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Cabinet Expansion in Jharkhand: CM Hemant Soren Names New Ministers
Jharkhand Cabinet Expansion : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों की घोषणा 23 नवंबर को कर दी गई है जिसके चलते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रचंड जीत हासिल की है. लगातार चौथी बार चुनाव जीतने के बाद से हेमंत सोरेन अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं.
Introduction
Jharkhand Cabinet Expansion : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में सत्ता में वापसी कर इतिहास रचने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस बार आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. यह उनकी शारीरिक भाषा से भी स्पष्ट हो रहा है. लगातार चुनाव जीतकर चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभालने वाले हेमंत सोरेन इस बार अधिक आक्रामक हैं और रणनीति बनाकर सरकार चलाने की कोशिश में हैं. इस कड़ी में बिहार से सटे झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट का विस्तार भी हो गया. इसमें गठबंधन के सहयोगियों कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल को भी भागीदारी दी गई है. यह मंत्रिमंडल विस्तार में भी देखने को मिला. झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राजभवन में नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. यह विस्तार हेमंत सोरेन के सीएम पद के शपथ लेने के 6 दिन बाद हुआ. रांची स्थित राजभवन के अशोक उद्यान में 11 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 7, कांग्रेस के 4 और राष्ट्रीय जनता दल का 1 विधायक शामिल है. इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं आखिर किस-किस विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली है?
Table Of Content
छत्तरपुर विधानसभा सीट से विधायक राधा कृष्ण किशोर
चाईबासा विधानसभा सीट से विधायक दीपक बिरुवा
बिशुनपुर विधानसभा सीट से विधायक चमरा लिंडा
गोड्डा विधानसभा सीट से विधायक संजय प्रसाद यादव
घाटशिला सीट से विधायक रामदास सोरेन
जामताड़ा सीट से विधायक इरफान अंसारी
मधुपुर सीट से विधायक हफीजूल हसन
महागामा सीट से विधायक दीपिका पांडेय सिंह
गोमिया सीट से विधायक योगेन्द्र प्रसाद
गिरिडीह सीट से विधायक सुदिव्य कुमार
मांडर सीट से विधायक शिल्पी नेहा तिर्की
छत्तरपुर विधानसभा सीट से विधायक राधा कृष्ण किशोर
हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में छतरपुर विधानसभा सीट से विधायक राधा कृष्ण किशोर क�� भी शामिल किया गया है. उन्हें सहयोगी कांग्रेस पार्टी के कोटे से मंत्री बनाया गया है. कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर को 2024 के विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पुष्पा देवी देवी से कड़ी टक्कर मिली थी. राधाकृष्ण किशोर ने मात्र 736 वोटों से जीत हासिल की. वहीं, राधाकृष्ण किशोर को कुल 71,857 वोट मिले तो भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी पुष्पा देवी को 71,121 वोट मिले. इस तरह राधाकृष्ण किशोर ने बाजी मार ली और अब हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बन गए हैं. राधाकृष्ण किशोर की बात करें तो उन्होंने कई पार्टियों के साथ काम किया है, लेकिन जो पहचान उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा से मिली वह किसी और पार्टी से नहीं मिली. वर्ष 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन साल 2019 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर वो ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के टिकट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. फिर आजसू छोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए, लेकिन एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और चुनाव लड़ा.
चाईबासा विधानसभा सीट से विधायक दीपक बिरुवा
झारखंड मुक्ति मोर्चा के दीपक बिरुवा पहली बार मंत्री बने हैं. दीपक बिरुवा को चाईबासा विधानसभा सीट से मंत्री बनाया गया है. हालांकि यह पहली बार नहीं जब वह विधानसभा जा रहे हों. इसके पहले दीपक बिरुवा 4 बार विधायक रहते हुए विधानसभा पहुंचे हैं. दीपक बिरुवा ने प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी गीता बालमुचू को 64 हजार 835 मतों के बड़े अंतर से हराया. दीपक बिरुवा को इस चुनाव में कुल 1 लाख 7 हजार 367 मत प्राप्त हुए, जबकि गीता बालमुचू को मात्र 42 हजार 532 मत मिले.
बिशुनपुर विधानसभा सीट से विधायक चमरा लिंडा
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा ने दीपक बिरुवा के बाद मंत्री के रूप में शपथ ली. चमरा लिंडा ने झामुमो के टिकट पर बिशुनपुर विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. हालांकि वो पहली बार मंत्री बने हैं. इससे पहले साल 2024 में ही लोकसभा चुनाव में गठबंधन के खिलाफ जाकर उन्होंने लोहरदगा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, पर इस चुनाव में चमरा लिंडा कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने पर चमरा लिंडा को झामुमो से निलंबित कर दिया गया था. चमरा लिंडा को इस चुनाव में कुल 10,0336 वोट मिले हैं.
गोड्डा विधानसभा सीट से विधायक संजय प्रसाद यादव
झारखंड मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे चौंकाने वाला नाम राष्ट्रीय जनता दल से संजय प्रसाद यादव का है. हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में राजद की ओर से देवघर विधायक सुरेश पासवान के नाम को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया. उनकी जगह गोड्डा के विधायक संजय प्रसाद यादव को मंत्री पद दिया गया. संजय यादव तीसरी बार राजद से विधायक बने हैं. इससे पहले वे 2000 और 2009 में गोड्डा से विधायक रह चुके हैं. इसके साथ ही वह लालू प्रसाद यादव के परिवार के काफी करीबी भी माने जाते हैं.
घाटशिला सीट से विधायक रामदास सोरेन
रामदास सोरेन को कोल्हान का मजबूत नेता माना जाता है, लेकिन वह इस बार घाटशिला से विधायक बने हैं. उन्होंने चंपई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन को शिकस्त दी. इस समय उनके पास जल संसाधन विभाग मंत्रालय, उच्च शिक्षा मंत्रालय और तकनी��ी शिक्षा मंत्रालय जैसे विभाग शामिल हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रामदास सोरेन को 98356 वोट मिले, जबकि बाबू लाल सोरेन को 75910 वोट मिले.
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जामताड़ा सीट से विधायक इरफान अंसारी
इरफान अंसारी को हेमंत सोरेन ने एक बार फिर अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है. इरफान अंसारी जामताड़ा सीट से विधायक बने हैं. अगस्त 2019 से अगस्त 2021 तक झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे. इस सीट पर BJP ने सीता सोरेन को खड़ा किया था, लेकिन वह हार गई. इरफान अंसारी को इस सीट पर कुल 133266 वोट मिले, जबकि सीता सोरेन को 89590 वोट मिले.
मधुपुर सीट से विधायक हफीजूल हसन
हेमंत सोरेन की कैबिनेट में अल्पसंख्यक समुदा�� से 2 मंत्री बनाए गए हैं, इनमें पहला नाम डॉ. इरफान अंसारी है तो दूसरे हफीजुल हुसैन हैं. हफीजुल हुसैन इसके पहले भी हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं. साल 2021 के उपचुनाव में पहली बार हफीजुल मधुपुर से विधायक बने थे. उस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को शिकस्त दी. मधुपुर विधानसभा की जनता ने हाफिजुल हसन को कुल 143953 वोट दिए, जबकि BJP के गंगा नारायण को 123926 ही वोट मिले. दोनों के बीच जीत-हार का अंतर 20027 वोटों का रहा है.
महागामा सीट से विधायक दीपिका पांडेय सिंह
महागामा विधानसभा से विधायक दीपिका पांडेय सिंह एक बार फिर से मंत्री बन गई हैं. दीपिका पांडेय सिंह इससे पहले भी हेमंत सोरेन 2.0 सरकार में बतौर मंत्री कृषि, पशुपालन सहकारिता विभाग और आपदा विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. इस चुनाव में एक बार फिर से जीत दर्ज कर दीपिका विधानसभा पहुंची हैं. दीपिका पांडेय सिंह ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अशोक भगत को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा किया है. इस चुनाव में दीपिका ने भाजपा प्रत्याशी अशोक भगत को 18,645 वोटों से मात दी. दीपिका को कुल 1,14,069 वोट मिले, जबकि अशोक भगत को मात्र 95,424 वोट मिले.
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गोमिया सीट से विधायक योगेन्द्र प्रसाद
गोमिया विधायक योगेन्द्र प्रसाद ने भी हेमंत सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. करीब 21 साल बाद गोमिया के किसी विधायक को एक बार फिर मंत्री बनने का मौका मिला है. योगेन्द्र प्रसाद ने लगभग 95 दजार वोटों से जीत हासिल की है. इससे पहले 2014 में लगभग 97 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी और उस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी माधवलाल सिंह को शिकस्त दी थी.
गिरिडीह सीट से विधायक सुदिव्य कुमार
दूसरी बार जीत दर्ज करने वाले गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार को आखिरकार मंत्री पद मिल ही गया. उन्हें करीब 94 हजार वोट मिले हैं. सुदिव्य कुमार को करीब 94 हजार वोट हासिल हुए. वहीं, भाजपा के निर्भय शाहाबादी को 90 हजार के करीब मत मिले. इस तरह करीब 3 हजार 838 वोटों के अंतर से सुदिव्य कुमार जीत गए.
मांडर सीट से विधायक शिल्पी नेहा तिर्की
मांडर विधानसभा क्षेत्र से सबसे युवा चेहरा शिल्पी नेहा तिर्की दूसरी बार मंत्री बनी हैं. उन्हें कांग्रेस की तरफ से टिकट दिया गया था. शिल्पी ने भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सन्नी टोप्पो को 22,803 से वोटों से हराया. शिल्पी नेहा तिर्की को कुल 1 लाख 35 हजार 936 वोट मिले थे जबकि भाजपा की सन्नी टोप्पो को मात्र 1 लाख 13 हजार 133 वोट ही मिले. लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचने के बाद मंत्री पद की उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी.
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बिहार: MLC उपचुनाव में नीतीश कुमार का दुर्ग ही हार गई जेडीयू, क्या ये 3 चेहरे बने वजह?
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी समीकरण को सेट करने में जुटे नीतीश कुमार को तिरहुत से बड़ा झटका लगा है. तिरहुत विधानपरिषद के उपचुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी चौथे स्थान पर चली गई है. तिरहुत को नीतीश कुमार का गढ़ माना जाता है. लोकसभा चुनाव में तिरहुत की 4 में से 2 सीटों पर जेडीयू ने बड़ी जीत हासिल की थी. फिर MLC उपचुनाव में कैसे चूक गई जेडीयू? तिरहुत विधानपरिषद सीट की संरचना शिवहर,…
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Bihar Ki Char Vidhansabha Seaṭon Par Matadaan Jaarii, Suraksha Ke Kade Prabandha
पटना। बिहार की चार विधानसभा सीटों रामगढ़, तरारी, इमामगंज और बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव के तहत बुधवार को मतदान जारी है। मतदान को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाता��ं की कतार लगी है।
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच आर श्रीनिवासन ने बताया कि सुबह सात बजे से चार ��ीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर मतदान जारी है। सभी क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।
इस उप चुनाव में तरारी विधानसभा सीट पर जहां 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं वही बेलागंज में 14 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। रामगढ़ में पांच और इमामगंज में 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। कुल मिलाकर इस उप चुनाव में 12 लाख से अधिक मतदाता 38 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
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jharkhand election majhgaon : मंझगांव में बहालेन चांपिया के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हुआ, निरल पूर्ति और बड़कुंवर गगराई के बीच बहालेन चांपिया दे रही टक्कर, बहालेन ने जारी किया अपना विजन
चाईबासा : टाटा स्टील के एमडी ऑफिस में बतौर मैनेजर काम कर रहीं बहालेन चांपिया चुनाव लड़ रही हैं. मंझगाव सीट से भारत आदिवासी पार्टी के बैनर तले अपना नामांकन करने के बाद ताबड़तोड़ प्रचार किया है. उनके इस प्रचार का जबरदस्त असर है और लोगों का भरपूर रिस्पांस मिल रहा है. बहालेन चांपिया के पिता बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व विधायक देवेंद्र नाथ चांपिया हैं. बहालेन अपने परिवार की विरासत को आगे…
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उप चुनाव में सभी चार सीटों पर महागठबंधन की होगी जीत: भाकपा
पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा है कि बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उप चुनाव में सभी सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार की जीत होगी। इस उप चुनाव में तीन सीट पर राजद और एक सीट पर भाकपा माले ने उम्मीदवार उतारा है। सभी सीटों पर भाकपा कार्यकर्ता महागठबंधन उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार अभियान चला रहे हैं। भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि तरारी से भाकपा माले के राजू…
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उपेंद्र कुशवाहा को पीएम मोदी देने जा रहे 'वफादारी' का तोहफा, राज्यसभा के ल���ए टिकट कन्फर्म
पटना: से बड़ी खबर आ गई है। काराकाट सीट पर लोकसभा चुनाव हार चुके के नुकसान की भरपाई बीजेपी ने करने की पहल कर दी है। इसके लिए पीएम मोदी ने उन्हें खुद तोहफा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी से राज्यसभा टिकट मिल गया है। बताया जा रहा है कि बिहार बीजेपी अध्यक्ष और डेप्युटी सीएम सम्राट चौधरी ने इसकी पुष्टि भी की है। हालांकि इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा के विधानपरिषद में जाने की चर्चा थी, लेकिन वो टिकट उन्हें नहीं मिला। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने पहले से ही उनके लिए कुछ बड़ा सोच रखा था। उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा का टिकट इस लोकसभा चुनाव उपेंद्र कुशवाहा की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया था। साथ ही NDA के कुशवाहा वोट तक उन्हें ढंग से ट्रांसफर नहीं हो पाए थे। काराकाट में इसी वजह से उपेंद्र कुशवाहा को माले के राजाराम कुशवाहा ने हार का मुंह दिखा दिया। यही नहीं उपेंद्र कुशवाहा इस चुनाव में तीसरे नंबर पर आ गए। ऐन वक्त पर बीजेपी से 'दगा' कर चुनाव में खड़े होने वाले भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह दूसरे नंबर पर रहे। अगर हार जीत का अंतर देखें तो उपेंद्र कुशवाहा को विजयी उम्मीदवार राजाराम कुशवाहा से 1,26,705 वोटों से पीछे रह गए। लेकिन अंत तक कुशवाहा ने NDA यानी पीएम मोदी का साथ नहीं छोड़ा। हारने के बाद भी उम्मीद थी कि उपेंद्र कुशवाहा विधानपरिषद जाएंगे। लेकिन वहां भी उन्हें टिकट नहीं मिला। आखिर में पीएम मोदी ने उपेंद्र कुशवाहा को NDA से वफादारी का इनाम दे दिया। उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा टिकट देने का मतलब बीजेपी ने सम्राट चौधरी पर कुशवाहा वोटों के लिए दांव लगाया था। उन्हें बीजेपी ने पहले बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर बाद में उपमुख्यमंत्री। कहा जा रहा है कि सम्राट चौधरी कुशवाहा वोटों को बीजेपी के पाले में पूरी तरह से लाने में नाकाम रहे। वोट बैंक की बात करें तो उपेंद्र कुशवाहा के इधर-उधर जाने से उनका वोट बैंक थोड़ा बहुत ही छिटका है। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि सम्राट न सही लेकिन कुशवाहा इन वोटों को विधानसभा चुनाव में ��ापस लाने में कारगर साबित हो सकते हैं। इसीलिए अब सम्राट और कुशवाहा की जोड़ी को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में आगे करने की तैयारी है। http://dlvr.it/T92jpp
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जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अतरी विधानसभा में NDA के सफ़ल एवं संदेशवाहक बैठक के लिए आप सभी अभिभावकों एवं साथियों का हृदय से आभार, अपने तय कर दिया कि बिहार में 40 और देश में 400 सीट से अधिक NDA को जनता के आशीर्वाद से प्राप्त हो रहा है, हम सब मिल कर राज्य और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान करेंगे, पुनः बहुत आभार - डॉ. चन्दन कुमार यादव - प्रदेश सचिव सह अतरी विधानसभा प्रभारी - जनता दल यूनाइटेड, बिहार
#अतरी_विधानसभा #जहानाबाद_लोकसभा #अतरी_का_सेवक #लोकसभा_चुनाव_2024 #नीतीश_कुमार #जयnda_तयnda #डॉ_चन्दन_कुमार_यादव_232_बेलागंज_विधानसभा_गया
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नीतीश कुमार को साथ लेकर Bjp ने कर दी बड़ी भूल ?
बिहार में नीतीश कुमार को लेकर जनता का मूड ठीक नहीं है। बिहार में भारतीय जनता पार्टी यानी की बीजेपी ने नीतीश कुमार को फिर से साथ लेकर बड़ी भूल कर दी। ये हम नहीं कह रहे ये जनता कह रही है। इंडिया टुडे सी वोटर के सर्वे के मुताबिक नीतीश कुमार ने पलटी मारकर अपनी छवि धूमल कर ली है। दूसरी तरह बीजेपी ने एक बार फिर नीतीश कुमार को एनडीए में ले लिया, जिसका नुकसान होता हुआ एनडीए को दिख रहा है। क्या है जनता का मूड़ नीतिश कुमार के बार - बार पलटी मारने से चुनाव पर क्या असर पड़ता है
क्या है जनता का मूड़
मूड ऑफ़ दी नेशन में जनता से सवाल पूछा गया कि क्या बार बार पलटी मारने से नीतीश की छवि खराब होती है? इस सवाल के जवाब में 71% लोगों ने कहा है यानी कि जितनी बार नीतीश ने पलटी मारी, उतनी बार उनकी छवि खराब हो रही है, जबकि 17% लोगों का मानना है कि बार बार पलटी मारने से नीतीश की छवि पर कोई असर नहीं पड़ता। अब ये 71% लोगों का जो जवाब है वो बेहद महत्वपूर्ण है। ये नतीजे बेहद चौंकाने वाले है। इस लिहाज से आप इसको देखिए कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए का दरवाजा बंद करने वाली बीजेपी ने ऐलान तो खूब किया लेकिन अंत में नीतीश की ऐसी जरूरत पड़ी कि बीजेपी ने बंद दरवाजा खोल दिया और बाहे फैला कर नीतीश का दिल खोल कर स्वागत किया।
नीतीश कुमार को साथ लेकर Bjp ने कर दी बड़ी भूल ? कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा था। कहा जा रहा था कि इसके जरिए बीजेपी ने बिहार में जाती जनगणना का तोड़ निकाल लिया। पिछड़ा अति पिछड़ा वोट बैंक अपने पाले में कर लिया लेकिन अंत में बीजेपी ने नीतीश एनडीए में शामिल करके बहुत बड़ी भूल कर बैठी । इंडिया टुडे ने सी वोटर के साथ मिलकर मूड ऑफ़ दी नेशन सर्वे किया। उसमें नीतीश को लेकर जो लोगों का जवाब आया उससे यही लगता है नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी ने कहीं ना कहीं भूल कर दी है। हालांकि असल नतीजे तो चुनाव के वक्त ही देखने को मिलेंगे, लेकिन फिलहाल ज़रा इन आंकड़ों को भी आप नजर डालिये जितनी बार नीतीश कुमार ने पलटी मारा, उतनी बार नीतीश के परफॉरमेंस में कितना फर्क पड़ा है?
नीतिश कुमार के बार - बार पलटी मारने से चुनाव पर क्या असर पड़ता है
नीतीश कुमार इतनी बार पलटी मारी हैं उतनी ही बार उनकी लोकप्रियता कम हुआ है। साल 2013 में बीजेपी ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार नाराज़ हो गए। उन्होंने 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया 2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयु ने सीपीएम के साथ मिलकर लड़ा वही बीजेपी और एलजेपी का गठबंधन हुआ इस चुनाव में जेडीयु सिर्फ दो सीट ही जीत सकी जबकि बीजेपी एलजेपी गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत दर्ज की। बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने। वही 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयु ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा। इस बार जेडीयु ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 71 सीटों पर उन्हें जीत मिली जबकि 2010 का चुनाव जेडीयु ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था तब नीतीश। कुमार की पार्टी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन पाला बदलने के बाद जब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा तो उनकी लोकप्रियता घटकर 115 से 71 पर आ गई। वहीं 2020 में फिर से आरजेडी के साथ छोड़कर जब बीजेपी के साथ पाला बदलकर नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा तो उनकी लोकप्रियता 71 से घटकर 43 पर आ गई। अब देखना 2024 के चुनाव में नितिश कुमार को BJP में आने के बाद BJP को कितना नुकसार उठाना पड़ता है क्योकीं जनता का मूंढ कुछ नहीं लग रहा है । Read the full article
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क्या समय से पहले होगा लोकसभा चुनाव?, जाने नितीश कुमार के इस बयान के क्या हैं मायने?
Lok Sabha Election 2024 : साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी पार्टियां चुनावों की तैयारियों में लगी हुई हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ने की कोशिश में लगी हुई हैं। ऐसे में एक खबर आ रही है कि चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए जो समय निर्धारित किया गया है। उससे पहले भी इलेक्शन हो सकते हैं। ये बात हम नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कही है।
नितीश कुमार ने दिया अटपटा बयान
नीतीश कुमार का यह बयान उस समय सामने आया है, जब वे भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता बनाने में जुटे हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा गठबंधन (NDA) ने 350 से ज्यादा सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में वापसी कर ली थी। वहीं साल 1971 और साल 1984 में समय से पहले लोकसभा चुनाव हुए थे। दोनों बार बनने वाली सरकारों को बंपर जीत मिली थी।
ऐसे में अब नीतीश कुमार का ये मानना है कि साल 1971 और साल 1984 वाला इतिहास एक बार फिर से दोहराया जा सकता है और समय से पहले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) कराए जा सकते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि समय से पहले लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव को देखते हुए किए जा सकते हैं।
वन नेशन-वन इलेक्शन की पैरवी कर चुके हैं पीएम मोदी
लोकसभा (Lok Sabha Election 2024) से पहले छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में मविधानसभा चुनाव होने वाले हैं और समय से पहले लोकसभा चुनाव कराए जाने का सबसे अहम फैक्टर यही माना जा रहा है। 4 में से 3 राज्यों में भाजपा अपनी सरकार लाने की कोशिश कर रही है तो वहीं मध्य प्रदेश में सत्ता को बचाने की कोशिश कर रही है।
चारों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की लोकल लीडरशिप काफी कमजोर है। साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी चुनाव हार गई थी लेकिन कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण ��ाजपा एक बार फिर सत्ता में वापस आ गई। हालांकि मध्यप्रदेश में 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के पास 130 विधायक हैं लेकिन पार्टी के लिए इस बार सत्ता वापसी आसान नहीं है।
सियासी गलियारों में समय से पहले चुनाव कराए जाने के पीछे वन नेशन वन इलेक्शन को भी वजह माना जा रहा है। भाजपा और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) वन नेशन-वन इलेक्शन की पैरवी कर चुके हैं। आने वाले समय में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में ये भी चर्चा है कि वन नेशन-वन इलेक्शन की तर्ज पर एक साल में एक चुनाव कराया जा सकता है, जिससे सभी राज्यों के चुनाव एक साथ निपट सके।
इन राज्यों में में भी होने हैं चुनाव
Lok Sabha Election 2024 : इसके अलावा साल 2024 में महाराष्ट्र, हरियाणा, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी चुनाव होने वाले हैं। हिमाचल, महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा गठबंधन सरकार है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के साथ ही 16 विधायकों की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में समय से पहले चुनाव कराके यहां के संकटों से भी निपटा जा सकता है। इसके अलावा विपक्षी पार्टियां मिलकर विपक्षी एकता की कोशिश में लगी हुई हैं लेकिन अभी तक इन कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है।
इस महीने विपक्ष की पहली मीटिंग पटना में होने वाली है। हालांकि सीट बंटवारे समेत कई मुद्दों पर विपक्ष का पेंच अटका हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि विपक्षी एकता से पहले लोकसभा चुनाव हो पाते हैं या नहीं? अगर समय पर चुनाव हुए तो विपक्षी एकता कितनी एक होगी और ये सभी पार्टियां मिलकर भाजपा को हरा पाएंगी या नहीं या एक बार फिर से महागठबंधन की तरह इन पार्टियों के हाथ कुछ नहीं लगेगा?
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जद (यू) के ब्रेकअवे शेक अप डायनेमिक्स के रूप में, यहां 2024 में बीजेपी और कांग्रेस के लिए स्टोर में क्या है
जद (यू) के ब्रेकअवे शेक अप डायनेमिक्स के रूप में, यहां 2024 में बीजेपी और कांग्रेस के लिए स्टोर में क्या है
बिहार में नई गठबंधन सरकार कांग्रेस के लिए खुशी का स्रोत रही है और उसने बड़ी पुरानी पार्टी को बिना अधिक राजनीतिक निवेश के सत्ता का फल काटने का मौका दिया है। कांग्रेस बिहार में जद (यू) और राजद (एक बार फिर) के एक साथ आने के लिए समर्थन की घोषणा करने वाली पहली पार्टियों में से एक थी। इस कदम से कांग्रेस को अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा को चकमा देने का मौका मिल गया है। भाजपा के बिना नई सरकार के गठन के साथ, 243…
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Cabinet Expansion in Jharkhand: Who Are the Latest Ministers in Hemant Soren’s Cabinet?
Jharkhand Cabinet Expansion : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों की घोषणा 23 नवंबर को कर दी गई है जिसके चलते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रचंड जीत हासिल की है. लगातार चौथी बार चुनाव जीतने के बाद से हेमंत सोरेन अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं.
Introduction
Jharkhand Cabinet Expansion : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में सत्ता में वापसी कर इतिहास रचने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस बार आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. यह उनकी शारीरिक भाषा से भी स्पष्ट हो रहा है. लगातार चुनाव जीतकर चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभालने वाले हेमंत सोरेन इस बार अधिक आक्रामक हैं और रणनीति बनाकर सरकार चलाने की कोशिश में हैं. इस कड़ी में बिहार से सटे झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट का विस्तार भी हो गया. इसमें गठबंधन के सहयोगियों कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल को भी भागीदारी दी गई है. यह मंत्रिमंडल विस्तार में भी देखने को मिला. झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राजभवन में नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. यह विस्तार हेमंत सोरेन के सीएम पद के शपथ लेने के 6 दिन बाद हुआ. रांची स्थित राजभवन के अशोक उद्यान में 11 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 7, कांग्रेस के 4 और राष्ट्रीय जनता दल का 1 विधायक शामिल है. इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं आखिर किस-किस विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली है?
Table Of Content
छत्तरपुर विधानसभा सीट से विधायक राधा कृष्ण किशोर
चाईबासा विधानसभा सीट से विधायक दीपक बिरुवा
बिशुनपुर विधानसभा सीट से विधायक चमरा लिंडा
गोड्डा विधानसभा सीट से विधायक संजय प्रसाद यादव
घाटशिला सीट से विधायक रामदास सोरेन
जामताड़ा सीट से विधायक इरफान अंसारी
मधुपुर सीट से विधायक हफीजूल हसन
महागामा सीट से विधायक दीपिका पांडेय सिंह
गोमिया सीट से विधायक योगेन्द्र प्रसाद
गिरिडीह सीट से विधायक सुदिव्य कुमार
मांडर सीट से विधायक शिल्पी नेहा तिर्की
छत्तरपुर विधानसभा सीट से विधायक राधा कृष्ण किशोर
हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में छतरपुर विधानसभा सीट से विधायक राधा कृष्ण किशोर को भी शामिल किया गया है. उन्हें सहयोगी कांग्रेस पार्टी के कोटे से मंत्री बनाया गया है. कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर को 2024 के विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पुष्पा देवी देवी से कड़ी टक्कर मिली थी. राधाकृष्ण किशोर ने मात्र 736 वोटों से जीत हासिल की. वहीं, राधाकृष्ण किशोर को कुल 71,857 वोट मिले तो भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी पुष्पा देवी को 71,121 वोट मिले. इस तरह राधाकृष्ण किशोर ने बाजी मार ली और अब हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बन गए हैं. राधाकृष्ण किशोर की बात करें तो उन्होंने कई पार्टियों के साथ काम किया है, लेकिन जो पहचान उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा से मिली वह किसी और पार्टी से नहीं मिली. वर्ष 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन साल 2019 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर वो ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के टिकट से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. फिर आजसू छोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए, लेकिन एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और चुनाव लड़ा.
चाईबासा विधानसभा सीट से विधायक दीपक बिरुवा
झारखंड मुक्ति मोर्चा के दीपक बिरुवा पहली बार मंत्री बने हैं. दीपक बिरुवा को चाईबासा विधानसभा सीट से मंत्री बनाया गया है. हालांकि यह पहली बार नहीं जब वह विधानसभा जा रहे हों. इसके पहले दीपक बिरुवा 4 बार विधायक रहते हुए विधानसभा पहुंचे हैं. दीपक बिरुवा ने प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी गीता बालमुचू को 64 हजार 835 मतों के बड़े अंतर से हराया. दीपक बिरुवा को इस चुनाव में कुल 1 लाख 7 हजार 367 मत प्राप्त हुए, जबकि गीता बालमुचू को मात्र 42 हजार 532 मत मिले.
बिशुनपुर विधानसभा सीट से विधायक चमरा लिंडा
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा ने दीपक बिरुवा के बाद मंत्री के रूप में शपथ ली. चमरा लिंडा ने झामुमो के टिकट पर बिशुनपुर विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. हालांकि वो पहली बार मंत्री बने हैं. इससे पहले साल 2024 में ही लोकसभा चुनाव में गठबंधन के खिलाफ जाकर उन्होंने लोहरदगा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, पर इस चुनाव में चमरा लिंडा कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने प�� चमरा लिंडा को झामुमो से निलंबित कर दिया गया था. चमरा लिंडा को इस चुनाव में कुल 10,0336 वोट मिले हैं.
गोड्डा विधानसभा सीट से विधायक संजय प्रसाद यादव
झारखंड मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे चौंकाने वाला नाम राष्ट्रीय जनता दल से संजय प्रसाद यादव का है. हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में राजद की ओर से देवघर विधायक सुरेश पासवान के नाम को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया. उनकी जगह गोड्डा के विधायक संजय प्रसाद यादव को मंत्री पद दिया गया. संजय यादव तीसरी बार राजद से विधायक बने हैं. इससे पहले वे 2000 और 2009 में गोड्डा से विधायक रह चुके हैं. इसके साथ ही वह लालू प्रसाद यादव के परिवार के काफी करीबी भी माने जाते हैं.
घाटशिला सीट से विधायक रामदास सोरेन
रामदास सोरेन को कोल्हान का मजबूत नेता माना जाता है, लेकिन वह इस बार घाटशिला से विधायक बने हैं. उन्होंने चंपई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन को शिकस्त दी. इस समय उनके पास जल संसाधन विभाग मंत्रालय, उच्च शिक्षा मंत्रालय और तकनीकी शिक्षा मंत्रालय जैसे विभाग शामिल हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रामदास सोरेन को 98356 वोट मिले, जबकि बाबू लाल सोरेन को 75910 वोट मिले.
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जामताड़ा सीट से विधायक इरफान अंसारी
इरफान अंसारी को हेमंत सोरेन ने एक बार फिर अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है. इरफान अंसारी जामताड़ा सीट से विधायक बने हैं. अगस्त 2019 से अगस्त 2021 तक झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे. इस सीट पर BJP ने सीता सोरेन को खड़ा किया था, लेकिन वह हार गई. इरफान अंसारी को इस सीट पर कुल 133266 वोट मिले, जबकि सीता सोरेन को 89590 वोट मिले.
मधुपुर सीट से विधायक हफीजूल हसन
हेमंत सोरेन की कैबिनेट में अल्पसंख्यक समुदाय से 2 मंत्री बनाए गए हैं, इनमें पहला नाम डॉ. इरफान अंसारी है तो दूसरे हफीजुल हुसैन हैं. हफीजुल हुसैन इसके पहले भी हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं. साल 2021 के उपचुनाव में पहली बार हफीजुल मधुपुर से विधायक बने थे. उस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को शिकस्त दी. मधुपुर विधानसभा की जनता ने हाफिजुल हसन को कुल 143953 वोट दिए, जबकि BJP के गंगा नारायण को 123926 ही वोट मिले. दोनों के बीच जीत-हार का अंतर 20027 वोटों का रहा है.
महागामा सीट से विधायक दीपिका पांडेय सिंह
महागामा विधानसभा से विधायक दीपिका पांडेय सिंह एक बार फिर से मंत्री बन गई हैं. दीपिका पांडेय सिंह इससे पहले भी हेमंत सोरेन 2.0 सरकार में बतौर मंत्री कृषि, पशुपालन सहकारिता विभाग और आपदा विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. इस चुनाव में एक बार फिर से जीत दर्ज कर दीपिका विधानसभा पहुंची हैं. दीपिका पांडेय सिंह ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अशोक भगत को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा किया है. इस चुनाव में दीपिका ने भाजपा प्रत्याशी अशोक भगत को 18,645 वोटों से मात दी. दीपिका को कुल 1,14,069 वोट मिले, जबकि अशोक भगत को मात्र 95,424 वोट मिले.
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गोमिया सीट से विधायक योगेन्द्र प्रसाद
गोमिया विधायक योगेन्द्र प्रसाद ने भी हेमंत सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. करीब 21 साल बाद गोमिया के किसी विधायक को एक बार फिर मंत्री बनने का मौका मिला है. योगेन्द्र प्रसाद ने लगभग 95 दजार वोटों से जीत हासिल की है. इससे पहले 2014 में लगभग 97 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी और उस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी माधवलाल सिंह को शिकस्त दी थी.
गिरिडीह सीट से विधायक सुदिव्य कुमार
दूसरी बार जीत दर्ज करने वाले गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार को आखिरकार मंत्री पद मिल ही गया. उन्हें करीब 94 हजार वोट मिले हैं. सुदिव्य कुमार को करीब 94 हजार वोट हासिल हुए. वहीं, भाजपा के निर्भय शाहाबादी को 90 हजार के करीब मत मिले. इस तरह करीब 3 हजार 838 वोटों के अंतर से सुदिव्य कुमार जीत गए.
मांडर सीट से विधायक शिल्पी नेहा तिर्की
मांडर विधानसभा क्षेत्र से सबसे युवा चेहरा शिल्पी नेहा तिर्की दूसरी बार मंत्री बनी हैं. उन्हें कांग्रेस की तरफ से टिकट दिया गया था. शिल्पी ने भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सन्नी टोप्पो को 22,803 से वोटों से हराया. शिल्पी नेहा तिर्की को कुल 1 लाख 35 हजार 936 वोट मिले थे जबकि भाजपा की सन्नी टोप्पो को मात्र 1 लाख 13 हजार 133 वोट ही मिले. लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचने के बाद मंत्री पद की उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी.
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बिहार: पिता आनंद मोहन के बाद बेटे चेतन के निशाने पर क्यों हैं चिराग पासवान?
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तारापुर और कुशेश्वरस्थान के विधानसभा सीटों पर जीते एनडीए नेता, दोनों प्रत्याशियों की लगातार चौथी जीत
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इन 14 सीटों पर NDA भारी मुश्किल में, अगर समीकरण उल्टे बैठे तो लालू-राहुल का बंपर फायदा
पटना: लोकसभा 2024 के चुनाव में की परफॉर्मेंस को ले कर कई सवाल उठ रहे थे, जैसे ��केले चना भांड नहीं फोड़ता वगैरह... वगैरह। लेकिन सातवें चरण के बाद आए एग्जिट पोल से एक बात तो साफ हो गई कि बिहार में इंडिया गठबंधन की जान तेजस्वी यादव ही हैं। यह दीगर है कि कई एग्जिट पोल में इंडिया गठबंधन को दहाई आंकड़ों तक ही ले जाया गया है। पर यहां गौरतलब यह है कि तेजस्वी यादव उस एनडीए के विरुद्ध लड़ रहे थे जिनके 40 में से 39 सांसद थे। तुलना तो इस बात की भी होनी चाहिए कि एनडीए की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जे पी नड्डा, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, नीतीश कुमार जैसे स्टार प्रचारक थे जबकि दूसरी तरफ अकेले लालू परिवार ने मोर्चा संभाल रखा था। हां कभी कभार राहुल गांधी की भी जनसभाएं हुई। क्या है एग्जिट पोल का लब्बोलुआब? बिहार से जो एग्जिट पोल आया है, उससे इतना तो साफ है कि इस बार राजद शून्य पर नहीं सिमटने वाला। वहीं NDA की बिहार में पिछली बार की तरह बंपर जीत भी मुश्किल दिख रही है। यही नहीं, आशंका है कि एनडीए को दोहरी मार से भी गुजरना पड़ सकता है। मतलब एनडीए के वोट प्रतिशत में कमी आ सकती है और सीटें भी घट सकती हैं। एग्जिट पोल का सार यही है कि एनडीए 28 से 32 लोकसभा सीट जीतने जा रही है और इंडिया गठबधन को 8 से 10 लोकसभा सीटें मिलने जा रही है। एनडीए में शामिल दलों की बात करें तो बीजेपी को 14 से 15 सीट पर जीत मिल सकती है। जदयू को 8 से 10 सीट पर जीत हासिल हो सकती है। इंडिया गठबंधन की बात करें तो राजद को 7 से 9 सीट मिल सकती हैं। जबकि कांग्रेस को दो से तीन सीटें मिल सकती है। वीआईपी और वाम दल के उम्मीदवार जीत दर्ज करते नहीं दिख रहे हैं। आरा और काराकाट में माले के उम्मीदवार कांटे की टक्कर देते जरूर दिख रहे हैं। लेफ्ट और MY का पॉलिटिकल कॉकटेल तेजस्वी यादव की सोच में वाम दलों के संगठन के साथ एम वाई समीकरण तो था ही। इस बार राजद सुप्रीमों की रणनीति में कुशवाहा, भूमिहार और वैश्विक उम्मीदवार दे कर एनडीए के सामाजिक सामाजिक समीकरण में सेंधमारी का जो लक्ष्य था, वे भी एक हद तक तो पूरा होता दिखा। कुशवाहा की बात करें तो औरंगाबाद, नवादा, काराकाट, खगड़िया लोकसभा सीटों पर ज्यादातर कुशवाहा वोटरों के इंडिया गठबंधन को वोट देने की चर्चा है। बीजेपी के कैडर वैश्य वोटरों की भी नाराजगी दिखी, जिसका असर शिवहर और सीतामढ़ी में पड़ सकता है। तो इसीलिए तेजस्वी ने लेफ्ट को साधा तेजस्वी यादव के वाम दलों के साधने की रणनीति का एक आधार भी था। वो था बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव। इस चुनाव में वाम दलों ने 16 सीटें जीतकर महागठबंधन को मजबूत आधार दिया। ये अलग बात है कि वो असर लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के मामले में नहीं दिख रहा है। लेकिन वाम दलों के कैडर के सपोर्ट से राजद के कई उम्मीदवारों को जीत हासिल हो सकती है। वीआईपी का साथ लेना भी राजद को एक हद तक फायदा पहुंचा गया है। वीआईपी भले कोई सीट निकाल नहीं पा रही है पर राजद और कांग्रेस उम्मीदवार को सदन भेजने में सहायक सिद्ध हो सकती है। इन 14 सीटों पर NDA के लिए भारी मुश्किल! अब असल बात कि एनडीए के लिए वो कौन सी सीटें हैं जहां उसे दिक्कत पेश आ सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो इन 14 सीटों पर NDA का खेल खराब होता दिख रहा है। ये 14 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कोई भी जीत हार सकता है। जातीय गणित और उसकी आक्रामकता में राजद आगे है तो सरकारी योजनाओं से लाभार्थी वर्ग के मामले में NDA। अगर ये लाभार्थी वर्ग जाति में न टूटे तो एनडीए को फायदा होगा और अगर टूट गया तो इंडिया गठबंधन को शुद्ध सियासी मुनाफा हो सकता है। 1. शिवहर2. सीतामढ़ी3. पाटलिपुत्र4. औरंगाबाद 5. नवादा6. जहानाबाद7. खगड़िया8. सिवान9. पूर्णिया10. किशनगंज11. कटिहार12. बांका13. मुंगेर14. बक्सर http://dlvr.it/T7k1yb
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