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Breastfeeding Week : सीजेरियन ऑपरेशन के बाद थोड़ा मुश्किल लेकिन सभी के लिए फायदेमंद है स्तनपान
चैतन्य भारत न्यूज चिकित्सा इतिहास में संभवतः सीजेरियन ही एक ऐसा ऑपरेशन होता है जो दर्द से अधिक खुशी देता है। एक नए जीवन को जन्म देने की खुशी। एक नए जीवन को गढ़ने की खुशी। इस ऑपरेशन को लेकर एक मां के मन में कई तरह के प्रश्न हो सकते हैं। प्रस्तुत है चैतन्य भारत की विशेष श्रृंखला में सीजेरियन के बाद स्तनपान से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें.... सीजेरियन के दौरान दिए जाने वाले एनेस्थीसिया और दर्द की दवाओं का दूध उत्पादन या उसकी गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। आजकल ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो स्तनपान के दौरान ली जा सकती हैं। इस दौरान बहुत सोने से बचें क्योंकि इससे स्तनपान थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकत��� है। सीजेरियन के बाद प्रसूता के लिए शिशु को स्तनपान करवाना प्राकृतिक प्रसव से शिशु को जन्म देने वाली मां की तुलना में काफी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि स्तनपान कराने के लिए आरामदेह शारीरिक अवस्था नहीं होती यानी प्रसूता आसानी से लेट नहीं सकती, करवट नहीं ले सकती आदि। सीजेरियन के बाद शिशु को स्तनपान करवाने में अस्पताल के डॉक्टर व नर्स की सहायता ली जा सकती है। वे प्रसूता की शारीरिक स्थिति को देखकर निर्णय ले सकते हैं, अच्छी सलाह दे सकते हैं। प्रसूता को चिंता नहीं करना चाहिए। एक बार शिशु को स्तनपान का क्रम शुरू हो गया तो आगे भी सफलता की संभावना उतनी ही होती है जितनी कि प्राकृतिक प्रसव वाली महिला की। सीजेरियन ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं अगर दो महीने से अधिक समय तक अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं तो उन्हें लगातार होने वाले दर्द में तीन गुना तक राहत मिलने की संभावना रहती है। यह एक शोध में प्रमाणित हो चुका है। ये भी पढ़े... BreastFeeding Week : ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े ये 6 मिथ जिन पर कभी न करें विश्वास Breastfeeding Week : ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाने के पीछे है बेहद खास वजह, जानिए स्तनपान करवाने के फायदे BreastFeeding Week : 5 में से 3 नवजात को जन्म के 1 घंटे के भीतर नहीं मिल पाता मां का दूध : यूनिसेफ Read the full article
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Breastfeeding Week: सुरक्षा कवच के साथ भावनात्मक मजबूती भी देता है मां का दूध
चैतन्य भारत न्यूज शिशु को जन्म देना स्त्री जीवन की पूर्णता का प्रतीक है। एक बच्चे को जन्म देकर, पाल-पोसकर बड़ा करने की वजह से स्त्री ईश्वर की अनुपम कृति कही जाती है। बच्चे के आने सेस्त्री की पूरी दुनिया ही बदल जाती है। एक मां होने के नाते स्त्री अपने बच्चे को वह सब कुछ देना चाहती है जो उसके लिए सर्वोत्तम है। मां का दूध इसमें सबसे पहले आता है। स्तनपान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मां और बच्चे के बीच भावनात्मक लगाव तेजी से बढ़ता है। स्तनपान कराती स्त्री के चेहरे से संतुष्टि इसी वजह से झलकती है। स्तनपान के दौरान जब बच्चा मां की छाती से चिपकता है तो उसे सुरक्षा, भावना और स्नेह, सभी की मिली-जुली अनुभूति होती है। विज्ञान इस बात को साबित कर चुका है कि मां और बच्चे के बीच यह रिश्ता बच्चे के संपूर्ण विकास में मदद करता है। स्तनपान बच्चे को शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर स्वस्थ रखने में सहायक होता है। यह बच्चे और मां के बीच जीवनभर के लिए एक गहरे रिश्ते की नींव रखता है। यही वजह है कि दुग्ध ग्रंथियों से दूध तभी निकलता है जब मां बच्चे के लिए सोचती है। उसे दूध पिलाकर पोषण देने की भावना से भरी होती है। स्तनपान के दौरान मां भी रखे इन बातों का ध्यान स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए कुछ नियम सदियों से हमारे समाज में चले आ रहे हैं। ये आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हें मेडिकल साइंस भी मान चुका है। इसमें स्तनपान कराने के दौरान बहुत खट्टा, ठंडा, बासी आदि न खाने, शरीर की सफाई का ध्यान रखने आदि की सलाह दी जाती है। शिशु शुरुआती छह महीनों में पूरा पोषण मां के दूध से ही पाता है। जो खान-पान, आचार-विचार मां का होता है उसका असर बच्चे तक भी पहुंचता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर सुरक्षा कवच का कार्य करता है मां का दूध स्तनपान के माध्यम से बच्चे को केवल पोषण ही नहीं मिलता बल्कि उसे बीमारियों से लड़ने का ठोस सुरक्षा कवच भी मिलता है। इसे मेडिकल साइंस में 'कंगारू केयर' के नाम से जाना जाता है। जिस तरह मादा कंगारू बच्चे के बड़ा होने तक अपने पेट के पास बनी थैली में रखकर उसकी देखभाल करती है। उसी तरह मां का दूध भी बच्चे को इसी तरह की सुरक्षा देता है। मां के दूध से बच्चे का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है यानी वह बीमारियों से लड़ सकता है। शोध से यह स्पष्ट हो चुका है कि स्तनपान करने वाले बच्चों को सर्दी-जुकाम और अन्य सामान्य संक्रमण बाकी बच्चों की तुलना में कम परे��ान करते हैं। इससे बच्चों में उल्टी, दस्त, एग्जीमा,अस्थमा, कान में होने वाले संक्रमण, यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण, सांस संबंधी रोग, मोटापा, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज, निमोनिया और अन्य कई बीमारियों के होने की आशंका काफी कम हो जाती है। Read the full article
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Breastfeeding Week : सीजेरियन ऑपरेशन के बाद थोड़ा मुश्किल लेकिन सभी के लिए फायदेमंद है स्तनपान
चैतन्य भारत न्यूज चिकित्सा इतिहास में संभवतः सीजे��ियन ही एक ऐसा ऑपरेशन होता है जो दर्द से अधिक खुशी देता है। एक नए जीवन को जन्म देने की खुशी। एक नए जीवन को गढ़ने की खुशी। इस ऑपरेशन को लेकर एक मां के मन में कई तरह के प्रश्न हो सकते हैं। प्रस्तुत है चैतन्य भारत की विशेष श्रृंखला में सीजेरियन के बाद स्तनपान से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें.... सीजेरियन के दौरान दिए जाने वाले एनेस्थीसिया और दर्द की दवाओं का दूध उत्पादन या उसकी गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। आजकल ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जो स्तनपान के दौरान ली जा सकती हैं। इस दौरान बहुत सोने से बचें क्योंकि इससे स्तनपान थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सीजेरियन के बाद प्रसूता के लिए शिशु को स्तनपान करवाना प्राकृतिक प्रसव से शिशु को जन्म देने वाली मां की तुलना में काफी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि स्तनपान कराने के लिए आरामदेह शारीरिक अवस्था नहीं होती यानी प्रसूता आसानी से लेट नहीं सकती, करवट नहीं ले सकती आदि। सीजेरियन के बाद शिशु को स्तनपान करवाने में अस्पताल के डॉक्टर व नर्स की सहायता ली जा सकती है। वे प्रसूता की शारीरिक स्थिति को देखकर निर्णय ले सकते हैं, अच्छी सलाह दे सकते हैं। प्रसूता को चिंता नहीं करना चाहिए। एक बार शिशु को स्तनपान का क्रम शुरू हो गया तो आगे भी सफलता की संभावना उतनी ही होती है जितनी कि प्राकृतिक प्रसव वाली महिला की। सीजेरियन ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं अगर दो महीने से अधिक समय तक अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं तो उन्हें लगातार होने वाले दर्द में तीन गुना तक राहत मिलने की संभावना रहती है। यह एक शोध में प्रमाणित हो चुका है। ये भी पढ़े... BreastFeeding Week : ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े ये 6 मिथ जिन पर कभी न करें विश्वास Breastfeeding Week : ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाने के पीछे है बेहद खास वजह, जानिए स्तनपान करवाने के फायदे BreastFeeding Week : 5 में से 3 नवजात को जन्म के 1 घंटे के भीतर नहीं मिल पाता मां का दूध : यूनिसेफ Read the full article
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