, यूक्रेन के साथ सीजफायर के लिए तैयार हुआ रूस
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सऊदी अरब में यूक्रेन और अमेरिका के प्रतिनिधियों की बैठक हुई और इसमें सीजफायर को लेकर सहमति बनी। अमेरिका ने 30 दिनों के सीजफायर का प्लान रूस को भेजा। अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे स्वीकार कर लिया है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मामले पर अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने युद्ध को…
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newsliveindia45 · 6 days ago
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मस्क की पुतिन को खुली चुनौती: 'यूक्रेन के बजाय मुझसे लड़ो'
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टेस्ला के सीईओ और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सीधे तौर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चुनौती देते हुए कहा कि वे यूक्रेन से लड़ने के बजाय मुझसे शारीरिक लड़ाई करें।
यूक्रेन का समर्थन करने का आरोप
एलन मस्क पर लंबे समय से आरोप लग रहे हैं कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यूक्रेन इस युद्ध में संचार के लिए मस्क के स्टारलिंक सैटेलाइट सिस्टम का उपयोग कर रहा है।
स्टारलिंक के बिना कमजोर हो सकती है यूक्रेनी सेना
मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
"मेरा स्टारलिंक सिस्टम यूक्रेनी सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि मैं इसे बंद कर दूं तो यूक्रेनी सेना ध्वस्त हो जाएगी।"
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात पर गुस्सा आ रहा है कि इस युद्ध में वर्षों से लोग मारे जा रहे हैं और अब यूक्रेन की हार निश्चित है।
यूक्रेन के अमीरों पर प्रतिबंध लगाने की मांग
एलन मस्क ने यूक्रेन के शीर्ष 10 अमीर लोगों, विशेष रूप से मोनाको में रह रहे धनवान व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। मस्क का दावा है कि यदि ऐसा किया जाता है तो युद्ध तुरन्त समाप्त हो सकता है।
नया विवाद खड़ा हुआ
मस्क के इस बयान से एक नया विवाद शुरू हो गया है। उनकी आलोचना इस आधार पर की जा रही है कि उनके बयान में रूस द्वारा किए जा रहे नरसंहार की अनदेखी की गई है और उन्होंने केवल यूक्रेन के आत्मरक्षा के अधिकार को महत्व दिया है।
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wenews24 · 8 days ago
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imranjalna · 9 days ago
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"Russia-Ukraine War: सऊदी में बड़ा खेल! शांति वार्ता या नई साजिश? ट्रंप बोले- पुतिन से बात आसान!"
War: सऊदी अरब में रूस-यूक्रेन युद्ध पर अहम बैठक, ट्रंप बोले- “पुतिन से बात करना ज्यादा आसान”! रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए सऊदी अरब में बड़ा डिप्लोमैटिक मूव रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म करने के लिए अगले सप्��ाह सऊदी अरब में एक अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में कई देशों के प्रतिनिधि शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए शामिल होंगे। इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप…
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livetimesnewschannel · 9 days ago
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America’s Double Game: Why Is It Believed That Its Friendship and Enmity Are Both Questionable?
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Introduction Of Betrayal of America
Betrayal of America: अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने एक बार कहा था कि अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक है, लेकिन दोस्त होना घातक है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका ने यूक्रेन समेत यूरोपीय देशों को बीच मझधार में ला खड़ा कर दिया. क्या अमेरिका ने यूक्रेन को धोखा दिया है.
दरअसल, साल 2022 में जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई, तब अमेरिका ने जमकर सहायता दी. युद्ध में अब यूक्रेन पूरी तरह से अमेरिकी सैन्य, फंड और खुफिया सहायता पर निर्भर हो चुका है. अब हालात तेजी से बदलते जा रहे हैं. जो बाइडेन की सत्ता खत्म होते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी तरह से खेल बदल दिया है. माना जा रहा है कि जल्द ही अमेरिका यूक्रेन को दी जाने वाली सभी तरह की सहायता रोक सकता है.
अब यूक्रेन वर्तमान में उस स्थिति से जूझ रहा है जिसे अमेरिकी वापसी सिंड्रोम कहा जाता है. डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन में यूक्रेन समेत यूरोपीय देशों को यह साफ कर दिया है कि यूक्रेन की सुरक्षा के लिए अमेरिका की जगह यूरोपीय साझेदारों को बोझ का बड़ा हिस्सा उठाना चाहिए. वहीं, व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ हुई तीखी नोकझोंक ने भी मामले को बिगाड़ दिया है.
इसके साथ ही यूक्रेन समेत यूरोपीय देश खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसे में बता दें कि अमेरिका की ओर से अपने सहयोगियों को छोड़ने या विश्वासघात करने की यह घटना पहली नहीं है. इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब अमेरिका ने अपने सहयोगियों को मदद की आस दी फिर उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया. इसमें विय��नाम, इराक और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं.
Table Of Content
सबसे पहले ही दोस्त फ्रांस को दिया धोखा
स्पेन-अमेरिका में भी मारे गए लाखों लोग
स्वेज संकट में दिखा असली रूप
वियतनाम में दिया सबसे बड़ा धोखा
अमेरिकी मंदी में जापान को लगी चपत
इराक-सद्दाम हुसैन को कैसे मिला धोखा
दोस्त से दुश्मन बना गद्दाफी
सीरिया में कुर्द बलों को धोखा
अफगानिस्तान भी है उदाहरण
Betrayal of America: सबसे पहले ही दोस्त फ्रांस को दिया धोखा
साथ ही अमेरिका को बड़े पैमाने पर सैन्य और आर्थिक सहायता भी दी. कई इतिहासकारों का मानना है कि ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ फ्रांस की सहायता ने सैन्य शक्ति को अमेरिका के पक्ष में झुका दिया था. ऐसे में जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में महाद्वीपीय सेना की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ. लुई सोलहवें ने दिल खोलकर अमेरिका की मदद की. लुई 16वें ने अमेरिकी क्रांति का समर्थन करने के लिए बड़े पैमाने पर जहाज और सेना भी भेजी.
हालांकि, इससे फ्रांस में लोन बढ़ गया और हालात बद से बदतर हो गए. इससे फ्रांस में राजशाही शासन के खिलाफ लोगों का आक्रोश और ज्यादा भड़क गया. इसी के साथ साल 1789 में फ्रांसीसी क्रांति भड़क उठी. फ्रांसीसी क्रांति के कारण उत्पन्न यूरोपीय देशों में भी तनाव बढ़ने लगा. इससे बचने के लिए अमेरिका ने तटस्थ होने की की स्पष्ट नीति अपनाई. फिर भी साल 1793 में फ्रांसीसी राजा लुई सोलहवें पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी दे दी गई.
Betrayal of America: स्पेन-अमेरिका में भी मारे गए लाखों लोग
अमेरिका के अनुकूल शर्तों वाली संधि में स्पेन ने क्यूबा पर अपना सारा दावा त्याग दिया. इसके साथ ही गुआम और प्यूर्टो रिको पर अमेरिका का कब्जा हो गया. वहीं, स्पेन ने फिलीपींस की संप्रभुता को 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर में अमेरिका के हवाले कर दिया. स्पेन के औपनिवेशिक शासन से आजादी की चाहत रखने वाले कई फिलिपींस के नागरिकों ने स्पेनिश सेना को हराने में अमेरिकी सैनिकों की मदद की थी. इसके बदले में स्पेन की तरह ही अमेरिका ने भी द्वीपों पर उपनिवेश बनाना जारी रखने का इरादा किया.
इससे फिलिपींस में आक्रोश पैदा हो गया. आक्रोश ने साल 1899 में युद्ध का रूप ले लिया. यह संघर्ष करीब तीन साल तक चला. बाद में अमेरिका ने फिलीपींस पर औपनिवेशिक शासन शुरू कर दिया. ऐतिहासिक अभिलेखों के मुताबिक अमेरिकी सेना ने कई बा�� फिलीपींस के गांवों को जला दिया. नागरिकों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाए. इस बीच फिलीपींस में हिंसा, अकाल और बीमारी से 2 लाख से ज्यादा फिलिपिनो नागरिक मारे गए.
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Betrayal of America: स्वेज संकट में दिखा असली रूप
ऐसे में अमेरिका ने इस युद्ध में शामिल होने से मना कर दिया. फिर अमेरिका ने मित्र राष्ट्रों का अपमान करते हुए सार्वजनिक रूप से निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के लिए मतदान भी किया. साथ ही अमेरिका ने तीनों देशों को धमकी जारी करते हुए कहा कि अगर अभियान जारी रहा, तो वह कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करेंगे. बता दें कि उस समय ही अमेरिका ने ब्रिटिश पाउंड की भारी बिक्री शुरू की थी. इससे ब्रिटिश पाउंड डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हो गया था.
इसी बीच अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर भी दबाव डाला कि वह ब्रिटेन की वित्तीय मदद न करे. अमेरिका के इन कदमों से ब्रिटेन और फ्रांस की सेनाएं पीछे हट गई. फिर इजराइल ने भी अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए नहर का पूरा नियंत्रण मिस्र को सौंप दिया. स्वेज संकट से ब्रिटेन की गिरती हुई स्थिति दुनिया का सामने आ गई और इसका फायदा उठाते हुए अमेरिका ने विश्व मामलों में अधिक शक्तिशाली भूमिका निभाई.
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Betrayal of America: वियतनाम में दिया सबसे बड़ा धोखा
अमेरिका और उत्तरी वियतनाम के बीच गुप्त रूप से हुए समझौते को दक्षिण वियतनाम की ओर से स्वीकार कराने के लिए अमेरिका ने दक्षिण वियतनामी पक्ष को भारी मात्रा में सैन्य सहायता देने का वादा किया, लेकिन यह वादे कभी पूरे ही नहीं हुए. दक्षिण वियतनाम के अमेरिकी समर्थित राष्ट्रपति न्गो दीन्ह दीम की अपनी सेना ने ही उनकी हत्या कर दी थी. इस मामले में दक्षिण वियतनामी पक्ष के पूर्व नेता गुयेन वान थीयू ने बहुत बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अमेरिका का दुश्मन बनना बहुत आसान है, लेकिन मित्र बनना बहुत कठिन है.
Betrayal of America: अमेरिकी मंदी में जापान को लगी चपत
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सी��े तौर पर अमेरिकी डॉलर को बढ़ावा, अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और वैश्विक असंतुलन को ठीक करना समझौते के मुख्य उद्देश्य थे. समझौते के बाद जापानी मुद्रा येन की कीमत में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई, जिससे जापान के मजबूत निर्यात बड़ा नुकसान हुआ. जापान उस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती थी. इससे पूरे पूर्वी एशियाई देश में जापान के अर्थव्यवस्था का पतन हो गया और अमेरिका का प्रभाव फिर से बढ़ गया.
Betrayal of America: इराक-सद्दाम हुसैन को कैसे मिला धोखा
जब सद्दाम हुसैन ने विद्रोह को कुचला तो अमेरिका चुपचाप खड़ा देखता रहा. अमेरिका की ओर से कुवैत से इराकी सेना को बाहर निकालने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज हर्बर्ट वॉकर बुश का सद्दाम हुसैन को उखाड़ फेंकने के लिए बगदाद में अमेरिकी सेना को भेजने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने युद्ध गठबंधन में अरबों से वादा किया था कि वह सद्दाम हुसैन की सेना को बस इराक में वापस धकेल देंगे. लाखों लोगों की मौत के बाद बाद में अमेरिका ने ही सद्दाम हुसैन को फांसी के फंदे पर लटका दिया था.
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Betrayal of America: गद्दाफी दोस्त से बना दुश्मन
तेल के भंडार के कारण लीबिया अमेरिका खास बना हुआ था. जैसे-जैसे विद्रोह फैलता गया और उसके शासन के लिए खतरे की गंभीरता स्पष्ट होती गई. विद्रोहियों के पक्ष में NATO के हस्तक्षेप से मामला उल्टा पड़ गया और मुअम्मर गद्दाफी का पतन हो गया. वह NATO हवाई हमले से बचने के लिए एक सुरंग में छिप गया. बाद में लीबिया के लोगों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला और सड़कों पर उसकी लाश को घसीटा भी.
Betrayal of America: सीरिया में कुर्द बलों को धोखा
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साल 2019 में अमेरिका ने कहा कि तुर्की जल्द ही उत्तरी सीरिया में अपने ऑपरेशन के साथ आगे बढ़ेगा. अमेरिकी सेना ऑपरेशन का समर्थन या इसमें शामिल नहीं होगी. साथ ही उन्होंने उस क्षेत्र से सेना को निकाल लिया. उत्तरी सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के अमेरिकी फैसले के बाद तुर्की ने बड़ा हमला किया. हमले में बड़ी संख्या में कुर्द सैनिक मारे गए. कुर्दों के कई बड़े लीडर ने कहा कि अमेरिका ने उनके साथ विश्वासघात किया है.
Betrayal of America: अफगानिस्तान भी है उदाहरण
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तत्कालीन जो बाइडेन प्रशासन ने डोनाल्ड ट्रंप के पिछले प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह अफगान सरकार पर दोष मढ़ने की कोशिश करते हुए अव्यवस्था को पीछे छोड़ गया. अमेरिका के व्हाइट हाउस में तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी से मुलाकात के दौरान जो बाइडेन ने पुराना दोस्त बताया था. साथ ही उनकी सरकार को कूटनीतिक और राजनीतिक सहायता देने का वादा किया था, लेकिन अमेरिका सेना के भागने के बाद मोहम्मद अशरफ गनी तक को भी देश छोड़कर भागना पड़ा.
Conclusion Of Betrayal of America:
इस साल की शुरुआत में सत्ता संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने NATO यानि उत्तरी अटलांटिक संधि सैन्य गठबंधन से भी धीरे-धीरे बाहर आने की बात कही है. उन्होंने बार-बार NATO सहयोगियों पर सैन्य खर्च बढ़ाने के लिए दबाव डाला है. इसके अलावा अमेरिका की सत्ता संभालते हुए अपने यूरोपीय देशों, कनाडा और मैक्सिको को धोखा देते हुए टैरिफ वॉर भी छेड़ दिया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ को अपना दुश्मन बताया है. अमेरिका और ब्रिटेन ने साल 2022-23 में त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी के तहत परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां हासिल करने में ऑस्ट्रेलिया का समर्थन करने का फैसला किया था. इससे फ्रांस को बड़ा झटका लगा था. फ्रांस ने इस सौदे को पीठ में छुरा घोंपना बताते हुए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों में अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था.
कनाडा के साथ कीस्टोन पाइपलाइन प्रोजेक्ट में भी अमेरिका ने कई बार धोखा दिया. साल 2015 में TPP यानि ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के तहत मुक्त व्यापार समझौते में भी 12 देश शामिल थे. डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2017 में सत्ता संभालते ही TPP से वापस हटने का फैसला कर लिया. अमेरिका भारत की पीठ में भी छुरा घोंप चुका है. साल 1999 में अमेरिका ने GPS यानि ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को ब्लॉक कर खुफिया जानकारी भारत को देने से इन्कार कर दिया था. अब यूक्रेन का भी यही हाल देखने को मिल सकता है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की से पद छोड़ने तक की बात कह चुके हैं.
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upkiran · 13 days ago
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US-Ukraine Tensions: अमेरिका ने दिया यूक्रेन को बड़ा झटका, ट्रंप और जेलेंस्की की तीखी बहस के बाद रोकी सैन्य सहायता
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अमेरिका और यूक्रेन के रिश्तों में बढ़ी दरार अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में दरार गहराती जा रही है। हाल ही में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता रोकने का बड़ा फैसला लिया है।
ट्रंप सरकार का बड़ा फैसला
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका अब बिना किसी वास्तविक और स्थायी शांति के दूसरे देशों के युद्धों में अनगिनत संसाधन खर्च नहीं करेगा। इससे यह स्पष्ट हो गया कि ट्रंप प्रशासन यूक्रेन को अब पहले की तरह आर्थिक और सैन्य सहायता नहीं देगा।
ट्रंप-जेलेंस्की के बीच तीखी बहस
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की अमेरिका यात्रा के दौरान ओवल ऑफिस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच कड़वी बहस हुई। ट्रंप ने जेलेंस्की पर आरोप लगाया कि उनकी नीतियों से लाखों लोगों की जान खतरे में पड़ गई और इससे तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी। इस बैठक में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस भी मौजूद थे, जिन्होंने ट्रंप का समर्थन किया।
जेलेंस्की बिना किसी समझौते के लौटे
बैठक में टकराव इतना बढ़ गया कि जेलेंस्की बिना किसी सैन्य या खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए व्हाइट हाउस से निकल गए। इसके बाद उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, "धन्यवाद अमेरिका, आपके समर्थन के लिए धन्यवाद। यूक्रेन को न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम उसी के लिए काम कर रहे हैं।"
क्या है इस फैसले का असर?
यूक्रेन को मिलने वाली सैन्य सहायता पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका क�� भूमिका कमजोर होगी।
यूरोप और नाटो गठबंधन पर भी इस फैसले का असर देखने को मिल सकता है।
निष्कर्ष
अमेरिका और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध के भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि जेलेंस्की इस संकट से कैसे निपटते हैं और अमेरिका की नीति आगे क्या होगी।
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boharanews · 15 days ago
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भूत, वर्तमान और भविष्य और वैश्विक परिवेश
BSnews, 2 March, 0025, Sun, 8:40 AM
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सोवियत संघ की स्थापना की प्रक्रिया 1917 की रूसी क्रान्ति के साथ शुरू हुई थी जिसमें रूसी साम्राज्य के ज़ार (सम्राट) को सत्ता से हटा दिया गया था।
संवैधानिक रूप से सोवियत संघ 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। इसमें रूस के बाद यूक्रेन भी प्रभावशाली भूमिका में था।
रूस और यूक्रेन के लोगों में भले ही राजनीतिक स्तर के मतभेद हों। लेकिन आनुवांशिक स्तर की समानताएं हैं।
1 फरवरी, 1924 को ब्रिटिश साम्राज्य ने सोवियत संघ को मान्यता दे दी। उसी वर्ष, दिसंबर 1922 के संघ को वैध बनाने के लिए सोवियत संविधान को मंजूरी दी गई। देश की अर्थव्यवस्था, उद्योग और राजनीति का गहन पुनर्गठन 1917 में सोवियत सत्ता के शुरुआती दिनों में शुरू हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध, जो 1939 में शुरू हुआ और 1945 में समाप्त हुआ, इतिहास का सबसे घातक और सबसे विनाशकारी युद्ध था।
विश्व राजनीति के दो ध्रुव संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ थे. यह अवधारणा मुख्य रूप से शीत युद्ध (1947-1991) के दौरान देखी गई थी.
नाटो, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन , 1949 में बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सोवियत विस्तार के खतरे को रोकना था। USA की पहल पर मिखाइल गोर्बाचेव के शासन काल में शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद USSR का विखंडन हो गया।
जब NATO का गठन USSR के विस्तारवाद को रोकने के लिए हुआ था। और USSR का 1991 AD में विखंडन हो गया था। तब NATO की सदस्यता बढ़ाने या विस्तार की योजनाओं का क्या औचित्य रह जाता है? इसमें रूस का तर्क लीगल और नैतिक है।
जब हम कभी एक घर में सम्मिलित रह सकते हैं। तो पृथक घरों में रहने पर भी हमें एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। और लोगों के कष्टमय जीवन को आसान बनाने की दिशा में मिलकर कार्य करना चाहिए।
रूस और यूक्रेन को अपनी समस्याओं को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाना सबसे अच्छी पहल हो सकती है। फिर भी यदि सामान्य स्थिति बनाने में कठिनाई आतीं हैं। तब निष्पक्ष नीतियों की धारणा रखने वालों को सामान्य स्थिति का परिवेश बहाल करने के लिए सम्मलित किया जा सकता है।
Published by Bohara Sandesh News
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rojanasamachaar · 16 days ago
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क्या तीसरा विश्व युद्ध नजदीक है? अमेरिका-यूक्रेन तनाव बढ़ा, ट्रंप और जेलेंस्की की तीखी बहस!
क्या तीसरा विश्व युद्ध नजदीक है? अमेरिका-यूक्रेन तनाव बढ़ा, ट्रंप और जेलेंस्की की तीखी बहस!
हाल ही में, अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों में तनाव बढ़ गया है। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच बैठक के दौरान तीखी बहस हुई। इस बैठक का उद्देश्य एक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करना था, जिसे ट्रंप रूस के साथ शांति समझौता करने में महत्वपूर्ण मानते थे। हालांकि, बातचीत के दौरान ट्रंप ने जेलेंस्की पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया और उनके…
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रो ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रो ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस दौरान मैक्रो ने बताया कि रूस यूक्रेन युद्ध में शांति समझौते को लेकर बातचीत हुई है। मैक्रो ने बार बार सुरक्षा गारंटी पर जोर दिया और कहा कि इसे यूक्रेन का आत्मसमर्पण नहीं समझा जाना चाहिए। ट्रंप की बात मैक्रो ने उनका हाथ पकड़कर फैक्ट चेक भी भी कराया Redmor
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rightnewshindi · 2 days ago
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रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए काम कर रहे पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति पुतिन ने जताया आभार
Delhi News: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा का धन्यवाद किया, जिन्होंने वर्षों से चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास किए हैं। यूक्रेन द्वारा जताई गई सीजफायर पर बातचीत की इच्छा पर अपनी पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया में पुतिन ने कहा कि वह संघर्ष विराम के…
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