#भारत का आर्थिक विकास
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25.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के जनहित मे सहयोग से "पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की 108वीं जयंती" के अवसर पर दीन दयाल उपाध्याय शोध संस्थान द्वारा “विश्व पटल पर आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरता भारत” एवं “विकसित भारत विजन 2047” विषयक कार्यक्रम का आयोजन होटल क्लार्क अवध, लखनऊ में किया गया । इस आयोजन में प्रमुख वक्ताओं के रूप में श्री एन. के. सिंह, सेवानिवृत्त आईएएस, पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं अध्यक्ष, 15वें वित्त आयोग, श्री राकेश शर्मा, अध्यक्ष, इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी, नई दिल्ली और कार्यक्रम संयोजक श्री ब्रजेश पाठक उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सहित, लखनऊ के प्रबुद्धजनो, गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ तथा श्री एन. के. सिंह, श्री राकेश शर्मा, श्री ब्रजेश पाठक, श्री भूपेंद्र सिंह चौधरी, श्री ब्रजेश मिश्र, श्री एच. जी. एस. परिहार ने पं. दीन दयाल उपाध्याय जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की ।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने मुख्य वक्ता श्री एन. के. सिंह और श्री राकेश शर्मा को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया ।
श्री एन. के. सिंह ने "विश्व पटल पर आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरता भारत" पर अपने विचार रखते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए भारत को एक नई दिशा दी है ।उनकी नीतियां गरीबों के कल्याण और नई तकनीक के विकास पर केंद्रित रही हैं, जो भारत की प्रगति में सहायक हैं । केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार हो सकता है ।”
श्री राकेश शर्मा ने “विकसित भारत विजन 2047” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है ।उनका उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण था, ताकि 'सबका साथ, सबका विकास' का सपना साकार हो सके।”
श्री ब्रजेश पाठक ने अपने संबोधन में कहा, “पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का मानना था कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को मुख्य धारा में लाना आवश्यक है, तभी स्वतंत्र भारत का सपना पूरा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की नीतियां इसी दिशा में कार्य कर रही हैं, जैसे किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना, और मुफ़्त स्वास्थ्य सेवाएं ।”
मुख्य वक्ताओ से सवाल जवाब भी किए गए । कार्यक्रम समाप्ती पर मुख्य वक्ता श्री एन. के. सिंह तथा श्री राकेश शर्मा का प्रतीक चिन्न से सम्मान किया गया |
कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सिंह चौधरी, पद्मश्री डॉ एस. एन. कुरील, पद्मश्री डॉ सुनील प्रधान, पद्मश्री विध्या बिन्दु सिंह, पूज्य महंत राम सेवक दास, श्री ब्रजेश मिश्र, प्रधानसंपादक, भारत समाचार न्यूज़ चैनल, समाजसेवी श्रीमती नम्रता पाठक, सिटी मोंटेसरी स्कूल की प्रबंधक डॉ. गीता गांधी किंगडन, कवि श्री सर्वेश अस्थाना, पत्रकार श्री नवल कान्त सिन्हा, अधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह अटल, श्री सुरेश पांडे, डॉ. ए पी टिक्कू, श्री गोरे गुलाटी, श्री शिव शंकर अवस्थी, श्री मुकेश बहादुर सिंह, श्री संदीप बंसल, श्री मुकेश शुक्ला, सी.ए. पी के धवन, यूनिवर्सल बुक सेलर्स के श्री गौरव प्रकाश, रंगकर्मी श्री अनिल रस्तोगी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, तथा अन्य गणमान्य बुद्धिजीवी अतिथिगण उपस्थित रहे ।
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Dharohar | Stage Play Kakori Train Action | धरोहर | काकोरी ट्रेन एक्शन | Harsh Vardhan Agarwal
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि ���ार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मद�� करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
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धरोहर | नाट्य मंचन काकोरी ट्रेन एक्शन | Dharohar | Stage Play Kakori Train Action
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
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Rajasthan's Evolving Geopolitical Landscape: A Look at the State's New Map
परिचय
क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जीवंत परंपराओं और विविध भूगोल के लिए जाना जाता है। यह राजसी राज्य पूरे इतिहास में कई साम्राज्यों और राजवंशों का उद्गम स्थल रहा है, जो अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गया है जो इसकी पहचान को आकार देती रहती है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की भौगोलिक सीमाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं, और हाल के दिनों में, एक नया मानचित्र सामने आया है, जो राज्य के भू-राजनीतिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करता है। इस लेख में, हम राजस्थान के विकसित होते मानचित्र और इन परिवर्तनों में योगदान देने वाले कारकों का पता लगाएंगे।
ऐतिहासिक सीमाएँ
नए मानचित्र पर गौर करने से पहले राजस्थान की ऐतिहासिक सीमाओं को समझना जरूरी है। राज्य का भूगोल हमेशा वैसा नहीं रहा जैसा हम आज जानते हैं। राजस्थान का इतिहास विभिन्न ��ाजवंशों के उत्थान और पतन क�� कारण क्षेत्रीय विस्तार और संकुचन के उदाहरणों से भरा पड़ा है। राजस्थान के क्षेत्र ने राजपूत वंशों, मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिनमें से प्रत्येक ने राज्य की सीमाओं पर अपनी छाप छोड़ी है।
आधुनिक राजस्थान का निर्माण
आधुनिक राजस्थान राज्य, जैसा कि हम आज इसे पहचानते हैं, का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था, जब राजस्थान की रियासतें एक एकीकृत इकाई बनाने के लिए एक साथ आईं। इस एकीकरण से पहले, राजस्थान रियासतों का एक समूह था, जिनमें से प्रत्येक का अपना शासक और प्रशासन था। इन रियासतों के एकीकरण ने राजस्थान के लिए एक नए युग की शुरुआत की, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को एक बैनर के नीचे एक साथ लाया गया।
राजस्थान का नया मानचित्र
हाल के वर्षों में, राजस्थान के मानचित्र में ऐसे परिवर्तन देखे गए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान आकर्षित किया है। ये परिवर्तन मुख्य रूप से प्रशासनिक सीमाओं के पुनर्गठन और नए जिलों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विकास हैं:
नये जिलों का निर्माण: राजस्थान के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव नए जिलों का निर्माण है। राज्य सरकार ने प्रशासनिक दक्षता में सुधार और शासन को लोगों के करीब लाने के लिए यह पहल की है। उदाहरण के लिए, 2018 में, राज्य सरकार ने सात नए जिलों, अर्थात् प्रतापगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनू, उदयपुरवाटी, दौसा और नागौर के निर्माण की घोषणा की। इन परिवर्तनों का उद्देश्य नागरिकों को बेहतर प्रशासन और सेवा वितरण करना था।
सीमा विवाद: राजस्थान की सीमाएँ गुजरात, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई पड़ोसी राज्यों के साथ लगती हैं। सीमा विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जो अक्सर क्षेत्र और संसाधनों पर विवादों का कारण बनता है। इन विवादों के परिणामस्वरूप कभी-कभी राजस्थान के मानचित्र में परिवर्तन होता है क्योंकि संघर्षों को हल करने के लिए सीमावर्ती क���षेत्रों को फिर से तैयार किया जाता है। ऐसे विवादों के समाधान में अक्सर राज्य सरकारों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच बातचीत शामिल होती है।
बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं राजस्थान के मानचित्र को भी प्रभावित कर सकती हैं। नई सड़कों, राजमार्गों और रेलवे का निर्माण राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्रों की पहुंच और कनेक्टिविटी को बदल सकता है। ऐसी परियोजनाओं से भौगोलिक सीमाओं की धारणा में बदलाव के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में आर्थिक विकास भी हो सकता है।
शहरीकरण: राजस्थान में हाल के वर्षों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जैसे-जैसे शहरों और कस्बों का विस्तार होता है, उनकी सीमाएँ अक्सर आस��ास के ग्रामीण क्षेत्रों को घेरती हुई बढ़ती हैं। इस शहरी फैलाव के परिणामस्वरूप जिलों और नगरपालिका क्षेत्रों की प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव हो सकता है, जो राज्य के मानचित्र में परिलक्षित हो सकता है।
प्रभाव और निहितार्थ
राजस्थान के मानचित्र में बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं। सकारात्मक पक्ष पर, नए जिलों के निर्माण और प्रशासनिक सुधारों से अधिक प्रभावी शासन, बेहतर सेवा वितरण और बेहतर स्थानीय विकास हो सकता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों के बेहतर प्रतिनिधित्व और भागीदारी को भी सुविधाजनक बना सकता है।
हालाँकि, इन परिवर्तनों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। सीमा विवाद कभी-कभी पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव का कारण बन सकते हैं और ऐसे विवादों के समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों और बातचीत की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, जबकि शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक अवसर ला सकता है, वे पर्यावरण संरक्षण, भूमि उपयोग और संसाधन प्रबंधन से संबंधित चुनौतियां भी पैदा करते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान का नया नक्शा इसके भू-राजनीतिक परिदृश्य की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है। राज्य में क्षेत्रीय परिवर्तनों का एक समृद्ध इतिहास है, और इसकी सीमाएँ ऐतिहासिक, प्रशासनिक और विकासात्मक कारकों के कारण समय के साथ विकसित हुई हैं। हालाँकि इन परिवर्तनों का शासन, सीमा विवाद और शहरीकरण पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन ये बेहतर प्रशासन और विकास के अवसर भी प्रदान करते हैं।
जैसे-जैसे राजस्थान का विकास और विकास जारी है, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन परिवर्तनों के निहितार्थों पर विचार करें और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें।
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1383.
अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से विचलित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र
- कामिनी मोहन पाण्डेय।
मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि जिन्होंने राष्ट्र का निर्माण किया है उनकी कृति अमर हो गई है। त्याग तपस्या और बलिदान 1857 की क्रांति के रणबांकुरों ने ही नहीं किया बल्कि उससे प्रभावित होकर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उसी त्याग की भावना व संघर्ष की प्रेरणा को जगाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महती भूमिका निभाई।
भारतेंदु ने भारत की स्वाधीनता, राष्ट्र उन्नति और सर्वोदय भावना का विकास किया। आज के संदर्भ में बात करें तो भारतेंदु ने हीं देश के सभी पत्रकारों, संपादकों व लेखकों को देश की दुर्दशा यानी देश की दशा और दिशा को समझने का मंत्र दिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की हुंकार की गूंज के बाद इस संबंध पर बेतहाशा लेखन और पठन-पाठन हुआ। उस समय क्रांति के असफल होने के बाद जब निराशा का बीज व्याप्त हो गया था, तब समाज की दुर्दशा देखकर भारतेंदु का हृदय काफी व्यथित हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक गिरावट देखकर वह तिलमिला उठे थे। देश की दशा पर उनकी अभिव्यक्ति थी- "हां हां भारत दुर्दशा न देखी जाई।" उनके इस प्रलाप पर भारत आरत, भारत सौभाग्य, वर्तमान-दशा, देश-दशा, भारत दुर्दिन जैसे नवजागरण की पोषक रचनाएँ प्रकाशित हुई।
इनमें देश के प्राचीन गौरव के स्मरण, समाज में व्याप्त आलस्य तथा देश की दीनता का वर्णन होता था। क्रांति के समय एवं उसके बाद स्वदेशाभिमानी पत्��कारों ने अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उस समय हिंदी अपने विकास के नए आयाम गढ़ रही थी। सारे प्रतिरोधों के बीच पत्रकारिता की पैनी नज़र खुल चुकी थी। ऐसे में स्वाभिमान के संचार व स्वदेश प्रेम के उदय तथा आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध पत्रों में प्रकाशित तत्वों में दिखता था। पत्र और पत्रकार ख़ुद स्वतंत्रता आंदोलन के सक्षम सेनानी बन गए थे। अन्याय, अज्ञान, प्रपीड़न व प्रव॔चना के संहारक समाचार पत्रों ने ही हिंदी पत्रकारिता की ��धारशिला रखी थी।
राष्ट्र उत्थान की दृष्टि से इतिहास एवं पत्रकारिता दोनों संश्लिष्ट हैं। राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित भारतेंदु की रचनाओं का मूलाधार गौरव की वृद्धि रहा है। नौ सितंबर 1850 को काशी में जन्मे भारतेंदु को हिंदी पत्रकारिता का आधार स्तंभ कहा जाता है। भारतेंदु द्वारा पत्रकारिता में देश प्रेम के लिए जलाई गई अलख काशी में अब भी दिखती है। इसका कारण यह है कि यहाँ जो पैदा हुआ वह भी गुरु जो मर गया वह भी गुरु होता है। यहाँ किसी बात के लिए कोई हाय-हाय नहीं है।
काशी की हिंदी पत्रकारिता की नींव 1845 में बनारस अखबार के रूप में पड़ी। इसके बारह साल बाद देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम आम लोगों को गहरे तक प्रभावित कर गया था। क्रांति का बिगुल काशी में भी सुनाई दिया। क्रांति के दौर में देश की आज़ादी के लिए यहाँ कई अख़बार प्रकाशित होते रहे। स्वाभिमान के साथ उठ खड़े होने को आमजन और क्रांतिकारियों को जो उसे से भरते रहे।
प्रमुख प्रकाशनों में कवि वचन सुधा (1867) हरिश्चंद्र मैगजीन (1875), हरिश्चंद्र चंद्रिका (1879) में भारतेंदु का मूल मंत्र सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति जगाना तथा सभी जातियों के अंदर स्वाभिमान का भाव भरना था। वे मानते थे कि "जिस देश में और जिस समाज में उसी समाज और उसी देश की भाषा में समाचार पत्रों का जब तक प्रचार नहीं होता, तब तक उसे देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। समाचार पत्र राजा और प्रजा के वकील है। समाचार पत्र दोनों की ख़बर दोनों को पहुँचा सकता है जहाँ सभ्यता है, वहीं स्वाधीन समाचार पत्र है"।
देश में लकड़ी बीनने वाले से लेकर लकड़ी का तमाशा दिखाने वाले तक सभी ने क्रांति के जयकारे में लकड़ी बजाते हुए आहुति दी थी। यह वह दौर था, जिस पर क्रांति ने अपना असर गहरे तक छोड़ा था। इसी का परिणाम रहा कि देश के हर नौजवान ने अपनी छाती अंग्रेजों की गोलियाँ खाने के लिए चौड़ी कर ली थी। अल्पायु में ही भारतेंदु अपने युग का प्रतिनिधित्व करने लगे थे रचनात्मक लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से भारतेंदु ने देश की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों पर अपने आक्रामक तेवर के साथ संवेदन पूर्ण विचारों से सार्थक हस्तक्षेप किया था। साहित्य को उन्होंने जनसामान्य के बीच लाकर खड़ा कर दिया था।
घोर उथल-पुथल के बावजूद उनके काल में साहित्यिक विचारों के कारण आत्ममंथन शुरू हो गया था। वे ब्रिटिश राज की कार्यप्रणाली पर जमकर बरसते थे। हर समस्या के प्रति भारतेंदु का दृष्टिकोण दूरगामी होता था। वे वैचारिक ��्रांति लाने के लिए हर घड़ी प्रतिबद्ध दिखते थे। भारतेंदु चाहते थे कि भारतवासी स्वयं आत्मोत्थान और देशोत्थान में सक्रिय हो। यह बात आज भी प्रासंगिक है कि आर्थिक उत्थान से ही देश का भला हो सकता है।
आर्थिक लूट पर वे लिखते हैं-
भीतर-भीतर सब रस चूसै, बाहर से तन-मन-धन मूसै।
जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज अंग्रेजों।।
अंग्रेजों को अपना भाग्य विधाता मानने वालों को भारतेंदु ने झकझोरा था। कविवचन सुधा में वे लिखते हैं- "देशवासियों तुम इस निद्रा से चौको, इन अंग्रेजों के न्याय के भरोसे मत फूले रहो।... अंग्रेजों ने हम लोगों को विद्यामृत पिलाया और उससे हमारे देश बांधवों को बहुत लाभ हुए, इसे हम लोग अमान्य नहीं करते, परंतु उन्हीं के कहने के अनुसार हिंदुस्तान की वृद्धि का समय आने वाला हो, सो तो, एक तरफ रहा, पर प्रतिदिन मूर्खता दुर्भिक्षता और दैन्य प्राप्त होता जाता है।... अख़बार इतना भूंकते हैं, कोई नहीं सुनता। अंधेर नगरी है। व्यर्थ न्याय और आज़ादी देने का दावा है।"
गांधीजी की कई नीतियों व योजनाओं के बीज भारतेंदु साहित्य में पहले ही आ चुके थे। भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जाति निरपेक्षता, जो भारतीय संविधान के मूलाधार है, उन पर भारतेंदु के चिंतन में तात्कालिकता ही नहीं, भविष्योन्मुखता भी थी। वे हिंदू व मुसलमानों के प्रति भाईचारे का भाव रखने को प्रेरित करते थे। कहना ही पड़ता है कि देश के विकास उसकी उन्नति के लिए भारतेंदु स्वदेशी और राष्ट्रीयता के संदर्भ में दूरगामी अंतर्दृष्टि रखते थे।
समय बदल गया, हम आज़ाद हैं। भारत वही है। संविधान वही है। भारत में रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मनुष्य भी वही है। विभिन्न धर्मों, मज़हबों,पंथों को मानने वाले मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाईयों तथा सनातन धर्म की गहराई में उतरने वाले हिन्दू क्रांति के बीज को आज भी वृक्ष बनते देखते हैं। उन विचारों की जो भारतेंदु के समय लोगों तक पत्रकारिता के माध्यम से पहुंचे थे, वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं। देश के लोगों को इसकी परम आवश्यकता है।
- © Image art by Chandramalika
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अडानी हसदेव परियोजना न केवल महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान दे रही है। जब महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं, तो वे अपने समुदायों में विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की मांग को बढ़ाती हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी लाभ होता है।
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https://hindi.newsinheadlines.com/modi-adani-relations-and-the-future-of-infrastructure-in-india/
मोदी अडानी संबंध भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की कहानी में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस साझेदारी के माध्यम से न केवल देश का भौतिक ढाँचा मजबूत हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति भी संभव हुई है। यह संबंध भारत को वैश्विक मानचित्र पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरने में सहायक है।
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लैंगिक समानता के लिए सकल नामांकन: भारत के HEI का 5-वर्षीय रिपोर्ट कार्ड
उच्च शिक्षा किसी देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, जो उसके विकास, प्रगति और वैश्विक स्थिति को प्रभावित करती है। यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, नवाचार को बढ़ावा देता है और सामाजिक गतिशीलता को बढ़ाता है, अंततः विश्व मंच पर किसी देश की स्थिति निर्धारित करता है। एक मजबूत उच्च शिक्षा प्रणाली शैक्षणिक कठोरता, पहुंच, समावेशिता और वित्तीय स्थिरता पर निर्भर करती है।विदेशों में महत्वपूर्ण छात्र पलायन…
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : नेशनल इंटर कॉलेज, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ
लखनऊ, 06.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नेशनल इंटर कॉलेज, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 26 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्��� को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओ डॉ. अंजलि, सुश्री शिखा गुप्ता, श्रीमती रीतू चंद्रा एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिका डॉ. अंजलि ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “महिला सशक्तिकरण के प्रति हमारा समर्थन अपने मूल्यों का प्रतिबिम्ब है । हमारे समाज में महिलाओं का सम्मान और स��रक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और इसे हम सभी संयम और समर्थन से साकार कर सकते हैं । महिलाओं को सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वायत्तता के लिए सशक्त करने का समर्थन करना होगा तथा उन्हें यह बताना होगा कि देश की उन्नति में उनका महत्वपूर्ण योगदान है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में आप सभी आत्मरक्षा के गुर सीखेंगे और मुझे यह संपूर्ण विश्वास है कि यह कार्यशाला आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी |”
नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिका सुश्री शिखा गुप्ता ने कहा कि, "महिलाओं के सुरक्षित रहने का सवाल एक महत्वपूर्ण विषय है, जो हमें समाज के सभी सदस्यों के सहयोग और सहभागिता की आवश्यकता को समझाता है । हम सभी को समझना होगा कि समाज में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा केवल एक व्यक्ति या संगठन की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज में एक साथ काम करने की आवश्यकता है । महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमें समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ाने की आवश्यकता है । हमें महिलाओं को उनकी आत्मा को जानने और समझने का मौका देना होगा तभी देश का विकास संभव है ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और ह��नर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में नेशनल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री रामचन्द्र, शिक्षकों डॉ. अंजलि, सुश्री शिखा गुप्ता, श्री नीरज त्रिपाठी, श्रीमती रीतू चंद्रा, श्री अवध कुमार सरोज, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : नेशनल इंटर कॉलेज, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ
लखनऊ, 06.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नेशनल इंटर कॉलेज, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 26 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओ डॉ. अंजलि, सुश्री शिखा गुप्ता, श्रीमती रीतू चंद्रा एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिका डॉ. अंजलि ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “महिला सशक्तिकरण के प्रति हमारा समर्थन अपने मूल्यों का प्रतिबिम्ब है । हमारे समाज में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और इसे हम सभी संयम और समर्थन से साकार कर सकते हैं । महिलाओं को सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वायत्तता के लिए सशक्त करने का समर्थन करना होगा तथा उन्हें यह बताना होगा कि देश की उन्नति में उनका महत्वपूर्ण योगदान है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में आप सभी आत्मरक्षा के गुर सीखेंगे और मुझे यह संपूर्ण विश्वास है कि यह कार्यशाला आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी |”
नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिका सुश्री शिखा गुप्ता ने कहा कि, "महिलाओं के सुरक्षित रहने का सवाल एक महत्वपूर्ण विषय है, जो हमें समाज के सभी सदस्यों के सहयोग और सहभागिता की आवश्यकता को समझाता है । हम सभी को समझना होगा कि समाज में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा केवल एक व्यक्ति या संगठन की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज में एक साथ काम करने की आवश्यकता है । महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमें समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ाने की आवश्यकता है । हमें महिलाओं को उनकी आत्मा को जानने और समझने का मौका देना होगा तभी देश का विकास संभव है ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में नेशनल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री रामचन्द्र, शिक्षकों डॉ. अंजलि, सुश्री शिखा गुप्ता, श्री नीरज त्रिपाठी, श्रीमती रीतू चंद्रा, श्री अवध कुमार सरोज, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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jharkhand chamber meet with chinese embassy : चाइनीज दूतावास कोलकाता के अधिकारियों संग झारखंड चैंबर की बैठक, व्यापारिक और औद्योगिक आदान प्रदान पर चर्चा
रांची : चाइनीज कांसुलेट जेनरल, कोलकाता के सू वी ने रांची प्रवास के दौरान रांची के चैंबर भवन में फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान झारखण्ड प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास की संभावनाओं पर सकारात्मक चर्चा हुई और सुझावों का आदान-प्रदान किया गया. चाइनीज कांसुलेट जेनरल, कोलकाता के सू वी ने चीन और भारत के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग, पूर्वी…
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लखनऊ, 17.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, मलिहाबाद, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 43 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी शिक्षकों एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, "महिलाओं के योगदान के बिना किसी भी समाज की समृद्धि संभव नहीं है । आज का समय नारी सशक्तिकरण का है जहां हर एक महिला को अपने सपनों को पूरा करने का अधिकार है । हमें देश के युवा वर्ग को सिखाना चाहिए कि महिलाओं का सम्मान करना केवल एक उत्कृष्टता का प्रतीक नहीं है बल्कि यह समाज के संगठन में एक अहम अंग है । हमारे समाज में अनेक महिलाएं हैं जो अपनी क्षमताओं और ताकत को पहचान चुकी हैं । हमें उनका उचित समर्थन करना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और समाज हित में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें । हमें समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के साथ समानता और न्याय का संवाद बढ़ाना होगा । इसी उत्साह और जागरूकता के साथ हम सभी को महिलाओं के प्रति समर्थन का संकल्प लेना चाहिए । यह हमारे समाज की निरंतर प्रगति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ रवीन्द्र कुमार त्रिपाठी, शि���्षकों श्री अरुन कुमार वर्मा, श्री पप्पू कुमार, चमन आरा जी, श्रीमती वैशाली गुप्ता, फौजिया वसी जी, सुश्री सरला देवी, सुश्री समा कौसर, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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Dharohar | Stage Play Kakori Train Action | धरोहर | काकोरी ट्रेन एक्शन | Dr Rupal Agarwal
लखनऊ, 07.05.2023 | भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों व क्रान्तिकारियों को समर्पित नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन का मंचन ऑडिटोरियम, शेरवुड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया । यह नाटक हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्र��्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, धरोहर" थीम के अन्तर्गत आयोजित हुआ । काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक द्वारा कलाकारों ने 09 अगस्त 1925 को काकोरी में घटित काकोरी कांड का सजीव चित्रण किया | चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं निर्देशन में नाटक 'काकोरी ट्रेन एक्शन' में अनुभवी व मंझे हुऐ कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों को देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अगवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए आज यह सौभाग्य का दिन हैं कि आज अपने वीर शहीद क्रांतिकारियों को, काकोरी ट्रेन एक्शन, नाटक के मंचन के माध्यम से याद करने का, श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है | "काकोरी ट्रेन एक्शन" एक महत्वपूर्ण एतिहासिक घटना है, जिसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इस घटना में, भारत के स्वाधीनता संग्राम के सैनिकों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की थी । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए अत्यंत गर्व की बात है कि हमें देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर समय-समय पर मिला है | संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) का आभार है जिनके आर्थिक सहयोग से धरोहर थीम के अंतर्गत आज देश के महान क्रन्तिकारी वीरों को समर्पित काकोरी ट्रेन एक्शन का नाट्य मंचन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार है जिन्होंने वर्ष 2021 में वीर शहीदों की शहादत को नमन करते हुए आजादी की लड़ाई के संघर्ष की धरोहर का नामकरण काकोरी ट्रेन एक्शन कर दिया, जिसे पहले काकोरी कांड कहा जाता था |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने देश के महान क्रांतिकारी वीरों, शहीदों, सैनिकों के सम्मान में 1 मिनट का मौन होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के समस्त 28 राज्यों में और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी में ट्रस्ट का कार्यालय स्थापित करें | निष्पक्षता, समानता और समावेशिता ट्रस्ट की कार्यशैली हैं । ट्रस्ट सभी संस्कृतियों के सम्मान के सिद्धांत पर काम करता है । पारदर्शिता और जवाबदेही ट्रस्ट के प्रमुख तत्व हैं। ट्रस्ट रचनात्मक और प्रभावी साझेदारी को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है । प्रासंगिकता केवल लोगों और समुदाय के निरंतर सशक्तिकरण के साथ ही बनाए रखी जा सकती है । ट्रस्ट का उद्देश है जाति, पंथ या धर्म के भेद के बिना लोगों की सेवा करना । ट्रस्ट अनाथालय, वृद्धाश्रम, यूपीएस60+ क्लब, भगवद् गीता केंद्र, आध्यात्मिक संगीत अकादमी, बाल गोपाल शिक्षा योजना, स्वच्छता/स्वच्छ भारत मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय एकता के लिए जागरूकता, शैक्षिक जागरूकता आदि, दान - रक्त, पुराने कपड़े, किताबें और अन्य पुन: प्रयोज्य वस्तुएं, खाने-पीने की चीजों का वितरण, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों पर कार्यक्रमों का आयोजन, परिवार परामर्श हेल्पलाइन, आपदा प्रबंधन, महामारी समर्थन, निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का सम्मान करना, शैक्षिक और धर्मार्थ गतिविधियों, महिला अधिकारिता कार्यक्रम, वैज्ञानिक अनुसंधान, ग्रामीण और कृषि कार्यक्रम, सीएसआर गतिविधियो और कार्यक्रमो, के क्षेत्र में प्रयत्नशील तथा कार्यरत है | ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संगठन है । इसका लक्ष्य लोगों और समितियों को सामंजस्यपूर्ण, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से संपन्न करने के लिए सशक्त बनाना है । ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में समाज के गरीब और वंचित वर्ग का समर्थन करता है । यह सभी प्रकार के मानवीय कष्टों और सामाजिक विखंडन के उन्मूलन में मदद करता है । ट्रस्ट का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता में योगदान देने वाली संवेदनाओं और धारणाओं को परिष्कृत करना है । यह कला, संस्कृति साहित्य के प्रचार के लिए भी काम करता है और पवित्र शास्त्रों की शिक्षाओं का प्रचार करता है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए दान करें । आप स्वयंसेवक, सहयोगी, दान दाता, प्रायोजक बनकर हमसे जुड़ें सकते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से समाज की सेवा कर सकते हैं | आपकी सक्रिय सहभागिता से हम अपने जनसेवा के क्षेत्र को पुरे देश में फैला सकते है |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
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आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला : नेशनल इंटर कॉलेज, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ
लखनऊ, 06.05.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथ�� रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नेशनल इंटर कॉलेज, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 26 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओ डॉ. अंजलि, सुश्री शिखा गुप्ता, श्रीमती रीतू चंद्रा एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिका डॉ. अंजलि ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “महिला सशक्तिकरण के प्रति हमारा समर्थन अपने मूल्यों का प्रतिबिम्ब है । हमारे समाज में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और इसे हम सभी संयम और समर्थन से साकार कर सकते हैं । महिलाओं को सुरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वायत्तता के लिए सशक्त करने का समर्थन करना होगा तथा उन्हें यह बताना होगा कि देश की उन्नति में उनका महत्वपूर्ण योगदान है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में आप सभी आत्मरक्षा के गुर सीखेंगे और मुझे यह संपूर्ण विश्वास है कि यह कार्यशाला आपके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी |”
नेशनल इंटर कॉलेज की शिक्षिका सुश्री शिखा गुप्ता ने कहा कि, "महिलाओं के सुरक्षित रहने का सवाल एक महत्वपूर्ण विषय है, जो हमें समाज के सभी सदस्यों के सहयोग और सहभागिता की आवश्यकता को समझाता है । हम सभी को समझना होगा कि समाज में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा केवल एक व्यक्ति या संगठन की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए समाज में एक साथ काम करने की आवश्यकता है । महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमें समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ाने की आवश्यकता है । हमें महिलाओं को उनकी आत्मा को जानने और समझने का मौका देना होगा तभी देश का विकास संभव है ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में नेशनल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री रामचन्द्र, शिक्षकों डॉ. अंजलि, सुश्री शिखा गुप्ता, श्री नीरज त्रिपाठी, श्रीमती रीतू चंद्रा, श्री अवध कुमार सरोज, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date – 06 November 2024 Time 18.10 to 18.20 Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक – ०६ नोव्हेंबर २०२४ सायंकाळी ६.१०
• विधानसभा निवडणुकीसाठी राजकीय पक्षांचा जोरदार प्रचार. • संविधान केवळ एक पुस्तक नाही, जीवन जगण्याचं माध्यम आणि तत्वज्ञान असल्याचं काँग्रेस नेते राहुल गांधी यांचं प्रतिपादन. • लाडकी बहीण योजनेच्या मासिक रकमेत ६०० रुपयांची वाढ करण्याचं राष्ट्रवादी काँग्रेसचं जाहीरनाम्यात आश्वासन. • गुणवंत विद्यार्थ्यांना आर्थिक मदत देण्यासाठी पीएम-विद्यालक्ष्मी योजनेला केंद्रीय मंत्रिमंडळाची मंजुरी. आणि • घड्याळ चिन्ह वाटपाचा विषय सध्या न्यायप्रविष्ट असल्याचं सर्व वर्तमानपत्रातून जाहीर करण्याचे सर्वोच्च न्यायालयाचे राष्ट्रवादी काँग्रेसला निर्देश.
राज्यातल्या विधानसभा निवडणुकीसाठी सत्ताधारी आणि विरोधी आघाड्यांचा प्रचार आणखी तीव्र झाला असून दिग्गजांच्या प्रचारसभा होत आहेत. काँग्रेस नेते आणि लोकसभेचे विरोधी पक्ष नेते राहुल गांधी आज नागपूर इथं संविधान संमेलनात सहभागी झाले होते. संविधान हे केवळ एक प���स्तक न��ून, जीवन जगण्याचं माध्यम आणि तत्वज्ञान आहे, असं त्यांनी यावेळी नमूद केलं. भाजप आणि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विकास, प्रगती, अर्थव्यवस्था अशा शब्दांच्या आडून राज्यघटनेवर हल्ला करतात, असा आरोप त्यांनी केला. जाती आधारित जनगणना हा लोकांचा आवाज असून, तो संसदेपर्यंत पोहोचवणं हे माझं काम आहे, असंही राहुल गांधी म्हणाले. तत्पूर्वी त्यांनी, नागपूर इथल्या दीक्षाभूमीत डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या मध्यवर्ती स्मारकाला भेट देऊन अभिवादन केलं. याप्रसंगी काँग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, विधानसभेतील विरोधी पक्ष नेते विजय वडेट्टीवार उपस्थित होते. राहुल गांधी यांच्या हस्ते विधानसभा निवडणुकीसाठी काँग्रेसचा जाहीरनामा मुंबईतल्या वांद्रे कुर्ला संकुल इथं प्रसिद्ध होणार आहे. त्यानंतर महाविकास आघाडीच्या महाराष्ट्र स्वाभिमान सभेलाही ते संबोधित करतील.
दरम्यान, काँग्रेस नेते राहुल गांधी यांच्याभोवती अर्बन नक्षलींचा गराडा पडल्यामुळे ते आता काँग्रेस विचारसरणीचे राहिले नसून, अतिडावे बनल्याची टीका, भाजपचे ज्येष्ठ नेते आणि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी केली. ते आज एका मुलाखतीमध्ये बोलत होते. भारतीय संविधानाची प्रत पारंपारिक निळ्या कव्हरमध्ये असते, मात्र राहुल गांधी भारतीय संविधानाची प्रत लाल रंगाचं कव्हर घातलेली का दाखवतात, असा प्रश्नही त्यांनी केला. भारत जोडो यात्रेत सहभागी झालेल्या १८० संघटना विध्वंसक कृत्यात सहभागी असणाऱ्या होत्या, असा आरोपही फडणवीस यांनी केला.
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजनेच्या मासिक रकमेत ६०० रुपयांची वाढ करून पात्र महिलांना दरमहा २१०० रुपये देण्याचं आश्वासन, राष्ट्रवादी काँग्रेसनं आपल्या जाहीरनाम्यात दिलं आहे. या जाहीरनाम्यात अकरा नवीन घोषणा असून त्यामध्ये शेतकरी कर्जमाफी, भात शेतकऱ्यांसाठी प्रति हेक्टर पंचवीस हजार रुपये बोनस, अडीच लाख नोकऱ्या, ग्रामीण भागात ४५ हजार पाणंद रस्त्यांची निर्मिती, या घोषणांचा समावेश आहे. विधानसभा निवडणुकीसाठीचा राज्यव्यापी जाहीरनामा पक्षाचे प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे यांनी आज मुंबईत प्रसिद्ध केला. राष्ट्रवादी काँग्रेसचे नेते आणि उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी बारामतीतून या मतदारसंघासाठीचा जाहीरनामा प्रसिद्ध केला. बारामतीला देशातला सर्वात आदर्श आणि प्रगत तालुका बनवण्यासाठी आपण कटिबद्ध असल्याचं अजित पवार यांनी सांगितलं.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचे प्रमुख राज ठाकरे यांची आज लातूर जिल्ह्यात रेणापूर इथं प्रचार सभा झाली. लातूर ग्रामीण विधानसभा मतदारसंघातले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचे उमेदवार संतोष नागरगोजे यांच्या प्रचारासाठी ही सभा झाली. राज्याचे विविध प्रश्न सोडवण्यासाठी महाराष्ट्राची सत्ता एकदा आपल्या हातात द्या, असं आवाहन मराठवाड्यातल्या या आपल्या पहिल्या सभेत ठाकरे यांनी केलं.
भारतीय जनता पक्ष आणि महायुतीच्या उमेदवारांविरोधात बंडखोरी केल्यानं भाजपनं राज्यभरातल्या आपल्या चाळीस पदाधिकाऱ्यांना निलंबित केलं आहे. पक्षशिस्त आणि अनुशासन भंग केल्यामुळे ही कारवाई करण्यात येत असल्याचं पक्षानं आपल्या प्रसिद्धी पत्रकात म्हटलं आहे.
राज्यात येत्या २० तारखेला होणाऱ्या विधानसभा निवडणुकीत मतदान करण्याचं आवाहन अभिनेते वैभव मांगले यांनी केलं आहे. बाईट - अभिनेते वैभव मांगले
श्रोते हो, विधानसभा निवडणुकीच्या निमित्तानं ‘आढावा विधानसभा मतदारसंघांचा’ हा कार्यक्रम दररोज संध्याकाळी सात वाजून १० मिनिटांनी आकाशवाणीवरुन प्रसारित होत आहे. या कार्यक्रमात आज यवतमाळ जिल्ह्यातल्या विधानसभा मतदारसंघांचा आढावा आपल्याला ऐकता येईल.
गुणवंत विद्यार्थ्यांना आर्थिक मदत देण्यासाठी केंद्र सरकारनं पीएम-विद्यालक्ष्मी योजनेला मंजुरी दिली आहे. केंद्रीय मंत्रिमंडळाच्या आज झालेल्या बैठकीत हा निर्णय घेण्यात आल्याचं, केंद्रीय माहिती आणि प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव यांनी पत्रकार परिषदेत सांगितलं. आर्थिक कमतरतेमुळे बुद्धिमान विद्यार्थी उच्च शिक्षणापासून वंचित राहू नयेत, या उद्देशानं मंजूर केलेल्या या योजनेत पात्र विद्यार्थ्यांना कोणत्याही तारणाशिवाय कर्ज मिळू शकेल, असं त्यांनी सांगितलं. याशिवाय, भारतीय अन्न महामंडळासाठी वर्ष २०२४-२५ मध्ये दहा हजार सातशे कोटी रुपयांच्या समभाग भांडवलाला मंजुरी दिल्याची माहिती वैष्णव यांनी यावेळी दिली. या निर्णयामुळे महामंडळाची कार्यान्वयन क्षमता वाढेल, असं त्यांनी नमूद केलं.
अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष पदाच्या निवडणुकीत रिपब्लिकन पक्षाचे डोनाल्ड ट्रम्प विजयी झाले आहेत. या विजयासोबतच, तीन वेळा निवडणूक लढवून दोन वेळा जिंकण्याचा विक्रम त्यांच्या नावावर जमा झाला आहे. अमेरिकेचं सुवर्णयुग आता सुरू झालं असून, अमेरिकेला पुन्हा महान करण्यासाठी हा विजय झाल्याचं ट्रम्प यांनी आपल्या समर्थकांना संबोधित करताना सांगितलं. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी अमेरिकेच्या राष्ट्राध्यक्षपदाची निवडणूक जिंकल्याबद्दल डोनाल्ड ट्रंप यांचं अभिनंदन केलं आहे.
घड्याळ चिन्ह वाटपाचा विषय सध्या न्यायप्रविष्ट असल्याचं येत्या ३६ तासात सर्व वर्तमानपत्रातून जाहीर करावं, असे निर्देश, सर्वोच्च न्यायालयानं अजित पवार यांच्या राष्ट्रवादी काँग्रेसला दिले आहेत. राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्षाच्या दोन्ही गटांमध्ये घड्याळ या चिन्हांवरुन असलेल्या वादावर आज न्यायालयात सुनावणी झाली. दोन्हीं गटांनी ऐन निवडणुकीच्या काळात आपली ऊर्जा न्यायालयात भांडण्यात खर्च करण्यापेक्षा प्रचारावर भर द्यावा, असा सल्लाही न्यायालयानं यावेळी दिला.
निवडणूक प्रक्रिया राबवताना त्यात कोणत्याही शंकेला वाव राहू नये याची खबरदारी निवडणूक निर्णय अधिकाऱ्यांनी घ्यावी, आणि निवडणूक प्रक्रियेच्या पारदर्शकतेला सर्वोच्च प्राधान्य द्यावं, असे निर्देश भारत निवडणूक आयोगाचे उपायुक्त हिर्देशकुमार यांनी आज निवडणूक यंत्रणांना दिले. छत्रपती संभाजीनगर, नागपूर आणि अमरावती विभागातल्या सगळ्या विधानसभा मतदारसंघांमधल्या निवडणूक पूर्वतयारीबाबत आढावा बैठक आज छत्रपती संभाजीनगर इथं पार पडली, त्यावेळी ते बोलत होते. या बैठकीला राज्याचे मुख्य निवडणूक अधिकारी एस. चोक्कलिंगम, जिल्हाधिकारी दिलीप स्वामी उपस्थित होते. निवडणूक विषयक कामकाजाबाबत प्रत्येक टप्प्यावर राजकीय पक्ष आणि उमेदवारांच्या प्रतिनिधींना माहिती द्यावी, मतदान केंद्रांवर सर्व सुविधा पुरवाव्यात आणि मतदानाबाबत जनजागृती करावी, असे निर्देशही त्यांनी यावेळी दिले.
पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या आठ नोव्हेंबरच्या, म्हणजे परवाच्या प्रस्तावित धुळे दौऱ्याच्या अनुषंगानं प्रशासनानं आवश्यक ती तयारी सुरू केली आहे. आठ तारखेपर्यंत धुळ्यात नो फ्लाईंग झोन जाहीर करण्यात आला असून, धुळे शहरात वाहतूक मार्गामध्ये तात्पुरता बदल करण्याच्या सूचना पोलिस विभागानं दिल्या आहेत.
नांदेड जिल्हा ग्रंथालय अधिकारी कार्यालय आणि रुग्ण सेवा मंडळ सार्वजनिक वाचनालय यांच्या संयुक्त विद्यमाने मतदार जनजागृतीसाठी सेल्फी पॉइंटचं उद्घाटन आज महानगरपालिका आयुक्त डॉ. महेशकुमार डोईफोडे यांच्या हस्ते झालं. “मतदाराला प्रोत्साहन म्हणून मतदानाच्या बोटाची शाई दाखवा आणि मोफत डोळे तपासणी करून घ्या” असा उपक्रम आयोजित केला आहे. यावेळी मोठ���या प्रमाणात मतदानाविषयी जनजागृती करण्यात आली. आज वाचनालयाच्या वतीने बाह्यरुग्ण विभागात आणि लसीकरण केंद्रात रुग्णाला दिल्या जाणाऱ्या पावती आणि औषधाच्या कागदावर २० नोव्हेंबर २०२४ रोजी मी मतदान करणार तुम्ही पण करा, असा एक शिक्का देण्यात येत आहे.
पंढरपूर इथं होणाऱ्या कार्तिकी यात्रेला भाविकांच्या सोयीसाठी मध्य रेल्वेकडून तीन विशेष अनारक्षित गाड्यांचं नियोजन करण्यात आलं आहे. या गाड्या आठ ते १५ नोव्हेंबरदरम्यान विविध स्थानकांवरून पंढरपूरकडे जाणार आहेत. यामध्ये लातूर-पंढरपूर विशेष गाडी १२ आणि १३ नोव्हेंबर रोजी लातूर स्थानकावरून सकाळी साडे सात वाजता सुटेल आणि पंढरपूरला दुपारी १२ वाजून ५० मिनिटांनी पोहोचेल.
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Kheti se Kaise Badha Sakate Hain Rojagaar ke Avasar?
खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। देश की अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जहाँ कृषि ही मुख्य आजीविका का साधन है। पिछले कुछ दशकों में खेती और इससे जुड़े क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उभरकर सामने आए हैं। खासकर कोविड-19 महामारी के बाद, कई लोग अपने गांव लौटे और खेती में रोजगार के विकल्प तलाशने लगे। इस लेख में, हम खेती में रोजगार के विभिन्न अवसरों पर विचार करेंगे और समझेंगे कि कैसे ये अवसर न केवल ग्रामीण विकास में योगदान दे सकते हैं, बल्कि युवाओं को भी आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
1. खेती से जुड़ी विविधता और रोजगार के अवसर
खेती का दायरा केवल फसल उगाने तक सीमित नहीं है। आज खेती में विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं, जो किसानों और युवाओं को एक स्थिर आय के साथ नए कौशल भी प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, जैविक खेती, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, फूलों की खेती, मत्स्य पालन, और बागवानी जैसे क्षेत्रों में रोजगार के कई विकल्प उभर रहे हैं। इन क्षेत्रों में शुरुआत करने के लिए तकनीकी जानकारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का भी सहयोग मिलता है, जो शुरुआती लागत को कम करने में मदद करते हैं।
2. कृषि प्रसंस्करण और खाद्य प्रसंस्करण
कृषि प्रसंस्करण और खाद्य प्रसंस्करण से रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। फसल के बाद की प्रक्रियाएं जैसे धान को चावल में बदलना, गेहूं से आटा बनाना, फल और सब्जियों का संरक्षण, और दूध से दुग्ध उत्पाद बनाना आदि कार्यों के लिए कारखानों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही है। यह स्थानीय स्तर पर ही रोजगार सृजित करता है। किसान अब अपनी फसल बेचने की बजाय, प्रसंस्करण कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और साथ ही क्षेत्र में रोजगार भी पैदा कर सकते हैं।
3. एग्रो-टेक्नोलॉजी और डिजिटल खेती
एग्रो-टेक्नोलॉजी का उभरना खेती में एक बड़ी क्रांति ला रहा है। स्मार्टफोन, ड्रोन्स, सैटेलाइट मैपिंग, और सेंसर जैसे उपकरणों का उपयोग करके अब खेती को अधिक सटीक और लाभकारी बनाया जा सकता है। इसके लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने और उन्हें इस तकनीक में दक्षता दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। डिजिटल खेती में जैसे ही लोग शामिल होते हैं, कई रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
4. सरकार की योजनाएँ और रोजगार सृजन
भारत सरकार ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों से जोड़ना और उनके उत्पादन में वृद्धि करना है। साथ ही, इन योजनाओं के माध्यम से युवाओं को कृषि में रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। विशेष रूप से महिला किसान और छोटे किसानों को वित्तीय सहायता और अनुदान दिया जा रहा है, जिससे वे अपनी कृषि को नए स्तर पर ले जा सकते हैं और स्थायी रोजगार के अवसर बना सकते हैं।
5. डेयरी उद्योग और पशुपालन में रोजगार के अवसर
खेती के साथ-साथ डेयरी और पशुपालन भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें रोजगार की अच्छी संभावनाएँ हैं। गाय, भैंस, बकरी, और मुर्गीपालन जैसे पशुपालन के व्यवसायों में निवेश कर, लोग एक स्थिर और अच्छा आय स्रोत बना सकते हैं। इसके अलावा, दुग्ध उत्पादों के प्रसंस्करण, जैसे मक्खन, घी, पनीर आदि बनाने के कारखानों में भी रोजगार के अवसर मौजूद हैं। डेयरी उद्योग में रोजगार के साथ-साथ पोषण और आर्थिक सुरक्षा भी प्राप्त की जा सकती है।
6. कृषि-पर्यटन: एक नया पहलू
कृषि-पर्यटन, जिसे एग्रो-टूरिज्म भी कहा जाता है, खेती में रोजगार का एक अनूठा तरीका है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों के लोग गांवों में आकर खेती के अनुभव का आनंद लेते हैं और ग्रामीण जीवनशैली को नज़दीक से देखते हैं। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं। स्थानीय हस्तशिल्प, भोजन, और खेती के उत्पादों की बिक्री से किसानों की आय में इजाफा होता है और रोजगार के नये अवसर भी उत्पन्न होते हैं।
7. मशरूम उत्पादन और बागवानी में अवसर
मशरूम उत्पादन एक तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है, जिसमें ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होती और यह एक अच्छा रोजगार विकल्प भी है। इसके अलावा, बागवानी, जिसमें फल, सब्जियों और फूलों की खेती शामिल है, रोजगार के नए रास्ते खोल रही है। यह क्षेत्र उन लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है, जो छोटी जगह में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। सरकार भी मशरूम उत्पादन और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और सब्सिडी उपलब्ध कराती है।
8. खेती में उद्यमिता का उदय
खेती में उद्यमिता का बढ़ता चलन आज के युवाओं के लिए एक आकर्षक अवसर बनता जा रहा है। वे खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर नई तकनीकों और व्यापार मॉडल का प्रयोग कर रहे हैं। कृषि उद्यमिता में युवाओं को अपने कृषि उत्पादों को बेचने के लिए नए रास्ते खोजने होते हैं। इसमें ऑनलाइन मार्केटिंग, वितरण चैनल, और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर मुनाफा कमाना भी शामिल है।
9. खेती में कौशल विकास और प्रशिक्षण
खेती में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। सरकार और गैर-सरकारी संगठन युवाओं को खेती से जुड़े विभिन्न कौशल जैसे जैविक खेती, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, और बागवानी आदि में प्रशिक्षण देने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं। इससे युवाओं में आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ती है और वे कृषि क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं।
10. रोजगार सृजन के लिए कृषि से संबद्ध क्षेत्रों का विकास
कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्र जैसे कृषि यंत्र, उर्वरक उत्पादन, बीज उत्पादन और वितरण, कृषि परामर्श, और कृषि शिक्षण भी रोजगार के ��ड़े स्रोत हैं। इन क्षेत्रों में युवा इंजीनियर, वैज्ञानिक, और शिक्षाविद् एक नया करियर बना सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि तकनीकी और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे किसानों को नए तरीकों के बारे में जानकारी मिलती है और युवा इन सेवाओं के माध्यम से रोजगार पा सकते हैं।
निष्कर्ष
खेती में रोजगार के अवसर एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत देते हैं। जहां एक ओर, यह क्षेत्र किसानों को नए तरीके अपनाने का मौका देता है, वहीं दूसरी ओर, युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करता है। खेती में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देकर न केवल ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो सकता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी एक मजबूत आधार मिल सकता है।
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