#भारत यूरोप की यात्रा
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Today's History, 3 August; आज के दिन कोलंबस ने भारत को खोज के लिए शुरू की थी यात्रा, पढ़ें 3 अगस्त का इतिहास
History of 3 Aug: 3 अगस्त का दिन, साल 1492, यूरोप से निकला एक नाविक, तलाश थी एक ऐसे देश की जो अपनी सम्पन्नता के लिए सभी की कल्पनाओं में जीवित था. हम बात करे रहे हैं इटली के नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस (columbus india discovery) की. जिसने आज के दिन भारत की खोज के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी. हालांकि हम सभी को मालूम है कि वो भारत तक तो कभी नहीं पहुंच सका लेकिन उसकी इस यात्रा ने भविष्य के मानचित्र में…
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मोदी की रूस यात्रा से इतना चिढ़ा क्यों है अमेरिका? दे रहा धमकी, पुतिन की हुई बल्ले-बल्ले
मॉस्को: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के लिए रूस जा रहे हैं। यह रूस के 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से उनकी पहली यात्रा है। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोदी और पुतिन दोनों ने अपने-अपने देशों में हुए चुनावों में एक बार फिर जीत हासिल की है। पुतिन के नए कार्यकाल के शुरू होने के बाद यह किसी बड़े वैश्विक नेता की पहली रूस यत्रा भी है, जिससे रूसी राष्ट्रपति को बहिष्कृत करने के पश्चिमी प्रयासों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। पुतिन ने चुनाव जीतने के बाद पहली यात्रा के तौर पर चीन को चुना था, जिसे दोनों देशों के संबंधों में आई तेजी के तौर पर देखा गया। हालांकि को लेकर अमेरिका खुश नहीं है। भारत में अमेरिकी राजदूत ने तो भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों की धमकी तक दे डाली है।ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित शोध समूह मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो स्वास्ति राव ने कहा, "रूस और चीन के बीच रणनीतिक गठबंधन का गहरा होना भारत के लिए असहज है, क्योंकि यह आपके सबसे अच्छे दोस्त और दुश्मन के बीच सोने जैसा है।" "चूंकि हमें ये चिंताएं हैं, इसलिए प्रधानमंत्री का वहां जाना और उच्चतम स्तर पर पुतिन से बात करना समझ में आता है।" तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मोदी की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी, जिसमें प्रधानमंत्री भूटान, मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के बजाय रूस की यात्रा करके परंपरा को तोड़ रहे हैं, जहां उन्होंने पिछले चुनाव जीतने के बाद जाना चुना था। रूस के साथ रिश्तों को महत्व दे रहा भारत इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह इस बात को रेखांकित करता है कि नई दिल्ली मास्को के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता भारत रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार बन गया है। भारत की सैन्य हार्डवेयर आपूर्ति भी रूस पर निर्भर है। वहीं, 2020 में भूमि-सीमा संघर्ष के बाद से चीन और भारत के ��ीच संबंध निम्न स्तर पर हैं। रूस के साथ किसी बड़े सौदे की संभावना नहीं इस मामले से परिचित भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों नेताओं से कई मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है, हालांकि कोई महत्वपूर्ण समझौता होने की संभावना नहीं है। लोगों ने कहा कि एजेंडे में दोनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रसद आपूर्ति समझौता, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त विकास पर चर्चा फिर से शुरू करना और परमाणु ऊर्जा पर सहयोग शामिल है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क किए जाने पर भारत का विदेश मंत्रालय तुरंत टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं था। पीएम मोदी की रूस यात्रा का अजब संयोग पीएम मोदी की मॉस्को की यात्रा 8-9 जुलाई को होने की उम्मीद है। यह आंशिक रूप से वाशिंगटन में उत्तरी अमेरिकी संधि संगठन (NATO) के सदस्यों के एक अलग शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि मोदी की रूस यात्रा लंबे समय से लंबित थी और समय का नाटो गठबंधन की बैठक से कोई संबंध नहीं है। मॉस्को के बाद मोदी के दो दिवसीय दौरे पर वियना जाने की उम्मीद है। रूस के साथ भारत के संबंधों से अमेरिका चिंतित अमेरिका ने एशिया में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की मांग की है और रूस के साथ नई दिल्ली के संबंधों के प्रति सहिष्णु रहा है। उन संबंधों के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने पिछले हफ्ते कहा कि वाशिंगटन ने नई दिल्ली के साथ भारत-रूस संबंधों के बारे में चिंता जताई है, लेकिन उसे भारत पर भरोसा है और वह दक्षिण एशियाई देश के साथ संबंधों का विस्तार करना चाहता है। संकट में भी रूस के साथ खड़ा रहा भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे खराब लड़ाई को लेकर नई दिल्ली में बेचैनी के बीच मोदी पिछले दो वर्षों से पुतिन के साथ वार्षिक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलनों में शामिल नहीं हुए हैं। फिर भी, भारत ने पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए रूस की न��ंदा करने से परहेज किया है, इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के मतदान में भाग नहीं लिया है, और संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति की वकालत की है। अमेरिका ने भारत को दी धमकी भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि रूस के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाली किसी भी भारतीय कंपनी को यूरोप, अमेरिका और दुनिया भर में अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ व्यापार करने की कोशिश करते समय होने वाले "परिणामों" के बारे में पता होना चाहिए। गार्सेटी ने कहा, "अमेरिका, दर्जनों सहयोगियों के साथ, इस विचार के खिलाफ खड़ा है कि एक देश को क्रूर बल द्वारा दूसरे की जमीन लेने में सक्षम होना चाहिए। ��ुझे उम्मीद है कि… http://dlvr.it/T93MNd
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CIN /विश्व के अनेक देशों में बना जीकेसी का संगठन-राजीव रंजन
जीतेन्द्र कुमार सिन्हा : ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ़्रेंस द्वारा स्थापना दिवस के चार दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ संपूर्ण विश्व में अमेरिका,कनाडा,लैटिन अमेरिका,यूरोप,ऑस्ट्रेलिया ,यूएई,नेपाल ,सिंगापुर आदि एवं भारत के विभिन्न राज्यों में हुआ।पटना में जीकेसी के ध्वजारोहण के साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि तीन वर्षों की इस छोटी सी यात्रा के…
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Most Haunted Places in World
10 Most Haunted Places in World : आप मानें या न मानें, पूरी दुनिया में असामान्य घटनाओं के स्थान हैं। ये परित्यक्त घर, जंगल या किले हो सकते हैं जहां लोगों ने दुखद दुर्घटनाओं और भूतों को देखा है। इन जगहों पर ऐसी कई घटनाओं की खबरें आती रहती हैं जो लोगो को डराती हैं।
जबकि आप यात्रा करने के लिए सबसे खूबसूरत जगहों से परिचित होंगे, हॉन्टेड स्थान भी बहुत रुचि रखते हैं। दुनिया भर में कई हॉन्टेड स्थान हैं जो उन लोगों को आकर्षित करते हैं जो दुनिया के रहस्यमय स्थानों के बारे में उत्सुक हैं। लोग इन जगहों पर जाना पसंद करते हैं और वहां अलौकिक घटनाओं का अनुभव करते हैं। हमने नीचे दुनिया की कुछ सबसे डरावनी जगहों का उल्लेख किया है जिनके बारे में आप जानना चाहेंगे या किसी दिन वहां जाना चाहेंगे। ये जगहें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे देशों की हैं।
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भारत-यूरोपीय संघ एफटीए पर जोर देंगे, हालांकि 2023 में इसके होने की संभावना नहीं है: स्वीडिश मंत्री
भारत-यूरोपीय संघ एफटीए पर जोर देंगे, हालांकि 2023 में इसके होने की संभावना नहीं है: स्वीडिश मंत्री
एक्सप्रेस न्यूज सर्विस नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ ने हाल ही में चल रहे मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए तीसरे दौर की बातचीत पूरी की है। स्वीडन कुछ ही हफ्तों में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभाल रहा है और एफटीए पर काम करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में होगा। “भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण है और यही कारण है कि यह पहला देश है जिसकी मैंने यूरोप के बाहर यात्रा की है। हम जल्द ही यूरोपीय संघ की…
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फ्रांस ने यात्रियों को भारत के निर्मित कोविशील्ड के साथ टीकाकरण स्वीकार किया
फ्रांस ने यात्रियों को भारत के निर्मित कोविशील्ड के साथ टीकाकरण स्वीकार किया
जबकि फ्रांस COVID-19 संक्रमणों की वृद्धि का मुकाबला करने के लिए कई देशों के असंबद्ध यात्रियों पर प्रतिबंध लगाता है, इसने उन अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के प्रवेश की अनुमति दी है, जिन्हें रविवार (17 जुलाई) से देश में कोविशील्ड, एस्ट्राजेनेका का भारतीय निर्मित वैक्सीन प्राप्त हुआ है। ) आगे। यह इस तथ्य पर वैश्विक आक्रोश के बाद आया है कि यात्रा के लिए यूरोपीय संघ के COVID-19 प्रमाणपत्र ने केवल यूरोप में…
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#अदार पूनावाला#इंडिया कोविशील्ड वैक्सीन#इमैनुएल मैक्रों#एसआईआई#एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड#जीन कास्टेक्स#फ्रांस की यात्रा#फ्रांस कोविड मामले#फ्रांस कोविशील्ड स्वीकार करता है#फ़्रांस तवेले#फ्रांस ने यात्रा प्रतिबंध हटाया#फ्रांस में कोविशील्ड की अनुमति#भारत के टीके#भारत कोविड मामले#भारत टीकाकरण#भारत ने फ्रांस में यात्रियों को टीका लगाने की अनुमति दी#भारत यात्रा फ्रांस#भारत यूरोप की यात्रा#यूरोप कोविशील्ड स्वीकार करता है#यूरोप ने एस्ट्राजेनेका को मंजूरी दी#यूरोप में भारत को अनुमति#यूरोपीय संघ ने एस्ट्राजेनेका कोविशिल्ड को मान्यता दी#सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
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The Trail Within | घुमक्कड का घर
By Ratnesh Pandey
क्या आप जानते हैं कि भारतीय कला, संस्कृति और विरासत को किस और नाम से जाना जा सकता है – निश्चित ही टाइम्ज़ पैशन ट्रेल से।
टाइम्ज़ पैशन ट्रेल, टाइम्ज़ आफ़ इंडिया ग्रूप की एक ऐसी अनोखी पहल है जिसमें न केवल देश के पर्यटन को बढ़ावा मिलता है अपितु बहुत ही बारीकियों से अपनी बहुमूल्य और गरिमामई कला, संस्कृति और विरासत को जानने और समझने का मौक़ा मिलता है। टाइम्ज़ पैशन ट्रेल, केंद्र और राज्यों के पर्यटन, कला-संस्कृति और पुरातत्व विभागों के साथ सहभागिता करके इन कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
टाइम्ज़ पैशन ट्रेल के मध्य प्रदेश संस्करण में सम्मिल��त होने का अवसर मुझे मिला। 14 से 19 मार्च 2020 तक चले इस ट्रेल की शुरुआत हिंदुस्तान के दिल, मध्य प्रदेश की राजधानी, झीलों के शहर भोपाल से हुई। अविस्मरणीय पलों के लिए हम सभी बहुत उत्साहित थे और तैयार थे जीवन के नूतन अनुभवों के लिए।
अगर मैं टाइम्ज़ पैशन ट्रेल के प्रमुख संजय लाल जी की मानूँ तो अगले ६ दिन हम काल चक्र को पीछे करके इतिहास में जीने वाले थे।
मैं मूलतः मध्य प्रदेश का ही रहने वाला हूँ और अव्वल दर्जे का घुमक्कड हूँ। चूँकि मध्य प्रदेश के अधिकांशतः जगह मैंने पहले ही देख रखी थी तो सच कहूँ कि मेरे मन में तनिक संशय भी था, कि इस यात्रा में अब नया क्या होने वाला है। बहरहाल ये तो वक़्त ही बताने वाला है।
पहले दिन मैं जहनुमा पैलेस में रुका। यहाँ रुके घुमक्कड साथियों से परिचय हुआ और साथ ही परिचय हुआ हमारे मेज़बान – टाइम्ज़ पैशन ट्रेल की टीम से। हम सब अपनी ख़ुसफुस में व्यस्त थे कि इसी बीच एक और व्यक्ति ने हमें ज्वाइन किया। बातें शुरू होने के कुछ ही क्षण बाद हम सब को यह अहसास हो गया कि यह साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति बहुत ही असाधारण और बहुमुखी प्रतिभा का धनी है। हमारी यात्रा को सार्थक बनाने के लिए इस महान विभूति को हमारा मार्गदर्शक बनाया गया। हमारी ख़ुशी का ठिकाना ना था जब हमें मालुम पड़ा कि यह सज्जन कोई और नहीं बल्कि स्वयं पद्मश्री पुरातत्वविद श्री के के मोहम्मद जी हैं। भारत के इतिहास और धरोहरों को संभालने और उनके रख-रखाव में इन्होंने, पुरातत्व विभाग के डिरेक्टर के तौर पर आजीवन अहम भूमिका निभाई। शाम इनसे गुफ़्तगू करते कब बीत गई पता ही नहीं चला। रात्रि भोज से पहले मध्य प्रदेश पर्यटन के अधिकारियों से कार्यक्रम की रूपरेखा कि जानकारी मिली और औपचारिक मुलाक़ात हुई। रात्रि विश्राम के दौरान श्री के के मोहम्मद जी के संस्कृत और धर्म के प्रति उनके प्यार और लगाव को देखकर वो दोहा याद आ गया और उनके सम्मान में ये तो कहना बनता है कि “जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान”
14 मार्च की सुबह हम जहनुमा रिट्रीट पंहुचे और अपने दल के बाक़ी साथियों से परिचय हुआ। सभी सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोग समाज के अलग-अलग क्षेत्र से थे। कोई फ़ौजी, कोई डॉक्टर, कोई लेखक़ तो कोई मुझ जैसा घुमक्कड। मगर हम सब में एक बात जो समान थी, वो थी कला, संस्कृति और धरोहरों से प्रेम। अपने इतिहास को जानने और समझने की लालसा और अपना देश देखने की चाहत।
टाइम्ज़ पैशन ट्रेल का आग़ाज़ हो चुका था और सांस्कृतिक संध्या से इसका शुभारंभ हुआ। भारत के प्रथम संस्कृत रॉक बैंड ध्रुवा ने गोविंद के गानों से समा बाँध दिया। इस संगीतमयी शाम को संस्कृत और संस्कृति के धागे से इतनी ख़ूबसूरती से बाँधा, कि वहाँ उपस्थित सभी लोग स्तब्ध हो गए और ऐसा लगा मानो समय भी उसका आनंद लेने के लिए रुक गया हो।
भीमबेटका की गुफाएँ
टाइम्ज़ पैशन ट्रेल का क़ाफ़िला निकल चुका था। कार्यक्रम का शुभारंभ मानवों के इतिहास से हुआ और हमें भीमबेटका जाकर इंसानों के शुरुआती दिनों और हमारे अतीत से रूबरू होने का मौक़ा मिला।
श्री के के मोहम्मद साहब बताते हैं कि यह इतिहास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूँकि यूरोप में मनुष्यों का संज्ञानात्मक विकास चालीस हज़ार वर्ष पूर्व शुरू हुआ वहीं भीमबेटका में इसकी शुरुआत लगभग एक लाख साल वर्ष पहले ही हो गई थी। विंध्यांचल पर्वत शृंखला क�� निचले हिस्से में स्थित इन गुफ़ाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाण युग के मनुष्यों के बौधिक विकास की कहानी दर्शाते हैं। गुफ़ाओं में लाल और सफ़ेद रंग की चित्रकारियों में हाथी, घोड़े, बाघ जैसे जानवरों के चित्र हैं। इसके साथ ही शिकार करना, नृत्य करना, संगीत बजाना जैसी कला क्रती भी मौजूद है। हम कृतज्ञ हैं श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर और श्री मोहम्मद जैसे पुरातत्वविदों के, जिनके कारण ही, हम अपने इतिहास को टटोल पाते हैं।भीमबेटका की चट्टानें देखकर मेरे अंदर का पर्वत प्रेम बाहर आ गया और चट्टानों में हाथ आज़माए बिना चैन नहीं मिला। सही कहते हैं बंदर कभी गुलाट मारना नहीं छोड़ सकता।
भोजेश्वर महादेव मन्दिर, भोजपुर
भीमबेटका के बाद हमारी टीम भोजपुर पहुँची। राजा भोज की नगरी भोपाल, का एक ख़ूबसूरत पहलू भोजपुर है हालाँकि अब यह रायसेन जिले की शान है। शिव को अपना आराध्य मानने वाले राजा भोज चाहते थे कि उनके क्षेत्र में शिव का सबसे बड़ा और सुंदर मन्दिर बने। इसी के चलते ही शायद उन्होंने सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग बनाने का प्रण किया। श्री मोहम्मद बताते हैं कि एक ही पत्थर से बनाया गया यह विश्व का सबसे ऊँचा ��िवलिंग है। सूर्यास्त के समय सूर्य किरणों का शिवलिंग पर पड़ना, मानो जाते-जाते सूर्यदेव ख़ुद भी शिव के इस विशालकाय रूप से अभिभूत होना चाहते हों।
ताज-उल-मसाजिद
शायद ही कोई भोपाल आए और ताज-उल-मसाजिद की भव्यता ना देखे। टाइम्ज़ पैशन ट्रेल की टीम आज एक ऐसे इतिहास को टटोलने जा रही थी जो जीता-जागता सबूत है वीरांगनाओं का। हमारे मार्गदर्शक जमाल अय्यूब जी जब ताज-उल-मसाजिद और वहाँ की बेगमों की वीरतापूर्ण चरित्र की दास्तान सुना रहे थे, जिन्होंने २ सदियों तक भोपाल में राज किया तो लग रहा था कि जिस महिला सशक्तिकरण की बात हम आज कर रहे हैं उसे तो इन बेगमों ने बहुत पहले ही चरितार्थ कर दिया था। यक़ीनन यह भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पहलुओं में से एक है।
मध्य प्रदेश पर्यटन की तरफ़ से इस कार्यक्रम को बिना किसी अवरोध के पूर्ण कराने के लिए राज्य शासन की पायलट गाड़ी ने हमें भोपाल से रूक्सत किया जो अपने आप में बहुत दिलचस्प था। सफ़र आगे बढ़कर कर्क रेखा पर रुका और फिर हम साँची के लिए प्रस्थान कर गए।
साँची स्तूप
श्री के के मोहम्मद जी ने जब ये बताया कि बुद्ध कभी साँची आए ही नहीं तो मुझे यह जानकर बहुत ताज्जुब हुआ। सम्राट अशोक द्वारा निर्मित इस महान स्तूप और उसके आलीशान तोरन आज भी बख़ूबी दर्शाते हैं कि हमारे मूर्तिकार और कारीग़र अपने काम में कितने श्रेष्ठ और निपुण थे। यह भी बहुत अहम बात थी कि हमारे राष्ट्रपति भवन को यहीं से प्रेरित होकर बनाया गया था।
उदयगिरी
उदयगिरी की गुफ़ाओं में बहुत ही ख़ूबसूरती से हिंदू देवी-देव���ाओं की मूर्तियाँ बनाई गई हैं। गुफा में भगवान विष्णु एक प्रतिमा में लेटे हुए हैं और उनके आस पास उनके भक्त खड़े हैं। गुफ़ा की मूर्तियों में त्रिदेव हों या गणेश, सभी को बहुत ख़ूबसूरत तरीक़े से आस्था के साथ बनाया गया है और उन कारीगरों का कौशल और निपुणता, क़ाबिले तारीफ़ है। पत्थरों पर बनाई इन प्रतिमाओं और गुफाएँ को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएँगे। शाम को साँची वापस लौट कर स्तूप में साउंड और लाइट शो का लुत्फ़ उठाया और वहाँ के इतिहास को और बेहतर तरीक़े से जाना।
बेगमों की रियासत छोड़ हम बुद्ध के शरण में थे और अब बारी थी बुंदेलखंड की। अगली सुबह हम ओरछा के लिए रवाना हुए और इस बीच हम चन्देरी में रुके।
चन्देरी
काली भाई के नेत्रत्व में हमें इस प्राचीन शहर चन्देरी के बारे में जानने का मौक़ा मिला। शुरुआत भारतीय पुरातत्व विभाग के चन्देरी संग्रहालय से हुई जिसके बाद बादल महल और चन्देरी क़िले की सुंदरता और भव्यता देखने को मिली। यात्रा के इस पड़ाव तक पंहुचने के बाद अब मैं यक़ीन के साथ कह सकता हूँ कि समय चक्र को पीछे ले जाकर इतिहास को दुबारा जीने का मौक़ा हमें मिला है। संजय लाल जी का कहा हर शब्द सही हो रहा था और अपने घर और प्रदेश को, एक नए ��ज़रिए से देख रहा था।
इतिहास के पन्नो से वर्तमान में लौटने के लिए चन्देरी गेट की एक झलक ही काफ़ी थी। काली भैया ने चन्देरी गेट के महत्व को समझाते हुए बताया कि कैसे मालवा और बुंदेलखंड को ये जोड़ता है और मध्य भारत का प्रमुख व्यापार केंद्र था। रोचक बात ये भी थी कि बॉलीवुड की सुपरहिट फ़िल्म स्त्री की शूटिंग यहीं हुई थी।
इस बीच लंच के लिए हम मध्य प्रदेश पर्यटन के क़िला कोठी में रुके। लज़ीज़ देसी व्यंजनों का लुत्फ़ उठाने के बाद काली भैया के साथ निकल पड़े चन्देरी क़िले के उस पहलू को देखने, जहाँ अप्रतिम सौंदर्य की मालकिनों ने अपने मान-सम्मान को बचाने के लिए जौहर किया। क़िला कोठी का जौहर स्मारक इन वीरांगनाओं की वीरता की कहानी आज भी चीख़-चीख़ कर बयां करता है।
ना केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में चन्देरी की साड़ियों की चमक है। यहाँ के कारीग़र कितनी बारीकी और लगन से काम करते हैं, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है इनके द्वारा निर्मित विश्व की सबसे बेहतरीन माने जाने वाली साड़ियाँ। चन्देरी में काफ़ी कुछ है जो आपको आनंदित और प्रफुल्लित कर देगा। यक़ीं मानिए, मध्य प्रदेश पर्यटन यूँ ही नहीं कहता कि – हिंदुस्तान का दिल देखो।।
ओरछा
चन्देरी की यादों को समेट कर टाइम्ज़ पैशन ट्रेल की गाड़ी के चक्के बढ़ चले थे बेतवा नदी के किनारे बसे राजा राम चंद्र जी की नगरी ओरछा। राम मन्दिर की घंटियों, चिड़ियों की चहचहाहट, बेतवा का कल-कल करता पानी, मानो इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में ठहराव सा आ गया हो, मानो हमें आत्म-मंथन और आत्म-चिंतन का समय मिल गया हो। वहीं ओरछा के दूसरी ओर, प्राचीन महल और इमारतें यहाँ के बुंदेलाओं की वीरता और शौर्यपूर्ण कार्यों की गवाही दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो ओरछा ने एक ही चादर में पूरी कायनात समेट ली हो। ओरछा की मनमोहक छवि शायद ही कभी मानस पटल से मिट पाएगी। महराजा वीर सिंह बुंदेला की छत्री हो या ओरछा राज परिवार की राजकुमारी रजेश्वरी और राजकुमार रुद्रप्रताप जी के साथ भोजन, इतना सब कुछ सुव्यवस्थित करना टाइम्ज़ पैशन ट्रेल के ही बूते की बात है।
खजुराहो
चार दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला। मन कर रहा था कि समय की रफ़्तार को रोक दूँ, पर भला समय रुका है क्या कभी किसी के लिए।
टाइम्ज़ पैशन ट्रेल का क़ाफ़िला खजुराहो पंहुच कर अपने अंतिम दौर पर आ चुका है। खजुराहो का मन में आते ही कामुक प्रतिमाओं का ध्यान आता है पर अगर अनुराग शुक्ला जी की मानें तो खजुराहो में ना केवल कामुकता बल्कि पूरे जीवन चक्र को दर्शाया गया है। यहाँ कला, संस्कृति, कारीगरी के ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जिन्हें देखकर आप दाँतों तले उँगलियाँ दबा लेंगे।चंदेल राजाओं ने 85 मंदिर बनवाए थे पर रख-रखाव की कमी के चलते अब यहाँ सिर्फ़ 25 मंदिर ही शेष हैं जो अब पुरातत्व विभाग के अंदर हैं और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा है।
अनुराग शुक्ला जी खजुराहो में हमारा मार्गदर्शन करने वाले थे। यहाँ के मन्दिर ना केवल विष्णु-महेश के गुणगान करते हैं बल्कि चंदेल राजाओं की दूरगामी सोच को भी दर्शाते हैं। वराह मंदिर, लक्ष्मण मन्दिर, कंदरिया महादेव, जैन मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, दुल्हादेव मंदिर और क्या नहीं।। खजुराहो की शाम बहुत ही ख़ास थी। और होती भी क्यूँ ना! सूफ़ी संगीत के उस्ताद ध्रुव संग्री और उनकी टीम द्वारा बहुत ही मधुर सूफ़ी संगीत का कार्यक्रम।
अंत में मध्य प्रदेश पर्यटन द्वारा निर्मित कुटनी आ��लंड में भोजन कर वहाँ के ख़ूबसूरत नज़ारों का लुत्फ़ लिया। कुटनी देखने के बाद यही समझ आया कि हमारे देश में ऐसे अंगिनत छुपे रत्न हैं जिनकी ख़बर रत्नेश को नहीं। कुटनी के उपरांत खजुराहो बाज़ार से कुछ एंटीक की ख़रीददारी कर हम अपने गंतव्य को रवाना हुए।
दिल में यादें लिए, अपने घर-मध्य प्रदेश को एक नए नज़रिए से देखकर बहुत सुख की अनुभूति हुई। और हाँ, संजय जी ने शुरुआत में सही ही कहा था कि आप इतिहास को दुबारा जीने जा रहे हैं। आज उनकी कही हर बात चरितार्थ हो गई।
ऐसी कोई कहानी ही नहीं जो बिना कैमरे की हो। हर पल को छवि या चलचित्र में समेट कर यादगार बनाने के लिए बहुत ऐसे हाँथ होते हैं जो परदे के पीछे से काम करते हैं।
टाइम्ज़ पैशन ट्रेल के उन्ही साथियों के प्रति कृतज्ञता ज़ाहिर किए बिना ये लेख अधूरा ही रह जाएगा। इसलिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया - संजय लाल, तलहा तुंगेकर, दुष्यंत चौहान, मनोज रॉय, गौरव जैन, जतिन कपूर, जूही अरोरा, राहुल सिंह, जमाल आयुब, अमित भारद्वाज, सचिन रावत, विनोद पाण्डेय, लोचन माली, समन अली, शोएब रहमान, विवेक राय, राहुल शर्मा, चाँद भाई इत्यादि।
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हादसे के बाद यूरोप ट्रिप छोड़ सऊदी अरब पहुंची मुनमुन दत्ता, शेयर की खूबसूरत फोटो और हेल्थ अपडेट
हादसे के बाद यूरोप ट्रिप छोड़ सऊदी अरब पहुंची मुनमुन दत्ता, शेयर की खूबसूरत फोटो और हेल्थ अपडेट
तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में बबीता जी का किरदार निभाने वाली मुनमुन दत्ता का हाल ही में एक्सीडेंट हो गया था। इस बात की जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दी। हादसा जर्मनी में हुआ। मुनमुन दत्ता का एक्सीडेंट यूरोप घूमने के दौरान हुआ था। इस यात्रा के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई थी। इस चोट के कारण वह भारत लौट रही हैं। लेकिन शायद वो इस ट्रिप से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए वो रास्ते में ही…
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यात्रा वृतांत
यात्रा वृतांत के रोमांचक सफ़र के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों के संग्रह को पढ़िए Shabd.In पर।
हमारे संग्रह में यात्री लेखकों ने स्वयं जितना भ्रमण किया है उतना ही उसका सजीव वर्णन अपने लेखन से भी किया है।
यहां यात्री लेखकों ने अपने लेखन से भारत की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता का सजीव चित्रण तो किया ही है साथ ही विदेशी भूमि का भी वास्तविकता से हम भारतीयों को परिचित कराया है। फिर चाहे वह भारत की समृद्ध पौराणिक मान्यताओं की सभ्यता हो या यूरोप की खुली हुई बेपरवाह संस्कृति। हमारे लेखकों ने रूस और चीन के साम्यवादी सफर से ले कर इराक़ और ईरान का सूफ़ी दर्शन कराया है। यहां आपको बाढ़ में फंसी हुई नाव भी मिलेगी और रेगिस्तान में प्यासे रेत भी।
हमारे संग्रह में पाठकों के लिए विभिन्न काल-खंड का वास्तविक दर्शन है। तो चलते हैं समंदर के खारे पानी से होते हुए अलास्का के हिम दीवारों को भेदते हुए एक यात्रा पर।
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आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है और उनका नाम देश के साथ-साथ विदेशों में भी इतना प्रभावशाली है कि जब वडोदरा से पेरिस गए एक डॉक्टर को दिल का दौरा पड़ा, तो उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि वह मोदी के गुजरात से हैं और उन्होंने वीवीआईपी इलाज कराया और उसकी जान बच गई। 60 लाख का बिल होने के बावजूद एक रूपया लिए बिना इलाज किया गया। डॉ. वडोदरा के रेसकोर्स इलाके में रहते हैं और उनका रावपुरा में अस्पताल है. अनिल गोयल ने कहा कि मेरा बेटा शाश्वत अमेरिका में बिजनेसमैन है। मैंने और मेरी पत्नी ने पिछले अगस्त में वडोदरा से यूरोप की यात्रा की। जहां हम पहले पांच दिन लंदन में रहे और फिर पेरिस, फ्रांस गए, जहां अमेरिका से मेरा बेटा और बेटी भी साथ आए। वहां पिछले 12 अगस्त की दोपहर को एक रेस्टोरेंट में बैठे-बैठे सीने में भयानक दर्द होने लगा. पसीना और उल्टी आने लगी और घबराहट होने लगी। [caption id="attachment_6337" align="alignnone" width="491"] डॉ. अनिल गोयल का परिवार[/caption] उन्होंने कहा, जहां फ्रेंच भाषा जानने वाली महिला की मदद से एंबुलेंस बुलाई गई। तीन-चार मिनट में एक एम्बुलेंस आई, मुझे भर्ती किया और ईसीजी रिपोर्ट दी। एम्बुलेंस स्टाफ को बुलाया गया और एक अन्य कार्डियक एम्बुलेंस आ गई, जिनमें से एक के साथ एक कार्डियोलॉजिस्ट एक इको मशीन के साथ था। एक डॉक्टर ने मुझे तुरंत दो इंजेक्शन दिए, जिसकी कीमत 50 हजार से एक लाख रुपये तक होगी. उन डॉक्टरों ने मुझसे मेरा नाम और देश के बारे में पूछा। मैंने कहा कि मैं एक डॉक्टर और एक भारतीय हूं। उन्होंने मुझसे पूछा कि आप मुंबई से हैं या दिल्ली से? मैंने कहा, नहीं मैं गुजरात से हूं, लेकिन वे नहीं समझे। तो मैंने अंग्रेजी में कहा, मैं मोदी के गुजरात से हूं, मोदीजी के लिए हर कोई खास है। यह सुनकर उन्होंने एक अस्पताल को फोन किया और फ्रेंच में बोलने लगे, जिसमें से मुझे तीन शब्द समझ में आए। पहला शब्द भारतीय था, दूसरा शब्द था डॉक्टर और तीसरा शब्द था मोदी...मोदी...8-10 बार। इसके साथ ही मेरे परिवार वालों को बिना कुछ कहे एम्बुलेंस सीधे अस्पताल की ओर दौड़ पड़ी। मेरा बेटा और परिवार सोचने लगे कि यह मुझे कहाँ ले गया? तो वहां मौजूद लोगों ने कहा कि यह एंबुलेंस वहां के एक निजी अस्पताल की है और उन्हें वहां ले गई. सिर्फ पांच मिनिट में मुझे अस्पताल ले गए | और वहां पे सीधा मेरा ओपरेशन शुरू कर दिया और मेरे परिवार की सहमती लिए बिना ही ओपरेशन शुरू कर दिया | ICU का चार्ज प्रति दिन 1, 30,000 के करीब था | वहां पे में 6 दिन तक रहा | मेने एम्ब्युलंस में मोदीजी का नाम लिया था | फ़्रांस के राष्ट्रपति इमेन्युअल मेक्रोन और भारत के वडाप्रधान नरेन्द्र मोदी अच्छे दोस्त हे, जिससे उनको शायद एसा लगा होगा की पेशंट को कुछ हुआ तो शायद गंभीर बात हो सकेगी | उन्होंने कहा, पहले दिन एक नस की रुकावट को दूर करने के लिए ऑपरेशन किया गया। उसके बाद चौथे दिन दूसरी नस की रुकावट को दूर करने के लिए एक और ऑपरेशन किया जाना था, इसलिए मैंने सोचा कि हम दूसरी नस की रुकावट को दूर करने के लिए भारत से गुजरेंगे, जब अस्पताल का मुखिया वहां आया और कहा, हम आपके लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। अब आपके लिए यात्रा करना सुरक्षित नहीं है। चिंता मत करो, तुम हमारे दोस्त हो। उन्होंने मेरे साथ किसी भी मेडिकल बिल पर चर्चा नहीं की। मेरे बेटे ने अपना बैंक खाता कार्ड दिया और कहा, आप इससे बिल की राशि का भुगतान करें। हालांकि, डॉक्टरों ने बिना कोई लेन-देन किए उसे वापस कर दिया। डिस्चार्ज होने के बाद भी म��ंने एक रुपया नहीं मांगा। इससे पता चलता है कि मोदीजी के नाम का विदेशी धरती पर कितना प्रभाव है। डॉ गोयल ने कहा कि मुझे फ्रांस के उस अस्पताल के आईसीयू में 6 दिनों तक रखा गया और करीब 60 से 70 लाख रुपये की कुल लागत पर दो बार एंजियोप्लास्टी की गई, लेकिन उन्होंने एक भी रुपया नहीं लिया और पूरा बिल माफ कर दिया। शायद भारत में भी ऐसा न हो कि इस तरह के बिल को माफ कर दिया जाए। डॉ। गोयल ने कहा कि मेरा बेटा शाश्वत गोयल 20 साल से अमेरिका के लिटिल रॉक में रह रहा है और वहां उसका बहुत बड़ा होटल व्यवसाय है।
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स्टीरियोटाइप को तोड़ना एक महत्वपूर्ण बाधा थी : नए यूनिकॉर्न 5आईआरई के संस्थापक
नई दिल्ली, 18 जुलाई (SuryyasKiran)। ब्लॉकचैन प्लेट��ॉर्म 5आईआरई के संस्थापक और सीईओ प्रतीक गौरी और उनके साथी प्रतीक द्विवेदी ने सोमवार को कहा कि स्टीरियोटाइप को तोड़ना उनकी यात्रा में सबसे बड़ी बाधा है। कंपनी ने 10 करोड़ डॉलर जुटाए और यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया है। मलेशिया की मुलाकात से वापस भारत में, दोनों का हवाई अड्डे पर बहुत प्रशंसा के साथ स्वागत किया गया और परिवार और शुभचिंतकों ने 5आईआरई के संस्थापकों का गर्मजोशी से स्वागत किया, जो भारत का 105 वां यूनिकॉर्न है, जिसका मूल्य 1 बिलियन डॉलर है।राज्यसभा के नेता और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल ने भी दोनों के लिए एक बधाई ट्वीट किया, उनके उद्यमशीलता कौशल और यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने के लिए उनकी प्रशंसा की।सरकार द्वारा प्रशंसा किए जाने के बारे में बात करते हुए, प्रतीक ने कहा, हमें अपनी सरकार, मीडिया, कॉरपोरेट्स, हमारी टीम, परिवार और दोस्तों से बहुत मदद मिली, मेरा मतलब है कि आभारी होना लोगों के लिए मेरी भावना का वर्णन भी नहीं करता है। जो हम पर विश्वास करते हैं।ब्लॉकचैन स्टार्टअप 5आईआरई ने यूके स्थित समूह एसआरएएम और एमआरएएम से सीरीज ए फंडिंग में 100 मिलियन डॉलर जुटाए, इसका मूल्यांकन 1.5 बिलियन डॉलर तक लिया और देश में एक नया यूनिकॉर्न बन गया।कंपनी की स्थापना उद्यमी गौरी और द्विवेदी ने अगस्त 2021 में वेब3 फाइनेंसर विल्मा माटिलया के साथ मिलकर की थी।अपनी यात्रा और कुछ गहरी चुनौतियों का सामना करने के बारे में, गौरी ने कहा: हमने एक चाय की दुकान में अपनी यात्रा शुरू की, मैं और प्रतीक कुछ ऐसा बनाने के बारे में सोच रहे थे जिससे 10 करोड़ लोगों को मदद मिले, हम उनके जीवन को बेहतर बनाना चाहते थे, और ब्लॉकचैन कंपनी इसका जवाब थी। हम निश्चित थे कि एक साल के भीतर हम यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करना चाहते हैं, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अरब डॉलर की कंपनियों में से एक है।गौरी ने कहा, शुरूआत में किसी ने हम पर विश्वास नहीं किया, हम बहुत ही मध्यम घरों से आते हैं, हम अमीर नहीं थे, इसलिए इस रूढ़िवादिता को तोड़ना कि मध्यम घर के बच्चे बड़े सपने देख सकते हैं और कुछ बड़ा बना सकते हैं, हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन हमने इसे किया।5आईआरई ने पहले अपने सीड राउंड में 110 मिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 21 मिलियन डॉलर जुटाए थे, जिसमें अल्फाबेट, मार्शलैंड कैपिटल, लॉन्चपूल लैब्स, मूनरॉक कैपिटल और अन्य जैसे निजी और संस्थागत निवेशकों दोनों की भागीदारी थी।अपनी कंपनी और 5वीं औद्योगिक क्रांति के मूल दर्शन के बारे में बताते हुए गौरी ने कहा कि पांचवीं औद्योगिक क्रांति थीसिस कुछ ऐसा है जिसे मैंने बनाया है, जिसका उद्देश्य मुनाफे और दान के बीच की जगह तलाशना है, हम व्यवसाय केवल मुनाफे के बारे में सोच रहे हैं। और बड़े अमीर घराने केवल दान में विश्वास करते हैं, लेकिन मैं दोनों के बीच संतुलन और काम करने का माहौल बनाना चाहता था।भारत को अपना परिचालन केंद्र बनाते हुए, कंपनी विभिन्न क्षेत्रों और तीन महाद्वीपों: एशिया, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में विस्तार और उद्यम करने की योजना बना रही है। Read the full article
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वैश्विक चुनौतियों के बीच नए संबंधों को दिशा देते PM Modi
भारत हमेशा से ही मिल जुलकर चलने वाला देश रहा है,हमारी हमेशा से ही यही नीति रही है कि दुनिया एकजुट होकर सभी चुनौतियों का सामना करे और विश्वभर में शांति की स्थापना की जा सके।भारत की इसी नीति को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आगे बढ़ाते हुए इसको लेकर कदम बढ़ा रहे हैं।हाल ही में हुई उनकी यूरोप यात्रा ऐसे समय में हुई है जब दुनिया नई चुनौतियों का सामना कर रही है और सबको साथ मिलकर चलने की जरूरत है।पहले कोरोना की मार फिर रूस यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध पूरी दुनिया के लिए संकट का विषय है।हर स्तिथि में भारत सावधानी से चला है।यही भारत की विदेश नीति की खूबसूरती है और मौजूदा समय में दुनिया की जरूरत भी।बीते कुछ सालों में भारत ने सभी बड़े देशों से अपने रिश्तों को मजबूती दी है और विश्वस्तर पर अपनी भूमिका स्पष्ट की है।
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PM Narendra Modi In Paris: रूस-यूक्रेन युद्ध संकट के बीच मिलकर सकारात्मक भूमिका निभाएंगे भारत-फ्रांस, मोदी और मैक्रों की मुलाक़ात में बनी सहमति
PM Narendra Modi In Paris: रूस-यूक्रेन युद्ध संकट के बीच मिलकर सकारात्मक भूमिका निभाएंगे भारत-फ्रांस, मोदी और मैक्रों की मुलाक़ात में बनी सहमति
PM Modi and Macron Meet: यूरोप के तीन दिवसीय दौरे के आख़िरी पड़ाव में प्रधानमंत्री मोदी फ़्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचे. भारत के पीएम ने इस बेहद छोटी मगर अहम यात्रा के दौरान जहां एक तरफ फ्रांस के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने पर इमानुअल मैक्रों को बधाई दी. साथ ही मौजूदा चुनौतियों के बीच आपसी तालमेल बढ़ाने पर भी जोर दिया. मोदी और मैक्रोंं ने रूस-यूक्रेन संकट के बीच दोनों देशों का आपसी समन्वय बेहतर…
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फ्रांसीसी रक्षा नौ सैनिक प्रमुख ने भारत को एक झटका देते हुए घोषणा की कि वह पीएम 75 प्रोजेक्ट में भाग लेने में असमर्थ है।
फ्रांसीसी रक्षा नौ सैनिक प्रमुख ने भारत को एक झटका देते हुए घोषणा की कि वह पीएम 75 प्रोजेक्ट में भाग लेने में असमर्थ है।
जर्मनी ,डेनमार्क और फ्रांस के साथ भारत की नई कूटनीतिl (यूरोप से भारत के रिश्तो के नए आयाम) भारत की विदेश नीति एवं कूटनीति में अब नए आयाम जुड़ते जा रहे हैंl विशेष तौर पर प्रधानमंत्री विदेश मंत्री जयशंकर जी की कूटनीति कि यूरोप के तीन देशों की यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि अभी पूरे विश्व में रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर पूरा वैश्विक जगत दो खेमों में बट चुका है, रूस के साथ गिने-चुने 24…
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डेनमार्क में मोदी-मोदी: पीएम ने की भारतीयों की तारीफ, भारत के पर्यटन और स्टार्टअप को बढ़ाने पर दिया जोर, पढ़ें भाषण की खास बातें
डेनमार्क में मोदी-मोदी: पीएम ने की भारतीयों की तारीफ, भारत के पर्यटन और स्टार्टअप को बढ़ाने पर दिया जोर, पढ़ें भाषण की खास बातें
सार भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब मेरी विदेशी नेताओं से मुलाकात होती है, तो वे मुझे अपने देश के भारतीयों की उपलब्धियों को शान से बताते हैं। वे भारतीयों के नेचर की सराहना करते थकते नहीं। आप लोगों के व्यवहार और संस्कार के मूल में है ये। इसलिए मुझे जो बधाइया��� मिल रही हैं, वह मैं आपको समर्पित करता हूं। ख़बर सुनें ख़बर सुनें यूरोप यात्रा के दूसरे दिन मंगलवार को…
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यूरोप के तीन देशों की यात्रा पर जा रहे हैं नरेंद्र मोदी
यूरोप के तीन देशों की यात्रा पर जा रहे हैं नरेंद्र मोदी
फाइल फोटो रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोप जाएंगे पीएम मोदी, इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों से होगी संकट खत्म करने पर चर्चा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल अपने पहले विदेश दौरे के लिए तैयार हैं. मई में वह तीन यूरोपीय देशों की यात्रा कर सकते हैं.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई के पहले हफ्ते में यूरोप की यात्रा पर जाएंगे. अपने तीन दिवसीय दौरे में वह जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा…
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