#भारत विरुद्ध पाक
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loksutra · 2 years ago
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हे देखील पार पडेल, मजबूत राहा: पाकिस्तानचा कर्णधार बाबर आझमने विराट कोहलीला लवकरच चांगला येण्यासाठी पाठिंबा दिला; भारत विरुद्ध पाक - ही वेळ देखील निघून जाईल, पाकिस्तानचा कर्णधार बाबर आझमने फॉर्मात नसलेल्या विराट कोहलीचे सांत्वन केले
हे देखील पार पडेल, मजबूत राहा: पाकिस्तानचा कर्णधार बाबर आझमने विराट कोहलीला लवकरच चांगला येण्यासाठी पाठिंबा दिला; भारत विरुद्ध पाक – ही वेळ देखील निघून जाईल, पाकिस्तानचा कर्णधार बाबर आझमने फॉर्मात नसलेल्या विराट कोहलीचे सांत्वन केले
भारताचा माजी कर्णधार विराट कोहली दीर्घकाळापासून त्याच्या कारकिर्दीतील वाईट टप्प्यातून जात आहे. नोव्हेंबर 2019 पासून आतापर्यंत त्याच्या बॅटमधून एकही शतक आलेले नाही. इंग्लंडविरुद्धच्या पहिल्या एकदिवसीय सामन्यात तो पूर्णपणे तंदुरुस्त नसल्यामुळे खेळू शकला नाही. दुसऱ्या एकदिवसीय सामन्यात त्याने पुनरागमन केले, मात्र अवघ्या 16 धावा करून तो पॅव्हेलियनमध्ये परतला. लॉर्ड्सवरील दुसऱ्या वनडेत भारताचा 100…
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marathinewslive · 2 years ago
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भारताने पाकिस्तानला हरवले: हार्दिक पंड्याने विजयी षटकार लगाव शरद पवारांनी...; सेलिब्रेशनचा खास व्हिडिओ सुप्रिया सुळेंनी शेअर केला | भारताने पाकिस्तानवर ५ विकेट्सनी मात
भारताने पाकिस्तानला हरवले: हार्दिक पंड्याने विजयी षटकार लगाव शरद पवारांनी…; सेलिब्रेशनचा खास व्हिडिओ सुप्रिया सुळेंनी शेअर केला | भारताने पाकिस्तानवर ५ विकेट्सनी मात
आशिया चषक अगदी शेवटच्या शेवटच्या षटकडी रंगतदार खतरनाक भारत-पाकिस्तान सामना भारताने पाच गडा राखून फिरायला. या विजयासाठी निवडून आलेल्या सुप्रिया सुप्रिया यां��े अध्यक्ष आणि महाराष्ट्रातील लढवय्ये पक्ष शरद पवार एक व्हिडिओ शेअर केला आहे. कोट्यवधी क्रिकेट चाहत्यांप्रमाणे आजची सायंकाळ पवारियांही भारत-पाकिस्तान कुटुंबासाठी राखून ठेवल्याचं विडी�� घेऊन येतं. सामना उत्तराचा जल्लोष कसा होता हे सुप्रिया यांनी…
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darshaknews · 3 years ago
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T20 WC 2022: भारत-पाक सामन्याची तिकिटे 5 मिनिटांत विकली गेली, मोठा सामना 23 ऑक्टोबरला होणार
T20 WC 2022: भारत-पाक सामन्याची तिकिटे 5 मिनिटांत विकली गेली, मोठा सामना 23 ऑक्टोबरला होणार
T20 WC 2022 मध्ये IND vs PAK: या वर्षी ऑक्टोबरमध्ये ऑस्ट्रेलियात होणाऱ्या टी-२० विश्वचषक स्पर्धेच्या सामन्यांचे प्री-बुकिंग सुरू झाले आहे. सोमवारी जेव्हा ही तिकिटे पहिल्यांदा विक्रीसाठी उपलब्ध झाली, तेव्हा भारत-पाकिस्तान सामन्याच्या पहिल्या तिकिटांची विक्री झाली. या सामन्याची तिकिटे अवघ्या ५ मिनिटांत विकली गेली. हा सामना 23 ऑक्टोबरला होणार आहे. T20 विश्वचषक स्पर्धेत भारतीय संघाला पाकिस्तान,…
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untitled59750 · 3 years ago
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12 विदेशी आतंकी संगठनों का ठिकाना पाकिस्तान: रिपोर्ट
12 विदेशी आतंकी संगठनों का ठिकाना पाकिस्तान: रिपोर्ट
12 विदेशी आतंकी संगठनों का ठिकाना पाकिस्तान कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस रिपोर्ट श्रेणियों को पांच प्रकारों में विभाजित करती है – विश्व स्तर पर उन्मुख, अफगानिस्तान उन्मुख, भारत – और कश्मीर उन्मुख, घरेलू रूप से उन्मुख, और सांप्रदायिक (शिया विरोधी)। पाकिस्तान कम से कम 12 समूहों का घर है जिन्हें ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ के रूप में नामित किया गया है, जिनमें से पांच भारत-केंद्रित हैं लश्कर-ए-तैयबा और…
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thegardendreamer · 3 years ago
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चढ़ते सूरज के पुजारी तो लाखों हैं 'फ़राज़
डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा देखा।
अहमद फ़राज़ १२ जनवरी १९३१ को कोहाट, नौशेरां, पाकिस्तान के एक प्रतिष्ठित सादात परिवार में पैदा हुए थे। उनका असल नाम सैयद अहमद शाह था। अहमद फ़राज़ ने जब शायरी शुरू की तो उस वक़्त उनका नाम अहमद शाह कोहाटी होता था, जो बाद में मक़बूल शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब के सुझाव पर अहमद फ़राज़ हो गया।
अहमद फ़राज़ की मातृभाषा पश्तो थी, लेकिन आरंभ से ही फ़राज़ को उर्दू लिखने और पढ़ने का शौक़ था और वक़्त के साथ उर्दू ज़बान व अदब में उनकी यह दिलचस्पी बढ़ने लगी। उनके पिता उन्हें गणित और विज्ञान की शिक्षा में आगे बढ़ाना चाहते थे, लेकिन अहमद फ़राज़ का रुझान अदब व शायरी की तरफ़ था। इसलिए उन्होंने पेशावर के एडवर्ड कालेज से फ़ारसी और उर्दू में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की और विधिवत अदब व शायरी का अध्ययन किया।
अहमद फ़राज़ ने अपना कैरियर रेडियो पाकिस्तान, पेशावर में स्क्रिप्ट राइटर के रूप में शुरू किया, मगर बाद में वह पेशावर यूनिवर्सिटी में उर्दू के उस्ताद नियुक्त हो गये। १९७४ में जब पाकिस्तान सरकार ने 'एकेडमी आफ़ लेटर्स' के नाम से देश की सर्वोच्च साहित्य संस्था स्थापित की तो अहमद फ़राज़ उसके पहले डायरेक्टर जनरल बनाये गये।
फ़राज़ अपने युग के सच्चे फ़नकार थे। सच्चाई और बेबाकी उनकी सृजनात्मक स्वभाव का मूल तत्व था। उन्होंने सरकार और सत्ता के भ्रष्टाचार के विरुद्ध हमेशा आवाज़ बुलंद की। जनरल ज़ियाउल हक़ के शासन को सख़्त निशाना बनाने के नतीजे में उन्हें गिरफ़्तार किया गया। वह छः साल तक कनाडा और युरोप में निवार्सन की पीड़ा सहते रहे।
फ़राज़ की शायरी जिन दो मूल भावनाओं, रवैयों और तेवरों से मिल कर तैयार होती है वह प्र��िरोध, हस्तक्षेप और रुझान हैं। उनकी शायरी से एक रुहानी, एक नव-क्लासीकी, एक आधुनिक और एक बाग़ी शायर की तस्वीर बनती है। उन्होंने इश्क़-मुहब्बत और महबूब से जुड़े हुए ऐसे बारीक एहसासात और भावनाओं को शायरी की ज़बान दी है जो अर्से पहले तक अनछुए थे।
फ़राज़ साहब की शख़्सियत से जुड़ी हुई एक अहम बात यह है कि वह अपने दौर के सबसे लोकप्रिय शायरों में से थे। हिंद-पाक के मुशायरों में जितनी मुहब्बतों और दिलचस्पी के साथ उन्हें सुना गया है, उतना शायद ही किसी और शायर को सुना गया हो।
फ़राज़ साहब की क़ुबूलियत हर सतह पर हुई। उन्हें बहुत से सम्मान व पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया। उनको मिलने वाले कुछ सम्मान इस प्रकार हैं: आदमजी अवार्ड, अबासीन अवार्ड, फ़िराक़ गोरखपुरी अवार्ड (भारत), एकेडमी ऑफ़ उर्दू लिट्रेचर अवार्ड (कनाडा), टाटा अवार्ड जमशेदनगर (भारत), अकादमी अदबियात-ए-पाकिस्तान का कमाल-ए-फ़न अवार्ड, साहित्य की विशेष सेवा के लिए हिलाल-ए-इम्तियाज़।
काव्य संग्रह: जानाँ-जानाँ, ख़्वाब-ए-गुल परेशाँ है, ग़ज़ल बहा न करो, दर्द-ए-आशोब, तन्हा तन्हा, नायाफ़्त, नाबीना शहर में आईना, बेआवाज़ गली कूचों में, पस-ए-अंदाज़ मौसम, शब ख़ून, बोदलक, यह सब मेरी आवाज़ें हैं, मेरे ख़्वाब रेज़ा रेज़ा, ऐ इश्क़ जफ़ा पेशा।
प्यारे शायर को सलाम, शुक्रिया!
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vaidicphysics · 4 years ago
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जब भारत का आत्मा रो पड़ा
भारतीय गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के पावन अवसर पर किसानों के नाम पर देश की राजधानी में जो तांडव हुआ, उसे देखकर भारत का आत्मा रो पड़ा। लाठी, तलवार व पत्थरों से जिस प्रकार आतंकवादियों वा अलगाववादियों ने पुलिस बल पर जो आक्रमण किया, उन्हें ट्रैक्टरों से रौंद रौंद कर मारने का प्रयास किया, वे जवान गंदे नाले में प्राण बचाने हेतु कूदने को विवश हुए, महिलाओं को भी नहीं छोड़ा, गाड़ियों को ही नहीं, अपितु रोगी वाहनों तक को नष्ट किया गया, क्या यह आंदोलन था? सबसे बढ़कर राष्ट्र के गौरव के प्रतीक लाल किले पर राष्ट्रध्वज का अपमान किया, उसे फेंका गया, उतारा भी गया और अपना एक पंथ विशेष का ध्वज लगा दिया, यह किसी भी प्रकार अपनी ही मां भारती के विरुद्ध युद्ध के बिगुल से कम नहीं था।
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भारतीय गणतंत्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। पुलिस तथा भारत सरकार इतना सब सहन करती रही, तब यह प्रश्न उठता है कि क्या भारत इतना बेबश हो गया है, दुर्बल हो गया है कि कोई भी आतंकवादी वा अलगाववादी संगठन देश की राजधानी को बंधक बनाकर कुछ भी तांडव कर सकता है? क्या इसे किसानों का आंदोलन कहा जा सकता है? सरकार ने पुलिस के जवानों को प्रारंभ में आत्मरक्षार्थ लाठी तक नहीं दी, बेचारे मार खाते रहे। नेताओं ने अपनी कोठियों के पास पूरी सुरक्षा कर रखी थी परंतु जवानों को हिंसक भीड़ के आगे अकेला निहत्था बेवश छोड़ दिया। आंसू गैस आदि का प्रयोग भी तब हुआ, जब स्थिति अनियंत्रित हो गई।
वस्तुतः मुझे इस आंदोलन पर पूर्व से कुछ-कुछ ही संदेह था। अपने कार्य की व्यस्ततावश मैं इस विषय में अधिक कुछ जानने व समझने की इच्छा भी नहीं कर पाता, परंतु संक्षिप्त समाचार देखने से इतना तो अवगत था कि कहीं कुछ अनिष्ट अवश्य है। किसानों के समर्थन में जो नेता आ रहे थे, कभी ट्रैक्टर्स पर बैठकर किसान हितैषी होने का प्रदर्शन करते हैं, वहां जोशीले भाषण देते हैं, कभी राष्ट्रपति भवन की ओर दौड़ते हैं। क्या किसानों ने कभी उनसे यह पूछने का प्रयास भी किया कि स्वतंत्रता के पश्चातझ्झ् अधिकांश समय उन्हीं की सरकार रही है, तब उन्होंने क्यों नहीं किसानों का कायाकल्प कर दिया? क्यों नहीं आज भी उनकी राज्य सरकारें किसानों का भला कर पा रही हैं? क्यों उनके शासन में किसान आत्महत्या करते रहे हैं? किसानों ने क्यों पिछले लगभग 70 वर्षों में विभिन्न सरकारों द्वारा उनके लिए बनाई गई नीतियों का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास नहीं किया? यदि वे सभी राजनीतिक दलों को किसान विरोधी मानते हैं, तब क्यों नहीं उन्होंने अपने मंच से राजनेताओं को धक्का मार कर बाहर निकाला? जो राजनेता सदैव पाकिस्तान व चीन की भाषा बोलते हैं, आतंकवादियों व अलगाववादियों का खुलकर समर्थन करते हैं, कश्मीर में धारा 370 लगाने के अपराधी रहे हैं और आज फिर गुपकार गिरोह, के साथ मिलकर पुनः 370 धारा को बहाल क��ने की मांग करते हैं  और गुपकार गिरोह चीन के सहयोग, तो कोई अमेरिका के सहयोग से धारा 370 को बहाल करने की बात करते हैं, वे राष्ट्रीय इतिहास व संस्कृति का पदे पदे अपमान करते हैं, उनका किसानों का मसीहा बनने का दिखावा क्यों किसानों को दिखाई नहीं दिया? यह किसानों से भूल हुई। इसके साथ ही किसानों की भीड़ में पाकिस्तान व खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगना, अलगाववादियों के चित्र को लहराना, यह सब यही दर्शाता है कि किसानों का आंदोलन अपने मूल लक्ष्य से भटक गया और इसमें खालिस्तानी आतंकवादी, चीन व पाक के चाटुकार वामपंथी शक्तियों ने घुसपैठ कर ली। विपक्षी दल भी इस पाप में पूर्णतः सम्मिलित थे। इस आंदोलन के समर्थन में कनाडा के प्रधानमंत्री का बोलना, यूएन का बोलना, ब्रिटेन में प्रदर्शन होना, यह सब दर्शाता है कि यह आंदोलन परोक्ष रूप से कहीं बाहर से भी प्रेरित था और गणतंत्र दिवस को ही लक्ष्य बनाने की हठ कोई सामान्य बात नहीं थी, बल्कि इसमें पूर्व नियोजित भयानक षडयंत्र की गंध आती है।
यह बात नितांत सत्य है कि किसी भी देश का किसान उस देश का आत्मा है, वह अन्नदाता है, इस कारण महर्षि दयानंद सरस्वती ने किसानों को राजाओं का राजा कहा था। वे किसानों के प्रति बहुत सहृदयता रखते थे, इस कारण उन्होंने गो-कृषि आदि रक्षिणी सभा की स्थापना की थी। दुर्भाग्य से देश ने ऋषि दयानंद को नहीं समझा और किसान दुःखी ही होता रहा। कई सरकारें आयीं व गयीं परन्तु ऋषि दयानन्द को किसी ने भी महत्व नहीं दिया?
यद्यपि मोदी सरकार ने किसानों के हित में पूर्व सरकारों की अपेक्षा कुछ कदम तो उठाए ही हैं परंतु ये बिल जिस प्रकार अकस्मात् लाकर बिना चर्चा के पारित कराए, वह प्रक्रिया ही गलत थी, अधिनायकवादी थी। वे बिल किसानों के हित में हैं वा नहीं, यह मेरा विषय नहीं परंतु इतना सुना है कि जो नेता इनका अब विरोध कर रहे हैं,  वे ही पहले इन बिलों को ला रहे थे, तब भाजपा ने विरोध किया और जब भाजपा लायी, तो ये विरोध कर रहे हैं, तब सत्यवादी तो कोई दल वा नेता नहीं है। सभी सत्ता के मद में जनता के अधिकारों व वास्तविक हितों को भूल जाते हैं। आज कोरोना के नाम पर भी अघोषित आपात्काल व अधिनायकवाद चल रहा है, सत्य कोई सुनने वाला नहीं। देश बर्बाद हो गया है। कारोना काल में कुछ बडे़ पूंजीपतियों की सम्पत्ति बहुत बढ़ गयी और करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये, करोड़ों और अधिक निर्धन हो गये, व्यापारी व विद्यार्थी आदि बर्बाद हो गये। तब ��ी क्या इसे कोई षड्यन्त्र मानने को उद्यत है, कोई कुछ सुनना चाहता है? परन्तु आज कुछ मत बोलो, स्वास्थ्य आपात्काल है, इसमें सत्य को भी अफवाह बताया जाता है।
सबका अन्नदाता आज भी दुःखी ही है और पूंजीवाद बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि जनता आंदोलनों के लिए भी बाध्य हो जाती है। यह आंदोलन भी इसी का परिणाम था। सरकार ने आंदोलनकारी किसानों के दबाव को देखते हुए कई चक्र की वार्ता की। किसानों को बिलों के किसी भी बिंदु पर बात करने का प्रस्ताव रखा, अनेक बातों को स्वीकार भी किया, कानूनों को स्थगित करके एक समिति भी बनाई, तब किसान��ं का कर्तव्य था कि वे आंदोलन को स्थगित कर देते, समिति के निर्णय की प्रतीक्षा करते परंतु ऐसा लगता है कि किसान नेता अराजक व अलगाववादी तत्त्वों के नियंत्रण में आ चुके थे और भोले भाले किसानों को लेकर ठंड में सड़कों पर डटे रहे। अंत में अराजक तत्त्वों ने देश के मस्तक पर यह कलंक लगा ही दिया। सरकार को इस कलंक के अपराधियों को कठोरतम दण्ड देना चाहिए। जहाँ तक बात बिलों को वापिस लेने की हठ की है, उस विषय में यह भी सत्य है कि बिल वापिस लेने से देश पर कोई संकट का पहाड़ नहीं टूटेगा, परन्तु एक आशंका यह अवश्य है कि इससे प्रेरित होकर राष्ट्रविरोधी नेता धारा 370 हटाने आदि जैसे अनेक राष्ट्रहित के कानूनों को भी रद्द करने के लिए आन्दोलन करने लग जाएंगे। इस कारण बिलों में किसान हित में आवश्यक संशोधन ही करना चाहिए। बिल वापिसी की हठ ठीक नहीं।
मैं तो सभी देशवासियों से विनती करता हूं कि देश सर्वोपरि है, इस कारण इसकी अस्मिता की रक्षा करना सबका सामूहिक उत्तरदायित्व है। सरकार व जनता दोनों को ही अपने अपने अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य तथा दूसरों के अधिकारों को समझना होगा। जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को मनमाने ढंग से कानून बनाकर देश पर थोपने से पूर्व जन भावनाओं को समझना होगा। किसानों, श्रमिकों व उद्योगपतियों के बीच मैत्रीपूर्ण समन्वय किसी भी राष्ट्र के लिए अनिवार्य है, अन्यथा राष्ट्र का अस्तित्व ही नष्ट हो सकता है। निर्धन व धनी के बीच बढ़ती दूरी अत्यंत घातक है। आज यह घातक पाप प्रवाह जोरों से चल रहा है। हाँ, एक तथ्य यह भी है कि, जो लोग अम्बानी व अडानी जैसे उद्योगपतियों को लेकर छाती पीटते हैं, वे विदेशी कम्पनीज् की चर्चा भी नहीं करते, यह क्या रहस्य है?
स्मरण रहे यह अमानवीय पाप आज प्रारंभ नहीं हुआ है, बल्कि इसके नायक श्री जवाहरलाल नेहर��� ही थे। विदेशी कंपनीज् को आमंत्रित करने वाले वे ही थे। उदारीकरण, जो वास्तव में उधारीकरण की प्रक्रिया श्री नरसिंहा राव के शासनकाल में ही प्रारंभ हो गई थी, तब भाजपा व संघ दोनों ही इसके विरुद्ध थे और स्वदेशी की दुहाई दे रहे थे, परंतु दुर्भाग्य से अब वे ही विदेशी कंपनीज् के स्वागत में पलक पावडे़ बिछा रहे हैं। कभी एक ईस्ट इंडिया कंपनीज् ने देश पर क्रूर शासन किया था, आज विदेशी दवा कंपनीज् संपूर्ण विश्व पर शासन कर रही हैं। खाद, बीज, इंटरनेट आदि से जुड़ी कंपनीज् भी इसमें सहभागी हैं। कोरोना नामक कथित महामारी भी इन्हीं की देन है। सर्वत्र अंधकार है, पूंजीपति लूट मचा रहे हैं, अधिकांश कानून उन्हीं के संरक्षण के लिए होते हैं। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश पराधीनता की ऐसी बेड़ियों में जकड़ गया है, जो भविष्य में देश को पूर्व की पराधीनता से भी अधिक भयानक गर्त में गिर सकता है। आज मेरी यह बात सबके गले नहीं उतरेगी परंतु वह दिन दूर नहीं जब ऐसा दुर्भाग्य हमारे समक्ष आ खड़ा होगा। इधर हमारी आंतरिक समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं, उधर चीन, तुर्की व पाकिस्तान का गठजोड़ हमारे लिए संकट बढ़ाता जा रहा है। हां, इतना अवश्य है चीन के संकट के समक्ष सीना तान कर खड़ा होने का भारी साहस तो मोदी जी ने किया ही है, जो हमारे लिए गर्व की बात है, परंतु जो देश आंतरिक संकटों से निरंतर घिरता जाए और देश के अधिकांश नागरिक स्वार्थी व संकीर्ण सोच तक ही सीमित हो गये हों और सरकार अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं व बहुराष्ट्रीय कम्पनीज् के मकड़जाल में फंसने और उनसे प्रशंसा पाने को ही राष्ट्र का गौरव मानने की भूल कर रही हो, तब कोई चमत्कार ही देश को बचा सकता है।
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक प्रमुख, श्री वैदिक स्वस्ति पन्था न्यास
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realtimesmedia · 2 years ago
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पाकिस्तानियों से खेप लेने आए आठ तस्कर गिरफ्तार, भारत-पाक बॉर्डर पर हेरोइन तस्करों को दबोचा
पाकिस्तानियों से खेप लेने आए आठ तस्कर गिरफ्तार, भारत-पाक बॉर्डर पर हेरोइन तस्करों को दबोचा
राजस्थान के श्रीगंगानगर में पुलिस ने मादक पदार्थ तस्करों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की है। पाकिस्तान से हेरोइन की डिलीवरी लेने आए पंजाब के आठ तस्करों को बंदी बनाया है। राजस्थान के श्रीगंगानगर श्रीकरणपुर थाना पुलिस ने गुरुवार को मादक पदार्थ तस्करों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। कस्बा श्रीकरणपुर व 14 एस मांझीवाला में रात को पाकिस्तान से हेरोइन की डिलीवरी लेने आए पंजाब के फिरोजपुर निवासी…
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pragyamatthpublications · 3 years ago
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हिमालय का इस्लामीकरण 
 उत्तराखंड और हिमाचल में भूमि जिहाद का आक्रमण।
आज से 29 वर्ष पूर्व जब मैं कश्मीर में आतंकवाद के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का हिस्सा था, मुझे पाक-प्रशिक्षित कई आतंकवादियों के इंटेरोगेशन यानी पूछताछ करने का अवसर प्राप्त हुआ। कुछ याद नहीं की मैंने कितने आतंकवादियों का इंटेरोगेशन किया। लेकिन एक आतंकवादी का इंटेरोगेशन इतना अधिक महत्वपूर्ण और कुतूहल पैदा करने वाला था कि उसको मैंने अपनी पुस्तक "कश्मीर में आतंकवाद: आंखों देखा सच" में "प्रेम, पराजय और मोहभंग" नामक चैप्टर में लगभग 20 पृष्ठों में लिखा। उस आतंकवादी ने पाकिस्तान में दिए जा रहे हैं जिस प्रशिक्षण के विषय में बताया था यह सब धीरे-धीरे करके अक्षरशः सत्य साबित हो रहे हैं और हमारे सामने आ रहे हैं।
गजवा-ए-हिंद और दारुल-इस्लाम के विषय में अब अधिकतर भारतीय जागरूक हो चुके हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता है की दारुल-इस्लाम और गजवा-ए-हिंद के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए "हिमालय का इस्लामीकरण" (Islamization of Himalayas) नामक भूमि और जनसंख्या जिहाद भी चल रहा है। बड़े आश्चर्य की बात है कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही इसके प्रति बिल्कुल उदासीन लगती है। जहां इसके लिए मूलतः कांग्रेस और हरीश रावत उत्तरदायी हैं वहीं भाजपा के त्रिवेन्द्र रावत की भूमिका भी कुछ अच्छी नहीं रही है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2018 में उस कानून से छेड़छाड़ की जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जो उत्तराखंड का मूलनिवासी नहीं है उत्तराखंड में जमीन नहीं खरीद सकता। रावत के इस परिवर्तित कानून का दुष्परिणाम यह हुआ की देवभूमि उत्तराखंड का इस्लामीकरण और ईसाईकरण एक षड्यंत्र और योजनाबद्ध तरीके से बहुत तेजी से हो रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य हैं क्योंकि पूरे हिमालयन रीजन में मात्र यही दो राज्य हैं जो इस्लामीकरण और ईसाईकरण से बचे हुए हैं।
हिमालय पर्वत का 2400 किलोमीटर का विस्तार कई श्रृंखलाओं में बंटा हुआ है, जो पश्चिमोत्तर में हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला (अफगानिस्तान) से शुरू होता है और पूर्वोत्तर तथा दक्षिण पूर्व में नागालैंड की पटकाई पर्वत श्रृंखला पर समाप्त हो जाता है। इसके सब-टरेनियन विस्तार (sub-terrainian parts) का कुछ हिस्सा तिब्बत और चीन के कब्जे में भी है। इस 2400 किलोमीटर के पूरे विस्तार में मात्र हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड दो ऐसे राज्य हैं जो अभी भी अपने सनातनी और हिंदू चरित्र को बनाए रखे हुए हैं। हिमालय की पश्चिमोत्तर की अधिकतर बड़ी पर्वत श्रृंखलाएं जैसे हिंदू कुश (अफगानिस्तान) कराकोरम (पाकिस्तान/पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर) ज़ंसकर (पाक अधिकृत कश्मीर और लद्दाख) पीर पंजाल (भारत- जम्मू-कश्मीर) इत्यादि पहले से ही इस्लामिक हो चुकी हैं। एक समय में हिंदू-बौद्ध संस्कृति का केंद्र अफगानिस्तान अब पूरी तरह से एक इस्लामिक देश (Islamic Republic Afghanistan) ही नहीं 100% मुसलमानों का देश हो चुका है। जो थोड़े हिन्दू /सिख बचें थे वर्तमान तालिबान शासन के शुरू होते ही वहां से खदेड़ दिए गए या भयाक्रांत हो भाग लिए। कराकोरम पर्वत श्रृंखला जो पाकिस्तान/ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और भारत तक फैली है, पूरी तरह से इस्लामीकरण का शिकार हो चुकी। यहां तक कि भारत में भी हिमालय की गोद में बसा कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के बहिष्करण (exodus) के बाद 97% मुसलमान आबादी का क्षेत्र बन गया है। कश्मीर और शेष भारत को अलग करने वाली पर्वत श्रृंखला "पीर पंजाल"  का भी इस्लामीकरण हो चुका है।
पीर पंजाल के दक्षिण की तरफ से जम्मू क्षेत्र शुरू होता है जहां हिंदू कुल मिलाकर किसी तरह बहुसंख्यक बने हुए हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अभी तक बाहरी लोगों के बसने पर प्रतिबंध लगा हुआ था/है। इन प्रतिबंधों के बावजूद उत्तराखंड और हिमाचल में मुसलमान बहुत तेजी से अनधिकृत रूप से बस रहे हैं। इनका बसाव मजदूर, रेडी पटरी वाले और दुकानदारों के चोले में हो रहा है। अधिक आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से बहुसंख्य भारतीय मुसलमान नहीं है बल्कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं।
असम के मुख्यमंत्री, हेमंत विश्व शर्मा सरकार के द्वारा असम में दबाव बनाने और अनधिकृत कब्जे वाली भूमि को रोहिंग्या और बांग्लादेशियों से खाली कराने के बाद काफी बांग्लादेशी घुसपैठिये मुसलमान हिमाचल और उत्तराखंड की पहाड़ियों की ओर रुख किए हुए हैं। सबसे दुखद बात यह है कि यह हिंदुओं के पवित्र स्थानों पर डेमोग्राफी (धार्मिक जनसंख्या) में बदलाव की दिशा में बढ़ रहे हैं। पहाड़ों में रोजगार कम होने के कारण अधिकतर पहाड़ी नौजवान मैदा��ी इलाकों में नौकरी की तलाश में चले आते हैं और पीछे सिर्फ बूढ़े, महिलाएं और बच्चे छूट जाते हैं। ऐसी स्थिति जिहादियों के लिए बहुत ही अनुकूल होती है क्योंकि ना सिर्फ उन्हें दुकान खोलने, मजदूरी करने और अन्य कार्यों को करने का अवसर मिल जाता है बल्कि ऐसे में लव जिहाद के लिए भी मैदान खाली मिल जाता है। यह सब कुछ उत्तराखंड और हिमाचल में बहुत तेजी से हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर के आसपास पहले कई किलोमीटर तक एक भी मुसलमान नहीं था लेकिन आज वहां हजारों की संख्या में मंदिर के निकट काफी बड़ी संख्या में मुसलमान बस चुके हैं। यही स्थिति उत्तराखंड में हरिद्वार और नैनीताल की है जहां एक समय एक भी मुसलमान नहीं थे और इन दोनों जगहों पर कोई भी मस्जिद नहीं थी लेकिन आज स्थिति यह है कि यहां पर मुसलमान भले ही कम हो लेकिन ��स्जिद बहुत तेजी से बन रही है। तारिक फतेह ने स्वयं एक वीडियो में बताया कि अभी कुछ वर्ष पूर्व जब वह नैनीताल गए थे तो सुबह उन्हें बहुत ऊंचे वॉल्यूम में अजान सुनाई पड़ी। तारिक फतेह अपने होटल से उठकर उस मस्जिद तक गए और देखा कि वहां सिर्फ 11 लोग नमाज पढ़ रहे थे। उन्होंने मौलवी से पूछा कि यहां आस-पास कितने मुसलमान रहते हैं तो उसने बताया कि जितने रहते यही हैं। तब तारेक फतह ने प्रश्न किया कि जब कुल 11 लोग ही हैं तो इतनी ऊंची आवाज में अजान देने की आवश्यकता क्या है? स्पष्ट है अजान नमाजियों को बुलाने के लिए नहीं बल्कि अपना डोमिनेंस यानी आधिपत्य स्थापित करने के लिए इतने ऊंचे वाल्यूम में पढ़ी जाती है।
हिमालय के इस्लामीकरण का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह हो रहा है कि जो हमारे पवित्र स्थान हैं- जैसे रूद्र प्रयाग, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग इत्यादि इन स्थानों पर भी मांस का विक्रय प्रारंभ हो गया है। आवश्यक नहीं कि यह गाय का ही मांस हो लेकिन जो हिंदू धर्म स्थलों की पवित्रता है वह नष्ट होती जा रही है। नेपाल में भी यही दशा है। "हिन्दू राष्ट्र" का संवैधानिक दर्जा हटने के बाद वहां भी ईसाई और इस्लामी करण बहुत तेजी से हो रहा है। बात यह है कि यह सब स्वाभाविक नहीं बल्कि योजना बद्ध और वाह्यारोपित (induced) है।
हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारे देश के नेताओं को भूगोल का महत्व नहीं पता है। उन्हें पता नहीं कि "जिनका भूगोल नहीं उनका न तो इतिहास होता है न ही भविष्य"। नेहरू ने चीन को प्लेट पर रख कर के तिब्बत दे दिया। ना सिर्फ हमारे बहुत से पवित्र स्थल जैसे मानसरोवर आज चीन के कब्जे में है बल्कि हमारी अधिकतर नदियों का उद्गम स्थल भी चीन के कब्जे में है और वह उस पर बड़े-बड़े बांध बनाकर भारत के लिए "जल प्रलय" की स्थिति पैदा कर रहा है। हमें यह समझना होगा कि पहाड़ों पर जो लोग ब��े हुए हैं उनका बहुत अधिक महत्व है। उत्तराखंड से ही हमारे देश की अनेक पवित्र और प्रमुख नदियां निकलती है जिसमें गंगा और यमुना भी शामिल हैं। उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है और हरिद्वार उसका प्रवेश द्वार है लेकिन जिस तरह से षड्यंत्र के तहत देव भूमि का इस्लामीकरण हो रहा है वह सनातन धर्म और देश के लिए बहुत बड़े खतरे की घंटी है।
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loksutra · 2 years ago
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पहिली वनडे जिंकल्यानंतर भारताने आयसीसी वनडे टीम रँकिंगमध्ये पाकिस्तानला मागे टाकले, जाणून घ्या इंग्लंडला क्लीन केल्याचा काय फायदा होईल
पहिली वनडे जिंकल्यानंतर भारताने आयसीसी वनडे टीम रँकिंगमध्ये पाकिस्तानला मागे टाकले, जाणून घ्या इंग्लंडला क्लीन केल्याचा काय फायदा होईल
मंगळवार 12 जुलै 2022 रोजी ओव्हल येथे इंग्लंडविरुद्ध 3 सामन्यांच्या मालिकेतील पहिला एकदिवसीय सामना जिंकून भारताने ताज्या ICC ODI संघ क्रमवारीत पाकिस्तानला मागे टाकले. इंग्लंडवर 10 गडी राखून विजय मिळवल्यानंतर भारताने आयसीसी वन-डे आंतरराष्ट्रीय संघ क्रमवारीत तिस-या स्थानावर झेप घेतली आहे. पहिल्या वनडेपासून भारत 105 रेटिंग गुणांसह चौथ्या स्थानावर होता. इंग्लंडविरुद्धच्या विजयामुळे त्याचे रेटिंग गुण…
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marathinewslive · 2 years ago
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भारत विरुद्ध पाकिस्तान: जय शाह यांनी तिरंगा विजय दिला नकार! मैदानातील व्हिडिओ व्हायरल; विरोधक म्हणतात, "जर ही गोष्ट..." | भारत विरुद्ध पाक सामना टीआरएसने जिंकल्यानंतर जय शाह यांनी भारतीय ध्वज ठेवण्यास नकार दिला अमित शहा पुत्र scsg 91
भारत विरुद्ध पाकिस्तान: जय शाह यांनी तिरंगा विजय दिला नकार! मैदानातील व्हिडिओ व्हायरल; विरोधक म्हणतात, “जर ही गोष्ट…” | भारत विरुद्ध पाक सामना टीआरएसने जिंकल्यानंतर जय शाह यांनी भारतीय ध्वज ठेवण्यास नकार दिला अमित शहा पुत्र scsg 91
आशिया क्रिकेट संघात भारत रंगतदार पाकिस्‍तान पाकिस्‍तान आणि गडी राखून विजयी आघाडी केली. विरोधी आणि सामना राजकारणावर विपरीत चुरस आली. याला भारतीय क्रिकेट नियामक मंडळाचे सचिव आणि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पिता पुत्र जय शाह सुद्धा उपस्थित होते. मात्र सामना जिंकून जय शाह यांनी भारतीय जनता पक्षाला पकडले आहे. नक्की वाचा >> IND vs PAK आशिया कप: जय शाह संजय मांजरेकर ट्रोल; मांजरेकरांची ‘ही’ दोन विधान…
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indiatv360 · 4 years ago
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1971 पाक विजय दिवस पर कांग्रेसियों ने फहराया झंडा निकाली 'तिरंगा यात्रा'।
1971 पाक विजय दिवस पर कांग्रेसियों ने फहराया झंडा निकाली ‘तिरंगा यात्रा’।
1971 पाक विजय दिवस पर कांग्रेसियों ने फहराया झंडा निकाली ‘तिरंगा यात्रा’। सुल्तानपुर 1971 पाकिस्तान पर विजय दिवस पर कांग्रेसियों ने निकाला तिरंगा यात्रा कार्यक्रम में शामिल हुए प्रदेश महासचिव विवेकानंद पाठक व जिला प्रभारी मनोज तिवारी राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत नारों से गूँजी शहर की सड़कें सुल्तानपुर बुधवार को भारत व पाकिस्तान के विरुद्ध हुए 1971 युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय की तिथि 16…
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pragyamatthpublications · 3 years ago
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हिमालय का इस्लामीकरण
उत्तराखंड और हिमाचल में भूमि जिहाद का आक्रमण।
आज से 29 वर्ष पूर्व जब मैं कश्मीर में आतंकवाद के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का हिस्सा था, मुझे पाक-प्रशिक्षित कई आतंकवादियों के इंटेरोगेशन यानी पूछताछ करने का अवसर प्राप्त हुआ। कुछ याद नहीं की मैंने कितने आतंकवादियों का इंटेरोगेशन किया। लेकिन एक आतंकवादी का इंटेरोगेशन इतना अधिक महत्वपूर्ण और कुतूहल पैदा करने वाला था कि उसको मैंने अपनी पुस्तक "कश्मीर में आतंकवाद: आंखों देखा सच" में "प्रेम, पराजय और मोहभंग" नामक चैप्टर में लगभग 20 पृष्ठों में लिखा। उस आतंकवादी ने पाकिस्तान में दिए जा रहे हैं जिस प्रशिक्षण के विषय में बताया था यह सब धीरे-धीरे करके अक्षरशः सत्य साबित हो रहे हैं और हमारे सामने आ रहे हैं।
गजवा-ए-हिंद और दारुल-इस्लाम के विषय में अब अधिकतर भारतीय जागरूक हो चुके हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता है की दारुल-इस्लाम और गजवा-ए-हिंद के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए "हिमालय का इस्लामीकरण" (Islamization of Himalayas) नामक भूमि और जनसंख्या जिहाद भी चल रहा है। बड़े आश्चर्य की बात है कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही इसके प्रति बिल्कुल उदासीन लगती है। जहां इसके लिए मूलतः कांग्रेस और हरीश रावत उत्तरदायी हैं वहीं भाजपा के त्रिवेन्द्र रावत की भूमिका भी कुछ अच्छी नहीं रही है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2018 में उस कानून से छेड़छाड़ की जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जो उत्तराखंड का मूलनिवासी नहीं है उत्तराखंड में जमीन नहीं खरीद सकता। रावत के इस परिवर्तित कानून का दुष्परिणाम यह हुआ की देवभूमि उत्तराखंड का इस्लामीकरण और ईसाईकरण एक षड्यंत्र और योजनाबद्ध तरीके से बहुत तेजी से हो रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य हैं क्योंकि पूरे हिमालयन रीजन में मात्र यही दो राज्य हैं जो इस्लामीकरण और ईसाईकरण से बचे हुए हैं।
हिमालय पर्वत का 2400 किलोमीटर का विस्तार कई श्रृंखलाओं में बंटा हुआ है, जो पश्चिमोत्तर में हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला (अफगानिस्तान) से शुरू होता है और पूर्वोत्तर तथा दक्षिण पूर्व में नागालैंड की पटकाई पर्वत श्रृंखला पर समाप्त हो जाता है। इसके सब-टरेनियन विस्तार (sub-terrainian parts) का कुछ हिस्सा तिब्बत और चीन के कब्जे में भी है। इस 2400 किलोमीटर के पूरे विस्तार में मात्र हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड दो ऐसे राज्य हैं जो अभी भी अपने सनातनी और हिंदू चरित्र को बनाए रखे हुए हैं। हिमालय की पश्चिमोत्तर की अधिकतर बड़ी पर्वत श्रृंखलाएं जैसे हिंदू कुश (अफगानिस्तान) कराकोरम (पाकिस्तान/पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर) ज़ंसकर (पाक अधिकृत कश्मीर और लद्दाख) पीर पंजाल (भारत- जम्मू-कश्मीर) इत्यादि पहले से ही इस्लामिक हो चुकी हैं। एक समय में हिंदू-बौद्ध संस्कृति का केंद्र अफगानिस्तान अब पूरी तरह से एक इस्लामिक देश (Islamic Republic Afghanistan) ही नहीं 100% मुसलमानों का देश हो चुका है। जो थोड़े हिन्दू /सिख बचें थे वर्तमान तालिबान शासन के शुरू होते ही वहां से खदेड़ दिए गए या भयाक्रांत हो भाग लिए। कराकोरम पर्वत श्रृंखला जो पाकिस्तान/ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और भारत तक फैली है, पूरी तरह से इस्लामीकरण का शिकार हो चुकी। यहां तक कि भारत में भी हिमालय की गोद में बसा कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के बहिष्करण (exodus) के बाद 97% मुसलमान आबादी का क्षेत्र बन गया है। कश्मीर और शेष भारत को अलग करने वाली पर्वत श्रृंखला "पीर पंजाल"  का भी इस्लामीकरण हो चुका है।
पीर पंजाल के दक्षिण की तरफ से जम्मू क्षेत्र शुरू होता है जहां हिंदू कुल मिलाकर किसी तरह बहुसंख्यक बने हुए हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अभी तक बाहरी लोगों के बसने पर प्रतिबंध लगा हुआ था/है। इन प्रतिबंधों के बावजूद उत्तराखंड और हिमाचल में मुसलमान बहुत तेजी से अनधिकृत रूप से बस रहे हैं। इनका बसाव मजदूर, रेडी पटरी वाले और दुकानदारों के चोले में हो रहा है। अधिक आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से बहुसंख्य भारतीय मुसलमान नहीं है बल्कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं।
असम के मुख्यमंत्री, हेमंत विश्व शर्मा सरकार के द्वारा असम में दबाव बनाने और अनधिकृत कब्जे वाली भूमि को रोहिंग्या और बांग्लादेशियों से खाली कराने के बाद काफी बांग्लादेशी घुसपैठिये मुसलमान हिमाचल और उत्तराखंड की पहाड़ियों की ओर रुख किए हुए हैं। सबसे दुखद बात यह है कि यह हिंदुओं के पवित्र स्थानों पर डेमोग्राफी (धार्मिक जनसंख्या) में बदलाव की दिशा में बढ़ रहे हैं। पहाड़ों में रोजगार कम होने के कारण अधिकतर पहाड़ी नौजवान मैदानी इलाकों में नौकरी की तलाश में चले आते हैं और पीछे सिर्फ बूढ़े, महिलाएं और बच्चे छूट जाते हैं। ऐसी स्थिति जिहादियों के लिए बहुत ही अनुकूल होती है क्योंकि ना सिर्फ उन्हें दुकान खोलने, मजदूरी करने और अन्य कार्यों को करने का अवसर मिल जाता है बल्कि ऐसे में लव जिहाद के लिए भी मैदान खाली मिल जाता है। यह सब कुछ उत्तराखंड और हिमाचल में बहुत तेजी से हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर के आसपास पहले कई किलोमीटर तक एक भी मुसलमान नहीं था लेकिन आज वहां हजारों की संख्या में मंदिर के निकट काफी बड़ी संख्या में मुसलमान बस चुके हैं। यही स्थिति उत्तराखंड में हरिद्वार और नैनीताल की है जहां एक समय एक भी मुसलमान नहीं थे और इन दोनों जगहों पर कोई भी मस्जिद नहीं थी लेकिन आज स्थिति यह है कि यहां पर मुसलमान भले ही कम हो लेकिन मस्जिद बहुत तेजी से बन रही है। तारिक फतेह ने स्वयं एक वीडियो में बताया कि अभी कुछ वर्ष पूर्व जब वह नैनीताल गए थे तो सुबह उन्हें बहुत ऊंचे वॉल्यूम में अजान सुनाई पड़ी। तारिक फतेह अपने होटल से उठकर उस मस्जिद तक गए और देखा कि वहां सिर्फ 11 लोग नमाज पढ़ रहे थे। उन्होंने मौलवी से पूछा कि यहां आस-पास कितने मुसलमान रहते हैं तो उसने बताया कि जितने रहते यही हैं। तब तारेक फतह ने प्रश्न किया कि जब कुल 11 लोग ही हैं तो इतनी ऊंची आवाज में अजान देने की आवश्यकता क्या है? स्पष्ट है अजान नमाजियों को बुलाने के लिए नहीं बल्कि अपना डोमिनेंस यानी आधिपत्य स्थापित करने के लिए इतने ऊंचे वाल्यूम में पढ़ी जाती है।
हिमालय के इस्लामीकरण का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह हो रहा है कि जो हमारे पवित्र स्थान हैं- जैसे रूद्र प्रयाग, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग इत्यादि इन स्थानों पर भी मांस का विक्रय प्रारंभ हो गया है। आवश्यक नहीं कि यह गाय का ही मांस हो लेकिन जो हिंदू धर्म स्थलों की पवित्रता है वह नष्ट होती जा रही है। नेपाल में भी यही दशा है। "हिन्दू राष्ट्र" का संवैधानिक दर्जा हटने के बाद वहां भी ईसाई और इस्लामी करण बहुत तेजी से हो रहा है। बात यह है कि यह सब स्वाभाविक नहीं बल्कि योजना बद्ध और वाह्यारोपित (induced) है।
हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारे देश के नेताओं को भूगोल का महत्व नहीं पता है। उन्हें पता नहीं कि "जिनका भूगोल नहीं उनका न तो इतिहास होता है न ही भविष्य"। नेहरू ने चीन को प्लेट पर रख कर के तिब्बत दे दिया। ना सिर्फ हमारे बहुत से पवित्र स्थल जैसे मानसरोवर आज चीन ��े कब्जे में है बल्कि हमारी अधिकतर नदियों का उद्गम स्थल भी चीन के कब्जे में है और वह उस पर बड़े-बड़े बांध बनाकर भारत के लिए "जल प्रलय" की स्थिति पैदा कर रहा है। हमें यह समझना होगा कि पहाड़ों पर जो लोग बसे हुए हैं उनका बहुत अधिक महत्व है। उत्तराखंड से ही हमारे देश की अनेक पवित्र और प्रमुख नदियां निकलती है जिसमें गंगा और यमुना भी शामिल हैं। उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है और हरिद्वार उसका प्रवेश द्वार है लेकिन जिस तरह से षड्यंत्र के तहत देव भूमि का इस्लामीकरण हो रहा है वह सनातन धर्म और देश के लिए बहुत बड़े खतरे की घंटी है।
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loksutra · 2 years ago
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विराट कोहलीला खरंच नंबर 1 व्हायचं आहे की फक्त टाईमपास? खराब फॉर्ममध्ये शाहिद आफ्रिदीने कोहलीच्या 'अ‍ॅटिट्यूड'वर प्रश्न केला - विराटला खरंच नंबर 1 व्हायचं आहे की फक्त वेळ घालवायचा आहे? खराब फॉर्ममध्ये शाहिद आफ्रिदीने कोहलीच्या 'अ‍ॅटिट्यूड'वर प्रश्न केला
विराट कोहलीला खरंच नंबर 1 व्हायचं आहे की फक्त टाईमपास? खराब फॉर्ममध्ये शाहिद आफ्रिदीने कोहलीच्या ‘अ‍ॅटिट्यूड’वर प्रश्न केला – विराटला खरंच नंबर 1 व्हायचं आहे की फक्त वेळ घालवायचा आहे? खराब फॉर्ममध्ये शाहिद आफ्रिदीने कोहलीच्या ‘अ‍ॅटिट्यूड’वर प्रश्न केला
पाकिस्तानचा माजी कर्णधार शाहिद आफ्रिदीने विराट कोहलीच्या वृत्तीवर प्रश्नचिन्ह उपस्थित केले आहे, भारतीय क्रिकेट संघाचा माजी कर्णधार विराट कोहली खराब फॉर्ममधून जात आहे. कोहलीला शतक झळकावून दोन वर्षा��हून अधिक काळ लोटला आहे असे नाही, तर या वर्षा�� त्याने 11 आंतरराष्ट्रीय सामने खेळले आहेत आणि केवळ 4 अर्धशतके झळकावली आहेत. इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2022 मधील त्याची कामगिरीही सरासरी राहिली आहे. तिन्ही…
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marathinewslive · 2 years ago
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आशिया चषक 2022 मध्ये भारत विरुद्ध पाकिस्तान असा व्हिडिओ व्हायरल झालेला हार्दिक पांड्या ब्लूज मास्टरप्लॅनमध्ये पुरुष पहा
आशिया चषक 2022 मध्ये भारत विरुद्ध पाकिस्तान असा व्हिडिओ व्हायरल झालेला हार्दिक पांड्या ब्लूज मास्टरप्लॅनमध्ये पुरुष पहा
आशिया कप 2022 IND vs PAK: भारत-पाकिस्तानचा सामना म्हंटला की उत्साह, जल्लोष सुद्धा आलाच. आशिया चषकात पार पडलेल्या घटना सुद्धा असाच थरार कारण. टीम इंडियाने एक लढत दिली आहे. पाकिस्तानने एकाला माघारी मारले आणि २० षटकातील शेवटचा खेळ खेळला नाही सुद्धा सुद्धा दिली, तर भारतीय खेळाडूंनी चौकार-षटकार ठोकून स्वतःला शेवटचा चेंडू खेळण्याची वेळ दिली नाही. या विड्या अष्टपैलु शुभेच्छा पांड्याने आपल्या खेळासह एका…
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aapkiaawaaznewsagency · 4 years ago
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ब्रेकिगं न्यूज एटा ---- !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! पवित्र कुरान मजीद की 26 आयतों को कुरान पाक से निकाले जाने के लिए ��ाननीय उच्चतम न्यायालय में वसीम रिजवी नाम के व्यक्ति की मार्फत अधिवक्ता द्वारा दायर पी. आई. एल. को खारिज कर सम्बन्धित के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह के तहत कार्यवाही किऐ जाने को लेकर इंडियन अब्बासी अल्पसंख्यक महासभा के जिलाध्यक्ष मुहम्मद इरफान एडवोकेट के नेत्रत्व में सैकडों मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा जिला कलेक्टर के जरिऐ भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति को प्रदर्शन कर भेजा गया ञापन !! रिपोर्ट --.दैनिक स्वराज्य टाइम्स एटा https://www.instagram.com/p/CMerPMoB7lj/?igshid=1muure74y31cb
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kisansatta · 4 years ago
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इमरान को राहत ! 2014 के संसद हमले में दोषमुक्त करार
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नई दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बड़ी राहत मिली है बता दें कि 2014 में सांसद में हुए हमले के मामले में उन्हें क्लीन चित मिल गयी है इतना ही नहीं इमरान को एक आतंकरोधी अदालत ने वर्ष 2014 में संसद पर हमले के मामले में दोषमुक्त करार दिया | हालांकि अदालत ने इस मामले में कई विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों को तलब किया है | मीडिया में प्रकाशित खबर में यह जानकारी सामने आई |
पाकिस्तानी मीडिया की खबर के मुताबिक कहा गया कि आंतकरोधी अदालत के न्यायाधीश राजा जावेद अब्बास हसन ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही पर रोक लगा दी है |
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दो दिवसीय दौरे पर गुजरात गए पीएम मोदी ने केशु भाई को दी श्रद्धांजलि
गौरतलब है कि पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) और पाकिस्तान आवामी तहरीक (पीएटी) के कार्यकर्ताओं ने 31 अगस्त 2014 को संसद और प्रधानमंत्री आवास की ओर कूच किया था | इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हुई झड़प में तीन व्यक्तियों की मौत हो गई थी और 26 अन्य घायल हो गए थे | आपको बता दें कि इस समय पाकिस्तान की सत्ता में पीटीआई काबिज है |
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सऊदी के नोट में भारत से अलग दिखा जम्मू-कश्मीर
पुलिस ने इमरान खान तथा पीटीआई के अन्य नेताओं के विरुद्ध आतंकवाद निरोधी धाराओं में मामला दर्ज किया था | पाक के एक पेपर में प्रकाशित खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री इमरान खान की दोषमुक्ति उनके द्वारा एक हफ्ते पहले अदालत से किए गए आग्रह के बाद सामने आई है | इमरान ने अभियोजन पक्ष द्वारा मामले को आगे नहीं बढ़ाए जाने में रुचि नहीं दिखाने का हवाला देते हुए उन्हें दोषमुक्त करने का अदालत से आग्रह किया था |
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