#महिलाओं की मान्यता
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लखनऊ, 25.02.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा राणा होम्यो क्लीनिक के संयुक्त तत्वावधान में योग्य मान्यता प्राप्त चिकित्सक द्वारा "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन राणा होम्यो क्लिनिक, शॉप नं.3, गोपाल नगर कॉलोनी, झंडेवाला चौराहा के पास, जल निगम रोड, बालागंज, लखनऊ में हुआ l शिविर का शुभारंभ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा एवं उनकी टीम के सदस्यों राहुल राणा, संतोष राणा एवं दिनकर दुबे ने दीप प्रज्वलन व होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुएल हैनीमेन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने बताया कि, होम्योपैथिक शिविर आयोजित करने की प्रेरणा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मंत्र - सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास से मिली है | श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "होम्योपैथी एक सुरक्षित और सौम्य चिकित्सीय तरीका है जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है । इसकी आदत नहीं पड़ती है अर्थात रोगी को होम्योपैथिक दवाओं की लत नहीं लगती है । यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए सुरक्षित है । एलोपैथी की तुलना में होम्योपैथी बहुत अधिक प्रभावी है, क्योंकि यह केवल लक्षणों का उपचार करने के बजाय बीमारी को जड़ से खत्म करती है । लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और किसी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने पर तत्काल अपने डॉक्टर से सलाह लेकर उपचार करवाना चाहिए l जिससे बीमारी बढे न और जटिलता से बचा जा सके l जनहित में नियमित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाएगा l"
डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, "होम्योपैथी चिकित्सा रोगी की शारीरिक शिकायतों, वर्तमान और पिछला चिकित्सा इतिहास, व्यक्तित्व और वरीयताओं सहित विस्तृत इतिहास को ध्यान में रखती है । चिकित्सा की यह प्रणाली व्यक्ति की बीमारी को ही नहीं बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक करने पर केंद्रित होती है । होम्योपैथी इस विश्वास पर चलती है कि शरीर खुद को ठीक कर सकता है । इसी सिद्धांत को मानते हुए होम्योपैथिक दवाओं को तैयार किया जाता हैं जो एलोपैथी दवाओं की तरह व्यक्ति की बीमारी को नहीं दबाती बल्कि उसे जड़ से खत्म करने के लिए शरीर की सेल्फ हीलिंग क्षमता को सक्रिय करती हैं ।"
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित 76 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure) तथा मधुमेह (Sugar-Random) की जांच की गयी l डॉ० संजय कुमार राणा ने परामर्श प्रदान किया l सभी को डॉ० संजय कुमार राणा ने निःशुल्क होम्योपैथी दवा प्रदान की l महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा परामर्श चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा उनकी टीम के सदस्यों राहुल राणा, संतोष राणा, दिनकर दुबे की उपस्थिति रही l
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Hindu Temples Where Men Are Strictly Prohibited
Introduction
Unique Temples List : भारतीय समाज में वर्षों से पुरुषों का वर्चस्व रहा है और समय के साथ ऐसी परंपराएं भी ��िकसित हुई हैं जहां महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को सामाजिक-पारंपरिक रूप से ज्यादा ताकत मिली. यही वजह रही कि महिलाओं को कई सामाजिक बंधनों में बांधने की कोशिश की गई जहां पर उनको पुरुषों के मुकाबले थोड़ी कम हैसियत मिली. ऐसे ही कई मंदिर रहे जहां महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी गई जिसमें सबरीमला मंदिर शामिल है. लेकिन आपको जानकर यह हैरानी होगी कि हम उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर पुरुषों का जाना सख्त मना है.
यहां पर केवल महिलाएं ही कुछ खास नियमों का पालन करते हुए एंट्री कर सकती हैं. इन मंदिरों के साथ ऐतिहासिक रूप से कई कहानियां जुड़ी हैं जिसकी वजह से पुरुष इन मंदिरों में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों में जाने से पुरुषों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही सुख-समृ्द्धि वाले जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है ऐसे में इन मंदिरों में पुरुषों का प्रवेश बंद किया है और ऐसे मंदिर उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में स्थापित हैं.
Table Of Content
असम का कामरूप कामाख्या मंदिर
ब्रह्मा देव मंदिर में पुरुषों की एंट्री पर रोक
भगवती देवी का मंदिर
अट्टुकल भगवती मंदिर
जोधपुर का संतोषी माता का मंदिर
असम का कामरूप कामाख्या मंदिर
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर काफी पुराना है और यह अपनी मान्यताओं के लिए काफी प्रसिद्ध है. माना जाता है कि सभी शक्तिपीठों में कामाख्या शक्तिपीठ का स्थान सर्वोपरि है. माता के महावरी में यहां पर भारी संख्या श्रद्धालु आकर उत्सव मनाते हैं और इन दिनों पुरुषों का मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध रहता है. साथ ही महावरी के समय यहां का पुजारी भी पुरुष की जगह एक महिला होती है और वी पूजा-पाठ करवाती है. कामरूप कामाख्या मंदिर की एक खास मान्यता यह भी है कि यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
ब्रह्मा देव मंदिर में पुरुषों की एंट्री पर रोक
राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा देव मंदिर की लोगों के बीच में काफी मान्यताएं हैं और यहां पर हर दिन हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए जाते हैं. माना जाता है कि इस मंदिर को 14वीं शताब्दी में बनाया गया था जहां पर पुरुषों की एंट्री पर प्रतिबंध है. ऐसा कहा जाता है कि देवी सरस्वती के श्राप की वजह से यहां पर कोई भी शादीशुदा पुरुष प्रवेश नहीं कर सकता है. साथ ही हर पुरुष को सरस्वती के दर्शन आंगन में से ही करने पड़ते हैं, लेकिन शादीशुदा महिलाएं गर्भगृह में जाकर प्रवेश कर सकती हैं.
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भगवती देवी का मंदिर
अट्टुकल भगवती मंदिर
जोधपुर का संतोषी माता मंदिर
राजस्थान के जोधपुर के संतोषी माता मंदिर में संतोषी माता प्रकट हुई थी. यहां पर हर शुक्रवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां तक कि विदेशों से भी लोग दर्शन करने के लिए लोग आते हैं. मंडोर रोड की पहाड़ियों के बीच में संतोषी माता का मंदिर पूरे देश में शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है. शुक्रवार के दिन इसलिए भी काफी खास हो जाती है क्योंकि इस दिन पुरुष की मंदिर में एंट्री नहीं होती है. हालांकि बाकी दिनों में पुरुष अगर मंदिर जा रहे हैं तो वह सिर्फ संतोषी माता के दर्शन कर सकते हैं लेकिन उन्हें वहां पर पूजा करने का अधिकार नहीं है.
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Conclusion
भारत में मंदिरों का एक लंबा इतिहास रहा है. हर एक मंदिर की अपनी एक मान्यता है और उनके साथ लोक कथा भी जुड़ी हुई है, जिसकी वजह से वह मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं. इसी कड़ी में हम उन मान्यताओं के बात की गई है जहां पर कुछ मंदिरों में महिलाओं की एंट्री पर बैन है तो कई ऐसे मंदिर भी है जहां पुरुष का जाना सख्त मना है. इसका एक मात्र यह कारण है कि उनके साथ कुछ लोक कथाएं जुड़ी है. जैसे कि राजस्थान के जोधपुर में ब्रह्मा देव मंदिर में देवी सरस्वती ने श्राप दिया था और यहां पर कोई भी शादीशुदा पुरुष अंदर नहीं जा सकता है अगर किसी को एंट्री करनी होती है तो वह बाहर से ही दर्शन कर सकता है. इसके अलावा कन्याकुमारी में स्थित भगवती देवी मंदिर में पुरुष इसलिए नहीं जा सकता है क्योंकि यहां पर जिस देवी की पूजा होती वह संन्यासियों की देवी कही जाती है. अगर किसी पुरुष को अंदर जाना होता है तो वह महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर और श्रृंगार करके एंट्री कर सकता है. देश में कई मंदिर ऐसे भी हैं जहां महिलाओं की एंट्री निषेध है. ऐसे में कहा जाता है कि मंदिरों के साथ कई लोक कथाएं जुड़ी हैं जिसकी वजह से वहां पर वर्षों से परंपरा चलती आ रही है और इसकी आज भी काफी मान्यता है.
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महिलाओं की रक्षा करने, आतंकवाद की निंदा करने वाले नए सीरियाई नेताओं का समर्थन करेंगे: US
वाशिंगटन । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने कहा कि वह आतंकवाद का त्याग करने, रासायनिक हथियारों के भंडार को नष्ट करने और अल्पसंख्यकों एवं महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली नयी सीरिया सरकार को मान्यता देगा और उसका समर्थन करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका सीरिया में समूहों और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया…
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बलात्कार का अपराधी सिर्फ पुरुष ही क्यों?
लगातार बदलते सामाजिक परिवेश एवं पश्चिमी सभ्यता का बढ़ता हुआ प्रभाव भारतीय कानून व्यवस्था को बदलने पर मजबूर करती रहती है। सामाजिक बदलाव का ही परिणाम है कि आज हमें 1860 से चली आ रही भारतीय दण्ड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को लाना पड़ा है। एक समय था, जब परिवार का कोई लड़का अपने मां बाप से अपनी शादी की बात करने से शर्माता था, वहीं आज, लड़का तो छोड़िए लड़कियां भी खुलेआम समलैंगिक विवाह पर चर्चा करने को तैयार है। यह मूल रूप से युवा संतति के मानसिक सोंच का पाश्चात्यीकरण है। कहीं-कहीं तो महिलाओं के बीच समलैंगिक शादियां भी सुनने को भी मिल रही है जो समाचारों में,अक्सर सुर्खियां बनी हुई रहती है। अब समाज जब इस स्तर तक परिपक्व हो चुका है कि विहित कानून में त्रुटियों के स्वर सुनाई पड़ने लगते है। उन्ही कानूनों में से एक कानून बलात्कार से संबंधित भी है जो लिंगभेद के आधार पर सजा तय करती है।
भारतीय न्याय संहिता में बलात्कार के मायने
अब आइए भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 जो बलात्कार के अपराध को परिभाषित करती है उसके अहम बिंदुओं पर दृष्टिपात करते है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार को परिभाषित करती है।
धारा 63 के अनुसार-
63. कोई पुरुष,
(क) किसी महिला की योनि, उसके मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में अपने लिंग का किसी भी सीमा तक प्रवेशन करता है या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है; या
(ख) किसी महिला की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में ऐसी कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग, जो लिंग न हो, किसी भी सीमा तक अनुप्रविष्ट करता है या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है; या
(ग) किसी महिला के शरीर के किसी भाग का इस प्रकार हस्तसाधन करता है जिससे कि उस महिला की योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी भाग में प्रवेशन कारित किया जा सके या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है; या
(घ) किसी महिला की योनि, गुदा, मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या उससे अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराता है,
तो उसके बारे में यह कहा जाएगा कि उसने बलात्संग किया है। बलात्कार के लिए सिर्फ पुरुषों को दोषी क्यों
उपरोक्त परिभाषा को ध्यान से देखे तो इस धारा के अंतर्गत महिलाएं अपराध में चाहे किसी भी स्तर तक शामिल हों, उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
लेकिन उसी परिभाषा में आगे जो कृत्य दर्शाए गए हैं उसे देखने से पता चलता है कि उपधारा (क) को छोड़ कर सभी बातें महिलाओं पर भी समान रूप से लागू होती है। मात्र 63(क) लैंगिक प्रवेशन (Penis Penetration) की बात करता है जो सिर्फ और सिर्फ पुरुष वर्ग पर लागू होता है। 63(क) में भी “या” के बाद देखे तो उल्लिखित कृत्य कोई भी महिला किसी पुरुष के साथ मिलकर किसी अन्य महिला के साथ करवा सकती है। 63(ख), 63(ग) एवं 63(घ) तो सीधे सीधे महिलाओं के विरुद्ध भी उसी प्रकार लागू है जिस प्रकार पुरुष के साथ।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 का लिंग-आधारित दृष्टिकोण:
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 63 के अंतर्गत बलात्कार की परिभाषा पुरुषों द्वारा किए जाने वाले कृत्यों तक ही सी��ित है, खासकर योनि/किसी अंग विशेष में लिंग प्रवेशन (Penis Penetration) से संबंधित मामलों में। यह दृष्टिकोण पारंपरिक रूप से समाज में व्याप्त पुरुष प्रधान मानसिकता का पुष्ट करता है, जहां अक्सर महिलाओं को पीड़ित पक्ष और पुरुषों को अपराधी पक्ष माना जाता रहा है।
ऐसा बहुत सा दृष्टांत देखने को मिल जाएगा जहां घटना तो पुरुष द्वारा किया गया है, लेकिन घटना को सुलभ/सुकर बनाने में महिलाओं की भूमिका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से महत्वपूर्ण रही है। परंतु कानूनी पेंचीदगी के चलते वैसी महिलाओं को इस धारा अंतर्गत दोषी ठहराए जाने का अभियोग संस्थापित नहीं होता है।
इससे आगे 63(ख), 63(ग), और 63(घ) पर नजर डाले तो कोई भी विकृतचित्त वाली महिला अपनी यौन इच्छाओं की तृप्ति या अन्य कारणों के लिए किसी अन्य महिला के साथ आसानी से यह कृत्य कर या करवा सकती है। हालांकि भारत में समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता नहीं है, लेकिन समाज का एक वर्ग समलैंगिक विवाह को वैध करने पर जोर देता रहा है। समलैंगिक यौन संबंधों को वैध करने हेतु कई संगठनों द्वारा न्यायालय में वाद भी लाए गए हैं, जो उनके भारत में प्रचलित मान्यता के विपरीत मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे में यह एक यक्ष प्रश्न है कि कोई महिला जो समलैंगिक यौन संबंधों में विश्वास रखती है किसी अन्य महिला के साथ अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए जबरदस्ती नहीं कर या करवा सकती है क्या?
कुछ विद्जनों का यह तर्क है कि धारा 70 (गैंग रेप) भारतीय न्याय संहिता इस कमी को पूरा करता हुआ दिख रहा है। लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि धारा 70 में अपराध को पूर्ण करने के लिए कम से कम एक पुरुष का अपराध की घटना में शामिल होना आवश्यक है। मान लिया जाए यदि दो महिलाएं मिल कर किसी अन्य महिला के साथ धारा 63(ख), 63(ग) या 63(घ) मे उल्लिखित कृत्य करती है तो वहाँ धारा 70 भी अपने अभियोग को पुष्ट करने में असहाय दिख रहा है। ऐसी स्थिति में प्रसंगत कानून में सिर्फ पुरुषों को ही अभियोग की बेड़ी में बांधना कहाँ तक न्यायपरख है?
बलात्कार के अपराधी सिर्फ पुरुष ही क्यों?
धारा 63(क) का आधार यह है कि बलात्कार को मुख्य रूप से शारीरिक शक्ति और लैंगिक प्रवेशन के परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है। पुरुषों द्वारा किए गए अपराधों में अक्सर शारीरिक बल और लिंग का उपयोग किया जाता है, जो इस परिभाषा को बल प्रदान करता है। हालांकि, आधुनिक समाज में महिलाओं द्वारा भी परिभाषित अपराध किए जा सकते हैं, भले ही उस यौन क्रिया में लिंग का प्रयोग न हो। यह दृष्टिकोण समाज में मौजूद धारणाओं और कानूनी विचारों को तो प्रतिबिंबित करता है, लेकिन यह सभी प्रकार के अपराधों को न्यायसंगत ढंग से आच्छादित नहीं करता है। खासकर तब जब महिलाओं के द्वारा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहभागी होंने के तथ्यों का प्रकटीकरण होता है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 63 में निहित बलात्कार की परिभाषा के साथ पोक्सो एक्ट (या��ी, "प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस एक्ट, 2012") में निहित प्रावधान “प्रवेशन लैंगिक हमला” (Penetrative sexual assault) से तुलना करें तो जो तथ्य उभरकर सामने आते है उनका स्वरूप इस प्रकार है-
पोक्सो एक्ट की तुलना:
पोक्सो एक्ट का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करना है। इस एक्ट के तहत, बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न को एक गंभीर अपराध माना जाता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। इसमें दोषी व्यक्ति का लिंग कोई मायने नहीं रखता, केवल अपराध पर ध्यान दिया जाता है। यह दृष्टिकोण न्यायसंगत और प्रगतिशील माना जाता है, क्योंकि इसमें बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाले किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।
पोक्सो एक्ट की धारा 3 “प्रवेशन लैंगिक हमला” (Penetrative sexual assault) को परिभाषित करता है जहां पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र का बालक होता है।
धारा 3. प्रवेशन लैंगिक हमला- कोई व्यक्ति, 'प्रवेशन लैंगिक हमला" करता है, यह कहा जाता है, यदि वह-
(क) अपना लिंग, किसी भी सीमा तक किसी बालक की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश करता है या बालक में उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
(ख) किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी सीमा तक बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में घुसेड़ता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
(ग) बालक के शरीर के किसी भाग के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे वह बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा या शरीर के किसी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
(घ) बालक के लिंग, योनि, गुदा या मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या ऐसे व्यक्ति वा किसी अन्य व्यक्ति के साथ बालक से ऐसा करवाता है।
पोक्सो एक्ट में “कोई पुरुष” (A man) के स्थान पर “कोई व्यक्ति” (A person) शब्द का प्रयोग किया गया है जिसमें पुरुष और महिलाओं के बीच में कोई लक्षमन रेखा नहीं खींचा गया है।
इससे स्पष्ट है कि पोक्सो एक्ट अपराधी के लिंग पर आधारित नहीं बल्कि जुवएनाइल के साथ कारित लैंगिक अपराध पर आधारित है। वहीं भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 केवल पुरुषों को ही बलात्कार का अभियोगी मानता है। इस अभियोग में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अपराध को सुकर बनने वाले पुरुष लिंग से विपरीत लिंग के किसी भी व्यक्ति को अपराध का अभियोगी नहीं मानता, जबकि दोनों ही परिस्थितियों में समान लैंगिक आपराध कारित हो रहा है, केवल पीड़िता के उम्र का अं��र अहम कारक है।
निष्कर्ष:
यह बात सही एवं सार्थक है कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 का वर्तमान स्वरूप पुरुष को अपराध के लिए कारक तत्व के रूप में प्रतिपादित करता है, भलेही प्रश्नगत पुरुष किसी अन्य लिंग के व्यक्तियों का सक्रिय या नेपथ्य सहयोग अपराध को कारित करने में क्यों न लिया हो या पुरुष से भिन्न लिंग के व्यक्ति धारा 63(ख), 63(ग) या 63(घ) के तहत किसी महिला के साथ कोई आपराधिक कृत्य क्यों न किया हो। यथोचित तो यह होता कि पोक्सो एक्ट की तरह ही भारतीय न्याय संहिता के इस वर्णित परिप्रेक्ष्य में अधिक व्यापक और लिंग-निरपेक्ष दृष्टिकोण ��पनाया जाता तो दोषियों को लिंग के आधार पर अपराध के दोष से विमुक्ति होने का राह बंद हो जाता। समाज में कानून की नजरों में सभी व्यक्ति एक समान है, यह एक प्रतिपादित तथ्य है। समानता का सिद्धांत सर्वोपरि है।
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कल विराजेंगे विघ्नहर्ता
कल विराजेंगे विघ्नहर्ता हरतालिका तीज पर महिलाओं ने की शिव-पार्वती की पूजा, रखा वृत बांधवभूमि न्यूज मध्यप्रदेश उमरिया भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को सौभाग्यवती महिलाओं ने अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए ��रतालिका का कठिन और निर्जला व्रत रखा, इस मौके पर कुंआरी कन्याओं ने योग्य और मनोवाक्षिंत वर की कामना से भगवान शिव और गौरीनंदन की पूजा अर्चना की। मान्यता है कि भगवान शिव को पति स्वरूप मे…
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Rishi Panchami: इस साल कब रखा जाएगा ऋषि पंचमी व्रत, जानिएRishi Panchami : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। यह व्रत गणेश चतुर्थी के अगले दिन आता है। महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है
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तीज का त्योहार
तीज महोत्सव: भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व परिचय तीज महोत्सव भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मुख्यतः महिलाओं के लिए समर्पित है। यह त्योहार हर साल सावन मास की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है और इसे खासतौर पर हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भारतीय समाज में न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। तीज का पर्व पतियों की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-शांति की कामना के साथ मनाया जाता है। आइए, इस लेख में तीज महोत्सव की मह���्ता, इसकी परंपराएँ, और इसके आयोजन की विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
तीज महोत्सव की धार्मिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तीज महोत्सव का धार्मिक महत्व भारतीय हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा है। यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें अपना पति बनाया। इस तरह, तीज महोत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू पत्नी के रूप में पति की लंबी उम्र की कामना करना है। इसके अलावा, यह पर्व समृद्धि, खुशहाली और पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक भी है। तीज की तैयारी और आयोजन तीज महोत्सव की तैयारी एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है। महिलाएँ इस अवसर को खास बनाने के लिए अपने घरों को सजाने, विशेष पकवान तैयार करने और अपनी सुंदरता को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की तैयारियाँ करती हैं। https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
1. सज्जा और तैयारी: महिलाएँ इस दिन को विशेष बनाने के लिए अपने घरों को हरे-भरे पौधों, रंग-बिरंगे फूलों, और दीपों से सजाती हैं। घर के आंगन और आचार्य को विशेष रूप से सजाया जाता है। गांवों में विशेष रूप से झूले और रंग-बिरंगे झंडे भी लगाए जाते हैं। 2. व्रत और पूजा: तीज के दिन महिलाएँ उपवासी रहती हैं और पूरे दिन उपवासी रहकर देवी पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान वे विशेष मंत्रों और भजनों का उच्चारण करती हैं। महिलाएँ व्रत के नियमों का पालन करते हुए दिनभर केवल फल-फूल का सेवन करती हैं। इस दिन विशेष पूजा के लिए कुमकुम, चंदन, फूल, और मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं। 3. आहार और पकवान: तीज के पर्व पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें खासतौर पर दही वड़ा, पकोड़ी, ��ीर, और मिठाई शामिल होती हैं। इन पकवानों का स्वाद और उनका रंग-रूप इस त्योहार की सुंदरता को बढ़ाता है। महिलाएँ इन्हें एक-दूसरे के साथ बाँटती हैं और इस अवसर को खुशियों से भर देती हैं। तीज महोत्सव की सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
1. झूला झूलना: तीज के दिन गांवों और शहरों में महिलाएँ विशेष झूलों का आनंद लेती हैं। ये झूले आमतौर पर रंग-बिरंगे कपड़े और फूलों से सजाए जाते हैं। झूला झूलने का आयोजन न केवल मनोरंजन के लिए होता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। 2. गीत और नृत्य: तीज महोत्सव के दौरान महिलाएँ पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। ये गीत खासतौर पर इस त्योहार से जुड़े हुए होते हैं और इनमें पति-पत्नी के रिश्ते, परिवार की खुशहाली, और देवी पार्वती की पूजा का वर्णन होता है। नृत्य और गीत इस पर्व के उल्लास को और बढ़ाते हैं। 3. विवाह और पारिवारिक संबंध: तीज का पर्व परिवारिक एकता और रिश्तों की मजबूती को प्रोत्साहित करता है। इस दिन महिलाएँ अपने परिवार के साथ समय बिताती हैं, एक-दूसरे के साथ सहयोग करती हैं और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करती हैं। यह अवसर परिवार की खुशहाली और एकता को संजोने का भी है। तीज के आधुनिक स्वरूप और बदलाव समय के साथ-साथ तीज महोत्सव का स्वरूप भी बदल गया है। आधुनिक जीवनशैली और व्यस्त दिनचर्या के कारण, कई लोग इस पर्व को पारंपरिक तरीके से नहीं मना पाते। हालांकि, इस पर्व की मुख्य भावनाएँ और धार्मिक महत्व आज भी समान हैं। शहरों में तीज के आयोजन में कई बदलाव हुए हैं, जैसे कि पारंपरिक झूलों की जगह रंग-बिरंगे कृत्रिम झूले और आधुनिक सजावट का प्रचलन हुआ है। इसके बावजूद, तीज की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता आज भी वैसी की वैसी ही बनी हुई है। https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
निष्कर्ष तीज महोत्सव भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो केवल धार्मिक मान्यता के साथ नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व पतियों की लंबी उम्र, वैवाहिक संबंधों की मजबूती, और परिवार की खुशहाली की कामना के साथ मनाया जाता है। इसकी परंपराएँ, पूजा विधियाँ, और उत्सव की विशेषताएँ इसे एक अद्वितीय और समृद्ध पर्व बनाती हैं। तीज का पर्व भारतीय समाज में एकता, भाईचारे और खुशियों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो सदियों से हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा रहा है।
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श्रावण मास 2024 के व्रत और त्योहारों की पूरी जानकारी
श्रावण मास हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। श्रावण मास में हर सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाना और व्रत रखना शुभ माना जाता है।
श्रावण मास का महत्व
श्रावण मास में शिव भक्ति का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।
श्रावण मास को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस महीने में लोग व्रत रखते हैं, जप करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
श्रावण मास में प्रकृति अपने चरम पर होती है। बारिश होती है और हरियाली चारों ओर फैली होती है।
श्रावण मास के प्रमुख व्रत और त्योहार
यह त्योहार महिलाओं द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और सुहाग की सामग्री से सजती हैं।
इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग देवता सांपों के देवता हैं और नाग पंचमी के दिन उनकी पूजा करने से सांप का डर दूर होता है।
यह भाई-बहन का त्योहार है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं।
श्रावण मास के सभी सोमवारों को विशेष महत्व दिया जाता है। श्रावण सोमवार के दिन भक्त शिव मंदिरों में जाकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
श्रावण मास में कावड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। भक्त दूर-दूर से कावड़ लेकर शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं।
श्रावण मास में क्या करें
श्रावण मास में नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें।
श्रावण मास में व्रत रखने से मन और शरीर शुद्ध होता है।
इस महीने में ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करना बहुत लाभदायक होता है।
श्रावण मास में शिव पुराण, गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें।
इस महीने में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
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तालिबान सरकार को मान्यता नहीं... कतर की मीटिंग के बाद बोला संयुक्त राष्ट्र, तालिबानी प्रशासन को बड़ा झटका
दोहा: अफगानिस्तान के साथ जुड़ाव बढ़ाने वाली संयुक्त राष्ट्र और तालिबान के बीच एक मीटिंग कतर में हुई। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने साफ कह दिया है कि यह मीटिंग सरकार को मान्यता के रूप में तब्दील नहीं होती है। कतर की राजधानी दोहा में रविवार और सोमवार को पहली तालिबान प्रशासन के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित बैठक में भाग लिया। इसमें लगभग दो दर्जन देशों के दूत मौजूद थे। तालिबान को पहली बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फरवरी में दूसरी बैठक में भाग लेने के लिए अस्वीकार्य शर्तें रखी गई थीं। तालिबान ने मांग की थी कि अफगान सिविल सोसायटी के लोगों को बातचीत से बाहर रखा जाए और तालिबान के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाए, जैसा एक वैध देश के साथ होता है। दोहा में मीटिंग के दौरान अफगान महिलाओं के प्रतिनिधियों को हिस्सा लेने से बाहर रखा गया, जिससे तालिबान के लिए अपना दूत भेजने का रास्ता साफ हो गया। हालांकि आयोजकों ने जोर देकर कहा कि महिलाओं के अधिकारों की मांग उठाई जाएगी। तालिबान को मान्यता नहीं राजनीतिक और शांति निर्माण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र अधिकारी रोजमेरी ए डिकार्लो ने सोमवार को कहा, 'मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगी कि इस बैठक और जुड़ाव की इस प्रक्रिया का मतलब सामान्यीकरण या मान्यता नहीं है।' उन्होंने कहा मेरी आशा है कि पिछले दो दिनों में विभिन्न मुद्दों पर रचनात्मक आदान-प्रदान हमें कुछ समस्याओं के समाधान के करीब ले आया है, जिनका अफगान लोगों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। दोहा में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि सभा के मौके पर उनके लिए विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से मिलने का अवसर था। क्या बोला तालिबान उन्होंने कहा कि तालिबान का संदेश बैठक में भाग लेने वाले सभी देशों तक पहुंच गया। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान को निजी क्षेत्र और ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में सहयोग की जरूरत है। ज्यादातर देशों ने इन क्षेत्रों में सहयोग की इच्छा व्यक्त की है। 2021 में अमेरिका और नाटो की सेनाएं दो दशक के युद्ध के बाद अफगानिस्तान से वापस हो गई थीं। अगस्त 2021 में तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था। लेकिन कोई भी देश आधिकारिक तौर पर तालिबान को मान्यता नहीं देता है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि महिला शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंध जारी रहने तक मान्यता व्यावहारिक रूप से असंभव है। http://dlvr.it/T930x2
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Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को प्राप्त होता है अखंड सौभाग्य, जानिए महत्व
आज यानी की 06 जून को वट सावित्री व्रत किया जा रहा है। इस व्रत को सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना से व्रत रखती है। मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं। वहीं बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि वट सावित्री व्रत का…
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हर वर्ग के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना है हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का लक्ष्य - हर्ष वर्धन अग्रवाल
लखनऊ, 23.07.2023 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं राणा होम्यो ���्लीनिक के संयुक्त तत्वावधान में योग्य, मान्यता प्राप्त चिकित्सक द्वारा "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन आर आर कोचिंग इंस्टीट्यूट, ई- 4/201, आम्रपाली योजना, हरदोई रोड, दुबग्गा, लखनऊ में किया गया l शिविर का शुभारंभ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ संजय कुमार राणा, रोमानसन साहू, राहुल राणा, दिनकर दुबे एवं विजय राणा ने दीप प्रज्वलन कर किया | शिविर के अंतर्गत डॉ संजय कुमार राणा ने विभिन्न रोग से पीड़ित रोगियों को निशुल्क परामर्श प्रदान कर दवाइयां वितरित की |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने बताया कि, "होम्योपैथिक शिविर आयोजित करने की प्रेरणा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र - सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास से मिली है I इसी प्रेरणा से प्रेरित होकर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट वर्ष 2022 से निरंतर नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर रहा है I वर्ष 2022 से अब तक ट्रस्ट द्वारा 11 होम्योपैथिक शिविरों का आयोजन किया जा चुका हैं जिसमें करीब 1200 से अधिक लाभार्थी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर चुके है I श्री अग्रवाल ने कहा कि, इन शिविरों का मुख्य उद्देश्य निर्धन और असहाय वर्ग को नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना है क्यो��कि समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा यह मानना है कि चिकित्सा सुविधाएं सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए, चाहे वह वित्तीय रूप से समृद्ध हो या फिर कमज़ोर हो । हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हम अपने निस्वार्थ प्रयासों के माध्यम से निश्चय ही माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के स्वस्थ व सुरक्षित भारत के सपने को पूरा करने में कुछ हद तक अपना योगदान दे सकेंगे तथा जिसके लिए हम आगे भी निरंतर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करते रहेंगे I मैं हमारे परामर्शदाता चिकित्सक डॉ संजय कुमार राणा का भी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं कि वह हमारे इस नेक कार्य में निरंतर ही अपना योगदान दे रहे हैं |"
परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, "होम्योपैथी उच्च सामर्थ्यवान (Potentised) तत्वों की बेहद छोटी खुराकों की मदद से शरीर द्वारा स्वयं को ठीक करने की शक्ति बढ़ाने का काम करती है l होम्योपैथी चिकित्सा एक ऐसी प्राकृतिक उपचार पद्धति है जो शरीर के विभिन्न रोगों के इलाज में मदद करती है, और इसका उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने में किया जा सकता है । होम्योपैथी दवाइयों का उपयोग बिना किसी साइड इफेक्ट के किया जा सकता है और यह बच्चों और बूढ़ों समेत सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है । होम्योपैथी चिकित्सा किसी भी बीमारी की इमरजेंसी कंडीशन को छोड़कर हर तरह की बीमारियों के लिए उपयुक्त है व कारगर भी है |"
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित करीब 60 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure), मधुमेह (Sugar-Random) तथा शरीर द्रव्यमान सूचकांक (Body Mass Index) की जांच की गयी l डॉ० संजय कुमार राणा ने सभी को निशुल्क परामर्श प्रदान कर होम्योपैथी दवा वितरित की l शिविर में सभी उम्र की महिलाओं, पुरुषों, बुजुर्गों तथा बच्चों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा डॉ० संजय कुमार राणा की टीम के सदस्य रोमानसन साहू, राहुल राणा, विजय राणा तथा दिनकर दुबे की गरिमामई उपस्थिति रही l
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10 Temples in India that Restrict Entry for Women
Introduction
10 Temples in India Where Women Are Not Allowed: कहते हैं भगवान के घर में सब लोग बराबर हैं, लेकिन भारत में कई ऐसे मंदिर भी मौजूद हैं, जहां एंट्री को लेकर लिंग भेद किया जाता है. हालांकि, देश के संविधान में हर एक इंसान को मंदिरों में समान रूप से प्रवेश की इजाजत है. इसके बावजूद भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां पीरियड्स के दौरान महिला का मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित है. इसके अलावा कुछ मंदिरों में तो पीरियड्स के उम्र की महिलाओं को मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया जाता है. ऐसे में आज हम आपको देश के उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां औरतों का जाना बिल्कुल मना है. आपको बता दें कि केरल का फेमस सबरीमाला मंदिर भी इस लिस्ट में आता है, जहां महिला केवल बाहर से ही मंदिर के दर्शन कर सकती हैं, लेकिन गर्भगृह तक नहीं जा सकतीं. आइए जानते हैं भारत में ऐसे और कौन-कौन से मंदिर हैं.
Table of Content
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
जैन मंदिर, मध्य प्रदेश
कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर
बाबा बालक नाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
सबरीमाला मंदिर, केरल
माता मावली मंदिर, छत्तीसगढ़
शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र
रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
मंगल चांडी मंदिर, झारखंड
ध्रूम ऋषि मंदिर, उत्तर प्रदेश
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
केरल का श्री पद्मनाथ स्वामी श्री हरि विष्णु को समर्पित है. यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है जो केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पूर्वी किले के अंदर स्थित है. इस मंदिर को ‘दिव्य देसम’ भी कहा जाता है जो भगवान विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में से एक है. दिव्य देसम श्री हरि का सबसे पवित्र निवास स्थान है जिसका वर्णन तमिल संतों द्वारा लिखे गए पांडुलिपियों में मिलता है.
यहां देश के कोने-कोने से भक्तजन और श्रद्धालुजन दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु की प्रतिमा इसी स्थान पर सबसे पहले मिली थी. यहां महिलाएं श्री हरि विष्णु का पूजन तो करती हैं, मगर उन्हें मंदिर के गर्भगृह के अंदर जाने की मनाही है. इसके अलावा बाहर से भी महिलाओं को दर्शन करने के लिए ड्रेस कोड को फ��लो करना पड़ता है. हालांकि, यहां दर्शन के लिए पुरुषों के लिए ड्रेस कोड है.
इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावणकोर के प्रसिद्ध राजा मार्तंड वर्मा ने करवाया था. जानकारी के लिए बता दें कि केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम नाम भी श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता के नाम पर रखा गया है, जिन्हें अनंत भी कहते हैं. ‘तिरुवनंतपुरम’ का शाब्दिक अर्थ है – श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि.
जैन मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश का जैन मंदिर भी उस लिस्ट में शामिल है जहां महिलाओं को आसानी से प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती. खासतौर से जिन महिलाओं ने वेस्टर्न कपड़े पहने हों, वह मंदिर के अंदर नहीं जा सकती. यह मंदिर मध्य प्रदेश के गुना में स्थित है. इतना ही नहीं इस मंदिर में उन महिलाओं को भी एंट्री नहीं मिलती जिन्होंने मेकअप किया हो. जैन मंदिर भगवान शांतिनाथ को समर्पित है जो यहां के प्रमुख देवता हैं. इस मंदिर का मूल नाम श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र है. जैन मंदिर का निर्माण 1236 में हुआ था. लाल पत्थर से बनीं कई जैन तीर्थंकर की प्रतिमाएं मंदिर में मौजूद हैं.
कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर
भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी रूप को समर्पित कार्तिकेय मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है. यहां भगवान के ब्रह्मचारी स्वरूप का पूजन किया जाता है. मान्यता के अनुसार, भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी होने की वजह से मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. अगर कोई महिला इस मंदिर में दर्शन करने आती है तो उसे श्राप मिलता है. यही वजह है कि औरतें इस मंदिर में जाने से खुद को बचाती हैं.
बाबा बालक नाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश का बाबा बालक नाथ मंदिर ‘देवसिद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के मुख्य देवता सिद्ध बाबा बालक नाथ एक हिंदू देवता हैं. उनकी पूजा प्रमुख तौर पर पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में की जाती है. यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर और बिलासपुर जिलों की सीमा पर ‘हमीरपुर’ से दूर स्थित है. बाबा बालक नाथ मंदिर हमीरपुर जिले के चकमोह गांव में एक पहाड़ी की चोटी पर प्राकृतिक गुफा में स्थित हैं. इस गुफा में बाबा बालक नाथ की मूर्ति स्थापित है.
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वैसे तो इस तीर्थस्थान पर पूरे साल कभी भी दर्शन करने के लिए जाया जा सकता है, लेकिन सनडे का दिन बाबा जी का पवित्र दिन माना जाता है. हालांकि कुछ समय पहले तक हमीरपुर में स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में महिलाओं का एंट्री लेना मना था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज भी यहां महिलाएं बाबा की गुफा के बाहर से ही दर्शन कर सकती हैं.
सबरीमाला मंदिर, केरल
दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है सबरीमाला मंदिर. भगवान अयप्पा को समर्पित यह मंदिर केरल के पथानामथिट्टा जिले में पेरियार टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है. पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान अयप्पा श्री हरि विष्णु और भगवान शिव के स्त्री अवतार मोहिनी द्वारा ज��्म दिए गए पुत्र हैं. बता दें कि भगवान अयप्पा भगवान धर्म शास्त्र के अवतार माने गए हैं. यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो समुद्र तल से लगभग 3000 फीट ऊपर है. यह मंदिर कुछ खास मौसमों और दिनों के दौरान ही भक्तों के लिए खुला रहता है. इस मंदिर में जाने के लिए कई प्रतिबंध और अनुष्ठान का पालन करना पड़ता है.
दरअसल, मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जिन्हें थिनेट्टू त्रिपदीकल भी कहा जाता है. बता दें कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश करना वर्जित है. इस मंदिर में 10 वर्ष की बच्ची से लेकर 50 वर्ष तक की महिला एंट्री नहीं ले सकती. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी है. सबरीमाला मंदिर के कपाट साल में केवल दो बार खुलते हैं एक 14 जनवरी और दूसरा 15 नवंबर को.
माता मावली मंदिर, छत्तीसगढ़
माता मावली का मंदिर भारत में ही नहीं, बल्कि इसे विदेश में भी खूब जाना-पहचाना जाता है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में भाटापारा के तहसील में एक गांव में स्थित है. माता मावली मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 75 किलोमीटर से दूर मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि यहां माता मावली त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की इच्छा से प्रकट हुई थीं. बता दें कि यह मंदिर देश-विदेश में इतना फेमस होते हुए भी यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. आज भी सिर्फ पुरुष ही इस 400 साल पुराने मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. मां आदि शक्ति के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र
शनि शिंगणापुर मंदिर एक फेमस शनि मंदिर है. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित यह मंदिर श्री शनेश्वर देवस्थान की कथाओं और अनगिनत भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. इस मंदिर के अविश्वसनीय चमत्कारों के बारे में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. महाराष्ट्र का जिला अहमदनगर संतों के निवास स्थान के तौर पर प्रसिद्ध है. अक्सर लोगों के मन में शनिदेव का खौफ देखा जाता है. आपको बता दें कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओ का प्रवेश करना वर्जित है, लेकिन वह मंदिर का बाहर से दर्शन कर सकती हैं. हालांकि, इस दकियानुसी परंपरा को महिलाओं द्वारा तोड़ने की भी कोशिश की गई जिसके लिए उन्होंने रैली भी निकाली थी. बावजूद इसके महिलाएं मंदिर में आज भी प्रवेश करने से वंचित हैं.
रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है रणकपुर जैन मंदिर. राजस्थान में स्थित यह मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर है. बता दें कि उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर रणकपुर मंदिर मौजूद है. इस मदिर की इमारत बेहद विशाल और भव्य है जो लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैली है. बता दें कि 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में इ मंदिर का निर्माण हुआ था. जो करीब 50 साल तक बनकर तैयार हुआ. रणकपुर जैन मंदिर के निर्माण में लगभग 99 लाख रुपये खर्च हुए. इस तीर्थ स्थान का नाम राणा कुंभा के नाम पर ही रणकपुर रखा गया. यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के एक शानदार नमूनों में से एक है. अगर आप जैन धर्म में आस्था रखते हैं और वास्तुशिल्प में दिलचस्पी रखते हैं तो यह जगह आपको खूब पसंद आएगी.
यह भी पढ़ें: बेहद खास है तमिलनाडु का तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर, जानिए इसकी विशेषताएं
इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि यहां महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. हालांकि यहां महिलाओं की एंट्री पूरी तरह से तो वर्जित नहीं है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के आने पर रोक है. इसके अलावा महिलाओं को वेस्टर्न कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
मंगल चांडी मंदिर, झारखंड
मां मंगल चंडी मंदिर झारखंड के फेमस मंदिरों में से एक है. यह मंदिर झारखंड के बोकारो जिला मुख्यालय से दूर कसमार प्रखंड के कुसमाटांड़ गांव में स्थित है. बता दें कि इस मंदिर में बच्चियों और महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मां मंगल चंडी मंदिर में महिलाएं और बच्चियां किसी भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान एंट्री नहीं ले सकती हैं. महिलाएं मंदिर से लगभग 150-200 मीटर की दूरी बैठकर ही पूजा कर सकती हैं. वहीं से बैठकर ही मां मंगल चांडी की पूजा और आराधना कर सकती हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार, पिछले करीब 100-150 सालों से महिलाओं के लिए मंदिर में प्रवेश लेना वर्जित है. इस परंपरा का आज भी यहां के लोग सख्ती से पालन कर रहे हैं.
ध्रूम ऋषि मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश ध्रूम ऋषि मंदिर में भी कई दशकों से एक अनोखी परंपरा का पालन किया जा रहा है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित एक फेमस मंदिर है. इस मंदिर में भी महिलाओं की एंट्री पर भी बैन लगा हुआ है. यहां गांव के लोग कई दशकों से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में कड़ाई से कर रहे हैं. अगर गलती से भी कोई महिला मंदिर में प्रवेश कर लेती हैं तो गांव को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. गांव से सभी पुरुष इस मंदिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाते हैं, मगर कोई भी महिला आज तक मंदिर की चौखट को भी छू नहीं पाई है.
Conclusion
भले ही समाज में स्त्री और पुरुष को समान दर्जा दिया गया है, लेकिन व्यावहारिकता में ऐसा नहीं है. यह कार्यस्थल और नौकरियों के अलावा धार्मिक स्थलों पर भी नजर आता है. भले ही इस पर विवाद हो, लेकिन यह नैतिक रूप से गलत है. मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश न करने देना एक तरह से अमानवीय कृत्य है.
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‼ पुखराज (Yellow Sapphire): सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए धारण करें पुखराज, वैवाहिक जीवन में आएंगी खुशियां…
📍 पुखराज पहनने से व्यक्ति को नजर दोषों से मुक्ति मिलती है और नकारात्मकता (नेगेटिविटी) दूर होती है।
📍 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महिलाओं के लिए पुखराज रत्न बहुत लाभकारी माना जाता है। इससे धारण करने से वैवाहिक जीवन की दिक्कतें दूर होती हैं।
📍 वकील, जज, शिक्षक (टीचर) और लेखक से जुड़े नौकरीपेशा वाले लोगों को पुखराज धारण करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्यों की बाधाएं दूर होती है और समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।
📍 कहा जाता है कि पुखराज पहनने से मानसिक तनाव कम होता है और इससे व्यक्ति ऊर्जा और उत्साह से भरपूर रहता है।
📍 मान्यता है कि पुखराज (येलो सफायर) धारण करने से व्यक्ति का अध्यात्म में मन लगता है। मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
📍 पुखराज रत्न को गुरुवार के दिन और पुष्य नक्षत्र में धारण करना बेहद शुभ माना गया है। पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी में पहनना चाहिए।
Contact: +91 98714 16581
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Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 का नोटिफिकेशन जारी
Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024: राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है, आवेदन 15 फरवरी से 15 मार्च 2024 तक खुले रहेंगे। इस भर्ती अभियान का लक्ष्य राजस्थान में महिला पर्यवेक्षकों के 176 पदों को भरना है। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 के लिए आवेदन करने के इच्छुक योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से अपने आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। योग्यता, आयु सीमा, आवेदन प्रक्रिया और सभी प्रासंगिक विवरण नीचे दिए गए हैं। आवेदकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने आवेदन के साथ आगे बढ़ने से पहले आधिकारिक अधिसूचना की समीक्षा करें। Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 Notification राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए 176 पदों का आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया गया है। राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए 15 फरवरी 2024 से ऑनलाइन आवेदन करना शुरू होगा। 15 मार्च 2024 तक RSMSSB सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 का आवेदन 20 जुलाई 2024 को होगा। राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के बारे में आधिकारिक नोटिफिकेशन उपलब्ध है। Overview of Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 भर्ती संगठन राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर पोस्ट नाम पर्यवेक्षक (महिला सशक्तिकरण) विज्ञापन संख्या 01/2024 कुल पद 176 वेतन/वेतनमान पोस्ट के अनुसार भिन्न होता है नौकरी करने का स्थान राजस्थान Rajasthan वर्ग राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 आवेदन करने का तरीका ऑनलाइन अंतिम तिथि फॉर्म 15 मार्च 2024 आधिकारिक वेबसाइट rsmssb.rajasthan.gov.in Details of Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 Vacancies राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा महिला अधिकारिता विभाग के लिए पर्यवेक्षक के 176 पदों पर भर्ती निकाली गई है। इसमें गैर अनुसूचित क्षेत्र के 142 और अनुसूचित क्षेत्र के 34 पद रखे गए हैं। Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ आयोजन तारीख अधिसूचना जारी होने की तिथि 14 फरवरी 2024 राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 प्रारंभ फॉर्म तिथि 15 फरवरी 2024 राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 अंतिम तिथि 15 मार्च 2024 राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 परीक्षा तिथि 20 जुलाई 2024 राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 आवेदन शुल्क Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 में सामान्य वर्ग और अनारक्षित वर्ग के लिए आवेदन शुल्क 600 रुपए रखा गया हैं। ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, एससी, एसटी, पीडब्ल्यूडी अभ्यर्थियों के लिए आवेदन शुल्क 400 रुपए रखा गया है। अभ्यर्थी आवेदन शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से कर सकते हैं। - सामान्य वर्ग और अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों हेतु: 600 रुपए - राजस्थान के अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभ्यर्थियों हेतु: 400 रुपए - समस्त दिव्यांगजन अभ्यर्थियों हेतु: 400 रुपए - सभी वर्ग के ऐसे अभ्यर्थी जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.50 लाख रुपए से कम है, के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के समान ही आवेदन शुल्क 400 रुपए रखा गया है। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 आयु सीमा - सामान्य वर्ग और अनारक्षित वर्ग के पुरुष अभ्यर्थियों के लिए आयु सीमा 18 वर्ष से 40 वर्ष तक रखी गई है। - इस भर्ती में आयु की गणना 1 जनवरी 2025 को आधार मानकर की जाएगी। - सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट दी गई है। - राजस्थान राज्य की मूल निवासी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं सहरिया वर्ग के पुरुष अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट दी गई है। - राजस्थान राज्य के मूल निवासी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं सहरिया वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट दी गई है। - विधवाओं और विवाह-विछिन्न महिलाओं के मामले में कोई आयु सीमा नहीं रखी गई है। - राजस्थान के अन्य आरक्षित वर्गों को भी राजस्थान सरकार के नियमानुसार अधिकतम आयु सीमा में छूट दी गई है। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 शैक्षिक योग्यता राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए अभ्यर्थी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होना चाहिए। देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी में कार्य करने का ज्ञान एवं राजस्थान की संस्कृति का ज्ञान होना चाहिए। पोस्ट नाम रिक्ति योग्यता महिला पर्यवेक्षक (महिला अधिकारिता) 176 स्नातक राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 चयन प्रक्रिया राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल के आधार पर किया जाएगा। - स्ट��ज-1: लिखित परीक्षा - चरण-2: दस्तावेज़ सत्यापन - स्टेज-3: मेडिकल जांच आरएसएमएसएसबी महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 परीक्षा पैटर्न क्र.सं. विषय प्रश्नों की संख्या कुल मार्क अवधि 1 भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर विशेष जोर देने के साथ राजस्थान, भारतीय और विश्व इतिहास 15 30 3 घंटे 2 राजस्थान का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परंपरा और विरासत 25 50 3 भारतीय राजनीति और भारतीय अर्थशास्त्र में राजस्थान पर विशेष जोर 20 40 4 कंप्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग 15 30 5 राजस्थान, भारत और विश्व का भूगोल 20 40 6 सामान्य विज्ञान 20 40 7 तार्किक तर्क, मानसिक क्षमता और बुनियादी संख्यात्मकता। 15 30 8 भाषा क्षमता परीक्षण: हिंदी, अंग्रेजी। 20 40 कुल 150 300 - परीक्षा बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्नों के साथ वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी। - उत्तरों के मूल्यांकन में नकारात्मक अंकन लागू होगा। प्रत्येक गलत उत्तर के लिए, उस विशेष प्रश्न के लिए निर्धारित अंकों में से एक तिहाई (1/3) अंक काटे जाएंगे। स्पष्टीकरण: गलत उत्तर का अर्थ एक गलत उत्तर या एकाधिक उत्तर होगा। - न्यूनतम उत्तीर्ण अंक 40% होंगे। - जब तक विशेष रूप से आवश्यक न हो, सभी प्रश्नपत्रों का उत्तर अंग्रेजी या हिंदी में दिया जाएगा, लेकिन किसी भी उम्मीदवार को किसी भी प्रश्नपत्र का उत्तर आंशिक रूप से हिंदी और अंग्रेजी में देने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि विशेष रूप से ऐसा करने की अनुमति न दी जाए। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 वेतनमान राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए वेतनमान पे मैट्रिक्स लेवल 7 के अनुसार निर्धारित है। जबकि परिवीक्षा काल में मासिक नियत पारिश्रमिक राज्य सरकार के आदेशानुसार देय होगा। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 आवश्यक दस्तावेज Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 के लिए अभ्यर्थी के पास निम्नलिखित आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए। - 10वीं कक्षा की मार्कशीट - 12वीं कक्षा की मार्कशीट - ग्रेजुएशन की मार्कशीट - अभ्यर्थी का फोटो एवं सिग्नेचर - जाति प्रमाण पत्र - अभ्यर्थी का मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी - आधार कार्ड - अन्य कोई दस्तावेज, जिसका अभ्यर्थी लाभ चाहता है। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 कैसे आवेदन करें राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें। Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया नीचे दी गई है। अभ्यर्थी नीचे दी गई स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस को फॉलो करते हुए Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। - सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट को ओपन करना है। - इसके बाद आपको होम पेज पर Recruitment सेक्शन पर क्लिक करना है। - फिर आपको Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 पर क्लिक करना है। - इसके बाद Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 के ऑफिशल नोटिफिकेशन को ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ लेना है। - फिर अभ्यर्थी को अप्लाई ऑनलाइन पर क्लिक करना है। - इसके बाद अभ्यर्थी को आवेदन फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी ध्यान पूर्वक सही-सही भरनी है। - फिर अपने आवश्यक डाक्यूमेंट्स, फोटो एवं सिग्नेचर अपलोड करने हैं। - इसके बाद अभ्यर्थी को अपनी कैटेगरी के अनुसार आवेदन शुल्क का भुगतान करना है। - आवेदन फॉर्म पूरा भरने के बाद इसे फाइनल सबमिट कर देना है। - अंत में आपको आवेदन फॉर्म का एक प्रिंट आउट निकाल कर सुरक्षित रख लेना है। राजस्थान महिला पर्यवेक्षक भर्ती 2024 महत्वपूर्ण लिंक Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि क्या है? राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 फरवरी से 15 मार्च 2024 तक कर सकते हैं। Rajasthan Women Supervisor Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें? राजस्थान महिला सुपरवाइजर भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया और डायरेक्ट लिंक ऊपर दिया गया है। Read the full article
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"सनातन धर्म और मासिक धर्म: सवाल और समाधान"
बहुत पुराने समय से ही सनातन धर्म ग्रंथों में अनेक विषय प्रस्तुत किये गये हैं जो अधूरे एवं मिथ्या प्रतीत होते हैं। आज के समय में भी जब दुनिया चाँद पे पहुंच चुकी है, हमारी बहनें पूछ रही हैं कि क्या मासिक धर्म उन्हें इतना अपवित्र कर देता है कि भगवान उन्हें देखना ही पसंद नहीं करते ये तो उन्होंने ही दिया है तो फिर क्यों उनके लिए मंदिर के दरवाजे बंद हैं? और अगर वे मंदिर नहीं जाते तो क्या उन्हें प्रसाद लेने का अधिकार नहीं है? प्रसाद तो भगवान का है, फिर भगवान ऐसा क्यों चाहेंगे?
आजकल मासिक धर्म के कारण होने वाली अशुद्धियों को फैलने से रोकने के लिए हम इसकी सफाई रखते हैं। सेनेटरी नैपकिन हैं. तो क्या अब भी महिलाओं को मंदिर जाने से रोका जाना चाहिए? क्या गायत्री मंत्र जैसे पवित्र मंत्र का जाप भी उन्हें अपवित्र बना देगा? क्या सच में महिलाओं को पूजा नहीं करनी चाहिए? और जब ये इतना ही अपवित्र है तो 52 शक्तिपीठों में से एक माता कामाख्या देवी मंदिर में देवी की योनी की पूजा होती है। मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है , क्युकी इन दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं। यह तक की इन 3 दिनों में पुरुष भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। कहते हैं कि इन 3 दिनों में माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो 3 दिनों में लाल रंग का हो जाता है। इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। इसे ही प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है , तो हमारे साथ ये भेदभाव क्यों ।
सच्चाई यह है कि सनातन धर्म में मासिक धर्म को कभी अपवित्र माना ही नहीं गया है। जैसे ब्रह्मचर्य का पालन पुरुषों के लिए तपस्या का प्राप्ति होता है, ठीक उसी तरह मास्ट्रुएशन स्त्रियों में त्याग का प्रतीक है। कामाख्या माता का मंदिर इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां आज भी माना जाता है कि जो लोग इस मंदिर के दर्शन तीन बार कर लेते हैं, उन्हें सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए, हम ये कैसे कह सकते हैं कि स्त्रियों के लिए मासिक धर्म आना उन्हें अपवित्र बना देता है।
भारत में कई ऐसे गांव आज भी है , जहा जब किसी पहला पीरियड्स आता है तो उसे अपवित्र नहीं मन जाता बल्कि सेलिब्रेट किया जाता है और उसे एक उत्सव के रूप में मनाते है। असम में स्थित कामाख्या मंदिर ऐसी जगह है जहां महिलाओं के मासिक धर्म को उत्सव की तरह मनाया जाता है। यहाँ पर महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान कामाख्या माता के दर्शन करने आती हैं और इसे महालया उत्सव के रूप में मनाया जाता है।और ये सेलिब्रेट केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि एक हफ्ते या उससे ज्यादा दिन का होता है। और अगर सनातन धर्म में ऐसे अपवित्र ही मन जाता तो फिर क्यों आज भी कई जगहों पे इसे उत्सव की तरह क्यों मना रहे है।
जब भारत पर बाहरी आक्रमण (मुगल, डच, पुर्तगाल, ब्रिटिश) हुए तो मासिक धर्म का जश्न मनाने की इस परंपरा को बंद करना पड़ा क्योंकि आक्रमणकारी लड़कियों का शोषण करते थे और कोई भी माता-पिता ऐसा नहीं चाहते थे, इसलिए धीरे-धीरे मासिक धर्म के उत्सव को मनाना बंद कर दिया ।
"मासिक धर्म: आयुर्वेदिक परंपरा और रजस्वला परिचर्या"
आयुर्वेद भी मासिक धर्म को एक शारीरिक और आत्म-शुद्धिकरण प्रक्रिया के रूप में मान्यता देता है; न की इसे अपवित्र माना जाता है । आयुर्वेद ने मासिक धर्म वाली महिलाओं के लिए जीवन शैली का निर्धारण किया है - जैसे कि वे क्या करें और क्या न करें, जिसे हम 'रजस्वला परिचर्या' कहते हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करना और बच्चों में किसी भी स्वास्थ्य समस्या को रोकना है। दुर्भाग्य यह है की आधुनिक युग में महिलाओं द्वारा रजस्वला परिचर्या के बारे में न तो बताया जाता है है और न ही इसका पालन किया जा रहा है। मासिक धर्म के दौरान होने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों पर उचित प्रतिक्रिया देने के साथ-साथ कम लक्षणों का अनुभव करने से लड़कियों को इससे लाभ हो सकता है।
सनातन धर्म में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि मासिक धर्म अशुद्ध है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को स्नान करने, बालों में कंघी करने, नाखून काटने की मनाही होती है और शांत और कम शोर वाले स्थान पर रहने को कहा जाता है। इसके पीछे कोई अशुद्ध नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण है:- जैसे-जैसे हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, ज्ञान के अभाव के कारण महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं, जैसे पी.सी.ओ.डी. यह सिंड्रोम बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जिसके कारण मासिक धर्म में परेशानी होती है।
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कई काम करने से क्यों रोका जाता है?
इस दौरान शरीर में वात और पित्त की वृद्धि होती है क्योंकि शरीर को नई गतिविधियां संभालनी होती हैं, इसके लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए आयुर्वेद में ऐसे काम करने से मना किया गया है जो वात और पित्त को बढ़ाते हों। उदाहरण के लिए, स्नान करना वर्जित है क्योंकि इससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और पित्त जो पहले से ही बढ़ा हुआ है वह और अधिक बढ़ जाता है। बालों में कंघी करने से भी मना किया जाता है क्योंकि मासिक धर्म के दौरान बाल बहुत कमजोर हो जाते हैं और ज्यादा टूटने लगते हैं। मासिक धर्म के दौरान बहुत अधिक गतिविधि करने से बचें क्योंकि इससे शरीर में कमजोरी आती है और हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं, जिससे चोट लग सकती है।
Rajaswala Paricharya में, मासिक धर्म के दौरान शांत मन से ध्यान करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस समय मासिक धर्म वाली महिला गतिविधियों से दूर हो जाती है जिसके कारण मन आसानी से ध्यान में लग जाता है।
मासिक धर्म अपवित्र या अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है और यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है। क्योंकि पुरुषों को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कड़ी मेहनत और ध्यान करना पड़ता है जबकि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को आसानी से बाहर निकाल लेती हैं, इसलिए महिलाओं को हृदय रोग कम होते हैं और उनकी उम्र भी लंबी होती है। अगर मासिक धर्म की देखभाल ठीक से की जाए तो मासिक धर्म के कारण होने वाली बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। इसमें मासिक धर्म को अशुद्ध नहीं बताया गया और न ही इस दौरान महिलाओं पर कोई प्रतिबंध लगाया गया, बल्कि यह बताया गया कि मासिक धर्म के दौरान शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन कैसे बनाए रखा जाए ताकि किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या से बचा जा सके। टाला. नहीं करना पड़ेगा
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#RealityOfKarwaChauth
🎉किसी भी तरह का व्रत आदि करना श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 अनुसार वर्जित है। करवा चौथ के व्रत आदि करने से भी पति की आयु में वृद्धि नहीं हो सकती। सामवेद संख्या न. 822 अध्याय 3 खंड न. 5 श्लोक न. 8 में प्रमाण है कि वह पूर्ण परमात्मा सच्चे भक्त की यदि मृत्यु निकट है तो उसकी आयु में वृद्धि कर उसकी उम्र बढ़ा देता है।
उस समर्थ पूर्ण परमात्मा के विषय में जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।🎉 करवा चौथ का व्रत रखने वाले और कथा कहने वाले किस योनि में जाएंगे?
संत गरीबदास जी ने अपनी अमरवाणी में कहा है:-
कहे जो करवा चौथ कहानी, तास गधेहरी निश्चय जानी।
करैं एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।।🎉 इस करवा चौथ पर जानें, ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 एवं यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार आखिर कौन है वह वास्तविक पूर्ण परमात्मा, जो अपने साधक के घोर से घोर पाप को नाश करके उसकी आयु बढ़ा देता है। जिसकी भक्ति करने से वास्तव में महिलाओं के सुहाग की रक्षा संभव हो सकेगी।
इस गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।🎉 मान्यता : करवा चौथ व्रत की मान्यता है कि इससे पति की आयु बढ़ जाती है।
सच्चाई : इस मान्यता के अनुसार फिर तो हिन्दू बहन बेटियां विधवा नहीं होनी चाहिए। करवा चौथ व्रत शास्त्र विरुद्ध है जिससे किसी की आयु नहीं बढ़ती।
बल्कि ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि परमात्मा सतभक्ति करने वाले साधक की आयु भी बढ़ा देता है।
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