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#माह 2021 आज
lallulalnews · 2 months
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Sawan 2024: झमाझम बारिश के बीच बम-बम भोले गूंज...उत्तराखंड के शिवालयों में भक्तों की भीड़, आस्था की तस्वीरें
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झमाझम बारिश के बीच जय भोले की गूंज। बम-बम भोले की जयकारों से देवभूमि उत्तराखंड के शिवालय गूंज उठे। सावन माह सोमवार आज से शुरू हो गए हैं। सावन माह भगवान शिव को बेहद प्रिय है। शहर से देहात तक के सभी शिवालयों की खास सजावट की गई है और सुबह से शिवालय में जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटी है।
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sharpbharat · 2 years
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Jharkhand giridih ration demand : अतिरिक्त राशन से वंचित जमुआ प्रखंड के लाभुकों का गिरिडीह में प्रदर्शन, गबन राशन नहीं दिये जाने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान
गिरिडीह :  जिले के जमुआ प्रखंड के लोगों ने आज गिरिडीह पहुंच कर जोरदार प्रदर्शन कर पीएच एवं अंत्योदय राशन कार्डधारियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलनेवाले प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो अतिरिक्त अनाज दिये जाने की मांग की. ग्रामीणों का आरोप था कि वर्ष 2021 से ही उन्हें अतिरिक्त अनाज नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीण अब तक गबन किये गये खाद्यान्न का भी अविलंब वितरण कराये जाने की मांग…
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teznews · 2 years
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मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रतिदिन पौध-रोपण के 21 माह पूर्ण
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रतिदिन पौध-रोपण के 21 माह पूर्ण
19 फरवरी 2021 को लिया था प्रतिदिन पौध-रोपण का संकल्पआज स्मार्ट सिटी पार्क में लगाए पीपल, करंज, टिकोमा के पौधे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को प्रतिदिन पौधा लगाते हुए आज 21 माह पूर्ण हो गये है���।  मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 19 फरवरी 2021 को अमरकंटक में नर्मदा जयंती पर प्रतिदिन पौधा लगाने का संकल्प लिया था। आज 21 माह पूर्ण संकल्प की निरंतरता में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्मार्ट सिटी उद्यान…
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hindi-khabar · 2 years
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365store · 2 years
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6.20 लाख करोड़ रुपये
6.20 लाख करोड़ रुपये
भारत का राजकोषीय घाटा 2022-23 : देश के रोग में वृद्धि हुई है। सरकार को चालू वित्त वर्ष 2022-23 की केंद्र-सितंबर 2022 में कीटसंवर्द्धन पर बढ़ाएँ। 6 माह जावा जा रहा है साल भर का लक्ष्य का 37.3 प्रतिशत। कौन सा साँक खाता नियंत्रक (कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स) ने आज 31 अक्टूबर 2022 को जारी किया है। था-सितंबर 2021 के लिए महामारी का समय वर्ष 22 का लक्ष्य 35 प्रतिशत है। केंद्र नें 2023 के लिए वर्ष 2023 के…
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mrdevsu · 3 years
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राजस्थान और बैंगलोर में हो सकती है कांटे की टक्कर, आंकड़े दे रहे हैं गवाही
राजस्थान और बैंगलोर में हो सकती है कांटे की टक्कर, आंकड़े दे रहे हैं गवाही
राजस्थान रॉयल्स बनाम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर: मिशन 2021 का 43 वाँपेंटेशन संजू टॉमसन की स्पेशलाइज़्ड राजस्थानी रॉयल्स और पूरी तरह से महसूस किये जाने वाले क्रिटिकल चैलेंजर्स की टीम के खिलाड़ी। यह सही ढंग से लागू होने वाला है I आईपीएल में राजस्थान और बैंगलोर की टीमें जब भी आमने-सामने आती हैं तो मैच काफी रोमांचक होता है। आज भी असामान्य घटना के संबंध में घटनाओं को मिलान करना। राजस्थान के लिए अहम…
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everynewsnow · 3 years
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वैशाख 2021: इस महीने का महत्व जानें, इन मंत्रों के जाप से पुण्य लाभ मिलेगा
वैशाख 2021: इस महीने का महत्व जानें, इन मंत्रों के जाप से पुण्य लाभ मिलेगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी कैलेंडर का दूसरा महीना वैशाख 28 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जो 26 मई को समाप्त होगा। नारद जी के अनुसार, इस महीने को ब्रह्मा जी ने सभी महीने में श्रेष्ठ बताया है। विशाखा नक्षत्र से सम्बन्ध होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा। इस महीने में भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की उपासना विशेष रूप से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में इस मास में व्रत, पूजा, दान करने और…
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edigitalhindi · 3 years
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Pradhanmantri Shram Yogi Mandhan Yojana : प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत हमारे देश के सभी छोटे और सीमांत किसानों को वृद्धावस्था में ठीक से रहने के लिए सरकार द्वारा पेंशन प्रदान की जाएगी। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा 31 मई 2019 को शुरू की गई है। इस प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत देश के छोटे और सीमांत किसानों को 60 वर्ष पूरे होने पर, 3000 रुपये प्रति माह की पेंशन राशि प्रदान की जाएगी। प्रिय दोस्तों, आज हम आपको इस योजना के बारे में सभी जानकारी देने वाला हूँ जैसे दस्तावेज, पात्रता, आवेदन आदि के बारे में, तो इस लेख को पूरा जरुर पढ़ें –
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना 2021 PMSYM ( Pradhanmantri Kisan Mandhan Yojana 2021 )
इस योजना को किसान पेंशन योजना भी कहा जाता है। इस किसान पेंशन योजना 2021 के तहत आवेदन करने वाले लाभार्थियों की आयु 18 से 40 वर्ष होनी चाहिए। केंद्र सरकार 2022 तक इस योजना के तहत 5 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को कवर करेगी। इस किसान मानधन योजना का लाभ उन लाभार्थियों को भी दिया जाएगा जिनके पास 2 हेक्टेयर या उससे कम कृषि योग्य भूमि है। इस योजना के तहत यदि लाभार्थी की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी की पत्नी को हर माह 1500 रुपये दिए जाएंगे।
और अधिक पढ़नें के लिए यहाँ क्लिक करें - Click Here
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vaidikmart · 3 years
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क्यों चमत्कारी है भादवे का घी Vaidikmart.com
भादवे के घी के लिए अति शीघ्र संपर्क करें। https://www.vaidikmart.com
नोट :-एडवांस बुकिंग पर ही भादवे का घी हमारे यहां से मिलेगा वैदिकमार्ट वैदिक बिलोने का घी 98796 99141
(भाद्रपद माह का गोघृत)? मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है!
भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है।
इस वर्ष भाद्रपद माह 23अगस्त से 20 सितम्बर 2021 तक रहेगा
जिसे हम घास कहते हैं, वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ औषधियाँ हैं।
इनमें धामन जो कि गायों को अति प्रिय होता है, खेतों और मार्गों के किनारे उगा हुआ साफ सुथरा, ताकतवर चारा होता है।
सेवण एक और घास है जो गुच्छों के रूप में होता है। इसी प्रकार गंठिया भी एक ठोस खड़ है। मुरट, भूरट,बेकर, कण्टी, ग्रामणा, मखणी, कूरी, झेर्णीया,सनावड़ी, चिड़की का खेत, हाडे का खेत, लम्प, आदि वनस्पतियां इन दिनों पक कर लहलहाने लगती हैं।
यदि समय पर वर्षा हुई है तो पड़त भूमि पर रोहिणी नक्षत्र की तपत से संतृप्त उर्वरकों से ये घास ऐसे बढ़ती है मानो कोई विस्फोट हो रहा है।
इनमें विचरण करती गायें, पूंछ हिलाकर चरती रहती हैं। उनके सहारे सहारे सफेद बगुले भी इतराते हुए चलते हैं। यह बड़ा ही स्वर्गिक दृश्य होता है।
इन जड़ी बूटियों पर जब दो शुक्ल पक्ष गुजर जाते हैं तो चंद्रमा का अमृत इनमें समा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से इनकी गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है।कम से कम 2 कोस चलकर, घूमते हुए गायें इन्हें चरकर, शाम को आकर बैठ जाती है।रात भर जुगाली करती हैं।अमृत रस को अपने दुग्ध में परिवर्तित करती हैं।यह दूध भी अत्यंत गुणकारी होता है।इससे बने दही को जब मथा जाता है तो पीलापन लिए नवनीत निकलता है।एकत्रित मक्खन को गर्म करके, घी बनाया जाता है।
इसे ही #भादवेका घी कहते हैं। 
इसमें अतिशय पीलापन स्वणं रंग होता है। ढक्कन खोलते ही 100 मीटर दूर तक इसकी मादक सुगन्ध हवा में तैरने लगती है।
बस….मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है!
विशेष: सभी गोघृत भोजन के रूप में सेवन हेतु 90 दिन के अंदर प्रयोग करें और उसके पश्चात जितना पुराना होगा इसकी महक बदलती रहेगी और उतनी ही तेज़ होती जाएगी।
एवं उत्तम औषधि के रूप में प्रयोग होगा परन्तु भोजन के रूप में सेवन हेतु प्रयोग नहीं होगा।
ज्यादा है तो खा लो, कम है तो नाक में चुपड़ लो।
हाथों में लगा है तो चेहरे पर मल दो।
बालों में लगा लो।
दूध में डालकर पी जाओ।
सब्जी या चूरमे के साथ जीम लो।
बुजुर्ग है तो घुटनों और तलुओं पर मालिश कर लो।
इसमें अलग से कुछ भी नहीं मिलाना।
सारी औषधियों का सर्वोत्तम सत्व तो आ गया!!
इस घी से हवन, देवपूजन और श्राद्ध करने से अखिल पर्यावरण, देवता और पितृ तृप्त हो जाते हैं।
कभी सारे मारवाड़ में इस घी की धाक थी।
इसका सेवन करने वाली विश्नोई महिला 5 वर्ष के उग्र सांड की पिछली टांग पकड़ लेती और वह चूं भी नहीं कर पाता था।
पुराने लोगो द्वारा वर्णित प्रत्यक्ष की घटना में एक व्यक्ति ने एक रुपये के सिक्के को मात्र उँगुली और अंगूठे से मोड़कर दोहरा कर दिया था!!
आधुनिक विज्ञान तो घी को वसा के रूप में परिभाषित करता है। उसे भैंस का घी भी वैसा ही नजर आता है।
वनस्पति घी, डालडा और चर्बी में भी अंतर नहीं पता उसे।
लेकिन पारखी लोग तो यह तक पता कर देते थे कि यह फलां गाय का घी है।
यही वह घी था जिसके कारण युवा जोड़े दिन भर कठोर परिश्रम करने के बाद, रात भर रतिक्रिया करने के बावजूद, बिलकुल नहीं थकते थे (वात्स्यायन)!
एक बकरे को आधा सेर घी पिलाने पर वह एक ही रात में 200 बकरियों को “हरी” कर देता था!!इसमें स्वर्ण की मात्रा इतनी रहती थी, जिससे सिर कटने पर भी धड़ लड़ते रहते थे!
बाड़मेर जिले के गूंगा गांव में घी की मंडी थी। वहाँ सारे मरुस्थल का अतिरिक्त घी बिकने आता था जिसके परिवहन का कार्य बाळदिये भाट करते थे।
वे अपने करपृष्ठ पर एक बूंद घी लगा कर सूंघ कर उसका प���ीक्षण कर दिया करते थे।
इसे घड़ों में या घोड़े के चर्म से बने विशाल मर्तबानों में इकट्ठा किया जाता था जिन्हें “दबी” कहते थे।
घी की गुणवत्ता तब और बढ़ जाती, यदि गाय पैदल चलते हुए स्वयं गौचर में चरती थी, तालाब का पानी पीती, जिसमें प्रचुर विटामिन डी होता है और मिट्टी के बर्तनों में बिलौना किया जाता हो।
अतः यह आवश्यक है की इस महीने के घृत को प्रतिदिन जंगल या गोचर में कम से कम 5 किलोमीटर तक चलने वाली गाय के दूध से वैदिक विधि से
या तो स्वयं घर पर बनाये या किसी विश्वासपात्र व्यक्ति से ही ले जिस से इसके गुणों का पूरा लाभ मिल सके और यदि इसे कई वर्षो तक संजो कर औषधि बनाना है तो इसका शुद्ध विधि और भादवे के महीने में बना होना और भी आवश्यक है।
यही कारण था की इस महीने के घी का गोपालको को अच्छा दाम मिलता था या कहे की यह महीना उनकी और उनकी गाय के दिवाली का महीना होता है जिसका वह साल भर राह देखते है।
वही गायें, वही भादवा और वही घास आज भी है। इस महान रहस्य को जानते हुए भी यदि यह व्यवस्था भंग हो गई तो किसे दोष दें।
जो इस अमृत का उपभोग कर रहे हैं वे निश्चय ही भाग्यशाली हैं। यदि घी शुद्ध है तो जिस किसी भी भाव से मिले, अवश्य ले लें।  यदि भादवे का घी नहीं मिले तो गौमूत्र सेवन करें। वह भी गुणकारी है। और हमारे देश के कई ऋषि इस घी को कांच की बंडी या चीनी माटी की बंडी मैं भरकर 3 फुट जमीन में गाड़ देते थे और कई वर्षों बाद इसे निकालते थे और उससे कई दुर्लभ औषधियां बनती थी जिससे अनगिनत रोगों का नाश होता था कहीं टूटी हुई हड्डियां फिर से जुड़ जाती थी।
10 वर्ष बाद निकालें गए घी को पतला या जीरन कहा जाता था। भादवे के घृत से पंचगव्य घृत पंचगव्य नस्य बनाने से अधिक लाभ मिलता है भादवे के घृत के लिए अति शीघ्र संपर्क करें 98796 99141 वैदिकमार्ट। डिसा गुजरात
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tentaran · 4 years
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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को लेकर कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ कोई अनौपचारिक बातचीत नहीं कर रही है। 22 जनवरी को किसानों के साथ सरकार की बातचीत बेनतीजा रही थी। केंद्र ने किसान नेताओं से कृषि कानूनों को 18 माह के लिए स्थगित करने के सरकार के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है।
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bhaskarhindinews · 4 years
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जनवरी 2021: संक्रांति से लेकर लोहड़ी तक इस माह आएंगे ये व्रत और त्यौहार, देखें पूरी लिस्ट
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नया वर्ष 2021 आज (01, जनवरी) से शुरू हो चुका है। इस महीने में भी कई सारे व्रत और त्यौहार आते हैं। जिन्हें देश ही नहीं दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है। जनवरी माह में आने वाले संक्रांति पर्व पर पंतगबाजी से लेकर कई सारी अलग- अलग परंपराएं कई राज्यों में मानी जाती है।
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merikheti · 2 years
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यूटूब की मदद से बागवानी सिखा रही माधवी को मिल चुका है नेशनल लेवल का पुरस्कार
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अपनी उम्र के युवा दिनों से ही पादप विज्ञान (Plant Science) और वनस्पति विज्ञान (Botany) में रुचि रखने वाली एक ग्रहणी, आज यूट्यूब पर एक चैनल के माध्यम से अपनी जैसे ही दूसरी गृहणियों को भी, जैविक खेती की मदद से प्राकृतिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर छत पर बागवानी यानी रूफटॉप बागवानी (Roof / Terrace gardening) के बारे में जानकारियां उपलब्ध करवा रही है। यूट्यूब पर माधवी (Mrs. Madhavi Guttikonda) के ‘मैड गार्डनर‘ (MAD GARDENER) नाम के चैनल पर लगभग 5 लाख से अधिक सब्सक्राइबर (subscriber) हैं।
अपने घर की छत पर ही फूल और फलों से शुरुआत करने वाली माधवी पिछले 10 सालों से जैविक खेती की मदद से सब्जियां उगा रही है। इस प्रकार की जैविक सब्जी उत्पादन की शुरूआत माधवी ने 25 वर्ष की उम्र में अपनी शादी के बाद की थी।ये भी पढ़ें:ओडिशा के एक रेलकर्मी बने किसान, केरल में ढाई एकड़ में करते हैं जैविक खेती
पुराने दिनों को याद कर माधवी बताती हैं कि शुरुआती दिनों में वह एक किराए के एक अपार्टमेंट में रहते थे और वहीं पर कुछ अलग-अलग प्रकार के अच्छे दिखने वाले फूलों के पौधों की बागवानी करना शुरू किया था, इस समय माधवी का फोकस बागवानी से पैसा कमाना नहीं था बल्कि केवल अपने शौक के खातिर ही फूलों के पौधे लगाए थे।
माधवी बताती है कि आज उनका फोकस खाने वाली सब्जियों के उत्पादन की तरफ है और उनके घर में इस्तेमाल होने वाली एक सप्ताह की सब्जियों में से लगभग पांच दिन की सब्जी उनके खुद के उगाए हुए रूफटॉप गार्डन से ही इस्तेमाल की जाती है।ये भी पढ़ें:हरी सब्जियां आसानी से किचन गार्डन मे उगाएं : करेला, भिंडी, घीया, तोरी, टिंडा, लोबिया, ककड़ी
अपने बेटे और बेटी के कहने पर 2018 में यूट्यूब चैनल की शुरुआत करने वाली माधवी को शुरुआत में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। भारत के अधिकतर कृषि उत्पादन क्षेत्र में हिंदी भाषी लोग होने के बावजूद इन्हें हिंदी नही आने के कारण, तेलुगु भाषा में बागवानी का यह चैनल शुरू करना पड़ा। लेकिन पहले ही महीने में उन्हें काफी सफलता मिली और पिछले कुछ सालों से कमाए गए अनुभव को वह आज भी सोशल मीडिया और यूट्यूब की मदद से आसानी से लोगों तक पहुंचाने में सफल रही हैं।
माधवी वर्तमान में कम समय में पक कर तैयार होने वाली मौसमी सब्जियों का उत्पादन करना पसंद करती है, जिनमें टमाटर, मिर्ची और लौकी को अच्छी सब्जी मानती है। इसके अलावा वह ड्रैगन फ्रूट, पपीता और नींबू तथा केले जैसे छोटे पौधे भी अपनी छत पर बने हुए 18 स्क्वायर फीट के गार्डन में लगाकर परीक्षण कर चुकी हैं।ये भी पढ़ें: इस माह नींबू, लीची, पपीता का ऐसे रखें ध्यान
माधवी का मानना है कि खेती और किसानी में यदि बेहतरीन तरीके की वैज्ञानिक तकनीक और नए विचारों वाली विधियों का इस्तेमाल किया जाए तो खेती उतनी मुश्किल नहीं होती, जितनी दिखाई देती है।
पिछले कुछ समय से लोगों से हुए जुड़ाव को लेकर माधवी कहती हैं कि वह जब भी किसी नई प्रकार की सब्जी के उत्पादन के बारे में सोचती है तो वीडियो बनाने से पहले वह किसी भी प्रकार का रिसर्च नहीं करती और अपने चैनल के माध्यम से लोगों से ही उस सब्जी के लिए नए इनोवेटिव आईडिया लेने की कोशिश करती हैं। यदि कोई अनुभवी किसान माधवी को अपनी राय देते हैं, तो वह स्वयं उनसे पूरी बात कर जानकारी प्राप्त करती हैं और फिर उसे अपने अगले वीडियो में किसान भाइयों तक शेयर करती हैं।
कंपोस्ट खाद के अलग-अलग बॉक्स में अपनी सब्जियों उगाने को प्राथमिकता देने वाली माधवी बताती हैं कि यदि मिट्टी का पूरा ध्यान रखा जाए और बीज को पूरे उपचार के बाद इस्तेमाल किया जाए, तो पौधे की उत्पादकता बढ़ाने के अलावा उसमें लगने वाले हानिकारक कीटनाशक और दूसरे कई प्रकार के मक्खियों से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
माधवी बताती है कि यदि सही समय पर उनके पास अच्छा विकल्प होता तो वह अवश्य एक बड़ी किसान के रूप में काम करना पसंद करती, लेकिन शहर में रहने की वजह से और जमीन ना होने के कारण केवल रूफटॉप बागवानी की मदद से ही वह खेती में अपने पैशन को बरकरार बनाए रख सकती थी।
माधवी ने बताया कि उनके यूट्यूब चैनल ‘मैड गार्डनर’ की मदद से उन्हें महीने में लगभग एक लाख रुपए तक का रेवेन्यू प्राप्त हो जाता है। पिछले कुछ महीनों से से माधवी अपने यूट्यूब से प्राप्त होने वाली आय का 50% ���िस्सा शहर के ही गरीब बच्चों को खाना खिलाने के लिए करती है।ये भी पढ़ें: सफलता की कहानी:सूनी सड़क पर महिलाओं ने गुलजार किया सब्जी बाजार
कृषि से जुड़ी एक मैगजीन के द्वारा साल 2021 में माधवी को टेरेस बागबानी के लिए राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार दिया गया था, इन लम्हों को याद करते हुए माधवी कहती है कि भारत के उपराष्ट्रपति से मिलने वाले इस पुरुस्कार के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था, लेकिन कृषि में अपने पैशन की वजह से आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
माधवी यहां तक कहती है कि कई बार तो वह हैरान हो जाती है जब 10 साल से छोटे बच्चे भी उनके वीडियो देख, कृषि में अपना पैशन विकसित कर पा रहे हैं।
भविष्य की नीतियों के बारे में जब माधवी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह जल्द ही आसपास के क्षेत्र में ही खुद की जमीन खरीद कर स्वयं के इस्तेमाल में आने वाले खाने का उत्पादन करना चाहती है और बड़ी संस्थाओं के साथ मिलकर कृषि में इस्तेमाल होने वाले नई तकनीकों को किसान भाइयों तक पहुंचाने के लिए भी प्रयासरत है।ये भी पढ़ें: जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई
माधवी अपने चैनल के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाकर उनकी आय बढ़ाने के अलावा कृषि क्षेत्र में नए इनोवेटिव विचार के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, भले ही बड़े किसानों की तरह माधवी लाखों-करोड़ों रुपए का मुनाफा कर दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत ना बन पाए, लेकिन अपने अनुभव का इस्तेमाल कर कई किसानों को इस लायक बनाने में सफल रही है।
आशा करते हैं कि हमारे किसान भाई भी उनके इस चैनल की मदद से छत पर की जाने वाली बागबानी के बारे में कुछ सीख कर अपने घर में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों की जैविक खेती जरूर कर पाएंगे और भविष्य में बड़ी संस्थाओं से जुड़कर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर कृषि व्यवसाय में भी मुनाफा कमा पाएंगे।
Source यूटूब की मदद से बागवानी सिखा रही माधवी को मिल चुका है नेशनल लेवल का पुरस्कार
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पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने हेतु अभिनव की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिखाई सख़्ती !
पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने हेतु अभिनव की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिखाई सख़्ती !
लोकजन टुडे पिछले वर्ष पूरे भारत मे कोरोना महामारी व उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की शिथिलता और पहाड़ में अन्य बीमारियों हेतु भी स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव के दृष्टिगत, अतः प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट नैनीताल में जुलाई 2021 पर जनहित याचिका पर कोर्ट ने 1 माह के भीतर सरकार से जवाब माँगा था, किंतु आज 1 वर्ष से अधिक…
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mediawalablog · 2 years
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अब हर महीने 2 दिन मुख्यमंत्री शिवराज पढ़ाएंगे स्कूली बच्चों को
भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2021 में यह तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश ने अभिनव कार्य करते हुए देश में पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया है।
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे प्रति तीन वर्ष में होता है।
इसके पहले वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश इस सर्वे में 17वें स्थान पर था। प्रदेश आगामी सर्वे में अव्वल आने के लिए प्रयासरत रहेगा। समाज के जुड़ जाने से हर क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिलते हैं। स्कूलों से समाज को जोड़ने के लिए भी अभियान की आवश्यकता है।
नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन और शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी हम गंभीर हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय सभागार में लर्निंग्स फ्रॉम नेशनल अचीवमेंट सर्वे कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कराया जाने वाला राष्ट्रव्यापी शिक्षा सर्वे देश का सबसे बड़ा सर्वे है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर तक विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर का फीडबैक प्राप्त कर भविष्य के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।
कक्षा 3, 5, 8 और 10 के लिए सर्वे में सैंपल आधार पर कार्य हुआ, जिसमें गणित, विज्ञान, पर्यावरण, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी और भाषा की शैक्षणिक उपलब्धियों के स्तर की जाँच की गई।
सर्वे में केन्द्र सरकार के विद्यालयों सहित राज्य सरकार के विद्यालय, प्रायवेट विद्यालय और अनुदान प्राप्त विद्यालय शामिल होते हैं। मध्यप्रदेश की उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार और शिक्षा विभाग की पूरी टीम को बधाई दी।
सरकारी विद्यालय पीछे नहीं हैं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विद्यार्थियों को तन्मयता से पढ़ाने वाले शिक्षक अच्छे परिणाम लाने में सहायक होते हैं। पारम्परिक ढंग से शिक्षा देने के कार्य से हटकर बच्चों को शिक्षण सामग्री रटवाने के स्थान पर समझाने वाले शिक्षक अपना कार्य आनंद के भाव के साथ करते हैं।
इस तरह की शिक्षा ग्रहण करने पर विद्यार्थी कल का भारत बनाने में सहायक होंगे। पढ़ाते हुए शिक्षक के मन में यदि यह लक्ष्य है कि उसे नई पीढ़ी को तैयार करना है, तो यह कार्य सार्थक हो जाता है।
शिक्षक सिर्फ शिक्षक न होकर गुरू भी होता है, जो विद्यार्थी के जीवन को सँवारने का कार्य करता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षकों का अभिनंदन करते हुए कहा कि वे स्वयं शासकीय विद्यालय से पढ़कर निकले हैं। उनके शिक्षक श्री रत्नचंद जैन एक आदर्श शिक्षक रहे हैं।
सभी विद्यार्थी उनका हृदय से सम्मान करते थे। सरकारी विद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थी किसी से पीछे नहीं होते।
कोरोना काल में शिक्षा विभाग ने बच्चों को विभिन्न माध्यमों से शिक्षा देते हुए कुंठित होने से बचाया, इस तरह के नवाचार प्रशंसनीय हैं। इस नई शिक्षा संस्कृति के लिए शिक्षा विभाग बधाई का पात्र है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्कूल चलें अभियान के स्वरूप में सुधार करते हुए अधिक उपयोगी बनाने के प्रयास होने चाहिए।
अन्य राज्यों के श्रेष्ठ नवाचारों को अपनाने का भी प्रयास होना चाहिए। स्वस्थ स्पर्धा से कार्य हो, जिससे विद्यार्थियों को लाभान्वित करने में हम पीछे न रहें।
विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात व्यक्तियों एवं पूर्व विद्यार्थियों को भी वर्ष में एक या दो बार अपने पुराने विद्यालयों से जुड़ाव रखते हुए वहाँ का भ्रमण कर सुविधाओं के विकास में सहयोगी होना चाहिए।
मेरा मन होता है बच्चों को पढ़ाने का
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों में अनुशासन, परिश्रम, ईमानदारी के गुणों के विकास और अपने लिए ही नहीं सभी के लिए जीने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने को जरूरी बताते हुए कहा कि जन-प्रतिनिधियों और समाज की विभिन्न संस्थाओं को शिक्षा से जुड़कर बच्चों के व्यक्तित्व को आकार देने का प्रयास करना चाहिए।
स्कूलों में हर महीने पालक-शिक्षक बैठक होना चाहिए। हमें शिक्षक की भूमिका भी निभाने के लिए तैयार होना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मेरा भी माह में एक या दो बार स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाने का मन होता है।
कक्षाओं में जाकर बच्चों से चर्चा भी की है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति में टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें निरंतर संवाद की प्रक्रिया जारी है।
रैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से श्रेष्ठ परफार्मेंस वाले शिक्षकों को पुरस्कृत और सम्मानित करने और एन.सी.सी. जैसे संगठनों के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास निरंतर होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से किया संवाद
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे से जुड़े शिक्षकों से संवाद भी किया।
उन्होंने पन्ना के शिक्षक श्री जड़िया, देवास की सुश्री शीला मरावी, दमोह के श्री माधव पटेल और गुना के शिक्षक श्री प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत करते हुए सवाल-जवाब से उनके रचनात्मक प्रयासों की जानकारी प्राप्त की।
शिक्षकों ने बताया कि कोविड की वजह से हमारा घर-हमारा विद्यालय के अंतर्गत प्रश्न तैयार कर बच्चों को उनके निवास पर भिजवाए गए।
बच्चों के ज्ञान के स्तर की परख करते हुए अनुत्तरित प्रश्नों के बारे में समझाया गया। दशहरा और दीवाली के साथ अन्य पर्वों पर भी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।
अनुप्रयोग और कौशल आधारित शिक्षण पद्धति का लाभ बच्चों को दिलवाया गया। शिक्षा विभाग की रणनीति से शैक्षिक संवाद निरंतर होता रहा। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देशों के पालन के प्रति शिक्षक गंभीर रहे।
रविवार को भी बच्चे पढ़ने आया करते थे। कोई दीवार नहीं थी। पढ़ने और पढ़ाने के कार्य में, आनंद मिलता था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षकों का अभिनंदन करते हुए उनके प्रयासों की प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी।
स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान के मंगल नेतृत्व के कारण राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में मध्यप्रदेश को शीर्ष राज्यों में स्थान मिला है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोविड की विपरीत परिस्थितियों में डर के माहौल से आगे निकलकर स्कूल खोले जाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
दीपावली की छुट्टी के समय भी विभागीय अधिकारियों और शिक्षकों ने अतिरिक्त एवं अधिक परिश्रम किया, जिसके परिणाम के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश को पहचान मिली है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना शासन की प्राथमिकता है। विद्यालयों में विद्यार्थियों को सुविधाओं के साथ ही कैसी शिक्षा देनी है इस पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में जिन जिलों ने अच्छा प्रदर्शन किया है वे जिले आगामी समय में और अच्छा प्रदर्शन करें, जो जिले निचली पायदान पर आए हैं उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करने और आगामी रणनीति साझा करने के लिए यह कार्यशाला हो रही है।
अब मध्यप्रदेश, राष्ट्रीय स्तर ह�� नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक सर्वे की भी तैयारी करेगा।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2021 : एक नज़र
मध्यप्रदेश को देश के प्रथम 10 राज्यों में स्थान हासिल हो, इसके लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लक्ष्य दिया था, जिसे शिक्षा विभाग ने बेहतर ढंग से पूरा किया और पाँचवें स्थान पर आकर सम्मानजनक स्थिति प्राप्त की।
प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में वातावरण निर्माण में मीडिया एवं अन्य डिजीटल माध्यमों का सहयोग भी प्राप्त हुआ। कोविड की परिस्थितियों में चरणबद्ध तरीके से विद्यालय प्रारंभ किए गए।
प्रदेश के शिक्षक, पालक और समुदाय उत्साहजनक वातावरण से प्रेरित हुए। यू-ट्यूब लाइव द्वारा शिक्षकों का विषयवार एवं कक्षावार सतत् उन्मुखीकरण भी किया गया।
परीक्षा वातावरण से विद्यार्थियों को परिचित कराने के लिए मॉक टेस्ट का उपयोग किया गया। जिलों के अच्छे प्रयासों को साझा करने के लिए मंच उपलब्ध करवाया गया।
जिला टीमों ने विशेष प्रयास किए। विषय शिक्षकों ने कठिन अवधाराणाओं को समझाने के लिए निरंतर प्रयास किए। प्रदेश प्रारंभिक कक्षाओं (कक्षा 3, 5 एवं 8) में देश में पाँचवें क्रम पर रहा है।
कक्षा 3 में 37 जिले, कक्षा 5 और 8 में 33 जिले और कक्षा 10 में प्रदेश के 20 जिले राष्ट्रीय औसत से ऊपर रहे हैं।
प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने उपलब्धि सर्वे के उद्देश्य और इसकी कार्य प्रक्रिया की जानकारी दी। आयुक्त लोक शिक्षण श्री अभय वर्मा, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र श्री धनराजू एस, संचालक श्री के.के. द्विवेदी उपस्थित थे।
सचिव माध्यमिक शिक्षा मंडल श्री श्रीकांत बनोठ, अपर मिशन संचालक श्री लोकेश जांगिड़ भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यशाला में प्रदेश के सभी जिलों के डाइट प्राचार्य, जिला परियोजना समन्वयक (समग्र शिक्षा) और सहायक परियोजना समन्वयक (अकादमिक) उपस्थित हुए।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2021 के विश्लेषण और भावी रणनीति पर प्रस्तुतिकरण के साथ एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
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news-trust-india · 2 years
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mrdevsu · 3 years
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