#मॉडर्ना वैक्सीन इंडिया
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भारत ने मॉडर्न वैक्सीन की 7.5 मिलियन खुराक की पेशकश की; क्षतिपूर्ति खंड पर कोई सहमति नहीं
भारत ने मॉडर्न वैक्सीन की 7.5 मिलियन खुराक की पेशकश की; क्षतिपूर्ति खंड पर कोई सहमति नहीं
सूत्रों ने कहा कि भारत को COVAX वैश्विक वैक्सीन साझाकरण कार्यक्रम के माध्यम से मॉडर्न के कोविद -19 वैक्सीन की 7.5 मिलियन खुराक की पेशकश की गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्षतिपूर्ति खंड पर आम सहमति के रूप में देश में जैब्स कब पहुंचेंगे, सूत्रों ने कहा। सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह वैक्सीन निर्माता मॉडर्न के साथ सक्रियता से काम कर रही है ताकि यह देखा जा सके कि देश में इसकी वैक्सीन कैसे…
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#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़#भारत कोविड -19 वैक्सीन#मॉडर्न वैक्सीन#मॉडर्न वैक्सीन समाचार#मॉडर्ना कोविड वैक्सीन#मॉडर्ना वैक्सीन इंडिया
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मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में आयात करने की DCGI ने दी मंजूरी
मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में आयात करने की DCGI ने दी मंजूरी
नई। देश में टीकाकारण अभियान जोर-शोर से जारी है। ऐसे में कई विदेशी वैक्सीन को मंजूरी देने की प्रक्रिया चल रही है। भारत में सिप्ला कंपनी की मॉडर्ना वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए आयात करने की DCGI (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने मंजूरी दी। केंद्र सरकार इस बारे में जल्द घोषणा करेगी। मॉडर्ना भारत में उपयोग की जाने वाली चौथी वैक्सीन है, जिसे डीसीजीआइ ने मंजूरी दी है। उम्मीद है कि अमेरिका में…
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ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने अमेरिका की कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी है। सिप्ला कंप��ी इसका आयात करेगी।
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जायडस कैडिला ने भारत में अपनी वैक्सीन जायकोव-डी के इमरजेंसी यूज की मांगी मंजूरी
जायडस कैडिला ने भारत में अपनी वैक्सीन जायकोव-डी के इमरजेंसी यूज की मांगी मंजूरी
नई दिल्लीः देश को जल्द ही कोरोना की एक और वैक्सीन मिलने की संभावना है. जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCoV-D) के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास आवेदन किया है. यह वैक्सीन तीन डोज वाली होगी. कंपनी का दावा है कि ये वैक्सीन वयस्कों के साथ 12 से 18 साल के बच्चों को भी लगाई जा सकती है. अब तक देश में कोविशील्ड, को-वैक्सीन, स्पूतनिक और मॉडर्ना की…
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Zydus Cadila Seeks Approval For Emergency Use Of Its Vaccine ZyCoV-D In India ANN
Zydus Cadila Seeks Approval For Emergency Use Of Its Vaccine ZyCoV-D In India ANN
नई दिल्लीः देश को जल्द ही कोरोना की एक और वैक्सीन मिलने की संभावना है. जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCoV-D) के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास आवेदन किया है. यह वैक्सीन तीन डोज वाली होगी. कंपनी का दावा है कि ये वैक्सीन वयस्कों के साथ 12 से 18 साल के बच्चों को भी लगाई जा सकती है. अब तक देश में कोविशील्ड, को-वैक्सीन, स्पूतनिक और मॉडर्ना की…
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हरा संकेत! सिप्ला को भारत में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मॉडर्न के कोविड वैक्सीन आयात करने के लिए DCGI की मंजूरी मिली: स्रोत
हरा संकेत! सिप्ला को भारत में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मॉडर्न के कोविड वैक्सीन आयात करने के लिए DCGI की मंजूरी मिली: स्रोत
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि भारत के दवा नियामक डीसीजीआई ने मुंबई स्थित दवा कंपनी सिप्ला को देश में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मॉडर्न की COVID-19 वैक्सीन आयात करने की अनुमति दी है। मॉडर्ना की वैक्सीन भारत में कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक के बाद उपलब्ध होने वाली चौथी कोविड-19 जैब होगी। ज़ी बिज़नेस की लाइव टीवी स्ट्रीमिंग नीचे देखें: “ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने…
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Moderna Vaccine: मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी-Hindi News
Moderna Vaccine: मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी-Hindi News
Hindi News – नई दिल्ली। अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भारत में इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल गई है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने मंगलवार को मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन के भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी। सिप्ला कंपनी को इस वैक्सीन के आयात की इजाजत दी गई है। बताया जा रहा है कि सिप्ला को देश में एक सौ लोगों पर ब्रिज ट्रायल की शर्त को पूरा करना ही होगा। यह चौथी…
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J&J की एकल खुराक वाली कोविड वैक्सीन को भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है
J&J की एकल खुराक वाली कोविड वैक्सीन को भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है
जॉनसन एंड जॉनसन के एकल खुराक वाले कोरोनावायरस वैक्सीन को शनिवार को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रदान किया गया, जिससे यह भारत सरकार द्वारा अनुमोदित होने वाला चौथा टीका बन गया। अब तक, भारत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और रूसी स्पुतनिक वी टीकों का प्रशासन करता रहा है। मॉडर्ना वैक्सीन को पहले EUA मिला था, लेकिन यह अगले साल तक भारत में उपलब्ध नहीं होगा। “भारत ने…
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फाइजर और मॉडर्ना के पास ऑर्डर फुल, भारत को वैक्सीन के लिए करना पड़ सकता है लंबा और अनिश्चित इंतजार
फाइजर और मॉडर्ना के पास ऑर्डर फुल, भारत को वैक्सीन के लिए करना पड़ सकता है लंबा और अनिश्चित इंतजार
नई दिल्ली: तीन इसके लेकिन जब ऐप में कीटाणु की उपस्थिति में भारत पर कीटाणु होते हैं। 13 अप्रैल को सरकार ने घोषणा की थी कि जैमिंग को अमेरिका, एयर, इत्तेल, प्रभास और प्रभात से मेल खाती है, भारत में पहली बार एयर इंडिया में और फैज़ की रिपोर्ट्स की घोषणा की। किसी भी तरह की घोषणा की गई थी। तीन मई से 24 मई के बीच भारत में कोरोना से 1,49,017 (सरकारी आँकड़े) वैज्ञानिक। प्रदर्शन की तरह दिखने वाला या फिर…
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#Moderna#कोरोनावाइरस#कोरोनावायरस भारत#कोविड 19#फाइजर#फाइजर कोरोनावायरस वैक्सीन#मॉडर्न कोरोनावायरस वैक्सीन#वैक्सीन इंडिया
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भास्कर एक्सप्लेनर: कोवीशील्ड बना रही दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन कंपनी सीरम की बादशाहत को खतरा; UK में निवेश की घोषणा इंटरनेशनल स्ट्रैटजी का हिस्सा
भास्कर एक्सप्लेनर: कोवीशील्ड बना रही दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन कंपनी सीरम की बादशाहत को खतरा; UK में निवेश की घोषणा इंटरनेशनल स्ट्रैटजी का हिस्सा
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 12 मिनट पहले कॉपी लिंक भारत में कोरोना वैक्सीन बना रही दुनिया की सबसे बडी वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की बादशाहत खतरे में है। मॉडर्ना जैसी कंपनियां उसे ग्लोबल स्तर पर चुनौती दे रही हैं। वैक्सीन नेशनलिज्म, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी कानून जैसी बाधाएं उसे आगे बढ़ने से रोक रही है। वहीं, भारत में वैक्सीन की कम होती…
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भास्कर एक्सप्लेनर: फाइजर, मॉडर्ना ने कोरोना वैक्��ीन के लिए मांगा इमरजेंसी अप्रूवल; क्या भारत में कोवीशील्ड को मिलेगी मंजूरी?
भास्कर एक्सप्लेनर: फाइजर, मॉडर्ना ने कोरोना वैक्सीन के लिए मांगा इमरजेंसी अप्रूवल; क्या भारत में कोवीशील्ड को मिलेगी मंजूरी?
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अमेरिकी दवा कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना ने कोरोना वैक्सीन के लिए अमेरिका के साथ ही यूरोपीय संघ में भी इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। इस पर जल्द ही फैसला हो सकता है। इसी तरह दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के CEO अदार पूनावाला ने भी कहा है कि वे भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 'कोवीशील्ड' के लिए भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मांगने वाले हैं।…
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कोरोनावायरस की वैक्सीन कब आएगी? कब तक आएगी? सबसे पहले कहां आएगी? कैसे मिलेगी? कीमत क्या होगी? और दुनिया में हर एक इंसान तक ये कैसे पहुंचेगी? ये जो सवाल हैं, आज दुनिया के हर इंसान के जेहन में चल रहे हैं। एक साथ चल रहे हैं। बार-बार चल रहे हैं। आइए इनका सच जानते हैं। दुनियाभर की 20 से ज्यादा फार्मास्युटिकल कंपनियां और सरकारें दिन-रात कोरोनावायरस वैक्सीन बनाने के काम में लगी हैं। वे वैक्सीन को लेकर रूलबुक लिख रही हैं। रोज इसे अपडेट भी कर रही हैं। यानी कितनी प्रगति हुई। लेकिन अभी तक महज 10% वैक्सीन ट्रायल सफल हुए हैं। वहीं, एक अनुमान के मुताबिक यदि वैक्सीन बन जाती है तो दुनियाभर में इसकी सप्लाई के लिए करीब 8000 जंबो जेट्स की जरूरत होगी।
वैक्सीन आई तो क्या कामयाब होगी?
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस(एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि कोई भी वैक्सीन आने के बाद इफेक्टिव होगी या नहीं, ये अभी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि सभी कंपनियां अभी जल्दबाजी में वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। दूसरी सबसे अहम बात होगी कि वैक्सीनेशन के बाद जो इम्युनिटी डेवलप हो रही है, वो प्रोटेक्टिव है कि नहीं। यह बात धीरे-धीरे पता चलेगी।
क्या साइड इफेक्ट्स भी संभव हैं?
संभव है। लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो रहे हैं कि नहीं हो रहे, इसे देखने के लिए कुछ समय का इंतजार करना पड़ता है। एक स्टडी के मुताबिक कोरोना से बनने वाली एंटीबॉडीज करीब पांच महीने तक ही प्रभावी हैं। ऐसे में कुछ कहा नहीं जा सकता कि वैक्सीन कितनी प्रभावी होंगी, क्योंकि दुनिया में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। इसलिए हमें इसके रिजल्ट को देखने के लिए लंबा इंतजार करना होगा।
वैक्सीन का काम क्या?
डॉक्टर उमा कुमार के मुताबिक वैक्सीन के बहुत सारे टाइप होते हैं। यह लोकल इम्युनिटी डेवलप करती है। ये शरीर में दोबारा किसी इंफेक्शन को बढ़ने नहीं देती है। अगर कोरोना की वैक्सीन ने 80% भी संक्रमण को कंट्रोल कर दिया तो समझ लीजिए कामयाब है, क्योंकि 20% लोग तो हर्ड इम्युनिटी ��े बच जाएंगे।
कैसे बनती है वैक्सीन?
इंसान के खून में व्हाइट ब्लड सेल होते हैं जो उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा होते हैं। बिना शरीर को नुकसान पहुंचाए वैक्सीन के जरिए शरीर में बेहद कम मात्रा में वायरस या बैक्टीरिया डाल दिए जाते हैं। जब शरीर का रक्षा तंत्र इस वायरस या बैक्टीरिया को ���हचान लेता है तो शरीर इससे लड़ना सीख जाता है। दशकों से वायरस से निपटने के लिए दुनियाभर में जो टीके बने उनमें असली वायरस का ही इस्तेमाल होता आया है।
कितने लोगों को वैक्सीन देनी होगी?
कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए यह माना जा रहा है कि 60 से 70 फीसदी लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत होगी।
वैक्सीन बनाने में कितने साल लग जाते हैं?
कोई भी वैक्सीन किसी संक्रामक बीमारी को खत्म करने के लिए बनाई जाती है। अमूमन एक वैक्सीन को बनाने में करीब 5 से 10 साल लग जाते हैं। इसके बावजूद इसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं होती है।
वैक्सीन से आज तक सिर्फ एक मानव संक्रमण रोग पूरी तरह खत्म हुआ है और वो है स्मालपॉक्स। लेकिन इसमें करीब 200 साल लगे।
इसके अलावा पोलियो, टिटनस, खसरा, कंठमाला का रोग, टीबी के लिए भी वैक्सीन बनाई गई। ये काफी हद तक सफल भी रही हैं, लेकिन आज भी हम इन बीमारियों के साथ जी रहे हैं।
डॉक्टर उमा कहती हैं कि यदि एक-डेढ़ साल के अंदर वैक्सीन लॉन्च होती है तो इतने कम समय में फास्ट ट्रैक करके उसकी खामियों को नहीं पकड़ सकते हैं। इसका इम्पैक्ट बाद में दिखेगा। कई बार वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स से न्यूरोलॉजिकल, पैरालिसिस जैसी समस्याएं भी आती हैं।
वैक्सीन आने की उम्मीद कब तक कर सकते हैं?
कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल बड़े पैमाने पर दुनियाभर में चल रहा है। इसमें हजारों लोग शामिल हैं। दुनियाभर में अभी करीब 20 कंपनियां वैक्सीन ट्रायल में लगी हैं, जिनमें से करीब 10% ही कामयाबी के रास्ते पर हैं।
एक वैक्सीन के निर्माण में अमूमन 5 से 10 साल लग जाते हैं। लेकिन अच्छी बात है कि कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए कुछ महीने के अंदर ही बड़ी संख्या में मैन्युफैक्चरर्स और इंवेस्टर्स आगे आ गए हैं। उन्होंने अपने करोड़ों रुपए दांव पर भी लगा रखा है।
रूस ने स्पूतनिक-5 नाम की वैक्सीन लॉन्च भी कर दी है और अक्टूबर से इसे देशभर में लोगों को लगाना शुरू भी कर दिया जाएगा। चीन ने भी वैक्सीन बनाने का दावा किया है, वो इसे पहले अपने सैनिकों को लगाने की बात कह रहा है।
लेकिन दुनिया के तमाम देश और स्वास्थ्य संस्थाएं इन दोनों वैक्सीन पर सवाल उठा रही हैं, क्योंकि ये रिकॉर्ड समय में बनाई गई हैं, जो आजतक नहीं हुआ।
WHO की लिस्ट में जिन वैक्सीन का नाम है, उनके ट्रायल अभी तीसरे फेज में ही हैं। इनमें से कुछ कंपनियों को कहना है कि वे इस साल के अंत तक वैक्सीन बनाने का काम पूरा कर लेंगी। पर WHO का कहना है कि वैक्सीन का निर्माण अगले साल जून तक ही संभव है।
वैक्सीन सबसे पहले किसे दिया जाएगा?
डॉक्टर उमा बताती हैं कि वैक्सीन यदि आती है तो इसे सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स और हाई रिस्क ग्रुप को दिया जाएगा। इसके बाद 20% आबादी को लगाई जाएगी।
दुनिया के देश वैक्सीन खरीदने के लिए क्या कर रहे हैं?
दुनियाभर के तमाम देश फार्मा कंपनियों से वैक्सीन लेने के लिए करार कर रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग देश वैक्सीन बनाने और खरीदने के लिए समूह भी बनाने में जुटे हैं।
ब्रिटेन ने छह कंपनियों के साथ 10 करोड़ वैक्सीन डोज के लिए करार किया है। वहीं, अमेरिकी सरकार ने अगले साल जनवरी तक 30 करोड़ वैक्सीन डोज का बंदोबस्त करने की बात कही है। सीडीसी ने फार्मा कंपनियों को 1 नवंबर तक वैक्सीन को लॉन्च करने का समय भी बता दिया है।
गरीब देशों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन?
वैक्सीन खरीदने को लेकर दुनिया के हर देश की स्थिति एक जैसी नहीं है। WHO के अस्सिटेंट डायरेक्टर जनरल डॉक्टर मारियाजेला सिमाओ का कहना है कि हमारे सामने चुनौती है कि जब ये वैक्सीन बने तो सभी देशों के लिए उपलब्ध हो, न कि सिर्फ उन्हें मिले जो ज्यादा पैसे दें। हमें वैक्सीन नेशनलिज्म को चेक करना होगा।
WHO एक वैक्सीन टास्क फोर्स बनाने के लिए भी काम कर रहा है। इसके लिए उसने महामारी रोकथाम ग्रुप सीईपीआई के साथ काम शुरू किया है। इसके अलावा वैक्सीन अलायंस ऑफ गवर्नमेंट एंड आर्गेनाइजेशन(गावी) के साथ भी बातचीत कर रहा है।
अब तक 80 अमीर देशों ने ग्लोबल वैक्सीन प्लान को ज्वॉइन किया है। इस प्लान का नाम कोवैक्स है। इसका मकसद इस साल के अंत तक 2 बिलियन डॉलर रकम जुटाना है, ताकि दुनिया भर के देशों को कोरोना की वैक्सीन मुहैया कराई जा सके। हालांकि इसमें अमेरिका नहीं है। ये समूह दुनिया के 92 गरीब देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं।
वैक्सीन की कीमत क्या होगी?
इसकी कीमत वैक्सीन पर निर्भर करेगी कि वो किस तरह की है और कितनी डोज ऑर्डर हुई है। फार्मा कंपनी मॉडर्ना को यदि वैक्सीन बेचने की अनुमति मिलती है ते वह एक डोज को 3 से 4 हजार के बीच बेच सकती है।
सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि वो भारत में एक डोज की कीमत करीब 250-300 रुपए रखेगी। गरीब देशों में भी कम दाम पर बेच���गी।
दुनिया भर में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूट कैसे होगी? इस काम में WHO, यूनिसेफ, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जैसी संस्थाओं का अहम रोल होगा। उन्हें इसके लिए दुनियाभर में एक कोल्ड चेन बनानी होगी। जिसमें कूलर ट्रक, सोलर फ्रिज जैसी व्यवस्थाएं भी करनी होंगी, ताकि वैक्सीन को सही तापमान में सहेज कर रखा जा सके और आसानी से कहीं भी पहुंचाया जा सके। सामान्य तौर पर वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है। कोविड-19 वैक्सीन अपडेट क्या है?
दुनियाभर में कोविड-19 के लिए 180 वैक्सीन बन रहे हैं।
35 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स के स्टेज में है। यानी इनके ह्यूमन ट्रायल्स चल रहे हैं।
9 वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। यानी यह सभी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स के अंतिम फेज में रहै।
इन 9 वैक्सीन में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (ब्रिटेन), मॉडर्ना (अमेरिका), गामालेया (रूस), जानसेन फार्मा कंपनीज (अमेरिका), सिनोवेक (चीन), वुहान इंस्टिट्यूट (चीन), बीजिंग इंस्टिट्यूट (चीन), कैनसिनो बायोलॉजिक्स (चीन) और फाइजर (अमेरिका) के वैक्सीन शामिल हैं।
145 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स स्टेज में है। यानी लैब्स में इनकी टेस्टिंग चल रही है।
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WHO News: World Health Organization (WHO) Update On Coronavirus Vaccine Date and Expert On Control of COVID-19 Epidemic
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मॉडर्ना भारत की चौथी कोविड वैक्सीन होगी। यहाँ अन्य तीनों पर एक त्वरित प्राइमर है
मॉडर्ना भारत की चौथी कोविड वैक्सीन होगी। यहाँ अन्य तीनों पर एक त्वरित प्राइमर है
मॉडर्ना का कोविड वैक्सीन भारत के टीकाकरण अभियान में नवीनतम अतिरिक्त बनने के लिए है क्योंकि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मुंबई स्थित सिप्ला को देश में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए वैक्सीन आयात करने की मंजूरी दे दी है। देश में कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा: “मॉडर्ना से उनके भारतीय साथी सिप्ला के माध्यम से एक आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसके बाद मॉडर्ना के कोविड -19…
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#Moderna#आपातकालीन उपयोग कोविड वैक्सीन#कृत्रिम उपग्रह#कोविड अपडेट#कोविड का टीका#कोविड के टीके स्वीकृत भारत#कोविड खबरें#कोविड वैक्सीन अपडेट#कोविड-19#कोविशील्ड#कोवैक्सिन#जॉनसन एंड जॉनसन#फाइजर
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नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप फार्मा कंपनियों के साथ मीटिंग करेगा; अमेरिका और ब्रिटेन के वैक्सीन प्लान पर है नजर [Source: Dainik Bhaskar]
नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप फार्मा कंपनियों के साथ मीटिंग करेगा; अमेरिका और ब्रिटेन के वैक्सीन प्लान पर है नजर [Source: Dainik Bhaskar]
कोरोना वैक्सीन के लिए भारत की नजर ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और अमेरिका के मॉडर्ना-एनआईएआईडी की ओर से तैयार किए जा रहे वैक्सीन पर है। एस्ट्राजेनेका भारत में वैक्सीन लाने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के साथ मिलकर काम कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी संभाल रहा नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप उन फार्मा कंपनियों के प्रमुखों के साथ दूसरे…
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विदेश यात्रा के लिए इस टीके का भी मिलेगा विकल्प, कोवैक्सिन को WHO की लिस्ट में शामिल कराने में जुटी सरकार Divya Sandesh
#Divyasandesh
विदेश यात्रा के लिए इस टीके का भी मिलेगा विकल्प, कोवैक्सिन को WHO की लिस्ट में शामिल कराने में जुटी सरकार
नई दिल्ली कोवैक्सीन भले ही कोरोना के खिलाफ अधिक प्रभावी हो लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से आपातकालीन यूज लिस्टिंग (EUL) में जगह नहीं मिलने से भारत सरकार की चिंता बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ की तरफ से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से कोवैक्सीन टीका लगवा चुके लोगों को विदेश यात्रा करने के लिए अभी इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसे में सरकार ने कोवैक्सीन को WHO की ईयूएल लिस्ट में शामिल कराने में जुट गई है। डब्ल्यूएचओ के पास कोवैक्सीन की अप्रूवल रिक्वेस्ट पेंडिंग पड़ी हुई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार सरकार भारत बायोटेक के अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया क��� तेज कराने में जुट गई है।
भारत बायोटेक के अधिकारियों से मीटिंग करेंगे विदेश सचिव आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कई देशों में कोवैक्सिन को मंजूरी मिल चुकी है। कोवैक्सीन को एक्सपोर्ट भी किया जाएगा, ऐसे में कई और देश इसको मंजूरी देने वाले हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार इस बारे में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सोमवार को कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के अधिकारियों के साथ मीटिंग करेंगे।
WHO की EUL में शामिल नहीं है कोवैक्सिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आपातकालीन यूज लिस्टिंग की तरफ से कोवैक्सीन को अभी मंजूरी नहीं मिली है। जिन देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की छूट दी है, उन्होंने अपनी खुद की रेग्युलेटरी अथॉरिटी या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इमर्जेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) की तरफ से स्वीकृत की गई वैक्सीन को ही मंजूरी दी है। इस लिस्ट में मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनेका, जानसेन (अमेरिका और नीदरलैंड में), सिनोफार्म/BBIP और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की बनी हुई कोविशील्ड भी इस लिस्ट में है। लेकिन कोवैक्सीन नहीं है।
मई जून में होगी प्री-सबमिशन मीटिंग WHO की लेटेस्ट गाइडलाइंस डॉक्युमेंट के अनुसार भारत बायोटेक ने इच्छा जाहिर की है। लेकिन डबल्यूएचओ की तरफ से अधिक जानकारी की जरूरत बताई गई है। उनके अनुसार प्री-सबमिशन मीटिंग मई-जून में प्लान की गई है, जिसके बाद फर्म की तरफ से डोजियर सबमिट किया जाएगा। इसकी समीक्षा के बाद WHO की तरफ से वैक्सीन को शामिल करने का फैसला किया जाएगा। इस प्रक्रिया में कुछ सप्ताह से लेकर महीने तक का समय लग सकता है।
…तो व्यक्ति को नॉन-वैक्सीनेटेज माना जाएगा इमिग्रेशन एक्सपर्ट विक्रम श्रॉफ ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि अगर कोई वैक्सीन EUL की लिस्ट में नहीं है या फिर किसी विदेशी देश की तरफ से अप्रूव नहीं की गई है। ऐसी परिस्थिति में यात्री को नॉन-वैक्सीनेटेड माना जाएगा।
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विदेशी वैक्सीन की राह खुली: ड्रग कंट्रोलर ने एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों को दी मंजूरी; मॉडर्ना, फाइजर और J&J की वैक्सीन उपलब्ध होगी
विदेशी वैक्सीन की राह खुली: ड्रग कंट्रोलर ने एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों को दी मंजूरी; मॉडर्ना, फाइजर और J&J की वैक्सीन उपलब्ध होगी
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 13 मिनट पहले कॉपी लिंक भारत के ड्रग रेगुलेटर-ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने वैक्सीन पर बनी एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों को मान लिया है। यानी अब मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) की वैक्सीन को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (NEGVAC) ने अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन,…
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