#भारत जीत 83
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अनंत-राधिका की संगीत सेरेमनी में नीता अंबानी ने रोहित शर्मा के साथ मनाया जीत का जश्न
12 जुलाई को रिलायंस समूह के अध्यक्ष और एमडी मुकेश अंबानी के बेटे के बेटे अनंत अंबानी की शादी उनकी लंबे समय से गर्लफ्रेंड रही राधिका मर्चेंट के साथ होने वाली है। इस बीच 5 जुलाई को जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में संगीत सेरेमनी रखी गई। जिसमें बॉलीवुड सितारों के साथ-साथ क्रिकेट सितारों का भी जमावड़ा नजर आया। इस सेरेमनी के दौरान अनंत अंबानी की मां नीता अंबानी ने वर्ल्ड चैंपियन टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा समेत उपकप्तान हार्दिक पांड्या और सूर्यकुमार यादव को स्टेज पर उनका अभिवादन किया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।
अनंत-राधिका की ��ादी के जश्न में शामिल हुए क्रिकेटर
5 जुलाई को अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के संगीत समारोह के दौरान कप्तान रोहित शर्मा, उप-कप्तान हार्दिक पांड्या और सूर्यकुमार यादव सहित टी20 विश्व कप विजेता टीम के सितारों को सम्मानित किया गया। अनंत-राधिका के सितारों से भरे इस समारोह में शामिल होने वाली टी20 विश्व कप 2024 की विजेता टीम के अहम खिलाड़ियों को उनके शानदार योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
टी20 विश्व कप विजेता कप्तान, रोहित शर्मा, जिन्होंने हाल ही में टी20ई से संन्यास की घोषणा की, उनको भी अपने साथियों के साथ सम्मानित किया गया। इस समारोह के दौरान आईपीएल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस की मालिक नीता अंबानी ने अपने बेटे आकाश अंबानी के साथ फिल्म 83 के शानदार गाने 'लहरा दो' पर भारत की जीत का जश्न मनाया। इस दौरान जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में मौजूद सभी सदस्य खिलाड़ियों के सम्मान पर अपनी जगह खड़े होकर तालियां बजाते नजर आए।
अधिक जानकारी के लिए पड़े Sports न्यूज़ in हिंदी on SportsTiger Hindi पर।
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Women’s World Cup : विश्व विजेता बेटियों ने याद दिलाया 1983 का कपिल वाला कप, मोदी भी हुए मुरीद
Women’s World Cup: नीली जर्सी पहनकर अपने देश का प्रतिनिधित्व करना वाकई बहुत गौरव की बात होती है. जिस दिन कोई प्लेयर क्रिकेट में करियर शुरू करता है, उसका सपना होता है कि, वो विश्व विजेता टीम का हिस्सा बने. भारतीय टीम ने अंडर 19 टी-20(Women’s Under-19 Team) वर्ल्ड कप में जीत का जो सपना खुली आंखों से देखा था,शेफाली वर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय महिला क्रिकेट(Under-19 Women’s Cricket team) टीम ने उसे पूरा कर हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया.
83 विश्व कप की यादें ताजा
महिला क्रिकेट टीम ने इंग्ल��ंड को 7 विकेट से हराकर विश्व विजेता बनते ही उस पल को एक बार फिर जीवंत कर दिया. शायद ऐसा ही कुछ नजारा 1983 में रहा होगा जब कपिल देव की कप्तानी में भारत ने पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था. लॉर्ड्स में जीत के बाद वाला वो जश्न आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है.हालांकि, इस पल के लिए महिला क्रिकेट को लंबा इंतजार करना पड़ा है.लेकिन विश्व कप अपने नाम कर चुकीं बेटियों के करिश्मे को पूरा देश सलाम कर रहा है.
कोच का अधूरा सपना पूरा
अंडर 19 टी-20 महिला क्रिकेट टीम की कोच नूशीन-अल-ख़दीर जो सपना खुद पूरा नहीं कर सकीं थीं.आज उनकी यंग ब्रिगेड ने कप पर कब्जा कर उन्हें गौरवान्वित कर दिया. दरअसल नूशीन उस टीम का हिस्सा थीं जो 18 साल पहले फ़ाइनल में पहुंच कर ख़िताबी जीत नहीं दर्ज कर सकी थी.2005 में टीम इंडिया फाइनल में हार गई थी. ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 98 रन से मात दे दी थी.तब से टीम इंडिया की आंखों में अंगारे जल रहे थे.वहीं साल 2017 में भी वनडे विश्व कप के फ़ाइनल में इंग्लैंड ने भारत को हरा दिया था.
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दूसरा ओडीआई: महमूदुल्लाह के साथ बातचीत ज्यादातर साझेदारी के छोटे लक्ष्य रखने के बारे में थी - मेहदी
दूसरा ओडीआई: महमूदुल्लाह के साथ बातचीत ज्यादातर साझेदारी के छोटे लक्ष्य रखने के बारे में थी – मेहदी
भारत के खिलाफ पहले एकदिवसीय मैच में प्लेयर ऑफ द मैच के प्रदर्शन के बाद, मेहदी हसन मिराज एक बार फिर उसी स्थान पर दर्शकों की दासता बन गए, जिन्होंने 50 ओवर के प्रारूप में अपना पहला शतक सिर्फ 83 गेंदों पर बनाकर बांग्लादेश का नेतृत्व किया। एक श्रृंखला जीत के लिए। जब बांग्लादेश का स्कोर 19 ओवर में 69/6 था, तब चलते हुए, महेदी और महमूदुल्लाह ने सातवें विकेट के लिए 148 रन जोड़कर भारत के गेंदबाजों को…
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#भारत बनाम बांग्लादेश#भारत बनाम बांग्लादेश 2022#भारत बनाम बांग्लादेश दूसरा वनडे#महमूदुल्लाह#मेहदी हसन मिराज
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83 विश्व कप जीत की याद दिलाते कपिल देव: 'भारत के लिए खेलने का सपना था कप्तान, लेकिन...'
83 विश्व कप जीत की याद दिलाते कपिल देव: ‘भारत के लिए खेलने का सपना था कप्तान, लेकिन…’
रणवीर सिंह स्टारर 83 24 दिसंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसकी बड़ी रिलीज से पहले, निर्माताओं ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें तत्कालीन कप्तान कपिल देव अपनी टीम की ऐतिहासिक जीत के बारे में बात कर रहे हैं। यह साझा करते हुए कि देश के लिए खेलना हमेशा एक सपना होता है, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वे 1983 में विश्व कप जीतेंगे। “इंडिया के लिए खेलना एक सपना था और उससे…
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#83 फिल्म#83 रिलीज#83 रिलीज दक्षिण भाषा#कपिल देव#कपिल देव 83#कपिल देवी के रूप में रणवीर सिंह#कबीर खान#दीपिका पादुकोने#भारत जीत 83#रणवीर सिंह#विश्व कप 83#विश्व कप जीत 83
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म्यांमार जिसे हम वर्मा के नाम से भी जानते है -
म्यांमार दक्षिण एशिया का एक देश है |इसका पुराना अंग्रेज़ी नाम बर्मा था जो यहाँ के सर्वाधिक मात्रा में आबाद जाति (नस्ल) बर्मी के नाम पर रखा गया था|इसके उत्तर में चीन, पश्चिम में भारत, बांग्लादेश एवम् हिन्द महासागर तथा दक्षिण एवंम पूर्व की दिशा में थाईलैंड एवं लाओस देश स्थित हैं।यह भारत एवम चीन के बीच एक रोधक राज्य का भी काम करता है। इसकी राजधानी नाएप्यीडॉ और सबसे बड़ा शहर देश की पूर्व राजधानी यांगून है, जिसका पूर्व नाम रंगून था| म्यांमार को सात राज्य और सात मण्डल मे विभाजित किया गया है। जिस क्षेत्र मे बर्मी लोगों की जनसंख्या अधिक है उसे मण्डल कहा जाता है। राज्य वह मण्डल है, जो किसी विशेष जातीय अल्पसंख्यकों का घर हो।यहाँ 2011 पहले तक सैन्य शासन था |आज जब खबर आयी की म्यांमार में तख्तापलट हो गया है तो हम भी सोचों की आपको इसके बारे प्रकाश डाला जाये |
म्यांमार में सेना और सरकार के बीच टकराव -
म्यांमार में सेना और सरकार के बीच ��वम्बर से ही तनाव देखने को मिल रहा था |क्योकि म्यांमार में नवंबर में ही आम चुनाव हुए थे और उस चुनाव में चुनावी नतीजों में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 83% सीटें जीत ली थीं| इस चुनाव को कई लोगों को आंग सान सू ची सरकार के जनमत संग्रह के रूप में देखा| साल 2011 में सैन्य शासन ख़त्म होने के बाद से ये दूसरा चुनाव था|चुनाव में सू ची की पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने भारी अंतर से जीत हासिल की थी लेकिन वहाँ की सेना का दावा था कि चुनाव में धोखाधड़ी हुई है |सेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ शिकायत की गई थी|
सेना ने लगाया था सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप -
हाल ही में सेना द्वारा कथित भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की धमकी देने के बाद तख़्तापलट की आशंकाएं पैदा हो गई हैं|हालांकि, चुनाव आयोग ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था |लेकिन सोमवार जैसे ही ये खबर आयी है पूरी दुनिया में हलचल पैदा हो गयी है |सेना ने सोमवार को कहा कि उसने सत्ता सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग को सौंप दी है|सेना का ये क़दम दस साल पहले उसी के बनाए संविधान का उल्लंघन है |उनका कहना है कि सेना ने पिछले शनिवार को ही कहा था कि वो संविधान का पालन करेगी |इस संविधान के तहत सेना को आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है लेकिन आंग सान सू ची जैसे नेताओं को हिरासत में लेना एक ख़तरनाक और उकसाने वाला कदम हो सकता है जिसका कड़ा विरोध देखा जा सकता है|
तख़्तापलट से नागरिकों क्यों हो रही है समस्या -
म्यांमार पे पूरी तरह सेना का शासन हो गया है और देश में आपातकाल लग गया है | म्यांमार के बड़े शहरों में मोबाइल इंटरनेट डेटा और फोन सर्विस बंद हो गई हैं|सरकारी चैनल एमआरटीवी ने तकनीकी समस्याओं का हवाला दिया है और प्रसारण बंद हो चुका है|म्यांमार की राजधानी नेपिडॉ के साथ संपर्क टूट चुका है और वहां संपर्क साधना मुश्किल हो गया है|म्यांमार की पूर्व राजधानी और सबसे बड़े शहर यंगून में फोन लाइन और इंटरनेट कनेक्शन सीमित हो गया है|कई सेवा प्रदाताओं ने अपनी सेवाएं बंद करना शुरू कर दिया है|बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ टेलीविज़न समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों को ब्लॉक कर दिया गया है| और स्थानीय स्टेशन ऑफ़ एयर कर दिए गए हैं|यंगून में स्थानीय लोगों ने आने वाले दिनों में नकदी की कमी पड़ने की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए एटीएम के सामने लाइन लगाना शुरू कर दिया है|जैसी लम्बी -लम्बी लाइन भारत में नोटबंदी के समय लगी थी |
आंग सान सू की की गिरफ़्तारी क्यों ?
आंग सान सू की म्यांमार की सर्वच्या नेता है |वे बर्मा (इस समय म्यांमार )के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं |उनका जन्म 19 जून 1945 को रंगून में हुआ था | आंग सान सू लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई प्रधानमंत्री, प्रमुख विपक्षी नेता और म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की नेता रही है |लोकतंत्र के लिए आंग सान के संघर्ष का प्रतीक बर्मा में पिछले 20 वर्ष में कैद में बिताए गए 14 साल गवाह हैं। बर्मा की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था। इन्हें १३ नवम्बर २०१० को रिहा किया गया है।जैसा की मैंने बताया था की म्यांमार में 2011 से ही लोकतंत्र स्थापित किया गया था | उनके पिता भी अंग्रेज़ों से लड़े थे थे लेकिन उनकी हत्या कर दी गयी थी | इनके खून में ही राजनीती थी |
आंग सान सू का भारत से कनेक्शन -
आंग सान सू का भारत से गहरा रिश्ता है |पिता की हत्या के बाद इनकी माता को म्यांमार में एक राजनीतिक शख्सियत के रूप में प्रसिद्ध मिली और इन्हे भारत और नेपाल की राजदूत नियुक्त किया गया |अपनी मां के साथ रह रही आंग सान सू की ने लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली से 1964 में राजनीति विज्ञान में स्नातक करी|वैसे तो सू पढ़ाई में बहुत अच्छी थी |आगे की पढाई ऑक्सफोर्ड में जारी रखते हुए दर्शन शास्त्र, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में 1969 में डिग्री हासिल की। स्नातक करने के बाद वह न्यूयॉर्क शहर में परिवार के एक दोस्त के साथ रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में तीन साल के लिए काम किया|
आंग सान सू की राजनीती और परिवार पर प्रभाव -
1972 में आंग सान सू की ने तिब्बती संस्कृति के एक विद्वान और भूटान में रह रहे डॉ॰ माइकल ऐरिस से शादी की। उसके बाद सू ने लंदन में उन्होंने अपने पहले बेटे, अलेक्जेंडर ऐरिस, को जन्म दिया। उ���का दूसरा बेटा किम 1977 में पैदा हुआ। इसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ओरिएंटल और अफ्रीकन स्टडीज में से 1985 में पीएच .डी हासिल की।1988 में सू की बर्मा अपनी बीमार माँ की सेवा के लिए लौट आईं, लेकिन बाद में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया। 1995 में क्रिसमस के दौरान माइकल की बर्मा में सू की आखिरी मुलाकात साबित हुई क्योंकि इसके बाद बर्मा( म्यांमार)सरकार ने माइकल को प्रवेश के लिए वीसा देने से इंकार कर दिया।
1997 में माइकल को प्रोस्टेट कैंसर होना पाया गया, जिसका बाद में उपचार किया गया। इसके बाद अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र ��ंघ और पोप जान पाल द्वितीय द्वारा अपील किए जाने के बावजूद बर्मी सरकार ने उन्हें वीसा देने से यह कहकर इंकार कर दिया की उनके देश में उनके इलाज के लिए माकूल सुविधाएं नहीं हैं। इसके एवज में सू की को देश छोड़ने की इजाजत दे दी गई, लेकिन सू की ने देश में पुनः प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की आशंका के मद्देनजर बर्मा छोड़कर नहीं गईं।माइकल का उनके 53वें जन्मदिन पर देहांत हो गया।1989 में अपनी पत्नी की नजरबंदी के बाद से माइकल उनसे केवल पाँच बार मिले। सू की के बच्चे आज अपनी मां से अलग ब्रिटेन में रहते हैं।इसलिए जब कभी आप संघर्ष करते हो तो बहुत कुछ दाँव पर लगाना पड़ता है | और तो और इन्हे शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिल चूका है |अब देखना होगा की आगे म्यांमार की सैन्य शासन म्यांमार को कहा तक ले जाता है | हमारा काम है आप तक खबर के हर पहलु को पहुँचाना है |
#आंगसानसू#उत्तरमेंचीन#कड़ाविरोधदेखा#कथितभ्रष्टाचार#चुनाव#चुनावआयोगकेअध्यक्ष#तख़्तापलटकीआशंकाएंपैदा#तख्तापलटकेक्यामायने#तख़्तापलटसेनागरिकों#दक्षिणएशियाना#एप्यीडॉ#नेशनललीगफॉरडेमोक्रेसीपार्टी#पश्चिममेंभारत#पुरानाअंग्रेज़ीनामबर्मा#बड़ेशहरयंगून#बर्मीलोगोंकी#बांग्लादेशएवम्हिन्दमहासागर#म्यांमार#म्यांमारकीराजधानी#म्यांमारकोसातराज्य#म्यांमारमेंतख्तापलट#म्यांमारमें��वंबरमेंहीआमचुनाव#म्यांमारमेंसेना#��ांगून#रंगून#वर्मा#सरकारपरभ्रष्टाचारका#सरकारीचैनल#संविधानकाउल्लंघन#संविधानकापालन
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महिला वनडे रैंकिंग: स्मृति मंधाना बल्लेबाजी लिस्ट में 8वें नंबर पर, शेफाली वर्मा को भी हुआ फायदा
महिला वनडे रैंकिंग: स्मृति मंधाना बल्लेबाजी लिस्ट में 8वें नंबर पर, शेफाली वर्मा को भी हुआ फायदा
दुबई. भारतीय उप कप्तान स्मृति मंधाना (Smriti Mandhana) अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की ओर से मंगलवार को जारी नवीनतम महिला वनडे रैंकिंग की बल्लेबाजी लिस्ट में एक स्थान के फायदे से 8वें नंबर पर पहुंच गईं. स्मृति मंधाना ने सोमवार को पालेकल में श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे में भारत की 10 विकेट की जीत के दौरान 83 गेंद में नाबाद 94 रन की पारी खेली. वह बल्लेबाजी लिस्ट में टॉप-10 में शामिल…
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कोई अफसोस नहीं कि मेरा 175* रिकॉर्ड नहीं किया गया, यह अभी भी मेरे दिमाग में अंकित है: कपिल देव | क्रिकेट समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
कोई अफसोस नहीं कि मेरा 175* रिकॉर्ड नहीं किया गया, यह अभी भी मेरे दिमाग में अंकित है: कपिल देव | क्रिकेट समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
मानेसर : भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव गुरुवार को उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि उनके खिलाफ नाबाद 175 रन की पारी का कोई वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं है जिम्बाब्वे 1983 के दौरान विश्व कप. ’83 विश्व कप में जीत भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी खेल उपलब्धियों में से एक है। स्क्रिप्टिंग कि जीत संभव नहीं होती अगर तत्कालीन टीम इंडिया कप्तान कपिल 18 जून, 1983 को जिम्बाब्वे के खिलाफ टुनब्रिज…
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कोई मलाल नहीं कि मेरा 175* रिकॉर्ड नहीं किया गया, यह अभी भी मेरे दिमाग में अंकित है: कपिल देव | क्रिकेट समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
कोई मलाल नहीं कि मेरा 175* रिकॉर्ड नहीं किया गया, यह अभी भी मेरे दिमाग में अंकित है: कपिल देव | क्रिकेट समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
मानेसर : भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव गुरुवार को उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि उनके खिलाफ नाबाद 175 रन की पारी का कोई वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं है जिम्बाब्वे 1983 के दौरान विश्व कप. ’83 विश्व कप में जीत भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी खेल उपलब्धियों में से एक है। स्क्रिप्टिंग कि जीत संभव नहीं होती अगर तत्कालीन टीम इंडिया कप्तान कपिल 18 जून, 1983 को जिम्बाब्वे के खिलाफ टुनब्रिज…
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Now enjoy Ranveer Singh 83 sitting at home know which day the film is coming on TV EntPKS
Now enjoy Ranveer Singh 83 sitting at home know which day the film is coming on TV EntPKS
Film ’83’ World TV Premiere: बड़े पर्दे पर कपिल देव (Kapil Dev) बनकर रणवीर सिंह (Ranveer Singh) की जीत को हर किसी ने सलाम किया. हर किसी ने ’83’ भारत के विश्व कप के यादगार पल को जिया, लेकिन एक बार फिर मौका मिला है इस ऐतिहासिक जीत को अपना करने का, अकेले नहीं बल्कि अपने परिवार के साथ खेल इतिहास के पन्नों में इस चमत्कारिक खेल की जीत को जीने का. जी हां, डायरेक्टर कबीर खान (Kabir Khan) की रणवीर सिंह और…
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Ranveer Singh & Deepika Padukone Starrer Sports Drama Leaked Hours After The Theatrical Release
Ranveer Singh & Deepika Padukone Starrer Sports Drama Leaked Hours After The Theatrical Release
रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर स्पोर्ट्स ड्रामा 83 थियेट्रिकल रिलीज़ के कुछ घंटों बाद लीक (फोटो क्रेडिट – 83 पोस्टर) लंबे इंतजार के बाद, रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण अभिनीत कबीर खान की स्पोर्ट्स ड्रामा 83 आखिरकार बड़े पर्दे पर आ गई है। फिल्म भारत की 1983 विश्व कप जीत के ऐतिहासिक क्षण को दिखाती है लेकिन रिलीज के कुछ घंटों बाद, फिल्म ऑनलाइन लीक हो जाती है। अधिक जानने के लिए नीचे स्क्रॉल…
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महिला वनडे रैंकिंग: स्मृति मंधाना आठवें स्थान पर पहुंची
महिला वनडे रैंकिंग: स्मृति मंधाना आठवें स्थान पर पहुंची
भारत की उपकप्तान स्मृति मंधाना मंगलवार को जारी ताजा आईसीसी महिला वनडे रैंकिंग में एक पायदान ऊपर आठवें स्थान पर पहुंच गई हैं। मंधाना, जिन्होंने सोमवार को दूसरे एकदिवसीय मैच में श्रीलंका पर भारत की 10 विकेट की जीत में नाबाद 94 (83 बी) रनों की पारी खेली, शीर्ष 10 में एकमात्र भारतीय बल्लेबाज हैं। इस सूची में ऑस्ट्रेलियाई एलिसा हीली के बाद ���ंग्लैंड की नता��ी साइवर हैं। . ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा और सलामी…
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#deepti sharma#smriti mandhana#एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग#महिलाओं की रैंकिंग#शैफाली वर्मा#स्मृति मंधाना महिलाओं की ओडी रैंकिंग में आठवें स्थान पर पहुंच गईं
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रणवीर सिंह अभिनीत "83" एनएफटी संग्रह 23 दिसंबर को गिरेगा
रणवीर सिंह अभिनीत “83” एनएफटी संग्रह 23 दिसंबर को गिरेगा
वे 23 दिसंबर को फिल्म के आधिकारिक डिजिटल कलेक्टिबल्स (एनएफटी) को छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। फिल्म के निर्माताओं ने एनएफटी लैब्स, इंक. और सोशल स्वैग के साथ भागीदारी की है, जो फिल्म के एनएफटी की विशेष रिलीज के लिए एक प्रभावशाली फैन एंग��जमेंट प्लेटफॉर्म है। आईएएनएस आखरी अपडेट:दिसंबर 18, 2021, 13:41 IST पर हमें का पालन करें: रणवीर सिंह अभिनीत विश्व कप क्रिकेट ड्रामा “83” के निर्माता एनएफटी…
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म्यांमार जिसे हम वर्मा के नाम से भी जानते है -
म्यांमार दक्षिण एशिया का एक देश है |इसका पुराना अंग्रेज़ी नाम बर्मा था जो यहाँ के सर्वाधिक मात्रा में आबाद जाति (नस्ल) बर्मी के नाम पर रखा गया था|इसके उत्तर में चीन, पश्चिम में भारत, बांग्लादेश एवम् हिन्द महासागर तथा दक्षिण एवंम पूर्व की दिशा में थाईलैंड एवं लाओस देश स्थित हैं।यह भारत एवम चीन के बीच एक रोधक राज्य का भी काम करता है। इसकी राजधानी नाएप्यीडॉ और सबसे बड़ा शहर देश की पूर्व राजधानी यांगून है, जिसका पूर्व नाम रंगून था| म्यांमार को सात राज्य और सात मण्डल मे विभाजित किया गया है। जिस क्षेत्र मे बर्मी लोगों की जनसंख्या अधिक है उसे मण्डल कहा जाता है। राज्य वह मण्डल है, जो किसी विशेष जातीय अल्पसंख्यकों का घर हो।यहाँ 2011 पहले तक सैन्य शासन था |आज जब खबर आयी की म्यांमा��� में तख्तापलट हो गया है तो हम भी सोचों की आपको इसके बारे प्रकाश डाला जाये |
म्यांमार में सेना और सरकार के बीच टकराव -
म्यांमार में सेना और सरकार के बीच नवम्बर से ही तनाव देखने को मिल रहा था |क्योकि म्यांमार में नवंबर में ही आम चुनाव हुए थे और उस चुनाव में चुनावी नतीजों में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 83% सीटें जीत ली थीं| इस चुनाव को कई लोगों को आंग सान सू ची सरकार के जनमत संग्रह के रूप में देखा| साल 2011 में सैन्य शासन ख़त्म होने के बाद से ये दूसरा चुनाव था|चुनाव में सू ची की पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने भारी अंतर से जीत हासिल की थी लेकिन वहाँ की सेना का दावा था कि चुनाव में धोखाधड़ी हुई है |सेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ शिकायत की गई थी|
सेना ने लगाया था सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप -
हाल ही में सेना द्वारा कथित भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की धमकी देने के बाद तख़्तापलट की आशंकाएं पैदा हो गई हैं|हालांकि, चुनाव आयोग ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था |लेकिन सोमवार जैसे ही ये खबर आयी है पूरी दुनिया में हलचल पैदा हो गयी है |सेना ने सोमवार को कहा कि उसने सत्ता सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग को सौंप दी है|सेना का ये क़दम दस साल पहले उसी के बनाए संविधान का उल्लंघन है |उनका कहना है कि सेना ने पिछले शनिवार को ही कहा था कि वो संविधान का पालन करेगी |इस संविधान के तहत सेना को आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है लेकिन आंग सान सू ची जैसे नेताओं को हिरासत में लेना एक ख़तरनाक और उकसाने वाला कदम हो सकता है जिसका कड़ा विरोध देखा जा सकता है|
तख़्तापलट से नागरिकों क्यों हो रही है समस्या -
म्यांमार पे पूरी तरह सेना का शासन हो गया है और देश में आपातकाल लग गया है | म्यांमार के बड़े शहरों में मोबाइल इंटरनेट डेटा और फोन सर्विस बंद हो गई हैं|सरकारी चैनल एमआरटीवी ने तकनीकी समस्याओं का हवाला दिया है और प्रसारण बंद हो चुका है|म्यांमार की राजधानी नेपिडॉ के साथ संपर्क टूट चुका है और वहां संपर्क साधना मुश्किल हो गया है|म्यांमार की पूर्व राजधानी और सबसे बड़े शहर यंगून में फोन लाइन और इंटरनेट कनेक्शन सीमित हो गया है|कई सेवा प्रदाताओं ने अपनी सेवाएं बंद करना शुरू कर दिया है|बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ टेलीविज़न समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों को ब्लॉक कर दिया गया है| और स्थानीय स्टेशन ऑफ़ एयर कर दिए गए हैं|यंगून में स्थानीय लोगों ने आने वाले दिनों में नकदी की कमी पड़ने की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए एटीएम के सामने लाइन लगाना शुरू कर दिया है|जैसी लम्बी -लम्बी लाइन भारत में नोटबंदी के समय लगी थी |
आंग सान सू की की गिरफ़्तारी क्यों ?
आंग सान सू की म्यांमार की सर्वच्या नेता है |वे बर्मा (इस समय म्यांमार )के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं |उनका जन्म 19 जून 1945 को रंगून में हुआ था | आंग सान सू लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई प्रधानमंत्री, प्रमुख विपक्षी नेता और म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की नेता रही है |लोकतंत्र के लिए आंग सान के संघर्ष का प्रतीक बर्मा में पिछले 20 वर्ष में कैद में बिताए गए 14 साल गवाह हैं। बर्मा की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था। इन्हें १३ नवम्बर २०१० को रिहा किया गया है।जैसा की मैंने बताया था की म्यांमार में 2011 से ही लोकतंत्र स्थापित किया गया था | उनके पिता भी अंग्रेज़ों से लड़े थे थे लेकिन उनकी हत्या कर दी गयी थी | इनके खून में ही राजनीती थी |
आंग सान सू का भारत से कनेक्शन -
आंग सान सू का भारत से गहरा रिश्ता है |पिता की हत्या के बाद इनकी माता को म्यांमार में एक राजनीतिक शख्सियत के रूप में प्रसिद्ध मिली और इन्हे भारत और नेपाल की राजदूत नियुक्त किया गया |अपनी मां के साथ रह रही आंग सान सू की ने लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली से 1964 में राजनीति विज्ञान में स्नातक करी|वैसे तो सू पढ़ाई में बहुत अच्छी थी |आगे की पढाई ऑक्सफोर्ड में जारी रखते हुए दर्शन शास्त्र, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में 1969 में डिग्री हासिल की। स्नातक करने के बाद वह न्यूयॉर्क शहर में परिवार के एक दोस्त के साथ रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में तीन साल के लिए काम किया|
आंग सान सू की राजनीती और परिवार पर प्रभाव -
1972 में आंग सान सू की ने तिब्बती संस्कृति के एक विद्वान और भूटान में रह रहे डॉ॰ माइकल ऐरिस से शादी की। उसके बाद सू ने लंदन में उन्होंने अपने पहले बेटे, अलेक्जेंडर ऐरिस, को जन्म दिया। उनका दूसरा बेटा किम 1977 में पैदा हुआ। इसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ओरिएंटल और अफ्रीकन स्टडीज में से 1985 में पीएच .डी हासिल की।1988 में सू की बर्मा अपनी बीमार माँ की सेवा के लिए लौट आईं, लेकिन बाद में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया। 1995 में क्रिसमस के दौरान माइकल की बर्मा में सू की आखिरी मुलाकात साबित हुई क्योंकि इसके बाद बर्मा( म्यांमार)सरकार ने माइकल को प्रवेश के लिए वीसा देने से इंकार कर दिया।
1997 में माइकल को प्रोस्टेट कैंसर होना पाया गया, जिसका बाद में उपचार किया गया। इसके बाद अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र संघ और पोप जान पाल द्वितीय द्वारा अपील किए जाने के बावजूद बर्मी सरकार ने उन्हें वीसा देने से यह कहकर इंकार कर दिया की उनके देश में उनके इलाज के लिए माकूल सुविधाएं नहीं हैं। इसके एवज में सू की को देश छोड़ने की इजाजत दे दी गई, लेकिन सू की ने देश में पुनः प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की आशंका के मद्देनजर बर्मा छोड़कर नहीं गईं।माइकल का उनके 53वें जन्मदिन पर देहांत हो गया।1989 में अपनी पत्नी की नजरबंदी के बाद से माइकल उनसे केवल पाँच बार मिले। सू की के बच्चे आज अपनी मां से अलग ब्रिटेन में रहते हैं।इसलिए जब कभी आप संघर्ष करते हो तो बहुत कुछ दाँव पर लगाना पड़ता है | और तो और इन्हे शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिल चूका है |अब देखना होगा की आगे म्यांमार की सैन्य शासन म्यांमार को कहा तक ले जाता है | हमारा काम है आप तक खबर के हर पहलु को पहुँचाना है |
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