#मुनीर नियाज़ी
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talesoftaru · 9 months ago
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हमेशा देर कर देता हूं मैं, ज़रूरी बात कहनी हो, कोई वादा निभाना हो, उसे आवाज़ देनी हो, उसे वापस बुलाना हो, हमेशा देर कर देता हूं मैं। मदद करनी हो उसकी, यार का ढांढस बंधाना हो, बहुत देरीना रास्तों पर, किसी से मिलने जाना हो, हमेशा देर कर देता हूं मैं। बदलते मौसमों की सैर में, दिल को लगाना हो, किसी को याद रखना हो, किसी को भूल जाना हो, हमेशा देर कर देता हूं मैं। किसी को मौत से पहले, किसी ग़म से बचाना हो, हक़ीक़त और थी कुछ, उस को जा के ये बताना हो, हमेशा देर कर देता हूं मैं। - मुनीर नियाज़ी
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oyeevarnika · 2 years ago
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हमेशा देर कर देता हूँ मैं
हर काम करने में
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वा'दा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मदद करनी हो उस की
यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
बदलते मौसमों की सैर में दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में.....
| मुनीर नियाज़ी
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Featuring tamasha and kal ho na ho✨
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shonayee · 7 months ago
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कुछ बातें अनकही रहने दो , कुछ बातें अनसुनी रहने दो
सब बातें दिल की कह दें अगर, फिर बाक़ी क्या रह जायेगा?
सब बातें दिल की सुन लें अगर, फिर बाक़ी क्या रह जायेगा?
- मुनीर नियाज़ी
"Not all that is known, needs to be said."
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qaasid · 1 year ago
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सारे मंज़र एक जैसे सारी बातें एक सी
सारे दिन हैं एक से और सारी रातें एक सी
बे-नतीजा बे-समर जंग-ओ-जदल सूद ओ ज़ियाँ
सारी जीतें एक जैसी सारी मातें एक सी
सब मुलाक़ातों का मक़्सद कारोबार-ए-ज़र-गरी
सब की दहशत एक जैसी सब की घातें एक सी
अब किसी में अगले वक़्तों की वफ़ा बाक़ी नहीं
सब क़बीले एक हैं अब सारी ज़ातें एक सी
एक ही रुख़ की असीरी ख़्वाब है शहरों का अब
उन के मातम एक से उन की बरातें एक सी
हों अगर ज़ेर-ए-ज़मीं तो फ़ाएदा होने का क्या
संग ओ गौहर एक हैं फिर सारी धातें एक सी
ऐ 'मुनीर' आज़ाद हो इस सेहर-ए-यक-रंगी से तू
हो गए सब ज़हर यकसाँ सब नबातें एक सी
मुनीर नियाज़ी
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mufrad · 1 year ago
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हमेशा देर कर देता हूं मैं
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
मदद करनी हो उसकी
यार का ढांढस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
बदलते मौसमों की सैर में
दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
किसी को मौत से पहले
किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ
उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
- मुनीर नियाज़ी
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bazmeshayari · 4 months ago
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बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना
बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना एक आग सी जज़्बों की दहकाए हुए रहना, छलकाए हुए चलना ख़ुशबू लब ए लालीं की एक बाग़ सा साथ अपने महकाए हुए रहना, उस हुस्न का शेवा है जब इश्क़ नज़र आए पर्दे में चले जाना शरमाए हुए रहना, एक शाम सी कर रखना काजल के करिश्मे से एक चाँद सा आँखों में चमकाए हुए रहना, आदत ही बना ली है तुम ने तो मुनीर अपनी जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना..!! ~मुनीर नियाज़ी
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shayarigateway · 8 months ago
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MUNEER NIYAZI | Munir Niazi | Muneer Niazi Shayari |منیر نیازی| मुनीर नियाज़ी | Urdu Poetry |Shayari | Voice Of Ibn e Ata | Voice Of Ibne Ata | Urdu Poetry With Ibn e Ata
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genzthangs · 2 years ago
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आदत ही बना ली है तुम ने तो 'मुनीर' अपनी
जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना
- मुनीर नियाज़ी
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flickering-fantasizer · 4 years ago
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हमेशा देर कर देता हूँ मैं
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
 
मदद करनी हो उसकी
यार का धाढ़स बंधाना हो
बहुत देरीना रास्तों पर
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
बदलते मौसमों की सैर में
दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
किसी को मौत से पहले
किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ
उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
- मुनीर नियाज़ी
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lekhni · 4 years ago
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दिनांक 13 दिसम्बर को #काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️ के अन्तर्गत हम लोग विभिन्न रचनाकारों की वे काव्य पंक्तियां ट्वीट करेंगे जो #प्रेम से संबंधित हो।
उदाहरण 👇
प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर चाय चढ़ाई है
घूँट घूँट पीना..
सुनो इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना....
~ निधि सक्सेना
हैशटेग रहेंगे 👇
#रचनाकार का नाम
#प्रेम 🌹
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️
और-----
#बज़्म_ए_शोअरा में #ज़िंदगी शब्द पर शे'र ट्वीट करेंगे। शे'र किसी भी शायर के हो सकते हैं।
उदाहरण : 👇
'मुनीर' इस ख़ूबसूरत ज़िंदगी को
हमेशा एक सा होना नहीं है
~ मुनीर नियाज़ी
हैशटेग रहेंगे 👇
#शायर का नाम
#ज़िंदगी
#बज़्म_ए_शोअरा
@BazmEShoara
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sushilkumarsahni · 3 years ago
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किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते ~ मुनीर नियाज़ी ⭐ ⭐ @sushilkumarsahni ⭐ ⭐ #Saturday #SaturdaySelfie #SaturdayShots #SaturdayNight #WeekendVibes #Sushil #SushilKumarSahni #TSS #TeamSonuSharma #WeShareWeGrow #WishYouWellth #InstaDaily #DailyDose #Traveller #Explorer (at Loco Colony) https://www.instagram.com/p/CTH-G1hitl0/?utm_medium=tumblr
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amardwivedisworld · 4 years ago
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ख़याल जिसका था मुझे ख़याल में मिला मुझे
सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे
- मुनीर नियाज़ी
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dravinashchandra · 4 years ago
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हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में ज़रूरी बात कहनी हो कोई वा'दा निभाना हो उसे आवाज़ देनी हो उसे वापस बुलाना हो हमेशा देर कर देता हूँ मैं ~मुनीर नियाज़ी (at Dr Avinash Chandra) https://www.instagram.com/p/CIlWql-KK1_/?igshid=hnb8db9v11fg
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rohanmintoo11-blog · 4 years ago
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किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते ~ मुनीर नियाज़ी Sheer elegance in mulmul Comment what's your opinion? Share Tag For further details queries please DM #sareesofinstagram #weddingsaree #handloomsaree #cotton #tussarmoga #sareeblouse #sixyardsofsheerelengance #instafashion #instagram #pinterestindia #kerala #kolkata #mumbaifashion #del #dehradoon #jaipurjewellery #weddingsutra #nagpurfashion - - - - - #worldin_nutshell #coimbatorediaries #delhifashion #thane #kochi #chennaidiaries #bangalore - - - - #regrann (at Dehradun, देहरादून, Uttarakhand, India) https://www.instagram.com/p/CDi_VejJ_ZV/?igshid=s0fsv1ohcy6m
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prashant4public-blog · 5 years ago
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महक उठे रंग-ए-सुर्ख़ जैसे.. खिले चमन में गुलाब इतने - मुनीर नियाज़ी https://www.instagram.com/p/B5kYzjJhRZG/?igshid=1aiqc01lm42ya
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bakaity-poetry · 8 years ago
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जीते रहो और किसी न किसी पर मरते रहो! (एक ख़त जॉन एलिया का, अनवर मक़सूद के नाम)
अन्नो जानी!
तुम्हारा ख़त मिला। पाकिस्तान के हालात पढ़ कर कोई ख़ास परेशानी नहीं हुई। यहां भी इसी क़िस्म के हालात चल रहे हैं। शायरों और अदीबों ने मर मर कर यहां का बेड़ा ग़र्क़ कर दिया है। मुझे यहां भाइयों के साथ रहने के लिए कहा गया। मैंने कहा, मैं ज़मीन पर भी भाइयों से दूर रहना पसंद करता था, आप मुझे कोई क्वार्टर अता फरमा दें। मु��्तफा ज़ैदी ने यह काम कर दिया और मुझे क्वार्टर मिल गया। मगर इसका डिज़ाइन नासरी नज़्म की तरह है जो समझ में तो आ जाती है मगर याद नहीं रहती। रोज़ाना भूल जाता हूं कि बैडरूम किधर है। इस क्वार्टर में रहने का एक फ़ायदा है – मीर तक़ी मीर का घर सामने है। सारा दिन उन्हीं के घर रहता हूं। उनके 250 अशआर, जिनमें वज़न का फ़ुक़दान है, निकाल चुका हूं मगर मीर से कहने की हिम्मत नहीं हो रही। कूचा-ए-शेर-ओ-सुखन में सबसे बड़ा घर ग़ालिब का है। मैंने मीर से कहा आप ग़ालिब से बड़े शायर हैं, आपका घर ऐवान-ए-ग़ालिब से बड़ा होना चाहिए। मीर ने कहा दरअसल वो घर ग़ालिब की सुसराल का है, ग़ालिब ने उसपे क़ब्ज़ा जमा लिया है। मीर के घर कोई नहीं आता। साल भर के अरसे में सिर्फ एक मर्तबा नासिर काज़मी आये, वो भी मीर के कबूतरों को देखने। ऐवान-ए-ग़ालिब मग़रिब के बाद खुला रहता है, जिसकी वजह तुम जानते हो…
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक “बार” होता!
यहां आकर यह मिसरा मुझे समझ में आया। इस मिसरे में “बार” अंगरेज़ी का है।
दो मर्तबा ग़ालिब ने मुझे भी बुलवाया मगर मुनीर नियाज़ी ने यहां भी मेरा पत्ता काट दिया। सौदा का घर मेरे क्वार्टर से सौ क़दम पर है। यहां आने के बाद मैं उनसे मिलने गया। मुझे देखते ही कहने लगे – मियां! तुम मेरा सौदा ला दिया करो। मान गया! सौदा का सौदा लाना मेरे लिए बाइस-ए-इज़्ज़त है। मगर जानी! जब सौदा हिसाब मांगते थे तो मुझ पर क़यामत गुज़र जाती थी। मियां! जन्नत की मुर्ग़ी इतनी महंगी ले आये – हलवा क्या नियाज़ फतेहपुरी की दुकान से ले आये? तुम्हें टिंडों की पहचान नहीं है? हर चीज़ पे ऐतराज़! मुझे लगता था वो शक करने लगे हैं कि मैं सौदे में से पैसे रख लेता हूं। चार दिन पहले मैंने उनसे कह दिया – मैं उर्दू अदब की तारीख का वाहिद शायर हूं, जो 80 लाख कैश छोड़ कर यहां आया है। आपके टिंडों से क्या कमाऊंगा? आपको बड़ा शायर मानता हूं, इसीलिए काम करने को तैयार हुआ – मैंने आपकी शायरी से किसी क़िस्म का फ़ायदा नहीं उठाया, आपकी कोई ज़मीन इस्तेमाल नहीं की। आइंदा अपना सौदा फैज़ अहमद फैज़ से मंग��ाया कीजिए ताकि वो आपका थोड़ा बहुत क़र्ज़ तो चुकाएं। मेरे हाथ में बैंगन था, वो मैंने सौदा को थमा दिया और कहा – बैंगन को मेरे हाथ से लेना के चला मैं…
इक शहद की नहर के किनारे अहमद फ़राज़ से मुलाक़ात हुई। मैंने कहा मेरे बाद आये हो, इस वजह से खुद को बड़ा शायर मत समझना। फ़राज़ ने कहा – मुशायरे में नहीं आया। फिर मुझसे पूछने लगे – उमराव जान कहां रहती है? मैंने कहा रुस्वा होने से बेहतर है घर चले जाओ – मुझे नहीं मालूम के वो कहां रहती है।
जानी! एक हूर है, जो मेरे घर हर जुमेरात की शाम आलू का भर्ता पका कर ले आती है। शायरी का भी शौक़ है, खुद भी लिखती है। मगर जानी जितनी देर वह मेरे घर रहती है, सिर्फ मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी का ज़िक्र करती है। उसको सिर्फ मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी से मिलने का शौक़ है। मैंने कहा ख़ुदा उनको लंबी ज़िंदगी दे, पाकिस्तान को उनकी बहुत ज़ुरूरत है। अगर मिलना चाहती हो तो ज़मीन पर जाओ, जिस क़िस्म की शायरी कर रही हो, करती रहो – वह खुद तुमको ढूंढ निकालेंगे और पिकनिक मनाने तुम्हें समंदर के किनारे ले जाएंगे।
इब्न-ए-इंशा, सय्यद मुहम्मद जाफरी, शौकत थानवी, दिलावर फ़िगार, फरीद जबलपुरी और ज़मीर जाफरी एक क्वार्टर में रहते हैं। इन लोगों ने 9 नवंबर को अल्लामा की पैदाइश के सिलसिल��� में डिनर का अहतमाम किया। अल्लामा इक़बाल, फैज़, क़ासमी, सूफी तबस्सुम, फ़राज़ और हम वक़्त-ए-मुक़र्रर पर पहुंच गये। क्वार्टर में अंधेरा था और दरवाज़े पर पर्ची लगी थी – हमलोग जहन्नुम की भैंस के पाये खाने जा रहे हैं, डिनर अगले साल 9 नवंबर को रखा है।
अगले दिन अल्लामा ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और उन सबकी अदबी महफिलों में शिरकत पर पाबंदी लगा दी।
तुमने अपने ख़त में मुशफ़ाक़ ख्वाजा के बारे में पूछा। वह यहां अकेले रहते हैं, कहीं नहीं जाते। मगर हैरत की बात है … जानी! मैंने उनके घर उर्दू और फ़ारसी के बड़े बड़े शायरों को आते जाते देखा है। यहां आने की जल्दी मत करना क्योंकि तुम्हारे वहां रहने में मेरा भी फ़ायदा है। अगर तुम भी यहां आ गये, तो फिर वहां मुझे कौन याद करेगा?
जीते रहो और किसी न किसी पर मरते रहो!! हम भी किसी न किसी पर मरते रहे मगर जानी! जीने का मौक़ा नहीं मिला!
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