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बसंत पंचमी ,नया कामकाज शुरू करने के लिए साथ ही अनसूझा विवाह के लिए है बहुत शुभ, बन रहे हैं चार शुभ योग
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बसंत पंचमी ,नया कामकाज शुरू करने के लिए साथ ही अनसूझा विवाह के लिए है बहुत शुभ, बन रहे हैं चार शुभ योग
बसंत पंचमी का महत्व ज्ञान और शिक्षा से जोड़कर माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विद्या, कला, विज्ञान, ज्ञान और संगीत की देवी, माता सरस्वती का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
परमपरा अनुसार हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ वहीं इस दिन से वसंत के मौसम की शुरुआत भी माना जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा करने की परंपरा है।
मां शारदे की पूजा के साथ-साथ इस दिन को नया कामकाज शुरू करने के लिए साथ ही अनसूझा विवाह के लिए बहुत शुभ माना गया है।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस भी है।पंचांग के मुताबिक माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से आरंभ हो रही है, जो अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि को आधार मानते हुए बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार सरस्वती पूजा के दिन चार शुभ योग- शिव योग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बने रहे हैं। आपको बता दें कि रवि योग 26 जनवरी की शाम 06 बजकर 56 मिनट से आरंभ हो रहा है और यह अगले दिन 27 जनवरी को सुबह 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। रवि योग को ज्योतिष में बेहद शुभ योग माना गया है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 26 जनवरी की शाम 06:58 बजे से आरंभ हो रहा है, जो 27 जनवरी को सुबह 07:11 बजे ��क रहेगा। ज्योतिष के अनुसार इस योग में जो भी काम किया जाता है। वह सिद्ध हो जाता है।
हिन्दू धर्म में ��ां सरस्वती विद्या, संगीत और बुद्धि की देवी मानी गई हैं। देवीपुराण में सरस्वती को सावित्री, गावत्री, सती, लक्ष्मी और अंबिका नाम से संबोधित किया गया है। प्राचीन ग्रंथों में इन्हें वाग्देवी, वाणी, शारदा, भारती, वीणापाणि, विद्याधरी, सर्वमंगला आदि नामों से अलंकृत किया गया है। यह संपूर्ण संशयों का उच्छेद करने वाली तथा बोधस्वरूपिणी हैं। ये संगीतशास्त्र की भी अधिष्ठात्री देवी हैं। ताल, स्वर, लय, राग-रागिनी आदि का प्रादुर्भाव भी इन्हीं से हुआ है सात प्रकार के स्वरों द्वारा इनका स्मरण किया जाता है, इसलिए ये स्वरात्मिका कहलाती हैं। सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्रदान करने के कारण ही इनका नाम सरस्वती है। वीणावादिनी सरस्वती संगीतमय आह्लादित जीवन जीने की प्रेरणावस्था है। वीणावादन शरीर यंत्र को एकदम स्थैर्य प्रदान करता है। इसमें शरीर का अंग-अंग परस्पर गुंथकर समाधि अवस्था को प्राप्त हो जाता है । साम-संगीत के सारे विधि-विधान एकमात्र वीणा में सन्निहित हैं।
वाक् (वाणी) सत्त्वगुणी सरस्वती के रूप में प्रस्फुटित हुआ। सरस्वती के सभी अंग श्वेताभ हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि सरस्वती सत्त्वगुणी प्रतिभा स्वरूपा हैं। इसी गुण की उपलब्धि जीवन का अभीष्ट है। कमल गतिशीलता का प्रतीक है। यह निरपेक्ष जीवन जीने की प्रेरणा देता है। हाथ में पुस्तक सभी कुछ जान लेने, सभी कुछ समझ लेने की सीख देती है।
देवी भागवत के अनुसार, सरस्वती को ब्रह्मा, विष्णु, महेश द्वारा पूजा जाता है । जो सरस्वती की आराधना करता है, उसमें उनके वाहन हंस के नीर-क्षीर-विवेक गुण अपने आप ही आ जाते हैं। माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है, तब संपूर्ण विधि-विधान से मां सरस्वती का पूजन करने का विधान है। लेखक, कवि, संगीतकार सभी सरस्वती की प्रथम वंदना करते हैं। उनका विश्वास है कि इससे उनके भीतर रचना की ऊर्जा शक्ति उत्पन्न होती है। इसके अलावा मां सरस्वती देवी की पूजा से रोग, शोक, चिंताएं और मन का संचित विकार भी दूर होता है। इस प्रकार वीणाधारिणी, वीणावादिनी मां सरस्वती की पूजा-आराधना में मानव कल्याण का समग्र जीवनदर्शन निहित है।
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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।लोक केसरी किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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भारतीय वैदिक ज्योतिष: नौकरी में आ रही समस्या को दूर करने के लिए ये विशेष उपाय हैं
भारतीय वैदिक ज्योतिष: नौकरी में आ रही समस्या को दूर करने के लिए ये विशेष उपाय हैं
जीवन में ग्रह और नक्षत्रों के प्रभाव से ज्योतिष के अनुसार सुख और दुःख का चक्र हमेशा चलता रहता है। खुशी में जहां हमें कोई तकलीफ नहीं होती है, वहीं दुःख में इंसान टूटकर रह जाता है। हम सबकी जिंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं जब हमें लगातार संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन सफलता और खुशी फिर भी हमारी पहुंच से दूर रहती हैं। दुःखों को दूर करने के लिए हम कई तरह की कोशिशें भी करते हैं। साथ ही कोशिशों के तहत हम कई…
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Astrologer Parveen Bharti
नमस्कार दोस्तों...🙏 म��ं ज्योतिष परवीन भारती को आप अपनी जन्म कुंडली दिखा कर जान सकते हो, आपके भाग्य में किया निहित है Watch Youtube Channel: https://youtu.be/fwvMxTlF_os Direct Contact Me : ✆ +91-9773529116 You Visit Our Office: A 30, Sarwan Road, Block C, Near: Adarsh Nagar Metro Station, New Delhi, 110033
@astroparveenbharti @astrologerindelhiblog-blog @astrologerindelhiblog-blog
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Best Palmist Astrologer Service Provider जीवन की किसी भी समस्या का हल पाएं: ज्योतिष प्रवीन भारती जी के ज्योतिषीय उपचार द्वारा
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1.वैदिक गणित (Vedic Mathematics),वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths?):
वैदिक गणित (Vedic Mathematics) एक ऐसी विधा है जिसके ज्ञान से गणित के प्रति विद्यार्थियों का भय समाप्त हो जाता है।बुद्धि कुशाग्र होती है और गणित की जटिल गणनाएं सरल हो जाती है।
वैदिक गणित भारतीय वैदिक साहित्य का शाश्वत ज्ञान का आदि स्रोत है।वैदिक ऋचाओं में गणित,ज्योतिष,खगोल विद्या,आयुर्वेद पद्धति के ज्ञान-विज्ञान की मानव के लिए उपयोगी पद्धतियों का विशद वर्णन है।
गणितज्ञ पुरी के शंकराचार्य भारतीकृष्ण तीर्थ द्वारा महान् गणितज्ञ भास्कराचार्य (द्वितीय) के लीलावती नामक ग्रंथ की जटिल गणितीय प्रश्नोत्तरी का शुगम हल 8 सूक्ष्म उदाहरणों द्वारा प्रस्तुत किया।
आधुनिक गणित में विद्यार्थियों को बने बनाए सूत्र दिए जाने से विद्यार्थियों की बुद्धि तथा तार्किक क्षमता का विकास नहीं हो पाता है।वैदिक गणित के सूत्र इस प्रकार के सूत्र हैं जो सूत्र निर्माण के साधन है,अतः विद्यार्थियों के बौद्धिक कौशल का विकास होता है।
स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी का वृहद् वैदिक मैथमेटिक्स जब 1981 लन्दन में “Introducing Lectures on Vedic Mathematics” प्रकाशित हुआ तो पाश्चात्य देशों के गणितज्ञ चकित रह गए।वैदिक गणित की गणनाएं कंप्यूटर के अनुकूल है।साथ ही वैदिक गणित में गणना मानसिक रूप से की जाती है जिससे मस्तिष्क का विकास होता है।
इसलिए वैदिक गणित को मानस गणित भी कहा जाता है।वैदिक गणित के सूत्र-उपसूत्रों आधारित विधियों के अभ्यास से गणित के कठिनतम प्रश्नों को हल किया जा सकता है। एक ही संक्रिया के लिए अनेक विधियों के उपलब्ध होने के कारण प्रश्न के प्रकार के अनुसार श्रेष्ठ विधि का चयन करके उत्तर शीघ्र प्राप्त किया जा सकता है।
भारतीय गणित के इतिहास में 1000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व का काल शुल्व काल अथवा वेदांत ज्योतिष काल कहा जाता है।इस काल में बौधायन,आपस्तम्ब,कात्यायन आदि अनेक भारतीय गणितज्ञों ने शुल्व सूत्रों की रचना कर रेखागणित के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।इसी काल में बौधायन द्वारा रेखागणित की एक प्रसिद्ध प्रमेय की रचना की गई।यह प्रमेय बौधायन प्रमेय कहलाती है।
इस प्रमेय को बाद में पाइथागोरस ने 540 ईसा पूर्व में प्रतिपादित किया था।बौधायन ने पाइथागोरस से 450 वर्ष पूर्व उक्त प्रमेय को प्रतिपादित किया था।इसलिए ��स प्रमेय को पाइथागोरस प्रमेय के स्थान पर बौधायन प्रमेय कहा जाना चाहिए।
महान् आर्यों ने हजारों वर्ष पूर्व शून्य व दशमलव पद्धति अंकों का आविष्कार किया।आज विश्व में आधुनिक गणित इसी शून्य व दशमलव अंक पद्धति के आधार पर विकसित हुई है।समस्त वैज्ञानिक खोजों तथा आविष्कारों में इसी गणित की गणनाओं का प्रयोग किया जाता है।यदि यह कहा जाए कि आधुनिक विज्ञान का विकास इसी शून्य व दशमलव अंक पद्धति के आधार पर हुआ है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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��ाल पहला चंद्रग्रहण 26 मई को
साल पहला चंद्रग्रहण 26 मई को
सेवा भारती समाचार जोधपुर। वर्ष 2021 का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को है। चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा को लगने वाला है। खगोल वैज्ञानिकों और ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो दुनिया के कई देशों में दिखाई देगा। हालांकि भारत में इसे देख पाना संभव नहीं होगा, इसलिए इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं माना जाएगा। हालांकि जो लोग चंद्र ग्रहण देखना चाहते हैं उन्हें भी ग्रहण के…
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नेहरु ने वसीयत में लिखा था कि उनका शव दहन हो और राख आसमान से भारत के खेतों में बिखराया जाय|”
अपने निधन के ठीक पांच दिन पूर्व जवाहरलाल नेहरु ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी| लम्बे सार्वजानिक जीवन की अंतिम (22 मई 1964) थी| उस शुक्रवार को उनकी काबीना के सूचना, प्रसारण एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. सत्यनारायण सिन्हा काफी आकुल थे| प्रधान मंत्री का स्वास्थ्य क्लांत था| फालिज का अंदेशा था| सभागार में जमा करीब दो सौ संवाददाता कई प्रश्न पूछने को उतावले थे| पहला प्रश्न कश्मीर पर था| प्रधान मंत्री ने ऐलान किया कि जेल से रिहा किये गए शेख मोहम्मद अब्दुल्ला “परसों इस्लामबाद जा रहे हैं| मार्शल मोहम्मद अयूब खान से वार्ता करेंगे|” फिर कुछ अन्य विषयों ��र भी सवाल हुए| उनमें अंतिम था कि : “पण्डित जी, आपने रिटायरमेंट के बारे में क्या सोचा है?” उत्तर सधा हुआ था : “जब भी यह प्रश्न पूछा जाता है, मैं रिटायरमेंट की सोचने लगता हूँ !” अगला जुड़ा हुआ प्रश्न था: “आराम करने कहीं पहाड़ पर जा रहे हैं क्या ?” नेहरु का जवाब था: “कल देहरादून जाऊंगा|” मगर गढ़वाल हिमालय से वे शीघ्र दिल्ली लौट आये| फिर 27 मई की प्रातः 4:30 बजे उनके ह्रदय की महाधमनी (Aorta) फट गई| कठिनाई से सांस लेते रहे| अपरान्ह 1:20 बजे, बुधवार 27 मई, वे चल बसे|
नास्तिक नेहरु अंतिम महीनों में आस्था और अनास्था के दरम्यान डोल रहे थे| अतः सत्यनारायण बाबू जो अपनी फितरतों के लिए विख्यात थे, पिछले साल भर से प्रधान मंत्री के दिल में प्राच्य विज्ञान के प्रति लगाव सर्जा रहे थे| आयुर्वेद को नेहरु भरोसेमंद नहीं मानते थे | मगर तब सेवन करने लगे थे| हालाँकि शीर्षासन बंद कर दिया था|
नेहरू की ज्योतिष में रूचि पैदा करने में सत्येन्द्रबाबू कई संयोगों के कारण सफल हुए| पहला इत्तिफाक था मौलाना अबुल कलाम आजाद की अकस्मात् मौत का| हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक रहे दुर्गा दास की किताब “इंडिया फ्रॉम नेहरु टू कर्जन एण्ड आफ्टर” (रूपा प्रकाशन 1981, पृष्ठ 375) में मौलाना आजाद की मृत्यु का उल्लेख है| सत्येन्द्रबाबू ने नेहरु से कहा था कि एक भविष्यवक्ता ने उनके स्नानागार में गिरने के बाद मौलाना का निधन निकट बताया है| नेहरु ने उन्हें झिड़का कि “विधान बाबू (डॉ. विधानचन्द्र राय, पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री) ने मौलाना की जांच की और बताया कि वे खतरे से बाहर हैं|” पर आजाद चौथे दिन जन्नतनशीन हो गये| सत्येन्द्रबाबू की विनय पर कि नेहरु की जन्मकुंडली ज्योतिषी को दिखा दी जाय, प्रधान मंत्री ने डांट लगायी| पर गुलजारीलाल नंदा के आग्रह पर नेहरु राजी हो गये| ज्योतिषी ने बताया कि चीन भारत पर हमला करेगा| दूसरा पूर्वानुमान था कि प्रधान मंत्री का कोई इष्ट मित्र उन्हें धोखा देगा| वीके कृष्ण मेनन, रक्षा मंत्री, लगातार पाकिस्त���न द्वारा हमले की आशंका जता रहे थे| चीन के प्रति आश्वस्त थे| दोनों भविष्यवाणियाँ सच हुईं| जब मई 1964 को नेहरु भुवनेश्वर की यात्रा से लौट आये थे तो एक पण्डित ने कालकाजी मन्दिर (द���ल्ली) में महामृत्युंजय पाठ कराया था| रोज शाम तीन मूर्ति भवन आकर पुजारीजन नेहरु के माथे पर लाल तिलक लगाते थे| हालाँकि निश्चयात्मक तरीके से बता दिया गया था कि नेहरु जी मई का अंत नहीं देख पाएंगे| नेहरु के साथ 1925 से आजीवन परिचित रहे दुर्गा दास ने लिखा (पृष्ठ 376) कि नेहरु का भविष्य वक्ताओं की ओर आखिरी दिनों में आकृष्ट होना उन्हें खुद अचंभित करता था|
यहाँ मेरे अपने अनुभव का भी जिक्र मैं कर दूं| नेहरू सच्चे सोशलिस्टों की भांति अनीश्वरवादी और भौतिकवादी रहे| लखनऊ के दैनिक “नेशनल हेराल्ड” के चेयरमैन होने के नाते वे यदा कदा संपादक (मेरे पिता स्व. के. रामा राव) के निवास (दीक्षित बिल्डिंग, नजरबाग) पर आया करते थे| (अब वह सड़क “के. रामा राव मार्ग” कहलाती है|) नेहरु का बच्चों से अतीव स्नेह रहा था| वे चाचा कहलाते थे| इसी सिलसिले में बम्बई की घटना बता दूं| अपने जीवन में आल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC ) के अंतिम अधिवेशन में शामिल होने महाराष्ट्र की राजधानी नेहरु आये| उत्तर मुंबई के दक्षिण भारतीय-बहुल माटुंगा में षड्मुखानन्द सभागार में 14 मई 1964 के दिन अधिवेशन था| समीप के ब्राह्मणवाडा रोड पर मैं रहता था| टाइम्स ऑफ़ इंडिया के चीफ रिपोर्टर वी. नागभूषण राव ने मुझे एक रपट तैयार करने को कहा| तब उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के भूभाग को काट कर नया हिंदीभाषी राज्य हरियाणा प्रस्तावित था| मुझे उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं का अभिमत संकलित करना था| तभी पं. कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, बाबू बनारसी दास, चरण सिंह आदि से साक्षात्कार हुआ।
भव्य मंच के समीप मैं मंडराता रहा| हमेशा की भांति मसनद को टेककर पद्मासन में बैठने के बजाय, नेहरु एक कुर्सी पर विराजे थे| थके, पस्त दिख रहे थे| तभी एक बालक उनके पास ऑटोग्राफ के लिए आया| किसी नेता का पुत्र था| नेहरु ने उस बालक को न छुआ, न चूमा, न आशीर्वाद दिया| शुष्क रहे| मैंने साथियों से चर्चा की कि “14 नवम्बर (बाल दिवस) वाले चाचा नेहरु” अब निश्शेष लग रहे हैं| भुवनेश्वर में हुए पक्षाघात का प्रभाव दिख रहा था| बस तेरहवें दिन वे चले गए|
बुधवार, 27 मई 1964, अविस्मर्णीय रही| हम तीन पत्रकार साथी मुंबई में एक टैक्सी से गेटवे ऑफ़ इंडिया जा रहे थे| साप्��ाहिक अवकाश का दिन था| दोपहर का समय था| एलिफेंटा तक समुन्दरी सैर का इरादा था| दादाभाई नवरोजी रोड पर से हम गुजरे| फ्लोरा फाउंटेन के पास मैंने देखा पीटीआई ऑफिस की बालकोनी पर तिरंगा आधा झुका था| तत्काल मैंने टैक्सी घुमवाई| वापस दफ्तर (टाइम्स ऑफ़ इंडिया) आये| लोकसभा में कुछ देर पूर्व ही वित्त मंत्री सी. सुब्रह्मण्यम ने रुंधे गले से प्रधान मंत्री के निधन की सूचना दी थी| चीफ रिपोर्टर ने काम सौंपा कि मुम्बई में बसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख नागरिकों का संदेशा मुझे संकलित करना है | पण्डित राममनोहर त्रिपाठी ने बड़ी मदद की| वे नवभारत टाइम्स के प्रिय समाचार स्रोत थे| महाराष्ट्र कांग्रेस काबीना में मंत्री रह चुके थे| तभी धर्मयुग के संपादक डॉ. धर्मवीर भारती ने अपने साप्ताहिक में विशेष श्रद्धांजलि लेख मुझसे लिखवाया था|
उस दौर में कई पत्रकार साथियों ने बताया कि डॉ. राममनोहर लोहिया ने नेहरु के निधन पर कोई शोक संवेदना नहीं व्यक्त की| यह भ्रामक है, असत्य है| लोहिया मई 1964 में जैक्सन नगर (मिसीसिपी प्रदेश, दक्षिणी अमेरिका) के एक रेस्तरां में अश्वेतों पर लगे प्रवेश निषेध का विरोध करने पर गिरफ्तार किये गए थे| अमरीकी जेल में थे | इस वारदात पर राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने डॉ. लोहिया से क्षमा याचना भी की थी| पर लोहिया ने अपील की कि समतामूलक लोकतंत्र में इस नस्लभेद पर स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी (स्वतंत्रता की देवी) से राष्ट्रपति क्षमा याचना करें| भारत वापस आने पर डॉ. लोहिया ने नेहरु की मृत्यु पर हार्दिक शोक व्यक्त किया| उनके शब्द थे : “यदि बापू मेरा सपना थे, तो जवाहरलाल मेरी अभिलाषा|” पत्रकारों ने विस्तृत (नमकीन) संदेशा माँगा तो लोहिया ने कहा कि छः माह तक वे नेहरु पर कुछ नहीं बोलेंगे| पर प्रेस की जिद पर लोहिया बोले : “नेहरु ने अपनी संपत्ति अपने परिवार को दे दी| भस्म देश को दिया|” नेहरु ने वसीयत में लिखा था कि उनका शव दहन हो और राख आसमान से भारत के खेतों में बिखराया जाय|” आनंद भवन पुत्री को दे दिया|
https://is.gd/EirKfY #NehruWroteInAWillThatHisBodyBeBurntAndTheAshesScatteredFromTheSkyInTheFieldsOfIndia Nehru wrote in a will that his body be burnt and the ashes scattered from the sky in the fields of India. In Focus, Top #InFocus, #Top KISAN SATTA - सच का संकल्प
#Nehru wrote in a will that his body be burnt and the ashes scattered from the sky in the fields of India.#In Focus#Top
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भारती एयरटेल को मार्च तिमाही में 5,237 करोड़ रुपये का घाटा मेष लग्नराशि (Aries):➤ कलाशांति ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल 18 मई से 24 मई तक :- ॐ इस सप्ताह मेष राशि वालों को शुरुआत में धन खर्च की अधिकता परेशान कर सकती है। आपका पारिवारिक तथा वैवाहिक जीवन अच्छा व्यतीत होगा। इस सप्ताह आपका सामाजिक दायरा बढ़ सकता है। क्रोध की मात्रा में वृद्धि संभव है अतः संयम बनाये रखे। धन लाभ को लेकर इस सप्ताह स्थितियां आपके पक्ष में बनी रहेगी। सेहत का ध्यान रखे बुखार, सिर दर्द जैसी समस्या आपको दिक्कत दे सकती है।
#Airtel#Bharti Airtel#Bharti Airtel reports fourth quarter#indian telecom operator#loss of over Rs 5200 crore
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इस बार सरस्वती पूजा 29 जनवरी को है या 30 जनवरी को, इस पर मतभेद है। कई ज्योतिष के जानकार मान रहे हैं कि पंचमी तिथि का प्रवेश 29 जनवरी को हो रहा है। इसलिए वसंत पंचमी 29 को ही मनायी जायेगी। वहीं, कुछ विद्वानों का मानना है कि 29 जनवरी को पंचमी तिथि के प्रवेश सूर्योदय के एक प्रहर के बाद हो रहा है। ऐसे में उस दिन वसंत पंचमी मनाना सही नहीं है। वहीं 30 जनवरी का सूर्योदय पंचमी तिथि में हो रहा है, इसलिए 30 जनवरी को ही वसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा मनायी जानी चाहिए। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार पंचमी तिथि का प्रवेश 29 जनवरी ( बुधवार ) की सुबह 10.45 बजे और समापन अगले दिन गुरुवार को दोपहर 01.19 बजे होगा। दरअसल, 30 जनवरी यानी गुरुवार को पंचमी तिथि में सूर्योदय हो रहा है। ऐसे में 30 जनवरी को सरस्वती पूजा मनाना उत्तम होगा। लोक मान्यता के अनुसार, 30 जनवरी को पंचमी तिथि में सूर्योदय हो रहा है, अर्थात उदया तिथि मानकर 30 जनवरी को पूरे दिन सरस्वती पूजा की जा सकती है। मां सरस्वती के 12 नाम प्रथम भारती नाम, द्वितीय च सरस्वती, तृतीय शारदा देवी, चतुर्थ हंसवाहिनी, पंचमम् जगतीख्याता, षष्ठम् वागीश्वरी तथा सप्तमम् कुमुदीप्रोक्ता, अष्ठमम् ब्रह्मचारिणी, नवम् बुद्धिमाता च दशमम् वरदायिनी, एकादशम् चंद्रकांतिदाशां भुवनेशवरी, द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेनर: जिह्वाग्रे वसते नित्यमं ब्रह्मरूपा सरस्वती सरस्वती महाभागे विद्येकमललोचने विद्यारूपा विशालाक्षि विद्या देहि नमोस्तुते।। source https://www.patrika.com/festivals/saraswati-puja-2020-date-time-and-name-of-maa-saraswati-5697030/
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/blog-post_689.html
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जयघोष नमो-नमो का स्वर घर-घर,बढ़ी फिर से शान। विश्वमंच पुनः उभर रही , भूली हुयी पहचान। उभरे नूतन छवि पटल पर , होते सफल प्रयास। योग दिवस की धमक गूंजती,होता दीप्त इतिहास। अर्थ सभ्यता - संस्कृति का , समझ रहा संसार। देश - देश में जा सिखलाया, सब धर्मों का सत्कार। ताजमहल पर भारी पड़ते , अब काशी के घाट | परदेशी-हुक्कामो के सिर, बोले भारती के ठाठ | आयुर्वेद शून्य दशमलव ज्योतिष , सब सौगात | नतमस्तक दुनियाँ,थाती लूटे फिर भी करे आघात | ऋग्वेद प्रथम विश्वग्रन्थ , और सहिंतायेँ समग्र उपाय | मति-मैकाली,दुरभि-व्याख्या द्वेष-पाखण्ड बड़ी हाय | देख रहा है कालसाक्षी , अँगड़ाता चहु नया जोश | निकलें स्वप्नों का भारत रचने, हर-हर उठता घोष | गुंजन अग्रवाल
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अभिनेता खनालले जिते अवार्ड काठमाडौं, जेठ ८ । नेपालका चर्चित कलाकार तथा सञ्चारकर्मीले अन्तर्राष्ट्रिय अवार्ड पाएका छन्। राजधानीको होटल अन्नपूर्णमा नेशनल इस्टिच्युट फर एजुकेशन भारत र एसिएस मिडिया कर्पोरेसनको संयुक्त आयोजनामा भएको इन्डो नेपाल हार्मोनी अवार्ड २०१७ नायक सरोज खनाल, हास्य कलाकार किरण केसी, नायिका सारिका घिमिरे तथा सञ्चारकर्मी तथा कलाकार राजेन्द्र लुईटेलले पाएका छन्। त्यसैगरी भारतका वरिष्ठ व्युटिसियन भारती तनेजा, ज्योतिष जय मदान लगायतका नेपाल तथा भारतका विभिन्न पेशा तथा व्यवसायमा संलग्न व्यक्तिहरुलाई विभिन्न विद्यामा अवार्ड प्रदान गरिएको थियो। प्रमख अतिथि पशुपतीनाथका मुख्य पुजारी रावल श्री गणेश मुल भट् तथा विशेष अतिथी नेपाल केशरी डा। श्रीमनी भद्र मुनीजी महाराज रहेका थिए । यो वर्ष नेपालमा अवार्ड वितरण गरिएको छ भने अर्को वर्ष भारतमा गर्ने आयोजक संस्थाले जनाएको छ। कार्यक्रमका मुख्य आयोजक संस्थाका प्रमुख प्रो। डा। अभिराम कुलश्रेष्थले नेपाल भारत संस्कृतिलाई निकट एवं दुवै देशका नागरिकहरु विच आत्मीयता, सद्भाव कायम राख्न मद्धत पुग्ने अपेक्षा विश्वास व्यक्त गरे । कार्यक्रममा आयोजक कमिटी उपाध्यक्ष तथा नेपाल भारत मैत्री अस्पतालका अध्यक्ष डा. श्याम खड्काले कार्यक्रमका उद्देश्य वारेमा प्रष्ट पार्दै यो कार्यक्रमले दुवै देशका नागरिक विच आपसी समझदारी भाईचारा प्रगाढ हुने विस्वास व्यक्त गरेका थिए । कार्यक्रममा नेपाल तथा भारतका प्रतिष्ठित व्यक्तिहरुको उपस्थिति रहेको थियो।
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एक बहुत ही विशेष वर्ष के भारतीय: हिंदुस्तान का नववर्ष अप्रैल २०२१ से: जानिए कैसा रहेगा देश व दुनिया के लिए ...
एक बहुत ही विशेष वर्ष के भारतीय: हिंदुस्तान का नववर्ष अप्रैल २०२१ से: जानिए कैसा रहेगा देश व दुनिया के लिए …
भारत के लिए एक महान वर्ष होगा … 2020 की समाप्ति के साथ ही 2021 शुरुआत हो चुकी है, जबकि ये भी हर कोई नहीं जानता है कि अंग्रेजी वर्ष 2020 किसी भी स्थिति में दुनिया के लिए सुखद शब्दों द्वारा नहीं गया है। ऐसे में हम आज आपके आने वाले नए हिंदू वर्ष यानि नए संवत्सर 2078 के बारे में बताने जा रहे हैं। जो 13 अप्रैल 2021 से शुरू होकर अप्रैल 2022 तक रहेगा। इस नवसंवत्सर 2078 के राजा तो मंगल हैं ही मंत्री भी…
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Vastu is deciding the right direction of the different aspects at any place. People are always asking, why is Vastu so important? If you do not believe in Vastu Tips and Vastu Art then you may miss the chance for changing the directions of your home in the right way. Vastu is the simple word, but the area and key aspects of the word are so much broad. We all hope for the good and balanced life and we don’t want to face any problem in our life. Nowadays the trend of building construction is completely depending on the Vastu. People are constructing their home and commercial places as per the Vastu Rules and Regulations. You may always want calmness, peace, and prosperity in your home. You know what; with the directions of Vastu in Home, you can get the peace and wealth.
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VEDIC JYOTISH वैदिक ज्योतिष से जन्म कुंडली का सही विश्लेषण- ज्योतिष प्रवीन भारती जी द्वारा
Read More PALMISTRY हाथ की रेखाएं बताएगी कैसा होगा आपका भविष्य? कब मिलेगी सफलता?
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कैसे जाने जन्म का सही समय व् दिन हस्तरेखा विज्ञानं द्वारा?
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