#ब्राह्मणवादी
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Jamshedpur brahman samaj - जमशेदपुर के आजसू नेता अप्पू तिवारी और भाजमो नेता संजीव आचार्य पर हुए हिंसक हमले के खिलाफ़ ब्राह्मण समाज में रोष, आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मिलेंगे उपायुक्त और एसएसपी से
जमशेदपुर : जमशेदपुर के आजसू नेता अप्पू तिवारी और भाजमो नेता संजीव आचार्य पर पिछले दिनों क्रमशः सिदगोड़ा एवं कदमा थाना क्षेत्रों में हुए हिंसक हमले के खिलाफ़ ब्राह्मण समाज में रोष है. रविवार शाम को शहर के विभिन्न क्षेत्रों के ब्राह्मणवादी संगठनों से जुड़े लोगों का गोलमुरी जॉगर्स पार्क में जुटान हुआ. इस दौरान बीते 21 जनवरी को गोलमुरी आकाशदीप प्लाज़ा में अप्पू तिवारी ��वं अन्य पर हिस्ट्रीशीटर दिबेश राज…
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*👉आतंकवादी भिडे ने शिव स्मारक का विरोध कर अपना असली ब्राह्मणवादी रूप दिखाया, अब तो इस RSS के ब्राह्मण से सावधान हो जाओ मराठा भाईयो|* -जागृत बहुजन एक सत्यशोधक #BanEVM #BanEVM_SaveDemocracy (at Pune city) https://www.instagram.com/p/CoNr_hOrm7p/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?
‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?
बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में दलित समाज की वेदना और उत्पीड़न को दलित साहित्य के माध्यम से दुनिया के समक्ष लाने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पिछली सदी के सातवें दशक में ‘दलित साहित्य’ का हिंदी पट्टी में शुरुआती लेखन आरंभ हुआ था तथापि स्वामी अछूतानंद ‘हरिहर’ एवं कुछ गैर दलितों द्वारा भी दलित जीवन पर स्फुट ��ाहित्य लेखन बीसवीं सदी के दूसरे-तीसरे दशक से ही आरंभ हो चुका था, पर इसे दलित साहित्य के रूप…
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#Ambedkar literature#Baba Saheb#Bhimrao Ambedkar#Brahminist#Dalit Literature#literature#manuvadi#savarna#Swami Achuthanand#अंबडकर साहित्य#दलित साहित्य#बाबा साहब#ब्राह्मणवादी#भीमराव अंबेडकर#मनुवादी#सवर्ण#साहित्य#स्वामी अछूतानंद
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नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने कीसाजिश का पुरजोर विरोध करो नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो! एक तरफ जब देश भर में विवादित नागरिकता कानून पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार की जन विरोधी कार्यवाही का भुगतभोगी बन रहे हैं, वैसे में सरकार ने अब एक और घोषणा की। 2020 की अप्रैल से सितंबर तक वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन पी आर) को अपडेट करेगी। यह कदम वह तब करने जा रही है, जबकि पहले एन आर सी और फिर कैब के अंतर्गत लाखों लोग भारत की नागरिकता सूची से बाहर हो आज बिना नागरिकता वाले हो चुके हैं। वह भी तब जब एन आर सी अभी केवल उत्तर पूर्व के ही राज्य में शुरू हुआ है। कैब भी एन आर सी हुआ अधिनियम है, एन आर सी जहां लोगों को भारत की नागरिक होने और ना होने की शिनाख्त करता है, वहीं सी.ए.ए विदेशी नागरिकों को के दक्षिण एशिया के देशों से आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया कानून है। सी.ए.ए कानून के बन जाने के बाद भारत की नागरिकता का मख्य आधार व्यक्ति का धर्म हो गया है ना की उसकी कोई और बात। यह बिल भाजपा – आरएसएस की लाइन के मुताबिक बनाया गया है, जिन्हें भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर पेश करना है।आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकम सरकार ने मेहनतकश, बेरोजगार युवाओं और अन्य देशवासियों को बहकाने के लिए अब अंध-राष्ट्रवाद और हिन्द-आधिपत्यवाद का न्य शगूफा नागरिकता बिल के माध्यम से छेडा है। हिन्द बहुसंख्यकों के हिस्से को धर्म के नाम पर वः भड़का कर पूंजीपतियों के पीछे रखना चाहती है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्थापित विदेश से आये हिन्दुओं को बसा वो अपने राज को मजबूती प्रदान करवाना चाहती है। मोदी सरकार की यह नीतियां इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत सरकार ने 70 साल बाद दो राष्ट्र सिद्धांत को आखिरकार मान लिया। दो राष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी सि��्धांत, के मुताबिक हिन्दू और मुसलामन एक राष्ट्र नहीं है बल्कि दो अलग अलग राष्ट्र है, और वे एक साथ नहीं रह सकते। बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों के अनुसार भी दो राष्ट्र सिद्धांत सही था और वे भी हिन्दू मुसलमानों को अपना अलग अलग देश की वकालत कर रहे थे, उन्होंने न केवल इस सिद्धांत की वकालत की बल्कि आक्रामक रूप से यह मांग भी उठाई कि भारत हिन्दू राष्ट्र है जहाँ मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है। भारत विभाजन में जितना योगदान लीग का रहा उससे कम आरएसएस और हिन्दू दलों का नहीं था। आज राष्ट्रवाद और अखंड भारत का सर्टिफिकेट बांटने वाले भी देश के बंटवारे में लीग जितना ही शरीक थे, यह बात हमे नहीं भूलनी चाहिए। हिन्द महासभा के संस्थापक राजनारायण बसु ने तो 19वीं शताब्दी में ही हिन्दु राष्ट्र और दो राष्ट्र का सिद्धांत पर अपनी प्रस्थापना रखनी शुरू कर दी थी। हिन्दू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा था, "सर्वश्रेष्ठ व पराक्रमी हिंदू राष्ट्र नींद से जाग गया है और आध्यात्मिक बल के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है। मैं देखता हूं कि फिर से जागृत यह राष्ट्र अपने ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति के आलोक से संसार को दोबारा प्रकाशमान कर रहा है। हिंदू राष्ट्र की प्रभुता एक बार फिर सारे संसार में स्थापित हो रही है।" । बासु के ही साथी नभा गोपाल मित्रा ने राष्ट्रीय हिंदू सोसायटी बनाई और एक अख़बार भी प्रकशित करना शुरू किया था, इसमें उन्होंने लिखा था, “भारत में राष्ट्रीय एकता की बुनियाद ही हिंदू धर्म है। यह हिंदू राष्ट्रवाद स्थानीय स्तर पर व भाषा में अंतर होने के बावजूद भारत के प्रत्येक हिंदू को अपने में समाहित कर लेता है।” दो राष्ट्र का सिद्धांत फिर किस ने दिया इस पर हिंदुत्व कैंप के इतिहासकार कहे जाने वाले आरसी मजुमदार ने लिखा, "नभा गोपाल ने जिन्नाह के दो कौमी नजरिये को आधी सदी से भी पहले प्रस्तुत कर दिया था।" नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता ��ासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। सरकार का मानना है कि इन देशों में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और उनको सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसे में भारत का यह दाइत्व बनता है की हिन्दुओं की रक्षा करे। सरकार इस बात से पूरी तरह बेखबर है की भारत के कई पडोसी राज्यों में मुसलमान अल्पसंख्यक है और उनके साथ भी वहाँ के बहुसंख्यक जमात द्वारा जुल्म की खबर समय समय पर आती रहती है। श्री लंका में तो सिंघली और तमिल (हिन्द) के बीच दशकों से लगातार तनाव बना रहा है। तो क्या सभी तमिल जनता अब भारत आ सकती है? वही हाल बांग्लादेश और म्यांमार के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है, तो क्या इन सभी को भारत अपना नागरिक बनाने के लिए तैयार है? और हाँ, तो फिर इन गैर मुस्लिम शरणार्थी और सताए जा रहे मुस्लिम शरणार्थी जैसे रोहिंग्या, पाकिस्तान में शिया, अहमदिया, अफगानिस्तान के हजारा, उज़बेक इत्यादि के साथ यह सौतेला व्यव्हार क्यों? सरकार को इस पर भी जवाब देना होगा। रोहिंग्या के साथ साथ भारत में म्यांमार से चिन शरणार्थी भी बहुसंख्या में भारत में निवास कर रहे हैं, अफगानिस्तान से आये शरणार्थी को भारत ने पनाह दी थी, उस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी? सीएए के लिए आंकडा एन पी आर से आएगा? नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की बात कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुई। सन 2000 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गठित, कारगिल समीक्षा समिति ने नागरिकों और गैर-नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की सिफारिशों को 2001 में स्वीकार किया गया था और 2003 के नागरिकता (पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम पारित किए गए थे। इससे पहले एनपीआर को 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था, 1955 नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद एनपीआर को पहली बार 2004 में यूपीए सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। संशोधन ने केंद्र को "भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र" जारी करने की अनुमति दी। 2003 और 2009 के बीच चुनिंदा सीमा क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना लागू की गई थी। अगले दो वर्षों (2009-2011) में एनपीआर तटीय क्षेत्रों में भी चलाया गया - इसका उपयोग मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था - और लगभग 66 लाख निवासियों को निवासी पहचान पत्र जारी किए गए थे। इस बार एन पी आर की आंकड़े लेने में ��रकार ने कुछ नए कॉलम जोड़ दिए। सरकार द्वारा 24 दिसंबर को घोषित राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में लोगों को पहली बार "माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान" भी बताना पड़ेगा। यह जानकारी, 2010 में एनपीआर के लिए एकत्र नहीं गयी थी। मतलब साफ है, सरकार इस बार ये आंकड़े इसलिए मांग रही है ताकि वो किसी भी व्यक्ति के बारे में तय कर सके कि उसकी नागरिकता प्रामाणिक है या नहीं। फिर उसके ऊपर एनआरसी और सीएए की विभिन्न प्रावधान के तहत कार्यवाही करने में कितना वक्त लगेगा? इस रजिस्टर में दर्ज जानकारी के लिए, सरकार कह रही है कि आपको कोई दस्तावेज़ या प्रमाण नहीं देने की ज़रूरत है। तो फिर सवाल उठता है कि इन जानकारी की ज़रूरत किस लिए है, सरकार इस जानकारी से क्या करने वाली है? अगर वह इसका इस्तेमाल गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करेगी, तो इसके लिए पहले से ही आधार कार्ड बनवाया गया। सरकार अलग अलग सर्वे करवा योजनाओं की ज़रूरत पर आंकड़े इकट्ठा करती है। किसी की आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसके माता पिता का नाम और जन्म स्थान की जानकारी किस लिए चाहिए? इन सवालों पर सरकार मौन है। अगर हम भाजपा के मंत्रियों और प्रधानमंत्री की बातों पर ध्यान दें तो उनके द्वारा झूठा प्रचार किसी खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है। भाजपा और सरकार ने लगातार गलत सचना और कत्साप्रचार का सहारा ले रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गह मंत्री अमित शाह के विरोधाभासी का विरोध किया है। भाजपा ने दोनों के साथ अलग किया है आधिकारिक सरकार के रिलीज के पास कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। यह सही लग रहा है कि इन झठ और गलत बयानी के पीछे एक सोची समझी प्लान है, जिसका मकसद जनता के बीच भ्रम फैला कर असली योजना को कार्यान्वित करने का है। एक क्रम में सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। पहले मज़दूर कानूनों को ख़त्म कर पूँजीपतियों के पक्ष कर दिया गया, फिर आया एन आर सी और सी ए ए और अब एन पी आर, साथ ही सरकार कम्प्यूटर के डेटा सुरक्षा कानून भी लेन वाली है, मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में सरकार किसी से भी किसी व्यक्ति के बारे में सूचना मांग सकती है। मतलब अब किसी की निजता नहीं रहेगी। मान लीजिये कि आप हस्पताल में भर्ती होते हैं, अस्पताल आपकी बीमारी और शरीर की सभी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है। ये जानकारी आपकी निजी जानकारी होती है, लेकिन अब सरकार इन जानकारी को मांग सकती है। वो भी बिना आपकी इजाज़त के। इन जानकारियों को वो किसी भी तरह से इस्तेमाल करेगी। चाहे किसी दवा कंपनियों को बेच सकती है, या किसी को सामाजिक र���प से बेइज्जत करने के लिए। आज भी हमारे देश मे कई बीमारियों को सामाजिक रूप से शंका की नज़र से देखा जाता है जैसे ए��्स, और अन्य गुप्त रोग वाली बीमारियां। सवाल यह है कि सरकार इन सूचना को इकट्ठा क्यो कर रही है और किसलिये, इस पर वह झूठ क्यों कहा रही है? असल मे सरकार पूरे देश को एक बड़े बाड़े में तब्दील करने पर आमादा है। उसने इसके लिए काम शुरू भी कर दिया है। कई जगहों पर डिटेंशन कैम्प बनाए जा रहे है। जहां लोगों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। याद कीजिये हिटलर का यहूदियों और नाज़ी विरोधियों के लिए बनाया कंसन्ट्रेशन कैम्प। इन कैम्पों के कैदियों को केवल मौत के घाट नहीं उतारा गया बल्कि पहले उनसे गुलामों की तरह कमरतोड़ मेहनत करवा जाता था। उस समय तक पूँजीपतियों की कंपनियों में जानवरों की तरह काम करवाया जाता था जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती थी। पूँजीपतियों को मुफ्त के मज़दूर मिले रहते थे, जिनके किसी तरह की कानूनी अधिकार नहीं था, मालिक की मर्जी तक वे काम करते थे और जिस दिन वो काम करने लायक नहीं रह जाते उसी दिन उनकी जिंदगी खत्म कर दी जाती थी। क्या मोदी सरकार, भारत में यही कैम्प बनाने की कवायद शुरू तो नहीं कर रही? अगर ऐसा है तो यह भारत के लिए दुर्दिन की शुरुआत है, मोदी की इन नीतियों की वजह से देश का सामाजिक ताना बाना टूटने वाला है, और फिर क्या हमारे देश की हालत अफ़ग़ानिस्तान, और अन्य देशों की तरह नहीं हो जाएगी जहां लोग एक दूसरे को खत्म करने में लग गए थे। देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ जाएगा। इसलिए हम इस हिन्द बहलतावादी सोच और मस्लिम को दसरे दर्जे का नागरिक बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. देश को अंधराष्ट्रवाद की जहरीली खाई में धकेलने की इस कार्यवाही के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी करते हैं। हम तमाम साथियों से आह्वान करते हैं की इस खरतनाक साजिश के विरुद्ध एक हो कर मोदी सरकार के इस मंसूबे का विरोध करें। दोस्तों, अब समय आ गया है कि हम आम जनता आने वाले काले दिन के खिलाफ एक होकर संघर्ष करें। साथियों फासीवादी सरकार जनता को धर्म के नाम पर बाँट इस देश पर पूरी तरह से फासीवादी शासन लागू करना चाहती है। आज इसने मुसलमानों को अलग करने का काम शुरू किया है, आगे यह दलितों, आदिवासीयों और सभी दबे कुचलों के साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी। ब्राह्मणवादी-फासीवादी शासन की तरफ इसने एक क़दम उठा लिया है, अगर इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हमारी देश की जनता उस काले काननों और बर्बर शासन व्यवस्था में जीने को मजबूर हो जाएगी। आज समय है की हम एक साथ पूरे जोर से इस शासन क�� टक्कर दें और उसे बतला दें कि देश की जनता अब उसकी छद्म देशभक्ति के बहकावों में आने वाली नहीं है। देश का युवा, मेहनतकश जाग रहा है, इस आन्दोलन को अब नये ऊँचाई पर ले जाने का समय आ गया है, एनआरसी, सीएए, एनपीआर की लड़ाई को लम्बी राजनितिक संघर्ष में बदलने का समय आ गया है, आज एक बार फिर हमे सर्वहारा वर्ग की राजनीति को मध्य में लाना होगा और देश में आमूल परिवर्तन की लडाई को तेज़ करना होगा। नाम * तमाम नागरिकता कानून को वापिस लो * देश को धर्म के आधार पर बांटने का पुर जोर विरोध करो * नागरिकता कानून की आड़ में भाषाई, धार्मिक और जातिय आधार पर जनता को बाँटने के खिलाफ संघर्ष तेज़ करो * मोदी साकार द्वारा देश में फ़ासीवाद लाने की कोशिश को जन-एकता से ध्वस्त करो लोकपक्ष Phone: 886030502, Email: [email protected]
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लक्ष्य भेदने के लिए “व्यवस्था पर चोट” करते नरेंद्र वाल्मीकि: जयप्रकाश वाल्मीकि
लक्ष्य भेदने के लिए “व्यवस्था पर चोट” करते नरेंद्र वाल्मीकि: जयप्रकाश वाल्मीकि
व्यवस्था के प्रश्न को लेकर दलित संदर्भ में देखे तो उनके लिए व्यवस्था के मायने सीधे-सीधे उस सामाजिक व्यवस्था से हैं, जिसमें वर्ण और जातियाँ बना कर जातिय व्यवस्था के स्थापकों ने स्वयं को ऊंचा, श्रेष्ठ और पावन बना कर समस्त अधिकारों पर कब्जा लिया है तथा दूसरे को निम्न, कमतर तथा पतित करार देकर सदियों से उनका शोषण किया तथा उन्हें इस व्यवस्था के अधीन रखने के लिए अमानवीय अत्याचार किये. यह अत्याचार, शोषण…
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#Author Jaiprakash Valmiki#Book Review#Narendra Valmiki#Poem Book#Vyavastha par Chot#नरेंद्र वाल्मीकि#पुस्तक समीक्षा#ब्राह्मणवाद#ब्राह्मणवादी#मनुवाद#मनुवादी#व्यवस्था पर चोट
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‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गया जय श्रीराम’ इस नारे के साथ उत्तर प्रदेश जैसे देश के बड़े और राजनितिक दृष्टी से अति महत्वपुर्ण प्रदेश में ब्राह्मणवादी ताकतों को रोकने वाले माननीय नेताजी मुलायम सिंह यादव आज हमारे बीच नहीं रहे. #बामसेफ परिवार की ओर से हम उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते है. #वामन_मेश्राम 🙏💐 https://www.instagram.com/p/Cjh_RX-rNDGWgopHwyJBWoksBBtOQSYTloSLkw0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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संगठित धर्म
मनुस्मृति में महिलाओं की स्थिति को मनु द्वारा दर्शाया गया है
27 अगस्त, 2011
द्वाराहृदय एन. पटवारी
मनुस्मृति को मानव धर्म शास्त्र के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में ब्राह्मणवादी धर्म पर सबसे प्रारंभिक छंदपूर्ण कार्य है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनुस्मृति ब्रह्मा का शब्द है, और इसे धर्म पर सबसे आधिकारिक बयान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। शास्त्र में 2690 छंद हैं, जिन्हें 12 अध्यायों में विभाजित किया गया है। यह माना जाता है कि इस संकलन के वास्तविक मानव लेखक ने 'मनु' नाम का इस्तेमाल किया है, जिसने इस पा�� को हिंदुओं द्वारा भारतीय परंपरा में पहले इंसान और पहले राजा के साथ जोड़ा है।
यद्यपि इस नाम के लेखक के जीवन का कोई विवरण ज्ञात नहीं है, यह संभावना है कि वह उत्तर भारत में कहीं एक रूढ़िवादी ब्राह्मण वर्ग से संबंधित था। हिंदू धर्मशास्त्री मनुस्मृति को दैवीय आचार संहिता मानते हैं और तदनुसार, पाठ में दर्शाई गई महिलाओं की स्थिति को हिंदू दैवीय कानून के रूप में व्याख्यायित किया गया है। महिलाओं सहित सभी के लिए दैवीय आचार संहिता के रूप में मनुस्मृति का बचाव करते हुए, माफी मांगने वाले अक्सर इस पद को उद्धृत करते हैं: "यत्र नार्यस्तो पोज्यंतय, रमन्ते तत्र देवता [3/56] (जहां महिलाओं को सम्मान का स्थान प्रदान किया जाता है, देवता प्रसन्न होते हैं और उस घर में निवास करते हैं) ) , लेकिन वे जानबूझकर उन सभी छंदों को भूल जाते हैं जो महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह, घृणा और भेदभाव से भरे हैं।
मनुस्मृति में महिलाओं के बारे में कुछ 'मनित' अपमानजनक टिप्पणियां यहां दी गई हैं:
1. "स्वाभाव एव नरीनाम ….." - 2/213। इस दुनिया में पुरुषों को बहकाना महिलाओं का स्वभाव है; इस कारण से बुद्धिमान कभी भी महिलाओं की संगति में असुरक्षित नहीं होते हैं।
2. "अविद्वं समलम ……… .." - 2/214। महिलाएं, अपने वर्ग चरित्र के प्रति सच्ची हैं, इस दुनिया में पुरुषों को गुमराह करने में सक्षम हैं, न केवल एक मूर्ख बल्कि एक विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति भी। दोनों इच्छा के दास बन जाते हैं।
3. “मात्रा स्वस्त्र ………..” – 2/215. बुद्धिमान लोगों को अपनी मां, बेटी या बहन के साथ अकेले बैठने से बचना चाहिए। चूँकि शारीरिक इच्छा हमेशा प्रबल होती है, यह प्रलोभन को जन्म दे सकती है।
4. "नौद्वाहय ………………." - 3/8। लाल बालों वाली, शरीर के बेजान अंग [जैसे छह अंगुलियां], अक्सर बीमार रहने वाली, बिना बालों वाली या अत्यधिक बाल वाली और लाल आंखों वाली महिलाओं से शादी नहीं करनी चाहिए।
5. "नृक्ष वृक्ष ……… .." - 3/9। जिन स्त्रियों के नाम नक्षत्रों, वृक्षों, नदियों, नीची जाति, पर्वतों, पक्षियों, सांपों, दासों या जिनके नाम आतंक को प्रेरित करते हैं, से विवाह नहीं करना चाहिए।
6. "यस्तो न भावे ….. ….." - 3/10। बुद्धिमान पुरुषों को उन ��हिलाओं से शादी नहीं करनी चाहिए जिनके भाई नहीं हैं और जिनके माता-पिता सामाजिक रूप से प्रसिद्ध नहीं हैं।
7. "उचयंग ……………" - 3/11। बुद्धिमान पुरुषों को केवल शारीरिक दोषों से मुक्त, सुंदर नाम, हाथी की तरह अनुग्रह / चाल, सिर और शरीर पर मध्यम बाल, कोमल अंगों और छोटे दांतों वाली महिलाओं से शादी करनी चाहिए।
8. "शूद्र-ऐव भार्या ………" - 3/12। ब्राह्मण पुरुष ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और यहां तक कि शूद्र महिलाओं से भी शादी कर सकते हैं लेकिन शूद्र पुरुष केवल शूद्र महिलाओं से शादी कर सकते हैं।
9. "ना ब्राह्मण क्षत्रिय.." - 3/14। हालाँकि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य पुरुषों को अंतर्जातीय विवाह की अनुमति दी गई है, फिर भी उन्हें संकट में भी शूद्र महिलाओं से शादी नहीं करनी चाहिए।
10. "हिनजती स्ट्रायम …… .." - 3/15। जब दो बार जन्म [द्विज = ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य] पुरुष अपनी मूर्खता में निम्न जाति की शूद्र महिलाओं से शादी करते हैं, तो वे अपने पूरे परिवार के पतन के लिए जिम्मेदार होते हैं। त���नुसार, उनके बच्चे शूद्र जाति के सभी अवगुणों को अपनाते हैं।
11. "शूद्रम शयनम ……" - 3/17। एक ब्राह्मण जो एक शूद्र महिला से शादी करता है, खुद को और अपने पूरे परिवार को नीचा दिखाता है, नैतिक रूप से पतित हो जाता है, ब्राह्मण का दर्जा खो देता है और उसके बच्चे भी शूद्र की स्थिति प्राप्त कर लेते हैं।
12. “दैव पितृय ……………” – 3/18। ऐसे व्यक्ति द्वारा स्थापित अनुष्ठानों के समय किया गया प्रसाद न तो भगवान द्वारा स्वीकार किया जाता है और न ही दिवंगत आत्मा द्वारा; मेहमान भी उसके साथ भोजन करने से इनकार करते हैं और वह मृत्यु के बाद नरक में जाने के लिए बाध्य है।
13. "चांडालश ……………" - 3/240। श्राद्ध अनुष्ठान के बाद ब्राह्मण को दिया और परोसा गया भोजन चांडाल, सुअर, मुर्गा, कुत्ता और मासिक धर्म वाली महिलाओं को नहीं देखना चाहिए।
14. "न अश्नियत .........." - 4/43। एक ब्राह्मण, जो अपने वर्ग का सच्चा रक्षक है, को अपनी पत्नी की संगति में भोजन नहीं करना चाहिए और यहाँ तक कि उसकी ओर देखने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा, जब वह खाना खा रही हो या जब वह छींक / जम्हाई ले रही हो, तो उसे उसकी ओर नहीं देखना चाहिए।
15. “न अज्यंती…………….” - 4/44। एक ब्राह्मण को अपनी ऊर्जा और बुद्धि को बनाए रखने के लिए, उन महिलाओं को नहीं देखना चाहिए जो अपनी आंखों पर कोलिरियम लगाते हैं, जो अपने नग्न शरीर की मालिश कर रही है या जो बच्चे को जन्म दे रही है।
16. "मृश्यंती ……………" - 4/217। विवाहेतर संबंध रखने वाली महिला से भोजन नहीं लेना चाहिए; न ही ऐसे परिवार से जो विशेष रूप से महिलाओं के वर्चस्व वाले/प्रबंधित हैं या ऐसे परिवार से जिनकी मृत्यु के कारण अशुद्धता के 10 दिन बीत नहीं गए हैं।
17. "बल्या वा ………………." - 5/150। एक महिला बच्चे, युवा महिला या बूढ़ी औरत क�� अपने निवास स्थान पर भी स्वतंत्र रूप से काम नहीं करना चाहिए।
18. "बले पितोर्वशाय ……." - 5/151। लड़कियों को अपने पिता की हिरासत में माना जाता है जब वे बच्चे होते हैं, महिलाओं को विवाहित होने पर अपने पति की हिरासत में और विधवा के रूप में अपने बेटे की हिरासत में होना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में उसे स्वतंत्र रूप से अपनी बात कहने की अनुमति नहीं है।
19. "अशीला कामवर्तो ………" - 5/157। पुरुषों में गुण का अभाव हो सकता है, वे यौन विकृत, अनैतिक और किसी भी अच्छे गुणों से रहित हो सकते हैं, फिर भी महिलाओं को अपने पति की लगातार पूजा और सेवा करनी चाहिए।
20. "न अस्त स्ट्रिनाम ……… .." - 5/158। महिलाओं को कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है, न ही व्रत करने या व्रत रखने का। उसका एकमात्र कर्तव्य है कि वह अपने पति की आज्ञा का पालन करे और उसे प्रसन्न करे और वह केवल इसी कारण से स्वर्ग में श्रेष्ठ होगी।
21. "कामम से ………………" - 5/160। उसकी प्रसन्नता पर [पति की मृत्यु के बाद], वह केवल शुद्ध फूलों, सब्जियों और फलों की जड़ों पर रहकर अपने शरीर को क्षीण कर दे। अपने पति की मृत्यु के बाद उसे किसी अन्य पुरुष का नाम भी नहीं लेना चाहिए।
22. "व्याभाचारय ……………" - 5/167। अपने पति के प्रति कर्तव्य और आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली कोई भी महिला बदनाम होती है और कुष्ठ रोगी बन जाती है। मृत्यु के बाद, वह सियार के गर्भ में प्रवेश करती है।
23. "कन्याम भजंती …… .." - 8/364। यदि महिलाएं उच्च जाति के पुरुष के साथ यौन संबंध का आनंद लेती हैं, तो यह कृत्य दंडनीय नहीं है। लेकिन इसके विपरीत, अगर महिलाएं निचली जाति के पुरुषों के साथ यौन संबंध का आनंद लेती हैं, तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए और उन्हें अलग-थलग रखा जाना चाहिए।
24. "उत्तम सेवमंस्तो ……." - 8/365। यदि निचली जाति का कोई पुरुष उच्च जाति की महिला के साथ यौन संबंध का आनंद लेता है, तो विचाराधीन व्यक्ति को मौत की सजा दी जानी चाहिए। और अगर कोई व्यक्ति अपनी ही जाति की महिलाओं के साथ अपनी कामुक इच्छा को संतुष्ट करता है, तो उसे महिलाओं की आस्था के लिए मुआवजा देने के लिए कहा जाना चाहिए।
25. "हां तो कन्या .........." - 8/369। यदि कोई महिला अपनी योनि की झिल्ली [हाइमन] को फाड़ देती है, तो वह तुरंत अपना सिर मुंडवा लेगी या दो अंगुलियों को काटकर गधे पर चढ़ा दिया जाएगा।
26. "भरताराम .........." - 8/370। यदि कोई महिला अपनी श्रेष्ठता या अपने रिश्तेदारों की महानता पर गर्व करती है, अपने पति के प्रति अपने कर्तव्य का उल्लंघन करती है, तो राजा उसे सार्वजनिक स्थान पर कुत्तों के सामने फेंकने की व्यवस्था करेगा।
27. "पिता रक्षति ………." - 9/3। चूंकि महिलाएं स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए उन्हें अपने पिता की संतान के रूप में, अपने पति के अधीन एक महिला के रूप में और अपने बेटे के अधीन विधवा के रूप में रखा जाना चाहिए।
28. "इमाम ह�� सरव ……… .." - 9/6। सभी पतियों का यह कर्तव्य है कि वे अपनी पत्नियों पर पूर्ण नियंत्रण रखें। शारीरिक रूप से कमजोर पतियों को भी अपनी पत्नियों पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए।
29. "पति भारम ………." - 9/8। पति, अपनी पत्नी के गर्भाधान के बाद, भ्रूण बन जाता है और उससे फिर से जन्म लेता है। यह बताता है कि महिलाओं को जया क्यों कहा जाता है।
30. "पनम दुर्जन ………" - 9/13। शराब पीना, दुष्टों से मिलना, पति से बिछड़ना, इधर-उधर घूमना, बेवजह सोना और घर में रहना-ये छह दोष हैं।
31. "नैता रूपम ……………" - 9/14। ऐसी महिलाएं वफादार नहीं होती हैं और उनकी उम्र की परवाह किए बिना पुरुषों के साथ विवाहेतर संबंध होते हैं।
32. "पुंश्चचल्य ……………" - 9/15। पुरुषों के प्रति उनके जुनून, अपरिवर्तनीय स्वभाव और स्वाभाविक हृदयहीनता के कारण, वे अपने पतियों के प्रति वफादार नहीं हैं।
33. "न अस्ति स्ट्रिनाम………" - 9/18। नमस्कार और जाटकर्म करते समय महिलाओं को वैदिक मंत्रों का उच्चारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि महिलाओं में शक्ति और वैदिक ग्रंथों के ज्ञान की कमी होती है। महिलाएं अपवित्र हैं और झूठ का प्रतिनिधित्व करती हैं।
34. "देवरा ... सपिंडा ........." - 9/58। अपने पति के साथ संतान पैदा करने में विफलता पर, वह अपने साले [देवर] या अपने ससुराल पक्ष के किसी अन्य रिश्तेदार [सपिंडा] के साथ सहवास करके संतान प्राप्त कर सकती है।
35. "विद्याम ……………" - 9/60। जो विधवा के साथ रहने के लिए नियुक्त किया गया है, वह रात में उसके पास जाए, मक्खन से अभिषेक किया जाए और चुपचाप एक पुत्र को जन्म दे, लेकिन किसी भी तरह से दूसरा नहीं।
36. "यथा विद्या ………………." - 9/70। स्थापित कानून के अनुसार, भाभी [भाभी] को सफेद वस्त्र पहना होना चाहिए; शुद्ध इरादे से उसका देवर [देवर] उसके साथ तब तक रहेगा जब तक वह गर्भवती नहीं हो जाती।
37. "अति क्रमय ……………" - 9/77। कोई भी महिला जो अपने सुस्त, शराबी और रोगग्रस्त पति के आदेशों की अवज्ञा करती है, उसे तीन महीने के लिए छोड़ दिया जाएगा और उसके गहनों से वंचित कर दिया जाएगा।
38. "वंड्याष्टमय ……." - 9/80। 8 वें वर्ष में एक बंजर पत्नी का स्थान लिया जा सकता है ; वह जिसके बच्चे मर जाते हैं उसे 10 वें वर्ष में हटा दिया जा सकता है और वह जो केवल बेटियों को जन्म देती है उसे 11 वें वर्ष में स्थान दिया जा सकता है; परन्तु जो झगड़ालू है वह अविलम्ब हटाई जाए।
39. "त्रिंशा ………………" - 9/93। धार्मिक संस्कार करने में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर 24 से 30 वर्ष की आयु के पुरुषों को 8 से 12 वर्ष की आयु की महिला ��े विवाह करना चाहिए।
40. "यमब्रह्मंस्तो ……." - 9/177। यदि कोई ब्राह्मण पुरुष शूद्र स्त्री से विवाह करता है, तो उसका पुत्र 'पार्शव' य�� 'शूद्र' कहलाएगा क्योंकि उसका सामाजिक अस्तित्व एक मृत शरीर की तरह है।
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दिनांक 6 जून, 2022 को बहुजन द्रविड पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट जीवन कुमार मल्ला जी ने पंजाब के स्वर्ण मंदिर पहुंच कर सिखों की सांस्कृतिक सुरक्षा की इस लड़ाई में बलिदान देने वाले वीर���ं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिनांक 6 जून, 2022 को बहुजन द्रविड पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट जीवन कुमार मल्ला जी ने पंजाब के स्वर्ण मंदिर पहुंच कर सिखों की सांस्कृतिक सुरक्षा की इस लड़ाई में बलिदान देने वाले वीरों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
पंजाब का स्वर्ण मंदिर, जिसे सबसे साहसी सिख लोगों का मक्का कहा जा सकता है, जो प्यार, खुशी, करुणा और भाईचारे की भावना के साथ रहते आए हैं… मुसलमानों के शासन के दौरान और यहां तक कि अंग्रेजों के शासन काल में भी सिखों ने मुगल और अंग्रेज सैनिकों को स्वर्ण मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी, तथा गरिमा के साथ सिख संस्कृति की रक्षा की। लेकिन 3% ब्राह्मणवादी कांग्रेसी लोग 1984 में अपने शासन के दौरान…
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💐 डीडी को परदा ऑर्थोडॉक्स ब्राह्मणवादी गुलामी लगती है लेकिन डीडी को हिजाब वाली शेरनी को शबासी देनी है। 💐 डीडी को हिन्दू देवी देवताओं में आस्था नहीं है लेकिन भगवान अयप्पा स्वामी के दर्शन पीरियड्स में भी करने हैं। 💐 डीडी के लिए राम काल्पनिक हैं लेकिन सीता परित्याग मामले में जज भी बनना है। 💐 डीडी के अपने पति के अलावे दर्जनों भतार हैं लेकिन उसे राधा और विवाहित कृष्ण के प्रेम से बड़ी तकलीफ है। 💐 डीडी के भाई-बहन उसे कबका लतिया कर निकाल चुके हैं लेकिन भाई रावण जैसा चाहिए। 💐 डीडी बीफ कबाब बड़े चाव से भकोसती है लेकिन उसे दीवाली के पटाखे इसलिए पसंद नहीं कि जानवर डिस्टर्ब होते हैं। 💐 डीडी सोती भी बड़ी बिंदी लगाकर है लेकिन उसे छठ पर्व पर बिहार की महिलाओं के नाक तक लगे सिंदूर से उबकाई आती है। 💐 डीडी को मोदी फूटी आँख नहीं सुहाते लेकिन जसोदा बेन से बड़ी मुह��्बत है। 💐 डीडी को "औरतें तुम्हारी खेती है" वाली बात से कोई तकलीफ नहीं लेकिन "ढोर... गंवार वाली बात पर तुलसीदास जी को गरियाना है। 💐 डीडी को तेजस्वी सूर्या नहीं पसंद लेकिन उमर खा-लीद पर muhhh उछालना है। 💐 डीडी को नारी सम्मान का अधिकार भी चाहिए लेकिन माँ दुर्गा पर कुदृष्टि डालने वाले महिषासुर को लव यू भी बोलना है। 💐 डीडी को रक्षाबंधन से चिढ़न मचती है लेकिन उसे "किस ऑफ लव" में जलूल से जलूल जाना है। 💐 दीदी ज्योतिष को अंधविश्वास मानती है, लेकिन उसे शिंगणापुर मंदिर में शनि देव को तेल चढ़ाना है। https://www.instagram.com/p/CZ1XQgWv_Dy/?utm_medium=tumblr
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*_"भारत मुक्ति मोर्चा" का यह कैलेंडर अपने घर मे लगाना कोई साधारण बात नही है, इसका बहुत बडा मौलिक महत्व है| इंसान को प्रात: उठते ही कैलेंडर याद आता है, जिसमे वो Working day देखता है, पर्व उत्सव को देखता है, छुट्टी देखता है, फिर अपनी दिनचर्या की शुरुआत करता है| यह दिनचर्या वैसी ही बीतती है, जैसा कैलेंडर बताता है| कैलेंडर से ही सांस्कृतिक, मानसिक गुलामी की शुरुआत, गैरबराबरी को प्रस्थापित करने वाले संबोधनो, प्रतीको से होती है| ब्राह्मणवादी विचारो से व्यक्ति अपनी योग्यता खो देता है, वह स्वयं पर विश्वास करने की बजाय काल्पनिक, प्रस्थापित मिथको पर विश्वास करके एक अनिश्चित भविष्य के साथ घर से निकलता है| संस्कृति के नाम पर हमारा पूरा मानव संसाधन खप जाता है, समय, श्रम, पैसा, बुद्धि एवं हुनर खत्म हो रहा है| इस Professional Cultural Event के नाम पर हमारे सारे संसाधनो को हम ही से छीन कर शासक वर्ग 'बामन' अपनी गैरबराबरी असामाजिक व्यवस्था की सत्ता को मजबूत करता है| इस खेल मे सबसे बडा अचंभा यह है कि गुलाम ही अपनी गुलामी मजबूत करता है| मानसिक गुलामी आगे चलकर आर्थिक गुलामी मे और आर्थिक गुलामी शारीरिक गुलामी मे तब्दील हो जाती है| इसलिए आइए, अपने दिन की शुरूआत तार्किक, बौद्धिक, वैज्ञानिक और सही इतिहास से शुरू करे, अपने "भारत मुक्ति मोर्चा" के कैलेंडर के साथ👈_* *#भारतमुक्तिमोर्चा #ब���द्धिस्टइंटरनेशनलनेटवर्क* (at Delhi दिल्ली) https://www.instagram.com/p/CnKgx11LT73/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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कांशीराम जी जिस विचारधारा को लेकर चल रहे थे तथा भारतीय राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे, तथा बहुजन समाज को एक करने का प्रयास कर रहे थे, तब काम आसान नहीं था ,इसलिए मान्यवर कांशीराम जी ने बहुजन समाज को, एक करने के लिए विचारधारा के आधार पर संगठित करने की कोशिश की, कांशीराम जी ने SC,ST,OBC समाज में जो महापुरुष पैदा हुए थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन चलाया तथा ब्राह्मणवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए ,जिन्होंने अपने जीवन का त्याग बलि��ान करके बहुजन समाज को हक अधिकार दिलाने के लिए ,तथा महिलाओं को गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए, जिन महापुरुषों ने मोमबत्ती की तरह अपने को जलाकर बहुजन समाज के लिए लड़ाई लड़ी उन महापुरुषों को कांशीराम जी ने अपने अपने प्रांतों से उठाकर के राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाकर करके बहुजन समाज के एक समूह में स्थापित करने की एक ऐतिहासिक कोशिश की थी।
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देवी पाटन मंदिर में महेंद्र नाथ योगी की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे ब्राह्मण महंत | महेंद्र नाथ योगी की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे ब्राह्मण महंत, देवी पाटन मंदिर में हुआ कार्यक्रम
देवी पाटन मंदिर में महेंद्र नाथ योगी की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे ब्राह्मण महंत | महेंद्र नाथ योगी की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे ब्राह्मण महंत, देवी पाटन मंदिर में हुआ कार्यक्रम
बलरामपुरएक घंटे पहले लिंक की प्रतिलिपि करें ��ीएम योगी आज बलरामपुर के दौरे पर हैं। बलरामपुर के शक्ति पेठ देवी पट्टन मंदिर में ब्राह्मणवादी महंत महेंद्र नाथ योगी की 21वीं जयंती के अवसर पर सीएम योगी आज उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. 7 दिवसीय श्रीमद् भगत कथा पिछले सप्ताह गोरक्ष मंडपम सभागार में शुरू हुई और आज समाप्त होगी। शाम को श्रद्धांजलि दी जाएगी। महंत मिथलेश नाथ योगी ने इसकी जानकारी दी। शक्ति पेठ…
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मनुवाद, ब्राह्मणवाद और सवर्णवाद के खिलाफ “बहुजन छात्र कन्वेंशन”
बढ़ते मनुवादी, ब्राह्मणवादी, और सवर्णवादी वर्चश्व के खिलाफ और न्यायप्रिय लोकतान्त्रिक समाज को बढ़ावा देने के लिए 28.07.2019 को बहुजन छात्र कन्वेंशन का आयोजन किया गया.
“हम हैं बहुजन छात्र’ के बैनर तले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कल्याण छात्रावास संख्या 2, में शिक्षा के निजीकरण, भगवाकरण, छात्रवृत्ति व फेलोशिप में कटौती, शिक्षण संस्थानों में बढ़ते मनुवादी और सवर्णवादी दबदबा, लोकतंत्र पर बढ़ते हमले, बढ़ती बेरोजगारी, आरक्षण पर बढ़ते हमले एवं अन्य ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी हमले के खिलाफ 28.07.2019 को बहुजन छात्र कन्वेंशन का आयोजन किया गया.
इस मौके पर मुख्य वक्ता डॉ…
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#Author Sonam Kumar#Bahujan Chhatra Convention#Brahmanwad#Dr. Vilakshan Raviidas#Hum Hain Bahujan Chhatra#Manuvad#Nationalism#Rashtrawad#Swarnawad#न्यायप्रिय लोकतान्त्रिक समाज#ब्राह्मणवादी#मनुवादी#राष्ट्रवाद#वर्चश्व#सवर्णवादी
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विज्ञान के अकाट्य प्रमाण DNA Test जिसकी रिपोर्ट Times of India में 21 मई, 2001 को छपी, जिसके अनुसार SC/ST/OBC और इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्याक ही भारत के मूलनिवासी हैं. लेकिन ब्राह्मणवादी सरकारों ने मूलनिवासी बहुजन समाज को टुक़डों में बांटने के लिए साजिश के तहत जातियां बनाई, जिससे की इनमें आपस में ही टकराव हो जाए और यह आपस में ही बंटे रहे और ब्राह्मणवादी शासक बरकरार रहे! अंतर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस के अवसर पर सभी बहुजनों को हार्दिक बधाईयां! #WamanMeshram #WorldMulnivasiDay https://www.instagram.com/p/ChCumBMM0YYgOQt7Rb1niN6KsCYjaI0HAvMS4k0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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