#बैल बाजार
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cybergardenturtle · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व��यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी ��ि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
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mangesh1982 · 12 days ago
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#सन1513_में_काशीभंडारा
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस #miracles
#भंडारा #BhandaraInvitationToTheWorld #Bhandara #feast #langar #trending #photooftheday #kashi #banarasi #UP
#kabir #KabirisGod #SantRampalJiMaharaj
#SatlokAshram #trendingreels #trend
🥥आज से 511 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर ने तीन दिन "दिव्य धर्म यज्ञ" का आयोजन किया था। जिसमें 18 लाख से अधिक साधु, संतों व लोगों ने मोहन भंडारा किया था। वही इतिहास बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के सानिध्य में पुनः रचा जा रहा है। 14 से 16 नवंबर 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर अद्भुत जानकारी
परमात्मा कबीर जी केशव बंजारा(व्यापारी) रुप में नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में भर-भर कर पका पकाया भोजन अपने सतलोक से लेकर आए व एक लाख सेवादा�� भी साथ लाए। तथा काशी में दिव्य विशाल भंडारा कराया था।
🥥 क्या आप जानते हैं ?
आज से 511 साल पहले कबीर परमेश्वर ने तथाकथित धर्मगुरुओं के षड्यंत्र को विफल करते हुए, 18 लाख लोगों के भंडारे का आयोजन किया था।
आज उसी उपलक्ष्य में बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में, कई जगह पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
सन 1513 में 18 लाख लोगों को काशी में कबीर परमात्मा ने तीन दिन तक भोजन भंडारा कराया।
जिसमें 9 लाख बैल और एक लाख सेवादार सतलोक से आए थे। 9 लाख बैलों पर भंडारे की पूरी सामग्री लाए थे।
🥥511 वर्ष पूर्व जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने अठारह लाख साधु संतों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के नेतृत्व में 11 आश्रमों में 14 से 16 नवंबर 2024 तक "दिव्य धर्म यज्ञ" दिवस मनाया जा रहा है। जिसमें आप सभी देशवासी सहपरिवार आमंत्रित हैं।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर अद्भुत जानकारी
परमात्मा कबीर जी केशव बंजारा(व्यापारी) रुप में नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में भर-भर कर पका पकाया भोजन अपने सतलोक से लेकर आए व एक लाख सेवादार भी साथ लाए। तथा काशी में दिव्य विशाल भंडारा कराया था।
🥥 511 वर्ष पूर्व झूठे गुरुओं द्वारा ईर्ष्यावश कबीर साहिब जी को काशी से निकालने हेतु झूठा प्रचार किया कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे। जिससे 18 लाख लोग काशी में इकट्ठा हो गए, इस अवसर पर कबीर जी ने 18 लाख लोगों को मोहन भोजन कराया तथा लाखों लोगों को अपनी शरण में लिया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर विशेष जानकारी:-
काशी में कबीर परमेश्वर के विरोधी साधुओं-काजी-मुल्लाओं ने षड़यंत्र रचकर तीन दिवसीय भोजन-भंडारे(लंगर) के झूठे पत्र परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी की ओर से डाले थे। जिस कारण से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति भंडारा खाने आ गए थे। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी स्वयं दूसरा रुप केशव नाम के बंजारे का धारण करके नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में रखकर उनमें पका पकाया कई प्रकार मिठाई-भोजन के साथ कच्ची-सूखी सामग्री भी भरकर लाए तथा काशी नगर के चौपड़ के बाजार में विशाल भंडारा चला था।
🥥 झूठा प्रचार किया किसी मुरख ने, कबीर करें भंडारा।
दो रोटी का साधन न था, भेख जुड़ा अति भारा।।
511 वर्ष पूर्व झूठे गुरुओं द्वारा ईर्ष्यावश कबीर साहिब जी को काशी से निकालने हेतु झूठा प्रचार किया कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे। इस अवसर पर परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने 18 लाख लोगों को मोहन भोजन कराया तथा हजारों लोगों को अपनी शरण में लिया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिटठी बिन नाम।
गरीबदास मुक्ता तुलैं, धन्य केशौ बलि जांव।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी शहर में 3 दिन तक सभी संप्रदाय के 18 लाख लोगों को, बिना कोई चिठ्ठी - बिना कोई नाम भंडारा करवाया था। वैसे ही आज बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी लोगों के लिए 3 दिन तक भंडारे का आयोजन करवाया जा रहा है।
🥥अपरमपार पार गति तेरी, कित उतरी जल धारा।।
उस भंडारे(लंगर) में नौ लाख भोजन करने वालों को पानी भी मिट्टी के सकोरों में पिलाया जा रहा था जो उस समय प्रचलित थे। संत गरीबदास जी ने कहा है कि वह स्वच्छ पीने के पानी की धारा कहां से उतरी जो ऊपर से ट्यूबलवैल की तरह गिर रही थी। मटके भर-भरकर रखे जा रहे थे। उन्हीं से भण्डारे में पीने के लिए प्रयोग किया जा रहा था।
🥥 एक शेखतकी नाम के मुस्लिम पी�� ने झूठी चिट्ठी लिखकर 18 लाख ��ाधु संतों को आंमत्रण भिजवा दिया कि इस दिन कबीर सेठ भंडारा कराएंगे।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने सतलोक जाकर केशव बंजारा(व्यापारी) रुप बनाया फिर वहीं के हंसात्माओं(मनुष्यों) को बैल बनाकर खाने पीने का समान लादकर लाए और अद्भुत भंडारा कराया था।
🥥 परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी काशी में जब आए थे तो आम जनता की तरह जीवन व्यतीत करते थे।
शेख तकी ने ईर्ष्या वश कबीर साहेब जी की ओर से झूठी चिट्ठी सबके पास भिजवा दी। जिसमें 18 लाख साधु- संत लंगर खाने पहुंच गए, परमात्मा ने अपनी समर्थता दिखाते हुए, सतलोक पहुंचे और केशव नाम के बंजारे(व्यापारी-सौदागर) का रुप बनाया। वहीं से सभी प्रकार के पकवान लाए गए। नौ लाख बैलों में व एक लाख सेवादार भी वहीं से आए। फिर काशी में अद्भुत भंडारा चला।
🥥 विशाल भंडारा - "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" इस उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 14 से 16 नवंबर 2024 को विशाल भंडारा आयोजित किया जा रहा है जिस प्रकार 511 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दिव्य धर्म यज्ञ (विशाल भंडारा) 3 दिन तक किया था, 18 लाख श्रद्धालुओं को भोजन कराया था।
🥥केशो आया है बनजारा, काशी ल्याया माल अपारा।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
510 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी 18 लाख लोगों के लिए भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। इसी को "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है।
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baljeets-world · 12 days ago
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🌹"बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय"🌹
14-11-2024
🔥 *दिव्य धर्म यज्ञ दिवस सेवा* 🔥
*🌱Facebook सेवा🌱*
*🌼मालिक की दया से दिव्य धर्म यज्ञ दिवस से सम्बंधित Facebook पर सेवा करेंगे जी।*
"दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के बारे में लोगों को जानकारी देंगे।
सन 1513 में परमेश्वर कबीर जी द्वारा की गई काशी भंडारे वाली लीला का विवरण देना है।"
*टैग और कीवर्ड⤵️*
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📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक⤵️।*
⤵️
https://www.satsaheb.org/divya-dharm-yagya-diwas-hindi/
https://www.satsaheb.org/divya-dharm-yagya-diwas-english/
*⛳सेवा Points* ⤵
🥥आज से 511 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर ने तीन दिन "दिव्य धर्म यज्ञ" का आयोजन किया था। जिसमें 18 लाख से अधिक साधु, संतों व लोगों ने मोहन भंडारा किया था। वही इतिहास बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के सानिध्य में पुनः रचा जा रहा है। 14 से 16 नवंबर 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर अद्भुत जानकारी
परमात्मा कबीर जी केशव बंजारा(व्यापारी) रुप में नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में भर-भर कर पका पकाया भोजन अपने सतलोक से लेकर आए व एक लाख सेवादार भी साथ लाए। तथा काशी में दिव्य विशाल भंडारा कराया था।
🥥 क्या आप जानते हैं ?
आज से 511 साल पहले कबीर परमेश्वर ने तथाकथित धर्मगुरुओं के षड्यंत्र को विफल करते हुए, 18 लाख लोगों के भंडारे का आयोजन किया था।
आज उसी उपलक्ष्य में बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में, कई जगह पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
सन 1513 में 18 लाख लोगों को काशी में कबीर परमात्मा ने तीन दिन तक भोजन भंडारा कराया।
जिसमें 9 लाख बैल और एक लाख सेवादार सतलोक से आए थे। 9 लाख बैलों पर भंडारे की पूरी सामग्री लाए थे।
🥥511 वर्ष पूर्व जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने अठारह लाख साधु संतों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के नेतृत्व में 11 आश्रमों में 14 से 16 नवंबर 2024 तक "दिव्य धर्म यज्ञ" दिवस मनाया जा रहा है। जिसमें आप सभी देशवासी सहपरिवार आमंत्रित हैं।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर अद्भुत जानकारी
परमात्मा कबीर जी केशव बंजारा(व्यापारी) रुप में नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में भर-भर कर पका पकाया भोजन अपने सतलोक से लेकर आए व एक लाख सेवादार भी साथ लाए। तथा काशी में दिव्य विशाल भंडारा कराया था।
🥥 511 वर्ष पूर्व झूठे गुरुओं द्वारा ईर्ष्यावश कबीर साहिब जी को काशी से निकालने हेतु झूठा प्रचार किया कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे। जिससे 18 लाख लोग काशी में इकट्ठा हो गए, इस अवसर पर कबीर जी ने 18 लाख लोगों को मोहन भोजन कराया तथा लाखों लोगों को अपनी शरण में लिया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर विशेष जानकारी:-
काशी में कबीर परमेश्वर के विरोधी साधुओं-काजी-मुल्लाओं ने षड़यंत्र रचकर तीन दिवसीय भोजन-भंडारे(लंगर) के झूठे पत्र परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी की ओर से डाले थे। जिस कारण से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति भंडारा खाने आ गए थे। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी स्वयं दूसरा रुप केशव नाम के बंजारे का धारण करके नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में रखकर उनमें पका पकाया कई प्रकार मिठाई-भोजन के साथ कच्ची-सूखी सामग्री भी भरकर लाए तथा काशी नगर के चौपड़ के बाजार में विशाल भंडारा चला था।
🥥 झूठा प्रचार किया किसी मुरख ने, कबीर करें भंडारा।
दो रोटी का साधन न था, भेख जुड़ा अति भारा।।
511 वर्ष पूर्व झूठे गुरुओं द्वारा ईर्ष्यावश कबीर साहिब जी को काशी से निकालने हेतु झूठा प्रचार किया कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे। इस अवसर पर परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने 18 लाख लोगों को मोहन भोजन कराया तथा हजारों लोगों को अपनी शरण में लिया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिटठी बिन नाम।
गरीबदास मुक्ता तुलैं, धन्य केशौ बलि जांव।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी शहर में 3 दिन तक सभी संप्रदाय के 18 लाख लोगों को, बिना कोई चिठ्ठी - बिना कोई नाम भंडारा करवाया था। वैसे ही आज बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी लोगों के लिए 3 दिन तक भंडारे का आयोजन करवाया जा रहा है।
🥥अपरमपार पार गति तेरी, कित उतरी जल धारा।।
उस भंडारे(लंगर) में नौ लाख भोजन करने वालों को पानी भी मिट्टी के सकोरों में पिलाया जा रहा था जो उस समय प्रचलित थे। संत गरीबदास जी ने कहा है कि वह स्वच्छ पीने के पानी की धारा कहां से उतरी जो ऊपर से ट्यूबलवैल की तरह गिर रही थी। मटके भर-भरकर रखे जा रहे थे। उन्हीं से भण्डारे में पीने के लिए प्रयोग किया जा रहा था।
🥥 एक शेखतकी नाम के मुस्लिम पीर ने झूठी चिट्ठी लिखकर 18 लाख साधु संतों को आंमत्रण भिजवा दिया कि इस दिन कबीर सेठ भंडारा कराएंगे।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने सतलोक जाकर केशव बंजारा(व्यापारी) रुप बनाया फिर वहीं के हंसात्माओं(मनुष्यों) को बैल बनाकर खाने पीने का समान लादकर लाए और अद्भुत भंडारा कराया था।
🥥 परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी काशी में जब आए थ��� तो आम जनता की तरह जीवन व्यतीत करते थे।
शेख तकी ने ईर्ष्या वश कबीर साहेब जी की ओर से झूठी चिट्ठी सबके पास भिजवा दी। जिसमें 18 लाख साधु- संत लंगर खाने पहुंच गए, परमात्मा ने अपनी समर्थता दिखाते हुए, सतलोक पहुंचे और केशव नाम के बंजारे(व्यापारी-सौदागर) का रुप बनाया। वहीं से सभी प्रकार के पकवान लाए गए। नौ लाख बैलों में व एक लाख सेवादार भी वहीं से आए। फिर काशी में अद्भुत भंडारा चला।
🥥 विशाल भंडारा - "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" इस उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 14 से 16 नवंबर 2024 को विशाल भंडारा आयोजित किया जा रहा है जिस प्रकार 511 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दिव्य धर्म यज्ञ (विशाल भंडारा) 3 दिन तक किया था, 18 लाख श्रद्धालुओं को भोजन कराया था।
🥥केशो आया है बनजारा, काशी ल्याया माल अपारा।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
510 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी 18 लाख लोगों के लिए भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। इसी को "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है।
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narmadanchal · 5 months ago
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इटारसी में 40 हजार वर्गफीट एरिया में महानगरीय चौपाटी की तरह सर्वसुविधायुक्त बनेगी चौपाटी
पीएम स्ट्रीट वेंडर योजना के तहत 57 लाख रुपये लागत से बन रही चौपाटी नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे ने किया भूमिपूजन इटारसी। अच्छे व्यंजन खाने की शौकीन नागरिकों के लिए सुरक्षा के साथ ही स्वच्छ चौपाटी जल्दी ही मिलने वाली है। इटारसी शहर के वार्ड 11 में आने वाले बैल बाजार में नगरपालिका परिषद इटारसी महानगरीय चौपाटियों की तर्ज पर सर्वसुविधायुक्त चौपाटी बना रही है। आज नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे ने परिषद…
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airnews-arngbad · 8 months ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 12 April 2024
Time 7.10 AM to 7.20 AM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक १२ एप्रिल २०२४ सकाळी ७.१० मि.
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लोकसभा निवडणुकीच्या तिसऱ्या टप्प्याची अधिसूचना आज जारी होणार; उस्मानाबाद आणि लातूरसह राज्यातल्या अकरा मतदारसंघांचा समावेश
पहिल्या तसंच दुसऱ्या टप्प्यातल्या निवडणुकीसाठी राजकीय पक्षांकडून प्रचाराला वेग
मराठवाड्याच्या बहुतांश भागात गारपिटीसह अवकाळी पाऊस; परभणीत वीज पडून दोन ठार
आणि
ईद-उल-फित्र अर्थात रमजान ईद सर्वत्र उत्साहात साजरी; ईदमिलन कार्यक्रमांना प्रारंभ
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लोकसभा निवडणुकीच्या तिसऱ्या टप्प्याची अधिसूचना आज जारी होणार आहे. या टप्प्यात १० राज्यांमधल्या ९४ मतदार संघांचा समावेश आहे. या टप्प्यात महाराष्ट्रातल्या उस्मानाबाद, लातूर, रायगड, बारामती, सोलापूर, माढा, सांगली, सातारा, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, कोल्हापूर आणि हातकणंगले या अकरा मतदारसंघांचा समावेश आहे.
या मतदारसंघात आजपासून १९ एप्रिलपर्यंत अर्ज भरता येतील. २० एप्रिलला अर्जांची छाननी होईल, २२ एप्रिल ही अर्ज मागे घेण्याची शेवटची तारीख असून ७ मे रोजी मतदान होणार आहे.
उस्मानाबाद लोकसभा मतदारसंघात काल नामनिर्देशनपत्राच्या अनुषंगाने प्रात्यक्षिक सादरी���रण करण्यात आलं. यावेळी जिल्हाधिकारी डॉ सचिन ओंबासे, पोलीस अधीक्षक अतुल कुलकर्णी उपस्थित होते.
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लोकसभा निवडणुकीच्या पहिल्या आणि दुसऱ्या टप्प्यातल्या प्रचाराला आता वेग आला आहे. राज्यभरात सर्वच पक्षांच्या दिग्गज नेत्यांच्या प्रचारसभा होत आहेत.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यांची महाराष्ट्रातली पहिली सभा काल भाजपा उमेदवार प्रताप पाटील चिखलीकर यांच्या प्रचारासाठी नांदेड जिल्ह्यात नरसी इथं झाली. राज्यातले शेतकरी, युवा, महिला या सगळ्यांचा विकास फक्त पंतप्रधान नरेंद्र मोदीच करू शकतात, असं शहा यावेळी म्हणाले. राज्यातल्या विकासकामांचा त्यांनी आढावा घेतला. हिंगोली इथले महायुतीचे उमेदवार बाबुराव कदम यांच्या प्रचारार्थ शिवसेना नेते अभिनेता गोविंदा यांनी प्रचार फेरी काढली.
बहुजन समाज पार्टीच्या अध्यक्ष मायावती यांनी पूर्व विदर्भातल्या उमेदवारांच्या प्रचारासाठी नागपुरात सभा घेतली, यावेळी त्यांनी काँग्रेस तसंच भाजपवर टीका केली.
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उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी गडचिरोली जिल्ह्यात आलापल्ली इथं उमेदवार अशोक नेते यांच्या समर्थनासाठी सभा घेतली. वंचित बहुजन आघाडीचे अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर यांनी यवतमाळच्या वणी इथं चंद्रपूर-आर्णी मतदारसंघाचे उमेदवार राजेश बेले यांच्यासाठी प्रचारसभा घेतली. दरम्यान वंचित बहुजन आघाडीने काल दहा उमेदवारांची पाचवी यादी जाहीर केली.
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कोणताही राजकीय पक्ष, निवडणूक उमेदवार, इतर कोणतीही संस्था किंवा व्यक्तींनी मतदानाच्या एक दिवस आधी आणि मतदानाच्या दिवशी राजकीय जाहिरातींचं राज्य आणि जिल्हास्तरावरील माध्यम पूर्व प्रमाणीकरण समितीकडून प्रमाणीकरण करुन घेणं बंधनकारक आहे. पूर्व प्रमाणित केल्याशिवाय कोणतीही जाहिरात मुद्रित माध्यमांमध्ये प्रकाशित करु नये, असे निर्देश निवडणूक आयोगानं दिले आहेत.
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मतदानासाठी मतदार ओळखपत्राव्यतिरिक्त इतर १२ प्रकारचे पुरावे ग्राह्य धरले जातात, या पुराव्यांमध्ये आधार कार्ड, बँक पासबुक, वाहन चालक परवाना, पॅन कार्ड, आपापल्या आस्थापनेचं छायाचित्रसह ओळखपत्र, पारपत्र, आदी पुराव्यांचा समावेश आहे. याशिवाय सर्व मतदारांना मतदानाच्या किमान पाच दिवस आधी माहितीच्या चिठ्ठ्यांचं निवडणूक कार्यालयाकडून वितरण केलं जातं. मतदारांनी मतदानासाठी जाताना, छायाचित्रासह ओळखपत्र आणि माहितीची चिठ्ठी सोबत ठेवण्याचं आवाहन, निवडणूक अधिकारी कार्यालयानं केलं आहे.
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लोकसभा निवडणुकीच्या पार्श्वभूम���वर ‘लोकनिर्णय महाराष्ट्राचा’ हा कार्यक्रम, आकाशवाणीनं सुरू केला आहे. कार्यक्रमाच्या आजच्या भागात आपण वर्धा लोकसभा मतदार संघाचा आढावा ऐकणार आहोत. संध्याकाळी सव्वा सात वाजता हा कार्यक्रम आपल्याला ऐकता येईल.
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मराठवाड्यात काल बहुतांश भागात गारपिटीसह अवकाळी पाऊस झाला. परभणी जिल्ह्यात गंगाखेड तालुक्यात इळेगाव इथले बाबू शेळके आणि सोनपेठ तालुक्यात हरिबाई सुरनर यांचा अंगावर वीज पडून मृत्यू झाला तर वीज पडल्यानं एक बैल आणि एक शेळी देखील दगावल्याचं वृत्त आहे.
जालना जिल्ह्यात जालन्यासह, बदनापूर आणि भोकरदन तालुक्यात बहुतांश भागात काल सायंकाळी विजांचा कडकडाट आणि वादळी वाऱ्यासह पावसानं हजेरी लावली. भोकरदन तालुक्यात सिपोरा बाजार, लिंगेवाडी, दावतपूर भागात गारांचा पाऊस झाल्यानं, फळबागांना फटका बसला तर काही ठिकाणी घरांवरील पत्रे उडाले.
छत्रपती संभाजीनगर जिल्ह्यात सिल्लोड, कन्नड, सोयगाव तालुक्यात वादळी वाऱ्यासह गारपीट झाली, यात उन्हाळी मिरची तसंच काढणीला आलेल्या ज्वारी, बाजरी, मका पीक आणि फळबागांचं मोठं नुकसान झालं. कन्नड तालुक्यात जामडी इथं आणि सोयगाव तालुक्यात निमखेडी इथं वीज कोसळून दोन गायी दगावल्याचं वृत्त आहे.
लातूर जिल्ह्यात काल दुपारी दोन तास वादळी वाऱ्यासह पाऊस झाला. बीड जिल्ह्यात काल दुपारनंतर गारपिटीसह अवकाळी पाऊस झाला. सुमारे दोन तास चाललेल्या या पावसामुळे धारुर तालुक्यातल्या लेढी नदीला पूर आला.
हिंगोली जिल्ह्यात हिंगोली तसंच कळमनुरी तालुक्यात काल वादळी वाऱ्यासह गारपीट झाली.
धाराशिव शहर आणि परिसरातही काल संध्याकाळच्या सुमारास अवकाळी पाऊस झाला. या पावसाचा आंबा पिकं तसंच ज्वारी, हरभरा काढणीवर परिणाम झाल्याची भीती वर्तवण्यात येत आहे.
दरम्यान, हवामान विभागाने राज्यात आजपासून तीन दिवसांकरता पावसाचा ऑरेंज अलर्ट जारी केला आहे. या काळात ताशी ५० किलोमीटर वेगाने सोसाट्याचे वारे वाहतील, तसंच तुरळक ठिकाणी विजांच्या कडकटासह वादळी पाऊस पडेल, अशी शक्यता वेधशाळेनं वर्तवली आहे.
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ईद-उल-फित्र अर्थात रमजान ईद काल सर्वत्र उत्साहात साजरी झाली. छत्रपती संभाजीनगर शहरात छावणी इथल्या ईदगाह मैदानासह ठिकठिकाणच्या मशिदींमध्ये नमाज अदा करण्यात आली.
परभणी शहरात जिंतूर रोड परिसरातल्या ईदगाह मैदानावर सामूहिक नमाज पठण करण्यात आलं.
बीड शहरात दोन ईदगाह आणि १३ मशिदींमध्ये सामुदायिक नमाज पठण करण्यात आलं. यावेळी विश्वशांती तसंच जिल्ह्यातली दुष्काळी स्थिती निवारणासाठी प्रार्थना करण्यात आली.
हिंगोलीतही ईद-उल-फित्र निमित्त मुस्लिम बांधवांनी सामुहिक नमाज पठण करून उत्साहात रमजान ईद साजरी केली. जालना शहरातल्या जुना जालन्यातल्या कदीम ईदगाह आणि नवी�� जालन्यातल्या सदर बाजार ईदगाह मैदानावर सामुहिक नमाज अदा करण्यात आली.
लातूर, नांदेड, धाराशिवसह मराठवाड्यात सर्वत्र रमजान ईद उत्साहात साजरी झाली, सामुहिक नमाज पठणानंतर सर्वांनी परस्परांना ईदच्या शुभेच्छा दिल्या. ईदमिलन कार्यक्रमांनाही कालपासून प्रारंभ झाल्याचं दिसून येत आहे.
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थोर समाजसुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले यांच्या जयंतीनिमित्त काल त्यांना सर्वत्र अभिवादन करण्यात आलं.
छत्रपती संभाजीनगर शहरात औरंगपुरा परिसरातल्या महात्मा फुले आणि सावित्रीबाई फुले यांच्या पुतळ्यास विविध राजकीय, सामाजिक, शैक्षणिक क्षेत्रातल्या मान्यवरांनी पुष्पहार अर्पण करून अभिवादन केलं.
नांदेड इथं स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विद्यापीठात कुलगुरू डॉ. मनोहर चासकर यांनी महात्मा फुले यांच्या प्रतिमेस पुष्पहार अर्पण करून अभिवादन केलं.
बीड जिल्हाधिकारी कार्यालयात जिल्हा प्रशासनाच्यावतीनं महात्मा ज्योतिबा फुले यांच्या प्रतिमेला पुष्प अर्पण करून त्यांना अभिवादन करण्यात आलं.
जालना शहरासह जिल्ह्यात महात्मा ज्योतिबा फुले यांची जयंती विविध उपक्रमांनी उत्साहात साजरी करण्यात आली. परभणी शहरात जिल्हा परिषद परिसरातल्या महात्मा फुले यांच्या पुतळ्याला अभिवादन करण्यासाठी नागरीकांनी गर्दी केली होती. याठिकाणी लोकसभा ��िवडणुकीत मतदान करण्यासंबंधी सेल्फी पॉईंट उभारण्यात आले होते.
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हिंगोली जिल्ह्यात कळमनुरी विधानसभा मतदारसंघातल्या दिव्यांग, ८५ वर्षावरच्या आणि अत्यावशक सेवेतल्या २६४ मतदारांच्या मतदानासाठी विशेष सोय करण्यात येणार आहे. १४ आणि १५ एप्रिल रोजी हे पथक संबधित मतदारांच्या घरी जाऊऩ त्यांचं मतदान करून घेणार आहे.
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लोकसभा निवडणुकीच्या अनुषंगाने बीड मतदार संघातल्या मतदान यंत्रांचं काल विधानसभा निहाय वाटप करण्याची प्रक्रिया सुरू करण्यात आली. वखार महामंडळाच्या गोदामामध्ये जिल्हादंडाधिकारी दीपा मुधोळ मुंडे यांच्या उपस्थितीत ही प्रक्रिया सुरू आहे.
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छत्रपती संभाजी नगर इथं दत्ताजी भाले स्मृती समितीच्या वतीने उभारलेल्या 'समर्पण' या वास्तूचं लोकार्पण काल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघाचे सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत यांच्या हस्ते झालं.
सातारा परिसरात एक एकर भूखंडावर उभारलेल्या या वास्तूत संघाच्या संपर्क कार्यालयासह गरजू विद्यार्थ्यांना निवास, स्पर्धा परीक्षा मार्गदर्शन, स्वयंरोजगार, ग्रामविकास, सेंद्रिय शेती प्रशिक्षण, व्यक्तिमत्त्व विकास, योगाभ्यास आदी प्रशिक्षण तसंच मार्गदर्शन उपलब्ध होणार आहे.
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लातूर - बीड महामार्गावर रेणापूर तालुक्यात कोळगाव तांडा इथं कारच्या भीषण अपघातात पिता-पुत्राचा जागीच मृत्यू झाला, तर चार जण जखमी झाले. लातूर इथलं कनाडे कुटुंब देवदर्शन करुन परतत असताना काल पहा��े हा अपघात झाला. जखमींना लातूर इथल्या खासगी रुग्णालयात दाखल करण्यात आलं आहे.
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छत्रपती संभाजीनगर इथं काल दोन तरुणांचा विहिरीत बुडून मृत्यू झाला. सातारा परिसरात काल सायंकाळच्या सुमारास ही दुर्घटना घडली. पोहण्यासाठी विहिरीत उतरलेल्या चार तरुणांपैकी एक जण बुडत असतांना, त्याला वाचवण्याच्या प्रयत्नात दुसऱ्याचाही बुडून मृत्यू झाला. सचिन काळे आणि वैभव मोरे अशी या दोघांची नावं आहेत.
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mangeram8445 · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और  पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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pawankumar1976 · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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26-27-28 नवंबर 2023
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rukabir1 · 1 year ago
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: 🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: 🦋परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी का काशी का दिव्य भंडारा🦋
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी, जिन्हें आम समाज एक कवि, संत मानता है, कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे, वे 120 वर्ष तक रहे और अंत समय मगहर से सशरीर सतलोक गमन किया।
“गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बन्दी छोड़ कहाय।
सो तौ एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।”
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी, अज्ञान में सोए मानव समाज को जगाने के लिए और पूर्ण मोक्ष प्रदान करने के लिए, हर युग में लीला करने आते हैं और अपनी महिमा का ज्ञान स्वयं ही कराते हैं। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी की बढ़ती महिमा को देखकर उस समय के धर्मगुरु उनसे ईर्ष्या करने लगते हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के आशीर्वाद मात्र से दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी का जलन का रोग ठीक हो गया था और सिकंदर लोधी कबीर परमेश्वर के शिष्य बन गए थे जिससे मुस्लिम पीर शेखतकी आग बबूला हो गया।
“झूठा प्रचार किया किसी मूरख ने, कबीर करे भंडारा। दो रोटी का साधन ना था, वहां भेख जुड़ा अति भारा।।
बण आया केशो बणजारा, ये होता हिमाती है।”
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी को बदनाम करने के उद्देश्य से पाखण्डी पंडितों, काजी, मौलवियों ने शेखतकी के नेतृत्व में षड्यंत्र करके कबीर परमात्मा के नाम से झूठी चिट्ठी बंटवा दी कि कबीर जी विशाल भंडारा कर रहे हैं, साथ में सोने का सिक्का तथा रियासती कम्बल भी बांटेंगे।
कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ��े नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
सकल संप्रदा त्रिपती, तीन दिन जौंनार।
गरीबदास षट दर्शनं, सीधे गंज अपार।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
धरती उपर तम्बू ताने, चौपड़ के बैजारा।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी में तीन दिन का विशाल भंडारा किया (जग जौनार)। नौ लाख बैलों पर बोरे रखकर सतलोक से भण्डारे की सामग्री आयी।
केशव और कबीर जित, मिलत भये तहां एक।
दास गरीब कबीर हरी, धरते नाना भेख।।
बनजारे और बैल सब, लाए थे भर माल।
गरीबदास सत्यलोक कूं, चले गये ततकाल।।
भण्डारे के बाद केशव जी कबीर साहेब में समा गये। सर्व सेवादार बंजारे और बैल सतलोक चले गये। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अनेकों लीलाएं करते हैं।
जब भंडारे को देखकर परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी की जय-जयकार होने लगी तो शेख तकी ने उसे महौछा कहा।
संत गरीबदास जी ने उस भण्डारे के विषय में जिसकी जैसी विचारधारा थी, वह बताई-
गरीब, कोई कहे जग जौनार करी है, कोई कहे महौछा। बड़े बड़ाई कर्या करें, गाली काढ़ै औछा।।
भावार्थ है कि जो भले पुरूष थे, वे तो बड़ाई कर रहे थे कि जग जौनार करी है। जो विरोधी थे, ईर्ष्यावश कह रहे थे कि क्या खाक भण्डारा किया है, यह तो महौछा-सा किया है। जब शेखतकी ने ये वचन कहे तो गूंगा तथा बहरा हो गया, शेष जीवन पशु की तरह जीया। अन्य के लिए उदाहरण बना कि अपनी ताकत का दुरूपयोग करना अपराध होता है, उसका भयंकर फल भोगना पड़ता है।
केशव आन भया बनजारा षट्दल किन्ही हाँस है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी स्वयं आकर (आन) केशव बनजारा बने। षट्दल कहते हैं गिरी-पुरी, नागा-नाथ, वैष्णों, सन्यासी, शैव आदि छः पंथों के व्यक्तियों को जिन्होंने हँसी-मजाक करके चिट्ठी डाली थी।
परमात्मा ने यह सिद्ध किया है कि भक्त सच्चे दिल से मेरे पर विश्वास करके चलता है तो मैं उसकी ऐसे सहायता करता हूँ।
जब परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी कुटिया से बाहर हाथी पर बैठने के लिए आए तो आकाश से फूल बरसने लगे और कबीर परमात्मा के सिर के ऊपर अपने आप मनोहर मुकुट आकर सुशोभित हो गया और केशो बंजारा के टेन्ट में आकर विराजमान हो गए। जहाँ अठारह लाख व्यक्ति ठहरे थे। भंडारे वाले स्थान पर सभी परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी की जय बोल रहे थे और कह रहे थे जय हो कबीर सेठ की, जैसा लिखा था वैसा ही भंडारा कराया है। ऐसी व्यवस्था कहीं देखी ना सुनी। ऐसा कार्य सिर्फ पूर्ण परमेश्वर ही कर सकते हैं। भोजन खाने का स्थान लंबा-चौड़ा था।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी को देखने के लिए सब साधु-स��त आकर चारों ओर बैठ गए ��� परमात्मा कबीर जी ने अपने केशव रूप के साथ (आठ पहर) चौबीस घंटे लगातार आध्यात्मिक गोष्ठी की, तत्वज्ञान सुनाया। लगभग दस लाख उन भ्रमित साधुओं के शिष्यों ने कबीर जी से दीक्षा ली और जीवन सफल किया।
‘‘एक अन्य करिश्मा जो उस भण्डारे में हुआ’’ वह जीमनवार (लंगर) तीन दिन तक चला था। दिन में प्रत्येक व्यक्ति कम से कम दो बार भोजन खाता था। कुछ तो तीन-चार बार भी खाते थे क्योंकि प्रत्येक भोजन के पश्चात् दक्षिणा में एक मोहर (10 ग्राम सोना) और एक दोहर (कीमती सूती शाॅल) दिया जा रहा था। इस लालच में बार-बार भोजन खाते थे। तीन दिन तक 18 लाख व्यक्ति शौच तथा पेशाब करके काशी के चारों ओर ढे़र लगा देते। काशी को सड़ा देते। काशी निवासियों तथा उन 18 लाख अतिथियों तथा एक लाख सेवादार जो सतलोक से आए थे। उस गंद का ढ़ेर लग जाता, श्वांस लेना दूभर हो जाता, परंतु ऐसा महसूस ही नहीं हुआ। सब दिन में दो-तीन बार भोजन खा रहे थे, परंतु शौच एक बार भी नहीं जा रहे थे, न पेशाब कर रहे थे।
सतलोक से आए सेवकों को समस्या बताई तो उन्होंने कहा कि यह भोजन ऐसी जड़ी-बूटियां डालकर बनाया है जिनसे यह शरीर में ही समा जाएगा। हम तो प्रतिदिन यही भोजन अपने लंगर में बनाते हैं, यही खाते हैं। हम कभी शौच नहीं जाते तथा न पेशाब करते हैं। आप निश्चिंत रहो।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे" का आयोजन किया जा रहा है। 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भण्डारे के साथ आदरणीय गरीबदास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन होगा। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारा भी चलता है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती है। भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है। भंडारे से वर्षा होती है। पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है और पुण्य मिलता है।धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
सर्वप्रथम पूर्ण परमात्मा को हलवा, बूंदी, जलेबी, रोटी, पूरी, सब्जी आदि-आदि पकवान का भोग लगाकर, जिससे‌ भोजन पवित्र प्रसाद बन‌ जाता है, भंडारा करवाया जाता है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं। बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: 🌈काशी का अद्भुत भंडारा🌈
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी बहुत सी लीलाएं करके चले गए। कबीर साहेब की लीलाओं का जिक्र कबीर सागर में भी मिलता है। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के 64 लाख शिष्य थे।
शेखतकी सब मुसलमानों का मुख्य पीर (गुरू) था जो परमात्मा कबीर जी से पहले से ईर्ष्या रखता था। सर्व ब्राह्मणों तथा मुल्ला-काजियों व शेखतकी ने षड़यंत्र के तहत एक योजना बनाई कि कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से एक झूठा पत्र भेज दो कि कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। उनका पूरा पता है कबीर पुत्र नूरअली अंसारी, जुलाहों वाली कॉलोनी, काशी शहर। कबीर जी तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। और परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के नाम पर झूठी चिठ्ठी मानव समाज में भेज दी।
और इसी के चलते प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले क�� एक दोहर (जो उस समय का सबसे कीमती कम्बल के स्थान पर माना जाता था), एक मोहर (10 ग्राम स्वर्ण से बनी गोलाकार की मोहर) दक्षिणा में देगें। प्रतिदिन जो जितनी बार भी भोजन करेगा, कबीर जी उसको उतनी बार ही दोहर तथा मोहर दान करेगे। भोजन में लड्डू, जलेबी, हलवा, खीर, दही बड़े, माल पूडे़, रसगुल्ले आदि-2 सब मिष्ठान खाने को मिलेंगे। सुखा सीधा (आटा, चावल, दाल आदि सूखे जो बिना पकाए हुए, घी-बूरा) भी दिया जाएगा। 
परमात्मा कबीर साहेब जी अपना दूसरा रूप बनाकर सतलोक पहुँचे वहा से पका पकाया भोजन नौ लाख बेलो पर रखकर काशी उस पावन धरती पर उतरे जहाँ विशाल भंडारा शुरू किया जा रहा था कबीर साहेब जी अपना दूसरा रूप बनाकर केशो नाम रखकर एक टेन्ट में विराजमान हो गए और भंडारा शुरू कर दिया एक दिन के 18 लाख व्यक्तियों को वह मोहन भोजन करवाया (जिसमे भोजन में लड्डू, जलेबी, हलवा, खीर, दही बड़े, माल पूडे़, रसगुल्ले आदि-2)और प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (जो उस समय का सबसे कीमती कम्बल के स्थान पर माना जाता था), एक मोहर (10 ग्राम स्वर्ण से बनी गोलाकार की मोहर) दक्षिणा में दी जा रही थी।
ऐसे भण्डारे करने से पाँचों यज्ञ पूरी होती है। जिसे
प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। और समय-समय पर बारिश होती है पृथ्वी पर हाहाकार समाप्त होती है। प्रत्येक व्यक्ति सुखी जीवन जीता है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती है। भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है। भंडारे से वर्षा होती है। वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है और पुण्य मिलता है।
सर्वप्रथम पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर भोजन भंडारा करवाया जाना‌ जिससे‌ भोजन पवित्र प्रसाद बन‌ जाता है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते है।प्रमाण:- (गीता अ-3, श्लोक-13)।
आज वर्तमान समय में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज ऐसे विशाल भंडारे का आयोजन कर रहे हैं जिसमें सभी धार्मिक अनुष्ठान पांचों यज्ञ का भी प्रावधान किया जाएगा।
अमूमन देखा गया है कि अन्य संतो के भंडारों में पूडी, सब्जी खिला कर आने वाले श्रद्धालुओं को फारिग किया जाता है वहीं संत रामपाल जी महाराज जो विशाल भंडारे आयोजित करते है उसमें देशी घी से निर्मित लड्डू जलेबी व अन्य पकवान खिलाये जाते है जिसके लिए कोई पर्ची नहीं काटी जाती साथ ही जाते समय प्रसाद घर के लिए दिया जाता है यह कोई आम बात नहीं क्योंकि उनके प्रत्येक भंडारे में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है और यह सिर्फ एक जगह ही नहीं की जगहों पर एकसाथ आयोजित होता है ।
आगामी 26-28 नवम्बर को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज ��ी के सानिध्य में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। यह समागम 10 जगहों पर आयोजित किया है जिसमें पूरे विश्व को सादर निमंत्रण है।
यह सिर्फ पूर्ण संत ही कर सकता है।
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: *🔮काशी का विशाल और अद्भुत निशुल्क भंडारा🔮*
वह परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जो पूर्ण परमात्मा है। आज से 626 वर्ष पहले भारत की इस पवित्र धरती काशी नगरी में आये और अनेकों आश्चर्यजनक तथा अद्भुत लीलाएं करके वापस अपने लोक को चले गए। उस समय कबीर परमेश्वर के 64 लाख शिष्य थे।
उस समय मुसलमानों का धार्मिक गुरु शेखतकी पीर था। जो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के सत्य ज्ञान और उनकी बढ़ती महिमा के कारण कबीर परमेश्वर से बहुत ईष्या करता था। और ईर्ष्यावश शेखतकी ने परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी को नीचा दिखाने तथा जान से मारने के उद्देश्य से बहुत कोशिश की थी। जिसे 52 बदमाशी कहते हैं। एक बार शेखतकी ने सर्व ब्राह्मणों तथा मुल्ला-काजीयों, मुसलमानों को साथ लेकर एक षड्यंत्र रचा। कबीर परमेश्वर कपड़ा बुनने का कार्य करते थे। जिसमें ज्यादा आमदनी नहीं होती थी। इसलिए शेखतकी ने सोचा कि कबीर साहेब निर्धन व्यक्ति हैं। इसके नाम से चारों तरफ दूर दूर तक एक झूठी चिठ्ठी भेज दो कि, कबीर जी काशी में बहुत बड़ा भंडारा कर रहे हैं। जिसमें सात प्रकार की मिठाई (हलवा, खीर, पूरी, लड्डू, जलेबी, दहीबड़े, मालपूडे आदि बनेगी। और
प्रत्येक बार भोजन करने पर भोजन के बाद एक दोहर (उस समय का सबसे किमती कंबल) और एक मोहर (10 ग्राम का सोने का सिक्का) दक्षिणा में देगा। साथ ही जो व्यक्ति भंडारे में नहीं आ सकते उनके लिए सूखा सीधा (सूखा सामान आटा, चावल, दाल, घी- बूरा)आदि दिया जाएगा। उनका पूरा पता है - कबीर पुत्र नूरअली अंसारी, जुलाहों वाली कॉलोनी, काशी शहर। भंडारे में सर्व साधु संत आमंत्रित हैं।
पत्र में दी गई तिथि के दिन निश्चित समय पर काशी में 18 लाख लोग एकत्रित हो गए। साधु, संत, नगरवासी आदि। उसी समय कबीर परमेश्वर ने अपना दुसरा रुप बनाकर सतलोक पहुंचे और वहां से पका- पकाया भोजन नौ लाख बेलो पर रखकर स्वयं केशो रुप बनाकर एक पलक में काशी में उतरे। काशी में तंबू (टेंट) लगाए और पांच रंग के झंडे लगाए। और तीन दिन तक भंडारा किया। प्रत्येक दिन 18 लाख लोग भोजन कर रहे थे। भंडारे में कोई भी खाना खाओ, चिठ्ठी वाले भी और बिना चिठ्ठी वाले भी। दिन में जब चाहे तब भोजन खाओ। कोई रोक टोक नहीं थी। उसी भंडारे में कबीर परमेश्वर और उनके दुसरे रुप केशव बंजारे ने आपस में सत्संग के दौरान ज्ञान चर्चा करके लोगों को शास्त्र अनुसार सत्य ज्ञान से परिचित कराया। हज़ारों लोगों ने कबीर परमेश्वर से दीक्षा ली।
"भंडारे में एक करिश्मा"
तीन दिन के भंडारे में प्रत्येक दिन 18 लाख लोग भोजन कर रहे थे। दिन में प्रत्येक व्यक्ति कम से कम दो बार और कुछ तीन से चार बार भी भोजन खा रहे थे, क्योंकि प्रत्येक भोजन के बाद एक कंबल और सोने का सिक्का दिया जा रहा था, इस लालच में। तीन दिन तक 18 लाख लोग शौच और पेशाब करके काशी के चारों ओर गंदगी का ढेर लगा देते। श्वास लेना दूभर हो जाता। परंतु ऐसा नहीं हुआ। भोजन इतना स्वादिष्ट था कि लोग पहले से दुगना भोजन खा रहे थे। लेकिन पेशाब और शौच एक बार भी नहीं जा रहे थे। तब उन्हें शंका हुई कि, न तो ��ेट भारी है और भूख भी लग रही है। सतलोक से आए सेवकों को जब समस्या बताई तो सेवकों ने कहा कि यह भोजन जड़ी बूटीयां डाल कर बनाया है। जिससे यह शरीर में ही समा जाएगा। लोग लैट्रिन के लिए जंगल में गए और बैठे तो गुदा से वायु निकली। वायु से ऐसी सुगंध निकली जैसे केवडे का जल छिड़का हो। यह करिश्मा देखकर लोगों को सेवकों की बातों पर विश्वास हुआ।
ऐसी धर्म यज्ञ भंडारे करने से पांचों यज्ञ पूरी होती है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। समय पर वर्षा होती है। धन- धान्य की अच्छी उपज होती है।
जिससे प्रत्येक व्यक्ति सुखी जीवन व्यतीत करता है। सभी जीवों का पेट भरता है। ऐसी धर्म यज्ञ में सर्व प्रथम पूर्ण परमात्मा को भोग लगाया जाता है, जिससे भोजन पवित्र प्रसाद बन जाता है। इसके बाद भोजन कराया जाता है। ���ीता अध्याय 3 श्लोक 13 के अनुसार परमेश्वर के भोग लगे भोजन प्रसाद को खाने से करोड़ों पाप नाश होते हैं।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी ऐसे ही विशाल भंडारे कर रहे हैं। जिसमें सभी धार्मिक अनुष्ठान, पांचों यज्ञ आदि भी पूरे विधि विधान के साथ शास्त्र अनूकूल किया जाता है।
अक्सर देखा जाता है कि अन्य संतों के भंडारे में सब्जी, पूरी खिलाया जाता है। वो भी समय पर नहीं मिलता और भंडारे में टूट पड जाती है। भोजन तक खत्म हो जाता है। और भंडारे से कई दिनों पहले पर्चीयां काटी जाती है। वहीं दूसरी ओर परम पूज्य संत रामपाल जी महाराज द्वारा आयोजित किए जाने वाले विशाल भंडारे में भंडारा पूर्णतया निशुल्क और सभी देशवासियों के लिए आमंत्रित होता है। सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा होता है। वहीं भंडारे में देशी घी के लड्डू, जलेबी, हलवा, पूरी के साथ अन्य पकवान खिलाये जाते हैं। जिसके लिए किसी तरह की पर्ची नहीं काटी जाती। और विशेष बात भंडारे में भोजन करने के बाद घर जाते समय भोजन प्रसाद भी अतिरिक्त दिया जाता है। भंडारे में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में होती है। देश भर में अनेकों जगह पर एक साथ ऐसे विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
ऐसा ही विशाल भंडारा एक बार फिर से आगामी 26-28 नवंबर को संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में होने जा रहा है। जो नेपाल समेत 10 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा। जिसमें देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को सादर निमंत्रण है। सभी इस ऐतिहासिक भंडारे में जरुर पधारें।
ऐसा अद्भुत भंडारा सिर्फ पूर्ण संत ही कर सकता है।
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: 🎨परमेश्वर कबीर साहेब जी का काशी का दिव्य भंडारा🎨
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (क���ीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्ह��ंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: *🪁काशी का अद्भुत, अकल्पनीय, दिव्य भंडारा🪁*
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। कबीर साहेब की लीलाओं का जिक्र कबीर सागर में भी मिलता है। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के 64 लाख शिष्य थे, यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने यथार्थ भक्ति मार्ग बताया, जिसको अपनाकर भक्तों को अविश्वसनीय लाभ प्राप्त हुए । कबीर साहेब ने एक साधारण जुलाहे की भूमिका की और जो भी पैसा बचता तो उसको धर्म भंडारे में लगा दिया करते । भोजन भंडारा धर्म यज्ञ में आता है।
एक बार शेखतकी जो कि कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था। वह परमात्मा को स्वीकार नहीं करना चाहता था साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोदी समेत 18 लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा। किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने 18 लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
उन्होंने अपनी जुलाहे की भूमिका करते हुए यह बताया कि अगर आप भी इस तरह से परमात्मा पर विश्वास करके भक्ति करोगे तो परमात्मा आपके लिए कुछ भी कर सकता है।
कबीर, कल्पे कारण कौन है, कर सेवा निष्काम।
मन इच्छा फल देऊंगा, जब पड़े मेरे से काम।।
आज हमारे बीच परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के अवतार जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज आये हुए हैं जो वही चमत्कार करके सुख दे रहे हैं जैसे परमेश्वर कबीर देते थे। पूर्ण तत्वदर्शी संत से ��ामदीक्षा शारीरिक, मानसिक और आर्थिक लाभ तो देती ही है साथ ही पूर्ण मोक्ष भी देती है।
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: *🥥अद्वितीय अद्भुत दिव्य धर्म यज्ञ🥥*
जब जब धर्म की हानि होती है तथा अधर्म की वृद्धि होती है तब तब परमात्मा स्वयं आते है या अपने कृपापात्र संत को भेजते है। तथा पुनः धर्म की स्थापना करते है।
मांझी मर्द कबीर है, जगत करै उपहास।
कैसौ बनजारा भया, भक्त बढ़ाया दास।।
626 वर्ष पूर्ण जातिवाद, हिन्दू मुस्लिम विवाद तथा पाखण्डवाद चरम पर था। कबीर साहेब ने तत्वज्ञान आधार पर सबको समझाया। शास्त्रों का ज्ञान भी सुनाया।
किंतु जगत यह कहकर मजाक करता कि जुलाहा अशिक्षित है। बात करता है वेदों, गीता और पुराणों की, यह क्या जाने भक्ति के बारे में? अन्य संतों के ज्ञान को परमेश्वर कबीर जी ने गलत सिद्ध कर दिया था, परंतु आँखों देखकर भी अपनी रोजी-रोटी को बनाए रखने के उद्देश्य से परमेश्वर कबीर जी को रास्ते से हटाने के लिए
बदनाम तथा शर्मसार करने के उद्देश्य से भिन्न-भिन्न हथकण्डे अपनाते थे।
शेखतकी सब मुसलमानों का मुख्य पीर (गुरू) था जो कबीर जी से बहुत ईर्ष्या करता था। ज्ञान चर्चा में निरुत्तर सर्व ब्राह्मणों तथा मुल्ला-काजियों व शेखतकी ने मीटिंग करके षड़यंत्र के तहत योजना बनाई कि कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो कि कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। कबीर जी तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु-संत आमंत्रित हैं। प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (जो उस समय का सबसे कीमती कम्बल के स्थान पर माना जाता था), एक मोहर (10 ग्राम स्वर्ण से बनी मोहर) दक्षिणा में देगें। भोजन में लड्डू, जलेबी, हलवा, खीर, दही बड़े, माल पूडे़, रसगुल्ले आदि-2 सब मिष्ठान खाने को मिलेंगे। सुखा सीधा (आटा, चावल, दाल आदि सूखे जो बिना पकाए हुए, घी-बूरा) भी दिया जाएगा।
एक पत्र शेखतकी ने अपने नाम तथा दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के नाम भी भिजवाया। निश्चित दिन से पहले वाली रात्रि को ही साधु-संत भक्त एकत्रित होने लगे। अगले दिन भण्डारा (लंगर) प्रारम्भ होना था। परमेश्वर कबीर जी को संत रविदास दास जी ने बताया कि आपके नाम के पत्र लेकर लगभग 18 लाख साधु-संत व भक्त काशी शहर में आए हैं। कबीर जी अब तो अपने को काशी त्यागकर कहीं और जाना पड़ेगा। कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे, बोले रविदास जी झोंपड़ी के अंदर बैठ जा, सांकल लगा ले।
परमेश्वर कबीर जी अन्य वेश में अपनी राजधानी सत्यलोक में पहुँचे। वहाँ से नौ लाख बैलों के ऊपर गधों जैसा बौरा (थैला) रखकर उनमें पका-पकाया सर्व सामान भरकर तथा सूखा सामान (चावल, आटा, खाण्ड, बूरा, दाल, घी आदि) भरकर पृथ्वी पर उतरे। सत्यलोक से ही सेवादार आए। परमेश्वर कबीर जी ने स्वयं बनजारे का रूप बनाया और अपना नाम केशव बताया।
दिल्ली के सम्राट सिकंदर तथा उसका धार्मिक पीर शेखतकी भी आया। काशी में भोजन-भण्डारा चल रहा था। सबको प्रत्येक भोजन के पश्चात् एक दोहर तथा एक मोहर दक्षिणा दी जा रही थी।
चारों ओर कबीर साहेब की जय जयकार हो रही थी।
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिटठी बिन नाम।
गरीबदास मुक्ता तुलैं, धन्य केशौ बलि जांव।।
बिना पकाया पकि रह्या, उतरे अरस खमीर।
गरीबदास मेला सरू, जय जय होत कबीर।।
यह सब देखकर शेखतकी ने तो रोने जैसी शक्ल बना ली और जांच करने लगा। राजा के साथ उस टैंट में गया जिसमें केशव नाम से स्वयं कबीर जी वेश बदलकर बनजारे (उस समय के व्यापारियों को बनजारे कहते थे) के रूप में बैठे थे। सिकंदर लोधी राजा ने पूछा आप कौन हैं? क्���ा नाम है? आप जी का कबीर जी से क्या संबंध है? केशव रूप में बैठे परमात्मा जी ने कहा कि मेरा नाम केशव है, मैं बनजारा हूँ।
कबीर जी मेरे पगड़ी बदल मित्र हैं। मेरे पास उनका पत्र गया था कि एक छोटा-सा भण्डारा यानि लंगर करना है, कुछ सामान लेते आइएगा। उनके आदेश का पालन करते हुए सेवक हाजिर है। भण्डारा चल रहा है। शेखतकी तो कलेजा पकड़कर जमीन पर बैठ गया जब यह सुना कि एक छोटा-सा भण्डारा करना है यहाँ पर 18 लाख व्यक्ति भोजन करने आए हैं।
सिकंदर लोधी हाथी पर बैठकर अंगरक्षकों के साथ कबीर जी की झोंपड़ी पर गए। वहाँ से उनको तथा रविदास जी को साथ लेकर भण्डारा स्थल पर आए। सबसे कबीर सेठ का परिचय कराया। केशव रूप में स्वयं कबीर जी ने डबल रोल करके उपस्थित संतों-भक्तों को प्रश्न-उत्तर करके सत्संग सुनाया जो 24 घण्टे तक चला। कई लाख सन्तों ने अपनी गलत भक्ति त्यागकर कबीर जी से दीक्षा ली, अपना कल्याण कराया।
केशव और कबीर जित, मिलत भये तहां एक।
दासगरीब कबीर हरी, धरते नाना भेख।।
बनजारे और बैल सब, लाए थे भर माल।
गरीबदास सत्यलोक कूं, चले गये ततकाल।।
भण्डारे के बाद सर्व सेवादार बंजारे और बैल गंगा पार करके अन्तर्ध्यान हो गये। सिकन्दर लोधी ने देखा तो कोई भी नहीं था। आश्चर्यचकित होकर राजा ने पूछा कबीर जी! वे बैल तथा बनजारे इतनी शीघ्र कहाँ चले गए? उसी समय देखते-देखते केशव भी परमेश्वर कबीर जी के शरीर में समा गए। अकेले कबीर जी खड़े थे।
सब माजरा (रहस्य) समझकर सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर जी! यह सब लीला आपकी ही थी। आप स्वयं परमात्मा हो।
कबीर जी ने भक्तों को उदाहरण दिया है कि यदि आप मेरी तरह सच्चे मन से भक्ति करोगे तथा ईमानदारी से निर्वाह करोगे तो परमात्मा आपकी ऐसे सहायता करता है। भक्त ही वास्तव में सेठ अर्थात् धनवंता हैं। भक्त के पास दोनों धन हैं, संसार में जो चाहिए वह धन भी भक्त के पास होता है तथा सत्य साधना रूपी धन भी भक्त के पास होता है।
सतगुरु संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सभी 9 सतलोक आश्रमों में दिनांक 26-28 नवम्बर 2023 को विशाल दिव्य धर्म यज्ञ का आयोजन किया जा है। जिसमें लड्डू, जलेबी, पूड़ी, सब्जी इत्यादि बनाने में केवल देशी घी का ही प्रयोग किया जाता है।
ऐसा समागम केवल परमात्मा ही कर सकता है जिसमें पूरे विश्व को आमंत्रित किया जाता है।
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब के अवतार संत गरीबदास जी महाराज के अमर ग्रथ का अखण्ड पाठ किया जाता है। साथ ही लगातार तीन दिवसीय भण्डारे का आयोजन होता है। ग्रंथ साहिब की वाणी से वातावरण शुद्ध होता, वर्षा होती है, आध्यात्मिक वातावरण तथा मानसिक शांति होती है। तथा दान धर्म एवं भंडारे के प्रसाद से करोड़ो पाप नाश होते हैं।
सर्वप्रथम परमात्मा को भोग लगाकर भोजन भंडारा कराया जाता है जिससे भोजन प्रसाद बन जाता है जिसे खाने से कोटि कोटि पाप नाश होते हैं।
भंडारा पूर्णतया निःशुल्क होता है।
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26-27-28 नवंबर 2023
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: 🎈काशी का विशाल और अद्भुत भंडारा🎈
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी आज से 626 साल पहले काशी बनारस में लहरतारा नामक तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे और नीरू नीमा को मिले थे l
उस समय परमेश्वर परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने अनेक लीलाएं की थी जिसमें से एक लीला विशाल भंडारे की हैl
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी को काशी शहर से भगाने के उद्देश्य से हिन्दू तथा मुसलमानों के धर्मगुरूओं तथा धर्म के प्रचारकों ने षड़यंत्र के तहत झूठी चिट्ठी में निमंत्रण भेजा कि कबीर जुलाहा तीन दिन का भोजन-भंडारा (लंगर) करेगा। प्रत्येक बार भोजन खाने के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण की मोहर (सोने का सिक्का) तथा एक दोहर (खद्दर की दोहरी सिली चद्दर जो कंबल के स्थान पर सर्दियों में ओढ़ी जाती थी) दक्षिणा में देगा।
भोजन में अनेक प्रकार की मिठाई, हलवा, खीर, पूरी, मांडे, रायता, दही बड़े आदि मिलेंगे। सूखा-सीधा (एक व्यक्ति का आहार, जो भंडारे में नहीं आ सका, उसके लिए) दिया जाएगा। यह सूचना पाकर दूर-दूर के संत अपने शिष्यों समेत निश्चित तिथि को पहुँच गए। काजी तथा पंडित भी उनके बीच में पहुँच गए।
संत रविदास जी सुबह जंगल फिरने के लिए गए तो इतने सारे साधु-संतों को देखकर आश्चर्य किया तथा प्रश्न किया कि किस उपलक्ष्य में आए हो? उन्होंने बताया कि इस शहर के सेठ कबीर जुलाहा यज्ञ कर रहे हैं। हमारे पास पत्र गया था, हम आ गए हैं। तीन दिन का भोजन-भंडारा है। देखो पत्र साथ लाए हैं। रविदास जी को समझते देर नहीं लगी। परमेश्वर कबीर जी के पास घर पर गए। बताया कि हे प्रभु! अबकी बार तो काशी त्यागकर कहीं अन्य शहर में चलना होगा। सब बात बताई। परमात्मा कबीर जी संत रविदास जी की बात सुनकर चिंतित नहीं हुए। हँसे तथा बोले कि हे रविदास! बात सुन! बैठ जा भक्ति कर। परमात्मा आप संभालेगा। कबीर परमात्मा एक रूप में तो वहाँ कुटिया में बैठे भजन करने का अभिनय कर रहे थे। अन्य रूप में सतलोक में गए। उनको पहले ही सतर्क कर रखा था। सतलोकवासियों ने असँख्यों बनजारे तथा बौड़ी (बैलों के ऊपर बोरे रखकर भोजन सामग्री भर रखी थी। एक बैल को बोरे समेत बंजारे लोग बोडी कहते थे) तैयार कर रखी थी।
दूसरे रूप में कबीर जी सतलोक से नौ लाख बौडी तथा कुछ बनजारे वाले वेश में भक्त सेवादार साथ लिए तथा स्वयं केशव बंजारे का रूप धारण किया। एक पलक (क्षण) में पृथ्वी के ऊपर आ गए। काशी शहर में तंबू
लगाकर भंडारा चालू कर दिया ।
भंडारे में कोई खाना खाओ, कोई रोक-टोक नहीं थी। यह नहीं था कि जिनके नाम निमंत्रण पत्र गया है, वे अपनी चिट्ठी तथा नाम-पता दिखाओ और खाना खाओ जैसा कि इस पृथ्वी लोक वाले साधु किया करते थे। सूखा सीधा के लिए आटा, खांड, चावल, घी, दाल सब दी जा रही थी। मिठाई, लड्डू, जलेबी, चंगेर (बर्फी) सब खिलाई जा रही थी। जैसे कुब���र भंडारी ही पृथ्वी पर आया हो। बिना पकाया पक रहा था। टैंटों-तंबुओं में ढ़ेर के ढ़ेर मिठाईयों के लगे थे। कड़ाहे चावल, खीर, हलवा के भरे थे। सब खा रहे थे। दक्षिणा दी जा रही थी। कबीर परमेश्वर की जय-जयकार हो रही थी। बैल बिना सींगों वाले थे। बैल पृथ्वी से छः इंच ऊपर-ऊपर चल रहे थे। पृथ्वी के ऊपर पैर नहीं रख रहे थे क्योंकि यह पृथ्वी किटाणुओं से भरी है। पैरों के नीचे जीव मरने से पाप लगता है। सभी सम्प्रदायों के व्यक्ति भोजन कर रहे थे l
उन षड़यंत्रकारियों ने सुनियोजित सोची-समझी चाल के तहत दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी को भी भंडारे का निमंत्रण भेजा था। सोचा था कि सिकंदर राजा आएगा। यहाँ कोई भंडारा नहीं मिलेगा। जनता कबीर को गालियाँ दे रही होगी। अराजकता का माहौल होगा। कबीर भाग जाएगा। राजा के मन से उसकी महिमा समाप्त हो जाएगी। शेखतकी जो राजा सिकंदर का धार्मिक पीर (गुरू) था तथा मंत्री भी था, वह इस षड़यंत्र का मुखिया था। जब राजा व शेखतकी भंडारा स्थ�� पर आए तो देखा लंगर लग रहा है। मोहन भोजन परोसे जा रहे हैं। दक्षिणा भी दी जा रही है। कबीर जी सेठ की जय बुलाई जा रही है। राजा ने उपस्थित व्यक्तियों से पूछा कि भंडारा कौन कर रहा है? उत्तर मिला कि कबीर सेठ जुलाहा कर रहा है। वह तो अभी आए नहीं हैं। उनका नौकर सामने तंबू में बैठा है। वह सब व्यवस्था कर रहा है। राजा सिंकदर तथा शेखतकी तंबू के पास गए। उस व्यक्ति का परिचय पूछा तो बताया कि मेरा नाम केशव बनजारा है। कबीर मेरा पगड़ी-बदल मित्र है। उनका पत्र मेरे पास गया था कि आप कुछ सामान भंडारे का लेते आना। छोटा-सा भंडारा करना है। मैं हाजिर हो गया। कबीर जी कहाँ है? राजा ने पूछा। वे किस कारण से नहीं आए? केशव ने कहा कि वे मालिक हैं। मर्जी है कभी आएँ। उनका नौकर जो बैठा है। यह व्यवस्था वे स्वयं ही कुटिया में बैठे संभाल रहे हैं। वे परमात्मा हैं। राजा सिकंदर हाथी पर सवार होकर कबीर जी की कुटिया पर पहुँचा। दरवाजा बंद था। निवेदन करके खुलवाया तथा कहा कि आप मेरा दिल का निवेदन स्वीकार करके मेरे साथ मेले में भंडारे पर चलो तो परमात्मा ने कहा कि हे राजन! मेरे साथ अभद्र मजाक किया गया है। मैं निर्धन व्यक्ति कपड़ा बुनकर परिवार का पोषण कर रहा हूँ। अठारह लाख साधु भोजन-भंडारा छकने आए हैं। तीन दिन का भंडारा पत्र में लिखा है। मैं कहाँ से खिलाऊँगा? मैं तो घर से बाहर नहीं निकल सकता। रात्रि में परिवार सहित भाग जाऊँगा। हे राजा! इन भेषों वालों ने काम बिगाड़ा है। झूठी चिट्ठी मेरे नाम से भेज रखी है। मेरा उदर भी नहीं भरता। मेरी माता तथा पिता (मुह बोले माता-पिता) मेरे पर क्रोध करेंगे। कोई काशी नगर में सेठ (शाह) भी मुझे उधार नहीं देता क्योंकि मेरी आमदनी कम है, निर्धन हूँ। मैं कैसे आपके साथ भंडारे के स्थान पर चलूँ। राजा सिकंदर जो दिल्ली का स��्राट था, उसने हाथ जोड़कर कहा कि हे कबीर! आप परमात्मा (अल्लाह) हो। नर रूप बनाकर आए हो। तुम दयाल (दरवेश) संत हो।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने (करम) रहम किया। चलने के लिए उठे तो आकाश से फूल बरसने लगे। सिकंदर राजा ने परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी को हाथी पर बैठाया। साथ में रविदास जी कबीर जी के सिर के ऊपर चंवर करते हुए कबीर जी के आदेश अनुसार उनके साथ हाथी पर बैठ गए। राजा भी हाथी पर उनके साथ बैठा। फिर रविदास जी से निवेदन करके राजा सिकंदर ने चंवर ले लिया और परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के ऊपर चंवर करने लगे। कबीर परमात्मा के सिर के ऊपर अपने आप मनोहर मुकुट आकर सुशोभित हो गया। काशी पुरी के व्यक्ति बेचैनी से कबीर परमेश्वर के दर्शन करने का इंतजार कर रहे थे। भंडारा स्थल पर आए तो केशव रूप उनके हाथी के पास आया तथा कहा कि हे कबीर प्रभु! आपने यहाँ आने का कष्ट क्यों किया? आपका दास जो सेवा में हाजिर है। उसकी बात को अनसुना करके तीनों हाथी को आगे मेले में ले गए जहाँ अठारह लाख व्यक्ति ठहरे थे। वह तो बहुत बड़ा मेला था। चौपड़ के बाजार में घूम-फिरकर केशव के पास आ गए। जब परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी हाथी से उत्तरे तथा केशव वाले तंबू में गए तो अपने आप सुंदर तख्त आ गया तथा उसके ऊपर सुंदर बिछौनी बिछ गई। बिछौनी के चारों ओर हीरे, लाल लग गए। महाराजा जैसा आसन लग गया। दूसरी ओर ऐसा ही केशव के लिए लगा था। कबीर जी को देखने के लिए सब साधु-संत आकर चारों ओर आकर बैठ गए l
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने केशव के साथ (आठ पहर) चौबीस घंटे लगातार आध्यात्मिक गोष्ठी की, तत्त्वज्ञान सुनाया। लगभग दस लाख उन भ्रमित साधुओं के शिष्यों ने कबीर जी से दीक्षा ली और जीवन सफल किया।
ll शब्द ll
केशो आया है बनजारा, काशी लाया माल अपारा।।टेक।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
धरती उपर तम्बू ताने, चौपड़ के बैजारा।।1।।
कौन देश तैं बालद आई, ना कहीं बंध्या निवारा। अपरम्पार पार गति तेरी, कित उतरी जल धारा।।2।।
शाहुकार नहीं कोई जाकै, काशी नगर मंझारा।
दास गरीब कल्प से उतरे, आप अलख करतारा।।3।।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती है भोजन भंडारा करवाना भी धर्म यज्ञ में आता है ऐसे धर्म भंडारे से वर्षा होती है और
वर्षा से धन धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवो का पेट भरता है और पुण्य मिलता है l
सर्वप्रथम पूर्ण परमात्मा को भोग लगाया जाता है जिससे भोजन पवित्र प्रसाद बन जाता है l
परमात्मा के भोग लगे उस पवित्र भंडारे को खाने से कोटि-कोटि पाप नष्ट हो जाते हैं जिसका प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 3 के श्लोक 13 में है।
पूर्ण संत को दिए दान धर्म भंडारे से करोड़ों पाप और रोग नष्ट हो जाते हैं।
बहुत पुण्य मिलता है और पितरों की भी मुक्ति हो जाती है l
आज वर्तमान समय में विशाल भंडारे का आयोजन संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं l
परम संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सभी 10 सतलोक आश्रम में दिनांक 26-27-28 नवंबर 2023 को विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जिसमे लड्डू जलेबी पूड़ी सब्जी आदि देसी घी में बनाई जाती हैं l
इस भंडारे में सभी देशवासियों को सादर आमंत्रित किया जा रहा है और यह भंडारा पूर्णतया निशुल्क है ऐसे भंडारे में जरूर आएं और पुण्य के भागी बनें l
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[11/21, 7:03 AM] Arun Das Patil: ���कबीर परमेश्वर द्वारा काशी का सदाव्रत भंडारा🛎
कबीर जी को सर्व मानव समाज एक महान संत तथा कवि के रूप में जनता है। लेकिन वास्तविकता में वे पूर्ण परमात्मा है। कबीर जी हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं।
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। 
कबीर साहेब लगभग आज से 626 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। उस समय कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य थे, यह आपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
कबीर साहेब ने आजीवन अनेकों लीलाएं करी जिसमे से एक थी काशी में लाखों लोगों को भंडारा करवाना, देखी जाये ऐसा करना किसी भी निर्धन जुलाहे के बस की बात नहीं थी, लेकिन कबीर साहेब वास्तव में पूर्ण परमेश्वर थे जिनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं था।
दिल्ली के राजा सिकंदर लोधी का पीर शेखतकी कबीर जी से ईर्ष्या करता था। वह कबीर जी को अल्लाह/परमात्मा स्वीकार नहीं करना चाहता था, साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोधी समेत अठारह लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा।
कि��्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सभी अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक (अमर लोक) से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
कबीर गोसांई, रसोई दीन्हीं, आपै केशो बनि करि आये।
परानंदनी जा कै द्वारै, बहु बिधि भेष छिकाये।।
कबीर परमेश्वर ने उस समय दो रूप में अभिनय किया था, एक रूप में तो गरीब जुलाहे के रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे व दूसरे केशो रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर थैले रखकर पका-पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर-मोहर भरकर ले आए। तीन दिन तक लगभग 18 लाख व्यक्तियों को सदाव्रत भंडारे से नवाज़ा, तथा 8 पहर (24 घंटे) तक सत्संग कर सतज्ञान समझाया, जिसे सुनकर कई लाख साधु, संतो ने नाम दीक्षा ली व अपना कल्याण करवाया।
कबीर परमात्मा आज भी उपस्थित हैं। वे सदैव ही तत्वदर्शी संत के रूप में विद्यमान रहते हैं। आज वे हमारे समक्ष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हैं। संत रामपालजी महाराज के सानिध्य में भी ऐसे अनमोल भंडारे आयोजित किए जाते है। जिसमे आदरणीय गरीब दास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान, देहदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके सभी आश्रमों में वर्षभर सदाव्रत भंडारा चलता है।
पूर्ण संत द्वारा दिए गए ऐसे धर्म भंडारों में जाने से करोडों पाप व दुःखों का नाश होता हैं। पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
आगामी 26-27-28 नवंबर 2023 को ऐसे ही दिव्य धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में संत रामपालजी महाराज के 9 आश्रमों में तीन दिवसीय निशुल्क भण्डारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमे सभी देशवासी सादर आमंत्रित हैं, आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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sprasadsworld · 1 year ago
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🎨परमेश्वर कबीर साहेब जी का काशी का दिव्य भंडारा🎨
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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coralsoulrebel · 1 year ago
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#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
*परमेश्वर कबीर साहेब जी का काशी का दिव्य भंडारा*
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर ज��� का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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anitarajeshkumar119 · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोह��� ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
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leftdreamlandlover · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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baljeets-world · 12 days ago
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🌹"बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय"🌹
14-11-2024
🔥 *दिव्य धर्म यज्ञ दिवस सेवा* 🔥
*🌱Facebook सेवा🌱*
*🌼मालिक की दया से दिव्य धर्म यज्ञ दिवस से सम्बंधित Facebook पर सेवा करेंगे जी।*
"दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के बारे में लोगों को जानकारी देंगे।
सन 1513 में परमेश्वर कबीर जी द्वारा की गई काशी भंडारे वाली लीला का विवरण देना है।"
*टैग और कीवर्ड⤵️*
#सन1513_में_काशीभंडारा
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस #miracles
#भंडारा #BhandaraInvitationToTheWorld #Bhandara #feast #langar #trending #photooftheday #kashi #banarasi #UP
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#SatlokAshram #trendingreels #trend
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक⤵️।*
⤵️
https://www.satsaheb.org/divya-dharm-yagya-diwas-hindi/
https://www.satsaheb.org/divya-dharm-yagya-diwas-english/
*⛳सेवा Points* ⤵
🥥आज से 511 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर ने तीन दिन "दिव्य धर्म यज्ञ" का आयोजन किया था। जिसमें 18 लाख से अधिक साधु, संतों व लोगों ने मोहन भंडारा किया था। वही इतिहास बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के सानिध्य में पुनः रचा जा रहा है। 14 से 16 नवंबर 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर अद्भुत जानकारी
परमात्मा कबीर जी केशव बंजारा(व्यापारी) रुप में नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में भर-भर कर पका पकाया भोजन अपने सतलोक से लेकर आए व एक लाख सेवादार भी साथ लाए। तथा काशी में दिव्य विशाल भंडारा कराया था।
🥥 क्या आप जानते हैं ?
आज से 511 साल पहले कबीर परमेश्वर ने तथाकथित धर्मगुरुओं के षड्यंत्र को विफल करते हुए, 18 लाख लोगों के भंडारे का आयोजन किया था।
आज उसी उपलक्ष्य में बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में, कई जगह पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
सन 1513 में 18 लाख लोगों को काशी में कबीर परमात्मा ने तीन दिन तक भोजन भंडारा कराया।
जिसमें 9 लाख बैल और एक लाख सेवादार सतलोक से आए थे। 9 लाख बैलों पर भंडारे की पूरी सामग्री लाए थे।
🥥511 वर्ष पूर्व जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने अठारह लाख साधु संतों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के नेतृत्व में 11 आश्रमों में 14 से 16 नवंबर 2024 तक "दिव्य धर्म यज्ञ" दिवस मनाया जा रहा है। जिसमें आप सभी देशवासी सहपरिवार आमंत्रित हैं।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर अद्भुत जानकारी
परमात्मा कबीर जी केशव बंजारा(व्यापारी) रुप में नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में भर-भर कर पका पकाया भोजन अपने सतलोक से लेकर आए व एक लाख सेवादार भी साथ लाए। तथा काशी में दिव्य विशाल भंडारा कराया था।
🥥 511 वर्ष पूर्व झूठे गुरुओं द्वारा ईर्ष्यावश कबीर साहिब जी को काशी से निकालने हेतु झूठा प्रचार किया कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे। जिससे 18 लाख लोग काशी में इकट्ठा हो गए, इस अवसर पर कबीर जी ने 18 लाख लोगों को मोहन भोजन कराया तथा लाखों लोगों को अपनी शरण में लिया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर विशेष जानकारी:-
काशी में कबीर परमेश्वर के विरोधी साधुओं-काजी-मुल्लाओं ने षड़यंत्र रचकर तीन दिवसीय भोजन-भंडारे(लंगर) के झूठे पत्र परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी की ओर से डाले थे। जिस कारण से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति भंडारा खाने आ गए थे। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी स्वयं दूसरा रुप केशव नाम के बंजारे का धारण करके नौ लाख बैलों के ऊपर बोरे(थैले) में रखकर उनमें पका पकाया कई प्रकार मिठाई-भोजन के साथ कच्ची-सूखी सामग्री भी भरकर लाए तथा काशी नगर के चौपड़ के बाजार में विशाल भंडारा चला था।
🥥 झूठा प्रचार किया किसी मुरख ने, कबीर करें भंडारा।
दो रोटी का साधन न था, भेख जुड़ा अति भारा।।
511 वर्ष पूर्व झूठे गुरुओं द्वारा ईर्ष्यावश कबीर साहिब जी को काशी से निकालने हेतु झूठा प्रचार किया कि कबीर साहिब भंडारा करेंगे। इस अवसर पर परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने 18 लाख लोगों को मोहन भोजन कराया तथा हजारों लोगों को अपनी शरण में लिया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिटठी बिन नाम।
गरीबदास मुक्ता तुलैं, धन्य केशौ बलि जांव।।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने काशी शहर में 3 दिन तक सभी संप्रदाय के 18 लाख लोगों को, बिना कोई चिठ्ठी - बिना कोई नाम भंडारा करवाया था। वैसे ही आज बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा सभी लोगों के लिए 3 दिन तक भंडारे का आयोजन करवाया जा रहा है।
🥥अपरमपार पार गति तेरी, कित उतरी जल धारा।।
उस भंडारे(लंगर) में नौ लाख भोजन करने वालों को पानी भी मिट्टी के सकोरों में पिलाया जा रहा था जो उस समय प्रचलित थे। संत गरीबदास जी ने कहा है कि वह स्वच्छ पीने के पानी की धारा कहां से उतरी जो ऊपर से ट्यूबलवैल की तरह गिर रही थी। मटके भर-भरकर रखे जा रहे थे। उन्हीं से भण्डारे में पीने के लिए प्रयोग किया जा रहा था।
🥥 एक शेखतकी नाम के मुस्लिम पीर ने झूठी चिट्ठी लिखकर 18 लाख साधु संतों को आंमत्रण भिजवा दिया कि इस दिन कबीर सेठ भंडारा कराएंगे।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने सतलोक जाकर केशव बंजारा(व्यापारी) रुप बनाया फिर वहीं के हंसात्माओं(मनुष्यों) को बैल बनाकर खाने पीने का समान लादकर लाए और अद्भुत भंडारा कराया था।
🥥 परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी काशी में जब आए थे तो आम जनता की तरह जीवन व्यतीत करते थे।
शेख तकी ने ईर्ष्या वश कबीर साहेब जी की ओर से झूठी चिट्ठी सबके पास भिजवा दी। जिसमें 18 लाख साधु- संत लंगर खाने पहुंच गए, परमात्मा ने अपनी समर्थता दिखाते हुए, सतलोक पहुंचे और केशव नाम के बंजारे(व्यापारी-सौदागर) का रुप बनाया। वहीं से सभी प्रकार के पकवान लाए गए। नौ लाख बैलों में व एक लाख सेवादार भी वहीं से आए। फिर काशी में अद्भुत भंडारा चला।
🥥 विशाल भंडारा - "दि��्य धर्म यज्ञ दिवस" इस उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 14 से 16 नवंबर 2024 को विशाल भंडारा आयोजित किया जा रहा है जिस प्रकार 511 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दिव्य धर्म यज्ञ (विशाल भंडारा) 3 दिन तक किया था, 18 लाख श्रद्धालुओं को भोजन कराया था।
🥥केशो आया है बनजारा, काशी ल्याया माल अपारा।।
नौलख बोडी भरी विश्म्भर, दिया कबीर भण्डारा।
510 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी 18 लाख लोगों के लिए भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी। इसी को "दिव्य धर्म यज्ञ दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है।
❌ *No Copy Paste* ❌
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prince-kumar · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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ganeshdas7631 · 1 year ago
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🎨परमेश्वर कबीर साहेब जी का काशी का दिव्य भंडारा🎨
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भो��� लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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26-27-28 नवंबर 2023
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mangeram8445 · 1 year ago
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🎨परमेश्वर कबीर साहेब जी का काशी का दिव्य भंडारा🎨
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
*✰जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में 510वें दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल भंडारे में आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं✰*
आयोजन स्थल का पता है -
सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान),
सतलोक आश्रम खमानो (पंजाब),
सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब),
सतलोक आश्रम धनाना (हरियाणा),
सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा),
सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा),
सतलोक आश्रम बैतूल (मध्य प्रदेश),
सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश),
सतलोक आश्रम धनुषा (नेपाल देश)
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