#मुनगा
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11111aaaa68 · 9 months ago
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foodwithrecipes · 9 months ago
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Moringa parantha.  Moringa leaves are an excellent source of vitamins, minerals, and antioxidants. They contain vitamin A, vitamin C, vitamin E, calcium, potassium, and iron, Read the full recipe
https://foodrecipesoffical.com/wp-admin/post.php?post=2888&action=edit
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prabaldharamagazine · 2 years ago
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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल अपने प्रदेशव्यापी भेंट-मुलाकात अभियान के तहत आज रायपुर उत्तर विधानसभा के अंतर्गत त्रिमूर्ति नगर स्थित कौशल्या सोनी के घर पहुंचे। मुख्यमंत्री पंडरी में अपने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के बाद सुश्री सोनी के आतिथ्य में भोजन के लिए उनके घर आए, मुख्यमंत्री का सुश्री सोनी के परिवारजनों ने घर के मुख्य द्वार पर तिलक-आरती किया और पुष्प-गुच्छ तथा गमछा भेंटकर उनका आत्मीय स्वागत किया। इस अवसर पर  मुख्यमंत्री के साथ रायपुर उत्तर विधायक श्री कुलदीप जुनेजा,नगर निगम महापौर श्री एज़ाज़ ढेबर एवं अन्य उपस्थित थे ।
          मुख्यमंत्री ने सोनी परिवार के सदस्यों द्वारा सादगी के साथ परोसे गए स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी भोजन का स्वाद लिया।पर��वार ने पूरी आत्मीयता के साथ मुख्यमंत्री को भोजन में चावल, दाल, रोटी के साथ चौलाई भाजी, लाल भाजी,बोहार भाजी, मुनगा-बड़ी की सब्जी, खट्टा जिमी कंद और कद्दू, सलाद और पापड़ भी परोसा ।
  मुख्यमंत्री जी के साथ भोजन करके सोनी परिवार गदगद हो रहे थे। मुख्यमंत्री ने स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी भोजन के लिए सुश्री सोनी एवं उनके परिजनों को उपहार भेंटकर धन्यवाद दिया।      मुख्यमंत्री को अपने आतिथ्य में परिवार के बीच बैठकर भोजन करता पाकर परिवारजन खुशी से गदगद थे। मुख्यमंत्री को सुश्री सोनी ने बताया कि वह   पिछले 26 वर्षों से आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में कार्य कर रही है।पहले उसे नही के बराबर मानदेय राशि मिलती थी।सरकार द्वारा इस मानदेय राशि को बढ़ा कर 5 हज़ार रुपए कर दिया गया है।इस बढ़े मानदेय के लिए उन्होंने अपने आंगनबाड़ी सहायिकाओं की ��र से मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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merikheti · 2 years ago
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सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि|
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पश्चिमी देशों में ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट‘ (Nutrition Dynamite) के नाम से लोकप्रिय सुरजना एक सदाबहार और पर्णपाती वृक्ष होता है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे मुनगा, सेजन और सहजन (Munga, Sahjan, Moringa oleifera, Drumstick) नामों से जाना जाता है। बारहमासी सब्जी देने वाला यह पेड़ विश्व स्तर पर भारत में ही सर्वाधिक इस्तेमाल में लाया जाता है।
सुरजना पौधे का महत्व
यह वृक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी समझा जाता है और इसकी पत्तियां तथा जड़ों के अलावा तने का इस्तेमाल भी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। सुरजना या ड्रमस्टिक (Drumstick) कच्चा, सूखा, हरा हर हाल में बेशकीमती है मुनगा ।
सभी प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकने वाला यह पौधा राजस्थान जैसे रेगिस्तानी और शुष्क इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है।सीधी धूप पड़ने वाले इलाकों में इस पौधे की खेती सर्वाधिक की जा सकती है।
इस पौधे का एक और महत्व यह होता है कि इससे प्राप्त होने वाले बीजों से कई प्रकार का तेल निकाला जा सकता है और इस तेल की मदद से कई आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जाती है।
इसके बीज को गंदे पानी में मिलाने से यह पानी में उपलब्ध अपशिष्ट को सोख लेता है और अशुद्ध पानी को शुद्ध भी कर सकता है।
��म पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकने वाला यह पौधा जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के अलावा एक प्राकृतिक खाद और पोषक आहार के रूप में भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार केवल एक सहजन के पौधे से 200 से अधिक रोगों का इलाज किया जा सकता है।
यदि बात करें इस पौधे की पत्तियों और तने में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की, तो यह विटामिन ए, बी और सी की पूर्ति के अलावा कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम जैसे खनिजो की कमी को भी दूर करता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों में प्रोटीन की भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
वर्तमान में कई कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल रक्तशोधक बनाने के लिए किया जा रहा है। इस तैयार रक्तशोधक से आंखों की देखने की क्षमता को बढ़ाने के अलावा हृदय की बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जा रही है।ये भी पढ़ें: घर में ऐसे लगाएं करी-पत्ता का पौधा, खाने को बनाएगा स्वादिष्ट एवं खुशबूदार
सुरजना पौधे के उत्पादन की संपूर्ण विधि :
जैसा कि हमने आपको पहले बताया सुरजना का बीज सभी प्रकार की मृदाओं में आसानी से पल्लवित हो सकता है।
इस पौधे के अच्छे अंकुरण के लिए ताजा बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए और बीजों की बुवाई करने से पहले, उन्हें एक से दो दिन तक पानी में भिगोकर रख देना चाहिए।
सेजन पौधे की छोटी नर्सरी तैयार करने के लिए बालू और खेत की मृदा को जैविक खाद के साथ मिलाकर एक पॉलिथीन का बैग में भर लेना चाहिए। इस तैयार बैग में 2 से 3 इंच की गहराई पर बीजों का रोपण करके दस दिन का इंतजार करना चाहिए।
इन बड़ी थैलियों में सम���-समय पर सिंचाई की व्यवस्था का उचित प्रबंधन करना होगा और दस दिन के पश्चात अंकुरण शुरू होने के बाद इन्हें कम से कम 30 दिन तक उन पॉलिथीन की थैलियों में ही पानी देना होगा।
इसके पश्चात अपने खेत में 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा एक गड्ढा खोदकर थैली में से छोटी पौधों को निकाल कर रोपण कर सकते है।
पांच से छह महीनों में इस पौधे से ��लियां प्राप्त होनी शुरू हो जाती है और इन फलियों को तोड़कर अपने आसपास में स्थित किसी सब्जी मंडी में बेचा जा सकता है या फिर स्वयं के दैनिक इस्तेमाल में सब्जी के रूप में भी किया जा सकता है।
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सुरजना पौधे के उत्पादन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान :
सुरजाना पौधे के रोपण के बाद किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि इस पौधे को पानी की इतनी आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए सिंचाई का सीमित इस्तेमाल करें और खेत में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था भी रखें।
रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल की सीमित मात्रा में करना चाहिए, बेहतर होगा कि किसान भाई जैविक खाद का प्रयोग ही ज्यादा करें, क्योंकि कई रासायनिक कीटनाशक इस पौधे की वृद्धि को तो धीमा करते ही हैं, साथ ही इससे प्राप्त होने वाली उपज को भी पूरी तरह से कम कर सकते है।
घर में तैयार नर्सरी को खेत में लगाने से पहले ढंग से निराई गुड़ाई कर खरपतवार को हटा देना चाहिए और जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का पूरा पालन करना चाहिए।ये भी पढ़ें: जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई
सेजन उत्पादन के दौरान पौधे में लगने वाले रोग और उनका उपचार :
वैसे तो नर्सरी में अच्छी तरीके ��े पोषक तत्व मिलने की वजह से पौधे की प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी हो जाती है, लेकिन फिर भी कई घातक रोग इसके उत्पादकता को कम कर सकते है, जो कि निम्न प्रकार है :-
डंपिंग ऑफ रोग (Damping off Disease) :
पौधे की नर्सरी तैयार होने के दौरान ही इस रोग से ग्रसित होने की अधिक संभावना होती है। इस रोग में बीज से अंकुरित होने वाली पौध की मृत्यु दर 25 से 50 प्रतिशत तक हो सकती है। यह रोग नमी और ठंडी जलवायु में सबसे ज्यादा प्रभावी हो सकता है और पौधे में बीज के अंकुरण से पहले ही उसमें फफूंद लग जाती है।
इस रोग की एक और समस्या यह है कि एक बार बीज में यह रोग हो जाने के बाद इसका इलाज संभव नहीं होता है, हालांकि इसे फैलने से जरूर बचाया जा सकता है।
इस रोग से बचने के लिए पौधे की नर्सरी को हवादार बनाना होगा, जिसके लिए आप नर्सरी में इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन की थैली में चारों तरफ कुछ छेद कर सकते है, जिससे हवा आसानी से बह सके।
यदि बात करें रासायनिक उर्वरकों की तो केप्टोन (Captan) और बेनोमील प्लस (Benomyl Plus) तथा मेटैलेक्सिल (metalaxyl) जैसे फंगसनाशीयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेड़ नासूर रोग (Tree Canker Disease) :
सेजन के पौधों में यह समस्या जड़ और तने के अलावा शाखाओं में देखने को मिलती है।
इस रोग में पेड़ के कुछ हिस्से में कीटाणुओं और इनफैक्ट की वजह से पौधे की पत्तियां, तने और अलग-अलग शाखाएं गलना शुरू हो जाती है, हालांकि एक बार इस रोग के फैलने के बाद किसी भी केमिकल उपचार की मदद से इसे रोकना असंभव होता है, इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दी गई सलाह के अनुसार पेड़ के नासूर ग्रसित हिस्से को काटकर अलग करना होता है।
कुछ किसान पूरे पेड़ पर ही केमिकल का छिड़काव करते हैं, जिससे कि जिस हिस्से में यह रोग हुआ है इसका प्रभाव केवल वहीं तक सीमित रहे और पेड़ के दूसरे स्वस्थ भागों में यह ना फैले।
पेड़ के हिस्सों को काटने की प्रक्रिया सर्दियों के मौसम में करनी चाहिए, क्योंकि इस समय काटने के बाद बचा हुआ हिस्सा आसानी से रिकवर हो सकता है।ये भी पढ़ें: गर्मियों के मौसम में हरी सब्जियों के पौधों की देखभाल कैसे करें
गर्मी और बारिश के समय ��ें इस प्रक्रिया को अपनाने से पेड़ के आगे के हिस्से की वृद्धि दर भी पूरी तरीके से रुक जाती है।
इसके अलावा कई दूसरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों जैसे कि फंगस, वायरस और बैक्टीरिया की वजह कई और रोग भी हो सकते हैं परंतु इनका इलाज इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (Integrated Pest Management) विधि की मदद से बहुत ही कम लागत पर आसानी से किया जा सकता है।
आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को हर तरह से पोषक तत्व प्रदान करने वाला ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट’ यानी कि सुरजना की फसल के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी और भविष्य में आप भी कम लागत पर वैज्ञानिकों के द्वारा जारी एडवाइजरी का सही पालन कर अच्छा मुनाफा कर पाएंगे।
Source सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि
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shabdbeej · 5 years ago
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सहजन खाने के फायदे | Moringa eating benefits in hindi
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pratimamaurya · 2 years ago
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prakhar-pravakta · 2 years ago
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मानवाधिकार मिशन के तत्वावधान अमौधा में किया गया वृक्षारोपण
सतना। मानवाधिकार मिशन के तत्वावधान में वृक्षारोपण किया गया आंवला,जामुन,मुनगा,शीशम,अशोक आदि ऐसे दस पौधे रोपित करके पौधारोपण अभियान की शुरुआत किया गया,मिशन की रीवा सम्भाग प्रभारी-ज्योति खत्री जी,एवं मुख्यसचिव-आशीष गुप्ता अनुसार इस मौसम में 500 छायादार पौधे लगाये जाने के अभियान की शुरुआत की गई है,गौरतलब है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आक्सीजन की कमी के चलते लाखों लोगों को अपने प्राण गवाने…
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hindimerecipes · 3 years ago
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Munga Aloo ki Sabji
Munga Aloo ki Sabji
Munga Aloo ki Sabji in Hindi Munga aloo ki sabji खाने में बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी लगती हैं। आज के ब्लॉग में हम जानेंगे ये कैसे बनता हैं। इसकी पूरी जानकारी इस पोस्ट में स्टेप बाय स्टेप फोटो साथ उपलब्ध हैं। मुनगा को कईऔर भी नमो से जाना जाता हैं -सहजन ,ड्रमस्टिक ,सुट्टी ,मुरुंगक्कई मुनगा फल्ली में बहुत सरे पोषक तत्व पाये जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंदा हैं। अलावा इसमें खनिज और…
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divyabhashkar · 3 years ago
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Seepage aka sahajan Benefits for health Shashi kant Mishra Bhojpuri - Bhojpuri में पढ़ें
Seepage aka sahajan Benefits for health Shashi kant Mishra Bhojpuri – Bhojpuri में पढ़ें
नाम सुनले त जरूर होखब लेकिन इ शायद पता ना होइ कि सहजन से जादे चमत्कारी आ परोपकारी पौधा इ संसार में कौनो दोसर नइखे. जइसे माई भगवान बनके बच्चा के देखरेख करे ले, ओही तरह सहजन वैद्य बन के इंसान के चुस्त दूरूस्त रखे ला. एकर चमत्कारी गुण के वजह से ही प्रधानमंत्री मोदी जी आपन फिट इंडिया प्रोग्राम में सहजन के जिक्र कइले रहनीं. सहजन के कई गो नाम से जानल जाला-सहजना, सुजना, सेंजन, मुनगा. अंग्रेजी में एकरा…
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abhay121996-blog · 3 years ago
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69 स्कूलों के किचन गार्डन योजना पर लॉकडाउन पड़ा भारी Divya Sandesh
#Divyasandesh
69 स्कूलों के किचन गार्डन योजना पर लॉकडाउन पड़ा भारी
अनूपपुर। जिले की शासकीय स्कूलों में एमडीएम योजना के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले दोपहर के भोजन में स्कूलों के ही किचन गार्डन से निकलने वाली सब्जी-भाजी के उपयोग की कार्ययोजना विफल हो गई। यहां 69 स्कूलों के किचन गार्डन में उगाई गई सब्जियों लॉकडाउन के दौरान सूख गई या बेकार हो गई। जिसके बाद अब जिला पंचायत के एमडीएम योजना के तहत फिर से स्कूलों के बेकार पड़े परिसर को किचन गार्डन में तब्दील करने की योजना बनाई जा रही है। इस बार विभाग द्वारा 293 स्कूलों में किचन गार्डन के तहत सब्जी भाजी उगाए जाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जिसमें जल्द ही कार्य आरम्भ कर दिए जाएंगे। वहीं विभाग द्वारा ऐसे स्कूलों की भी सूची भेजी जा रही है, जिन स्कूलों में बाउंड्रीबॉल की सुविधा नहीं है। वहीं शासन द्वारा फेंसिंग कराकर भी किचन गार्डन योजना को जारी रखने की बात कही गई है। लेकिन शासन स्तर पर ही उपलब्ध होने वाली 5 हजार की राशि में किचन गार्डन के साथ फेंसिंग का कार्य सम्भव नहीं हो पाएगा।
यह खबर भी पढ़ें: वाजपेयी के साथ PMO में काम कर चुके हैं अश्विनी वैष्णव, संक्षिप्त में जानिए उनका अब तक का सियासी सफर
बताया जाता है कि स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के साथ पर्यावरण से जोडऩे की भी तैयारी क�� गई थी। जिसमें स्कूलों के किचन गार्डन में उगी हरी ताजी सब्जियां छात्रों को दोपहर में खाने के दौरान मिल सके बागवानी लगाने का कार्य आरम्भ किया गया था। इनमें 22 प्राथमिक स्कूलों में 22 किचन गार्डन तथा 47 माध्यमिक स्कूलों में 47 किचेन गार्डन बनाए गए। लेकिन में अधिकांश स्कूलों के किचन गार्डन अब सूख चुके हैं, कुछ जीवित भी है तो उनका उपयोग बच्चों के लिए नहीं हो पाया।
293 स्कूलों में किचन गार्डन लगाने की तैयारी एमडीएम जिला प्रबंधन अधिकारी पूनम सिंह ने बताया कि स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन में हरी ताजी सब्जियां खिलाना ही किचेन गार्डन बनाने का मुख्य मकसद है, ताकि बच्चों को पौष्टिक आहार प्राप्त हो सके। लॉकडाउन के कारण स्कूलों में बच्चों की कमी और शिक्षकों की नियमित देखभाल के अभाव में किचन गार्डन बेकार हो गए हैं। इनमें कुछ बेतहर हालत में भी है। लेकिन अब शासन द्वारा 293 किचन गार्डन की मंजूरी दी है। जिसके लिए लगभग 14 लाख 65 हजार की राशि प्रस्तावित है। इससे पूर्व 69 किचन गार्डन के लिए तीन लाख 45 हजार रुपये की राशि आवंटित हुई थी।
स्कूल प्रबंधन समिति की होगी जिम्मेदारी किचेन गार्डन में विभिन्न सब्जियों को उगाकर रोजाना मध्याह्न भोजन में इसका उपयोग किया जा सकेगा। सब्जियां उगाने की जिम्मेदारी प्रबंध स्कूल समिति को सौंपी गई है। इस पर आने वाली लागत की भी प्रबंध समिति द्वारा पूरा किया जाएगा। वहीं पोषण आहार के लिए मुनगा के पौधे रोपने की योजना भी बनाई गई है। इससे पूर्व भी किचन गार्डन की देखभाल स्कूल प्रबंधन समिति को ही सौंपी गई थी, लेकिन अब फिर से उन्हेंं यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
673 स्कूलों में नहीं बाउंड्रीबॉल जिला सर्वशिक्षा अभियान विभाग के अनुसार जिले के 673 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में बाउंड्रीबॉल की सुविधा नहीं है। जिसके कारण यहां किचन गार्डन जैसी योजना फिलहाल संचालित नहीं हो पाएगी। जिसमें अनूपपुर विकासखंड में 103,कोतमा 78,जैतहरी 186 एवं पुष्पराजगढ़ 306 बिना बाउंड्रीबॉल के स्कूल हैं। जिला प्रबंधक एमडीएम योजना पूनम सिंह के अनुसार पूर्व में 69 स्कूलों में लगाए गए किचन गार्डन में अधिकांश देखभाल के अभाव में सूख गए हैं। फिर से 293 स्कूलों का चयन किया गया है, जल्द ही यहां किचन गार्डन बनाकर बागवानी की जाएगी।  
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#immunityfood in hindi munga ki kadhi ,
दोस्तों आज हम मुनगा की कढ़ी बनाने की विधि बताने जा रहे हैं जो की स्वास्थ्य के बहुत ही लाभकारी है , इससे आपकेपेट सम्बन्धी पुराने स पुराना विकार भी आसानी से ठीक हो जायेगा, पेट के लिए रामबाण का काम करती है मुनगा की कढ़ी , दोस्तों मुनगा को पहले अच्छे से धोकर छील लें फिर इसे ४ से ५ इंच के टुकड़ों में काट ले ,
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harendraprakash · 4 years ago
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Drumstick in Hindi
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ड्रमस्टिक उन दुर्लभ पौधों की प्रजातियों में से एक है ! जिनके बीज, फूल, पत्ते, और तने खाद्य और अत्यंत पौष्टिक होते हैं ! ड्रमस्टिक को आमतौर पर मोरिंगा मुनगा अथवा सहजन के नाम से जाना जाता है ! इसे अपने विशेष शक्तिशाली गुणों के कारण ’सुपर प्लांट’ के रूप में माना जाता है ! जो हमारे शरीर में विभिन्न बीमारियों से हमारी रक्षा करते हैं ! पोषक तत्वों से भरपूर सहजन की जड़, फल फूल और पत्तियों तक का जिक्र आयुर्वेद में हैं ! इसके सेवन से डायबिटीज, कैंसर और हाई ब्लड प्रेशर जैसी असाध्य बीमारियां भी ठीक हो सकती हैं !
Read more.. Drumstick in Hindi
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merikheti · 2 years ago
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सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि
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पश्चिमी देशों में ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट‘ (Nutrition Dynamite) के नाम से लोकप्रिय सुरजना एक सदाबहार और पर्णपाती वृक्ष होता है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे मुनगा, सेजन और सहजन (Munga, Sahjan, Moringa oleifera, Drumstick) नामों से जाना जाता है। बारहमासी सब्जी देने वाला यह पेड़ विश्व स्तर पर भारत में ही सर्वाधिक इस्तेमाल में लाया जाता है।
सुरजना पौधे का महत्व
यह वृक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी समझा जाता है और इसकी पत्तियां तथा जड़ों के अलावा तने का इस्तेमाल भी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। सुरजना या ड्रमस्टिक (Drumstick) कच्चा, सूखा, हरा हर हाल में बेशकीमती है मुनगा ।
सभी प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकने वाला यह पौधा राजस्थान जैसे रेगिस्तानी और शुष्क इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है।सीधी धूप पड़ने वाले इलाकों में इस पौधे की खेती सर्वाधिक की जा सकती है।
इस पौधे का एक और महत्व यह होता है कि इससे प्राप्त होने वाले बीजों से कई प्रकार का तेल निकाला जा सकता है और इस तेल की मदद से कई आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जाती है।
इसके बीज को गंदे पानी में मिलाने से यह पानी में उपलब्ध अपशिष्ट को सोख लेता है और अशुद्ध पानी को शुद्ध भी कर सकता है।
कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकने वाला यह पौधा जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के अलावा एक प्राकृतिक खाद और पोषक आहार के रूप में भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार केवल एक सहजन के पौधे से 200 से अधिक रोगों का इलाज किया जा सकता है।
यदि बात करें इस पौधे की पत्तियों और तने में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की, तो यह विटामिन ए, बी और सी की पूर्ति के अलावा कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम जैसे खनिजो की कमी को भी दूर करता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों में प्रोटीन की भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
वर्तमान में कई कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल रक्तशोधक बनाने के लिए किया जा रहा है। इस तैयार रक्तशोधक से आंखों की देखने की क्षमता को बढ़ाने के अलावा हृदय की बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जा रही है।ये भी पढ़ें: घर में ऐसे लगाएं करी-पत्ता का पौधा, खाने को बनाएगा स्वादिष्ट एवं खुशबूदार
सुरजना पौधे के उत्पादन की संपूर्ण विधि :
जैसा कि हमने आपको पहले बताया सुरजना का बीज सभी प्रकार की मृदाओं में आसानी से पल्लवित हो सकता है।
इस पौधे के अच्छे अंकुरण के लिए ताजा बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए और बीजों की बुवाई करने से पहले, उन्हें एक से दो दिन तक पानी में भिगोकर रख देना चाहिए।
सेजन पौधे की छोटी नर्सरी तैयार करने के लिए बालू और खेत की मृदा को जैविक खाद के साथ मिलाकर एक पॉलिथीन का बैग में भर लेना चाहिए। इस तैयार बैग में 2 से 3 इंच की गहराई पर बीजों का रोपण करके दस दिन का इंतजार करना चाहिए।
इन बड़ी थैलियों में समय-समय पर सिंचाई की व्यवस्था का उचित प्रबंधन करना होगा और दस दिन के पश्चात अंकुरण शुरू होने के बाद इन्हें कम से कम 30 दिन तक उन पॉलिथीन की थैलियों में ही पानी देना होगा।
इसके पश्चात अपने खेत में 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा एक गड्ढा खोदकर थैली में से छोटी पौधों को निकाल कर रोपण कर सकते है।
पांच से छह महीनों में इस पौधे से फलियां प्राप्त होनी शुरू हो जाती है और इन फलियों को तोड़कर अपने आसपास में स्थित किसी सब्जी मंडी में बेचा जा सकता है या फिर स्वयं के दैनिक इस्तेमाल में सब्जी के रूप में भी किया जा सकता है।
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सुरजना पौधे के उत्पादन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान :
सुरजाना पौधे के रोपण के बाद किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि इस पौधे को पानी की इतनी आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए सिंचाई का सीमित इस्तेमाल करें और खेत में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था भी रखें।
रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल की सीमित मात्रा में करना चाहिए, बेहतर होगा कि किसान भाई जैविक खाद का प्रयोग ही ज्यादा करें, क्योंकि कई रासायनिक कीटनाशक इस पौधे की वृद्धि को तो धीमा करते ही हैं, साथ ही इससे प्राप्त होने वाली उपज को भी पूरी तरह से कम कर सकते है।
घर में तैयार नर्सरी को खेत में लगाने से पहले ढंग से निराई गुड़ाई कर खरपतवार को हटा देना चाहिए और जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का पूरा पालन करना चाहिए।ये भी पढ़ें: जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई
सेजन उत्पादन के दौरान पौधे में लगने वाले रोग और उनका उपचार :
वैसे तो नर्सरी में अच्छी तरीके से पोषक तत्व मिलने की वजह से पौधे की प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी हो जाती है, लेकिन फिर भी कई घातक रोग इसके उत्पादकता को कम कर सकते है, जो कि निम्न प्रकार है :-
डंपिंग ऑफ रोग (Damping off Disease) :
पौधे की नर्सरी तैयार होने के दौरान ही इस रोग से ग्रसित होने की अधिक संभावना होती है। इस रोग में बीज से अंकुरित होने वाली पौध की मृत्यु दर 25 से 50 प्रतिशत तक हो सकती है। यह रोग नमी और ठंडी जलवायु में सबसे ज्यादा प्रभावी हो सकता है और पौधे में बीज के अंकुरण से पहले ही उसमें फफूंद लग जाती है।
इस रोग की एक और समस्या यह है कि एक बार बीज में यह रोग हो जाने के बाद इसका इलाज संभव नहीं होता है, हालांकि इसे फैलने से जरूर बचाया जा सकता है।
इस रोग से बचने के लिए पौधे की नर्सरी को हवादार बनाना होगा, जिसके लिए आप नर्सरी में इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन की थैली में चारों तरफ कुछ छेद कर सकते है, जिससे हवा आसानी से बह सके।
यदि बात करें रासायनिक उर्वरकों की तो केप्टोन (Captan) और बेनोमील प्लस (Benomyl Plus) तथा मेटैलेक्सिल (metalaxyl) जैसे फंगसनाशीयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेड़ नासूर रोग (Tree Canker Disease) :
सेजन के पौधों में यह समस्या जड़ और तने के अलावा शाखाओं में देखने को मिलती है।
इस रोग में पेड़ के कुछ हिस्से में कीटाणुओं और इनफैक्ट की वजह से पौधे की पत्तियां, तने और अलग-अलग शाखाएं गलना शुरू हो जाती है, हालांकि एक बार इस रोग के फैलने के बाद किसी भी केमिकल उपचार की मदद से इसे रोकना असंभव होता है, इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दी गई सलाह के अनुसार पेड़ के नासूर ग्रसित हिस्से को काटकर अलग करना होता है।
कुछ किसान पूरे पेड़ पर ही केमिकल का छिड़काव करते हैं, जिससे कि जिस हिस्से में यह रोग हुआ है इसका प्रभाव केवल वहीं तक सीमित रहे और पेड़ के दूसरे स्वस्थ भागों में यह ना फैले।
पेड़ के हिस्सों को काटने की प्रक्रिया सर्दियों के मौसम में करनी चाहिए, क्योंकि इस समय काटने के बाद बचा हुआ हिस्सा आसानी से रिकवर हो सकता है।ये भी पढ़ें: गर्मियों के मौसम में हरी सब्जियों के पौधों की देखभाल कैसे करें
गर्मी और बारिश के समय में इस प्रक्रिया को अपनाने से पेड़ के आगे के हिस्से की वृद्धि दर भी पूरी तरीके से रुक जाती है।
इसके अलावा कई दूसरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों जैसे कि फंगस, वायरस और बैक्टीरिया की वजह कई और रोग भी हो सकते हैं परंतु इनका इलाज इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (Integrated Pest Management) विधि की मदद से बहुत ही कम लागत पर आसानी से किया जा सकता है।
आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को हर तरह से पोषक तत्व प्रदान करने वाला ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट’ यानी कि सुरजना की फसल के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी और भविष्य में आप भी कम लागत पर वैज्ञानिकों के द्वारा जारी एडवाइजरी का सही पालन कर अच्छा मुनाफा कर पाएंगे।
source सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि
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shaileshg · 4 years ago
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आईपीएल के रोमांच पर बॉलीवुड के विवाद भारी पड़ते दिख रहे हैं। वहीं, बिहार में भी राजनीतिक उठापटक तेज होती जा रही है। चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 4 इवेंट्स पर नजर रहेगी 1. भारतीय किसान यूनियन ने किसान बिल के विरोध में भारत बंद बुलाया है। 2. IPL में चेन्नई सुपरकिंग्स और दिल्ली कैपिटल्स आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच साढ़े सात बजे से शुरू होगा। 3. रकुलप्रीत सिंह से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो पूछताछ करेगा। 4. कंगना रनोट का ऑफिस तोड़े जाने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में आज भी सुनवाई जारी रहेगी।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें 1. कोहली की फिटनेस, मोदी की रेसिपी फिट इंडिया मूवमेंट का एक साल पूरा होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जानी मानी हस्तियों से बात की। क्रिकेटर विराट कोहली से चर्चा में मोदी ने पूछा कि क्या कैप्टन को भी योयो टेस्ट से गुजरना होता है? इस पर कोहली ने कहा, ‘इस टेस्ट में अगर मैं भी फेल हुआ तो सिलेक्शन नहीं हो पाएगा।’ वहीं, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट रुजुता दिवेकर से बातचीत में मोदी ने अपनी एक रेसिपी बताई। उन्होंने कहा कि वे सहजन (मुनगा या ड्रमस्टिक) के पराठे खाते हैं। -पढ़ें पूरी खबर
2. बीएमसी तो बहुत तेज है बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कंगना रनोट का ऑफिस तोड़े जाने के मामले में सुनवाई की। हाईकोर्ट ने कहा कि तोड़ी गई प्रॉपर्टी को यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता। सुनवाई के दौरान बेंच ने बीएमसी पर तंज कसा कि आप तो बहुत तेज हैं, फिर आपको और वक्त क्यों चाहिए? इस पर कंगना ने ट्वीट किया, ‘माननीय हाईकोर्ट, मेरी आंखों में आंसू आ गए।’ -पढ़ें पूरी खबर
3. बीएसई का मार्केट कैप 5 दिन में 10 लाख करोड़ घटा शेयर बाजार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। भारी बिकवाली के बीच गुरुवार को बीएसई 1172.44 अंक तक नीचे चला गया था। बाद में 1114.82 अंक या 2.96% नीचे बंद हुआ। बीते 5 दिनों में बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपए घटकर 148 लाख करोड़ पर आ गया है। -पढ़ें पूरी खबर
4. ड्रग्स केस में आगे क्या होगा? ड्रग्स केस में वॉट्सऐप चैट सामने आने के बाद दीपिका पादुकोण से कल यानी शनिवार को पूछताछ होगी। इस मामले में वॉट्सऐप चैट को एविडेंस के तौर पर मंजूर किया जा सकता है। यदि जांच में यह साबित हो जाए कि एक्ट्रेस ड्रग्स सिंडीकेट का हिस्सा हैं तो सजा जरूर मिलेगी। उन्हें माफी भी मिल सकती है। 2012 में फरदीन खान भी इसी आधार पर कोर्ट से माफी ले चुके हैं कि वे आगे कभी ड्रग्स नहीं लेंगे। -पढ़ें पूरी खबर
5. राजनीति में जाने वाले 10 डीजीपी की कहानी बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय इन दिनों छाए हुए हैं। उन्होंने रिटायरमेंट से पांच महीने पहले ही वीआरएस लिया है। उनका दावा है कि उन्हें 14 अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला है। वे इकलौते डीजीपी नहीं हैं, जो राजनीति में आए हैं। 1980 के दशक में बिहार के भागलपुर में आंख फोड़वा कांड को लेकर सियासत काफी गरमाई थी। वहां के एसपी रहे विष्णु दयाल राम बाद में झारखंड के डीजीपी बने और अब पलामू से सांसद हैं। -पढ़ें पूरी खबर
6. IPL में रोहित का नया रिकॉर्ड मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा आईपीएल में किसी भी टीम के खिलाफ सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में सबसे ऊपर हो गए हैं। रोहित ने बुधवार को अबु धाबी में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ 54 गें�� पर 80 रन बनाए। रोहित केकेआर के खिलाफ 26 मैच में 904 रन बना चुके हैं। यह किसी भी बल्लेबाज का एक टीम के खिलाफ सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड है। -पढ़ें पूरी खबर
अब 25 सितंबर का इतिहास 1524 - वास्कोडिगामा आखिरी बार वायसराय बनकर भारत आए। 1911 - फ्रांस के जंगी जहाज लिब्रीटे में टूलॉन हार्बर पर ब्लास्ट में 285 लाेगों की मौत। 1916 - भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म। 2010 - हिंदी के साहित्यकार कन्हैयालाल नंदन का निधन।
जाने माने रॉकेट साइंटिस्ट सतीश धवन 1920 में आज ही के दिन जन्म हुआ। पढ़ें, उन्हीं की कही एक बात...
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Deepika To Be Questioned In A Drugs Case Tomorrow, rakul preet questioning today;farmers strike and Modi’s fitness secret in Paratha
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abhay121996-blog · 4 years ago
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रायपुर: कमल की समृद्ध खेती-किसानी से प्रेरित होकर गांव के कई किसानों ने खुदवाया कुंआ Divya Sandesh
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रायपुर: कमल की समृद्ध खेती-किसानी से प्रेरित होकर गांव के कई किसानों ने खुदवाया कुंआ
रायपुर। कुंआ नि��्माण की वजह से किसान कमल की दिनो-दिन समृद्ध होती खेती-किसानी और मुनाफे को देखकर ग्राम पंचायत झिरिपानी के 30-35 किसानों ने भी अपने खेतों में कुंए का निर्माण कराकर अब बेहतर तरीके से फसलों का उत्पादन के साथ-साथ नकदी फसलों की भी खेती करने लगे हैं। इससे किसानों की आमदनी लगभग 30 से 40 हजार रूपए बढ़ गई है। मनरेगा के तहत कुंए का निर्माण होने से फसलों की सिंचाई के लिए जल उपलब्धता सुनिश्चित हुई है और किसान आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर होने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के अंतिम छोर में बसे देवभोग ब्लॉक के ग्राम झिरिपानी के सीमांत किसान कमल के खेत में निर्मित कुंए ने उसके जीवन में खुशहाली ला दी है। सिंचाई सुविधा उपलबध होने से कृषक कमल को अब खेती-किसानी से सालाना 60 से 70 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त होने लगी है। कृषक कमल के खेत में मनरेगा के तहत एक लाख 65 हजार रूपये की लागत से कूप का निर्माण हुआ है। कुऑ बनने के बाद किसान कमल ने परम्परागत खेती के साथ-साथ सब्जी-भाजी की भी खेती शुरू कर दी। जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ होने लगा है। कृषक कमल ने कुंआ के चारों ओर केला, पपीता, कटहल, मुनगा, अमरूद एवं अन्य फलदार पौधों का रोपण किया है। वह वर्तमान में बाड़ी विकसित कर उसमें टमाटर, तरोई, लौकी, मखना, बरबटटी, प्याज भाजी, सेमी, लहसुन, धनिया, भाटा आदि की खेती कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना अंतर्गत राज्य में संचालित आजीविका संवर्धन की गतिविधियों ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है। जीवन-यापन के साधनों को सशक्त कर लोगों की आर्थिक उन्नति की ओर बढ़ रहे हैं। महात्मा गांधी नरेगा से निर्मित संसाधनों ने हितग्राहियों की आजीविका को सुदृढ़ किया है। नए संसाधनों ने उन्हें इस काबिल भी बना दिया है कि अब वह कठिन परिस्थिति से उबरने लगे हैं।
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cg24xnews · 4 years ago
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कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायत के सी.ई.ओ. एवं डी.एफ.ओ. ने लगाया आंवला, नीम, मुनगा और अमरूद के पौधें
जिला चिकित्सालय परिसर में अधिकारी-कर्मचारियों सहित मीडिया कर्मियों ने भी लगाएं पौधें
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वृहद वृक्षारोपण महा अभियान से हरा-भरा होगा महा��मुंद
लक्ष्य रजक, महासमुंद। महासमुंद जिले में वृक्षारोपण अभियान को ध्यान में रखते हुए जिले में आज 11 जुलाई को द्वितीय चरण में करीब पौने दो लाख पौधे लगाए गए। इससे महासमुंद और हरा-भरा होगा। इस दौरान जिला प्रशासन द्वारा जिला अस्पताल परिसर में वृक्षारोपण किया गया। वृहद…
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