#मिठाई का डिब्बा
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sharpbharat · 6 months ago
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jamshedpur MYM Achievers- मारवाड़ी युवा मंच अचीवर्स ने मनाया मातृ दिवस व अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस, सदर अस्पताल में नवजात शिशु किट का किया वितरण, नर्सो का भी किया सम्मान
जमशेदपुर: मारवाड़ी युवा मंच टाटानगर, अचीवर्स ब्रांच द्वारा 12 मई रविवार को सदर अस्पताल,खासमहल में मातृ दिवस और अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया गया. इस दौरान सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए उनकी माताओं को नवजात शिशु का किट वितरित करके प्यार और प्रशंसा का संदेश दिया, वही पुष्प और मिठाई का डिब्बा देकर नर्स का सम्मान किया.यह कार्यक्रम विक्रम अग्रवाल, दवाइयां, डिमना रोड, मानगो के सौजन्य से पूरा…
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khabarsamay · 7 years ago
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दीपावली पर पार्षद ने सफाई कर्मचारियों के बीच बांटी मिठाइयां
सिलीगुड़ी 18 अक्टूबर: आठ नम्बर वार्ड की पार्षद खुशबू मित्तल द्वारा आज दीपावली के अवसर पर वार्ड के सफाई कर्मचारियों के बीच मिठाइयों का वितरण किया गया। इस अवसर पर खुशबू मित्तल ने कहा कि यह कर्मचारी वर्ष भर शहर में सफाई का कार्य करते हैं। इनके कार्य की जितनी तारीफ की जाए कम है। आज लगभग 40 कर्मचारियों को मिठाई का डिब्बा प्रदान किया गया। इस अवसर पर वार्ड सचिव सीताराम डालमिया, बिन्नू अग्रवाल, प्रह्लाद पासवान, पंकज गुप्ता, भवेश सरावगी तथा हरिकिशन सोनी मुख्य रूप से उपस्तिथ थे। Read the full article
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divyanshrastogi · 5 years ago
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दीपावली - बदलते आयाम
दिनांक - ३०/अक्तूबर/२०१९
दीपावली - दीपों का त्यौहार, खुशियों का त्यौहार, उत्साह और प्रकाश का पर्व ।
हमारे धर्म में हर पर्व, हर रीति और हर आवश्यकता को बड़े ही सहज और सरल तरीके से धार्मिक पर्व से जोड़ दिया गया ताकि उसका लाभ और आनंद समाज का हर वर्ग लेे सके ।
बात जब दीपावली की हो तो मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की अधर्म पर विजय के पश्चात गृहनगर आगमन पर कार्तिक मास की अमावस्या को दिए जलाकर, अच्छे मन से मिठाईयां बनाकर और बांटकर, हर बुराई और अधर्म से प्रभु से सीख लेकर धर्म की सीमा में रहते हुए विजय पाने की प्रेरणा लेकर मनाया गया और शायद यही परंपरा आगे भी बढ़ चली । हर एक छोटी से छोटी बात और रीति के पीछे एक भावना, एक समर्पण और एक विश्वास था ।
आज शांति से बैठे हुए जब वर्णित युग और आज की दीपावली की तुलना की तो पाया कि ना आज कोई आनंद है, ना विश्वास है ना समर्पण है तो फिर त्यौहार क्यों ? और चिंतन किया तो मन बड़ा विचलित हो चला ये पाकर क��� दीपावली तो अंग्रेजी और अपभ्रंश का शिकार होकर दिवाली हो गई है और वाकई दिवाला ही निकलेगी ।
घरों में जलाए जाने वाले तेल / घी के दिए, जो प्रकाश के साथ वैज्ञानिक तौर पर वातावरण को शुद्ध भी करते हैं ( छोटे छोटे विषाणुओं को मारते हैं), बल्बों की झालर ( छोटे छोटे उड़ने वाले कीड़ों को आकर्षित करती है) से बदल गए हैं । घर की गृहिणियां पूरी शुद्धता के साथ नाना प्रकार के नमकीन, मीठे पकवान बनाती थीं और उसी प्रेम और सम्मान के साथ बांटकर और खिलाकर खाती थीं। नहा धोकर, शुद्धता और विश्वास के साथ विघ्नहर्ता श्री गणेश जी, विष्णु पत्नी माता लक्ष्मी जी और विद्यादायिनी मां सरस्वती का पूजन किया जाता था , पूजन के बाद हर छोटा अपने बड़े के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता और बड़े हर छोटे को आशीर्वाद के साथ साथ कोई भी भेंट, धनराशि, उपहार ( त्यौहार के उत्साह को बढ़ाने के लिए) दिया करते थे । इसके बाद घर के बने व्यंजन संयुक्त परिवार के सभी सदस्य मिलकर ( परिवार के वरिष्ठों को खिलाने के पश्चात - छोटे बच्चों के लिए इस तरह की कोई पाबंदी नहीं मानी गई है) खाते थे । साथ ही साथ इन पकवानों को परिवार और समाज से जुड़े हर व्यक्ति / वर्ग जैसे की ब्राह्मण ( अर्थात मंदिर के पुजारी), धोबी, जमादार इत्यादि को भी बांटा जाता था ताकि सारा समाज इस पर्व में साथ और आनंदित हो ।
त्यौहार के बदलते आयामों ने इस विरासत, इस संस्कृति में उथल पुथल मचा दी है, मिट्टी के दिये, बल्ब की झालरों ( अब ये चीनी झालरें हो गईं हैं, और एक कदम आगे) से बदल गए । घर में प्रेम और भाव से बनने वाले स्वादिष्ट पकवान अब प्रगतिवादी नारियों को एक उबाऊ और निरर्थक कार्य लगने लगा है और इन्हें बाज़ार की मिठाईयां ने बड़ी सफलता से बदल दिया है और बदला भी ऐसा कि जिससे काम है उसे काजू की बढ़िया मिठाई, घर के वो रिश्तेदार जो बड़प्पन को अपनाते हुए, धीर गंभीर रहते हुए संबंध को निभाए रहते हैं उन्हें मजबूरी वाली ज़्यादा एम आर पी लेकिन बड़े डिस्काउंट वाली नाम की मिठाई, परिवार के अदृश्य किन्तु अभिन्न अंग जैसे धोबी, जमादार इत्यादि को यहां वहां से आई हुई हल्की मिठाई ( जैसे कि गठबंधन की मिली जुली मजबूरी वाले सरकार) जिसे घर में कोई ना खाना पसंद करे और वो भी ३-४ दिन घर में रखकर खराब हो जाने से ठीक पहले ( ईश्वर जाने जिन्हें मिलती है, उनके दिल पर क्या बीतती होगी, क्या उनके बच्चे खुश होते होंगे ?)। और ऊपर से नया खेल मिठाई के साथ या अलावा उपहारों का विनिमय । उफ्फ लगता है कि त्यौहार के प्रेम को बाजारवाद ने बदल दिया है । डिब्बा बड़े से बड़ा होना चाहिए चाहे अंदर माल कैसा भी हो, MRP ज़्यादा से ज़्यादा चाहिए, अगर हमने किसी को दिया है तो उसके पास से भी आना चाहिए और किसी करोड़पति छोटे भाई ने अपने हजारपती भाई को १००० रू का गिफ्ट दिया और बदले में हज़ारपती भाई ने अपनी हैसियत ना होते हुए भी संबंध और लोकलाज के लिए ५०० रू का गिफ्ट दिया, तो बस ...संबंध खतरे में है जनाब । इतने मुह बुराइयां, मुंह फूलना और तानेबाजी होगी कि हज़ारपती भाई अपने हज़ारपति होने पर कई वर्ष या आजीवन पछताएगा । त्यौहार पर हैसियत से बढ़ कर या किन्हीं खर्चों में समझौता करके दिलवाए नए कपड़ों में अब परिवार को पिता या पति का परिवार प्रेम नजर नहीं आता, पिता या पति खुद कुछ ना लेे तो ये नजर नहीं आता कि उनकी अब और खर्च की गुंजाइश नहीं है बल्कि ये सोचा जाता है कि इनके पास काफी कपड़े हैं, इन्हें कहां है इस समय ज़रूरत। श्री गणेश जी, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के पूजन को नासमझों और लालची लोगों की फौज ने मां लक्ष्मी जी के पूजन पर केंद्रित कर दिया है , इन अतिशिक्षित किन्तु विक्षिप्त सज्जनों को कौन समझाए कि भाई तीनों देवी देवता पूज्यनीय हैं और तीनों साथ ही कृपा करेंगे, एक साथ पूजन यही संदेश देता है । पूजन के बाद बड़ों के चरण स्पर्श अब छोटों की शान के खिलाफ है और दकियानूसी है । पूजन के बाद बड़ों द्वारा छोटों को दी जाने वाली भेंट अब बड़ों का प्रेम नहीं, हैसियत और उनकी नियत दिखती है, कैसा लालच है ये ? बिगड़े या गलतफहमी के शिकार संबंध इस दिन फिर जुड़ जाते थे, धनतेरस के बहाने, दीपावली मिलन के बहाने, गोवर्धन पूजा के बहाने, भाई दूज के बहाने किन्तु ये बाजारवाद, उपहारवाद क्या ये होने दे रहे है ? और अंत में जेठानी देवरानी ये कह कर विदा लेती हैं कि अगली बार माताजी पिताजी को तुम लेे जाना, हम भी वहीं आ जाएंगे, बच्चों का ज़रा मन भी बदल जाएगा ।
क्या यही त्यौहार है जिसका हमारे ग्रंथों में उल्लेख है, जो हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की संस्कृति ��ा परिचायक है ।
विचार अवश्य कीजिएगा कि क्या हम सही दिशा में जा रहे हैं ?
आपका अपना
दिव्यांश रस्तोगी
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newslobster · 2 years ago
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कर्नाटक : पत्रकारों को मिठाई के डिब्बे में 'कैश गिफ्ट' पर कांग्रेस ने BJP को घेरा, कहा- हम ऐसे ही नहीं कहते 'PayCM'
कर्नाटक : पत्रकारों को मिठाई के डिब्बे में ‘कैश गिफ्ट’ पर कांग्रेस ने BJP को घेरा, कहा- हम ऐसे ही नहीं कहते ‘PayCM’
भाजपा ने मुख्यमंत्री बोम्मई और उनके कार्यालय पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है. कर्नाटक ���ें सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने दीवाली पर कुछ पत्रकारों को मिठाई के डिब्बे में एक लाख से लेकर ढाई लाख तक का कैश दिया. कांग्रेस ने शनिवार को इस मामले को ‘मिठाई का डिब्बा रिश्वत’ नाम देते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की. हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज कर…
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poonamranius · 3 years ago
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Haryana Kanyadan Yojana Registration : योजना के तहत मिलेंगे 51 हजार रुपये, ऐसें करे रजिस्ट्रेशन
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Haryana Kanyadan Yojana Registration योजना के तहत मिलेंगे 51 हजार रुपये, ऐसें करे रजिस्ट्रेशन : हिन्दू धर्म में सभी प्रकार के कर्मकांडों का पालन करने के बाद ही विवाह को पूर्ण माना जाता है। और इसी तरह की रस्म हजारों सालों से चली आ रही है। लेकिन बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई के कारण आर्थिक संकट के कारण हमारे देश में कई परिवारों को अभी भी अपनी बेटियों की शादी कराने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। और उनकी समस्या को समझते हुए हरियाणा (Haryana) सरकार ने एक कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) शुरू की है, अगर आप योजना के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो लेख में बने रहें। Haryana Kanyadan Yojana Registration हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) राज्य सरकार द्वारा अपने राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की बेटियों की शादी कराने का एक प्रयास है। हरियाणा (Haryana) कन्यादान योजना पहले हरियाणा शगुन योजना के नाम से जारी की गई थी लेकिन इस योजना के तहत लाभार्थियों को केवल ₹41000 प्रदान किए ग��। लाभार्थियों को मिलने वाली राशि को बढ़ाने के लिए इस योजना का नाम बदलकर हरियाणा कन्यादान योजना कर दिया गया है। हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) के तहत राज्य सरकार अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली लड़कियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इस योजना की शुरुआत वर्ष 2020 से हरियाणा (Haryana) शादी शगुन योजना के नाम से की गई थी। लेकिन यह योजना वर्ष 2021 में और प्रभावी हो गई है। इस योजना के तहत अब तक 118 लाख लाभार्थी लाभान्वित हो चुके हैं। Haryana Kanyadan Yojana की विशेषता क्या है? हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) के तहत सरकार निम्न वर्ग के उन लोगों की मदद कर रही है जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है ताकि वे अपनी बेटियों की शादी ठीक से करवा सकें। हरियाणा कन्यादान योजना की विशेषताएं निम्नलिखित हैं – इस योजना से मजदूर वर्ग के लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिलने वाला है। श्रमिक अपनी बेटी की शादी बेहतर तरीके से कर सकते हैं। जैसे ही आवेदक हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) में अपना पंजीकरण करवाता है, उसे एक मिठाई का डिब्बा और दम्पति को 1100 रुपये की राशि आशीर्वाद के रूप में दी जाएगी। इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले या आवेदक के पहचान पत्र में भी इस योजना को शामिल किया जाएगा। आवेदकों की पहचान, उम्र, जाति, शिक्षा जैसी जानकारी पहचान पत्र में शामिल की जाएगी। हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) के तहत बालिकाओं को शादी करने के लिए ₹51000 की राशि प्रदान की जाएगी। जिन व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय है और वे हरियाणा में रहते हैं, वे इस योजना के तहत पंजीकरण करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हरियाणा कन्यादान योजना के लिए आवेदन कैसे करें? इस योजना का लाभ लेने के लिए आपको सबसे पहले हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) में आवेदन करना होगा। आवेदक नीचे दिए गए चरणों का पालन करके इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। सबसे पहले आपको हरियाणा कल्याण योजना (Haryana Kanyadan Yojana) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। सीधे वेबसाइट पर जाने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं। http://haryanascbc.gov.in/ अब आपको होम स्क्रीन पर वेलफेयर स्कीम मैनेजमेंट सिस्टम का पेज दिखाई देगा। इस पेज पर आपको एक आवेदन पत्र के साथ ऑनलाइन पंजीकरण का विकल्प दिखाई देगा, उस विकल्प पर क्लिक करें। इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में आपको पूछी गई सभी जानकारी ध्यान से भरनी है। इस फॉर्म में आपको अपनी बेटी का नाम, उम्र, शादी की तारीख, अपनी जानकारी भरनी होगी। सभी जानकारी भरने के बाद आप एक बार फॉर्म को चेक कर लें और फिर सबमिट बटन पर क्लिक कर दें। जैसे ही आप सबमिट बटन पर क्लिक करेंगे, आपकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। हरियाणा कन्यादान योजना कैसे लॉगिन करें? रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद आपको हरियाणा कन्यादान योजना (Haryana Kanyadan Yojana) की वेबसाइट https://hrylabour.gov.in/ पर लॉग इन करना है, सबसे पहले इस वेबसाइट पर जाएं। और फिर वहां आपको यूजर लॉगइन के ऑप्शन पर क्लिक करना है। लॉग इन करने के बाद आपको Usertype सेलेक्ट करन��� है। और फिर यूजर आई��ी पासवर्ड और कैप्चा को वेरिफाई करके लॉगइन करें। जैसे ही आप इस वेबसाइट पर लॉग इन करेंगे तो आवेदन भरने का यह काम पूरा हो जाएगा। इस तरह बहुत ही छोटे-छोटे स्टेप्स को फॉलो करके आप आसानी से हरियाणा कन्यादान योजना के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। Read the full article
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a-2-z-news · 3 years ago
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"स्वीटनेस फ़ॉर द सोल": इनसाइड करिश्मा कपूर की फ़ूड डायरीज़
“स्वीटनेस फ़ॉर द सोल”: इनसाइड करिश्मा कपूर की फ़ूड डायरीज़
करिश्मा कपूर को आज कुछ स्वादिष्ट बिस्किट खाने से कोई नहीं रोक सकता। क्यों? अभिनेत्री को हाल ही में स्वादिष्ट दिखने वाले बिस्कुट का एक डिब्बा मिला है और वह उनके बारे में बात करना बंद नहीं कर सकती है। करिश्मा एक डाई-हार्ड फूडी है। वह अच्छे भोजन में शामिल होना पसंद करती है, चाहे वह मिठाई का कटोरा हो, नाश्ता हो या स्वादिष्ट नमकीन भोजन हो। अभिनेत्री ने एक वीडियो साझा किया जिसमें वह आयताकार बिस्कुट के…
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khabarsamay · 7 years ago
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दीपावली पर पार्षद ने सफाई कर्मचारियों के बीच बांटी मिठाइयां
सिलीगुड़ी 18 अक्टूबर: आठ नम्बर वार्ड की पार्षद खुशबू मित्तल द्वारा आज दीपावली के अवसर पर वार्ड के सफाई कर्मचारियों के बीच मिठाइयों का वितरण किया गया। इस अवसर पर खुशबू मित्तल ने कहा कि यह कर्मचारी वर्ष भर शहर में सफाई का कार्य करते हैं। इनके कार्य की जितनी तारीफ की जाए कम है। आज लगभग 40 कर्मचारियों को मिठाई का डिब्बा प्रदान किया गया। इस अवसर पर वार्ड सचिव सीताराम डालमिया, बिन्नू अग्रवाल, प्रह्लाद पासवान, पंकज गुप्ता, भवेश सरावगी तथा हरिकिशन सोनी मुख्य रूप से उपस्तिथ थे। Read the full article
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corona-virs · 3 years ago
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एक सच्ची घटना सुनिए, एक संत की वे एक बार वृन्दावन गए, वहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए ! जब वापस लौटने का मन किया तो, सोचा भगवान् को भोग लगा कर कुछ प्रसाद लेता चलूँ.. . संत ने रामदाने के कुछ लड्डू ख़रीदे मंदिर गए.. प्रसाद चढ़ाया और आश्रम में आकर सो गए.. सुबह ट्रेन पकड़नी थी . अगले दिन ट्रेन से चले.. सुबह वृन्दावन से चली ट्रेन को मुगलसराय स्टेशन तक आने में शाम हो गयी.. . संत ने सोचा.. अभी पटना तक जाने में तीन चार घंटे और लगेंगे.. भूख लग रही है.. मुगलसराय में ट्रेन आधे घंटे रूकती है.. . चलो हाथ पैर धोकर संध्या वंदन करके कुछ पा लिया जाय..! . संत ने हाथ पैर धोया और लड्डू खाने के लिए डिब्बा खोला..! . उन्होंने देखा लड्डू में चींटे लगे हुए थे.. उन्होंने चींटों को हटाकर एक दो लड्डू खा लिए..! . बाकी बचे लड्डू प्रसाद बाँट दूंगा ��े सोच कर छोड़ दिए.! . पर कहते हैं न, संत ह्रदय नवनीत समाना ! . बेचारे को लड्डुओं से अधिक उन चींटों की चिंता सताने लगी..! . सोचने लगे.. ये चींटें वृन्दावन से इस मिठाई के डिब्बे में आए हैं..! . बेचारे इतनी दूर तक ट्रेन में मुगलसराय तक आ गए.! . कितने भाग्यशाली थे.. इनका जन्म वृन्दावन में हुआ था, . अब इतनी दूर से पता नहीं कितने दिन या कितने जन्म लग जाएँगे, इनको वापस पहुंचने में..! . पता नहीं ब्रज की धूल इनको फिर कभी मिल भी पाएगी या नहीं..!! . मैंने कितना बड़ा पाप कर दिया.. इनका वृन्दावन छुड़वा दिया . नहीं मुझे वापस जाना होगा.. . और संत ने उन चींटों को वापस उसी मिठाई के डिब्बे में सावधानी से रखा.. और वृन्दावन की ट्रेन पकड़ ली। . उसी मिठाई की दूकान के पास गए डिब्बा धरती पर रखा.. और हाथ जोड़ लिए.! . मेरे भाग्य में नहीं कि, तेरे ब्रज में रह सकूँ तो, मुझे कोई अधिकार भी नहीं कि, जिसके भाग्य में ब्रज की धूल लिखी है, उसे दूर कर सकूँ.! . दूकानदार ने देखा तो आया..! . महाराज चीटें लग गए तो, कोई बात नहीं आप दूसरी मिठाई तौलवा लो..! . संत ने कहा.. भईया मिठाई में कोई कमी नहीं थी..! . इन हाथों से पाप होते होते रह गया उसी का प्रायश्चित कर रहा हूँ..! . दुकानदार ने जब सारी बात जानी तो, उस संत के पैरों के पास बैठ गया.. भावुक हो गया..! . इधर दुकानदार रो रहा था... उधर संत की आँखें गीली हो रही थीं !! . बात भाव की है.. बात उस निर्मल मन की है.. बात ब्रज की है.. बात मेरे वृन्दावन की है..! . बात मेरे नटवर नागर और उनकी राधारानी की है.. बात मेरे कृष्ण की राजधानी की है। बूझो तो बहुत कुछ है.. नहीं तो बस पागलपन है..! बस एक कहानी ! घर से जब भी बाहर जाये तो घर में विराजमान अप https://www.instagram.com/p/CRLBwoUlqR0/?utm_medium=tumblr
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praveenpradhan254121 · 3 years ago
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दादा सौरव गांगुली के घर पर दीदी, उनके 49वें जन्मदिन पर गुलाब, मिठाई के साथ
दादा सौरव गांगुली के घर पर दीदी, उनके 49वें जन्मदिन पर गुलाब, मिठाई के साथ
ममता बनर्जी ने सौरव गांगुली को पीले गुलाब का गुलदस्ता देकर बधाई दी कोलकाता: ममता बनर्जी ने हमेशा भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी हैं, लेकिन वस्तुतः। उनके 49वें जन्मदिन पर सब कुछ बदल गया। आज शाम 5 बजे ममता बनर्जी, दीदी को प्यार से, दादा – सौरव गांगुली – के घर पर पीले गुलाब का एक गुच्छा और मिठाई का एक डिब्बा लेकर पहुंचीं। सूत्रों ने एनडीटीवी को…
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nirajkumarsblog · 3 years ago
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एक वकील ने सुनाया हुआ एक हृदयस्पर्शी किस्सा -
"मै अपने चेंबर में बैठा हुआ था, एक आदमी दनदनाता हुआ अन्दर घुसा।
उसके हाथ में कागज़ो का बंडल, धूप में काला हुआ चेहरा, बढ़ी हुई दाढ़ी, सफेद कपड़े जिनमें पांयचों के पास मिट्टी लगी थी।"
उसने कहा - "उसके पूरे फ्लैट पर स्टे लगाना है, बताइए, क्या क्या कागज और चाहिए... क्या लगेगा खर्चा... "
मैंने उन्हें बैठने का कहा -
"रग्घू, पानी दे इधर" मैंने आवाज़ लगाई
वो कुर्सी पर बैठे
उनके सारे कागजात मैंने देखे, उनसे सारी जानकारी ली, आधा पौना घंटा गुजर गया।
"मै इन कागज़ो को देख लेता हूँ फिर आपकी केस पर विचार करेंगे। आप ऐसा कीजिए, अगले शनिवार को मिलिए मुझसे।"
चार दिन बाद वो फिर से आए- वैसे ही कपड़े
बहुत डेस्परेट लग रहे थे
अपने भाई पर गुस्सा थे बहुत
मैंने उन्हें बैठने का कहा
वो बैठे
ऑफिस में अजीब सी खामोशी गूंज रही थी।
मैंने बात की शुरुआत की बाबा, मैंने आपके सारे पेपर्स देख लिए।
और आपके परिवार के बारे में और आपकी निजी जिंदगी के बारे में भी मैंने बहुत जानकारी हासिल की।
मेरी जानकारी के अनुसार:
आप दो भाई है, एक बहन है,
आपके माँ-बाप बचपन में ही गुजर गए।
बाबा आप नौवीं पास है और आपका छोटा भाई इंजिनियर है।
आपने छोटे भाई की पढ़ाई के लिए आपने स्कूल छोड़ा, लोगो के खेतों में दिहाड़ी पर काम किया,
कभी अंग भर कपड़ा और पेट भर खाना आपको नहीं मिला फिर भी भाई के पढ़ाई के लिए पैसों की कमी आपने नहीं होने दी।
एक बार खेलते खेलते भाई पर किसी बैल ने सींग घुसा दिए तब भाई लहूलुहान हो गया।
फिर आपने उसे कंधे पर उठा कर 5 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल लेे गए।
सही देखा जाए तो आपकी उम्र भी नहीं थी ये समझने की, पर भाई में जान बसी थी आपकी।
माँ बाप के बाद मै ही इन का माँ-बाप… ये भावना थी आपके मन में।
फिर आपका भाई इंजीनियरिंग में अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले पाया और आपका दिल खुशी से भरा हुआ था।
फिर आपने जी तोड़ मेहनत की।
80,000 की सालाना फीस भरने के लिए आपने रात दिन एक कर दिया यानि बीवी के गहने गिरवी रख के, कभी साहूकार कार से पैसा ले कर आपने ��सकी हर जरूरत पूरी की।
फिर अचानक उसे किडनी की तकलीफ शुरू हो गई, डॉक्टर ने किडनी निकालने का कहा और
तुम ने अगले मिनट में अपनी किडनी उसे दे दी यह कह कर कि कल तुझे अफसर बनना है,
नौकरी करनी है, कहाँ कहाँ घूमेगा बीमार शरीर लेे के। मुझे गाँव में ही रहना है, ये कह कर किडनी दे दी उसे।
फिर भाई मास्टर्स के लिए हॉस्टल पर रहने गया।लड्डू बने, देने जाओ, खेत में मकई खाने तैयार हुई, भाई को देने जाओ, कोई तीज त्योहार हो, भाई को कपड़े करो।
घर से हॉस्टल 25 किलोमीटर तुम उसे डिब्बा देने साइकिल पर गए।हाथ का निवाला पहले भाई को खिलाया तुमने।
फिर वो मास्टर्स पास हुआ, तुमने गाँव को खाना खिलाया।फिर उसने उसी के कॉलेज की लड़की जो दिखने में एकदम सुंदर थी से शादी कर ली तुम सिर्फ समय पर ही वहाँ गए।भाई को नौकरी लगी, 3 साल पहले उसकी शादी हुई, अब तुम्हारा बोझ हल्का होने वाला था।
पर किसी की नज़र लग गई आपके इस प्यार को।
शादी के बाद भाई ने आना बंद कर दिया।
पूछा तो कहता है मैंने बीवी को वचन दिया है।
घर पैसा देता नहीं, पूछा तो कहता है कर्ज़ा सिर पे है।
पिछले साल शहर में फ्लैट खरीदा।पैसे कहाँ से आए पूछा तो कहता है कर्ज लिया है।
मैंने मना किया तो कहता है भाई, तुझे कुछ नहीं मालूम, तू निरा गवार ही रह गया।
अब तुम्हारा भाई चाहता है गाँंव की आधी खेती बेच कर उसे पैसा दे दे।
इतना कह के मैं रुका - रग्घू ने लाई चाय की प्याली मैंने मुँह से लगाई -
"तुम चाहते हो भाई ने जो मांगा वो उसे ना दे कर उसके ही फ्लैट पर स्टे लगाया जाए - क्यों यही चाहते हो तुम..."
वो तुरंत बोला, "हां"
मैंने कहा - हम स्टे लेे सकते है, भाई के प्रॉपर्टी में हिस्सा भी माँग सकते हैं
*पर….*
1) तुमने उसके लिए जो खून पसीना एक किया है वो नहीं मिलेगा
2) तुम्हारीे दी हुई किडनी वापस नहीं मिलेगी
3) तुमने उसके लिए जो ज़िन्दगी खर्च की है वो भी वापस नहीं मिलेगी।
मुझे लगता है इन सब चीजों के सामने उस फ्लैट की कीमत शुन्य है।
भाई की नीयत फिर गई, वो अपने रास्ते चला गया अब तुम भी उसी कृतघ्न सड़क पर मत जाओ।
वो भिखारी निकला,
तुम दिलदार थे।
दिलदार ही रहो …..
तुम्हारा हाथ ऊपर था,
ऊपर ही रखो।
कोर्ट कचहरी करने की बजाय बच्चों को पढ़ाओ लिखाओ।पढ़ाई कर के तुम्हारा भाई बिगड़ गया लेकिन इसक��� मतलब यह नहीं कि तुम्हारे बच्चे भी ऐसा करेंगे।"
वो मेरे मुँह को ताकने लगा।
उठ के खड़ा हुआ, सब काग़ज़ात उठाए और आँखे पोछते हुए बोला - "चलता हूँ, वकील साहब।"
उसकी रूलाई फुट रही थी और वो मुझे दिख ना जाए ऐसी कोशिश कर रहा था।
इस बात को अरसा गुजर गया
*कल वो*
अचानक मेरे ऑफिस में आया।
कलमों में सफेदी झाँक रही थी उसके। साथ में एक नौजवान था और हाथ में थैली।
मैंने कहा- "बाबा, बैठो"
उसने कहा, "बैठने नहीं आया वकील साहब, मिठाई खिलाने आया हूँ । ये मेरा बेटा, बैंक मैनेजर है बैंगलोर रहता है, कल आया गाँव।अब तीन मंजिला मकान बना लिया है वहाँ।थोड़ी थोड़ी कर के 10–12 एकड़ खेती खरीद ली अब।"
मै उसके चेहरे से टपकते हुए खुशी को महसूस कर रहा था
"वकील साहब, आपने मुझे कहा - कोर्ट कचहरी के चक्कर में मत पड़ो आपने बहुत नेक सलाह दी और मुझे उलझन से बचा लिया।
जबकि गाँव में सब लोग मुझे भाई के खिलाफ उकसा रहे थे।
मैंने उनकी नहीं, आपकी बात सुन ली और मैंने अपने बच्चो को लाइन से लगाया और भाई के पीछे अपनी ज़िंदगी बरबाद नहीं होने दी।
कल भाई और उनकी पत्नी भी घर आए थे।
पाँव छू छूकर माफी मांगने लगे।
मैंने अपने भाई को गले से लगा लिया।
और मेरी धर्मपत्नी ने उसकी धर्मपत्नी को गले से लगा लिया।
हमारे पूरे परिवार ने बहुत दिनों बाद एक साथ भोजन किया।
बस फिर क्या था आनंद की लहर घर में दौड़ने लगी।
मेरे हाथ का पेडा हाथ में ही रह गया
मेरे आंसू टपक ही गए आखिर. .. .
गुस्से को योग्य दिशा में मोड़ा जाए तो पछताने की जरूरत नहीं पड़े कभी
बहुत ही अच्छा है इस को समझना और अमल में लाना चाहिए।
यह एक सच्ची घटना है और बेमिसाल भी ....
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abhay121996-blog · 4 years ago
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Jalore News : राजस्थान में खाकी ने किया शर्मसार, कानून के रखवालों ने ही हैवानियत की सारी हदें पार कर डाली, मिठाई में नशीला प��ार्थ मिलाकर किया रेप, अश्लील वीडियो बनाकर वायरल किया Divya Sandesh
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Jalore News : राजस्थान में खाकी ने किया शर्मसार, कानून के रखवालों ने ही हैवानियत की सारी हदें पार कर डाली, मिठाई में नशीला पदार्थ मिलाकर किया रेप, अश्लील वीडियो बनाकर वायरल किया
जालौर। राजस्थान के जालोर जिले में पुलिस द्वारा दरिंदगी का मामला सामने आया है। मामले के सामने आने के बाद खाकी शर्मसार हो गई है। कानून के रखवालों ने ही हैवानियत की हदें पार कर डाली। राजस्थान पुलिस के एक कांस्टेबल ने पूरे पुलिस महकमे पर दाग लगा दिए हैं। जालोर शहर कोतवाली थाने में एक पुलिसकर्मी पर विवाहिता के साथ रेप करने का संगीन आरोप लगा है। जालोर पुलिस ने कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज होते ही जिले के पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने आरोपी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, एक विवाहिता ने कोतवाली थाने के कांस्टेबल मेवाराम पर बलात्कार करने और अश्लील फोटो खींचने का आरोप लगाया है। पीड़िता का आरोप है कि आरोपी कांस्टेबल ने न केवल रेप कर फोटो खींच लिए, बल्कि उनको सोशल मीडिया में वायरल भी कर दिये। पीड़िता ने अपने पति के साथ कोतवाली पहुंचकर कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है।
मामले के अनुसार, कांस्टेबल मेवाराम का पीड़िता के घर में आना-जाना था। कुछ दिन पहले जब पीड़िता घर पर अकेली थी। तब मेवाराम मिठाई का डिब्बा लेकर वहां पहुंचा। मिठाई खाते ही महिला बेहोश हो गई। आरोप है कि उसके बाद मेवाराम ने उसके साथ रेप किया और अश्लील फोटो खींच लिये। बाद में सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।
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smarthulchal · 4 years ago
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सरपंच इंजीनियर छिपा ने सफाईकर्मियों के साथ मनाई दिपावली रायपुर 15 नवंबर किशन खटीक/ ग्राम पंचायत रायपुर सरपंच इंजीनियर रामेश्वर लाल छिपा द्वारा शुक्रवार को दीपावली के स्नेह मिलन का कार्यक्रम आवडा चौक स्थित चवरा का देवरा में किया गया, जिसमें ग्राम पंचायत रायपुर के सभी सफाई कर्मियों को 26 जनवरी को अपने भाषण में अपने मानदेय को सफाई कर्मियों के ऊपर समर्पित करने का वादा किया जिसको इंजीनियर छिपा ने धनतेरस पर सभी सफाई कर्मियो की दीपावली अच्छी से मनाए जिसके चलते सभी को अपने कार्यानुसार बंद लिफाफे में राशि एव�� एक एक मिठाई का डिब्बा सफाई कर्मियों को दिया,छिपा ने कहा कि दीपावली सामाजिक सौहार्द भाईचारा प्रेम बढ़ाने के साथ सामाजिक दुराव वे समस्याओं के अंधरे को मिलकर खत्म करने का संदेश देती है और इसी भाव को अपने मन में रख कर इस ग्राम पंचायत को स्वच्छ बनाना है Source link
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mastereeester · 4 years ago
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वाराणसी में दीपावली पर मोबाइल खरीदने वाले को मिठाई की जगह सब्जी मिलेगा गिफ्ट में, सोशल मीडिया पर तस्वीर देखकर दुकानदार को आया आइडिया [Source: Dainik Bhaskar]
वाराणसी में दीपावली पर मोबाइल खरीदने वाले को मिठाई की जगह सब्जी मिलेगा गिफ्ट में, सोशल मीडिया पर तस्वीर देखकर दुकानदार को आया आइडिया [Source: Dainik Bhaskar]
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दीपावली पर तमाम दुकानदार, कंपनियां, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां आकर्षक स्कीम खरीदारी करने पर दे रही है। लहुराबीर स्थित एक मोबाइल के दुकान से खरीदारी करने पर मिठाई की जगह सब्जी का डिब्बा गिफ्ट में दिया जा रहा है। एक किलो और दो किलो तक का सब्जियों वाला गिफ्ट पैक दिया जा रहा है।
ढाई सौ रूपये के मिठाई की जगह महंगी सब्जियां लोगो को खूब भा रही है
दुकानदार यश जायसवाल ने बताया कुछ दिनों पहले एक फोटो खूब…
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merisahelimagazine · 4 years ago
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कहानी- मोह माया मायका (Short Story- Moh Maya Mayka)
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मूंदी हुई पलकों के पीछे मायके में कुछ दिन पूर्व बिताया समय साकार हो उठा. कैसे उसे देखते ही मम्मी-पापा के चेहरे खिल उठे थे. मां ने उत्साह से बताया था कि हमेशा धीर-गंभीर और चुप-चुप रहनेवाले पापा पिछले एक घंटे से उसके इंतज़ार में गलियारे में चक्कर काट रहे थे. “बातें कुछ नहीं करनी हैं इन्हें. बातें तो तुझसे मैं ही करूंगी. ये तो तुझे देखकर ही तेरे मन का पूरा एक्सरे अपने दिल में उतार लेते हैं. क्यों जी हो गई तसल्ली आपको? ख़ुश है न आपकी लाड़ली?”
दस-पंद्रह दिन मायके में बिताकर आई नेहा ने आज बड़े ही ख़ुशनुमा मूड में फिर से स्कूल जॉइन किया था. मायके की खट्टी-मीठी स्मृतियों में डूबते-उतराते उसने स्टाफ रूम में प्रवेश किया, तो साथी अध्यापिकाएं उसे इतने दिनों बाद अपने बीच पाकर चहक उठीं.
“ओ हो, साड़ी तो बड़ी ख़��बसूरत मिली है मायके से! प्योर सिल्क लगती है. क्यों प्राची, ढाई हज़ार से कम की तो क्या होगी?” मधु ने पास बैठी प्राची को कोहनी मारी.
“मेरी नज़रें तो कंगन और पर्स पर ही अटकी हैं. तेरी भाभी की चॉइस अच्छी है.” प्राची ने कहा.
इसके आगे कि कोई और अपनी अपेक्षाओं का पिटारा खोले, नेहा ने बीच में हस्तक्षेप करना ही उचित समझा. “यह साड़ी तो अभी एनीवर्सरी पर तनुज ने दिलवाई थी. और ये कंगन और पर्स मैंने एग्ज़ीबिशन से लिए थे.”
“कुछ भी कहो, आजकल मायके जाना कोई आसान सौदा नहीं रह गया है. जितना मिलता नहीं, उससे ज़्यादा तो देना पड़ जाता है. पिछली बार भतीजे-भतीजी के लिए ब्रांडेड कपड़े ले गई थी. भाभी के लिए इंपोर्टेड कॉस्मेटिक्स, घूमने, बाहर खाने आदि पर भी खुलकर ख़र्च किया और बदले में मिला क्या? एक ठीकठाक-सी साड़ी. अभी तो उसे तैयार करवाने में हज़ार-पांच सौ और ख़र्च हो जाएंगे.” मधु ने आंखें और उंगलियां नचाते हुए बताया, तो नेहा को वितृष्णा-सी होने लगी. अपनी किताबें समेटकर वह स्टाफ रूम से क्लास का बहाना बनाकर निकल ली.
इतने दिनों बाद क्लास लेेकर उसे बहुत अच्छा लगा. अगला पीरियड खाली था, पर उसका स्टाफ रूम में लौटने का मन नहीं हुआ. साथी अध्यापिकाओं की ओछी मानसिकता देखकर उसका मन बुझ-सा गया था. उसके कदम स्वत: ही लाइब्रेरी की ओर उठ गए. वहां के शांत वातावरण में उसके उ़िद्वग्न मन को कुछ राहत मिली. टेबल पर पर्स और हाथ की किताबें रखकर उसने अपना सिर कुर्सी से टिका दिया. मूंदी हुई पलकों के पीछे मायके में कुछ दिन पूर्व बिताया समय साकार हो उठा. कैसे उसे देखते ही मम्मी-पापा के चेहरे खिल उठे थे. मां ने उत्साह से बताया था कि हमेशा धीर-गंभीर और चुप-चुप रहनेवाले पापा पिछले एक घंटे से उसके इंतज़ार में गलियारे में चक्कर काट रहे थे. “बातें कुछ नहीं करनी हैं इन्हें. बातें तो तुझसे मैं ही करूंगी. ये तो तुझे देखकर ही तेरे मन का पूरा एक्सरे अपने दिल में उतार लेते हैं. क्यूं जी, हो गई तसल्ली आपको? ख़ुश है न आपकी लाड़ली?”
तब तक भइया-भाभी, भतीजा-भतीजी को भी उसके आने की भनक लग चुकी थी. सबने उसे चारों ओर से घेर उसकी, तनुज की, यशी की कुशलक्षेम पूछना आरंभ किया, तो वह निहाल हो उठी थी. कुछ रिश्तों की ख़ुशबू ख़ुद में ही चंदन जैसी होती है. ज़रा-सा अपनापन घिसने पर ही रिश्ते दिल से महक जाते हैं. एक-एक को उनके साथ न आ पाने की न केवल सफ़ाई देनी पड़ी थी, वरन यह वादा भी करना पड़ा था कि यशी की परीक्षाएं समाप्त होते ही वे तीनों आएंगे और ज़्यादा दिनों के लिए आएंगे.
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“वैसे हर बार क्या मैं ही आती रहूंगी? दूरी तो उतनी ही है. कभी तुम लोग भी तो प्रोग्राम बना लिया करो. हमें भी इतनी ही ख़ुशी होगी.” नेहा ने झूठ-मूठ नाराज़गी दर्शाई थी. वैसे इतना प्यार और अपनापन पाकर वह मन ही मन आल्हादित थी.
“सही है बुआ! इस बार राखी पर मैं सबको लेेकर आऊंगा. दादा-दादी को भी.” भतीजे ने जोश में वादा किया था.
सबके साथ मम्मी-पापा के भी अपने घर आने की कल्पना मात्र से ही नेहा को गुदगुदी-सी हो आई थी.
“मैं चाय लेकर आती हूं.” भाभी उठकर जाने को हुईं, तो नेहा ने हाथ पकड़कर उन्हें बैठाना चाहा. “मैंने ट्रेन में पी ली थी. ज़रा भी इच्छा नहीं है. आप बैठो.”
“अरे, ऐसे कैसे? मम्मी-पापाजी तो कब से इंतज़ार कर रहे हैं कि नेहा आएगी, तो उसके साथ ही चाय पीएंगे.”
“ओह! मुझे पता नहीं था. ठीक है, मैं सबके साथ आधा कप ले लूंगी.” नेहा अभिभूत थी.
चाय के साथ भइया ने करारी कचौरियों का पैकेट खोला, तो सबकी लार टपक पड़ी. “ऑफिस से आते हुए मंगू हलवाई से लेकर आया हूं ख़ास तेरे लिए. उसे करारी निकालने को कहा, तो पूछने लगा नेहा बिटिया आई हुई है क्या? मेरे हां कहने पर कहने लगा, सवेरे उसकी पसंद की करारी जलेबियां निकालकर रखूंगा. नाश्ते के लिए ले जाना.”
“अच्छा जी, जलेबियां तो मुझे भी पसंद हैं. कभी मेरे लिए तो जल्दी उठकर नहीं लाए?” चाय लेकर आती भाभी ने इठलाते हुए कहा और साथ ही नेहा को चुपके से इशारा भी कर दिया.
“तुम्हारी शुगर बढ़ी हुई है, थोड़ा कंट्रोल करो.” भइया ने भी नहले पर दहला जड़ दिया, तो पापा बहू के पक्ष में बोल उठे थे.
“इस नालायक को कहती ही क्यूं है बेटी? तेरा जब भी खाने का मन हो मुझसे कहना. मैं मॉर्निंग वॉक से लौटता हुआ ले आऊंगा.”
“बुआ, आप मठरी तो ले ही नहीं रही हो. मैंने बेली हैं.” नन्हीं-सी भतीजी ने ठुनकते हुए आग्रह किया, तो नेहा ने एक साथ दो मठरी उठा ली थी. “अरे, हमें तो पता ही नहीं था कि बिन्नी इत्ती बड़ी हो गई है कि मम्मी को काम में हाथ बंटाने लगी है.” नेहा ने भतीजी को गोद में ब���ठा लिया था.
“मम्मी को नहीं, दादी को. मठरियां मम्मीजी ने बनाई हैं. ख़ास आपके लिए अपने हाथों से.”
“वो तो ठीक है मां, पर नेहा के हाथ में मठरी का पूरा डिब्बा मत दे देना, वरना याद है न डिब्बा और अचार का मर्तबान सब साफ़.” भइया ने याद दिलाया, तो नेहा झेंप गई. मम्मी हंस-हंसकर सबको बताने लगीं कि कैसे बच��न में नेहा उनके सो जाने पर आस-पड़ोस की सब सहेलियों को बुला लाती थी और वे सब मिलकर सारी मठरियां और अचार चट कर जाती थीं.
हंसी-मज़ाक और बातों की फुलझड़ियों ने चाय नाश्ते का मज़ा दुगुना कर दिया था. भाभी ट्रे समेटकर जाने लगीं, तो नेहा ने साथ लाए तरह-तरह के खाखरे और चिक्की के पैकेट्स निकालकर भाभी को पकड़ा दिए. वे बोल उठीं, “अरे, इतने सारे!”
“मिठाई तो आजकल कोई खाता नहीं है. ये सबको पसंद है तो ये ही ले आई.” कहते हुए नेहा ने दोनों बच्चों को उनकी मनपसंद बड़ी-बड़ी चॉकलेट पकड़ाई, तो वे भी ख़ुशी से उछलते-कूदते बाहर खेलने भाग गए.
“पापा, ये आपके लिए स्टिक! सुबह आप वॉक पर जाते हैं, तो मम्मी को चिंता बनी रहती है, कहीं कुत्ते पीछे न पड़ जाएं.” नेहा ने अपने पिटारे में से अगला आइटम कलात्मक छड़ी निकालते हुए कहा.
“अरे वाह, यह तो बड़ी सुंदर है. मूठ तो देखो कैसी चमक रही है!” पापा ने हाथ में छड़ी पकड़कर अदा से घुमाई, तो भावविभोर नेहा खिल उठी.
“और मम्मी, ये वो ओर्थो चप्पल, मैंने आपको फोन पर बताया था न! इन्हें पहनकर चलने से आपकी एड़ियों में दर्द नहीं होगा.”
“काफ़ी महंगी लगती हैं.” चप्पलों को हाथ में लेेकर उलट-पुलटकर देखती मम्मी के हाथ से नेहा ने चप्पलें खींच लीं और ज़मीन पर पटक दी. “ये पांव में पहनने के लिए हैं. पहनकर, चलकर दिखाओ. आरामदायक है या नहीं?”
“टन टन टन...” अगले पीरियड की घंटी बजी, तो नेहा की चेतना लौटी. फ़टाफ़ट अपना पर्स और पुस्तकें संभालती वह अपनी कक्षा की ओर बढ़ चली. हिंदी व्याकरण का क्लास था. इस विषय पर तो उसकी वैसे ही गहरी पकड़ थी. नेहा को याद आया उस दिन वह रसोई में भाभी का हाथ बंटाने गई, तो भाभी ने उसके हाथ कसकर थाम लिए थे.
“नहीं दीदी, ये सब मैं कर लूंगी. आपसे एक दूसरा बहुत ज़रूरी काम है. आपके भतीजे की परीक्षाएं समीप हैं. और सब विषय तो मैं और आपके भइया उसे तैयार करवा देंगे, बस हिंदी, वो भी विशेषकर व्याकरण यदि आप उसे यहां रहते तैयार करवा देंगी, तो हम निश्‍चिंत हो जाएंगे.”
“हां-हां क्यों नहीं! वो भी करवा दूंगी. अभी खाना तो बनवाने दो.” पर भाभी ने एक न सुनी थी. दोनों बच्चों को कमरे में नेहा के सुपुर्द करके ही रसोई में लौटी थीं. नेहा ने भी उन्हें निराश नहीं किया था. दोनों बच्चों की ख़ूब अच्छी तैयारी करवा दी थी.
‘आज घर लौटकर बात करती हूं कैसी हुई दोनों की परीक्षाएं?’ तेज़ी से क��लास की ओर कदम बढ़ाती नेहा के दिमाग़ में विचारों का आदान-प्रदान भी तेज़ी से चल रहा था. शाम को घर लौटते हुए सास-ससुर की दवाइयां भी लेनी हैं. नेहा ने पर्स खोलकर चेक किया. ‘हूं... दोनों की दवा की पर्चियां तो सवेरे याद से रख ली थीं. तनुज तो व्यस्तता के मारे कभी पर्चियां रखना भूल जाते थे, तो कभी लाना. अब तो यह ज़िम्मेदारी उसी ने संभाल ली है, तभी तो उस दिन मायके में भी वह मम्मी-पापा के साथ जाकर उनके सारे रेग्युलर टेस्ट करवा लाई थी. साथ ही महीने भर की दवाइयां भी ले आई थी.
‘भइया तो हर बार करवाते ही हैं. मैं वहीं थी, फ्री थी, तो साथ चली गई.’
इतनी छोटी-सी मदद को भी सारे घरवालों ने सिर-आंखों पर लेेकर उसे आसमां पर बैठा दिया था. याद करते हुए नेहा की आंखें नम हो उठीं, जिन्हें चुपके से पोंछते हुए वह कक्षा में दाख़िल हो गई थी.
शाम को नेहा सास-ससुर की दवाइयां लेकर घर पहुंची, तो पाया दोनों किसी गहन चर्चा में मशगूल थे.
“रितु आ रही है, चुन्नू को लेकर. दामादजी को तो अभी छुट्टी है नहीं.”
“अरे वाह रितु आ रही है! यह तो बहुत ख़ुशी की बात है.” नेहा उत्साहित हो उठी. हमउम्र रितु उसकी ननद कम सहेली ज़्यादा थी.
“उसका जन्मदिन भी है. सोच रहे हैं सबसे बढ़िया महंगे होटल में पार्टी रखें. यहां उसके जो ससुरालवाले हैं, उन्हें बुला लेंगे. कुछ अपने इधर के हो जाएंगे. तुम और तनुज जाकर उसके लिए अच्छी महंगी साड़ी ख़रीद लाओ. दामादजी और चुन्नू के भी बढ़िया कपड़े ले आना. रितु को लेने तो आएंगे ही, तब दे देंगे. तब हमेशा की तरह ससुरालवालों के लिए साथ मिठाई, मेेवे वगैरह भी दे देंगे. सबको पता तो चले उसका मायका कितना समृद्ध है. सुनिएजी, आप तो आज ही बैंक से 20-30 हज़ार निकाल लाइए.” सास की बात समाप्त हुई, तो नेहा के सम्मुख ननद का उदास चेहरा घूम गया. पिछली बार उसने अपने दिल की बात सहेली समान भाभी के सम्मुख खोलकर रख दी थी.
“भाभी, माना मम्मी-पापा आप सब समर्थ हैं. बहुत बड़ा दिल है आप सबका, पर मुझे हर बार आकर आप लोगों का इतना ख़र्चा करवाना अच्छा नहीं लगता. एक संकोच-सा घेरे रहता है हर समय. लगता है, सब पर बोझ बन गई हूं.”
“ऐसा नहीं सोचते पगली. सब तुम्हें बहुत प्यार करते हैं.” नेहा ने उसे प्यार से समझाया था.
लेकिन आज नेहा को वह समझाइश अपर्याप्त लग रही थी. उसे मायके में बिताया अपना ख़ुशगवार समय याद आ रहा था. भइया उस दिन उसे उसकी मनपसंद ड्रेस दिलवाने बुटिक ले गए थे. वापसी में उन्होंने एक लंबा रास्ता पकड़ लिया, तो नेहा टोक बैठी थी, “इधर से क्यों?”
“इधर से तेरा स्कूल ��एगा. मुझे लगा तुझे पुरानी यादें ताज़ा करना अच्छा लगेगा.”
सच में स्कूल के सामने पहुंचते ही नेहा की बांछें खिल गई थीं. “अरे यह तो काफ़ी बदल गया है... वो कृष्णा मैम जा रही दिखती हैं. ये अभी तक यहां पढ़ाती हैं?” नेहा उचक-उचककर खिड़की से देखने लगी, तो भइया ने कार रोक दी थी.
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“जा मिल आ मैम से. मैं यहीं गाड़ी में बैठा कुछ फोन कॉल्स निबटा लेता हूं.”
नेहा को तो मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. अचानक ही उसके पर निकल आए थे. उड़ते हुए वह अगले ही पल अपनी मैम के सम्मुख थी. वे भी उसे देखकर हैरान रह गईं. बातों का सिलसिला शुरू हुआ, तो स्कूल की घंटी बजने के साथ ही थमा. नेहा ने स्कूल के बाहर खड़े अपने चिर-परिचित दीनू काका से भी दुआ-सलाम करके दो कुल्फियां लीं और भइया की ओर बढ़ आई थी. “देखो न भइया, दीनू काका कुल्फी के पैसे नहीं ले रहे.”
“चिंता न कर, मैं फिर कभी दे दूंगा.”
यही नहीं, लौटते में भइया ने उसे उसकी सहेली के घर ड्रॉप कर दिया था. “फोन कर देना, लेने आ जाऊंगा.”
दो घंटे बाद नेहा घर लौटी थी, तो उसका हंसता-खिलखिलाता चेहरा बता रहा था कि वह अपना बचपन फिर से जी आई है. और यहां नादान साथी अध्यापिकाएं पूछ रही हैं ‘मायके से लौटी है, क्या लाई दिखा?’
अब भाई-भाभी के स्नेह को कोई कैसे दिखा सकता है? मम्मी-पापा के लाड़ को कोई कैसे तौल सकता है? दिनभर बुआ... बुआ करनेवाले बच्चों का प्यार कैसे मापा जा सकता है? प्यार को यदि पैसे से तौलेंगे, तो उसका रंग हल्का नहीं पड़ जाएगा? ज़िंदगी के बैंक में जब प्यार का बैलेंस कम हो जाता है, तो हंसी-ख़ुशी के चेक भी बाउंस होने लगते हैं. हर बेटी की तरह उसकी तो एक ही दुआ है कि स्नेहिल धागों की यह चादर उसके सिर पर हमेशा बनी रहे. यहां आकर वह फिर से अपना बचपन जीए, भूल जाए लंबी ज़िंदगी की थकान और फिर से तरोताज़ा होकर लौटे अपने आशियाने में.प्यारी ननदरानी रितु का जन्मदिन वह अनूठे स्नेहिल अंदाज़ में मनाएगी. सोचते हुए नेहा के चेहरे पर भेद भरी मुस्कान पसर गई थी. मम्मीजी, पापाजी और तनुज से पूछ-पूछकर वह चुपके-चुपके रितु की सहेलियों की सूची तैयार करने लगी. उसे खाने में जो-जो पसंद है, वह मम्मीजी के साथ मिलकर तैयार करेगी. यशी ने उस ख़ास दिन घर को सजाने की ज़िम्मेदारी ख़ुशी-ख़ुशी ओढ़ ली थी. चुन्नू को बहलाने के लिए वह सहेली का डॉगी भी लानेवाली थी.
��अपनेपन की यह भीनी-भीनी ख़ुशबू रितु को हर अपराधबोध से उबार स्नेहरस में सरोबार कर बार-बार मायके का रुख करने पर मजबूर कर देगी.’ सोचते हुए नेहा सूची को कार्यरूप देने में जुट गई.
  शैली माथुर
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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कमलेश तिवारी की पत्नी किरण ने संभाली पति की बड़ी जिम्मेदारी, हिन्दू समाज पार्टी की नई अध्यक्ष बनीं
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चैतन्य भारत न्यूज लखनऊ. kamlesh tiwari kiran tiwariजिसके बाद शुक्रवार की शाम किरण तिवारी ने अपने पति की जिम्मेदारी संभालने की घोषणा की। शनिवार को किरण तिवारी पदभार ग्रहण करेंगी। हिन्दू समाज पार्टी ने शनिवार को लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में 2 बजे से 4 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करवाई है जिसे किरण तिवारी संबोधित करेंगी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); बता दें 18 अक्टूबर कमलेश तिवारी लखनऊ में थे और इसी दौरान उनसे मिलने का बहाना बनाकर अशफाक और मोइनुद्दीन उनके घर पहुंचे। भगवा कपड़े पहने दोनों हमलावर हाथ में मिठाई का डिब्बा लेकर कार्यालय में घुसे। फिर बदमाशों ने चाकू मारकर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि, तिवारी को 15 बार चाकू मारा गया था और उसके बाद चेहरे पर गोली मारी गई थी। साथ ही बदमाशों ने उनका गला रेतने की कोशिश की थी। सूत्रों के मुताबिक, हत्यारे तिवारी को किसी भी हाल में जिंदा नहीं छोड़ना चा��ते थे। पुलिस ने इस मामले में अबतक 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। Kiran Tiwari, wife of former Hindu Samaj Party president Kamlesh Tiwari, declared the new party president. https://t.co/JHuzpCaq6k pic.twitter.com/OSEqNELLDK — ANI UP (@ANINewsUP) October 26, 2019 पति की हत्या के बाद किरण ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। बता दें तिवारी की हत्या के बाद राज्य सरकार ने उनके परिजनों को आर्थिक मदद के तौर पर 15 लाख रुपए दिए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री यह भी निर्देश जारी किया है कि उनके परिवार को सीतापुर में आवास की सुविधा भी दी गई है। ये भी पढ़े... हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या, समर्थकों ने प्रदर्शन कर बंद कराईं दुकानें कमलेश तिवारी हत्याकांड: बिजनौर में दो मौलानाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज, गुजरात से लोग 6 हिरासत में Read the full article
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चाणक्य मिष्ठान भंडार पर उपभोक्ताओं को दिनदहाड़े लूटा जा रहा बदायूं शहर के धूर्त मानसिकता के कुछेक व्यापारी अभी भी सुधरने को तैयार नहीं हैं। सरकार, प्रशासन और विभागीय सख्ती के बावजूद कुछेक व्यापारी उपभोक्ताओं को खुलेआम लूटते नजर आ रहे हैं। गुणवत्ता में कमी आई है, वहीं डिब्बे भी मिठाई के दाम में ही जबरन थोपे जा रहे हैं। उपभोक्ता आपत्ति करता है, फिर भी लुटेरी मानसिकता के व्यापारी मनमानी करते नजर आ रहे हैं। बात फिलहाल सुभाष चौक पर स्थित चाणक्य मिष्ठान भंडार की है, यहाँ मिठाई की गुणवत्ता में निरंतर कमी आ रही है, साथ ही साफ-सफाई भी नहीं रहती, यह सब सुधारने की जगह उपभोक्ताओं को डिब्बा मिठाई के मूल्य में ही दिया जा रहा है। विभिन्न प्रकार की मिठाईयों के अलग-अलग दाम हैं। चार सौ रूपये प्रति किग्रा से लेकर हजार रूपये प्रति किग्रा तक की मिठाईयां ह��ं, जो डिब्बे में भर कर ही तौली जा रही हैं, जिससे सौ ग्राम से भी अधिक वजन का डिब्बा हजार रूपये किग्रा वाली मिठाई के साथ हजार रूपये किग्रा के दाम में ही बेचा जा रहा है। किसी उपभोक्ता को बिल नहीं दिया जाता, जिससे जीएसटी की चोरी भी की जा रही है। सरकार और प्रशासन की सख्ती के चलते विभागीय अफसरों द्वारा जिले भर के व्यापरियों को चेतावनी पहले ही दी जा चुकी है कि डिब्बा मिठाई के साथ न तौलें, साथ ही अफसरों ने व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर नोटिस भी लगवा रखा है, जिस पर लिखा है कि मिठाई डिब्बा के बिना तौली जायेगी, इसके बावजूद चाणक्य मिष्ठान भंडार पर दिनदहाड़े खुलेआम उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है। सर्वाधिक नुकसान वर्थ डे केक खरीदने वाले उपभोक्ताओं को होता है। वर्थ डे केक रखने का डिब्बा सबसे भारी होता है, जिसे केक के साथ ही तौल कर केक के मूल्य में ही डिब्बा जबरन दिया जाता है। खाद्य विभाग के अभिहित अधिकारी चंद्रशेखर मिश्रा ने बताया कि चाणक्य मिष्ठान भंडार के स्वामी के विरुद्ध विधिवत कार्रवाई की जायेगी। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
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