#मैं दिन चाहता हूँ
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delhidreamboy · 1 year ago
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दोस्त की बीवी के साथ रात भर चुदाई
दोस्तो, सबसे पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ.
मेरा नाम समीर है मैं बहराइच शहर का रहने वाला हूँ. मैं पाँच फिट ग्यारह इंच लम्बा हूँ और मेरे बाल काफ़ी लम्बे हैं.
मैं अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा स्मार्ट हूँ.
सेक्स मेरी कमज़ोरी है.
किसी भी लड़की को देखता हूँ तो अपने पर कंट्रोल नहीं कर पाता और मौक़ा मिलते ही मुठ मार लेता हूँ.
मैं अपने दोस्त जुनैद खान की शादी में ना जा सका था.
उस दिन किसी काम के सिलसिले में फंस गया था.
उसके बाद मैं अपने कामों में ऐसा फंसा कि क़रीब पाँच साल तक दोस्ती यारी सब भूल गया.
जब मैं काम से थोड़ा आजाद हुआ तो दोस्तों की याद आई.
मगर अब दोस्त भी सब अपने अपने कामों में लगे हुए थे.
फिर एक दिन अचानक से जुनैद से यहीं मार्केट में मुलाक़ात हुई.
उसके साथ उसकी बीवी भी थी.
हम दोनों दोस्त अपनी बातों में मस्त हो गया.
कुछ देर में मेरी नज़र जुनैद की बीवी पर पड़ी.
वह बड़ी मस्त माल थी. यह Xxx सेक्सी हिंदी कहानी उसी के साथ की है.
उसके 36 साइज़ के चूचे और 38 इंच की गांड एकदम आग बरपा रही थी.
मैंने भाभी से हैलो की और सॉरी बोलते हुए कहा- सॉरी भाभी, मैंने आप पर ध्यान ही नहीं दिया. हम दोनों दोस्त अपनी पुरानी यादों में मस्त हो गए, माफ़ी चाहता हूँ!
जुनैद की बीवी ने जवाब दिया- आपने मुझ पर ध्यान नहीं दिया, कोई बात नहीं. पर आप शादी में भी नहीं आए. जुनैद हमेशा आपकी बातें करते रहते थे. मैं भी आपसे मिलने को उतावली थी.
ये कहती हुई उसने मेरे हाथ को दबा दिया.
मैं समझ गया कि भाभी चालू माल है.
मैंने बात को खत्म करते हुए हंसते हुए कहा- अरे भाभी, यहीं सब बातें कर लेंगी या कभी घर भी बुलाएंगी.
फिर हमारी बातें ख़त्म हुईं.
भाभी ने जाते वक्त कहा- आपका घर है, जब चाहें आ जाएं. जुनैद तो रात को दो के बाद ही आते हैं. आपकी जब मर्ज़ी हो, आ जाइए.
मैं भाभी का इशारा समझ गया और वहां से निकलते हुआ बोला- ओके भाभी, आपसे जल्दी ही मिलता हूँ.
मैं वहां से निकल गया.
इस बात को दो दिन हो गए थे.
मैं घर पर आराम कर रहा था.
उसी वक्त व्हाट्सैप पर अनजान नम्बर से एक मैसेज आया ‘क्या कर रहे हो मेरी जान!’
मेरे दोस्त अक्सर मैसेज से मुझे परेशान करते रहते हैं तो मैंने इस मैसेज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया कि किसी दोस्त ने अनजान नंबर से मैसेज करके मुझसे शैतानी की होगी.
मैं उस मैसेज का बिना कोई जवाब दिए सो गया.
सुबह जब उठा तो देखा कि उसी नंबर से काफ़ी मैसेज आए हुए थे और दो मिस्ड कॉल भी थीं.
मैंने उसी नंबर पर कॉलबैक की, तो उधर से एक सुरीली सी आवाज़ आई- हैलो मिस्टर समीर, गुड मॉर्निंग. कैसी कटी आपकी रात!
मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे सीधा बोल दिया कि अपनी भाभी के साथ सपने में कबड्डी खेलता रहा.
मेरी इस बात से उस तरफ से ज़ोर ज़ोर की हंसी के साथ आवाज आई- सही पहचाना, मैं ही हूँ आपकी कबड्डी खेलने वाली भाभी.
मैंने एकदम से अपने कहे पर खेद जताते हुए उनसे पूछा- सॉरी मेम, आप कौन?
‘मैं नादिया भाभी बोल रही हूँ.’
मैंने अब स्क्रीन पर उनका नंबर और ट्र�� कॉलर पर आया हुआ नाम देखा.
फिर कहा- जी हां मुझे पता लग गया है. ट्रू कॉलरपर आपका नाम लिखा हुआ आया है. आप बताएं भाभीजान … सुबह सुबह अपने देवर को कैसे याद कर लिया?
वह बोली- सुबह सुबह तो छोड़िए, मैं तो सारी रात से आपको काफ़ी याद कर रही थी. कई मैसेज किये और दो बार कॉल भी किया, पर आपने फ़ोन ही नहीं उठाया. लगता है मुझसे नाराज़ हैं?
मैंने कहा- अरे भाभी जान, आपसे नाराज़ होकर कहां जाऊंगा. अपन तो दिल से ही आपके ही पास हैं.
वह हंसती हुई कहने लगी- काफ़ी अनुभव है आपको बात करने का … लगता है काफ़ी गर्लफ़्रेंड पटा रखी हैं.
मैं बोला- गर्लफ्रेंड तो नहीं, हां आप जैसी कुछ भाभियां हैं. जो समय समय पर अनुभव करवा देती हैं.
नादिया भाभी मेरी बात को क़ाटती हुई बोली- अच्छा वो सब छोड़ो … ये बताओ कि क्या आप मेरे घर आ सकते हैं?
मैंने कहा- कोई ज़रूरी काम हो, तो अभी आ जाऊं?
उधर से जवाब आया- अरे यार समीर … कल से जुनैद घर पर है नहीं. मैं अकेले बोर हो रही हूँ. आप आ जाएंगे तो आपसे जरा दिल बहला लूँगी.
मैं खुश होते हुए बोला- भाभी अभी तो सुबह हुई है, रात को आता हूँ.
उसने कहा- चलो मैं आपका इंतजार करूंगी.
कुछ देर और इधर उधर की बातचीत के बाद मैंने फ़ोन कट कर दिया.
अब मुझे और भाभी को रात का बेसब्री से इंतज़ार था कि कब रात हो और हम दोनों का मिलन हो.
मैं सोच रहा था कि बस कैसे भी करके नादिया भाभी को चोद लूं.
तो मैं नहाने गया तो झांटें साफ कर लीं.
रात होते ही मैंने मेडिकल से दो पैकेट कंडोम के ले लिए और भाभी के घर चला आया.
उनके घर पहुंचते ही मैंने दरवाजे की घंटी बजाई.
कुछ पल बाद दरवाज़ा खुला. दरवाजा खुलते ही मैं भाभी को देखता रह गया.
भाभी तो कहीं से शादीशुदा लग ही नहीं रही थी. उसने शॉर्ट्स और टॉप पहना था.
उसका रेड कलर का टॉप एकदम पारदर्शी था.
उस टॉप में से भाभी के दोनों चूचे और उन पर तने हुए गुलाबी निप्पल साफ़ दिख रहे थे.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
सीन देख कर तो दिल कर रहा था कि अभी ही इसे पकड़ कर चोद दूँ. पर ऐसा करना ठीक नहीं होता है.
सेक्स का जो मज़ा आराम से करने में है, वह ज़बरदस्ती में नहीं है.
हालांकि मेरा मुँह खुला का खुला रह गया था.
भाभी ने इतराते हुए कहा- अन्दर आ जाओ, फिर इस खुले हुए मुँह का इलाज भी कर देती हूँ.
मैं झेंप गया.
अन्दर जाते ही मैंने अपनी पैंट एडजस्ट की क्योंकि मेरा लंड खड़ा हो गया था.
भाभी ने बैठने को कहा और बोली- क्या लोगे, चाय कॉफ़ी!
मैंने कहा- भाभी आप जो देंगी, प्यार से ले लूँगा. वैसे दू�� मिल जाता तो और अच्छा होता.
भाभी मुस्कुराती हुई अपने दूध हिला कर बोलीं- ठीक है, मैं लाती हूँ.
वह किचन जाने के लिए मुड़ी ही थी कि मैंने हाथ बढ़ाया और भाभी को अपनी ओर खींच लिया.
हम दोनों बेड पर गिर गए.
भाभी ने क��ा- अरे, ये क्या कर रहे हो देवर जी?
मैंने कहा- भाभी, मैं तो दूध ताज़ा वाला ही पीता हूँ.
ये कहते हुए मैंने भाभी का टॉप तेज़ी से खींचा और उसको बाहर निकाल फेंका.
मैं उसके दोनों रसभरे चूचों पर टूट पड़ा.
भाभी की 36 साइज़ की चूचियां मेरे हाथों में नहीं आ रही थीं.
नादिया भाभी को अपने नीचे दबा कर उसकी दोनों चूचियों को हाथ से पकड़ कर मसलने लगा और एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर खींच खींच कर चूसने लगा.
भाभी की मादक आहें और कराहें निकलना शुरू हो गईं.
मैंने क़रीब दस मिनट तक भाभी के दोनों चूचे चूसे … और चूस चूस लाल कर दिए.
अब हम दोनों का किस चालू हुआ.
मैं भाभी के पूरे बदन पर किस करता रहा.
वह आपे से बाहर हो रही थी.
किस करते करते मैं नीचे को सरकने लगा और भाभी की चूत पर आ गया.
भाभी की चूत शॉर्ट्स से ढकी हुई थी.
मैंने झटके से शॉर्ट्स को उतारा और चूत के अन्दर अपनी ज़ुबान डाल कर चूसने लगा.
अपनी चूत पर मेरी जुबान का अहसास पाते ही भाभी एकदम से सिहर उठी और छटपटाने लगी.
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने हाथों से दबोचा और चूत को चाटना शुरू कर दिया.
भाभी की चिकनी चूत एकदम कचौड़ी सी फूली हुई थी और रस छोड़ रही थी.
उसकी चूत का नमकीन रस चाटने से मुझे नशा सा आ गया और मैं पूरी शिद्दत से उसकी चूत को चाटने में तब तक लगा रहा, जब तक चूत का पानी नहीं निकल गया.
मैं चूत का रस चाटने लगा और चाट चाट कर भाभी की चूत को वापस कांच सा चमका दिया.
अब वह एकदम से निढाल हो गई थी और तेज तेज सांसें भर रही थी.
कुछ देर के बाद मैं उसके चेहरे को चूमने लगा तो वह बोली- सच में बड़े जानवर हो तुम … तुमने मेरी चूत में से पानी निकाल कर इसमें दोगुनी आग लगा दी है.
मैंने कहा- नादिया मेरी जान … अभी फायर बिर्गेड वाला पाइप खड़ा है … कहो तो तत्काल पाइप घुसेड़ कर आग बुझा दूँ.
वह बोली- आग तो बुझवानी ही है, पर उसके पहले मुझे उस पाइप को प्यार करना है जो मेरी आग बुझाएगा.
मैंने कहा- हां हां कर लो प्यार!
ये कहते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया.
उसने लंड मसलते हुए कहा- ये तो बड़ा अकड़ रहा है. इसे पहले मेरे मुँह में डालो … मैं इसकी अकड़ निकालती हूँ.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
नादिया भाभी ने मेरे लंड को बहुत प्यार से चूसा और उसे एकदम गर्म लोहे से तप्त सरिया बना दिया.
वह मेरे लौड़े को गले के ��खिरी छोर तक लेकर चूस रही थी.
मैंने आह भरते हुए कहा- आह भाभी … मेरी जान और चूसो.
उधर भाभी भी दुबारा से गर्मा गई थी.
उससे रहा ना गया और वह बोली- समीर, मैं बहुत प्यासी हूँ. पहले मेरी चूत की प्यास मिटा दो. जुनैद के साथ कभी ऐसा मज़ा नहीं आया. वह तो मेरे ऊपर चढ़ता है और दो मिनट में झड़ कर सो जाता है. आज तक न तो उसने कभी मुझे ओरल सेक्स का सुख नहीं दिया.
मैंने कहा- अरे मेरी भाभी जान … अभी तो ये शुरुआत है. अगर आपको मुझसे चुदवाने में मज़ा ना आया, तो मेरा नाम भी समीर नहीं.
बस ये कह कर मैंने भाभी को अपनी तरफ़ खींचा और लंड पर कंडोम लगा कर अपने लंड को भाभी की मखमली चूत पर सैट कर दिया.
लौड़े को सैट करते ही मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा. मेरा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया.
एकदम से लौड़े ने चूत को फाड़ा, तो भाभी की चीख निकल गई.
भाभी की आंख से आंसू निकल आए और वह चिल्लाने लगी- समीर, मेरी चूत फट गई है, प्लीज़ निकाल लो.
लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और दोबारा झटका मार कर अपने लंड को पूरा अन्दर तक डाल दिया.
फिर मैं थोड़ी देर रुक गया.
Xxx सेक्सी भाभी दर्द से चीखती रही और छटपटाती रही.
कुछ देर बाद जब भाभी के चेहरे पर थोड़ा बदलाव आया और वह अपनी गांड को थोड़ा थोड़ा हिलाने लगी, तो मैं समझ गया कि भाभी को मज़ा आने लगा है.
अब मैंने भाभी को और तेज़ी से चोदना चालू कर दिया.
भाभी का सुर बदल गया था और वह बार बार कह रही थी- समीर, और तेज चोदो … और तेज.
यही सब कहते हुए वह अपने सर को इधर से उधर पटक रही थी.
हम दोनों की चुदाई का यह सिलसिला क़रीब बीस मिनट तक चला.
उसके बाद वह झड़ गई और उसके झड़ते ही मैं भी कंडोम में निकल गया.
झड़ने के बाद काफी थकान हो गई थी तो हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
आधा घंटा बाद उठे और वापस चुदाई चालू हो गई.
उस रात हम दोनों ने चार बार सेक्स किया.
यह सिलसिला अभी तक चल रहा है.
मैं आगे बताऊंगा कि भाभी की बहन को सेक्स की गोली खिला कर उसकी सील पैक चूत को कैसे चोदा.
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sstkabir-0809 · 1 year ago
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( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part117
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर ज�� का मोहिनी स्त्री के रू�� पर मोहित होना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले गए थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना देवी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न स्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला नहीं हूँ। कुछ ही समय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्यों-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम ��ार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। पुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गये डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग समूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपने पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
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क्रमशः__________
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https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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ianamika27 · 2 years ago
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किसी अलसायी सी दोपहर के बाद ढलती हुई शाम के साथ आना
नुक्कड़ के दुकान से अपने पसंद के समोसे साथ ले आना
आते ही ये कह कर समोसे गरम है रसोई से मेरी पसंद के गुड़ और अदरक वाली चाय बना लाना
मैं अगर ना भी पुछु तो पिछले हफ्ता कैसा बीता ये बताना ये भी बताना, आज इधर आना कैसे हुआ करना इधर उधर की बाते करना फिर जिक्र थोड़ी बाजार के उथल पुथल की करना क्रिकेट पे कुछ बताना और थोड़ी राजनीती और प्रौद्योगिकी भी हाल सुनाना
हलकी सी मुस्कान के साथ चाय की चुस्की लेते हुए सब सुनकर भी चुप रहूं तो मेरी आँखों को धुप से बचाते हुए बालकनी के परदे खिसका हर मेरी बगिया का हाल पूछना, मुझसे गुलमोहर और हारश्रिंगार पूछना बारिश, संगीत और मेज पे पड़ी किताब के बारे में पूछना
यकीनन बोल पडूँगी, अलसायी सी दोपहर के बाद भी
फिर चढ़ती रात से पहले ये कहते हुए, इस बार बर्तन तुम धो लेना तुम विदा लेना और फिर किवाड़ से मुड़ के ये कहते जाना की ढलती शाम संग मैं हर दिन यहाँ लौट आना चाहता हूँ, यहाँ से जाना नहीं
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famouslovestoryinhindi · 2 years ago
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Love story in Hindi
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देसिकहानियाँ में हम हर दिन एक से बढ़कर एक अजब गजब प्यार की कहानी प्रकाशित करते हैं। इसी कड़ी में हम आज “love story in hindi ” प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है ये आपको अच्छी लगेगी।
short stories in Hindi
लेखक – खुश्बू
श्रेया बहुत खुश थी. क्योंकि उसकी हाल ही में शादी होने वाली थी. लड़का पढ़ा लिखा पढ़ा लिखा और सुंदर सुशील था. और अमेरिका में नौकरी करता था. और वहां श्रेया से बहुत प्यार करता था. श्रेया की शादी उसके पिताजी ने बड़ी धूमधाम से की. क्योंकि वह उनके एकलौती संतान थी. श्रेया घर में सबकी लाडली थी. उसकी विदाई हो चुकी थी, श्रेया को विदाई का इतना रोना नहीं आ रहा था, जितनी खुशी उसे आशीष के साथ जाने में हो रही थी. ऐसे बता दें, कि आशीष और श्रेया बचपन के दोस्त है, साथी स्कूल पड़े, साथी कॉलेज गए. शादी पूरी तरीके से हो चुकी थी. और शादी के अगले दिन उन्हें हनीमून पर निकलना था. श्रेया और आशीष दोनों अपनी कार में बैठकर जा रहे थे. और श्रेया से बात करने के चक्कर में कार का ट्रक से भीषण एक्सीडेंट हो गया. और आशीष की वही मौके पर ही मौत हो गई. और श्रेया को मामूली खरोच आई. श्रेया के तो जैसे प्राणी निकल गए 1 दिन पहले ही शादी हुई और विधवा हो गई, श्रेया के लिए सब कुछ टूट चुका था. वह अंदर से ही मर चुकी थी. और ऊपर से रोज उसके साथ ससुर उसे ताने देते. फिर एक दिन स्वर्गीय आशीष की बुआ आई. और उसे मथुरा ले जाने की जिद करने लगी. और ��्रेया और आशीष के मां बाप मान गए. और उसे वहां मथुरा विधवा आश्रम में भेज दिया. वहां जाते से ही उसके बाल कटवा दिए गए, सुंदर सी दिखने वाली श्रेया. जो कि अपने बालों से बहुत अत्यधिक प्यार करती थी. उसके भी बाल कटवा दिए गए. अब श्रेया का जीवन नर्क से कम नहीं था, श्रेया रोज आशीष को याद करते करते घुट-घुट कर मरते और सोचती कि मेरी ही गलती थी. ना में बात करती, ना आशीष की मौत होती. मैं ही जिम्मेदार हूं, और फिर एक दिन विधवा आश्रम में मुंबई का एक छात्र विक्रांत आया. विक्रांत दिखने में बहुत ही खूबसूरत था. और फोटोग्राफी का कोर्स कर रहा था. वह एक प्रोजेक्ट के तहत विधवा आश्रम आया था. वहां पर उसे विधवा आश्रम मैं जीवन के विषय का टॉपिक मिला था. उसने विधवा आश्रम के पंडित जी से बात कर ली थी. कि वह वही रहेगा, 1 महीने तक, पंडित जी मान चुके थे. विक्रांत बहुत ही खुशमिजाज इंसान था. जहां भी जाता, खुशियां फैला देता विधवा आश्रम में जाते से ही उसने दुखी विधवाओं के चेहरे पर मुस्कान सी ला दी. पंडित जी भी उसे बहुत खुश थे. वह बहुत शरारती था. तो सारी महिला उसके साथ हास-परिहास करती थी. फिर एक दिन उसने श्रेया को देखा और उसे भी हंसाने की कोशिश की पर वह नाकामयाब रहा. फिर एक महीने के अंदर उसे श्रेया से प्यार हो गया. उसने श्रेया से कहा, कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं.
और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं. श्रेया ने मानने से मना कर दिया, और कहां की वह कभी शादी नहीं करेगी. क्योंकि उसके कारण आशीष की जान गई थी. विक्रांत के लाख समझाने पर भी श्रेया नहीं मानी. पर श्रेया फिर भी विक्रांत ने जिद नहीं छोड़ी. फिर एक दिन विक्रांत ने इस विषय में पंडित जी से बात की पंडित जी उसकी बात सुनकर आग बबूला हो गए. और उसे बुरी तरीके से पीटा गया. फिर भी विक्रांत के हौसले और प्यार कम नहीं हुआ. फिर विक्रांत श्रेया को लेने के लिए आया. विक्रांत को उसे देखकर श्रेया को रोना आ गया.श्रेया ने कहा, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं. पर तुम भी मर जाओगे. विक्रांत ने समझाया जीवन मरण, भगवान के हाथ में है. इंसान के हाथ में कुछ नहीं होता. पर फिर भी श्रेया संकोच में थी और फिर पंडित जी ने दोनों को बात करते हुए देख लिया. पंडित जी का क्रोध सातवें आसमान पर था उन्होंने बाहर से अखाड़े के आदमियों को बुलाया. और विक्रांत की पिटाई करना शुरु की इतना देख कर श्रेया से रहा नहीं गया, और श्रेया ने विक्रांत को बचा लिया. दोनों की अब शादी हो चुकी है, दोनों बहुत खुश है, और साल में तीन से चार बार विधवा आश्रम में जाकर सेवा देते हैं.
मैं आशा करता हूँ की आपको ये ” hindi stories for reading” कहानी आपको अच्छी लगी होगी। कृपया इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ फेसबुक और व्हाट्स ऍप पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। धन्यवाद्। ऐसी ही और कहानियों के "Short story in Hindi with moral" लिए देसिकहानियाँ वेबसाइट पर घंटी का चिन्ह दबा कर सब्सक्राइब करें। इस कहानी का सर्वाधिकार मेरे पास सुरक्छित है। इसे किसी भी प्रकार से कॉपी करना दंडनीय होगा।
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shaditodnekeupay · 1 month ago
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Shadi Todne Ka Totka शादी तोड़ने का टोटका
Apni Shadi Rokne Ke Upay कौनसा है
Shadi Todne Ki Pooja शादी तोड़ने की महा पूजा कौनसी है
Shadi Rokne Ki Pooja शादी रोकने की पूजा कौनसी है
Shadi Rokne Ka Mantra शादी रोकने का महामंत्र कौनसा है
Kisi Ki Shadi Ya Rista Todne Ka Totka कौनसा है
Apni Shadi Todne Ka Mantra कौनसा है
Premika Ki Shadi Todne Ka Tarika कौनसा है
Dushman Ki Shadi Todne Ka Upay कौनसा है
Kisi Ki Shadi Todne Ke Upay कौनसा है
Dost Ki Shadi Todne Ke Upay कौनसा है
Marriage Todne Ka Upay शादी तोड़ने का महा-टोटका कौनसा है
Boyfriend Ki Shadi Kaise Tode
Premika Ki Shadi Tudwane Ke Upay कौनसा है
Premi Ki Shadi Todne Ke Totke In Hindi कौनसा है
Apni Shadi Todne Ke Totke कौनसा है
Marriage Todne Ka Totka विवाह तोड़ने का टोटका कौनसा है
Shadi Tudwane Ka Totka शादी तुड़वाने का टोटका कौनसा है
Kisi Ki Shadi Todne Ka Totka कौनसा है
Shadi Todne Ka Mantra शादी तोड़ने का महामंत्र कौनसा है
Khud Ki Shadi Todne Ka Upay कौनसा है
Apni Shadi Todne Ka Upay In Hindi कौनसा है
Rishta Todne Ka Upay रिश्ता तोड़ने का उपाय कौनसा है
Rishta Todne Ka Totka रिश्ता तोड़ने का टोटका कौनसा है
Sagai Todne Ka Totka सगाई/मंगनी तोड़ने का टोटका कौनसा है
Sagai Todne Ka Upay सगाई तोड़ने का उपाय कौनसा है
Sagai Todne Ke Upay सगाई तोड़ने के उपाय कौनसा है
Shadi Rokne Ke Totke शादी रोकने के टोटके कौनसा है
Shadi Rokne Ka Totka शादी रोकने का टोटका कौनसा है
Shadi Rokne Ka Upay शादी रोकने का उपाय कौनसा है
Shadi Rokne Ke Upay शादी रोकने के उपाय कौनसा है
Shadi Todne Ke Totke शादी तोड़ने के टोटके कौनसा है
Shadi Todne Ka Totka शादी तोड़ने का टोटका कौनसा है
Shadi Todne Ka Upay शादी तोड़ने का उपाय कौनसा है
Shadi Todne Ke Upay शादी तोड़ने के उपाय कौनसा है
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अगर आपके लवर की शादी हो रही और आप उस शादी को तोडना चाहते है तो आप इस टोटके को कर सकते है
टोटका करने हेतु यह सामग्री इकट्ठी कर लें मिट्टी का कलश सूजी नीम के पत्ते मिट्टी का दीपक नींबू काला कपडा
गृहथमिक तंत्र के अनुसार Shadi Todne Ke Upay कर सकते है. यदि आपको तंत्र ग्रंथों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है लेकिन यदि आप इन तंत्र ग्रंथों में वर्णित उपाय करना चाहते है तो हम तंत्र ग्रंथों का अध्यन्न करके आपके लिए नींबू से Shadi Todne Ke Upay टोटका लिख रहे है. अमावस्या की रात में आप ऊपर बताये सारे सामान को लेकर शमशान में चले जाएं तथा कलश को भूमि पर रखकर चारों तरफ पानी से एक चक्र बना लें. इसके बाद में आप उस कलश के अंदर एक मुट्ठी सूजी डाल लें तथा उस सूजी के ऊपर आप नीम के कुछ पत्ते रखकर छोड़ दें. नींबू से Shadi Todne Ke Upay का तांत्रिक प्रयोग कैसे करें? यदि आप तांत्रिक पद्धति से किसी की शादी तोड़ने या रोकने की सोच रहे है तो जानकारी आपकी मदद जरुर करेगी. इतना हो जाने के बाद में आप उस कलश ने भीतर एक मिट्टी का दीपक जलाकर छोड़ दें तथा उस कलश के अंदर सात बार उस व्यक्ति का नाम पुकारे जिसकी शादी को तोडना या रोकना चाहते है. अब आप सात नींबू लेकर उस कलश के अंदर सूजी के ऊपर रख दें तथा अपने मन में वशीकरण के इस मंत्र का जाप कर लें.
मंत्र….. ॐ क��रं क्रीं क्रों कामाख्या देवी नमोः नमः
मैं नींबू से Shadi Todne Ke Upay करना चाहता/चाहती हूँ अतः मुझे कोई टोटका बताये? पिछले कुछ समय से हम सोच रहे है नींबू से Shadi Todne Ke Upay करने वाले टोटके के बार में बात की जाये लेकिन समय के चलते हम ऐसा नहीं कर पाए किन्तु आज हमसे समय निकालकर इस टोटके को लिखा है. मंत्र को बोल लेने के बाद में आप सभी नींबू को कलश से बाहर निकाल लें तथा सभी के ऊपर अपने मुख की लार से उस व्यक्ति का नाम लिख दें जिसकी शादी को खंडित करना चाहते है. अब उन सभी नींबू को काटकर उस कलश के अंदर निचोड़ दें तथा उस कलश के मुहं पर एक काला कपडा बांध दें. नींबू से Shadi Todne Ke Upay करने हेतु कौनसा मुहूर्त श्रेष्ठ होता है? यदि आप नींबू से वशीकरण करना चाह रहे है तो आप इस हेतु नक्तनकरा मुहूर्त का चयन कर सकते है ताकि आपको आपके परिश्रम का फल जल्द से जल्द मिल सके. अब आप अपने स्थान से खड़े हो जाएं तथा उस कलश को हाथ में लेकर किसी चिता के परिक्रमा कर लें तथा इस कलश को उस व्यक्ति के घर के बाहर रख दें जिसकी शादी को तोडना हो. यदि कोई व्यक्ति इस विधि को कर लेगा तो केवल 07 दिन में अपने प्रेमी या प्रेमिका की शादी को तोड़ पायेगा।
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shayarikitab · 2 months ago
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Best 100+ दिल की खामोशी शायरी | Khamoshi Shayari Status
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Khamoshi Shayari Status – दुख के क्षणों में मौन अक्सर हमारा आश्रय बन जाता है। ऐसे अनगिनत कारण हैं जो हमें इस शांत वापसी की ओर ले जा सकते हैं। कभी-कभी, यह किसी के कठोर शब्दों या कार्यों से घायल हुए दिल का दर्द होता है। ��न्य बार, यह अनकही भा��नाओं का भार या टूटे वादों का दर्द होता है। जब कोई ऐसा व्यक्ति जिस पर हम गहराई से भरोसा करते हैं और जिसे हम संजोते हैं, चला जाता है, तो जो बचता है वह केवल शब्दों की अनुपस्थिति नहीं है - यह हमारी आत्मा की खामोशी है। इन क्षणों में, हम अपने आप में वापस चले जाते हैं, बोलने के लिए अनिच्छुक या असमर्थ होते हैं, अपने विचारों की शांति में सांत्वना की तलाश करते हैं। यह खामोशी खालीपन नहीं है, बल्कि अनकही पीड़ा और लालसा से भरी जगह है। अगर आप इस पेज पर आए हैं, तो आप Khamoshi Shayari Status खोज रहे होंगे जो आपके दिल की बात कहे। चाहे दिल टूटना हो या गहरी चोट के बाद की खामोशी, ये शायरी और स्टेटस उन भावनाओं को पकड़ने के लिए हैं। आप इन्हें अपने Whatsapp Status में इस्तेमाल कर अपनी खामोशी की गहराई को व्यक्त कर सकते हैं, तथा अपने आस-पास के लोगों को बता सकते हैं कि इस खामोशी के पीछे एक कहानी, एक दर्द और शायद समझे जाने की एक तड़प छिपी है।
Khamoshi Shayari
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एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए… एक उम्र गुज़ार देंगे तुम्हें महसूस करते हुए…
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उससे फिर उसका रब फ़रामोश हो गया जो वक़्त के सवाल पर ख़ामोश हो गया।
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खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है।
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कितना बेहतर होता हैं खामोश हो जाना, ना कोई कुछ पूछता है, ना किसी को कुछ बताना पड़ता है।
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मुद्दत से बिखरा हूँ सिमटने मे देर लगेगी खामोश तन्हाई से निपटने मे देर लगेगी तेरे खत के हर सफहे ��ो पढ़ रहा हूँ मै हर पन्ना पलटने मे यकीनन देर लगेगी।
दिल की खामोशी शायरी
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ख़ामोशी की तह में छुपा लीजिए सारी उलझनें, शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता
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कुछ हादसे इंसान को इतना खामोश कर देते हैं कि जरूरी बात कहने को भी दिल नहीं करता 🖤🥀।
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मैं एक गहरी ख़ामोशी हूं आझिंझोड़ मुझे, मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे। यानी ये खामोशी भी किसी काम की ��ही यानी मैं बयां कर के बताऊं के उदास हूं मैं…
खामोशी शायरी 2 लाइन
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शब्द, मन, जज्बात, एक एक करके सब खामोश हो गए।
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लफ़्जों का वज़न उससे पूछो… जिसने उठा रखी हो ख़ामोशी लबों पर… उदास है मेरी ज़िंदगी के सारे लम्हे एक तेरे खामोश हो जाने से हो सके तो बात कर ले ना कभी किसी बहाने से …. मैंने अपनी खामोशी से, कई बार सुकून खरीदा है…! आंखों में दबी खामोशी को….. पढ़ नहीं पाओगे तुम… कि मैंने सलीके से….. इन पलकों में सब छुपा रखा है। ख़ामोश समझ कर किसी को हल्के में ना लेना साहब, राख में फूंक मारने से कई बार मुंह जल जाया करता है..ll 💯🔥 जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए, ना खामोशी…. वो मेरा दर्द भला कैसे जान पाएंगे.. जो लोग अपनी ग़लती कभी मान ही नहीं पाते, वो किसी और को, अपना क्या मान पाएंगे..?? वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए।
जिंदगी खामोशी शायरी
हो रहा हूँ करीब तुझसे जैसे खीँच रही कोई डोर है, बाहर तेरे ना होने की खामोशी और भीतर तेरा ही शोर है….❤🌸✨💫 किसी ने हिज्र का ऐसा ग़म बसर नहीं किया , खामोश होकर चल दिये अगर-मगर नहीं किया , .हुज़ूर हमसे बेवफ़ाई का गिला न कीजिये , यही तो एक काम है जो उम्र भर नहीं किया। कुछ वक्त खामोश होकर भी देख लिया हमने,💯🥀🌸 फिर मालूम हुआ कि लोग सच मे भूल जाते हैं। ❝मेरे दिल को अक्सर छू लेते है ख़ामोश चेहरे, हंसते हुए चेहरों में मुझे फरेब नज़र आता हैं।❜❜ हूं अगर खामोश तो ये न समझ कि मुझे बोलना नहीं आता….😐 रुला तो मैं भी सकता था पर मुझे किसी का दिल तोड़ना नहीं आता। कुछ दर्द खामोश कर देते हैं, वरना मुस्कुराना कौन नही चाहता….🖤🥀💫। तू मेरे दिन में , रातों में खामोशी में , बातों में बादल के हाथों मैं भेजू तुझ को यह पयाम तेरी याद हमसफर सुबह-ओ-शाम तेरी याद हमसफर सुबह-ओ-शाम। शुरुआत में खामोशी पढ़ने वाले , अंत में चीखें भी अनसुनी कर देते हैं ।। 💔🥀 लोगों को शोर में नींद नहीं आती, मुझे एक इंसान की खामोशी सोने नहीं देती… ये खामोशी की कहानी भी बड़ी बेजुबानी है हर किसी ने कहाँ इसे खुद से जानी है.. बैठकर ख़ामोश, आजमाएंगे देखते हैं कब तुमको याद आएंगें..!! कोई तो गिनती होगी मेरी भी कहीं सनम किसी के नाम के बाद, हम भी आएंगें….!!!! उन्हें चाहना हमारी कमजोरी हैं, उन से कह नही पाना हमारी मजबूरी हैं, वो क्यूँ नही समझते हमारी ख़ामोशी को क्या प्यार का इज़हार करना जरुरी है। अधूरी कहानी पर खामोश होठों का पहरा है, चोट रूह की है इसलिए दर्द जरा गहरा है !
खामोशी ही बेहतर है शायरी
में कोई खामोश सी ग़ज़ल जैसा हूं, या हूं कोई नज़्म जैसा धीमे से गुनगुनाता हुआ… तभी तो वो भी मुझे पढ़ते हैं आहिस्ते आहिस्ते से….❤🌸💫। जु़बां ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा , उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा…..❤🌸💫। हालातों ने कर दिया हमें खामोश वरना 😔 हमारे रहते हर महफिल में रौनक रहती थी..!!❤️‍🩹। जब आपकी आवाज किसी को चुभने लगे तो तोहफे में उसे अपनी खामोशी दे दो…।😌 विधाता की अदालत में वकालत बहुत न्यारी है खामोश रहिए कर्म कीजिये मुकदमा सब का जरी है 🙌 किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हें, बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे। खामोशी मेरी , बातें तुम्हारी शामें मेरी , रातें तुम्हारी सबसे महंगी लगती है मुझे फुर्सतें मेरी , और मुलाकातें तुम्हारी 😌 ये खामोश से लम्हें ये गुलाबी ठंड के दिन* तुम्हें याद करते-करते एक और चाय तुम्हारे बिन … ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना मैने…. कभी पढ़ना ध्यान से चीखते कमाल है…….✍️। वो कहने लगे की कुछ तो बोलो हमने कहा…… हमे खामोश ही रहने दो लोग अक्सर हमारी बाते सुनकर रूठ जाया करते है……..✍️। मेरी खामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, और शिकायत के दो लफ्ज़ कहूं तो चुभ जाते हैं। “बिखरे है अश्क कोई साज नही देता खामोश है सब कोई आवाज नही देता कल के वादे सब करते है । मगर क्यू कोई साथ आज नही देता । 🖇️❤️🦋 कुछ अजीब सा चल रहा है, ये वक्त का सफर , एक गहरी सी खामोशी है खुद के अंदर। झूठ की जीत उसी वक्त तय हो जाती है जब सच्चाई जानने वाला इंसान खामोश रह जाता है। Read Also   Read the full article
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sanewshimachal · 2 months ago
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🌷 बुजुर्गों का महत्व 🌷
आजकल बहुत लोग सोचते है की अगर कोई बूढ़ा इंसान है तो उसका कोई महत्त्व नहीं है। लेकिन आज आप लोगों को एक कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूँ की बुजुर्गों का महत्त्व क्या है। तो चलिए दोस्तों शुर�� करते है आज का कहानी "दूध की नदी"।
एक बार की बात है, एक लड़का था जिसका नाम "रवि" था और वो एक शहर में नौकरी करता था। उसके साथ एक लड़की भी काम करती थी जिसका नाम "कोमल" था। काम करते-करते ये दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और विवाह करने की सोची। फिर इन दोनों ने अपने- अपने घर में यह बात बताई, लड़के के घर वाले बहुत खुले विचार के थे तो वो बहुत जल्दी मान गए लेकिन लड़की के पिता को ये पसन्द नही था और जब लड़के के घरवाले लड़की के घर लड़की का हाथ मांगने पहुँचे तो कोमल के पिता ने एक शर्त रख दी कि बारात में कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति नही आएगा तो सबने बिना विचारे उनकी वो शर्त मान ली और दोनों परिवार विवाह की तैयारी करने लगे।सब बहुत प्रसन्न थे क्योंकि आज वो दिन था जब रवि और कोमल का विवाह होना है। तो सब तैयार थे, अब बारात निकलने का समय आया, तभी रवि के दादा ने ज़िद पकड़ ली की वो तो बारात में जायेंगे। सब लोगों ने मना किया लेकिन वो अपने जिद्द पर अडिग ही रहे, उन्होंने कहा - "भले ही मुझे कार की डिग्गी में डाल के ले जाओ, लेकिन में जाऊंगा "। फिर सब लोगो को उनकी बात माननी पड़ी, उन्हें कार की डिग्गी में डाल दिया गया और बारात निकल पड़ी। सब नाचते गाते जा रहे थे, (कोमल के घर से थोड़े दूर में एक नदी थी जिससे पार करने के बाद एक पहाड़ आता था उसके बाद कोमल का घर), जब बारात पूल पार करने वाली थी उन्होंने देखा लड़की के मामा वहा खड़े है। बारात रुक गई, रवि के दोस्त ने कोमल के मामा से पूछा की "क्या हुआ? आप यहाँ क्या कर रहे है?", कोमल के मामा ने कहा की "मैं यहाँ बस तुम लोगों को यह बताने के लिए आया हूँ की अगर तुम लोग अपनी बारात हमारे गाँव मे लाना चाहते हो और ये विवाह करना चाहते हो तो हम लोगों की एक और शर्त है। और वो यह है की - ये जो नदी है इसमे तुम्हे पानी की जगह दूध बहाना होगा"। ये बोलने के बाद वो वहाँ से चले गए। तब ���वि के दोस्तों ने कहा की ये असंभव है इतना दूध कहाँ से लाएंगे, अब ये विवाह नहीं हो सकता और बारात वापस जाने लगी और दूर से कोमल के मामा और पिता ये देख के हँसने लगे। बारात वापिस हो रही थी तभी एक दोस्त ने कहा विवाह तो होना नही तो दादा जी को भी डिग्गी से बाहर निकाल लो उनका भी क्यों दम घोटना। डिग्गी खोली तो दादा जी ने पूछा "क्या हुआ? हम लोग वापस क्यों जा रहे है?", रवि ने उत्तर दिया "क्योंकि दादाजी उन्होंने विवाह की एक और शर्त रखी है,,वो लोग चाहते है की इस नदी में पानी के जगह दूध बहाया जाए, जो की असंभव है "। "बस इतनी सी बात है ?", दादा जी ने कहा। सब उनकी ये बाते सुन के सोचने लगे क्या ��े इतनी सी बात है? फिर बुजुर्ग दादा ने कहा "जाओ और कोमल के मामा को बोलो हमने दूध की व्यवस्था कर ली है,,अब तुम लोग इस नदी को खाली करो, जिससे हम इसमे दूध बहा सके। जब ये बात कोमल के पिता को पता लगी, उन्होंने कहा अवश्य उनके साथ कोई न कोई बुजुर्ग व्यक्ति जरूर है जिसने ये समाधान निकाला है !उसके बाद कोमल के पिता बिना शर्तो के विवाह के लिए मान गए। क्योंकि जिनके ऊपर बुजुर्गों के अनुभव की छत्र छाया होती है वह हर समस्या को बड़ी आसानी से पार कर जाते है, इसके बाद रवि और कोमल की एक अच्छे भविष्य की शुरूवात होती है। 👉शिक्षा
आप कितना भी कुछ बन जाएं या कितना भी बड़े हो जाये जो बुजुर्गों के पास जिंदगी के अनुभव है वो आपके पास नहीं। उनका आदर करे।
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pradeepdasblog · 3 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart88 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart89
प्रश्न 55 :- धर्मदास ने प्रश्न किया हे प्रभु आपकी कृपा द्वापर युग में और किस पुण्यात्मा पर हुई?
उत्तर :- कबीर परमेश्वर (कविर्देव) ने कहा द्वापर युग में एक चन्द्रविजय नामक राजा की रानी इन्द्रमती को पार किया तथा राजा चन्द्रविजय पर भी कृपा की। परमेश्वर कबीर जी द्वारा बताई "रानी इन्द्रमती को पार करने वाली कथा" लेखक (संत रामपाल दास जी महाराज) के शब्दों में :-
"द्वापर युग में इन्द्रमती को शरण में लेना"
द्वापरयुग में चन्द्रविजय नाम का एक राजा था। उसकी पत्नी इन्द्रमती बहुत ही धार्मिक प्रवृति की औरत थी। संत-महात्माओं का बहुत आदर किया करती थी। उसने एक गुरुदेव भी बना रखा था। उनके गुरुदेव ने बताया था कि बेटी साधु-संतों की सेवा करनी चाहिए। संतों को भोजन खिलाने से बहुत लाभ होता है। एकादशी का व्रत, मन्त्र के जाप आदि साधनायें जो गुरुदेव ने बताई थी। उस भगवत् भक्ति में रानी बहुत दृढ़ता से लगी हुई थी। गुरुदेव ने बताया था कि संतों को भोजन खिलाया करेगी तो तू आगे भी रानी बन जाएगी और तुझे स्वर्ग प्राप्ति होगी। रानी ने सोचा कि प्रतिदिन एक संत को भोजन अवश्य खिलाया करूँगी। उसने यह प्रतिज्ञा मन में ठान ली कि मैं खाना बाद में खाया करूँगी, पहले संत को खिलाया करूँगी। इससे मुझे याद बनी रहेगी, कहीं मुझे भूल न पड़ जाये। रानी प्रतिदिन पहले एक संत को भोजन खिलाती फिर स्वयं खाती। वर्षों तक ये क्र�� चलता रहा।
एक समय हरिद्वार में कुम्भ के मेले का संयोग हुआ। जितने भी त्रिगुण माया के उपासक संत थे सभी गंगा में स्नान के लिए (प्रभी लेने के लिए) प्रस्थान कर गये। इस कारण से कई दिन रानी को भोजन कराने के लिए कोई संत नहीं मिला। रानी इन्द्रमती ने स्वयं भी भोजन नहीं किया। चौथे दिन अपनी बांदी से कहा कि बांदी देख ले कोई संत मिल जाए तो, नहीं तो आज तेरी मालकिन जीवित नहीं रहेगी। चाहे मेरे प्राण निकल जाएँ परन्तु मैं खाना नहीं खाऊँगी। वह दीन दयाल कबीर परमेश्वर अपने पूर्व वाले भक्त को शरण में लेने के लिए न जाने क्या कारण बना देता है? बांदी ने ऊपर अटारी पर चढ़कर देखा कि सामने से सफेद कपड़े पहने एक संत आ रहा था। द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे। बांदी नीचे आई और रानी से कहा कि एक व्यक्ति है जो साधु जैसा नजर आता है। रानी ने कहा कि जल्दी से बुला ला। बांदी महल से बाहर गई तथा प्रार्थना की कि साहेब आपको हमारी रानी ने याद किया है। करूणामय साहेब ने कहा कि रानी ने मुझे क्यों याद किया है, मेरा और रानी का क्या सम्बन्ध ? नौकरानी ने सारी बात बताई।
करूणामय (कबीर) साहेब ने कहा कि रानी को आवश्यकता पड़े तो यहाँ आ जाए, मैं यहाँ खड़ा हूँ। तू बांदी और वह रानी। मैं वहाँ जाऊँ और यदि वह कह दे कि तुझे किसने बुलाया था या उसका राजा ही कुछ कह दे बेटी संतों का अनादर बहुत पापदायक होता है। बांदी फिर वापिस आई और रानी से सब वार्ता कह सुनाई। तब रानी ने कहा कि बांदी मेरा हाथ पकड़ और चल। जाते ही रानी ने दण्डवत् प्रणाम करके प्रार्थना की कि हे परवरदिगार ! चाहती तो ये हूँ कि आपको कंधे पर बैठा लूं। करूणामय साहेब ने कहा बेटी! मैं यही देखना चाहता था कि तेरे में कोई श्रद्धा भी है या वैसे ही भूखी मर रही है। रानी ने अपने हाथों खाना बनाया। करूणामय रूप में आए कविर्देव ने कहा कि मैं खाना नहीं खाता। मेरा शरीर खाना खान��� का नहीं है। तो रानी ने कहा कि मैं भी खाना नहीं खाऊँगी। करूणामय साहेब जी ने कहा कि ठीक है बेटी लाओ खाना खाते हैं, क्योंकि समर्थ उसी को कहते हैं जो, जो चाहे, सो करे। करूणामय साहेब ने खाना खा लिया, फिर रानी से पूछा कि जो यह तू साधना कर रही है यह तेरे को किसने बताई है? रानी ने कहा कि मेरे गुरुदेव ने आदेश दिया है? कबीर साहेब ने पूछा क्या आदेश दिया है तेरे गुरुदेव ने? इन्द्रमती ने कहा कि विष्णु-महेश की पूजा, एकादशी का व्रत, तीर्थ भ्रमण, देवी पूजा, श्राद्ध निकालना, मन्दिर में जाना, संतों की सेवा करना। करूणामय (कबीर) साहेब ने कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म और मृत्यु तथा स्वर्ग-नरक व चौरासी लाख योनियों के कष्ट से मुक्ति प्रदान नहीं करा सकती। रानी ने कहा कि महाराज जी जितने भी संत हैं, अपनी-अपनी प्रभुता आप ही बनाने आते हैं। मेरे गुरुदेव के बारे में कुछ नहीं कहोगे। मैं चाहे मुक्त होऊँ या न होऊँ।
करूणामय (कबीर) साहेब ने सोचा कि इस भोले जीव को कैसे समझाएँ? इन्होंने जो पूंछ पकड़ ली उसको छोड़ नहीं सकते, मर सकते हैं। करूणामय साहेब ने कहा कि बेटी वैसे तो तेरी इच्छा है, मैं निंदा नहीं कर रहा। क्या मैंने आपके गुरुदेव को गाली दी है या कोई बुरा कहा है? मैं तो भक्तिमार्ग बता रहा हूँ कि यह भक्ति शास्त्र विरूद्ध है। तुझे पार नहीं होने देगी और न ही तेरा कोई आने वाला कर्म दण्ड कटेगा और सुन ले आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु बचा सकेगा और न तेरी यह नकली साधना बचा सकेगी। (जब मरने की बारी आती है फिर जीव को डर लगता है। वैसे तो नहीं मानता) रानी ने सोचा कि संत झूठ नहीं बोलते। कहीं ऐसा न हो कि मैं तीसरे दिन ही मर जाऊँ। इस डर से करूणामय साहेब से पूछा कि साहेब क्या मेरी जान बच सकती है? कबीर साहेब (करूणामय) ने कहा कि बच सकती है। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, मेरी शिष्या बनेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। इन्द्रमती ने कहा मैंने सुना है कि गुरुदेव नहीं बदलना चाहिए, पाप लगता है।
कबीर साहेब (करूणामय) ने कहा कि नहीं पुत्री यह भी तेरा भ्रम है। एक वैद्य (डाक्टर) से औषधि न लगे तो क्या दूसरे से नहीं लेते? एक पाँचवीं कक्षा का अध्यापक होता है। फिर एक उच्च कक्षा का अध्यापक होता है। बेटी अगली कक्षा में जाना होगा। क्या सारी उम्र पाँचवीं कक्षा में ही लगी रहेगी? इसको छोड़ना पड़ेगा। तू अब आगे की पढ़ाई पढ़, मैं पढ़ाने आया हूँ। वैसे तो नहीं मानती परन्तु मृत्यु दिखने लगी कि संत कह रहा है तो कहीं बात न बिगड़ जाए। ऐसा विचार करके इन्द्रमती ने कहा कि जैसे आप कहोगे मैं वैसे ही करूँगी। करूणामय (कबीर) साहेब ने उपदेश दिया। कहा कि तीसरे दिन मेरे रूप में काल आयेगा, तू उससे बोलना मत। जो मैंने नाम दिया है दो मिनट तक इसका जाप करना। दो मिनट के बाद उसको देखना है। उसके बाद सत्कार करना है। वैसे तो गुरुदेव आए तो अति शीघ्र चरणों में गिर जाना चाहिए। ये मेरा केवल इस बार आदेश है। रानी ने कहा ठीक है जी। रानी को तो चिंता बनी हुई थी। श्रद्धा से जाप कर रही थी। (कबीर मेरे रूप में काल आयेगा, तू उससे बोलना मत। जो मैंने नाम दिया है दो मिनट तक इसका जाप करना। दो मिनट के बाद उसको देखना है। उसके बाद सत्कार करना है। वैसे तो गुरुदेव आए तो अति शीघ्र चरणों में गिर जाना चाहिए। ये मेरा केवल इस बार आदेश है। रानी ने कहा ठीक है जी। रानी को तो चिंता बनी हुई थी। श्रद्धा से जाप कर रही थी। (कबीर साहेब) करूणामय साहेब का रूप बना कर गुरुदेव रूप में काल आया, आवाज लगाई इन्द्रमती, इन्द्रमती। उसको तो पहले ही डर था, स्मरण करती रही। काल की तरफ नहीं देखा। दो मिनट के बाद जब देखा तो काल का स्वरूप बदल गया। काल का ज्यों का त्यों चेहरा दिखाई देने लगा। करूणामय साहेब का स्वरूप नहीं रहा। जब काल ने देखा कि तेरा तो स्वरूप बदल गया। वह जान गया कि इसके पास कोई शक्ति युक्त मंत्र है। यह कहकर चला गया कि तुझे फिर देखूँगा। अब त�� बच गई। रानी बहुत खुश हुई, फूली नहीं समाई। कभी अपनी बांदियों को कहने लगी कि मेरी मृत्यु होनी ��ी, मेरे गुरुदेव ने मुझे बचा दिया। राजा के पास गई तथा कहा कि आज मेरी मृत्यु होनी थी, मेरे गुरुदेव ने रक्षा कर दी। मुझे लेने के लिए काल आया था। राजा ने कहा कि तू ऐसे ही ड्रामें करती रहती है, काल आता तो क्या तुझे छोड़ जाता? ये संत वैसे बहका देते हैं। अब इस बात को वह कैसे माने? खुशी-खुशी में रानी लेट गई। कुछ देर के बाद सर्प बनकर काल फिर आया और रानी को डस लिया। ज्यों ही सर्प ने डसा रानी को पता चल गया। रानी जोर से चिल्लाई। मुझे साँप ने डंस लिया। नौकर भागे। देखते ही देखते एक मोरी (पानी निकलने का छोटा छिद्र) में से वह सर्प घर से बाहर निकल गया। अपने गुरुदेव को पुकार कर रानी बेहोश हो गई।
करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हो गए। लोगों को दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं, किसी जंत्र-मंत्र की आवश्यकता नहीं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया। रानी ने बड़ा शुक्र मनाया कि हे बंदी छोड़ ! यदि आज आपकी शरण में नहीं होती तो मेरी मृत्यु हो जाती। साहेब ने कहा कि इन्द्रमती इस काल को मैं तेरे घर में घुसने भी नहीं देता और यह तेरे ऊपर यह हमला भी नहीं करता। परन्तु तुझे विश्वास नहीं होता। तू यह सोचती कि मेरे ऊपर कोई आपत्ति नहीं आनी थी। गुरुजी ने मुझे बहका कर नाम दे दिया। इसलिए तेरे को थोड़ा-सा झटका दिखाया है, नहीं तो बेटी तेरे को विश्वास नहीं होता।
धर्मदास यहाँ घना अंधेरा, बिन परचय (शक्ति प्रदर्शन) जीव जम का चेरा ।।
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हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण
कबीर साहेब (करूणामय) ने कहा कि अब जब मैं चाहूँगा, तब तेरी मृत्यु होगी।
गरीबदास जी कहते हैं कि :-
गरीब, काल डरै करतार से, जय जय जय जगदीश। जौरा जौरी झाड़ती, पग रज डारे शीश ।।
यह काल, कबीर परमेश्वर से डरता है और यह मौत कबीर साहेब के जूते झाड़ती है अर्थात् नौकर तुल्य है। फिर उस धूल को अपने सिर पर लगाती है कि आप जिसको मारने का आदेश दोगे उसके पास जाऊँगी, नहीं मैं नहीं जाऊँगी।
गरीब, काल जो पीसै पीसना, जौरा है पनिहार। ये दो असल मजूर हैं, मेरे साहेब के दरबार ।।
यह काल जो यहाँ का 21 ब्रह्मण्ड का भगवान (ब्रह्म) है जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश का पिता है। ये तो मेरे कबीर साहेब का आटा पीसता है अर्थात पक्का नौकर है और जौरा (मौत) मेरे कबीर साहेब का पानी भरती है अर्थात् एक विशेष नौकरानी है। यह दो असल मजूर मेरे साहेब के दरबार में हैं। कुछ दिनों के बाद करूणामय (कबीर जी) साहेब फिर आए। रानी इन्द्रमती को सतनाम प्रदान किया। फिर कुछ समय के उपरान्त करूणामय साहेब ने रानी इन्द्रमती की अति श्रद्धा देखकर सारनाम दिया। परम पद की उपलब्धि करवाई। परमेश्वर करूणामय रूप से रानी के घर दर्शन देने जाते रहते थे तो इन्द्रमती प्रार्थना किया करती थी क��� मेरे पति राजा को समझाओ मालिक, यह भी मान जाये। आपके चरणों में आ जाये तो मेरा जीवन सफल हो जाये। चन्द्रविजय से कबीर साहेब ने प्रार्थना की कि चन्द्रविजय आप भी नाम लो, यह दो दिन का राज और ठाठ है। फिर चौरासी लाख योनियों में प्राणी चला जाएगा। चन्द्रविजय ने कहा कि भगवन मैं तो नाम लूं नहीं और आपकी शिष्या को मना करूँ नहीं, चाहे सारे खजाने को ही दान करो, चाहे किसी प्रकार का सत्संग करवाओ, मैं मना नहीं करूँगा। कबीर साहेब (करूणामय) ने पूछा आप नाम क्यों नहीं लोगे? चन्द्रविजय राजा ने कहा कि मैंने तो बड़े-बड़े ��ाजाओं की पार्टियों में जाना पड़ता है। करूणामय (कबीर साहेब) ने कहा कि पार्टियों में जाने में नाम क्या बाधा करेगा? सभा में जाओ, वहाँ काजू खाओ, दूध पी लो, शरबत (जूस) पी लो, शराब मत प्रयोग करो। शराब पीना महापाप है। परन्तु राजा नहीं माना।
रानी की प्रार्थना पर करूणामय (कबीर) साहेब ने राजा को फिर समझाया कि नाम के बिना ये जीवन ऐसे ही व्यर्थ हो जायेगा। आप नाम ले लो। राजा ने फिर कहा कि गुरू जी मुझे नाम के लिए मत कहना। आपकी शिष्या को मैं मना नहीं करूँगा। चाहे कितना दान करे, कितना सत्संग करवाए। साहेब ने कहा कि बेटी इस दो दिन के झूठे सुख को देखकर इसकी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है। तू प्रभु के चरणों में लगी रह। अपना आत्मकल्याण करवा। मृत्यु के उपरान्त कोई किसी का पति नहीं, कोई किसी की पत्नी नहीं। दो दिन का सम्बन्ध है। अपना कर्म बना बेटी। जब इन्द्रमती 80 वर्ष की वृद्धा हुई (कहाँ 40 साल की उम्र में मर जाना था)। जब शरीर भी हिलने लगा, तब करूणामय साहेब बोले अब बोल इन्द्रमती क्या चाहती है? चलना चाहती है सतलोक? इन्द्रमती ने कहा कि प्रभु तैयार हूँ, बिल्कुल तैयार हूँ दाता ! करूणामय साहेब ने कहा कि तेरी पोते या पोती या किसी अन्य सदस्य में कोई ममता तो नहीं है? रानी ने कहा बिल्कुल नहीं साहेब। आपने ज्ञान ही ऐसा निर्मल दे दिया। इस गंदे लोक की क्या इच्छा करूँ? कबीर साहेब (करूणामय) जी ने कहा कि चल बेटी। रानी प्राण त्याग गई।
परमेश्वर कबीर जी (करूणामय) रानी इन्द्रमती की आत्मा को ऊपर ले गए। इसी ब्रह्मण्ड में एक मानसरोवर है। उस मान सरोवर में इस आत्मा को स्नान कराना होता है। इन्द्रमती को वहाँ पर कुछ समय तक रखा। करूणामय रूप में कबीर परमेश्वर जी ने रानी से पूछा की तेरी कुछ इच्छा तो नहीं यदि इच्छा रही तो दुबारा जन्म लेना पड़ेगा। यदि मन में सन्तान व सम्पत्ति या पति, पत्नी आदि की इच्छा थोड़ी सी भी रह गई तो आत्मा सतलोक नहीं जा सकती। इन्द्रमती ने कहा साहेब आप तो अंतर्यामी हो, कोई इच्छा नहीं है। आपके चरणों की इच्छा है। लेकिन एक मन में शंका बनी हुई है कि मेरा जो पति था, उसने मुझे किसी भी धार्मिक कर्म के लिए कभी मना नहीं किया। नहीं तो आजकल के पति अपनी पत्नियों को बाधा कर देते हैं। यदि वह मुझे मना कर देता तो मैं आपके चरणों में नहीं लग पाती। मेरा कल्याण नहीं होता। उसका ��स शुभ कर्म में सहयोग का कुछ लाभ मिलता हो तो कभी उस पर भी दया करना दाता। करूणामय जी ने देखा कि यह नादान इसके पीछे फिर अटक गई। साहेब बोले ठीक है बेटी, अभी तू दो चार वर्ष यहाँ रह।
अब दो वर्ष के बाद राजा भी मरने लगा। क्योंकि नाम ले नहीं रखा था। यम के दूत आए। राजा चौक में चक्कर खाकर गिर गया। यम के दूतों ने उसकी गर्दन को दबाया। राजा की टट्टी और पेशाब निकल गया। करूणामय दाता यदि उसका भक्ति में सहयोग का कोई फल बनता हो तो दया कर लो। रानी को फिर भी थोड़ी-सी ममता बनी थी। परमेश्वर कबीर (करूणामय) ने सोचा की यह फिर काल जाल में फँसेगी। यह सोचकर मानसरोवर से वहाँ गए जहाँ राजा चन्द्रविजय अपने महल में अचेत पड़ा था। यमदूत उसके प्राण निकाल रहे थे। कबीर परमेश्वर जी के आते ही यमदूत ऐसे आकाश
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हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण में उड़ गए जैसे मुर्दे से गिद्ध उड़ जाते हैं। चन्द्रविजय होश में आ गया। सामने करूणामय रूप में परमेश्वर कबीर जी खड़े थे। केवल चन्द्रविजय को दिखाई दे रहे थे, किसी अन्य को दिखाई नहीं दे रहे थे। चन्द्रविजय चरणों में गिर कर याचना करने लगा मुझे क्षमा कर दो दाता, मेरी जान बचाओ। क्योंकि उसने देखा कि तेरी जान जाने वाली है। (जब इस जीव की आँख खुलती है कि अब तो बात बिगड़ गई) राजा चन्द्र विजय गिड़गिड़ाता हुआ बोला मुझे क्षमा कर दो दाता, मेरी जान बचा लो मालिक। कबीर परमेश्वर ने कहा राजा आज भी वही बात है, उस दिन भी वही बात थी, नाम लेना होगा। राजा ने कहा मैं नाम ले लूँगा जी, अभी ले लूँगा नाम। कबीर परमेश्वर ने नाम उपदेश दिया तथा कहा कि अब मैं तुझे दो वर्ष की आयु दूँगा, यदि इसमें एक स्वांस भी खाली चला गया तो फिर कर्मदण्ड रह जाएगा।
कबीर, जीवन तो थोड़ा भला, जै सत सुमरण हो। लाख वर्ष का जीवना, लेखे धरे ना को।।
शुभ कर्म में सहयोग दिया हुआ पिछला कर्म और साथ में श्रद्धा से दो वर्ष के स्मरण से तथा तीनों नाम प्रदान करके कबीर साहेब चन्द्रविजय को भी पार कर ले गये। बोलो सतगुरु देव की जय "जय बन्दी छोड़।"
प्रश्न 56 :- धर्मदास जी ने कहा हे कबीर परमेश्वर ! हमारे को तो ब्राह्मणों (विद्वानों) ने यही बताया था कि पाण्डवों की अश्वमेघ यज्ञ को श्री कृष्ण भक्त सुदर्शन सुपच ने सफल की थी तथा भगवान कृष्ण जी ने गीता में कहा है कि अर्जुन ! युद्ध कर तुझे कोई पाप नहीं लगेगा। ये सर्व योद्धा मेरे द्वारा पहले से मार दिए गए हैं। तू निमित्त मात्र बन जा। यदि तू युद्ध में मारा गया तो स्वर्ग जाएगा, यदि युद्ध में जीत गया तो पृथ्वी के राज्य का सुख भोगेगा। उत्तर :- कबीर परमेश्वर ने कहा धर्मदास ! सुदर्शन सुपच श्री कृष्ण भक्त नहीं था वह पूर्ण ब्रह्म का उपासक था। सुन पाण्डवों के यज्ञ के सम्पूर्ण होने की कथा। कृप्या निम्न पढ़ें पाठक जन प��मेश्वर कबीर जी द्वारा बताया पाण्डव यज्ञ का प्रकरण जो धर्मदास जी ने स्वसम वेद के पद्य भाग में लिखा है। (लेखक के शब्दों में निम्न :-)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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snehagoogle · 3 months ago
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Which is brighter, Venus or the Pole Star
Which is brighter, Venus or the Pole Star
Venus is much brighter than the Pole Star: 
Venus
The planet Venus is the brightest object in the sky, aside from the sun and moon. It's often visible in the hours after sunset or before sunrise. Venus is so bright because its thick clouds reflect most of the sunlight that reaches it back into space. 
Pole Star
The Pole Star, also known as Polaris, is the 48th brightest star in the sky. It's located about 430 light years away from Earth. Polaris is visible every night in the northern sky, marking the due north direction. 
Since at its brightest Venus reaches about magnitude -4.3, and Polaris, the North Star is now almost a constant mag 2.00, Venus is brighter by 6.3 magnitudes, which is roughly 300 times brighter.20 Dec 2019
North Star vs. Venus : r/Astronomy
Reddit · r/Astronomy
10+ comments · 9 years ago
North Star vs. Venus
This may be a silly question, however I want to better understand the difference between the North Star and Venus. Aside from the obvious, one being a star and the other being a planet. Which one is the shiny speck I see in the night sky? Why is there so much confusion regarding the difference between the two?
Venus is only visible near sunset and sunrise. It isn't visible after dark because at night, you are facing away from the Sun. Since Venus is closer to the Sun than the Earth, that means that you are facing away from Venus as well. It isn't visible during the day because the Sun is usually too bright.
The North Star (Polaris) is in a totally different part of the sky. If you find the Big Dipper, then draw a line connecting the front two stars of the "cup", that line will point to Polaris.
Polaris does not seem to move through the sky like the other stars. Think of the Earth as a top spinning on a table. All the other stars and planets are spots around the room, walls, and ceiling. If there was a nail in the ceiling directly above the spinning top, that would be where Polaris is. From the perspective of the top, the nail just seems to spin in place, while everything else moved.
Morning star is the name given toA. pole starB. ...
Vedantu
https://www.vedantu.com › question-answer › morning-s...
So, it is not a morning star.Similarly, star Venus is a part of the constellation i.e. ovion. It is the brightest star in the sky but is not visible in daytime.
Venus is brighter than the Pole Star
But the brightest star in the evening sky is the Moon
Along with the Moon, another shining light is Venus
Translate Hindi
कौन ज्यादा चमकीला है शुक्र ग्रह या ध्रुव तारा
शुक्र ग्रह ध्रुव तारे से कहीं ज़्यादा चमकीला है:
शुक्र
सूर्य और चंद्रमा के अलावा शुक्र ग्रह आकाश में सबसे चमकीला पिंड है। यह अक्सर सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले के घंटों में दिखाई देता है। शुक्र ग्रह इतना चमकीला इसलिए है क्योंकि इसके घने बादल उस तक पहुँचने वाली ज़्यादातर सूर्य की रोशनी को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित कर देते हैं।
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा, जिसे पोलारिस के नाम से भी जाना जाता है, आकाश का 48वाँ सबसे चमकीला तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। पोलारिस हर रात उत्तरी आकाश में दिखाई देता है, जो उत्तर दिशा को दर्शाता है।
चूँकि शुक्र अपने सबसे चमकीले स्तर पर -4.3 परिमाण तक पहुँच जाता है, और पोलारिस, उत्तरी तारा अब लगभग स्थिर मैग 2.00 है, शुक्र 6.3 परिमाण से अधिक चमकीला है, जो लगभग 300 गुना अधिक चमकीला है।20 दिसंबर 2019
उत्तरी तारा बनाम शुक्र : r/खगोल विज्ञान
Reddit · r/खगोल विज्ञान
10+ टिप्पणियाँ · 9 वर्ष पहले
उत्तरी तारा बनाम शुक्र
यह एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न हो सकता है, हालाँकि मैं उत्तरी तारे और शुक्र के बीच के अंतर को बेहतर ढंग से समझना चाहता हूँ। स्पष्ट रूप से, एक तारा है और दूसरा ग्रह है। रात के आकाश में मुझे जो चमकदार धब्बा दिखाई देता है, वह कौन सा है? दोनों के बीच अंतर के बारे में इतना भ्रम क्यों है?
शुक्र केवल सूर्यास्त और सूर्योदय के समय दिखाई देता है। यह अंधेरे के बाद दिखाई नहीं देता क्योंकि रात में, आप सूर्य से दूर होते हैं। चूँकि शुक्र पृथ्वी की तुलना में सूर्य के अधिक निकट है, इसका मतलब है कि आप भी शुक्र से दूर होते हैं। यह दिन के दौरान दिखाई नहीं देता क्योंकि सूर्य आमतौर पर बहुत चमकीला होता है।
उत्तरी तारा (पोलारिस) आकाश के बिल्कुल अलग हिस्से में है। अगर आपको बिग डिपर मिल जाए, तो "कप" के सामने के दो तारों को जोड़ने वाली एक रेखा खींचें, वह रेखा पोलारिस की ओर इशारा करेगी।
पोलारिस दूसरे तारों की तरह आकाश में घूमता हुआ नहीं दिखता। पृथ्वी को टेबल पर घूमता हुआ लट्टू समझिए। बाकी सभी तारे और ग्रह कमरे, दीवारों और छत के इर्द-गिर्द धब्बे हैं। अगर छत पर घूमते हुए लट्टू के ��ीक ऊपर कोई कील होती, तो पोलारिस वहीं होता। लट्टू के नज़रिए से, कील बस अपनी जगह पर घूमती हुई दिखती है, जबकि बाकी सब कुछ हिलता रहता है।
मॉर्निंग स्टार को दिया गया नाम A. पोल स्टार B. ...
वेदांतु
https://www.vedantu.com › question-answer › morning-s...
तो, यह मॉर्निंग स्टार नहीं है। इसी तरह, शुक्र तारा नक्षत्र यानी ओवियन का हिस्सा है। यह आकाश का सबसे चमकीला तारा है, लेकिन दिन में दिखाई नहीं देता।
शुक्र ग्रह ध्रुव तारा से ज्यादा चमकीला है
मगर शाम की आसमान में सबसे ज्यादा चमकीला चांद ही है चांद के संग संग एक और चमकता उजाला शुक्र ग्रह ही है
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praphull-ki-diary · 4 months ago
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~ मेरी सांसे कहीं तुम्हारी गर्दन के आसपास मंडराती रहती है.
~ तुम्हें देखने के बाद बहुत मुश्किलों से मैंने अपनी सांसों पर संयम पाया था.
~ मगर जब तुम मुझे अपने करीब खींच लेती हो तो संयम जैसा कुछ नहीं रहता.
~ तुम्हारी हँसी अलौकिक लगती है. जैसे मुझे मौत से वापिस खींच कर जीवित कर दे.
~ मैं तुम्हें हँसने के मौके तो बहुत कम देता हूँ.
~ आज तुम्हारे लिए एक फूल तोड़ कर रखा था. फूल तोड़ते वक्त मुझे याद नहीं था कि तुम यहां नहीं हो. जैसे मैंने उस फूल को देखा मुझे लगा ये तुम्हारे बालों में बहुत खूबसूरत दिखेगी. और शायद तुम थोड़ा खुश हो जाओगी.
~ बहुत सारे गाने मेरे कान में चल रहे है. हर पंक्ति मुझे तुम्हारी यादों से सराबोर कर देती है. मोहम्मद रफी की “लिखे जो खत तुझे” मुझे हमारी कहानी लगती है.
~ तुम उस गाने की तरह हो जिसे मैं दिन भर सुनना चाहता हूँ. लेकिन हमारी ज़िंदगी न जाने कितने मुश्किलों से भरे है.
~ मैं तो तुम्हारे हाथ भी नहीं छू सकता. न हम बारिश में साथ झूम सकते है. तुम्हारे साथ न जाने कितने गानों पर मुझे नाचना है..
~ तुम्हारी सारी कोशिका चूमना है मुझे. न जाने मेरी इच्छाएं कब पूरी होंगी. कभी - कभी असहाय सा लगता है. और कभी बस मान लेता हूँ कि चीज़ें ऐसी ही है. और मै कुछ नहीं कर सकता.
~ तुम्हारा प्रेम मन के सबसे भीतरी परतों को छूता है और तब लगता है तुम जब चाहे मुझे छू सकती है. ~ तुमसे प्रेम होना ज़िंदगी का एक मात्र सुख है जिसे मैं बचाना चाहता हूँ. हर कीमत पर.
~ बहुत सारे दुख है और उन सब से लड़ने की शक्ति हो तुम.
~ मैं तुम्हें उन ऊंचाईयों पर देखना चाहता हूँ जहाँ से तुम नीचे देखो तो तुम्हें मेरा प्रेम सारे संसार में फैला हुआ दिखे.
~ तुमसे प्रेम करते हुए जीना है मुझे
~ और तुमसे बस प्रेम करते हुए मरना है मुझे!
—तुम्हारा “जो तुम कहना चाहो”.
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jyotis-things · 4 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart48 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart49
शिव लिंग पूजा :- जो अपने धर्मगुरूओं द्वारा बताई गई धार्मिक साधना कर रहे हैं, व��� पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं कि यह साधना सही है। इसलिए वे अंधविश्वास (Blind Faith) किए हुए हैं।
इस शिव लिंग पर प्रकाश डालते हुए मुझे अत्यंत दुःख व शर्म का एहसास हो रहा है। परंतु अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए प्रकाश डालना अनिवार्य तथा मजबूरी है। शिव लिंग (शिव जी की पेशाब इन्द्री) के चित्र में देखने से स्पष्ट होता है कि शिव का लिंग (Private Part) स्त्री की लिंगी (पेशाब इन्द्री यानि योनि) में प्रविष्ट है। इसकी पूजा हिन्दू श्रद्धालु कर रहे हैं।
शिव लिंग की पूजा कैसे प्रारम्भ हुई? शिव महापुराण (जो बैंकटेश्वर प्रेस मुंबई से छपी है तथा जिसके प्रकाशक हैं "खेमराज श्री कृष्णदास प्रकाशन मुंबई (बम्बई), हिन्दी टीकाकार (अनुवादक) हैं विद्यावारिधि पंडित ज्वाला प्रसाद जी मिश्र) भाग-1 में विद्येश्वर संहिता अध्याय 5 पृष्ठ 11 पर नंदीकेश्वर यानि शिव के वाहन ने बताया कि शिव लिंग की पूजा कैसे प्रारम्भ हुई?
• विद्येश्वर संहिता अध्याय 5 श्लोक 27-30: पूर्व काल में जो पहला कल्प जो लोक में विख्यात है। उस समय महात्मा ब्रह्मा और विष्णु का परस्पर युद्ध हुआ । (27) उनके मान को दूर करने को उनके बीच में उन निष्कल परमात्मा ने स्तम्भरूप अपना स्वरूप दिखाया। (28) तब जगत के हित की इच्छा से निर्गुण शिव ने उस तेजोमय स्तंभ से अपने लिंग आकार का स्वरूप दिखाया। (29) उसी दिन से लोक में वह निष्कल शिव जी का लिंग विख्यात हुआ। (30) • विद्येश्वर संहिता पृष्ठ 18 अध्याय 9 श्लोक 40-43: इससे में अज्ञात स्वरूप हूँ। पीछे तुम्हें दर्शन के निमित साक्षात् ईश्वर तत्क्षण ही मैं सगुण रूप हुआ हूँ। (40) मेरे ईश्वर रूप को सकलत्व जानों और यह निष्कल स्तंभ ब्रह्म का बोधक है। (41) लिंग लक्षण होने से यह मेरा लिंग स्वरूप निर्गुण होगा। इस कारण हे पुत्रो! तुम नित्य इसकी अर्चना करना। (42) यह सदा मेरी आत्मा रूप है और मेरी निकटता का कारण है। लिंग और लिंगी के अभेद से यह महत्व नित्य पूजनीय है। (43) अन्य प्रमाण : शिव लिंग (शिव का जननेन्द्री Private Part) है तथा जिसमें यह प्रविष्ट है, वह लिंगी (पार्वती की जननेन्द्री Private Part) है :-
उपरोक्त प्रकाशन की श्री शिव महापुराण के रूद्र सहिता में पृष्ठ 25-28 पर च. को. रू. लिंग रूप कारण वरणन नामक द्वादश अध्याय के श्लोक नं. 1-54 में कहा है कि श्री व्यास जी के शिष्य श्री सूत जी से ऋषियों ने प्रश्न किया कि हे सूत जी! शिवलिंग की पूजा के विषय में जैसा ��पने सुना है, वैसा बताओ? ऋषि सूत जी बोले कि मैंने जैसा सुना है, वैसा सुनो। वैसा कहता हूँ। दारूवन में शिव भक्त ऋषि रहते थे। वे निरंतर शिव जी का पूजन (भक्ति) करते थे। उनकी पत्नियाँ भी उनके साथ उसी वन में रहती थी। कुछ ऋषिजन एक दिन समिधाओं को लेने के लिए कभी दारूवन में आए। इसी अंतर में एक व्यक्ति नग्नावस्था (बिल्कुल नंगा) उस वन में आया और अपने लिंग (Private Part) को हाथ में पकड़कर कामी पुरूष (व्यभिचारी) की तरह निर्लज्ज होकर हिला हिलाकर अश्लील हरकत करने लगा। उसे देखकर उस वन की स्त्रियाँ उसके पास आई। वे उसके लिंग को पकड़कर हिलाने लगी। उसको छूने लगी। कुछ आलिंगन करने से प्रसन्न हुई। उसी समय वे ऋषि जी आ गए। उन ऋषियों ने कहा कि तू ऐसा बेशर्म कर्म करने वाला कौन है? तेरा लिंग धरती पर गिर जाए। उस समय उसका लिंग भूमि पर गिर गया। जलने लगा। तीनों लोकों में जलता हुआ गया। उसको शांत करने के लिए पार्बती (W/ शिव) की स्तुति की गई। उससे कहा गया कि आप योनि (ल���ंगी-Private Part of Women) बन जाओ। पार्वती जी ने योनि रूप धारण किया। उस जलते हुए लिंग को उस योनि में डाला गया, तब वह शांत हुआ। उसके पश्चात् उस शिवलिंग की ऐसी मूर्ति जिसमें स्त्री योनि में लिंग प्रविष्ट हो, पत्थर की बनाकर स्थान-स्थान पर रखकर पूजा शुरू हो गई। (देखो आगे चित्र लिंग व लिंगी का जिसमें स्पष्ट है, यह ऐसा है शिवलिंग। ऐसी बेशर्म पूजा भी करते हैं हिन्दू, यह तत्त्वज्ञान का टोटा है।)
विवेचन : यह ऊपर वाला विवरण श्री शिव महापुराण (खेमराज श्रीकृष्ण दास प्रकाशन मुंबई द्वारा प्रकाशित) से शब्दा-शब्द लिखा है। फोटोकॉपी भी लगाई है। इसमें स्पष्ट है कि काल ब्रह्म ने (जो ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के पिता जी हैं) जान-बूझकर शास्त्र विरुद्ध साधना बताई है क्योंकि यह नहीं चाहता कि कोई शास्त्रों में वर्णित साधना करे। इसलिए अपने लिंग (गुप्तांग) यानि अपने Private Part को जो पत्थर का था, उसको पत्थर की लिंगी (स्त्री का गुप्तांग) यानि Private Part बनाकर उसमें प्रवेश करके उस लिंग व लिंगी की पूजा करने को कह दिया। पहले तो तेजोमय बहुत बडा स्तंभ ब्रह्मा तथा विष्णु के बीच में खड़ा कर दिया। फिर अपने पुत्र शिव के रूप में प्रकट होकर अपनी पत्नी दुर्गा को पार्वती रूप में प्रकट कर दिया और उस तेजोमय स्तंभ को गुप्त कर दिया और अपने लिंग (गुप्तांग) के आकार की पत्थर की मूर्ति प्रकट की तथा स्त्री के (Private Part) गुप्तांग (लिंगी) की पत्थर की मूर्ति प्रकट की। उस पत्थर के लिंग को लिंगी यानि स्त्री की योनि में प्रवेश करके ब्रह्मा तथा विष्णु से कहा कि यह लिंग तथा लिंगी अभेद रूप हैं यानि इन दोनों को ऐसे ही रखकर नित्य पूजा करना।
अन्य प्रमाण देखें विद्येश्वर संहिता के उसी प्रकाशन की फोटोकॉपी में पृष्ठ 25-28 अध्याय 12 श्लोक 1-54 में।
इसके पश्चात् यह बेशर्म पूजा सब हिन्दुओं में देखा-देखी चल रही है। आप मंदिर में शिवलिंग को देखना। उसके चारों ओर स्त्री इन्द्री का चित्र है जिसमें शिवलिंग प्रविष्ट दिखाई देता है। यह पूजा काल ब्रह्म ने प्रचलित करके मानव समाज को दिशाहीन कर दिया। वेदों तथा गीता के विपरीत साधना बता दी।
आप जी ने ऊपर शिव पुराण भाग-1 में विद्यवेश्वर संहिता के पृष्ठ 11 पर अध्याय 5 श्लोक 27-30 में तथा अध्याय 12 श्लोक 1-54 की फोटोकॉपी में पढ़ा कि शिव ने जो तेजोमय स्तंभ खड़ा किया था। फिर उस स्तंभ को गुप्त करके पत्थर को अपने लिंग (गुप्तांग) का आकार दे दिया तथा एक पत्थर की पार्बती की लिंगी (Private Part) बनाई। उसमें लिंग प्रवेश करके दे दिया और बोला कि इसकी पूजा किया करो।
दूसरा प्रमाण : शिव नंगा होकर दारूवन में गया। अपने लिंग को हाथ में पकड़कर कामी पुरूष यानि व्यभिचारी की तरह निर्लज्ज होकर हिला हिलाकर अश्लील हरकत करने लगा। स्त्रियाँ भी उस लिंग का आलिंगन (स्पर्श) करने लगी। ऋषिजनों ने देखा तो उसको श्राप दे दिया, तेरा लिंग पृथ्वी पर गिर जाए। वह लिंग ऋषियों के श्राप से टूटकर भूमि पर गिर गया। जलने लगा। पार्बती ने योनि (लिंगी) रूप धारा। उसमें प्रविष्ट होकर शांत हुआ। फिर उसकी पूजा हिन्दू साहेबान करने लगे।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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singhmanojdasworld · 6 months ago
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तम्बाकू की उत्पत्ति कथा.
एक ऋषि तथा एक राजा साढ़ू थे। एक दिन राजा की रानी ने अपनी बहन ऋषि की पत्नी के पास संदेश भेजा कि पूरा परिवार हमारे घर भोजन के लिए आऐं। मैं आपसे मिलना भी चाहती हूँ, बहुत याद आ रही है। अपनी बहन का संदेश ऋषि की पत्नी ने अपने पति से साझा किया तो ऋषि जी ने कहा कि साढ़ू से दोस्ती अच्छी नहीं होती। तेरी बहन वैभव का जीवन जी रही है। राजा को धन तथा राज्य की शक्ति का अहंकार होता है। वे अपनी बेइज्जती करने को बुला रहे हैं क्योंकि फिर हमें भी कहना पड़ेगा कि आप भी हमारे घर भोजन के लिए आना। हम उन जैसी भोजन-व्यवस्था जंगल में नहीं कर पाऐंगे। यह सब साढ़ू जी का षड़यंत्र है। आपके सामने अपने को महान तथा मुझे गरीब सिद्ध करना चाहता है। आप यह विचार त्याग दें। हमारे न जाने में हित है। परंतु ऋषि की पत्नी नहीं मानी। ऋषि तथा पत्नी व परिवार राजा का मेहमान बनकर चला गया। रानी ने बहुमूल्य आभूषण पहन रखे थे। बहुमूल्य वस्त्र पहने हुए थे। ऋषि की पत्नी के गले में राम नाम जपने वाली माला तथा सामान्य वस्त्र साध्वी वाले जिसे देखकर दरबार के कर्मचारी-अधिकारी मुस्कुरा रहे थे कि यह है राजा का साढ़ू। कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली। यह चर्चा ऋषि परिवार सुन रहा था। भोजन करने के पश्चात् ऋषि की पत्नी ने भी कहा कि आप हमारे यहाँ भी इस दिन भोजन करने आईएगा।
निश्चित दिन को राजा हजारों सैनिक लेकर सपरिवार साढ़ू ऋषि जी की कुटी पर पहुँच गया। ऋषि जी ने स्वर्ग लोक के राजा इन्द्र से निवेदन करके एक कामधेनु (सर्व कामना यानि इच्छा पूर्ति करने वाली गाय, जिसकी उपस्थिति में खाने की किसी पदार्थ की कामना करने से मिल जाता है, यह पौराणिक मान्यता है।) माँगी। उसके बदले में ऋषि जी ने अपने पुण्य कर्म संकल्प किए थे। इन्द्र देव एक कामधेनु तथा एक लम्बा-चौड़ा तम्बू (Tent) भेजा और कुछ सेवादार भी भेजे। टैण्ट के अंदर गाय को छोड़ दिया। ऋषि परिवार ने गऊ माता की आरती उतारी। अपनी मनोकामना बताई। उसी समय छप्पन (56) प्रकार के भोग चांदी की परातों, टोकनियों, कड़ाहों में स्वर्ग से आए और टैण्ट में रखे जाने लगे। लड्डू, जलेबी, कचैरी, दही बड़े, हलवा, खीर, दाल, रोटी (मांडे) तथा पूरी, बुंदी, बर्फी, रसगुल्ले आदि-आदि से आधा एकड़ का टैण्ट भर गया। ऋषि जी ने राजा से कहा कि भोजन जीमो। राजा ने बेइज्जती करने के लिए कहा कि मेरी सेना भी साथ में भोजन खाएगी। घोड़ों को भी चारा खिलाना है। ऋषि जी ने कहा कि प्रभु कृपा से सब व्यवस्था हो जाएगी। पहले आप तथा सेना भोजन करें। राजा उठकर भोजन करने वाले स्थान पर गया। वहाँ भी सुंदर कपड़े बिछे थे। राजा देखकर आश्चर्यचकित रह गया। फिर चांदी की थालियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन ला-लाकर सेवादार रखने लगे। अन्नदेव की स्तुति करके ऋषि जी ने भोजन करने की प्रार्थना की। राजा ने देखा कि इसके सामने तो मेरा भोजन-भण्डारा कुछ भी नहीं था। मैंने तो केवल ऋषि-परिवार को ही भोजन कराया था। वह भी तीन-चार पदार्थ बनाए थे। राजा शर्म के मारे पानी-पानी हो गया। खाना खाते वक्त बहुत परेशान था। ईर्ष्या की आग धधकने लगी, बेइज्जती मान ली। सर्व सैनिक खाऐ और सराहें। राजा का रक्त जल रहा था। अपने टैण्ट में जाकर ऋषि को बुलाया और पूछा कि यह भोजन जंगल में कैसे बनाया? न कोई कड़ाही चल रही है, न कोई चुल्हा जल रहा है। ऋषि जी ने बताया कि मैंने अपने पुण्य तथा भक्ति के बदले स्वर्ग से एक गाय उधारी माँगी है। उस गाय में विशेषता है कि हम जितना भोजन चाहें, तुरंत उपलब्ध करा देती है। राजा ने कहा कि मेरे सामने उपलब्ध कराओ तो मुझे विश्वास हो। ऋषि तथा राजा टैण्ट के द्वार पर खड़े हो गए। अन्दर केवल गाय खड़ी थी। द्वार की ओर मुख था। टैण्ट खाली था क्योंकि सबने भोजन खा लिया था। शेष बचा सामान तथा सेवक ले जा चुके थे। गाय को ऋषि की अनुमति का इंतजार था। राजा ने कहा कि ऋषि जी! यह गाय मुझे दे दो। मेरे पास बहुत बड़ी सेना है। उसका भोजन इससे बनवा लूंगा। तेरे किस काम की है? ऋषि ने कहा, राजन! मैंने यह गऊ माता उधारी ले रखी है। स्वर्ग से मँगवाई है। मैं इसका मालिक नहीं हूँ। मैं आपको नहीं दे सकता। राजा ने दूर खड़े सैनिकों से कहा कि इस गाय को ले चलो। ऋषि ने देखा कि साढ़ू की नीयत में खोट आ गया है। उसी समय ऋषि जी ने गऊ माता से कहा कि गऊ माता! आप अपने लोक अपने धनी स्वर्गराज इन्द्र के पास शीघ्र लौट जाऐं। उसी समय कामधेनु टैण्ट को फाड़कर सीधी ऊपर को उड़ चली। राजा ने गाय को गिराने के लिए गाय के पैर में तीर मारा। गाय के पैर से खून बहने लगा और पृथ्वी पर गिरने लगा। गाय
घायल अवस्था में स्वर्ग में चली गई। जहाँ-जहाँ गाय का रक्त गिरा था, वहीं-वहीं तम्बाकू उग गया। फिर बीज बनकर अनेकों पौधे बनने लगे। संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।।
भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है। मुसलमान धर्म के व्यक्तियों को हिन्दुओं से पता चला कि तमाखू की उत्पत्ति ऐसे हुई है। उन्होंने गाय का खून समझकर खाना तथा हुक्के में पीना शुरू कर दिया क्योंकि गलत ज्ञान के आधार से मुसलमान भाई गाय के माँस को खाना धर्म का प्रसाद मानते हैं। वास्तव में हजरत मुहम्मद जो मुसलमान धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं, उन्होंने कभी-भी जीव का माँस नहीं खाया था।
गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
एक लाख अस्सी कू सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।
गरीब, अर्स कुर्श पर अल्लह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली।
वै पैगंबर पाक पुरूष थे, साहेब के अबदाली।।
भावार्थ:- नबी मुहम्मद तो आदरणीय महापुरूष थे जो परमात्मा के संदेशवाहक थे। ऐसे-ऐसे एक लाख अस्सी हजार पैगंबर मुसलमान धर्म में (बाबा आदम से लेकर मुहम्मद तक) माने गए हैं। वे सब पाक (पवित्र) व्यक्ति थे जिन्होंने कभी किसी पशु-पक्षी पर करद यानि तलवार नहीं चलाई। वे तो परमात्मा से डरने वाले थे। परमात्मा के कृपा पात्रा थे। बाद में कुछ मुल्ला-काजियों ने माँस खाने की परम्परा शुरू कर दी जो आगे चलकर धार्मिकता का अपवाद (बिगड़ा रूप) बन गई। उसी आधार से सर्व मुसलमान भाई पाप को खा रहे हैं। फिर भ्रमित मुसलमानों ने तम्बाकू का सेवन (खाना, हुक्का बनाकर पीना) प्रारम्भ कर दिया। भोले हिन्दु धर्म के व्यक्तियों ने उनकी चाल नहीं समझी। उनके कहने से तमाखू का सेवन जोर-शोर से शुरू कर दिया। वर्तमान में तो यह पंचायत का प्याला बन गया है जो भारी भूल है। अज्ञानता का पर्दा है। इसे भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए। संत गरीबदास जी ने फिर बताया है कि हे भक्त हरलाल जी! और सुन तमाखू सेवन के पाप:-
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।1
मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।2
मांस आहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस जान। मुख देखो न तास का, वो फिरै चौरासी खान।।3
सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।4
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।5
सौ नारी जारी करै, सुरापान सौ बार। एक चिलम हुक्का भरै, डूबै काली धार।।6
हुक्का हरदम पीवते, लाल मिलांवे धूर। इसमें संशय है नहीं, जन्म पीछले सूअर।।
उपरोक्त वाणियों का भावार्थ:-
वाणी सँख्या 1: में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
वाणी सँख्या 2:- कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गुह (टट्टी) खाता है।
वाणी सँख्या 3:- जो व्यक्ति माँस खाते हैं, वे तो स्पष्ट राक्षस हैं। उनका तो मुख भी नहीं देखना चाहिए यानि उनके साथ रहने से अन्य भी माँस खाने का आदी हो सकता है। इसलिए उनसे बचें। वह तो चौरासी लाख योनियों में भटकेगा।
वाणी सँख्या 4-5:- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
वाणी सँख्या 6:- एक चिलम भरकर हुक्का पीने वाले को देने से भरने वाले को जो पाप लगता है, वह सुनो। एक बार परस्त्री गमन करने वाला, एक बार शराब पीने वाला, एक बार माँस खाने वाला पाप के कारण उपरोक्त कष्ट भोगता है। सौ स्त्रियों से भोग करे और सौ बार शराब पीऐ, उसे जो पाप लगता है, वह पाप एक चिलम भरकर हुक्का पीने वाले को देने वाले को लगता है। विचार करो तम्बाकू सेवन (हुक्के में, बीड़ी-सिगरेट में पीने वाले, खाने वाले) करने वाले को कितना पाप लगेगा? इसलिए उपरोक्त सर्व पदार्थों का सेवन कभी न करो।
वाणी सँख्या 7:- समाज के व्यक्तियों को देखकर कुछ व्यक्ति हुक्का या अन्य नशीली वस्तुऐं सेवन करने लग जाते हैं। यदि सत्संग सुनकर बुराई त्याग देते हैं तो वे जीव पिछले जन्म में भी मनुष्य थे। उनके अंदर नशे की गहरी लत नहीं बनती। परंतु जो बार-बार सत्संग सुनकर भी तम्बाकू आदि नशे का त्याग नहीं कर पाते, वे पिछले जन्म में सूअर के शरीर में थे। सूअर के शरीर में बदबू सूंघने से तम्बाकू की बदबू पीने-सूंघने की गहरी आदत होती है। वे शीघ्र हुक्का व अन्य नशा नहीं त्याग पाते। वे अपने अनमोल मानव शरीर रूपी लाल को मिट्टी में मिला रहे हैं। उनको अधिक सत्संग सु���ने की राय दी जाती है। निराश न हों। सच्चे मन से परमात्मा कबीर जी से नशा छुड़वाने की पुकार प्रार्थना करने से सब नशा छूट जाता है।
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buyadogonline1 · 9 months ago
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ग़मगीन कुत्ते की कहानी: Dog Sad Shayari in Hindi
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कुत्ते, यह दुनिया की सबसे वफादार और निष्ठावान प्राणियों में से एक हैं। उनकी मासूमियत, उनका प्यार और उनकी वफादारी हर किसी को अपने साथ खींचती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक कुत्ते का दिल भी दुख सकता है? ज़रा सोचिए, क्या उनका ग़म भी हमारी तरह होता है? उनके दुख का अहसास हमें कितना होता है? इस विचार को ध्यान में रखते हुए, आज हम आपके सामने लेकर आए हैं "कुत्ते पर शायरी, Dog Shayari in Hindi" जिसमें हम देखेंगे कुछ दुखी कुत्तों की कहानी और उनके दर्द को बयां करने वाली शायरियाँ।
कुत्ते की सच्चाई को देखते हुए, इस शायरी का मकसद हमें उनके दर्द और आकेलापन को समझाना है। जैसे-जैसे हम इन शेरों को पढ़ते जाएँगे, हमें उनकी भावनाओं का एहसास होगा और हम अपने प्यारे चारों पैरों वाले दोस्तों के प्रति अधिक सहानुभूति और प्रेम दिखाएँगे।
अकेलापन का एहसास
किसी बुरे दिन में, अकेलापन का एहसास, मेरे दिल की बातों को, कौन समझे बिना कास।
सड़कों पर भटकते, दौड़ते खोये-खोये, मैं अपने आप में खो गया, एक अजनबी के जैसे।
2. धोखेबाज़ दुनिया
धोखेबाज़ दुनिया में, कहाँ है मेरा ठिकाना, खोजते हैं सुकून का, लेकिन हर दिन मिलता झटका। कांपते हैं आँखों से, एक अलग सा डर साथी, क्या यही है मेरा नसीब, या है कुछ और कसीरा।
3. धुंधला सफर
धुंधला सफर है, जिंदगी का ये रास्ता, छोड़ गए साथ हमें, जो हो गए यादों का प्याला। चलते चलते, हर क़दम पर बस रूक जाते हैं, क्यों होता है ऐसा, क्यों हमेशा बिखर जाते हैं।
4. अकेले लम्हे
अकेले लम्हे में, बस खोया है खुद को, समझ नहीं आता, ज़िंदगी का ये धरोहर को। कोई साथ नहीं, सिर्फ अपने साथ हूँ, लेकिन इस अकेलापन में, मैं कहाँ हूँ।
5. दिल की गहराई
दिल की गहराई से, निकलती है आवाज़, बस एक चिल्लाहट, कुछ भी नहीं बदलता राज। कुछ कहा जाए, कुछ समझा जाए, दिल की गहराई से, निकलती है आवाज़।
6. एक अजनबी शहर की कहानी:
जिंदगी का सफर, एक अजनबी शहर की ओर, कुत्ते की आँखों में, छुपा हुआ है एक बेहद गहरा ग़म। सड़कों पर भटकता, अपनी तक़दीर का खोजा, साथ है सिर्फ़ आसमान, और उसकी आंसुओं में छुपा हुआ एक पूरा आसमान।
7. बिछाए ख्वाब:
चाँदनी की रातों में, सजीव है सिर्फ कुत्ता एक, ख्वाबों का साहिल पर, है वह खड़ा अपनी राहों में। पर कहानियों में नहीं मिलती, उसकी मुसीबतों की दोपहर, उसका दिल है बहुत भीड़ा, मगर उसका ख्वाब है अपना अद्वितीय सफर।
8. बेताब दिल:
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बेताब दिल, बड़े इन्तज़ार में है, आसमान की ऊँचाईयों से, है वह बहुत दूर। खोजता है वह सफलता, रास्ते हैं कठिन, लेकिन दिल में बसी उम्मीदों की है कहानी बहुत बड़ी।
9. दर्द भरा इन्तजार:
बैरागी रातों में, है उसका दर्द छुपा, ख्वाबों की जगह, आँसुओं की सुबह है चारों ओर। सपने हैं छूटे, मगर दिल का इंतजार बाकी है, वह चाहता है सिर्फ एक घर, जहाँ मिले प्यार और खुशियाँ हर बार।
10. दोस्ती की मिसाल:
चार पैरों वाले साथी, है वह अद्वितीय दोस्त, बिना बोले समझता है, दिल की हर बात। खुशियों में साथी, और दुखों में सहारा, वह है वही अनमोल जवाहर, जिसकी तलाश हर दिल को है बार-बार। ये शायरियाँ हमें एक अलग दृष्टिकोण से कुत्तों की भावनाओं को समझने का मौका देती हैं। वे भी एक ज़िंदगी जीते हैं, अपने दर्द और आँस��� छुपाते हैं, पर उनकी आँखों में हमेशा सच्चा प्यार और वफादारी की कहानी छुपी रहती है। इसलिए, उनके साथ हमेशा प्यार और समझदारी से बर्ताव करें, क्योंकि वे भी हमारे दिलों
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cardiologistdrfarhanshikoh · 10 months ago
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गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
नमस्कार, मैं डॉ. फरहान शिकोह, आपका हृदय रोग विशेषज्ञ। आज के इस खास दिन पर, मैं आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देना चाहता हूँ। आइए हम सभी एकजुट होकर अपने देश के संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और सम्मान व्यक्त करें। हमारे गणतंत्र की मजबूती हमारे स्वास्थ्य और कल्याण की तरह ही महत्वपूर्ण है।
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shayarikitab · 2 months ago
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Best 100+ दिल की खामोशी शायरी | Khamoshi Shayari Status
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Khamoshi Shayari Status - जब हम उदास हो जाते हैं तो अक्सर मौन हमारी शरणस्थली होता है। ऐसे अनगिनत कारण हैं जो इस शांति को जन्म दे सकते हैं। कभी-कभी, यह किसी के शब्दों या कार्यों से घायल हुआ दिल होता है, तो कभी-कभी, यह अनकही भावनाओं या अधूरे वादों का दर्द होता है। जब कोई ऐसा व्यक्ति जिसे हम अपने करीब रखते हैं, जिसे हमने अपना भविष्य सौंपा है, वह दूर चला जाता है, तो हम मौन में रह जाते हैं। यह केवल शब्दों की अनुपस्थिति नहीं है - यह हमारी आत्मा की खामोशी है। ऐसे क्षणों में, हम पीछे हट जाते हैं, बोलना नहीं चाहते, अपना दर्द साझा नहीं करना चाहते। हम अपने विचारों में खो जाते हैं, Khamoshi में लिपटे रहते हैं। आप में से जो लोग इस पेज पर आए हैं, शायद आप Khamoshi Shayari Status खोज रहे हैं, जो आप जो कुछ भी महसूस कर रहे हैं उसे व्यक्त कर सकें। चाहे वह दिल टूटना हो या गहरी चोट के बाद की खामोशी, ये Shayari और Status उन भावनाओं को पकड़ लेते हैं। आप इन्हें अपने Whatsapp Status में इस्तेमाल करके अपने आस-पास के लोगों के सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, उन्हें बता सकते हैं कि आपकी चुप्पी में एक कहानी, एक दर्द और शायद, समझ की एक चाहत छिपी है।
Khamoshi Shayari
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एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए… एक उम्र गुज़ार देंगे तुम्हें महसूस करते हुए…
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उससे फिर उसका रब फ़रामोश हो गया जो वक़्त के सवाल पर ख़ामोश हो गया।
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खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है।
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कितना बेहतर होता हैं खामोश हो जाना, ना कोई कुछ पूछता है, ना किसी को कुछ बताना पड़ता है।
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मुद्दत से बिखरा हूँ सिमटने मे देर लगेगी खामोश तन्हाई से निपटने मे देर लगेगी तेरे खत के हर सफहे को पढ़ रहा हूँ मै हर पन्ना पलटने मे यकीनन देर लगेगी।
दिल की खामोशी शायरी
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ख़ामोशी की तह में छुपा लीजिए सारी उलझनें, शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता
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कुछ हादसे इंसान को इतना खामोश कर देते हैं कि जरूरी बात कहने को भी दिल नहीं करता 🖤🥀।
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मैं एक गहरी ख़ामोशी हूं आझिंझोड़ मुझे, मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे। यानी ये खामोशी भी किसी काम की नही यानी मैं बयां कर के बताऊं के उदास हूं मैं…
खामोशी शायरी 2 लाइन
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शब्द, मन, जज्बात, एक एक करके सब खामोश हो गए।
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लफ़्जों का वज़न उससे पूछो… जिसने उठा रखी हो ख़ामोशी लबों पर… उदास है मेरी ज़िंदगी के सारे लम्हे एक तेरे खामोश हो जाने से हो सके तो बात कर ले ना कभी किसी बहाने से …. मैंने अपनी खामोशी से, कई बार सुकून खरीदा है…! आंखों में दबी खामोशी को….. पढ़ नहीं पाओगे तुम… कि मैंने सलीके से….. इन पलकों में सब छुपा रखा है। ख़ामोश समझ कर किसी को हल्के में ना लेना साहब, राख में फूंक मारने से कई बार मुंह जल जाया करता है..ll 💯🔥 जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए, ना खामोशी…. वो मेरा दर्द भला कैसे जान पाएंगे.. जो लोग अपनी ग़लती कभी मान ही नहीं पाते, वो किसी और को, अपना क्या मान पाएंगे..?? वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए।
जिंदगी खामोशी शायरी
हो रहा हूँ करीब तुझसे जैसे खीँच रही कोई डोर है, बाहर तेरे ना होने की खामोशी और भीतर तेरा ही शोर है….❤🌸✨💫 किसी ने हिज्र का ऐसा ग़म बसर नहीं किया , खामोश होकर चल दिये अगर-मगर नहीं किया , .हुज़ूर हमसे बेवफ़ाई का गिला न कीजिये , यही तो एक काम है जो उम्र भर नहीं किया। कुछ वक्त खामोश होकर भी देख लिया हमने,💯🥀🌸 फिर मालूम हुआ कि लोग सच मे भूल जाते हैं। ❝मेरे दिल को अक्सर छू लेते है ख़ामोश चेहरे, हंसते हुए चेहरों में मुझे फरेब नज़र आता हैं।❜❜ हूं अगर खामोश तो ये न समझ कि मुझे बोलना नहीं आता….😐 रुला तो मैं भी सकता था पर मुझे किसी का दिल तोड़ना नहीं आता। कुछ दर्द खामोश कर देते हैं, वरना मुस्कुराना कौन नही चाहता….🖤🥀💫। तू मेरे दिन में , रातों में खामोशी में , बातों में बादल के हाथों मैं भेजू तुझ को यह पयाम तेरी याद हमसफर सुबह-ओ-शाम तेरी याद हमसफर सुबह-ओ-शाम। शुरुआत में खामोशी पढ़ने वाले , अंत में चीखें भी अनसुनी कर देते हैं ।। 💔🥀 लोगों को शोर में नींद नहीं आती, मुझे एक इंसान की खामोशी सोने नहीं देती… ये खामोशी की कहानी भी बड़ी बेजुबानी है हर किसी ने कहाँ इसे खुद से जानी है.. बैठकर ख़ामोश, आजमाएंगे देखते हैं कब तुमको याद आएंगें..!! कोई तो गिनती होगी मेरी भी कहीं सनम किसी के नाम के बाद, हम भी आएंगें….!!!! उन्हें चाहना हमारी कमजोरी हैं, उन से कह नही पाना हमारी मजबूरी हैं, वो क्यूँ नही समझते हमारी ख़ामोशी को क्या प्यार का इज़हार करना जरुरी है। अधूरी कहानी पर खामोश होठों का पहरा है, चोट रूह की है इसलिए दर्द जरा गहरा है !
खामोशी ही बेहतर है शायरी
में कोई खामोश सी ग़ज़ल जैसा हूं, या हूं कोई नज़्म जैसा धीमे से गुनगुनाता हुआ… तभी तो वो भी मुझे पढ़ते हैं आहिस्ते आहिस्ते से….❤🌸💫। जु़बां ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा , उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा…..❤🌸💫। हालातों ने कर दिया हमें खामोश वरना 😔 हमारे रहते हर महफिल में रौनक रहती थी..!!❤️‍🩹। जब आपकी आवाज किसी को चुभने लगे तो तोहफे में उसे अपनी खामोशी दे दो…।😌 विधाता की अदालत में वकालत बहुत न्यारी है खामोश रहिए कर्म कीजिये मुकदमा सब का जरी है 🙌 किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हें, बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे। खामोशी मेरी , बातें तुम्हारी शामें मेरी , रातें तुम्हारी सबसे महंगी लगती है मुझे फुर्सतें मेरी , और मुलाकातें तुम्हारी 😌 ये खामोश से लम्हें ये गुलाबी ठंड के दिन* तुम्हें याद करते-करते एक और चाय तुम्हारे बिन … ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना मैने…. कभी पढ़ना ध्यान से चीखते कमाल है…….✍️। वो कहने लगे की कुछ तो बोलो हमने कहा…… हमे खामोश ही रहने दो लोग अक्सर हमारी बाते सुनकर रूठ जाया करते है……..✍️। मेरी खामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, और शिकायत के दो लफ्ज़ कहूं तो चुभ जाते हैं। “बिखरे है अश्क कोई साज नही देता खामोश है सब कोई आवाज नही देता कल के वादे सब करते है । मगर क्यू कोई साथ आज नही देता । 🖇️❤️🦋 कुछ अजीब सा चल रहा है, ये वक्त का सफर , एक गहरी सी खामोशी है खुद के अंदर। झूठ की जीत उसी वक्त तय हो जाती है जब सच्चाई जानने वाला इंसान खामोश रह जाता है। Read Also   Read the full article
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9142827685 · 11 months ago
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( #Muktibodh_part173 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part174
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 335-336
कबीर परमेश्वर जी को संत रविदास जी ने सुबह ही बता दिया था कि हे कबीर जी! आज तो विरोधियों ने बनारस छोड़कर भगाने का कार्य कर दिया। आपके नाम से पत्र भेज रखे हैं और ऐसा-ऐसा लिखा है। लगभग 18 लाख व्यक्ति साधु-संत लंगर खाने पहुँच चुके हैं। कबीर जी ने कहा कि मित्र आजा बैठ जा! दरवाजा बंद करके सांगल लगा ले। आज-आज का दिन बिताकर रात्रि में अपने परिवार को लेकर भाग जाऊँगा। कहीं अन्य शहर-गाँव में निर्वाह कर लूंगा। जब उनको कुछ खाने को मिलेगा ही नहीं तो झल्लाकर गाली-गलौच करके चले जाएंगे। हम सांकल खोलेंगे ही नहीं, यदि किवाड़ तोड़ेंगे तो हाथ जोड़ लूंगा कि मेरा सामर्थ्य आप जी को भण्डारा कराने का नहीं है। गलती से पत्रा डाले गए, मारो भावें छोड़ो। दोनों संत माला लेकर भक्ति करने लगे। मुँह बोले माता-पिता तथा मृतक जीवित किए हुए लड़का तथा लड़की सुबह सैर को गए थे। इतने में दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने दरवाजा खटखटाया। संत रविदास जी ने कहा प्रभु! लगता है कि अतिथि यहाँ पर भी पहुँच गए हैं।
कबीर जी ने कहा कि देख सु��ाख से बच्चे तो नहीं आ गए हैं। रविदास जी ने देखकर बताया कि नहीं, कोई और ही है। दो-तीन बार दरवाजा खटखटाकर राजा सिकंदर ने अपना परिचय देकर बताया कि आपका दास सिकंदर आया है, आपके दर्शन करना चाहता है। परमेश्वर कबीर जी ने कहा राजन! आज दरवाजा नहीं खोलूंगा। मेरे नाम से झूठी चिट्ठियाँ भेज रखी हैं, लाखों संत-भक्त पहुँच चुके हैं। रात्रि होते ही मैं अपने परिवार को लेकर कहीं दूर चला जाऊँगा। सिकंदर लोधी ने कहा परवरदिगार! आप मुझे नहीं बहका सकते, मैं आपको निकट से जान चुका हूँ। आप एक बार दरवाजा खोलो, मैं आपके दर्शन करके ही जलपान करूँगा।
परमेश्वर की आज्ञा से रविदास जी ने दरवाजा खोला तो सिकंदर लोधी मुकट पहने-पहने ही चरणों में लोट गया और बताया कि आप अपने आपको छिपाकर बैठे हो, आपने कितना सुंदर भण्डारा लगा रखा है। आपका मित्र केशव आपके संदेश को पाकर सर्व सामान लेकर आया है।
आपके नाम का अखण्ड भण्डारा चल रहा है। सर्व अतिथि आपके दर्शनाभिलाषी हैं। कह रहे हैं कि देखें तो कौन है कबीर सेठ जिसने ऐसे खुले हाथ से लंगर कराया है। मेरी भी प्रार्थना है कि आप एक बार भण्डारे में घूमकर सबको दर्शन देकर कृतार्थ करें। तब परमेश्वर कबीर जी उठे और कुटिया से बाहर आए तो आकाश से कबीर जी पर फूलों की वर्षा होने लगी तथा आकाश से आकर सिर पर सुन्दर मुकुट अपने आप पहना गया। तब हाथी पर बैठकर कबीर जी तथा रविदास जी व राजा चले तो सिकंदर लोधी परमेश्वर कबीर जी पर चंवर करने लगे और पीलवान से कहा कि हाथी को भण्डारे के साथ से लेकर चल। जो भी देखे और पूछे काशी वालों से कि कबीर सेठ कौन-सा है, उत्तर मिले कि जिसके सिर पर मोरपंख वाला मुकुट है, वह है कबीर सेठ जिस पर सिकंदर लोधी दिल्ली के बादशाह चंवर कर रहे हैं। सब एक स्वर में जय
बोल रहे थे। जय हो कबीर सेठ की, जैसा लिखा था, वैसा ही भण्डारा कराया है। ऐसी व्यवस्था कहीं देखी न सुनी। भोजन खाने का स्थान बहुत लम्बा-चौड़ा था। उसमें घूमकर फिर वहाँ पर आए जहाँ पर केशव टैंट में बैठा था। हाथी से उतरकर कबीर जी तम्बू में पहुँचे तो अपने आप एक सुंदर पलंग आ गया, उसके ऊपर एक गद्दा बिछ गया, ऊपर गलीचे बिछ गए जिनकी झालरों में हीरे, पन्ने, लाल लगे थे। टैंट को ऊपर कर दिया गया जो दो तरफ से बंद था।
खाना खाने के पश्चात् सब दर्शनार्थ वहाँ आने लगे, तब परमेश्वर कबीर जी ने उन परमात्मा के लिए घर त्यागकर आश्रमों में रहने वालों तथा अन्य गृहस्थी व्यक्ति व ब्राह्मणों को आपस में
(केशव तथा कबीर जी ने) आध्यात्मिक प्रश्न-उत्तर करके सत्यज्ञान समझाया। 8 पहर (24 घण्टे) तक सत्संग करके उनका अज्ञान दूर किया। कई लाख साधुओं ने दीक्षा ली और अपना
कल्याण कराया। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था, परंतु परमात्मा को इकट्ठे करे-कराए भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए। उन भक्तों को सतलोक से आया हुआ
उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए। उन्होंने परमेश्वर का तत्त्वज्ञान समझा, दीक्षा ली तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया। सब
भण्डारा पूरा करके सर्व सामान समेटकर बैलों पर रखकर जो सेवादार आए थे, वे चल पड़े।
तब सिकंदर लोधी, शेखतकी, कबीर जी, केशव जी तथा राजा के कई अंगरक्षक भी खड़े थे। अंगरक्षक ने आवाज लगाई कि बैल धरती से छः इन्च ऊपर चल रहे हैं। पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे। यह लीला देखकर सब हैरान थे। फिर कुछ देर बाद देखा तो आसपास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिए और न बनजारे सेवक। सिकंदर लोधी ने पूछा हे कबीर जी! बनजारे और बैल कहाँ गए? परमेश्वर कबीर जी ने उत्तर दिया कि जिस परमात्मा के लोक से आए थे, उसी में चले गए। उसी समय केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी के शरीर में समा गया। सिकंदर राजा ने कहा हे अल्लाहु अकबर! मैं तो पहले ही कह रहा था कि यह सब आप कर रहे
हो, अपने आपको छिपाए हुए हो। शेखतकी तो जल-भुन रहा था। कहने लगा कि ऐसे भण्डारे तो हम अनेकों कर दें। यह तो महौछा-सा किया है। हम तो जग जौनार कर देते।
महौछा कहते हैं वह धर्म अनुष्ठान जो किसी पुरोहित द्वारा पित्तर दोष मिटाने के लिए थोपा गया हो। उसमें व्यक्ति बताए गए नग (Items) मन मारकर सस्ती कीमत के लाकर पूरे करता है, हाथ सिकोड़कर लंगर लगाता है।
जग जौनार कहते हैं जिसके घर कई वर्षों उपरांत संतान उत्पन्न होती है तो दिल खोलकर खर्च करता है, भण्डारा करता है तो खुले हाथों से।
संत गरीबदास जी ने उस भण्डारे के विषय में जिसकी जैसी विचारधारा थी, वह बताई :-
गरीब, कोई कहे जग जौनार करी है, कोई कहे महौछा।
बड़े बड़ाई कर्या करें, गाली काढ़ै औछा।।
◆ भावार्थ है कि जो भले पुरूष थे, वे तो बड़ाई कर रहे थे कि जग जौनार करी है। जो विरोधी थे, ईर्ष्यावश कह रहे थे कि क्या खाक भण्डारा किया है, यह तो महौछा-सा किया है। जब शेखतकी ने ये वचन कहे तो गूंगा तथा बहरा हो गया, शेष जीवन पशु की तरह जीया। अन्य के लिए उदाहरण बना कि अपनी ताकत का दुरूपयोग करना अपराध होता है, उसका भयंकर
फल भोगना पड़ता है।
केशव आन भया बनजारा षट्दल किन्ही हाँस है।
परमेश्वर कबीर जी स्वयं आकर (आन) केशव बनजारा बने। षट्दल कहते हैं गिरी-पुरी, नागा-नाथ, वैष्णों, सन्यासी, शैव आदि छः पंथों के व्यक्तियों को जिन्होंने हँसी-मजाक करके चिट्ठी डाली थी। परमात्मा ने यह सिद्ध किया है कि भक्त सच्चे दिल से मेरे पर विश्वास करके चलता है तो मैं उसकी ऐसे सहायता करता हूँ।
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क्रमशः________________
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