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hardinnews0207 · 1 year ago
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Rajasthan's Evolving Geopolitical Landscape: A Look at the State's New Map
परिचय
क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जीवंत परंपराओं और विविध भूगोल के लिए जाना जाता है। यह राजसी राज्य पूरे इतिहास में कई साम्राज्यों और राजवंशों का उद्गम स्थल रहा है, जो अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गया है जो इसकी पहचान को आकार देती रहती है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की भौगोलिक सीमाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं, और हाल के दिनों में, एक नया मानचित्र सामने आया है, जो राज्य के भू-राजनीतिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करता है। इस लेख में, हम राजस्थान के विकसित होते मानचित्र और इन परिवर्तनों में योगदान देने वाले कारकों का पता लगाएंगे।
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ऐतिहासिक सीमाएँ
नए मानचित्र पर गौर करने से पहले राजस्थान की ऐतिहासिक सीमाओं को समझना जरूरी है। राज्य का भूगोल हमेशा वैसा नहीं रहा जैसा हम आज जानते हैं। राजस्थान का इतिहास विभिन्न राजवंशों के उत्थान और पतन के कारण क्षेत्रीय विस्तार और संकुचन के उदाहरणों से भरा पड़ा है। राजस्थान के क्षेत्र ने राजपूत वंशों, मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिनमें से प्रत्येक ने राज्य की सीमाओं पर अपनी छाप छोड़ी है।
आधुनिक राजस्थान का निर्माण
आधुनिक राजस्थान राज्य, जैसा कि हम आज इसे पहचानते हैं, का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था, जब राजस्थान की रियासतें एक एकीकृत इकाई बनाने के लिए एक साथ आईं। इस एकीकरण से पहले, राजस्थान रियासतों का एक समूह था, जिनमें से प्रत्येक का अपना शासक और प्रशासन था। इन रियासतों के एकीकरण ने राजस्थान के लिए एक नए युग की शुरुआत की, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को एक बैनर के नीचे एक साथ लाया गया।
राजस्थान का नया मानचित्र
हाल के वर्षों में, राजस्थान के मानचित्र में ऐसे परिवर्तन देखे गए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान आकर्षित किया है। ये परिवर्तन मुख्य रूप से प्रशासनिक सीमाओं के पुनर्गठन और नए जिलों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विकास हैं:
नये जिलों का निर्माण: राजस्थान के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव नए जिलों का निर्माण है। राज्य सरकार ने प्रशासनिक दक्षता में सुधार और शासन को लोगों के करीब लाने के लिए यह पहल की है। उदाहरण के लिए, 2018 में, राज्य सरकार ने सात नए जिलों, अर्थात् प्रतापगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनू, उदयपुरवाटी, दौसा और नागौर के निर्माण की घोषणा की। इन परिवर्तनों का उद्देश्य नागरिकों को बेहतर प्रशासन और सेवा वितरण करना था।
सीमा विवाद: राजस्थान की सीमाएँ गुजरात, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई पड़ोसी राज्यों के साथ लगती हैं। सीमा विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जो अक्सर क्षेत्र और संसाधनों पर विवादों का कारण बनता है। इन विवादों के परिणामस्वरूप कभी-कभी राजस्थान के मानचित्र में परिवर्तन होता है क्योंकि संघर्षों को हल करने के लिए ��ीमावर्ती क्षेत्रों को फिर से तैयार किया जाता है। ऐसे विवादों के समाधान में अक्सर राज्य सरकारों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच बातचीत शामिल होती है।
बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं राजस्थान के मानचित्र को भी प्रभावित कर सकती हैं। नई सड़कों, राजमार्गों और रेलवे का निर्माण राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्रों की पहुंच और कनेक्टिविटी को बदल सकता है। ऐसी परियोजनाओं से भौगोलिक सीमाओं की धारणा में बदलाव के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में आर्थिक विकास भी हो सकता है।
शहरीकरण: राजस्थान में हाल के वर्षों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जैसे-जैसे शहरों और कस्बों का विस्तार होता है, उनकी सीमाएँ अक्सर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को घेरती हुई बढ़ती हैं। इस शहरी फैलाव के परिणामस्वरूप जिलों और नगरपालिका क्षेत्रों की प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव हो सकता है, जो राज्य के मानचित्र में परिलक्षित हो सकता है।
प्रभाव और निहितार्थ
राजस्थान के मानचित्र में बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं। सकारात्मक पक्ष पर, नए जिलों के निर्माण और प्रशासनिक सुधारों से अधिक प्रभावी शासन, बेहतर सेवा वितरण और बेहतर स्थानीय विकास हो सकता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों के बेहतर प्रतिनिधित्व और भागीदारी को भी सुविधाजनक बना सकता है।
हालाँकि, इन परिवर्तनों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। सीमा विवाद कभी-कभी पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव का कारण बन सकते हैं और ऐसे विवादों के समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों और बातचीत की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, जबकि शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक अवसर ला सकता है, वे पर्यावरण संरक्षण, भूमि उपयोग और संसाधन प्रबंधन से संबंधित चुनौतियां भी पैदा करते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान का नया नक्शा इसके भू-राजनीतिक परिदृश्य की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है। राज्य में क्षेत्रीय परिवर्तनों का एक समृद्ध इतिहास है, और इसकी सीमाएँ ऐतिहासिक, प्रशासनिक और विकासात्मक कारकों के कारण समय के साथ विकसित हुई हैं। हालाँकि इन परिवर्तनों का शासन, सीमा विवाद और शहरीकरण पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन ये बेहतर प्रशासन और विकास के अवसर भी प्रदान करते हैं।
जैसे-जैसे राजस्थान का विकास और विकास जारी है, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन परिवर्तनों के निहितार्थों पर विचार करें और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें।
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ainnewsone · 3 days ago
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गाजियाबाद में नए आवासीय भूखंड: घर बनाने का सुनहरा अवसर?
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AIN NEWS 1: दिल्ली और नोएडा के पास घर बनाने का सपना देखने वालों के लिए अच्छी खबर है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने इंदिरापुरम, वैशाली, प्रताप विहार और कौशांबी जैसी प्रमुख योजनाओं में खाली जमीन पर नए आवासीय भूखंड लाने की योजना बनाई है। इसके तहत प्राधिकरण ने सर्वे कर खाली भूखंडों की पहचान की है और यहां नए आवासीय भूखंड विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।   इंदिरापुरम में 110 से अधिक नए भूखंड   सर्वे के दौरान इंदिरापुरम में लगभग 30,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में चार खाली ग्रुप हाउसिंग भूखंड मिले हैं। पहले ये भूखंड ग्रुप हाउसिंग के लिए आरक्षित थे, लेकिन अब इनका उपयोग बदलकर आवासीय भूखंड बनाए जाएंगे। जीडीए ने इन भूखंडों के लिए एक नया लेआउट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहां 110 से अधिक छोटे और बड़े भूखंड विकसित किए जाएंगे, जिससे लोगों को घर बनाने का अवसर मिलेगा।   वैशाली और प्रताप विहार में भी नए प्लॉट   वैशाली में 16,000 वर्ग मीटर खाली जमीन मिली है, जिस पर भी आवासीय भूखंड विकसित करने की योजना है। इसी तरह नोएडा से सटे प्रताप विहार में भी सर्वे किया जा रहा है ताकि वहां उपलब्ध रिक्त भूमि पर आवासीय भूखंड बनाए जा सकें।   हरियाली और चौड़ी सड़कों पर विशेष ध्यान   जीडीए का कहना है कि इन नई योजनाओं में हरियाली और चौड़ी सड़कों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। नए लेआउट में पार्क और हरित पट्टियों को शामिल किया जाएगा ताकि पर्यावरण अनुकूल आवासीय क्षेत्र विकसित किया जा सके।   प्राधिकरण की आय में होगा इजाफा   जीडीए अधिकारियों के अनुसार, इन योजनाओं में खाली पड़ी जमीन को भूखंड के रूप में बेचने से प्राधिकरण की आय बढ़ेगी। इससे जीडीए को अन्य महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं पर काम करने का मौका मिलेगा और शहर के बुनियादी ढांचे में सुधार होगा।   दिल्ली-नोएडा के नौकरीपेशा लोगों के लिए फायदेमंद   इंदिरापुरम, वैशाली, कौशांबी और प्रताप विहार में रहने वाले लोग आसानी से दिल्ली और नोएडा आ-जा सकते हैं। जीडीए का यह कदम उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो दिल्ली और नोएडा में काम करते हैं और पास में ही अपना घर बनाना चाहते हैं।   अतुल वत्स, उपाध्यक्ष, जीडीए का बयान   "गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) नियोजित जमीन का सर्वे कर रहा है। इसमें खाली पड़ी जमीन पर आवासीय योजनाएं लाई जाएंगी, जिससे लोगों को घर बनाने का अवसर मिलेगा।" यह योजना गाजियाबाद को और अधिक व्यवस्थित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। यदि आप भी दिल्ली और नोएडा के पास अपने घर का सपना देख रहे हैं, तो यह आपके लिए सुनहरा मौका हो सकता है! Ghaziabad Development Authority (GDA) is offering affordable residential plots in Indirapuram, Vaishali, Pratap Vihar, and Kaushambi near Delhi and Noida. With excellent connectivity, green spaces, and well-planned infrastructure, these housing projects provide a great opportunity for homebuyers. If you are looking to buy plots in Ghaziabad with proximity to major job hubs, this is the right time to invest. Read the full article
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aspundir · 8 days ago
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ब्रह्मवैवर्तपुराण - प्रकृतिखण्ड - अध्याय 09
ब्रह्मवैवर्तपुराण – प्रकृतिखण्ड – अध्याय 09 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ नौवाँ अध्याय पृथ्वी के प्रति शास्त्र विपरीत व्यवहार करने पर नरकों की प्राप्ति का वर्णन नारदजी बोले — भगवन्! पृथ्वी का दान करने से जो पुण्य तथा उसे छीनने, दूसरे की भूमि का हरण करने, अम्बुवाची में पृथ्वी का उपयोग करने, भूमि पर वीर्य गिराने तथा जमीन पर दीपक रखने से जो पाप बनता है, उसे मैं सुनना चाहता हूँ।…
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astrovastukosh · 10 days ago
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षट्तिला एकादशी व्रत महात्मय और कथा
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🍀 षट्तिला एकादशी : 25 जनवरी 2025 शनिवार
(24 जनवरी रात्रि 7:25 से 25 जनवरी रात्रि 08:31 तक)
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 'षट्तिला एकादशी' के नाम से जानी जाती है। इस दिन काले तिल तथा काली गाय के दान का भी बड़ा माहात्म्य है l
🌀 तिलमिश्रित जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिलमिश्रित जल का पान व तर्पण, तिलमिश्रित भोजन, तिल का दान - ये छः कर्�� पाप का नाश करनेवाले हैं। ••••••••••••••••••••••••••••••|
🌀♻ व्रत कथा
🌹 युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा : भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये ।
🌹 श्रीभगवान बोले : नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी ‘षट्तिला’ के नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है । मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो ।
🌹 दाल्भ्य ने पूछा : ब्रह्मन् ! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं । उन्हें नरक में न जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है ? बताने की कृपा करें ।
🌹 पुलस्त्यजी बोले : महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे । देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे । उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये । फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें । भली भाँति स्नान करके पवित्र हो शुद्ध भाव से देवाधिदेव श्रीविष्णु की पूजा करें । कोई भूल हो जाने पर श्रीकृष्ण का नामोच्चारण करें । रात को जागरण और होम करें । चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेघ आदि सामग्री से शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करें । तत्पश्चात् भगवान का स्मरण करके बारंबार श्रीकृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़े, नारियल अथवा बिजौरे के फल से भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्ध्य दें । अन्य सब सामग्रियों के अभाव में सौ सुपारियों के द्वारा भी पूजन और अर्ध्यदान किया जा सकता है । अर्ध्य का मंत्र इस प्रकार है:
कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव । संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन । सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥ गृहाणार्ध्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते ।
🌹‘सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष्ण ! आप बड़े दयालु हैं । हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइये । हम संसार स��ुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइये । कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्ध्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें ।’ तत्पश्चात् ब्राह्मण की पूजा करें । उसे जल का घड़ा, छाता, जूता और वस्त्र दान करें । दान करते समय ऐसा कहें : ‘इस दान के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों ।’ अपनी शक्ति के अनुसार श्रेष्ठ ब्राह्मण को काली गौ का दान करें । द्विजश्रेष्ठ ! विद्वान पुरुष को चाहिए कि वह तिल से भरा हुआ पात्र भी दान करे । उन तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएँ पैदा हो सकती हैं, उतने हजार वर्षों तक वह स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है । तिल से स्नान होम करे, तिल का उबटन लगाये, तिल मिलाया हुआ जल पीये, तिल का दान करे और तिल को भोजन के काम में ले ।’
🌹 इस प्रकार हे नृपश्रेष्ठ ! छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी ‘षटतिला’ कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।
🌹 व्रत खोलने की विधि : द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए ।
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nwnews24 · 16 days ago
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स्वामित्व योजना: भू-अभिलेखों को पारदर्शी और प्रभावी बनाने सरकार उठा रही है कदम, मुख्यमंत्री बोले, भूमि संबंधित मामलों में अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों के उपयोग को राज्य सरकार दे रही है बढ़ावा
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praysure · 25 days ago
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ज्योतिष के मूलभूत सिद्धांत
ज्योतिष के सिद्धांतों का अध्ययन जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से व्यक्तित्व, शिक्षा, व्यवसाय, विवाह, बच्चों, भूमि, संपत्ति, वाहन, और विदेश यात्राओं से संबंधित घटनाओं की भविष्यवाणी करने में सहायक होता है।
ज्योतिष के मूलभूत सिद्धांत – ज्योतिष के सिद्धांतों का अध्ययन जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से व्यक्तित्व, शिक्षा, व्यवसाय, विवाह, बच्चों, भूमि, संपत्ति, वाहन, और विदेश यात्राओं से संबंधित घटनाओं की भविष्यवाणी करने में सहायक होता है। विंशोत्तरी दशा, जो कि एक प्रमुख दशा प्रणाली है, इसका उपयोग ज्योतिषी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों के बारे में जानकारी…
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poonamranius · 1 month ago
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🌍 World’s Most Advanced Satellite NISAR | ISRO & NASA Joint Mission 2025 🚀
🌍 World’s Most Advanced Satellite NISAR | ISRO & NASA Joint Mission 2025 🚀 🌍 World’s Most Advanced Satellite NISAR | ISRO & NASA Joint Mission 2025 🚀 NISAR, दुनिया का सबसे उन्नत satellite, ISRO और NASA का संयुक्त मिशन है जो 2025 में लॉन्च होने वाला है। 🌍 यह satellite पृथ्वी की निगरानी के लिए सबसे बेहतरीन तकनीक का उपयोग करेगा, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन, और भूमि की गति पर डेटा जुटाने…
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adani-godda · 1 month ago
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अडानी गोड्डा परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का अधिग्रहण एक विवादास्पद प्रक्रिया रही है। स्थानीय किसानों और आदिवासी समुदायों ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपनी जमीनें देने के लिए मजबूर किया गया है। रिपोर्टों के अनुसार, अडानी ग्रुप ने 1,214 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है, जिसमें से अधिकांश कृषि योग्य भूमि है जो हजारों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है। भूमि अधिग्रहण के बाद, स्थानीय नि��ासियों के लिए रोजगार के अवसर और उनकी जमीन के उपयोग में बदलाव से जुड़ी कई समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
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naturalintelligence · 1 month ago
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भूमि का अधिकतम उपयोग: मल्टी-लेयर खेती के लाभ
क्या आप जानते हैं कि हम जिस तरीके से खेती करते हैं, वह पूरी दुनिया को बदल सकता है? 🌍 मल्टी-लेयर फार्मिंग के जरिए हम कम भूमि पर अधिक फसलें उगा सकते हैं, क्योंकि इस पद्धति में हम भूमि को ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) रूप से उपयोग करते हैं।
मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-Layer Farming) एक उन्नत कृषि पद्धति है जिसमें फसलों को विभिन्न ऊँचाईयों (परतों) में उगाया जाता है। इस प्रणाली में परतों का उपयोग करके अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने की कोशिश की जाती है, जिससे एक ही जमीन पर विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन हो सके। इसे वर्टिकल फार्मिंग या लेयर फार्मिंग भी कहा जाता है, और यह पारंपरिक खेती से अलग है, क्योंकि इसमें भूमि का उपयोग केवल…
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udaysarvodaya · 1 month ago
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मणिपुर की कुल जमीन का लगभग 90% हिस्सा पहाड़ी है, जो मुख्यत: आदिवासी समुदायों के अधिकार क्षेत्र में आता है। घाटी क्षेत्र, जो केवल 10% जमीन ��ै, पर मेइती समुदाय का प्रभुत्व है। भूमि उपयोग और स्वामित्व को लेकर इन समुदायों के बीच संघर्ष ने हिंसा को भड़काया है। मणिपुर में भूमि और संसाधनों का वितरण एक बड़ा मुद्दा है। पूरी रिपोर्ट के लिए पढ़ें उदय सर्वोदय का तजा अंक…
Click for Digital Edition https://udaysarvodaya.com/?r3d=december-2024
📱 9919406060 📧 [email protected]
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informedworld · 1 month ago
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आयकर विभाग ने 52 किलोग्राम सोना और ₹10 करोड़ नकद जब्त किए, जुड़ा लोकायुक्त के पूर्व RTO कांस्टेबल से
आयकर विभाग ने भोपाल के मंडोरा गांव के पास एक छोड़ी हुई गाड़ी से 52 किलोग्राम सोना और ₹10 करोड़ नकद बरामद किया है। यह जब्ती पूर्व RTO कांस्टेबल सौरभ शर्मा और उनके सहयोगी चंदन सिंह गौर से जुड़ी हुई है, जो पहले से ही अनुपातिक संपत्ति मामले में जांच के दायरे में हैं।
लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना (SPE) ने इस हफ्ते सौरभ शर्मा और गौर के ठिकानों पर छापे मारे थे, जहां ₹2.5 करोड़ नकद, सोना, चांदी और संपत्ति दस्तावेज मिले थे। इन संपत्तियों का कुल मूल्य ₹3 करोड़ से अधिक आंका जा रहा है। सौरभ शर्मा, जिन्होंने एक साल पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी, अब रियल एस्टेट में सक्रिय हैं। उनके द्वारा निवेश की गई संपत्तियाँ, होटल और एक स्कूल सहित कई जिलों में फैली हुई हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अवैध भूमि उपयोग के आरोपों के चलते यह जांच शुरू हुई थी।
यह बड़ी जब्ती भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति के खिलाफ चल रही जांच में अहम मोड़ साबित हो सकती है। मामले की आगे की जानकारी के लिए जुड़े रहें।
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uttarpradeshdev · 2 months ago
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 बदला ढंग, आमदनी बढ़ी तो  जिंदगी में छाए रंग
योगी सरकार में यूपी में आधुनिक खेती के तरीके अपना कर किसान दोगुनी आमदनी कर रहे हैं। वहीं किसान कल्याण योजनाओं की वजह से यूपी में कृषि विकास रफ्तार पकड़ रहा है। शायद इसी वजह से पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हुई है। परिणामस्वरूप प्रदेश में फसलों की सरकारी खरीद के नए-नए कीर्तमान बन रहे हैं। 
किसानों को बदलहाली के ��ौर से निकालने के लिए मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने यूपी में किसान कल्याण की तमाम योजनाएं लागू की। जिसकी वजह से यूपी में कृषि विकास के साथ किसानों की आर्थिक हालात में सुधार हुआ। अपनी पहली कैबिनेट बैठक में वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने  किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफी का फैसला लिया था। प्रदेश सरकार के इस फैसले से  86 लाख लघु-सीमांत किसानों को  कर्ज माफी का लाभ मिला। वहीं, किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पाने के लिए प्रयासों का असर भी अब दिखने लगा है। योगी सरकार के इन फैसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ ही किसानों ने आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ाए। इसके पीछे यूपी में किसान कल्याण योजनाएं ज्यादा असरदार साबित हुई। 
न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार वृद्धि की वजह से  गेहूं व धान के अलावा मक्का, दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद बढ़ी और बाजार में किसानों को बेहतर दाम मिले।  सरकारी क्रय केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन कराने जैसी औपचारिकताएं तो बढ़ी है, लेकिन इससे किसानों के खातों में विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 1803 करोड़ रुपये का अनुदान के रूप में पहुंचा ।कृषि उपज की बिक्री के लिए मंडियों की उपयोगिता और अधिक बढ़ी है।
योगी सरकार ने यूपी में आधुनिक खेती के तरीके के प्रमोशन के लिए तकनीक से कृषि विकास को रफ्तार  देने का अभियान चलाया। प्रदेश के किसानों को खेती -किसानी संबंधी नवीनतम जानकारियां व तकनीकी लाभ उनके करीब में उपलब्ध कराने के लिए किसान पाठशालाओं का आयोजन किया गया।  किसान पाठशालाओं के माध्यम से प्रदेश के 55 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इसी प्रकार प्रदेश में  20 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई। कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 50 हजार से अधिक सोलर पंप लगाने का काम किया। 
कुसुम योजना के माध्यम से किसानों को नलकूप के कनेक्शन प्रदान किए गए। जिससे प्रदेश में सिंचित खेती का रकबा बढ़ा।  सरकार किसानों को गेहूं और धान की परंपरागत खेती के स्थान पर बहुफसली खेती की पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे भी किसानों की आमदनी सुधारने में अहम भूमिका निभाई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड , प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई, किसान सम्मान निधि  जैसी यूपी में किसान कल्याण योजनाएं भी इसमें बहुत सहायक हुईं। जिसके परिणामस्वरूप कुछ वर्षों में ही  किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना प्रारंभ हुआ। 
बुंदेलखंड के किसानों के लिए  जलवायु की अनुकूलता के मुताबिक औषधीय खेती और बागवानी से भी जोड़ा गया। सीमैप के माध्यम से संगीधय और औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया गया और उनको प्रशिक्षित भी किया। इसके अलावा उनके हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग भी की गई।  किसानों को कारोबारी एवं उद्यमशील बनाकर प्रशिक्षित किया गया। इससे उन्हें कृष‍ि उत्पाद का कई गुना दाम मिल रहा है। 
बीते वर्ष अगस्त 2023 में पूर्वांचल के वाराणसी एयरपोर्ट से खाड़ी देशों के लिए  91 मीट्रिक टन फल और सब्जियों का निर्यात किया गया। पहली बार पूर्वांचल के गाजीपुर के केले के फल, फूल और पत्ते निर्यात हो रहे हैं जबकि पहले ये दक्षिण भारत से ही निर्यात होता था. इसके अलावाअब पहली बार अमड़ा और करौंदा खाड़ी देशों के लिए निर्यात किया गया ।
सरकार की किसान कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन का परिणाम है कि उत्तरप्रदेश कुल कृषि योग्य भूमि में  24% शेयर अकेले इन औद्यानिक कृषि फसलों के माध्यम से किसानों और प्रदेश को प्राप्त होता है। खाद्यान्न उत्पादन में  20 प्रतिशत का योगदान उत्तर प्रदेश करता है। ऑर्गेनिक खेती में भी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी 24 प्रतिशत हैं।
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agra24 · 2 months ago
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आगरा: इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी हब बनने की राह कठिन
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आगरा, जिसे ताज नगरी के नाम से भी जाना जाता है, अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्�� है। लेकिन बदलते समय के साथ, आधुनिक युग की आवश्यकताओं को पूरा करने और क्षेत्रीय विकास को गति देने के लिए इसे एक इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) हब के रूप में भी विकसित कर���े की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। यह विचार न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आगरा के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने और ब्रेन ड्रेन की समस्या को रोकने के लिए भी आवश्यक है। आगरा का आईटी पार्क: संभावनाएं और समस्याएं आगरा के शास्त्रीपुरम में एक सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क बनकर तैयार हो चुका है, जिसे आधुनिक तकनीकी और व्यवसायिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। लेकिन इसे बनकर तैयार हुए एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, फिर भी इसका औपचारिक उद्घाटन नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों का ही ध्यान अब तक इस तरफ नहीं गया है। यह पार्क, जो आईटी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बनाया गया था, वर्तमान में खाली पड़ा है। कंपनियों की रुचि के अभाव में इस परियोजना का उद्देश्य अधूरा रह गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें आगरा में अच्छी डेटा कनेक्टिविटी और आधारभूत सुविधाओं की कमी प्रमुख है। आकार में काफी छोटा होने के साथ ही औपचारिक उद्घाटन के अभाव में इस सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क का ठीक से प्रचार भी नहीं हो सका है जिसके कारण भी कंपनियों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई है। काफी आगरावासियों को ही नहीं पता कि यह सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क पूर्ण रूप से तैयार हो चुका है। डेटा कनेक्टिविटी और आधारभूत सुविधाओं की कमी आईटी उद्योग के विकास के लिए उच्च गुणवत्ता वाली डेटा कनेक्टिविटी एक बुनियादी आवश्यकता है। लेकिन आगरा में इस दिशा में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। इंटरनेट स्पीड और नेटवर्क की पहुंच में कमी कंपनियों को इस क्षेत्र में निवेश करने से रोकती है। साथ ही, आधारभूत सुविधाओं की बात करें तो आगरा में ट्रांसपोर्ट, पावर सप्लाई, और वर्कस्पेस के स्तर पर अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। बेहतर कनेक्टिविटी, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति, और आधुनिक कार्यालय स्थान न केवल निवेश को आकर्षित करेंगे, बल्कि स्थानीय उद्यमियों को भी प्रेरित करेंगे। आगरा: तकनीकी शिक्षा का केंद्र आगरा में तकनीकी शिक्षा के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थान मौजूद हैं। शहर में हर साल हजारों युवा तकनीकी प्रशिक्षण लेते हैं और आईटी क्षेत्र में अपना करियर बनाने का सपना देखते हैं। लेकिन इन युवाओं के पास अपने गृहनगर में अवसरों की कमी है। इस कारण वे बेहतर अवसरों की तलाश में नोएडा, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों की ओर रुख करते हैं। ब्रेन ड्रेन: एक गंभीर समस्या आगरा से बड़ी संख्या में युवा, जो तकनीकी रूप से कुशल और प्रतिभाशाली हैं, बाहर के शहरों में काम करने चले जाते हैं। इसका परिणाम यह है कि शहर प्रतिभाशाली मानव संसाधन से वंचित रह ��ाता है। इस प्रवृत्ति को ब्रेन ड्रेन के रूप में जाना जाता है, जो स्थानीय विकास में एक बड़ी बाधा है। शहर में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण, यहां की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा वृद्ध नागरिकों का है। कई घर खाली पड़े हैं, जहां युवा पीढ़ी काम की तलाश में बाहर चली गई है। यह स्थिति न केवल सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा करती है, बल्कि शहर के विकास को भी बाधित करती है। समाधान और संभावनाएं आगरा को आईटी हब के रूप में स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं: - औपचारिक उद्घाटन और प्रोत्साहन: आगरा सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क पार्क का औपचारिक उद्घाटन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। सरकार को कंपनियों को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लानी चाहिए। - बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधाएं: डेटा कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ आधारभूत संरचना को मजबूत करना प्राथमिकता होनी चाहिए। - स्थानीय प्रतिभा को प्रोत्साहन: स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और उन्हें यहीं काम करने के लिए प्रेरित करने के लिए विशेष नीतियां बनाई जानी चाहिए। - शिक्षा और उद्योग का तालमेल: तकनीकी संस्थानों और उद्योगों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देकर स्थानीय प्रतिभा का सही उपयोग किया जा सकता है। - निवेश का माहौल तैयार करना: आगरा में निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक माहौल तैयार करना आवश्यक है। इसमें कर में छूट, भूमि की उपलब्धता, और प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाना शामिल है। आगरा में आईटी हब के रूप में विकसित होने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। आईटी पार्क का खाली पड़ा रहना, कंपनियों की रुचि की कमी, और आधारभूत सुविधाओं की समस्याएं इस दिशा में प्रमुख बाधाएं हैं। अगर सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर इन समस्याओं का समाधान करें, तो आगरा न केवल अपने युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है, बल्कि एक विकसित और आधुनिक शहर के रूप में अपनी पहचान भी बना सकता है। आगरा को केवल ऐतिहासिक धरोहरों तक सीमित रखने के बजाय, इसे आधुनिक तकनीकी केंद्र के रूप में विकसित करना समय की मांग है। Read the full article
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advkaransinghlegal · 2 months ago
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खारिज दाखिल और बैनामा में क्या अंतर है?
"खारिज दाखिल" और "बैनामा" दो अलग-अलग कानूनी अवधारणाएँ हैं, जिनका उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में होता है। आइए इन दोनों के बीच के मुख्य अंतर को समझते हैं:
1. खारिज दाखिल (Rejection of Application)
परिभाषा:
खारिज दाखिल का अर्थ है किसी आवेदन, याचिका या दस्तावेज को अदालत या संबंधित प्राधिकरण द्वारा अस्वीकृत करना। यह प्रक्रिया तब होती है जब आवेदन किसी भी कारण से मान्यता के योग्य नहीं होता है।
उपयोग:
यह आमतौर पर न्यायालय में मामलों से संबंधित होता है। जब कोई वकील या पक्ष किसी प्रकार का आवेदन (जैसे कि जमानत, स्थगन आदि) प्रस्तुत करता है और न्यायालय उसे स्वीकार नहीं करता, तो उसे "खारिज दाखिल" कहा जाता है।
उदाहरण:
यदि किसी ने किसी मामले में अदालत में स्थगन की याचिका डाली है और अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया, तो यह "खारिज दाखिल" कहलाएगा।
2. बैनामा (Deed of Conveyance)
परिभाषा:
बैनामा एक कानूनी दस्तावेज है जो संपत्ति के हस्तांतरण या अधिकारों के अंतरण को दर्शाता है। यह एक अनुबंध है जो संपत्ति की बिक्री, हस्तांतरण, या किसी अन्य कानूनी अधिकारों के लिए प्रयोग किया जाता है।
उपयोग:
बैनामा संपत्तियों, जैसे कि भूमि, भवन आदि, के मालिकाना हक को दर्ज करने के लिए आवश्यक है। इसे संपत्ति के विक्रेता और खरीददार के बीच की संधि के रूप में माना जाता है।
उदाहरण:
जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को बेचता है, तो इस प्रक्रिया में बैनामा बनाना आवश्यक होता है, जो कि संपत्ति के हस्तांतरण को कानूनी रूप से मान्यता प्रदान करता है।
मुख्य अंतर:
विशेषताखारिज दाखिलबैनामाप्रकारन्यायालयी प्रक्रियासंपत्ति का कानूनी दस्तावेजउद्देश्यकिसी आवेदन को अस्वीकृत करनासंपत्ति के हस्तांतरण को दर्शानाप्रक्रियाअदालत में याचिका या आवेदन के खारिज होने परसंपत्ति खरीदने या बेचने के समय संपन्न होता हैकानूनी प्रभावकोई कानूनी मार्ग नहीं हैसंपत्ति पर अधिकारों का हस्तांतरण
निष्कर्ष:
खारिज दाखिल और बैनामा दोनों ही कानूनी विषय हैं, लेकिन इनके संदर्भ और उपयोग में काफी भिन्नता है। खारिज दाखिल अक्सर न्यायालयी प्रक्रिया से संबंधित होता है, जबकि बैनामा संपत्ति के हस्तांतरण का एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है।
Advocate Karan Singh (Kanpur Nagar) [email protected] 8188810555, 7007528025
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viveksr · 3 months ago
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भूलेख उत्तराखंड: डिजिटलीकरण में भूमि रिकॉर्ड का क्रांतिकारी समाधान 
भूलेख उत्तराखंड उत्तराखंड सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य में भूमि रिकॉर्ड को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाना है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म ने नागरिकों के लिए संपत्ति से संबंधित जानकारी को सुलभ और तेज़ बना ��िया है। इसके साथ ही, भूलेख उत्तराखंड ऐप के आगमन ने इसे और भी आसान और सुविधाजनक बना दिया है। आइए इस प्रणाली और उसके लाभों के बारे में विस्तार से जानते हैं।  
भूलेख उत्तराखंड क्या है?
भूलेख उत्तराखंड एक ऑनलाइन पोर्टल है, जो राज्य के सभी भूमि रिकॉर्ड को एक जगह एकत्र करता है। भूलेख का अर्थ है भूमि का लेखा-जोखा, और यह प्रणाली नागरिकों को उनकी संपत्ति के रिकॉर्ड तक डिजिटल पहुँच प्रदान करती है।  
भूलेख उत्तराखंड पर उपलब्ध जानकारी:
मालिक का नाम: संपत्ति के स्वामी का विवरण।  
प्लॉट नंबर: भूमि के हिस्से का विशिष्ट पहचान नंबर।  
भूमि का प्रकार: कृषि, आवासीय, या वाणिज्यिक जैसी भूमि की श्रेणी।  
क्षेत्र विवरण: संपत्ति का क्षेत्रफल या माप।  
इस प्रणाली ने मैनुअल प्रक्रियाओं को समाप्त कर दिया है, जिससे त्रुटियों और धोखाधड़ी की संभावना कम हो गई है।  
भूलेख उत्तराखंड के लाभ  
1. सुलभता: नागरिक कभी भी और कहीं भी अपने भूमि रिकॉर्ड तक पहुँच सकते हैं।  
2. दक्षता: इस प्लेटफॉर्म से राजस्व कार्यालयों के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं होती।  
3. पारदर्शिता: डिजिटल रिकॉर्ड स्वामित्व में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हैं।  
4. विवाद समाधान: स्पष्ट और सटीक रिकॉर्ड संपत्ति विवादों की संभावना को कम करते हैं।  
5. समय की बचत: तत्काल रिकॉर्ड प्राप्त करना प्रशासनिक प्रक्रियाओं में लगने वाले समय को कम करता है।  
भूलेख उत्तराखंड ऐप की विशेषताएँ
भूलेख उ���्तराखंड ऐप पोर्टल की तरह ही सुविधाएँ प्रदान करता है, लेकिन इसे मोबाइल पर कहीं भी और कभी भी उपयोग किया जा सकता है। यह स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए इसे और अधिक उपयोगकर्ता-केंद्रित बनाता है।  
ऐप की मुख्य विशेषताएँ:  
उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस।  
भूमि रिकॉर्ड को त्वरित रूप से खोजने की सुविधा।  
रिकॉर्ड को डाउनलोड और सहेजने का विकल्प।  
समय-समय पर अपडेट, जिससे जानकारी सटीक रहती है।  
भूलेख उत्तराखंड पोर्टल और ऐप का उपयोग कैसे करें?
भूलेख उत्तराखंड पोर्टल का उपयोग
1. वेबसाइट पर जाएँ: भूलेख उत्तराखंड www.bhulekhuttarakhand.com   खोलें।  
2. क्षेत्र चुनें: अपने जिले, तहसील और गाँव का चयन करें।  
3. संपत्ति विवरण दर्ज करें: प्लॉट नंबर या मालिक का नाम डालें।  
4. जानकारी प्राप्त करें: आवश्यक जानकारी स्क्रीन पर देख सकते हैं और डाउनलोड कर सकते हैं।  
भूलेख उत्तराखंड ऐप का उपयोग
1. ऐप डाउनलोड करें: Google Play Store से भूलेख उत्तराखंड ऐप डाउनलोड करें।  
2. लॉगिन करें: अपना पंजीकरण करें या ��ॉगिन करें।  
3. संपत्ति खोजें: भूमि विवरण को खोजने के लिए ऐप के सर्च फीचर का उपयोग करें।  
4. रिकॉर्ड सहेजें: रिकॉर्ड को अपने डिवाइस पर सहेजें।  
भविष्य में भूलेख उत्तराखंड की संभावनाएँ
भूलेख उत्तराखंड डिजिटल इंडिया अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है। भविष्य में, इस प्रणाली में GIS मैपिंग, भूमि लेन-देन पर रियल-टाइम अपडेट, और राजस्व से संबंधित सेवाओं के लिए ई-भुगतान जैसी सुविधाएँ जोड़ी जा सकती हैं।  
निष्कर्ष
भूलेख उत्तराखंड ने राज्य में भूमि रिकॉर्ड के प्रबंधन और उनकी पहुँच को पूरी तरह से बदल दिया है। इस प्रणाली ने नागरिकों को समय, पारदर्शिता, और सुविधा प्रदान करते हुए भूमि विवादों को कम करने में मदद की है।  
भूलेख उत्तराखंड ऐप इस प्रक्रिया को और सरल और उपयोगकर्ता-केंद्रित बनाता है, जिससे यह हर नागरिक के लिए एक आवश्यक उपकरण बन गया है। 
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nwnews24 · 16 days ago
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स्वामित्व योजना: भू-अभिलेखों को पारदर्शी और प्रभावी बनाने सरकार उठा रही है कदम, मुख्यमंत्री बोले, भूमि संबंधित मामलों में अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों के उपयोग को राज्य सरकार दे रही है बढ़ावा
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