चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने सद्भावना को बढ़ावा दिया... कैम्ब्रिज में राहुल गांधी ने दिल खोलकर की तारीफ
लंदन: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रतिष्ठित क्रैम्ब्रिज विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय में अपने भाषण को सुनने की कला पर केंद्रित किया तथाा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए नई सोच का आह्वान किया है। गांधी ने विश्वविद्यालय में अपने व्याख्यान में दुनिया में लोकतांत्रिक माहौल को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसी नई सोच का आह्वान किया जिसे थोपा नहीं जाये। हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा कि इस बदलाव से बड़े पैमाने पर असमानता और आक्रोश सामने आया है जिस पर तत्काल ध्यान देने और संवाद की जरूरत है।
कैम्ब्रिज स्कूल के विजिटिंग फेलो हैं राहुल
राहुल गांधी कैम्ब्रिज जज बिजनेस स्कूल' (कैम्ब्रिज जेबीएस) में विजिटिंग फेलो हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय में 21वीं सदी में सुनना सीखना विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते जहां लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं नहीं हों। उन्होंने कहा कि इसलिए, हमें इस बारे में नई सोच की जरूरत है कि आप बलपूर्वक माहौल बनाने के बजाय किस तरह लोकतांत्रिक माहौल बनाते है।
सुनने की कला का किया बखान
उन्होंने कहा कि सुनने की कला बहुत शक्तिशाली होती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का बहुत महत्व है। व्याख्यान को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया था। इसकी शुरुआत 'भारत जोड़ो यात्रा' के जिक्र से हुई थी। राहुल गांधी ने लगभग 4,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक की थी और यह यात्रा भारत के 12 राज्यों से होकर गुजरी थी।
राहुल बोले- चीन ने सद्भाव को बढ़ाया
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से विशेष रूप से सोवियत संघ के 1991 के विघटन के बाद से अमेरिका और चीन के दो अलग-अलग दृष्टिकोण पर व्याख्यान का दूसरा भाग केंद्रित रहा। गांधी ने कहा कि विनिर्माण से संबंधित नौकरियों को समाप्त करने के अलावा अमेरिका ने 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमलों के बाद अपने दरवाजे कम खोले जबकि चीन ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के ईद गिर्द के संगठनों के जरिये सद्भाव को बढ़ावा दिया है।
वैश्विक बातचीत का समर्थन किया
उनके व्याख्यान के अंतिम चरण का विषय वैश्विक बातचीत की अनिर्वायता था। उन्होंने विभिन्न दृष्टिकोणों को अपनाने के नये तौर तरीकों के लिए आह्वान में विभिन्न आयामों को साथ पिरोने का प्रयास किया। उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्रों को यह भी समझाया कि यात्रा एक तीर्थयात्रा है जिससे लोग खुद ही जुड़ जाते हैं ताकि वे दूसरों को सुन सकें।'' http://dlvr.it/SkCFVx
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थल सेना प्रमुख मनोज पांडे ने लद्दाख में भारतीय वायुसेना के अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर से उड़ाया !
थल सेना प्रमुख मनोज पांडे ने लद्दाख में भारतीय वायुसेना के अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर से उड़ाया !
द्वारा पीटीआई
NEW DELHI: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे रविवार को लद्दाख सेक्टर में भारतीय वायु सेना के एक अपाचे हमले के हेलीकॉप्टर में उड़ान भरी और उन्हें इसकी क्षमताओं और भूमिकाओं के बारे में भी बताया गया, IAF ने कहा।
भारतीय और चीनी सेनाओं द्वारा क्षेत्र के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 से अलग होने के दो दिन बाद, पांडे ने शनिवार को पूर्वी लद्दाख में समग्र सुरक्षा स्थिति की…
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भारत चीन के साथ सीमा संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, लेकिन सभी परिस्थितियों के लिए तैयार है: सेना प्रमुख | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
भारत चीन के साथ सीमा संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, लेकिन सभी परिस्थितियों के लिए तैयार है: सेना प्रमुख | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
(एएनआई)
नई दिल्ली: भारत पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ 20 महीने के लंबे सैन्य टकराव को बातचीत के माध्यम से शांति से हल करना चाहता है, लेकिन सैन्य रूप से तैयार है अगर देश पर संघर्ष थोपा जाता है और इससे “विजयी” निकलेगा, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा बुधवार। इस बात पर जोर देते हुए कि पूर्वी लद्दाख में “आंशिक सैन्य टुकड़ी” के बावजूद, संपूर्ण 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ…
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LAC standoff: India, China disengage in Gogra in eastern Ladakh after 12th round of Corps Commander talks
LAC standoff: India, China disengage in Gogra in eastern Ladakh after 12th round of Corps Commander talks
छवि स्रोत: पीटीआई
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र के किनारे से भारतीय और चीनी सैनिक और टैंक अलग हो गए। (फ़ाइल/प्रतिनिधि छवि)
भारत और चीन ��ूर्वी लद्दाख में गोगरा के क्षेत्र में विघटन पर सहमत हुए हैं, सेना ने शुक्रवार को कोर कमांडर वार्ता के 12 वें दौर के बाद कहा।
कोर कमांडर वार्ता के दौरान हुए समझौते के अनुसार, दोनों पक्षों (भारत-चीन) ने चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से पीपी-17 में…
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लद्दाख गतिरोध: भारत, चीन एक प्रमुख गश्ती बिंदु से अलग होने के लिए सहमत हैं
लद्दाख गतिरोध: भारत, चीन एक प्रमुख गश्ती बिंदु से अलग होने के लिए सहमत हैं
सरकारी सूत्रों ने कहा कि लगभग छह महीने तक चली सीमा वार्ता में गतिरोध को समाप्त करते हुए, भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एक प्रमुख गश्ती बिंदु पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं, भले ही अन्य घर्षण क्षेत्र इस क्षेत्र में बने हुए हैं।
PP17A पर समझौता कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता के दौरान शनिवार को हुआ। बैठक, जो लद्दाख में 15 महीने के गतिरोध को हल करने के उपायों की एक श्रृंखला का हिस्सा थी,…
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लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता बुधवार को पूर्वी लद्दाख में विघटन के अगले चरण को अंतिम रूप देने के लिए: सूत्रों का कहना है
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता बुधवार को पूर्वी लद्दाख में विघटन के अगले चरण को अंतिम रूप देने के लिए: सूत्रों का कहना है
प्रतिनिधि छवि। (एपी)
उन्होंने कहा कि जमीनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और दोनों पक्षों के कोर कमांडरों के बीच चौथे दौर की बातचीत के बाद ही डी-एस्केलेशन प्रक्रिया का अगला चरण शुरू होगा।
PTI
आखरी अपडेट: 12 जुलाई, 2020, 10:37 PM IST
भारतीय सेना और चीनी PLA से बुधवार को पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पूर्ण विघटन के हिस्से के रूप में शांति बढ़ाने के लिए एक रोडमैप को अंतिम रूप देने के साथ-साथ…
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China Silent on Modi-Xi Meet at SCO Summit; Says Disengagement of Troops in Ladakh 'Positive Development'
China Silent on Modi-Xi Meet at SCO Summit; Says Disengagement of Troops in Ladakh ‘Positive Development’
आखरी अपडेट: 10 सितंबर 2022, 00:40 IST
चीन और भारत एससीओ के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। (छवि: शटरस्टॉक)
चीनी सेना ने शुक्रवार को पुष्टि की कि चीन और भारत के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से “समन्वित और नियोजित तरीके” से विघटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
चीन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के बीच संभावित मुलाकात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया नरेंद्र…
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एलएसी पर और विघटन पर भारत-चीन सैन्य वार्ता का 16वां दौर गतिरोध में समाप्त, फिर से
एलएसी पर और विघटन पर भारत-चीन सैन्य वार्ता का 16वां दौर गतिरोध में समाप्त, फिर से
के बीच सैन्य वार्ता का 16वां दौर भारत और चीन ने रविवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ शेष घर्षण बिंदुओं पर च���्चा करने के लिए आयोजित किया- विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (पीपी 15) ने एक बार फिर गतिरोध की स्थिति पैदा कर दी।
14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने अपने चीनी समकक्ष मेजर जनरल यांग लिन से मुलाकात की, जो दक्षिण शिनजियांग…
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भारत-चीन सैन्य वार्ता: पूर्वी लद्दाख में शेष घर्षण बिंदुओं में विघटन पर ध्यान दें
भारत-चीन सैन्य वार्ता: पूर्वी लद्दाख में शेष घर्षण बिंदुओं में विघटन पर ध्यान दें
छवि स्रोत: पीटीआई | फ़ाइल चित्र दोनों पक्षों के बीच करीब साढ़े 12 घंटे तक चर्चा चली।
हाइलाइट
भारतीय प्रति��िधिमंडल ने भी अप्रैल 2020 तक यथास्थिति की बहाली पर जोर दिया
एलएसी के भारतीय पक्ष में चुशुल मोल्दो बैठक बिंदु पर सुबह 9:30 बजे वार्ता शुरू हुई
वार्ता के परिणाम पर कोई आधिकारिक शब्द नहीं था
भारत-चीन सैन्य वार्ता: भारत ने रविवार को चीन के साथ उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 16वें दौर में पूर्वी…
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जंबूद्वीप याने अखंड भारत
एक समय पर जंबूद्वीप याने अखंड भारत था. इसे आर्यावृत भी कहते हैं.
जंबूद्वीप में 9 प्रदेश है:- उत्तर कुरु, हिरण्यमय, रम्यक, इलावृत, भद्राश्व, केतुमाल, हरि, किंपुरुष और, भारत.
उत्तर कुरु वर्ष
वाल्मीकि रामायण में इस प्रदेश का सुन्दर वर्णन है। कुछ विद्वानों के मत में उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश को ही प्राचीन साहित्य में विशेषत: रामायण और महाभारत में उत्तर कुरु कहा गया है. यह मत लोकमान्य तिलक ने अपने ओरियन नामक अंग्रेज़ी ग्रन्थ में प्रतिपादित किया था. वाल्मीकि ने जो वर्णन रामायण में उत्तर कुरु प्रदेश का किया है उसके अनुसार उत्तर कुरु में शैलोदा नदी बहती थी और वहाँ मूल्यवान् रत्न और मणि उत्पन्न होते थे.
सुग्रीव अपनी सेना को उत्तरदिशा में भेजते हुए कहता है कि 'वहाँ से आगे जाने पर उत्तम समुद्र मिलेगा जिसके बीच में सुवर्णमय सोमगिरि नामक पर्वत है. वह देश सूर्यहीन है किंतु सूर्य के न रहने पर भी उस पर्वत के प्रकाश से सूर्य के प्रकाश के समान ही वहाँ उजाला रहता है.' सोमगिरि की प्रभा से प्रकाशित इस सूर्यहीन उत्तरदिशा में स्थित प्रदेश के वर्णन में उत्तरी नार्वे तथा अन्य उत्तरध्रुवीय देशों में दृश्यमान मेरुप्रभा या अरोरा बोरियालिस नामक अद्भुत दृश्य का काव्यमय उल्लेख हो सकता है जो वर्ष में छ: मास के लगभग सूर्य के क्षितिज के नीचे रहने के समय दिखाई देता है. इसी सर्ग के 56वें श्लोक में सुग्रीव ने यह भी कहा कि उत्तर कुरु के आगे तुम लोग किसी प्रकार नहीं जा सकते और न अन्य प्राणियों की ही वहाँ गति है.'
महाभारत सभा पर्व में भी उत्तर कुरु को अगम्य देश माना है. अर्जुन उत्तर दिशा की विजय-यात्रा में उत्तर कुरु पहुँच कर उसे भी जीतने का प्रयास करने लगे. इस पर अर्जुन के पास आकर बहुत से विशालकाय द्वारपालों ने कहा कि 'पार्थ; तुम इस स्थान को नहीं जीत सकते. यहाँ कोई जीतने योग्य वस्तु दिखाई नहीं पड़ती. यह उत्तर कुरु देश है. यहाँ युद्ध नहीं होता, कुंतीकुमार, इसके भीतर प्रवेश करके भी तुम यहाँ कुछ नहीं देख सकते क्योंकि मानव शरीर से यहाँ की कोई वस्तु नहीं देखी जा सकती'
इलावृत वर्ष
पुराणों के अनुसार इलावृत चतुरस्र है. वर्तमान भूगोल के अनुसार पामीर प्रदेश का मान 150X150 मील है अतः चतुरस्र होने के कारण यह 'पामीर' ही इलावृत है. इलावृत से ही ऐरल सागर, ईरान आदि क्षेत्र प्रभावित हैं.
आज के किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, मंगोलिया, तिब्बत, रशिया और चीन के कुछ हिस्से को मिलाकर इलावृत बनता है. मूलत: यह प्राचीन मंगोलिया और तिब्बत का क्षेत्र है. एक समय किर्गिस्तान और तजाकिस्तान रशिया के ही क्षेत्र हुआ करते थे. सोवियत संघ के विघटन के बाद ये क्षेत्र स्वतंत्र देश बन गए.
आज यह देश मंगोलिया में 'अतलाई' नाम से जाना जाता है. 'अतलाई' शब्द इलावृत का ही अपभ्रंश है. सम्राट ययाति के वंशज क्षत्रियों का संघ भारतवर्ष से जाकर उस इलावृत देश में बस गया था. उस इलावृत देश में बसने के कारण क्षत्रिय ऐलावत (अहलावत) कहलाने लगे.
इस देश का नाम महाभारतकाल में ‘इलावृत’ ही था. जैसा कि महाभारत में लिखा है कि श्रीकृष्णजी उत्तर की ओर कई देशों पर विजय प्राप्त करके ‘इलावृत’ देश में पहुंचे. इस स्थान को देवताओं का निवास-स्थान माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं से ‘इलावृत’ को जीतकर वहां से भेंट ग्रहण की.
हिरन्यमय वर्ष
इस वर्ष की स्थिति श्वेत पर्वत के उत्तर में तथा श्रुंगवान पर्वत के दक्षिण में है. यहीं पर हिरण्यवति नदी प्रवाहित होती है. यहां के लोग भगवान कच्छ की उपासना करते थे
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रम्यक वर्ष
वायुपुराण नीलपर्वत के बाद रम्यकवर्ष का होना बतलाता है. यह प्रदेश यूराल पर्वत की तराई होने के कारण सुन्दर है तथा पहाड़ी प्रदेश यहाँ बहुत कम है. बहुत सम्भव है, इस रम्यक-भूमि के उत्तर यूराल की पर्वतश्रेणी में कोई श्वेतपर्वत भी रहा हो.
इस प्रदेश में मनु को भगवान के मत्स्यावतार के दर्शन हुए थे.
भद्राश्व वर्ष
यह प्रदेश इलावृत के पूर्व में है । बीचमें माल्यवान पर्वत है. यहां के निवासी हयग्रीव की उपासना करते थे.
केतुमाल वर्ष
इलावृत के पश्चिम में केतुमल वर्ष है. दोनो के बीच गन्धमादन पर्वत ( हिन्दुकुश की ख्वाजा महम्मद श्रेणी) है. उत्तर में नील पर्वत ( जरफ्शान-ट्रान्स- अलाई-तियानशान ) ह�� तथा पश्चिम में पश्चिम सागर ( केस्पियन सी ) है.
हरि वर्ष
इस की स्थिति इलावृत के दक्षिण में है, यहां के निवासी भगवान नरसिंह की उपासना करते थे.
किंपुरुष वर्ष
इस प्रदेश की स्थिति उत्तर में हेमकुट (लड्डाख-कैलाश श्रेणी) तथा दक्षिण में हिमालय तक है. यहां के निवासी राम की उपासना करते थे.
भारत वर्ष
इसका वर्णन करने की जरूरत नही है, हम सब इस में तो रहते हैं.
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३६ लाख साल के मानवजात के इतिहास में ६० हजार साल पहले भारत वर्ष में सभ्यता का उदय होना और पूरे एसिया खंड में फैल कर में जंबूद्वीप का अस्तित्व में आना कल की ही बात हो जाती है. लेकिन वो मानव सभ्यता का आरंभ था.
ऐसे ही ६० हजार साल के मानव सभ्यता के इतिहास में १३००० साल पहले राम और कृष्ण का आना भी कल की ही बात हो जाती है.
लेकिन सुनहरे कल को भुलाने के लिए आज की औलाद "कल की न करो बात, बात करो आज की" के सुत्र से आज की सुबह को केवल ६ हजार साल तक ही पिछे ले जाते हैं. इस से पहले की कोइ बात सामने आती है तो वो मिथ हो जाता है.
इन ६ हजार साल के अंदर ही हवा में बातें करता उनका एकमेव इश्वर पैदा हो जाता है, हवा में से ही आदम और हौवा पैदा होते है और ६ हजार साल में ही धरती को आबादी से भर देते है. बीच में तो पूरी धरती पर प्रलय की भी योजना बनाई थी और एक नाव भर के आदम के वारिस नूहने नाव भर के मानव सहित कुछ जीव बचा लिए थे. उन के मतानुसार आज की आबादी का इतिहास ४-५ हजार साल से ज्यादा नही है, सब नाव में बैठे मानवों की संतान हैं.
कहने का मतलब यह है कि भारत के शत्रुपक्ष के इतिहासकारों ने मानव सभ्यता के इतिहास को बहुत छोटा कर दिया है, वैदिक काल को महज इसा के पहले १५०० बर्ष बताकर आज के नजदिक लाकर खडा कर दिया है. उनका इरादा शुध्ध काजल की तरह काला था. भारत के लोगों को उनके पुरखों का इतिहास भुलाना था और अपने खूद देशों के लोगों को पता नही लगने देना था कि उनके पूरखें कौन थे कैसे थे.
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जंबूद्वीप का बनाना आसान नही था. धर्म और अधर्म के युध्ध सतत चलते रहे हैं; - देवासुर संग्राम, भगवान शिवजी का त्रिशुल, भगवान विष्णु के विविध अवतार के संघर्ष, भगवान परशुराम के अनेक बार किए संघर्ष, राजाओं के छोडे अश्वमेघ के धोडे. भगवान कृष्ण का समय आते आते तो दक्षिण एसियाई देश, अरब, उत्तर आफ्रीका और युरोप भी जंबूद्वीप में शामिल हो गये थे.
डॉ जयशंकर शुक्ल
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चीन, भारत सीमा मुद्दे पर 'सुचारू' संवाद बनाए रखें: चीनी विदेश मंत्रालय
चीन, भारत सीमा मुद्दे पर ‘सुचारू’ संवाद बनाए रखें: चीनी विदेश मंत्रालय
द्वारा एएनआई
बीजिंग: चीन और भारत ने सीमा गतिरोध पर सुचारू संचार बनाए रखा और संवाद प्रभावी है, चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा।
यह टिप्पणी पिछले महीने भारत की ओर चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक बिंदु पर आयोजित भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 16वें दौर की बैठक के मद्देनजर आई है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने शेष घर्षण बिंदुओं पर सीमा पर विघटन पर एक सवाल के जवाब में कहा, “चीन और भारत सीमा प्रश्न पर सहज संचार…
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भारत, चीन निर्णायक? "प्रारंभिक, पूर्ण विघटन" पर चर्चा की गई
भारत, चीन निर्णायक? “प्रारंभिक, पूर्ण विघटन” पर चर्चा की गई
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत-चीन वार्ता की
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आज चीन के विदेश मंत्री वांग यी से कहा कि सीमा पर घर्षण के बिंदुओं पर “सैनिकों को जल्दी और पूरी तरह से हटाना” दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों को बहाल करने की कुंजी है।
श्री डोभाल ने द्विपक्षीय संबंधों को “प्राकृतिक मार्ग लेने” की अनुमति देने के लिए…
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नाटो: यूक्रेन संकट के परिणामस्वरूप नाटो के विस्तार के रूप में यूएस इंडो-पैसिफिक रणनीति 'खतरनाक': चीन
नाटो: यूक्रेन संकट के परिणामस्वरूप नाटो के विस्तार के रूप में यूएस इंडो-पैसिफिक रणनीति ‘खतरनाक’: चीन
बीजिंग: यू.एस. भारत-प्रशांत रणनीति “खतरनाक” के रूप में है नाटोएक वरिष्ठ चीनी राजनयिक ने कहा है कि रूस यूरोप में अपने पूर्व की ओर विस्तार के परिणामस्वरूप यूक्रेन के खिलाफ सैन्य आक्रमण शुरू कर रहा है। “सोवियत संघ के विघटन के साथ, नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) को वारसॉ संधि के साथ इतिहास में नीचे जाना चाहिए,” चीनी उप विदेश मंत्री ने कहा। ले युचेंग उन्होंने शनिवार को सिंघुआ यूनिवर्सिटी के सेंटर…
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गतिरोध वार्ता: भारत, चीन ने 'शीघ्र समाधान' पर चर्चा की, जल्द ही सैन्य वार्ता करने पर सहमति
गतिरोध वार्ता: भारत, चीन ने ‘शीघ्र समाधान’ पर चर्चा की, जल्द ही सैन्य वार्ता करने पर सहमति
भारत और चीन शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर “शेष मुद्दों” का शीघ्र समाधान खोजने की आवश्यकता पर सहमत हुए। वस्तुतः आयोजित भारत-चीन सीमा मामलों (डब्लूएमसीसी) पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 22वीं बैठक में, दोनों पक्ष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के अगले (12वें) दौर को जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए। एलएसी के साथ सभी घर्षण बिंदुओं से…
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भारत-चीन सीमा मुद्दा: यथास्थिति में किसी भी बदलाव के लिए सहमत नहीं होंगे, एस जयशंकर कहते हैं | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
भारत-चीन सीमा मुद्दा: यथास्थिति में किसी भी बदलाव के लिए सहमत नहीं होंगे, एस जयशंकर कहते हैं | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
23 फरवरी, 2022, 01:52 अपराह्न ISTस्रोत: एएनआई
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 22 फरवरी को पेरिस में IFRI में एक बातचीत के दौरान, फ्रांस ने कहा कि कई घर्षण बिंदुओं में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, कुछ बिंदु हैं जिन्हें अभी भी सुलझाया जाना बाकी है और भारत इसमें बदलाव के लिए सहमत नहीं होगा। यथास्थिति। “हमारी सेना के कमांडरों द्वारा 13 दौर की चर्चा हुई, जो विघटन पर केंद्रित थी। नतीजतन, हमने कई…
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चीन 1962 से कब्जे वाले क्षेत्र में पैंगोंग पुल का निर्माण कर रहा है: सरकार | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
चीन 1962 से कब्जे वाले क्षेत्र में पैंगोंग पुल का निर्माण कर रहा है: सरकार | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को दोहराया संसद चीन पैंगोंग झील पर जो पुल बना रहा है वह उन क्षेत्रों में स्थित है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं और भारत ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। में एक लिखित प्रश्न का उत्तर देना लोकसभाविदेश मामलों के कनिष्ठ मंत्री वी मुरलीधरनी यह भी कहा कि पूर्व के लिए भारत का दृष्टिकोण लद्दाख एलएसी विघटन वार्ता तीन प्रमुख सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होती…
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