#भागीरथी योजना
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bestnewsportal · 7 years ago
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छत्तीसगढ़ को मिला देश का बेस्ट हार्टिकल्चर स्टेट अवार्ड
छत्तीसगढ़ को मिला देश का बेस्ट हार्टिकल्चर स्टेट अवार्ड
प्रधानमंत्री मोदी के सपनो को साकार करते हुए न्यू इंडिया के निर्माण में छत्तीसगढ़ के किसानो ने छत्तीसगढ़ को हार्टिकल्चर लीडरशीप अवार्ड द���लाकर यह साबित कर दिया है कि अब छत्तीसगढ़ हॉर्टिकल्चर खेती के लिए भी एक ब्रांड है धान और दलहन के अलावा. छत्तीसगढ़ लगातार चार बार से केंद्र द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित होता रहा है और हाल में ही लक्ष्य भागीरथी योजना को जो कृषि –सिचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवालके…
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mediawalablog · 2 years ago
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Badwani News:कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के कार्यकाल के सफलतम 2 वर्षों पर अधिकारियों ने कराया मुंह मीठा
बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के सेवाकाल के 2 वर्ष पूर्ण होने पर जिला प्रशासन सहित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने कलेक्टर वर्मा का मुंह मीठा करा कर उन्हें सफलतम नेतृत्व के 2 वर्ष पूर्ण होने की शुभकामनाएं दी। कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के नेतृत्व में बड़वानी जिला आकांक्षी जिलों के सूचकांको के पैरामीटर में ऊंची छलांग लगाकर तेजी से शीर्ष पायदान की ओर अग्रसर हो रहा है। इन सब सफलता के पीछे उनका संवेदनशील ह्रदय एवं कार्य के प्रति लगन ही मिशन उम्मीद जैसे नवाचारों को पल्लवित कर रही है।
कलेक्टर वर्मा ने बड़वानी जिले में पदभार ग्रहण करने से लगाकर आज तक बिना थके जिले के कोने कोने को अपनी सेवाओं से लाभान्वित करने का प्रयास निरंतर किया है उसी का परिणाम है कि आज पहुंच अभियान से ग्रामीण शासकीय योजना की मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं। हम बात करें अमृत सरोवर एवं पुष्कर धरोहर समृद्धि योजना की जिसमें उनके द्वारा सघन अभियान चलाकर शासन द्वारा प्रत्येक जिलों को दिए गए 75 जल संग्रहण तालाबों के लक्ष्य को बड़वानी जिले में और बड़ा करते हुए 101 जलाशय तैयार करने का भी भागीरथी कार्य किया है। वर्षा काल की पहली बारिश में ही आपके प्रयासों से तैयार किए गए जलाशय पानी से भरने लगे हैं।
बड़वानी जिले में आपका पदार्पण होते ही कोरोना जिले में दस्तक दे चुका था। यहां आते ही आपकी नेतृत्व क्षमता एवं रणनीति किसी अग्नि परीक्षा के समान थी। जिसे आपने अपनी कुशाग्र बुद्धि एवं टीम संयोजन के दम पर आपने कोरोना जैसी त्रासदी में बड़वानी सहित आसपास के जिलों से भी आने वाले मरीजों के लिए जिले में व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर जहां जिल��� चिकित्सालय को ऑक्सीजन से परिपूर्ण कर विभिन्न व्यवस्थाएं सुनिश्चित की, वही बंद पड़े आशा चिकित्सालय को भी प्रारंभ कर 200 अतिरिक्त बेड सुसज्जित ऑक्सीजन के तैयार किए गए। तत्समय आपने निजी चिकित्सा सेवा संस्थानो को भी मानक दर पर चिकित्सा सुविधा देने के लिए निर्देशित कर सतत मॉनिटरिंग की गई। इसी रणनीति के दम पर बड़वानी जिला जल्द ही कोरोना मुक्त हो गया। इसी क्रम में आपने आमजन का ऑक्सीजन के प्रति सजग मानस को पढ़कर चिकित्सालय से डिस्चार्ज होकर घर जाने वाले मरीजों को उपहार स्वरूप एक एक पौधा भेंट किया वही जिन लोगों के पास वृक्षारोपण के लिए स्थान नहीं थे उन्हें बड़वानी के विभिन्न स्थानों रेवा कुंज सोन कुंज लोनसरा की पहाड़ी आदि क्षेत्रों पर आकर वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित किया ।
कलेक्टर वर्मा ने शिवकुंज के रूप में बड़वानी को दिया नया पर्यटन स्थल
कलेक्टर वर्मा के सेवाकाल की शानदार उपलब्धियों में शिवकुंज वह चमकता पर्यावरणीय सितारा है जिसकी ज्योत से प्रदेश ही नहीं देश में भी पर्यावरण के प्रति चेतना आलोकित हुई है। 8 अगस्त 2021 को हरियाली अमावस्या के दिन प्रभारी मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग, कैबिनेट मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल, राज्यसभा सांसद डॉ सुमेर सिंह सोलंकी, लोकसभा सांसद श्री गजेंद्र सिंह पटेल की उपस्थिति में एक साथ शिव कुंज पहाड़ी पर 30 हजारपौधों का रोपण कर, देशभर में ऐतिहासिक कदम के रूप में अमिट छाप छोड़ी है। शिव कुंज में आने वाला हर आगंतुक बड़वानी के समीप नव विकसित पर्यटन स्थल शिवकुंज को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपने परिवार एवं आने वाले मेहमानों के साथ यहां समय बिता रहा है। स्वास्थ्य आध्यात्म मनोरंजन एवं योगा के समन्वय से शिव कुंज को बच्चों, युवा व बुजुर्गों के अनुकूल ��ैयार किया गया है। जिसकी सराहना प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा भी मुक्त कंठ से की गई है।
कलेक्टर वर्मा के कार्यकाल में पहली बार जिला पर्यावरण संवर्धन बोर्ड के द्वारा बड़वानी दर्शन पुस्तक का प्रकाशन किया गया जिससे जिले के ऐतिहासिक स्थलों से आमजन को रूबरू होने का अवसर मिला।
कलेक्टर वर्मा के सेवाकाल में ही बड़वानी ने 25 वर्ष पूर्ण होने पर मनाया बड़वानी गौरव दिवस
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के द्वारा प्रदेश के सभी जिलो, नगर निकायो, ग्रामों, शहरों के विशेष अवसर पर गौरव महोत्सव मनाने के दिये गये निर्देश पर बड़वानी जिले के 25 वर्ष पूर्ण होने पर बड़वानी जिला गौरव महोत्सव सात दिवसीय भव्य आयोजनों की रंगारंग प्रस्तुति के साथ आयोजित किया गया। बड़वानी गौरव उत्सव का आगाज जन���्रतिनिधियों की उपस्थिति में रेवा तट राजघाट से भव्य कलश शोभायात्रा के साथ आरंभ हुआ एवं शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रांगण में सात दिवसीय रंगारंग प्रस्तुतियों एवं मनोरंजन के साथ-साथ शासकीय योजनाओं की जानकारी के लिए स्टाल लगाए गए। जहां पर आमजन शासन की योजनाओं से रूबरू हो सके।
बड़वानी गौरव महोत्सव में कई स्टार्टअप ने अपने व्यवसाय की शुरुआत की और आज भी ऑनलाइन अपने उत्पाद विक्रय करने के लिए आगे आए हैं जिसमें विशेषकर युवाओं के द्वारा बनाए गए ड्राई फ्रूट के साथ महुआ के लड्डू विशेष चर्चा में रहे। जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।
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khsnews · 3 years ago
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टिहरी झील में आखिरकार कब उतरेगा सीप्लेन? महत्वाकांक्षी योजना फाइलों में ही है।
टिहरी झील में आखिरकार कब उतरेगा सीप्लेन? महत्वाकांक्षी योजना फाइलों में ही है।
टिहरी गढ़वाल। उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है। इससे न केवल गंगा, जमना, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकनी, पिंडर, नंदाकिनी, टुनिस, श्री, गौरी, काली, राम गंगा आदि नदियां तेज हैं बल्कि बादल फटने की घटनाएं भी लगातार हो रही हैं। इतना ही नहीं देर रात उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ. इस बीच टिहरी गढ़वाल के भालंगाना प्रखंड में टिहरी गढ़वाल में बादल फटने से 4-5 मकान…
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nageshchandramishra · 3 years ago
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लेख: मैथिली कें अप्पन लोकक संरक्षण नहि -- ताहि स्थिति मे मातृभाषाक पुनर्जागरणक भागीरथी तपस्या
( लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र )
........" राष्ट्रभाषा होने के कारण प्राचीन समय से हिन्दी सब प्रान्तीय भाषाओं की बड़ी बहिन है,उसकी छोटी बहिनों के स्वरूप मे माता का अमर सौन्दर्य झलकता है । बहिनें एक दूसरे के रूप में अपना रूप भी देखती हैं । उनका आपस का प्रेम स्वाभाविक है । बड़ी बहन छोटी बहिनों के अधिकार सुरक्षित रखती है । उसका अपना घर सब बहिनों के लिए ख़ुला है और उसके घर में ही सब बहिनों को आपस में मिलने और मिलकर राष्ट्रोपासना की सुविधा है । "..
( हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन अधिवेशन,१९४१ में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव ; 
संदर्भ: Dr. Amaranatha Jha : Hundred Years ,पृष्ठ ३०४ ,Academy Press,Daraganj, Allahabad )
दिनांक ३,४,५ मई,२०१२'क प्रभात खबर अखबार मे एकटा लेख छपल- शीर्षक रहैक : "मैथिली को अपने ही लोगों का संरक्षण नहीं "--- लेखकक नाम एवं परिचय छिअन्हि : श्री श्रीश चौधरी,प्रोफेसर,मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग,आइ.आइ.टी.मद्रास-- लेख'क शीर्षक एकदम सटीक लागल जे अपना ' जिन ' के छूलक ! अइ लेख मे लेखक'क अपन मातृभाषा मैथिली से ��गाध प्रेम'क दर्शनो होइत अछि-- मैथिली'क वर्तमान दुर्दशा सं हुनक चिन्ता सेहो झलकैए , मुदा जं -जं आगु पढ़' लगलहुं--लेख मे सं "जिन्न" सभ सेहो बहराय लागल ! बुझना गेल जेना लेखक कहि रहल होथि ------'चूड़ा अछइत जं दही'ओ रहिते,तं बिन चीनी'ए ख़ुआए दइतहुं !' मैथिली'क "रीमिक्स'क" चाशनी मे सराबोर होइत मैल्कम ग्लेडवेल'क शब्द मे "ब्लिंक" करइत रहलहुँ- कारण जे लेखक बहुत किछु देखलन्हि-- बहुत किछु सुनलन्हि--- मुदा अइ लेख'क उद्देश्��� आ आगू'क लक्ष्य दिस कोनो "पोज़िटिव थिंकिंग " संग सटीक किछु कहलन्हि टा नहि !
..... मोन पडि गेल बांग्ला फिल्म " आपन जन" क हिन्दी "रिमेक" गुलज़ार'क "मेरे अपने" क ओ दृश्य जाहि ठाम "जानकी माए" सन बूढ़ि मीना कुमारी कें दू गैंग मे बंटल 'अपनहि लोक' क झगड़ा' क बीच-बचाव मे अपन छाती मे गोली लागि जाइत छैन आ' तखन फ़्लैशबेक मे ओ अतीत'क चलचित्र मे झांक' लगेत छ'थि -- ओहू सं बेसी सटीक मोन पड़ल महाभारत'क ओ मर्मस्पर्शी श्लोक (जे विराट पर्व,शान्ति पर्व आ नइँ जानि आन कतेको ठाम यथा:कौटिल्य अर्थ-शास्त्र,संविधान सभा,पार्लियामेन्ट आदि मे उग-डुब करइत रहइए) :-
" न सभा यत्र न सन्ति वृद्धा; न तो वृद्द्धिये न वदन्ति धर्मम् ।
ना सौ धर्मो यत्र न सत्यमस्ति;न तत् सत्यं यच्छलनानु विद्'धम् ।।"
अर्थात, ओ सभा 👉सभा नहि कहाओत जेत' बूढ- बुढानुस नहि रहथु; ओ बूढ बूढ नहि कहाओताह जे धर्म'क आचरण नहि करइत होइथ ; ओ धर्म धर्म नहि कहाओत जे सत्य सं युक्त नहि हो; ओ सत्य सत्य नहि थिक जे छल सं बेधल हो ! 
जँ संक्षेप मे कही तं अपन मैथिली'ओ'क हाल ओहने सन भ' गेल-- जं मां मैथिली स्वयं लेखक के सम्बोधन करितथि,तं संभवत: कहितथि---------
------- ( परिदृश्य -- फ़्लैशबेक -- )
......" बाउ ! अहाँ प्रारंभहि मे कहि देने छिअइ .." मैथिली को अपने ही लोगों का संरक्षण नहीं..."--- अहां एकदम सत्य कहल---जं से संरक्षण रहितैक ,तं अहां के ई लेख पठबइ काल हमर "बहिन" हिन्दी 'क प्रेस सँ अन्योन्याश्रय संबन्ध रहिते---नै' कि---प्रभात खबर अखबार 'क " कने एम्हरो " सन दया-दृष्टि 'क एकदिसाह आवश्यकता पड़िते'--- आइ फ्रेजर रोड ,पटना मे ��र्यावर्त-- इंडियन नेशन प्रेस' क परिणति " महाराजा कामेश्वर काम्प्लेक्स "क रूप मे नहि भ' के-- ओकर स्थान पर "मिथिला प्रेस"'क चकबिदोर करइत एलेक्ट्रोनिक पट्ट चमचमाइत रहितैक -- जेत' से मुख्यतः मैथिली'ए मे मिथिला मिहिर , दैनिक अखबार बहराइत रहितइ जेकर संस्करण नै जानि कत'- कत' से जेना ----- कोलकाता,दिल्ली,दरभंगा,भागलपुर,मुजफ्फरपुर,पूर्णियां,सहरसा,राँची,जमशेदपुर,मुंगेर,धनबाद, जनकपुर,काठमांडू,बेंगलुरु आ देश-विदेश 'कतको आन-आन ठाम सँ विश्व-स्तरीय मैथिली दैनिक' क संस्करण 'क डंका आइ बजबइत रहिते.....मुदा से होयतेक तखन ने जं आइ सँ एक सौ वर्ष सं किछु पूर्व "मिथिला-मैथिल- मैथिली" क नि:स्वार्थ हमर कतेको नेना-सेनानी आ सत्यपथ पर अग्रसर लोकनिक सुविचार ताहि समयक ' श्री ५ मान् मिथिलेश ' आ हुनक सलाहकार सभ मानने रहितथिन्ह जाहि सं मैथिली'क मजबूत नींव पड़ल रहितइक ???
अइ प्रसंग मे मैथिली भाषा'क पुस्तका - कार प्रकाशित प्रथम उपन्यास " रामेश्वर" क रचनाकार पं. जीवछ मिश्र(१८६३-१९२३) ' क निम्नांकित उद्गार जे प्रारंभिक" मैथिल महासभा" मे देल गेल वक्तव्य'क अंश थिक -- ओकर एक बानगी कृपया पढ़ू ,बाउ :
...... "मैथिल महासभा'क आदि सं हम अपन क्षुद्र बुद्धिक अनुसार विज्ञ मैथिल मात्र सं एहि महत्वमय विचारक प्रसंग कहएत आएल छी जे मैथिल महासभा मिथिला वासी जाति मात्र कां कुलक्रमागत उचित कर्तव्य ओ अपन-अपन उन्नति करबाक अवकाश देथुन्ह, जाहि सँ सभक सहानुभूति बनल रहत तथा ई समाज सुंदर ओ हृष्ठपुष्ट भए मिथिला'क उपकारी बनि सकत । उक्त प्रस्तावक विवेचना करब तं फराक रहो जे एक समय मध्य हमर कथा छल - 'ई मैथिल महासभा मैथिल मात्रक सम्पत्ति थिक ' । जाहि पर सभा ' क एक नेता चटकि क़ै उत्तर देलन्हि, -- ' नहि नहि , मैथिल महासभा मैथिल ब्राह्मण ओ कर्ण कायस्थक थिक " !....
..........."हमरा कहबाक जे 'मैथिल महासभा ' क प्रबंधकर्ता उचित कहनिहार कें अवज्ञा कय एतबा विचार करथु जे एहि मे दोष केकर ? आबहुं जं महासभा'क धुरंधर संचालकगण हमर विनीत प्रार्थना बुझथि तं " गेलो पानि बान्ही आरि "- एहि लोकोक्ति'क अनुसार शान्त भावें अपन दोष मानि मिथिलास्थ आन आन सभा कां " मैथिल महासभा" मध्य मिलाए चारु वर्ण'क उक्त सभा कए सकथि तं अति हर्ष छल । अगत्या म��थिला भाषा कां विश्वविद्यालय मे उचित स्थान ओ स्वत्व शुभकामनासं आन सभा द्वारा पृथको प्रार्थना - पत्र पठबाए मिथिला'क मंगलकामी बनथु --- अन्यथा अकृत कार्य भेला सं हमही नहिं,किन्तु मैथिल सं अतिरिक्तो जाति उपहास कए कहतएन्ह जे की ओ ! मिथिला भाषा चलल ?....."
-------!!! "----- (उद्धरण: "अंकुर" --मिथिला मोद,उद्गार सं.१००,१९१०-१९२० ई. मध्य संकलित पं.जीबछ मिश्रक लेख : दोषी के ? )
---"बाउ ! अहां कहू ---हम "मैथिली"! -- मिथिलाक राजा जनक'क ललना "जानकी" !!------ "सीता" ??? ----हमर कोन जाति छल ?हमर कोन वर्ग ?? कोन सम्प्रदाय ??? 
कि, हम मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थे टा 'क माए छी वा छलहुं? भूमिहार ? क्षत्रिय ? गोप ? लव-कुश ? दुसाध ? चमार ? आ कि मुसलमान ? ओ सभ अपन - अपन घर मे कोन भाषा'क व्यवहार क' रहल छलाह वा छलीह ? आ कि अहीं कहू जे मिथिला'क कोन समाज़'क आंगन मे हम नहि छलहुं ( आ कि आइयो नहि छी ? -------
जं धरती'ए हमर माय, तं की हम मिथिला'क जन-जन मे रचल-बसल नहि छलहुं ( आ' कि एखनहुं नहि छी?)
मुदा, श्री५ मान् मिथिलेश आ हुनक 'कर्ता-धर्ता लोकनि 'गैलैलीयो' सन हमर निस्वार्थ नेना जीवछ आ ओहेन सब 'सत्य' बजनिहार'क गले' टा नहि टिपलन्हि---- ओ लोकनि हमरा हमरे लोक -- हमरे सन्तान सभ से काटि हमरा जिबतहिं मारि देलन्हि !!!!! हमरा फेर से धरती मे गाड़ि देलन्हि !!!!!!! नहि तं आइ बांगला भाषा जकां देश- प्रदेश'क विभाजन'क बादो हमहूं जन-जन मे समस्त विशाल मिथिला'क कोर मे पल्लवित- पुष्पित होइत रहितहुं !!
अहीं कहू जे ‘लव - कुश’क हम माय आ मर्यादा पुरुषोत्तम हमर स्वामी - मुदा हुनक संतान- सखा पात - लोकनिकें सेहो हम गरगट्ट भ’ गेलियन्हिं ?
"लम्हों ने ख़ता की थी-- सदियों ने सजा पाई " --- एहने ठाम कहल जाइत छइक !...."
(पटाक्षेप )
..... अस्तु! पं. ज़ीबछ मिश्र लिखइत रहलाह ! एक-डेढ़ सौ साल पहिलुक रूढ़िवादी समाज़ मे जातिवाद'क जंजीर सं मुक्त भए अन्य सामाजिक विषय पर सेहो साहसपूर्वक अपन आवाज बुलन्द करइत रहलाह , मुदा, ओहेन अरण्यरोदन 'नक्कारख़ाना'क तूती साबित भेल -हुनकर प्रस्ताव'क समय जं पहिलुक महाराज श्री५ मान् लक्ष्मेश्वर सिंह(शासन काल:१८८० से १८९८ तक ) राजगद्दी पर विराजमान रहितथि, तं भ' सकइत छल जे हुनक अनुरोध बहुत अ��श तक मानियो लेल जएतन्हि, मुदा अल्प वएस मे महाराज'क अवसान होयबाक कारणें महाराज'क अनुज श्री ५ मान् रमेश्वर सिंह राज़-पाट सम्हारलन्हि(शासन काल:१८९८ से १९२९ तक)जिनकर विचार आ काज करबाक ढंग अपन दिवंगत जेठ भाए सं सर्वथा भिन्न छलन्हि ।सत्य'क खातिर जीबछ बाबू कें बहुतो साल धरि महाराज श्री५ मान् रमेश्वर सिंह बहादुर आ हुनक दरबारी लोकनिक कोपभाजनक शिकार हुअए पड़लन्हि-- मुदा ओ ताहि सं कहियो विचलित नहि भेलाह -- मातृभाषा 'क सेवा आजन्म करइत रहलाह ! "लिप- सिम्पैथी" बहुतो महानुभाव देखाओलखिन्ह, किन्तु, राज दरबार से विरोध कए हुनक संग देबाक साहस बेसी गोटा नहिं जुटा पाओलाह आ ओहो एकटा कारण भेल जाहि सं "मैथिली भाषा'क प्राथमिक सामाजिक न्याय'क आन्दोलन " मे ओ काफी हद तक अलग- थलग पड़ि गेलाह ।समाज'क आन वर्ग सभ कें मैथिल महासभा मे शामिल नहि कएला सं ओ लोकनि मैथिली भाषा सं बिद'इक गेलाह ।एत' ई उल्लिखित केनाइ आवश्यक बुझना जाइए जे जं महाराज साहेब आ ब्राह्मण - कर्ण कायस्थ'क कर्णधार लोकनि आनो सभ जाति कें मैथिल महासभा मे ओहेन 'डिफ़ाइनिंग मोमेन्ट' पर उचित स्थान आ सम्मान देने रहितथिन्ह ,तं आइ मिथिला मे मैथिलीक स्थान प्राय: ओहेन भए सकइत छल जेहेन पश्चिम बंगाल आ पछाइत बांग्ला देश मे बांग्ला भाषाक छइक ! (कम से कम आजुक नेपाल'क मैथिली'क समकक्ष तं निश्चिते रहितो )
मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ'क मैथिल महासभा आगुओ श्री५ मान् महाराज कामेश्वर सिंह (शासन काल:१९२९ ई.से जमीन्द���री उन्मुलन'क बादो आजीवन सन् १९६२ पर्यन्त) साल-दर- साल बदस्तूर चलिते रहल यावत धरि राज-पाट रहलइक-- मुदा, हुनका लोकनि द्वारा आन-आन जाति'क सभा सबहक पूर्व में भेल उपेक्षा क कारणें प्रतिक्रिया - स्वरूप शनै:-शनै: मैथिली भाषा'क ग्राह्यता कम होइत गेल-- आ बांग्ला भाषा जेकां जे मैथिली शुरू मे जन-जन मे रचल- बसल छल - ओकर धार भोंथ भेनाइ शुरू भ' गैलइ ! ' प्रो-ऐक्टिभ ' वर्ग मे ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ लोकनि मैथिली बजैत-लिखैत रहलाह -- आ ओतहि 'प्रजा वर्ग' मे लगभग आन सभ क्यो अपन-अपन घर मे यद्यपि मैथिली'ए क व्यवहार करइत रहलाह,मुदा ओ लोकनि अइ भाषा'क प्रचार-प्रसार सं विरत होइत गेलाह -- बहुत गोटा ओतबो पर नहि थमलाह-- आ प्रतिक्रिया-स्वरुप "भोट'क राजनीति" मे पड़ि मैथिली'क विरोध सेहो करय लगलाह जाहि सं ई भाषा ठमकि गेल-- आ "बोन्साइ" जकां मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ'क समाज'क शोभा बढ़बए लागल ! ओकर बाद फेर एहू समाज'क छोट-छिन दायरा'क संकुचित विचार-धारा मे ब्राह्मण- सोति,पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण इत्यादि' क दियारा सभ अपनहि बनइत ��ल गेल जेकर परिणाम ई भेल जे मैथिली आ मिथिलाक्षर जे बंगला से कतेको बेसी प्राचीन अछि - अपनहिंमे कटाओझ कए छिन्न-भिन्न भ’ गेल ! बहुतो त्यागी- मनस्वी लोकनिक अथक प्रयास भेल जे भाषा'क कटाव आ कटौझ कें रोकी, मुदा पर्याप्त सफलता नहि भेट सकलन्हि ! 
....देखते- देख़इत ---सय बर्ष सं बेसी बीत गेल......आ' एहि मध्य 'ब्रह्म-कमंडल-मंडल-भव-खंडन' क काल'क पहिया अपन आवृतो पूरा क' लेलक.........श्री ५ मान् मिथिलेश आ' हुनक मोसाहिब सभक स्थान पर नव-नव मठाधीश अपन-अपन चटिया सभक संग 'मिथिला-मैथिल-मैथिली ' क नाम पर राजनीति'क 'रोटी' सेंकबा मे एखनो बदलल रूप मे वर्तमान-विद्यमान छथिहे !! आइयो शहर-नगर मे हरेक साल विद्यापति पर्व समारोह मनाओल जाइत अछि-'राजा शिवसिंह रूप नरायन'क भेष मे डायस पर माननीय भूत-भविष्य-वर्तमान'क नेता लोकनिक आरती उतारल जाइत छन्हि-हुनका सभ के पाग-पुष्पादि सं सम्मान कयलाक बाद मैथिली भाषाक 'आजीवन संरक्षक' लोकनि सेहो सभ अपना कें प्रतिष्ठित करइत छथि - ओकर बाद वैह भाषण-गीत-नाद-आनन्द मेला मे मां मैथिली'क "तीन दिना बर्षी"क बाद "राग दरबारी " सन "स्टिरियोटाइप" कार्यक्रम सम्पन्न भ' जाइए ! आइयो धरि ई सभटा समारोह मे लगभग ८० प्रतिशत उपस्थिति मैथिल ब्राह्मणक रहइए-- "कोटा सिस्टम "क खातिर थोड़-बहुत आनो जाति-सम्प्रदाय' क लोक सभ के राखए पड़इत छन्हि - भोट'क राजनीति सं प्रेरित भए कखनो काल मैथिली कें नफ़ा-नुकसान समय-समय पर होइत रहलै अछि , मुदा कोनो निश्चित दिशा दिस निस्वार्थ रुपें भविष्य'क योजना एखन धरि समेकित रूप सं बनल हो आ ओहि पर सुनियोजित ढ़ंग से कार्य होइत हो-- से नहि बुझना जाइछ । 
हं, "मिथिला-मैथिल-मैथिली"-क विकास'क नाम पर किछु 'जेनुइन' सेहो आ बहुतो एकर 'खाल' ओढ़ने राजनीतिक,सामाजिक,साँस्कृतिक,जातीय चेतना मंच सभ अलग मिथिला राज्य'क नारा बीच-बीच मे बुलन्द करइत रहैत छथि -- किन्तु, बेसी 'केस' मे ओ सभ तखने गतिशील होइत छथि जखन - जखन अपन स्वार्थ-सिद्धि'क 'नाड़ा' ढील भ' जाइ छन्हि !
एहन परिस्थिति मे जिनका वास्तव मे मैथिली भाषा सं निस्वार्थ प्रेम होन्हि - हुनका लोकनि कें अइ भाषा' क संक्षिप्त इतिहास सं परिचित होयबाक चाही--आब तं किछ अन्दाज "गुगल" सर्च केला' पर सेहो भए सकइत छन्हि ।जं लगभग एक हजार बर्ष पाछू तकबाक धैर्य होइन्ह ,तं अइ प्राचीन भाषा'क विलुप्त भ' जैबाक हुनक सभटा आशंका छू-म���तर भ' जेतन्हि--"देसिल बअना सब जन मिटठा" रहबे करत , मुदा से हृदयंगम करबा'ले प्रात:स्मरणीय डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी सन भाषा- वैज्ञानिक'क विशाल हृदय चाही! जं ओतेक बेसी सबूर नहिं होइन्हि, तं पछिला एक सय बर्ष'क "पश्येम शरद: शतम् "क विहंगम दृश्य मैथिली भाषा'क दशा-दिशा सं काफी-किछु परिचित करेबा' मे सहायक भ' सकइत छन्हि - तखने "भवेम शरद: शतम्" आ "जीवेम शरद: शतम्"क सपना साकार भए सकत ।भाषा,जन-जीवन आदि काल सं टूटइत-बनइत आबैत रहल रहल अछि -"वासांसि जीर्णानि.." सभ ठाम ले सत्य .........
एतय पता नंइ-- बेर - बेर एकटा विश्व-प्रसिद्ध उपन्यास "वन हन्डरेड इयर्स आफ़ सोलिच्युड (लेखक:गैब्रिएल गार्सिया मारक्वेज )"क स्मरण भए रहल अछि -जखन कि ई उपन्यास हमरा एको बेर पूरा नहि पढ़ल भेल; जखन- जखन आगू पन्ना उलटेबाक चेष्टा करी -- कथानक केर मुख्य पात्र'क सात पुस्त-वंशावली आ ओतेक 'कैरेक्टर' सभ'क नामे बिसरि जाइ- आ पात्र सबहक पंजी स्मरण करबाक चेष्टा मे ओहने लागे जेना जनउ गेठबइ काल ओकर तानी बेर-बेर ओझरा जाइ छइ आ तखन ओकरा सोझरबइ मे की-की पराभव होइत छइक - से केनहि जानल जा सकइए ! एहेन "किंग ब्रुस आ स्पाइडर" प्रयास' सं ई उपन्यास पढ़लाक बाद अन्दाज लागि जाइत छइक जे "मैकोन्डो'क फ़ॉन्डर बुइंडिया फ़ैमिली'क ओरिजिनल सिन " सय बर्ष आगुओ पछओर धेनहि रहइत छइक -- ओकर मर्म आ वेदना कें बुझबा मे जेहेन बोध भेल - ओहने कष्टमिश्रित उद्वेग हमरा मिथिला-मैथिल-मैथिली'क पछुलका एक सय बरख'क इतिहास बुझला पर होइए -- आब "करेक्टीभ मेज़र्स " लए ले की कएल जाय ताकि अपन मातृभाषा मैथिली सेहो शाप-मुक्त भए सकथि - अइ पर बहुत परिश्रम करबाक आवश्यकता छइक! कहबाक अर्थ जे मातृभाषा पर सभ मिथिलावासी'क समान अधिकार स्थापित करबाक दिशा मे समृद्ध मैथिल वर्ग हृदय सं आन सभ उपेक्षित वर्ग सं क्षमा मांगि हुनकर सभक हृदय जितबाक भागीरथी प्रयत्न करइत सभ मिल-जुलि मैथिली भाषा'क उन्नयन'क दिशा मे सामूहिक प्रयास करथु ।एखन एकटा ई "अपॉर्चुनिटी" छइक जे संविधान'क अष्टम सूची मे मैथिली भाषा शामिल भेलाक बाद बहुतो मैथिली भाषी वर्ग जे लोकनि पहिने उपेक्षित रहलाह-- संभावना पूरा छइक जे ओ सभ अपन -अपन कैरियर 'क खातिर आब अइ भाषा सं नहि बिदकथि ! मैथिल समाज मे जेना-जेना शिक्षा'क प्रसार हेतइक - जाति-पाति'क उन्माद सेहो कम होअए लगतइक आ भाषा'क ग्र��ह्यता बढ़इत जेतइक - ताहि लेल "प्रि-नर्सरी" स्टेज सं "प्राइमरी"- "हाई स्कूल"- "ग्रैजुएशन"-"हायर एडूकेशन"- "एडभान्स्ड स्टडीज़" - प्रत्येक स्टेज धरि मातृभाषा मे ओहने "आरिजनल" कोर्सबुक तैयार करबाक आवश्यता छैक जेहेन अमेरिकन,फ्रेंच,इंगलिश,जापानिज,जर्मन,चाइनिज( मैन्डरिन) आदि समकक्ष "एडवांस्ड कन्ट्रीज" मे तैयार कएल जाइत छैक--ई बहुत परिश्रमक कठिन काज छैक-- रटन्त विद्या पढ़ल "कर्पूरी" डिविजन सं पास वा कोनो "जगन्नाथी" ब्रांड प्रोफेसर द्वारा हिन्दी व 'अंग्रेजी' से मैथिली मे ट्रान्सलेशन कएला सं काज नहि चलतइ-- एतय "'सिब्बल' नहि 'सिम्पुल'फार्मूला से पढ़उन्हार "वॉट्सन स्कूल वला खॉटी बैद्यनाथ ठाकुर"सन कोनो मोडर्न "सुपर थर्टी"क "आनन्द कुमार"क "डिसिप्लिन" आ दम-खम चाही !!
एकर अतिरिक्त ग्राम-स्तर से पंचायत-ब्लॉक-प्रखंड-जिला-राज्य-केन्द्र-स्तर तक सरकार द्वारा जे कोनो विकास योजना चलाओल जाए रहल अछि -- ओकर "इन्टरएक्टिव कम्युनिकेशन टूल" मातृभाषा मे तैयार करबाक आवश्यकता सेहो छैक ! संविधान'क अष्टम सूची मे जे कोनो स्थानीय भाषा'क बजनिहार नागरिक हो-- ओकरा इ अधिकार होयबाक चाही जे ओकर सर्वे,खाता-खतियान आ आन जरूरी क़ागज़ात सरकार द्वारा ओकरे इच्छित भाषा मे उपलब्ध कराओल जाए - "ट्रांसपेरेंसी रिवोल्यूशन"क आधुनिक युग मे मात्र "कैथी-उर्दू-फ़ारसी-अंग्रेजी"वला पुरनका फरमा से काज चलइवला नहि छइक- सरकार'क एखन जे सूचना,शिक्षा,प्रसार नीति आ काज करबाक ढ़ंग छइक से "लालबत्ती" से नीचा उतरबाक नामे ने लए रहल अछि ! हमरा ते लगइए जे "लालेबत्ती" आगु सब मुखिया-सरपंचे टा नहि-पंचायत सेवक सेहो लगा लेताह ! तंइ ,सामाजिक परिवर्तन'क अइ युग मे गामे-गाम गांधी जी'क स्वप्न'क ग्राम-स्वराज आनबाक हेतु कतेको "रालेगांव सिद्धि"क निर्माण करइ ले बहुतो रास "आइ.ई.सी. मैटेरियल्स" तैयार करए पड़तैक आ सदिखन "जागते रहो"वला "टीम अन्ना" आ जुझारु "जेनरल भी.के. सिंह"क मुद्रा मे सिंहनाद करइत "जेन्डर मैनस्ट्रीमिंग" क संग “प्रशस्त पुण्य पंथ है-बढ़े चलो-बढ़े चलो..." क अनुसरण करय पड़तैक !!
"सर्किल कम्पलिट" करबाक खातिर एतय एकटा "पुश्तैनी चुम्बक"क सेहो चर्चा केनाइ परम आवश्यक -----
"वन हन्डरेड इयर्स आफ़ सोलिच्युड"- हमरा लोकनि कें इहो आशा दियेबा' मे सहाय��ा कए सकइत अछि जे अपने सभ सदृश "नन-रेज़िडेन्ट-भिलेजर" कें अपन भाषा,अपन मातृभूमि बारंबार चुम्बक जकां अपना दिस अइ दुआरे आकर्षित आगुओ करइत रहत किएक तं ओहि माटि मे हमरा लोकनिक माय-बाप-पितामह'क पवित्र चिता'क सुगंधित वास छइक ! तंइ पटना से गाम आबी- अथवा चेन्नई-पंजाब से- वा दिल्ली-डेनमार्क- लंदन-पैरिस-वाशिंगटन-टिम्बकटू से- अपन सबहक "उड़इत-वंशी" लोक-वेद भले मैथिली शब्दावली मे "इंग्लिश" मिझहर करइत रहत ( हमर अपनो तँ से हाल भै’ये गेल अछि , जँ ‘बाबूक अमरनाथ भाइ’ हमरा एहेन अशुद्ध मिझहर मैथिली बजैत- लिखैत देखने रहितथि, तँ जै टा गलती - ओतेक पाइ दंडात्मक कार्रवाई केने रहितथि)
-- एहनो समय-साल औतैक जे वैह “ उड़ैत- वंशी” सभ मैथिली'क पुनर्जागरण मे अचूक रामवाण'क काज कए सक'इए-- कोनो आश्चर्य नहिं जे ओकरे सभ मे से खाँटी "मैथिल"-स्टीव ज़ोब्स- बिल गेट्स-वारेन बुफेट-बेंजामिन फ्रैंकलिन-एल्विन टोफलर-डॉ. जॉनसन-फ्रांसिस बेकन-माइकेल डि मौन्टेन- एम.एफ. हुसैन- पर्ल एस. बक- अल्फ्रेड नोबल- नेल्सन मंडेला- मदर टेरेसा....सन कतेको विभूति सभ'क दर्शन भए जाए -- आ तखन आजुक संचार युग मे केहेन क्रांति आबि सकइत छइक से कल्पना करु ! तंइ लेखक अपन आशा बरक़रार राखथु !! हम ने कोनो "सोमशर्म पितु:कथा" कहल आ ने "कुबला खां"क "प्लेजर डोम" मे रहि रहल छी! ग्लोबलाइजेशन'क युग मे जं-जं शिक्षा'क प्रचार- प्रसार हेतइक- अपनहु सभक भाषा'क बनाओल कृत्रिम आरि-पानि 'टू-वे कम्युनेशन' भेला सं अपनहि टूट'इत जेतइ- ओहेन स्थिति'क निर्माण भेला सं ख़ूब संभावना एकरो छइक जे सैकड़ों-हजार मे आन-आन भाषा-भाषी'ग्रियर्सने' टा नहि--मैंन्डरिन,जापानिज,कोरियाई,जर्मन,फ्रेंन्च,रसियन,उड़ीया,असमिया,बांग्ला,मणिपुरी,डोंगरी,तमिल,तेलगु,मलयालम,नेपाली,उर्दू,हिंदी,मगही,भोजपुरी आ नइ जानि कतेको आन-आन भाषा बजनिहार लोक सभ मिथिला'क 'इन्एक्जोस्टिबुल' 'संस्कृत आ संस्‍कृति' सं आकर्षित भए एतुक्का 'अवहट्ठा' आ प्राचीन ओ नवीन मैथिली'क असीम भंडार'क सृजन मे सहायक होथि - एहेन नवनिर्माण'क दिशा दिश आगु बढ़इत काल मैथिली बजनिहार'क "संख्या-बल"क विश्ले��ण(क्वान्टीटैटी'भ एनेलिसिस) कयला सं पूर्व जातीय-क्षेत्रीय संकीर्णता सं दरकल समाज कें जोड़इ ले' कोनो मामूली "फेविकोल" सं काज नहिं चलत--ओहि लेल "यात्री"जी- "मणिपद्म" जी सन स्पेशल "इपोक्सी- रेसिन"क सेनानी सभ के ठार करबाक जरूरत हेतइक ! तंइ सम्प्रति निर्विकार भाव से भाषा'क समृद्धि ( क्वालिटी ) पर ध्यान केन्द्रित करी--- एत' मोन पड़ि रहल अछि- जगन्नाथपुर टेम्पल,हटिया,राँची'क द्वार पर लिखल एकटा दोहा --
"चन्दन की चुटकी भली--गाड़ी भलो न काठ ।
बुद्धिमान एकहि भलहु--मूरख भलो न साठ ।।"
एहेन सुवासित विचार तखने संभव भ' सकइत छइक जखन मोन मे मदर टेरेसा सन प्रेम'क गंगा कल-कल बहइत हो - तंइ,दोसर "कार्डिनल प्रिंसपुल" ई जे सभ मैथिली - भाषी आनो सबहक मातृभाषा कें सम्मान'क दृष्टि सं देखल करथु ।बहुतो लोकनि अशिक्षा, जातिवाद,क्षेत्रवाद आ कतिपय आन-आन कुंठा-संत्रास सं ततेक ने ग्रसित रहइत छथि जे सदि'खन हुनका आशंका होइत रहइत छन्हि जे आन-आन भाषा सभ हुनकर मातृभाषा कें खा' जेतन्हि-गीड़ लेतिन्ह -हमरा बुझने ई अपनहि कमजोरी'क लक्षण थिक - कहबी छइक जे अनका दिस एक अंगुरी देखबइ काल तीन टा आंगुर अपनहि दिस लक्षित होइत छइक - जिनका अपन 'माए,मातृभूमि आ मातृभाषा ' सं निश्छल प्रेम होयतन्हि - ओ 'पावर,पाइ आ फेम'क 'डिजिज' सं ग्रसित नहि भए सकइत छथि-- आ ओहने लोक'क संगठन मैथिली'क उत्थान मे 'सस्टैनेबल् सिपाहसलार' साबित भए सकइत छथि-- ओहने नि:स्वार्थ मैथिली भाषा'क "पांडवी"रथ' पर अग्रसर होयबाक आजुक आवश्यकता छइक- जाहि मे २१वी शताब्दी'क कोनो पं अमरनाथ झा सन सारथी हो ! ओहेन पारखी कोनो फुहड़ आ 'थर्ड ग्रेड' साहित्य/सिनेमा/सीलेबस/गीत-नाद-नाटक कें "टॉलरेट" नहि करताह -- मैथिली मे भले एके टा कथा क्यो लिखथि- ओ हिन्दी'क "गुलेरी जी" बनबाक आकांक्षा राखथु;जं सिनेमा बनबथु--बांग्ला'क सत्यजित रे सन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर'क हो; टी.वी. हो अथवा अखबार--मिथिला'क "सौभाग्य" कहाबय-दुर्भाग्य नहि-- अपन "ओरिजनल स्ट्रेन्थ" चिन्ही,अनकर "कौरवी वीकनेस" क "चीप" नकल कएला सं जगहंसाइए टा हैत !
ओहेन "पांडव"सभ आइ.आइ.टी. आ देश-विदेश'क कोनो प्रीमियर इन्स्टीट्यूशन'ए टा नहिं --आनो ठाम "तलाशल आ तराशल" जा सकइए-- मुदा,"विद्यापति'क ओहेन उगना" सभ कें ताकय आ गढ़य ले आचार्य रमानाथ झा सन खोजी स���नेहिल दिव्य दृष्टि आ काज करेबाक पांडित्यपूर्ण "पर्जवरेन्स" चाही !! मैथिली भाषा आ साहित्य'क क्षेत्र मे "ई-रिवाल्युशन" अनबाक दिशा मे किछु उत्साही भाषा-प्रेमी उद्यत भेल छथि जे प्रशंसनीय - मुदा आगुओ अनेको "इनोवेटिव कम्यूनिटी पोर्टल्स ,आनलाइन लाइब्रेरी,सोशल वेबसाइट्स" जेना "मोजिला फ़ायरफ़ॉक्स", "विकीपीडिया", "फेसबुक-ट्विटर" इत्यादि सदृश "ई- क्रांति"क असीम सँभावना छइक !! 
अन्त मे ,लेखक कें कोटिश: धन्यवाद दइत हमहूं अपन गाम-यात्रा'क अनुभव "शेयर" कर' चाहब--- ढाइ-तीन बर्ष पर गाम गेल रही;गामक सीमान तक जं "ब्लॉइंड-फोल्डेड" लए गेल रहितहुं,आ आंखि'क पट्टी खोलि क्यो पुछिते:कत' छी,कहू ?" उत्तर दितियैइक-"-दिल्ली-जयपुर हाइवे पर"- सड़क मार्गमे आशातीत सुधार भेलैए ! डीह पर पहुंचि भगवती कें प्रणाम कए "गाम" भाइ ( प्रो. डॉक्टर जगदीश मिश्र)क दलान पर पहुंचलहुं-सांझ भ' गेल रहइक- देखलियेक -ओतए पचीस- तीस गोट नर-नारी 'क समूह 'क बीच मैथिली साहित्य पर गहन चिन्तन भ' रहल छल; गोटेक क्षण थकमेकलहुं,मुदा भाइ हमरो शामिल कए परस्पर सभसँ परिचय कराओलन्हि - " ई सभ उत्कल यूनिवर्सिटी'क उड़िया भाषी छात्र-छात्रा लोकनि मैथिली भाषा'क विद्यार्थी छथि -- एखन 'एक्सकर्शन पर अपने सभक परोपट्टा मे पढ़ए आएल छथि- संग मे प्राध्यापक सेहो छथिन्ह"; छात्र-छात्रा-सभ चरण-स्पर्श कए "चेष्ट मैथिली" मे कुशल-क्षेम पूछलन्हि-- सुखद आश्चर्य भेल ! 
प्रात भेने "पक्की सड़क" आ " हाइवे " पर पाएरे टहलए गेलहुं- नाक दबने घुरय पड़ल-- "ओपेन डी'फेकेशन" ले आबो सबसे उपयुक्त स्थान वैह बुझल जाइए -ख़ास कए जे उपेक्षित समाज'क ओकालत कयलहुं -- ओ लोकनि अखनो -जनानी पर्यन्त -बिना कोनो संकोच लोटा लए सड़के पर जाइ छथि !!
ग्राम-पंचायत मे ५० प्रतिशत महिला आरक्षण'क जमीनी सच्चाई आ आंगनबाड़ी'क दुर्दशा सेहो देखलहुं !!!
ओहि बीच गाम'क सरस्वती पूजा सेहो देखल-- पूजा से ल'के भंसान तक "लाउडिस्पीकर" से "ट्रैक्टर" पर्यन्त अबीर-रंजित गाल आ "पाउच"क ठर्रा' सं त'र-ब’तर कंठ सं नि:सृत जय-जयकार--- "बीना पानी के - जय !---" बीना-पानी के-जय !!" सं झंकृत गूंज संग सब धिय���-पुता'क लटर- पटर टॉंग अनवरत थिरकइत रहल !!!
गाम मे नेपाली रेडियो स्टेशन खट् से लागि जाइत रहए -- ओइ पर मैथिली प्रोगाम सेहो सुनल !
गाम सं घुरय काल जगदीश भाइ 'क दरवज्जा पर गोड़ लगइले गेलिअन्हि -- हुनकर फुलवारी मे श्रीखंड आ रक्त चानन - दुनु'क गाछ छन्हि- जै मे से कहियो काल हमरो स्‍नेह सं सनेस भेटइत आयल अछि- हड़बड़ी मे हम रही- भाइ कहलन्हि- बाउ ( चि. अनुराग) परीक्षा दय ले जेता'- हुनके मारफत सनेस मे चानन सेहो पठाए देब ! किछु मास'क बाद अपन प्रतियोगिता परीक्षा दइले भातिज चि. अनुराग यथासमयानुसार पहुंचलाह- संयोग सं ओहि बीच जानकी नवमी पड़लइ- अखबा�� मे पढ़ल- बिहार सरकार द्वारा ओहि उपलक्ष मे सार्वजनिक अवकाश घोषित कयल गेल- "अनप्रेसिडेन्टेड"? सुखद अनुभुति भेल ! इन्टरनेट पर "इन्डियन एक्सप्रेस" क एकटा पइघ न्यूज पढ़ि "शॉक्ड" भए गेलहुं- नेपाल मे "मैथिली' आन्दोलन'क सक्रिय नेत्री रंजू झा सहित पांच क्रांतिकारी लोकनि'क"पीस'फुल डैमोक्रैटिक एज़िटेशन" क दौरान भेल बॉम्ब ब्लास्ट मे शहीद ! "- मोन के दहला देलक-- लागल जे आइ फेर "मां मैथिली" कें धरती'क शरण मे जेबा'ले बाध्य हुअ' पडलन्हि !! जहां धरि मोन अ'छि-- एतुक्का अखबार मे प्राय: कोनो "प्रोमिनेन्ट" कवरेज नहि रहइक-- इ सभ विचारिते रही कि गाम से आयल भातिज चि. अनुराग 'न्यूज' सुनाउलन्हि-- "कका ! बुझलहुं ने -- परसूए राति चोर सभ चुपचाप फुलवारी महक श्रीखंड चानन'क गाछ काटि ल' गेल-- के लए गैल- कोना ल' गेल - किछु ने पता लागल ! ई सुनि अवाक् रहि गेलहुं !! पहिने कोनो नीक,ईमानदार लोक सभ'क जद्दोजहद देखि बुद्धिनाथ मिश्र'क कविता मोन पड़ए:
" चारू कात बसै’ अछि विषधर-- पोरे-पोर डंसल छी !
अइ बिषाह जंगल मे हम तं-----चानन गाछ बनल छी !! "
....आब नीक लोक की करत-- कत' जायत ? चानन'क "वीरप्पन" सभ नीके लोक'क गाछ सभ काटि ल' जा रहल अ'छि - एमहर "श्रीखंड" आ ओम्हर "रक्त" !!! एहेन विषम परिस्थिति सभ'क बीच मैथिली आन्दोलन'क पुनर्जागरण 'क भागीरथी तपस्या कोना - कतए सं शुरू कयल जाय ? के आशीर्वाद देत ?? एक आप्त मनीषी'क कथा मोन पड़ल -- ��े कहने रहथि---- प्रसि��्ध साधक- तपस्वी पं. गोपीनाथ कविराज सं क्यो आग्रह कयलखिन्ह--- "पंडित जी,आशीर्वाद दीजिए ! " पंडित जी उत्तर देल'खिन्ह ----
" अरे ! देख रहे हैं न !! ऊपर से ईश्वर के आशीर्वाद की अजस्र गंगा बह रही है-- जितनी पात्रता हो -- ले लीजिए !!! कौन रोक रहा है?”
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स्वस्ति श्री छोटकी बहीन , 
     नव  बर्ष'क  सादर प्रणाम ! 
             अहाँ ई जिज्ञासा केने रही जे मैथिली मे हम कियैक ने किछु लिखैत छी ? संक्षेप मे एकर उत्तर जे हमरा झांपल- तोपल विचार प्रकट करै' मे नीक नहिं लगैत अछि आ ' सत्य कटु ने भ' जाए -- तेकर डर सेहो रहैए ! 
    अस्तु , जे किछ - एकटा लेख लिखने रही --- अपनहिं टाइप केने छी -- तैं त्रुटि सेहो भेटत ! 
                                      अहाँक -- कुमार 
सेवा मे : डॉ. श्रीमती नीरजा " रेणु " 
( पोस्टस्क्रिप्ट : ई पत्र छोटकी बहीनक मुंबई प्रवास दौरान हुनका द्वारा सुझाओल ई-मेल पता सँ … नवबर्ष 2013 क सुअवसर पर पोस्ट केने रही जेकरा पुनः संशोधित करबाक प्रयास कयलहुँ! जेतबा भेल - से भेल , बाक़ी त्रुटि लेल क्षमा करू )
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abhay121996-blog · 3 years ago
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मुख्यमंत्री तीरथ ने किया हरित हरिद्वार योजना का शुभारंभ Divya Sandesh
#Divyasandesh
मुख्यमंत्री तीरथ ने किया हरित हरिद्वार योजना का शुभारंभ
हरिद्वार। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रविवार को शान्तिकुंज में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर हरिद्वार जनपद के वृहद पौधरोपण अभियान का शुभारंभ किया। “हरित हरिद्वार’’ योजना को आगे बढ़ाते हुए  भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  मदन कौशिक, जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने हरकीपैड़ी के गंगा सभा कार्यालय से प्रथम चरण के रूफ टाॅप गार्डनिंग अभियान की शुरुआत की और कार्यालय की छत के गमलों में लौकी, कद्दू, करेला एवं तोरी के बीजों का रोपण  किया। 
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  मदन कौशिक ने कहा कि यह योजना एचआरडीए और नामामि गंगे दोनों संयुक्त रूप से संचालित कर रहे हैं। इसमें सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग भी हैं। इनके माध्यम से हर घर में लौकी, कद्दू, तोरी, करेला के बीजों का वितरण किया जाएगा। 
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इससे लोगों को आर्गेनिक सब्जी घर में ही प्राप्त होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि इस योजना का मकसद प्रत्येक घर के रूफ टाॅप को ग्रीन बनाना है। इसके लिए विभिन्न सब्जियों के बीज और आर्गेनिक खाद का वितरण किया जाएगा। कुछ समय बाद पूरा हरिद्वार  ऊपर से देखने पर हराभरा दिखेगा।
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इस योजना के शुभारम्भ अवसर पर श्री गंगा सभा के अध्यक्ष  प्रदीप झा, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ,  नितिन गौतम,  सिद्धार्थ चक्रपाणि, हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण के सचिव डाॅ. ललित नारायण मिश्र, मुख्य नगर आयुक्त जय भारत सिंह, डीएफओ  नीरज कुमार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी राजेन्द्र सिंह कठैत, बीइंग भागीरथी संस्था के शिखर पालिवाल, डाॅ. एम.आर. शर्मा आदि उपस्थित रहे।  Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
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airnews-arngbad · 4 years ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad Date – 22 May 2021 Time 7.10 AM to 7.20 AM Language Marathi आकाशवाणी औरंगाबाद प्रादेशिक बातम्या दिनांक – २२ मे २०२१ सकाळी ७.१० मि. ****
कोरोना विषाणू संसर्गाची रुग्ण संख्या कमी जरी होत असली तरी संपूर्ण काळजी घेण्याचं आवाहन श्रोत्यांना करण्यात येत आहे. कोविड प्रतिबंधक लसीची पहिली मात्रा घेतलेल्या नागरिकांनी दुसरी मात्रा अवश्य घ्यावी, प्रत्येक नागरिकानं सर्व सुरक्षा उपायांचं पालन करावं. नाक आणि तोंडाला मास्क लावावा, हात वेळोवेळी साबणानं धुवावेत, एकमेकांपासून सुरक्षित अंतर राखावं, हात आणि चेहरा स्वच्छ ठेवावा. या सहज सुलभ उपायांचा अवलंब करा आणि सुरक्षित रहा.
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·      जहां बीमार वही उपचार - कोरोना विरोधातल्या लढाईत पंतप्रधानांचा नवा मंत्र.  
·      तौक्ते चक्रीवादळानं झालेल्या नुकसान भरपाईचा निर्णय दोन दिवसांत - मुख्यमंत्र्यांचं आश्वासन.
·      गडचिरोली जिल्ह्यात काल पोलिसांसोबत झालेल्या चकमकीत १३ नक्षलवादी ठार.
·      चिपको आंदोलनाचे प्रणेते सुंदरलाल बहुगुणा यांचं कोविड संसर्गानं निधन.
·      राज्यात काल २९ हजार ६४४ नवे कोविडग्रस्त; मराठवाड्यात काल १०१ रुग्णांचा मृत्यू तर नव्या तीन हजार २०८ रुग्णांची नोंद.
·      परभणी जिल्ह्यात आज आणि उद्या कडकडीत टाळेबंदी; उस्मानाबाद जिल्ह्यात सोमवारपासून एक जूनपर्यंत टाळेबंदी काही अंशी शिथील.
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·      नैऋत्य मोसमी पाऊस काल अंदमान बेटांवर दाखल.
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‘जहां बीमार वही उपचार’ हा कोरोना विरोधातल्या लढाईचा नवा मंत्र असल्याचं पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी म्हटलं आहे. उत्तर प्रदेशातल्या वाराणसी मधल्या डॉक्टर, निमवैद्यकीय कर्मचारी आणि आघाडीवर राहून काम करत असलेल्या कोरोना योद्ध्यांशी ते काल संवाद बोलत होते. कोरोना महामारीपासून बालकांचं संरक्षण करण्याचं आवाहन करतानाच, कोरोना विषाणू सातत्यानं आपलं स्वरुप बदलत आहे, हे लक्षात घेऊन आपल्याला सज्ज रहावं लागेल, असं पंतप्रधान म्हणा��े. कोविड प्रतिबंधक लसीकरण महत्वाचं असून, लस घेणं ही आपली सामुहिक जबाबदारी असल्याचं पंतप्रधानांनी सांगितलं.
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तौक्ते चक्रीवादळामुळे झालेल्या नुकसानीच्या पंचनाम्याची प्रक्रिया अंतिम टप्प्यात असून, नुकसान भरपाईचा निर्णय दोन दिवसांत घेतला जाईल, असं आश्वासन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी दिलं आहे. काल रत्नागिरी इथं नुकसानीची पाहणी आणि आढावा घेतल्यानंतर, ठाकरे बोलत होते. या नुकसान भरपाईचे निकष बदलण्याची आमची मागणी आहे. निकष बदलून कोकणवासीयांना दिलासा दिला जाईल आणि पंचनामे पूर्ण होताच मदतीसंदर्भात निर्णय घेतला जाईल, असंही त्यांनी सांगितलं.
दरम्यान, मुख्यमंत्री ठाकरे यांनी काल सिंधुदुर्ग जिल्ह्याला भेट देऊन नुकसानीची पाहणी केली. अशी वादळं दरवर्षी येत असल्यानं, भूमिगत वीज वाहिन्या, धूप प्रतिबंधक बंधारा यासारखी कामं कायमस्वरूपी होणं आवश्यक आहेत, त्यासाठी राज्यसरकार आवश्यक निधी देणार असल्याचं मुख्यमंत्र्यांनी सांगितलं. चिपी विमानतळ सुरू करण्याबाबतचा निर्णय २५ मे रोजीच्या अहवालानंतर घेणार असल्यानं लवकरात लवकर विमानतळ सुरू करू असं मुख्यमंत्री ठाकरे यांनी यावेळी सांगितलं.
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विधान परिषदेवरील नामनियुक्त सदस्यपदांसाठी राज्य मंत्रिमंडळानं १२ जणांच्या नावाची शिफारस केली असताना, राज्यपालांनी अद्याप निर्णय का घेतला नाही, अशी विचारणा, मुंबई उच्च न्यायालयानं केली आहे. यासंदर्भात दाखल जनहित याचिकेच्या सुनावणी दरम्यान न्यायालयानं, राज्य सरकारला याबाबत दोन आठवड्यात स्पष्टीकरण देण्याचे निर्देश दिले आहेत. तसंच राज्यपालांच्या सचिवांनाही याचिकेत प्रतिवादी करण्याचे निर्देश न्यायालयानं याचिकाकर्त्यांना दिले आहेत.
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महाराष्ट्र आणि छत्तीसगड या दोन्ही राज्यातल्या नक्षलवादाचं उच्चाटन करण्यासाठी छत्तीसगडच्या मुख्यमंत्र्यांशी बोलणार असल्याचं, गृहमंत्री दिलीप वळसे पाटील यांनी म्हटलं आहे. गडचिरोली इथं काल सकाळी पोलिसांसोबत झालेल्या चकमकीत १३ नक्षलवादी मारले गेले, त्या पार्श्वभूमीवर वळसे पाटील पत्रकार परिषदेत बोलत होते. एटापल्ली तालुक्यातल्या जंगलात काल सकाळी ही चकमक झाली. या चकमकीनंतर नक्षल्यांकडील बंदुका, पुस्तकं आणि दैनंदिन वापराचं साहित्यही पोलिसांनी ताब्यात घेतलं आहे. ठार झालेले नक्षली कसनसूर दलमचे असल्याची प्राथमिक माहिती आहे. या कारवाईच्या पार्श्वभूमीवर बोलताना, गृहमंत्री वळसे पाटील यांनी, पोलिस आणि महसूल विभाग समन्वयानं काम करत असल्यानं दुर्गम भागाचा विकास होत आहे, दुर्गम भागात मोबाईल जोडणीसाठी प्रयत्न सुरु आहेत, असं सांगितलं.
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शिवभोजन थाळी मोफत देण्याच्या योजनेला येत्या १४ जूनपर्यंत मुदतवाढ देण्यात आली आहे. राज्यात १५ ��प्रिल २०२१ पासून आतापर्यंत ४८ लाख ४४ हजार ७०९ नागरिकांनी शिवभोजन थाळीचा नि:शुल्क लाभ घेतला आहे. संपूर्ण राज्यात शिवभोजन योजनेअंतर्गत एकूण ९५० केंद्र सुरु आहेत.
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चिपको आंदोलनाचे प्रणेते, ज्येष्ठ पर्यावरणवादी कार्यकर्ते सुंदरलाल बहुगुणा यांचं काल उत्तराखंडात ऋषीकेश इथं निधन झालं, ते ९४ वर्षांचे होते. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थेच्या ऋषीकेश इथल्या रुग्णालयात बहुगुणा यांच्यावर कोविड संसर्गासाठी उपचार सुरू होते.
गांधीविचारांचे अनुयायी असलेले बहुगुणा यांनी १९७४ साली उत्तरप्रदेशात वृक्षतोडी विरोधात पुकारलेल्या चिपको आंदोलनाला मोठा पाठिंबा मिळाला. भागीरथी नदीवरच्या टिहरी धरणाच्या विरोधात बहुगुणा यांनी १९९५ मध्ये प्रथम ४५ दिवसांचं आणि पुढच्या वर्षभरात ७४ दिवसांचं उपोषण केलं होतं. समाजातल्या वंचित घटकांसाठी त्यांनी काम केलं, अनुसूचित समाजातल्या विद्यार्थ्यांसाठी त्यांनी टिहरी इथं ठक्कर बाप्पा वसतीगृह उभारलं. पर्वतीय नवजीवन मंडळ या संघटनेच्या माध्यमातून त्यांनी पर्यावरण संवर्धन चळवळ चालवली. बहुगुणा यांना १९८१ साली पद्मश्री तर २००९ साली पद्मविभूषण पुरस्कारानं गौरवण्यात आलं होतं.
बहुगुणा यांच्या निधनाबद्दल राष्ट्रपती रामनाथ कोविंद, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी, राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी दु:ख व्यक्त केलं आहे.
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कोरोना विषाणू संसर्गाची साखळी तोडण्यासाठी नांदेड जिल्ह्यातल्या भोसी या सहा हजार लोकसंख्या असलेल्या गावानं अनोखा मार्ग अवलंबला आहे. याबाबत अधिक माहिती देणारा हा विशेष वृत्तांत –
कोविड प्रतिबंधात्मक नियम पाळण्यासारख्या साध्या उपायांच्या मदतीनं पुरेशा आरोग्य सुविधा नसलेली गावंही कोरोना विषाणू संसर्गातून मुक्त होऊ शकतील असा विश्वास या गावाचे जिल्हा परिषद सदस्य प्रकाश देशमुख भोसीकर यांनी व्यक्त केला आहे. ते म्हणाले,
“आपण योग्य प्रकारे जर त्याची उपाययोजना केली तर कोरोनातून आपण निश्चितच मुक्त होऊ शकतो. आणि आम्ही हे आमच्या गावामधे करून दाखवलेलं आहे. जर आपण आमच्या सारख्या उपाययोजना केल्या कोणाच्या संपर्कात कोणाला नाही येऊ दिलं, कारण संपर्कात आल्यानंतर वाढणारचे ते. गावामधे एकही पेशंट राहणार नाही अशी मला खात्री आहे.”
या उपाययोजनांचा अवलंब करून कोरोना विषाणू संसर्गातून मुक्त झालेल्या भोसी गावातल्या लक्ष्मीबाई अक्केमवार आणि विशाल कल्याणकर यांनी या शब्दात प्रतिक्रिया दिली -
“आम्ही ��ाऊन शेतात राहिलो. १४ दिवस राहिलो. मग भोकरला जाऊन तपासलं. १४ दिवसाला. मग घरला जा म्हणले. मग ठणठण झालो आम्ही.” “गोळ्या औषधे वगैर टाईम टू टाईम घेतली नंतर असं करत करत चार पाच दिवस थोडा त्रास झाला, मग १८ दिवसानंतर रिकव्हर झालो आम्ही.”
कोविड मुक्तीसाठी भोसी गावानं अवलंबलेला मार्ग जिल्ह्यातल्या अन्य गावांमधे राबवण्यात येणार असल्याचं जिल्हा परिषदेच्या मुख्य कार्यकारी अधिकारी वर्षा ठाकूर घुगे यांनी सांगितलं. त्या म्हणाल्या, “भोसी गावाने लोक प्रतिनिधी, आरोग्य टीम, आणि ग्रामस्थ यांनी जर पुढाकार घेतला आणि तिथले प्रश्न सोडवले तर उत्तम असं, स्तुत्य असं उदाहरण आणि हा भोसी पॅटर्न आपल्या सगळयांसमोर आलेला आहे. नांदेड जिल्ह्यामधे जे पण हॉट स्पॉट आहेत, ते याच पद्धतीने याच पॅटर्नने आम्ही आता त्याला डील करणार आहोत.”
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राज्यात काल २९ हजार ६४४ कोविड रुग्णांची नोंद झाली, त्यामुळे राज्यभरातल्या कोविडबाधितांची एकूण संख्या ५५ लाख २७ हजार ९२ झाली आहे. काल ५५५ रुग्णांचा उपचारादरम्यान मृत्यू झाला, राज्यात या संसर्गानं दगावलेल्या रुग्णांची एकूण संख्या, ८६ हजार ६१८ झाली असून, मृत्यूदर एक पूर्णांक ५७ शतांश टक्के झाला आहे. काल ४४ हजार ४९३ रुग्ण या संसर्गातून मुक्त झाले. राज्यात आतापर्यंत ५० लाख ७० हजार ८०१ रुग्ण, कोरोना विषाणू संसर्गातून मुक्त झाले असून, कोविडमुक्तीचा दर ९१ पूर्णांक ७४ शतांश टक्के झाला आहे. सध्या राज्यभरात तीन लाख ६७ हजार १२१ रुग्णांवर उपचार सुरू आहेत.
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मराठवाड्यात काल तीन हजार २०८ कोरोना विषाणू बाधित रुग्णांची नोंद झाली, तर १०१ जणांचा या संसर्गानं मृत्यू झाला. मृतांमध्ये लातूर जिल्ह्यातल्या २९, औरंगाबाद २३, बीड १३, जालना ११, परभणी आणि उस्मानाबाद जिल्ह्यातल्या प्रत्येकी आठ, नांदेड पाच, तर हिंगोली जिल्ह्यातल्या चार रुग्णांचा समावेश आहे.
बीड जिल्ह्यात काल कोविड संसर्ग झालेले नवे ७२० रुग्ण आढळले. लातूर जिल्ह्यात ५३१, उस्मानाबाद ५१४, औरंगाबाद ४६२, परभणी ४०८, जालना ३८२, हिंगोली १००, तर नांदेड जिल्ह्यात ९१ नवे रुग्ण आढळून आले.  
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माजी पंतप्रधान दिवंगत राजीव गांधी यांना काल त्यांच्या ३० व्या पुण्यतिथीनिमित्तानं देशभरात अभिवादन करण्यात आलं. मुंबईत मंत्रालयात उद्योगमंत्री सुभाष देसाई आणि सांस्कृतिक कार्यमंत्री अमित देशमुख यांनी गांधी यांच्या प्रतिमेला पुष्पहार अर्पण करून आदरांजली वाहिली.  
औरंगाबाद, उस्मानाबाद, परभणी, नांदेडसह मराठवाड्यात सर्वत्र राजीव गांधी यांना अभिवादन करून दहशतवाद आणि हिंसाचार विरोधी शपथही घेण्यात आली.
औरंगाबाद इथं काँग्रेस पक्षाच्या वतीनं राजीव गांधी यांच्या स्मरणार्थ काल घाटी रुग्णालयात रुग्णाच्या नातेवाईकांना भोजन वाटप करण्यात आलं.
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परभणी जिल्ह्यात १ जून पर्यंतच्या टाळेबंदी���रम्यानची सकाळी ७ ते ११ वाजेपर्यंत देण्यात आलेली सूट आज आणि उद्या रद्द करण्यात आली आहे. त्यामुळे जिल्ह्यात आज आणि उद्या कडकडीत टाळेबंदी असेल. या दोन दिवसांच्या कालावधीत किराणा दुकानं, भाजीपाला, फळविक्री यावरही बंदी आहे. वैद्यकीय सेवा, कृषी निविष्ठा तसंच सहाय्यभूत सेवा देणाऱ्या आस्थापना वगळता इतर सर्व आस्थापना बंद ठेवाव्यात, असं जिल्हाधिकारी दीपक मुगळीकर यांनी काल जारी केलेल्या एका आदेशात म्हटलं आहे.
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उस्मानाबाद जिल्ह्यातली सर्व किराणा दुकानं, भाजीपाला-फळ विक्री, दूध संकलन केंद्र आणि सर्व पेट्रोल पंप परवा सोमवारपासून एक जून पर्यंत सकाळी सात ते अकरा या वेळेत सुरू ठेवण्यास परवानगी देण्यात आली आहे. जिल्हाधिकारी कौस्तुभ दिवेगावकर यांनी काल याबाबतचे आदेश जारी केले. बार, रेस्टॉरंट तसंच हॉटेल यांना परवापासून घरपोच सेवा देण्यासही परवानगी देण्यात आली आहे
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युवासेनाप्रमुख पर्यटनमंत्री आदित्य ठाकरे यांच्या माध्यमातून शिवसेनेच्या औरंगाबाद शाखेच्या वतीने काल औरंगाबाद इथल्या शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय आणि रुग्णालय-घाटीला अतिउच्च दर्जाचे १० व्हेंटिलेटर देण्यात आले. रोजगार हमी योजना मंत्री संदिपान भुमरे, आमदार तथा शिवसेना प्रवक्ते जिल्हाप्रमुख अंबादास दानवे, यांच्यासह अन्य मान्यवरांच्या उपस्थितीत जिल्हाधिकारी सुनील चव्हाण यांच्याकडे हे व्हेंटिलेटर सुपूर्द करण्यात आले.
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उस्मानाबाद जिल्ह्यात कळंब उपजिल्हा रुग्णालयालाही शिवसेनेच्या वतीने दोन व्हेंटिलेटर देण्यात आले. खासदार ओमराजे निंबाळकर, शिवसेना जिल्हाप्रमुख आमदार कैलास घाडगे-पाटील, यावेळी उपस्थित होते.
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नैऋत्य मोसमी पाऊस अंदमान बेटांवर काल दाखल झाला. दक्षिण अंदमान समुद्र, निकोबार बेटं आणि अंदमान सागरापर्यंतचा परिसर मोसमी पावसानं व्यापला आहे. २१ मे रोजी मोसमी पाऊस या भागात पोहोचण्याचा अंदाज हवामान खात्यानं वर्तवला होता, त्यामुळे आता ३१ मे रोजी मोसमी पाऊस केरळमध्ये दाखल होणार असल्याचं, हवामान खात्याकडून सांगण्यात येत आहे.
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लातूर जिल्ह्यातील सर्व जलप्रकल्प आणि पुलांची तपासणी करून खबरदारीच्या उपाययोजनांची अंमलबजावणी करावी असे निर्देश जिल्हाधिकारी तथा आपत्ती व्यवस्थापन प्राधिकरणचे अध्यक्ष पृथ्वीराज बी. पी. यांनी दिले आहेत. ते काल मान्सूनपूर्व तयारी बैठकीत बोलत होते. गाव ते जिल्हा मुख्यालय स्तरावरील सर्व संबंधित यंत्रणांनी सतर्क राहण्याची सूचनाही जिल्हाधिकाऱ्यांनी केली.
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कोविड महामारी तसंच संचारबंदीच्या काळात ऑटोरिक्षा तसंच इतर प्रवासी वाहनांच्या कर्जाचे थकीत हफ्ते वसूल करण्यास तत्काळ मनाई करावी, अशी मागणी औरंगाबादचे खासदार ��म्तियाज जलील यांनी केलं आहे. याबाबत जलील यांनी जिल्हाधिकारी सुनिल चव्हाण आणि पोलीस आयुक्त निखील गुप्ता यांना पत्र सादर केलं आहे. खाजगी बँका तसंच फायनान्स कंपन्यांचे वसुली अधिकारी गुंड प्रवृत्तीचे तसंच गुन्हेगारी पार्श्वभूमीचे असून, ते सकाळी तसंच मध्यरात्रीच्या वेळी वसुली करण्यासाठी येऊन, धमकावत असल्याचं, खासदार जलील यांनी या पत्रात नमूद केलं आहे.
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परभणी जिल्ह्यातल्या जिंतूर इथं टाळेबंदीच्या नियमाचा भंग करणाऱ्या ६४ दुकानदारांवर काल पोलीस आणि नगर परिषदेनं संयुक्त कारवाई केली. या दुकानदारांकडून ४० हजार ७५० रुपयांचा दंड वसूल करण्यात आला. परभणी शहरात विनाकारण फिरणाऱ्या नागरिकांना गेल्या ३ दिवसात एकूण ९२ हजार ९०० रुपयांचा दंड ठोठावण्यात आला.
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औरंगाबाद इथं काल टाळेबंदी नियमाचा भंग करणारी २४ दुकानं आणि आस्थापनांवर कारवाई करण्यात आली. जिल्हाधिकारी सुनील चव्हाण यांच्या उपस्थितीत महापालिका तसंच पोलिस पथकानं ही दुकानं सील केली.
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उस्मानाबाद जिल्ह्यातल्या तुळजापूर तालुक्यात नळदुर्ग इथं रासायनिक खताची जादा दरानं विक्री करणाऱ्या ३ दुकानांचे परवाने काल निलंबित करण्यात आले. जिल्हास्तरीय भरारी पथकानं केलेल्या तपासणीनंतर ही कारवाई करण्यात आली.
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खरीप हंगामाच्या पार्श्वभूमीवर राष्ट्रीय बँकांमार्फत सर्वसामान्य शेतकऱ्यांन��� सुरळीतपणे पीककर्ज वितरीत करावं, अशी मागणी परभणीचे खासदार संजय जाधव यांच्यासह कॉंग्रेसच्या शिष्टमंडळानं केली आहे. जिल्हाधिकारी दीपक मुगळीकर यांच्याकडे काल याबाबत एक निवेदन सादर करण्यात आलं. १ जून ते ७ जून या एका आठवड्यात सर्व शेतकऱ्यांना कुठल्याही प्रकारच्या थकबाकी संदर्भात विचार न करता प्रती एकर किमान १० हजार रुपये बिनव्याजी कर्ज देण्याची मागणी या निवेदनात करण्यात आली आहे.
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रासायनिक खतं, पेट्रोल, डिझेल आणि गॅस सिलिंडरच्या दरात वाढ केल्याच्या निषेधार्थ काल राष्ट्रवादी काँग्रेसच्या वतीनं नांदेड इथं जिल्हाधिकारी कार्यालयासमोर निदर्शनं करण्यात आली. यानंतर जिल्हाधिकारी डॉ विपीन ईटनकर यांना निवेदन सादर करण्यात आलं. यावेळी राष्ट्रवादी काँग्रेसचे जिल्हाध्यक्ष हरिहरराव भोसीकर, महिला आघाडी प्रमुख कल्पना डोंगळीकर यांच्यासह अनेक पदाधिकारी तसंच कार्यकर्ते सहभागी झाले होते.
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मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीमध्ये देणगी म्हणून, राज्य सरकारी कर्मचाऱ्यांच्या मे महिन्याच्या वेतनातून दोन दिवसांचा पगार घेण्याच्या निर्णयातून, औरंगाबाद इथल्या शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय घाटी रुग्णालयातले कोरोना योद्धे, अधिकारी आणि कर्मचारी यांना वगळावं, अशी मागणी आयटक महाराष्ट्र कामगार कर्मचारी संघटनेतर्फे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांना करण्यात आली आहे.
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lokkesari · 4 years ago
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राष्ट्रीय सेवा योजना एवं नमामि गंगे के तत्वाधान में स्पर्श गंगा दिवस पर हुआ कार्यक्रम आयोजित
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राष्ट्रीय सेवा योजना एवं नमामि गंगे के तत्वाधान में स्पर्श गंगा दिवस पर हुआ कार्यक्रम आयोजित
ऋषिकेश दिनांक 17 दिसंबर 2020 ! राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ ऋषिकेश परिक��षेत्र के माध्यमिक विद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना तथा नमामि गंगे के संयुक्त तत्वाधान में आज स्पर्श गंगा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में नमामि गंगे के प्रदेश संयोजक कपिल गुप्ता ने कहा कि मां गंगा स्वर्ग से अवतरित हैं तथा इनकी महत्ता को समझते हुए हमें इसको सदैव साफ एवं स्वच्छ रखना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल ने कहा कि गंगा देवप्रयाग में अलकनंदा तथा भागीरथी के संगम से बनती है परंतु गोमुख से गंगासागर तक मां गंगा सबको आर्थिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं पुरातन संस्कृति को समेटे हुए सिंचित कर रही है| यमकेश्वर क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़ ने कहा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के छात्र छात्रा एवं कार्यक्रम अधिकारी पूरी लगन निष्ठा और सेवा भाव से समाज को संदेश देते हुए गंगा मैया की स्वच्छता के लिए अपना योगदान दे रहे हैं जो कि प्रेरणादाई है। देहरादून जनपद के जिला समन्वयक दिले राम रवि ने कहा की ऋषिकेश परिक्षेत्र की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के छात्र छात्रा एवं कार्यक्रम अधिकारी बहुत अच्छे कार्यक्रमों के द्वारा समाज को स्वच्छता, जन जागरूकता के लिए प्रेरित करते हैं जोकि अनुकरणीय है| सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के कार्यक्रम अधिकारी रामगोपाल रतूड़ी ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमें मां गंगा के प्रति आस्था रखते हुए स्वच्छता, जन जागरूकता और गंगा की निर्मलता के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए| कार्यक्रम अधिकारी ( आईडीपीएल इंटर कॉलेज) विजयपाल सिंह ने कहा कि गंगा की निर्मलता तभी रह सकती है जब हम गंगा की स्वच्छता के लिए काम करेंगे| कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में अध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल कार्यक्रम अतिथि कपिल गुप्ता (प्रदेश संयोजक नमामि गंगे) जिला समन्वयक डॉ0 दीलेराम रवि , नेहा नेगी (प्रदेश सह संयोजक) आरती गौड़ (जिला पंचायत सदस्य यमकेश्वर), मनोज गुप्ता, विजय पाल सिंह, जयकृत रावत, रामगोपाल रतूड़ी, ज्योति सडाना, कमला शर्मा, महेश शर्मा मोनिका रावत, अनिल नेगी, राजेश थपलियाल, पंकज गुप्ता, अनुराग अमोली, प्रकाश कुमार आदि उपस्थित थे!
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gokul2181 · 4 years ago
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Maa Brahmacharini Navratri 2020 Day 2 Devi Puja Significance and | Interesting Facts On Kerala's Bhageerathi Amma, Karthiyani Amma | मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से मिलेगी कठोर तप से सफलता पाने की शक्ति, केरल की दो बुजुर्ग महिलाओं से आप प्रेरणा ले सकते हैं
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Maa Brahmacharini Navratri 2020 Day 2 Devi Puja Significance and | Interesting Facts On Kerala's Bhageerathi Amma, Karthiyani Amma | मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से मिलेगी कठोर तप से सफलता पाने की शक्ति, केरल की दो बुजुर्ग महिलाओं से आप प्रेरणा ले सकते ह���ं
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Maa Brahmacharini Navratri 2020 Day 2 Devi Puja Significance And | Interesting Facts On Kerala’s Bhageerathi Amma, Karthiyani Amma
19 मिनट पहले
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मां का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी, यह ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक है
हजारों वर्षों तक इन्होंने कठिन तपस्या की, इस कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। यह ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्तों की तप करने की शक्ति बढ़ती है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा।
स्वरूप
माता अपने इस स्वरूप में बिना किसी वाहन के नजर आती हैं। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है।
महत्त्व
माता ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने व तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योग-शास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान में स्थित होती है। अत: समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है।
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नवरात्रि के दूसरे दिन श्रद्धालु माता ब्रह्मचारिणी से जीवन में कठोर तप या कहें कि कड़े संघर्ष की शिक्षा लेते हैं। ऐसा ही कठोर तप करने वाली दो महिलाएं हैं, कार्तियानी अम्मा और भागीरथी अम्मा। 98 बरस की कार्तियानी अम्मा और 107 बरस की भागीरथी अम्मा देश की उन करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो परिवार के लिए जिम्मेदारी निभाते-निभाते अपनी इच्छाओं को मारकर हार मान लेती हैं।
केरल की इन दोनों अम्माओं ने बेहद कठिन हालातों में न केवल अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा किया, बल्कि जीवन के क्रमशः 9 और 10 दशक पूरे करने के बाद दोबारा पढ़ाई शुरू की और उसमें भी झंडे गाड़ दिए। केरल के अलापुझा जिले के हरिपद की रहने वाली कार्तियानी अम्मा ने 2018 में राज्य के लिटरेसी मिशन अथॉरिटी (केएसएलएमए) की परीक्षा में टॉप किया। तब वे 96 बरस की थीं। उन्होंने कुल 100 में 98 नंबर हासिल किए।
अक्षरालक्षम नाम की यह परीक्षा कक्षा 4 के बराबर मानी जाती है। इसमें कुल 43,330 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, उनमें से 42,933 ने पास किया था। इसमें तीन मुख्य विषय थे। पढ़ना, लिखना और गणित। कार्तियानी अम्मा ने लिखने में 40 में 38 और बाकी दोनों विषयों यानी पढ़ना और गणित में शत-प्रतिशत अंक हासिल किए।
परीक्षा देने के बाद कार्तियानी अम्मा ने कहा था, “बिना मतलब मैंने इतनी ज्यादा पढ़ाई की। टेस्ट मेरे लिए बहुत आसान थे।” 1922 में जन्मी कार्तियानी अम्मा की बेहद कम उम्र में शादी हो गई। इसलिए स्कूल जाना बंद हो गया। जल्द ही वे छह बच्चों की मां बन गईं। कम उम्र में ही पति का निधन हो गया। बच्चों को पालने के लिए उन्होंने लोगों के घरों पर काम करने के साथ सफाई कर्मचारी का भी काम किया।
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कार्तियानी अम्मा की शादी बेहद कम उम्र में हो गई इसलिए स्कूल जाना बंद हो गया था।
स्कूल जाना चाहती थीं, बेटी को देखकर सूझा रास्ता
जीवन के इस पड़ाव में जब कार्तियानी अम्मा अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभा चुकी थी तो उनके मन में पढ़ने की इच्छा जागने लगी। दरअसल, उनकी बड़ी बेटी ने भी केरल सरकार के इस योजना के तहत ही पढ़ाई की थी। बस यहीं से उन्हें रास्ता सूझा और उन्होंने पढ़ना शुरू कर दिया।
पूरी तरह शाकाहारी, कभी नहीं गईं अस्पताल
कार्तियानी अम्मा पूरी तरह शाकाहारी हैं। वह रोज सुबह 4 बजे जाग जाती हैं। अपने सभी काम खुद ही करती हैं। उनका कहना है कि एक बार आंखों की सर्जरी को छोड़ दें तो वे पूरी जीवन में कभी अस्पताल नहीं गईं।
रुकी नहीं, लक्ष्य तय- 100 की उम्र में पास करेंगी 10वीं
कार्तियानी अम्मा यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने पढ़ाई में आगे के लक्ष्य भी तय कर लिए हैं। केरल की अक्षरालक्षम योजना में चौथी कक्षा के बराबर परीक्षा पास करने के बाद, सातवीं के बराबर मानी जाने वाली परीक्षा दी जाती हैं और इसके बाद दसवीं के बराबर मानी जाने वाली अंतिम परीक्षा। कार्तियानी अम्मा ने 100 वर्ष की उम्र में दसवीं के बराबर यही परीक्षा पास करने को ही लक्ष्य बनाया है।
9 साल की उम्र में छूटी पढ़ाई तो भागीरथी अम्मा ने 104 की उम्र में दोबारा की शुरू
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भागीरथी अम्मा को 9 साल की उम्र में पढ़ाई छोडऩी पड़ी थी।
भागीरथी अम्मा केरल के कोल्लम में रहने वाली हैं। उन्हें बचपन से ही पढ़ने की ललक थी, लेकिन यह सपना उन्होंने 104 साल की उम्र में पूरा करना शुरू किया और 105 साल की उम्र में प��ला बड़ा पड़ाव हासिल कर लिया, और वह बन गईं सबसे ज्यादा उम्र में केरल लिट्रेसी मिशन की परीक्षा पास करने वाली शख्सियत।
अम्मा को लिखने में दिक्कत होती है इसलिए उन्होंने पर्यावरण, गणित और मलयालम के तीन प्रश्न पत्रों का हल तीन दिन में लिखा था। इसमें उनकी छोटी बेटी ने मदद की थी। उनका कहना है कि वह हमेशा ही पढ़ना चाहती थीं, लेकिन बचपन में ही मां की मौत के बाद भाई-बहनों की देखरेख की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी। भागीरथी अम्मा 9 साल की उम्र में तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं, जब उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।
इसके बाद तो जिम्मेदारियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा। महज 30 साल की उम्र में उनके पति की मौत हो गई थी। जिसके बाद छह बच्चों की पूरी जिम्मेदारी आ गई। उम्र गुजरती गई। इस दौरान पढ़ाई का उनका सपना पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन अम्मा उसे भूली नहीं।
जब 105 वर्ष की उम्र में उन्हें पढ़ने का मौका मिला तो वे पीछे नहीं हटीं। उन्होंने कोल्लम स्थित अपने घर में चौथी कक्षा के बराबर मानी जाने वाली परीक्षा दी और एक मिसाल बन गईं। ऐसी मिसाल कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दौरान कहा कि अपने अंदर के विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देना चाहिए। 105 साल की भागीरथी अम्मा हमें यही प्रेरणा देती हैं। इसलिए उन्हें कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग गुडविल एंबेसडर के तौर पर चुना गया है।
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बेहद तेज है याददाश्त, गाना भी खूब गाती हैं अम्मा
केरल लिट्रेसी मिशन के एक्सपर्ट वसंत कुमार का कहना है कि इस उम्र में भी अम्मा की याददाश्त बेहद अच्छी है। उन्हें पढ��े में कोई दिक्कत नहीं। उन्हें 74.5 प्रतिशत अंक मिले। उनके 16 नाती-पोते और 12 पड़ पोते-पोतियां हैं। अम्मा अभी भी बहुत अच्छा गाती हैं।
आधार कार्ड बना, पेंशन मिली और आगे की पढ़ाई शुरू
भागीरथी अम्मा का आधार कार्ड नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मन की बात में उनका जिक्र किया, तो यह ब��त सामने आई कि उनका आधार कार्ड ही नहीं। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने उनके घर जाकर सभी औपचारिकताएं पूरी कर उनका आधार बना दिया। अब उन्हें हर महीने 1500 रुपए की वृद्धावस्था पेंशन भी मिलती है।
इधर, भागीरथी अम्मा ने मार्च में सातवीं के बराबर माने जाने वाले लिट्रेसी मिशन के अगले कोर्स में एडमिशन ले लिया है। उनका कहना है कि वे 10 वीं के बराबर वाली अगली परीक्षा भी पास करना चाहती हैं।
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शंकर जी---तुम्हारे ख्वाब से दिलकश नज़ारा और क्या होगा!
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Shyam Shankar SharmaJaipur,Rajasthan
चल सके तो चल इस तरह से तू नजीर  कि तू न चल सके तो तेरी दास्ताँ चले!महान युगंधर संगीतकार शंकर सिंह रघुवंशी पर यह दो पंक्तियाँ अक्षरक्षः सत्य स्थापित होती है।शंकर जी वास्तव में अपने समस्त जीवन में अपने रघुवंशी नाम को सार्थक करते रहे।"रघुकुल रीती सदा चली आई,प्राण जाय पर वचन न जायी"रघुकुल की भांती इस रघुवंशी ने भी सदा मर्यादित जीवन जिया और सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच कर भी कभी अहंकार नहीं किया,हाँ स्वाभिमान उनकी रगों में कूट कूट कर भरा था।जो मर्यादित होते है उन्हें सदैव कठिन परीक्षा देनी होती है,जिस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को कई परीक्षाएं देनी पड़ी ठीक उसी प्रकार शंकर जी ��ो अंतिम समय तक कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा,किन्तु संगीत का यह महान योद्धा निर्भीक होकर काल प्रस्तर पर अपने अमिट चिन्ह छोड़ता गया और अंतिम सांस तक सिर्फ और सिर्फ संगीत की वायु में जिया।सिर्फ संगीत इसके अलावा शंकर जी का ध्यान कही जाता ही नहीं था,संगीत साधना में ही जिए और उसी में रत रहते हुए संसार से ख़ामोशी से विदा ली।तुम्हे अपना कहने की चाह मेंकभी हो सके न किसी के हमयही दर्द मेरे जिगर में हैमुझे मार डालेगा बस ये गमजिन्हें इस जहाँ ने भुला दिया मेरा नाम उनमे ही जोड़ दो!जिस प्रकार कुम्भ का केंद्र गंगा है,संगीत का केंद्र शंकर जी थे।भारतीय सिने इतिहास में उन जैसा गुणी संगीतकार पैदा ही नहीं हुआ।वो नितांत अकेले थे,संगीत उनका साथी था और जिसका साथी संगीत होता है वह प्रकृति प्रदत्त महान इन्सान होता है।दक्षिण भारतीय हैदाराबाद निवासी इस महान व्यक्तित्व ने संगीत की वो प्रचंड गंगा अपने भागीरथी प्रयास से उत्सर्जित की कि उसकी पावन संगीत धारा समस्त हिंदुस्तान ही नहीं अपितु समस्त विश्व को आज तक आनंदित कर रही है।संगीत अध्यात्म का सामान्य अर्थ इसमे निहित सहज भाव है।मानव के व्यक्तिगत व् सामाजिक जीवन के चिंतन,चरित्र तथा व्यवहार की निरंतर परिष्कृति शंकर जी के विचारों एवम् कार्य योजना में सूर्य की स्वर्णिम किरणों की भांति झिलमिला रही थी,इनमे आशा का सवेरा हो रहा था,वर्तमान के क्षण से जिन घटनाओं को आगे बढ़ना था उसकी समस्त पृष्ट भूमि तैयार हो चुकी थी,अब तो बस संगीत के भविष्य का नव आरम्भ करना था।महानता की कसौटी क्या है? क्या है इसका माप दंड?भर्तहरि ने महानता को परिभाषित किया है।"निंदा,प्रशंसा, सम्पत्ति, विपत्ति,जीवन-मरण की स्थति में भी महा पुरुष अपना संतुलन नहीं खोते,स्थिर और शांत रहते हैं, धैर्य रखते है,"इस प्रकार के महा पुरुष ही विश्व क्षितिज पर सूर्य की भांति चमकते है,उनका प्रकाश और चमक उनके श्रेष्ठ कार्यो,सद्गुणों व् तपस्या का परिणाम होता है जो उन्हें आकाशीय ऊंचाइयां प्रदान करता है।यह सभी गुण शंकर जी को प्राप्त थे।शंकर जी का दिव्य संगीत उन्मुक्त उड़ते ��ंछी के मानिंद था,वह आश्चर्य जनक संगीत रचना कर शब्दो को उसमे समां लेने की योग्यता रखते थे,उनके लिए संगीत की कोई ��य सीमा नहीं थी,वो संगीत के सूत्रों के हिसाब से संगीत सृजन नहीं करते थे,वो हृदय से संगीत देते थे,यह काम सिर्फ एक जीनियस ही कर सकता है और वो जिनियस थे शंकर जी। शैलेन्द्र ने उनके लिये शायद यह गीत लिखा होगा-------काम नये नित गीत बनानागीत बनाके जहाँ को सुनाना
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Shyam Shankar SharmaJaipur,Rajasthan
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Uttarakhand: Zonal Plan Of Bhagirathi Eco-sensitive Approved - उत्तराखंड: आठ साल का संशय हुआ दूर, भागीरथी इको सेंसेटिव जोन का जोनल प्लान मंजूर
Uttarakhand: Zonal Plan Of Bhagirathi Eco-sensitive Approved – उत्तराखंड: आठ साल का संशय हुआ दूर, भागीरथी इको सेंसेटिव जोन का जोनल प्लान मंजूर
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आठ साल के इंतजार के बाद अब गोमुख से लेकर उत्तरकाशी तक के करीब सौ किलोमीटर के भागीरथी इको सेंसेटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान को केंद्र सरकार से अनुमति मिल गई है। केंद्र ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि दो दिन के अंदर-अंदर इस क्षेत्र की योजना प्रदेश को मिल जाएगी।…
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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प्रयागराज: पीएम मोदी ने दिव्यांगों को बांटे 56 हजार उपकरण, बनाए ये 6 रिकॉर्ड
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चैतन्य भारत न्यूज प्रयागराज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तरप्रदेश के दो जिलों के दौरे पर हैं। पहले वह प्रयागराज में होने वाले दिव्यांग महाकुंभ में शामिल होने पहुंचे। इस दौरान पीएम मोदी ने 26,791 दिव्यांगों और बुजुर्गों को करीब 56 हजार सहायक उपकरण बांटे। फिर उन्होंने सामाजिक अधिकारिता शिविर को संबोधित किया। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पीएम मोदी ने कहा कि, 'पहले की सरकारों के समय, इस तरह के कैंप बहुत ह��� कम लगा करते थे और इस तरह के मेगा कैंप तो गिनती के होते थे। बीते 5 साल में हमारी सरकार ने देश के अलग-अलग इलाकों में करीब 9,000 कैंप लगवाए हैं।' दृष्टिबाधित विवेकमणी त्रिपाठी को मिला खास स्मार्टफोन तो वो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ लेने लगे सेल्फी। #सशक्त_UP_समर्थ_भारत pic.twitter.com/UUihDa4vJZ — BJP (@BJP4India) February 29, 2020 प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'पिछली सरकार के पांच साल में जहां दिव्यांगजनों को 380 करोड़ रुपए से भी कम के उपकरण बांटे गए, वहीं हमारी सरकार ने 900 करोड़ रुपए से ज्यादा के उपकरण बांटे हैं। बीते 4-5 वर्षों में देश की सैकड़ों इमारतें, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य बनाई जा चुकी हैं, जो बची हुई हैं उन्हें भी सुगम्य भारत अभियान से जोड़ा जा रहा है।' इस दौरान पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री ने दिव्यांगजनों से कहा कि, 'पहले अगर बैंक में आपके 10 लाख रुपए थे और बैंक डूब जाए, तो आपको 1 लाख रुपए से ज्यादा नहीं मिलता था। हमने अब नियम बदलकर 1 लाख की जगह 5 लाख कर दिया है। लोगों के पैसों को सुरक्षित करने का काम हमने किया है। इससे बैंकों के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा। 60 वर्ष की आयु के बाद बुजुर्गों को एक निश्चित राशि पर एक निश्चित ब्याज मिले, उनका निवेश सुरक्षित रहे। इसके लिए हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री वय योजना भी शुरू की थी। इसका मकसद यही था कि अगर बाजार में ब्याज दरें कम हो जाएं तो उसका प्रभाव उन पर कम से कम पड़े।' ये उपकरण आपके जीवन से मुश्किलें कम करने में कुछ मदद करेंगे। मैं मानता हूं कि ये उपकरण आपके बुलंद हौसलों के सहयोगी भर हैं। आपकी असली शक्ति तो आपका धैर्य है, आपका सामर्थ्य है, आपका मानस है: पीएम श्री नरेन्द्र मोदी #सशक्त_UP_समर्थ_भारत pic.twitter.com/7GwP8IdfWx — BJP (@BJP4India) February 29, 2020 पीएम मोदी ने कुछ नियमों का जिक्र करते हुए कहा कि, 'दिव्यांगों पर अगर कोई अत्याचार करता है, उन्हें परेशान करता है, तो इससे जुड़े नियमों को सख्त किया है। दिव्यांगों की नियुक्ति के लिए विशेष अभियान चलाए। सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों के लिए आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया है।' सरकार का दावा है कि प्रयागराज में 6 रिकॉर्ड बने हैं जो इस प्रकार हैं- 360 से ज्यादा लाभार्थियों ने एक साथ व्हीलचेयर चलाई। सरकार के मुताबिक, भारत ने अमेरिका का रिकॉर्ड तोड़ा। दुनिया की सबसे लंबी ट्राइसिकिल की परेड हुई, जिसमें 295 लाभार्थी शामिल हुए। इससे पहले ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। 2000 लाभार्थियों को सांकेतिक भाषा पाठ करने के उपकरण वितरण का रिकॉर्ड बना। 12 घंटे में सबसे ज्यादा ट्राइसिकिल वितरण करने का रिकॉर्ड भी मोदी की मौजूदगी में बना। वॉकर्स की सबसे लंबी परेड हुई। अब तक ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं बना था। 8 घंटे में 4900 से ज्यादा कान की मशीनें फिट करने का रिकॉर्ड बनाया गया। पहले यह रिकॉर्ड स्टारकी फाउंडेशन के नाम था। बता दें पीएम मोदी शनिवार को चित्रकूट के गोंडा गांव में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास भी करेंगे। ये एक्सप्रेस वे चार लेन का होगा, जिसका विस्तार छह लेन तक किया जा सकता है। यह एक्सप्रेस वे चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, उरई और इटावा जिले से होकर आगरा एक्सप्रेस वे से जुड़ेगा। इसकी लागत करीब 15 हजार करोड़ आएगी और यह तीन साल में बनकर तैयार होगा। ये भी पढ़े... 105 की उम्र में चौथी पास करने वालीं भागीरथी अम्मा का बनेगा आधार कार्ड, पीएम मोदी ने मन की बात में किया था जिक्र मोदी सरकार ने सरोगेसी बिल संशोधन को इन शर्तों के साथ दी मंजूरी, अब विधवा-तलाकशुदा भी बन सकेंगी सरोगेट मदर अमेरिका पहुंचते ही डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पीएम मोदी की तारीफ में कही यह बात Read the full article
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नरेंद्र मोदी के कारण कश्यप ऋषि की स्थली कछला को मिलेगा पुराना वैभव बदायूं जिले में स्थित पौराणिक और ऐतिहासिक तीर्थ स्थल कछला उपेक्षाओं के चलते अपनी मूल पहचान ही खोता जा रहा था। हालात इतने दयनीय हो चले थे कि कछला को श्मशान घाट के रूप में ही पहचाना जाने लगा था जबकि, कछला धार्मिक दृष्टि से प्रचंड आस्था का स्थल है, जिसका वैभव वापस दिलाने की दिशा में सरकार जुटी हुई है। भागीरथी के किनारे बसी नगर पंचायत कछला मे�� कश्यप ऋषि का आश्रम था, इसका नामकरण कश्यप ऋषि की पत्नी इला के नाम पर हुआ है, जिसका अपभ्रंश कछला माना जाता है, यहाँ से तमाम प्राचीन स्थल जुड़े हैं, यहाँ गुफा और प्राचीन मन्दिरों के अवशेष भी हैं। 1521 के आस-पास सिकंदर लोदी ने इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर विध्वंस किया था, यहाँ के प्राचीन स्थल भी उस समय मिटा दिए गये थे। पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशिष्ट स्थल होने के चलते कछला केंद्र सरकार की योजना नमामि गंगे के अंतर्गत चयनित कर लिया गया। केंद्र सरकार की दृष्टि पड़ते ही प्रदेश सरकार भी समीक्षा करने लगी, सो जिला प्रशासन कछला तट को पुराना वैभव वापस दिलाने में जुट गया। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह कछला तट के विकास पर स्वयं नजर रखते हैं और लगातार जाकर स्थलीय निरीक्षण करते रहते हैं। कछला में महाआरती की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं, जिसका निरंतर अभ्यास किया जा रहा है। बनारस जैसा मनोरम दृश्य दोहराने का प्रयास किया जा रहा है। गंगा घाट तक मकर संक्रांति के दिन 15 जनवरी को पुलिस परेड ग्राउंड से श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क बसें भी चलाई जायेंगी। गंगा स्नान करने वाले श्रदालुओं एवं अतिथियों के लिए प्रातः 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक खिचड़ी भोज आयोजित किया जायेगा। पूरे तट को लाइटों से सजा दिया गया है, गंगा पर बना पुल विदेश की अनुभूति करा रहा है, पार्किंग और सफाई की व्यवस्था हो चुकी है। जिन लोगों ने कछला तट को पिछले कुछ महीनों से नहीं ��ेखा है, उनके लिए कछला तट नया लगेगा। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
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doonitedin · 6 years ago
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राज्य से संबंधित योजनाओ व कार्यक्रमों की प्रगति का ब्योरा पीएम के समक्ष रखा 
नई दिल्ली/देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित हुयी मुख्यमंत्रियों की बैठक में सम्मिलित हुये। बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य से संबंधित विभिन्न योजनाओ व कार्यक्रमों की प्रगति का विवरण रखा। प्रधानमंत्री श्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित हुयी इस बैठक में आयुष्मान भारत योजना, स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता के स्तर को…
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#उजाला#उज्ज्वला व उज्ज्वला प्लस#उत्तराखण्ड#ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन#केदारनाथ पुनर्निमाण#केदारनाथ व घाघरिया हेमकुण्ड रोपवे निर्माण#गंगा बेसिन#गौरीकुण्ड#चारधाम सड़क परियोजना#जनधन योजना#नई दिल्ली#नमामि गंगे#पेयजल#प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना#प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी#प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना#बेटी बचाओ बेटी पढाओ#भागीरथी#मसूरी देहरादून#मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत#मुद्रा योजना#मेगा फूड पार्क#राज्य खाद्य योजना#लम्बित जल विद्युत परियोजनाओं#लेबर रिफाॅर्म#वृक्षारोपण#साॅयल हेल्थ कार्ड#साॅलिडवेस्ट मैनेजमेंट#सिंचाई व बाढ़ नियन्त्रण#सिटि गैस डिस्ट्रिब्यूशन
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rahulgurulove · 6 years ago
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मां गंगा को क्यों निगल गए जहानु मुनि
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नमस्कार दोस्तों                                  जहानु मुनि ने संपूर्ण गंगा को क्यों पी लिया इसका उत्तर जानने के लिए, हम आपको गंगा के पृथ्वी पर आने का कारण क्या था पहले यह बताएंगे, इक्ष्वाकु वंश राजा सगर की दो पत्नियां थी सुमति और केशनी, महर्षि और्व के वरदान दिए जाने पर केशनी से एक पुत्र असमंजस उत्पन्न हुआ, जो कि बड़ा होने पर बड़ा दुराचारी हुआ, जिस कारण राजा ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); उसी का पुत्र था अंशुमान जो कि अपने पिता के बि���्कुल विपरीत स्वभाव का था, तथा सुमति से साठ हजार पुत्रों उत्पन्न हुए थे, कुछ समय बाद राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया, जिसमें सफेद रंग का घोड़ा छोड़ा, और उसकी रक्षा हेतु अंशुमान को सेना सहित नियुक्त किया, लेकिन ईर्ष्या वश देवराज इंद्र ने राक्षस का वेश धारण कर घोड़े को चुरा लिया, और उसे ले जाकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया, तब राजा सगर ने अपने साठ हजार पुत्रों को घोड़े की तलाश में भेजा, तथा जब सगर के साठ हजार पुत्रों ने घोड़े को कपिलमुनि के आश्रम में बाधा पाया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तो वें कपिल मुनि को मारने के लिए दौड़े, लेकिन कपिल मुनि ने ६०००० सगर पुत्रों को अपनी क्रोध की अग्नि से जलाकर भस्म कर डाला, तब महाराज सागर ने अपने पौत्र अंशुमान को उस घोड़े को लाने के लिए भेजा, और अंशुमान भी कपिल मुनि के पास पहुंचे, और विनम्र भाव से मुनि की स्तुति की, और स्तुति से प्रसन्न होकर मुनि ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा, तब अंशुमान ने कहा कि " हे मुनि आप मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि आप की क्रोध अग्नि से भस्म हुए मेरे पितरगण को स्वर्ग की प्राप्ति हो, यह सुनकर कपिल मुनि बोले कि तेरा पौत्र गंगा जी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाएगा,  उनके जल से इनके भस्म आस्तियों का स्पर्श होते ही वह स्वर्ग की प्राप्ति करेंगे,  क्योंकि गंगा श्री हरि विष्णु के नख(नाख़ून) से निकली है, उसी अंशुमान से दिलीप नामक पुत्र उत्पन्न हुआ, तथा दिलीप से भागीरथी उत्पन्न हुए, अतः भागीरथी ने अपने पितरगणों को मोक्ष दिलाने का प्रण किया, और मंत्रियों को सारा राजकाज सौंपकर तपस्या करने गोकर्ण तीर्थ पर चले गए, और कई वर्षों बाद जब ब्रह्मा जी ने उनसे प्रसन्न होकर दर्शन दिए, तब भागीरथी ने उनसे दो वरदान मांगे, पहला वर उन्होंने पितरों की मुक्ति के लिए मांगा, तथा दूसरा वर वंश को बढ़ाने के लिए पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए, तब ब्रह्मा जी ने उन्हें दोनों वरदान दिए और बोले कि " गंगा का वेग इतना अधिक है कि पृथ्वी उसे सहन नहीं कर सकती,  अतः तुम्हें महादेव की सहायता लेनी चाहिए, तब भागीरथ ने पैर के अंगूठे पर खड़े होकर महादेव की कठोर तपस्या प्रारंभ कर दी, और प्रसन्न भगवान शिव ने भागीरथ को वरदान स्वरूप गंगा को अपने मस्तक पर धारण करने का वरदान दिया, लेकिन जब यह सूचना गंगा जी को मिली तो वह बिचलित हो गई, क्योंकि वह स्वर्ग लोक छोड़कर कहीं और जाना नहीं चाहती थी, इसलिए उन्होंने योजना बनाई, कि वह अपने वेग से भोलेनाथ को ही बहाकर पाताल लोक ले जायेंगी, अतः भगवान शिव ने गंगा की मंशा जानते हुए, गंगा जी को अपनी जटाओं में ही समाहित कर लिया, शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं से निकलने का मार्ग ही नहीं दिया, यह देखकर कि शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में समाहित कर लिया है, और गंगा जी को अपनी जटाओं से निकलने का मार्ग ही नहीं दे रहे हैं, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब भागीरथ ने भगवान शिव की फिर से तपस्या की, और तपस्या से प्रसन्न होकर तथा गंगा का घमंड चूर चूर करने पर, शिव जी ने गंगा को बिंदुसार की ओर छोड़ा, वहां से गंगाजी सात दिशाओं में प्रवाहित हुई, ह्लादिनी, पावनी, नलिनी पूर्व दिशा की ओर, तथा सुचक्षु, सीता और महानदी सिंधु पश्चिम की ओर और सातवीं धारा राजा भगीरथ के पीछे पीछे चलने लगी, रास्ते में जहानु मुनि का आश्रम था, जिससे गंगा जी के जल धारा से जहानु मुनि की पूरी यज्ञशाला बह गई, जिससे क्रोधित जहानु मुनि ने गंगा जी का संपूर्ण जल ही पी लिया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); लेकिन सभी देवताओं के बहुत कहने पर तथा क्षमा याचना करने पर जहानु मुनि ने गंगा जी को अपने कानों के मार्ग से बाहर निकाला, तभी से गंगा जी को जान्हवी भी कहा गया, इसके बाद भागीरथ ने गंगा जी को कपिल मुनि के आश्रम में ले आए, और गंगा के जल से पितरों की भस्म को स्पर्श कराकर मोक्ष दिलाया, जिससे प्रसन्न ब्रह्मा जी ने भगीरथ को वरदान दिया कि " जब तक समुद्र रहेंगे तुम्हारे पितर देवता समान होंगे, और गंगा तुम्हारी पुत्री कहलाएगी, तथा तीन धाराओं में बहने के कारण गंगा जी को त्रिपथा भी कहा गया है, आपको कथा कैैैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं धन्यवाद REED MORE STORIES :- 1:- युद्ध छोड़कर क्यों भागे श्री कृष्ण, 2:- पीरा समुद्र क्यों पी गए अगस्त्य मुनि..? 3:- हिरणी से जन्मे थे श्री राम के जीजा 4:- इस योद्धा ने हराया था ब्रम्हा और विष्णु को..?
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dk100sworld-blog · 8 years ago
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MCQs for IAS Prelims Exam 2017 in Hindi | Day - 5
1. निम्नलिखित में से किस सुल्तान से निजामुद्दीन औलिया ने भेंट करने से इनकार कर दिया था? a. जलालुद्दीन खिलजी b. अलाउद्दीन खिलजी c. ग्यासुद्दीन तुगलक d. मोहम्मद बिन तुगलक Ans c 2. महात्मा गाँधी दिसम्बर, 1931ई० में खाली हाथ कहाँ से भारत लौटे थे? a. लन्दन b. वाशिंगटन c. मास्को d. टोकियो Ans a 3. सुमेलित कीजिए : नदी घाटी योजना नदी A. शिवसमुद्रम 1. भागीरथी B. नागार्जुन सागर 2. कावेरी C. जायकवाड़ी 3. गोदावरी D. टिहरी। 4. कृष्णा कूट : A B C D a. 2 4 3 1 b. 2 4 1 3 c. 2 3 4 1 d. 2 1 4 3 Ans a 4. कथन (A) : अपने कार्यकाल के दौरान भारत के राष्ट्रपति के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। कारण (R) : राष्ट्रपति का पद संविधान के ऊपर होता है। कूट : a. A और R दोनों सही हैं और R, A को स्पष्ट करता है b. A और R दोनों सही है परन्तु R, A को स्पष्ट नहीं करता है c. A सही है परंतु R गलत है d. A गलत है परंतु R सही है Ans c अधिक पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें http://successget.blogspot.in/2017/05/mcqs-for-ias-prelims-exam-2017-in-hindi_6.html
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devbhumimedia · 8 years ago
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त्रिवेन्द्र सरकार की तीस से अधिक उपलब्धियां वह भी एक माह में एक माह में छुई  सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं  देहरादून : प्रदेश के मुख्यमंत्री की बागडोर संभाले त्रिवेन्द्र रावत को एक माह  हो चुका है राज्य सरकार ने सूबे में जीरो टालरेंस आॅन करप्शन के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता दिखाई गयी है। तो वहीँ एन.एच.-74 भूमि मुआवजा घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही चार पी.सी.एस सहित दो अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी निलंबित। कई अन्य मामलों में भी बहुत से अधिकारियों पर कार्यवाही की गई। वहीँ खनन माफिया के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा रही है। जिलाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों व वन विभाग के अधिकारियों को अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। अवैध खनन में संलिप्त लोगों की वाहनों सहित बड़ी संख्या में धरपकड़ की जा रही है। रामनगर में वन कर्मी को माफिया द्वारा मारे जाने पर चार घंटे में आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है । जबकि संबंधित वन अधिकारियों को साथ के मुख्यालयों से अटैच किया गया है। हालाँकि त्रिवेन्द्र सरकार सूबे में बेचने के पक्ष में नहीं है और धीरे-धीरे शराब से प्राप्त राजस्व पर निर्भरता कम करने की कोशिश में है , लेकिन शराब के बराबर राजस्व के लिए अन्य विकल्प भी खोजे जा रहे हैं ताकि राज्य की आर्थिकी पर कोई बुरा प्रभाव भी न पड़े। यही कारण है कि सरकार ने शराब को हतोत्साहित करने की नीति अपनाई है। शराब की दुकानें दोपहर के 3 से 9 बजे तक केवल 6 घंटों के लिए खुलेंगी। । राज्य सरकार लोकायुक्त एक्ट लागू करने के लिए वचनबद्ध। विचार के लिए प्रवर समिति को दिया गया। तो वहीँ ट्रांसफर एक्ट भी लागू किया जाएगा। फुलप्रूफ बनाने के लिए प्रवर समिति को दिया गया।ताकि जनसहभागिता से राज्य में यह दोनों कानून लागू हो सकें।  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान को प्रदेश में आगे बढ़ाया जा रहा है। 20 मार्च को प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर मुख्यमंत्री सहित पूरी केबिनेट द्वारा स्वच्छता अभियान चला कर प्रदेश की जनता को संदेश देने का प्रयास किया गया है। मई माह के अंत तक 100 प्रतिशत (ओडीएफ) खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य अधिकारियों को दिया गया है।  वहीँ त्रिवेन्द्र सरकार ने राज्य की नदियों व अन्य स्थलों को दुर्गंध रहित बनाया जाएगा। बनाने के लिए एक नया प्रयोग कि सहस्त्रधारा रोड़ स्थित डम्पिंग ग्राउंड में इसका सफल प्रयोग किया गया। एक विशेष जैविक पदार्थ का छिड़काव किया जाता है। राज्य में निर्मल गंगा अभियान को प्रदेश में तेजी से आगे ले जाया जा रहा है। मां गंगा की निर्मलता के लिए देश भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हम नमामि गंगा मिशन को और अधिक तेजी व दृढ़ता के साथ आगे ले जाएंगे। उत्तरकाशी में भागीरथी (गंगाजी) के किनारे संचालित मीट की अवैध दुकानों को निरस्त करने की कार्यवाही शुरू हो गई है। प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर लगातार कार्यवाही की जा रही है, राजधानी में कई ऐसे अवैध बूचड़खाने बंद भी किये जा चुके हैं। वहीँ गौ वंश संरक्षण के लिए बने कानून को जमीन पर गहराई के साथ उतारा ताने के प्रयास किये जा रहे हैं । सोलह वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद भी उत्तरप्रदेश के साथ प्रकरण लम्बित हैं। वर्तमान में उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश सरकारों की सकारात्मक मंशा है। केंद्र सरकार का भी सहयोगी रूख है। यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के साथ बैठक बहुत ही सकारात्मक रही है। लम्बित प्रकरणों को समयबद्ध तरीके से सुलझा लिया जाएगा। सिस्टम को व्यवस्थित करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी सरकार ‘वन मैन शो’ के स्थान पर ‘कलेक्टीव रेस्पोंसबिलिटी’ पर आधारित है। माननीय मंत्रिगण अपने-अपने विभागों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। त्रिवेन्द्र सरकार ने निर्णय  लिया है कि केबिनेट की बैठक प्रत्येक माह के दूसरे व चौथे बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे आयोजित की जाएंगी। बैठक का एजेंडा मंत्रिगणों को बैठक की तिथि से एक सप्ताह पूर्व उपलब्ध करवा दिया जाएगा। संबंधित विभाग परामर्शी विभागों के परामर्श उपरांत विभागीय मंत्री के अवलोकन पश्चात, बैठक की तिथि से 10 दिन पूर्व पत्रावली टिप्पणी सहित गोपन विभाग को अनिवार्य रूप से भेंजेंगे। राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए फिजूलखर्ची को रोकने व आय के स्त्रोतों को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसकी एक कार्ययोजना बनाकर प्रभावी तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। हमारा प्रयास कि उत्तराखण्ड आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके। टैक्स चोरी को रोकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। राज्य में इन्वेस्टर फ्रेंडली प���ॅलिसी के तहत काम किया जा रहा है। ‘इज आॅफ डूइंग बिजनेस’ में रैंकिंग को और सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। कोशिश है कि यहां से उद्योगों का पलायन न हो और विभिन्न क्षेत्रों में नया निवेश भी आ सके। इसके लिए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सम्पर्क किया जा रहा है। मलेशिया सरकार के एक प्रतिनिधिमण्डल से सकारात्मक वार्ता हुई है। पोलैण्ड के ओपोले प्रान्त के साथ मिलकर योग व आयुर्वेद के क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए शीघ्र ही स्टेट टू स्टेट समझौता किया जाएगा। तो वहीँ चीन व थाईलैंड के साथ मिलकर राज्य में कई उद्योग लगाए जाने की योजना है जिससे पलायन तो रुकेगा ही वहीँ रोजगार के नए साधन भी उपलब्ध होंगे। कानून व्यवस्था में सुधार के लिए फील्ड पुलिसिंग को और अधिक सक्रिय किया गया है। ड्रग्स माफिया व भू माफिया पर शिकंजा कसा जा रहा है। जमीनों के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए फुल प्रूफ सिस्टम विकसित किया जा रहा है। पलायन पर केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है। समिति ने अपना काम शुरू भी कर दिया है। पर्यटन व हॉर्टीकल्चर के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । वहीँ कागजी अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चैबटिया व टिहरी में मगरा को माॅडल फार्म के तौर पर विकसित किया जाएगा। वहीँ त्रिवेन्द्र सरकार की महत्वकांशी सड़क परियोजना पर सूबे के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत जुटे पड़े हैं वे इस योजना को हर हाल में इस वर्ष पूरा करने के प्रयास में हैं ,इससे गढ़वाल व कुमायूं की दूरी 100 किलोमीटर कम हो जाएगी की गढ़वाल व कुमायूं की कनेक्टीवीटी के लिए कंडी मार्ग को खोलने के लिए हर स्तर पर हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। वहीँ सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनरों को नकद रहित चिकित्सा सुविधा के लिए यू-हेल्थ अनिवार्य किया जा रहा है। डिजी��न को प्रदेश में भी प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्य कर्मचारियों को ‘आधार बेस्ड भीम एप’, ‘ई-मनी’, ‘के्रडिट कार्ड’ आदि के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि पहले लैस कैश व फिर कैश लैस की दिशा में आगे बढ़ सकें। आगामी चारधाम यात्रा के संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं चाक चैबंद की गई हैं। यात्रियों के रजिस्ट्रेशन, सड़क, पेयजल, विश्राम गृहों, चिकित्सा आदि आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया है। ऋषिकेश में इस बार चार धाम के महत्व को बताने वाले ‘लाईट एंड साउंड शो’ की व्यवस्था की गई है। उत्तरकाशी में गोविंद पशु विहार व गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क हेतु आॅन लाईन एंट्री परमिट जारी करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम ‘‘पथिक’’ शुरू किया गया है। इससे पर्यटकों को सुविधा होगी। अन्य जिलों में भी इसका विस्तार किया जाएगा। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे व ‘एपिक सर्किट’ विकसित करने पर विशेष फोकस। मेडिकल टूरिज्म को विकसित करने के लिए हैल्थ रिजाॅर्ट्स और योग तथा आयुर्वेद आधारित केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। दिसम्बर 2017 तक सभी गैर विद्युतीकृत गांवों को बिजली उपलब्ध करा दी जाएगी। वहीँ वर्ष 2019 तक पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य हासिल किया जाएगा। वर्ष 2022 तक राज्य के प्रत्येक नागरिक को अपना घर का सपना पूरा किया जाएगा। वहीँ 8 मार्च से 20 अप्रैल 2017 की अवधि में 123.90 करोड़ का भुगतान गन्ना किसानों को किया गया है। उत्तराखण्ड में चारधाम आॅल-वेदर रोड़ के पहले फेज के तहत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 1700 करोड़ रूपये के कार्य आवंटित कर दिए गए है। साथ ही करीब करीब 4000 करोड़ रूपये के कार्य पाईप लाईन में है। 12 हजार करोड़ रूपये की लागत से 900 किलोमीटर सड़क बननी है। परियोजना को 2020 तक पूरा किया जाना है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के काम में तेजी लाई गई है। प्रोजेक्ट को समय से पूरा किया जा सके, इसके लिए लगातार अनुश्रवण किया जा रहा है। वहीँ स्वच्छ गंगा अभियान(नमामि गंगे) में तेजी लाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की कार्यकारी समिति ने करीब 19 अरब रूपये लागत की 20 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है। इन परियोजनाओं में 13 परियोजनाएं अकेली उत्तराखण्ड की है। विदेश मंत्रालय की ओर से शरू की गई डाक घर पासपोर्ट सेवा केंद्र के पहले चरण में उत्तराखण्ड को तीन सेवा केंद्र आवंटित किए गए हैं। इसके तहत राज्य के नैनीताल, हल्द्वानी व अल्मोड़ा जिलों में स्थित डाकघरों में यह योजना लागू की जाएगी। देहरादून जिले में स्थित 300 मेगावाट का लखवाड़ मल्टीपरपज प्रोजेक्ट के वाटर कम्पोनेेंट (2578.23 करोड़ रूपए) का 90 प्रतिशत का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाना है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमाभारती जी द्वारा केंद्र से धनराशि जल्द निर्गत किए जाने के प्रति आश्वस्त किया गया है। राज्य में आई.आई.टी की तर्ज पर एक सेंट्रल प्लास्टिक इंजीनियरिंग टेक्नोलोजी इंस्टीट्यूट स्थापित की जाएगी। इस संबंध में स्वयं केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री अनंत कुमार द्वारा जानकारी दी गई है। उत्तराखण्ड में 100 जन औषधि केंद्र खोले जायेंगे, जहां काफी कम कीमत पर दवाईयां उपलब्ध होंगी।  राज्य में युवाओं को रोजगार के लिए अलग से रोजगार सृजन एवं कौशल विकास मंत्रालय की स्थापना का निर्णय। वहीँ सचिवालय में फाईल मूवमेंट का मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया जा रहा है। जौलीग्रांट हवाई अड्डा का विस्तारीकरण करते हुए उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया जा रहा है।
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