#ब्रह्मांड मालिक
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#GodNightWednesday
पूर्ण परमात्मा असंख ब्रह्मांड का मालिक है जो एक सेकंड में पूरे ब्रह्मांड को रच सकता है।
Kabir is Supreme God

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#Mahashivratri2025
👉#महाशिवरात्रि_2025 के अवसर पर जानिए ये भगवान शंकर तो त्रिलोकनाथ देव हैं!
फिर समस्त ब्रह्मांड का मालिक कौन हो सकता है?
#श्रीशिवजी_किसकाध्यान_धरतेहैं
#GucciFW25
#KabirIsGod
👉 संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी पुस्तक ज्ञान गंगा और जीने की राह निशुल्क मंगवाए।

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#GodMorningSunday
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि कबीर परमेश्वर के शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं है क्योंकि वही पूरे ब्रह्मांड के रचयिता है वही सभी के कुल मालिक है।
अधिक जानकारी के लिए आवश्यक पड़े पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा
#noidagbnup16
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श्री पूर्ण ब्रह्म जी श्री रामपाल जी भगवान जी ने बताया है 3 तीसरे मुक्ति धाम पर श्री सत्पुरुष जी श्री कबीर साहेब अविनाशी भगवान जी शंखों ब्रह्मांड के मालिक हैं तीसरे परमधाम अमरलोक में रहते हैं 2 दूसरे धाम पर नाम परब्रह्म 7 शंख ब्रह्मांड के मालिक है। नाशवान है 1 पहले धाम पर हम सभी लोग रहते हैं जन्म मरण का रोग लगा है काल के लोक में नाम ज्योति निरंजन काल है 21 ब्रह्मांड के मालिक है नाशवान है ज्ञान गंगा पुस्तक फ्री मंगा सकते हैं मो 7496801825 संपर्क करें सत साहेब जी
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🙏सर्वोच्च शक्तिमान प्रभु परमपिता पुर्णब्रह्म कबीर परमेश्वर 🙏☝📩
🙏सन्त रामपाल जी महाराज की जय हो 🙏
👇गरीबदास की वाणी में 👇
गरीब, जैसे बादल गगन में ,चलते हैं बिन पाय ।
ऐसे पुरुष कबीर जी , सुंनि में रहे समाय ॥
गगन शून्य में गुप्त रहूँ, हम प्रगट प्रवाह।
दास गरीब, घट घट बसूं, विकट हमारी राह॥
गरीब, संख असंखौ, संत विराजै, वार पार नहीं अंत।
अविगत पुरुष कबीर भजौ रे,है दूलह महमंता॥
गरीब,गगन मंडल में रहत है , अविनाशी आप अलैख।
जुगन जुगन सतसंग है, धरि धरि खेलै भेख॥
❤शोभा देख कबीर की,नैन रहे ललचाए।
क्या कहूं छवि रूप की,दादू कही न जाए।।
:- दादू साहेब वाणी
🙏सत् साहेब जी 🙏Kabir Is god🙏
👇गरीबदास की वाणी में 👇
गरीब, संतौं कारण सब रच्या, सकल जमीन आसमान।
चंद सूर पानी पवन, यज्ञ तीर्थ और दान।।
जाको कहे कबीर जूलाहा, वो रची सकल संसारी हो
गरीबदास शरणागति आए, साहेब लटक बिहारी वो॥
❤🌈 गरीब, जिसको कहते कबीर जूलाहा। ☝
👌सब गति पूर्ण अगम अगाहा।। 🙏
❤🎇सत् साहेब का अवतार कबीर है किरतार/सर्जनहार,ताका ��र्मदास अवतार। 🎇❤
1.गरीब,सेवक होय कर उत��े,इस पृथ्वी के माहि।
जीव उधारण जगतगुरु,बार बार बलि जाहि।।
अनुवाद :- गरीबदास जी कहते हैं कि,इस जगत/पृथ्वी में कबीर साहेब सेवक/दास बनकर अवतार लेते हें, मानव जीवो को मुक्ति देने के लिए वो जगतगुरु बार बार मृत्युलोक में आकर मानव जीवो का कष्ट सहन कर बलि जाते हैं अर्थात उनका पुरा जीवन मनुष्यों की घृणा सहन करना और मोक्ष की प्राप्ति के प्रयत्न करवाते हें/मुक्ति देते हैं।।
2.गरीब,जल थल पृथ्वी गगन में,बाहर भीतर एक।
पूर्णब्रह्म कबीर हैं,अविगत पुरुष अलेख।।
अनुवाद :-गरीबदास कहते हे कि पानी जमीन/थल पृथ्वी आकाश और सृष्टि के अंदर और बाहर कबीर साहेब एक ही सर्वव्यापक परमात्मा हें। पूर्णब्रह्म परमात्मा कबीर हें,जो अविगत अवर्णनीय और अझात देवता हे।
👌👌में स्वामी सृष्टि में,सृष्टि हमारे तीर।
दास गरीब,अधर बसू अविगत सत्य कबीर।।
👉अनुवाद/सरलार्थ :कबीर साहेब गरीबदास को कहते हैं कि में स्वामी/परमात्मा (मालिक) हूं इस सृष्टि मे,ये सृष्टि और ब्रह्मांड सारे मेरे नियंत्रण में है।कबीर साहेब कहते हैं कि में अधर बसता हूँ मतलब के सतलोक में जो सब से परे और अविगत पुरुष सत्य कबीर है।।
👌गरीब,अनंत कोटी ब्रह्मांड है,रुम रुम की लार।
परानन्दनी शक्ति है जाके सृष्टि आधार।।
👉अनुवाद/सरलार्थ :-गरीबदास कहते हैं कि इस सृष्टि में अनंत/अनगिनत ब्रह्मांड है, जिसके अंदर ब्रह्मांड के सब झूंड/समूह हे और सब ब्रह्मांड के अंदर अंडे आकार आकाशगंगा हे। ये सृष्टि सब से अलग जो परानन्द परमेश्वरी शक्ति के आधार पर है,जिस के संचालक और नियामक कबीर साहेब परमात्मा है।।
1.दोहा:-अनंत कोटी ब्रह्मांड रचे,सब तजि रहै नियार।
जिंदा कहे धर्मदास से,जाका करो विचार।।
अनुवाद :-कबीर साहेब ने 'जिंदा' रुप में धर्मदास जी को अपने बारे में बताया कि उन्होंने ने अनंत करोडो ब्रह्मांड रचे और सब ब्रह्मांडो को तज/छोड कर वो रह रहे हैं। ऐसे अद्भुत कार्य के कर्ता पुरुष कबीर परमात्मा धर्मदास जी को विचार/मोल करने को बोल रहे है।
2.दोहा :-अजर अमर पद अभय है,अविगत आदि अनादि।
जिंदा कहे धर्मदास से,जा घर विद्या न वाद।।
अनुवाद :-कबीर साहेब ने 'जिंदा' रुप में धर्मदास जी को कहते हैं कि वो सतलोक पद अजर+अमर/कभी नष्ट नहीं होने वाला और निर्भय/अभय पद है,जो अविगत आदि अनादि अर्थात जो पहले से ही हे जिसका कभी अंत नहीं होने वाला परमानंद पद है।। सतलोक ऐसा पद है जहा नहीं विद्या नहीं वाद अर्थात वहां विद्या वाद की कोई जरूरत हे ही नहीं,ऐसी परमानंद परमेश्वरी शक्ति है।
3.दोहा :- संख जुगन जुग जगत में, पद प्रवानि है न्यार।
गरीबदास,���बीर हरि, अविगत अधरि अधार।।
गरीबदास जी कहते हैं कि संखो युग जगत में कबीर साहेब ही भक्ति के पद से सतलोक प्राप्त कराने वाले और सब सें न्यारे परमात्मा है। गरीबदास यें भी कहते हैं कि कबीर साहेब हरि हें जो अविगत,सबसे उंचे पद पर प्रतिष्ठित/पदस्थापित सब के आधार हे।
🙏सत् साहेब जी 🙏
हम हीं अलख अल्लाह हैं,कुतुब गौस और पीर।
गरीबदास,खालिक धनी,हमारा नाम कबीर।।
👇👇👇👇👇👇👇👇👇
गरीब, काजी गये कुरान ले,धरि लरके का नाम।
अक्षर अक्षर मैं फुर्या,धन कबीर बलि जांव।।
गरीब, सकल कुरान कबीर हैं, हरफ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहैं, गई दीन की टेक।।
सरलार्थ/अनुवाद :
1.गरीबदास अपनी वाणी में कहते हैं कि काशी के काजी और मुल्ला जब कबीर साहेब का नामांकन अर्थात नाम रखने गये तब कुरान में केवल कबीर कबीर शब्द के ही नाम प्रगट हो रहे थे/निकल रहे थे।
2.पूरे सकल कुरान में अक्षर और लिखे लेख में मात्र कबीर अल्लाह का ही जिक्र है। ऐसा काशी के काजी और मुल्ला का कहना था।
तहां सिंह ल्यौलीन होय,परचा इबकी बार।
गरीबदास,शाह सिकंदर यौं कहे,अल्लाह दिया दीदार।।
3.अनुवाद/सरलार्थ :-गरीबदास जी कहते हैं शाह सिकंदर को कबीर परमात्मा ने अपने सिंह रुप अल्लाह का दीदार कराया अर्थात सिंहरुप के परचे दिये।।
सुनो काशी के पण्डितो,काजी मुल्लां पीर।
गरीबदास,इस चरण ल्यौंह,अल्लाह अलेख कबीर।।
4.अनुवाद/सरलार्थ :-शाह सिकंदर काशी के पंडितो,काजी,मुल्लां और पीरो को कह रहे हैं कि इस कबीर अल्लाह का चरण और शरणागति लो।
ये कबीर अल्लाह है, उतरे काशी धाम।
गरीबदास,शाह सिकंदर यौं कहे,झगड मूये बे काम।।
5.अनुवाद/सरलार्थ :-अंत में शाह सिकंदर कहता है कि ये कबीर अल्लाह है जो काशीधाम में उतरे हैं/अवतरण हुआ है। हिन्दु मुस्लिम के लोग आपसे झगड़ा कर बेवजह मर रहे है।
4.ब्रह्मांड एक्किसों और चौबीसौं,
ये नाहिं सिद्धि थीरं।
चौदह/14 तबक इक्कीसौं ब्रह्मांड,
आवत जावत माया।
कबीर,सतगुरु सम कोई नहीं,सात दीप नौ खण्ड ।
तीन लोक ना पाइये,और इक्कीस /21 ब्रह्मांड।।
गरीब, शब्द स्वरूप साहिब धनी, शब्द सिंध. सब मांहि।
बाहर भीतर रमि रह्या, जहाँ तहां सब ठांहि ।।
गरीब,अनंत कोटी ब्रह्मांड रचि,सब तजि रहै नियार।
जिंदा कहै धर्मदास सूँ ,जाका करो विचार।।
धर्मदास,सतपुरुष एक यहा छुपाये,जग दास कहाये।
गरीब,सेवक होय कर उतरे, इस पृथ्वी के माहि।
जीव उधारण जगतगुरु, बार बार बलि जाहि।।
कबीर,दास कहावन कठिन है,मैं दासन का दास ।
अब तो ऐसा होए रहुं, ज्यों पांव तले की घास ॥
गरीब,माया ममता हम रची,काल जाल सब जीव।
दास गरीब,प्राण पद,हम दासातन पीव।।
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#satlok
संतों_की_असली_होली
🌍संपूर्ण ब्रह्मांड का मालिक कौन है?
जपो उस रब को जो करता है सबका ।
💫🌟🌈जानिए इस होली पर आध्यात्मिक ज्ञान से गुढरहस्य...*ज्ञान गंगा *पुस्तक में
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#संतों_की_असली_होली
🌍संपूर्ण ब्रह्मांड का मालिक कौन है?
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#अखिल_ब्रह्मांडनायक_कबीरसाहेब
ब्रह्मा विष्णु महेश तीन लोक, तीन भुवन के स्वामी है इसलिए इन्हें त्रिलोकी नाथ या त्रिभुवन पति कहते हैं ये दुर्गा जी को ही सर्वोपरि मानते हैं। जबकि इनसे ऊपर काल भगवान 21 ब्रह्मांड का मालिक, तथा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब सर्व ब्रह्माण्डो के मालिक हैं
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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*📯बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय📯*
27/02/25
*🎈X Trending सेवा🎈*
🌸 *मालिक की दया से शिव और सदाशिव मे अंतर से संबंधित X {Twitter } पर सेवा करेंगे जी।*
*टैग और कीवर्ड⤵️*
#शिव_और_सदाशिव_में_अंतर
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🛒 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक*
https://www.satsaheb.org/shiv-vs-sadashiv-hindi/
https://www.satsaheb.org/maha-shivratri-2024-special-photos-and-pictures-hindi/
https://www.satsaheb.org/maha-shivratri-2024-special-photos-and-pictures-english/
*🎯Sewa Points🎯* ⤵️
🔅 ब्रह्म काल (सदाशिव), गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में स्वयं कहता है कि मैं बढ़ा हुआ काल हूँ, सभी को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ। जबकि हम सभी शिव जी की दयालुता से परिचित हैं कि शिव जी ने अपनी जान की फिक्र किए बिना भस्मासुर को भस्म कड़ा दे दिया था।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित देखिए वीडियो Factful Debates Youtube Channel पर।
🔅शिव जी तीन लोक (स्वर्गलोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक) के और चार भुजा, सोलह कला के भगवान हैं।
सदाशिव 21 ब्रह्मांड का और एक हजार भुजा व एक हजार कला का भगवान है। इसे धर्मग्रंथों में ब्रह्म काल भी कहा गया है क्योंकि यह गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में स्वयं कहता है कि मैं बढ़ा हुआ काल हूँ, सभी को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित वीडियो Factful Debates Youtube Channel पर देखिए।
🔅शंकराचार्य की पुस्तक हिमालय तीर्थ के पृष्ठ 41 के अनुसार शिव जी इतने दयालु हैं कि किसी कारणवश विष्णु जी को अपना महल तक दे दिया था। जबकि सदाशिव (ब्रह्म काल) दयालु नहीं हैं यह प्रतिदिन एक लाख मनुष्य धारी प्राणियों को मारकर उनके शरीर से निकलने वाली गंध को खाता है। यानी यह दयालु नहीं है।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित देखिए वीडियो Factful Debates Youtube Channel पर।
🔅 गीता अध्याय 14 श्लोक 3-5 के मुताबिक सदाशिव अर्थात ब्रह्म काल, तमगुण शिव जी का पिता है।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित देखिए वीडियो Factful Debates Youtube Channel पर।p
🔅 शिवपुराण, रुद्रसंहिता के अध्याय 6-7, 9 पृष्ठ 100-103, 110, विद्येश्वर संहिता पृष्ठ 25-26 के अनुसार सदाशिव ही काल रूपी ब्रह्म है जिसके पुत्र हैं श्री शिव जी हैं। जिससे पता चलता है कि शिव से अधिक शक्ति युक्त सदाशिव हैं। जबकि गीता अध्याय 8 श्लोक 3 के अनुसार सदाशिव (ब्रह्म) से अधिक शक्ति युक्त परमात्मा तो परम अक्षर ब्रह्म है।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित वीडियो देखिए Factful Debates Youtube Channel पर।
🔅शिव और सदाशिव में अंतर
शिव जी 4 भुजा और 16 कला के भगवान हैं जबकि सदाशिव (ब्रह्म काल) 1000 भुजा और 1000 कला के भगवान हैं।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित वीडियो देखिए Factful Debates Youtube Channel पर।
🔅 शिव जी तीन लोक के भगवान हैं और सदाशिव यानि काल ब्रह्म 21 ब्रह्मांड के भगवान हैं।
अधिक जानकारी के लिए शिव और सदाशिव में अंतर से जुड़ी वीडियो देखिए Factful Debates Youtube Channel पर।
🔅शिव और सदाशिव में अंतर
शिव जी तो दयालु भगवान हैं जिन्होंने अपनी जान की फिक्र किए बिना भस्मासुर को भस्म कड़ा दे दिया था। जबकि सदाशिव अर्थात काल ब्रह्म निर्दयी हैं क्योंकि यह अपने स्वार्थवश हमें पीड़ा देता है, हमें मारता है।
अधिक जानकारी के लिए "शिव और सदाशिव में अंतर" से संबंधित वीडियो देखिए Factful Debates Youtube Channel पर।
❌ *No Copy Paste* ❌
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#Kabir_Is_AlmightyGod
गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार।।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद नहीं पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदी छोड़ कहाय।
सो तो एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।
आदिपुरुष, परमेश्वर कबीर जी अपनी महिमा स्वयं बताते हुए कहते हैं कि "मैं ही वह मूल परमात्मा (अल्लाहु अकबर) हूँ, मैंने ही सर्व ब्रह्मांडों को रचा है, मेरा अजर अमर अविनाशी शरीर है तथा मेरी ही महिमा वेदों में कवि: (कविर्देव) के रूप में है और कुरान में मुझे कबीरन्, कबीरु, अकबीरु, कबीरा, खबीरन आदि कहा गया है। मैं ही सबका मालिक यानि सर्व सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता कबीर हूँ।
परमेश्वर प्राप्त संतों जैसे सिख धर्म के प्रवर्तक गुरुनानक देव जी और दादू पंथी संत दादू जी, गरीबदास पंथी संत गरीबदास जी महाराज जी आदि ने अपनी वाणियों में यह बताया है कि आदिपुरुष, परमेश्वर कबीर जी हैं, इन्होंने ही सर्व ब्रह्मांडों की रचना की है। इनका जन्म मां से नहीं होता बल्कि यह स्वयं सशरीर आते हैं और सशरीर वापिस चले जाते हैं। संत गरीबदास जी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आदिपुरुष परमेश्वर कबीर वह है जिन्होंने सन् 1398-1518 यानि 120 वर्षों तक काशी बनारस में एक जुलाहे के रूप में लीला की थी, यही कबीर परमेश्वर मुझे (गरीबदास जी), नानक जी, दादू जी और अधम सुल्तान को म��ले थे।

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