#मुंबई शहर ने समझाया
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संस्कृति विवि में ईशा देओल ने लगाए ठुमके, आह्ना ने बताया मतदान जरूरी
संस्कृति विवि में ईशा देओल ने लगाए ठुमके, आह्ना ने बताया मतदान जरूरी
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्पार्क-24 में मथुरा-वृंदावन की पूर्व भाजपा सांसद, वर्तमान उम्मीदवार श्रीमती हेमामालिनी की ख्यातिप्राप्त अदाकारा पुत्रियों ईशा देओल और आहना देओल ने पहुंच कर कार्यक्रम को और आकर्षक बना दिया। मंच पर पहुंचकर जहां ईशा देओल ने जहां जमकर ठुमके लगाए, वहीं आह्ना ने विद्यार्थियों से अधिक से अधिक वोट डालने की अपील की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ईशा देओल, आह्ना देओल, उद्योगपति वैभव वोहरा, भाजपा के शैक्षणिक प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक भास्कर दत्त द्विवेदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता भुवन भूषण कमल, संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन ��ुप्ता, सीईओ मीनाक्षी शर्मा, कुलपति प्रो.एनबी चेट्टी, कलाकार अनूप शर्मा के द्वारा किए गए दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मंच पर जब अदाकार, प्रोड्यूसर ईशा देओल विद्यार्थियों को अपनी बात कहने को हुईं तो उत्साह और रोमांच से लबरेज छात्र-छात्राओं ने इतना तेज स्वरों में उनका स्वागत किया कि वो बोलने से पहले ही मंत्रमुग्ध हो गईं। उन्होंने ब्रज से अपने प्रेम और आकर्षण की बात कही। उन्होंने कहा आप सब ब्रजवासी बहुत प्यारे हैं जिन्होंने हमारी मां को अपने प्रेम में बांध लिया है। इसी बीच पार्श्व में बज उठे तेज संगीत पर वो एकाएक मस्ती में आ गईं और गाने के बोलों पर यकायक ठुमके लगाने लगीं। बस छात्र-छात्रा यही तो चाह रहे थे, उनके साथ-साथ वे भी झूमने लगे। उन्होंने यादगार फिल्म शोले में पिता के प्रसिद्ध डायलाग भी बोले। ये क्रम चलता रहा और वे विद्यार्थियों के साथ खूब ठुमके लगाती रहीं। उनके बाद जब उनकी बहन आह्ना विद्यार्थियों से मुखातिब हुईं तो मंच पर निहायत संकोची, शर्मीली और कम बोलने वाली इस अदाकारा ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि कुछ करइये न करइये 26 अप्रैल को वोट डालने जरूर जाईये। उन्होंने मत के महत्व को समझाया। संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता आज नई भूमिका में नंजर आए। उन्होंने मंच पर ईशा देओल से अनेक सवाल किए। उन्होंने उनसे पूछा कि आपको अभिनय के क्षेत्र से एक प्रोड्यूसर की भूमिका में आने पर कैसा लगा तो उन्होंने कहा कि मेरे अंदर ऐसा कुछ था कि मुझे लगा कि मैं ये काम कर सकती हूं तो मैंने फिल्म प्रड्यूस की। अगला सवाल बहुत सीधा, सरल था कि आपको मथुरा कैसा लगा, ईशा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, उन्होंने कहा कि मुझे तो पहले इसलिए ही अच्छा लगता था कि मेरी मां को अच्छा लगता है लेकिन यहां आकर जो मैंने लोगों का प्यार देखा तो मुझे समझ आया कि ये शहर क्यूं अच्छा है। सचिन जी के इस सवाल कि मथुरा आपकी मां हेमाजी का पहला घर बन गया है और आपका दूसरा, क्या आप भी मथुरा को अपना पहला घर बनाना चाहेंगी। सवाल बहुत गहरा था ये बात ईशा के चेहरे के हावभाव देखकर ही नजर आ गई। उन्होंने बहुत सोचकर जवाब दिया कि हमारा घर मुंबई में है, मां को मथुरा बहुत रास आया उन्होंने यहां भी एक घर बना लिया, इसलिए मैं मानती हूं कि दोनों ही घर हमारे हैं।मंच पर संस्कृति एफम के आरजे जय और रजा फैजी की जोड़ी ने कलाकारों से खूब धमाल मचवाया तो दूसरी ओर छात्र-छात्राओं ने भी अनेक तरह की ख्वाहिशें व्यक्त कर कलाकारों की अदाओं का जमकर लुत्फ लिया।
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डूरंड कप, राजस्थान यूनाइटेड बनाम भारतीय नौसेना: कब और कहाँ देखना है; एटीके मोहन बागान, मुंबई शहर के लिए योग्यता परिदृश्य समझाया गया
डूरंड कप, राजस्थान यूनाइटेड बनाम भारतीय नौसेना: कब और कहाँ देखना है; एटीके मोहन बागान, मुंबई शहर के लिए योग्यता परिदृश्य समझाया गया
राजस्थान यूनाइटेड का सामना अंतिम ग्रुप बी फिक्सचर में भारतीय नौसेना एफटी से होगा जो निर्धारित करेगा कि कौन सी दो टीमें क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करेंगी। राजस्थान यूनाइटेड ने एटीके मोहन बागान को हराकर भारी उलटफेर करते हुए टूर्नामेंट की शुरुआत की थी। हालांकि आई-लीग की टीम को मुंबई सिटी एफसी (5-1) के खिलाफ भारी हार का सामना करना पड़ा, फिर भी उसके पास नॉकआउट के लिए क्वालीफाई करने का मौका…
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#एटीके मोहन बागान के लिए योग्यता परिदृश्य#डूरंड कप#डूरंड कप 2022#डूरंड कप ग्रुप बी में योग्यता परिदृश्य#डूरंड कप में योग्यता मानदंड#भारतीय नौसेना बनाम राजस्थान यूनाइटेड#मुंबई शहर ने समझाया#राजस्थान यूनाइटेड बनाम इंडियन नेवी
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उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे छोटे शहर से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में अपने दम पर अपनी मुकाम हासिल करने वाली गीता सिंह एक पब्लिक रिलेशन (पीआर) कंपनी चलाती हैं, 200 से ज्यादा उनके क्लाइंट्स हैं, 50 के करीब लोग उनके यहां काम करते हैं। सालाना 7 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। अभी पिछले ही महीने उन्होंने एस्टोनिया(यूरोप) में भी अपना एक ऑफिस खोला है।
33 साल की गीता एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। उनकी 12वीं तक पढ़ाई मेरठ के सरकारी स्कूल में हुई। उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया फिर एक निजी संस्थान से मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया।
उनके पापा सरकारी नौकरी करते थे, चार भाई बहनों की जरूरतें पूरी करने के लिए वे दिन-रात लगे रहते थे। वे चाहते थे कि गीता पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस बने, लेकिन गीता को कभी इनमें दिलचस्पी नहीं रही, वो हमेशा से चाहत�� थीं कि कुछ अपना करूं, 10 से 5 की शिफ्ट में काम करना उन्हें पसंद नहीं था।
वो बताती हैं कि डिप्लोमा करने के दौरान जब मैं अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती थी तो रास्ते में इंडियन ऑयल की एक बड़ी बिल्डिंग दिखती थी। मैं पूरी राह उसे निहारते हुए जाती थी, सोचती थी कि एक दिन ऐसी ही बिल्डिंग में मेरा दफ्तर होगा, जहां मैं खुद का काम करूंगी। लेकिन कब और कैसे करूंगी, यह तय नहीं कर पा रही थी। डिप्लोमा के बाद 4 साल तक मैंने कई कंपनियों में काम किया। पीआर मैनेजमेंट से लेकर कंटेंट क्रिएशन तक। इससे मुझे बहुत कुछ सीखने समझने को मिला।
गीता अपने टीम मेंबर्स के साथ। आज उनकी टीम में 50 लोग हैं, 300 से ज्यादा लोग फ्रीलांस के रूप में भी काम करते हैं।
गीता बताती हैं कि 2011-12 में फेसबुक पर एक ग्रुप में किसी ने पोस्ट शेयर किया था, उन्हें कुछ कंटेंट राइटर की जरूरत थी। मैंने उनसे कॉन्टैक्ट किया और उनका काम ले लिया। तब मैं अपनी जॉब भी कर रही थी, कुछ दिन उनका काम किया। फिर मुझे बर्डेन महसूस होने लगा, मैं अकेले इतना कुछ कैसे कर पाऊंगी। मैंने एक दोस्त से बात की और उनकी मदद से कुछ और लोगों में काम बांट दिया। तब एक महीने में 70-80 हजार रुपए मैंने कमाए थे। मेरे लिए वो काम टर्निंग पॉइंट था। मेरा आत्मविश्वास मजबूत हुआ था। मेरे दोस्त भी कहने लगे कि तुम अब अपना काम शुरू करो।
लेकिन एक मिडिल क्लास फैमिली में वो भी एक लड़की के लिए नौकरी छोड़कर खुद का बिजनेस शुरू करना आसान नहीं था। जब मैंने पापा को नौकरी छोड़ने और अपना काम शुरू करने के बारे में बताया तो वे इसके लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अगर जॉब छोड़ रही हो तो फिर सरकारी नौकरी की तैयारी करो, कोचिंग करो। उनको कहीं न कहीं यह लगता था कि अकेली लड़की सबकुछ कैसे मैनेज कर पाएगी, पैसे कहां से आएंग��।
फिर मैंने उन्हें काफी समझाया। ��ापा उस समय दिल्ली में ही पोस्टेड थे, मैं भी उनके साथ ही रहती थी। तब मेरे पास कुछ सेविंग थी। कुछ पैसे पापा से लिए और कुछ दीदी से। करीब 50 हजार रुपए से 2012-13 में काम शुरू किया। शुरुआत में घर के एक कमरे को ही ऑफिस बनाया। तब सिर्फ एक स्टाफ को मैंने हायर किया था। पैसों की बचत के लिए खुद ही कमरे की साफ सफाई करती थी, सबके टेबल अरेंज करती थी, क्योंकि ऑफिस में एक्स्ट्रा स्टाफ रखने के पैसे नहीं थे।
तस्वीर तब की है जब गीता के मम्मी-पापा उनके ऑफिस पहुंचे थे। गीता के पापा एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं।
जहां तक मुझे याद है, पहले महीने में 60-70 हजार रुपए की आमदनी हुई थी। जिससे मैंने कुछ कम्प्यूटर और ऑफिस के सामान खरीदे थे। चूंकि मैंने इस फील्ड में काम किया था तो क्लाइंट्स बनाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। जैसे- जैसे काम बढ़ता गया वैसे-वैसे क्लाइंट्स बढ़ते गए। उसके बाद हमने दूसरी जगह अपना ऑफिस शिफ्ट किया। आज देश के 180 से ज्यादा शहरों में हमारा नेटवर्क है। अभी हाल ही में एस्टोनिया में भी हमने अपना एक ऑफिस खोला है, जहां मेरी छोटी बहन काम संभालती है।
वो कहती हैं, 'अगर लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो हमारा मुंबई में भी एक ऑफिस होता। हमने डील फाइनल कर ली थी, बस पेमेंट करना बाकी था तभी लॉकडाउन लग गया। इस दौरान मुझे भी दूसरे लोगों की तरह दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई प्रोजेक्ट पेंडिंग रह गए, कई क्लाइंट्स मजबूरी का फायदा उठाकर आधे दाम में डील करने का दबाव बनाते थे। इस साल को तो हम अपने बिजनेस ईयर में काउंट ही नहीं कर रहे हैं। हालांकि अब पिछले दो महीने से धीरे- धीरे चीजें वापस पटरी पर लौट रही हैं।
गीता कहती हैं, ' पहले पापा मुझसे क��ते थे कि उनके डायरेक्टर का बेटा डॉक्टर बना है, उनके दोस्त की बेटी इंजीनियर बनी है और तुम मेरी सुनती ही नहीं हो। लेकिन आज वे मेरे काम से बहुत खुश हैं, वे अपने दोस्तों से मेरे काम के बारे में बात करते हैं। वो कहती हैं, ' 2015 में अपने पेरेंट्स के साथ पुष्कर गई थी। मम्मी- पापा पहली बार प्लेन में चढ़े थे। वे लोग बहुत खुश थे, उस समय उनकी जो फीलिंग्स थी उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, सिर्फ महसूस किया जा सकता है। उनके इस सफर में उनके हसबैंड का भी भरपूर सपोर्ट रहा है। वे अक्सर उन्हें गिफ्ट के रूप में लैपटॉप या ऑफिस की जरूरत वाली चीजें दिया करते हैं।
गीता सिंह पतंजलि के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण के साथ। उनकी कंपनी ने पंतजलि के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।
पीआर मैनेजमेंट से लेकर पॉलिटिकल कैम्पेनिंग तक
गीता बताती हैं कि हम लोग मुख्य रूप से अभी सोशल मीडिया मार्केटिंग, पॉलिटिकल इमेज ब्रांडिंग और कैम्पेनिंग, पब्लिक रिलेशन (पीआर), कंटेंट क्रिएशन और ट्रांसलेशन का काम करते हैं। लोकसभा चुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हमारी टीम काम कर चुकी है। अभी भी कुछ पॉलिटिकल लोगों के काम हमारे पास हैं।
200 से ज्यादा क्लाइंट्स जुड़े हैं
गीता की कम्पनी के साथ अभी 200 से ज्यादा क्लाइंट्स जुड़े हैं। जिनमें पतंजलि, पियर्सन, आईआईटी दिल्ली, पायोनियर इंडिया जैसे ब्रांड्स शामिल हैं। गीता बताती हैं कि पतंजलि के लिए हमने ट्रांसलेशन और बुक पब्लिकेशन का काम किया है और अभी भी कर रहे हैं।
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यूपी के मेरठ की रहने वाली गीता सिंह दिल्ली में एक पीआर कंपनी चलाती हैं। देश के 180 शहरों में उनका नेटवर्क हैं। हाल ही में एस्टोनिया में भी उन्होंने अपना एक ऑफिस खोला है।
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Kangana Vs Raut: कंगना के ओपन चैलेंज का राउत ने दिया जवाब, कहा- मुंबई मराठी मानुष के बाप की, महाराष्ट्र के दुश्मनों को करेंगे खत्म https://ift.tt/3jPoiKz
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के ओपन चैलेंज पर शिवसेना सांसद संजय राउत का बयान सामने आया है। उन्होंने ट्विटर पर मराठी भाषा में कंगना को जवाब देते हुए कहा, 'मुंबई मराठी मानुष के बाप की है। उन्होंने इसके साथ ही एक धमकी भी दी है। राउत ने कहा कि शिवसेना महाराष्ट्र के ऐसे दुश्मनों को खत्म किए बिना नहीं रुकेगी।
सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में महाराष्ट्र सरकार व ��ुंबई पुलिस पर लगातार हमले कर रही अभिनेत्री कंगना रनौत और शिवसेना आमने-सामने आ गई हैं। कंगना के बयान पर पलटवार करते हुए शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा है कि मुंबई मराठी भाषियों की है। कंगना के बयान से नाराज शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने कंगना के पोस्टर पर चप्पल मारे और उनके खिलाफ नारेबाजी की।
शुक्रवार को राऊत ने पहले कंगना का नाम लिए बैगर उन पर बड़ा हमला बोला। राऊत ने कहा कि मैं शिवसैनिक हूं। मैं खोखली धमकी नहीं देता हूं। मैं एक्शन वाला आदमी हूं। राऊत ने कंगना को ऐरा गैरा और मानसिक रूप से बीमार करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐरे गैरे लोग जिनका मुंबई से कोई संबंध नहीं हैं, वे मुंबई पुलिस के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं। उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार, प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख और पुलिस दल प्रमुख को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इसके बाद कगंना ने ट्विट कर कहा है कि मैं मुंबई आ रही हूं, जिसके बाप में हिम्मत हो रोक ले। कंगना को जवाब देते हुए राऊत ने कहा कि मुंबई मराठी भाषियों के बाप की है। जिनको यह मान्य नहीं है वे अपने बाप को दिखाएं। शिवसेना ऐसे महाराष्ट्र के दुश्मनों का श्राद्ध दिए बिना नहीं रहेगी।
मुंबई ही मराठी माणसाच्या बापाचीच आहे...ज्यांना हे मान्य नसेल त्यांनी त्यांचा बाप दाखवावा..शिवसेना अशा महाराष्ट्र दुष्मनांचे श्राद्ध घातल्या शिवाय राहाणार नाही. promise. जय हिंद जय महाराष्ट्र
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) September 4, 2020
बता दें कि कंगना ने कहा था, 'मैं देख रही हूं कि बहुत से लोग मुझे धमकी दे रहे हैं कि मैं मुंबई वापस नहीं आऊं। इसलिए मैंने अब आने वाले सप्ताह में 9 सितंबर को मुंबई की यात्रा करने का फैसला किया है। मैं जिस समय मुंबई पहुंच जाऊंगी, वो टाइम भी सभी के साथ जरूर शेयर करूंगी। किसी के बाप में हिम्मत है तो रोक ले।'
I see many people are threatening me to not come back to Mumbai so I have now decided to travel to Mumbai this coming week on 9th September, I will post the time when I land at the Mumbai airport, kisi ke baap mein himmat hai toh rok le https://t.co/9706wS2qEd
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) September 4, 2020
दरअसल, बीते दिनों कंगना रनौत ने कहा था कि उन्हें बॉलिवुड के ड्रग लिंक के बा��े में काफी कुछ पता है। वह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद करना चाहती हैं लेकिन उन्हें सुरक्षा चाहिए। इस पर बीजेपी लीडर राम कदम ने महाराष्ट्र सरकार को ट्वीट करके सवाल उठाया था। इसके बाद कंगना ने जवाब दिया था कि वह सेंटर या हिमाचल प्रदेश से सुरक्षा चाहती हैं। मुंबई पुलिस से उन्होंने डर बताया था।
कंगना के इस बयान का जवाब देते हुए संजय राउत ने 'सामना' में लिखा, मुंबई में रहते हुए कंगना का ऐसा कहना शर्मनाक है। राउत ने कहा, हम उनसे रिक्वेस्ट करते हैं कि कृपया मुंबई न आएं। यह मुंबई पुलिस की बेइज्जती है। गृह मंत्रालय को इस पर ऐक्शन लेना चाहिए।
इसके बाद कगंना ने एक और ट्वीट करते हुए कहा कि शिवसेना नेता संजय राउत ने मुझे खुली धमकी दी है और मुंबई वापस न आने के लिए कहा है। पहले मुंबई की सड़कों पर आजादी के नारे लगे और अब खुली धमकी मिल रही है। आखिर मुंबई पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) जैसा क्यों महसूस कर रही है?' इसके पहले अभिनेत्री ने कहा था कि उन्हें फिल्म माफिया से ज्यादा शहर की पुलिस से डर लगता है।
कंगना का मुंह फोड़ देंगी महिला कार्यकर्ता- सरनाईक
शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा कि शिवसेना सांसद राऊत ने कंगना को आसान शब्दों में समझाया है। लेकिन यदि कंगना मुंबई में आएंगी तो शिवसेना की महिला कार्यकर्ता उनका मुंह तोड़े बिना नहीं करेंगी। मैं प्रदेश के गृहमंत्री अनिल देशमुख से कंगना के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग करूंगा।
गृहमंत्री का बयान उचित नहीं- दरेकर
दूसरी ओर विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि प्रदेश के गृहमंत्री अनिल देशमुख का राजनीतिक दल के नेताओं की तरह बयान देना उचित नहीं है। देशमुख कानून के रक्षक हैं। गृहमंत्री का बयान राज्य सरकार और पुलिस की औपचारिक भूमिका होता है। इसलिए उन्हें कंगना को मुंबई में रहने का अधिकार है या नहीं इस बारे में राजनीतिक बयान नहीं देना चाहिए। दरेकर ने कहा कि कंगना के बयान से भाजपा सहमत नहीं है। मुंबई को बदनाम करने वाले बयान को हम सहन नहीं करेंगे। मैं आ रही हूं मुंबई, किसी के बाप में हिम्मत हो तो रोक लेः कंगना रनौत
इस बीच फिल्म अभिनेत्री कंरना रनौत ने शुक्रवार को ट्विट कर कहा कि मैं किसी से डरने वाली नहीं हूं। बहुत से लोग मुझे धमकी दे रहे हैं कि मैं मुंबई न आऊ पर अब मैंने तय किया है कि अगले सप्ताह 9 सितंबर को मुंबई आऊंगी। उन्होंने कहा कि "मैं वह समय भी बता दूंगी जब मेरा विमान मुंबई एयरपोर्ट पर उतरेगा। किसी के बाप में हिम्मत है तो रोक ले’
मैं मराठा हूं
शिवसेना द्व्रारा इसे प्रांतवाद की रंग देने के बाद कंगना ने एक और ट्विट कर कहा कि महाराष्ट्र उसी का है जिसने मराठी गौरव को प्रतिष्ठित किया है। मैं मराठा हूं। जो करना है कर लो। उन्होंने कहा कि इनकी औकात नहीं, इडस्ट्री के सौ सालों मे एक ��ी मराठा प्राईड फिल्म बनाई हो। इस्लाम डामिनेटड इंडस्ट्री में अपनी जान की बाजी लगाकर शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मीबाई पर फिल्में बनाई। महाराष्ट्र के ठेकेदारों से पूछा कि क्या किया महाराष्ट्र के लिए।
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Bollywood actress Kangana Ranaut given open challenge to Sanjay Raut
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लॉकडाउन खत्म होने की उम्मीद में मुंबई के स्टेशन पर उमड़ा मजदूरों का सैलाब, लाठीचार्ज - Mumbai migrant workers gathered at bandra station thinking lock down will get over
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लॉकडाउन खत्म होने की उम्मीद में मुंबई के स्टेशन पर उमड़ा मजदूरों का सैलाब, लाठीचार्ज - Mumbai migrant workers gathered at bandra station thinking lock down will get over
कोरोना ��ायरस से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इस बीच, मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई. ये सभी मजदूर घर जाने के लिए स्टेशन पर पहुंच गए. मजदूरों को उम्मीद थी लॉकडाउन खत्म हो जाएगा. उन्हें हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया.
बताया जा रहा है कि पुलिस की कार्रवाई के बाद भीड़ हट गई. स्थानीय नेताओं का कह��ा है कि लोगों को समझाया जा रहा है कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी और हर संभव मदद की जाएगी. महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इन मजदूरों के खाने का इंतजाम करेगी. हम मजदूरों को समझा रहे हैं कि उनकी परिस्थितियों को सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे.
इस पूरी घटना पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि बांद्रा स्टेशन पर वर्तमान स्थिति, मजदूरों को हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि सूरत में हाल में कुछ मजदूरों ने दंगा किया था. केंद्र सरकार उन्हें घर पहुंचाने को लेकर फैसला नहीं ले पाई. आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है. प्रवासी मजदूर खाना और शेल्टर नहीं चाहते हैं, वे घर जाना चाहते हैं.
आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि सूरत में कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक एक समान स्थिति के रूप में देखी गई है. सभी प्रवासी श्रमिक शिविरों से प्रतिक्रिया समान है. कई खाने या रहने से इंकार कर रहे हैं. वर्तमान में महाराष्ट्र में विभिन्न आश्रय शिविरों में 6 लाख से अधिक लोगों को रखा गया है.
बता दें कि इससे पहले लॉकडाउन-1 के ऐलान के बाद दिल्ली के आनंद विहार और यूपी के कौशांबी बस अड्डे पर भी हजारों लोग जुट गए थे. इन्हें दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से डीटीसी की बसों से उनके घर भेजा गया था.
लॉकडाउन खत्म समझकर मजदूर पहुंचे स्टेशन
मजदूर लॉकडाउन खत्म होने की उम्मीद से स्टेशन पहुंच गए. उन्हें उम्मीद थी अपने घरों को जाने के लिए वहां से सवारी ट्रेन मिल जाएगी. हजारों की भीड़ देखकर पुलिस प्रशासन के भी होश उड़ गए. लोगों को हटाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित
बता दें महाराष्ट्र कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित है. यहां मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. राज्य में मरीजों की संख्या 2300 के पार पहुंच गई है. महाराष्ट्र में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर मुंबई है. यहां कोरोना के 1700 से ज्यादा केस हैं.
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किताबों में पढ़ा जा रहा है दीपिका पादुकोण को लिखा हुआ Letter, ये है कारण मुंबई. आप सभी को जरुर याद होगा जब फिल्मफेयर अवार्डस में दीपिका पादुकोण को फिल्म ‘पीकू’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला था और उन्होंने अपने पिता का लेटर पढ़ा था। दरअसल गुजरात एजुकेशन बोर्ड के 12वीं कक्षा के कॉमर्स स्टूडेंट उस लेटर को पढ़ रहे हैं, जो प्रकाश पादुकोण ने अपनी बेटी दीपिका और अनीषा पादुकोण को लिखा था। बोर्ड ने कॉमर्स की किताब में यूनिट चार में फैमिली बॉन्डिंग और ह्यूमन वैल्यूज का महत्व समझाया है। इसी के तहत पूर्व बैडमिंटन प्लेयर प्रकाश पादुकोण द्वारा बहुत पहले लिखा गया एक लेटर किताब में छापा गया है। पिता के बेटियों को लिखे पत्र में शामिल है प्यार...पत्र में लिखा है,-तुम दोनों उस मोड़ पर हो, जहां से जिंदगी शुरू होती है। मैं तुमसे वो सबक साझा करना चाहता हूं, जो जिंदगी ने मुझे सिखाए हैं। सालों पहले बेंगलुरू में एक छोटे बच्चे ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, तब ना तो कोई स्टेडियम थे और ना ही कोई बैडमिंटन कोर्ट जहां ट्रेनिंग ली जा सके। अपने करियर और जिंदगी दोनों से मैंने कभी कोई शिकवा नहीं किया और यही मैं तुम बच्चों को सिखाना चाहता हूं कि जुनून, कड़ी मेहनत, जिद और जज्बे की जगह कोई चीज नहीं ले सकती।-दीपिका जब तुमने 18 साल की उम्र में कहा था कि तुम्हें मुंबई जाना है, क्योंकि तुम मॉडलिंग करना चाहती हो तो हमें लगा था कि तुम एक बड़े शहर और एक बड़ी इंडस्ट्री के लिए बहुत छोटी हो और तुम्हें कोई तजुर्बा भी नहीं है, लेकिन आखिर में हमने तय किया कि तुम्हें तुम्हारे दिल की करने दिया जाए।-क्योंकि हमें लगा कि तुम्हें वो सपना पूरा करने का मौका नहीं देना जिसके साथ तुम बड़ी हुई हो ये बहुत गलत है. तुम कामयाब हो जाती तो हमें गर्व होता और अगर नहीं होती तो तुम्हें कभी अफसोस नहीं होता क्योंकि तुमने कोशिश की थी। याद रखो कि मैंने तुम्हें हमेशा यही बताया है कि दुनिया में अपना रास्ता कैसे बनाना है. बिना अपने माता-पिता ��े उम्मीद किए कि वे उंगल�� पकड़कर तुम्हें वहां पहुंचाएंगे।-तुम कभी सोचती होगी कि हम तुम्हें एक स्टार समझने को क्यों तैयार नहीं हैं,तो ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम हमारे लिए बेटी पहले हो और एक फिल्म स्टार बाद में।
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भारत को घरेलू एलईडी निर्यात तेजी से भा मा ब् यूरो प्रमाणन या व्यापार परिवर्तन गिर गया
ऑप्टो कं, लिमिटेड शेन्ज़ेन बढ़ी,एलईडी बाढ़ प्रकाश निर्माता,एलईडी दीवार वॉशर लाइट आपूर्तिकर्ताओं,smd 5730 फ्लड लाइट एलईडी हाल ही में, मीडिया की सूचना दी कि 31 अक्तूबर को भारत में दीवाली के त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष शुरुआत की, लेकिन सेट चीनी माल भारत और अधिक करने के लिए फैल की लहर का विरोध करने के लिए सामाजिक मीडिया द्वारा चीन के उत्पादन की लालटेन लालटेन और एलईडी रोशनी, मुंबई की बिक्री में 30% से 50% तक गिर गया। पत्रकारों में भारत का नेतृत्व व्यापार हितधारकों को शामिल करने के लिए कि घरेलू एलईडी में अपने व्यापार के लिए भारत निर्यात करता है, लगभग Bacheng संख्या गिरा दिया पुष्टि की। लेकिन मुख्य रूप से भारत सरकार ने पिछले साल भारत एलईडी, जो सख्ती से इस साल, सामाजिक मीडिया ितिषकार का परिणाम नहीं लागू किया गया था करने के लिए आयात के लिए भा मा ब् यूरो प्रमाणन जारी किए गए। भारत में एक भारतीय व्यापार ने कहा कि उपरोक्त कारकों के आधार पर, संलग्न करने के लिए भारत के नेतृत्व में व्यापार, निर्यात नेतृत्व हिस्सों भविष्य हो जाएगा के तरीके को परिवर्तित करने के लिए शुरू हो गया है और उच्च अंत एलईडी-आधारित। भा मा ब् यूरो प्रमाणन गिरावट के लिए मुख्य कारण के रूप में सार्वजनिक जानकारी से पता चलता है कि भा मा ब् यूरो प्रमाणन भारतीय मानकों के ब्यूरो (ब्यूरो के रूप में भा मा ब् यूरो अर्जी IndianStandards,) द्वारा विशिष्ट प्रमाणीकरण करने के लिए संदर्भित करता है। B एलईडी प्रमाणीकरण करने के लिए घरेलू प्रमाणन 3c समान है, मई पिछले वर्ष, हाल ही में सख्त कार्यान्वयन, घरेलू भा मा ब् यूरो प्रमाणन बनाने के कार्यान्वयन की शुरुआत से नहीं पाने के एलईडी व्यापार भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकते हैं नहीं किया। एलईडी प्रकाश व्यापार लकड़ी Linsen (002745) भारतीय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लिन Yida भारतीय बार छुट्टी से पहले चीन की घटना का विरोध करने के लिए प्रकट किया, लेकिन केवल कुछ का नेतृत्व किया है। और भारतीय लाल के वर्तमान मीडिया कवरेज के कुछ अनुभाग एलईडी बिक्री परिवर्तन, प्रकाश कई खुदरा मुख्य रूप से, कर रहे हैं, क्योंकि डेटा की गणना करने के लिए मुश्किल है। लिन Yida आगे समझाया कि घरेलू एलईडी निर्यात भारत के लिए की संख्या में एक महत्वपूर्ण कमी हो जाएगी, मुख्य रूप से एलईडी की घरेलू उत्पादन नहीं मिलना है क्योंकि उपयुक्त मानकों, भा मा ब् यूरो प्रमाणन, के कार्यान्वयन के सख्त घरेलू एलईडी भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। हालांकि भारत की मुख्य धारा में एलईडी एलईडी अमानक बाजार के घरेलू उत्पादन भारत एलईडी, के सभी आयात के लिए इस आवश्यकता। गुआंग्डोंग इलेक्ट्रिक प्रकाश एसोसिएशन महासचिव Guo xiu लॉग विश्लेषण, अब तक, पर्यावरण, का प्रभावी उपयोग भारत की वोल्टेज, एलईडी के उपयोग में जिसके परिणामस्वरूप की अस्थिरता प्रदान नहीं कर सकते हैं और भारत की एलईडी ��ाजार है और अराजक, एलईडी की कीमत के लिए बहुत ही संवेदनशील, व्यवसायों और अधिक एलईडी की कीमत पर ध्यान। जबकि घरेलू एलईडी उत्पादन मानकों और 3 बार एलईडी, मूल्य अंतर के बारे में के बीच मानकों को पूरा नहीं करते। जो भारत का नेतृत्व किया, ज्यादातर छोटे और मध्यम उद्यमों के घरेलू निर्माण के लिए करने के लिए घरेलू निर्यात करने के लिए नेतृत्व किया। हालांकि, भारत सरकार के सख्त कार्यान्वयन के अलावा भा मा ब् यूरो प्रमाणन, एलईडी की घरेलू उत्पादन है एक कम कीमत लाभ के बाद धीरे-धीरे गायब हो गया है। लिन Yida परिचय है, और अब भारत के घरेलू उत्पादन के विनिर्देशों एलईडी के साथ कतार में कीमत चीन के एलईडी, जो भारतीय उपभोक्ताओं को एलईडी की खरीद में कमजोर हो, जब कीमत कारक पर विचार करने के लिए इसी तरह किया गया है। नेतृत्व हिस्सों और उच्च अंत उत्पादों का निर्यात हालांकि घरेलू एलईडी ब्लॉक किया गया है, लेकिन भारत की घरेलू कंपनियों के एलईडी और एलईडी बाजार, व्यापारियों, के लिए भारी मांग के भविष्य पर आधारित भारत को निर्यात व्यापार निर्यात का मोड परिवर्तित करने के लिए भा मा ब् यूरो प्रमाणन के सख्त कार्यान्वयन और कम लागत लाभ, के लापता होने शुरू कर दिया। Zhongshan शहर, हान फेंग प्रकाश कं, लिमिटेड जनरल मैनेजर लुओ Duanxing ने कहा कि उद्यम भारतीय एलईडी बाजार आधिकारिक तौर पर दर्ज नहीं है, लेकिन के बारे में चिंतित, भविष्य को मशीन में दर्ज करने के लिए तैयार किया गया है। हालांकि घरेलू एलईडी की एक बड़ी संख्या के लिए भा मा ब् यूरो प्रमाणन भारत के लिए है, लेकिन एलईडी सहायक उपकरण के घरेलू खरीद में निर्यात करने के लिए मुश्किल है, और उसके बाद जिस तरह से इकट्ठा करने के लिए भारत को, भारत सरकार दे देंगे उद्यम छूट और सब्सिडी, ताकि इन उद्यमों के रोजगार, स्थानीय संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्राथमिकता देने और स्थानीय श्रम लागत तक घरेलू से कम टैक्स। Guo Xiu परिचय, एलईडी, खरीद करने के लिए मूल कई भारतीय खरीदारों के लिए चीन ज्यादातर संपर्क कम अं��� एलईडी विनिर्माण उद्यमों के साथ, लेकिन यह भी, क्योंकि जो लोग सुई की भूमिका में व्यापारियों में एक भूमिका निभाई है, ताकि इन उद्यमों भारतीय नेतृत्व गैर-मानक बाजार पर कब्जा। और वहाँ है, क्योंकि व्यापारियों से कोई संचार उन सफल संक्रमण क्या उच्च अंत एलईडी व्यापार करने के लिए, यह भारतीय एलईडी के बाजार में प्रवेश करने के लिए मुश्किल है। कि वर्तमान घरेलू एलईडी सूचीबद्ध कंपनियों को समझने के लिए संवाददाता के अनुसार, केवल लकड़ी Linsen (002745, SZ) भारत में एक अधिक बड़े पैमाने पर शर्त सेट करें। Lin Yida, जो भारतीय बाजार में बाजार के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है, ने कहा कि भारत की घरेलू खपत कम है, जबकि भारतीय बाजार में एल ई डी के लिए भावी मांग उच्च है। इतना है कि लकड़ी वन में सीधे स्थानीय उत्पादन पर विचार करने के लिए, या प्रदान करने के लिए अर्द्ध तैयार उत्पादों के नेतृत्व में भारतीय सरकार से पहले 700 लाख से अधिक बल्ब, देश बदलने के लिए कहा। ठीक वर्तमान लकड़ी लिन सेन प्रदान की जाती हैं क्योंकि मूल एलईडी उपकरणों और अर्द्ध तैयार उत्पादों, द्वारा एलईडी भागों आपूर्तिकर्ताओं के रूप में, यह खरीदारों भा मा ब् यूरो प्रमाणन पर के रूप में लंबे समय के रूप में यह है। एक भारतीय व्यापार नेतृत्व व्यापार की प्रवृत्ति करना भारत के भविष्य और अधिक पेशेवर तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के लिए नेतृत्व हिस्सों के लिए, बंद हो जाएगा भारत में। इसके अलावा, के बीच अंतर के आधार पर अमीर और गरीब भारत में अधिक विभाजित क्षेत्रों से, अपेक्षाकृत बड़ी है उच्च अंत एलईडी व्यापार पर विचार करेगी। हालाँकि, वर्तमान भारतीय एलईडी बाजार केवल एलईडी उत्पाद पैकेजिंग कर सकते हैं। लिन Yida मूल एलईडी उपकरणों की वर्तमान भारतीय आयात चीन से शुरू की, भारत घरेलू उत्पादन की स्थिति नहीं है। Guo xiu लॉग विश्लेषण, घरेलू निवेश है, लेकिन भारत के प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए भी भारत के कई राज्य स्तरीय औद्योगिक पार्क अपेक्षाकृत पिछड़े है, परिवहन, रसद और अन्य का समर्थन नहीं है, सही कठिनाइयों, का निर्माण करने के लिए बिक्री नेटवर्क और देश एक अपेक्षाकृत पूरा एलईडी उत्पाद लाइन का गठन किया है। अधिक जानकारी कृपया दर्ज करें:http://www.outdoorlightingsupplier.com/
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एलईडी-आधारित। भा मा ब् यूरो प्रमाणन गिरावट के लिए मुख्य कारण के रूप में सार्वजनिक जानकारी से पता चलता है कि भा मा ब् यूरो प्रमाणन भारतीय मानकों के ब्यूरो (ब्यूरो के रूप में भा मा ब् यूरो अर्जी IndianStandards,) द्वारा विशिष्ट प्रमाणीकरण करने के लिए संदर्भित करता है। B एलईडी प्रमाणीकरण करने के लिए घरेलू प्रमाणन 3c समान है, मई पिछले वर्ष, हाल ही में सख्त कार्यान्वयन, घरेलू भा मा ब् यूरो प्रमाणन बनाने के कार्यान्वयन की शुरुआत से नहीं पाने के एलईडी व्यापार भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकते हैं नहीं किया। एलईडी प्रकाश व्यापार लकड़ी Linsen (002745) भारतीय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लिन Yida भारतीय बार छुट्टी से पहले चीन की घटना का विरोध करने के लिए प्रकट किया, लेकिन केवल कुछ का नेतृत्व किया है। और भारतीय लाल के वर्तमान मीडिया कवरेज के कुछ अनुभाग एलईडी बिक्री परिवर्तन, प्रकाश कई खुदरा मुख्य रूप से, कर रहे हैं, क्योंकि डेटा की गणना करने के लिए मुश्किल है। लिन Yida आगे समझाया कि घरेलू एलईडी निर्यात भारत के लिए की संख्या में एक महत्वपूर्ण कमी हो जाएगी, मुख्य रूप से एलईडी की घरेलू उत्पादन नहीं मिलना है क्योंकि उपयुक्त मानकों, भा मा ब् यूरो प्रमाणन, के कार्यान्वयन के सख्त घरेलू एलईडी भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। हालांकि भारत की मुख्य धारा में एलईडी एलईडी अमानक बाजार के घरेलू उत्पादन भारत एलईडी, के सभी आयात के लिए इस आवश्यकता। गुआंग्डोंग इलेक्ट्रिक प्रकाश एसोसिएशन महासचिव Guo xiu लॉग विश्लेषण, अब तक, पर्यावरण, का प्रभावी उपयोग भारत की वोल्टेज, एलईडी के उपयोग में जिसके परिणामस्वरूप की अस्थिरता प्रदान नहीं कर सकते हैं और भारत की एलईडी बाजार है और अराजक, एलईडी की कीमत के लिए बहुत ही संवेदनशील, व्यवसायों और अधिक एलईडी की कीमत पर ध्यान। जबकि घरेलू एलईडी उत्पादन मानकों और 3 बार एलईडी, मूल्य अंतर के बारे में के बीच मानकों को पूरा नहीं करते। जो भारत का नेतृत्व किया, ज्यादातर छोटे और मध्यम उद्यमों के घरेलू निर्माण के लिए करने के लिए घरेलू निर्यात करने के लिए नेतृत्व किया। हालांकि, भारत सरकार के सख्त कार्यान्वयन के अलावा भा मा ब् यूरो प्रमाणन, एलईडी की घरेलू उत्पादन है एक कम कीमत लाभ के बाद धीरे-धीरे गायब हो गया है। लिन Yida परिचय है, और अब भारत के घरेलू उत्पादन के 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संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्राथमिकता देने और स्थानीय श्रम लागत तक घरेलू से कम टैक्स। Guo Xiu परिचय, एलईडी, खरीद करने के लिए मूल कई भारतीय खरीदारों के लिए चीन ज्यादातर संपर्क कम अंत एलईडी विनिर्माण उद्यमों के साथ, लेकिन यह भी, क्योंकि जो लोग सुई की भूमिका में व्यापारियों में एक भूमिका निभाई है, ताकि इन उद्यमों भारतीय नेतृत्व गैर-मानक बाजार पर कब्जा। और वहाँ है, क्योंकि व्यापारियों से कोई संचार उन सफल संक्रमण क्या उच्च अंत एलईडी व्यापार करने के लिए, यह भारतीय एलईडी के बाजार में प्रवेश करने के लिए मुश्किल है। कि वर्तमान घरेलू एलईडी सूचीबद्ध कंपनियों को समझने के लिए संवाददाता के अनुसार, केवल लकड़ी Linsen (002745, SZ) भारत में एक अधिक बड़े पैमाने पर शर्त सेट करें। Lin Yida, जो भारतीय बाजार में बाजार के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है, ने कहा कि भारत की घरेलू खपत कम है, जबकि भारतीय बाजार में एल ई डी के लिए भावी मांग उच्च है। इतना है कि लकड़ी वन में सीधे स्थानीय उत्पादन पर विचार करने के लिए, या प्रदान करने के लिए अर्द्ध तैयार उत्पादों के नेतृत्व में भारतीय सरकार से पहले 700 लाख से अधिक बल्ब, देश बदलने के लिए कहा। ठीक वर्तमान लकड़ी लिन सेन प्रदान की जाती हैं क्योंकि मूल एलईडी उपकरणों और अर्द्ध तैयार उत्पादों, द्वारा एलईडी भागों आपूर्तिकर्ताओं के रूप में, यह खरीदारों भा मा ब् यूरो प्रमाणन पर के रूप में लंबे समय के रूप में यह है। एक भारतीय व्यापार नेतृत्व व्यापार की प्रवृत्ति करना भारत के भविष्य और अधिक पेशेवर तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के लिए नेतृत्व हिस्सों के लिए, बंद हो जाएगा भारत में। इसके अलावा, के बीच अंतर के आधार पर अमीर और गरीब भारत में अधिक विभाजित क्षेत्रों से, अपेक्षाकृत बड़ी है उच्च अंत एलईडी व्यापार पर विचार करेगी। हालाँकि, वर्तमान भारतीय एलईडी बाजार केवल एलईडी उत्पाद पैकेजिंग कर सकते हैं। लिन Yida मूल एलईडी उपकरणों की वर्तमान भारतीय आयात चीन से शुरू की, भारत घरेलू उत्पादन की स्थिति नहीं है। Guo xiu लॉग विश्लेषण, घरेलू निवेश है, लेकिन भारत के प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए भी भारत के कई राज्य स्तरीय औद्योगिक पार्क अपेक्षाकृत पिछड़े है, परिवहन, रसद और अन्य का समर्थन नहीं है, सही कठिनाइयों, का निर्माण करने के लिए बिक्री नेटवर्क और देश एक अपेक्षाकृत पूरा एलईडी 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"हम सभी गोरी चमड़ी के पीछे कितना पागल हैं"आखिर क्यों?
ये तो आप देख ही सकते हैं. अपने घर से लेकर बॉलीवुड तक देख लीजिए. और लड़कियों के मामले में तो और ज्यादा. अगर कह दो कि शेरनी की टट्टी मलने से गोरे हो जाओगे तो लोग वो भी करना शुरू कर दें.क्या हो गया है |
ये तो खैर अपनी जगह है. जो बुरा है वो ये कि जो गोरा नहीं है, उसे बदसूरत माना जाता है. उसका मजाक उड़ाया जाता है. ऐसा ही नजारा देखने को मिला किसी दोस्त की पार्टी में नहीं, नेशनल टीवी पर. जिसे पूरा देश देखता है.
बीते दिनों ‘कॉमेडी नाइट्स बचाओ’ शो में फिल्म ‘पार्च्ड’ की टीम प्रमोशन करने पहुंची. वहां फिल्म की एक्ट्रेस तनिष्ठा चैटर्जी का ‘रोस्ट’ के नाम पर भद्दा मजाक उड़ाया गया. पहले तो बता दें कि रोस्ट क्या होता है. इसमें किसी बड़े और फेमस व्यक्ति को बुलाकर उसका मजाक उड़ाते हैं. मजाक इस नीयत से नहीं होता, कि गेस्ट हर्ट हो. बल्कि इस नीयत से होता है कि जो दर्शक हैं, वो मजे ले सकें. यानी रोस्ट के नाम पर किसी को गरिया देना कॉमेडी नहीं होती. लेकिन तनिष्ठा के साथ बेहूदे जोक्स मारे गए उनके रंग पर.
तनिष्ठा ने क्या जवाब दिया:
कल कुछ ऐसा हुआ, कि मैं अब तक शॉक में हूं. मुझे ‘कॉमेडी नाइट्स बचाओ’ नाम के एक पॉपुलर कॉमेडी शो में बुलाया गया था, मेरे फिल्म ‘पार्च्ड’ के प्रमोशन के लिए, डायरेक्टर लीना यादव और मेरी साथी एक्टर राधिका आप्टे के साथ. मुझसे बताया गया था कि शो कॉमेडी है. जिसका मकसद है ह्यूमर, रोस्ट और लोगों को आहत करना. रोस्ट की परिभाषा मैंने टीवी शो ‘सैटरडे नाईट लाइव’ से सीखी थी. और मुझे ये पता था कि रोस्ट का मतलब होता है किसी को उसका मजाक उड़ाते हुए सम्मानित करना. ये ‘टोस्ट’ पर व्यंग्य है. और मैं यही सोचकर आई थी कि यहां मुझे रोस्ट किया जाएगा.
शो शुरू हुआ. मेरे लिए ये जानना नया था कि रोस्ट का मतलब बुली करना होता है. और जल्द ही मुझे पता चल गया कि मेरे बारे में मज़ाक उड़ाने वाली कोई बात है तो वो मेरा रंग है. ये ऐसे शुरू हुआ, ‘आपको तो जामुन बहुत पसंद होगा. कितना जामुन खाया आपने बचपन से?’ और इसी दिशा में बढ़ता चला गया. एक दबे रंग की एक्ट्रेस के बारे मे��� अगर उन्हें कोई मजाक उड़ाने लाय�� चीज दिखी तो वो उसका रंग था. वो केवल इसी से मेरी पहचान कर पा रहे थे. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं 2016 में मुंबई जैसे शहर में बने एक ऐसे स्टूडियो में बैठी हूं जहां कॉमेडी के माने रंगभेदी बातें करना है. मेरा दम घुटने लगा. लेकिन मैंने सोचा एक मौका और देती हूं. जब ये नहीं रुका तो मैं उठकर चली आई. जब मैंने आयोजकों को बताया कि मुझे क्या तकलीफ है, उन्होंने मुझसे कहा कि हमने तो आपको बताया था कि ये एक ‘रोस्ट’ है. मैंने भी उन्हें समझाया कि रोस्ट और बुली करने में फर्क होता है. कॉमेडी भेदभाव से नहीं की जाती. पर मुझे नहीं लगता वो इस बात को समझ पाए.
मेरे दोस्तों ने भी मुझसे कहा, कि इसे सीरियसली न लूं. ये तो बस कॉमेडी है. मुझे लगता है कि शो की भी सोच यही है. ये मौज मस्ती जैसा है. बस बात इतनी है कि इस बारे में कुछ भी फनी नहीं है. क्योंकि जिस देश में आज भी गोरा ही सुंदर है, जहां लोगों को उनके रंग की वजह से नौकरी नहीं मिलती, जहां शादी के हर इश्तेहार में दूल्हा-दुल्हन के रंग की बात होती है. इस समाज की बहुत सारी समस्याएं रंगभेद की वजह से हैं. और ये जाति भेद से उपजता है. ये सोचना कि काले रंग पर जोक बनाए जा सकते हैं, एक भेदभाव करने वाली मानसिकता से उपजता है.
मैंने ये समझाने की कोशिश की कि ये मेरा पर्सनल मुद्दा नहीं बल्कि समाज के तौर पर एक बड़ा मुद्दा है, ये हमारी मानसिकता का दोष है और समाज में पनप रहे भेदभाव के आधार पर ह्यूमर बनाना एक बेहूदी हरकत है. मसला ये नहीं कि आप मुझसे माफ़ी मांग लें. लेकिन इस विचार को बढ़ावा देते रहना अपने आप में एक दिक्कत है. खासकर जब वो एक टीवी चैनल के पॉपुलर कॉमेडी शो के जरिए हो रहा हो. ये मेरा पर्सनल मसला नहीं बल्कि बड़ा मुद्दा है, कि किसी के काले होने पर मजाक बनाना फनी कैसे हो जाता है. 2016 में भी सफ़ेद चमड़ी का हैंगोवर क्यों है? क्या हमारा रंग दबा होने पर एक देश के तौर पर हमारा मान कम हो जाता है? एक बार मुझसे पूछा गया, आपका सरनेम चैटर्जी है? ओह आप तो ब्राह्मण हैं. आपकी मां का सरनेम मैत्रा है. ओह वो भी ब्राह्मण हैं! जैसे वो सदमे में हो कि ब्राह्मण होते हुए मेरा रंग काला कैसे हो सकता है.
ये समस्या हमारी जाति, क्लास और रंग की समझ से जुड़ी हुई है. ऊंची जाति का मतलब गोरा रंग, मतलब उसे छू सकते हैं. नीची जाति का मतलब काली स्किन, मतलब अछूत. हां मैं ये कह रही हूं. हममें से बहुत लोग ये नहीं मानेंगे कि हमारा रंगभेद, जातिभेद से आता है. मैंने पार्च्ड फिल्म बनाई. ‘मैंने बनाई’ इसलिए कह रही हूं कि ��िल्म का हर कलाकार ये मानता है कि ये फिल्म उसकी है. हमने फिल्म के जरिए जेंडर, सेक्स, बॉडी, स्किन, जाति के बारे में बात करना चाहते हैं. फिल्म के प्रमोशन के दौरान पता चलता है कि जिन समस्याओं की हम बात कर रहे थे वो हमें खुद झेलनी पड़ रही हैं. मुद्दों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, और भेदभाव बहुत गहरा है. जो प्रिविलेज इन चीजों को पनपने देती है, उसी के खिलाफ हमारी लड़ाई है
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