#ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
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ब्रह्मचरिणी माता की पूजा कैसे करें? जानें मंत्र,आरती, भोग समेत अन्य जानकारी!
आज 04 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की द्वितीया तिथि है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी नवदूर्गा में से दूसरी शक्ति हैं। ब्रह्मचारिणी माता को तपस्या और वैराग्य की देवमी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार,मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप,त्याग,वैराग्य और संयम में वृद्धि होती है। कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती है और व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में विजयी हासिल होती है। देवी मां अपने साधक को दुर्गणों और दोषों से दू�� रखती हैं।
ब्रह्मचारिणी माता की पूजा विधि : शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर से बासी फूलों को हटाकर मंदिर साफ करें।
माता रानी के समक्ष दीपक जलाएं। अब मां को फल,फूल, धूप-दीप, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
ब्रह्मचारिणी माता की विधि-विधान से पूजा करें और उनके मंत्रों का जाप करें। ब्रह्मचारिणी माता की आरती करें और अंत में सभी देवी-देवताओं के साथ मां दुर्गा की आरती करें।
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग : शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय उन्हें शक्कर का भोग लगाएं और पूजा के बाद परिवार के सदस्यों में वितरीत करें। मान्यता है कि इससे मनुष्य दीर्घायु होता है।
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय फूल : देवी मां को सफेद और सुगंधित फूल अर्पित करें। माता रानी को कमल का फूल भी चढ़ा सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग : नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग बहुत पसंद है। इस दिन सफेद रंग धारण करके मां की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मां ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र : नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता का बीज मंत्र ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः’ का जाप करें।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती :
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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Navratri Day 2 Puja Vidhi | Know Method, Mantra of Maa Brahmacharini | Bhakti Aanand
During Navratri, various forms of Maa Durga are worshiped for nine days. Mother Brahmacharini is worshiped on the second day of Navratri. Brahmacharini Mata is the provider of happiness and restraint. It is believed that by worshiping Mother Brahmacharini, all the upcoming tasks are completed. Special mantras are also chanted to please the Mother Goddess. Let us know in detail about the method, mantra, praise and offering of worshiping Mother Brahmacharini in today's article.
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jamshedpur rural- माता वैष्णो देवी धाम मंदिर में 501 कलश स्थापना के साथ दुर्गा पूजा शुरू
गालूडीह: उलदा स्थित माता वैष्णो देवी धाम मंदिर परिसर में नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिर के मुख्य पुजारी राहुल शास्त्री द्वारा श्रद्धालुओं के नाम और गोत्र के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 501 कलश की स्थापना की गयी. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की गयी. मंदिर निर्माणकर्ता राजकिशोर और किरण साहू पूजा में शामिल हुई.(नीचे भी पढ़े) पुजारी राहुल…
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नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजा की पूरी विधि
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नवरात्रि का दूसरा दिन, मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जानें विधि, मुहूर्त, मंत्र और उपाय
चैत्र नवरात्रि 2023 दूसरे दिन का मुहूर्त -
चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू - 22 मार्च 2023, रात 08.20
चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त - 23 मार्च 2023, रात 06.20
शुभ (उत्तम मुहूर्त) - सुबह 06.22 - सुबह 0754
लाभ (उन्नति मुहूर्त) - दोपहर 12.28 - दोपहर 01.59
चैत्र नवरात्रि 2023 दूसरे दिन के शुभ योग -
इंद्र योग - 23 मार्च, सुबह 06.16 - 24 मार्च, सुबह 03.43
सर्वार्थ सिद्धि योग - पूरे दिन
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि -
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनकर देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए. चूंकी ये तपस्या की देवी है और तपस्वी अधिकतर सफेद या पीला वस्त्र धारण करते हैं. वैसे माता रानी का प्रिय रंग लाल है लेकिन इस दिन देवी को सफेद वस्तुएं अर्पित करने से भाग्य चमक उठता है. माता को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं और ऊं ऐं नम: मंत्र का 108 बार जाप करें. ध्यान रहे मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निराहर रहकर की जाती है तभी पूजा का फल मिलता है. कहते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से पूजा करने पर जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता और सफलता प्राप्त करता है.
नवरात्रि के दूसरे दिन करें ये उपाय -
चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन माता को चांदी की वस्तु अर्पित करें. साथ ही इस दिन शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति के लिए मां सरस्वती की उपासना करें. मान्यता है इससे बौद्धिक विकास होता है और करियर में किसी तरह की बाधाएं नहीं आती. इनकी कृपा से भक्तों को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है.
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र -
• ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
• या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
Pandit Gopal Shastri Ji
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नवरात्रि 2022: पूरे भारत में भक्त देवी दुर्गा के नौ दिवसीय उत्सव को मनाने के लिए मंदिरों में उमड़ते हैं| घड़ी
नवरात्रि 2022: पूरे भारत में भक्त देवी दुर्गा के नौ दिवसीय उत्सव को मनाने के लिए मंदिरों में उमड़ते हैं| घड़ी
छवि स्रोत: ANI नवरात्रि 2022 नवरात्रि 2022: नौ दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार, जो बहुत उत्साह, खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है, यहाँ है। नवरात्रि में मां दुर्गा और राक्षस महिषासुर पर उनकी जीत का जश्न मनाया जाता है। नवरात्रि ‘बुराई पर अच्छाई’ का प्रतीक है। त्योहार के अंतिम दिन को विजयदशमी या दशहरा कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यहाँ ‘ब्रह्म’ शब्द…
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जाने नवरात्रि की पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi), कलश स्थापना व महत्व
Navratri Puja Vidhi : नवरात्रि मे देवी के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है । हिन्दुओ मे नवरात्रि (Navratri) की बहुत ��ान्यता है नवरात्रि साल मे दो बार मनाया जाते है जिन्हे चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है । उत्तर भारत मे नवरात्र को बहुत ही खुशी और धूम धाम से मनाया जाता है । इस दिन माँ के भक्त नौ दिन के व्रतो का सकल्प लेते है और देवी माँ की चौकी की स्थापना करते है । नवरात्रि मे घर की साफ सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है ।
ऐसा कहा जाता है की इन नौ दिन देवी माँ धरती पर अपने भक्तो के साथ रहने आती है । इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर 2019 से शुरु हो रहे है । (Navratri Puja Vidhi)नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है फिर देवी माँ की मूर्ति स्थापित की जाती है और अंठवे दिन हवन किया जाता है तथा नवे व दसवे दिन कन्या खिलाया जाता है और पूरे विधि विधान (Navratri Puja Vidhi)से देवी माँ की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है ।
नवरात्रि पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi)
भारत त्योहारो का देश माना जाता है यहाँ साल के शुरू से ही त्योहार शुरू हो जाते है और अंत तक चलते है । इन मे एक नवरात्रि का त्योहार है जिसे पूरे नौ दिनो तक मनाया जाता है । नवरात्रि मे लोग दुर्गा माँ के नो रूप की पूजा करते हैं । वैसे तो देवी माँ के पूजा कभी भी की जा सकती है परंतु नवरात्र मे पूजा (Navratri Puja) का अलग ही मान्यता है । नवरात्र की पूजा, कलश स्थापना से शुरू होती है इसमे कलश पूजा का बहुत महत्व होता है । कलश को सुख समृद्धि ऐश्वर्या देने वाला मंगलकारी माना गया है । कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का कलश में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है। नवरात्र मे शुभ मुहूरत मे कलश स्थापना की जाती है कुछ लोग स्थापना करने के लिए किसी पंडित को बुलवाते है तो कुछ अपने आप ही कर लेते है ।( Navratri Puja Vidhi )
कलश स्थापना से पहले देवी की माँ की चौकी रखे उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाये और देवी की मूर्ति रखे माँ को चुनरी उढ़ाये । देवी का माँ का तिलक करे और उन्हे सुहाग का समान चढ़ाये । स्थापना के बाद अज्ञारी करे । अज्ञारी के लिए गोबर का उबला ले उसे जलाए और मिट्टी के पात्र मे रखे फिर अज्ञारी मे घी या कपूर डाले और जलाए हवन सामीग्री चढ़ाये लॉन्ग के दो जोड़े व बताशा चढ़ाये देवी माँ को भोग लगाए घर मे जो भी व्रत वाली सामाग्री हो उससे बनाकर और दुर्गा कवच का पाठ करे दुर्ग�� चालीसा पढे उस��े बाद देवी माँ की आरती करे । भोग का प्रसाद घर मे सबको बाँट दे ।
कलश स्थापना की सामाग्री – मिट्टी का चौड़ा बर्तन,कलश, मिट्टी, जौ, जल, कलावा, इत्र, सुपारी, सिक्के, आम के पत्ते, चावल, नारियल, लाल कपड़ा, फूल, फूल माला, दूर्वा ।
नवरात्रि मे कलश स्थापना विधि (Navratri Kalash Sthapna Vidhi)
सबसे पहले गणेश जी का आवाहन करे और देवी माँ का ध्यान करे फिर कलश स्थापना शुरू करे । सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन ले उसमे मिट्टी डाले और उसको बर्तन मे चारो तरफ अच्छे से दाल दे, ताकि जब हम जौ डाले तो वो अच्छे से मिल सके फिर मिट्टी मे जौ डाले और मिला दे अगर पानी की जरूरत हो तो थोड़ा डाल दे उसके बाद कलश ले । कलश मिट्टी ताँबे या पीतल किसी का भी हो सकता है । कलश पर स्वस्तिक बनाए फिर कलश मे जल भरे, जल मे कुछ बूंदे गंगा जल की डाल दे और कलश पर कलावा बांधे और एक सिक्का, सुपारी और फूल डाल दे । इसके बाद कलश के ऊपर आम के पत्ते रखे पत्ते ऐसे रखे की आधे वह कलश के भीतर हो व आधे बाहर की ओर हो । उसके बाद कलश को मीठी से बनी कलश के आकार की प्लेट से ढक दे फिर उसके ऊपर कुछ चावल के दाने रखे और उसके ऊपर नारियल । नारियल को लाल कपड़े से लपेट दे और उस पर कलावा बांध ले । यह सब होने के बाद दिया जलाएँ नौ दिन तक कलश को वैसा ही रखा रहने दे । माँ के सामने ज्योत जलाए जो नौ दिन तक लगातार जलती रहनी चाहिए इसे अखंड ज्योत भी कहते है ज्योत के नीचे थोड़े से अक्षत रख दे ।
नवरात्रि मे कंजक पूजा विधि(Kanjak Puja Vidhi)
(Navratri Puja Vidhi) नवरात्रि के नौवे दिन कन्या खिलाई जाती है जिनहे हम कंजक भी कहते है 3 साल से 9 साल के बीच की कन्याओ को खिलाया जाता है । नौ कन्या और एक लांगुर को न्योता दिया जाता है । नवमी के दिन जब वे आते है तो सबसे पहले उनके पैर धुलाये जाते है उसके बाद उन्हे जमीन मे कुछ बिछाकर एक लाइन मे बैठाया जाता है । फिर इन्हे हलवा, पूरी, चने, खीर, सब्जी परोसा जाता है खाना परोसने की शुरुआत लांगुर से करते है जब सभी कन्याएँ व लांगुर खाना खा लेते है तब, उसके बाद उनका तिलक किया जाता है व उनके हाथ मे कलावा बंधा जाता है उन्हे दक्षणा या फल या कोई गिफ्ट देते है फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है और उनको विदा किया जाता है ।
नवरात्रि व्रत का महत्व
Navratri Puja Vidhi नवरात्रि का अलग अलग शहरो मे अलग-अलग महत्व है कुछ जगह अष्टमी को कन्या पूजी जाती है तो कुछ जगह नवमी को कन्या पूजने का विधान है । दुर्गा पंडालो मे अष्टमी के दिन हवन होता है और नवरात्र समापन की पूजा भी होती है जिसे महाष्टमी कहते है | कुछ लोग पूरे नवरात्र न रखकर पहला नवरात्र और अष्टमी को व्रत रखते है । बंगाल मे इस दिन विशेष पूजा होती है और देवी माँ को दुर्गा पूजा के समय सिंदूर छड़ते है और एक दूसरे को लगाते भी है । सप्तमी से अष्टमी तक पूरा बंगाल ��ुर्गा पूजा मे डूबा रहता है नवमी के दिन पुसपंजंजलीकुछ लोग अष्टमी की रात को जागरण कराते है और नवमी की सुबह व्रत खोलने के बाद भंडारे का आयोजन करते है और भर पेट लोगो को खाना खिलते है । कई जगह व मंदिरो मे पूरे नवरात्र मेला लगा रहता है । कई जगह नवमी वाले दिन रामलीला का कार्यक्रम होता है जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है । देवी माँ अपने भक्तो पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती है । माँ का अटूट प्यार, दुलार और स्नेह आशीर्वाद के रूप मे मिलता रहता है । जिससे भक्तो को किसी अन्य सहायता की जरुरत नहीं पढ़ती और वह सर्वशक्तिमान हो जाता है । माँ की करुणा अपार है जिसका न कोई मोल है न ही कोई अंत है ।
देवी के 9 रूपों के नाम
शैलपुत्री – नवरात्रि के पहले दिन माता के प्रथम रूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इसी कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा ।
ब्रह्मचारिणी – माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या-साधना की थी, उसी रूप के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा ।
चंद्रघंटा – माता के इस रूप में उनके मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र अंकित है। इसी वजह से माँ दुर्गा का नाम चंद्रघण्टा भी है ।
कूष्माण्डा – माता के इस रूप में उनके मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र अंकित है। इसी वजह से माँ दुर्गा का नाम चंद्रघण्टा भी है ।
स्कंदमाता – भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का एक अन्य नाम स्कन्द भी है। अतः भगवान स्कन्द अर्थात कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस रूप को स्कन्दमाता के नाम से भी लोग जानते हैं ।
कात्यायनी – माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माता को अपनी तपस्या से प्रसन्न करने के बाद उनके यहां माता ने पुत्री रूप में जन्म लिया, इसी कारण वे कात्यायनी कहलाईं ।
कालरात्रि – माता काल अर्थात बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं इसलिए इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है |
महागौरी – माँ दुर्गा का यह आठवां रूप उनके सभी नौ रूपों में सबसे सुंदर है। इनका यह रूप बहुत ही कोमल, करुणा से परिपूर्ण और आशीर्वाद देता हुआ रूप है, जो हर एक इच्छा पूरी करता है
सिद्धिदात्री – माँ दुर्गा का यह नौंवा और आखिरी रूप मनुष्य को समस्त सिद्धियों से परिपूर्ण करता है।
नवरात्रि मे इन खास बातों का रखे ध्यान (Navratri Puja Vidhi)
नवरात्रि में सूर्योदय से पहले उठें और नहा लें। शांत रहने की कोशिश करें। झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें।
नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करें। यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन नहीं करना चाहिए।
नवरात्रि के व्रत-उपवास बीमार, बच्चों और बूढ़ों को नहीं करना चाहिए। क्यो��कि इनसे नियम पालन नहीं हो पाते हैं।
मन में किसी के लिए गलत भावनाएं न आने दें। अपनी इंद्रियों का काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें।
नवरात्रि मे बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं। नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं।
पूजा के संपूर्ण होने के बाद दुर्गा मां से अपनी गलतियों की माफी मांग कर पूजा संपन्न करें |
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Navratri 2021 Second day : Maa Brahmcharini | नवरात्र का दूसरा दिन : जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व
Navratri 2021 Second day : Maa Brahmcharini | नवरात्र का दूसरा दिन : जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर देवी की अपनी कहानी विशेष है। यह कहानियां मनुष्य को जीवन की कठिनाइयों से निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणी देती हैं। भक्त माता की पूजा करते हैं और नौ दिनों के कठिन व्रत रखते हैं। यह सकारात्मकता और समर्पण का त्योहार है। मां…
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#Mata Brahmcharini#Navratr 2021#Navratri Brahmcharini MAA#Navratri second day#नवरात्रि २०२०#नवरात्रि का महत्व#नवरात्रि की नौ देवियां#नवरात्रि के दिन वा देवियों के नाम#नौ देवियों के नाम व दिन
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Chaitra Navratri 2021 - Day2 - बुधवार के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा दिलाएगी जीवन की हर जगह सफलता
Chaitra Navratri 2021 – Day2 – बुधवार के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा दिलाएगी जीवन की हर जगह सफलता
maa brahmacharini ki puja kaise kare: मां ब्रह्मचारिणी को माता पार्वती का ही अविवाहित रूप : जानिये मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र व पौराणिक कथा चैत्र नवरात्रि 2021 ( Navratri ) के दूसरे दिन यानि बुधवार 14अप्रैल को देवी माता दुर्गाजी के द्वितीय स्वरूप यानि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा ( brahmacharini mata ki puja ) की जाएगी। देवी मां ( Goddess Durga ) का ये स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल…
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Navratri 2021 Mata Brahmacharini: आज घर−घर पूजी जायेगीं माँ ब्रह्मचारिणी, जानिए कौन है माँ ब्रह्मचारिणी, पूजा मंत्र, पूजा विधि और व्रत कथा|
Navratri 2021 Mata Brahmacharini: आज घर−घर पूजी जायेगीं माँ ब्रह्मचारिणी, जानिए कौन है माँ ब्रह्मचारिणी, पूजा मंत्र, पूजा विधि और व्रत कथा|
Navratri 2021 Mata Brahmacharini द्वारा- पंडित सूरज पाठक नया सवेरा/राजू श्रीवास्तव: Navratri 2021 Mata Brahmacharini: चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली…
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#Chaitra Navratri 2021#Chaitra Navratri 2021 Wishes#Happy Navratri#Maa Brahmacharini#Navratri 2021#Navratri 2021 Mata Brahmacharini#Navratri Celebration
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दूसरा दिन कैसे करे माता ब्रह्मचारिणी पूजा पाठ विधि विधान
दूसरा दिन कैसे करे माता ब्रह्मचारिणी पूजा पाठ विधि विधान
*वासंतिक नवरात्र द्वितीय दिवस माता ब्रह्मचारिणी* *विक्रम संवत 2078 द्वितीय दिवस बुधवार आदिशक्ति माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है l माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय की प्राप्ति होती है मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली है ,माता की भक्ति से व्यक्ति के अंदर तप की शक्ति त्याग सदाचार संयम और बैराग जैसे गुणों में वृद्धि होती है l**माता…
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Navratri 2021 Second day : Maa Brahmcharini | नवरात्र का दूसरा दिन : जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व
Navratri 2021 Second day : Maa Brahmcharini | नवरात्र का दूसरा दिन : जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर देवी की अपनी कहानी विशेष है। यह कहानियां मनुष्य को जीवन की कठिनाइयों से निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणी देती हैं। भक्त माता की पूजा करते हैं और नौ दिनों के कठिन व्रत रखते हैं। यह सकारात्मकता और समर्पण का त्योहार है। मां…
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नवरात्रि में साधना: काली, तारा से कमला तक देवी मां की स्वरूप हैं दस महाविद्याएं, इनकी साधना पूरे विधि-विधान से ही करनी चाहिए
नवरात्रि में साधना: काली, तारा से कमला तक देवी मां की स्वरूप हैं दस महाविद्याएं, इनकी साधना पूरे विधि-विधान से ही करनी चाहिए
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नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा जाती है। ये नौ स्वरूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। अलग-अलग दिनों में इनकी पूजा की जाती है। इनके अलावा देवी के विशेष साधक दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। इन महाविद्याओं की साधना अधूरे ज्ञान के साथ नहीं करना चाहिए, वरना पूजा का विपरीत फल भी मिल सकता है।
उज्ज…
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नवरात्री का चौथा दिन | 4th DAY OF NAVRATRI | NAVRATRI BHOG FOR 9 DAYS
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Navratri Festival Fourth Day Recipe
दुर्गा देवी का चौथे रात का अवतार ( 4thday of navratri ): माँ दुर्गा कूष्माण्डा (Maa Kushmanda)
नवरात्रि दिवस 4 माँ दुर्गा कूष्माण्डा ( 4th DAY OF NAVRATRI ): नवरात्रि में हर दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन माँ शैलपुत्री, दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और चौथे दिन माता कूष्माण्डा की पूजा की जाती है।
किस विधि से आपको दुर्गा माँ के इस चौथे स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। यह भी जानिए कि उन्हें क्या चढ़ाएं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कोनसी आरती करें।उनकी पूजा के दौरान विशेष आरती करें, आपको उत्तम फल की प्राप्ति होगी। चौथे दिन ( 4th DAY OF NAVRATRI ) माँ को मालपुए अर्पित करने से, मंदिर में ब्राह्मणों को दान करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय शक्ति बढ़ती है।
माँ दुर्गा के चौथे रूप का नाम कूष्मांडा है। अपनी मंद मुस्कान द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी का नाम दिया गया है। इसलिए, यह ब्रह्मांड और प्रारंभिक ऊर्जा की प्रारंभिक प्रकृति है। सूर्यलोक में उनका निवास है। उनके प्रकाश और उर्जा से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है।
संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हडे कहा जाता है। बलिदानों के बीच, कूड़े का बलिदान उन्हें सबसे प्रिय है। माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के सभी रोग और शो�� नष्ट हो जाते हैं। माँ कूष्माण्डा बहुत ही कम सेवा और भक्ति के साथ प्रसन्न ��ो जाती हैं। नवरात्रि पूजा के चौथे दिन, कूष्मांडा देवी के रूप की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में स्थित होता है।
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