#महासागर और जलवायु विज्ञान
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इस बार सर्दी सामान्य से अधिक ठंडी क्यों है?
क्या आप इन दिनों असामान्य रूप से आरामदायक और ठंडी सुबह का अनुभव कर रहे हैं? कोई भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकता कि इस वर्ष की सर्दी विशेष रूप से तीव्र क्यों महसूस हो रही है। इसका उत्तर हजारों मील दूर प्रशांत महासागर में है, जहां ला नीना प्रभाव सूक्ष्म रूप से उपमहाद्वीप की जलवायु को आकार दे रहा है। ला नीना क्या है? भारत इस साल असामान्य रूप से ठंडी सर्दी का सामना कर रहा है, भारत मौसम विज्ञान…
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आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परिवर्तनकारी 'पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)' योजना को मंजूरी दे दी है। यह पहल उन्नत पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की दिशा में हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। इसमें जलवायु अनुसंधान, महासागर सेवाएं, ध्रुवीय विज्ञान, भूकंप विज्ञान और बहुत कुछ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। हमारी प्रतिबद्धता न केवल पृथ्वी प्रणाली की समझ को बढ़ाने की है, बल्कि इस ज्ञान को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभों के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोगों में अनुवादित करने की भी है। यह ��ोजना प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन में भारत की क्षमताओं को मजबूत करेगी, जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा होगी: पीएम मोदी
pib.gov.in/PressReleasePa…
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मॉनसून, विंटर्स में कोविद -19 का उदय? अध्ययन कहते हैं कि दोहरीकरण का समय और मौसम कनेक्शन है
मॉनसून, विंटर्स में कोविद -19 का उदय? अध्ययन कहते हैं कि दोहरीकरण का समय और मौसम कनेक्शन है
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नई दिल्ली में एक कोरोनोवायरस भित्तिचित्रों में एक व्यक्ति साइकिल से चलता है। (रायटर)
अध्ययन में पता चला कि तापमान में वृद्धि वायरस के संचरण में गिरावट का कारण बनती है, शोधकर्ताओं ने कहा।
PTI नई दिल्ली
आखरी अपडेट: 20 जुलाई, 2020, 12:17 PM IST
आईआईटी-भुवनेश्वर और एम्स के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सीओवीआईडी -19 के प्रसार से चरम मानसून और सर्दियों के…
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#अधययन#आईआईटी भुवनेश्वर#उदय#एम्स#एम्स भुवनेश्वर#और#क#कनकशन#कवद#कहत#कोविड -19 महामारी#दहरकरण#धरती का स्कूल#भारत में कोरोनावायरस के मामले#भारत में जलवायु परिवर्तन#म#मनसन#मसम#महासागर और जलवायु विज्ञान#वटरस#समय#ह
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जैसे ही COP26 शुरू होता है, रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन रिकॉर्ड की चेतावनी देती है, कार्रवाई की मांग करती है
जैसे ही COP26 शुरू होता है, रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन रिकॉर्ड की चेतावनी देती है, कार्रवाई की मांग करती है
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने एक दिन जारी एक अस्थायी रिपोर्ट में कहा कि पिछले सात साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म होने की राह पर हैं और वैश्विक समुद्र के स्तर में वृद्धि 2013 के बाद से एक नई ऊंचाई को छू गई है क्योंकि महासागर गर्म हो रहे हैं और उनका पानी अम्लीय हो रहा है। विश्व के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर एक महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए बुलाया है। रिपोर्ट – रविवार को जिनेवा में जारी – ऐसे समय में आई है जब…
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#COP26 शिखर सम्मेलन#इंडियन एक्सप्रेस#जलवायु परिवर्तन#जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र#विश्व मौसम विज्ञान संगठन#संयुक्त राष्ट्र#सीओपी26
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विश्व मौसम विज्ञान दिवस
विश्व मौसम विज्ञान दिवस
प्रश्न- 23 मार्च, 2021 को ‘विश्�� मौसम विज्ञान दिवस’ मनाया गया। वर्ष 2021 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme) क्या था?(a) ‘मौसम और जलवायु युवाओं को लुभाना’(b) जलवायु एवं जल(c) जलवायु परिवर्तन एवं वर्षा(d) महासागर , हमारी जलवायु और मौषमउत्तर-(d)संबंधित तथ्य 23 मार्च, 2021 को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व मौसम विज्ञान दिवस’ (World Meteorological Day) मनाया गया।वर्ष 2021 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)-…
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इस सदी के अंत तक भारत में 4 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ सकता है तापमान: रिपोर्ट
फाइल फोटो
हाइलाइट्स
देश में इस सदी के अंत तक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है
1901 से लेकर 2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई
गर्म दिन और गर्म रातों की आवृत्ति के क्रमश: 55 और 70 प्रतिशत बढ़ने का पूर्वानुमान
उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र तल का स्तर करीब 300 मिलीमीटर बढ़ जाएगा
नई दिल्ली देश में इस सदी के अंत तक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है। इस सरकारी रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।जलवायु परिवर्तन का देश पर प्रभाव से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी के अंत तक भारत के औसत तापमान में 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने के साथ ही लू की तीव्रता तीन से चार गुना बढ़ जाने का पूर्वानुमान है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की इस रिपोर्ट के मुताबिक 1901 से लेकर 2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। इसकी मुख्य वजह ग्रीन हाउस गैसों की वजह से बढ़ी गर्मी है। इस रिपोर्ट को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ह���्षवर्धन मंगलवार को प्रकाशित कर सकते हैं। यह रिपोर्ट पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के तहत आने वाले जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र ने तैयार की है।
गर्म दिन और रातों की आवृत्ति बढ़ने का अनुमान रिपोर्ट में कहा गया है कि 21वीं सदी के अंत तक भारत के औसत तापमान में करीब 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का पूर्वानुमान है। देश में 1986 से 2015 की 30 साल की अवधि के दौरान वर्ष के सबसे गर्म दिन और सबसे ठंडी रात के तापमान में क्रमश: करीब 0.63 डिग्री सेल्सियस और 0.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी के अंत तक सबसे गर्म दिन और सबसे सर्द रात के तापमान में क्रमश: करीब 4.7 डिग्री सेल्सियस और 5.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने का पूर्वानुमान है। इसमें कहा गया कि गर्म दिन और गर्म रातों की आवृत्ति के क्रमश: 55 और 70 प्रतिशत बढ़ने का पूर्वानुमान है।
समुद्र का तापमान 1 डिग्री बढ़ा रिपोर्ट के मुताबिक गर्मी (अप्रैल-जून) में भारत में चलने वाली लू की आवृत्ति 21वीं सदी के अंत तक तीन से चार गुना ज्यादा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया कि उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर की समुद्री सतह का तापमान 1951 से 2015 के बीच औसतन एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया, जो इस अवधि के वैश्विक औसत 0.7 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है। उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर 1874 से 2004 के बीच प्रतिवर्ष 1.06 से लेकर 1.75 मिलीमीटर की दर से बढ़ा, जबकि बीते ढाई दशक (1993 से 2017) में इसके बढ़ने की दर 3.3 मिलीमीटर प्रतिवर्ष रही, जो वैश्विक माध्य समुद्र तल वृद्धि के बराबर है।
300 मिली बढ़ जाएगा हिंद महासागर के जल स्तर रिपोर्ट कहती है कि उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र तल का स्तर करीब 300 मिलीमीटर बढ़ जाएगा। इसमें बताया गया है कि भारत में मॉनसून के मौसम (जून से सितंबर) में भी 1951 से 2015 के बीच करीब छह प्रतिशत की कमी आई है और सबसे ज्यादा नुकसान गंगा के मैदानी इलाकों और पश्चिमी घाटों को हुआ है।
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भारत का पहला सबसे तेज़ चलने वाला सुपर कंप्यूटर ‘प्रत्यूष’ लॉन्च भारत का पहला सबसे तेज़ चलने वाला सुपर कंप्यूटर 'प्रत्यूष' लॉन्च केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 08 जनवरी 2018 को पुणे में भारत का सबसे तेज और पहला मल्टीपेटाफ्लोप्स सुपर कम्प्यूटर देश को समर्पित किया. इस सुपर कम्प्यूटर को सूर्य के नाम पर प्रत्यूष नाम दिया गया है. इसे भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे में लगाया गया है जिससे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान में और सुधार होगा. • ब्रिटेन, जापान और अमेरिका के बाद भारत मौसम एवं जलवायु निगरानी संबंधी कार्यों के लिए एचपीसी क्षमता वाला चौथा प्रमुख देश बन गया है. • ब्रिटेन 20.4 पेटाफ्लॉप की सर्वाधिक एचपीसी क्षमता वाला देश है. वहीं, जापान की एचपीसी क्षमता 20 पेटाफ्लॉप और अमेरिका की 10.7 पेटाफ्लॉप है. • इससे पहले एक पेटाफ्लॉप की क्षमता के साथ भारत आठवें स्थान पर बना हुआ था. इस सुपर कंप्यूटर के आने के बाद भारत ने कोरिया (4.8 पेटाफ्लॉप), फ्रांस (4.4 पेटाफ्लॉप) और चीन (2.6 पेटाफ्लॉप) को पीछे छोड़ दिया है. • इस सुपर कंप्यूटर की हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) क्षमता 6.8 पेटाफ्लॉप है, जो कई अरब गणनाएं एक सेकेंड में कर सकता है. • पिछले दस वर्षों के दौरान एचपीसी की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. यह क्षमता वर्ष 2008 में 40 टेराफ्लॉप थी, जो बढ़कर वर्ष 2013-14 में एक पेटाफ्लॉप हुई और अब यह बढ़कर अपने मौजूदा स्तर तक पहुंची है. • सुपर कंप्यूटर की 6.8 पेटाफ्लॉप एचपीसी क्षमता में से चार पेटाफ्लॉप पुणे के उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान और शेष 2.8 पेटाफ्लॉप कंप्यूटिंग क्षमता पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत नोएडा स्थित राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र में स्थापित की गई है. कंप्यूटिंग क्षमता का लाभ अन्य संस्थानों को भी मिल सकेगा. इस तंत्र की मदद से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र के अंतर्गत कार्यरत सुनामी चेतावनी केंद्र द्वारा की जाने वाली सुनामी से जुड़ी भविष्यवाणी में भी सुधार हो सकेगा. कंप्यूटिंग क्षमता में वृद्धि होने से मौसम, जलवायु एवं महासागरों पर केंद्रित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा दी जा रही सेवाओं में सुधार हो सकेगा. भारतीय मौसम विभाग इस तरह की कंप्यूटिंग क्षमता की मदद से वर्ष 2005 में मुंबई की बाढ़, वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा तथा वर्ष 2015 में चेन्नई की बाढ़ जैसी जटिल मौसमी घटनाओं के बारे में सटीक पूर्वानुमान आसानी से लगा पाएगा. इसकी मदद से समुद्री तूफानों का पूर्वानुमान भी समय रहते लगाया जा सकेगा.
#प्रत्यूष#प्रत्यूष&039; लॉन्च#भारत का पहला सबसे तेज़ चलने वाला सुपर कंप्यूटर &039;प्रत्यूष&039; लॉन्च#सुपर कंप्यूटर
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इस सदी के अंत तक भारत में 4 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ सकता है तापमान: रिपोर्ट
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हाइलाइट्स
देश में इस सदी के अंत तक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है
1901 से लेकर 2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई
गर्म दिन और गर्म रातों की आवृत्ति के क्रमश: 55 और 70 प्रतिशत बढ़ने का पूर्वानुमान
उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र तल का स्तर करीब 300 मिलीमीटर बढ़ जाएगा
नई दिल्ली देश में इस सदी के अंत तक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है। इस सरकारी रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।जलवायु परिवर्तन का देश पर प्रभाव से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी के अंत तक भारत के औसत तापमान में 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने के साथ ही लू की तीव्रता तीन से चार गुना बढ़ जाने का पूर्वानुमान है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की इस रिपोर्ट के मुताबिक 1901 से लेकर 2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। इसकी मुख्य वजह ग्रीन हाउस गैसों की वजह से बढ़ी गर्मी है। इस रिपोर्ट को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन मंगलवार को प्रकाशित कर सकते हैं। यह रिपोर्ट पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के तहत आने वाले जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र ने तैयार की है।
गर्म दिन और रातों की आवृत्ति बढ़ने का अनुमान रिपोर्ट में कहा गया है कि 21वीं सदी के अंत तक भारत के औसत तापमान में करीब 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का पूर्वानुमान है। देश में 1986 से 2015 की 30 साल की अवधि के दौरान वर्ष के सबसे गर्म दिन और सबसे ठंडी रात के तापमान में क्रमश: करीब 0.63 डिग्री सेल्सियस ��र 0.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस सदी के अंत तक सबसे गर्म दिन और सबसे सर्द रात के तापमान में क्रमश: करीब 4.7 डिग्री सेल्सियस और 5.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने का पूर्वानुमान है। इसमें कहा गया कि गर्म दिन और गर्म रातों की आवृत्ति के क्रमश: 55 और 70 प्रतिशत बढ़ने का पूर्वानुमान है।
समुद्र का तापमान 1 डिग्री बढ़ा रिपोर्ट के मुताबिक गर्मी (अप्रैल-जून) में भारत में चलने वाली लू की आवृत्ति 21वीं सदी के अंत तक तीन से चार गुना ज्यादा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया कि उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर की समुद्री सतह का तापमान 1951 से 2015 के बीच औसतन एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया, जो इस अवधि के वैश्विक औसत 0.7 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है। उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर 1874 से 2004 के बीच प्रतिवर्ष 1.06 से लेकर 1.75 मिलीमीटर की दर से बढ़ा, जबकि बीते ढाई दशक (1993 से 2017) में इसके बढ़ने की दर 3.3 मिलीमीटर प्रतिवर्ष रही, जो वैश्विक माध्य समुद्र तल वृद्धि के बराबर है।
300 मिली बढ़ जाएगा हिंद महासागर के जल स्तर रिपोर्ट कहती है कि उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र तल का स्तर करीब 300 मिलीमीटर बढ़ जाएगा। इसमें बताया गया है कि भारत में मॉनसून के मौसम (जून से सितंबर) में भी 1951 से 2015 के बीच करीब छह प्रतिशत की कमी आई है और सबसे ज्यादा नुकसान गंगा के मैदानी इलाकों और पश्चिमी घाटों को हुआ है।
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