#बिहार में फिर से स्कूल
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दरभंगा: स्कूल जा रहे शिक्षक की गोली मारकर हत्या, अपराधियों के हौसले बुलंद
दरभंगा: स्कूल जा रहे शिक्षक की गोली मारकर हत्या, अपराधियों के हौसले बुलंद
Darbhanga Teacher Murder News: बिहार के दरभंगा जिले में अपराधियों ने एक बार फिर बेखौफ होकर हत्या को अंजाम दिया। सोमवार सुबह, कुशेश्वरस्थान थाना क्षेत्र में सरकारी शिक्षक रामाश्रय यादव (52) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना तब हुई जब वह बाइक से अपने स्कूल जा रहे थे। घटना का पूरा विवरण शिक्षक रामाश्रय यादव, जो कुशेश्वरस्थान पूर्वी उत्क्रमित उच्च विद्यालय अदलपुर में कार्यरत थे, सुबह 9:30 बजे…
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Jharkhand palamu st mariam school : झारखंड- बिहार के श्रेष्ठ विद्यालयों के श्रेणी में संत मरियम का नाम हुआ शामिल, स्कूल के चेयरमैन ने फिल्म स्टार सोनू सूद के हाथ से ग्रहण किया सम्मान
मेदि��ीनगर : पलामू का संत मरियम आवासीय विद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. शिक्षा और संस्कार को समावेशित कर चार बच्चों को लेकर प्रारंभ हुआ विद्यालय का झारखंड बिहार के श्रेष्ठ विद्यालयों की श्रेणी में शुमार होना सिर्फ विद्यालय परिवार के लिए गौरव का विषय नहीं, बल्कि इसने पूरे जिले को गरवान्वित किया है. विदित हो कि रांची, होटल ब्लू रेडिशन के सेंट्रल हॉल में टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित बिजनेस…
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Lalu and Nitish: Two Pillars of Bihar’s Political History
Introduction
Political Journey of Lalu-Nitish : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और वर्तमान सीएम नीतीश कुमार का राजनीति में काफी पुराना याराना रहा है. दोनों नेता एक समय एक-दूसरे को भाई मानते थे और आज भी जब मिलते हैं तो एक-दूसरे का काफी सम्मान करते हैं भले ही राजनीतिक मंचों से आरोप लगाते रहते हों. साल 1974 के जेपी आंदोलन की उपज लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का सफर बिहार की राजनीति की कहानी को बयां करती हैं. RJD के प्रमुख लालू प्रसाद पहली बार साल 1977 में लोकसभा के सांसद चुने गए और नीतीश कुमार पहली बार पदार्पण 1985 में विधायक बनकर हुआ था. जहां एक तरफ लालू प्रसाद यादव केंद्र की राजनीति में काफी सक्रिय रहते तो वहीं नीतीश कुमार राज्य की राजनीति में जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे. नीतीश ने 70 के दशक में बिहार राज्य छात्र महासंघ के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक करियर की शुरुआत की और उसके बाद जनता दल में शामिल हो गए.
नीतीश कुमार के लिए राजनीति में साल 1989 काफी अहम था, इस साल वह 9वीं लोकसभा के लिए सांसद चुनकर पार्लियामेंट पहुंचे और इसके बाद 1990 में कृषि एवं सहकारी विभाग का केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया यह उनके करियर का मील का पत्थर साबित हुआ. साल 1991 में 10वीं लोकसभा इलेक्शन में वह दूसरी बार लोकसभा के सांसद के रूप में चुन लिए गए. इसी वर्ष उन्हें जनता दल का महासचिव भी चुन लिया गया और संसद में जनता दल का उपनेता बनाया गया. लालू और नीतीश एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके इर्द-गिर्द बिहारी पूरी राजनीति घूमती रही है. यह दोनों नेता बीते 3 दशक से बिहार में अपना झंडा गाढ़े हुए हैं.
Table of Content
बिहार की राजनीति में लालू का कद
संघर्ष भरा रहा लालू का जीवन
नीतीश का जीवन और राजनीतिक करियर
बिहार की राजनीति में लालू का कद
लालू यादव प्रसाद बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान रखते हैं और उनके बिना राज्य में अधूरापन सा लगता है. उनका जन्म 11 जून, 1948 को बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार के यहां पर हुआ था. वह राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख हैं और पहली बार 1990-97 तक बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. अपने मजाकिया अंदाज में विरोधियों पर तंज कसने के लिए लालू पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. छात्र आंदोलन से लेकर संसद की राजनीति तक उन्होंने कई बड़े उतार-चढ़ाव देखें जहां वह साल 1974 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की नीतियों का विरोध करने के लिए सड़क पर उतरे और 1977 में आपातकाल हटने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार 29 वर्ष की उम्र में सांसदी का चुनाव जीतकर पार्लियामेंट की दहलीज पर कदम रखा. साल 1980 में लालू जनता पार्टी से अलग हो गए और वीपी सिंह की अगुवाई वाली जनता दल से जुड़ गए.
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संघर्ष भरा रहा लालू का जीवन
लालू यादव का जीवन बचपन में काफी संघर्ष भरा है और उन्होंने गरीबी में रहकर प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई की. उसके बाद पटना यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन और एलएलबी की. साथ ही उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज टू रायसीना’ में अपनी आर्थिक स्थिति का जिक्र किया है. वह इस किताब में बताते हैं कि बचपन में उन्हें खाने के लिए पेट भर भोजन तक नसीब तक नहीं होता था. पहनने के लिए कपड़े नहीं थे और वह गांव में भैंस को चारा खिलाने का काम करते थे. लेकिन उनकी जिंदगी की एक घटना ने पूरा जीवन बदलने का काम किया था.
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नीतीश का जीवन और राजनीतिक करियर
नीतीश कुमार का नाम लिए बिना बिहार की राजनीति काफी अधूरी सी लगती है वह राज्य में लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले पहले शख्स हैं. साल 2000 में वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने को लेकर उनकी सरकार 7 दिनों में ही गिर गई. इसके बाद साल 2005 में उन्होंने NDA के साथ मिलकर लालू की सरकार में जंगलराज को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा और पहली बार वह पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुए और इस बार नीतीश कुमार राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए.
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1994 में नीतीश ने पकड़ी अलग राह
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पहली बार जयप्रकाश नारायण (JP) के समाजवादी आंदोलन के दौरान एक साथ आए. इंदिरा गांधी के खिलाफ देश भर में विरोध-प्रदर्शन हो रहा था और एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि जब लालू-नीतीश को एक साथ आना पड़ा था. लालू यादव शुरू से ही हिंदुत्व विचाराधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे उस दौरान वह युवा नेता नीतीश कुमार जैसे समाजवादी नेता को अपने साथ रखना चाहते थे. जब इंदिरा के खिलाफ जेपी आंदोलन सफल हुआ तो इन दोनों नेता के लिए यह सफलता की बात थी. वहीं, 1990 में बिहार विधानसभा में जनता दल की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी और मुख्यमंत्री की दौड़ में नीतीश कुमार ने लालू की पूरी मदद की जिसके बाद लालू प्रसाद पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, 2 साल बाद ही नीतीश और लालू के बीच में मतभेद होना शुरू हो गए.
Conclusion
लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति को गहरे रूप से प्रभावित किया है. दोनों ही नेता के पास पर्याप्त जनाधार है, बीते तीन दशक की बिहार की राजनीति पर निगाह डालें ��ो लालू और नीतीश में से एक के समर्थन के बिना कोई सरकार ही नहीं बना सका. एक तरफ जहां लालू की अपील पिछड़ों वर्गों के लिए वकालत में निहित है. वहीं, नीतीश कुमार की सरकार शासन और विकास पर जोर देने का काम करती है. उनका रिश्ता बीते तीन दशकों में गठबंधन और प्रतिद्वंद्विता का मिश्रण रहा है.
इस दौरान दोनों नेताओं ने बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर बदलते राजनीतिक माहौल के अनुसार अपना स्टैंड लिया है. लेकिन लालू की अगुवाई वाली RJD ज्यादातर कांग्रेस के नेतृत्व वाले UPA (वर्तमान I.N.D.I.A.) का समर्थक रहा है जबकि नीतीश की पार्टी JDU ज्यादातर NDA का समर्थन करती रही है. यही एक वजह हो सकती है दोनों नेता राष्ट्रीय स्तर पर दो पार्टियों को लुभाने के लिए अलग-अलग धाराओं में बह रहे हैं. नीतीश कुमार साल 2015 में विधानसभा का चुनाव RJD के मिलकर लड़ा था लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह UPA को छोड़कर NDA में शामिल हो गए. 90 के दशक से पहले एक मंच पर एक साथ दिखने वाले लालू-नीतीश वर्तमान में दो ध्रुव पर खड़े है और दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे हैं.
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बिहार की सीमा के अंतिम स्कूल में पहुंचे ACS एस. सिद्धार्थ, बच्चों संग जमीन पर बैठकर खाया भोजन
Bihar News :बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) एस. सिद्धार्थ ने एक बार फिर अपनी सादगी से सभी को प्रभावित किया है। मंगलवार को उन्होंने बिहार की अंतिम सीमा पर स्थित एक स्कूल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने न केवल बच्चों से मिलकर बातचीत की, बल्कि उनके साथ जमीन पर बैठकर मध्याह्न भोजन भी किया। सिद्धार्थ ने बच्चों से स्कूल में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और स्वाद के बारे में…
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राजभवन, एयरपोर्ट और स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, जानिए इसके पीछे का पूरा सच
पटना: बिहार राजभवन में बम होने की सूचना वाला ईमेल मिलने के बाद इसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने बुधवार को बताया कि राजभवन में व्यापक सुरक्षा जांच के बावजूद हमें वहां कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। मंगलवार सुबह राजभवन और बिहार पुलिस के अधिकारियों को धमकी भरा ईमेल मिला, जिसमें दावा किया गया था कि राज्यपाल के आवास पर बम रखा गया है। ये पूरी तरह से अफवाह निकला क्योंकि कुछ भी नहीं मिला। एसएसपी ने कहा कि हम अब ईमेल के स्रोत का पता ��गाने की कोशिश कर रहे हैं और प्रेषक का पता लगाने के लिए ‘इंटरनेट प्रॉटोकोल’ (आईपी) पते के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। दिल्ली, एनसीआर और गुरुग्राम के सौ से ज्यादा स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी के बाद स्कूलों में आए बच्चों को घर भेज दिया गया। स्कूल भवनों और परिसर की सघन जांच की गई। कहीं कुछ नहीं मिला। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे फर्जी काल बताया है। एक दिन पहले कोलकाता में राजभवन को बम से उड़ाने का फर्जी ईमेल आया था। एयरपोर्ट या अन्य सार्वजनिक स्थानों के बारे में भी ऐसे फर्जी मेल या काल अक्सर आते रहते हैं। इंटरनेट के युग में ऐसे फर्जीवाड़ों की भरमार आ गई है। बम की सूचना से फैलती है दहशत जाहिर है कि ऐसी सूचनाएं दहशत फैलाने के इरादे से ही प्रसारित की जाती हैं। प्रशासन परेशान हो, सरकार भयभीत हो और लोग आतंकित हों, मेल भेजने वालों और काल करने वालों का यही मकसद होता है। ऐसा करने वाले यकीनन आपराधिक प्रवृत्ति के या सिरफिरे होंगे। सत्ता पक्ष के लिए जिस तरह विपक्ष बेवजह मुसीबत खड़ी करने का अभ्यस्त हो चुका है, उसमें ऐसे शरारती तत्व आसानी से अपने हाथ साफ कर लेते हैं। ऐसी दहशतगर्दी फैलाने में पड़ोसी दुश्मन देशों का भी हाथ हो सकता है। विपक्ष की ऐसी सूचनाओं पर चुप्पी भी संदेह पैदा करती है। विपक्ष की ऐसे मामलों में चुप्पी क्यों लोकसभा चुनाव की जारी प्रक्रिया के बीच विपक्ष जिस तरह की अफवाहों को हवा देता रहा है, उसे देख कर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ये अफवाहें भी विपक्षी दलों के समर्थक ही फैला रहे हों। आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की बात विपक्ष शिद्दत से कह रहा है। भाजपा का भय लोगों में पैदा करने के लिए विपक्ष की यह रणनीति हो सकती है। पर, सभी जानते हैं कि ऐसा कर पाना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए नामुमकिन है। हां, संविधान में संशोधन जरूर होते रहे हैं। संविधान में संशोधन कर ही कांग्रेस नेता और भूतपूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी। लोकसभा का कार्यकाल छह साल कर दिया था। 1977 में जब इंदिरा गांधी की सरकार का पतन हुआ तो फिर संविधान संशोधन कर पुरानी स्थिति बहाल की गई। अब तक सौ से अधिक संशोधन संविधान में हो चुके हैं। संविधान का मूल ढांचा आज भी बरकरार है। यानी संविधान में संशोधन तो हो सकता है, पर इसे खत्म करने की बात चुनावी अफवाह से अधिक कुछ नहीं। ठीक उसी तरह, जैसी बम होने की अफवाह फैलाई गईं। पहले हो चुकी हैं विस्फोट की घटनाएं बहरहाल, बम से उड़ाने की जिस तरह की अफवाहें जोर पकड़ रही हैं, उसमें कभी सच्चाई भी सामने आ जाए तो आश्चर्य नहीं। इसलिए कि ऐसी घटनाएं पहले हो चुकी हैं। देश में 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने सरकार बनाई। मनमोहन सिंह पीएम बने। सिंह ने 10 साल तक शासन किया। उन 10 वर्षों में बम विस्फोट की कई बड़ी घटनाएं हुई थीं। 15 अगस्त 2004 को असम के एक स्कूल में बम विस्फोट हुआ था। 18 लोगों की जान चली गई थी। 5 जुलाई 2005 को अयोध्या में आतंकी हमले में छह लोगों की मौत हो गई थी। 28 जुलाई 2005 को जौनपुर के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 13 लोग मारे गए। 2005 में ही 29 अक्टूबर को दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट से दहल गई थी। 70 लोगों के चिथड़े उड़ गए थे। देश में ऐसी अनेक घटनाएं घट चुकी हैं। यह अलग बात है कि 2014 के बाद ऐसी घटनाओं पर विराम लगा है। इसलिए बम ब्लास्ट की सूचनाओं को सिर्फ सिरफिरे या शरारती तत्वों की करामात बता कर चुप रह जाना ठीक नहीं होगा। शरारती तत्वों की पहचान जरूरी अफवाह उड़ा कर लोगों को तबाह करने वाले ऐसे तत्वों की पहचान मुश्किल नहीं है। डिजिटल क्रांति ने तो इसे और आसान बना दिया है। चिंता की बात यह है कि चुनावी मौसम में ऐसी सूचनाओं की बाढ़ कहां से और क्यों आ गई है। क्या यह विपक्ष की कोई रणनीति है या विपक्ष की आड़ लेकर शरारती तत्व ऐसा करना आसान समझ रहे हैं। सच जो भी हो, लेकिन ऐसे तत्वों की तलाश और उनके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। http://dlvr.it/T6H8XN
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की बड़ी घोषणा, यहां देखें विवरण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की बड़ी घोषणा, यहां देखें विवरण
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने बुधवार (4 अगस्त) को अनलॉक 5 दिशानिर्देशों के तहत शनिवार (7 अगस्त) से स्कूलों और कोचिंग सेंटरों को आंशिक रूप से फिर से खोलने का फैसला किया क्योंकि राज्य में COVID-19 मामले नियंत्रण में हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्विटर पर घोषणा की कि कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और यहां तक कि कोचिंग संस्थान राज्य में 7 अगस्त से 50 प्रतिशत क्षमता…
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#ऑफएसएस#ओएसएस बिहार#कर्क रेखा इनमें से किस राज्य से होकर गुजरती है#नीतीश कुमार ट्विटर#बिहार 2021 में स्कूल कब खुलेगा#बिहार अनलॉक 5#बिहार अनलॉक 5 दिशानिर्देश 2021#बिहार अनलॉक खबर#बिहार बोर्ड online.com#बिहार में 5 दिशा-निर्देश अनलॉक करें#बिहार में अनलॉक 5#बिहार में आज से स्कूल फिर से खुलने की खबर#बिहार में फिर से स्कूल#बिहार में स्कूल कब खुलेगा#बिहार में स्कूल खुलने की खबर#बिहार राज्य बिजली बोर्ड#बिहार लॉकडाउन की खबर#बिहार समाचार आज#बिहार सरकार#बिहार स्कूल#बिहार स्कूल फिर से खुल गया#बिहार स्कूल फिर से खुलने की खबर#माध्यमिक#माध्यमिक बिहार बोर्ड#वरिष्ठ माध्यमिक बिहार बोर्ड ऑनलाइन#स्कूल परीक्षा
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जानें किन-किन राज्यों में अगस्त से खुलने जा रहे हैं स्कूल
जानें किन-किन राज्यों में अगस्त से खुलने जा रहे हैं स्कूल
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#छत्तीसगढ़ में स्कूल#छत्तीसगढ़ में स्कूल फिर से खोलना#बिहार में स्कूल#राजस्थान में स्कूल#राजस्थान में स्कूल फिर से खोलना#स्कूल#स्कूल फिर से खोलना#हिमाचल प्रदेश में स्कूल फिर से खोलना
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Indira Gandhi Death – Cycle Rickshaw Man of Noida – No. 3
मोहमद गुलाम।
हा यही पीछे रहता हूँ।अभी ३ और लोग है उनके साथ। एक बंदा बैटरी वाली रिक्षा चलता है और एक सिलाई काम करता है यही पीछे।
नहीं। ३ लोगो के बिच में एक कमरा, २००० किराया है।
हा खाना खा लिया। एक बंदा सुबह खाना बनता है में रात को बनता हु।
ये रिक्शा में इंदिरा गाँधी मरी उस टाइम से चला रहा हु। रिक्षा चलाते चलाते ३ लड़की की शादी की और एक लडके का भी निकाह किया। गाओ में घर बनाया और ४ कट्ठा जमीन भी लिया।
बिहार से, पटना के पास है गाओ। सब घर वाले वही है।
काफी साल से दिल्ली में था फिर पंजाब गया, फिर पिछले कुछ ५-६ साल से यहा हूँ। पहले २०-२० बच्चे लोगो को में स्कूल छोड़ने के लिए रिक्षा चलता था। अब तो बस हर गली आती है।
याद आती है पर क्या करे।
ठीक है भाई साब चलता हु।
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B.ED और BTC में क्या अंतर है? जाने कौन है बेहतर बीएड या बीटीसी
B.ED कोर्स क्या है?
B.ed का फुल फॉर्म बैचलर ऑफ एजुकेशन (Bachelor of Education) होता है। यह एक अंडर ग्रेजुएट डिग्री होती है, जो 2 साल का होता है। इस कोर्स के अंतर्गत छात्रों को टीचर बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। तो यदि आप टीचर बनना चाहते हैं तो आप Graduation करने के बाद b.ed कर सकते हैं। क्योंकि टीचर बनने के लिए यह सबसे जरूरी डिग्री होती है।
यदि आप B.ed कर लेते हैं तो आप Primary कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं। B.ed करना शिक्षक बनने की ओर का पहला कदम होता है। B.ed में कुल 4 सेमेस्टर होते हैं, जिसमें आपको अलग-अलग चीजें शिक्षक बनने से संबंधित सिखाई जाती है।
BTC कोर्स क्या है?
BTC कोर्स भी एक ऐसा कोर्स है, जिसे करके आप अध्यापक बन सकते हैं। BTC कोर्स करके आप सरकारी स्कूल में अध्यापक बन सकते हैं। कोर्स 2017 के बाद से D.El.Ed. बन चुका है। यानी कि अब BTC को D.El.Ed. के नाम से जाना जाएगा।
बीटीसी का फुल फॉर्म बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (Basic Training Certificate) होता था। लेकिन अब जब यह D.El.Ed. कोर्स बन चुका है तो डीएलएड का फुल फॉर्म डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (Diploma in Elementary Education) है।
��िप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन यानी BTC 2 वर्ष का होता है। जिसमें 4 सेमेस्टर होते हैं। इस कोर्स को करने के बाद भी आप एक सरकारी टीचर बन सकते हैं।
BTC और B.ED के लिए योग्यता
D.El.Ed./ BTC कोर्स और b.ed कोर्स करने की योग्यताएं एक ही होती है। परंतु यह योग्यता कॉलेज के आधार पर अलग-अलग भी हो सकती है। हम यहां आपको एक सामान्य योग्यता बता रहे हैं जो कि लगभग सभी कॉलेजों द्वारा मांगी जाती है।
आपने किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय से ग्रेजुएशन पास किया हो।
आपका ग्रेजुएशन में 50% तक के अंक होने चाहिए। इन अंको में OBC/ SC/ ST कैटेगरी वालों के लिए छूट भी मिलती है।
आपकी उम्र कम से कम 18 वर्ष और अधिक से अधिक 35 वर्ष होनी चाहिए।
B.ED और BTC की कोर्स फीस
चलिए b.ed और BTC की कोर्स फीस के बारे में समझ लेते हैं। कई लोग जानना चाहते हैं कि BTC की फीस कितनी है 2022? तो हमें आपको बता दें कि बीएड और बीटीसी की फीस में ज्यादा अंतर नहीं है।
Private College – यदि आप प्राइवेट कॉलेज से b.ed कर रहे हैं तो कोर्स फीस 51250 रुपए प्रतिवर्ष होती है। वही डीएलएड यानी BTC कोर्स फीस ₹41000 प्रति वर्ष होती है।
Government College – वहीं अगर आप सरकारी कॉलेज द्वारा b.ed या BTC कोर्स करना चाहते हैं तो BTC कोर्स फीस ₹10200 प्रति वर्ष होगी। वही b.ed के लिए कोर्स फीस 8000 से ₹20000 प्रति वर्ष होगी।
कोर्स में एडमिशन
B.ed या BTC कोर्स में एडमिशन लेने के लिए आपको प्रवेश परीक्षा से गुजरना होगा। हर वर्ष यह परीक्षा मई और जून के महीने में ली जाती है। यदि हम यहां बात करें उत्तर प्रदेश की प्रवेश परीक्षा तो उत्तर प्रदेश में b.ed और BTC का Entrance Exam जून 2023 में होगा। वहीं बिहार में b.ed और BTC का एंट्रेंस एग्जाम दिसंबर 2023 में होगा।
आप अपने राज्य की ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर पता कर सकते हैं कि आपके राज्य में 2023 में किस समय प्रवेश परीक्षाएं हो सकती है।
B.ED के लिए भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज
B.Ed. कोर्स करने के लिए सबसे पहले Entrance Exam को क्लियर कर सकते हैं। या फिर आप किसी प्राइवेट कॉलेज में भी डायरेक्ट एडमिशन ले सकते हैं। हम यहां पर आपको b.ed करने के लिए कुछ भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
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वेतन अपडेट: सरकार ने जारी किया आदेश! त्यौहार से पहले होगा अक्टूबर माह का वेतन भुगतान।
बिहार सरकार वित्त विभाग द्वारा जारी पत्र संख्या 9709 दिनांक 17.10.2022 के तहत राज्य सरकार के वैसे कर्मी जिनका वेतन भुगतान स्थापना विपत्र से की जाती है उनके अक्टूबर माह का वेतन भुगतान 20.10.2022 से से करने का निर्णय लिया गया है इस सम्बन्ध में पत्र जारी हुआ है। विभागीय पत्र इसे भी पढ़ें >>> बिहार स्कूल से लापरवाही का मामला आया सामने! मध्यान भोजन में एक बार फिर से मेंढक के बाद मिला मकड़ी! Read the full article
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भागलपुर : जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने प्रोन्नत मध्य विद्यालय बिशनपुर जिच्छो का किया निरीक्षण, बच्चों की पढ़ाई व मिड डे मील का भी किया निरीक्षण।
भागलपुर : जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने प्रोन्नत मध्य विद्यालय बिशनपुर जिच्छो का किया निरीक्षण, बच्चों की पढ़ाई व मिड डे मील का भी किया निरीक्षण।
रिपोर्ट- विवेक कुमार भागलपुर। भागलपुर बिहार सरकार शिक्षा मे सुधार को लेकर कई हथकंडे अपना रही है परंतु फिर भी उनके वादे खोखले नजर आते हैं। कहीं स्कूल में बैठने के लिए डेस्क बेंच नहीं है नहीं तो कहीं ब्लैकबोर्ड नहीं । कुछ दिन पहले मिड डे मील के भोजन करने से 50 बच्चे बीमार हो गए थे खुले तौर पर कहा जाए तो स्कूली व्यवस्था पूर्णरूपेण चरमराई हुई है।इसी बावत आजभागलपुर जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने प्रोन्नत…
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बिहार अनलॉक-5: शैक्षणिक संस्थान, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल आज से खुले
बिहार अनलॉक-5: शैक्षणिक संस्थान, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल आज से खुले
जैसा कि बिहार में कोरोनोवायरस के मामलों में गिरावट जारी है, नीतीश कुमार सरकार राज्य में COVID प्रतिबंधों में और ढील दे रही है। आज से लागू हुए अनलॉक-5 के दिशा-निर्देशों के तहत कई माह से बंद पड़े स्कूल व कोचिंग संस्थान फिर से खोल दी आज से। इसके साथ ही सिनेमा हॉल और शॉपिंग मॉल भी जनता के लिए खुल गए हैं। सार्वजनिक वाहनों को आज से शत-प्रतिशत क्षमता के साथ चलने की अनुमति दे दी गई है। कोविड-19 से…
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जानें किन-किन राज्यों में खुलने जा रहे हैं स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालय, कब से खुलेंगे
जानें किन-किन राज्यों में खुलने जा रहे हैं स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालय, कब से खुलेंगे
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#एमपी में स्कूल फिर से खुल रहा है#कॉलेज#कोरोना संक्रमण#दिल्ली में स्कूल#बिहार में स्कूल#यूपी में स्कूल#स्कूल#स्कूल फिर से खोलना
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BPSC Headmaster recruitment 2022: हेड मास्टर के लिए 6439 पदों की भर्ती, आज से आवेदन शुरू
BPSC Head Master Recruitment 2022: सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी की तैयार करे युवाओं के लिए एक शानदार मौका आया है। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने राज्य सरकार के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पदों के लिए बंपर वैकेंसी निकाली है। बीपीएससी की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार आज यानी 5 मार्च से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते है।
6439 पदों पर होगी भर्ती बिहार के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पहली बार 6439 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति परीक्षा के आधार पर होगी। इसमें महिला उम्मीदवारों के लिए 2179 पद सुरक्षित होंगे। बिहार लोक सेवा आयोग को परीक्षा कराने की जिम्मेवारी दी गई है।
महत्वपूर्ण तिथियां — आवेदन करने की शुरुआत तिथि : 05 मार्च 2022 — आवेदन करने की अंतिम तिथि : 28 मार्च 2022
यह भी पढ़ें - SIDBI Recruitment 2022 : 100 सहायक प्रबंधक प���ों के लिए भर्ती, जानिए वैकेंसी डिटेल
वैकेंसी डिटेल कुल पदों की संख्या : 6439 पद सामान्य के लिए : 2571 पद ईडब्ल्यूएस के लिए : 639 पद ओबीसी के लिए : 769 पद ईबीसी के लिए : 1157 पद बीसी महिला के लिए : 192 पद अनुसूचित जाति के लिए : 1027 पद एसटी के लिए : 66 पद
योग्यता जारी अधिसूचना के अनुसार, आवेदन करने वाले उम्मीदवार के पास किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से कम से कम 50 फीसदी अंक के साथ पोस्ट ग्रैजुएट होना चाहिए। इसके अलावा B.Ed/B.A.Ed./B.Sc. Ed के साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा भी उतीर्ण किया होना चाहिए।
उम्र सीमा उपरोक्त पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार की आयु 31 साल से 47 के बीच होनी चाहिए। यह भी पढ़ें - CISF Recruitment 2022: 12वीं पास के लिए कॉन्स्टेबल पदों पर भर्ती, ऐसे करें आवेदन
वेतनमान इन पदों पर चयनित उम्मीदवारों को वेतन के रूप में 35,000 रुपए हर माह दिया जाएगा।
बीपीएससी हेड मास्टर आवेदन शुल्क — सामान्य / ओबीसी / अन्य राज्य के लिए : 750/- रुपए — एससी / एसटी / पीएच के लिए : 200/- रुपए महिला उम्मीदवार के लिए : 200/- रुपए बीपीएससी हेड मास्टर अधिसूचना देखनेके लिए यहां क्लिक करें— https://www.bpsc.bih.nic.in/Advt/NB-2022-03-04-02.pdf
बीपीएससी हेड मास्टर भर्ती 2022 के लिए आवेदन कैसे करें? — सबसे पहले बीपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट onlinebosc.bihar.gov.in पर जाएं। — होमपेज पर ऑनलाइन पंजीकरण लिंक पर क्लिक करें। — पंजीकरण के बाद अपने खाते में लॉगिन करें। — इसके बाद ऑनलाइन / ऑफलाइन शुल्क मोड के माध्यम से परीक्षा शुल्क का भुगतान करें। — आवेदन पत्र भरें और फिर भरे हुए आवेदन को डाउनलोड करें पर क्लिक करें।
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Private school director of gaya arrested in rape case of delhi girl bramk
Private school director of gaya arrested in rape case of delhi girl bramk
गया. दिल्ली में रहने वाली एक लड़की के साथ रेप (Gaya Rape Case) करने के मामले में गया शहर के हंसराज पब्लिक स्कूल (Hanshraj Schoo, Gaya) के डायरेक्टर मनीष रुखरियार को गिरफ्तार कर लिया गया है. मनीष की गिरफ्तारी बोधगया थाना क्षेत्र के खराटी स्कूल से हुई. उसे बिहार पुलिस के सहयोग से दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गिरफ्तार किया और फिर गया कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लेकर दिल्ली ले गई. मनीष रुखियार की…
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