#वैदिक ज्योतिष का संस्थान
Explore tagged Tumblr posts
indlivebulletin · 2 months ago
Text
3 नवंबर को मनाया जायेगा भाई दूज का पर्व, पूरा दिन होगा शुभ मुहूर्त
जम्मू, 30 अक्टूबर (हि.स.)। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज पर्व के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के प्यार को सुदृढ़ करने का त्यौहार है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाये जाते हैं। पहला रक्षाबंधन जो कि श्रावण मास…
0 notes
everynewsnow · 4 years ago
Text
गीता जयंती 2020: गीता जयंती 25 दिसंबर को, जीवन का सार ये महाग्रंथ है
गीता जयंती 2020: गीता जयंती 25 दिसंबर को, जीवन का सार ये महाग्रंथ है
गीता: अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान से भीतर को करता है रोशन … गीता जयंती प्रित्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को गीता का उपदेश दिया था। इस कारण से इस तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाते हैं। जानकारों के अनुसार आज से लगभग 5 हजार साल पहले द्वापर युग के दौरान…
View On WordPress
0 notes
mahayagam2022 · 3 years ago
Text
“आजादी का अमृत महोत्सव” के ऐतिहासिक शुभ अवसर पर विश्वशांति के कल्याणार्थ हेतु महायज्ञ का भव्य आयोजन।
Tumblr media
नई दिल्ली। नमो सद्भभावना समिति के तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के ऐतिहासिक शुभ अवसर पर वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए  भारत देश की आजादी के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मनाने और संपूर्ण भारत और विश्व के समग्र कल्याण के लिए अप्रैल माह के तृतीय सप्ताह में दिनांक 21 से 24 अप्रैल 2022 तक 'आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर', छतरपुर, नई दिल्ली में समस्त भारतवर्ष एवं विश्व के समग्र कल्याण हेतु एक भव्य महायज्ञ विश्व शांति महायज्ञम-2022' का आयोजन किया जा रहा है।
विश्वशांति महायज्ञ में भारतवर्ष के अनेक मठों के मठाधीश्वरों, पीठाधीश्वरों, तथा शंकराचार्यों एवं राजनेताओं को आमंत्रित किया गया है।ज्ञात हो कि इस महायज्ञ में हिंदू महासभा द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है।हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा पंडित नंदकिशोर मिश्र ने कहा है कि भारत ने हमेशा से ही विश्वशांति का संदेश दिया है और पूरे विश्व में शुभ संस्कृति का प्रचार किया है। “नमो सद्भभावना समिति” के बैनर तले आयोजित होने वाले विश्वशांति महायज्ञ 2022 के मुख्य कार्यदर्शि मुरली कृष्णा और सदस्य श्रीमती कोनेरू रमादेवि श्रीधर, प्रवेश पांडेय, विभाकर मिश्र, संदीप कालिया,राजेश सिंह एवम  सलाहकार ‘श्रीनिवास गजल’ ने इस बारे में बताया कि उक्त महायज्ञ में भगवान गणपति, भगवान धनवंतरी, भगवान सूर्यनारायण, भगवान रुद्र तथा शांति माता का आह्वाहन करते हुए महायज्ञ का प्रारंभ 21 अप्रैल 2022 तथा समापन 24 अप्रैल 2022 को संपन्न होगा। लोक एवं विश्व कल्याण के लिए होने वाले इस महायज्ञ में लगभग 500 से भी अधिक वैदिक पुरोहित,अगम पंडित एवं विभिन्न मठाधीशपति संपूर्ण भारत से उपस्थित होकर महायज्ञ को संपन्न कराएंगे।दिनांक 21 से 24 अप्रैल तक आयोजित होने वाले इस महायज्ञ में अलग-अलग दिन अलग-अलग उत्सवों का आयोजन किया जाएगा। महायज्ञ क़े प्रथम दिन सिद्धि -बुद्धि प्रदाता श्री गणेश कल्याण-पुजन, द्धितीय दिवस श्री शिवगामी नटराजन कल्याण-पुजन, तृतीय दिवस श्री वल्ली देवसेना सुब्रमण्येश्वरा स्वामी (कार्तिकेय) कल्याण-पुजा और चतुर्थ दिवस अयोध्यापति श्री सीता राम कल्याण-पुजन उत्सव का आयोजन किया जाएगा।इसके साथ प्रत्येक दिन श्री तिरुपति बालाजी के भव्य आरती का आयोजन भी धूमधाम से किया जाएगा।
इस महायज्ञ में देश के प्रसिद्ध राजनेता एवं अनेक प्राचीन मठों के मठाधीश तथा पीठाधीश्वरों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है।जिसमें प्रमुख रुप से मीनाक्षी पीठम तमिलनाडू, राघवेंद्र मंत्रालय के मठाधीश, कुर्तालम मठाधीश तमिलनाडु, तपोवन पीठम (श्रृंगेरी संस्थान) आंध्र प्रदेश, श्री वीर ब्रहमेंद्र स्वामी मठ आंध्र-प्रदेश, आदेश अखाड़ा उज्जैनी मध्य प्रदेश, ललिता पीठम तेलंगाना,ज्योतिष मठाधीश, बद्रीनाथ उतराखंड, पुष्पगिरी मठ तेलंगाना, हम्पी विजयारण्य मठ तेलंगाना,पंचायती अखाड़ा, श्री निरंजनी उज्जैनी मध्य-प्रदेश एवं जन्गाम्वादी मठ,  वाराणसी उत्तर प्रदेश के पीठाधीश्वर प्रमुख रुप से उपस्थित रहेंगे।
1 note · View note
jyotishforyou · 3 years ago
Text
नक्षत्र किसे कहते हैं ? जानिए सभी नक्षत्रों के नाम ,स्वामी व महत्व !
हम हमेशा से एक पंक्ति सुनते आए हैं कि फलां व्यक्ति के ग्रह-नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे हैं या फलां व्यक्ति के ग्रह-नक्षत्र बहुत अच्छे चल रहे हैं ।ग्रहों के बारे में तो अधिकांश लोग जानते हैं किन्तु नक्षत्रों के बारे शायद कम ही लोग जानते हैं । आज का लेख पढ़ने के बाद आप नक्षत्रों के बारे में सब कुछ जान जाएंगे ।
आज के लेख में हम बात करने जा रहे हैं कि नक्षत्र क्या होते हैं ?नक्षत्र कितने होते हैं ?नक्षत्र का क्या महत्व होता है ?इसके साथ ही हम सभी नक्षत्रों के नाम व उनके स्वामी के बारे में भी जानने वाले हैं ।
जानिए आपकी जन्म कुंडली के अनुसार आपका जन्म किस नक्षत्र में हुआ है? यदि आप अपनी जन्म कुंडली या नक्षत्र से संबंधित समस्याओं का समाधान और उपाय चाहते हैं तो हमारे सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी से बात करें और अपने विवाह, करियर, जीवन के बारे में विवरण प्राप्त करें। अभी संपर्क करें।
क्या आप ज्योतिष सीखना चाहते हैं? लेकिन यह नहीं पता था कि कहां से शुरू करें? सर्वश्रेष्ठ वैदिक विज्ञान संस्थान सर्वश्रेष्ठ ज्योतिष पाठ्यक्रम ऑनलाइन प्रदान करता है! इसका पालन करना आसान है और आप कहीं भी हों, आप ज्योतिष सीख सकते हैं। अंक ज्योतिष पाठ्यक्रम, शुरुआती लोगों के लिए हस्तरेखा पढ़ना, चिकित्सा ज्योतिष पाठ्यक्रम, वास्तु शास्त्र पाठ्यक्रम ऑनलाइन जैसे अन्य पाठ्यक्रमों का अन्वेषण करें। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल द्वारा ज्योतिष के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त करें। आज से शुरू करो।
नक्षत्र किसे कहते हैं ?
हम सबने आकाश में तारों को देखा होगा , कई तारों को एक साथ यानि तारों का झुंड भी देखा होगा । बस फिर आपके लिए नक्षत्र समझना बहुत आसान है।दरअसल आकाश में दिखने वाले तारों के समूह को ही नक्षत्र कहा जाता है। नक्षत्रों का प्रयोग आकाश मण्डल की दूरी मापने के लिए भी किया जाता है । ज्योतिष शास्त्र में पूरे आकाश मण्डल को 27 भागों में बांटा गया है और आकाश मण्डल के इन्हीं 27 भागों को नक्षत्र कहा जाता है ।
सभी नक्षत्रों के नाम -
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं जो निम्नलिखित हैं –
अश्विनी नक्षत्र
भरणी नक्षत्र
कृत्तिका नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र
मृगशिरा नक्षत्र
आर्द्रा नक्षत्र
पुनर्वसु नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र
आश्लेषा नक्षत्र
मघा नक्षत्र
पूर्वा फाल��गुनी नक्षत्र
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
हस्त नक्षत्र
चित्रा नक्षत्र
स्वाति नक्षत्र
विशाखा नक्षत्र
अनुराधा नक्षत्र
ज्येष्ठा नक्षत्र
मूल नक्षत्र
पूर्वा पाढ़ा नक्षत्र
उत्तरा पाढ़ा नक्षत्र
श्रवण नक्षत्र
धनिष्ठा नक्षत्र
शतभिषा नक्षत्र
पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र
रेवती नक्षत्र
इस प्रकार से ज्योतिष शास्त्र में इन 27 नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है ।
यह भी पढ़ें:- सूर्य का राशि परिवर्तन किन जातकों को करेगा प्रभावित ?
नक्षत्रों के स्वामी -
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक नक्षत्र के अलग अलग स्वामी बताए गए हैं जो निम्नलिखित हैं –
अश्विनी नक्षत्र के स्वामी-  अश्विनी कुमार
भरणी नक्षत्र के स्वामी- काल
कृत्तिका नक्षत्र के स्वामी – अग्नि देव
रोहिणी नक्षत्र के स्वामी – ब्रह्म
मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी – चंद्र देव
आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी- रुद्र देव
पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी – अदिति
पुष्य नक्षत्र के स्वामी – बृहस्पति देव
आश्लेषा नक्षत्र के स्वामी- सर्प
मघा नक्षत्र के स्वामी – पितर
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी – भग देव
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी – अर्यमा
हस्त नक्षत्र के स्वामी – सूर्य देव
चित्रा नक्षत्र के स्वामी – विश्वकर्मा
स्वाति नक्षत्र के स्वामी – पवन
विशाखा नक्षत्र के स्वामी – शुक्राग्नि  
अनुराधा नक्षत्र के स्वामी – मित्र
ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी – इन्द्र देव
मूल नक्षत्र के स्वामी – निऋति
पूर्वा पाढ़ा नक्षत्र के स्वामी – जल देव
उत्तरा पाढ़ा नक्षत्र के स्वामी – विश्वे देव
श्रवण नक्षत्र के स्वामी – विष्णु देव
धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी – वसु देव
शतभिषा नक्षत्र के स्वामी – वरुण देव
पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी – अजैकपाद
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी – अहिर्बुध्न्य
रेवती नक्षत्र के स्वामी – पूषा  
इन 27 नक्षत्रों के अलावा एक अन्य नक्षत्र अभिजीत भी माना गया है जिसके स्वामी ब्रह्म हैं ।
नक्षत्र का महत्व -
जिस प्रकार से व्यक्ति के जीवन में राशि और ग्रहों का महत्व होता है ठीक वैसे ही नक्षत्रों का भी महत्व होता है । नक्षत्रों की मदद से हम अपने भविष्य के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं व उसके अनुसार अपनी योजना बना सकते हैं ।  इसके अलावा नक्षत्रों की मदद से हम व्यक्ति के चरित्र व व्यक्तित्व से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातों को जान सकते हैं ।
इस प्रकार से हमने ज्योतिष शास्त्र में बताए गए सभी नक्षत्रों के नाम व उनके स्वामी के विषय में जाना । साथ ही मानव  जीवन में नक्षत्रों के योगदान का भी विश्लेषण किया ।
0 notes
bhagyachakra · 3 years ago
Video
instagram
नमो नमः हम भाग्य चक्र उज्जैन मध्य प्रदेश मैं स्थित एक वैदिक एवं ज्योतिष संस्थान है जो की पूजापाठ, मंत्र जाप , वास्तु आदि से सम्बंधित समाधान करवाते है ! हमारे यहाँ उचित कर्मकांड एवं शास्त्रोक्त पद्यति से सुशोभित विद्वत ब्राह्मणो के द्वारा जो की बाल्य काल से गुरुकुल पद्यति मैं शास्त्रों का अध्ययन कर सुलभ ढंग से शास्त्र सम्मत विधि के अनुसार पूजन, अभिषेक, विवाह कार्य, मंगलदोष (भातपूजा), कालसर्प दोष, दुर्गा सप्तशती, महामृत्युंजय मंत्र जाप, सूक्त, गोपाल सहस्त्र नाम, नक्षत्र शांति, दोष, ग्रह शांति, पंचांग कर्म आदि कराएं जाते है ! यजमान की संतुष्टि ही हमारा उद्देश्य है ! For Kundli /Horoscope Queries : Name :- Date of Birth :- Time of Birth:- Place of Birth :- Question:- Mobile Number :- Bhagya Chakra Ujjain Send your details at or Call @ Whatsapp Number 9522222969 https://www.instagram.com/p/CTjTOPCHpxp/?utm_medium=tumblr
1 note · View note
vilaspatelvlogs · 5 years ago
Text
बुध की मिथुन राशि में होगा 21 जून का सूर्य ग्रहण, वातावरण में बढ़ सकती है अस्थिरता, ग्रहण की वजह से व्यापारियों के लिए बढ़ सकती हैं परेशानियां
बुध की मिथुन राशि में होगा 21 जून का सूर्य ग्रहण, वातावरण में बढ़ सकती है अस्थिरता, ग्रहण की वजह से व्यापारियों के लिए बढ़ सकती हैं परेशानियां
[ad_1]
ग्रहण का असर करीब 6 माह तक रहता है, 21 जून से दिसंबर तक रहना होगा सतर्क
दैनिक भास्कर
Jun 19, 2020, 07:27 PM IST
21 जून को इस वर्ष का पहला चूड़ामणि सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सुबह लगभग 10.14 बजे शुरू होगा और दोपहर 1.38 तक रहेगा। आर्ट ऑफ लिविंग के वैदिक धर्म संस्थान में ज्योतिष और वास्तु विभाग के प्रशासक आशुतोष चावला के अनुसार दिसंबर में हुआ सूर्य ग्रहण विश्व के लिए कई परेशानी लेकर आया…
View On WordPress
0 notes
gd-vashist-blog · 5 years ago
Photo
Tumblr media
जानिए क्या है,कुण्डली के पहले घर में बैठे शनि देव के प्रभाव ? ज्योतिषीय ग्रंथों में लग्न को जातक की आत्मा कहा गया है इसीलिए लग्न में बैठे हुए शनि जहां एक ओर जातक को बहुत अच्छे परिणाम देते हैं वहीं प्रथम भाव में बैठे हुए शनि के कुछ दुष्प्रभाव भी बताए गए हैं। माना जाता है कि यदि किसी जातक की कुंडली के प्रथम भाव में शनि हो तो व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। ऐसे जातकों को अधिकतर अकेला रहना भाता है। ऐसे जातकों का व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली होता है और कोई भी व्यक्ति जल्दी ही इनके प्रभाव में आ जाता है। प्रथम भाव में स्थित शनि के बारे में कहा गया है कि ऐसे जातकों के शत्रु खुद ही नष्ट हो जाते हैं, वे चाहे कितने भी बलशाली हो पर जातक से कभी नहीं जीत पाते। कुंडली के पहले घर में शनि होने पर जातक में नेतृत्व की क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है जिससे जातक किसी गांव, नगर या किसी संस्थान का मुखिया भी हो सकता है। वैदिक ज्योतिष में यहां स्थित शनि के बारे में कहा जाता है कि यह व्यक्ति को कुटिल और आलसी बनाती है। ऐसा व्यक्ति बेकार के विवादों में फंसकर अपना समय और पैसा दोनों बर्बाद करता है। शनि के यह स्थिति जातक को कई तरह के वातजनित रोग होने की भी संभावना प्रकट करती है। For Free Prediction Call Now: 0124-6674671 or whatsapp: 9821599237 *For more information, visit us: www.astroscience.com or www.yesicanchange.com #GdVashist #Astrology #FreePrediction #LalKitab #VashistJyotish #Shanidev https://www.instagram.com/p/B1EDzRBFRGI/?igshid=1khzy3qygmwfr
0 notes
iloudlyclearbouquetworld · 5 years ago
Text
5 जून, 21 जून और 5 जुलाई को ग्रहण, एक साथ तीन ग्रहण होना शुभ संकेत नहीं माना जाता, बुध की मिथुन राशि में होगा 21 जून का सूर्य ग्रहण
5 जून, 21 जून और 5 जुलाई को ग्रहण, एक साथ तीन ग्रहण होना शुभ संकेत नहीं माना जाता, बुध की मिथुन राशि में होगा 21 जून का सूर्य ग्रहण
[ad_1]
ग्रहण का असर करीब 6 माह तक रहता है, 21 जून से दिसंबर तक रहना होगा सतर्क
दैनिक भास्कर
Jun 19, 2020, 06:36 PM IST
21 जून को इस वर्ष का पहला चूड़ामणि सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सुबह लगभग 10.14 बजे शुरू होगा और दोपहर 1.38 तक रहेगा। आर्ट ऑफ लिविंग के वैदिक धर्म संस्थान में ज्योतिष और वास्तु विभाग के प्रशासक आशुतोष चावला के अनुसार दिसंबर में हुआ सूर्य ग्रहण विश्व के लिए कई परेशानी लेकर आया…
View On WordPress
0 notes
its-axplore · 5 years ago
Link
संस्कृत निर्मली के बुजुर्ग संसाधन केंद्र में होली मिलन समारोह का आयोजन होली रंगों का त्योहार है। जिस प्रकार प्रकृति रंगों से भरी हुई है, उसी प्रकार हमारी भावनाएं भी विभिन्न रंगों से जुड़ी है। आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस वर्ष होली मंगलवार को मनाया जाएगा। जबकि सोमवार को फाल्गुन पूर्णिमा एवं होलिका दहन होगा। इस दिन कुल-देवताओं को सिंदूर अर्पण के साथ-साथ चैतन्य जयंती भी मनाया जाता है। यह होलिका प्रदोष काल में किया जाता है। मान्यता है कि प्रतिपदा चतुर्दशी दिन और भद्रा में होलिका दहन सर्वथा वर्जित है। ऐसे में भद्रा को त्याग कर ही होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के समय ओम होली काइये नमः मंत्र के साथ विधिवत पूजन का विधान है। होली पर्व एवं कथा बताते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार राजा हिरण्य कश्यप चाहता था कि उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान नारायण की पूजा छोड़ उनकी पूजा करें। ऐसा नहीं करने से राजा हिरण्य कश्यप अपने पुत्र पर क्रोधित होकर अपनी बहन होलिका को आज्ञा देते हुए कहा कि बहन तुम अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग कर प्रह्लाद को अपने गोद में बैठा कर अग्नि प्रज्वलित कर जलाकर भस्म कर दो। अपनी भाई की आज्ञा मान बहन होलिका ने ऐसा ही किया। जिसमें होलिका जलकर भस्म हो गई और नारायण भक्त प्रह्लाद का बाल तक बांका नहीं हुआ। उसी दिन से लेकर आज तक होलिका दहन की खुशी में रंग-गुलाल लगाकर होली पर्व मनाया जाता है। होली के गीत व जोगीरा के बीच बुजुर्गों ने खेली फूलों की होली करजाईन | बसंतपुर प्रखंड के संस्कृत निर्मली स्थित बुजुर्ग संसाधन केंद्र परिसर में अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के बैनर तले हेल्पेज इंडिया के सहयोग से रविवार को वृद्धों के लिए होली मिलन समारोह का आयोजन हुआ। जिसमें एसडीएम सुभाष कुमार, हेल्पेज इंडिया के कंट्री हेड राजेश्वर देवकोंडा, राज्य प्रमुख हेल्पेज इंडिया गिरीशचंद्र मिश्र, पूर्व मुखिया जयकृष्ण गुरुमैता, अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के संरक्षक सुरेश चंद्र मिश्र, पंसस देवचंद्र यादव सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ढोल-मंजीरे की थाप पर होली के गीत एवं जोगीरा के बीच फूलों की होली खेली। इससे पूर्व अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के अध्यक्ष सीताराम मंडल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों को मिथिला परंपरा के अनुसार पाग व अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। होली मिलन समारोह में बच्चे व शिक्षकों ने एक-दूसरे काे गुलाल लगा दी बधाई करजाईन बाजार | करजाईन बाजार स्थित श्री कृष्ण एकेडमी में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान आपस में एक दूसरे क�� लाल व पीला गुलाल लगाकर बच्चे व शिक्षक उत्साहित थे। स्कूली बच्चे व शिक्षकों ने एक-दूसरे को बधाई दी। संस्थान के निदेशक उपेंद्र सहनोगिया ने बताया कि हिंदू समाज में होली को बड़ा त्योहार माना जाता है। एक दूसरे को लाल-पीला अबीर लगा कर सारे शिकवे गिले दूर किए जाते हैं। इससे आपसी भाईचारा बनी रहती है। मौके पर प्राचार्य मुरलीधर प्रसाद, निर्देशक उपेंद्र सह नोगिया, शिक्षक श्यामानंद वर्मा, निरंजन मिश्रा, नीरज कुमार, मिथिलेश कुमार, मुकेश कुमार, सौरव झा, राप्ती बनर्जी, दीपिका कुमारी, बबली, खुशबू सहित अन्य उपस्थित थे। ‘होली एवं होलिका दहन वास्तव में एक वैदिक यज्ञ ‘ कटैया-निर्मली | हास-परिहास, व्यंग्य-विनोद, मौज-मस्ती और सामाजिक मेल-जोल का प्रतीक होली एवं होलिका दहन वास्तव में एक वैदिक यज्ञ है। इसका मूल स्वरूप आज समाज से विस्मित होता जा रहा है। उक्त बातें पिपरा प्रखंड रामनगर निवासी पंडित ज्योतिष झा ने कही। उन्होंने कहा कि होली ही एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोग जाति-धर्म के भेद भुलाकर सौहार्द्र के माहौल में एक-दूसरे को रंग व गुलाल लगाते हैं। कुछ गिले-शिकवे भी रहते हैं तो इस दिन भुला कर एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हैं। उन्होंने बताया कि फागुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा पर सोमवार को कुल देवताओं का पूजन पात्रीव रंग गुलाल चढ़ाया जाएगा। उसी रात प्रदोष काल में होलिका दहन संध्या किया जाएगा। मंगलवार 10 मार्च को रंगोत्सव है। इस दिन एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाएंगे। होली को लेकर बाजार में अभी से रौनक दिखने लगी है। गुलाल लगाकर मनाई खुशियां, बोले-मिलकर मनाएं रंगों का त्योहार निर्मली | अभाविप की नगर इकाई निर्मली द्वारा रविवार को होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। अभाविप निर्मली नगर मंत्री सूरज कुमार साह के नेतृत्व में आयोजित होली मिलन समारोह में विश्वविद्यालय संयोजक भवेश झा, जिला संयोजक राहुल कुमार, एचपीएस कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष मिथिलेश यादव सहित दर्जनों सदस्य मौजूद थे। होली मिलन समारोह में सभी ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी। ओम होलीकाइये नमः मंत्र से पूजन का विधान : आचार्य भास्कर न्यूज | किसनपुर आवासीय दिल्ली पब्लिक स्कूल थरबिटिया में रविवार को भारतीय स्वतंत्र शिक्षण संघ के तत्वावधान में संघ के जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार झा की अगुआई में होली मिलन समारोह का आयोजन हुआ। जहां श्री झा ने उपस्थित निजी विद्यालयों के निदेशक एवं प्राचार्य को होली की बधाई दी। उन्होंने कहा की होली रंगों का त्योहार है। जो मनुष्य के जीवन में नया उमंग व खुशियां लेकर आता है। यह पर्व रंग व उमंग के ��ाथ साथ आपसी भाई चारे क�� भी संदेश देता है। होली हमें आपसी द्वेष भूलकर एक दूसरे के साथ रहने का संदेश देता है। होली सामाजिक समरसता का प्रतीक है। इसलिए सब लोग होली के दिन आपसी मतभेद भूलकर लोग एक दूसरे के साथ खुशियां बांटे। वहीं आवासीय ज्ञान कुंज एकेडमी के व्यवस्थापक सह भारतीय स्वतंत्र शिक्षण संघ के जिला उपाध्यक्ष पप्पू कुमार जायसवाल ने उपस्थित संचालक को अबीर गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। उन्होंने कहा कि होली का त्यौहार मनुष्य को मनुष्य से जोड़ता है। होली का लाल रंग प्रेम व त्याग का प्रतीक है। दिल्ली पब्लिक स्कूल के संचालक पवन कुमार जायसवाल ने संघ के अध्यक्ष कृष्ण कुमार झा, उपाध्यक्ष पप्पू कुमार, महासचिव अम्बिका, सचिव रमेश कुमार, संयोजक रोशन कर्ण, कोषाध्यक्ष कुमार दीपक को पाग, शॉल, डायरी व कलम से सम्मानित किया। इस अवसर पर सभी के लिए निदेशक पवन कुमार जायसवाल के ओर से पकवान की व्यवस्था की गई थी। वही रोशन कर्ण ने होली गीत गाए। मौके पर व्यवस्थापक अवधेश यादव, तपेश पाल, मनोज झा, वसीम, अफजल हुसैन, नसीम अख्तर, वेलेंद्र यादव, जय प्रकाश यादव, सलेंद्र यादव, बसंत कुमार, सुभाष झा, अखिलेश कुमार, शारदा झा, जितेन्द्र सिंह, अब्बास, शंकर कुमार सहित अन्य मौजूद थे। करजाईन में एसडीएम को सम्मानित करते आयोजक। आचार्य धर्मेन्द्र नाथ मिश्र किसनपुर में होली मिलन समारोह मनाते संघ के सदस्य।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Basantpur News - people forget sharing differences with each other in the festival of holi krishna kumar
Basantpur News - people forget sharing differences with each other in the festival of holi krishna kumar
Basantpur News - people forget sharing differences with each other in the festival of holi krishna kumar
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2xmzUBM
0 notes
moneycontrolnews · 5 years ago
Quote
एस्ट्रोलॉजर आशुतोष चावला. ज्योतिष पंचांग के अनुसार भूलोक के एक सम्वत्सर अर्थात एक वर्ष को देव लोक की एक अहोरात्र कहा जाता है । अहोरात्र का अर्थ है दिन और रात । हमारे दो अयन, उत्तरायण और दक्षिणायन ही वह दिन और रात हैं। 15 जनवरी 2020 की सुबह (14 जनवरी की मध्य रात्रि) लगभग 2.10 बजे सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करके आने वाले छः महीनों तक उत्तरायण में गोचर होंगे। इसे हम , देवताओं के दिन की शुरुआत समझ कर सभी विवाह उपनयन आदि मंगल कार्यों को, जो कि मल मास के कारण स्थगित थे, प्रारम्भ कर सकते हैं। जिस प्रकार भू-लोक पर किसी भी आध्यात्मिक साधना के लिए प्रातः और संध्या का विशेष महत्व होता है, उसी प्रकार मकर संक्रान्ति से ले कर रथ सप्तमी जो कि इस साल 1 फरवरी को है, यह विशेष समय रहता है सभी प्रकार की साधना, दान पुण्य, स्नान आदि कार्यों के लिए। इन 15 दिनों में जहां तक हो सके, अपने सत्व की वृद्धि के लिए प्रयत्न करें। अपने खाने-पीने और दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें। जहां तक ही सके मांस मदिरा आदि का पूर्णतः त्याग करें। प्रत���दिन थोड़ा योगासन, प्राणायाम और ध्यान द्वारा अपने दिन की शुरुआत करें। जिस प्रकार प्रातः-संध्या में की गई साधना हमारे पूरे दिन को सत्व और शुभता से भर देती है। उसी प्रकार देवताओं की इस संध्या काल में की गई साधना हमारे आने वाले सम्पूर्ण वर्ष को सत्वमयी और शुभ बनाने में सक्षम है। इसमें भी विशेषतः मकर संक्रान्ति और रथ सप्तमी के दिन तो हम सभी को पुण्य स्थलों पर सूर्योदय के समय स्नान कर जप, ध्यान और दान आदि अवश्य करने ही चाहिए। इन दिनों भगवान सूर्य के पूजन और स्तुति गान द्वारा अभिनंदन करने से और यथा शक्ति दान करने से हमारे भीतर के सूर्य तत्त्व की वृद्धि होती है। हमारे अंतः करण में जो सूर्य तत्व है, उसी से हमें प्राण ऊर्जा , हर प्रकार की नेतृत्व शक्ति तथा प्रचुर आत्मबल की प्राप्ति होती है और सूर्य देव के ही समान दैवीय गुणों से हमारा जीवन ओतप्रोत होता है। दान कर्म सूर्यदेव को विशेष प्रिय हैं। दान और भी अधिक फलदायी हो जाता है, जब वह सही काल में, पात्र व्यक्ति को, सही वस्तु का किया जाए। काल तो यह उत्तम है ही, शुभ पात्रता वाले अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को शुभ वस्तुओं का अथवा ज़रूरत की वस्तुओं का दान आपको अक्षय पुण्य का भागी बनाएगा। मकर संक्रान्ति या उत्तरायण की महिमा का बखान तो हमारे ऐतिहासिक ग्रंथो और पुराणो के कई अध्यायों में किया गया है। महाभारत की एक कथा अनुसार पितामह भीष्म ने कई दिनों तक तीरों की शैय्या पर अपने घायल देह के साथ केवल उत्तरायण के लिए प्रतीक्षा की। भगवद्गीता में उत्तरायण में शरीर त्याग करने से मोक्ष की प्राप्ति का भी वर्णन है। देश के विभिन्न प्रांतों में इस दिवस को विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है। गुजरात में पतंगों से सूर्यदेव का उत्तरायण में स्वागत करते हैं तो उत्तर भारत में इसे लोहरी (लोहड़ी) के नाम से अपने पूरे परिवार के साथ अग्नि के चारों ओर घूम कर, मंगल गीत गाकर मनाते हैं। बिहार मे इसे खिचड़ी नाम से मानते हैं। वहीं, दक्षिण भारत में पोंगल नाम से। सभी संस्कृतियों में सूर्यदेव के अभिनंदन हेतु यह त्योहार का मनाना, इस देश की सांस्कृतिक एकता का एक सुंदर प्रतीक है। (लेखक आर्ट ऑफ़ लिविंग के वैदिक धर्म संस्थान के प्रमुख ज्योतिषी हैं।) Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Makar Sankranti 2020 Very special for religious functions for the next 15 days till Rath Saptami, 1st February
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/1-15.html
0 notes
jyotishforyou · 3 years ago
Text
इस महाशिवरात्रि पर बरसेगी भगवान शिव की कृपा; जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन की सही विधि।
महाशिवरात्रि 2022
इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाएगी। देवों के देव महादेव की उपासना के इस पर्व का हिन्दू धर्म की पौराणि�� कथाओं में विशेष महत्व है। हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का यह पावन त्यौहार मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह दिन भगवान शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। इसी दिन भगवान शिव और शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य का जीवन छोड़ कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के अनन्य भक्त जागरण कर भगवान शिव के विवाह का उत्सव मनाते है।
महाशिवरात्रि का महत्व यह है कि यह लोगों को आध्यात्मिक रूप से जागृत करती है और उन्हें उच्च सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है जो उन्हें पिछले पापों से उबरने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रेरित करेगी। आज ही ऑनलाइन ज्योतिष परामर्श प्राप्त करें और हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी से जाप, पूजा विधि और मुहूर्त जानें।
ज्योतिष प्रमाण पत्र के साथ ज्योतिष, वास्तु, अंकशास्त्र और हस्तरेखा विज्ञान को ऑनलाइन सीखें और ज्योतिषी बनें। वैदिक ज्योतिष संस्थान आपको ऑनलाइन ज्योतिष पाठ्यक्रमों की सर्वोत्तम श्रेणी प्रदान करता है।
ये सभी ऑनलाइन ज्योतिष कक्षाएं विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल द्वारा ली जाती हैं। निःशुल्क ज्योतिष सीखना शुरू करें।
महाशिवरात्रि के व्रत का महत्व जानें -
देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि पर शिव भक्त व्रत रखते है। यह व्रत रखने से सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से कष्ट दूर होते है और जीवन में सुख-शांति की वृद्धि होती है। भगवान शिव भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते है।
महाशिवरात्रि के व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें -
महाशिवरात्रि के दिन पहले यानी त्रयोदशी के दिन को एक ही समय भोजन करें। तथा अगले दिन यानी चतुर्दशी के दिन सुबह ब्रम्हमुहुर्त में उठ कर स्नान करें। इसके पश्चात् महादेव का स्मरण कर पूरी आस्था के साथ व्रत करें। व्रत में फलाहार में फलों का जूस ले सकते है, मखाने और मूंगफली को घी में फ्राई कर सेंधा नमक डालकर खा सकते है। इस दिन प्याज़-लहसुन युक्त भोजन, मांसाहार एवं मदिरा का त्याग करें।महाशिवरात्रि के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
पहले पहर में पूजा का मुहूर्त 1 मार्च को सायं 6.21 PM से रात्रि 9.27 PM तक
दूसरे पहर में पूजा का मुहूर्त 1 मार्च को रात्रि 9.27 PM बजे से 2 मार्च 12.33 AM तक
तीसरे पहर में पूजा का मुहूर्त 2 मार्च 12.33 AM से 3.39 AM तक
चौथे पहर में पूजा का मुहूर्त 2 मार्च 3:39 AM से 6.45 AM तक
व्रत के पारण का समय 2 बुधवार को सुबह 6.45 AM के बाद
महाशिवरात्रि के पूजन की विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रम्हमुहुर्त में उठ कर स्नान करें एवं ��ाम में भी पूजा से पहले फिर से स्नान करना चाहिए। ध्यान रखें कि महादेव की पूजा अर्चना शुभ मुहूर्त के समय के अनुसार ही करें। सबसे पहले पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें, इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें । इसके पश्चात् अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि पूजन के दौरान अर्पित करें और अंत में आरती करें।
महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र ।। ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्। ऊर्वारुकमिव बंधनात, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। का जाप भी करना चाहिए, जिससे महादेव प्रसन्न होते है। यह एक महामंत्र है जिसके नियमित श्रवण या उच्चार से संकट पीड़ा दूर होते है, अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो कर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस महाशिवरात्रि के पावन त्यौहार पर, महादेव का आस्था पूर्वक एवं विधिवत तरीके से महादेव की पूजा उपासना कर के महादेव को प्रसन्न कर अपने जीवन को सार्थक बनाएं।
0 notes
countryconnect · 3 years ago
Text
Astrology : 27 फरवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे शुक्रदेव, जानिए किन राशियों पर होगा इसका प्रभाव
Tumblr media
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को धन, संपदा, वैभव, सुख, प्रेम और सौंदर्य आदि का कारक माना गया है। शुक्र 27 फरवरी 2022 को सुबह 09:53 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। इसके साथ ही इस गोचर का प्रभाव राष्ट्रव्यापी और वैश्विक स्तर पर देखने को मिलेगा। वहीं शुक्र के राशि परिवर्तन से जातकों के जीवन पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि जिन व्यक्तियों की कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ और अच्छी स्थिति में होता है ऐसे जातक अपने दृष्टिकोण में आकर्षक होते हैं और स्वभाव में बेहद ही रोमांटिक होते हैं। इसके अलावा ऐसे जातकों का प्रेम और वैवाहिक जीवन बेहद सफल और सुखमय होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र प्रेम और सौंदर्यता का प्रतिनिधि करने वाला ग्रह है। यदि कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में ना हो तो व्यक्ति के जीवन में शुभ कार्य में कमी देखने को मिल सकती है। किसी भी ग्रह के राशि परिवर्तन करने से उसका प्रभाव मनुष्य जीवन पर देखने को मिलता है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्र का पौराणिक कथाओं में प्रचलित नाम शुक्राचार्य है जिनके बाद संजीवनी विद्या थी और ये शिव के परम भक्त व महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र हैं। सप्ताह में शुक्रवार का दिन शुक्र को समर्पित है। शुक्र के अच्छे फल के लिए महिलाओं का सम्मान करें। परशुराम की आराधना करने से भी शुक्र की कृपा प्राप्त होती है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख वैवाह��क सुख भोग-विलास शौहरत कला प्रतिभा सौन्दर्य रोमांस काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र के पास अमृत संजीवनी भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमृत संजीवनी के मालिक शुक्र पृथ्वी के साथ हैं और शुक्र के पास अमृत संजीवनी है। इस कारण कोरोना महामारी संक्रमण में कमी आयेगी। कोरोना महामारी संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा। प्राकृतिक आपदा और अप्रिय घटनाएं जन शून्य स्थानों पर होने की संभावना अधिक है। शुक्र अमृत संजीवनी के कारण संक्रमण और दुर्घटना के शिकार लोगों को बचाने में सफल रहेंगे। शुक्र का शुभ-अशुभ प्रभाव भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्र के राशि परिवर्तन से कोरोना महामारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा। भौतिक सुख और वैवाहिक सुख में वृद्धि होगी। कानूनी मामलों में वृद्धि होगी। देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। शुक्र के राशि बदलने से खाने की चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी। सब्जियां, तिलहन और दलहन की कीमतें कम होंगी। मशीनरी समान महंगे हो सकते हैं। व्यापार में तेजी रहेगी। सोने चांदी के भाव में वृद्धि होगी। दूध से बनी चीजों का उत्पादन बढ़ सकता है। सुख-सुविधाओं की चीजों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है। रोजगार के क्षेत्रों में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही राजनीति में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। शुक्र के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है। शुक्र ग्रह के उपाय भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि लक्ष्मी माता की उपासना करें। सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें। शुक्रवार का व्रत रखें और उस दिन खटाई न खाएं। चमकदार सफेद एवं गुलाबी रंग का प्रयोग करें। श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित मदन शर्मा ने बताया कि श्री सूक्त का पाठ करें। शुक्रवार के दिन दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि ��स्तुएं दान करें। आइए भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास से जानते हैं कि शुक्र के गोचर से सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मेष राशि शुक्र आपके दसवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपको करियर के क्षेत्र में सक्सेस मिलेगी। आपकी सफलता में पिता हमेशा आपके साथ रहेंगे। इसके अलावा आपके पिता को भी तरक्की के लिये बेहतरीन मौके मिलेंगे। वृष राशि शुक्र आपके नवें स्थान पर गोचर करेंगे  भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। इस दौरान आप जो चाहेंगे, वो अवश्य ही पूरा होगा। साथ ही आपको धन लाभ होगा और जीवन में संतान का सुख भी बना रहेगा। मिथुन राशि शुक्र आपके आठवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपकी सेहत ठीक रहेगी। अगर आप अपने खान-पान का ध्यान रखेंगे, तो आपको सेहत संबंधी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। आप इस दौरान अपने जीवनसाथी की हर बात मानेंगे। कर्क राशि शुक्र आपके सातवें स्थान पर गोचर करेंगे। समाज में सबके साथ अच्छे रिश्ते कायम करने में आपको मेहनत करनी पड़ेगी। आप अपने ऐशो आराम पर कुछ ज्यादा ही खर्चा कर सकते हैं। आपको थोड़ा ध्यान देकर चलने की जरूरत है। सिंह राशि शुक्र आपके छठे स्थान पर गोचर करेंगे। आपको संतान पक्ष से उम्मीद के अनुसार लाभ नहीं मिल पायेगा। हालांकि आर्थिक रूप से आपके साथ सब कुछ अच्छा रहेगा। आपके पास धन की कमी नहीं होगी। साथ ही आपको अपने दोस्तों का पूरा सहयोग मिलेगा। कन्या राशि शुक्र आपके पांचवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपको घर-परिवार में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। आपके जीवन में संतान सुख बना रहेगा। परिवार के प्रति आपका प्यार बना रहेगा। आपके धन में बढ़ोत्तरी होगी। तुला राशि शुक्र आपके चौथे स्थान पर गोचर करेंगे। आर्थिक स्थिति अच्छी बनाये रखने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी आपके भौतिक सुख-साधनों में थोडा उतार-चढ़ाव आएगा। आपको माता का सहयोग पाने के लिये अधिक कोशिशें करनी पड़ सकती है। वृश्चिक राशि शुक्र आपके तीसरे स्थान पर गोचर करेंगे। आपके पास दूसरे लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करनी की क्षमता होगी। आप अपनी बातों से सबको इम्प्रेस कर लेंगे। किसी व्यक्ति से आपके अच्छे सम्पर्क बन सकते हैं। धनु राशि शुक्र आपके दूसरे स्थान पर गोचर करेंगे। आर्थिक रूप से बहुत स्ट्राँग रहेंगे। आपको पैसों के मामले में अच्छा मुनाफा होगा। आपको कमाई के कुछ नये साधन भी मिल सकते हैं। जीवन में सांसारिक सुख बना रहेगा। मकर राशि शुक्र आपके पहले स्थान पर गोचर करेंगे। आपको परिवार में किसी प्रकार की परेशानी महसूस हो सकती है। आपको अपने सगे-संबंधियों के साथ अच्छा व्यवहार बनाये रखना चाहिए। 31 मार्च तक आपको किसी भी चीज़ के प्रति बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। कुंभ राशि शुक्र आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। आपको शैय्या सुख का पूरा लाभ मिलेगा। जीवनसाथी आपके हर कदम पर साथ रहेंगे। आप दोनों के बीच प्यार बना रहेगा। पैसों के मामले में भी स्थिति अच्छी रहेगी। मीन राशि शुक्र आपके ग्यारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। धन का लाभ मिलेगा | आपकी आमदनी ठीक बनी रहेगी। इस दौरान आपकी इच्छाओं को मूरत रूप मिल सकता है, यानि आपकी कोई खास इच्छा पूरी हो सकती है। Read the full article
0 notes
bhagyachakra · 3 years ago
Photo
Tumblr media
नमो नमः हम भाग्य चक्र उज्जैन मध्य प्रदेश मैं स्थित एक वैदिक एवं ज्योतिष संस्थान है जो की पूजापाठ, मंत्र जाप , वास्तु आदि से सम्बंधित समाधान करवाते है ! हमारे यहाँ उचित कर्मकांड एवं शास्त्रोक्त पद्यति से सुशोभित विद्वत ब्राह्मणो के द्वारा जो की बाल्य काल से गुरुकुल पद्यति मैं शास्त्रों का अध्ययन कर सुलभ ढंग से शास्त्र सम्मत विधि के अनुसार पूजन, अभिषेक, विवाह कार्य, मंगलदोष (भातपूजा), कालसर्प दोष, दुर्गा सप्तशती, महामृत्युंजय मंत्र जाप, सूक्त, गोपाल सहस्त्र नाम, नक्षत्र शांति, दोष, ग्रह शांति, पंचांग कर्म आदि कराएं जाते है ! यजमान की संतुष्टि ही हमारा उद्देश्य है ! For Kundli /Horoscope Queries : Name :- Date of Birth :- Time of Birth:- Place of Birth :- Question:- Mobile Number :- Bhagya Chakra Ujjain Send your details at or Call @ Whatsapp Number 9522222969 https://www.instagram.com/p/CTUSnAxsmmi/?utm_medium=tumblr
1 note · View note
nayasabera-blog · 6 years ago
Link
जौनपुर। पंडित बांके महाराज ज्योतिष संस्थान द्वारा 25025 पार्थिव शिवलिंग पूजन व महारुद्राभिषेक का आयोजन बड़े हनुमान मंदिर रासमण्डल पर किया गया। पूजन के प्रारम्भ में सर्वप्रथम पार्थिव शिवलिंग की प्रतिष्ठा कर यजमानों ने विधिवत शिवलिंग का पूजन किया। तत्पश्चात आचार्य डॉ. रजनीकांत द्विवेदी के निर्देशन में काशी, अयोध्या, प्रयाग, आजमगढ़ से पधारे वैदिक विद्वानों ने एकादशी विधि से महारुद्राभिषेक यजमानों ने किया। महारुद्राभिषेक के पश्चात पुन: पार्थिव शिवलिंग का विधि-विधान से पूजन कर महाआरती के साथ कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर डॉ. द्विवेदी ने कहा कि भगवान शिव की उपासना करने से प्राणी समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है।
कार्यक्रम में प्रमुख यजमान के रुप में ज्ञान प्रकाश तिवारी एडीजे चतुर्थ परिवार न्यायालय जौनपुर, प्रो. बीबी तिवारी निर्देशक ई. संस्थान पूविवि, राकेश श्रीवास्तव अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, किरन श्रीवास्तव भाजपा जिला उपाध्यक्ष, दीनानाथ त्रिपाठी, निखिलेश सिंह अध्यक्ष नवदुर्गा शिवमंदिर ट्रस्ट, डॉ. चित्रलेखा सिंह प्राध्यापक टीडी महिला कालेज, अंजनी उपाध्याय, राकेश सिंह, रविकांत माली, राजनाथ सिंह, गणेश साहू, अजय सिंह, नीरज सेठ, डॉ. शिव प्रकाश तिवारी, दिलीप श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार सिंह, संजय सिंह, विवेक पाठक, पेंटर गुरु उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में पंडित निशाकांत द्विवेदी, पंडित राजेश्वर दत्त उपाध्याय, पं. प्रभाकर मिश्र, आचार्य सुमन शास्त्री, पं. आनंद तिवारी, पं. गंगाधर शुक्ल सहित आशीष वैश्य, शिवशंकर साहू, मनोज मिश्रा, नीरज उपाध्याय, मनोज गुप्ता, नीरज श्रीवास्तव, आशीष यादव, सविता त्रिपाठी, राधिका तिवारी, अनिता सेठ, करुणा भट्टाचार्य, किरन सेठ, पुष्पा सेठ, अक्षय कुमार, राहुल राय, रौनक शुक्ला, दीपक राय, सांवले मिश्र, महंत राम रतन दास, मनोज तिवारी, भरत पुजारी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।
0 notes
jyotishforyou · 3 years ago
Text
कफ दोष से होने वाली समस्याएं व उनके समाधान !
हम सब यह जानते हैं कि हमारे शरीर में तीन प्रकार के दोष होते हैं - वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष । इसके पहले दो लेखों के माध्यम से हम वात दोष और पित्त दोष से हमारे शरीर में होने वाली समस्याओं पर बात चुके हैं, साथ ही वात व पित्त दोष से होने वाली समस्याओं के समाधान भी जान चुके हैं। 
उसी क्रम को जारी रखते हुए आज हम शरीर के तीसरे दोष यानि कफ दोष पर बात करने जा रहे हैं । आज के लेख में हम जानेंगे कि कफ दोष क्या होता है ? कफ दोष को कैसे पहचाना जाता है ? कफ दोष से हमारे शरीर में क्या क्या समस्याएं उत्पन्न होती हैं ? और उन समस्य���ओं का समाधान क्या है ?
जानना चाहते हैं कि कफ दोष को कैसे संतुलित किया जाए? जानिए आयुर्वेद और सभी ��ोषों के बारे में। हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञ से ऑनलाइन आयुर्वेदिक ज्योतिष डॉ.मिलन सोलंकी परामर्श प्राप्त करें।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के साथ ज्योतिष की मूल बातें जानें। आप अपनी चंद्र राशि, सूर्य राशि और उदीयमान राशि के बारे में जान सकते हैं। एस्ट्रोलोक ज्योतिष का एक शिक्षण संस्थान है, जहां आप ज्योतिष, वास्तु पाठ्यक्रम ऑनलाइन, आयुर्वेद और ज्योतिष, शुरुआती लोगों के लिए हस्तरेखा विज्ञान, अंकशास्त्र पाठ्यक्रम ऑनलाइन सीख सकते हैं। अभी संपर्क करें।
कफ दोष क्या होता है ?
 कफ दोष पाँच तत्वों में से दो तत्वों भूमि तत्व व जल तत्व से मिलकर बनता है। कफ हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है । शरीर में कफ के असंतुलित हो जाने से हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हम बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं । 
कफ दोष से होने वाली समस्याएं - 
कफ दोष से होने वाली कुछ प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं - 
1. शरीर में कफ बढ़ जाने पर भारीपन महसूस होने लगता है । इसका कारण कफ दोष में भूमि तत्व का होना है । भारीपन कफ दोष का सबसे प्रमुख लक्षण है । 
2. कफ दोष के बढ़ने पर हमारे शरीर में बहुत आलस्य बढ़ जाता है । कोई भी काम करने में हमारा मन नहीं लगता है । इसके अलावा कफ दोष के कारण नींद भी बहुत आती है । बहुत अधिक नींद या बहुत सुस्ती महसूस हो तो इसे कफ दोष का लक्षण समझना चाहिए । 
3. कफ दोष में जल तत्व होने के कारण पसीना बहुत अधिक मात्रा में देखने को मिलता है और शरीर में चिपचिपापन बना रहता है । 
4. यदि आँखों से बहुत ज्यादा मात्रा में कीचड़ निकल रहा है तो इसे भी कफ दोष का लक्षण समझना चाहिए । कीचड़ के अलावा आँखों में भारीपन व थकान का अनुभव होना भी शरीर में कफ दोष का संकेत है । 
5. कफ दोष से कई बार साँस संबंधी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं । खांसी होना या सांस लेने में तकलीफ होना , ये कफ दोष के ही संकेत हैं । 
कफ दोष से होने वाली समस्याओं के समाधान - 
अपने खान पान व जीवन शैली में थोड़े बहुत बदलाव करके आप कफ दोष की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं । कफ को संतुलित करने के लिए प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं - 
1. कफ दोष से बचने के लिए दूध से बने जैसे पनीर , छाछ आदि का भरपूर सेवन करें । 
2. नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करने से कफ दोष में लाभ प्राप्त होता है । 
3. कफ दोष से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह व्यायाम अवश्य करें । व्यायाम करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कफ दोष के फलस्वरूप शरीर में आने वाल��� आलस्य दूर भागता है । 
4. सरसों के तेल का अधिकाधिक प्रयोग करें । इसको खाने में और नहाने के पहले शरीर की मालिश करने में उपयोग करने से कफ दोष से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है । 
5. अधिक से अधिक हरी सब्जियों और सभी प्रकार की दालों का सेवन करें । इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी । 
निष्कर्ष - 
इस प्रकार से हमने कफ दोष के कारण शरीर में उत्पन्न होने वाली समस्याएं व उनके समाधानों का विस्तार से विश्लेषण किया । अगर आपको अपने शरीर में कफ दोष के लक्षण दिख रहे हैं तो इन उपायों का पालन करके आप अपने कफ दोष को संतुलित कर सकते हैं ।  
0 notes
jyotishforyou · 3 years ago
Text
ह्रदय रेखा से जुड़ी कुछ रोचक बातें !
हमारी हथेली में कई रेखाएं होती है जैसे विवाह रेखा , प्रेम रेखा , स्वास्थ्य रेखा, आदि । इन रेखाओं के अलावा हमारी हथेली में एक और महत्वपूर्ण रेखा होती है -ह्रदय रेखा । ह्रदय रेखा हमारे जीवन के विषय में बहुत कुछ बताती है । आज हम ह्रदय रेखा से जुड़ी हुई कुछ बहुत रोचक बातों को जानने वाले हैं । 
जाने कि आपकी हृदय रेखा आपके प्रेम जीवन को कैसे प्रभावित करती है और यह आपके भविष्य की भविष्यवाणी कैसे कर सकती है। ऑनलाइन सर्वश्रेष्ठ हस्तरेखा ज्योतिष से परामर्श करें और अपने जीवन, हृदय रेखा, हस्तरेखा पढ़ने के बारे में जानें, और हमारे अनुभवी ज्योतिषी से अपने व्यक्तिगत प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन प्राप्त करें। क्या आप ज्योतिष सीखने में रुचि रखते हैं? आज से ही ज्योतिष सीखना शुरू करें, साथ ही आप वैदिक ज्योतिष संस्थान में वास्तु पाठ्यक्रम, अंकशास्त्र हस्तरेखा और आयुर्वेदिक ज्योतिष सीख सकते हैं।
ह्रदय रेखा के प्रकार - 
सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि हथेली में किस जगह पर ह्रदय रेखा पाई जाती है । ह्रदय रेखा अलग-अलग हथेलियों में विभिन्न जगहों पर हो सकती है किन्तु सामान्यतः कुछ स्थानों पर ह्रदय रेखा देखी जाती है, वो निम्नलिखित हैं - 
1. हमारी हथेली में ह्रदय रेखा कनिष्ठिका उंगली के नीचे बुध पर्वत से निकलकर गुरु पर्वत पर समाप्त होती है । बीच में यह रेखा सूर्य व शनि के क्षेत्र से होकर गुजरती है । ये पहले प्रकार की रेखा मानी जाती है क्यों कि अधिकांश हथेलियों में इसकी यही स्थिति होती है । 
2. दूसरी स्थिति यह होती है कि ह्रदय रेखा हमारी हथेली में बुध पर्वत के नीचे से प्रारंभ होती है और गुरु पर्वत पर ना पहुंचकर हथेली के पार निकल जाती है। 
3. कुछ हथेलियों में ह्रदय रेखा बुध पर्वत के नीचे से प्रारंभ होती है और सूर्य पर्वत पर पहुँच कर समाप्त हो जाती है । 
4. कुछ हथेलियों में यह रेखा बुध पर्वत के नीचे से प्रारंभ होकर शनि पर्वत तक पहुँच जाती है और फिर ���हीं समाप्त हो जाती है । 
5. कहीं कहीं ऐसा भी होता है कि यह रेखा बुध पर्वत से प्रारंभ होकर हमारे हाथ की दो उंगलियों तर्जनी और मध्यमा के मध्य में पहुँच कर समाप्त होती है। 
हमारी हथेली के इन सभी स्थानों पर ह्रदय रेखा स्थित हो सकती है । अलग अलग स्थान पर स्थित होने वाली रेखा हमें अलग अलग प्रकार का फल प्रदान करती है । 
ह्रदय रेखा से जुड़ी हुई कुछ रोचक बातें - 
ह्रदय रेखा से जुड़ी हुई बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते हैं । ह्रदय रेखा से जुड़ी हुई कुछ रोचक बातें निम्नलिखित हैं - 
1. यदि ह्रदय रेखा मस्तिष्क रेखा की ओर मुड़ या झुक जाती है तो व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास बहुत शीघ्रता से होता है । 
2. यदि ह्रदय रेखा पूरी तरह से मस्तिष्क रेखा में मिल जाती है तो जातक अपने मस्तिष्क का उपयोग बहुत कम करता है । 
3. अगर ह्रदय रेखा मस्तिष्क रेखा क���सी जगह पर काट रही हो तो व्यक्ति का मस्तिष्क में बहुत उथल पुथल बनी रहती है । 
4. यदि किसी व्यक्ति की ह्रदय रेखा कई जगह से टूटी या कटी हुई दिखाई देती है , इसका अर्थ है वो व्यक्ति कभी ना कभी ह्रदय से जुड़े किसी रोग का सामना करने वाला है । 
5. हथेली में ह्रदय रेखा की लंबाई जितनी अधिक होती है , जातक के लिए उतनी ही श्रेष्ठ मानी गई है । 
7. यदि ह्रदय रेखा अपनी समाप्ति के साथ ही दो भागों में विभाजित हो जाती है तो यह स्थिति जातक के लिए बहुत फलदायी सिद्ध होती है । 
8. यदि व्यक्ति की ह्रदय रेखा पर त्रिकोण का चिन्ह बना हो तो वह अपनी ख्याति दूर तक फैलाने में सफलता प्राप्त करता है । 
निष्कर्ष - 
ह्रदय रेखा से जुड़े हुए यह सभी बेहद रोचक तथ्य हैं । इनके आधार पर आप अपनी हथेली में ह्रदय रेखा की पहचान कर सकते हैं और साथ ही यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि आपकी ह्रदय रेखा आपको कैसा फल देने वाली है। 
0 notes