#मधुलिकाशुक्ल
Explore tagged Tumblr posts
chaitanyabharatnews · 5 years ago
Text
हिंदी के उपेक्षित रहने का बड़ा कारण भारतीयों द्वारा इसकी उपेक्षाः प्रो. सरोज कुमार
Tumblr media
महू में राय साहब रामचंद्र पुस्तकालय के 70वें स्थापना दिवस पर बोले सरोजकुमार चैतन्य भारत न्यूज की कार्यकारी संपादक मधुलिका शुक्ल ने भी किया संबोधित चैतन्य भारत न्यूज। महू (इंदौर)। हिंदी का अब तक उपेक्षित रहना चिंता की बात है। इसके लिए एक बड़ा कारण हम भारतीयों द्वारा ही हिंदी भाषा की उपेक्षा करना है। हमें कोई बाध्य नहीं करता कि हस्ताक्षर केवल अंग्रेजी में ही करें। हिंदी में हस्ताक्षर भी कानूनन मान्य है लेकिन 90 प्रतिशत भारतीय अंग्रेजी में ही हस्ताक्षर करते हैं, हिंदी में नहीं। यह बात ख्यात साहित्यकार प्रो. सरोजकुमार ने कही।
Tumblr media
राय साहब रामचंद्र पुस्तकालय के 70वें स्थापना दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सरोजकुमार ने कहा कि आज भी सुप्रीम कोर्ट में निर्णय सामान्यतः अंग्रेजी में दिए जाते हैं जबकि नेपाल जैसा छोटा सा देश भी न्यायालय में नेपाली भाषा को मान्यता देने लगा है। उन्होंने कहा कि हिंदी का विरोध उचित नहीं है क्योंकि जब हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया गया तब सभी बड़े नेता गैर हिंदी भाषी होकर भी हिंदी के समर्थक थे। जैसे सुभाषचंद्र बोस बांग्लाभाषी बंगाल से, राजगोपालाचारी तमिलनाडु से तो स्वयं गांधीजी भी गुजराती बोलने वाले क्षेत्र से थे। हिंदी को अधिकाधिक अपनाने की जरूरत है।
Tumblr media
साहित्यकार एवं चैतन्य भारत न्यूज की कार्यकारी संपादक मधुलिका शुक्ल ने अध्यक्ष के रूप में इस पुस्तकालय के साथ अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा कि इस पुस्तकालय मे मैं छात्र-जीवन से आती रही हूं। यह कह सकती हूं कि पढ़ने- लिखने में रुचि यहीं आने से जागी। हम बहुत सारी पुस्तकें यहां से ले गए, पढ़ी और जमा करवाईं।
Tumblr media
पुस्तकों के बारे में यही कहना चाहती हूं कि आज दृश्य-श्रव्य माध्यम जैसी टीवी आदि का प्रचलन काफी बढ़ गया है। यदि हम टीवी धारावाहिकों में रामायण या महाभारत देखते हैं तो उनके साथ पूरी तरह नहीं जुड़ पाते क्योंकि उनका लेखन कोई और करता है, सज्जा कोई और करता है तो परिदृश्य बनाने का काम कोई और देखता है। हो सकता है कि उनमें आने वाले पात्रों के साथ, उनकी छवि के साथ आप सहमत न हो पाते हों लेकिन पुस्तक में जो भी दृश्य या श्रव्य है, वह आपकी कल्पना का है। जब आप रामायण या महाभारत को पुस्तक के रूप में पढ़ते हैं तो श्रीराम की जो छवि आती है। आवाज और दृश्य आपके मन में उभरता है..वह आपकी सोच जैसा है। आपकी अनुभूति, सोच, संस्कार के अनुरुप है। उसके व्यक्तित्व को आप गढ़ते हैं..इसलिए आसानी से उसके साथ संबंधित हो जाते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पुस्तकों का महत्व बताते हुए श्रीमती शुक्ल ने कहा कि पुस्तकें आज भी उतनी ही जरूरी, बल्कि उससे कहीं ज्यादा जरूरी हैं। पुस्तकें पढ़ने से आसानी से कोई बात, विचार समझ आता है। पुस्तकों का महत्व कभी खत्म नहीं होगा।  जिस तरह की अस्थिर सोच समाज में व��कसित होती जा रही है उसमें बच्चों में शुरू से ही पढ़ने की आदत डाल दें।
Tumblr media
पुस्तकालय को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी सौभाग्यशाली हैं कि महू जैसे शहर में सार्वजनिक वाचनालय मिला। मैं आशा करती हूं, शुभकामना देती हूं कि अभी यह पुस्तकालय 70वां स्थापना दिवस मना रहा है। यह 170 वां भी मनाएं..700वां भी मनाए। इसके लिए जो सहयोग भी बन पड़ेगा, वह मैं करूंगी। कार्यक्रम में पुस्तकाल के अध्यक्ष ओमप्रकाश ढोली, कोषाध्यक्ष जयप्रकाश महर्षि और मंत्री नूतनेशचंद्र पंत भी उपस्थित रहे। Read the full article
0 notes